रौ
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रौअ़त (अ़.स्त्री.)-डर, भय, त्रास।रौगऩ (अ़.पु.)-तेल, तैल; स्नेह, चिकनाई; घी, घृत।
रौगऩगर (अ़.$फा.वि.)-तेल पेरनेवाला, तेली, तैलकार, तैलिक।
रौगऩ ज़बानी (अ़.$फा.स्त्री.)-ख़्ाुशामद, चाटुकारिता, जी-हुजूरी, चापलूसी ; वाचालता, चपलता, बड़बोलापन।
रौगऩ जोश (अ़.$फा.वि.)-एक प्रकार का पका हुआ गोश्त।
रौगऩ दा$ग (अ़.$फा.वि.)-घी से बघारा हुआ, छोंका हुआ, तड़का दिया हुआ।
रौगऩ फरोश (अ़.$फा.पु.)-तेल बेचनेवाला।
रौगऩी ($फा.वि.)-तेल में बना या पगा हुआ; तेल लगा हुआ; चिकना।
रौगऩे $काज़ (अ़.$फा.पु.)-चापलूसी, चाटुकारिता, ख़्ाुशामद।
रौगऩे कुंजद (अ़.$फा.पु.)-तिल का तेल, तैल।
रौगऩे गाव (अ़.$फा.पु.)-गाय का घी, गोघृत।
रौगऩे ज़र्द (अ़.$फा.पु.)-घी, घृत।
रौगऩे तल्ख़्ा (अ़.$फा.पु.)-कडुवा तेल, सरसों का तेल, सर्श$फ तैल।
रौगऩे शीरीं (अ़.$फा.पु.)-तिल का तेल, तैल।
रौगऩे सर्श$फ (अ़.$फा.पु.)-सरसों का तेल, कडुवा तेल।
रौगऩे सियाह (अ़.$फा.पु.)-सरसों का तेल।
रौज़: (अ़.पु.)-बा$ग, उपवन, उद्यान, आराम, वाटिका; हरा-भरा मैदान, सब्ज़:ज़ार; किसी बड़े सन्त की समाधि, किसी बड़े दरवेश का मक़्बरा।
रौज़:ख़्वाँ (अ़.$फा.वि.)-मिम्बर अर्थात् चबूतरे पर बैठकर 'कर्बलाÓ की दुर्घटनाओं का व्याख्यान करनेवाला।
रौज़:ख़्वानी (अ़.$फा.स्त्री.)-चबूतरे पर बैठकर 'इमाम हुसैनÓ की शहादत का हाल बयान करना।
रौज़ (अ़.पु.)-'रौज़:Ó का बहु., अनेक उद्वान, बहुत-से बा$ग, उपवन-समूह।
रौज़ए जन्नत (अ़.पु.)-स्वर्गवाटिका, जन्नत का बा$ग।
रौज़ए मुबारक (अ़.पु.)-पवित्र और पुनीत रौज़ा, मंगलमय उद्यान।
रौज़ए रयाहीन (अ़.पु.)-स्वर्ग, जन्नत।
रौज़ए रिज़्वाँ (अ़.पु.)-स्वर्ग, जन्नत, बहिश्त।
रौजऩ (अ़.पु.)-छिद्र, छेद, विवर, सूराख़्ा।
रौजऩे दर (अ़.$फा.पु.)-दीवार का छेद, दरवाज़ा।
रौजऩे दीवार (अ़.$फा.पु.)-दीवार का छेद।
रौज़ा (अ़.पु.)-बा$ग, उद्यान।
रौज़ात (अ़.पु.)-'रौज़ाÓ का बहु., उद्यान-समूह, अनेक बा$ग, बा$गात।
रौनक़ ($फा.स्त्री.)-शोभा, छटा, सुहानापन; दीप्ति, प्रकाश, चमक-दमक, तड़क-भड़क; प्रसन्नता और हर्ष की लहर।
रौन$कअफ्ज़़ा ($फा.वि.)-रौन$क बढ़ानेवाला, शोभा बढ़ाने-वाला; उपस्थित, मौजूद।
रौन$क अफ्ज़़ाई ($फा.स्त्री.)-शोभा बढ़ाना; उपस्थित।
रौन$कअफ्ऱोज़ ($फा.वि.)-दे.-'रौन$कअफ्ज़़ाÓ।
रौन$कअफ्ऱोजी ($फा.स्त्री.)-दे.-'रौन$कअफ्ज़़ाईÓ।
रौन$कआरा ($फा.वि.)-दे.-'रौन$कअफ्ज़़ाÓ।
रौन$क$िफज़ा ($फा.वि.)-'रौन$कअफ्ज़़ाÓ का लघु., दे.-'रौन$कअफ्ज़़ाÓ।
रौन$के ख़्ााना ($फा.स्त्री.)-घर की रौन$क, गृह-शोभा, गृह-दीप्ति; पत्नी, भार्या, बीवी।
रौनक़े चेहर: ($फा.स्त्री.)-मुख की छटा, चेहरे की शोभा, मुखरुचि, मुखश्री, मुखकान्ति।
रौनक़े बज़्म ($फा.स्त्री.)-सभा की रौन$क, सभा-भूषण।
रौनक़े मज्लिस (अ़.$फा.स्त्री.)-दे.-'रौनक़े बज़्मÓ।
रौनक़े मह$िफल (अ़.$फा.स्त्री.)-दे.-'रौनक़े बज़्मÓ।
रौशन (अ़.वि.)-दीप्त, प्रकाशित, मुनव्वर; उज्ज्वल, धवल, शफ़्$फा$फ; स्पष्ट, ज्वलंत, वाज़ेह; चमकदार, ज्योतिर्मय।
रौशनगुहर (अ़.$फा.वि.)-उच्चकुलीन, अ़ाली ख़्ाानदान।
रौशनजबीं ($फा.वि.)-उज्ज्वलललाट, चमकदार माथेवाला।
रौशनज़मीर (अ़.$फा.वि.)-जो दूसरों के मन की बात जानता हो, अन्तर्यामी।
रौशनज़मीरी (अ़.$फा.स्त्री.)-दूसरों के मन की बात जानना।
रौशनतब्अ़ (अ़.$फा.वि.)-प्रखर बुद्घि, तीव्र समझ।
रौशनतर (अ़.$फा.वि.)-बहुत अधिक चमकदार, अत्यधिक रौशन।
रौशनदान ($फा.पु.)-मकान में रौशनी आने का सूराख़्ा।
रौशनदिमा$ग (अ़.$फा.वि.)-दीप्तप्रज्ञ, तीक्ष्णबुद्घि, तेज़ अ़क़्ल; नाक में सूँघने का हुलास।
रौशनदिमा$गी (अ़.$फा.स्त्री.)-बुद्घि की तेज़ी, प्रतिभा।
रौशनदिल (अ़.$फा.वि.)-दे.-'रौशनज़मीरÓ।
रौशनदिली (अ़.$फा.स्त्री.)-दे.-'रौशनज़मीरीÓ।
रौशननिगाह (अ़.$फा.वि.)-दूरदर्शी, तेज़ निगाह।
रौशननिहाद (अ़.$फा.वि.)-दे.-'रौशनज़मीरÓ।
रौशनराए (अ़.$फा.वि.)-जिसकी राय बहुत अच्छी हो; जिसकी सलाह बहुत बढिय़ा हो; जो कूटनीति में निपुण हो।
रौशनसवाद (अ़.वि.)-शिक्षित, जो अच्छी तरह लिख-पढ़ सके।
रौशनाई ($फा.स्त्री.)-उजाला, प्रकाश, आँख की तेज़ी; मसि, सियाही।
रौशनी ($फा.स्त्री.)-प्रकाश, नूर; आभा, चमक।
रौह (अ़.स्त्री.)-सुगन्ध, ख़्ाुशबू; प्रफुल्लता, ताजग़ी; सुख, आराम।
रौहात (अ़.स्त्री.)-'रौहÓ का बहु., सुगन्धियाँ; सुख-चैन; ठण्डी हवाएँ।
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