हू
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हूँ (फ़ा.अव्य.)-
सावधानी-सूचक शब्द; स्वीकृति-सूचक शब्द, 'हाँ'; धृणा-सूचक शब्द, 'नहीं'।हूँकना (हिं.क्रि.अक.)-
बछड़े की याद में या और कोई दुःख सूचित करने के लिए गाय काधीरे-धीरे बोलना; वीरों का ललकारना या डपटना; सिसककर रोना।
हू (फ़ा.उभ.)-
'अल्लाह्हू' का लघु रूप., ईश्वर का एक नाम जो प्राय: ग्रन्थों या पृष्ठोंके ऊपर शुभ समझकर लिखा जाता है, ब्रह्म, ईश्वर; शून्य, ख़ला;
सुनसान, खाली; भय, डर। 'हूँ का मुक़ाम'=ऐसा उजाड़ जहाँ कहीं
कुछ भी न दिखाई दे, ख़ौफ़नाक जगह, सुनसान स्थल।
हूकना (हिं.क्रि.अक.)-
सालना, कसकना; पीड़ा से चौंक उठना।हूत (अ़.स्त्री.)-
मछली, मत्स्य; मीन राशि, बारहवाँ बुर्ज, बुर्जे हूत।हूदा (फ़ा.वि.)-
ठीक, उचित, वाजिब, दुरुस्त। 'बेहूदा'=जो ठीक न हो, अनुचित, वाहियात।हून (अ़.पु.)-
अपमान, तिरस्कार, बेइज़्ज़ती।हूब: (अ़.पु.)-
वह व्यक्ति जो न भलाई कर सके न बुराई; दरिद्र बाल-बच्चे।हूब (अ़.पु.)-
अपराध, पाप, गुनाह; वध, हत्या, हलाकत।हूबहू (फ़ा.वि.)-
बिलकुल वैसा ही, एक-जैसा, सदृश, समान, तुल्य, मिस्ल।हूर (अ़.स्त्री.)-
'हौरा' का बहु., परन्तु उर्दू और फ़ार्सी में एकवचन ही बोलते हैं; वह स्त्रीजिसके बाल और आँखें बहुत स्याह हों और शरीर बहुत गोरा हो; स्वर्ग
में रहनेवाली सुन्दर स्त्री, स्वर्गांगना, स्वर्गवधू।
हूर (अ़.पु.)-
हत्या, हलाकत; हानि, नुक़्सान।हूर-ऐन (अ़.फ़ा.स्त्री.)-
सफ़ेद रंगवाले यानी चाँदी-जैसे बाल और सुन्दर बड़ी आँखोंवाली स्त्री।हूर जमाल (अ़.वि.)-
जिसका रूप स्वर्गांगना-जैसा हो अर्थात् बहुत-ही सुन्दर स्त्री।हूर तलअ़त (अ़.वि.)-
दे.-'हूर जमाल'।हूर शमाइल (अ़.वि.)-
स्वर्गांगनाओं-जैसे हाव-भाववाली स्त्री।हूराने बिहिश्त (अ़.फ़ा.स्त्री.)-
स्वर्ग में रहनेवाली स्त्रियाँ, परियाँ, स्वर्गांगनाएँ।हूरुलईन (अ़.स्त्री.)-
सुन्दर आँखोंवाली हूर।हूरेईं (अ़.फ़ा.स्त्री.)-
दे.-'हूरुलईन'।हूरोक़ुसूर (अ़.पु.)-
स्वर्ग और स्वर्गांगनाएँ, बिहिश्त और हूर।हूश (फ़ा.वि.)-
मनुष्यताहीन, वह आदमी जो आदमीयत से ख़ारिज हो, उजड्ड,गँवार; जंगली जानवर।
हूहक़ (अ़.पु.)-
ईश्वर का भजन या स्मरण, ईश्वर में तल्लीन हो जाना; हा-हा,हू-हू, शोरोग़ुल, चहल-पहल, अबादानी। 'हू-हक़ हो जाना'=मिट
जाना, नेस्तनाबूद हो जाना।
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