इ
इं$िकज़ा (अ़.स्त्री.)-समाप्ति। 'इं$िकज़ाए मीअ़ादÓ-अवधि की समाप्ति।इंजाज़ (अ़.पु.)-वादा व$फा करना, वचन पूरा करना, प्रतिज्ञा पर खरा उतरना, प्रतिज्ञापूर्ति; परोपकार। इसका 'जाÓ उर्दू के 'जीमÓ से तथा 'ज़Ó उर्दू के 'ज़ेेÓ अक्षर से बना है।
इंज़ाज (अ़.पु.)-पकाना; फल को केमिकल या पाल आदि द्वारा पकाना; शरीर की दूषित धातुओं को दवाओं द्वारा पकाकर इस $काबिल करना कि वे शरीर से निकाली जा सकें; दवाओं द्वारा गाढ़े माद्दे को पतला और पतले को गाढ़ा करना। इसका 'ज़ाÓ उर्दू के 'ज़्वादÓ से तथा 'जÓ उर्दू के 'जीमÓ अक्षर से बना है।
इंज़ाम (अ़.पु.)-क्रम से लगाना, व्यवस्थित करना, सजाना, सँवारना, विभूषित करना।
इंज़ार (अ़.पु.)-समय की छूट देना, मोहलत देना, छुट्टी देना। इसका 'ज़Ó उर्दू के 'ज़ोयÓ अक्षर से बना है।
इंज़ार (अ़.पु.)-डरना, भय खाना, ख़्ाौ$फ खाना; डराना, ख़्ाौ$फ पैदा करना, त्रास देना। इसका 'ज़Ó उर्दू के 'ज़ेेÓ अक्षर से बना है।
इंज़ाल (अ़.पु.)-नीचे उतरना; नीचे उतारना; स्त्री-प्रसंग अथवा स्वप्न में वीर्यपात होना।
इंजास (अ़.पु.)-गंदा करना, अपवित्र करना, नापाक करना।
इंजाह (अ़.पु.)-ख़्वाहिश पूरी करना, इच्छा या अभिलाषा पूरी करना, हाजतबरारी करना; इच्छा या अभिालाषा पूरी होना, इच्छापूर्ति, मनोरथपूर्ति, सफलकाम।
इंजाहे मराम (अ़.पु.)-अभिलाषा पूरी होना, मनोकामना पूर्ण होना, मनोरथ सिद्घ होना, सिद्घि होना, पूर्णकाम होना, दिली मुराद बर आना, हार्दिक इच्छा पूरी होना।
इंजिज़ाब (अ़.पु.)-आकर्षित होना, आकृष्ट होना, आसक्त होना, खिंचना; घुलमिल जाना, आत्मसात् होना, जज़्ब होना।
इंजि़बात (अ़.पु.)-मज़बूती, दृढ़ता, पक्कापन; नियमबद्घता, बा$कायदगी।
इंजिमाद (अ़.पु.)-जम जाना, जमकर ठोस होना, बस्त: होना।
इंजि़माम (अ़.पु.)-मिलना, मिश्रित होना, आत्मसात् होना; जुडऩा, सटना, संयुक्त होना, युक्त होना।
इंजि़या$ग (अ़.पु.)-असत्य की ओर झुकाव, सच को छोड़ कर झूठ की तर$फ झुकना, यथार्थ को बिसराकर मिथ्या की ओर प्रवृत होना।
इंजिला (अ़.पु.)-चमकना, प्रकाशमान् होना; घर या देश से निकलना; बादल का छँटना; दु:ख या क्लेश का दूर होना।
इंजिलाब (अ़.पु.)-आकर्षित होना, आकृष्ट होना, खिंचना।
इंजि़वा (अ़.पु.)-एकान्त में रहना, एकान्तवासी होना, गोश:नशीनी करना; एकान्त, तन्हाई, गोश:।
इंजि़हा$क (अ़.पु.)-बरबाद होना, नष्ट होना; मर जाना; हलाक होना।
इंजीर (अ़.पु.)-एक प्रसिद्घ फल 'अंजीरÓ। यह उच्चारण अशुद्घ है, दे.-'अंजीरÓ, वही शुद्घ है।
इंजील (अ़.स्त्री.)-ईसाइयों की प्रमुख धार्मिक पुस्तक, बाइबिल।
इंतक़ाम (अ़.पु.)-दे.-'इंति$कामÓ, वही शुद्घ है।
इंतक़ाल (अ़.पु.)-दे.-'इंति$कालÓ, वही शुद्घ है।
इंतख़्ााब (अ़.पु.)-दे.-'इंतिख़्ााबÓ, वही शुद्घ है।
इंतज़ाम (अ़.पु.)-दे.-'इंतिज़ामÓ, वही शुद्घ है।
इंतज़ार (अ़.पु.)-दे.-'इंतिज़ारÓ, वही शुद्घ है।
इंतहा (अ़.स्त्री.)-दे.-'इंतिहाÓ, वही शुद्घ है।
इंतिअ़ाश (अ़.पु.)-समृद्घ होना, ख़्ाुशहाल होना; तरक़्$की करना, उन्नति करना; ऊपर उठना, बुलन्द होना।
इंति$का (अ़.पु.)-बीनना, चुनना; $कबूल करना, स्वीकार करना, $कबूल करना।
इंति$काअ़ (अ़.पु.)-मुँह फेर लेना, विमुख होना, प्रतिकूल होना।
इंति$काज़ (अ़.पु.)-अपनी बात पर टिके न रहना, वचन-भंग करना, प्रतिज्ञा भंग करना।
इंति$काद (अ़.पु.)-तत्काल मूल्य चुकाकर लेना, न$कद या कैश लेना; जाँचना, परखना; आलोचना करना, तन$कीद करना, समालोचना करना; आलोचना, समालोचना, तन$कीद; भुस में से अनाज के दाने अलग करना।
इंतिका$फ (अ़.पु.)-घृणित, किसी वस्तु का घृणास्पद होना।
इंति$काम (अ़.पु.)-बदला लेना, प्रत्यपकार, बुराई का बदला लेना, प्रतिशोध करना; दुश्मनी चुकाना, वैरशुद्घि।
इंति$कामान: (अ़.$फा.वि.)-वैर-स्वरूप, शत्रुतापूर्ण, इंति$काम को ध्यान में रखते हुए, इंति$काम से भरा हुआ, बदले की भावना से परिपूर्ण।
इंति$कामाना (अ़.$फा.वि.)-दे.-'इंतिकामान:Ó, वही शुद्घ उच्चारण है।
इंति$काल (अ़.पु.)-इस लो से दूसरे लोक में जाना, मरना, मृत्यु को प्राप्त होना; एक स्थान से दूसरे स्थान को जाना, स्थानांतरण, स्थान-परिवर्तन; किसी वस्तु या चीज़ का एक से दूसरे तक पहुँचना।
इंति$काले अराज़ी (अ़.पु.)-ज़मीन का एक के पास से दूसरे के स्वामित्व में चले जाना, स्वामित्व-परिवर्तन।
इंति$काले जि़ह्नी (अ़.पु.)-विचार या ख़्ायाल का एक ओर से दूसरी ओर जाना, कुछ सोचते हुए कुछ और ही सोचने लगना, कल्पना में भटकाव आना, किं कत्र्तव्य विमूढ़ता, विचार-अंतरण।
इंति$काश (अ़.पु.)-साकार होना; काँटा निकालना; मोचने या चिमटी से बाल उखाडऩा।
इंतिकास (अ़.पु.)-अधोमुख होना, औंधा होना, उलटा होना; अधोमुख, औंधा, उलटा। इसका 'सÓ उर्दू के 'सीनÓ अक्षर से बना है।
इंतिकास (अ़.पु.)-अपनी बात पर न ठहरना, वचन भंग करना, प्रतिज्ञा तोडऩा, वायदा पूरा न करना। इसका 'सÓ उर्दू के 'सेÓ अक्षर से बना है।
इंति$कास (अ़.पु.)-कम करना; कम होना। इसका 'सÓ उर्दू के 'सुअ़ादÓ अक्षर से बना है।
इंतिख़्ााब (अ़.पु.)-चुनाव, निर्वाचन, इलेक्शन; ख़्ातयौनी (पटवारी का खाता, जिसमें खेत के मालिक और जोतने वाले का विवरण रहता है) के किसी का$गज़ की बाज़ाब्ता न$कल; बहुत में-से थोड़ा-सा छाँट लेना; अच्छे अंश छाँटकर अलग कर लेना, चुनना, बीनना।
इंतिख़्ााबे जुदागान: (अ़.$फा.पु.)-साम्प्रदायिक आधार पर होनेवाला चुनाव अर्थात् ऐसा चुनाव, जिसमें हिन्दू केवल हिन्दुओं को, मुसलमान केवल मुसलमानों को तथा ईसाई केवल ईसाइयों को वोट दें, पृथक् चुनाव या निर्वाचन।
इंतिख़्ााबे मख़्लूत (अ़.पु.)-संयुक्त निर्वाचन, धर्म-निर्पेक्ष निर्वाचन, ऐसा चुनाव, जिसमें धर्म या सम्प्राय का कोई भेद न हो और सब मिलकर वोट दें, सार्वजनिक चुनाव।
इंतिजा (अ़.पु.)-किसी को अपना राज़दार या भेदी बनाना।
इंतिज़ाअ़ (अ़.पु.)-अस्त-व्यस्त होना, उखडऩा; क्रान्ति आना, इं$िकलाब होना, विप्लव होना, उथल-पुथल होना।
इंतिज़ाए सल्तनत (अ़.पु.)-राज्य-क्रान्ति, राज्य का उथल-पुथल होना, देश या राष्ट्र में इन्$िकलाब आना।
इंतिजाब (अ़.पु.)-सम्मानित होना, प्रतिष्ठित होना, श्रेष्ठ होना।
इंतिज़ाम (अ़.पु.)-व्यवस्था, प्रबन्ध, बन्दोबस्त; काम का सम्पन्न होना, कार्य का ठीक होना; काम को सम्पन्न करना, कार्य का दुरुस्त करना; प्रबन्ध करना, बन्दोबस्त करना।
इंतिज़ामकार (अ़.पु.)-व्यवस्थापक, प्रबन्धकर्ता, मैनेजर।
इंतिज़ार (अ़.पु.)-बाट, प्रतीक्षा; प्रतीक्षा करना, राह देखना, बाट जोहना; आस लगाना, सहारा देखना।
इंतिताह (अ़.पु.)-सींग मारना, गाय-भैंस आदि का किसी को सींग मारना।
इंतिदाब (अ़.पु.)-प्रतिनिधित्व, नियाबत; किसी काम के लिए बुलाना; अपना प्रतिनिधि बनाना।
इंति$फा (अ़.पु.)-नष्ट करना; नष्ट होना। इसका 'तÓ उर्दू के 'तेÓ से बना है।
इंति$फा (अ़.पु.)-बुझना, दीपक का बुझना; आग का शान्त होना; कुम्हलाना, मुरझा जाना। इसका 'तÓ उर्दू के 'तोयÓ से बना है।
इंति$फाअ़ (अ़.पु.)-लाभ उठाना, लाभ कमाना, न$फा हासिल करना।
इंति$फाख़्ा (अ़.पु.)-अफारा आना, पेट फूलना; किसी चीज़ में हवा भरना, आध्मान, आनाह।
इंति$फाश (अ़.पु.)-बिना चौकीदार मवेशियों को रात में चरागाह में अकेले छोड़ देना।
इंतिबाअ़ (अ़.पु.)-प्रकाशित होना, मुद्रित होना, छपना; कोई तस्वीर, चित्र या लेख आदि किसी दूसरी चीज़ पर ज्यों का त्यों उतरना, यथानुरूप चित्रण, यथावत् अवतरण, सटीक चित्रण।
इंतिबा$क (अ़.पु.)-मेल होना, आपस में मिलना, संयुक्त होना, एक-दूसरे में मिलना, जुडऩा; अनुकूल होना, मुताबिक़ होना, सदृश या एकरूप होना।
इंतिबाश (अ़.पु.)-कपड़े उतारना, नंगा करना; $कब्र में से मुर्दे का क$फन उतार लेना, क$फन चुराना।
इंतिबाह (अ़.पु.)-सावधान करना, चेतावनी देना, सजग करना, तम्बीह करना; चेतावनी, तम्बीह।
इंतिमा (अ़.पु.)-किसी से संयुक्त होना, किसी से सम्बन्धित होना; विकसित होना, (प्रत्य.)-अधिक या विकसित करनेवाला, जैसे-'सअ़ादत इंतिमाÓ=सौभाग्य बढ़ानेवाला, 'लुत्$फ इंतिमाÓ=आनन्दवर्धक और 'जुनूँ इंतिमाÓ=उन्माद बढ़ानेवाला।
इंतिमास (अ़.पु.)-लोप होना, लुप्त या विलुप्त होना, $गायब होना, अदृश्य होना।
इंतियाअ़ (अ़.पु.)-समस्यापूर्ति होना, समस्या का हल निकलना; बहना, प्रवाहित होना।
इंतिला$क (अ़.पु.)-गमन करना, जाना, प्रस्थान करना, स्थान छोडऩा।
इंतिवा (अ़.पु.)-आलिंगित होना, लिपटा हुआ होना, चिपटा हुआ होना, लिथड़ा हुआ होना।
इंतिशार (अ़.पु.)-अस्त-व्यस्त होना, तितर-बितर होना, बिखरना; अस्त-व्यस्तता, गड़बड़; घबराहट, परेशानी, बेचैनी; लिंगेद्रिय का खड़ा होना, पुरुषेन्द्रिय का उत्थान।
इंतिसा$क (अ़.पु.)-प्रबन्ध ठीक करना, व्यवस्था ठीक करना, व्यवस्थित करना; तर्तीब देना, क्रमबद्घ करना; शैली, तर्ज, ढंग, तरी$का; प्रबन्ध, इंतिज़ाम।
इंतिसाख़्ा (अ़.पु.)-किसी लेख आदि की न$कल या प्रतिलिपि लेना, अनुलेख लेना।
इंतिसा$फ (अ़.पु.)-ह$क या न्याय के अनुसार काम होना, न्याय पाना; आधा-आधा होना; आधा पाना।
इंतिसाब (अ़.पु.)-होना, उठ खड़ा होना, बरपा होना। इसका 'सÓ उर्दू के 'सुअ़ादÓ अक्षर से बना है।
इंतिसाब (अ़.पु.)-लगाव, सम्बन्ध, निस्बत; समर्पण, डेडिकेशन; किसी पुस्तक या अन्य वस्तु को किसी के नाम समर्पित करना; किसी वस्तु को किसी से सम्बन्धित करना। इसका 'सÓ उर्दू के 'सीनÓ से बना है।
इंतिसाम (अ़.पु.)-महक लेना, सुगन्ध लेना, ख़्ाुशबू सँूघना, सुगन्धित पदार्थ सूँघना।
इंतिसाल (अ़.पु.)-ख़्ाानदान का विस्तार, वंशवृद्घि, वंश का आगे चलना, लड़का उत्पन्न होना।
इंतिसाह (अ़.पु.)-बात मानना, सीख या नसीहत मानना, हित की बात सुनना।
इंतिहा (अ़.पु.)-चरम सीमा; पराकाष्ठा, अति, आख़्िारी हद; अंतिम छोर; अत्यधिक, बहुत जि़याद:; समाप्ति, ख़्ाात्मा, अख़्ाीर; अत्यन्त। 'इंतिहा काÓ-हद ये ज़्यादा, परले सिरे का।
इंतिहाई (अ़.वि.)-अन्तिम छोर का, आख़्िारी हदवाला, अन्तवाला; अत्यधिक, बहुत घना।
इंतिहाज़ (अ़.पु.)-अवकाश पाना, $फुर्सत पाना, अवसर प्राप्त होना; वश में लाना, $काबू पाना। इसका 'ज़Ó उर्दू के 'ज़ेÓ से बना है।
इंतिहाज़ (अ़.पु.)-गमन करना, प्रस्थान करना, कूच करना; गमन, प्रस्थान, कूच; उठ खड़ा होना। इसका 'ज़Ó उर्दू के 'ज़्वादÓ से बना है।
इंतिहापसन्द (अ़.$फा.वि.)-सशस्त्र क्रान्तिकारी; खाडकू, आतंकवादी; क्रान्ति और हिंसा द्वारा परिवर्तन या इन्$िकलाब लाने के सिद्घान्त को माननेवाला; हर काम को उसकी चरमसीमा में पसन्द करनेवाला।
इंतिहापसन्दी (अ़.$फा.स्त्री.)-क्रान्तिवादिता; अतिवादिता; आतंकवादिता; प्रत्येक कार्य को उसकी चरमसीमा में पसन्द करना; क्रान्ति द्वारा परिवर्तन या इन्$िकलाब लाने के सिद्घान्त को मानना।
इंतिहाब (अ़.पु.)-बरबाद हो जाना; डाके आदि में लुट जाना। $गारत करना, लूटना, नष्ट करना।
इंतिहार (अ़.पु.)-हाँपना, हाँफना, जल्दी-जल्दी साँस लेना।
इंतिहाल (अ़.पु.)-साहित्यिक चोरी, किसी दूसरे की कविता या लेख को अपना बताना।
इंद (अ़.पु.)-नज़दीक, पास, समीप।
इंदज़्ज़ुरूरत (अ़.वि.)-जब ज़रूरत हो तब, आवश्यकता पडऩे पर, अपेक्षित होने पर।
इंदत्तलब (अ़.वि.)-एक प्रकार का ऋण-पत्र, जिसमें जिस समय रुपया वापस माँगा जाए, उसी समय ज़रूर लौटा देने का वचन होता है; माँगने के समय, जब माँगा जाए तब।
इंदत्तह$की$क (अ़.वि.)-जाँच के समय; जाँच के अनुसार।
इंदन्नास (अ़.वि.)-जनमत के अनुसार, सर्वसाधारण की राय में, अ़ाम जनता के मतानुसार।
इंदमाल (अ़.पु.)-दे.-'इंदिमालÓ, वही शुद्घ है।
इंदराज (अ़.पु.)-दे.-'इंदिराजÓ, वही शुद्घ है।
इंदल्लाह (अ़.वि.)-ईश्वर के निकट, ख़्ाुदा के यहाँ।
इंदल्हाजत (अ़.वि.)-दे.-'इंदज़्ज़ुरूरत Ó।
इंदार (अ़.पु.)-डालना।
इंदि$का$क (अ़.पु.)-कूटा जाना, कूटना।
इंदि$फाअ़ (अ़.पु.)-हट जाना, निराकरण होना, दूर होना, द$फा होना।
इंदिबा$ग (अ़.पु.)-चमड़ा पकाना और रँगना।
इंदिमाज (अ़.पु.)-किसी जगह मज़बूती से खड़ा होना; घुसना; निकलना।
इंदिमाल (अ़.पु.)-क्षतपूर्ति, घाव का भरना; अच्छा होना; सुधार।
इंदिय: (अ़.पु.)-मंशा, उद्देश्य, अभिप्राय:, म$कसद; विचार, ख़्ायाल, राय; मंसूबा। 'इंदिया लेनाÓ-मंशा जानने की कोशिश करना, राय जानना। 'इंदिया पानाÓ-विचार पता चलना, मंशा भाँप लेना।
इंदिया (अ़.पु.)-दे.-'इंदिय:Ó, वही शुद्घ है।
इंदिराअ़ (अ़.पु.)-सामने आना, घटना का उपस्थित होना, घटित होना।
इंदिराज (अ़.पु.)-लिखा जाना, दर्ज होना; रजिस्टर आदि में लिखा जाना, प्रविष्टि; दाख़्िाल होना।
इंदिरास (अ़.पु.)-पुराना होना, जीर्ण होना; जीर्णता, जर्जरता, पुरानापन; नष्ट होना।
इंदिलाअ़ (अ़.पु.)-पेट बढ़ जाना, तोंद निकल आना।
इंदिला$क (अ़.पु.)-उगल पडऩा।
इंदिलास (अ़.पु.)-गिर पडऩा। इसका 'सÓ उर्दू के 'सुअ़ादÓ अक्षर से बना है।
इंदिसास (अ़.पु.)-छिपना, छुपना, गुप्त होना, लोप होना; मिट्टी में छुपना या लुप्त होना। इसका 'सÓ उर्दू के 'सीनÓ अक्षर से बना है।
इंदुल ज़रूरत (उ.वि.)-आवश्यकता होने पर, ज़रूरत पडऩे पर।
इंदुलतलब (उ.वि.)-तलब करने पर, माँगने पर।
इंदुल मुला$कात (उ.वि.)-मिलने पर, भेंट के समय, मुला$कात के वक़्त।
इंदोख़्त: ($फा.वि.)-प्राप्त, मिला, (पु.)-प्राप्ति, लाभ।
इंदोख़्ता ($फा.वि.)-दे.-'इंदोख़्त:Ó, वही शुद्घ है।
इं$फाज़ (अ़.पु.)-प्रचलित करना, जारी करना; रवाना करना, भेजना।
इं$फकाक (अ़.पु.)-दे.-'इंफि़काकÓ, मुक्ति, विमुक्ति।
इं$िफकाक (अ़.पु.)-मुक्ति, विमुक्ति; अलग होना; जायदाद का रेहन से छुड़ाना।
इं$िफसाल (अ़.पु.)-मु$कदमे का $फैसला, निर्णय।
इंबा (अ़.पु.)-ख़्ाबर देना, सूचना देना।
इंबात (अ़.पु.)-उगना, जमना; उगाना।
इंबार (अ़.पु.)-राशि, ढेर, गल्ला (अनाज), जमा करने का स्थान (अम्बार)।
इंबाह (अ़.पु.)-सोई हुई अवस्था से उठाना, जगाना, जाग्रत करना, बेदार करना।
इंबिअ़ास (अ़.पु.)-उठना, उत्थान, उन्नति; भड़कना, तेज़ होना, उत्तेजित होना, क्रोध में आना; इच्छानुकूल होना, अभिलषित।
इंबि$गा (अ़.पु.)-इच्छित होना, अभिलषित होना; योग्य होना, पात्र होना, मुस्तह$क होना।
इंबिसात (अ़.पु.)-खिलना, खुलना, शगुफ़्त: होना; हर्ष, आनन्द, ख़्ाुशी; धृष्टता, गुस्ताख़्ाी।
इंबिसास (अ़.पु.)-अस्त-व्यस्त होना, बिखरना, तितर-बितर होना, मुन्तशिर होना।
इंशा (अ़.स्त्री.)-लेखन क्रिया, लेखन-शैली, लेख आदि लिखना; लिखना, तहरीर करना, इबारत; साहित्य रचना; आरम्भ करना; उत्पन्न करना; भाषण करना; पत्र-लेखन कला। 'इंशा करनाÓ-लिखना।
इंशा अल्लाह (अ़.$फा.क्रि.वि.)-दे.-'इंशा अल्लाह तअ़ालाÓ।
इंशा अल्लाह तअ़ाला (अ़.$फा.क्रि.वि.)-यदि ईश्वर ने चाहा तो, यदि ईश्वर की इच्छा हुई तो।
इंशाद (अ़.पु.)-शेÓर पढऩा, कविता सुनाना, काव्यपाठ।
इंशा पर्दाज़ (अ़.$फा.वि.)-लेखक, साहित्यकार, अदीब; गद्य लेखक, निबन्धकार, नस्रनिगार; मुंशी।
इंशा पर्दाज़ी (अ़.$फा.स्त्री.)-लेखन-कला; लेखन-चातुर्य; उत्तम लेख लिखने का अभ्यास; निबन्ध रचना, मज़्मून-निगारी।
इंशि$का$क (अ़.पु.)-तड़कना, फट पडऩा, दरकना, श$क होना, विदीर्ण होना।
इंशिराह (अ़.पु.)-मन का प्रफुल्लित होना, चित्त की प्रसन्नता, मसर्रत; हृदय का खुल जाना, दिल का कुशाद: हो जाना, मन की धड़क अथवा डर ख़्ात्म हो जाना।
इंशिराहे $कल्ब (अ़.पु.)-मन का इस प्रकार विकसित हो जाना कि सारी परोक्ष बातें ज्ञात हो जाएँ, दिव्य-दृष्टि प्राप्त हो जाना, दैवी-ज्ञान प्राप्त होना; दिव्य-दृष्टि, दैवी-ज्ञान।
इंस (अ़.पु.)-मनुष्य-समूह, लोग, मानव-वर्ग। यह शब्द बहुवचन के अर्थ में आता है मगर इसका एकवचन नहीं है।
इंसदाद (अ़.पु.)-दे.-'इंसिदादÓ, वही शुद्घ है।
इंसराम (अ़.पु.)-दे.-'इंसिरामÓ, वही शुद्घ है।
इंसा (अ़.पु.)-विस्मृत करना, भुला देना, याद न रखना।
इंसा$क (अ़.पु.)-नियम और दस्तूर बनाना, किसी चीज़ को $कायदे के अन्दर लाना, किसी वस्तु को व्यवस्थित करना।
इंसान (अ़.पु.)-मानव, आदमी, मनुष्य, नौए इन्सानी; शरी$फ, सज्जन, भलामानस; सभ्य, शिष्ट, मुहज़्ज़ब।
इंसानियत (अ़.स्त्री.)-दे.-'इंसानीयतÓ, शुद्घ उच्चारण वही है।
इंसानी (अ़.वि.)-मानवीय, आदमी का; आदमी से संबंधित, आदमी की तरह का, आदमी-जैसा।
इंसानीयत (अ़.स्त्री.)-मनुष्यता, मनुजता, भलमनसाहत, मानवता, आदमियत; सभ्यता, शिष्टता, तमीज़दारी, शिष्टाचार, मिलनसारी, सुशीलता।
इंसाने ऐन (अ़.पु.)-कनीनिका, आँख की पुतली।
इंसा$फ (अ़.पु.)-न्याय, निर्णय, $फैसला; नीति, अ़द्ल।
इंसा$फन (अ़.वि.)-न्याय के अनुसार, न्यायत:, इंसा$फ से।
इंसा$फ पसन्द (अ़.$फा.वि..)-न्यायी, न्यायप्रिय, न्याय की बात कहनेवाला, पक्षपात न करनेवाला।
इंसा$फ पसन्दी (अ़.$फा.स्त्री.)-न्याय-प्रियता, न्याय की बात पसन्द करना, ह$क पसन्द।
इंसिकाब (अ़.पु.)-पानी गिरना; बहुत रोना।
इंसिदाअ़ (अ़.पु.)-फटना, विदीर्ण होना, बीच में दर्ज हो जाना।
इंसिदाद (अ़.पु.)-बन्द होना, रुक जाना, रोक लग जाना; निवारण, ख़्ातिमा, समाप्ति; रोकने के लिए किया जानेवाला काम, रोकथाम, निवारण। 'इंसिदादे जराइमÓ-अपराधों की रोकथाम।
इंसिदादेजुर्म (अ़.पु.)-अपराध-मुक्ति, अपराध-विहीनता, अपराधों का रुक जाना; बलात्कार, चोरियाँ, डकैतियाँ आदि न होना।
इंसिबा$ग (अ़.पु.)-रंग चढऩा, रंगीन होना, रँगा जाना।
इंसिबाब (अ़.पु.)-पानी या किसी अन्य पतली चीज़ का रिसना या टपकना।
इंसिया$क (अ़.पु.)-प्रवाहित होना, बहना, रवाँ होना।
इंसिरा$फ (अ़.पु.)-वापस आना, फिरना, लौट आना।
इंसिराम (अ़.पु.)-कटना, कटकर अलग होना; समाप्त होना, पूरा होना, पूर्णता या समाप्ति को पहुँचना; प्रबन्ध, व्यवस्था, इंतिज़ाम।
इंसिलाक (अ़.पु.)-घुसना, एक चीज़ का किसी दूसरी चीज़ में प्रवेश करना, पैठ करना।
इंसिलाब (अ़.पु.)-खो जाना, गुम होना; नष्ट होना, ज़ाए जाना।
इंसिहा$क (अ़.पु.)-घिसा जाना, रगड़ा जाना।
इंसी (अ़.पु.)-शरीर के भीतरी अव्यव; मनुष्य, आदमी, इंसान; सीधी ओर, दाहिनी तर$फ।
इअ़ाद: (अ़.पु.)-वापस आना, लौटकर आना; कही हुई बात को फिर से कहना; पुनरावृत्ति, दुहराना।
इअ़ादत (अ़.स्त्री.)-दे.- 'एअ़ादतÓ। दोहराना, पुनरावृति; लौटना, वापस आना; बीमार का हाल पूछने उसके घर जाना।
इअ़ादह (अ़.पु.)-दे.-'इअ़ाद:Ó, वही उच्चारण शुद्घ है।
इअ़ानत (अ़.स्त्री.)-सहयोग, सहायता, मदद, तअ़ावुन; कृपा, अनुकम्पा, अनुग्रह, दया। दे.-'एअ़ानतÓ।
इअ़ानते मुज्रिमान: (अ़.स्त्री.)-किसी अवैध कार्य में सहयोग या सहायता, किसी कार्य में ऐसी मदद जो $कानूनीरूप से अपराध हो।
इआर (अ़.पु.)-कसौटी का कस, बानगी, चाशनी; सोना तौलने का काँटा।
इ$कतदार (अ़.पु.)-दे.-'इक़्ितदारÓ, वही उच्चारण शुद्घ है।
इ$कतबास (अ़.पु.)-दे.-'इक़्ितबासÓ, वही उच्चारण शुद्घ है।
इ$कदाम (अ़.पु.)-दे.-'इक़्दामÓ, वही उच्चारण शुद्घ है।
इ$कबारगी ($फा.क्रि.वि.)-दे.-'य$कबारगीÓ, वही शुद्घ है। एकाएक, एक-साथ, एकदम से, एक ही बार में, अचानक, सहसा।
इ$कबाल (अ़.पु.)-दे.-'इक़्बालÓ, वही उच्चारण शुद्घ है।
इ$कबालमंद (अ़.वि.)-दे.-'इक़्बालमंदÓ, वही उच्चारण शुद्घ है।
इकराम (अ़.पु.)-दे.-'इक्रामÓ, वही उच्चारण शुद्घ है।
इ$करार (अ़.पु.)-दे.-'इक्ऱारÓ, वही उच्चारण शुद्घ है।
इ$करारनामा (अ़.$फा.पु.)-दे.-'इक्ऱारनाम:Ó, वही उच्चारण शुद्घ है।
इ$करारी (अ़.वि.)-दे.-'इक्ऱारीÓ, वही उच्चारण शुद्घ है।
इकराह (अ़.पु.)-दे.-'इक्राहÓ, वही उच्चारण शुद्घ है।
इ$कसाम (अ़.पु.)-दे.-'इक़्सामÓ, वही उच्चारण शुद्घ है।
इका$फ (अ़.पु.)-गधे या घोड़े का पलान, लिंग, शिश्न।
इ$काब (अ़.पु.)-कष्ट, दु:ख, तकली$फ, यातना; पाप, कष्ट, अज़ाब।
इ$कामत (अ़.स्त्री.)-किसी स्थान पर रुकना, ठहरना, रहना, बसना; नमाज़ के लिए तक्बीर अर्थात् 'अल्लाहो अकबरÓ कहना।
इ$कामत पज़ीर (अ़.$फा.वि.)-जो कहीं रह रहा हो, जो कहीं ठहरा हुआ हो, जो कहीं बसा हुआ हो।
इ$काल: (अ़.पु.)-बेची हुई वस्तु को आपस की रज़ामन्दी से वापस ले लेना; किसी काम का विचार छोड़ देना, अपना फैसला बदल लेना।
इ$कालत (अ़.स्त्री.)-दे.-'इ$काल:Ó।
इ$िकत (अ़.पु.)-दे.-'इक़्तÓ, यह भी शुद्घ है ।
इक़्अ़ा (अ़.पु.)-उकडूँ बैठना, मनुष्य का चूतड़ों के बल बैठना, जिसमें दोनों पिंडलियाँ खडी रहें।
इक़्त (अ़.पु.)-पनीर, शुष्क दही जिसमें नमक मिलाया गया हो। 'इ$िकतÓ भी शुद्घ है।
इक्तफ़ा (अ़.पु.)-का$फी समझना, यथेष्ट समझना; सन्तुष्ट रहना। दे.-'इक्ति$फाÓ, दोनों शुद्घ हैं।
इक़्ितज़ा (अ़.पु.)-अभिलाषा, इच्छा, आकांक्षा, ख़्वाहिश, चाह; समय की माँग, वक़्त की ज़रूरत।
इक़्ितज़ाज़ (अ़.पु.)-कुँआरी युवती के साथ सम्भोग या प्रसंग, कुँआरी-भोग।
इक़्ितज़ाब (अ़.पु.)-काटना, टुकड़े करना।
इक़्ितता$फ (अ़.पु.)-फल पाना, मेवा पाना; फल बीनना; मेवा चुनना।
इक्तिताब (अ़.पु.)-पुस्तक या बही आदि में लिखना; चन्दे की $फेहरिस्त अथवा सूची खोलना।
इक़्ितताम (अ़.पु.)-गोपन, छुपाना, किसी चीज़ को ढँक लेना; गुप्ति, पोशीदगी, छुपाव; बालों में ख़्िाज़ाब लगाना, बालों की सफ़ेदी छुपाना।
इक़्ितदार (अ़.पु.)-अधिकार, इख़्ितयार; सत्ता, हुकूमत, राज, शासन, प्रभुत्व; ता$कत, शक्ति, सामथ्र्य; सम्मान, इज़्ज़त, प्रतिष्ठा; आतंक, रोबदाब।
इक़्ितदार-ए-आÓला (अ़.पु.)-हाई कमाण्ड, राज्य के सर्वोच्च अधिकारियों की मण्डली।
इक़्ितदा (अ़.पु.)-अनुकरण करना, पैरवी करना; अनुकरण, तक़्लीद; इमाम के पीछे नमाज़ पढऩा।
इक़्ितदार (अ़.पु.)-वश, अधिकार, सामथ्र्य, ता$कत।
इक़्ितना (अ़.पु.)-किसी काम या व्यवसाय के लिए पूँजी इकट्ठी करना, धन जुटाना।
इक़्ितनाअ़ (अ़.पु.)-जो कुछ मिल जाए, उसी पर सन्तोष करना, निस्पृह रहना, $कनाअ़त करना; उपराम, संतोष, संतुष्टि।
इक्तिना$फ (अ़.पु.)-किसी का आश्रय लेना, शरण में जाना, पनाह में जाना।
इक़्ितनास (अ़.पु.)-व्यवसाय करना, जीविका कमाना; शिकार करना।
इक्तिनाह (अ़.पु.)-बात की तह तक पहुँचना।
इक्ति$फा (अ़.पु.)-का$फी होना, पर्याप्त होना; का$फी समझना, पर्याप्त समझना, सन्तोष करना, सन्तुष्ट रहना; कि$फायत करना, बचत करना, बस करना।
इक़्ित$फा (अ़.पु.)-अनुकरण, पैरवी।
इक़्ित$फाल (अ़.पु.)-'$कुफ़्लÓ अर्थात् ताले में बन्द होना, मु$कफ़्$फल होना।
इक़्ितबास (अ़.पु.)-प्रज्वलित करना, जलाना; आग पकड़ लेना, भड़क उठना, जल उठना; प्रकाशमान् होना, रौशन होना; किसी पुस्तक, लेख या काव्य-संग्रह में से ज़रूरी इबारत (वाक्यांश) या शेÓर अथवा काव्यांश अपनी पुस्तक में देना, उद्घरण; किसी से ज्ञान प्राप्त करना; रौशनी लेना।
इक्तिमान (अ़.पु.)-छुपना, छुपकर बैठना; छुपकर घात में बैठना; छुपाना।
इक्तियाब (अ़.पु.)-दु:खी होना, $गमगीन होना, रंजीदा होना।
इक़्ितयास (अ़.पु.)-अनुकरण करना, पैरवी करना; अनुमान करना, कूत करना, $िकयास करना।
इक़्ितराज़ (अ़.पु.)-ऋण लेना, उधार लेना, $कजऱ् लेना।
इक़्ितरान (अ़.पु.)-पास होना, समीप होना, निकट होना।
इक़्ितराब (अ़.पु.)-पास-पास होना, समीप होना, निकट होना, $करीब होना; समीपता, निकटता, नज़दीकी।
इक़्ितराह (अ़.पु.)-प्रश्न करना, सवाल करना; पूछना, जिज्ञासा करना; अभिलाषा करना, इच्छा करना, चाहना।
इक्तिवा (अ़.पु.)-दा$ग देना, बीमारी में शरीर के किसी अंग को दा$गना।
इक्तिशा$फ (अ़.पु.)-प्रकाशित होना, प्रकट होना, खुलना, ज़ाहिर होना।
इक्तिसा (अ़.पु.)-वस्त्र धारण करना, कपड़े पहनना।
इक़्ितसाद (अ़.पु.)-मघ्यममार्गी होना, बीच की राह चलना; मित-व्ययिता करना, कम ख़्ार्च करना, कि$फायत-शिअ़ारी करना, बचत करना; धन, अर्थ, रुपया।
इक़्ितसादी (अ़.वि.)-आर्थिक, माली, रुपए-पैसे से सम्बन्धित।
इक़्ितसादियात (अ़.स्त्री.)-अर्थ-व्यवस्था, आर्थिक समस्याएँ, माली मसाइल; अर्थ-शास्त्र, अर्थ-विज्ञान, इकोनॉमिक्स।
इक्तिसाब (अ़.पु.)-उपार्जन, कमाना, स्वयं अपने प्रयत्न से प्राप्त करना; कमाई, अर्जन।
इक्तिसाब-ए-इल्म (अ़.पु.)-ज्ञान प्राप्त करना, इल्म हासिल करना, विद्योपार्जन। 'इक्तिसाबे इल्मÓ।
इक्तिसाब-ए-जऱ (अ़.पु.)-धनोपार्जन, रुपया कमाना, 'इक्तिसाबे जऱÓ।
इक्तिसाब-ए-$फन (अ़.पु.)-कला सीखना, कोई शिल्प या हुनर प्राप्त करना, 'इक्तिसाबे $फनÓ।
इक्तिसाब-ए-माल (अ़.पु.)-दे.-'इक्तिसाब-ए-जऱÓ।
इक़्ितसाम (अ़.पु.)-विभाजन, बँटवारा; बाँटना, तक़्सीम करना, भाग करना।
इक़्ितसार (अ़.पु.)-बलात् किसी से कुछ काम करवाना, ज़बरदस्ती किसी से कोई काम लेना; ज़बरदस्ती। इसका 'सÓ उर्दू के 'सीनÓ अक्षर से बना है।
इक़्ितसार (अ़.पु.)-छोटा करना, कम करना; एक चीज़ पर खड़ा होना; ऐसी इबारत लिखना, जिसमें शब्द बहुत हों और अर्थ कम हो। इसका 'सÓ उर्दू के 'सुअ़ादÓ अक्षर से बना है।
इक़्ितसास (अ़.पु.)-प्रतिहिंसा करना, ख़्ाून का बदला लेना; प्रतिहिंसा, ख़्ाून का बदला।
इक़्ितहाम (अ़.पु.)-धारण करना, इख़्ितयार करना; किसी चीज़ में घुसना, प्रवेश करना, पैठ करना; अत्याचार करना, ज़ुल्म करना; ज़लील करना, अपमानित करना।
इक्तिहाल (अ़.पु.)-आँखों में काजल लगाना, नयन को अंजनसार करना, सुरमा लगाना।
इक़्दाम (अ़.पु.)-कार्य-निष्पादन, किसी काम को करने के इरादे से आगे बढऩा, पेश$कदमी करना; अग्रसरता, पेश-क़दमी; प्रयत्न, चेष्टा।
इक़्दाम-ए-$कत्ल (अ़.पु.)-किसी की हत्या के लिए आगे बढऩा, मार डालने के लिए प्रयत्नशील होना, $कत्ल के लिए तैयारी करना, 'इक़्दामे $कत्लÓ।
इक़्दाह (अ़.पु.)-बुराई करना, बुरा कर्म करना, ऐब करना, निन्दा करना; निन्दा, बदगोई।
इक्दिश (तु.पु.)-प्रेयसी, प्रिया, महबूब:; वह व्यक्ति जिसकी माँ हिन्दुस्तानी और बाप तुर्की हो; वह घोड़ा जिसकी माँ तुर्की हो और बाप अऱबी हो।
इक्ऩा (अ़.पु.)-धन कमाने के उद्देश्य से किसी काम या व्यवसाय में पँूजी लगाना; व्यवसाय करना, धन कमाना।
इक्$फा (अ़.पु.)-$का$िफए का एक दोष, जिसमें दो ऐसे अक्षरों का $का$िफया होता है, जो उच्चारण में समीपवर्ती होते हैं, जैसे-'सबाहÓ और 'सिपाहÓ, इनमें से एक का 'हÓ बड़ी 'हेÓ से तथा एक का छोटी 'हेÓ से बना है।
इक्$फार (अ़.पु.)-किसी आस्तिक को नास्तिक बताना, का$िफर कहना।
इक्बाब (अ़.पु.)-मुँह के बल गिरना, औंधे मुँह गिरना।
इक़्बाल (अ़.पु.)-तेज, प्रताप, जलाल, कान्ति; सौभाग्य, ख़्ाुशनसीबी; समृद्घि, $फरा$गत; सम्पत्ति, वैभव; स्वीकृति, मानना, $कबूलना, स्वीकार कर लेना; इक्ऱार, स्वीकृति।
इक़्बालमन्द (अ़.$फा.वि.)-तेजस्वी, प्रतापवान्, जिसका भाग्य ज़ोरों पर हो, ख़्ाुश$िकस्मत, प्रतापी।
इक़्बालमन्दी (अ़.$फा.स्त्री.)-तेज की प्रबलता, भाग्य का ज़ोर या प्रचण्डता, महाप्रताप।
इक़्बाली (अ़.वि.)-स्वीकार करनेवाला, $कबूल करनेवाला, इक्ऱार (इ$करार) करनेवाला, इ$करारी; जो अपराधी अपने अपराध को स्वीकार कर ले।
इक़्बाल-ए-जुर्म (अ़.पु.)-अपराध करने और दोषी होने की स्वीकारोक्ति, 'इक़्बाले जुर्मÓ।
इक़्बाह (अ़.पु.)-किसी वस्तु को बिगाड़कर बदशक्ल या भोंडा कर देना, विकृतिकरण, रूप-विकृति।
इक़्माअ़ (अ़.पु.)-तोडऩा, खण्ड-खण्ड करना, टुकड़े-टुकड़े करना।
इक्माल (अ़.पु.)-पूरा करना, समाप्त करना, ख़्ात्म करना।
इक़्मास (अ़.पु.)-$गोता लगाना, डुबकी मारना, निमज्जन करना।
इक़्साह (अ़.पु.)-आकाश की ओर इस प्रकार सिर उठाना कि आँखें पृथ्वी की ओर रहें।
इक्ऱाअ़ (अ़.पु.)-लाटरी डालना; जुए का पासा फेंकना, दाँव लगाना।
इक्ऱाज़ (अ़.पु.)-$कजऱ् लेना, उधार लेना, ऋण लेना।
इक्ऱान (अ़.पु.)-निकट आना, समीप आना, पास पहुँचना; पास-पास होना।
इक्राम (अ़.पु.)-पुरस्कार, इन्अ़ाम; मान, इज़्ज़त, बड़प्पन; आव-भगत, सम्मान, सत्कार; प्रतिष्ठा, श्रेष्ठता, बुज़ुर्गी; बख़्िशश, उपहार, भेंट। 'इन्अ़ाम-ओ-इक्रामÓ-पारितोषिक और पुरस्कार।
इक्ऱार (अ़.पु.)-कोई काम करने की स्वीकृति, हामी, वचन, वायदा, इक़्बाल; प्रतिज्ञा, शपथ, अ़ह्द; संविदा, एग्रीमेन्ट।
इक्ऱारनाम: (अ़.$फा.पु.)-वह पत्र जिस पर किसी प्रकार का इक्ऱार और उसकी शर्तें लिखी हों, स्वीकृति-पत्र, प्रतिज्ञा-पत्र, शपथ-पत्र, अ़ह्दनाम:।
इक्ऱारनामा (अ़.$फा.पु.)-दे.-'इक्ऱारनाम:Ó, वही उच्चारण शुद्घ है।
इक्ऱारी (अ़.वि.)-इक्ऱार-सम्बन्धी; इक्ऱार करनेवाला; अपना अपराध आदि मान लेनेवाला, स्वीकार कर लेनेवाला, इक़्बाली, $कबूल कर लेनेवाला।।
इक्ऱार-ए-सालेह (अ़.पु.)-पक्का निश्चय, दृढ़ प्रतिज्ञा, ऐसी प्रतिज्ञा, जो सच्चे दिल से की गई हो, 'इक्ऱारे सालेहÓ।
इक्ऱाश (अ़.पु.)-बुराई करना, निन्दा करना, बदगोई करना; निन्दा, बुराई, बदगोई।
इक्राह (अ़.पु.)-घृणा, न$फरत, घिन, कराहत; नागवारी।
इक़्लाअ़ (अ़.पु.)-उखाडऩा, जड़ से उखाडऩा; नष्ट करना, बरबाद करना, स$फाया करना।
इक़्लीद (अ़.स्त्री.)-'$िकलीदÓ का अऱबीकृत (दूसरी भाषा से बनाया हुआ शब्द), कुंजी, ताली, चाबी।
इक़्लीदिस [दस] (अ़.स्त्री.)-ज्यामिति, रेखा-गणित, ज्यामेट्री।
इक़्लीम (अ़.स्त्री.)-महाद्वीप, बर्रेआÓज़म; देश, मुल्क; प्रदेश, इला$का।
इक़्लीमिया (अ़.स्त्री.)-रूपामक्खी, चाँदी का मैल; सोना मक्खी, सोने का मैल।
इक़्लीमियाए ज़ह्बी (अ़.स्त्री.)-सोनामक्खी, सोने का मैल।
इक़्लीमियाए $िफज़्ज़ी (अ़.स्त्री.)-रूपामक्खी, चाँदी का मैल।
इक्लील (अ़.पु.)-मुकुट, ताज; टोपी।
इक्लीलुलमलिक (अ़.पु.)-एक वनस्पति, पुरंग, अस्परक।
इक्वा (अ़.पु.)-$का$िफए का एक दोष, जिसमें से रवी ($का$िफए का अस्ली ह$र्फ, जैसे-'कमरÓ और 'नगरÓ के $का$िफए में 'रÓ ह$र्फे रवी यानी वास्तविक शब्द है तथा 'गÓ और 'मÓ दोनों अकार है) से पहले के अक्षर की मात्रा एक-सी न हो। जैसे-'गुलÓ और 'दिलÓ का $का$िफया, इसमें 'गÓ पर 'उÓ की मात्रा है तथा 'दÓ पर 'इÓ की है; तुक में मात्रा एक-सी न होने का दोष।
इक़्सा (अ़.पु.)-मन का निष्ठुर होना, निर्दय होना, हृदय का कठोर होना। इसका 'सÓ उर्दू के 'सीनÓ अक्षर से बना है।
इक़्सा (अ़.पु.)-परे करना, दूर करना, हटाना, अलग करना; किनारे पहुँचाना। इसका 'सÓ उर्दू के 'सुअ़ादÓ अक्षर से बना है।
इक़्साब (अ़.पु.)-खण्ड-खण्ड करना, काटना, टुकड़े करना।
इक़्साम (अ़.पु.)-शपथ लेना, प्रतिज्ञा करना, $कसम खाना; विभाजन, अनुभाजन, हिस्से करना। 'कि़स्मÓ का बहु., $िकस्में, प्रकार।
इक़्सार (अ़.पु.)-अधिक कहना; अधिक करना; अधिक खाना; अधिकता, बहुतायत, इफ्ऱात (इ$फरात)।
इक़्सास (अ़.पु.)-प्रतिहिंसा, प्रतिशोध, ख़्ाून के बदले ख़्ाून, हिंसा के बदले हिंसा।
इक्सीर (अ़.स्त्री.)-रसायन, कीमिया, (वि.)-अचूक, अमोघ, जैसे-'सिरदर्द के लिए इक्सीरÓ (अकसीर)।
इक्सीरी (अ़.वि.)-रसायन बनानेवाला, कीमिया बनानेवाला, धातुविद्, रसायनी।
इक्सून ($फा.स्त्री.)-एक प्रकार का काला रेशमी कपड़ा।
इख़्ातताम (अ़.पु.)-दे.-'इख़्िततामÓ, शुद्घ उच्चारण वही है।
इख़्ात$फा (अ़.पु.)-दे.-'इख़्ित$फाÓ, शुद्घ उच्चारण वही है।
इख़्ा$फा (अ़.पु.)-दे.-'इख्फ़़ाÓ, शुद्घ उच्चारण वही है।
इख़्ाराज (अ़.पु.)-दे.-'इख्ऱाजÓ, शुद्घ उच्चारण वही है।
इख़्ाराजात (अ़.पु.)-दे.-'इख्ऱाजातÓ, शुद्घ उच्चारण वही है।
इख़्ाला$क (अ़.पु.)-दे.-'इख़्ला$कÓ, दे.-'अख़्ला$कÓ।
इख़्ाला$की (अ़.पु.)-दे.-'अख़्ला$कीÓ, नैतिक।
इख़्ालास (अ़.पु.)-दे.-'इख़्लासÓ, शुद्घ उच्चारण वही है।
इख़्ालासमंद (अ़.$फा.वि.)-दे.-'इख़्लासमन्दÓ, शुद्घ उच्चारण वही है।
इख़्ालासमंदी (अ़.$फा.स्त्री.)-दे.-'इख़्लासमन्दीÓ, वही शुद्घ उच्चारण है।
इख़्ााज़: (अ़.पु.)-तालाब, जलाशय।
इख़्ााज़ (अ़.पु.)-ग्रहण करना, लेना; वह ज़मीन, जो राजा अपने लिए अलग कर ले, राजकीय भूमि, सरकारी भूमि; वह तालाब जो जंगल में हो।
इख़्तराअ़ (अ़.पु.)-दे.-'इख़्ितराअ़Ó, शुद्घ उच्चारण वही है।
इख़्तलाज (अ़.पु.)-दे.-'इख़्ितलाजÓ, शुद्घ उच्चारण वही है।
इख़्तलात (अ़.पु.)-दे.-'इख़्ितलातÓ, शुद्घ उच्चारण वही है।
इख़्तला$फ (अ़.पु.)-दे.-'इख़्ितला$फÓ, शुद्घ उच्चारण वही है। विरोध, अनबन, असहमति।
इख़्तलाल (अ़.पु.)-दे.-'इख्तिलालÓ, शुद्घ उच्चारण वही है। ख़्ालल डालना, अड़चन पैदा करना, भंग करना; बेहोशी, बदहवासी।
इख़्तसार (अ़.पु.)-दे.-'इख़्ितसारÓ, शुद्घ उच्चारण वही है।
इख़्तार (अ़.पु.)-ख़्ातरे में फँसना, अपनी जान को जोखिम में डालना।
इख़्ितज़ाब (अ़.पु.)-केशों को रँगना, बालों में ख़्िाज़ाब लगाना।
इख़्ितता$फ (अ़.पु.)-उड़ा लेना, उचक लेना।
इख़्ितताम (अ़.पु.)-ख़्ात्म होना, समाप्त होना; अन्त, समाप्ति, ख़्ाात्मा।
इख़्ितना$क (अ़.पु.)-गला घुटना, गला बन्द होना, साँस रुकना।
इख़्ितना$कुर्रहिम (अ़.पु.)-हिस्टीरिया, अ़ौरतों का मूच्र्छा-रोग, मिर्गी।
इख़्ित$फा (अ़.पु.)-गोपन, छुपाना, पोशीदा करना, लुप्त करना।
इख़्ित$फार (अ़.पु.)-वचन-भंग करना, प्रतिज्ञा तोडऩा, वादा-ख़्िाला$फी करना।
इख़्ितबार (अ़.पु.)-जानकारी लेना, ख़्ाबर लेना; परीक्षा लेना; इम्तिहान, परीक्षा।
इख़्ितमाम (अ़.पु.)-समाप्ति।
इख़्ितमार (अ़.पु.)-ख़्ामीर उठाना; औषधियों आदि को पानी में डालकर अथवा भिगोकर रखना ताकि सडऩे पर उनका ख़्ामीर उठ आए।
इख़्ितयान (अ़.पु.)-विश्वास-भंग, अमानत में ख़्िायानत करना।
इख़्ितयार (अ़.पु.)-अधिकार, वश, सामथ्र्य, $काबू; प्रभुत्व, स्वत्व; स्वामित्व, मालिकीयत; सत्ता, हुकूमत; अधिकार, ह$क; स्वीकार, $कबूल, मंज़ूर।
इख़्ितयारी (अ़.वि.)-अपने वश की, अपने $काबू की, जो अपने इख़्ितयार में हो, ऐच्छिक; जो अनिवार्य न हो, जो लाजि़मी न हो।
इख़्ितयार-ए-समाअ़त (अ़.पु.)-मु$कदमा सुनने का ह$क या अधिकार, 'इख़्ितयारे समाअ़तÓ।
इख़्ितयाल (अ़.पु.)-उपेक्षा, अवज्ञा, ना$फर्मानी; उद्दण्डता, सरकशी; ध्यान रखना, ख़्ायाल रखना।
इख़्ितराअ़ (अ़.पु.)-कोई नई बात निकालना या पैदा करना, कोई ऐसी नई चीज़ बनाना, जो पहले न हो; आविष्कार, खोज, ईजाद, गडऩ।
इख़्ितराअ़ात (अ़.पु.)-नए-नए आविष्कार, नई-नई ईजादें, नई-नई खोजें।
इख़्ितराई (अ़.वि.)-आविष्कार से सम्बन्धित, ईजाद से सम्बन्धित; कल्पित, मनगढं़त, $फजऱ्ी।
इख़्ितरा$क (अ़.पु.)-फटना, विदीर्ण होना; फाडऩा, विदीर्ण करना।
इख़्ितलाज (अ़.पु.)-दिल की धड़कन, हृत्कम्प, हृदय की धक्-धक्, हौलदिल।
इख़्ितलाज-ए-$कल्ब (अ़.पु.)-हृत्कम्प, दिल की धड़कन, 'इख़्ितलाजे $कल्बÓ।
इख़्ितलात (अ़.पु.)-मित्रता, दोस्ती, मैत्रीे; घनिष्ठता, प्रेम-व्यवहार, मेल-जोल; चुम्बनालिंगन, चूमाचाटी; प्रेम, अनुराग।
इख़्ितला$फ (अ़.पु.)-असहमति, मत-भिन्नता, मतभेद, राय का एक न होना, इख़्ितला$फ, राय की भिन्नता; रंजिश, वैमनस्य, शत्रुता; फूट, नाइत्ति$फा$की, भिन्नता, अलग-अलग होना; ख़्िाला$फ या विरुद्घ होने की क्रिया या भाव; विरोध; बिगाड़, अनबन।
इख़्ितलाल (अ़.पु.)-ख़्ालल डालना, बाधा पहुँचाना, अड़चन पैदा करना; कुव्यवस्था, अस्त-व्यस्तता, गड़बड़ी; विघ्न, विकार, ख़्ालल; बेहोशी, बदहवासी।
इख़्ितलाल-ए-दिमा$ग (अ़.पु.)-दें.-इख़्ितलाल-ए-हवास, 'इख़्ितलाले दिमा$गÓ।
इख़्ितलाल-ए-हवास (अ़.पु.)-मति-भ्रम, बुद्घि-विकार; पागलपन, बुद्घि-विक्षेप, 'इख़्ितलाले हवासÓ।
इख़्ितलास (अ़.पु.)-उड़ा ले जाना, उचक ले जाना।
इख़्ितसाम (अ़.पु.)-वैर करना, शत्रुता करना, दुश्मनी ठानना, दुश्मन या शत्रु होना।
इख़्ितसार (अ़.पु.)-संक्षेपन; संक्षेप, खुलासा; बड़े मज़्मून को काट-छाँटकर छोटा करना; संक्षिप्त करना, कम करना, घटाना; संक्षेप, कमी।
इख़्ितसास (अ़.पु.)-मुख्यता, विशेषता, ख़्ाुसूसियत।
इख़्दाम (अ़.पु.)-सेवा करना, ख़्िाद्मत करना।
इख्फ़़ा (अ़.पु.)-गुप्त रखना, छुपाना, प्रदर्शित या प्रकट न करना।
इख्फ़़ा-ए-जुर्म (अ़.पु.)-अपराध करके उसे छुपाना, जुर्म जाहिर न करना, 'इख्फ़़ाए जुर्मÓ।
इख्फ़़ा-ए-$कत्ल (अ़.पु.)-हत्या करके उसे छुपाना, 'इख्फ़़ाए $कत्लÓ।
इख्फ़़ा-ए-मुहब्बत (अ़.पु.)-प्रेम करके उसे छुपाना, 'इख्फ़़ाए मुहब्बतÓ।
इख्फ़़ा-ए-राज़ (अ़.$फा.पु.)-रहस्य या भेद छुपाना, 'इख्फ़़ाए राज़Ó।
इख्फ़़ा-ए-वारिदात (अ़.पु.)-दे.-'इख़्$फा-ए-जुर्मÓ।
इख्फ़़ा$फ (अ़.पु.)-दूसरों की नज़र में हलका होना, ख़्ाफ़ीफ़ होना, तुच्छ होना, ज़लील या लज्जित होना।
इख़्बार (अ़.पु.)-ख़्ाबर देना, सूचना देना; भेद बताना, जासूसी करना।
इख़्मार (अ़.पु.)-आग बुझाना।
इख्राज़ (अ़.पु.)-ख़्ाारिज करना, निकाल देना, बाहर कर देना; वहिष्कार; ख़्ार्च, व्यय, 'इख़्ा्राजÓ।
इख्राज़ात (अ़.पु.)-व्यय, ख़्ार्च, 'इख़्ा्राजातÓ।
इख्रा़ब (अ़.पु.)-'इख़्ा्राबÓ, निर्जन करना, वीरान करना, सुनसान करना; नष्ट करना, मिटाना, बर्बाद करना; ख़्ाराब करना।
इख़्ला$क (अ़.पु.)-पुराना करना; पुराना होना; पुरानापन।
इख़्लास (अ़.पु.)-निष्कपटता, निश्छलता, ख़्ाुलूस; सच्चा और निष्कपट प्रेम; दोस्ती, मित्रता, मेल-मिलाप, रब्त-ज़ब्त। 'इख़्लास बढ़ानाÓ-मेल-जोल बढ़ाना।
इख़्लासमन्द (अ़.$फा.वि.)-सच्चा और स्वार्थहीन मित्र; प्रेम करनेवाला, ख़्ाालिस प्रेमी; निष्कपट, शुद्घ हृदय; मिलनसार।
इख़्लासमन्दी (अ़.$फा.स्त्री.)-सच्चा प्रेम, नि:स्वार्थ मित्रता।
इख़्वान (अ़.पु.)-'अख़्ाÓ का बहु., भाई-बन्धु, बन्धुवर्ग।
इख़्वानुश्शयातीन (अ़.पु.)-शैतानों के भाई-बन्धु, खल और धूर्त लोग।
इख़्वानुस्स$फा (अ़.पु.)-शरी$फ लोग, सज्जन लोग, भले-मानस।
इख़्सा (अ़.पु.)-बधिया करना, खस्सी करना, अण्डकोश निकालना।
इग़माज़ (अ़.पु.)-दे.-'इग़्माज़Ó, वही उच्चारण शुद्घ है, उदासीनता, उपेक्षा, चश्मपोशी।
इगऱा$क (अ़.पु.)-दे.-'इग्ऱा$कÓ, वही उच्चारण शुद्घ है, डुबा देना।
इग़लाम (अ़.पु.)-दे.-'इग़्लामÓ, वही उच्चारण शुद्घ है, लौंडेबाज़ी, अप्राकृतिक मैथुन।
इग़लामी (अ़.पु.)-दे.-'इग्लामीÓ, वही शुद्घ है, लौंडेबाज़।
इ$गवा (अ़.पु.)-दे.-'इग़्वाÓ, वही शुद्घ उच्चारण है, भ्रमित करना, बहकाना, बरगलाना।
इ$गारत (अ़.स्त्री.)-लूटना, $गारत करना, नष्ट करना; दौडऩा, भागना; पीछा करना, तअ़ा$कुब करना।
इ$गासत (अ़.स्त्री.)-किसी दु:खी की गुहार सुनना, किसी अन्याय का न्याय करना; परदु:ख कातरता।
इग्ज़़ा (अ़.पु.)-किसी को बरगलाना, बहकाना, लड़ाई के लिए उकसाना। इसका 'ज़Ó उर्दू के 'ज़ेÓ अक्षर से बना है।
इग्ज़़ा (अ़.स्त्री.)-अनदेखी करना, आँख फेर लेना, चश्म-पोशी करना, किसी की $गलती पर ध्यान न देना, $गलती पर नोटिस न लेना। इसका 'ज़Ó उर्दू के 'ज़्वादÓ अक्षर से बना है।
इग़्ज़ाल (अ़.पु.)-सूत कातना, चर्खा चलाना।
इग़्ितज़ाब (अ़.पु.)-किसी को $गुस्सा दिलाना, आवेश में लाना, उत्तेजित करना, भड़काना।
इग़्ितज़ाल (अ़.पु.)-सूत कातना, चर्खा चलाना।
इग़्ित$फार (अ़.पु.)-मोक्ष, मुक्ति, मग़्ि$फरत।
इग़्ितमास (अ़.पु.)-निमज्जन, पानी में डुबकी लगाना, गोता मारना।
इग़्ितयाब (अ़.पु.)-पीठ पीछे किसी की बुराई करना, $गीबत करना; पिशुनता, चु$गुलख़्ाोरी।
इग़्ितराब (अ़.पु.)-परदेसी होना; मुसा$िफर होना, यायावर होना; अपनी बिरादरी से अलग की स्त्री से विवाह करना, अन्तरजातीय ब्याह करना।
इग़्ितरा$फ (अ़.पु.)-चुल्लू बनाना, ओक से पानी आदि पीना।
इग़्ितशाश (अ़.पु.)-हलचल, आन्दोलन।
इग़्ितसाब (अ़.पु.)-ज़बरदस्ती छीन लेना, किसी का माल $गायब करना; मोषण, अपहरण, गस्ब।
इग़्ितसाल (अ़.पु.)-नहाना, स्नान करना; धोना, शुद्घ करना; स्नान, $गुस्ल, नहान।
इग्ऩा (अ़.पु.)-धनवान् बनाना, समृद्घिशाली करना, मालदार बनाना; नि:स्पृह करना, बेनियाज़ बनाना, निर्लोभ करना, लालसा-रहित बनाना।
इग्ऩान (अ़.पु.)-मक्खी आदि का भिनभिनाना।
इग़्मा (अ़.पु.)-बेहोश करना, अचेत कर देना; बेहोशी, संज्ञाहीनता।
इग़्माज़ (अ़.पु.)-बेपरवाई, उदासीनता, अनदेखी करना, आँख फेर लेना, चश्मपोशी करना, किसी का $कुसूर देखते हुए टाल जाना, उपेक्षा करना, ध्यान न देना, दरगुजऱ करना। इसका 'ज़Ó उर्दू के 'ज़्वादÓ अक्षर से बना है।
इग़्माज़ (अ़.पु.)-निन्दा, बुराई, चु$गली, पिशुनता, तिरस्कार, बेहुर्मती। इसका 'ज़Ó उर्दू के 'ज़ेÓ अक्षर से बना है।
इग़्माम (अ़.पु.)-मेघ उमडऩा, घटा छाना, बादल घिरकर आना।
इग्ऱा (अ़.पु.)-भड़काना, उभारना, उत्तेजित करना; बहकाना, बरगलाना।
इग्ऱा$क (अ़.पु.)-किसी बात को बहुत बढ़ा-चढ़ाकर कहना, अतिशयोक्ति, मुबाल$गा; ऐसी बात, जिसका होना बुद्घि के अनुसार सम्भव हो मगर कभी हुई न हो; डुबाना, $ग$र्क करना; तीर चलाने के लिए कमान ज़ोर से खींचना।
इग्ऱाज़ (अ़.पु.)-उत्पीडि़त करना, सताना, दु:खी करना।
इग्ऱाब (अ़.पु.)-नई बात करना, अनोखी चीज़ लाना; यात्री होना, यायावर होना, मुसा$िफर होना, परदेशी होना; पानी से मश्कें भरना।
इग्ऱाम (अ़.पु.)-हत्या करना, मार डालना; लालच करना, लालसा पालना; तावान लेना, हर्जाना वसूल करना।
इग़्ला (अ़.पु.)-मँहगा ख़्ारीदना; भाव बढ़ाना।
इग़्ला$क (अ़.पु.)-दरवाज़ा बन्द करना; मुश्किल बनाना; कठिन, मुश्किल, दूभर।
इग़्लात (अ़.पु.)-त्रुटि करना, $गलती करना, अशुद्घि करना; अशुद्घि, त्रुटि, $गलती।
इग़्लाम (अ़.पु.)-गुदामैथुन करना; गुदमैथुन, पुँमैथुन, बालमैथुन, लौंडेबाज़ी, बच्च:बाज़ी, अप्राकृतिक रीति से लड़कों के साथ व्यभिचार करना।
इग़्लामी (अ़.वि.)-गुदा मैथुन करनेवाला, लौंडेबाज़।
इग़्लाल (अ़.पु.)-विश्वास भंग करना, अमानत में ख़्िायानत करना; द्वेष रखना; ख़्िायानत, द्वेष, कीना।
इग़्वा (अ़.पु.)-भ्रम में डालना, बहकाना, बरगलाना; बहकाकर भगा ले जाना (विशेषत: स्त्री को)।
इग़्शा (अ़.पु.)-आड़ करना; पर्दा डालना; अन्धा करना; आँखें फोडऩा।
इग़्सा (अ़.पु.)-रात का नियत अँधियारा होना, रात्रिकालीन अथवा निशाकालीन स्वाभाविक अँधेरा होना।
इज़अ़ान (अ़.पु.)-दे.-'इज़्अ़ानÓ, वही शुद्घ उच्चारण है, य$कीन करना, विश्वास करना।
इज़तराब (अ़.पु.)-दे.-'इज़्ितराबÓ, वही शुद्घ है, बेचैनी, विकलता, घबराहट, बेताबी, बे$करारी।
इजतिनाब (अ़.पु.)-दे.-'इज्तिनाबÓ, वही उच्चारण शुद्घ है, परहेज़ करना, बचना, दूर रहना, किनाराकशी करना।
इजतिमाअ़ (अ़.पु.)-दे.-'इज्तिमाअ़Ó, वही उच्चारण शुद्घ है, जमाव, जमा होना, इकट्ठा होना।
इज़तिराब (अ़.पु.)-दे.-'इजि़्तराबÓ, वही शुद्घ है।
इजतिहाद (अ़.पु.)-दे.-'इज्तिहादÓ, वही शुद्घ उच्चारण है, कोशिश करना, प्रयास करना; दिल से सोचकर कोई नई बात निकालना।
इज़दहाम (अ़.पु.)-दे.-'इज़्िदहाम Ó, वही शुद्घ उच्चारण है, जमाव, जमघट, भीड़ इकट्ठा होना।
इज़दियाद (अ़.पु.)-दे.-'इज़्िदयादÓ, वही शुद्घ उच्चारण है, अधिक होना, ज़्यादा होना।
इज़दिवाज (अ़.पु.)-दे.-'इज़्िदवाजÓ, वही शुद्घ उच्चारण है, विवाह, ब्याह, शादी।
इजन (अ़.पु.)-दे.-'इज्नÓ, वही शुद्घ उच्चारण है, आज्ञा, इजाज़त।
इजमाअ़ (अ़.पु.)-दे.-'इज्माअ़Ó, वही उच्चारण शुद्घ है, जमा होना, एकत्र होना; सहमत होना, एकराय होना।
इज़माम (अ़.पु.)-दे.-'इज़्मामÓ, वही उच्चारण शुद्घ है।
इजमाल (अ़.पु.)-दे.-'इज्मालÓ, वही उच्चारण शुद्घ है, इतना संक्षेप करना कि बात समझने में कठिनता हो; इकट्ठा करना।
इजमाली (अ़.पु.)-दे.-'इज्मालीÓ, वही उच्चारण शुद्घ है, अविभाजित, सम्मिलित; संक्षिप्त।
इजरा (अ़.पु.)-दे.-'इज्राÓ, वही उच्चारण शुद्घ है, जारी करना, तामील करना, अ़दालत की काररवाई करना; काम चलाना।
इजऱाईल (अ़.पु.)-दे.-'इज्ऱाईलÓ, वही उच्चारण शुद्घ है, यमदूत, जान निकालनेवाला $फरिश्ता।
इजलत (अ़.स्त्री.)-दे.-'इज्लतÓ, वही उच्चारण शुद्घ है, आतुरता, व्याकुलता, जल्दबाज़ी।
इजलाल (अ़.पु.)-दे.-'इज्लालÓ, वही उच्चारण शुद्घ है, बड़प्पन, महत्ता, बुज़ुर्गी; प्रतिष्ठा, सम्मान; वैभव, शान-शौकत।
इज़लाल (अ़.पु.)-दे.-'इज़्लालÓ, वही उच्चारण शुद्घ है, बहकाना, गुमराह करना, पथ-भ्रष्ट करना।
इजलास (अ़.पु.)-दे.-'इज्लासÓ, वही उच्चारण शुद्घ है, कचहरी, अ़दालत, न्यायालय; कचहरी का काम करने के लिए बैठना।
इज़हार (अ़.पु.)-दे.-'इज़्हारÓ, वही उच्चारण शुद्घ है, खोलना, प्रकट करना, ज़ाहिर करना; बयान, वक्तव्य।
इज़ा (अ़.पु.)-मु$काबला, आमना-सामना; समान, बराबर। इसका 'ज़Ó उर्दू के 'ज़ेÓ अक्षर से बना है।
इज़ा (अ़.अव्य.)-जब, जिस समय; अचानक, आकस्मिक। इसका 'ज़Ó उर्दू के 'ज़ालÓ अक्षर से बना है।
इज़ाअ़त (अ़.स्त्री.)-बरबाद करना, नाश करना, नष्ट करना; नाश, बरबादी। इसका 'ज़Ó उर्दू के 'ज़्वादÓ तथा 'अ़Ó 'ऐनÓ अक्षर से बना है।
इज़ाअत (अ़.स्त्री.)-रौशन करना, चमकाना; सुशोभित करना, ख़्ाुशनुमा करना; ख़्ाुशनुमाई। इसका 'ज़Ó उर्दू के 'ज़्वादÓ तथा 'अÓ 'अलि$फÓ अक्षर से बना है।
इजाज़त (अ़.स्त्री.)-आज्ञा, अनुमति, मुज़ूरी, परवानगी; रुख़्ासत, विदाई, छुट्टी; आदेश, निर्देश, हुक्म।
इजाज़त तलब (अ़.वि.)-इजाज़त चाहनेवाला, अनुमति माँगनेवाला।
इजाज़तनाम: (अ़.$फा.पु.)-इस बात की लिखित स्वीकृति कि अमुक व्यक्ति को अमुक कार्य करने का अधिकार या ह$क है, आज्ञा-पत्र, अनुमति-पत्र।
इजाज़तनामा (अ़.$फा.पु.)-दे.-'इजाज़तनाम:Ó, वही शुद्घ उच्चारण है।
इज़ा$फ: (अ़.पु.)-अधिकता; उन्नति, तरक़्$की; वृद्घि, बढ़ोतरी।
इज़ा$फत (अ़.स्त्री.)-किसी वस्तु का दूसरी वस्तु के साथ सम्बन्ध स्थापित करना; अपना काम ईश्वर पर छोडऩा; शरण देना; सम्बन्ध, लगाव, निस्बत; $फार्सी शब्दों के नीचे 'ज़ेरÓ की मात्रा; $फार्सी के छठे कारक का चिह्नï।
इज़ा$फा (अ़.पु.)-दे.-'इज़ा$फ:Ó, वही उच्चारण शुद्घ है।
इज़ा$फी (अ़.वि.)-ऊपर से बढ़ाया हुआ, बाद में बढ़ाया हुआ, जो असली न हो।
इजाबत (अ़.स्त्री.)-मानना, मंजूरी, स्वीकार; स्वीकृति, $कुबूलियत; शौच, दस्त, पाख़्ााना।
इज़ाबत (अ़.स्त्री.)-किसी चीज को पिघलाना, पिघलाकर नर्म करना, धातु आदि को पिघलाना।
इजाबत-ए-दुअ़ा (अ़.स्त्री.)-ईश्वर से जो प्रार्थना की जाए उसका स्वीकृत होना, दुअ़ा का $कुबूल होना, 'इजाबते दुअ़ाÓ।
इज़ाम (अ़.स्त्री.)-'अ़ज़्मÓ का बहु., हड्डियाँ, (पु.)-बड़े लोग, प्रतिष्ठितजन, पूज्य लोग।
इजार: (अ़.पु.)-ज़ोर, ह$क, स्वत्व; ठेका, एकाधिकार। कहा.-'इजारा उजाड़ाÓ=जो काम ठेके पर कराया जाए, वह ख़्ाराब होता है; जो जायदाद ठेके पर दी जाती है, वह बरबाद हो जाती है। 'इजारा करनाÓ-ठेके पर कोई काम ठहराना; इ$करारकरना, जि़म्मेदारी करना। 'इजारा बाँधनाÓ-$कब्ज़ा करना, अधिकार में लाना। 'इजारा लिखनाÓ-ठेका लेना।
इजार:दार (अ़.$फा.वि.)-वह, जिसने कोई ज़मीन आदि इजारे या ठेके पर ली हो, काश्तकार, एकाधिकारी, ठेकेदार।
इजार:दारी (अ़.$फा.स्त्री.)-ठेकेदारी।
इजार:नाम: (अ़.$फा.पु.)-वह का$गज़ अथवा पत्र, जिसपर ठेके की शर्तें आदि लिखी हों, वह प्रपत्र, जिसमें ठेकेदारी अथवा पट्टेदारी की शर्तों का उल्लेख हो।
इज़ार (फ़ा.स्त्री.)-पाजामा। इसकी 'इÓ उर्दू के 'अलि$फÓ से बनी है।
इज़ार (अ़.पु.)-कपोल, गाल, रुख़्ासार। इसकी 'इÓ उर्दू के 'ऐनÓ अक्षर से बनी है।
इज़ारबन्द (फ़ा.पु.)-पाजामा बाँधने की रस्सी या $फीता आदि, नाड़ा, कमरबन्द। 'इज़ारबन्द की ढीलीÓ-बदकार स्त्री, व्यभिचारिणी। 'इज़ारबन्द की सच्चीÓ-पतिव्रता स्त्री, साध्वी। 'इज़ारबन्दी रिश्ताÓ-ससुराल का रिश्ता, जोरू की तर$फ का सम्बन्ध। 'इज़ारबन्द न खुलनाÓ-औरत का कुमारी होना, स्त्री का शील सुरक्षित होना। 'इज़ारबन्द से बाहर हो जानाÓ-क्रोध के कारण आपे से बाहर हो जाना।
इजारा (अ़.पु.)-दे.-'इजार:Ó, वही शुद्घ उच्चारण है, ठेका; अधिकार; ज़ोर, दावा; किराये पर कोई चीज़ देना।
इजारादार (अ़.$फा.वि.)-दे.-'इजार:दारÓ, वही उच्चारण शुद्घ है, काम को ठेके पर लेनेवाला, ठेकेदार।
इजारादारी (अ़.$फा.स्त्री.)-दे.-'इजार:दारीÓ, वही उच्चारण शुद्घ है, ठेकेदारी।
इजारानामा (अ़.$फा.पु.)-दे.-'इजार:नाम:Ó, वही उच्चारण शुद्घ है, वह पत्र या प्रपत्र जिसमें ठेके की शर्तें लिखी हों।
इजाल: (अ़.पु.)-हर वह चीज़, जो जल्द लाई गई हो, शीघ्रता, जल्दी। इसकी 'इÓ उर्दू के 'ऐनÓ अक्षर से बनी है।
इज़ाल: (अ़.पु.)-निराकरण, निवारण, द$फीअ़ा; क्षतिपूर्ति, तला$फी; दूर करना, नष्ट करना, न रहने देना, मिटाना। मुहा.- 'इज़ाल: बिक करनाÓ-कुमारी का कौमार्य नष्ट करना। इसकी 'इÓ उर्दू के 'अलि$फÓ अक्षर से बनी है।
इज़ालए मरज़ (अ़.पु.)-रोग-मुक्ति, रोग-निवारण, बीमारी का चला जाना।
इज़ालए-हैसियत-ए-उ$र्फी (अ़.पु.)-मान-भंग, मान-हानि, हत्क-ए-इज़्ज़त।
इज़ालत (अ़.स्त्री.)-दे.-'इज़ाल:Ó।
इजालत (अ़.स्त्री.)-दे.-'इजाल:Ó। इसकी 'इÓ उर्दू के 'ऐनÓ अक्षर से बनी है।
इजालत (अ़.स्त्री.)-घुमाना, फिराना, चक्कर देना; आग की बनेठी फिराना। इसकी 'इÓ उर्दू के 'अलि$फÓ से बनी है।
इजाला (अ़.पु.)-दे.-'इजाल:Ó, वही शुद्घ उच्चारण है, मिटाना, नष्ट करना; निवारण करना।
इज़ाहत (अ़.स्त्री.)-परे करना, हटाना, दूर करना।
इज़् [ज़्ज़] (अ़.स्त्री.)-रुत्बा, प्रतिष्ठा, मर्यादा, सम्मान, सत्कार, इज़्ज़त। 'इज़्ज़ ओ आनÓ=प्रतिष्ठा और वैभव। 'इज़्ज़ ओ शानÓ- प्रतिष्ठा और मर्यादा।
इज़्अ़ाज (अ़.पु.)-उठाना; निकालना; हिलाना; किसी पर पाप लगाना; लालची बनाना।
इज़्अ़ान (अ़.पु.)-आदेश-पालन, आज्ञा मानना, हुक्म मानना; य$कीन करना, विश्वास करना।
इज़्अ़ा$फ (अ़.पु.)-दूना करना; निर्बल करना।
इज़्क़ार (अ़.पु.)-चर्चा, किसी के बारे में बातचीत करना, चर्चा चलाना, जि़क्र करना।
इज़्ख़्ार (अ़.पु.)-एक वनौषधि, सरकण्डे की जड़।
इज्ज़ (अ़.पु.)-विनीति, अ़ाजिज़ी, नम्रता, विनय; असमर्थता, बेबसी, कमज़ोरी, नाता$कती, दीनता।
इज़्ज़त (अ़.स्त्री.)-आदर, सम्मान, आवभगत; प्रतिष्ठा, शान, मान-मर्यादा, आबरू; सतीत्व, इस्मत, अ़स्मत; पद, पदवी, दर्जा। मुहा.-'इज़्ज़त उतारनाÓ=मर्यादा नष्ट करना। 'इज़्ज़त रखनाÓ=प्रतिष्ठा की रक्षा करना; लाज रखना।
इज़्ज़त तलब (अ़.वि.)-मानार्थी, सम्मानेच्छुक, जो प्रत्येक व्यक्ति से अपनी इज़्ज़त और सम्मान कराना चाहता हो।
इज़्ज़तदार (अ़.$फा.वि.)-सम्मानित, प्रतिष्ठित, मुअ़ज़्जज़़; कुलीन, शरी$फ; सती, साध्वी, बाइस्मत।
इज्ज़ा (अ़.पु.)-नि:स्पृह करना, बेनियाज़ करना, नेकी या परोपकार का बदला चुकाना; कर या महसूल देना, जिज्य़ा देना।
इज्जास (अ़.पु.)-आलू बुखारा नामक एक प्रसिद्घ फल, जो दवा में काम आता है।
इजि़्तअ़ाद (अ़.पु.)-ऊँट का बहुत ज़ोर से बलबलाना।
इजि़्तजाअ़ (अ़पु.)-करवट से सोना।
इज्तिना (अ़.पु.)-फल बीनना, मेवा चुनना।
इज्तिनाब (अ़.पु.)-परहेज करना, बचना; किनाराकशी, दूर रहना, घृणा करना; न$फरत, उपेक्षा, घृणा; संयम बरतना।
इज्तिबा (अ़.पु.)-पसन्द की चीज़ों में से सबसे अच्छी चीज़ को छाँटकर अलग करना; छाँटना, चुनना; शुद्घ करना, पवित्र करना।
इज्तिमाअ़ (अ़.पु.)-इकट्ठा होना, जमा होना; जन-समूह, भीड़; सम्मेलन, कॉन्$फरेंस; चाँद और सूरज का एक राशि में होना, जिसमें चाँद दिखाई नहीं पड़ता और यह समय अशुभ माना जाता है।
इज्तिमाई (अ़.वि.)-सबका मिला-जुला, सामूहिक।
इज्तिमाए जि़द्दैन (अ़.पु.)-विषम-योग, परस्पर विरोधी दो चीज़ों का एक जगह इकट्ठा हो जाना, मिथ्या-योग।
इज्तिमाए न$कीज़ैन (अ़.पु.)-दे.-'इज्तिमाए जि़द्दैनÓ।
इज़्ितराब (अ़.पु.)-विकलता, घबराहट, व्याकुलता, बेचैनी, बेताबी, बे$करारी; आतुरता, जल्दी, जल्दबाज़ी, व्यग्रता।
इज़्ितराम (अ़.पु.)-लपटें उठना, शोले बुलन्द होना।
इज़्ितरार (अ़.पु.)-व्यग्रता, आतुरता, जल्दी, बे-इख़्ितयारी।
इज़्ितरारी (अ़.वि.)-व्यग्रता में, आतुरता में, बे-इख़्ितयाराना।
इज्तिहाद (अ़.पु.)-प्रयास करना, प्रयत्न करना, कोशिश करना; कोई नई बात निकालना; रास्ता ढूँढऩा; जहाँ $कुरान और हदीस का आदेश सा$फ न हो, वहाँ अपनी समझ से उचित रास्ता निकालना।
इज़्िदयाद (अ़.पु.)-अधिक होना, ज़्यादा होना, बाहुल्य, आधिक्य, जि़यादती, इ$फरात।
इज़्ितराद (अ़.पु.)-सटकना, निगलना, गले के नीचे उतारना।
इज़्िदवाज (अ़.पु.)-ब्याह, विवाह, पाणिग्रहण, निकाह।
इज़्िदहाम (अ़.पु.)-जन-समूह, भीड़, जमाव।
इज्न (अ़.पु.)-मालिक का अपने दास या $गुलाम को कोई व्यापार रखने की आज्ञा देना; विवाह के सम्बन्ध में वर और कन्या की स्वीकृति। 'इज्नेअ़ामÓ-मुर्दे की नमाज़ पढऩे के बाद लोगों को अपने-अपने घर जाने की परवानगी। 'इज्ननाम:Ó-वसीयतनामा।
इज्ऩाब (अ़.पु.)-अपराध करना, पाप करना, गुनाह करना।
इज्नाब (अ़.पु.)-बिना नहाये होना, स्नान न किए होना, मैथुन या सम्भोग के बाद स्नान न करना।
इज़्$फार (अ़.पु.)-जीतना, जीत हासिल करना, विजय प्राप्त करना; विजय, जीत, $फतेह।
इज्बार (अ़.पु.)-किसी से बलात् अथवा ज़बरदस्ती कोई काम लेना।
इज्माअ़ (अ़.पु.)-सहमत होना, इत्ति$फा$क होना, किसी एक बात पर एकमत होना, बहुमत होना, एकत्र होना, इकट्ठा होना, जमा होना।
इज्माए उम्मत (अ़.पु.)-सारी जनता का बहुमत; मुसलमानों का किसी धार्मिक समस्या में बहुमत।
इज्माम (अ़.पु.)-अश्व-सज्जा, घोड़े को सवारी के लिए सजाना।
इज़्माम (अ़.पु.)-पुराना होना।
इज़्मामे हुरमत (अ़.पु.)-जीर्ण ज्चर।
इज़्मार (अ़.पु.)-किसी वाक्य में नाम के स्थान पर सर्वनाम लगाना।
इज़्मार $कब्ल जि़क्र (अ़.पु.)-नाम आने से पहले सर्वनाम लाना, इसे भाषायी दोष माना जाता है।
इज्माल (अ़.पु.)-संक्षेप, इख़्ितसार; किसी लम्बे वृत्तान्त में से मुख्य-मुख्य बातें लेकर उसे छोटा या कम कर देना; बात खोलकर न कहना; बिखरी हुई चीज़ों को मिलाकर इकट्ठा और ठीक करना; संक्षेप करना; किसी ज़मीन आदि पर होनेवाला बहुत-से लोगों का सम्मिलित अधिकार।
इज्मालन (अ़.वि.)-सार रूप में, संक्षिप्त रूप में, मुख़्तसर करके।
इज्माली (अ़.पु.)-संक्षेप में, संक्षिप्त, मुख़्तसर; बहुत-से लोगों का मिला-जुला अथवा सम्मिलित।
इज़्मील (अ़.पु.)-चमड़ा काटने का यंत्र, रापी।
इज़्मेहलाल (अ़.पु.)-थकावट, शिथिलता, खिन्नता, श्रान्ति, ग्लानि, अफ़्सुर्दगी।
इज्य़ूत (अ़.पु.)-वह व्यक्ति, जिसे मैथुन अथवा सहवास के समय पाख़्ााना हो जाने का रोग हो।
इज्रा (इज्रा) (अ़.पु.)-अनुष्ठान, संचालन, शुरूअ़ात; प्रचलित करना, जारी करना, भेजना; कार्य का निष्पादन, अ़दालत की काररवाई करना, जैसे-'इज्राए डिग्रीÓ-डिगरी का निष्पादन।
इज्ऱाईल (अ़.पु.)-प्राण लेनेवाले $िफरिश्ते का नाम, मृत्यु का देवदूत, मौत का $िफरिश्ता, मलकुलमौत, यमराज, धर्मराज, यमदूत, प्राणांतक।
इज्राए कार (अ़.$फा.पु.)-किसी कार्य का आरम्भ अथवा सूत्रपात, काम की शुरूअ़ात, अनुष्ठान।
इज्ऱाब (अ़.पु.)-आज्ञा न मानना, अवज्ञा करना, हुक्म या आदेश न मानना; एक स्थान पर ठहरना; सिर झुकाना; नर को मादा पर छोडऩा; तृप्त करना, अघाना; किसी का सदृश न होना, बेमिस्ल होना, अनुपम या अनूठा होना।
इज्ऱाम (अ़.पु.)-अग्नि प्रज्वलित करना, आग जलाना।
इज्ऱार (अ़.पु.)-हानि पहुँचाना, नु$कसान या टोटा देना; चोट पहुँचाना, आघात करना।
इज्ल (अ़.पु.)-गाय का बच्चा, बछड़ा।
इज्लत (अ़.स्त्री.)-आतुरता, व्याकुलता, जल्दबाज़ी; शीघ्रता, जल्दी।
इज़्ला$क (अ़.पु.)-फिसलना; फिसलाना।
इज्ला$फ (अ़.पु.)-ज़ुल्म ढानेवाला, अत्याचार करनेवाला; ख़्ााली घड़ा; हर वह वस्तु, जो अन्दर से ख़्ााली या खोखली हो।
इज़्लाम (अ़.पु.)-अन्धकारमय, तारीक होना।
इज्लाल (अ़.पु.)-बड़प्पन, बुज़ुर्गी; श्रेष्ठता, उत्तमता; वैभव, प्रतिष्ठा, सम्मान, शानो-शौकत। इसका 'जÓ उर्दू के 'जीमÓ अक्षर से बना है।
इज़्लाल (अ़.पु.)-किसी को बहकाकर कुमार्ग पर चलाना, किसी को डगमगाना या भटकाना। इसका 'ज़Ó उर्दू के 'ज़ेÓ अक्षर से बना है।
इज़्लाल (अ़.पु.)-किसी को कुमार्ग पर चलाना, गुमराह करना। इसका 'ज़Ó उर्दू के 'ज़्वादÓ अक्षर से बना है।
इज़्लाल (अ़.पु.)-छाया डालना। इसका 'ज़Ó उर्दू के 'ज़ोयÓ अक्षर से बना है।
इज्लास (अ़.पु.)-बैठाना, बिठाना, बैठालना; न्यायालय में न्यायाधीश के बैठने का स्थान; कोर्ट, अदालत, कचहरी, न्यायालय; सभा, अधिवेशन। हिन्दी में 'इजलासÓ प्रचलित।
इज़्हाक (अ़.पु.)-छलकना; घास जमना; हँसाना, ऐसी बात कहना जिसे सुनकर हँसी आ जाए।
इज़्हात (अ़.पु.)-नामर्द, नपुंसक, क्लीब।
इज्हा$फ (अ़.पु.)-नुकसान करना; कोई वस्तु उड़ा लेना; पास आना; किसी के काम में शरीक होना अर्थात् लेना।
इज़्हाब (अ़.पु.)-ले जाना, तेज़ करना, रवाँ करना, ऊपर से सोना चढ़ाना, मुलम्मा करना, सोने का पत्तर चढ़ाना।
इज्हाम (अ़.पु.) मना करना, रोकना; मरने के $करीब होना, मरणासन्न होना, मृतप्राय: होना।
इज़्हार (अ़.पु.)-जाहिर या प्रकट होना; जाहिर या प्रकट करना; वर्णन करना; वक्तव्य, न्यायालय में वादी-प्रतिवादी या साक्षी आदि का बयान। इसका 'ज़्Ó उर्दू के 'ज़ोयÓ अक्षर से बना है।
इज़्हार (अ़.पु.)-दीप जलाना, चिरा$ग रौशन करना। इसका 'ज़्Ó उर्दू के 'ज़ेÓ अक्षर से बना है।
इज्हार (अ़.पु.)-ज़ोर से बोलना; व्यक्त करना, प्रकट करना, ज़ाहिर करना। 'कोरे का$गज़ पर गिराकर आँख से दो-चार बूँद, क्या अजब शैली निकाली भाव के इज्हार की Ó-राम अवतार नायक।
इज़्हाल (अ़.पु.)-लापरवाह होना, सतर्क न होना, $गा$िफल होना, बेख़्ाबर होना, असावधान होना।
इठलाना (हिं.क्रि.)-इतराना, गर्व के साथ चलना; नख़्ारा करना, हाव-भाव दिखलाना; छकाने के लिए जानबूझकर अंजान बनना।
इतना (हिं.क्रि.)-इस मात्रा का, इस $कदर। पद.-'इतने मेंÓ-इसी समय में, इसी बीच में। ('इतनीÓ स्त्री.प्र.)।
इतमाम (अ़.पु.)-दे.-'इत्मामÓ, वही उच्चारण शुद्घ है, अंजाम को पहुँचाना, निबटाना, ख़्ात्म करना।
इतमामे हुज्जत (अ़.पु.)-दे.-'इत्मामे हुज्जतÓ, वही शुद्घ उच्चारण है।
इतमीनान (अ़.पु.)-दे.-'इत्मीनानÓ, वही शुद्घ उच्चारण है, विश्वास, संतोष, तसल्ली।
इतरत (अ़.पु.)-दे.-'इत्रतÓ, वही शुद्घ उच्चारण है, बेटे-बेटियाँ, सन्तान।
इतरते अतहार (अ़.पु.)-दे.-'इत्रते अत्हारÓ, वही उच्चारण शुद्घ है, पवित्र संतान।
इतराना (हिं.क्रि.)-सफलता पर फूल उठना, घमण्ड करना; ठसक दिखाना, इठलाना।
इतरा$फ (अ़.स्त्री.)-'तर$फÓ का बहु., इे.-'इत्रा$फÓ, वही शुद्घ उच्चारण है, दिशाएँ।
इतरीफ़ल (अ़.पु.)-दे.-'इत्री$फलÓ, वही शुद्घ उच्चारण है।
इतला$क (अ़.पु.)-दे.-'इत्ला$कÓ, वही शुद्घ उच्चारण है, छोडऩा, बन्धनमुक्त करना।
इतला$फ (अ़.पु.)-दे.-'इत्लाफ़Ó, वही शुद्घ उच्चारण है, तलफ़ करना, नष्ट करना; मारा जाना, हत होना।
इतहाफ़ (अ़.पु.)-दे.-'इत्तिहा$फÓ, वही उच्चारण शुद्घ है, भेंट, उपहार।
इताअ़त (अ़.स्त्री.)-ताबेदारी करना, हुक्म मानना, आदेश का पालन करना, आज्ञा-पालन, $फर्माबरदारी; टहल, सेवा-सुश्रूषा, ख़्िादमत।
इताअ़त गुज़ार (अ़.$फा.वि.)-टहलुवा, आज्ञाकारी, सेवक, $फर्माबरदार।
इताअ़तमन्द (अ़.$फा.वि.)-दे.-'इताअ़त गुज़ारÓ।
इताअ़त शिअ़ार (अ़.$वि.)-दे.-'इताअ़त गुज़ारÓ।
इताद (अ़.पु.)-उपकरण, सामान; तैयारी।
इताब (अ़.पु.)-क्रोध, $गुस्सा, कोप, प्रकोप। 'इताब ओ ख़्िाताबÓ-क्रोध के वचन, कटु-वचन। 'इताब-ए-रहरवाँÓ-यात्रियों का $गुस्सा, मुसा$िफरों का प्रकोप।
इताबत (अ़.स्त्री.)-सुवासित करना, सुगन्धित करना; शौच में पानी लेना; शरीर को पवित्र करना; ख़्ाुश करना, प्रसन्न करना।
इताबतनाम: (अ़.$फा.पु.)-वह पत्र, जिसमें क्रोध प्रकट किया गया हो, कोप-पत्र।
इताबतनामा (अ़.$फा.पु.)-दे.-'इताबतनाम:Ó, वही शुद्घ उच्चारण है।
इतारत (अ़.स्त्री.)-चिडिय़ा आदि को उड़ाना।
इताल: (अ़.पु.)-दे.-'इतालतÓ।
इतालत (अ़.स्त्री.)-विस्तृत करना, लम्बा करना, तवील करना, विस्तार करना। इसकी 'इÓ उर्दू के 'अलि$फ Ó अक्षर से बनी है।
इतालत (अ़.स्त्री.)-निठल्लापन, बेकारी। इसकी 'इÓ उर्दू के 'ऐनÓ अक्षर से बनी है।
इताहत (अ़.स्त्री.)-हत्या करना, मार डालना, हलाक करना; डालना, भीतर करना।
इत्अ़ाम (अ़.पु.)-भोजन कराना, खाना खिलाना।
इत्तफ़ाक़ (अ़.पु.)-दे.-'इत्ति$फा$कÓ, वही उच्चारण शुद्घ है, मेल-जोल, एका, एकत्व, एकता।
इत्तफ़ाकऩ (अ़.वि.)-दे.-'इत्तिफ़ाकऩÓ, वही उच्चारण शुद्घ है, अचानक, अनायास।
इत्त$फा$िकया (अ़.वि.)-दे.-'इत्ति$फा$िकय:Ó, वही उच्चारण शुद्घ है, संयोग से, अकस्मात्, अचानक।
इत्तफ़ाक़ी (अ़.वि.)-दे.-'इत्तिफ़ाक़ीÓ, वही उच्चारण शुद्घ है, अचानक, अनायास।
इत्तबाअ़ (अ़.पु.)-दे.-'इत्ति$बाअ़Ó, वही उच्चारण शुद्घ है।
इत्तला (अ़.स्त्री.)-दे.-'इत्तिलाअ़Ó, वही उच्चारण शुद्घ है।
इत्तलाअऩ (अ़.वि.)-दे.-'इत्तिलाअऩÓ, वही उच्चारण शुद्घ है, सूचनार्थ।
इत्तलानामा (अ़.पु.)-दे.-'इत्तिलाअऩाम:Ó, वही उच्चारण शुद्घ है,
इत्तसाल (अ़.पु.)-दे.-'इत्तिसालÓ, वही उच्चारण शुद्घ है, सम्बन्ध, लगाव; मिलना, मिला हुआ होना; लगातार होना।
इत्तहाद (अ़.पु.)-दे.-'इत्तिहादÓ, वही उच्चारण शुद्घ है, अनुकूलता, एकता, समानता; दौस्ती, मैत्री।
इत्तहाम (अ़.पु.)-दे.-'इत्तिहामÓ, वही उच्चारण शुद्घ है, ऐब लगाना, दोष लगाना।
इत्तिअ़ाद (अ़.पु.)-वचन देना, वायदा करना।
इत्तिअ़ाब (अ़.पु.)-मुसीबत में फाँसना, दु:ख में डालना।
इत्ति$का (अ़.पु.)-इन्द्रिय-निग्रह, संयम, पारसाई।
इत्तिका (अ़.पु.)-सहारा ढूँढऩा, भरोसा करना; सहारा, विश्वास, भरोसा।
इत्ति$कान (अ़.पु.)-मज़बूती करना, दृढ़ता करना।
इत्तिकार (अ़.पु.)-घोंसला बनाना।
इत्तिकाल (अ़.पु.)-सहारा पकडऩा, भरोसा करना।
इत्तिख़्ााज़ (अ़.पु.)-लेना, ग्रहण करना, प्राप्त करना।
इत्तिजार (अ़.पु.)-व्यापार करना, व्यवसाय करना, तिजारती कारोबार करना।
इत्तिज़ाह (अ़.पु.)-ज्योतित होना, प्रकाशित होना, रौशन होना।
इत्ति$फा$क (अ़.पु.)-आपस में मिलना, मेल-जोल, एका, एकत्व; इत्तिहाद, एकता; सहमति, राय अथवा मत का एक होना, विचारों में समानता होना; मैत्री, दोस्ती; संयोग, दैवयोग, अचानकपन। 'इत्ति$फा$क सेÓ-संयोग से, दैवयोग से।
इत्ति$फा$कन (अ़.वि.)-इत्ति$फा$क से, अनायास, अचानक, अकस्मात्, सहसा, यदृच्छया, दैववश, संयोग से, बे-सानोगुमान।
इत्ति$फा$कात (अ़.पु.)-अचानक होनेवाली घटनाएँ, आकस्मिक दुर्घटनाएँ।
इत्ति$फा$िकय: (अ़.वि.)-दे.-'इत्ति$फा$कनÓ।
इत्ति$फा$की (अ़.वि.)-इत्ति$फा$क या संयोग से होनेवाला, अनायास, आकस्मिक, अचानक, नागहानी; संयुक्त, मिला-जुला, सामूहिक, मुत्तहदा।
इत्तिबाअ़ (अ़.पु.)-अनुकरण, अनुगमन, पैरवी, धर्म या पंथ का अनुकरण, मतानुगमन, समर्थन।
इत्तिला (अ़.स्त्री.)-दे.-'इत्तिलाअ़Ó, वही शुद्घ है।
इत्तिलाअ़ (अ़.स्त्री.)-सूचना, जानकारी, ख़्ाबर, इत्तिला, इत्तला।
इत्तिलाअऩ (अ़.वि.)-इत्तिलाअ़ के तौर पर, जानकारी या ख़्ाबर देने के लिए, सूचनार्थ, इत्तिलाअ़ के लिए।
इत्तिलाअऩाम: (अ़.$फा.पु.)-वह पत्र जिसके द्वारा कोई इत्तिलाअ़ या सूचना दी जाए, सूचना-पत्र, वह पर्चा जिसमें इत्तिलाअ़ दर्ज हो।
इत्तिलाअऩामा (अ़.$फा.पु.)-दे.-'इत्तिलाअऩाम:Ó, वही शुद्घ उच्चारण है।
इत्तिलाअय़ाबी (अ़.स्त्री.)-इत्तिलाअ़ पाना, सूचना मिलना।
इत्तिलाई (अ़.वि.)-सूचनात्मक, सूचना से सम्बद्घ।
इत्तिलाअ़कुनिंद (अ़.वि.)-सूचना देनेवाला।
इत्तिलानामा (अ़.$फा.पु.)-दे.-'इत्तिलाअऩाम:Ó, वही शुद्घ उच्चारण है।
इत्तिला
इत्तिसाअ़ (अ़.पु.)-विस्तृत होना, चौड़ा होना; आँख का एक रोग।
इत्तिसा$क (अ़.पु.)-क्रमबद्घ करना, तर्तीब देना, व्यवस्थित करना; एकत्र होना, इकट्ठा होना; ठीक होना।
इत्तिसाख़्ा (अ़.पु.)-मैला होना, दूषित होना।
इत्तिसा$फ (अ़.पु.)-प्रशंसा करना, तारी$फ करना; किसी विशेष गुण का अधिकारी समझा जाना, सुपात्र।
इत्तिसाम (अ़.पु.)-चिह्नï बनाना, निशान लगाना; अंकित करना, नक़्श करना, रेखांकित करना।
इत्तिसाल (अ़.पु.)-संयुक्त या संलग्न होना, मिलना, मिला हुआ होना; एक जगह होना, बराबर होना, किसी काम का लगातार होना; मेल-मिलाप, निरन्तरता; क्रमश:; सम्बन्ध, लगाव।
इत्तिहाद (अ़.पु.)-अनुकूलता, एका, एकता, एकत्व, मेल-मिलाप, समानता; दोस्ती, मैत्री; स्नेह, मुहब्बत।
इत्तिहादी (अ़.वि.)-मित्र; परस्पर एकता और मैत्री रखने-वाले; वे राज्य जो परस्पर मित्र हों।
इत्तिहा$फ (अ़.पु.)-उपहार देना, भेंट देना, तोह$फा देना; उपहार, भेंट, पुरस्कार, तोह$फा।
इत्तिहाब (अ़.पु.)-किसी के नाम दान करना, प्रतिदान करना, बख़्िशश करना, बख़्शना; बख़्िशश स्वीकार करना।
इत्तिहाम (अ़.पु.)-तोहमत लगाना, दोष लगाना, व्यर्थ बदनाम करना; ऐब लगाना, आरोप लगाना, इल्ज़ाम देना; आरोप, लांछन, दोष, तोहमत; भ्रम में डालना।
इत्नाब (इत्नाब) (अ़.पु.)-विस्तृत करना, लम्बा करना, बढ़ाना; बात को लम्बी-चौड़ी करना।
इत्$फा (अ़.पु.)-आग बुझाना; दीपक बढ़ाना या बुझाना, चिरा$ग गुल करना।
इत्$फाल (अ़.पु.)-शिशु होना, छोटा बच्चा होना।
इत्बाअ़ (अ़.पु.)-अनुयायी होना, पैरो होना, भक्त होना।
इत्बा$क (अ़.पु.)-किवाड़ बन्द करना, दरवाज़े भेडऩा।
इत्बाख़्ा (अ़.पु.)-भोजन बनाना, खाना पकाना, बाबरचीगरी करना, रसोइयागीरी करना।
इत्बाल (अ़.पु.)-दुश्मनी रखना, वैर रखना, शत्रुता रखना; दोस्ती तोडऩा, मित्रता भंग करना; द्वेष, वैर, शत्रुता, दुश्मनी, अ़दावत।
इत्माअ़ (अ़.पु.)-प्रलोभन देना, किसी को लालच में डालना।
इत्माम (अ़.पु.)-अंजाम को पहुँवाना, ख़्ात्म करना, समाप्त करना, निबटाना; समाप्ति, पूर्ति।
इत्मामे हुज्जत (अ़.पु.)-हुज्जत का पूरा होना; अन्तिम चेतावनी; किसी व्यक्ति को आख़्िारी तौर पर बुराई-भलाई समझा देना ताकि उसके काम की जिम्मेदारी किसी अन्य पर न पड़े; किसी मामले को अंतिम बार समझाने और निबटाने की कोशिश करना।
इत्मीनान (अ़.पु.)-तुष्टि, सन्तुष्टि, सब्र, संतोष; विश्वास, प्रत्यय, भरोसा, य$कीन; सान्त्वना, तसल्ली, दिलासा, दिल-जमई।
इत्मीनानी (अ़.वि.)-विश्वसनीय, विश्वासवाला व्यक्ति, इत्मीनानवाला आदमी, विश्वस्त; विश्वसनीय वार्ता, इत्मीनानवाली बात।
इत्यान (अ़.पु.)-प्रवेश करना, भीतर जाना, अन्दर घुसना; प्रवेश, पैठ, दाख़्िाला।
इत्र (अ़.पु.)-फूलों की सुगन्धि का सार, पुष्पसार, पुष्पिरा, $फूलों का इत्र; सुगन्ध, ख़्ाुशबू; (ला.)-जौहर, ख़्ाुलासा, लुब-लुआब, निचोड़।
इत्र आगीं (अ़.$फा.वि.)-इत्र में सुवासित, इत्र में बसा हुआ।
इत्रत (अ़.स्त्री.)-बेटे-बेटियाँ, बाल-बच्चे, संतान, औलाद; स्वजन, प्रिय, प्यारा।
इत्रते अत्हार (अ़.पु.)-पवित्र संतान, पाक औलाद।
इत्रदान (अ़.$फा.वि.)-इत्र रखने की पिटारी, सुगन्धपात्र, इत्रबॉक्स।
इत्रबेज़ (अ़.$फा.वि.)-सुगन्ध बरसानेवाला, इत्र की महक फैलानेवाला, सुगन्धवाहक।
इत्रबेज़ी (अ़.$फा.वि.)-ख़्ाुशबू फैलाना, सुगन्ध बरसाना।
इत्रयात (अ़.स्त्री.)-सुगन्धित वस्तुएँ, ख़्ाुशबूदार चीज़ें, महक देनेवाले द्रव्य।
इत्रा (अ़.पु.)-अतिप्रशंसा; किसी की प्रशंसा बढ़ा-चढ़ाकर करना, प्रशस्ति।
इत्राज़ (अ़.पु.)-चिह्निïत करना, अंकित करना, नक़्श करना, चित्रांकन करना।
इत्रा$फ (अ़.स्त्री.)-'तर$फÓ का बहु., ओर, तर$फ, दिशाएँ; आस-पास की दिशाएँ; अत्रा$फ।
इत्राब (अ़.पु.)-मिट्टी में मिलाना; मिट्टी में भर जाना; मालदार होना, धनाढ्य होना।
इत्रास (अ़.पु.)-दृढ़ करना, मज़बूत करना, बराबर करना।
इत्राह (अ़.पु.)-नींव रखना, बुनियाद डालना; डालना।
इत्री$फ (अ़.पु.)-वीर, बहादुर, शूर, महारथी।
इत्रीफ़ल (अ़.पु.)-एक यूनानी अवलेह, जिसमें हड़, बहेड़ा, आँवला होता है, 'त्रिफलाÓ का मुअर्ऱब या माजून, त्रिफला का पर्याय।
इत्रीय: (अ़.पु.)-सिवैयाँ।
इत्रीयत (अ़.स्त्री.)-सुगन्ध, ख़्ाुशबू, इत्रपन।
इत्ला$क (अ़.पु.)-छोडऩा, बन्धनमुक्त करना, खोलना; कहना; जारी करना; दस्त आना; चरितार्थ होना, मुताबिक होना, अनुकूल होना; प्रयुक्त करना, लगाना; तला$क देना; विच्छेद करना।
इत्ला$फ (अ़.पु.)-तलफ़ करना, नष्ट करना; बरबाद होना, नष्ट होना; मारा जाना, हत होना।
इत्ला$फे जाँ (अ़.$फा.पु.)-जीवहत्या, प्राणों का नाश, प्राणियों का घात।
इत्वाल (अ़.पु.)-विस्तृत करना, लम्बा करना, बढ़ाना।
इत्हार (अ़.पु.)-शुद्घ करना, पवित्र करना, पाक करना।
इदख़्ााल (अ़.पु.)-दे.-'इद्ख़्ाालÓ, वही उच्चारण शुद्घ है।
इदबार (अ़.पु.)-दे.-'इद्बारÓ, वही उच्चारण शुद्घ है।
इदराक (अ़.पु.)-दे.-'इद्राकÓ, वही उच्चारण शुद्घ है।
इदाम (अ़.पु.)-सब्ज़ी, सालन, जिससे रोटी खायी जाती है, व्यंजन।
इदामत (अ़.स्त्री.)-शाश्वतता, नित्यता, हमेशगी।
इदार: (अ़.पु.)-संस्था, सभा, अंजुमन; कार्यालय, दफ़्तर; विभाग, महकमा।
इदारए निज़ामी (अ़.पु.)-सैन्य विभाग, $फौजी महकमा।
इदारत (अ़.स्त्री.)-सम्पादन, एडीटरी।
इदारिय: (अ़.पु.)-सम्पादकीय लेख, एडीटोरियल।
इद्क़ाक़ (अ़.पु.)-कूटकर चूर्ण करना, बारीक करना।
इद्ख़्ाान (अ़.पु.)-अलग होना, पृथक् होना।
इद्ख़्ााल (अ़.पु.)-प्रवेश करना, दाख़्िाल करना, अन्दर ले जाना; दाख़्िाल होने या करने की क्रिया या भाव; जमा करने की क्रिया या भाव; रुपया आदि जमा करना; प्रस्तुतिकरण।
इद्ग़ाम (अ़.पु.)-किसी चीज़ को बिना चबाए खाना; घोड़े के मुँह में लगाम देना; किसी अक्षर का दूसरे अक्षर में मिलकर एक होना; आदेश।
इद्जान (अ़.पु.)-मूसलाधार वर्षा होना, ज़ोर की वर्षा होना, मेह की झड़ी लगना।
इद्दत (अ़.स्त्री.)-मुसलमानों में पति के मरने या तला$क देने के बाद का वह समय, जिसमें स्त्री पुनर्विवाह नहीं कर सकती (यह समय लगभग सौ दिन का होता है); गणना, गिनती।
इद्दिअ़ा (अ़.पु.)-दावा करना; इच्छा करना; दावा।
इद्दिअ़ाम (अ़.पु.)-तकिया लगाना, सहारा लेना।
इद्दिकार (अ़.पु.)-याद करना, नसीहत पकडऩा, उपदेश मानना, सीख लेना।
इद्दिख़्ाार (अ़.पु.)-जमा करना, ज़ख़्ाीरा करना, इकट्ठा करना, एकत्र करना।
इद्दिलाज (अ़.पु.)-रात का पिछला पहर बीतना, रात्रि का पिछला भाग बीतना या गुजऱना।
इद्दिहान (अ़.पु.)-तेल लगाना या चिपुडऩा।
इद्ना$फ (अ़.पु.)-सूर्यास्त का समय, सूरज का अस्त होने के निकट होना।
इद्बाज (अ़.पु.)-किसी वस्तु को लपेटना।
इद्बार (अ़.पु.)-कंगाली, निर्धनता, दरिद्रता; बद$िकस्मती, दुर्भाग्य, अभाग्य, बदनसीबी; तबाही, बरबादी, दुर्दशा; परेशानी, घबराहट।
इद्मान (अ़.पु.)-रक्त-रंजित होना, ख़्ाून में तर होना, लोहूलुहान होना, लथपथ होना।
इद्राक (इद्राक) (अ़.पु.)-अगोचर वस्तुओं का ज्ञान या अनुभव, $गैर-महसूस चीज़ों की दरयाफ़्त; समझ, अ़क़्ल, ज्ञान, बोध, विवेक, समझ-बूझ।
इद्राज (इद्राज) (अ़.पु.)-परस्पर लिपटना, आलिंगित होना।
इद्रार (इद्रार) (अ़.पु.)-जारी होना; बहुत तेज़ वर्षा होना, मूसलाधार पानी बरसना; वृत्ति, वज़ी$फा; बार-बार पेशाब करना; बार-बार पुरस्कार और बख़्िशश देना, बार-बार दान देना, भेंट देना।
इद्लाज (अ़.पु.)-रात्रि का पहला भाग बीतना; रात में सैर करना; रात की सैर।
इद्हान (अ़.पु.)-गबन, अपहरण, लूट; ख़्िायानत करना; ख़्िायानत; फूट डालना।
इद्हाम (अ़.पु.)-काला होना, सियाह होना।
इधर (हिं.क्रि.वि.)-यहाँ, इस ओर, इस तर$फ। पद.-'इधर-उधरÓ-यहाँ-वहाँ, इतस्तत:; आसपास; टालमटोल। मुहा.-'इधर-उधर करनाÓ-तितर-बितर करना, हटाना; टालमटोल करना; उलट-पुलट कर देना। 'इधर-उधर की लगानाÓ-चु$गली खाना।
इनकार (अ़.पु.)-दे.-'इन्कारÓ, वही शुद्घ उच्चारण है, अस्वीकार।
इनज़ाल (अ़.पु.)-दे.-'इन्ज़ालÓ, वही शुद्घ उच्चारण है, उतारना, गिराना, वीर्यपात।
इनब (अ़.पु.)-अंगूर, द्राक्षा।
इनबीय: (अ़.पु.)-आँख का एक पर्दा।
इनबुस्साÓलब (अ़.पु.)-मकोय नामक एक प्रसिद्घ वनौषधि।
इनसान (अ़.पु.)-दे.-'इन्सानÓ, वही शुद्घ उच्चारण है।
इनसा$फ (अ़.पु.)-दे.-'इन्सा$फÓ, वही शुद्घ उच्चारण है।
इनसिदाद (अ़.पु.)-दे.-'इन्सिदादÓ, वही शुद्घ उच्चारण है।
इनहितात (अ़.पु.)-दे.-'इन्हितातÓ, वही शुद्घ उच्चारण है, घटाव, ह्रïास, कमी।
इनहदाम (अ़.पु.)-दे.-'इन्हिदामÓ, वही शुद्घ उच्चारण है।
इनहिदाम (अ़.पु.)-दे.-'इन्हिदामÓ, वही शुद्घ उच्चारण है, उजडऩा, वीरान होना।
इनहरा$फ (अ़.पु.)-दे.-'इन्हिरा$फÓ, वही शुद्घ उच्चारण है।
इनहसार (अ़.पु.)-दे.-'इन्हिसारÓ, वही शुद्घ उच्चारण है।
इनहिरा$फ (अ़.पु.)-दे.-'इन्हिरा$फÓ, वही शुद्घ उच्चारण है, फिर जाना, पलट जाना, एक ओर को झुक जाना; विरोध, विद्रोह, ब$गावत।
इनहिसार (अ़.पु.)-दे.-'इन्हिसारÓ, वही शुद्घ उच्चारण है, घिरना, घेरे में आ जाना।
इनाँ ($फा.स्त्री.)-'इनानÓ का लघु., दे.-'इनानÓ। लगाम, बागड़ोर, अश्वपरिचालक-सूत्र, कविकाएँ।
इनाँ गर्दिश ($फा.स्त्री.)-घोड़े की लगाम, अश्वपरिचालक-सूत्र।
इनाँगीर ($फा.वि.)-लगाम पकड़कर सवार को रोक लेने-वाला, आगे न बढऩे देनेवाला; चलते हुए काम में बाधा डालनेवाला, बाधक, मुज़ाहिम, निरोधक, अवरोधक।
इनाँ गुसिस्त: ($फा.वि.)-जिस घोड़े की लगाम छूट गयी हो और वह इधर-उधर मारा-मारा फिर रहा हो; स्वच्छंद, निरंकुश, मुत्ल$कुल इनाँ।
इनाँ ताब ($फा.वि.)-वह सधा हुआ घोड़ा, जो लगाम के इशारे पर चले।
इना (अ़.पु.)-बरतन, भांडे, पात्र, ज़$र्फ।
इनाअ़त (अ़.स्त्री.)-देर, विलम्ब; ढील, सुस्ती; आहिस्तगी, धीमापन, शिथिलता, मंदता।
इनाद (अ़.पु.)-दुश्मनी, वैर, शत्रुता; द्वेष, कीना।
इनादाम (अ़.पु.)-दे.-'इन्इदामÓ, वही शुद्घ उच्चारण है।
इनान (अ़.स्त्री.)- घोड़े की लगाम, कविका, बाग़।
इनानगीर (अ़.$फा.स्त्री.)-लगाम थामनेवाला, बा$ग पकडऩेवाला; चलने से रोक देनेवाला।
इनानगुस्त: (अ़.$फा.वि.)-लगाम टुटा हुआ, बेलगाम, बग-टूट; बहुत तेज़; सरकश, उद्दंड।
इनानताब (अ़.$फा.वि.)-वह घोड़ा, जो लगाम के इशारे पर चले, बहुत-ही सधा हुआ घोड़ा।
इनाने हुकूमत (अ़.स्त्री.)-सत्ता की बागड़ोर, शासन-सूत्र, शासन-तंत्र।
इनाबत (अ़.स्त्री.)-बुरे कामों से अलग होना, विमुखता, त्याग; तौबा करना; पश्चात्तापपूर्वक ईश्वर की ओर प्रवृत्त होना, ईश्वर की ओर फिरना, ईश्वरोन्मुखता।
इनाम (अ़.पु.)-शुद्घ शब्द 'इन्अ़ामÓ है मगर यह भी प्रचलित है; पुरस्कार, उपहार, बख़्िशश, भेंट, सिला। 'इनाम-इक्रामÓ-इनाम जो कृपापूर्वक दिया जाए, ख़्ाुश होकर दी जानेवाली भेंट।
इनामदार (अ़.पु.)-दे.-'इन्अ़ामदारÓ, वही शुद्घ उच्चारण है।
इनायत (अ़.स्त्री.)-अनुग्रह, अनुकम्पा, दया, कृपा, कृपा-दृष्टि, मेहरबानी; भेंट, तोह$फा; इरादा करना; किसी के लिए दु:ख उठाना, दूसरे की भलाई के लिए स्वयं कष्ट झेलना।
इनायतनाम: (अ़.$फा.पु.)-कृपा-पत्र। (किसी दोस्त या बड़े आदमी द्वारा लिखे गए पत्र के लिए बोलते हैं)।
इनायतनामा (अ़.$फा.पु.)-दे.-'इनायतनाम:Ó, वही उच्चारण शुद्घ है।
इनायत$फर्मा (अ़.पु.)-कृपालु, दयालु; मित्र।
इनायात (अ़.स्त्री.)-'इनायतÓ का बहु., कृपाएँ, दयाएँ, अनुकम्पाएँ, मेहरबानियाँ।
इनारत (अ़.स्त्री.)-आग जलाना, जलाना, प्रकाशित करना, रौशन करना।
इनास (अ़.स्त्री.)-'उंसाÓ का बहु., अ़ौरतें, महिलाएँ, स्त्रियाँ।
इन्अ़$फाल (अ़.पु.)-पश्चात्ताप। 'अ़$र्के इन्अ़$फालÓ- पश्चात्ताप के आँसू।
इन्अ़ाम (अ़.पु.)-पुरस्कार, बख़्िशश; किसी काम के लिए उजरत या पारिश्रमिक के अलावा दिया गया रुपया।
इन्अ़ामदार (अ़.पु.)-जिसे उपहार में ज़मीन मिली हो।
इन्इ$काद (अ़.पु.)-आयोजन, सभा आदि की व्यवस्था; होना, मुन्अ़$िकद होना, आयोजित होना।
इन्इकास (अ़.पु.)-प्रतिबिंबित होना, परछाईं पडऩा; अ़क्स, प्रतिबिम्ब।
इन्इता$फ (अ़.पु.)-फिरना, लौटना, वापस होना; प्रवृत होना, आकर्षित होना, रुजू होना, झुकना।
इन्इदाम (अ़.पु.)-नष्ट होना, ध्वस्त होना, मिट जाना।
इन्कज़़ा (अ़.पु.)-दे.-'इन्$िकज़ाÓ, वही उच्चारण शुद्घ है।
इन्$कलाब (अ़.पु.)-दे.-'इन्कि़लाबÓ, वही शुद्घ है।
इन्$कलाबी (अ़.वि.)-दे.-'इन्कि़लाबीÓ, वही शुद्घ है।
इन्कशा$फ (अ़.पु.)-दे.-'इन्किशा$फÓ, वही शुद्घ है।
इन्कसार (अ़.पु.)-दे.-'इन्किसारÓ, वही उच्चारण शुद्घ है।
इन्क़ा (अ़.पु.)-बीनना, चुनना, छाँटना।
इन्क़ाज़ (अ़.पु.)-मुक्त कराना, छुड़ाना।
इन्कार (अ़.पु.)-किसी बात को मना करना, न मानना, अस्वीकार करना; अस्वीकृति, नामंजूरी; परहेज़, उज्ऱ।
इन्कास (अ़.पु.)-उलटा करना, औंधा करना; खोलना।
इन्क़ास (अ़.पु.)-घटाना, कम करना; अपूर्ण कर देना, ना$िकस करना।
इन्$िकज़ा (अ़.पु.)-समाप्ति; निर्धारित समय का समाप्त होना, नियत समय बीत जाना, समय पूरा हो जाना, तय समय गुज़र जाना, निश्चित समय का गुजऱ जाना। 'इन्$िकज़ाए मीयादÓ-मीयाद या अवधि का बीत जाना, तय समय-सीमा का गुजऱ जाना।
इन्$िकज़ाज़ (अ़.पु.)-ऊपर गिर पडऩा।
इन्$िकताअ़ (अ़.पु.)-अलग-अलग होना, कटना, विच्छिन्न होना, पृथक्-पृथक् होना; बन्द होना।
इन्$िकबाज़ (अ़.पु.)-खिन्नता, अ$फसुर्दगी; चित्त का मलिन या उदासीन होना; भिंचना, सिकुडऩा।
इन्किबाब (अ़.पु.)-मुँह के बल गिरना; औषधियों की धूनी लेना।
इन्$िकमाअ़ (अ़.पु.)-निरादर होना, अपमानित होना, बेइज़्ज़त और तिरस्कृत होना, ज़लीलो-ख़्वार होना।
इन्$िकयाद (अ़.पु.)-अधीन होना, ताबेÓ होना, वशीभूत होना।
इन्$िकराज़ (अ़.पु.)-टुकड़े होना, कटना; मुद्दत पूरी होना, समय या अवधि का ख़्ात्म होना।
इन्$िकलाअ़ (अ़.पु.)-उखडऩा, उखड़ा हुआ होना।
इन्$िकलाब (अ़.पु.)-क्रान्ति, परिवर्तन, उलट-पलट; समय का उलट-फेर, काल-चक्र; सत्ता-परिवर्तन, राज्य-परिवर्तन, तख़्ता-पलट, शासन की तब्दीली।
इन्$िकलाबात (अ़.पु.)-'इन्$िकलाबÓ का बहु., अनवरत होनेवाले बदलाव, निरन्तर क्रान्तियाँ, लगातार इन्$िकलाब।
इन्$िकलाबी (अ़.वि.)-क्रान्तिकारी, इन्$िकलाब लानेवाला; वह, जो किसी बड़े परिवर्तन को लाने की योजना अथवा प्रक्रिया में शामिल या कार्यरत हो।
इन्$िकशाअ़ (अ़.पु.)-बादल खुल जाना, अब्र छँट जाना, मेघ छँट जाना।
इन्किशा$फ (अ़.पु.)-भेद खुलना, रहस्य खुलना, उद्घाटन; प्रकट होना, ज़ाहिर होना; खुलना, पता चलना; गवेषणा, तह$की$क, जाँच-पड़ताल।
इन्किसा$फ (अ़.पु.)-सूरज को ग्रहण लगना, सूर्यग्रहण होना।
इन्$िकसाम (अ़.पु.)-विभक्त होना, बँटना, तक़्सीम होना; तक़्सीम, विभाजन, बँटवारा, बाँट। इसका 'सÓ उर्दू के 'सीनÓ अक्षर से बना है।
इन्$िकसाम (अ़.पु.)-चकनाचूर होना, टूटकर टुकड़े-टुकड़े होना। इसका 'सÓ उर्दू के 'सुअ़ादÓ अक्षर से बना है।
इन्किसार (अ़.पु.)-टूटना, टुकड़े होना; नम्रता, विनय, ख़्ााकसारी, आजिज़ी।
इन्ख़्िाज़ाअ़ (अ़.पु.)-अलग होना, कटना, विच्छिन्न होना।
इन्ख़्िादाअ़ (अ़.पु.)-छल का शिकार होना, धोखा खाना, $फरेब में आ जाना, छला जाना।
इन्ख़्िा$फाज़ (अ़.पु.)-नीचे गिर पडऩा। किसी शब्द के नीचे 'ज़ेरÓ होना अर्थात् किसी शब्द पर 'इÓ की मात्रा होना।
इन्ख़्िा$फा$फ (अ़.पु.)-संकुचित होना, लज्जित होना; लज्जा, संकोच, ख़्िाफ़्$फत।
इन्ख़्िारा$क (अ़.पु.)-विदीर्ण होना, फटना, तड़कना।
इन्ख़्िारात (अ़.पु.)-आदमियों में जाना; किसी चीज़ में घुसना; सुई में धागा डालना; धागे में पिरोया जाना, सुई से डोरा पिरोया जाना।
इन्ख़्िाराम (अ़.पु.)-कम हो जाना, छीजना, घटना, घटत।
इन्ख़्िालाअ़ (अ़.पु.)-बरबाद होना, नष्ट होना; बँधी हुई हवा का उखडऩा, साख गिरना।
इन्ख़्िाला$क (अ़.पु.)-बँधना, बँधा जाना।
इन्ख़्िालाल (अ़.पु.)-तबाह होना, बरबाद होना, नष्ट होना; नाश, बरबादी, तबाही।
इन्गि़माम (अ़.पु.)-खिन्न होना, $गमगीन होना, दु:खित होना, खेद में होना।
इन्गि़मास (अ़.पु.)-गोता लगाना, डुबकी मारना, निमज्जन।
इन्गिऱास (अ़.पु.)-पेड़ लगाना, वृक्ष लगाना, वृक्षारोपण करना।
इन्ज़माद (अ़.पु.)-दे.-'इन्जि़मादÓ, वही उच्चारण शुद्घ है।
इन्ज़ाल (अ़.पु.)-उतारना, गिराना, स्खलन, वीर्यपात।
इन्जि़माद (अ़.पु.)-जमने की क्रिया या भाव, जमना (जल आदि का)।
इन्तक़ाम (अ़.पु.)-दे.-'इंति$कामÓ, वही उच्चारण शुद्घ है।
इन्त$काल (अ़.पु.)-दे.-'इंतिकालÓ, वही उच्चारण शुद्घ है।
इन्तख़्ााब (अ़.पु.)-दे.-'इंतिख़्ााबÓ, वही उच्चारण शुद्घ है।
इन्तज़ाम (अ़.पु.)-दे.-'इंतिज़ामÓ, वही उच्चारण शुद्घ है।
इन्तज़ामकार (अ़.पु.)-दे.-'इंतिज़ामकारÓ, वही उच्चारण शुद्घ है।
इन्तज़ाअ़ (अ़.पु.)-उखाडऩा, छोडऩा; उखडऩा, अस्त-व्यस्त होना, दे.-'इंतिज़ाअ़Ó, वही शुद्घ उच्चारण है।
इन्तज़ार (अ़.पु.)-दे.-'इंतिज़ारÓ, वही शुद्घ है, बाट जोहना, प्रतीक्षा।
इन्त$फाअ़ (अ़.पु.)-दे.-'इंति$फाअ़Ó, वही शुद्घ है, लाभ उठाना।
इन्तशार (अ़.पु.)-दे.-'इंति$शारÓ, वही शुद्घ है, परेशानी, घबराहट, दुर्दशा; तितर-बितर होना, बिखरना।
इन्तसाब (अ़.पु.)-दे.-'इंति$साबÓ, वही शुद्घ है, लगाव, सम्बन्ध, निस्बत।
इन्ति$फा (अ़.पु.)-दे.-'इंति$फाÓ, बुझ जाना, मुरझा जाना, कुम्हला जाना।
इन्तिबा$क (अ़.पु.)-दे.-'इंतिबा$कÓ, आपस में मिलना।
इन्तिहा (अ़.स्त्री.)-दे.-'इंतिहाÓ, चरमसीमा, पराकाष्ठा।
इन्द (अ़.वि.)-दे.-'इंदÓ, पास, नज़दीक।
इन्दिमाल (अ़.पु.)-दे.-'इंदिमालÓ, घाव भरना।
इन्दिया (अ़.पु.)-दे.-'इंदिय:Ó, वही शुद्घ है, अभिप्राय:, मंशा, राय, विचार।
इन्दिराज (अ़.पु.)-दे.-'इंदिराजÓ, लिखा जाना, प्रविष्टि।
इन्दुल ज़रूरत (उ.वि.)-दे.-'इंदुल तलबÓ।
इन्दुल तलब (उ.वि.)-दे.-'इंदुल ज़रूरतÓ।
इन्दुल मुला$कात (उ.वि.)-दे.-'इंदुल मुला$कातÓ।
इन्नीन (अ़.वि.)-नपुंसक, नामर्द, क्लीब, हिजड़ा।
इन्$फह: (अ़.पु.)-पनीर माय:। दे.-'पनीर माय:Ó।
इन्$फा$क (अ़.पु.)-ख़्ार्च करना, व्यय करना; जीविका देना, रोज़ी देना।
इन्$फाज़ (अ़.पु.)-भेजना, रवाना करना, प्रेषण; जारी करना, प्रचलित करना; तलवार मारना।
इन्$फ़ाल (अ़.पु.)-लड़ाई में लूट का माल बाँधना।
इन्$िफअ़ाल (अ़.पु.)-संकुचित होना, शर्मिन्दा होना, लज्जित होना; किसी असर से प्रभावित होना; शर्म, संकोच, लज्जा।
इन्$िफकाक (अ़.पु.)-छूटना, मुक्त होना, बन्धन-रहित होना; अलग-अलग होना; सम्पत्ति का रेहन से छुड़ाना।
इन्$िफजार (अ़.पु.)-टपकना, रिसना; निकलना, प्रकट होना; पीप या मवाद बहना।
इन्$िफता$क (अ़.पु.)-बादल छँट जाना, मेघ हट जाना।
इन्$िफतार (अ़.पु.)-टुकड़े-टुकड़े होना; पैदा करना, उत्पन्न करना, उत्पत्ति करना।
इन्$िफताह (अ़.पु.)-विस्तृत होना, खुलना, कुशादा होना; शुरू या जारी करना, खोलना।
इन्$िफरा$क (अ़.पु.)-फूट, विग्रह; पृथक्ता; फटना, शिगाफ़्त: होना, विदीर्ण होना।
इन्फि़ाराग़ (अ़.पु.)-$फराग़त, छुट्टी।
इन्$िफराद (अ़.पु.)-अकेला होना, तन्हा होना, एकाकी होना।
इन्$िफरादी (अ़.वि.)-व्यक्तिगत, किसी एक आदमी का, वैयक्तिक, शख़्सी।
इन्$िफरादीयत (अ़.स्त्री.)-अकेलापन, बेमिस्ली, एकाकीपन।
इन्$िफला$क (अ़.पु.)-विदीर्ण होना, फटना, फट जाना।
इन्फि़साख़्ा (अ़.पु.)-टूट जाना।
इन्$िफसाम (अ़.पु.)-टूट जाना।
इन्$िफसाल (अ़.पु.)-वाद का निर्णय होना, $फैसला होना; निर्णय, $फैसला।
इन्मास (अ़.पु.)-शिकारी का शिकार के लिए आड़ में छिपना; छिपना, लुप्त होना।
इन्मिलाक़ (अ़.पु.)-मित्रता, दोस्ती; चापलूसी, चाटूकारिता; कृपा, दया, अनुकम्पा, मेहरबानी; मुक्ति पाना, छुटकारा पाना; एक-सा होना, समान होना, बराबर होना।
इन्शा (अ़.स्त्री.)-दे.-'इंशाÓ।
इन्शा अल्लाह (अ़.$फा.स्त्री.)-दे.-'इंशा अल्लाहÓ।
इन्शा परदाज़ (अ़.पु.)-दे.-'इंशा पर्दाज़Ó।
इन्शा परदाज़ी (अ़.स्त्री.)-दे.-'इंशा पर्दाज़ीÓ।
इन्स (अ़.पु.)-दे.-'इंसÓ, आदमी, मनुष्यवर्ग।
इन्सान (अ़.पु.)-मनुष्य, आदमी; मानव-जाति, नौएइंसानी; सभ्य, शिष्ट, मुहज़्ज़ब; सज्जन, भलामानस, शरी$फ।
इन्सानियत (अ़.स्त्री.)-दे.-'इंसानीयतÓ, वही उच्चारण शुद्घ है, मनुष्यता, मानवता।
इन्सा$फ (अ़.पु.)-दे.-'इंसा$फÓ, न्याय, निर्णय, $फैसला।
इन्सिदाद (अ़.पु.)-दे.-'इंसिदादÓ, बन्द होना, रुकना।
इन्सिराम (अ़.पु.)-दे.-'इंसिरामÓ, कटना, कटकर अलग होना; प्रबन्ध, व्यवस्था।
इन्हा (अ़.पु.)-जारी करना, फिराना। इसका 'हÓ उर्दू के 'हेÓ अक्षर से बना है।
इन्हा (अ़.पु.)-सूचना देना, ख़्ाबर पहुँचाना। इसका 'हÓ उर्दू के 'हम्जाÓ अक्षर से बना है।
इन्हाब (अ़.पु.)-लूटना, $गारत करना, नष्ट करना।
इन्हिज़ाज़ (अ़.पु.)-शिकस्त होना, टूटना।
इन्हिज़ाम (अ़.पु.)-हज़म होना, पचना। इसका 'ज़Ó उर्दू के 'ज़्वादÓ अक्षर से बना है।
इन्हिज़ाम (अ़.पु.)-हार होना, पराजय होना; पराजय, शिकस्त, हार। इसका 'ज़Ó उर्दू के 'ज़ेÓ अक्षर से बना है।
इन्हितात (अ़.पु.)-घटाव, छीजना, घटना, कम होना; कमी, ह्रïास, टेढ़ापन। इसके दोनों 'तÓ उर्दू के 'तोयÓ अक्षर से बने हैं।
इन्हितात (अ़.पु.)-पतझड़, ख़्िाज़ाँ। इसके दोनों 'तÓ उर्दू के 'तेÓ अक्षर से बने हैं।
इन्हिताम (अ़.पु.)-शिकस्त होना, टूटना।
इन्हिदाब (अ़.पु.)-कुबड़ा होना; कुब्ज, कूबड़।
इन्हिदाम (अ़.पु.)-मकान आदि का ध्वस्त होना, गिरना, ढहना, मटियामेट होना, नष्ट होना; बरबाद होना, वीरान होना, उजडऩा; ध्वंस, बरबादी।
इन्हिना (अ़.पु.)-टेढ़ा होना, झुकना; टेढ़, झुकाव; कुब्जपन, कुबड़ापन।
इन्हिमाक (अ़.पु.)-किसी काम में दत्तचित्त होना या पूरी तरह से लग जाना; तल्लीनता, तन्मयता, संलग्नता।
इन्हिमाम (अ़.पु.)-पिघलना, घुलना, गलना।
इन्हिरा$फ (अ़.पु.)-टेढ़ा होना, एक ओर को फिर जाना; दूर या अलग होना; किसी की ओर से फिर जाना, अवज्ञाकारी हो जाना; अनाज्ञा, अवज्ञा, ना$फर्मानी, सरकशी, उपेक्षा, अवहेलना; ब$गावत, विद्रोह; दूर या अलग होना।
इन्हिलाल (अ़.पु.)-विस्तृत होना; नष्ट होना, नापैद होना; तुच्छ होना, नाचीज़ होना। इसका 'हÓ उर्दू के 'हेÓ अक्षर से बना है।
इन्हिलाल (अ़.पु.)-मूसलाधार पानी बरसना, बहुत अधिक वर्षा होना। इसका 'हÓ उर्दू के 'हम्जाÓ अक्षर से बना है।
इन्हिसार (अ़.पु.)-चारों ओर से घेरा जाना; घिरना, घेरे में आ जाना; आश्रित होना, निर्भर होना, मुनहसिर होना; निर्भरता, दारोमदार। इसका 'सÓ उर्दू के 'सुअ़ादÓ अक्षर से बना है।
इन्हिसार (अ़.पु.)-बाल झड़ जाना। इसका 'सÓ उर्दू के 'सीनÓ अक्षर से बना है।
इ$फतताह (अ़.पु.)-दे.-'इफ़्ितताहÓ, वही शुद्घ है।
इ$फतिराक (अ़.पु.)-दे.-'इफ़्ितराकÓ, वही शुद्घ है।
इ$फरात (अ़.स्त्री.)-दे.-'इफ्ऱातÓ, वही उच्चारण शुद्घ है।
इ$फलास (अ़.पु.)-दे.-'इफ़्लासÓ, वही शुद्घ है, दरिद्रता, मोहताजी, $गरीबी।
इ$फलाह (अ़.पु.)-दे.-'इफ़्लाहÓ, वही शुद्घ है, नेकी, भलाई, उपकार।
इ$फशा (अ़.पु.)-दे.-'इफ़्शाÓ, वही शुद्घ है, ज़ाहिर करना, प्रकट करना।
इ$फहाम (अ़.पु.)-दे.-'इफ़्हामÓ, वही शुद्घ है, समझाना।
इ$फा$क: (अ़.पु.)-रोग आदि में आराम मिलना, कष्ट में कमी होना, रोग-नाश, आरोग्य-लाभ, सेहत पाना, बीमारी या रोग का स्वास्थ्य की ओर परिवर्तन; फिर से होश में आना; आरोग्योन्मुखता; सँभल लेना।
इ$फा$कत (अ़.स्त्री.)-दे.-'इ$फा$क:Ó।
इ$फा$का (अ़.पु.)-दे.-'इ$फा$क:Ó, वही उच्चारण शुद्घ है।
इ$फाज़: (अ़.पु.)-हत्या करना, मार डालना, हलाक करना। इसका 'ज़Ó उर्दू के 'ज़ोयÓ अक्षर से बना है।
इ$फाज़: (अ़.पु.)-कीर्ति पहुँचाना, यश पहुँचाना, $फैज़ पहुँचाना; बहुत अधिक दान करना। इसका 'ज़Ó उर्दू के 'ज़्वादÓ अक्षर से बना है।
इ$फाज़त (अ़.स्त्री.)-दे.-'इ$फाज़:Ó।
इ$फाद: (अ़.स्त्री.)-$फायदा पहुँचाना, विद्या आदि का लाभ पहुँचाना।
इ$फादत (अ़.स्त्री.)-दे.-'इ$फाद:Ó।
इ$फादा (अ़.पु.)-दे.-'इ$फाद:Ó, वही उच्चारण शुद्घ है।
इ$फादी (अ़.वि.)-ऐसी चीज़, जिससे ज्ञान की वृद्घि हो, ज्ञानवर्धक।
इ$फादीयत (अ़.स्त्री.)-उपादेयता, लाभकारिता, $फाइदामन्दी।
इफ़्क (अ़.पु.)-असत्य, मिथ्या, झूठा, मृषा; झूठा इल्ज़ाम, मिथ्या आरोप, लाँछन, बोहतान।
इफ़्$कार (अ़.पु.)-निर्जल व्रत रहना, बिना दाना-पानी के होना, $फा$के से होना।
इफ़्ज़ाअ़ (अ़.पु.)-भय दिखाना, डराना, भयभीत करना, ख़्ाौ$फ दिलाना।
इफ़्ज़ाल (अ़.पु.)-अनुकम्पा, दया, कृपा, करम, मेहरबानी; बढ़ाना, वृद्घि करना।
इफ्ज़़ाह (अ़.पु.)-बुराई करना, निन्दा करना, बदनाम करना; भत्र्सना करना, $फज़ीहत करना, आलोचना करना।
इफ़्तख़्ाार (अ़.पु.)-दे.-'इफ़्ितख़्ाारÓ, वही उच्चारण शुद्घ है।
इफ़्तताह (अ़.पु.)-दे.-'इफ़्ितताहÓ, वही उच्चारण शुद्घ है, खोलना, जारी करना।
इफ़्तरा (अ़.पु.)-दे.-'इफ़्ितराÓ, वही उच्चारण शुद्घ है, कलंक, तुह्मत, आरोप।
इफ़्तरा$क (अ़.पु.)-दे.-'इफ़्ितरा$कÓ, वही उच्चारण शुद्घ है।
इफ़्तरा परदाज़ (अ़.पु.)-दे.-'इफ़्ितरा पर्दाज़Ó, वही उच्चारण शुद्घ है, कलंक लगानेवाला, झूठा आरोप लगाने-वाला।
इफ़्ता (अ़.पु.)-यह बताना कि धर्म के अनुसार अमुक काम कैसा है, $फत्वा देना; धर्माधारित $फत्वा देना।
इफ़्तार (अ़.पु.)-दिन-भर रोज़ा रखने या उपवास करने के उपरान्त सन्ध्या को जल-पान करना, रोज़ा खोलना, रोज़ा अथवा उपवास खोलने के लिए कुछ खाना या पीना।
इफ़्तारी (अ़.स्त्री.)-रोज़ा खोलने की खाद्य-सामग्री, उपवास खोलने का भोजन।
इफ़्ितअ़ाल (अ़.पु.)-आरोप, मिथ्या लाँछन, झूठी बदनामी, बोहतान।
इफ़्ितकाक (अ़.पु.)-अलग होना, जुदा होना, पृथक् होना; पृथकता, अलहदगी।
इफ़्ित$काद (अ़.पु.)-दया करना, कृपा करना, अनुकम्पा या मेहरबानी करना; खोई हुई वस्तु को तलाशना या ढूँढऩा, अन्वेशन; खोजना, तलाश करना; अनुपस्थित करना, खो देना।
इफ़्ित$कार (अ़.पु.)-साधुता, $फ$कीरी, संन्यास; दरिद्रता, कंगाली; विनीति; आजिज़ी; ख़्वारी, तिरस्कृति।
इफ़्ितख़्ाार (अ़.पु.)-$फख़्ा्र या अभिमान करना, घमण्ड करना; बड़ाई, शान, प्रतिष्ठा, इज़्ज़त; गर्व, गौरव, मान, $फख्ऱ।
इफ़्ितज़ाह (अ़.पु.)-भत्र्सना करना, निन्दा करना, $फज़ीहत करना; निन्दा, भत्र्सना, रुस्वाई, बदनामी।
इफ़्िततान (अ़.पु.)-बतंगड़ करना, झगड़े में डाल देना; झगड़ा खड़ा करना, बवण्डर बनाना।
इफ़्ितताश (अ़.पु.)-छान-बीन करना, जाँच-पड़ताल करना, खोज करना, तफ़्तीश करना।
इफ़्ितताह (अ़.पु.)-खोलना, शुरू या जारी करना, चलाना; अनुष्ठान, उद्घाटन, शुरूअ़ात; प्रारम्भ करना; खुलना।
इफ़्ितताहीय: (अ़.पु.)-सम्पादकीय लेख, अग्र-लेख, एडीटोरियल।
इफ़्ितदा (अ़.पु.)-जान के बदले माल देना, किसी के प्राण ले लेने पर उसके वारिसों अथवा उत्तराधिकारियों को धन देकर राज़ी कर लेना, प्राणों की $कीमत धन से चुकाना।
इफ़्ितरा (अ़.पु.)-झूठा कलंक, मिथ्या आरोप, लाँछन, तोहमत, तुह्मत, झूठा दोषारोपण।
इफ़्ितराक़ (अ़.पु.)-फूट डालना; परस्पर एक-दूसरे को अलग-अलग कर देना; अलग-अलग होना, पृथक् होना; फूट, वैमनस्य, विग्रह, पृथक्ता।
इफ़्ितरा पर्दाज़ (अ़.$फा.वि.)-झूठा आरोप लगानेवाला, झूठा आरोप लगाकर झगड़ा खड़ा कर देनेवाला।
इफ़्ितरार (अ़.पु.)-दाँत निकालना, दाँत चमकाना।
इफ़्ितराश (अ़.पु.)-आलोचना करना, निन्दा करना, बुराई करना, बदगोई करना; टोह लेना, खोज लगाना।
इफ़्ितरास (अ़.पु.)-किसी निशान या चिह्नï से किसी वस्तु को पहचानना; घोड़े पर चढऩा; गर्दन तोडऩा; मार डालना।
इफ़्ितराह (अ़.पु.)-प्रसन्न होना, ख़्ाुश होना, हर्षित होना, ख़्ाुशी मनाना।
इफ्ऩा (अ़.पु.)-नष्ट करना, नाश करना, बरबाद करना, $फना करना।
इफ्ऩान (अ़.पु.)-थोड़ा-थोड़ा लाना।
इफ़्$फ़त (अ़.पु.)-सदाचरण, परहेजग़ारी, पारसाई; बुरे कामों से बचना, सदाचार; पर-स्त्री गमन या पर-पुरुष गमन से बचना; सतीत्व, पातिव्रत्य, शील, इस्मत, अ़स्मत।
इफ़्$फत मअ़ाब (अ़.वि.)-पारसा, सउाचारी; पतिव्रता, सती, बाइस्मत।
इफ्ऱंज (अ़.पु.)-इंगलिस्तान, यूरोप, $िफरंगिस्तान।
इफ्ऱंजी (अ़.वि.)-अंग्रेज़, यूरोपियन, यूरोपवासी।
इफ्ऱात (अ़.स्त्री.)-बहुत अधिकता, विपुलता, बाहुल्य, बहुतात, प्राचुर्य, ज़्यादती।
इफ्ऱातो तफ्ऱीत (अ़.स्त्री.)-कमोबेश, थोड़ा-बहुत, अधिकता और न्यूनता, न्यूनाधिक, तारतम्य।
इफ्ऱाश (अ़.पु.)-आधिक्य और न्यूनता, जि़यादती और कमी।
इफ्ऱाह (अ़.पु.)-प्रसन्न करना, ख़्ाुश काना, हर्षित करना।
इफ्ऱीत (अ़.पु.)-दैत्य, असुर, राक्षस; भूत-प्रेत।
इफ़्लाज (अ़.पु.)-शरीर के किसी अंग का सुन्न हो जाना, $फालिज गिरना, लकवा मारना, सुन्नता।
इफ़्लास (अ़.पु.)-मोहताजी, बेबसी; निर्धनता, $गरीबी, दरिद्रता, कंगाली, धनहीनता, मु$फलिसी।
इफ़्लासज़द: (अ़.$फा.वि.)-कंगाल, दरिद्र, निर्धन, धनाभाव से त्रस्त, मु$फलिस, दरिद्रता से पीडि़त, निर्धनता से दु:खी, कंगाली से त्रस्त।
इफ़्लासज़दगी (अ़.$फा.स्त्री.)-कंगाली, दरिद्रता, निर्धनता, मु$फलिसी।
इफ़्लाह (अ़.पु.)-भलाई करना, हित साधना; नेकी, भलाई, उपकार; मुक्ति, मोक्ष; समृद्घि, ख़्ाुशहाली।
इफ़्शा (अ़.पु.)-ज़ाहिर करना, प्रकट करना, प्रकाश में लाना, $फाश करना। 'इफ़्शाए राज़Ó-रहस्य का उद्घाटन।
इफ़्शाएराज़ (अ़.$फा.पु.)-भेद खुलना, रहस्य प्रकट होना।
इफ़्साद (अ़.पु.)-$फसाद करना, उपद्रव करना, झगड़ा करना; बरबाद करना, तबाह करना, नष्ट करना।
इफ़्हाम (अ़.पु.)-बोध कराना, किसी बात को अच्छी तरह बताना, समझाना। इसका 'हाÓ उर्दू के 'हम्ज़ाÓ अक्षर से बना है।
इफ़्हाम (अ़.पु.)-वाद-विवाद में तर्क द्वारा किसी को चुप करा देना। इसका 'हाÓ उर्दू के 'हेÓ अक्षर से बना है।
इफ़्हामो तफ़्हीम (अ़.पु.)-समझौते की बातचीत; स्वयं समझना और दूसरे को समझाना; विचार-विनिमय।
इफ़्हाश (अ़.पु.)-अश्लील बातें बकना, फुहश बकना, अवाच्यवाद।
इबरत (अ़.स्त्री.)-दे.-'इब्रतÓ, वही उच्चारण शुद्घ है।
इबरतअंगेज़ (अ़.$फा.वि.)-दे.-'इब्रत अंगेज़Ó, वही शुद्घ है, सीख देनेवाली बात, शिक्षाप्रद घटना।
इबरा (अ़.पु.)-दे.-'इब्राÓ, वही उच्चारण शुद्घ है।
इबरानामा (अ़.पु.)-दे.-'इब्रानाम:Ó, वही उच्चारण शुद्घ है।
इबरानी (अ़.स्त्री.)-दे.-'इब्रानीÓ, वही उच्चारण शुद्घ है।
इबरीक़ (अ़.पु.)-दे.-'इब्री$कÓ, वही उच्चारण शुद्घ है।
इबलाग़ (अ़.पु.)-दे.-'इब्लाग़Ó, वही उच्चारण शुद्घ है।
इबलीस (अ़.पु.)-दे.-'इब्लीसÓ, वही उच्चारण शुद्घ है।
इबहाम (अ़.पु.)-दे.-'इब्हामÓ, वही उच्चारण शुद्घ है।
इबा (अ़.पु.)-इन्कार, मना, अस्वीकृति; घिन, न$फरत, घृणा।
इबाद (अ़.पु.)-'अ़ब्दÓ का बहु., टहलुवा, सेवकगण, दास लोग, $गुलाम; ख़्ाुदा के बन्दे, भक्त।
इबादत (अ़.स्त्री.)-ईश्वर की उपासना, पूजा, तप, तपस्या, आराधना, बन्दगी, परस्तिश, नमाज़। 'यहाँ के देवता क्यों भूल जाते हैं ह$की$कत ये, कि जिसका पेट खाली हो करेगा वो इबादत क्याÓ-माँझी
इबादतकद: (अ़.$फा.पु.)-दे.-'इबादतख़्ाान:Ó।
इबादतख़्ाान: (अ़.$फा.पु.)-आराधना या प्रार्थना करने का स्थान, इबादतगाह, उपासना-गृह, मन्दिर, मस्जिद, गुरूद्वारा, गिरजाघर आदि।
इबादतख़्ााना (अ़.$फा.पु.)-दे.-'इबादतख़्ाान:Ó, वही शुद्घ उच्चारण है।
इबादतगाह (अ़.$फा.स्त्री.)-दे.-'इबादतख़्ाान:Ó।
इबादतगुज़ार (अ़.$फा.वि.)-बहुत अधिक पूजा-उपासना करनेवाला, बहुत अधिक इबादत करनेवाला, तप:शील, तपस्वी।
इबारत (अ़.स्त्री.)-लेख-शैली, अक्षर-विन्यास, पदावली; श्रुत-लेख, अनुलेख, इम्ला; लेख, प्रबंध, मज़मून, तहरीर।
इबारत आराई (अ़.$फा.स्त्री.)-शब्द-चित्रण, किसी लेख को अलंकार आदि से सुसज्जित करना, इबारत को पुरतकल्लु$फ बनाना, चित्रण, मज़मून की रंगीनी; शब्दाडम्बर करना, सँवार कर लिखना, लेख में बना-बनाकर शब्द लाना; लेख-चातुर्य।
इबारतजुहरी (अ़.$फा.स्त्री.)-वह इबारत, जो किसी लेख की पीठ पर लिखी गई हो।
इबाहत (अ़.स्त्री.)-किसी कार्य अथवा खान-पान का धर्म के अनुसार विहित होना, धर्मानुकूल, धर्म-सम्मत, न्याय-संगत होना; नियमित करना, जायज़ करना।
इबिल (अ़.पु.)-ऊँट, उष्ट्र, ऊँट-समूह। यह शब्द बहुवचन है मगर इसका एकवचन नहीं है।
इब्अ़ाद (अ़.पु.)-हटाना, दूर करना, दूर फेंकना, परे फेंकना।
इब्क़ा (अ़.पु.)-बचत, शेष; बा$की रखना, बचा लेना।
इब्का (अ़.पु.)-रुलाई, रुदन; रुलाना, रुदित करना।
इब्कार (अ़.पु.)-प्रभात, प्रात:काल, सवेरा, सुबह, भोर।
इब्त (अ़.स्त्री.)-ब$गल, कुक्षि।
इब्तदा (अ़.स्त्री.)-दे.-'इब्तिदाÓ, वही उच्चारण शुद्घ है।
इब्तदाई (अ़.वि.)-दे.-'इब्तिदाईÓ, वही उच्चारण शुद्घ है।
इब्तदाअऩ (अ़.वि.)-दे.-'इब्तिदाअऩÓ, वही उच्चारण शुद्घ है।
इब्ता (अ़.पु.)-देर करना, विलम्ब करना, ढील डालना।
इब्ताल (अ़.पु.)-व्यर्थ कर देना, झूठा करना; झुठलाना, $गलत ठहराना; खण्डन करना, तर्दीद करना; खण्डन, तर्दीद।
इब्तिअ़ाद (अ़.पु.)-परे होना, दूर होना, पक्ष से हटना।
इब्तिकार (अ़.पु.)-नवीन करना, नया करना।
इब्ति$गा (अ़.पु.)-चाहना, इच्छा करना; चाह, इच्छा, अभिलाषा, ख़्वाहिश।
इब्तिज़ाल (अ़.पु.)-व्यर्थ व्यय करना; अधिक व्यय या ख़्ार्च, $फुज़ूलख़्ार्ची, अपव्यय; अश्लीलता, फूहड़पन, $फक्कड़पन, मस्ती, बेहूदा ख़्ार्च कर देना; अविश्वास, हलकापन।
इब्तिदा (अ़.स्त्री.)-आरम्भ, प्रारम्भ, शुरुअ़ात; आदिकाल, इब्तिदाए ज़माना; नींव, उद्गम, निकास।
इब्तिदाअऩ (अ़.वि.)-पहले-पहल, शुरू-शुरू में, आरम्भ में, प्रारम्भ में।
इब्तिदाई (अ़.वि.)-शुरूअ़ाती, शुरू का, आरम्भिक, प्रारम्भिक, पहला, आदिम।
इब्तिला (अ़.पु.)-परीक्षा, आज़माइश, जाँच, परख; कष्ट या दु:ख में डालना; दु:ख, कष्ट, मुसीबत; बला या आ$फत में पडऩा।
इब्तिलाअ़ (अ़.पु.)-सटकना, हल$क में उतारना, निगलना।
इब्तिलाल (अ़.पु.)-तर होना, भीगना।
इब्तिसाम (अ़.पु.)-हँसना, मुस्कुराना; खिलना, प्रफुल्लित होना; फूल का खिलना, विहँसना।
इब्तिहाज (अ़.पु.)-हर्ष, आनन्द, प्रसन्नता, ख़्ाुशी।
इब्तिहाल (अ़.पु.)-रोना, गिड़गिड़ाना, रोना-धोना, कलपना।
इब्दा (अ़.पु.)-प्रकाशित करना, प्रकाश में लाना, प्रकट करना, जाहिर करना, व्यक्त करना; उत्पन्न करना, पैदा करना।
इब्दाअ़ (अ़.पु.)-आविष्कार करना, ऐसी वस्तु बनाना, जो बिलकुल नयी और अनोखी हो, नयी खोज करना।
इब्दाल (अ़.पु.)-बदलना; एक अक्षर को दूसरे अक्षर से बदलना, अक्षरांतरण।
इब्न (इब्न) (अ़.पु.)-लड़का, पुत्र, बेटा।
इब्नत (इब्नत) (अ़.स्त्री.)-लड़की, बेटी, पुत्री, कन्या।
इब्न: (इब्न:) (अ़.पु.)-बनाना, आरम्भ या प्रारम्भ करना, नींव डालना।
इब्नुल अख़्ा (इब्नुल आख़्ा) (अ़.पु.)-भाई का लड़का, भतीजा।
इब्नुल इर्स (इब्नुल इर्स) (अ़.पु.)-नेवला, एक जंगली जन्तु।
इब्नुल उख़्त (इब्नुल उख़्त) (अ़.पु.)-भानजा, बहन का लड़का।
इब्नुल $गैब (इब्नुल गै़ब) (अ़.पु.)-वह लड़का, जिसके पिता का पता नहीं, अज्ञातकुलशील, दोग़ला, जारज।
इब्नुल लबून (इब्नुल लबून) (अ़.पु.)-ऊँट का दूध-पीता बच्चा।
इब्नुल वक़्त (इब्नुल वक़्त) (अ़.पु.)-अवसरवादी, मौ$का-परस्त, अवसरसेवी, वह व्यक्ति जो अपने आपको समय के अनुसार ढाल ले, वह व्यक्ति जो वक़्त को देखकर काम करे, स्वार्थ-साधक।
इब्नुस्सबील (इब्नुस्सबील) (अ़.पु.)-यात्री, पथिक, मुसा$िफर, राहगीर।
इब्ने आवा (इब्ने आवा) (अ़.पु.)-गीदड़, सियार, शृगाल।
इब्ने सुब्ह (इब्ने सुब्ह) (अ़.पु.)-सूर्य, सूरज, भानु।
इब्र: (अ़.पु.)-नाव या जहाज़ का महसूल; राहदारी का महसूल; नदी पार करना; ख़्िाराज। इसकी 'इÓ उर्दू के 'ऐनÓ अक्षर से बनी है।
इब्र: (अ़.स्त्री.)-सुई, सूची। इसकी 'इÓ उर्दू के 'अलि$फÓ अक्षर से बनी है।
इब्रत (अ़.स्त्री.)-नसीहत, बुरी स्थिति से मिलनेवाली शिक्षा; वह मानसिक खेद, जो किसी बड़े आदमी को बुरी अवस्था में या किसी अपराधी को कड़ी सज़ा या दैवी कष्ट में देखकर होता है, परदु:ख-कातरता।
इब्रत अंगेज़ (अ़.$फा.वि.)-सीख देनेवाली बात, शिक्षाप्रद घटना, इब्रत पैदा करनेवाली बात।
इब्रतख़्ोज़ (अ़.$फा.वि.)-ऐसी बात, जिससे सीख मिले या इब्रत पैदा हो।
इब्रतनाक (अ़.$फा.वि.)-इब्रत-अंगेज़; भयानक, भयंकर, बहुत सख़्त।
इब्रा (अ़.पु.)-उपेक्षा, अनदेखी, बेज़ारी; पवित्र होना, शुद्घ होना, पाक होना; छोडऩा, बरी करना; अदा करना, चुकता करना; रोगमुक्ति, शि$फा।
इब्रा$क (अ़.पु.)-बिजली गिराना; बिजली का झटका लगना।
इब्राज़ (अ़.पु.)-ज़ाहिर करना, प्रकट करना, सबके सामने लाना।
इब्रानाम: (अ़.$फा.पु.)-वह पत्र, जिसके अनुसार कोई छोड़ा या बरी किया जाए।
इब्रानामा (अ़.$फा.पु.)-दे.-'इब्रानाम:Ó, वही शुद्घ है।
इब्रानी (अ़.स्त्री.)-शाम (वर्तमान में सीरिया) देश की एक प्राचीन भाषा, इब्री; यहूदी।
इब्राम (अ़.पु.)-मज़बूत करना, दृढ़ करना; रस्सी बँटना; दु:खित करना; कष्ट देना; परेशान करना।
इब्रार (अ़.पु.)-भलाई करना; दान करना, बख़्िशश करना; यश देना; प्रशंसा करना।
इब्राहीम (अ़.पु.)-एक पै$गम्बर, जिसे नम्रूद ने आग में भस्म करना चाहा मगर वह आग का समुद्र उनके लिए महकता हुआ उपवन बन गया।
इब्री (अ़.स्त्री.)-दे.-'इब्रानीÓ।
इब्री$क (अ़.पु.)-चमड़े से बना एक प्रकार का टोंटीदार लोटा; शराब या मदिरा का जग, सुराही।
इब्रीज़ (अ़.पु.)-खरा सोना और चाँदी।
इब्रीज (अ़.स्त्री.)-दही बिलोने की रई, मथानी।
इब्रेशम (अ़.पु.)-रेशम, कौशेय; कच्चा रेशम, रेशम का कोया।
इब्ल (अ़.पु.)-ऊँट, उष्ट्र। दे.-'इबिलÓ, दोनों शुद्घ हैं।
इब्ला$ग (अ़.पु.)-पहुँचाना, भेजना, प्रेषित करना।
इब्लीस (अ़.पु.)-जो ईश्वर की दया से वंचित हो; शैतान, दैत्य, राक्षस।
इब्सार (अ़.पु.)-देखना, आलोकन, अवलोकन।
इब्हाम (अ़.पु.)-खोलकर न कहना, चुपके से कहना; चुपके से छोड़ देना; पट भेडऩा, द्वार बन्द करना; अँगूठा; निगूढ़ता, क्लिष्टता, इग़्ला$क।
इमकान (अ़.पु.)-दे.-'इम्कानÓ, वही उच्चारण शुद्घ है।
इमदाद (अ़.स्त्री.)-दे.-'इम्दादÓ, वही उच्चारण शुद्घ है।
इमरोज़ ($फा.पु.)-दे.-'इम्रोज़Ó या 'इम्रोज़Ó, वही शुद्घ हैं।
इमरोजफ़ऱदा (अ़.$फा.स्त्री.)-दे.-'इम्रोज़$फर्द:Ó।
इमला (अ़.पु.)-दे.-'इम्लाÓ, वही उच्चारण शुद्घ है।
इमलाक (अ़.पु.)-दे.-'इम्लाकÓ, वही उच्चारण शुद्घ है।
इमशब ($फा.स्त्री.)-दे.-'इम्शबÓ, वही उच्चारण शुद्घ है।
इमसाक (अ़.पु.)-दे.-'इम्साकÓ, वही उच्चारण शुद्घ है।
इमसाल (अ़.पु.)-दे.-'इम्सालÓ, वही उच्चारण शुद्घ है।
इमा (अ़.स्त्री.)-'अमतÓ का बहु., लौंडिय़ाँ, दासियाँ, कनीज़ें।
इमाद: (अ़.पु.)-खम्बा, स्तम्भ, सुतून।
इमाद (अ़.पु.)-'इमाद:Ó का बहु., खम्बे, सुतून; पथ-प्रदर्शक, नेता; इस्लामी धर्म-शास्त्र के ज्ञाता और विद्वान्, धार्मिक नेता; ऊँचे मकान।
इमाम: (अ़.पु.)-एक प्रकार की पगड़ी, सा$फा, उष्णीष।
इमाम (अ़.पु.)-अग्रसर, नेता, पेशवा; नमाज़ पढ़ानेवाला, जो नमाज़ में इमामत करे अर्थात् जो नमाज़ का नेतृत्व करे; धर्म-शास्त्र का ज्ञाता, धर्माचार्य; माला या तस्बीह का वह लम्बा दाना जो सिरे पर गुँधा होता है, सुमेरु।
इमाम ज़ामिन (अ़.पु.)-आठवें इमाम (हज्ऱत अ़ली मूसा रज़ा) का नाम; संरक्षक इमाम। मुहा.-'इमाम ज़ामिन का रुपयाÓ-वह रुपया या सिक्का, जो किसी विदेश जानेवाले के हाथ में इमाम-ज़ामिन के नाम पर इसलिए बाँधा जाता है कि वह सब विपत्तियों से बचा रहे और यात्रा सकुशल समाप्त हो, बाद में वह रुपया दान कर दिया जाता है।
इमामत (अ़.स्त्री.)-नेतृत्व, नेतापन, पेशवाई; नमाज़ पढ़ाना; नमाज़ में इमाम होना, नमाज़ पढ़ाने की नौकरी।
इमामतपेश: (अ़.$फा.वि.)-वह व्यक्ति, जो किसी मस्जिद में नमाज़ पढ़ाकर जीविका चलाता हो।
इमामतपेशा (अ़.$फा.वि.)-दे.-'इमामतपेश:Ó, वही उच्चारण शुद्घ है।
इमामबाड़ा (हि.अ़.$पु.)-वह स्थान, जहाँ मुसलमान ताजिए दफ्ऩ करते या मुहर्रम का उत्सव मनाते हैं; वह मकान, जो विशेष रूप से ताजिय़ादारी के लिए बनाया जाता है।
इमामा (अ़.पु.)-दे.-'इमाम:Ó, वही उच्चारण शुद्घ है।
इमामिय: (अ़.वि.)-शीअ़ा मुसलमान।
इमामे नाति$क (अ़.पु.)-हज़रत इमाम जाÓ$फरे सादि$क, अभिभाषक-इमाम, उपदेशक-धर्मगुरु।
इमारत (अ़.स्त्री.)-वैभव, शान-शौकत; धनाढ्यता, धन-सम्पन्नता, मालदारी; शासन, राज्य, हुकूमत; वह प्रदेश, जो किसी अमीर के शासन में हो। इसकी 'इÓ उर्दू के 'अलि$फÓ अक्षर से बनी है।
इमारत (अ़.स्त्री.)-बड़ा और पक्का मकान, बना हुआ मकान, भवन, बिल्डिंग। इसकी 'इÓ उर्दू के 'ऐनÓ अक्षर से बनी है। 'इमारत खड़ी होनाÓ-मकान बन जाना।
इमाल: (अ़.पु.)-$फार्सी या अऱबी भाषा में किसी शब्द के 'अलि$फÓ को 'येÓ बना देना, जैसे-'किताबÓ को 'कितेबÓ कर देना।
इम्अ़ान (अ़.पु.)-$गौर से देखना, गहन दृष्टि डालना, ध्यान से अवलोकन करना; ख़्ाूब $गौर करना, गहराई से सोचना।
इम्अ़ाने नज़र (अ़.पु.)-सूक्ष्म-दृष्टि, गहरी दृष्टि, $गाइर नज़र, बारीक नजऱ।
इम्काँ (अ़.पु.)-दे.-'इम्कानÓ।
इम्कान (अ़.पु.)-हो सकने की अवस्था या भाव; सम्भावना, मुमकिन होना; शक्ति, वश, अधिकार, सामथ्र्य, शक्ति, मजाल, मक़्दूर, $काबू। मुहा.-'हत्तुल इम्कानÓ-यथासाध्य, यथासम्भव हो।
इम्ज़ा (अ़.पु.)-आदेश जारी करना; किसी का$गज़ पर मोहर लगाना और हस्ताक्षर करना।
इम्तनाअ़ (अ़.पु.)-दे.-'इम्तिनाअ़Ó, वही उच्चारण शुद्घ है।
इम्तनाई (अ़.वि.)-दे.-'इम्तिनाईÓ।
इम्तहान (अ़.पु.)-दे.-'इम्तिहानÓ, वही उच्चारण शुद्घ है।
इम्ताअ़ (अ़.पु.)-लाभ पहुँचाना, $फायदा करना।
इम्तार (अ़.पु.)-वर्षा होना, पानी बरसना।
इम्ति$काअ़ (अ़.पु.)-रंग फीका पड़ जाना, रंग उतर जाना, बदरंग हो जाना, (ला.)-भेद खुल जाना; प्रतिष्ठा में कमी आना।
इम्तिख़्ााख़्ा (अ़.पु.)-हड्डी से गूदा निकालना।
इम्तिज़ाज (अ़.पु.)-मिलाना, मिश्रित करना; मिलावट, मिश्रण।
इम्तिदाद (अ़.पु.)-खिंचा हुआ होना; दीर्घता, लम्बाई, विस्तार, तूल, दराज़ी।
इम्तिदादे ज़मान: (अ़.पु.)-अधिक समय बीत जाना, दीर्घकालीनता।
इम्तिना (अ़.पु.)-दे.-'इम्तिनाअ़Ó, वही उच्चारण शुद्घ है।
इम्तिनाअ़ (अ़.पु.)-मना करना, कोई काम न करने देना, रोक, निषेध, प्रतिबन्ध, मनाही।
इम्तिनाई (अ़.वि.)-रोकनेवाला, मनाही करनेवाला, निषेध से सम्बन्ध रखनेवाला, जैसे-'हुक्मे इम्तिनाईÓ-मनाही की आज्ञा।
इम्तिनाए शराब (अ़.पु.)-मद्य-निषेध, शराबबन्दी, मदिरा-रोक।
इम्तिनान (अ़.पु.)-अच्छी-अच्छी नेमतें (वस्तुएँ) देना; किसी पर एहसान रखना, कृपा करना, कृतज्ञ करना।
इम्तियाज़ (अ़.पु.)-तमीज़ करना, एक-जैसी दो चीज़ों में गुण-दोष के आधार पर भेद करना; एक को दूसरे पर तर्जीह; परीक्षा में विद्यार्थियों को अच्छे नम्बर लाने के फलस्वरूप डिस्टिंकशन, विशेष योग्यता; विवेक, तमीज़; मुख्यता, ख़्ाुसूसियत।
इम्तियाजऩाम: (अ़.$फा.पु.)-अधिकार-पत्र, लाइसेंस।
इम्तियाजऩामा (अ़.$फा.पु.)-दे.-'इम्तियाजऩाम:Ó, वही शुद्घ उच्चारण है।
इम्तियाज़ी (अ़.वि.)-ख़्ाास, विशेष, मुख्य, ख़्ाुसूसी।
इम्तिराश (अ़.पु.)-उचक लेना, छीनकर भागना।
इम्तिला (अ़.पु.)-बदहज़मी, अजीर्ण; पेट में खाद्य-पदार्थ का अधिक हो जाना; पेट का अधिक भर जाना, आध्मान, अफारा।
इम्तिशात (अ़.पु.)-बालों में कंघी करना।
इम्तिसाल (अ़.पु.)-आज्ञा-पालन, $फर्माबरदारी।
इम्तिसालए अम्र (अ़.पु.)-आज्ञा-पालन करना, हुक्म मानना।
इम्तिसालए हुक्म (अ़.पु.)-दे.-'इम्तिसालए अम्रÓ।
इम्तिसास (अ़.पु.)-चूसना, चूषण।
इम्तिहात (अ़.पु.)-नाक सा$फ करना।
इम्तिहान (अ़.पु.)-किसी व्यक्ति या वस्तु की परीक्षा, जाँच; परख; विद्यार्थियों की परीक्षा, पढ़ाई की जाँच।
इम्तिहाल (अ़.पु.)-मोहलत देना, छूट देना, छुट्टी देना।
इम्दाद (अ़.स्त्री.)-मदद या सहायता करना, सहयोग देना; वह धन, जो सहायता के रूप में दिया जाए।
इम्दाद ए बाहमी (अ़.$फा.स्त्री.)-सहकारिता, मिल-जुलकर काम करना।
इम्दादे बाहमी (अ़.$फा.स्त्री.)-दे.-'इम्दाद ए बाहमीÓ।
इम्बिसात (अ़.पु.)-हर्ष, प्रसन्नता, आनन्द; उत्फुल होना, फूल आदि का खिलना, विहँसना।
इम्रा (अ़.पु.)-पेट में अन्न का पचना, खाना हज़म होना।
इम्रान (अ़.पु.)-आबादी, जनसंख्या।
इम्रार (अ़.पु.)-गुज़ारना; गुज़रवाना।
इम्रोज़: ($फा.वि.)-'इम्रोज़:Ó, आज का, आज के दिन का।
इम्रोज़ ($फा.पु.)-'इम्रोज़Ó, आज, अद्य, आज का दिन।
इम्रोज़$फर्द: (अ़.$फा.स्त्री.)-टालमटोल, हीला-हवाला, आज-कल करना। 'इम्रोज़$फर्द: करनाÓ=टालना, आज-कल करना।
इम्ल: (अ़.पु.)-काम, मज़दूरी।
इम्ला (अ़.स्त्री.)-लिपि के अनुसार शब्द लिखना, शब्दों को उनके ठीक रूप में और शुद्घ लिखना, वर्ण-विचार; अक्षर-विन्यास, अक्षर-लेखन, इबारत; श्रुत-लेख, अनुलेख; वह अनुलेख, जो बच्चों को पुस्तक दिखाए बिना लिखाया जाता है; भरना।
इम्ला$क (अ़.पु.)-$गरीबी, दरिद्रता, धनहीनता, कंगाली; $फ$कीरी, साधुता।
इम्लाक (अ़.पु.)-किसी को किसी वस्तु का स्वामी बनाना, मालिक बनाना; सम्पत्ति, जायदाद; भू-सम्पत्ति, भवन आदि।
इम्लाक $गैरमनकूला (अ़.स्त्री.)-अचल सम्पत्ति।
इम्लाक मनकूला (अ़.स्त्री.)-चल-सम्पत्ति।
इम्लाल (अ़.पु.)-दु:खित करना, मुलूल करना।
इम्लास (अ़.पु.)-गर्भपात, पेट गिराना, भ्रूणपात।
इम्लाह (अ़.पु.)-नमकीन करना, नमक मिलाना।
इम्शब ($फा.स्त्री.)-आज की रात, आज रात।
इम्सा (अ़.पु.)-रात कर देना; अवस्था में परिवर्तन होना, हाल बदल जाना।
इम्साक (अ़.पु.)-रोकना, बन्द करना, रुकाव; वीर्य को स्खलित न होने देना, स्तम्भन, बंधेज।
इम्साल ($फा.पु.)- अब की साल, इस वर्ष, मौजूदा साल। इसका 'सÓ उर्दू के 'सीनÓ अक्षर से बना है।
इम्साल (अ़.पु.)-नाक-कान काटना। इसका 'सÓ उर्दू के 'सेÓ अक्षर से बना है।
इम्सास (अ़.पु.)-छूना, स्पर्श करना; मर्दन, मसलना।
इम्हाल (अ़.पु.)-समय देना, मोहलत देना।
इयाँ (अ़.पु.)-खुला हुआ, प्रकट, व्यक्त, स्पष्ट, ज़ाहिर (अय़ाँ)।
इयाज़ (अ़.स्त्री.)-त्राण, रक्षा, शरण, पनाह।
इयादत (अ़.स्त्री.)-मिज़ाजपुर्सी, रोगी का हाल पूछने और उसे ढारस देने के लिए उसके पास जाना। 'इयादत को जानाÓ-बीमार का हाल-चाल पूछने के लिए जाना।
इयाब (अ़.पु.)-लौटना, वापस आना, प्रत्यागमन।
इयाबोज़हाब (अ़.पु.)-आना-जाना, यातायात।
इयारिज (अ़.पु.)-एलुआ, गुआरपाठा (घीकुआर) का सुखाया हुआ रस।
इयाल (अ़.पु.)-जोरू, बाल-बच्चे (अय़ाल)।
इयालत (अ़.स्त्री.)-रखवाली करना, निरीक्षण; दण्ड देना, सज़ा देना; डाँट-फटकार करना। इसकी 'इÓ 'अलि$फÓ अक्षर से बनी है।
इयालत (अ़.स्त्री.)-बाल-बच्चोंवाला होना। इसकी 'इÓ उर्दू के 'ऐनÓ अक्षर से बनी है।
इयालदार (अ़.पु.)-गृहस्थ, बाल-बच्चेवाला, कुनबेवाला।
इयालदारी (अ़.स्त्री.)-इयालदार होना, गृहस्थी होना। 'इयालदारी में फँसनाÓ=गृहस्थी के जंजाल में फँसना।
इयास (अ़.पु.)-निराश होना, हिम्मत हार बैठना, नाउम्मीद होना, आस खो बैठना।
इर$काम (अ़.पु.)-दे.-'इ$र्कामÓ, वही उच्चारण शुद्घ है।
इर$फान (अ़.पु.)-दे.-'इ$र्फानÓ, वही शुद्घ उच्चारण है।
इरम (अ़.पु.)-'आदÓ नाम की $कौम का नगर; 'आदÓ नामक व्यक्ति का पिता; वह कृत्रिम स्वर्ग, जो शद्दाद ने बनाया था; स्वर्ग, बिहिश्त। 'अब तो आँखों में गुलिस्ताने-इरम चुभता है, क्यों न अय मौजे-सबा ख़्ााक उड़ा दी जाएÓ- माँझी।
इरशाद (अ़.पु.)-दे.-'इर्शादÓ, वही शुद्घ उच्चारण है।
इरस (अ़.स्त्री.)-दे.-'इर्सÓ, वही शुद्घ उच्चारण है।
इरसाल (अ़.पु.)-दे.-'इर्सालÓ, वही शुद्घ उच्चारण है।
इराअ़त (अ़.स्त्री.)-प्रदर्शन करना, दिखाना, नुमाइश करना।
इरा$क: (अ़.पु.)-पानी या कोई दूसरी पतली चीज़ गिराना।
इरा$क (अ़.पु.)-पूर्वी अऱब का एक देश, जिसकी राजधानी 'ब$गदादÓ है।
इरा$कत (अ़.स्त्री.)-दे.-'इरा$क:Ó।
इरा$की (अ़.पु.)-इरा$क का घोड़ा, अऱबी घोड़ा। कहा.-'इरा$की पर बा न चला, गधैया के कान उमेठेÓ=ज़बरदस्त पर $काबू न चला तो कमज़ोर को सज़ा देने लगे।
इराग़: (अ़.पु.)-दे.-'इरा$गतÓ।
इराग़त (अ़.पु.)-माँगना, तलब करना, $फर्माइश करना।
इराद: (अ़.पु.)-निश्चय, संकल्प, विचार, $कस्द, तहैया; इच्छा, ख़्वाहिश।
इरादत (अ़.स्त्री.)-विश्वास, श्रद्घा, आस्था, एति$काद।
इरादत केश (अ़.$फा.वि.)-विश्वासी, श्रद्घालु, आस्थावान्, श्रद्घावान्, मोÓत$िकद; भक्त, नियाज़मन्द।
इरादतन (अ़.वि.)-जान-बूझकर, इरादे से, $कस्दन, इच्छा-पूर्वक।
इरादतमन्द (अ़.$फा.वि.)-दे.-'इरादत केशÓ।
इरादा (अ़.पु.)-दे.-'इराद:Ó, वही उच्चारण शुद्घ है।
इरादी (अ़.$वि.)-इरादे का, इरादे से सम्बन्धित।
इरा$फ (अ़.पु.)-स्वर्ग और नरक के बीच का लोक।
इराबत (अ़.स्त्री.)-सन्देह करना, शक करना; किसी को सन्देह में डालना।
इराहत (अ़.स्त्री.)-मरना; किसी चीज़ की बू सूँघना; नापाक होना, अपवित्र होना; सुख देना; तृप्त होना।
इअऱ्ाश (अ़.पु.)-दूसरे को कँपाना, भयभीत करना।
इ$र्क (अ़.स्त्री.)-स्नायु, पट्ठा, रग।
इ$र्क उन्निसा (अ़.स्त्री.)-दे.-'इ$र्कुन्निसाÓ, वही उच्चारण शुद्घ है।
इर्काज़ (अ़.पु.)-बच्चे में पेट का फिरना।
इ$र्काम (अ़.पु.)-लेखन, लेखन-कार्य, लिखना।
इ$र्कास (अ़.पु.)-उछालना; बच्चे को खेल में लगाना; ऊँट को भगाना।
इ$र्कुन्नसा (अ़.स्त्री.)-वह दर्द, जो चूतड़ से एड़ी तक उठता है, कुलंग, गृध्रसी, स्नायु-शूल, साइटिका, नर्वस-पेन।
इख्ऱ्ाा (अ़.पु.)-शिथिल करना, ढीला करना; छोड़ देना।
इख्ऱ्ाास (अ़.पु.)-भाव गिराना, सस्ता करना, मोल या मूल्य कम करना।
इ$र्गाम (अ़.पु.)-बे-इज़्ज़त करना, अपमानित करना, ज़लील करना, तिरस्कृत करना; नाक रगड़वाना।
इर्जा (अ़.पु.)-आशान्वित करना; फेंकना; रास्ते का ख़्ात्म के $करीब आना, मार्ग का अंतिम छोर।
इजऱ्ा (अ़.पु.)-मनाना, राज़ी करना।
इर्जाअ़ (अ़.पु.)-आकृष्ट करना, रजूअ़ करना, मुतवज्जेह करना।
इजऱ्ाअ़ (अ़.पु.)-स्तनपान कराना, स्त्री का बच्चे को दूध पिलाना।
इर्तकाब (अ़.पु.)-दे.-'इर्तिकाबÓ, वही उच्चारण शुद्घ है।
इर्तबात (अ़.पु.)-दे.-'इर्तिबातÓ, वही उच्चारण शुद्घ है।
इर्तिअ़ाद (अ़.पु.)-कम्पन, कँपकँपाहट, थरथरी, लजिऱ्श।
इर्तिअ़ाश (अ़.पु.)-काँपना, थरथराना; कँपकँपी, कम्पन, लजऱ्ा।
इर्तिका (अ़.पु.)-ऊपर चढऩा, उन्नति करना।
इर्तिकाज़ (अ़.पु.)-मर्दन करना, रगडऩा; भरोसा करना। इसका 'ज़Ó उर्दू के 'ज़ेÓ अक्षर से बना है।
इर्तिकाज़ (अ़.पु.)-पेट में घूमना, बच्चे का पेट में हरकत करना। इसका 'ज़Ó उर्दू के 'ज़्वादÓ अक्षर से बना है।
इर्तिकाब (अ़.पु.)-अवैध काम शुरू करना; किसी बुरे काम की शुरुअ़ात करना; पाप करना, गुनाह करना; किसी चीज़ पर सवार होना; इख़्ितयार करना, ग्रहण करना, पसन्द करके लेना।
इर्ति$काब (अ़.पु.)-आशा करना, उम्मीद रखना।
इर्तिकाब ए गुनाह (अ़.$फा.पु.)-गुनाह करना, पाप करना।
इर्तिकाब ए जुर्म (अ़.पु.)-अपराध करना, $कुसूर करना।
इर्तिख़्ाास (अ़.पु.)-$कीमत कम कराकर ख़्ारीदना, भाव गिराकर मोल लेना, सस्ता ख़्ारीदना।
इर्तिजा (अ़.पु.)-आशान्वित होना, आशा रखना।
इर्तिज़ा (अ़.पु.)-प्रसन्न होना, ख़्ाुश होना, राज़ी होना; पसन्द करना।
इर्तिजाअ़ (अ़.पु.)-वापस करना, लौटाना, फिराना।
इर्तिज़ाअ़ (अ़.पु.)-शिशु का स्तनपान करना, स्त्री की छाती से बच्चे का दूध पीना।
इर्तिजाज (अ़.पु.)-थरथराना, कँपकँपाना; हिलना, डोलना।
इर्तिजाल (अ़.पु.)-बिना सोचे तुरन्त ही किसी विषय पर बोलने लगना, आशुभाषण; बिना सोचे तुरन्त ही कविता करना, आशु-कविता; किसी काम को तुरन्त ही कर देना, किसी कार्य का चटपट निष्पादन।
इर्तिजालन (अ़.वि.)-बिना सोचे-विचारे, आशु-गति से, $िफलबदीह, इर्तिजाल के रूप में।
इर्तिताम (अ़.पु.)-दलदल में फँसना; गिरिफ़्तार होना; नीचे आना; कीचड़ में कोई चीज़ फेंकना।
र्इिर्तदा (अ़.पु.)-चादर ओढऩा।
इर्तिदाद (अ़.पु.)-धर्मांतरण, धर्म-परिवर्तन, अपना धर्म छोड़का दूसरा धर्म अपना लेना।
इर्ति$फाअ़ (अ़.पु.)-ऊँचा उठना; $गल्ला उठाना; कहीं से निकलना; लगान; देश या राष्ट्र की आय; ऊँचाई।
इर्ति$फा$क (अ़.पु.)-दोस्ती निभाना, साथ देना; कोहनी का तकिया लगाना; कोहनी पर टेक लगाना।
इर्तिबात (अ़.पु.)-एक चीज़ को दूसरी से बाँधना; मेल-मिलाप; मैत्री, दोस्ती, रब्त, मेल-जोल।
इर्तिबाह (अ़.पु.)-व्यापार में ब्याज लेना।
इर्तियाद (अ़.पु.)-माँगना, तलब करना; ढँूढऩा, खोज लगाना।
इर्तियाब (अ़.पु.)-शंका पैदा करना, शक में डालना, सन्देह की स्थिति बनाना।
इर्तियाश (अ़.पु.)-अवस्था का अच्छा होना, हालत सुधरना।
इर्तियाह (अ़.पु.)-ख़्ाुश होना, मुदित होना, हर्षित होना, प्रसन्न होना।
इर्तिशा (अ़.पु.)-घूस लेना, रिश्वत लेना, उत्कोच ग्रहण करना।
इर्तिशा$फ (अ़.पु.)-चूसन, चूसना।
इर्तिसाम (अ़.पु.)-चित्र बनाना, चित्रित करना।
इर्तिहान (अ़.पु.)-कोई चीज़ अपने पास गिरवी रखना, रेहन की वस्तु अपने पास धरना।
इर्तिहाल (अ़.पु.)-किसी वस्तु को एक जगह से उठाना; कहीं जाना; कूच करना, प्रस्थान करना।
इर्द-गिर्द ($फा.वि.)-आस-पास, चारों ओर, इधर-उधर, चहँुपास, चारों तर$फ।
इर्दा (अ़.पु.)-मार डालना।
इ$र्फान (अ़.पु.)-बुद्घि, ज्ञान, विवेक ($फा.पु.)-ब्रह्मïज्ञान, ब्रह्मï के साथ तादात्म्य, माÓरि$फत; ईश्वर को पहचानना, ख़्ाुदा-शनासी।।
इर्ब (अ़.स्त्री.)-ज़रूरत, आवश्यकता।
इर्मन (अ़.पु.)-एक देश, काकेशिया।
इर्मनी (अ़.वि.)-इर्मन का निवासी, काकेशियन।
इर्मा$ग (अ़.पु.)-पाख़्ााना निकल जाना, हग मारना।
इर्माज़ (अ़.पु.)-गर्म रेत से जलना।
इर्वा (अ़.पु.)-पानी देना, सेराब करना, तृप्त करना।
इर्शाद (अ़.पु.)-आदेश देना, आज्ञा देना, हुक्म देना; सीधा रास्ता दिखाना; दीक्षा देना; हिदायत करना; आज्ञा, हुक्म; दीक्षा, किसी पीर की हिदायत, धर्मगुरु का उपदेश। 'इर्शाद करना या $फरमानाÓ-हुक्म देना, कहना। 'इर्शाद बजा लानाÓ-हुक्म की तामील करना, आज्ञा का पालन करना। 'हस्बे इर्शादÓ-आदेशानुसार।
इर्शाश (अ़.पु.)-धीमी वर्षा होना, फुहार पडऩा; आँसू गिरना; ख़्ाून टपकना।
इर्स (अ़.स्त्री.)-किसी काम का पुश्त दर पुश्त चलना, ख़्ाानदानी पेशा, मीरास, जो किसी के मरने पर मिले; मूल, असल; राख; जलने के बाद बा$की बची हुई वस्तु; परम्परा, पूर्व-प्रचलित मान्यता।
इर्साद (अ़.पु.)-देखभाल, निरीक्षण, निगरानी।
इर्साल (अ़.पु.)-भेजने की क्रिया या भाव, भेजना, प्रेषण, रवाना करना; भूलना; उपहार, भेंट, तोह$फा।
इल$का (अ़.पु.)-दे.-'इल्$काÓ, वही उच्चारण शुद्घ है।
इलतजा (अ़.स्त्री.)-दे.-'इल्तिजाÓ, वही उच्चारण शुद्घ है।
इलत$फात (अ़.पु.)-दे.-'इल्ति$फातÓ, वही उच्चारण शुद्घ है।
इलल (अ़.पु.)-'इल्लतÓ का बहु.।
इलल आन (अ़.अव्य.)-इस समय तक, अब तक; अद्यापि, अब भी।
इलज़ाम (अ़.पु.)-दे.-'इल्ज़ामÓ, वही उच्चारण शुद्घ है।
इलमास ($फा.पु.)-दे.-'इल्मासÓ, वही शुद्घ है।
इलहा$क (अ़.पु.)-दे.-'इल्हा$कÓ, वही शुद्घ है।
इलहाद (अ़.पु.)-दे.-'इल्हादÓ, वही उच्चारण शुद्घ है।
इलहान (अ़.पु.)-दे.-'इल्हानÓ, वही उच्चारण शुद्घ है।
इलहाम (अ़.पु.)-दे.-'इल्हामÓ, वही उच्चारण शुद्घ है।
इलहाह (अ़.पु.)-दे.-'इल्हाहÓ, वही उच्चारण शुद्घ है।
इलहियात (अ़.पु.)-दे.-'इल्हियातÓ।
इला (अ़.स्त्री.)-उपकार, नेकी, अच्छाई, भलाई; नेÓमत, दिव्य पदार्थ। (सं.स्त्री.)-पृथ्वी; पार्वती; वाणी, सरस्वती; गौ, गाय, धेनु; बुद्घिमती स्त्री।
इला$क: (अ़.पु.)-सूबा, प्रान्त, अ़मलदारी, राज्य, मुल्क, देश, प्रदेश, क्षेत्र, सर्किल, ख़्िात:; सम्बन्ध, सरोकार, वास्ता, लगाव, निस्बत; ताल्लु$का, ज़मींदारी, रियासत, राज; नौकरी का सम्बन्ध। 'इला$कए अ़दालतÓ-न्यायालय का अधिक्षेत्र।
इला$क:दार (अ़.पु.)-नातेदार, रिश्तेदार, सम्बन्धी; बड़ा ज़मींदार, ताल्लुक़ेदार।
इला$क:बंद ($फा.वि.)-ज़ेवर या आभूषण में डोरे डालनेवाला, पटुवा।
इला$क:बंदी ($फा.स्त्री.)-आभूषणों में डोरे डालने का काम, पटुवा का पेशा।
इला$क ए दस्तार (अ़.$फा.पु.)-पगड़ी का तुर्रा या शेला।
इला$का (अ़.पु.)-दे.-'इला$क:Ó, वही उच्चारण शुद्घ है।
इलाज (अ़.पु.)-उपचार, चिकित्सा, दवा-दारू; उपाय, चारा, प्रयत्न, तदबीर, (ला.)-दण्ड, सज़ा।
इलाज पिज़ीर (अ़.$फा.वि.)-जो उपचार से ठीक होने योग्य हो, जो दवा के $काबिल हो, साध्य, उपचार-योग्य।
इलाव: (अ़.अव्य.)-अतिरिक्त, सिवाय। हिन्दी में 'अलावाÓ प्रचलित है।
इलावा (अ़.अव्य.)-दे.-'इलाव:Ó, वही उच्चारण शुद्घ है।
इलाह (अ़.पु.)-भगवान्, ईश्वर, प्रभु, रब, अल्लाह, ख़्ाुदा।
इलाहा (अ़.अव्य.)-हे भगवान्, हे ईश्वर, ए ख़्ाुदा।
इलाही (अ़.अव्य.)-मेरे भगवान्, मेरे ईश्वर, मेरे ख़्ाुदा; ईश्वर, भगवान्, ख़्ाुदा। इलाही तौबाÓ-हे ईश्वर पापों से हमारी रक्षा कर। 'इलाही ख़्ार्चÓ-जहाँ प्रत्यक्षत: आमदनी तो कहीं से हो नहीं मगर ख़्ार्च बहुत अधिक हो।
इलाही गज़ (अ़.$फा.पु.)-अकबर बादशाह का चलाया हुआ एक प्रकार का गज़, जो 33 इंच लम्बा होता है और इमारत आदि बनाने के काम में आता है।
इलाही तौबा (अ़.वा.)-हे ईश्वर पापों से बचा।
इलाहीयात (अ़.स्त्री.)-ईश्वरीय वस्तुएँ या बातें; अध्यात्म, ब्रह्मïज्ञान से सम्बन्धित शास्त्रादि, ब्रह्मï-विद्या।
इलाहीसन् (अ़.पु.)-अकबर बादशाह का चलाया हुआ सन् या सम्वत्।
इलियास (अ़.पु.)-जो हज्ऱत ख्रि़ज़ के भाई एक पै$गम्बर (इन्हें अमर माना गया है, कहते हैं कि ये $कयामत अर्थात् महाप्रलय तक जीवित रहेंगे)।
इल्अ़ाब (अ़.पु.)-खेलना, क्रीड़ा करना।
इल्$का (अ़.पु.)-दैवी शक्ति द्वारा अचानक या अनायास मन में कोई विचार उत्पन्न होना, जिससे अनिष्ट से बचाव अथवा इष्ट के ग्रहण की ओर संकेत हो, इल्हाम, वह बात जो ईश्वर मन में उत्पन्न कर दे; पहुँचाना, डालना।
इल्$गा (अ़.पु.)-डालना, फेंकना; हटाना, निवारण करना; झुठलाना।
इल्जा (अ़.पु.)-बुराई और पाप से बचना; अपने काम को ईश्वरेच्छा पर निर्भर कर देना।
इल्ज़ा$क (अ़.पु.)-चिपकना; चिपकाना।
इल्जाम (अ़.पु.)-घोड़े के मुँह में लगाम देना।
इल्ज़ाम (अ़.पु.)-किसी पर लगनेवाला ऐब, दोष, कलंक, अपराध, जुर्म; अभियोग, दोषारोपण; कोई बात अपने ऊपर या दूसरे पर लाजि़म कर देना अथवा थोंप देना, कलंक लगाना।
इल्ज़ामात (अ़.पु.)-'इल्ज़ामÓ का बहु., दोष-समूह, बहुत-से आरोप, अनेक अपराध, जराइम।
इल्तबास (अ़.पु.)-दे.-'इल्तिबासÓ, वही शुद्घ उच्चारण है।
इल्तमास (अ़.पु.)-दे.-'इल्तिमासÓ, वही शुद्घ उच्चारण है।
इल्ता$फ (अल्ता$फ)(अ़.पु.)-'लुत्$फÓ का बहु., कृपा करना, दया करना, करम करना, मेहरबानी करना।
इल्ति$का (अ़.पु.)-एकत्रित होना, इकट्ठा होना; एक-दूसरे में घुसना; एक-दूसरे को देखना।
इल्ति$कात (अ़.पु.)-बीनना, चुनना; बीन-चुनकर इकट्ठा करना।
इल्ति$काम (अ़.पु.)-कौर करना, निवाला करना।
इल्तिजा (अ़.स्त्री)-प्रार्थना करना, निवेदन करना, दरख़्ाास्त करना; विनय, निवेदन, मिन्नत, प्रार्थना, दरख़्ाास्त; दुहाई देना।
इल्तिज़ा$क (अ़.पु.)-सटना, चिपकना।
इल्तिजाज (अ़.पु.)-लडऩा, युद्घ करना।
इल्तिज़ाज़ (अ़.पु.)-स्वाद लेना, मज़ा चखना; आनन्द लेना, लुत्$फ उठाना।
इल्तिज़ाम (अ़.पु.)-किसी कार्य को अपने ऊपर लाजि़म और अनिवार्य कर लेना, किसी काम को अपने ऊपर थोंप लेना।
इल्ति$फात (अ़.पु.)-कनखियों से देखना; अनुराग; तवज्जुह, प्रवृत्ति, प्रणय-कटाक्ष; कृपाकोर; कृपा, मेहरबानी, अनुग्रह।
इल्तिबास (अ़.पु.)-सदृश होना, एक-सा होना; सदृशता, एकरूपता, समानता, मुशाबहत; दो शब्दों के उच्चारण तो एक होना मगर उनके अर्थ भिन्न-भिन्न होना; जटिलता, पेचीदापन, कठिनता, उलझाव।
इल्तिमाअ़ (अ़.पु.)-चमकना, प्रकाशमान् होना।
इल्तिमास (अ़.स्त्री.)-निवेदन करना, प्रार्थना करना, सवाल करना; निवेदन, प्रार्थना, विनती, गुज़ारिश, सवाल।
इल्तियाअ़ (अ़.पु.)-विरहाग्नि में जलना, प्रेम की अग्नि से हृदय का दाह।
इल्तियात (अ़.पु.)-जोडऩा, मिलाना, चिपकाना।
इल्तियाम (अ़.पु.)-ज़ख़्म का अच्छा होना, घाव का भरना या पुरना; परस्पर पैवस्त होना, जुड़ जाना।
इल्तिवा (अ़.पु.)-चिपटना, लिपटना; स्थगन, रुक जाना, स्थगित होना, मुलतवी होना; आगे के लिए सरकाना, टालना, देर करना।
इल्तिसा$क (अ़.पु.)-चिपकना।
इल्तिसाम (अ़.पु.)-किसी चीज़ को चूमना, चुम्बन लेना।
इल्तिहा (अ़.पु.)-दाढ़ी निकलना।
इल्तिहा$फ (अ़.पु.)-सिर पर कपड़ा ओढऩा।
इल्तिहाब (अ़.पु.)-आग का जोश में आना, अग्नि का भड़कना, आग का लपटें मारना।
इल्$फ (अ़.पु.)-अभ्यस्त होना, अ़ादत पड़ जाना।
इल्$फा$फ (अ़.पु.)-लपेटना।
इल्बाब (अ़.पु.)-बसना, ठहरना, मु$कीम होना।
इल्बास (अ़.पु.)-कपड़े पहनना, वस्त्र धारण करना।
इल्म (अ़.पु.)-विवेक, शऊर; आगाही, परिचय; जानकारी, ज्ञान; शिक्षा, तालीम; विद्या, विज्ञान; शिल्प, दस्तकारी; कला, $फन; बुद्घि, अ़क़्ल।
इल्म ए अख़्ला$क (अ़.पु.)-सभ्यता का विज्ञान, नीति-शास्त्र।
इल्म ए अदब (अ़.पु.)-साहित्य-शास्त्र, साहित्य।
इल्म ए अ़रूज़ (अ़.पु.)-छन्द-शास्त्र, पिंगल।
इल्म ए इंशा (अ़.पु.)-गद्य-रचना-शास्त्र।
इल्म ए इंसा$फ (अ़.पु.)-व्यवहार-शास्त्र।
इल्म ए इलाज (अ़.पु.)-दे.-'इल्मुल इलाजÓ।
इल्म ए इलाहीयात (अ़.पु.)-ब्रह्मï-विद्या, दर्शन-शास्त्र, अध्यात्म-विद्या।
इल्म ए उरूज़ (अ़.पु.)-दे.-'इल्म ए अ़रूज़Ó, वही शुद्घ है।
इल्म ए कय़ा$फ: (अ़.पु.)-सूरत देखकर हाल जानने की विद्या, सामुद्रिक-शास्त्र। दे.-'इल्म ए $िकया$फ:Ó, शुद्घ वही है।
इल्म ए कलाम (अ़.पु.)-मीमांसा, तर्क-शास्त्र।
इल्म ए $का$िफय: (अ़.पु.)-अनुप्रास-शास्त्र।
इल्म ए $िकया$फ: (अ़.पु.)-अंग-विद्या, सामुद्रिक-शास्त्र।
इल्म ए कीमिया (अ़.पु.)-रसायन-शास्त्र।
इल्म ए $गैब (अ़.पु.)-परोक्ष-विद्या, भविष्य-ज्ञान, परोक्ष-ज्ञान; अध्यात्म; ज्योतिष।
इल्म ए जरासीम (अ़.पु.)-कीट-विद्या, कैटिकी, कीटाणु-विज्ञान।
इल्म ए जिमादात (अ़.पु.)-खनिज-विज्ञान, धातु-शास्त्र।
इल्म ए तख़्ली$क (अ़.पु.)-सृष्टि-विज्ञान।
इल्म ए तब$कातुलअजऱ् (अ़.पु.)-भू-गर्भ शास्त्र, भौमिकी, भूगर्भ-विद्या।
इल्म ए तब्ई (अ़.पु.)-पदार्थ-विज्ञान।
इल्म ए तब्ईयात (अ़.पु.)-प्रकृति-विज्ञान, विज्ञान-शास्त्र।
इल्म ए तमद्दुन (अ़.पु.)-नागरिक-शास्त्र।
इल्म ए तवारीख़्ा (अ़.पु.)-इतिहास-शास्त्र, इतिहास-ज्ञान।
इल्म ए तसव्वु$फ (अ़.पु.)-अध्यात्म, ब्रह्मï-विद्या।
इल्म ए तस्ख़्ाीर (अ़.पु.)-वशीकरण-शास्त्र।
इल्म ए तारीख़्ा (अ़.पु.)-दे.-'इल्मुत्तवारीख़्ाÓ।
इल्म ए तिजारत (अ़.पु.)-वाणिज्य-शास्त्र।
इल्म ए तिलिस्म (अ़.पु.)-इन्द्रजाल, जादूगरी, भोज-विद्या।
इल्म ए दस्तबीनी (अ़.$फा.पु.)-हस्त-रेखा-ज्ञान, हस्त-सामुद्रिक-विद्या।
इल्म ए दीन (अ़.पु.)-धर्म-शास्त्र।
इल्म ए नफ़्सीयात (अ़.पु.)-मानस-शास्त्र, मनोविज्ञान-शास्त्र।
इल्म ए नबातात (अ़.पु.)-वनस्पति-शास्त्र, उद्भिज्ज-शास्त्र।
इल्म ए नुजूम (अ़.पु.)-फलित-ज्योतिष, ज्योतिष-विज्ञान, ज्योतिष-शास्त्र।
इल्म ए $फल्स$फ: (अ़.पु.)-दर्शन-शास्त्र, वेदान्त, ब्रह्मïविद्या; विज्ञान, साइंस; पदार्थ-विज्ञान।
इल्म ए $िफक़्$का (अ़.पु.)-इस्लामी-ज्ञान, इस्लामी धर्म-शास्त्र।
इल्म ए बयान (अ़.पु.)-भाषण-कौशल, वर्णन-पटुता, $फसाहतो-बला$गत का इल्म।
इल्म ए बहस (अ़.पु.)-तर्क-शास्त्र।
इल्म ए मंति$क (अ़.पु.)-न्याय-शास्त्र, तर्क-शास्त्र, तर्क-विद्या।
इल्म ए मज्लिस (अ़.पु.)-सभा-चातुरी, सभा में व्यवहार करने की विद्या।
इल्म ए माÓ$कूल (अ़.पु.)-दर्शन-शास्त्र; तर्क-शास्त्र।
इल्म ए माÓदनीयत (अ़.पु.)-खनिज-विज्ञान।
इल्म ए माÓरि$फत (अ़.पु.)-अध्यात्म-ज्ञान।
इल्म ए मुअ़ाशरत (अ़.पु.)-समाज-शास्त्र।
इल्म ए मुनाजऱ: (अ़.पु.)-शास्त्रार्थ-विज्ञान।
इल्म ए मूसी$की (अ़.पु.)-संगीत-शास्त्र, गायन-विद्या, नाद-शास्त्र।
इल्म ए मौजूदात (अ़.पु.)-सृष्टि-विज्ञान।
इल्म ए रियाज़त (अ़.पु.)-योग-शास्त्र।
इल्म ए रियाज़ी (अ़.पु.)-गणित-शास्त्र।
इल्म ए रीमिया (अ़.पु.)-इन्द्रजाल, जादूगरी।
इल्म ए लदुन्नी (अ़.पु.)-ईश्वरदत्त ज्ञान।
इल्म ए लिसानीयात (अ़.पु.)-दे.-'इल्मुल अस्सिन:Ó।
इल्म ए शेÓर (अ़.पु.)-काव्य-शास्त्र।
इल्म ए सनाअ़त (अ़.पु.)-शिल्प-शास्त्र।
इल्म ए सनाए (अ़.पु.)-अलंकारादि-शास्त्र।
इल्म ए सिफ़्ली (अ़.पु.)-पिशाच-विद्या, भूत-विद्या।
इल्म ए सियासत (अ़.पु.)-राजनीति-शास्त्र।
इल्म ए सीमिया (अ़.पु.)-परकाय-प्रवेश-विद्या।
इल्म ए सेहत (अ़.पु.)-स्वास्थ्य-विज्ञान।
इल्म ए हिंदिस: (अ़.पु.)-गणित-शास्त्र, अर्थ-शास्त्र।
इल्म ए हैअ़त (अ़.पु.)-खगोल-विज्ञान।
इल्मदाँ (अ़.$फा.वि.)-इल्म या विद्या जाननेवाला; कला-विशेषज्ञ, विद्वान्, पण्डित, शास्त्रज्ञ, अ़ालिम, $फाजि़ल; विज्ञान-वेत्ता।
इल्मदोस्त (अ़.$फा.वि.)-विद्या से प्रेम करनेवाला; विद्वज्जनों की $कद्र करनेवाला, गुणग्राही।
इल्मास ($फा.पु.)-हीरा।
इल्मियत (अ़.स्त्री.)-दे.-'इल्मीयतÓ, वही उच्चारण शुद्घ है।
इल्मी (अ़.वि.)-विद्या-विषयक, इल्म अथवा ज्ञान से सम्बन्धित; विद्या का, इल्म का; विद्वत्तापूर्ण, $काबिलाना।
इल्मीयत (अ़.स्त्री.)-इल्म की जानकारी होने का भाव, विद्वत्ता, पाण्डित्य, $काबिलीयत, योग्यता; विद्या होना; इल्म होना; ज्ञान, जानकारी।
इल्मुत्तवारीख़्ा (अ़.पु.)-इतिहास-विज्ञान, इतिहास का ज्ञान, तारीख़्ा का इल्म, इतिहासबोध।
इल्मुन्निसा (अ़.पु.)-काम-शास्त्र, कोक-शास्त्र, वह पुस्तक जिसमें सहवास अथवा संभोग क्रिया की विस्तृत जानकारी हो।
इल्मुल अख़्लाक (अ़.पु.)-नीति-शास्त्र, नीति, सभ्यता का विज्ञान।
इल्मुल अग्ज़िय़: (अ़.पु.)-आहार-विज्ञान, भोजन-विज्ञान।
इल्मुल अज्साम (अ़.पु.)-शरीर-विज्ञान।
इल्मुल अद्विय: (अ़.पु.)-औषधि-विज्ञान, वनस्पति-शास्त्र।
इल्मुल अफ़्लाक (अ़.पु.)-अंतरिक्ष-विज्ञान।
इल्मुल अब्दान (अ़.पु.)-दे.-'इल्मुल अज्सामÓ।
इल्मुल अम्राज़ (अ़.पु.)-रोग-निदान-शास्त्र, औषध-शास्त्र।
इल्मुल अर्वाह (अ़.पु.)-प्रेत-विद्या।
इल्मुल अस्सिन: (अ़.पु.)-भाषा-विज्ञान।
इल्मुल अश्जार (अ़.पु.)-वनस्पति-शास्त्र, वृक्षायुर्वेद, निघण्टु-विज्ञान।
इल्मुल आÓज़ा (अ़.पु.)-शरीर-रचना-शास्त्र।
इल्मुल इक़्ितसाद (अ़.पु.)-अर्थ-शास्त्र।
इल्मुल इर्ति$का (अ़.पु.)-विकास-विज्ञान।
इल्मुल इलाज (अ़.पु.)-चिकित्सा-शास्त्र।
इल्मुल $काबिल: (अ़.पु.)-धात्री-विद्या, दायागरी, रोगी-परिचर्या-विज्ञान।
इल्मुल जराहत (अ़.पु.)-शल्य-शास्त्र, शल्य-विद्या।
इल्मुल मिसाहत (अ़.पु.)-रेखा-गणित, ज्यामिति, क्षेत्रगणित।
इल्मुल हयात (अ़.पु.)-जीव-विज्ञान।
इल्मुल हैवान (अ़.पु.)-प्राणी-शास्त्र।
इल्मे अख़्ला$क (अ़.पु.)-दे.-'इल्म ए अख़्ला$कÓ।
इल्मे अदब (अ़.पु.)-दे.-'इल्म ए अदबÓ।
इल्मे अ़रूज़ (अ़.पु.)-दे.-'इल्म ए अ़रूज़Ó।
इल्मे इंशा (अ़.पु.)-दे.-'इल्म ए इंशाÓ।
इल्मे इंसा$फ (अ़.पु.)-दे.-'इल्म ए इंसा$फÓ।
इल्मे इलाज (अ़.पु.)-दे.-'इल्म ए इलाजÓ।
इल्मे इलाही (अ़.पु.)-दे.-'इल्म ए इलाहीयातÓ।
इल्मे इलाहीयात (अ़.पु.)-दे.-'इल्म ए इलाहीयातÓ।
इल्मे उरूज़ (अ़.पु.)-दे.-'इल्म ए अ़रूज़Ó।
इल्मे $कया$फा (अ़.पु.)-दे.-'इल्म ए $िकया$फ:Ó, वही शुद्घ है।
इल्मे कलाम (अ़.पु.)-दे.-'इल्म ए कलामÓ।
इल्मे $का$िफय: (अ़.पु.)-दे.-'इल्म ए $का$िफय:Ó।
इल्मे $िकया$फ: (अ़.पु.)-दे.-'इल्म ए $िकया$फ:Ó।
इल्मे कीमिया (अ़.पु.)-दे.-'इल्म ए कीमियाÓ।
इल्मे गै़ब (अ़.पु.)-दे.-'इल्म ए गै़बÓ।
इल्मे जमादात (अ़.पु.)-दे.-'इल्म ए जिमादातÓ, वही शुद्घ है।
इल्मे जरासीम (अ़.पु.)-दे.-'इल्म ए जरासीमÓ।
इल्मे जिमादात (अ़.पु.)-दे.-'इल्म ए जिमादातÓ।
इल्मे तख़्ली$क (अ़.पु.)-दे.-'इल्म ए तख़्ली$कÓ।
इल्मे तबई (अ़.पु.)-दे.-'इल्म ए तब्ईयातÓ।
इल्मे तब$कातुलअर्ज़ (अ़.पु.)-दे.-'इल्मए तब$कातुलअर्ज़Ó।
इल्मे तब्ईयात (अ़.पु.)-दे.-'इल्म ए तब्ईयातÓ।
इल्मे तमद्दुन (अ़.पु.)-दे.-'इल्म ए तमद्दुनÓ।
इल्मे तवारीख़्ा (अ़.पु.)-दे.-'इल्म ए तवारीख़्ाÓ।
इल्मे तसव्वु$फ (अ़.पु.)-दे.-'इल्म ए तसव्वु$फÓ।
इल्मे तस्ख़्ाीर (अ़.पु.)-दे.-'इल्म ए तस्ख़्ाीरÓ।
इल्मे तिजारत (अ़.पु.)-दे.-'इल्म ए तिजारतÓ।
इल्मे तिलिस्म (अ़.पु.)-दे.-'इल्म ए तिलिस्मÓ।
इल्मे दस्तबीनी (अ़.पु.)-दे.-'इल्म ए दस्तबीनीÓ।
इल्मे दीन (अ़.पु.)-दे.-'इल्म ए दीनÓ।
इल्मे नफ़्सीयात (अ़.पु.)-दे.-'इल्म ए नफ़्सीयातÓ।
इल्मे नबातात (अ़.पु.)-दे.-'इल्म ए नबातातÓ।
इल्मे नुजूम (अ़.पु.)-दे.-'इल्म ए नुजूमÓ।
इल्मे $फल्स$फ: (अ़.पु.)-दे.-'इल्म ए $फल्स$फ:Ó।
इल्मे $िफ$का (अ़.पु.)-दे.-'इल्म ए $िफक़्क़ाÓ, वही शुद्घ है।
इल्मे बयान (अ़.पु.)-दे.-'इल्म ए बयानÓ।
इल्मे बहस (अ़.पु.)-दे.-'इल्म ए बहसÓ।
इल्मे मंत$क (अ़.पु.)-दे.-'इल्म ए मंति$कÓ, वही शुद्घ है।
इल्मे मंति$क (अ़.पु.)-दे.-'इल्म ए मंति$कÓ।
इल्मे मजलिस (अ़.पु.)-दे.-'इल्म ए मज्लिसÓ।
इल्मे माÓ$कूल (अ़.पु.)-दे.-'इल्म ए माÓ$कूलÓ।
इल्मे माÓदनीयात (अ़.पु.)-दे.-'इल्म ए माÓदनीयातÓ।
इल्मे माÓरि$फत (अ़.पु.)-दे.-'इल्म ए माÓरि$फतÓ।
इल्मे मुअ़ाशरत (अ़.पु.)-दे.-'इल्म ए मुअ़ाशरतÓ।
इल्मे मुनाजऱ: (अ़.पु.)-दे.-'इल्म ए मुनाजऱ:Ó।
इल्मे मूसी$की (अ़.पु.)-दे.-'इल्म ए मूसी$कीÓ।
इल्मे मौजूदात (अ़.पु.)-दे.-'इल्म ए मौजूदातÓ।
इल्मे मौसी$की (अ़.पु.)-दे.-'इल्म ए मूसी$कीÓ।
इल्मे रियाज़त (अ़.पु.)-दे.-'इल्म ए रियाज़तÓ।
इल्मे रियाज़ी (अ़.पु.)-दे.-'इल्म ए रियाज़ीÓ।
इल्मे रीमिया (अ़.पु.)-दे.-'इल्म ए रीमियाÓ।
इल्मे लदुन्नी (अ़.पु.)-दे.-'इल्म ए लदुन्नीÓ।
इल्मे लिसानीयात (अ़.पु.)-दे.-'इल्म ए लिसानीयातÓ।
इल्मे शेÓर (अ़.पु.)-दे.-'इल्म ए शेÓरÓ।
इल्मे सनाअ़त (अ़.पु.)-दे.-'इल्म ए सनाअ़तÓ।
इल्मे सनाए (अ़.पु.)-दे.-'इल्म ए सनाएÓ।
इल्मे सिफ़्ली (अ़.पु.)-दे.-'इल्म ए सिफ़्लीÓ।
इल्मे सियासत (अ़.पु.)-दे.-'इल्म ए सियासतÓ।
इल्मे सीमिया (अ़.पु.)-दे.-'इल्म ए सीमियाÓ।
इल्मे सेहत (अ़.पु.)-दे.-'इल्म ए सेहतÓ।
इल्मे हिंदिस: (अ़.पु.)-दे.-'इल्म ए हिंदिस:Ó।
इल्मे हिन्दसा (अ़.पु.)-दे.-'इल्म ए हिंदिस:Ó, वही शुद्घ है।
इल्मे हैयत (अ़.पु.)-दे.-'इल्म ए हैयतÓ।
इल्यास (अ़.पु.)-इस्लाम मतानुसार एक पै$गम्बर, जो सदा जीवित रहेंगे अर्थात् इन्हें अमर माना गया है, यह समुद्रों के संरक्षक हैं।
इल्ल (अ़.पु.)-वचन, प्रतिज्ञा, पैमान; शरण, सुरक्षा, अमान, हि$फाज़त; शपथ, सौगन्ध, $कसम।
इल्लत (अ़.स्त्री.)-वजह, कारण, हेतु, सबब; कष्ट, रोग, कष्ट, बीमारी; दुव्र्यसन, बुरी लत, बुरी अ़ादत, बुरी टेब; झंझट, झगड़ा, बखेड़ा; त्रुटि, कमी; रद्दी या वाहियात चीज़, कूड़ा-करकट, नाकारा या बेकार वस्तु; दोष, अपराध, इल्ज़ाम; जुर्म, गुनाह, पाप।
इल्लत ए आफ़्ताब (अ़.स्त्री.)-कमल-रोग, पाण्डु-रोग, पीलिया रोग, यर$कान।
इल्लत ए उबन: (अ़.स्त्री.)-दे.-'इल्लतुल मशाइख़्ाÓ।
इल्लत ए $गाई (अ़.स्त्री.)-मूल कारण, निदान, अस्ल सबब, जिस कारण के लिए कोई काम किया जाए अथवा जिस कारण से कोई काम हुआ हो।
इल्लत ए ताम्म: (अ़.स्त्री.)-पूरा कारण, कामिल सबब, पूर्ण हेतु।
इल्लत ए $फाइली (अ़.स्त्री.)-किसी कार्य का कारण, जैसे- मकान के लिए राज।
इल्लत ए सूरी (अ़.स्त्री.)-प्रत्यक्ष कारण, नजऱ आनेवाला अथवा दृष्टिगोचर होनेवाला कारण, ज़ाहिरी इल्लत, जैसे- मकान का आकार।
इल्लती (अ़.पु.)-जिसे कोई बुरी अ़ादत या लत लग गयी हो, लतियल, दुव्र्यसनी।
इल्लतुल इलल (अ़.स्त्री.)-मूल कारण, निदान, सारे कारणों का कारण; ईश्वर, ख़्ाुदा।
इल्लतुल मशाइख़्ा (अ़.स्त्री.)-बूढ़े लोगोंवाला दुव्र्यसन, गुदादान व्यसन, बुरा काम कराने की लत, भवेसिया।
इल्लते आफ़्ताब (अ़.स्त्री.)-दे.-'इल्लत ए आफ़्ताबÓ।
इल्लते उबन: (अ़.स्त्री.)-दे.-'इल्लत ए उबन:Ó।
इल्लते ग़ाई (अ़.स्त्री.)-दे.-'इल्लत ए ग़ाईÓ।
इल्लते ताम्म: (अ़.स्त्री.)-दे.-'इल्लत ए ताम्म:Ó।
इल्लते $फाइली (अ़.स्त्री.)-दे.-'इल्लत ए फाइलीÓ।
इल्लते सूरी (अ़.स्त्री.)-दे.-'इल्लत ए सूरीÓ।
इल्ला (अ़.स्त्री.)-लेकिन, किन्तु, मगर, परन्तु; नहीं तो, वरना; अतिरिक्त, सिवा। (हिं.पु.)-त्वचा के ऊपर निकली हुई मस्से के समान छोटी फुन्सी।
इल्लिल्लाह (अ़.अव्य.)-हे ईश्वर सहायता कर।
इल्सा$क (अ़.पु.)-सम्मिलित करना, मिलाना, जोडऩा; मूल पुस्तक में ऊपर से कुछ जोड़ देना, क्षेपक; चिपकाना।
इल्हा (अ़.पु.)-झगड़े में डालना।
इल्हा$क (अ़.पु.)-जोडऩा, मिलाना, शामिल करना; मूल पुस्तक में ऊपर से कुछ जोड़ देना, क्षेपक; चिपकाना।
इल्हाद (अ़.पु.)-मज़हब से फिरना, नास्तिकता, बेदीनी, ईश्वर को न मानना।
इल्हान (अ़.पु.)-अच्छी आवाज़ में पढऩा; स्वर-माधुर्य, ख़्ाुश-आवाज़ी; उत्तम-स्वर, अच्छी आवाज़, कण्ठ-माधुर्य; गीत, नग़्म:, गाना।
इल्हाब (अ़.पु.)-आग भड़कना, शोले उठना।
इल्हाम (अ़.पु.)-ईश्वरीय ज्ञान, ईश्वर की ओर से हृदय में आयी हुयी बात; देववाणी, आकाश-वाणी; आत्मा की आवाज़।
इल्हाह (अ़.पु.)-घिघियाना, गिड़गिड़ाना, आजि़जी करना; ख़्ाुशामद, विनती, गिड़गिड़ाहट, अनुनय-विनय, मिन्नत।
इल्हाहोज़ारी (अ़.$फा.स्त्री.)-रोना और गिड़गिड़ाना।
इल्हियात (अ़.पु.)-आध्यात्मिक बातें।
इवज़ (अ़.पु.)-शुद्घ उच्चारण 'एवज़Ó है, बदला, प्रतिकार, मुआवज़ा। 'ब इवज़Ó-के स्थान पर।
इवान ($फा.पु.)-प्रासाद, महल, ऐवान।
इशक ($फा.पु.)-गधा, गदहा, खर।
इशरत (अ़.स्त्री.)-दे.-'इश्रतÓ, वही उच्चारण शुद्घ है।
इशरतकदा (अ़.$फा.पु.)-दे.-'इश्रतकद:Ó, वही शुद्घ है।
इशरतख़्ााना (अ़.$फा.पु.)-दे.-'इश्रतख़्ाान:Ó, वही शुद्घ है।
इशरतसरा (अ़.$फा.पु.)-दे.-'इश्रतसर:Ó, वही शुद्घ है।
इशवा (अ़.पु.)-दे.-'इश्व:Ó, वही शुद्घ उच्चारण है।
इशवाकार (अ़.$फा.वि.)-दे.-'इश्व:कारÓ, वही शुद्घ है।
इशवागर (अ़.$फा.वि.)-दे.-'इश्व:गरÓ, वही शुद्घ है।
इशा (अ़.स्त्री.)-रात्रि, रात; रात का पहला पहर; रात का अँधेरा; रात की नमाज़, इशा की नमाज़, वह नमाज़ जो रात के पहले पहर में पढ़ी जाती है।
इशाअ़त (अ़.स्त्री.)-प्रसिद्घ करना, शोहरत; प्रचार, प्रसार, मुश्तहरी; संस्करण, एडिशन; प्रकटन, ज़ुहूर, प्रकाशन।
इशाकत (अ़.स्त्री.)-गड़ाना, चुभोना।
इशादत (अ़.स्त्री.)-ऊँचे स्वर से पढऩा।
इशार: (अ़.पु.)-सैन, संकेत, इंगित, ईमा; तात्पर्य, आशय, मतलब; संक्षिप्त कथन; सूक्ष्म आधार, बारीक या हलका सहारा; गुप्त प्रेरणा। 'मतलब मैं उसकी बात का समझा न आज तक, करती है रोज़-रोज़ इशारे हवा मुझेÓ- माँझी
इशार:$फह्म (अ़.वि.)-इशारे को समझ जानेवाला, संकेत के आशय को जान लेनेवाला।
इशार:बाज़ी (अ़.$फा.स्त्री.)-आपस में इशारे करना, संकेत करना।
इशारत (अ़.स्त्री.)-दे.-'इशार:Ó, इशारा या संकेत करना।
इशारतन (अ़.वि.)-संकेत करके, संकेत से, इशारे से।
इशारा (अ़.पु.)-दे.-'इशार:Ó, वही उच्चारण शुद्घ है।
इशारात (अ़.पु.)-'इशार:Ó का बहु., इशारे, संकेत-समूह।
इश्अ़ार (अ़.पु.)-सचेत करना, सूचना देना, आगाह करना, सावधान करना।
इश्अ़ाल (अ़.पु.)-आग भड़काना।
इश्$क (अ़.पु.)-अत्यन्त प्रेम, अनुराग, आसक्ति, हद से ज़्यादा मुहब्बत, मोह, चाह, लगाव; दुव्र्यसन, बुरी लत, बुरी अ़ादत।
इश्$क ए मजाज़ी (अ़.पु.)-मानव-प्रेम, भोतिक-प्रेम, जीव-जगत् अर्थात् प्राणियों से प्रेम, सांसारिक प्रेम।
इश्$क ए ह$की$की (अ़.पु.)-ईश्वर-प्रेम, ईश-भक्ति, इश्$के इलाही।
इश्कन: (अ़.पु.)-बढ़ई का बर्मा।
इश्$क पेचाँ (अ़.पु.)-लाल फूल की एक लता, जो पेड़ों पर लिपट जाती है।
इश्$कबाज़ (अ़.$फा.वि.)-इश्$क करनेवाला, अ़ाशि$क, प्रेमी, अनुरागी, ऐयाश।
इश्$कबाज़ी (अ़.$फा.स्त्री.)-प्रेम-व्यवहार, इश्$क करना; ऐयाशी, हुस्नपरस्ती; च्यभिचार करना।
इश्काल (अ़.पु.)-कठिनता, कठिनाई, दुष्करता, दुश्वारी।
इश्$िकया (अ़.वि.)-इश्$क-सम्बन्धी, प्रेम-सम्बन्धी।
इश्कूख़्ा (अ़.पु.)-ठोकर; फिसलन।
इश्क़े मजाज़ी (अ़.पु.)-दे.-'इश्$क ए मजाज़ीÓ।
इश्$के ह$की$की (अ़.पु.)-दे.-'इश्$क ए ह$की$कीÓ।
इश्तबाह (अ़.पु.)-दे.-'इश्तिबाहÓ, वही शुद्घ उच्चारण है।
इश्तरा (अ़.पु.)-दे.-'इश्तिराÓ, वही शुद्घ उच्चारण है।
इश्तराक (अ़.पु.)-दे.-'इश्तिराकÓ, वही शुद्घ उच्चारण है।
इश्तहा (अ़.स्त्री.)-दे.-'इश्तिहाÓ, वही शुद्घ उच्चारण है।
इश्तहार (अ़.पु.)-दे.-'इश्तिहारÓ, वही शुद्घ उच्चारण है।
इश्तात (अ़.पु.)-तितर-बितर करना।
इश्तिअ़ाल (अ़.पु.)-उत्तेजित करना, भड़काना; जोश दिलाकर मार-काट के लिए प्रेरित करना; लपट मारना, भड़कना, जोश पैदा होना; उत्तेजना।
इश्तिअ़ाल$क (अ़.पु.)-उकसाना, भड़काना, उत्तेजित करना, आवेश में लाना; शौ$क, विशेष अभिलाषा, अनुराग।
इश्तिका (अ़.पु.)-उलाहना देना, गिला करना, ताना मारना।
इश्ति$का$क (अ़.पु.)-लकड़ी आदि को चीरना; एक शब्द से दूसरा शब्द बनाना।
इश्तिकार (अ़.पु.)-शिकायत करना, उलाहना देना, गिला करना, ताना मारना।
इश्ति$गाल (अ़.पु.)-लीन होना, तन्मयता, संलग्नता; काम में लगना, मश्$गूल होना; मुँह फेरना, बेज़ार होना।
इश्तिदाद (अ़.पु.)-आधिक्य, ज़्यादती, शिद्दत; प्रचण्डता, तीव्रता, तेज़ी; ज़ुल्म, अनीति, अत्याचार।
इश्तिबाक (अ़.पु.)-दोनों हाथों की उँगलियाँ एक-दूसरे में फँसाना या पैवस्त करना; पेड़ की डालियों का एक-दूसरी में गुँथना।
इश्तिबाह (अ़.पु.)-गुमान, शक, शंका, संदेह; संदिग्ध, जिस पर संदेह हो।
इश्तिमाल (अ़.पु.)-मिलाना, शामिल करना; अनेक चीज़ों को मिलाकर एक करना, मिश्रण।
इश्तिमाल ए आराज़ी (अ़.पु.)-विभिन्न खेतों की भूमि को मिलाकर एक कर देना, चकबन्दी।
इश्तिमालीयत (अ़.स्त्री.)-मिलाकर एक करने का सिद्घान्त।
इश्तिमाले आराज़ी (अ़.पु.)-दे.-'इश्तिमाल ए आराज़ीÓ।
इश्तिया$क (अ़.पु.)-चाव, बहुत अधिक शौ$क, उत्कंठा, लालसा; अनुराग, आसक्ति।
इश्तिया$क ए मालायुता$क (अ़.पु.)-ऐसी बढ़ी हुयी उत्कंठा जो रोकी न जा सके, बहुत ही अधिक लालसा, अतिशय अभिलाषा, अदमनीय उत्कंठा।
इश्तिया$फ (अ़.पु.)-सम्मानित करना, सर बुलन्द करना।
इश्तिरा (अ़.पु.)-मोल लेना, ख़्ारीदना, क्रय करना।
इश्तिराक (अ़.पु.)-भागीदारी, साझा; समानता, मुसावात; साम्यवाद, कम्युनिज़्म; संग-साथ, मेल।
इश्तिराकी (अ़.वि.)-ऐसे सिद्घान्त में विश्वास रखनेवाला कि देश के धन में सब बराबर के भागीदार हैं, साम्यवादी।
इश्तिराकीयत (अ़.स्त्री.)-साम्यवाद, कम्युनिज़्म।
इश्तिरात (अ़.पु.)-शर्त लगाना, बाज़ी बदना।
इश्तिहा (अ़.स्त्री.)-भूख, क्षुधा; रुचि, रग़्बत; इच्छा, ख़्वाहिश, चाह, मन।
इश्तिहाए काजि़ब (अ़.स्त्री.)-झूठी भूख।
इश्तिहाए सादि$क (अ़.स्त्री.)-सच्ची भूख, तेज़ भूख, वास्तविक भूख।
इश्तिहार (अ़.पु.)-विज्ञापन, मुश्तहरी का पर्चा, पोस्टर; प्रचार, प्रसार, प्रोपेगंडा; मुनादी, घोषणा; सूचना, नोटिस।
इश्तिहारी (अ़.वि.)-इश्तिहार द्वारा प्रसारित, जैसे- 'इश्तिहारी मुज्रिमÓ=वह अपराधी, जो भागा हुआ हो और जिसके पकडऩे के लिए इश्तिहार जारी हो; इश्तिहार से सम्बन्धित।
इश्नूस: ($फा.स्त्री.)-छींक, विक्षाव।
इश्$फा$क (अ़.पु.)-अनुकम्पा करना, कृपा करना, दया करना; कृपादृष्टि; त्रास, डराना। 'अश्$फा$कÓ भी प्रचलित है।
इश्बाअ़ (अ़.पु.)-भरपूर भोजन कराना, पेट भरकर खिलाना; 'ज़बरÓ, 'ज़ेरÓ और 'पेशÓ को इतना बढ़ाना कि वे 'अलि$फÓ, 'येÓ और 'वावÓ हो जाएँ, जैसे- 'ख़्ारÓ में से 'ख़्ाÓ के ज़बर को बढ़ा दें तो 'ख़्ाारÓ हो जाए।
इश्बाल (अ़.पु.)-विधवा का अपने बच्चों के कारण पुनर्विवाह न करना; मेहाबानी करना, कृपा करना, अनुकम्पा करना।
इश्बाह (अ़.पु.)-समान होना, सदृश होना, तुल्य होना, एक-सा होना।
इश्बेख़्त: ($फा.वि.)-छिड़का हुआ, बिखेरा हुआ।
इश्माअ़ (अ़.पु.)-चिरा$ग की लौ का बढ़ जाना, दीपक का तेज़ जलना।
इश्माम (अ़.पु.)-सूँघना; सुँघाना।
इश्रत (अ़.स्त्री.)-सुख, आनन्द, चैन, आराम; भोग-विलास का सुख, ऐयाशी (अय्याशी); हर्ष, खुशी। 'ऐश ओ इश्रतÓ-भाग और आनन्द। 'ऐश ओ निशातÓ-भोग और आनन्द।
इश्र्रत अंजाम (अ़.$फा.वि.)-वह कार्य जिसका अन्त आनन्दमय हो, सुखांत कार्य।
इश्रत ए इम्रोज़ (अ़.$फा.स्त्री.)-वह सुख, जो आज प्राप्त हो अर्थात् सांसारिक सुख।
इश्रत ए $फर्दा (अ़.$फा.स्त्री.)-वह सुख, जो कल मिलेगा अर्थात् पारलौकिक सुख।
इश्रत ए $फानी (अ़.स्त्री.)-वह सुख, जो क्षणिक हो, थोड़े दिनों का सुख अर्थात् सांसारिक सुख।
इश्रतकद: (अ़.$फा.पु.)-ऐश का घर, रंगशाला, रंगभवन, ऐशमहल, विलास-सदन।
इश्रतख़्ाान: (अ़.$फा.पु.)-दे.-'इश्रतकद:Ó।
इश्रतगाह (अ़.$फा.स्त्री.)-दे.-'इश्रतकद:Ó।
इश्रतसर: (अ़.$फा.स्त्री.)-दे.-'इश्रतकद:Ó।
इश्रा्र$क (अ़.पु.)-चमकना; उज्ज्वल होना; सूर्योदय के पश्चात् का समय।
इश्रा$की (अ़.वि.)-प्राचीन वैज्ञानिकों का वह दल या व्यक्ति जो आत्मशक्ति द्वारा दूर बैठे हुए पठन-पाठन करता था। ये लोग यूनान के थे।
इश्र्रा$फ (अ़.पु.)-ऊँचा होना; ऊँचे पर बैठना; किसी चीज़ की चोटी या शिखर पर बैठना; परिचित होना, वा$िक$फ होना; ऊपर से देखना।
इश्रीन (अ़.पु.)-बीस।
इश्व: (अ़.पु.)-चमत्कार, करिश्मा; सुन्दर स्त्रियों का हाव-भाव; नाज़-नख़्ारा, चोचला, अदा।
इश्व:कार (अ़.$फा.वि.)-दे.-'इश्व:गरÓ।
इश्व:कारी (अ़.$फा.स्त्री.)-हावभाव दिखाने की क्रिया या भाव, नाज़ो-अदा दिखाने की क्रिया या भाव।
इश्व:गर (अ़.$फा.वि.)-नख़्ारे करनेवाला (वाली), हाव-भाव से दिल मोह लेनेवाला (वाली), नाज़ो-अंदाज़ दिखानेवाला (वाली); $फरेबी; माÓशू$क।
इश्व:गरी (अ़.$फा.स्त्री.)-हावभाव दिखाने की क्रिया या भाव, नाज़ोअंदाज़ की मुद्रा।
इश्व:तराज़ (अ़.$फा.वि.)-दे.-'इश्व:गरÓ।
इश्व:तराज़ी (अ़.$फा.स्त्री.)-दे.-'इश्व:गरीÓ।
इश्व:संज (अ़.$फा.वि.)-दे.-'इश्व:गरÓ।
इश्व:संजी (अ़.$फा.स्त्री.)-दे.-'इश्व:गरीÓ।
इस (हिं.सर्व.)-'यहÓ शब्द का एक रूप, जो विभक्ति लगाने पर 'इसÓ हो जाता है।
इसपंद ($फा.पु.)-दे.-'इस्पंदÓ, वही शुद्घ उच्चारण है।
इसबंद ($फा.पु.)-दे.-'इस्पंदÓ, वही शुद्घ उच्चारण है।
इसबात (अ़.पु.)-दे.-'इस्बातÓ, वही शुद्घ उच्चारण है।
इसम (अ़.पु.)-दे.-'इस्मÓ, वही शुद्घ उच्चारण है।
इसराईल (अ़.पु.)-दे.-'इस्राईलÓ, वही शुद्घ उच्चारण है।
इसरा$फ (अ़.पु.)-दे.-'इस्रा$फÓ, वही शुद्घ उच्चारण है।
इसरा$फील (अ़.पु.)-दे.-'इस्रा$फीलÓ, वही शुद्घ उच्चारण है।
इसरार (अ़.पु.)-दे.-'इस्रारÓ, वही शुद्घ उच्चारण है।
इसलाह (अ़.स्त्री.)-दे.-'इस्लाहÓ, वही शुद्घ उच्चारण है।
इसहाल (अ़.पु.)-दे.-'इस्हालÓ, वही शुद्घ उच्चारण है।
इसा (अ़.पु.)-अपने साथ बुराई करना, आत्महानि।
इसाअ़: (अ़.पु.)-बरबाद करना, नष्ट करना, ज़ाए करना, व्यर्थ करना; त्यागना, छोडऩा।
इसाअ़त (अ़.स्त्री.)-बुराई, बदी; पाप, दोष, गुनाह।
इसाख़्ात (अ़.स्त्री.)-सुनने के लिए कान लगाना।
इसाद: (अ़.पु.)-तकिया, बालिश, उपधान।
इसाब: (अ़.पु.)-हैज़े से पीडि़त हो जाना, हैज़ा हो जाना। इसकी 'इÓ उर्दू के 'अलि$फÓ अक्षर से बनी है।
इसाब: (अ़.पु.)-औरतों के सिर पर बाँधने का कपड़ा; सिर बाँधने की पट्टी। इसकी 'इÓ उर्दू के 'ऐनÓ अक्षर से बनी है।
इसाब (अ़.पु.)-पट्टी।
इसाबत (अ़.स्त्री.)-पहुँच, रसाई; ठीक पाना; यथार्थता, ह$की$कत, सच्चाई।
इसाबत ए राए (अ़.स्त्री.)-राय का ठीक और शुद्घ होना, उपयुक्त सम्मति।
इसाबा (अ़.पु.)-दे.-'इसाब:Ó, वही उच्चारण शुद्घ है।
इसाम (अ़.पु.)-मुश्क उठाने का तस्मा; बेद मुश्क; कस्तूरी; केवड़ा।
इसियाँ (अ़.पु.)-दे.-'इस्याँÓ।
इसे (हिं.सर्व.)-'यहÓ का कर्मकारक तथा संप्रदानकारक रूप।
इस्अ़ाद (अ़.पु.)-मंगलकारी बनाना, मंगलमय करना, शुभान्वित करना; मैत्री, दोस्ती।
इस्अ़ा$फ (अ़.पु.)-इच्छापूर्ति, कार्यसिद्घि, किसी का काम उसकी इच्छानुसार कर देना, इच्छा पूरी करना, काम निकाल देना।
इस्कंदर (इस्कन्दर)(अ़.पु.)-यूनान का प्राचीन शासक, सिकन्दर।
इस्कंदरीय: (अ़.स्त्री.)-मिस्र देश की प्रसिद्घ बन्दरगाह, जिसे सम्राट् सिकन्दर ने बनवाया था।
इस्कदार ($फा.पु.)-डाकिया, हरकारा; डाक की चौकी।
इस्$का (अ़.पु.)-पिलाना, पानी या शराब आदि पिलाना।
इस्$कात (अ़.पु.)-पतन करना, गिराना, निकालना; चुप कर देना, चुप कर देनेवाली बात करना।
इस्$कात ए हम्ल (अ़.पु.)-स्त्री के पेट से बच्चा गिरना; गर्भपात, गर्भक्षय, गर्भस्राव।
इस्$काते हम्ल (अ़.पु.)-दे.-'इस्$कात ए हम्लÓ।
इस्कान (अ.पु.)-शान्ति, सुकून, आराम; अक्षर को हलन्त् करना।
इस्का$फ (अ़.पु.)-जूता बनानेवाला, मोची।
इस्$काल (अ़.पु.)-भारी होना।
इस्किन: (अ़.पु.)-छेद करने का बरमा।
इस्कीज़: (अ़.पु.)-घोड़े की दुलत्ती।
इस्$कील (अ़.पु.)-जंगली पियाज़ (प्याज़)।
इस्$गा (अ़.पु.)-बात सुनने के लिए कान झुकाना।
इस्$गाब (अ़.पु.)-भूखा होना।
इस्जाअ़ (अ़.पु.)-बातों में तुक वाले शब्द बोलना, सतुकान्त भाषण, मु$कफ़्$फा इबारत बोलना, तुकान्त वाक्यावली बोलना।
इसतंबोल (तु.पु.)-तुर्की (टर्की) राजधानी, $कुस्तुंतुनिया, $कुस्तुंतीनिया।
इस्त (अ़.पु.)-मलद्वार, गुदाद्वार, मक़्अ़द का सूराख़्ा।
इस्तअ़ानत (अ़.स्त्री.)-दे.-'इस्तिअ़ानतÓ।
इस्तअ़ार: (अ़.पु.)-दे.-'इस्तिअ़ार:Ó।
इस्तअ़ारा (अ़.पु.)-दे.-'इस्तिअ़ार:Ó, वही उच्चारण शुद्घ है।
इस्त$कबाल (अ़.पु.)-दे.-'इस्तिक़्बालÓ।
इस्त$करार (अ़.पु.)-दे.-'इस्तिक्ऱारÓ, वही उच्चारण शुद्घ है।
इस्त$कलाल (अ़.पु.)-दे.-'इस्तिक़्लालÓ, वही शुद्घ है।
इस्तकराह (अ़.पु.)-दे.-'इस्तिक्राहÓ, वही शुद्घ है।
इस्त$कामत (अ़.पु.)-दे.-'इस्ति$कामतÓ, वही शुद्घ है।
इस्तख़्ार (अ़.पु.)-तालाब, तड़ाग; ईरान का एक दुर्ग।
इस्तख़्ाारा (अ़.पु.)-दे.-'इस्तिख़्ाार:Ó, वही शुद्घ है।
इस्तगऩा (अ़.स्त्री.)-दे.-'इस्तिग्ऩाÓ, वही शुद्घ है।
इस्तगफ़़ार (अ़.पु.)-दे.-'इस्तिग़्$फारÓ, वही शुद्घ है।
इस्तगऱा$क (अ़.पु.)-दे.-'इस्तिग्ऱा$कÓ, वही शुद्घ है।
इस्तग़ासा (अ़.पु.)-दे.-'इस्ति$गास:Ó, वही शुद्घ है।
इस्तदलाल (अ़.पु.)-दे.-'इस्तिद्लालÓ, वही शुद्घ है।
इस्तदुअ़ा (अ़.पु.)-दे.-'इस्तिद्अ़ाÓ, वही शुद्घ है।
इस्त$फसार (अ़.पु.)-दे.-'इस्तिफ़्सारÓ, वही शुद्घ है।
इस्त$फहाम (अ़.पु.)-दे.-'इस्तिफ़्हामÓ, वही शुद्घ है।
इस्तबदाद (अ़.पु.)-दे.-'इस्तिब्दादÓ, वही शुद्घ है।
इस्तमरार (अ़.पु.)-दे.-'इस्तिम्रारÓ, वही शुद्घ है।
इस्तमरारी (अ़.पु.)-दे.-'इस्तिम्रारीÓ, वही शुद्घ है।
इस्तमाअ़ (अ़.पु.)-दे.-'इस्तिमाअ़Ó।
इस्तमालत (अ़.पु.)-दे.-'इस्तिमालतÓ।
इस्तब्र$क (अ़.पु.)-एक बहुमूल्य रेशमी कपड़ा।
इस्तब्ल (अ़.पु.)-घोड़ों को बाँधने का स्थान, घुड़साल, अश्वशाला, तबेला। 'अस्तबलÓ भी प्रचलित है।
इस्तम (अ़.पु.)-ज़ुल्म, अत्याचार, अनीति, सितम।
इस्तरदाद (अ़.पु.)-दे.-'इस्तिर्दादÓ।
इस्तराहत (अ़.स्त्री.)-दे.-'इस्तिराहतÓ।
इस्तलाह (अ़.स्त्री.)-दे.-'इस्तिलाहÓ।
इस्तवा (अ़.पु.)-दे.-'इस्तिवाÓ।
इस्ता ($फा.स्त्री.)-प्रशंसा, तारी$फ, स्तुति।
इस्ताज (अ़.पु.)-सूत लपेटने का अटेरन।
इस्ताद: ($फा.वि.)-खड़ा हुआ, सीधा खड़ा हुआ।
इस्तादगी ($फा.स्त्री.)-खड़े होने की क्रिया, प्रक्रिया या भाव, खड़ापन; लिंगेद्रिय का उत्थान।
इस्तादनी ($फा.वि.)-खड़े होने योग्य।
इस्तादा ($फा.वि.)-दे.-'इस्ताद:Ó, वही शुद्घ है।
इस्तार: (अ़.पु.)-दे.-'उस्तूर:Ó।
इस्तार (अ़.पु.)-छिपाना, गोपन; साढ़े चार मिस्$काल या सवा बीस माशे का एक भार।
इस्तिंजा (अ़.पु.)-मूत्र या शौच के पश्चात् पानी से धोना, आबदस्त; पेशाब करने के पश्चात् इन्द्रिय को पानी से धोना या मिट्टी के ढेले से सा$फ करना, पानी से धोकर अपवित्रता दूर करना, धोकर शुद्घ करना।
इस्तिंता$क (अ़.पु.)-बात पूछना; प्रश्न करना; बोलने की शक्ति चाहना।
इस्तिंबात (अ़.पु.)-बात में से बात निकालना, किसी बात से कोई निष्कर्ष निकालना।
इस्तिंबाह (अ़.पु.)-सतर्कता ढूँढऩा; चेतावनी चाहना।
इस्तिंशा$क (अ़.पु.)-नाक से हवा या पानी खींचना; नाक से दवा सुड़कना, नेति, 'नोज़-स्पंजÓ।
इस्तिंसार (अ़.पु.)-नाक सा$फ करना, नाक छिनकना; तितर-बितर करना। इसका 'साÓ उर्दू के 'सेÓ अक्षर से बना है।
इस्तिंसार (अ़.पु.)-मदद माँगना, सहायता चाहना। इसका 'साÓ उर्दू के 'सुअ़ादÓ अक्षर से बना है।
इस्तिअ़ाज़त (अ़.स्त्री.)-शरण चाहना, पनाह ढूँढऩा, त्राण चाहना; शरणागति।
इस्तिअ़ादत (अ़.स्त्री.)-लौटाने की इच्छा करना।
इस्तिअ़ानत (अ़.स्त्री.)-सहायता चाहना, मदद माँगना; सहायता, मदद, आश्रय।
इस्तिअ़ार: (अ़.पु.)-'रूपकÓ नाम का अर्थालंकार, उपमेय में उपमान के साधम्र्य का आरोप करके उपमान के रूप में उसका वर्णन करना; शाइरी की परिभाषा में किसी अगोचर वस्तु को साकार मानकर उससे काम लेना, जैसे-'सरे होशÓ-होश का सिर, और 'पाए $िफक्रÓ-$िफक्र के पाँव, अर्थात् इसमें 'होशÓ और '$िफक्रÓ को आदमी मानकर उसके सिर और पैर बनाए हैं। 'काव्य में अमूत्र्त का मानवीकरणÓ, रूपक, अलंकार; मंगनी लेना, उधार लेना।
इस्ति$कबाल (अ़.पु.)-दे.-'इस्तिक़्बालÓ।
इस्तिकाक (अ़.पु.)-दो कड़ी वस्तुओं की रगड़ से पैदा होनेवाली आवाज़, घर्षण-घ्वनि।
इस्तिकानत (अ़.पु.)-नम्रता दिखाना; तिरस्कार करना; विनति, नम्रता, आजिज़ी।
इस्ति$कामत (अ़.स्त्री.)-सीधा होना; दृढ़ होना; सिधाई, सरलता; दृढ़ता, मज़बूती; स्थिरता, ठहराव।
इस्तिक़्ताब (अ़.पु.)-लिखना, लेखन; किसी चीज़ के लिखने को कहना।
इस्तिक़्दाम (अ़.पु.)-स्वागत करना, पेशवाई करना; आगे होना।
इस्तिक्$फा$फ (अ़.पु.)-हाथ फैलाना।
इस्तिक्बार (अ़.पु.)-स्वयं को महान् मानना; अवज्ञा करना; आगे होने के लिए कहना।
इस्तिक़्बाल (अ़.पु.)-स्वागत करना, आगे बढ़कर लेना, पेशवाई करना, अगुवानी करना; स्वागत के लिए आगे जाना; चाँद-सूरज का आमने-सामने होना (ऐसा पूर्णमासी की रात को होता है); भविष्य, मुस्तक़्िबल, ज़माना आइंदा।
इस्तिक्ऱा (अ़.पु.)-अनुसरण करना, पैरवी करना; कुछ बातों से कोई निष्कर्ष निकालना; गवेषणा करना; तलाश करना।
इस्तिक्ऱाज़ (अ़.पु.)-ऋण लेना, उधार माँगना, $कजऱ् चाहना।
इस्तिक्ऱार (अ़.पु.)-स्थिर होना, ठहरना, रुकना; शान्त होना; शान्तिपूर्वक या सुख से रहना; प्रमाणित होना; निश्चित करना, पक्का करना, तस्दीक करना।
इस्तिक्रार (इस्तिक्रार) (अ़.पु.)-बार-बार माँगना।
इस्तिक्रार ए ह$क (अ़.पु.)-अपना ह$क (स्वत्व, अधिकार) माँगना; ह$क साबित या प्रमाणित करना।
इस्तिक्रारे ह$क (अ़.पु.)-दे.-'इस्तिक्रार ए ह$कÓ।
इस्तिक्राह (अ़.पु.)-घृणा करना, न$फरत करना, नापसन्द करना।
इस्ति$कलाल (अ़.पु.)-धैर्य, $कयाम; किसी बात पर अटल रहना; दृढ़ता, पायदारी, मज़बूती, पुष्टि; अपने सहारे खड़ा होना, स्वाबलंबन; थोड़ा जानना; अध्यवसाय, संकल्प, दृढ़-निश्चय।।
इस्तिक़्सा (अ़.पु.)-किसी बात के अन्त को पहुँचना; बहुत अधिक इच्छा करना; कृपणता, कंजूसी; प्रयत्न, कोशिश, प्रयास।
इस्तिक्साब (अ़.पु.)-अपनी व्यक्तिगत कोशिश या प्रयास से कोई चीज़ या गुण प्राप्त करना।
इस्तिक़्साम (अ़.पु.)-हिस्से करवाना, भाग करवाना, बँटवारे की इच्छा करना; शपथ लेना, $कसम खिलवाना, वचन भरवाना।
इस्तिक़्सार (अ़.पु.)-कम करने की इच्छा करना, कम करना।
इस्तिक्सार (अ़.पु.)-अधिकता चाहना।
इस्तिख़्ाार: (अ़.पु.)-ईश्वर से मंगल-कामना करना, किसी कार्य में दैवी सहायता चाहना; परोक्ष ज्ञान की इच्छा करना; किसी धार्मिक कृति द्वारा यह जानना कि अमुक काम शुभ है या अशुभ, शकुन देखना या विचारना; श्रीगणेश करना।
इस्तिख़्ाारा (अ़.पु.)-दे.-'इस्तिख़्ाार:Ó।
इस्तिखिऱाज (अ़.पु.)-दे.-'इस्तिख्ऱाजÓ, 'इस्तिख़्ा्राजÓ।
इस्तिख़्दाम (अ़.पु.)-सेवा करने की इच्छा करना; नौकरी चाहना।
इस्तिख़्$फा$फ (अ़.पु.)-संकोच, शर्म, लज्जा, नदामत; तिरस्कार, तह$कीर, किसी को नीच मानना।
इस्तिख्ऱाज (इस्तिख़्ा्राज) (अ़.पु.)-निकालने की इच्छा करना; बाहर निकालना; निष्कासन; वीर्य स्खलन करना।
इस्तिख़्लास (अ़.पु.)-छोड़ देना, बन्धन-मुक्त करना।
इस्ति$गास: (अ़.पु.)-अभियोग, वाद, नालिश, $फौजदारी का दावाÓ; मदद की पुकार, दुहाई; $फरियाद, न्याय की प्रार्थना, गुहार।
इस्ति$गासत (अ़.स्त्री.)-दे.-'इस्ति$गास:Ó।
इस्तिग़ासा (अ़.पु.)-दे.-'इस्तिग़ास:Ó, वही उच्चारण शुद्घ है।
इस्तिग्ऩा (अ़.पु.)-निश्चिन्त होना, बेपरवाई; निस्पृहता, अनिच्छा, बेनियाज़ी।
इस्तिग़्$फार (अ़.पु.)-दया या क्षमा के लिए प्रार्थना करना, ईश्वर से अपने पापों या गुनाहों की क्षमा माँगना, तौबा करना; त्राण चाहना; $मुक्ति चाहना, मोक्ष-प्राप्ति की इच्छा करना।
इस्तिग्ऱा$क (अ़.पु.)-किसी चिन्ता में डूबना, अपनी दशा में ऐसा मग्न होना कि किसी का पता ही न चले; तन्मयता, तल्लीनता, संलग्नता, इन्हियाक, महवियत, ईश्वर में लीन होना।
इस्तिग्ऱाब (अ़.पु.)-अनोखी बात करना, आश्चर्य में डालना; बहुत अधिक प्रशंसा करना; हैरत, आश्चर्य, अचंभा।
इस्तिज़ा (अ़.पु.)-रौशनी पकडऩा, चमकना, प्रकाशित होना।
इस्तिजाज़: (अ़.पु.)-आज्ञा माँगना, इजाज़त चाहना।
इस्तिजाबत (अ़.स्त्री.)-प्रार्थना स्वीकार करना; प्रश्न का उत्तर देना।
इस्तिज्बार (अ़.पु.)-अवज्ञा और उद्दण्डता करना, अभिमान करना।
इस्तिज्ला (अ़.पु.)-प्रकाशित करना, प्रकाशमान करना, रौशन करना।
इस्तिज़्ला$क (अ़.पु.)-फिसलाना।
इस्तिज्लाब (अ़.पु.)-आकर्षित करना, अपनी ओर खींचना; कोई वस्तु प्राप्त करना।
इस्तिज़्लाल (अ़.पु.)-शरण में आना, किसी की रक्षा या सुरक्षा में आना; छाया ढूँढऩा; छाया में आना।
इस्तिज़्हार (अ़.पु.)-सहायता चाहना; किसी का सहायक होना; बलवान् होना; कण्ठ पडऩा, गला पडऩा।
इस्तिताअ़त (अ़.स्त्री.)-सामथ्र्य, शक्ति, ज़ोर, बल, $कुव्वत, मक़्दरत।
इस्तिताबत (अ़.स्त्री.)-पाप न करने की दृढ़ प्रतिज्ञा करना, तौबा करना। इसका 'ताÓ उर्दू के 'तेÓ अक्षर से बना है।
इस्तिताबत (अ़.स्त्री.)-पवित्र करना, सुगन्धित करना; आनन्द करना। इसका 'ताÓ उर्दू के 'तोयÓ अक्षर से बना है।
इस्तितार (अ़.पु.)-$गायब हो जाना; पर्दे में छिप जाना; $गायब कर देना, छुपाना।
इस्तित्राद (अ़.पु.)-किसी को भगाने की इच्छा करना; किसी के बाहर आने की इच्छा करना; काम की तेज़ी।
इस्तित्लाअ़ (अ़.पु.)-सूचना चाहना, आगाही पाने की इच्छा करना; सूचना, इत्तिलाअ़।
इस्तित्ला$क (अ़.पु.)-रिहा करना, $कैद से छोडऩा, बन्धन-मुक्त करना।
इस्तिदामत (अ़.स्त्री.)-किसी कार्य के हमेशा होने की इच्छा करना, नित्यता चाहना, सतत कर्मेच्छा।
इस्तिदारत (अ़.स्त्री.)-गिरवी होना, बन्धक होना।
इस्तिदुअ़ा (अ़.पु.)-दे.-'इस्तिद्अ़ाÓ, वही शुद्घ है।
इस्तिद्अ़ा (अ़.पु.)-प्रार्थना, निवेदन, दरख़्ाास्त। 'इस्तिदुअ़ाÓ भी प्रचलित है।
इस्तिद्फ़ाअ़ (अ़.पु.)-पृथक्करण; स्वयं से अलग करना; एक चीज़ को दूसरी चीज़ से अलग करना।
इस्तिद्राक (अ़.पु.)-समझने की इच्छा करना, समझना चाहना।
इस्तिद्राज (अ़.पु.)-वह करामात या चमत्कार, जो किसी नास्तिक द्वारा प्रकट हो।
इस्तिद्लाल (अ़.पु.)-प्रमाण चाहना, सुबूत माँगना; गवाह माँगना, साक्षी चाहना; दलील देना, तर्क करना; तर्क, दलील; प्रमाण, सुबूत।
इस्तिनाअ़ (अ़.पु.)-भलाई करना, नेकी करना; घूमना, फिरना।
इस्तिनाद (अ़.पु.)-प्रमाण-पत्र चाहना, सनद चाहना; प्रमाणित होना; सहारा लगाना।
इस्तिनाबत (अ़.स्त्री.)-किसी का प्रतिनिधित्व चाहना, नियाबत चाहना।
इस्तिनारत (अ़.स्त्री.)-प्रकाशमान् होना; दूसरे प्रकाशित पदार्थ से प्रकाश ग्रहण करना।
इस्तिन्$काअ़ (अ़.पु.)-मेवारस प्राप्त करना, सूखे मेवों आदि को पानी में भिगोकर और हाथ से मलकर-निचोड़कर उनका रस लेना, नु$कूअ़ ग्रहण करना।
इस्तिन्का$फ (अ़.पु.)-घृणा करना, बुरा जानना।
इस्तिन्$फाज़ (अ़.पु.)-किसी के कपड़ों की तलाशी लेना, झाड़ा लेना, जामातलाशी।
इस्तिन्$फास (अ़.पु.)-जीवन की इच्छा करना; ख़्ाून निकलना, रक्तस्राव।
इस्ति$फा (अ़.पु.)-प्रतिष्ठा, बुज़ुर्गी; लेना, स्वीकार करना।
इस्ति$फाज़: (अ़.पु.)-किसी का यश चाहना, $फैज़ तलब करना, लाभ चाहना।
इस्ति$फाज़त (अ़.स्त्री.)-दे.-'इस्ति$फाज़:Ó।
इस्ति$फाद: (अ़.पु.)-किसी से लाभान्वित होना, नफ़ा उठाना, प्राप्ति करना।
इस्ति$फादत (अ़.स्त्री.)-दे.-'इस्ति$फाद:Ó।
इस्ति$फा$फ (अ़.पु.)-पंक्तिबद्घ होना, $कतार बाँधना, स$फ बाधना, एक के पीछे एक सीधा खड़ा होना। इसका 'सÓ उर्दू के 'सुअ़ादÓ से तथा 'तÓ उर्दू के 'तोयÓ अक्षर से बना है।
इस्ति$फा$फ (अ़.पु.)-फाँकना, फंकी मारना। इसका 'सÓ उर्दू के 'सीनÓ से तथा 'तÓ उर्दू के 'तेÓ अक्षर से बना है।
इस्तिफ़्ता (अ़.पु.)-मुफ़्ती से $फत्वा माँगना, धर्मगुरु से धर्मादेश की जानकारी लेना; धार्मिक समस्या के समाधान के लिए धर्मगुरु से सलाह लेना।
इस्तिफ्ऱाग़ (अ़.पु.)-उलटी करना, $कै करना, वमन करना; वमन, $कै, उलटी; $फुर्सत चाहना, अवकाश की इच्छा करना।
इस्तिफ़्सार (अ़.पु.)-जानना, पूछना, दरयाफ़्त करना; प्रश्न, सवाल; जिज्ञासा, पूछताछ, दरयाफ़्त; हाल पूछना; अवस्था या स्थिति आदि के सम्बन्ध में जानकारी लेना।
इस्तिफ़्हाम (अ़.पु.)-किसी चीज़ को समझनेका प्रयास, समझने की इच्छा करना; पूछना, सवाल करना, दरयाफ़्त करना।
इस्तिफ़्हामिय: (अ़.वि.)-प्रश्न-सम्बन्धी, सवाल का। (पु.)-प्रश्नवाचक-चिह्नï, जो इस प्रकार लिखा जाता है- '?Ó।
इस्तिफ़्हाम ए इन्कारी (अ़.पु.)-नकारात्मक प्रश्न, ऐसा प्रश्न, जिससे किसी बात की अस्वीकृति प्रकट हो।
इस्तिफ़्हाम ए इक्ऱारी (अ़.पु.)-सकारात्मक प्रश्न, ऐसा प्रश्न, जिससे किसी बात की स्वीकृति प्रकट हो।
इस्तिफ़्हामे इन्कारी (अ़.पु.)-दे.-'इस्तिफ़्हाम ए इन्कारीÓ।
इस्तिफ़्हामे इक्ऱारी (अ़.पु.)-दे.-'इस्तिफ़्हाम ए इक्ऱारीÓ।
इस्तिबा$ग (अ़.पु.)-चमड़ा रँगना; पानी में $गोता देना; ईसाई धर्म में बपतिस्मा देना, ईसाई धर्म में दीक्षित करना।
इस्तिबार (अ़.पु.)-संतोष करना, सब्र करना, धैर्य धरना।
इस्तिबाह (अ़.पु.)-सवेरे की शराब पीना।
इस्तिबाहत (अ़.स्त्री.)-कोई भी कार्य धर्म-विहित करना, धर्मानुसार करना, उचित करना, हलाल करना, जायज़ करना, मुबाह करना।
इस्तिब्अ़ाद (अ़.पु.)-परे हटना, अलग होना, दूर हटना, दूर जाना।
इस्तिब्क़ा (अ़.पु.)-बा$की रखना, बा$की बचाना, शेष छोड़ देना।
इस्तिब्ता (अ़.पु.)-विलम्ब करना, देर करना, ढील करना।
इस्तिब्दाद (अ़.पु.)-रोक-टोक की परवा न करना, अकेले किसी काम में लगना और किसी की बात न मानना; ज़ुल्म, अत्याचार, अनीति; हठ, जि़द, इस्ति$कलाल।
इस्तिब्रा (अ़.पु.)-अपराध और पाप से बचना; दोष या ऐब से अलग रहने की इच्छा; पवित्रता, शुद्घि।
इस्तिब्शार (अ़.पु.)-अच्छी ख़्ाबर पूछना; शुभ समाचार जानने की इच्छा।
इस्तिब्सार (अ़.पु.)-दिव्य-दृष्टि, प्रखर नेत्रज्योति, बीनाई, बसारत, अदृश्य को भी देख लेने की शक्ति; बुद्घिमत्ता, दानाई, अ़क़्लमंदी।
इस्तिमाअ़ (अ़.पु.)-सुनना, श्रवण।
इस्तिमालत (अ़.स्त्री.)-ख़्ाुशामद, दिलजोई; अपनी ओर आकृष्ट करना; अपने से राज़ी करना, स्वयं से सहमत करना।
इस्तिमज़ाज (अ़.पु.)-अनुमति लेना, राय पूछना; आज्ञा, इजाज़त; मजऱ्ी, अनुमति।
इस्तिम्ताअ़ (अ़.पु.)-लाभ-प्राप्ति की इच्छा करना, न$फा चाहना; न$फा की तलाश।
इस्तिम्दाद (अ़.पु.)-सहायता चाहना, मदद माँगना; मदद, सहायता, सहयोग।
इस्तिम्ना (अ़.पु.)-वीर्यपात करने की इच्छा, मनी ख़्ाारिज करना, वीर्यपतन।
इस्तिम्ना बिलयद (अ़.पु.)-हाथ से इन्द्रिय-संचालन करके वीर्यपात करना, हस्त-मैथुन, हथलस।
इस्तिम्रार (अ़.पु.)-सदैव अथवा स्थायी होने का भाव; निरन्तर रहनेवाला अधिकार; नित्यता, निरन्तरता, हमेशगी, स्थायित्व, तसल्सुल, लगातारपन; वह निश्चित लगान या कर, जिसमें कमोबेशी न हो सके।
इस्तिम्रारी (अ़.वि.)-दवामी, जो सउा के लिए हो, जो हमेशा के लिए हो, स्थायी; हमेशा एक-सा रहनेवाला; माज़ी अर्थात् भूतकाल का एक प्रकार। 'इस्तमरारीÓ भी प्रचलित है। 'इस्तिम्रारी बंदोबस्तÓ=सरकार की ओर से ज़मींदार पर मालगुज़ारी की र$कम का सदा के लिए निश्चित किया जाना, जिससे वह भविष्य में बढ़ाई न जा सके।
इस्तिम्साक (अ़.पु.)-रोकना, रोकने की इच्छा करना; रोक, निरोध, स्तंभन, रुकावट; चंगुल मारना।
इस्तियाद (अ़.पु.)-शिकार खेलना, शिकार मारना; शिकार, आखेट, मृगया।
इस्तिराक (अ़.पु.)-चोरी से छिपकर किसी की बातें सुनना, कनसुए लेना।
इस्तिराद: (अ़.पु.)-फिरना, पलटना।
इस्तिराहत (अ़.पु.)-आराम की इच्छा करना, सुख चाहना; सुख, चैन, विश्राम, आराम।
इस्तिख्ऱ्ाा (अ़.पु.)-ढीला हो जाना; शरीर के किसी अंग का ढीला और शिथिल हो जाना; ढीलापन, शिथिलता।
इस्तिख्ऱ्ााए आÓसाब (अ़.पु.)-पट्ठों का ढीला पड़ जाना।
इस्तिख्ऱ्ाास (अ़.पु.)-विदा लेना, जाने की आज्ञा लेना; सस्ता मोल लेना, कम भावों में ख़्ारीदना।
इस्तिजऱ्ा (अ़.पु.)-अनुमति लेना; मजऱ्ी पूछना; राय, मजऱ्ी, अनुमति।
इस्तिर्जाअ़ (अ़.पु.)-दी हुई चीज़ वापस माँगना; किसी के मरने पर 'इन्ना लिल्लाहÓ पढऩा।
इस्तिर्दाद (अ़.पु.)-रद्द करना, मंसूख़ करना; वापस माँग लेना, लौटा लेना; रद्द करने की क्रिया, निरसन।
इस्तिर्हाब (अ़.पु.)-डराना, भयभीत करना।
इस्तिलाम (अ़.पु.)-हाथ या मुँह से पत्थर चूमना। इसका 'सÓ उर्दू के 'सीनÓ से तथा 'तÓ उर्दू के 'तेÓ अक्षर से बना है।
इस्तिलाम (अ़.पु.)-उन्मूलन, किसी चीज़ को जड़ सहित उखाडऩा, समूल नष्ट करना। इसका 'सÓ उर्दू के 'सुअ़ादÓ से तथा 'तÓ उर्दू के 'तोयÓ अक्षर से बना है।
इस्तिलाह (अ़.स्त्री.)-किसी शब्द को विशेष अर्थ में प्रयुक्त करना; किसी शब्द का वह अर्थ, जो किसी शास्त्र-विशेष में किसी निर्दिष्ट भाव या उद्देश्य के लिए संकेत मान लिया गया हो, परिभाषा, किसी शब्द का साधारण अर्थ से भिन्न और विशिष्ट अर्थ में प्रयुक्त होना, पारिभाषिक-शब्द, रूढ़ार्थ शब्द; परस्पर सन्धि करना; ।
इस्तिलाहात (अ़.स्त्री.)-पारिभाषिक शब्दावली, इस्तिलाही लफ़्ज़ों का मजमूअ़ा अर्थात् पारिभाषिक शब्दों का संग्रह।
इस्तिलाही (अ़.वि.)-इस्तिलाह-सम्बन्धी, पारिभाषिक, परिभाषावाला शब्द, परिभाषा-सम्बन्धी।
इस्तिल्$का (अ़.पु.)-पेट के बल लेटना, चित लेटना।
इस्तिल्ज़ाज़ (अ़.पु.)-मज़ा लेना, स्वाद ग्रहण करना; आनन्द लेना, लुत्$फ उठाना।
इस्तिवा (अ़.पु.)-बराबर होना; बराबरी, समानता; दोपहर का समय, मध्याह्नï; विषुवत रेखा, भूमध्य रेखा, ख़्ाते-इस्तिवा।
इस्तिव्ज़ार (अ़.पु.)-मंत्री बनने की इच्छा करना, मंत्री-पद चाहना, वज़ारत चाहना।
इस्तिशार: (अ़.पु.)-सलाह-मशविरा करना, परामर्श करना।
इस्तिशारत (अ़.स्त्री.)-दे.-'इस्तिशार:Ó।
इस्तिश्अ़ार (अ़.पु.)-मन ही मन में भयभीत होना, डरना, ख़्ाौ$फ खाना।
इस्तिश्$फाअ़ (अ़.पु.)-सि$फारिश चाहना, अनुशंसा-याचना।
इस्तिश्माम (अ़.पु.)-सूँघना।
इस्तिश्हाद (अ़.पु.)-साक्षी-याचना, गवाही चाहना, गवाह माँगना।
इस्तिश्हादनाम: (अ़.$फा.पु.)-प्रमाण-पत्र, सर्टि$िफकेट, डिप्लोमा, सनद।
इस्तिश्हादनामा (अ़.$फा.पु.)-दे.-'इस्तिश्हादनाम:Ó, वही शुद्घ उच्चारण है।
इस्तिसा (अ़.पु.)-अच्छी सेहत की इच्छा करना, स्वास्थ्य चाहना।
इस्तिस्अ़ाद (अ़.पु.)-भलाई चाहना, कल्याण चाहना; मदद चाहना, सहायता चाहना, सहयोग की इच्छा करना।
इस्तिस्$का (अ़.पु.)-पानी माँगना; तृष्णा, प्यास, पिपासा; वर्षा चाहना; जलंधर रोग, जलोदर।
इस्तिस्$काए जि़क़्क़ी (अ़.पु.)-वह जलंधर रोग, जिसमें सारा शरीर सूजकर मश्क-जैसा हो जाता है।
इस्तिस्$काए तब्ली (अ़.पु.)-वह जलंधर रोग, जिसमें केवल पेट नक़्$कारे की भाँति फूल जाता है।
इस्तिस्ना (अ़.पु.)-छूट, अपवाद; पृथक्, वह जो किसी प्रकार अलग हो; अस्वीकार, न मानना, नकार देना; बहुत में से किसी वस्तु को अलग कर देना, अलहदा करना; किसी व्यापक नियम में से किसी की मुक्ति, अपवाद।
इस्तिस्मार (अ़.पु.)-पेड़ के नीचे से मेवा चुनना, बीनना; फल चाहना।
इस्तिस्लाम (अ़.पु.)-शान्ति चाहना, अमन चाहना; क्षमा चाहना; गर्दन झुकाना; आज्ञा मानना।
इस्तिस्लाह (अ़.पु.)-परामर्श लेना, सलाह पूछना।
इस्तिस्वाब (अ़.पु.)-ठीक-ठीक बात जानने की इच्छा, यर्थातता की तलाश; स्वीकृति लेना।
इस्तिस्वाब ए राए (अ़.पु.)-किसी वषय में ठीक-ठीक राय जानने की मंशा या इच्छा; राय लेना, वोट लेना, मत लेना, मतदान।
इस्तिस्वाबे राए (अ़.पु.)-दे.-'इस्तिस्वाब ए राएÓ।
इस्तिह$काक (अ़.पु.)-ह$क, अधिकार, स्वत्व।
इस्तिहकाम (अ़.पु.)-मज़बूती, पुष्टता, दृढ़ता; समर्थन।
इस्तिहाज़: (अ़.पु.)-अति रजस्राव, अत्यार्तव, मासिक-धर्म अधिक मात्रा में आने का रोग।
इस्तिहानत (अ़.पु.)-अपमानित और तिरस्कृत जानना या समझना।
इस्तिहाल: (अ़.पु.)-कई चीजें़ मिलाकर एक नई चीज़ पैदा करना; एक दशा से दूसरी दशा में जाना; हवा का पानी हो जाना; किसी वस्तु की प्राप्ति असम्भव होना, कठिन या दुष्कर होना; बहाना करना।
इस्तिहालत (अ़.स्त्री.)-दे.-'इस्तिहाल:Ó।
इस्तिहाला (अ़.पु.)-दे.-'इस्तिहाल:Ó, वही शुद्घ है।
इस्तीअ़ाब (अ़.पु.)-कुल, तमाम, सब; आदि से अन्त तक सब ले लेना; किसी पुस्तक को आदि से अन्त तक पढऩा, आद्यांत पठन; जड़ से उखाडऩा, उन्मूलन।
इस्तीजाब (अ़.पु.)-पात्र होना, योग्य होना, अधिकारी होना, मुस्तह$क होना।
इस्तीना$फ (अ़.पु.)-नए सिरे से आरम्भ करना; शुरू से लेना; अपील, प्रार्थना, निवेदन, $फरियाद; पुकार, आर्तनाद।
इस्तीनास (अ़.पु.)-किसी से प्रेम-व्यवहार करना; प्रेम, प्यार, मुहब्बत, इश्$क; किसी बात की अ़ादत पड़ जाना।
इस्ती$फा (अ़.पु.)-सब ले लेना; अपना पूरा ह$क लेना, प्राप्तव्य प्राप्त करना; नौकरी छोडऩा, पद-त्याग; त्यागपत्र। दे.-'इस्ते$फाÓ।
इस्तीला (अ़.पु.)-किसी पर विजय पाना, किसी पर $गालिब होना, किसी पर हावी होना।
इस्तीलाद (अ़.पु.)-सन्तान होने की इच्छा करना, संतति-इच्छा।
इस्तीला$फ (अ़.पु.)-किसी से प्रेम की इच्छा करना, प्रेम-कामना।
इस्तीलाल (अ़.पु.)-जड़ से उखाडऩा, समूल नष्ट करना, उन्मूलन।
इस्तीसा$क (अ़.पु.)-मज़बूत बनने की इच्छा करना, दृढ़ता चाहना।
इस्तीसाल (अ़.पु.)-मूलोच्छेदन, जड़ से उखाड़ फेंकना, उन्मूलन, समूल-विनाश।
इस्तेÓजाब (अ़.पु.)-आश्चर्य प्रकट करना, तअ़ज्जुब करना; आश्चर्य, तअ़ज्जुब (ताज्जुब)।
इस्तेÓजाल (अ़.पु.)-किसी बात में शीघ्रता चाहना; दौडऩा, भागना, जल्दी करना।
इस्तेÓता$फ (अ़.पु.)-मेहरबानी चाहना, दयादृष्टि चाहना; किसी का मन मोहना; किसी का दिल मुट्ठी में लेना, प्रेमाविष्ट करना।
इस्तेÓदाद (अ़.पु.)-सामथ्र्य, शक्ति; दक्षता, निपुणता; ज्ञान, योग्यता, पात्रता, $काबिलीयत; विद्वता, इल्मीयत; किसी चीज़ से प्रभावित होने की योग्यता।
इस्तेÓ$फा (अ़.पु.)-नौकरी का त्याग; त्यागपत्र, टर्मिनेशन ऑ$फ सर्विस; क्षमा चाहना, दे.-'इस्ती$फाÓ।
इस्तेÓबाद (अ़.पु.)-दास बनाना, $गुलामी में लेना।
इस्तेÓमाल (अ़.पु.)-काम में लाना, उपयोग करना, प्रयोग करना, बरतना, व्यवहार करना; औषध आदि खाना, दवा का सेवन करना।
इस्तेÓमाली (अ़.पु.)-काम में लाया हुआ, इस्तेमाल किया हुआ, बरता हुआ, पुराना; काम में लाया जानेवाला, व्यवहार किया जानेवाला; प्रचलित।
इस्तेÓमाश (अ़.पु.)-दृष्टिमंदता, आँख से कम नज़र आना, दृष्टि कम हो जाना, तौर घट जाना।
इस्तेÓला (अ़.पु.)-प्रतिष्ठित होना, नामी होना, बड़ा होना; उँचा होना, बुलन्द होना।
इस्तेÓलाज (अ़.पु.)-इलाज कराना, चिकित्सा कराना; खाल का कड़ा हो जाना।
इस्तेÓलाम (अ़.पु.)-जानने की ख़्वाहिश होना, सूचना चाहना।
इस्तेह$का$क (अ़.पु.)-अपना अधिकार माँगना, जाइज़ ह$क चाहना, वैध अधिकार चाहना; ह$क या अधिकार जताना या साबित करना; स्वत्व, ह$क, अधिकार।
इस्तेहकाम (अ़.पु.)-पुष्टीकरण, पुष्टि; मज़बूती, दृढ़ता; स्थिरता, पायदारी।
इस्तेह$कार (अ़.पु.)-निन्दा, बुराई; अपमान, ह$कारत; ह$कीर जानना, अपमान करना।
इस्तेहज़ा (अ़.पु.)-ठठोल करना, हँसी उड़ाना; ठिठोली, हँसी, मज़ा$क, मख़्ाौल, खिल्ली।
इस्तेहज़ार (अ़.पु.)-याद रखना, स्मरण रखना; किसी के सामने रहने की इच्छा; किसी को सामने रखने की इच्छा।
इस्तेह$फाज़ (अ़.पु.)-निगरानी करना, निरीक्षण करना; निगरानी, निरीक्षण।
इस्तेहबाब (अ़.पु.)-पसन्द करना, अच्छा समझना।
इस्तेहमाम (अ़.पु.)-हम्माम में नहाना; किसी चीज़ की भाप लेना।
इस्तेहला$फ (अ़.पु.)-शपथ लेना, $कसम खिलाना, वचन भरवाना।
इस्तेहलाल (अ़.पु.)-नया चाँद देखना; पैदा होते समय बच्चे का रोना; ज़ाहिर होना, व्यक्त होना, प्रकट होना।
इस्तेहसा (अ़.पु.)-गिनती करना, गिनना, शुमार करना; क्रमबद्घ करना, तर्तीब से लगाना।
इस्तेहसान (अ़.पु.)-अच्छा समझना, पसन्द करना; भलाई, उपकार, नेकी।
इस्तेहसार (अ़.पु.)-गिनना, हिसाब करना; निर्भर करना, मुन्हसिर करना।
इस्तेहसाल (अ़.पु.)-हस्तगत करना, लेना, प्राप्त करना, हासिल करना।
इस्तेहसाल बिलजब्र (अ़.पु.)-ज़बरदस्ती छीनना, बलात् हरण।
इस्दा$क (अ़.पु.)-किसी बात की पुष्टि करना, किसी की बात की तस्दी$क करना, समर्थन करना।
इस्ना अ़शर (अ़.वि.)-बारह, द्वादश; बारह इमाम।
इस्ना अ़शरी (अ़.वि.)-इस्लाम धर्म में बारह इमामों को माननेवाला, शीअ़ा।
इस्नाद (अ़.पु.)-एक चीज़ को दूसरी चीज़ का सहारा देना; एक चीज़ का दूसरी चीज़ से सम्बन्ध जोडऩा; प्रभावित करना; सनद देना।
इस्नान (अ़.पु.)-ब$गल से दुर्गन्ध आने का रोग, गन्दा ब$गल।
इस्नाम (अ़.पु.)-'सनम का बहु., मूर्तियाँ, बुत।
इस्पंज ($फा.पु.)-मरा हुआ एक समुद्री कीड़ा, जो पानी सोखने के काम आता है।
इस्पंद (इस्पन्द)($फा.पु.)-एक तरह के काले दाने, जो दवा में प्रयुक्त होते हैं तथा नज़र उतारने और भूत-प्रेत आदि को भगाने के लिए जलाए जाते हैं, काला दाना। 'इस्पंद करनाÓ -नजऱ उतारने या भूत-प्रेत भगाने के के लिए काला दाना जलाना।
इस्पगोल ($फा.पु.)- एक पौधे के गोल बीज, जो दवा में काम आते हैं, इसबगोल।
इस्परक ($फा.पु.)-एक प्रकार की घास, जिससे कपड़ा रँगा जाता था, स्पृक्का।
इस्पह्बद ($फा.पु.)-सेनापति, सिपहसालार।
इस्पानाख़्ा ($फा.पु.)-पालक का साग।
इस्$फंज: (अ़.पु.)-दे.-'इस्पंजÓ।
इस्$फंज (अ़.पु.)-दे.-'इस्पंजÓ।
इस्$फंदयार ($फा.पु.)-ईरान का एक बहुत बहादुर बादशाह, जिसे रुस्तम ने अन्धा करके मारा था।
इस्$फंदार ($फा.पु.)-ईरानी बारहवाँ महीना।
इस्$फहान ($फा.पु.)-ईरान का एक प्राचीन और प्रसिद्घ नगर।
इस्$फानाख़्ा (अ़.पु.)-पालक का साग, दे.-'इस्पानाख़्ाÓ।
इस्$फार (अ़.पु.)-चमकना, प्रकाशित होना, रौशन होना। इसका 'सÓ उर्दू के 'सीनÓ अक्षर से बना है।
इस्$फार (अ़.पु.)-धनहीन होना, कंगाल होना, दरिद्र होना। इसका 'सÓ उर्दू के 'सुअ़ादÓ अक्षर से बना है।
इस्$फाह (अ़.पु.)-माँगनेवाले को कुछ न देना, याचक के प्रश्न को टाल जाना; किसी वस्तु को फैलाना।
इस्$िफरार (अ़.पु.)-पीला होना; पीलापन, पीताभ।
इस्$फेदबाज (अ़.पु.)-मरीज़ों के लिए बिना मसाले के गोश्त का शोरबा।
इस्$फेदाज (अ़.पु.)-स$फेदा काश्$गरी, एक विशेष प्रकार का सफ़ेदा।
इस्बंद (इस्बन्द)(अ़.पु.)-काला दाना नामक बीज जो प्राय: नज़र उतारने या भूत-प्रेत आदि भगाने के लिए जलाए जाते हैं, इस्पंद।
इस्बाÓ (अ़.पु.)-अँगुली, उँगली।
इस्बाग़ (अ़.पु.)-पूरा करना, पूर्ति करना; समाप्त करना, ख़्ात्म करना; निबटाना।
इस्बात (अ़.पु.)-किसी चीज़ को प्रमाणित या सिद्घ करने की क्रिया या भाव, प्रमाणित करना, साबित करना, सिद्घ करना; प्रमाण, सबूत।
इस्बात ए जुर्म (अ़.पु.)-अपराध साबित करना।
इस्बाते जुर्म (अ़.पु.)-दे.-'इस्बात ए जुर्मÓ।
इस्बाल (अ़.पु.)-कपड़े उतारना; जारी करना।
इस्बाह (अ़.पु.)-सवेरा करना; एक दशा से दूसरी दशा में परिवर्तित होना; सवेरे (तड़के) जाना।
इस्म (अ़.पु.)-अपराध, दोष, पाप, पातक, गुनाह; बदी, बुराई। इसका 'स्Ó उर्दू के 'सेÓ अक्षर से बना है।
इस्म (अ़.पु.)-नाम, संज्ञा, (व्याकरण में संज्ञा)। इसका 'स्Ó उर्दू के 'सीनÓ अक्षर से बना है।
इस्मत (अ़.स्त्री.)-सतीत्व, पातिव्रत्य, पाक दामनी, नामूस, शील। 'अ़स्मतÓ भी प्रचलित है।
इस्मतदर (अ़.$फा.वि.)-शील भंग करनेवाला, बलात्कारी, सतीत्व हरण करनेवाला।
इस्मतदरी (अ़.$फा.स्त्री.)-शीलभंगता, बलात्कार, सतीत्व-हरण, आबरूरेज़ी।
इस्मत $फरोश (अ़.$फा.वि.)-शील का सौदा करनेवाली, अपना सतीत्व बेचनेवाली, वेश्या, गणिका, वारांगना, पुंश्चली, $फाहिशा।
इस्मत $फरोशी (अ़.$फा.स्त्री.)-शील-विक्रण, वेश्याकर्म, रुपया लेकर सतीत्व बेचना, धन्धा या पेशा करना।
इस्मत मआब (अ़.वि.)-शील की सुरक्षा करनेवाली, अपने सतीत्व की रक्षा करनेवाली, सती, साध्वी।
इस्मत मआबी (अ़.स्त्री.)-शील-रक्षण, सतीत्व-पालन, अपने सतीत्व की रक्षा।
इस्मनवीसी (अ़.$फा.स्त्री.)-लोगों के नाम लिखना; अ़दालत में अपने गवाहों की सूची उपस्थित करना।
इस्मवार (अ़.$फा.वि.)-नाम के साथ, नाम के अनुसार; एक-एक नाम के साथ दिया हुआ विवरण आदि।
इस्मा (अ़.पु.)-'इस्मÓ का बहु., नाम, संज्ञाएँ, नाम-समूह।
इस्माअ़ (अ़.पु.)-सुनाना; गाली बकना; गाना गाना।
इस्मार (अ़.पु.)-फल लाना।
इस्मिद (अ़.पु.)-सुरमा, एक प्रकार का पत्थर जिसका अंजन बनता है।
इस्मेअ़दद (अ़.पु.)-संख्यावाचक विशेषण, जिससे संख्या का ज्ञान हो।
इस्मे अ़ाज़म (अ़.पु.)-सबसे बड़ा नाम; महामंत्र; ईश्वर का नाम, जिसके उच्चारण से शैतान और भूत-प्रेत दूर रहते हैं।
इस्मे ज़मीर (अ़.पु.)-सर्वनाम।
इस्मे जलाली (अ़.पु.)-ईश्वर का नाम।
इस्मे जामिद (अ़.पु.)-वह संज्ञा, जो किसी से बनी न हो, रूढि़।
इस्मे नकिर: (अ़.पु.)-जातिवाचक संज्ञा।
इस्मे $फरज़ी (अ़.पु.)-दे.-'इस्मे $फजऱ्ीÓ।
इस्मे $फजऱ्ी (अ़.पु.)-कल्पित नाम; $फर्जी या कल्पित होना, काल्पनिक होना।
इस्मे $फायल (अ़.पु.)-कर्ता, गुणवाचक संज्ञा।
इस्मे माÓरि$फ: (अ़.पु.)-व्यक्तिवाचक संज्ञा।
इस्मे सि$फत (अ़.पु.)-विशेषण।
इस्याँ (अ़.पु.)-'इस्यानÓ का लघु., दे.-'इस्यानÓ।
इस्याँकार (अ़.$फा.वि.)-पातकी, पापजीवी, पाप में जीवन व्यतीत करनेवाला।
इस्याँशिअ़ार (अ़.$फा.वि.)-दे.-'इस्याँकारÓ।
इस्यान (अ़.पु.)-पाप, अपराध, गुनाह, अध, पातक; अवज्ञा, ना$फर्मानी।
इस्रा (अ़.पु.)-रात्रि में यात्रा करना, रात में रस्ता चलना, निशायात्रा, निशागमन।
इस्राईल (अ़.पु.)-हज्ऱत यूसु$फ के पिता हज्ऱत या$कूब का एक नाम।
इस्राईली (अ़.वि.)-हज्ऱत या$कूब के मत का अनुयायी, यहूदी।
इस्रा$फ (अ़.पु.)-धन उड़ाना; व्यय करना, ख़्ार्च करना; अपव्यय, आवश्यकता से अधिक ख़्ार्च, $फुज़ूलख़्ार्ची।
इस्रा$फील (अ़.पु.)-इस्लामी मान्यता के अनुसार वह $फरिश्ता, जो $कयामत अर्थात् महाप्रलय के दिन तूर फँूकेगा या नरसिंहा बजाएगा और उसकी आवाज़ सुनकर सारे मुर्दे $कब्रों से जाग उठेंगे, महाप्रलय के दिन मुर्दों को जगाने के लिए तुरही बजानेवाला देवदूत।
इस्रार (अ़.पु.)-हठ करना, जि़द करना; बार-बार कहना; तकरार करना; हठ, जि़द। इसका 'सÓ उर्दू के 'सुअ़ादÓ अक्षर से बना है।
इस्रार (अ़.पु.)-गुप्त करना, छिपाना; भेद बताना, रहस्य बताना; भेद, रहस्य, राज़। इसका 'सÓ उर्दू के 'सीनÓ अक्षर से बना है।
इस्लाख़्ा (अ़.पु.)-चमड़ी उधेडऩा, खाल खींचना, खाल उतारना।
इस्ला$फ (अ़.पु.)-आगे भेजना।
इस्लाम (अ़.पु.)-शान्ति चाहना; ईश्वरेच्छा के आगे सिर झुकाना; इस्लाम-धर्म; ईश्वर की आज्ञा-पालन के मार्ग में प्राण देने को प्रस्तुत होना।
इस्लामी (अ़.वि.)-इस्लाम-धर्म-सम्बन्धी; मुसलमानों का।
इस्लामीयात (अ़.स्त्री.)-इस्लामी-साहित्य।
इस्लाल (अ़.पु.)-रिश्वत देना, घँूस देना; चोरी करना।
इस्लाह (अ़.स्त्री.)-बिगड़ी हुई अवस्था का सुधार, ठीक करना, त्राुटियाँ दूर करना, संशोधन, शुद्घि, तर्मीम; काव्य या लेख की त्रुटियों की शुद्घि; मेल, मैत्री; हजामत-ख़्ात बनाना या बनवाना; गाल और ठोड़ी पर के बाल। 'इस्लाह करनाÓ- आवश्यक सुधार करना, $गलतियाँ दूर करना; 'इस्लाह बनानाÓ-हजामत बनाना, दाढ़ी या ठोड़ी बनाना, शेविंग करना।
इस्लाहात (अ़.स्त्री.)-'इस्लाहÓ का बहु., इस्लाह-समूह, इस्लाहें।
इस्लाही (अ़.वि.)-शुद्घ किया हुआ; सुधार-सम्बन्धी।
इस्हा$क (अ़.पु.)-एक पै$गम्बर, जो हज्ऱत इब्राहीम के सुपुत्र थे।
इस्हाब (अ़.पु.)-अधिक बोलना, बहुत बोलना; जंगल में फिरना।
इस्हाल (अ़.पु.)-बार-बार पाख़्ााना जाना; शौच, दस्त, पतला पाख़्ााना; दस्तों की बीमारी, पेचिस, अतिसार।
इहतमाम (अ़.पु.)-प्रबन्ध, व्यवस्था, बन्दोबस्त।
इहात: (अ़.पु.)-क्षेत्र, हल्$का, अहाता; आँगन, घर के बाहर का खुला क्षेत्र; प्राचीर, चारदीवारी; घर, वेष्ठन; प्रदेश, इलाका। 'अहात:Ó भी प्रचलित है।
इहानत (अ़.स्त्री.)-मानहानि, हत्के इज़्ज़त; बेइज़्ज़ती, अपमान, अनादर, तिरस्कार।
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