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बिंत (अ़.स्त्री.)-सुता, पुत्री, लड़की, तनया, दुहिता।बिंतुलअ़म्म (अ़.स्त्री.)-चावा की लड़की।
बिंतुलइनम (अ़.स्त्री.)-अंगूर की लड़का अर्थात् अंगूर की शराब, द्रक्षासव, मदिरा, सुरा।
बिंतुलउख़्त (अ़.स्त्री.)-बहन की लड़की, भानजी, भगिनीसुता, भागिनेयी।
बिंतुलकर्म (अ़.स्त्री.)-दे.-'बिंतुलइनमÓ।
बिंतुल$का$फ (अ़.स्त्री.)-$का$फ की परी, काकेशिया की स्त्री, काकेशिया-निवासिनी ($का$फ अर्थात् काकेशिया जिसे सौन्दर्य-पर्वत भी कहा जाता है, की औरतें अपनी सुन्दरता के लिए दुनिया-भर में प्रसिद्घ हैं)।
बिंतुलबह्रï (अ़.स्त्री.)-सागर की बेटी, समुद्र-सुता, जलपरी; लक्ष्मी (लक्ष्मी को भी समुद्र की पुत्री माना जाता हैए ऐसी मान्यता है कि समुद्र-मंथन के समय ही लक्ष्मी जल से बाहर आई थीं)।
बिंते आदम (अ़.स्त्री.)-आदम की बेटी अर्थात् नारी-वर्ग; स्त्री, नारी, औरत।
बिंते इनब (अ़.स्त्री.)-अंगूर की लड़का अर्थात् अंगूर की शराब, द्रक्षासव, मदिरा, सुरा।
बिंते हव्वा (अ़.स्त्री.)-हव्वा की बेटी अर्थात् नारी-वर्ग; स्त्री, नारी, औरत।
बिंसर (अ़.स्त्री.)-दूसरी छोटी उँगली, अनामिका।
बि अल्$काबिदी (अ़.अव्य.)-अपने सारे अल्$काबों अर्थात् उपाधियों के साथ (जिस किसी के नाम के साथ बहुत-सी उपाधियाँ लगती हों उन्हें न लिखकर केवल यह शब्द लिख देते हैं)।
बिअ़ाद (अ़.स्त्री.)-दूरी, $फासिला।
बिक (तु.पु.)-दे.-'बिगÓ।
बिकबाशी (तु.पु.)-दे.-'बिगबाशीÓ।
बिक्र (अ़.स्त्री.)-कुमारी, दोशाज़:, (वि.)-ऐसा काम जो पहले न हुआ हो, अभूतपूर्व।
बिक्रनिगाह (अ़.$फा.स्त्री.)-वह नायिका जिसे अभी हाव-भाव न आते हों, कमसिन, किशोरी।
बिग (तु.पु.)-'बेगÓ का लघु., नायक, सरदार।
बिगताश (तु.पु.)-जिसके बहुत-से दास-दासियाँ हों; जो एक ही स्वामी के दास हों, ख़्वाज़:ताश।
बिगबाशी (तु.पु.)-$फौज का मेजर, सेनानायक।
बिगयारु$क (तु.पु.)-एक ही स्वामी के दास अथवा सेवक, ख़्वाज़:ताश।
बि$गाअ़ (अ़.पु.)-वह व्यक्ति जिसमें पुरुष और स्त्री दोनों में से किसी के चिह्नï न हों, हीजड़ा, नपुंसक, क्लीव; बदकारी, बलात्कार।
बिचीज़ (अ़.पु.)-नीच, कमीना, अधम, तुच्छ।
बिजऩ ($फा़.पु.)-हत्या, वध, $कत्ल, (क्रि.)-मारना, जान से मार डालना।
बिजऩगाह ($फा.स्त्री.)-जहाँ हत्या की गई हो, जहाँ वध किया जाना हो, वध-स्थल, $कत्लगाह, मक़्तल।
बिज़ाअ़त (अ़.स्त्री.)-कुछ कर सकने की शक्ति, सामथ्र्य, मक़्दूर, समाई, गुंजाइश; पूँजी, सरमाय:, धन-दौलत।
बिज़ातिही (अ़.अव्य.)-अपने दम से, स्वयं आप।
बिजिंसिही (अ़.अव्य.)-एकदम या बिलकुल वैसा ही, तद्रूप, तत्सम, तदाकार।
बिजि़श्क (अ़.पु.)-वैद्य, हकीम।
बिज़्अ़ (अ़.पु.)-तीन से नौ तक की संख्या, इनके बीच की कोई संख्या।
बिज़्ज़ुरूर (अ़.अव्य.)-अवश्य, ज़ुरूर-ज़ुरूर, हर हालत में।
बिज़्ज़ुरूरत (अ़.अव्य.)-ज़ुरूरत पडऩे पर, आवश्यकता होने पर।
बिज़्दा$ग (अ़.पु.)-गली; धार लगाने का यंत्र।
बितमाम: (अ़.पु.)-सब, बिलकुल, पूर्ण।
बितमामिही (अ़.अव्य.)-पूरे तौर पर, पूर्णतया; सबका सब, कुल, सम्पूर्ण, सारा का सारा।
बिता (अ़.स्त्री.)-विलम्ब, देर।
बितान: (अ़.पु.)-पगड़ी के नीचे बाँधने का कपड़ा, टोपी।
बितालत (अ़.स्त्री.)-बहादुरी, शूरता, वीरता।
बित्तक़्दीर (अ़.अव्य.)-नसीब से, $िकस्मत से, भाग्यवश।
बित्तख़्सीस (अ़.अव्य.)-विशेष रूप से, ख़्ाास तौर पर। बित्तफ़्सील (अ़.अव्य.)-ख़्ाुलासा करके, विस्तारपूर्वक, तफ़्सील के साथ।
बित्तबअ़ (अ़.वि.)-मन से, दिल से; स्वभावत:, स्वभाव से, तबीअ़त से, अपनी इच्छा से।
बित्तमाम (अ़.वि.)-सम्पूर्ण, सारा का सारा, सबका सब, पूरे का पूरा।
बित्तर्तीब (अ़.वि.)-सिलसिलेवार, क्रम के अनुसार, तर्तीब के साथ, एक के बाद एक, क्रमश:।
बित्तश्रीह (अ़.वि.)-विस्तार से, व्याख्या-सहित, तफ़्सील के साथ।
बित्तस्रीह (अ़.वि.)-विस्तार से, व्याख्या-सहित, तफ़्सील के साथ; सा$फ-सा$फ, स्पष्टतया, वज़ाहत के साथ, स्पष्टीकरण के साथ।
बित्तह$की$क (अ़.वि.)-पक्के इरादे से, निश्चयपूर्वक।
बित्तीख़्ा (अ़.पु.)-ख़्ारबूज़ा।
बित्तीख़्ो अख्ज़ऱ (अ़.पु.)-तरबूज़।
बित्यार: ($फा.पु.)-अभिचार, जादू; छल, $फरेब; विपदा, विपत्ति, आपत्ति, मुसीबत, आ$फत; बला, दैवी आपदा; देव, पिशाच, भूत-प्रेत।
बित्री$क (अ़.पु.)-पादरी, किलीसाई।
बिदाअ़त (अ़.स्त्री.)-आरम्भ, प्रारम्भ, अनुष्ठान, शुरूअ़ात।
बिदिस्त ($फा.स्त्री.)-बित्ती, बित्ता, बालिश्त, वितस्ति।
बिदून (अ़.अव्य.)-रहित, बिना, ब$गैर।
बिद्अ़त (अ़.स्त्री.)-नवीनता, नई बात; धर्म में नई बात, इस्लाम-धर्म में वह बात जो रसूल (पै$गम्बर) के समय न हो।
बिद्अ़ती (अ़.वि.)-धर्म में व्यवस्था करनेवाला।
बिद्अ़ात (अ़.स्त्री.)-'बिद्अ़तÓ का बहु., बिद्अ़तें, धर्म में नई बातें, नई धार्मिक व्यवस्थाएँ।
बिद्राम ($फा.वि.)-दे.-'पिद्रामÓ, वही शुद्घ है।
बिद्रूद ($फा.स्त्री.)-भेजना, विदा करना, रुख़्सत करना; त्याग करना, छोडऩा।
बिना (अ़.वि.)-कारण, सबब; नींव, आधार, बुनियाद।
बिना अऩ अ़लैह (अ़.वि.)-इस बिना पर, इस कारण से, इस आधार पर।
बिनाए ज़ुल्म (अ़.स्त्री.)-अत्याचार की शुरूअ़ात, अत्याचार का कारण।
बिनाए दाÓवा (अ़.स्त्री.)-दावे का कारण, दावे का आधार।
बिनाए मुख़्ाासमत (अ़.स्त्री.)-विवाद का कारण, झगड़े की जड़, $फसाद की बुनियाद; वाद का मूल आधार।
बिनाबर (अ़.$फा.अव्य.)-इसलिए, इस कारण, इसी वज्ह से।
बिनीय: (अ़.स्त्री.)-दे.-'बुनीय:Ó, दोनों शुद्घ हैं, बुनियाद, आधार।
बि$फजि़्लही (अ़.वि.)-उसकी (ईश्वर) की अनुकम्पा से, ईश्वर की कृपा से, ख़्ाुदा के $फज़्ल से।
बिमिन्निही (अ़.वि.)-उसकी (ईश्वर) की अनुकम्पा से, ईश्वर की कृपा से, ख़्ाुदा के $फज़्ल से।
बियाबाँ ($फा.पु.)-'बियाबानÓ का लघु, दे.-'बियाबानÓ।
बियाबाँगर्द ($फा.वि.)-वनों में भटकनेवाला, वनचारी, जंगलों में घूमनेवाला, काननचारी।
बियाबाँनवर्द ($फा.वि.)-दे.-'बियाबाँगर्दÓ।
बियाबाँनशीं ($फा.वि.)-वनवासी, जंगल में रहनेवाला।
बियाबाँमर्ग ($फा.पु.)-जंगल में मरनेवाला, वह व्यक्ति जिसकी मृत्यु जंगल में हो।
बियाबान ($फा.पु.)-निर्जन, अरण्य, विपिन, कानन, जंगल, वन।
बियाबानी ($फा.वि.)-जंगल-सम्बन्धी; जंगल का, जंगली।
बियाबाने $कुद्स (अ़.$फा.पु.)-बैतुल मु$कद्दस (यरुशलम) का जंगल।
बिरंज़ ($फा.पु.)-तंदुल, चावल।
बिरंजन ($फा.स्त्री.)-सोने-चाँदी की चूड़ी।
बिर [र्र] (अ़.पु.)-भलाई, उपकार; दान, बख़्िशश; यश।
बिरजीस (अ़.पु.)-दे.-'बिर्जीसÓ, बृहस्पति, मुश्तरी।
बिरजीस$कद्र (अ़.वि.)-अत्यधिक प्रतिष्ठावाला।
बिरजीसशियम (अ़.वि.)-बृहस्पति-जैसी बुद्घिवाला, अत्यंत बुद्घिमान्।
बिरिंज (अ़.पु.)-पीतल, जस्ता और ताँबे के योग से बनी हुई एक धातु।
बिरिंजास$फ (अ़.पु.)-एक पत्ती जो दवा में काम आती है। बिरिश्त: ($फा.वि.)-भुना हुआ, भृष्ट।
बिरिश्त:$कल्ब (अ़.$फा.वि.)-जिसका हृदय प्रेमाग्नि में दग्ध हो गया हो, जिसका दिल प्रेम की आग में जल-भुन गया हो अर्थात् प्रेमी, अ़ाशि$क।
बिरिश्त:जिगर ($फा.वि.)-दे.-'बिरिश्त:$कल्बÓ।
बिरिश्त:दिल ($फा.वि.)-दे.-'बिरिश्त:$कल्बÓ।
बिर्जीस (अ़.पु.)-बृहस्पति, मुश्तरी।
बिर्यां ($फा.वि.)-भुना हुआ, भृष्ट।
बिर्यानी ($फा.स्त्री.)-एक प्रकार का पुलाव, जिसमें गोश्त भूनकर पड़ता है।
बिलअ़क्स (अ़.वि.)-बरख़्िाला$फ, विरुद्घ, प्रत्युत।
बिलआख़्िार (अ़.वि.)-आख़्िारकार, अन्तत:।
बिलइज्माअ़ (अ़.वि.)-सबकी सहमति से, सम्मतिपूर्वक, सबके मतैक्य से।
बिलइज्माल (अ़.वि.)-संक्षेप में, संक्षेपत:, मुख़्तसर तौर पर।
बिलइत्ति$फा$क (अ़.वि.)-सबकी सलाह से, सबकी सम्मति से।
बिलइं$िफराद (अ़.वि.)-एक-एक करके, व्यक्तिगत रूप से, इं$िफरादी तौर पर।
बिलइराद: (अ़.वि.)-संकल्पपूर्वक, निश्चयपूर्वक, इरादे से।
बिलइल्तिज़ाम (अ़.वि.)-निश्चित रूप से, लाजि़मी तौर पर।
बिलइश्तिराक (अ़.वि.)-भागीदारी में, साझे में, सबके सहयोग से, शिर्कत में।
बिलउमूम (अ़.वि.)-अ़ामतौर पर, प्राय:, बहुधा, अक्सर।
बिलएÓलान (अ़.वि.)-अ़लानिया तौर पर, एÓलान करके, घोषणा करके, खुल्लम-खुल्ला, डंके की चोट पर, सबके सामने।
बिल$कस्द (अ़.वि.)-सोच-समझकर, निश्चय से, इरादे से, जानते हुए, जान-बूझकर।
बिलकिनाय: (अ़.वि.)-संकेत में, इशारे में।
बिलकुल (अ़.वि.)-पूर्णतया, पूरे तौर पर, सम्पूर्ण; समस्त, सर्व; नितान्त, सर्वथा।
बिलकुल्लिय: (अ़.वि.)-सम्पूर्ण रूप से, सांगोपांग, पूरे तौर पर, पूर्णतया।
बिलख़्ाासियत (अ़.अव्य.)-दे.-'बिलख़्ाास्स:Ó।
बिलख़्ाास्स: (अ़.अव्य.)-अपनी तासीर से, अपने गुण के प्रभाव से।
बिलख़्ाुसूस (अ़.अव्य.)-मुख्यत:, प्रमुख रूप से, ख़्ाास तौर पर।
बिलजब्र (अ़.वि.)-बलात्, बलपूर्वक जब्रन (जबरन)।
बिलजुम्ल: (अ़.अव्य.)-प्राय:, अ़मूमन; बिलकुल, सर्वथा; किंबहुना, $िकस्स: मुख्तसर, संक्षेप में।
बिलमर्र: (अ़.वि.)-रोज़ाना, हमेशा, नित्य-प्रति।
बिलमाÓना (अ़.अव्य.)-वास्तव में, सत्यत:, ह$की$कत में; दूसरे अर्थ में, गुप्त रूप में।
बिलमु$काबिल (अ़.अव्य.)-सम्मुख, आमने-सामने, प्रत्यक्षत:, मु$काबिले में।
बिलमुक़्ता (अ़.वि.)-अलल हिसाब, हिसाब किए बिना दी हुई र$कम।
बिलमुज़ाअ़$फ (अ़.अव्य.)-दोगुना, दूना, द्विगुण, दुचंद।
बिलमुनास$फ: (अ़.अव्य.)-दो भागों में बराबर-बराबर, आधा-आधा।
बिलमुवाजह: (अ़.वि.)-आमने-सामने, सम्मुख, मुँह के सामने, मु$काबिले में।
बिलमुशा$फह: (अ़.अव्य.)-दे.-'बिलमुवाजह:Ó।
बिलमुशाहद: (अ़.अव्य.)-दे.-'बिलमुवाजह:Ó।
बिलय$कीन (अ़.अव्य.)-निश्चयपूर्वक, य$कीनन।
बिलवज्ह (अ़.अव्य.)-कारण से, कारणवश, सबब के साथ, सबब की बिना पर।
बिलवास्ति: (अ़.अव्य.)-बिचौलिए की सहायता से, किसी के द्वारा, किसी को बीच में डालकर, किसी को मध्यस्थ या माध्यम बनाकर।
बिला (अ़.अव्य.)-रहित, बिना, बिन, ब$गैर।
बिलाअंदेश (अ़.$फा.अव्य.)-दे.-'बिलातरद्दुदÓ।
बिला इजाज़त (अ़.$फा.अव्य.)-बिना आज्ञा।
बिला इराद: (अ़.अव्य.)-बिना इरादे के, यकायक।
बिला इश्तिबाह (अ़.वि.)-बिना संदेह के, नि:संदेह, बेशक।
बिला इस्तिस्ना (अ़.अव्य.)-बिना किसी को अलग किए हुए।
बिला उज्ऱ (अ़.अव्य.)-बिना किसी आना-कानी के, बिना किसी आपत्ति के; बिना किसी विवशता के; बिना किसी उज्ऱ के।
बिला $कैद (अ़.अव्य.)-बिना शर्त, बिना किसी शर्त के, बिना किसी पाबन्दी के।
बिला ज़मानत (अ़.अव्य.)-बिना ज़मानत का, जिसकी ज़मानत न हो सके।
बिला तअ़म्मुल (अ़.अव्य.)-बिना विचारे, बिना सोचे।
बिला तकल्लु$फ (अ़.अव्य.)-बिना किसी औपचारिकता के, बिना किसी संकोच के, बेतकल्लु$फ, बिना किसी तकल्लु$फ के, बिना किसी चिन्ता के, बिना किसी विचार के।
बिला तरद्दुद (अ़.अव्य.)-नि:शंक, बिना किसी शक या संदेह के, बिना चिन्ता और $िफक्र के।
बिला तवक़्$कु$फ (अ़.वि.)-बिना विलम्ब के, बिना देर किए, तुरन्त, $फौरन।
बिला तश्बीह (अ़.अव्य.)-बिना उपमा या उदाहरण दिए, बिना बराबरी किए।
बिला तश्रीह (अ़.अव्य.)-बिना टीका-टिप्पणी के, बिना व्याख्या किए।
बिला तसन्नो (अ़.अव्य.)-बिना बनावट के, बिना किसी हेर-फेर के।
बिला तहाशा (अ़.अव्य.)-अंधाधुंध, बहुत अधिक; बिना रुके; बे सोचे-समझे।
बिलाद (अ़.पु.)-'बलदÓ का बहु., अनेक नगर, नगर-समूह, अनेक राष्ट्र, राष्ट्र-समूह।
बिला दिक़्$कत (अ़.अव्य.)-बिना किसी कठिनाई के, बिना किसी अड़चन के, बिना किसी मुश्किल के, सुगमतापूर्वक।
बिला दिरे$ग (अ़.$फा.अव्य.)-दे.-'बिला हताशाÓ।
बिलादे इस्लामिय: (अ़.पु.)-वह देश जिसमें मुसलमान शासकों का राज हो।
बिलादे मग्रि़ब (अ़.पु.)-यूरोप के राष्ट्र।
बिलादे मश्रि$क (अ़.पु.)-पूर्वी राष्ट्र, एशियाई देश।
बिलादे हिन्द (अ़.$फा.पु.)-भारत के प्रदेश, हिन्दुस्तान के राज्य।
बिला ना$ग: (अ़.तु.अव्य.)-बिना ना$ग: किए, एक दिन भी ना$ग: किए बिना, रोज़ाना, नित्य-प्रति, प्रतिदिन।
बिला पर्द: (अ़.$फा.अव्य.)-बिना घँूघट किए, बिना मुँह ढाँपे; बिना किसी आड़ के; बिना गुप्तरूप के; खुल्लम-खुल्ला, चौपट में।
बिला पशोपेश (अ़.$फा.अव्य.)-बिना किसी दुविधा के, बिना संकोच के, बिना कुछ सोचे-विचारे।
बिला $फस्ल (अ़.अव्य.)-बिना किसी अन्तर के, बिना दूरी के।
बिना $फाइद: (अ़.वि.)-बे$फाइद:, व्यर्थ, बेकार।
बिला $फासिल: (अ़.वि.)-अन्तर के बिना, बिना दूरी।
बिला रूओ रिअ़ायत (अ़.$फा.पु.)-बिना किसी शील-संकोच के, बिना किसी पक्षपात के।
बिला वज्ह (अ़.अव्य.)-बिना किसी कारण के, अकारण, बेसबब।
बिला वासित: (अ़.अव्य.)-बराहे रास्त, सीधा, डाइरेक्ट।
बिला शक (अ़.वि.)-नि:शंक, नि:संशय, नि:संदेह, बेशुब्ह, बेशक।
बिला शुब्ह: (अ़.वि.)-दे.-'बिला शकÓ।
बिला सबब (अ़.अव्य.)-दे.-'बिला वज्हÓ, अकारण, बिना सबब।
बिलाहत (अ़.स्त्री.)-सांसारिक विषयों में बुद्घि की कमी।
बिलौर (अ़.पु.)-'बिल्लौरÓ का लघु., दे.-'बिल्लौरÓ।
बिल्लौर (अ़.पु.)-एक बहुमूल्य शीशा, स्फटिक मणि।
बिशारत (अ़.स्त्री.)-शुभ-समाचार, ख़्ाुशख़्ाबरी, सुख-संवाद। दे.-'बुशारतÓ, दोनों शुद्घ हैं।
बिसात (अ़.स्त्री.)-बिछौना, $फर्श; सतह, स्तर; पहुँच, रसाई, दस्तरस; हैसियत, सामथ्र्य; पूँजी, सरमाय:; साहस, हिम्मत; शतरंज के खेल का तख़्ता। 'कम होंगे इस बिसात पे हम जैसे बदकमार, जो चाल हम वले सो निहायत बुरी चलेÓ-बहादुर शाह ज़$फर
बिसातख़्ाान: (अ़.$फा.पु.)-बिसाती का सामान; बिसाती की दुकान।
बिसाती (अ़.पु.)-बिसातख़्ााने का सामान बेचनेवाला, जनरल मर्चेंट।
बिसाते ख़्ााक (अ़.$फा.स्त्री.)-पृथ्वीतल, ज़मीन की सतह।
बिसाते नर्द (अ़.$फा.स्त्री.)-चौसर खेलने का तख़्ता।
बिसाते शत्रंज (अ़.$फा.स्त्री.)-शत्रंज खेलने का तख़्ता, चेस-बोर्ड।
बिस्त ($फा.वि.)-बीस की संख्या, बीस।
बिस्तर ($फा.पु.)-शैया, बिछौना। Óरात होते ही मेरे बिस्तर पर, घर की छत बेलिबास होती हैÓ-माँझी
बिस्तरबंद ($फा.पु.)-बिस्तर बाँधने की पेटी आदि; होलडोल।
बिस्तरे आहंग ($फा.पु.)-पलंग की चादर।
बिस्ताम ($फा.पु.)-ईरान में ख़्ाुरासान के प्रदेश का एक प्रसिद्घ नगर, जो महात्मा 'बायज़ीदÓ का स्थान था।
बिस्तुम ($फा.वि.)-बीसवाँ।
बिस्बास ($फा.वि.)-व्यर्थ, बेकार, निरर्थक।
बिस्मिल ($फा.वि.)-क्षत, आहत, घायल, ज़ख़्मी।
बिस्मिलगाह ($फा.स्त्री.)-वध-स्थल, $कत्लगाह।
बिस्मिल्लाह ($फा.स्त्री.)-$कुरान की एक आयत, जिसका अर्थ है-'मैं उस ईश्वर के नाम से प्रारम्भ करता हूँ जो बड़ा दयालु और कृपालु हैÓ।
बिस्यार ($फा.वि.)-अधिक, बहुत, बहुल, प्रचुर।
बिस्यारख़्ाोर ($फा.वि.)-बहुभोजी, बहुत खानेवाला, पेटू।
बिस्यारख़्ाोरी ($फा.स्त्री.)-बहुत खाना, थूरना।
बिस्यारगो ($फा.वि.)-बहुत अधिक बोलनेवाला, बहुभाषी; $फुज़ूलगो, मिथ्यावादी।
बिस्यारगोई ($फा.स्त्री.)-अत्यधिक बोलना; $फुज़ूल बातें करना।
बिस्यारी ($फा.वि.)-प्रचुरता, बहुतायत, अधिकता, बाहुल्य।
बिह ($फा.वि.)-उत्तम, बढिय़ा, अच्छा।
बिहिल ($फा.वि.)-मुअ़ा$फ।
बिहिश्त ($फा.पु.)-स्वर्ग, जन्नत, $िफर्दौस।
बिहिश्ती ($फा.वि.)-स्वर्गीय, स्वर्ग का; स्वर्ग-सम्बन्धी; स्वर्ग का निवासी, स्वर्गवासी।
बिहिश्ते बरीं ($फा.पु.)-सबसे ऊँचा स्वर्ग।
बिहिश्ते शद्दाद (अ़.$फा.पु.)-वह स्वर्ग जो शद्दाद ने बनाया था।
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