है
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हैं (हिं.अव्य.)-
एक अव्यय जो आश्चर्य, असम्मति आदि का सूचक है। (क्रि.अक.)-'होना'क्रिया का वर्त्तमान रूप 'है' का बहुवचन।
है (हिं.क्रि.अक.)-
'होना' का वर्त्तमान-कालिक एकवचन रूप, जो कृषि वस्तु के होने की पुष्टि करता है।हैअ़त (अ़.स्त्री.)-
रूप, आकृति, शक्ल; ज्योतिर्विद्या, नजूम; आकाशीय पदार्थों की विद्या, खगोल-विद्या।हैअ़तदाँ (अ़.फ़ा.वि.)-
खगोल-विद्या का जानकार; ज्योतिषी।हैअ़ते कज़ाई (अ़.स्त्री.)-
वेषभूसा, शक्ल-सूरत, ऐसी धज जिसमें कोई हँसी का पहलू हो।हैअ़ते मज्मूई (अ़.स्त्री.)-
कोई वस्तु अपने सारे अंगों या अव्यवों के साथ।हैकल (अ़.स्त्री.)-
वह मूर्ति जो किसी ग्रह के नाम पर बनाई जाए; बुतख़ाना, मन्दिर; महल,प्रासाद, भवन, बड़ी इमारत; हार, गले की माला; सूरत-शक्ल, रूप, आकृति,
डील-डौल, नक़्शा; वेषभूषा, सज-धज; कवच, ता'वीज़, यन्त्र।
हैज़: (अ़.पु.)-
क़ै-दस्त का घातक रोग, विसूचिका, हैज़ा।हैज़ (अ़.पु.)-
आर्तव, पुष्प, रज, ऋतु, कुसुम, स्त्री के मासिक-धर्म का ख़ून; वह कपड़ाजिससे औरतें मासिक-धर्म का रक्त साफ़ करके फेंक देती हैं; वह शख़्स
जो बहुत ही घृणित और नीच हो तथा कोई उसे अपने पास न बैठाए ।
हैज़ए वबाई (अ़.पु.)-
वह हैज़ा, जो महामारी के रूप में फैला हो।हैज़ा (अ़.स्त्री.)-
रजस्वला, पुष्पवती, जिस अ़ौरत को मासिक-धर्म हो रहा हो।हैजा (अ़.पु.)-
युद्घ, समर, जंग, लड़ाई।हैजान (अ़.पु.)-
अशान्ति, गड़बड़ी; ज़ोर, जोश, आवेश, उबाल, तेज़ी; कोलाहल, शोर; बेचैनी, घबराहट।हैजानअंगेज़ (अ़.फ़ा.वि.)-
अशान्ति फैलानेवाला, गड़बड़ी मचानेवाला; बेचैनी फैलानेवाला।हैजानख़ेज़ (अ़.फ़ा.वि.)-
दे.-'हैजानअंगेज़'।हैजानी (अ़.वि.)-
अशान्ति और बेचैनी से सम्बन्ध रखनेवाली वस्तु।हैज़ी (अ़.वि.)-
दोग़ला, हरामी, वर्ण-संकर; पाजी, दुष्ट।हैज़ुम (फ़ा.स्त्री.)-
सूखी लकड़ी, जलाने की लकड़ी, जलावन, ईंधन।हैज़ुमकश (फ़ा.वि.)-
लकड़हारा; लगाई-बुझाई करनेवाला।हैज़ुमकशी (फ़ा.स्त्री.)-
लकड़हारे का काम; लगाई-बुझाई।हैज़ुमफ़रोश (अ़.फ़ा.वि.)-
लकड़ियाँ बेचनेवाला, ईंधन बेचनेवाला, जलावन-विक्रेता, जलाने की लकड़ी का व्यापारी।हैज़ुमफ़रोशी (फ़ा.स्त्री.)-
ईंधन बेचने का काम।हैज़ुर्रिजाल (अ़.पु.)-
निन्दा, बुराई, ग़ीबत, चुग़ली, पिशुनता।हैतान (अ़.पु.)-
अकृत, असत्य, झूठ।हैदर (अ़.पु.)-
शेर, सिंह, व्याघ्र; हज़रत अ़ली की एक उपाधि।हैदरे कर्रार (अ़.पु.)-
हज़रत अ़ली की एक उपाधि; बारम्बार शत्रु की सेना पर टूट पडऩेवाला।हैफ़ (अ़.पु.)-
खेद या शोकसूचक शब्द; हा, आह, हाय-हाय, अफ़सोस, खेद, दुःख; ज़ुल्म, अत्याचार, दरेग़।हैफ़ा (अ़.स्त्री.)-
कृशोदरी, पतली कमर वाली स्त्री।हैबत (अ़.स्त्री.)-
आतंक, रो'ब, धाक; भय, त्रास, डर; तेज, जलाल; प्रताप, इक़्बाल।हैबतअंगेज़ (अ़.फ़ा.वि.)-
भयकारक, भय उत्पन्न करनेवाला, त्रासजनक।हैबतअंगेज़ी (अ़.फ़ा.स्त्री.)-
भय उत्पन्न करना, त्रासजनक होना।हैबतज़द: (अ़.फ़ा.वि.)-
भयभीत, त्रस्त, डरा हुआ, सहमा हुआ।हैबतज़दगी (अ़.फ़ा.स्त्री.)-
त्रास, भयभीत होना, डरना।हैबतज़ा (अ़.फ़ा.वि.)-
दे.-'हैबतअंगेज़'।हैबतनाक (अ़.फ़ा.वि.)-
डरावना, रौद्र, भयंकर, भयानक, ख़ौफ़नाक।हैबतनाकी (अ़.फ़ा.स्त्री.)-
भयंकर होना, भयानक होना, डरावना, ख़ौफ़नाकी।हैमा (अ़.पु.)-
बिना पानीवाला जंगल, बियाबान।हैमीय: (फ़ा.स्त्री.)-
जलाने की सूखी लकड़ी, जलावन।हैय: (अ़.पु.)-
सर्प, साँप, अहि।हैयात (अ़.वि.)-
'हैय:' का बहु., सर्प-समूह, बहुत-से साँप; वह विद्या जिसमें पृथ्वी आदिके चलने और आकर्षण आदि का अनुशीलन होता है, ज्योतिष; सूरत,
बनावट ;दशा, अवस्था, कैफ़ियत, हालत।
हैयाल (अ़.वि.)-
महा छली, बहुत बड़ा मक्कार, अत्यधिक धूर्त।हैयिज़ (अ़.पु.)-
स्थान, जगह; छोर, किनारा, तट।हैयिज़े ख़ाकी (अ़.फ़ा.पु.)-
पृथ्वीलोक, मर्त्यलोक, जगत्, संसार, दुनिया।हैयुलअ़ालम (अ़.पु.)-
एक बूटी जो सदा हरी-भरी रहती है।हैरत (अ़.स्त्री.)-
विस्मय, अचम्भा, आश्चर्य, तअ़ज्जुब।हैरतअंगेज़ (अ़.फ़ा.वि.)-
आश्चर्यजनक, अजूबा, अजीबोग़रीब।हैरतअंगेज़ी (अ़.फ़ा.स्त्री)-
अजूबापन, आश्चर्यजनकता।हैरतअफ्ज़़ा (अ़.फ़ा.वि.)-
आश्चर्यवर्द्धक, अचम्भा बढ़ानेवाला।हैरतकद: (अ़.फ़ा.पु.)-
जहाँ हर बात आश्चर्यजनक हो, जहाँ हर तरफ़ अचम्भेवाली बात हो।हैरतख़ान: (अ़.फ़ा..पु.)-
दे.-'हैरतकद:'।हैरतख़ेज़ (अ़.फ़ा.वि.)-
दे.-'हैरतअफ्ज़़ा'।हैरतज़द: (अ़.फ़ा.वि.)-
भौंचक्का, आश्चर्यान्वित, चकित, विस्मित, निस्तब्ध, अचम्भे में पड़ा हुआ।हैरतज़दगी (अ़.फ़ा.स्त्री.)-
अचम्भे में पड़ा हुआ होना।हैरतज़ा (अ़.फ़ा.पु.)-
दे.-'हैरतअफ्ज़़ा'।हैरतनाक (अ़.फ़ा.वि.)-
दे.-'हैरतअंगेज़'।हैरतफ़ज़ा (अ़.फ़ा.वि.)-
'हैरतअफ्ज़ा' का लघु., दे.-'हैरतअफ्ज़़ा'।हैरतसरा (अ़.फ़ा.स्त्री.)-
दे.-'हैरतकद:'।हैरतसामाँ (अ़.फ़ा.वि.)-
दे.-'हैरतअंगेज़'।हैरती (अ़.वि.)-
आश्चर्य में डूबा हुआ, चकित, निस्तब्ध; तल्लीन, मस्त, सरशार।हैरते जल्व: (अ़.स्त्री.)-
प्रेमिका के दर्शन से उत्पन्न निस्तब्धता।हैरते हुस्न (अ़.स्त्री.)-
सुन्दरता के अनुभव से होनेवाली हैरत।हैरान (अ़.वि.)-
भौंचक्का, चकित, निस्तब्ध, हक्का-बक्का; परेशान भटकनेवाला, व्यग्र।हैरानी (अ़.स्त्री.)-
विस्मय, आश्चर्य, ताज्जुब, हैरत।हैल (अ़.स्त्री.)-
शक्ति, बल, ज़ोर, ताक़त।हैलूल: (अ़.पु.)-
आड़, ओट, आवरण, पर्दा।हैवान (अ़.पु.)-
पशु, चौपाया; वन-पशु, जन्तु, जंगली जानवर; प्रत्येक वह चीज़ जो प्राण रखती हो, जीवधारी; नादान, मूर्ख, वहशी।हैवानात (अ़.पु.)-
'हैवान' का बहु., पशुगण, चौपाये, मवेशी, जानवर।हैवानी (अ़.वि.)-
पाश्विक, पशु-सम्बन्धी; पशुओं का; पशुओं-जैसा।हैवानीयत (अ़.स्त्री.)-
जंगलीपन, पशुता, अमानवता, निर्दता, कठोरता; बेशर्मी, मूर्खता।हैवाने ज़ाहिक (अ़.पु.)-
हँसनेवाला प्राणी अर्थात् बन्दर।हैवाने नातिक़ (अ़.पु.)-
बोलनेवाला प्राणी अर्थात् मनुष्य।हैवाने मुत्लक़ (अ़.पु.)-
निरा पशु, बिलकुल जानवर; बेसलीक़ा, मूर्ख।हैस (अ़.स्त्री.)-
युद्घ, कलह, लड़ाई; कुमार्ग गति, बेराही।हैसबैस (अ़.स्त्री.)-
बहसा-बहसी, वाक्कलह, वाद-विवाद, तू-तू, मैं-मैं।हैसियत (अ़.स्त्री.)-
प्रतिष्ठा, इज़्ज़त; आर्थिक स्थिति, माली हालत; शक्ति, सामर्थ्य, ताक़त,योग्यता। 'हैसियत से बढ़कर'=बिसात से बाहर।
हैसियतदार (अ़.फ़ा.वि.)-
प्रतिष्ठित, इज़्ज़तदार; धनवान्, मालदार।हैसियतमंद (अ़.फ़ा.वि.)-
दे.-'हैसियतदार'।हैसियते उर्फ़ी (अ़.स्त्री.)-
साख, एतिबार, मानी हुई इज़्ज़त, सबमें मानी हुई प्रतिष्ठा।हैहात (अ़.स्त्री.)-
हा, हंत, हाय अफ़्सोस, हाय-हाय।------------------------------------------------
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