सू
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सू (तु.स्त्री.)-मद्य, मदिरा, शराब, (पु.)-नीर, जल, पानी।सू ($फा.स्त्री.)-दिशा की ओर इशारा, ओर, तर$फ, 'दुश्मनों की भीड़ मेरे चार-सूÓ।
सू (अ़.वि.)-बुरा, निकृष्ट, दूषित, ख़्ाराब।
सूए अदब (अ़.पु.)-धृष्टता, गुस्ताख़्ाी।
सूए अ़मल (अ़.पु.)-कुकर्म, बुराकाम, दुराचार, बदअ़मली।
सूए इत्ति$फा$क (अ़.पु.)-कुयोग, दुर्योग, बुरा संयोग, बुरा इत्ति$फा$क।
सूए एति$काद (अ़.पु.)-किसी की श्रद्घा न होना, अश्रद्घा, निरास्था।
सूए एतिबार (अ़.पु.)-किसी पर विश्वास न होना, अविश्वास, बेएतिबारी।
सूए ख़्ाुल्$क (अ़.पु.)-दु:शीलता, बदख़्ाुल्$की; अशिष्टता, बदअख़्ला$की।
सूए चख्ऱ्ा ($फा.स्त्री.)-आकाश की ओर, आस्मान की तर$फ।
सूए जऩ (अ़.पु.)-कुधारणा, किसी की ओर से बुरा ख़्ायाल या विचार।
सूए ज़मीं ($फा.स्त्री.)-पृथ्वी की ओर, ज़मीन की तर$फ।
सूए तद्बीर (अ़.स्त्री.)-कोशिश, प्रयत्न या उपाय की ख़्ाराबी, ठीक उपाय या प्रयास अथवा इलाज न होना।
सूए तनफ़्$फुस (अ़.पु.)-साँस का विकार, साँस का ठीक न चलना; साँस का उखड़ जाना।
सूए तरी$क (अ़.पु.)-राह हूवार न होना, मार्ग की ख़्ाराबी, रास्ते का ऊबड़-खाबड़ होना।
सूए दिमाग़ (अ़.पु.)-बुद्घिविक्षेप, दिमाग़ की ख़्ाराबी, पागलपन।
सूए मिज़ाज (अ़.पु.)-शरीर की धातुओं का विकार; किसी अंग-विशेष या
शरीर के मिज़ाज का विकार; रोग, बीमारी।
सूए हज़्म (अ़.पु.)-अपच, अजीर्ण, हाजि़मे की ख़्ाराबी।
सू$क (अ़.पु.)-बाज़ार, हाट, पण; 'सा$कÓ का बहु., शाखाएँ, शाखें।
सू$िकयान: (अ़.$फा.वि.)-बाज़ारू, बाज़ारी, लो$फर-जैसा।
सू$की (अ़.वि.)-बाज़ारी, बाज़ार का; निकृष्ट, नीच।
सूची (तु.पु.)-पानी पिलानेवाला; मदिरा बेचनेवाला।
सूचीख़्ाान: (तु.$फा.पु.)-मधुशाला, मदिरालय, शराबख़्ााना।
सूद: ($फा.वि.)-घिसा हुआ, रगड़ा हुआ, मर्दित; चूर, चूर्ण, सु$फु$फ, घिसन।
सूद ($फा.पु.)-ब्याज, कुसीद, इन्टरेस्ट; लाभ, न$फा।
सूद (अ़.पु.)-'अस्वदÓ का बहु., काले रंग की चीजें़।
सूदए अल्मास ($फा.पु.)-हीरे की घिसन, हीरे का सु$फु$फ।
सूदख़्ाोर ($फा.पु.)-ब्याज खानेवाला, कुसीदजीवी, कौसीद।
सूदख़्ाोरी ($फा.स्त्री.)-ब्याज खाना, सूद का कारोबार करना।
सूदत (अ़.स्त्री.)-अध्यक्षता, सरदारी; श्रेष्ठता, बुज़ुर्गी।
सूद दर सूद ($फा.पु.)-चक्रवर्ती ब्याज, ब्याज की एक $िकस्म जिसमें ब्याज को मूलधन में जोड़कर उस पर फिर ब्याज लगता है, चक्रवृद्घि।
सूद बालाए सूद ($फा.पु.)-दे.-'सूद दर सूदÓ।
सूदमंद ($फा.वि.)-लाभकारी, $फाइद:मंद।
सूदमंदी ($फा.स्त्री.)-लाभकारिता, $फाइद:मंदी।
सूदान (अ़.पु.)-अफ्ऱीका का एक देश, सूडान।
सूदी ($फा.वि.)-सूद का, ब्याज का; सूद से सम्बन्धित।
सूदोजिय़ाँ ($फा.पु.)-लाभ और हानि, न$फा और नु$कसान।
सूनिश ($फा.स्त्री.)-किसी धातु का वह बुरादा, जो रेती से घिसने पर गिरे; लोहे, ताँबे या हीरे का बुरादा।
सू$फ (अ़.पु.)-ऊन, ऊर्ण; एक प्रकार का ऊनी कपड़ा; भेड़ या बकरी के बाल। इसका 'सूÓ उर्दू के 'सुअ़ादÓ अक्षर से बना है।
सू$फ (अ़.स्त्री.)-विज्ञान, हिकमत। इसका 'सूÓ उर्दू के 'सीनÓ अक्षर से बना है।
सू$फार ($फा.पु.)-तीर का मुँह, बाण का वह भाग जिसे धनुष की ताँत पर रखकर छोड़ते हैं।
सू$िफया (अ़.पु.)-'सू$फीÓ का बहु., सू$फी लोग।
सू$िफयान: (अ़.$फा.वि.)-सू$िफयों-जैसो; हलके रंग का।
सू$िफस्ता (अ़.स्त्री.)-एक मत, जिसमें सारी चीज़ों को कल्पनात्मक समझते हैं।
सू$िफस्ताई (अ़.वि.)-सू$िफस्ता-मत को माननेवाला, यह माननेवाला कि सारा जगत् केवल एक कल्पना है और इसकी हर चीज़ कल्पित है।
सू$फी (अ़.पु.)-अध्यात्मवादी, ब्रह्मïज्ञानी, तसव्वु$फ का अनुयायी, सारे धर्मों से प्रेम करनेवाला।
सू$फीमनिश (अ़.$फा.पु.)-जो सब धर्मों से प्रेम करे, जो किसी धर्म से वैर न रखे, सबको समान भाव से देखनेवाला।
सूब: (अ़.पु.)-प्रान्त, प्रदेश, राज्य; किसी राष्ट्र का वह भाग, जिसमें बहुत-से जि़ले हों और एक गवर्नर के शासन में हो।
सूब:जात (अ़.पु.)-'सूब:Ó का बहु., सूबे, प्रान्त-समूह।
सूब:दार (अ़.$फा.पु.)-सूबे का शासक, गवर्नर, राज्यपाल; सिपाही से बड़ा एक औहदा।
सूब:दारी (अ़.$फा.स्त्री.)-राज्यपाल का पद, गवर्नरी; सूबेदार का औहदा, जमादारी।
सूब:परस्ती (अ़.$फा.स्त्री.)-अपने राज्य या प्रान्त का पक्षपात, अपने प्रान्त में रहनेवाले के साथ रिअ़ायत करना और उसे अनुचित बढ़ावा देना।
सूब:वारान: (अ़.$फा.वि.)-राज्यों या प्रान्तों के हिसाब से।
सूबसू ($फा.वि.)-चारों ओर, हर तर$फ, हर ओर, चारसू।
सूबाई (अ़.वि.)-प्रान्तीय, सूबे का, राज्य का।
सूम (अ़.पु.)-लहसुन, लशुन।
सूर: (अ़.पु.)-$कुरान की सूरत ($कुरान में कुल 114 सूरतें हैं, सबसे बड़ी सूरत पूरे $कुरान का 1/12 अंश है और सबसे छोटी सूरत केवल दो पंक्तियों की है)।
सूर (अ़.पु.)-वह तुरही, जिसे महाप्रलय के दिन हज्ऱत इस्रा$फील बजाएँगे और जिसकी आवाज सुनकर सभी मुर्दे अपनी-अपनी $कब्रों से निकलकर एक बड़े मैदान में एकत्र होंगे, जहाँ उनके कर्मों का हिसाब-किताब होगा।
सूरए इख़्लास (अ़.स्त्री.)-$कुरान की एक सूरत।
सूरए $फातिह: (अ़.स्त्री.)-$कुरान की प्रथम अर्थात् पहली सूरत।
सूरए यासीन (अ़.स्त्री.)-$कुरान की एक सूरत, जो मरते समय सुनाई जाती है।
सूरत (अ़.स्त्री.)-दे.-'सूर:Ó। इसका 'सूÓ उर्दू के 'सीनÓ अक्षर से बना है।
सूरत (अ़.स्त्री.)-रूप, आकृति, शक्ल; मुखाकृति, चेहरा; दशा, हालत; चित्र, तस्वीर; उपाय, तदबीर; समान, मिस्ल; ख़्ााका, रूपरेखा। इसका 'सूÓ उर्दू के 'सुअ़ादÓ अक्षर से बना है।
सूरतआश्ना (अ़.$फा.वि.)-जो केवल सूरत पहचानता हो और कोई बात (नाम आदि) न जानता हो।
सूरतगर (अ़.$फा.वि.)-सूरत बनानेवाला, ईश्वर; चित्रकार, मुसव्विर।
सूरतगरी (अ़.$फा.स्त्री.)-सूरत बनाना; तस्वीर बनाना; चित्रकारी।
सूरतपज़ीर (अ़.$फा.वि.)-चित्रित, तस्वीर खिंचा हुआ।
सूरतपज़ीरी (अ़.$फा.स्त्री.)-चित्रण, मुखाकृति या तस्वीर बनाना।
सूरतपरस्त (अ़.$फा.वि.)-ऊपरी टीप-टाप देखनेवाला; मूर्तिपूजक, बुतपरस्त; अच्छे रूप का पुजारी, हुस्न का पुजारी।
सूरतपरस्ती (अ़.$फा.स्त्री.)-ऊपरी टीप-टाप देखना; मूर्ति पूजना; अच्छे रूप को पूजना।
सूरतबाज़ (अ़.$फा.वि.)-बहुरूपिया, नक़्क़ाल।
सूरतबाज़ी (अ़.$फा.स्त्री.)-बहुरूपियापन, नक़्क़ाली।
सूरतहराम (अ़.वि.)-जो बिलकुल निकम्मा हो, कोई काम न करनेवाला।
सूरते हाल (अ़.स्त्री.)-वर्तमान स्थिति, मौजूदा हालत।
सूराख़्ा ($फा.पु.)-छेद, छिद्र, विवर, रन्ध्र।
सूराख़्ादार ($फा.वि.)-छेददार, छिद्रित, छेदवाला।
सूराख़्ो गोश ($फा.पु.)-कान का छेद, श्रवण-रन्ध्र।
सूराख़्ो बीनी ($फा.पु.)-नाक का देछ, नासा-विवर।
सूरिंजान ($फा.पु.)-सिंघाड़े के आकार की एक औषधि।
सूरिया (अ़.पु.)-शाम देश (अऱब)।
सूरी (अ़.वि.)-एक लाल फूल; हर लाल फूल। इसका 'सूÓ उर्दू के 'सीनÓ अक्षर से बना है।
सूरी (अ़.वि.)-शक्ल का, सूरत का, मुखाकृति का; सूरत से सम्बन्धित; ऊपरी, ज़ाहिरी, बाह्य। इसका 'सूÓ उर्दू के 'सुअ़ादÓ अक्षर से बना है।
सूलूल (अ़.पु.)-स्तनवृन्त, स्तनाग्र, भिटनी; मस्सा।
सूस (अ़.पु.)-रेशम के कपड़े को खा जानेवाला कीड़ा; मुलैठी का पेड़।
सूसमार ($फा.पु.)-एक प्रसिद्घ जन्तु, गोह, गोधा।
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