बे
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बे ($फा.प्रत्य.)-निषेध-सूचक या अभाव-सूचक प्रत्यय जो शब्द से पहले लगता है; ब$गैर, बिदून, बिना।बेअंदाज़: ($फा.वि.)-अकूत, जिसका अनुमान न लगाया जा सके, अत्यधिक, जिसका अंदाज़ा न हो सके, हद से ज़्यादा, आवश्यकता से अधिक।
बेअंदाम ($फा.वि.)-असभ्य, अशिष्ट, बदतमीज़; धृष्ट, गुस्ताख़्ा, उद्दण्ड।
बेअ़क़्ल (अ़.$फा.वि.)-निर्बुद्घि, निर्विवेक, मूर्ख, बेशऊर।
बेअटकल ($$फा.वि.)-बेसली$का, बेशऊर; बिना तर्कीब; बे-जोड़।
बेअदब (अ़.$फा.वि.)-शोख़्ा, शरीर, जो बड़ों का आदर न करे; अशिष्ट, बेतमीज़; धृष्ट, गुस्ताख़्ा; असभ्य, बेतहज़ीब; उद्दण्ड, उजड्ड।
बेअदबी (अ़.$फा.वि.)-बड़ों का आदर न करना; धृष्टता, गुस्ताख़्ाी; अशिष्टता, बेतमीज़ी; असभ्यता, बदतहज़ीबी; उद्दण्डता, उजड्डपन।
बेअ़मल (अ़.$फा.वि.)-अकर्मण्य, जो जानता तो हो मगर उसके अनुसार व्यवहार न करता हो, निकम्मा।
बेअसर (अ़.$फा.वि.)-निष्प्रभावी, निष्फल, बेनतीज़ा; असर-रहित, अगुणकर, बे-$फाइदा, जो अपनी तासीर न दिखाए, जो प्रभावी सिद्घ न हो (दवा आदि)।
बेअस्ल ($फा.वि.)-$गलत, निर्मूल, निराधार, बेबुनियाद, झूठ, मिथ्या, आधारहीन, वस्तुशून्य।
बेआज़ार ($फा.वि.)-जो किसी के लिए दु:खदायी न हो, जो किसी को कष्ट न दे।
बेआब ($$फा.वि.)-आभाहीन, आभा-रहित, बेरौन$क।
बेआबरू ($फा.वि.)-बेइज़्ज़त, अपमानित, प्रतिष्ठा-रहित, ज़लील, तिरस्कृत।
बेआबोदान: ($फा.वि.)-अन्न-जल-विहीन, बिना कुछ खाये-पिये, दाना-पानी ब$गैर।
बेआबोरंग ($फा.वि.)-कान्तिहीन, आभा-रहित, नि:श्री, बेरौन$क।
बेआराम ($फा.वि.)-व्याकुल, निरानंद, विसुख, बेचैन, अशांत, $गैर मस्रूर, बेकल।
बेआरामी ($फा.स्त्री.)-आनन्दाभाव, बेचैनी, व्याकुलता, बेकली, कष्ट, तकली$फ।
बेइंतज़ामी ($फा.वि.)-अव्यवस्था, गड़बड़।
बेइंतिहा (अ़.$$फा.वि.)-बेहद, असीम, अपार, जिसका कोई ओर-छोर न हो, निस्सीम, बेअंदाज़।
बेइंसा$फ ($फा.वि.)-जो न्याय न करे, अन्यायी।
बेइख़्ितयार (अ़.$$फा.वि.)-अधिकारहीन; विवश, मजबूर, लाचार; बहुत, बेहद; अपने आप, ख़्ाुद ब ख़्ाुद, बिना इरादा किए; सहसा, बेहताशा।
बेइख़्ितयारान: (अ़.$$फा.अव्य.)-बिना सोचे-समझे, बेधड़क, बेहताशा, सहसा, यकायक, अकस्मात्।
बेइख़्ितयारी (अ़.$$फा.स्त्री.)-लाचारी, विवशता, मजबूरी, कमज़ोरी।
बेइज़्ज़त (अ़.$फा.वि.)-तिरस्कृत, बेआबरू, अपमानित; ज़लील; निन्दित, रुस्वा, गर्हित।
बेइज़्ज़ती (अ़.$$फा.स्त्री.)-अपमान, अप्रतिष्ठा, तिरस्कार; निन्दा, रुस्वाई।
बेइल्म (अ़.$फा.वि.)-विद्याहीन, इल्म से खाली, ज्ञान से वंचित; जाहिल, बेपढ़ा-लिखा, निरक्षर।
बेइल्मी (अ़.$$फा.स्त्री.)-विद्यााभाव, ज्ञान न होना, इल्म न होना; जहालत, निरक्षरता।
बेइश्तिबाह (अ़.$$फा.वि.)-नि:संदेह, नि:शंक, बेशुब्ह:, शक-रहित।
बेईमान (अ़.$फा.वि.)-जो ईमानदार न हो, जो अमानत में ख़्िायानत करे, बददियानत, बदनीयत; धोखेबाज़, द$गाबाज़, झूठा, नमकहराम।
बेईमानी (अ़.$फा.स्त्री.)-ईमानदारी का अभाव, अमानत में ख़्िायानत करना, बददियानती, बदनीयती; धोखेबाज़ी, झूठ, द$गाबाज़ी।
बेउज्ऱ (अ़.$फा.वि.)-आपत्ति-विहीन, संकोच-विहीन, जिसे किसी काम के करने में आपत्ति न हो; वह, जिससे जो कुछ कहा जाएउसे तुरन्त कर दे।
बेउसूल (अ़.$$फा.वि.)-सिद्घान्तहीन, जिस व्यक्ति का कोई उसूल अथवा सिद्घान्त न हो, जो किसी नियम का पाबन्द न हो।
बेएतिदाली (अ़.$फा.स्त्री.)-संतुलनहीनता; बदपरहेज़ी, पथ्य का अभाव; समरसता का अभाव; किसी काम में हद से आगे बढ़ जाना; कार्य-सीमा का ध्यान न रखना।
बेएतिनाई (अ़.$$फा.स्त्री.)-उपेक्षा करना, ध्यान न देना, तवज्जुह न करना।
बेएतिबार (अ़.$फा.वि.)-जिस पर विश्वास न किया जा सके, $गैरय$कीनी, अविश्वस्त, अविश्वसनीय, नामोÓतबर।
बेएतिबारी (अ़.$फा.स्त्री.)-विश्वास न होना, एतिबार न होना, अविश्वास, नामोÓतबरी।
बेऐब (अ़.$फा.वि.)-जिसमें कोई ऐब, खोट अथवा त्रुटि न हो; निर्दोष, निर्मल, बेखोट।
बेऔलाद (अ़.$$फा.वि.)-नि:संतान, अनपत्य, जिसके कोई संतान न हो।
बे$कद्र (अ़.$$फा.वि.)-जिसकी कोई $कद्र न हो, अप्रतिष्ठित, अनादृत, बेइज़्ज़त; ज़लील, अपमानित।
बे$कद्री (अ़.$फा.स्त्री.)-$कद्र का अभाव, अप्रतिष्ठा, मान-सम्मान का अभाव, बेइज़्ज़ती; ज़लालत, अपमान।
बेकमोकास्त ($फा.वि.)-दे.-'बेकमोबेशÓ।
बेकमोबेश ($फा.वि.)-यथावत्, ज्यों का त्यों, बिना घटाये-बढ़ाये, कम-जिय़ादा किये ब$गैर।
बेकराँ ($$फा.वि.)-जिसका कोई तट, छोर अथवा किनारा न हो, जिसकी कोई सीमा या हद न हो, असीम, अपार।
बेकरान: ($फा.वि.)-दे.-'बेकराँÓ।
बे$करार (अ़.$फा.वि.)-व्यग्र, अधीर, आतुर, व्याकुल, बेचैन, परेशान; उद्विग्न, घबराया हुआ
बे$करारी (अ़.$फा.स्त्री.)-व्यग्रता, आतुरता, बेचैनी, अधीरता, व्याकुलता, परेशानी; उद्विग्नता, घबराहट, बदहवासी।
बे$करीन: (अ़.$$फा.वि.)-जो सली$के से न हो; अस्त-व्यस्त, क्रमहीन, असंबद्घ, बेतर्तीब, गड़बड़, बेठिकाने; बेतमीज़, अशिष्ट।
बेकल ($फा.वि.)-विकल, बेचैन।
बेकलई ($फा.वि.)-बिना पॉलिश, वास्तविक रूप में।
बेकस ($फा.वि.)-निस्सहाय, निराश्रय, बेसहारा, अनाथ; दु:खी, दु:खित, पीडि़त, कष्टग्रस्त।
बेकसी ($फा.स्त्री.)-बेबसी, विवशता, नि:सहायता; दु:ख, कष्ट; आर्थिक अथवा वित्तिय परेशानी।
बेक़ाइद: (अ़.$फा.वि.)-अनिमित, नियम-विरुद्घ, बेज़ाबित:, प्रणाली के विरुद्घ; बेतर्तीब, असंबद्घ।
बे$काइदगी (अ़.$$फा.स्त्री.)-अनियमितता, नियम-विरुद्घता; असंबद्घता, बेतर्तीबी; बेज़ाबितगी।
बे$काबू ($फा.वि.)-जो $काबू अर्थात् वश में न आ सके, निरंकुश, उच्छासन, अनियंत्रित।
बेकार ($फा.वि.)-जो कार्य-विहीन हो, जो काम में न लगा हो, निठल्ला, निरुद्यम; व्यर्थ, निरर्थक, $फुज़ूल; निकम्मा, अपाहिज; ना$काबिले इस्तेमाल, प्रयोगहीन, अनुपयोगी।
बेकारी ($$फा.स्त्री.)-निठल्लापन, ठालीपन, कार्य अथवा उद्यम का अभाव; निकम्मापन; व्यर्थपन; प्रयोगहीनता, उपयोगहीनता।
बे$िकयास (अ़.$$फा.वि.)-अनुमान से परे, बेहिसाब, बहुत अधिक, अत्यधिक, बहुत जिय़ादा।
बे$कुसूर (अ़.$फा़.वि.)-जिसका कोई $कुसूर न हो, निरपराध, निर्दोष, बेगुनाह, पाप-रहित।
बे$कैद (अ़.$फा.वि.)-शर्त-रहित, बिना शर्त, बिना पाबन्दी के।
बेकै$फोकम (अ़.$फा.वि.)-ठीक-ठीक, यथार्थ।
बे$कौल ($फा.वि.)-बात का कच्चा, अदृढ़।
बेख़्ा ($फा.स्त्री.)-मूल, जड़, नींव, बुनियाद।
बेख़्ाकन ($फा.वि.)-जड़ खोदनेवाला, समूल नष्ट करनेवाला, नाश करनेवाला।
बेख़्ाकनी ($फा.स्त्री.)-समूल नष्ट करना, उन्मूलन, जड़ खोदना, नाश करना।
बेख़्ातर (अ़.$फा.वि.)-निर्भीक, निडर, निर्भय या बेख़्ाौ$फ; जिससे अनिष्ट की आशंका न हो, जिससे किसी अहित का भय न हो।
बेख़्ाता (अ़.$$फा.वि.)-पाप-रहित, निरपराध, दोष-रहित; अमोघ, कारगर, अचूक।
बेख़्ाबर (अ़.$फा.वि.)-बेहोश, अनभिज्ञ, बेसुध, संज्ञाहीन; सूचनाहीन, जिसे इलिलाअ़ न हो; अज्ञात, नावा$िक$फ; अनायास, अचानक; बेशुऊर।
बेख़्ाबरी (अ़.$$फा.स्त्री.)-अनभिज्ञता, संज्ञाहीनता, बेसुधपन, बेहोशी; सूचनाहीनता; बेशुऊरी; सूचना न होना, जानकारी का अभाव, नावा$क$फीयत।
बेख़्ाानामाँ ($फा.वि.)-बे घर का, जिसका घर-बार नष्ट हो गया हो, बेवतन।
बेख़्ाार ($$फा.वि.)-बिना काँटों का, जिसमें काँटे न हों, निष्कंटक; वह लड़का जिसके अभी दाढ़ी न निकली हो, किशोर।
बेख़्िारद ($फा.वि.)-मूर्ख, अविवेकी, बुद्घिहीन, बेअ़क़्ल।
बेख़्ाुद ($फा.वि.)-बेसुध, बेहोश, मदहोश, अचेत, निश्चेष्ट; आपे से बाहर, मस्त, मतवाला।
बेख़्ाुदी ($फा.स्त्री.)-बेहोशी, बेसुध होना, अचेतनता, सूचना का अभाव, बेख़्ाबरी।
बेख़्ाुर्दाेख़्वाब ($फा.वि.)-बिना आराम के, बिना खाये और सोये हुए।
बेख़्ाोबुन ($फा.स्त्री.)-जड़, बुनियाद।
बेख़्त: ($फा.वि.)-छाना हुआ।
बेख़्तगी ($फा.स्त्री.)-छानन।
बेख़्वाब ($फा.वि.)-अनिद्र, जिसे नींद न आए
बेख़्वाबी ($$फा.स्त्री.)-नींद न आना, नींद न आने का रोग, अनिद्रा।
बेख़्वास्त ($फा.वि.)-अनिमंत्रित, जो आमंत्रित न किया गया हो, जो बुलाया न गया हो, बे बुलाया हुआ, बिना चिन्ता और तलाश के स्वयं आया हुआ।
बेख़्वाहिशी ($फा.स्त्री.)-अनिच्छा, इच्छा का अभाव, इव्छा या चाहत न होना, निस्पृहता, उदासीनता।
बेख़्वेश ($फा.वि.)-जिसका कोई अपना न हो।
बेग (तु.पु.)-मु$गल-राज्य की एक उपाधि, मु$गलों का $कौमी ल$कब; सरदार, अमीर, सम्पन्न, नायक, अध्यक्ष।
बे$गम (अ़.$$फा.वि.)-बे$िफक्र, चिन्ता-रहित, निश्चिन्त, जिसे कोई चिन्ता न हो।
बेगम (तु.स्त्री.)-पत्नी बीवी; मल्का, रानी; भद्र महिला; श्रीमती, महोदया। शुद्घ उच्चारण 'बेगिमÓ है मगर उर्दू में 'बेगमÓ ही प्रचलित है।
बेगमात ($फा.स्त्री.)-'बेगमÓ का बहु., बेगमें, भद्र महिलाएँ।
बे$गमी (अ़.$फा.स्त्री.)-चिन्ता का अभाव, निश्चिन्तता।
बे$गरज़ (अ़.$$फा.वि.)-बेपरवा, उदासीन; जिसका कोई स्वार्थ न हो, नि:स्वार्थ।
बे$गरज़ान: (अ़.$फा.अव्य.)-नि:स्वार्थतापूर्ण।
बे$गरज़ी (अ़.$फा.स्त्री.)-नि:स्वार्थता, ख़्ाुलूस।
बेगान: ($फा.वि.)-जो अपना न हो, अस्वजन, पराया; $गैर आदमी; दूसरे का, परदेशी; अनजान, अपरिचित।
बेगान:ख़्ाू ($फा.वि.)-अक्खड़, वह व्यक्ति जिसकी प्रकृति में मेल-जोल न हो, बेगानों-जैसा व्यवहार करनेवाला, मेल-जोल प रखनेवाला, अपने आप में ही सिमटकर रहनेवाला।
बेगान:वश ($फा.वि.)-बेगानों अर्थात् परायों की तरह रहन-ेवाला, किसी से मेल-जोल न रखनेवाला।
बेगान:वशी ($फा.स्त्री.)-बेगानों या परायों की तरह रहना, अनजान और अजनबी की तरह रहना, किसी से मेल-जोल न करना।
बेगान:वार ($$फा.वि.)-अजनबियों की तरह, परायों की तरह, जैसे कभी की जान-पहचान ही न हो।
बेगान:सि$फत (अ़.$$फा.वि.)-दे.-'बेगान:वारÓ।
बेगानगी ($$फा.स्त्री.)-परायापन, अस्वजनता; अपरिचय, अजनबीयत, अनजानपन; बेइल्मी, ज्ञान का न होना।
बे$गायत (अ़.$$फा.वि.)-इन्तिहाई, बहुत-ही जिय़ादा, हद का; बेहद, अत्यन्त, अत्यधिक।
बेगार ($फा.स्त्री.)-बिना मज़दूरी दिये काम लेना; बलपूर्वक किसी काम के लिए पकडऩा; वह कार्य जो ज़बरदस्ती करना पड़े; वह काम जो दिल लगाकर न किया जाए। मुहा.-'बेगार टालनाÓ-किसी काम को बे-मन से करना।
बेगारी ($फा.वि.)-बे-मन से काम करनेवाला, उचाट मन से काम करनेवाला; बिना पैसों के काम करनेवाला, बेगार में काम पर पकड़ा हुआ।
बेगाह ($फा.वि.)-सायंकाल, शाम का समय।
बेगाहाँ ($फा.वि.)-दे.-'बेगाहÓ।
बे$िगलो$िगश (अ़.$$फा.वि.)-बेतकल्लु$फ, अनाप-शनाप, अंधा -धुंध, बिना खटके; निश्चिन्त, बे$िफक्री से, बेपरवाई से; बहुत, बहुतायत से।
बेगुनाह ($फा.वि.)-निर्दोष, निष्पाप, बे$कुसूर, बेजुर्म; नाहक।
बेगुनाही ($फा़.स्त्री.)-निर्दोषता, बे$कुसूरी।
बेगुमाँ ($फा.वि.)-'बेगुमानÓ का लघु, बिना किसी शक के, नि:संदेह, बेशुब्हा; सहसा, अचानक।
बेगुमान ($फा.वि.)-दे.-'बेगुमाँÓ।
बे$गैरत (अ़.$$फा.वि.)-अशिष्ट, बेहया, निर्लज्ज; $गैर ख़्ाुद्दार, अस्वसभिमानी।
बे$गैरती (अ़.$$फा.स्त्री.)-स्वाभिमान अथवा ख़्ाुद्दारी का न होना; निर्लज्जता, बेहयाई।
बेगोरोक$फन (अ़.$$फा.वि.)-वह मृत व्यक्ति जिसे न क$फन मिला हो, न दफ्ऩ किया गया हो।
बेचार: ($फा..वि.)-दीन, हीन, $गरीब, दरिद्र, कंगाल; बेकस, दु:खी, नि:सहाय, निरुपाय।
बेचारगी ($फा.स्त्री.)-दरिद्रता, $गरीबी, कंगाली, मु$फलिसी; दीनता, हीनता, बेकसी।
बेचिरा$ग ($फा.वि.)-जिसके घर में चिरा$ग अथवा दीपक न हो; जिसके संतान न हो, नि:संतान।
बेचूँ ($फा.वि.)-लाजवाब, अनुपम, बेमिस्ल, अद्वितीय।
बेचूनोचरा ($फा.वि.)-बेदलील, बिना कुछ कहे-सुने, बिना किसी उज्ऱ के, बिना कान हिलाए, चुपचाप।
बेचूनोचिगूँ ($फा.वि.)-दे.-'बेचूनोचराÓ।
बेचैन ($फा.वि.)-बेकल, अधीर, व्याकुल, बे$करार।
बेचैनी ($फा.स्त्री.)-व्याकुलता, अधीरता, बे$करारी।
बेचोब ($$फा.वि.)-वह ख़्ोमा जिसमें चोब नहीं लगाई जाती है, चोब-रहित तम्बू।
बेज़ ($$फा.प्रत्य.)-छाननेवाला, फैलानेवाला, जैसे-'मुश्कबेज़Ó -मुश्क (कस्तूरी) की सुगन्ध फैलानेवाला।
बेज़बान ($फा.वि.)-चुप, ख़्ाामोश, मौन, जो कुछ कहना न जानता हो, जो मुँह से अपना हाल न बता सके, जो किसी बात की शिकायत न करता हो; दीन, हीन, $गरीब।
बेज़बानी ($फा.स्त्री.)-मौन या चुप रहना, कोई शिकायत आदि न करना।
बेजऱ ($$फा.वि.)-दरिद्र, मु$फलिस, निर्धन, धनहीन, कंगाल। कहा.-'बेजऱ इश्$कÓ-टें-टें अर्थात् बिना पैसे यानी $गरीबी में इश्$कबाज़ी नहीं होती।
बेजऱर ($$फा.वि.)-जिससे कोई हानि न पहुँचे, जिससे कोई नुक़्सान न हो।
बेजऱी ($फा.स्त्री.)-दरिद्रता, निर्धनता, कंगाली, मु$फलिसी।
बेज़वाल ($फा.वि.)-जिसका पतन न हो, जिसकी अवनति न हो, पाएदार, न घटनेवाला, अविनाशी।
बेजा ($फा.वि.)-अनुचित, नामुनासिब; असंगत, बेतुका, ना-जायज़, नियम-विरुद्व; नाह$क, $गलत।
बेजान ($फा.वि.)-मृत, निर्जीव, निष्प्राण, बेरूह।
बेज़ाबित: (अ़.$फा़.वि.)-नियम-विरुद्घ, $कानून के विरुद्घ, बे$काइदा, अनियमित।
बेज़ार ($फा.वि.)-विमुख, मुँह फेरे हुए; अप्रसन्न, क्रुद्घ, नाख़्ाुश, नाराज़; नफ्ऱत करनेवाला, घृणा करनेवाला; दु:खी।
बेज़ारी ($$फा.स्त्री.)-अप्रसन्नता, नफ्ऱत, नाख़्ाुशी; विमुखता, मुँह फेरना; रोष, कोप।
बेजिगर ($फा.वि.)-जिसमें दिल न हो, डरपोक, भीरू। उर्दू में मगर इसके विपरीत ही अर्थ लिये जाते हैं, उर्दू में इसके अर्थ हैं-निडर, निर्भय, बेख़्ाौ$फ।
बेजिगरी ($$फा.स्त्री.)-भीरुता, डरपोकपन। (उ.स्त्री.)-निर्भयता, निडरता, बेख़्ाौ$फी।
बेजिऩहार ($फा.वि.)-बेपनाह, जिससे बचाव न हो सके, घातक।
बेजिहत (अ़.$फा.वि.)-बेमतलब, अकारण, बिना किसी कारण, बेवजह, बिना सबब।
बेजुर्म (अ़.$$फा.वि.)-जिसका कोई अपराध न हो, जिसका कोई दोष न हो, निरपराध, निर्दोष, निष्पाप, बे$कुसूर।
बेजुर्मी (अ़.$$फा.स्त्री.)-निरपराधता, बे$कुसूरी, निर्दोषता, निष्पापता।
बेज़ौ$क ($$फा.वि.)-जिसमें कोई मज़ा अथवा स्वाद न हो, बेमज़ा, बेस्वाद।
बेतअम्मुल (अ़.$$फा.वि.)-बेधड़क, नि:संकोच, बेखटके, बे$िफक्र।
बेतअ़ल्लु$क (अ़.$फा.वि.)-जिससे किसी प्रकार का सम्बन्ध न हो, जिससे कोई लगाव न हो, बेलगाव, जिसका किसी बात से कोई लेना-देना न हो, जो दख़्ल न दे, जो किसी प्रकार का हस्तक्षेप न करे।
बेतअ़ल्लु$की (अ़.$$फा.स्त्री.)-लगाव या सम्बन्ध का अभाव, लगाव न होना, सम्बन्ध न होना, किसी भी प्रकार के दख़्ल या हस्तक्षेप का न होना।
बेतअ़स्सुब (अ़.$फा.वि.)-जिसमें धर्मिक संकीर्णता अथवा पक्षपात न हो।
बेतअ़स्सुबी (अ़.$$फा.स्त्री.)-धर्म-सम्बन्धी संकीर्णता अथवा पक्षपात का न होना।
बेतकल्लु$फ (अ़.$फा.वि.)-बिना किसा झिझक के, बेझिझक, संकोच के बिना, बेधड़क, नि:संकोच, बेखटके; संतोषपूर्वक, आराम से; घनिष्ठ, अंतरंग, गहरा।
बेतकल्लु$फी (अ़.$$फा.स्त्री.)-संकोच अथवा झिझक का न होना
बेतकान ($फा.वि.)-अनथक, बिना थके हुए; बिना काम छोड़े हुए, काम से छुट्टी लिए ब$गैर; निरन्तर, लगातार; बेतकल्लु$फ; घोड़े का बहुत तेज़ भागना ।
बेतक़्सीर (अ़.$फा.वि.)-जिसका कोई अपराध न हो, जो किसी पाप में संलिप्त न हो, निरपराध, बेगुनाह, बेख़्ाता।
बेतद्बीर ($फा.वि.)-बिना प्रबन्ध या इंतिजाम के; बिना किसी उपाय के; बिना सतर्कता अथवा सावधानी से; बेपरवा, निद्र्वन्द्व।
बेतमाÓ (अ़.$$फा.वि.)-जिसे कोई लाभ अथवा लालच न हो, नि:स्पृह, बेनियाज़।
बेतमीज़ (अ़.$$फा.वि.)-फूहड़, अशिष्ट, बेसली$क:, बेअदब, असभ्य; धृष्ट, $गस्ताख़्ा; उद्दण्ड, सरकश।
बेतमीज़ी (अ़.$$फा.स्त्री.)-फूहड़ता, असभ्यता, अशिष्टता।
बेतरतीब ($फा.वि.)-दे.-'बेतर्तीबÓ, वही शुद्घ है।
बेतरद्दुद (अ़.$$फा.वि.)-बेखटके, बिना किसी झिझक या भय के , बिना किसी चिन्ता के, निश्चिन्त; वह ज़मीन जो जोती-बोई न गई हो।
बेतरह (अ़.$फा.वि.)-बुरी तरह, पागलों की तरह, ख़्ाूब-ख़्ाूब, बहुत अधिक।
बेतर्तीब (अ़.$फा.वि.)-बे$काइदा, अस्त-व्यस्त; जिसमें कोई क्रम न हो, असंबद्घ, क्रमहीन।
बेतर्तीबी (अ़.$फा.स्त्री.)-क्रमबद्घता का अभाव, क्रम का न होना, असंबद्घता।
बेतलब (अ़.$$फा.वि.)-बिना माँगा हुआ, अयाचित; बिना बुलाए; जिसकी तलब या इच्छा न हो, अनिच्छित।
बेतहाशा (अ़.$$फा.वि.)-अचानक, सहसा, अकस्मात्, एक- दम से, यकायक; बे सोचे-समझे, बेधड़क; घबराहट से; अनाप-शनाप, बहुत अधिक, अंधाधुंध।
बेता$कत (अ़.$फा.वि.)-अशक्त, जिसमें शक्ति अथवा ता$कत न हो, निर्बल, बेज़ोर।
बेता$कती (अ़.$फा.स्त्री.)-अशक्ति, शक्ति अथवा ता$कत का अभाव, निर्बलता, कमज़ोरी।
बेताब ($फा.वि.)-परेशान, व्याकुल, बेचैन; अधीर, बेसब्र; उत्कंठित, मुश्ता$क; अशक्त, नाता$कत, निर्बल, कमज़ोर; सामथ्र्यहीन।
बेताबान: ($$फा.अव्य.)-उत्कंठा के साथ, धैर्य-रहित, बेताबी के साथ; घबराया हुआ; बहुत जल्द।
बेताबी ($फा.स्त्री.)-घबराहट, बेचैनी, परेशानी, व्याकुलता; अधैर्य, बेसब्री; उत्कंठा, इश्तिया$क; अशक्ति, कमज़ोरी, बेज़ोरी, दुर्बलता, सामथ्र्यहीनता।
बेतासीर (अ़.$फा.वि.)-जो प्रभावकारी न हो, जिसमें असर न हो।
बेतुका ($फा.वि.)-अनुपयुक्त, नामौज़ूँ।
बेतौ$कीर (अ़.$फा.वि.)-असम्मानित, अमर्यादित, अपमानित, तिरस्कृत, बेइज़्ज़त।
बेद ($फा.पु.)-एक पहाड़ी पेड़ जिसमें फल नहीं आता और पतली तथा नाज़ुक होने के कारण उसकी शाखें सदा हिलती रहती हैं; एक प्रकार की लचीली लकड़ी, वेत्र, बेंत।
बेदइंजीर ($$फा.पु.)-अरंड, अंडी।
बेदख़्ाल (अ़.$फा.वि.)-दे.-'बेदख़्लÓ, वही शुद्घ उच्चारण है।
बेदख़्ल (अ़.$$फा.वि.)-वंचित, जिसका $कब्ज़ा या अधिकार न हो, अधिकार-च्युत।
बेदख़्ली (अ़.$$फा.स्त्री.)-अधिकार-च्युत होना, $कब्ज़ा हट जान, बे$कब्ज़े होना, निकाला जाना।
बेदबा$फ ($फा.पु.)-बेंत की बुनाई का काम करनेवाला।
बेदम ($$फा.वि.)-जिसमें जान न हो, बेजान; थका-माँदा; बोदा, ख़्ाराब; अशक्त, निर्बल, बेज़ोर, ता$कत-विहीन।
बेदमजनूँ ($फा.पु.)-एक पेड़ का नाम, दे.-'बेदे मज़्नूँÓ, वही शुद्घ है।
बेदमुश्क ($$फा.पु.)-एक प्रकार का ख़्ाुशबूदार पेड़, जिसके फूलों का अ़$र्क दवाओं में काम आता है। दे.-'बेदेमुश्कÓ, वही शुद्घ है।
बेदरे$ग ($फा.वि.)-बिना अ$फसोस के; बे सोचे-समझे; बहुत कस्रत से; वह व्यक्ति जिसे किसी बात का इंकार न हो।
बेदर्द ($फा.वि.)-जिसमें दर्द न हो, निर्दय, बेरहम, ज़ालिम, संग-दिल, पत्थर-मन, पाषाण-हृदय, (ला.)-प्रेयसी, प्रेमिका, माÓशू$क:। कहा.-'बेदर्द $कसाई क्या जाने पीर पराईÓ-पाषाण-हृदय को दूसरों का कष्ट प्रभावित नहीं करता।
बेदर्दान: ($फा.वि.)-कठोरता के साथ, निर्दयता के साथ, क्रूरता के साथ।
बेदर्दी ($फा.स्त्री.)-दर्द का अभाव, निर्दयता।
बेदस्तूर ($फा.वि.)-अनियमित।
बदस्तूरी ($फा.स्त्री.)-अनियमितता।
बे दस्तोपा ($फा.वि.)-जिसके हाथ-पाँव न हों, नि:सहाय, निराश्रय।
बे दस्तोपाई ($फा.स्त्री.)-हाथ-पाँव न होना, आश्रय न होना, सहारा न होना।
बेदहन ($फा.वि.)-दे.-'बेज़बाँÓ।
बेदा$ग ($फा.वि.)-बिना धब्बावाला, जिसमें कोई दा$ग-धब्बा न हो; निर्मल, स्वच्छ, पाक, सा$फ; निर्दोष, बेऐब, बे$कुसूर।
बेदाद ($फा.स्त्री.)-ज़ुल्म-सितम, अनीति, अत्याचार।
बेदादख़्ाू ($फा.वि.)-अत्याचार करना जिसकी आदत हो, जो ज़ुल्म करने का आदी हो।
बेदादगर ($फा.वि.)-ज़ुल्म करनेवाला, अत्याचार करनेवाला, ज़ुल्मी, ज़ालिम, अत्याचारी, निर्दयी, क्रूर।
बेदादगरी ($$फा.स्त्री.)-ज़ुल्म, अनीति, अत्याचार।
बेदादपेश: ($$फा.वि.)-दे.-'बेदादगरÓ।
बेदाद$फन ($फा.वि.)-दे.-'बेदादगरÓ।
बेदान: ($फा.वि.)-जिसके अन्दर बीज न हो, जैसे-'बेदाना अमरूदÓ।
बेदान:पानी ($फा.वि.)-बिना खाए-पिए।
बेदानिश ($$फा.वि.)-विद्याहीन, बेइल्म; बुद्घिहीन, अविवेकी, मूर्ख।
बेदानिशी ($फा.स्त्री.)-विद्या का अभाव; बुद्घिहीनता, अविवेकता।
बेदार ($फा.वि.)-जागनेवाला, जाग्रत, सचेत, सोने से उठा हुआ, होशियार, सावधान, सतर्क।
बेदारदिल ($$फा.वि.)-विवेकशील, बुद्घिकुशल, हर बात की ऊँच-नीच समझकर उसके अनुसार कार्य करनेवाला।
बेदारबख़्त ($फा.वि.)-अच्छे भाग्यवाला, सौभाग्यशाली, ख़्ाुश$िकस्मत, ख़्ाुशनसीब, भाग्यवान्।
बेदारमग्ज़़ी ($फा.स्त्री.)-समय के अनुसार कार्य करना।
बेदारी ($फा.स्त्री.)-जागने की हालत, जाग्रतावस्था, जाग्रति, जागरण, होशियारी, समझदारी।
बेदाश्त ($फा.वि.)-बिना देख-भाल के, ब$गैर ख़्ाबरगीरी के, बेपर्वा, निश्चिंत।
बेदिमाग़ (अ़.$$फा.वि.)-जो प्रसन्न न हो, नाख़्ाुश, उदास; बदमिज़ाज, चिड़चिड़ा; परेशान, व्यग्र।
बेदिमाग़ी ($फा.स्त्री.)-परेशानी, नाख़्ाुशी; बदमिज़ाजी।
बेदिरंग ($फा.वि.)-तुरन्त, शीघ्र, तत्क्षण, $फौरन, बिना बिलम्ब या देर किए।
बेदिरे$ग ($फा.वि.)-बिना सोचे-समझे, अंधाधुंध; बहुत अधिक; बिना संकोव के, बेहिचक।
बेदिल ($फा.वि.)-रंजीदा, उदास, खिन्न, अफ़्सुर्द:; नाख़्ाुश, नाराज़; मन-उचाट, बददिल; शोकार्त, दु:खी।
बेदिली ($फा.स्त्री.)-मन उचाट कोना, जी न लगना; उदासी, खिन्नता।
बेदीद ($फा.वि.)-बेमुरव्वत, बेलिहाज़, बेहया, निर्लज्ज, बेशर्म, कट्टर, निर्दय।
बेदीन (अ़.$फा.वि.)-लामज़्हब, धर्मरहित, विधर्मी; नास्तिक, ईश्वर के अस्तित्व को न माननेवाला।
बेदीनी (अ़.$फा.स्त्री.)-लामज़्हबी, धर्महीनता, नास्तिकता।
बेदेमज़्नूँ (अ़.$फा.पु.)-एक प्रकार का बेद, एक प्रकार की लचकीली लकड़ी।
बेदेमुश्क ($फा.पु.)-एक प्रकार का पेड़ जिसके पत्तों के अऱ$क से 'बेदमुश्कÓ बनता है, जो दवा में काम आता है; एक प्रकार की ख़्ाुशबूदार बेंत।
बेदे साद: ($फा.पु.)-बिना ख़्ाुशबूवाला बेद, जो दवा में चलता है।
बेदौलती (अ़.$फा.स्त्री.)-बद इक़्बाली, प्रतापहीनता, शान की कमी; निर्धनता, $गरीबी, मु$फलिसी।
बेनंग (अ़.$फा.वि.)-बेशर्म, बेहया, निर्लज्ज।
बेनंगोनामूस (अ़.$फा.वि.)-निर्लज्ज, बेहया, बेशर्म, जिसे न अपनी और न ही अपने वंश-कुल की मर्यादा तथा इज़्ज़त का ख़्ायाल हो।
बेनज़ीर (अ़.$फा.वि.)-अनुपम, अद्भुत, बेमिस्ल, लासानी, अद्वितीय, जिसकी कोई मिसाल या उपमा न हो।
बेनमक ($फा.वि.)-ऐसा खाना जिसमें नमक न हो; जिसमें लावण्य न हो, जो सुन्दर न हो।
बेनमकी ($फा.स्त्री.)-खाने में नमक न होना; अप्रसन्नता, नाख़्ाुशी; रंजिश, वैमनस्यता; बेलुत्फ़ी, मज़ा किरकिरा होना।
बेनवा ($फा.वि.)-बेकस, बे-सामान, दरिद्र, कंगाल, जिसके पास जीवनयापन की कोई सामग्री न हो; $फ$कीर; मुसलमानों के एक $िफर$के का नाम जो मज़हबी $कैदों से आज़ाद रहता है।
बेनवाई ($फा.स्त्री.)-बेकसी, दरिद्रता, कंगाली; $फ$कीरी।
बेनसीब (अ़.$फा.वि.)-बदनसीब, बद$िकस्मत, भाग्यहीन।
बेनसीबी (अ़.$फा.स्त्री.)-बदनसीबी, बद$िकस्मती, भाग्य का अच्छा न होना, भाग्यहीनता।
बेनाम ($फा.वि.)-अनाम, अनामक, जिसका कोई नाम न हो।
बेनामोनिशाँ ($फा.वि.)-बे-पते, बे-ठिकाने, जिसका कोई अता-पता न हो, गुमनाम।
बेनामोनुमूद ($फा.वि.)-दे.-'बेनामोनिशाँÓ।
बेनियाज़ ($फा.वि.)-स्वतंत्र, आज़ाद, स्वच्छन्द, बेपर्वा, जो किसी का मोहताज़ न हो, जिसे किसी का आश्रय या मुँह तकने की आवश्यकता न हो; जिसे किसी से कुछ लेने की इच्छा न हो।
बेनियाज़ी ($फा.स्त्री.)-किसी के आसरे की चाहत न होना, निस्पृहता, उासीनता, उपेक्षा; बेपर्वाई, स्वतंत्रता, स्वच्छन्दता, आज़ादी; किसी का मोहताज़ न होना।
बेनियाम ($फा.वि.)-बिना म्यान के, म्यान से बाहर, नंगी तलवार; आपे से बाहर, $गुस्से में बे$काबू।
बेनिहायत (अ़.$फा.वि.)-जिसका अंत न हो, जिसका कोई ओर-छोर न हो, अत्यधिक, अपार, असीम।
बेनु$कत (अ़.$फा.वि.)-ऐसा लेख जिसमें शब्दों पर नुक़्ते न हों; बहुत अधिक गालीगलौज।
बेनैले मराम (अ़.$फा.अव्य.)-लक्ष्य की प्राप्ति के बिना, उद्देश्य में सफलता के बिना, नाकाम, असफल मनोरथ।
बेपनाह ($फा.वि.)-असुरक्षित, बेअमान, ब$गैर हि$फाज़त; जिससे रक्षा या सुरक्षा न हो सके; जिसका कोई ओर-छोर न हो, अत्यधिक, बहुत जिय़ादा, जैसे-'बेपनाह मुहब्बतÓ।
बेपनाही ($फा.स्त्री.)-शरण का अभाव, शरण न मिलना, बचाव न होना।
बेपर ($फा.वि.)-जिसके पर या पंख न हों, जो उड़ न सके; विवश, लाचार, नि:सहाय। मुहा.-'बेपर उड़ानाÓ-बेज़ा अथवा व्यर्थ की प्रशंसा करना। 'बेपर की उड़ानाÓ-अ$फवाह उड़ाना, गप उड़ाना, झूठी बातें करना।
बेपरी ($फा.स्त्री.)-बेबसी, बेकसी, दीनता।
बेपरोबाल ($फा.वि.)-जिसके पर (पंख) और बाज़ू न हों; विवश, लाचार, नि:सहाय, निराश्रय, बेसहारा; दीन, बेबस।
बेपरोबाली ($फा.स्त्री.)-लाचारी, विवशता; नि:सहायता।
बेपर्द: ($फा.वि.)-पर्दे से बाहर; बिना घूँघट से मुँह ढँके, बिना बु$र्का ओढ़े हुए (स्त्री); बिना किसी आड़ के; खुल्लम -खुल्ला; स्पष्ट, वाज़ेह।
बेपर्दगी ($फा.स्त्री.)-औरत का पर्दे में न रहना; स्त्रियों का पर-पुरुषों के सामने बिना घूँघट आना, बिना बु$र्का ओढ़े स्त्रियों का घर से बाहर निकलना।
बेपर्वा ($फा.वि.)-जिसे किसी की परवाह न हो, निश्चिन्त, बे$िफक्र; निस्पूह, बेनियाज़; अभय, निडर, बेख़्ाौ$फ।
बेपर्वाई ($फा.स्त्री.)-निडरता, भयहीनता; निश्चिन्तता; डर का अभाव; नि:स्पृहता।
बेपायाँ ($फा.वि.)-जिसका अन्त न हो, जिसका कोई ओर-छोर न हो, बेइंतिहा, बेहद, असीम।
बेपीर ($फा.वि.)-जिसका कोई गुरु अथवा पीर न हो; निगुरा; निर्दय, निष्ठुर, ज़ालिम, बेदर्द, बेरहम; कृतघ्न, नमकहराम।
बे$फाइद: ($फा.वि.)-बेकार, व्यर्थ, $फुज़ूल, निष्प्रयोजन।
बे$िफक्र (अ़.$फा.वि.)-जिसे कोई $िफक्र या पर्वा न हो, बेपर्वा, निश्चिन्त; अदूरदर्शी; अभय, निडर।
बे$िफक्री (अ़.$फा.स्त्री.)-$िफक्र या पर्वा न होना, निर्भयता;
निश्चिन्तता।
बे$फैज़ (अ़.$फा.वि.)-जिससे किसी का भला न हो; जिससे किसी का लाभ न हो, अनुपकारी; जिसमें कोई यश न हो, अयश; कृपण, कंजूस, अनुदार, संकीर्ण-हृदय।
बेब$का (अ़.$फा.वि.)-जो नाशवान् हो, जो अमर न हो, जो सदा न रहे, अनित्य, नश्वर, $फानी।
बेबदल (अ़.$फा.वि.)-जिसके मेल का दूसरा न हो, जिसका जोड़ा न हो, जिसका कोई सानी न हो, अद्वितीय, लासानी, बेजोड़, अनुपम, लाजवाब; निश्चित, स्थिर-बुद्घि।
बेबर्ग ($फा.वि.)-जिसमें पत्ता न हो, पत्ता-रहित (पेड़ आदि)े; मोहताज; दीन-हीन।
बेबर्गोनवा ($फा.वि.)-साधनहीन, बेसाज़ो-सामान, निर्धन, निराश्रय, नि:सहाय, बेकस, दीन-हीन।
बेबर्गोबार ($फा.वि.)-बिना फल-फूल के अर्थात् बेऔलाद, संतान-विहीन, नि:संतान; निर्धन, कंगाल, दरिद्र, दीन-हीन।
बेबस ($फा.वि.)-लाचार, नाचार, असमर्थ, बेचारा, मजबूर, नि:सहाय।
बेबसर (अ़.$फा.वि.)-अंधा, दृष्टिहीन।
बेबहा ($फा.वि.)-बेश$कीमत, बहुमूल्य।
बेबह्रï: ($फा.वि.)-वह शख़्स जो किसी से $फाइदा न उठराए; वंचित, मह्रूम; अभागा, बदनसीब, बद$िकस्मत; (औरतों की बोली में)-आवारा, वाही-तबाही, ख़्ाराब-ख़्ास्ता; बदतमीज़, अशिष्ट, गुस्ताख़्ा।
बेबा$क (अ़.$फा.वि.)-वह व्यक्ति जो सब ऋण चुका दे, जिसके जिम्मे ऋण आदि का बकाया न रहा हो, उऋण, ऋणमुक्त, परिशुद्घ। मुहा.-'बेबा$क करनाÓ-$कजऱ्ा चुकाना, हिसाब सा$फ करना।
बेबाक ($फा.वि.)-शोख़्ा, गुस्ताख़्ा, आज़ाद, धृष्ट; बेहया, निर्लज्ज, बेशर्म; मुँहफट, मुक्तकंठ; अभय, निडर, दिलेर।
बेबाकान: ($फा.अव्य.)-निर्लज्जतापूर्वक, बेशर्मी से; धृष्टता -पूर्वक; मुँहतोड़; निडरता के साथ; उद्दण्डता से।
बेबा$की (अ़.$फा.स्त्री.)-परिशोधन, उऋणता, ऋण आदि की चुकती।
बेबाकी ($फा.स्त्री.)-धृष्टता, निर्लज्जता; उद्दंडता, निडरता, मुहँफटपना।
बेबाल ($फा.वि.)-बाज़ू-रहित अर्थात् असहाय, बे-सामान, बेबस, बेकस।
बेबालोपर ($फा.वि.)-पंख और बाज़ू-विहीन अर्थात् बेबस, बेकस, नि:सहाय, निराश्रय; जिसके पास जीविका का कोई साधन न हो; निर्धन, कंगाल, दीन-हीन।
बेबिज़ाअ़त (अ़.$फा.वि.)-जिसके पास पूँजी न हो, कंगाल, निर्धन; जो असमर्थ हो; जो कमइल्म हो।
बेबुन्याद ($फा.वि.)-आधार-रहित, निराधार, बेअस्ल, जो यर्थाथ न हो; मिथ्या, झूठ।
बेमक़्दूर (अ़.$फा.वि.)-जो समर्थ न हो, असमर्थ; बेइज़्ज़त, अप्रतिष्ठित।
बेमग्ज़़ (अ़.$फा.वि.)-अविवेकी, निर्बुद्घि, बेअ़क़्ल; निस्सार, खोखला; पोच, तुच्छ, लचर।
बेमज़: ($फा.वि.)-बेस्वाद, निस्वाद, नीरस, फीका; बेलुत्फ़, आनन्द-रहित; बेकार, ख़्ाराब; उदास, नाख़्ाुश, अप्रसन्न।
बेमजग़ी ($फा.स्त्री.)-अलोनापन, बेस्वादी, स्वाद की ख़्ाराबी, नीरसता, फीकापन; बेलुत्फ़ी, आनन्द का अभाव, अप्रसन्नता।
बेमस्रफ़ (अ़.$फा.वि.)-बेकार, निष्प्रयोजन, नाकार आमद, बे$फाइद:, निरर्थक।
बेमहर (अ़.$फा.वि.)-दे.-'बेमेह्रÓ, वही शुद्घ उच्चारण है।
बेमहल (अ़.$फा.वि.)-असमय, बेवक़्त, बेमौ$का, अवसर के विरुद्घ; अनुचित, नामुनासिब, अनुपयुक्त।
बेमहाबा ($फा.वि.)-निडर, बेधड़क, बिना किसी भय या ख़्ाौफ़ के, बिना हिचक या संकोच के; बेपर्दा, खुले मुँह, मुखपट हटाए हुए; धड़ाधड़, तड़ातड़, बेतहाशा।
बेमाÓना (अ़.$फा.वि.)-जिसका कोई अर्थ न हो, निरर्थक; निष्फल, बेनतीजा; व्यर्थ, बेकार, $फुज़ूल। दे.-'बेमाÓनीÓ, दोनों शुद्घ हैं।
बेमानिंद ($फा.वि.)-अनोखा, जिसकी तरह का कोई और न हो, जिसकी कोई तुलना या उपमा न हो, बेमिस्ल, अनुपम, अद्वितीय।
बेमाÓनी (अ़.$फा.वि.)-जिसका कोई अर्थ न हो, निरर्थक; निष्फल, बेनतीजा; व्यर्थ, बेकार, $फुज़ूल, दे.-'बेमाÓना, दोनों शुद्घ हैं।
बेमाय: ($फा.वि.)-कंगाल, निर्धन, जिसके पास पूँजी न हो, पूँजी-रहित; जिसके पास विद्यारूपी पूँजी न हो, बेइल्म।
बेमायगी ($फा.स्त्री.)-कंगाली, निर्धनता, दरिद्रता, $गरीबी, धन-विहीनता; अपाण्डित्य, बेइल्मी, विद्याहीनता।
बेमिक़्दार (अ़.$फा.वि.)-अधम, नीच, कमीना; अपमानित, तिरस्कृत, बेइज़्ज़त।
बेमिन्नते $गैरे (अ़.$फा.अव्य.)-किसी अन्य की ख़्ाुशामद किये बिना, किसी का एहसान लिये बिना।
बेमिसाल (अ़.$फा.वि.)-जिसकी कोई मिसाल न हो, जो स्वयं में अनूठा हो, बेनज़ीर, लाजवाब, अतुल्य, असमान, अनुपम, अनोखा, अद्वितीय।
बेमिस्ल (अ़.$फा.वि.)-दे.-'बेमिसालÓ।
बेमिहार ($फा.वि.)-जिसकी नाक में नकेल न हो अर्थात् निरंकुश, स्वच्छंद, बेलगाम, आज़ाद, उद्दण्ड।
बेमुरव्वत (अ़.$फा.वि.)-दु:शील, जिसमें शील-संकोच न हो, तोताचश्म, अक्खड़, उजड्ड; निष्ठुर, बेरहम, निर्दय।
बेमुरव्वती (अ़.$फा.स्त्री.)-निष्ठुरता, बेरह्मी; तोता-चश्मी, अक्खड़ता, दु:शीलता।
बेमुहार ($फा.वि.)-दे.-'बेमिहारÓ, वही उच्चारण शुद्घ है, बे-नकेल, बेरोक, स्वच्छंद।
बेमुहासिब: (अ़.$फा.वि.)-असंख्य, अनगिनत, बेहिसाब।
बेमेह्र (अ़.$फा.वि.)-जिसके हृदय में ममता या करुणा न हो, निर्मम, बेरह्म, निर्दय, निष्ठुर।
बेमेह्री (अ़.$फा.स्त्री.)-निष्ठुरता, निर्ममता, निर्दयता।
बेमौ$का (अ़.$फा.वि.)-असमय, बेवक़्त, बेमौ$का, अवसर के विरुद्घ; अनुचित, नामुनासिब, अनुपयुक्त।
बेमौसिम (अ़.$फा.वि.)-बिना ऋतु का (फल आदि)।
बेयारोमददगार ($फा.वि.)-जिसका कोई शुभ-चिन्तक न हो, जिसका कोई सहायक व ख़्ौर-ख़्ाबर लेनेवाला न हो, बेकस, निराश्रय, नि:सहाय।
बेरंग ($फा.वि.)-निर्लज्ज, बे$गैरत; (औरतों की बोली में)-बेमौ$के, बिना अवसर के, $गलत समय पर।
बेरंगी ($फा.स्त्री.)-वह अवस्था जिसमें मनुष्य सांसारिक-सम्बन्धों को त्यागकर केवल परमात्मा का ध्यान करता है।
बेरब्त (अ़.$फा.वि.)-जिसमें रब्त या संबद्घता न हो, असंबद्घ,
$गैर मर्बूत, बेढंगा, बेमेल।
बेरब्ती (अ़.$फा.स्त्री.)-असंबद्घता, बेढंगापन, बेजोड़पन।
बेरह्म (अ़.$फा.वि.)-बेदर्द, निष्ठुर, निर्दय, ज़ालिम।
बेरह्मी (अ़.$फा.स्त्री.)-बेदर्दी, निष्ठुरता, निर्दयता, ज़ुल्म।
बेराह ($फा.वि.)-गुमराह, पथ-भ्रष्ट, कुमार्गी।
बेराहरवी ($फा.स्त्री.)-पथ-भ्रष्ट होना, पथ-भ्रष्टता, बुरी राह चलना, कुमार्ग-गमन।
बेराहरौ ($फा.वि.)-पथ-भ्रष्ट, गुमराह, कुमार्गी, बुरी राह चलनेवाला, पापाचार करनेवाला, बुरे कामों में संलिप्त।
बेरिया ($फा.वि.)-जो मक्कार न हो, मन का स्वच्छ, दिल का सा$फ, निश्छल, मुख़्ालिस; आडम्बरहीन, पाखण्ड न करनेवाला।
बेरियाई ($फा.स्त्री.)-निश्छलता, निष्कपटता; पाखण्डहीनता, आडम्बरहीनता।
बेरीश: ($फा.पु.)-दे.-'बेरीशÓ।
बेरीश ($फा.वि.)-किशोर, जिसकी अभी दाढ़ी न निकली हो, जो अभी पूरी उम्र का न हो, अवयस्क।
बेरुख़्ाी ($फा.स्त्री.)-विमुखता, उपेक्षा, उदासीनता, मुँह फेरना।
बेरूँ ($फा.वि.)-बाहर।
बेरूँजात ($फा.पु.)-नगर अथवा शह्र के बाहर बसनेवाली बस्तियाँ, मु$फस्सलात।
बेरू ($फा.वि.)-दु:शील, लज्जाहीन, बेमुरव्वत।
बेरूओरिअ़ायत (अ़.$फा.वि.)-पक्षपात और किसी प्रकार की रिअ़ायत के बिना।
बेरूनी (अ़.$फा.वि.)-बाहरवाला, विदेशी। 'बेरूनी इला$क:Ó-बाहरी क्षेत्र।
बेरेश: ($फा.वि.)-वह वस्तु जिसमें रेशे या झुथड़े आदि न हों, जैसे-'बेरेश: आमÓ, (ला.)-वह किशोर जिसके अभी दाढ़ी-मूँछें न निकली हों।
बेरैबोरिया ($फा.वि.)-बिना छल और कपट के, ठीक-ठीक, सीधा-सीधा।
बेरोजग़ार ($फा.वि.)-अनुद्यमी, व्यवसायहीन, बेकार, जिसके पास धंधा न हो, निठल्ला।
बेरोजग़ारी ($फा.स्त्री.)-बेकारी, लोगों को काम न मिलना, रोजग़ार न होना।
बेरौन$क ($फा.वि.)-शोभा-शून्य, श्रीहीन, जिसमें कोई शोभा न हो; जिसमें प्रफुल्लता न हो, अफ़्सुर्द:, उजाड़, सूना, जहाँ चहल-पहल न हो।
बेरौन$की ($फा.स्त्री.)-चहल-पहल न होना; प्रफुल्लता न होना; शोभा न होना।
बेल ($फा.पु.)-फावड़ा, कुदाल, बेलचा; चप्पू, नाव खेने का डाँड, पतवार।
बेलकश ($फा.वि.)-कुदाल या फावड़ा चलानेवाला; चप्पू या पतवार चलानेवाला।
बेलगाम ($फा.वि.)-जिसके मुँह में लगाम न हो; मुँहफट, बदलगाम; निरंकुश, स्वच्छंद, उद्दण्ड।
बेलच: ($फा.पु.)-छोटी कुदाली, छोटा फावड़ा; फावड़े के आकार का एक यंत्र, जिसका दस्ता सीधा होता है।
बेलच:कार ($फा.वि.)-बेलचे से काम करनेवाला, फावड़ा चलानेवाला।
बेलचक ($फा.पु.)-बेलचा, फावड़ा, कुदाल।
बेलजऩ ($फा.वि.)-फावड़ा चलानेवाला, मज़दूर, किसान।
बेलदार ($फा.पु.)-फावड़े से ज़मीन खोदनेवाला।
बेला ($फा.पु.)-वह थैली जिसमें दरिद्रों या कंगालों को बाँटने के लिए रुपए लेकर निकलते हैं।
बेलाग ($फा.वि.)-सा$फ, निष्पक्ष, खरा।
बेला बरदार ($फा.पु.)-थैली लेकर साथ चलनेवाला।
बेलिहाज़ ($फा.वि.)-बेहया, बेशर्म, गुस्ताख़्ा, निर्लज्ज।
बेलुत्फ़ (अ़.$फा.वि.)-बेमज़ा, निरानंद, जिसमें कोई दिलचस्पी न हो।
बेलुत्फ़ी (अ़.$फा.स्त्री.)-मज़ा अथवा आनन्द का अभाव, मज़ा न आना, दिलचस्पी न होना।
बेलौस (अ़.$फा.वि.)-शुद्घ, बेमेल, ख़्ाालिस, बिना मिलावट का, विशुद्घ; जिस पर कोई लाँछन न हो, जो पाक-सा$फ हो; नि:स्वार्थ, मुख़्ा्लिस।
बेलौसी (अ़.$फा.स्त्री.)-पवित्रता, विशुद्घता; स्वार्थहीनता, निर्लिप्तता, बेतअ़ल्लु$की।
बेव: ($फा.स्त्री.)-विधवा, जिसका पति मर गया हो, राँड़, अधवा।
बेवक़ार (अ़.$फा.वि.)-दे.-'बेवक़्अ़तÓ, निर्धन, धनहीन।
बेवक़्अ़त (अ़.$फा.वि.)-बे$गैरत, बेऐतिबार, बे$कद्र; जिसकी कोई प्रतिष्ठा या इज़्ज़त न हो, तिरस्कृत; जो माना न जाए, अमान्य।
बेवक़्अ़ती (अ़.$फा.स्त्री.)-बेइज़्ज़ती, अपमान, तिरस्कार; तुच्छता, नीचता, ज़लालत।
बेवक़्त (अ़.$फा.वि.)-बुरा समय, कुसमय, $गलत समय, अकाल।
बेवक्ऱ (अ़.$फा.वि.)-दे.-'बेवक़्अ़तÓ।
बेवक्ऱी (अ़.$फा.स्त्री.)-दे.-'बेवक़्अ़तीÓ।
बेवगी ($फा.स्त्री.)-विधवापन, बिधवात्व, बेवा होने की अवस्था, रँडापा, वैधव्य।
बेवजह (अ़.$फा.वि.)-बिना किसी कारण के, अकारण, बिला वजह।
बेवफ़ा (अ़.$फा.वि.)-जो दोस्ती का पक्का न हो, जिसमें व$फा न हो, कृतघ्न, द$गाबाज़; जो वादे का पक्का न हो।
बेव$फाई (अ़.$फा.स्त्री.)-कृतघ्नता, द$गाबाज़ी, वादाख़्िाला$फी, वचन-भंग की क्रिया।
बेवहदत ($फा.वि.)-निर्लज्ज, बेहया, बेशर्म, बेहूदा।
बेवारसी ($फा.वि.)-वह, जिसका कोई मददगार न हो (विशेष-इस शब्द-विशेष का प्रयोग औरतों द्वारा आपसी बातचीत में किया जाता है)। कहा.-'बेवारसी नाव डावाँ-डोलÓ अर्थात् बिना मालिक सब काम ख़्ाराब होते हैं।
बेवासित: ($फा.वि.)-बेवसीला, बेसबब, अकारण, नाह$क।
बेवास्त: ($फा.वि.)-दे.-'बेवासित:Ó।
बेवु$कूफ़ (अ़.$फा.वि.)-मूर्ख, नादान, निर्बुद्घि, बुद्घिहीन।
बेवु$कूफ़ी (अ़.$फा.स्त्री.)-मूर्खता, बुद्घिहीनता, नादानी।
बेश: ($फा.पु.)-उजाड़, वन, जंगल, बयाबान; शेर के रहने की माँद, कछार।
बेश:नशीं ($फा.वि.)-वन अथवा जंगल में रहनेवाला, शिकार अथवा तपस्या के लिए वन में रहनेवाला।
बेश ($फा.वि.)-अच्छा, श्रेष्ठ, अधिक, बहुत, जिय़ादा; मीठा तेलिया, सिंघिया।
बेश अज़ पेश ($फा.वि.)-अधिका से अधिक, जिय़ादा से जिय़ादा।
बेश अज़ बेश ($फा.वि.)-पहले की अपेक्षा अधिक, पहले से जिय़ादा।
बेशऊर ($फा.वि.)-नादान, मूर्ख। दे.-'बेशुऊरÓ, वही शुद्घ उच्चारण है।
बेशक (अ़.$फा.वि.)-नि:शंक, नि:संदेह, बेशुब्ह:; अवश्य, ज़ुरूर।
बेश$करार (अ़.$फा.वि.)-अत्यधिक, बहुत; पर्याप्त, का$फी।
बेश$कीमत (अ़.$फा.वि.)-बहुमूल्य, बहुत अधिक दामों की वस्तु।
बेशक्कोशुब्ह: (अ़.$फा.वि.)-नि:संदेह, नि:शंक, बिना किसी शंका और संदेह के।
बेशतर ($फा.वि.)-प्राय:, बहुधा, अधिकतर, अ़मूमन।
बेशतरक ($फा.वि.)-थोड़ा जिय़ादा, कुछ अधिक।
बेशबहा ($फा.वि.)-दे.-'बेश$कीमतÓ।
बेशर्म (अ़.$फा.वि.)-निर्लज्ज, लज्जाहीन, बेहया, उद्दण्ड, मुँहफट; बे$गैरत, स्वाभिमानरहित।
बेशर्मी (अ़.$फा.स्त्री.)-निर्लज्जता, बेहयाई; स्वाभिमान-हीनता, बे$गैरती।
बेशा ($फा.पु.)-दे.-'बेश:Ó, वही शुद्घ उच्चारण है।
बेशाइब: (अ़.$फा.वि.)-बेशुब्ह:, नि:संदेह, य$कीनन।
बेशी ($फा.स्त्री.)-वृद्घि, बढ़ती, बढ़ोतरी, इज़ा$फा; अधिकता, जिय़ादती।
बेशीराज़: ($फा.वि.)-क्रमहीन, बेतर्तीब, असंबद्घ।
बेशुऊर ($फा.वि.)-नादान, मूर्ख, निर्बुद्घि, बेअ़क़्ल; विवेक-हीन, अच्छे-बुरे की तमीज़ न रखनेवाला; अशिष्ट।
बेशुऊरी (अ़.$फा.स्त्री.)-अविवेक, बेतमीज़ी; बुद्घिहीनता, बेअ़क़्ली; मूर्खता, नादानी।
बेशुब्ह: (अ़.$फा.वि.)-नि:संदेह, नि:शंक, बेशक।
बेशुमार (अ़.$फा.वि.)-जिनकी गिनती न हो सके, बहुत अधिक, अनगिनत, असंख्य।
बेशोकम ($फा.वि.)-थोड़ा-बहुत।
बेसत्री (अ़.$फा.स्त्री.)-बेपर्दगी, पर्दा न होना, कपड़े का शरीर पर से हट जाना या न होना।
बेसबब ($फा.वि.)-अकारण, बिना कारण, बेवजह, बिला वजह।
बेसबब आज़ार (अ़.$फा.वि.)-बिना कारण कष्ट देनेवाला, अकारण पीडि़त करनेवाला, अकारण-द्रोही।
बेसबात ($फा.वि.)-नापाएदार, बोदा, कमज़ोर, कायर; जो स्थायी न हो, अस्थायी।
बेसबाती ($फा.स्त्री.)-कायरता, भीरूपन; नापाएदारी, स्थिर न रहने की स्थिति, अस्थिरता; निर्बलता, कमज़ोरी।
बेसब्र (अ़.$फा.वि.)-जिसे सब्र या तसल्ली न हो, आतुर, जिसे धीरज न हो, अधीर, जल्दबाज़।
बेसब्री (अ़.$फा.स्त्री.)-जल्दबाज़ी, अधीरता, आतुरता, सब्र का अभाव।
बेसरोपा ($फा.वि.)-बिना सिर-पैर का, जिसका सिर-पैर कुछ न हो, निराधार, झूठा, मनघडंत।
बेसरोसामानी ($फा.स्त्री.)-दरिद्रता, निर्धनता, कंगाली।
बेसर्फ़ (अ़.$फा.वि.)-बेकार, व्यर्थ, निरर्थक।
बेसली$क: (अ़.$फा.वि.)-जो शिष्ट न हो, असभ्य; जिसे काम करने का ढंग न आता हो।
बेसली$कगी (अ़.$फा.स्त्री.)-अशिष्टता, असभ्यता; काम करने के ढंग का अभाव।
बेसवा ($फा.स्त्री.)-नगरवधु, वेश्या, गणिका, तवाइफ़।
बेसवाद (अ़.$फा.वि.)-आभा-रहित, निश्री, बेरौन$क; मूर्ख, जाहिल, अनपढ़, निरक्षर।
बेसाख़्त: ($फा.वि.)-बेतकल्लु$फ, नि:संकोच, बे$िफक्र, बिना सोचे हुए, $िफलवदीह; धड़ल्ले से, बेधड़क, $फौरन; सहसा, बेहताशा, तुरन्त; जो बना-सँवरा न हो, सादा।
बेसाख़्तगी ($फा.स्त्री.)-अचानक कुछ हो जाने की क्रिया; बे$िफक्री, बेतकल्लु$फी; शीघ्रता, बेतहाशापन; बरजस्तगी; बनाव-सिंगार का अभाव।
बेसाज़ोबर्ग ($फा.वि.)-दे.-'बेबर्गोनवाÓ।
बेसामानी ($फा.स्त्री.)-कंगाली, दरिद्रता, $गरीबी, मु$फलिसी, मोहताजी।
बेसिक्क: ($फा.वि.)-अपमानित, तिरस्कृत; तुच्छ, कमीन, नीच।
बेसिया$कोसिबा$क (अ़.$फा.वि.)-बिना पूर्वापर सम्बन्ध के, बेसिल्सिलेवार, अक्रमबद्घ। ['सिया$कÓ=चलाना, रविश, तथा 'सिबा$कÓ=आगे दौडऩेवाला। $फार्सी और उर्दू में 'सिया$कÓ और 'सिबा$कÓ दोनों समानार्थक शब्द हैं]।
बेसुकूँ (अ़.$फा.वि.)-'बेसुकूनÓ का लघु., दे.-'बेसुकूनÓ।
बेसुकून (अ़.$फा.वि.)-अशान्त, जिसे शान्ति न मिले; चंचल, चपल, शोख़्ा; उद्विग्न, परेशान, बेचैन।
बेसुख़्ान ($फा.वि.)-बातचीत या वार्तालाप का अभाव, चुप, ख़्ाामोश, मौन।
बेसुतून ($फा.पु.)-वह पहाड़ जो शीरीं के अ़ाशि$क $फर्हाद ने काटा था।
बेसुराक ($फा.पु.)-खच्चर; युवा ऊँट, ऊँट का बच्चा।
बेसूद ($फा.वि.)-बे$फाइदा, व्यर्थ, निष्फल, अ़बस, निरर्थक, बेकार, बेनतीज:।
बेहंगाम ($फा.वि.)-असमय, कुसमय, नावक़्त।
बेह ($फा.वि.)-अच्छा, श्रेष्ठ।
बेह$की$कत (अ़.$फा.वि.)-नीच, नाचीज़, तुच्छ, ज़लील; झूठ, असत्य; निराधार, बेबुनियाद, बेसिर-पैर।
बेहतर ($फा.वि.)-मु$काबले में अच्छा, (क्रि.वि.)-ऐसा ही सही, ठीक, अच्छा।
बेहतरी ($फा.स्त्री.)-उन्नति, भलाई, शुभ, कल्याण; अच्छाई, श्रेष्ठता, उत्तमता।
बेहतरीन ($फा.वि.)-दे.-'बेहतरÓ।
बेहद (अ़.$फा.वि.)-जिसकी कोई सीमा न हो, असीम, अपार, बहुत अधिक, असंख्य, बेगिनती, बेहिसाब।
बेहद्दोहिसाब (अ़.$फा.वि.)-जो गिनती और हिसाब से परे हो, अर्थात् असंख्य, अपार।
बेहमओबाहम: ($फा.वि.)-किसी के साथ नहीं और सबके साथ; सबसे अलग और सबके साथ; अच्छे कामों में सबके साथ, बुरे कामों में सबसे अलग।
बेहमगी ($फा.स्त्री.)-किसी के साथ न होना, सबसे अलग होना।
बेहमता ($फा.वि.)-अनोखा, अनुपम, बेमिसाल, बेजोड़।
बेहमाल ($फा.वि.)-अद्वितीय, अनोखा, अनुपम, बेमिसाल, बेजोड़।
बेहमीयत (अ़.$फा.वि.)-बेहया, बेशर्म, निर्लज्ज, बे$गैरत।
बेहमीयती (अ़.$फा.स्त्री.)-बेहयाई, बेशर्मी, निर्लज्जता।
बेहया (अ़.$फा.वि.)-बेशर्म, निर्लज्ज, लज्जा-शून्य, अपत्रप, निस्त्रप, बेहया, क्षपणक।
बेहयाई (अ़.$फा.स्त्री.)-निर्लज्जता, बेशर्मी, लज्जाहीनता।
बेह$र्फ ($फा.अव्य.)-तुरन्त, $फौरन; बेशक, अवश्य।
बेहवास ($फा.वि.)-बेहोश; परेशान, घबराया हुआ।
बेहलावत ($फा.वि.)-स्वाद-रहित, बेज़ाइक़ा, बेमज़ा।
बेहाल (अ़.$फा.वि.)-व्याकुल, विकल, बेचैन, दुर्दशाग्रस्त, बहुत बुरी अवस्था में, बदहाल; अचेत, बेख़्ाबर, संज्ञाहीन; मरणासन्न, मृत्यु के निकट।
बेहासिल (अ़.$फा.वि.)-निष्फल, बेनतीजा; व्यर्थ, निरर्थक, बेकार।
बेहिक्मत (अ़.$फा.वि.)-नादान, मूर्ख, नासमझ।
बेहिजाब (अ़.$फा.वि.)-घूँघट के पट खोले हुए, बेपर्दा, खुले-ख़्ाज़ाने, खुलेबंदों, मुँह उघाड़े; बेशर्म, बेलिहाज़।
बेहिजाबान: (अ़.$फा.वि.)-बेराक-टोक, खुले-ख़्ाज़ाने, पर्दा उठाए हुए, घूँघट का पट खोले हुए, मुँह उघाड़े हुए।
बेहिजाबी (अ़.$फा.स्त्री.)-घँूघट उलटना, बेपर्दगी, स्त्री का मुँह उघाड़े फिरना, खुलेबंदों फिरना।
बेहि$फाज़त ($फा.वि.)-जो सुरक्षा के घेरे में न हो, जिसकी रक्षा न हो, अरक्षित, असुरक्षित।
बेहि$फाज़ती ($फा.स्त्री.)-अरक्षा, सुरक्षा या रक्षा का अभाव।
बेहिम्मत (अ़.$फा.वि.)-जिसकी हिम्मत टूट गई हो, जिसमें हिम्मत न हो, निरुत्साही, हतोत्साही, जिसका उत्साह और साहस जवाब दे गया हो।
बेहिम्मती (अ़.$फा.स्त्री.)-हिम्मत-साहस की कमी, उत्साह का अभाव।
बेहिस [स्स] (अ़.वि.)-सुन्न, शून्य, जड़ीभूत, जिसमें गति या हलचल न हो, चेतनाशून्य, $गा$िफल; जिसे एहसास न हो, जिसमें स्वाभिमान न हो।
बेहिसाब (अ़.$फा.वि.)-बेगिनती, असंख्य, बेशुमार, असीम।
बेहिसी (अ़.$फा.स्त्री.)-संज्ञाहीनता, एहसास का अभाव, चेतना का अभाव; सुन्नता।
बेहिस्सी (अ़.$फा.स्त्री.)-दे.-'बेहिसीÓ, दोनों शुद्घ हैं।
बेहिस्सोहरकत (अ़.$फा.वि.)-निस्तब्ध, जडवत्, जो गति और चेतना दोनों से शून्य हो।
बेहुज़ूर (अ़.$फा.वि.)-लुप्त, ग़ाइब; अनुपस्थित, नामौजूद।
बेहुज़ूरी (अ़.$फा.स्त्री.)-अनुपस्थिति, $गैरमौजूदगी; लुप्तता, $गाइब होना, लोप होना।
बेहुद: ($फा.वि.)-'बेहूद:Ó का लघु, दे.-'बेहूद:Ó।
बेहुनर (अ़.$फा.वि.)-फूहड़, कला-विहीन, जिसमें कोई हुनर न हो, निर्गुण, गुणहीन।
बेहुनरी (अ़.$फा.स्त्री.)-फूहड़ता, कला-विहीनता, गुण का न होना, निर्गुणता।
बेहुर्मत (अ़.$फा.वि.)-ज़लील, प्रतिष्ठा-रहित, अपमानित, तिरस्कृत, बेइज़्ज़त; रुस्वा, निन्दित, गर्हित।
बेहुर्मती (अ़.$फा.स्त्री.)-रुस्वाई, निन्दा, बदनामी; अप्रतिष्ठा, बेइज़्ज़ती, अपमान, बेवक़्अ़ती।
बेहूद: ($फा.वि.)-असभ्य, अशिष्ट, बदतमीज़; दुश्चरित्र, आवारा; दु:शील, बदअख़्ला$क; अश्लील, $फुह्श; व्यर्थ, अनर्थ, बेकार; निष्प्रयोजन, निकम्मा, वाहियात।
बेहूद:कलाम (अ़.$फा.वि.)-दे.-'बेहूदगीÓ।
बेहूद:गो ($फा.वि.)-अश्लील वक्ता, $फुह्शगो; व्यर्थवादी, व्यर्थ बकनेवाला, $फुज़ूल बातें करनेवाला।
बेहूद:गोई ($फा.स्त्री.)-अश्लील बातें; व्यर्थ की बकवास।
बेहूद:मिज़ाज (अ़.$फा.वि.)-अक्खड़, उजड्ड; बदतमीज़, असभ्य, अशिष्ट।
बेहूद:शिअ़ार (अ़.$फा.वि.)-दे.-'बेहूद:मिज़ाजÓ।
बेहूद:सिरिश्त ($फा.वि.)-दे.-'बेहूद:मिज़ाजÓ।
बेहूदगी ($फा.स्त्री.)-फूहड़ता, अशिष्टता, बेढंगापन, सभ्यता का अभाव, बदतमीज़ी; अश्लीलता, $फुह्शपन।
बेहैसियत ($फा.वि.)-प्रतिष्ठा-रहित, अप्रतिष्ठित, अनादृत; निर्धन, कंगाल, मुफ़्िलस।
बेहैसियती (अ़.$फा.स्त्री.)-प्रतिष्ठा का अभाव, अप्रतिष्ठा; निर्धनता, दरिद्रता।
बेहोश ($फा.वि.)-संज्ञा-शून्य, बदहवास; $गा$िफल, बेख़्ाबर, अनभिज्ञ, निश्चेष्ट; उन्मत्त, बदमस्त, $फरेफ़्ता; (ला.)-कम-उम्र, अल्पायु।
बेहोशी ($फा.स्त्री.)-निश्चेष्टता, संज्ञाहीनता, होशहीनता; उन्मत्तता, बदमस्ती।
बेहोशोहवास (अ़.$फा.वि.)-बहुत-ही $गा$िफल, बहुत-ही संज्ञा-शून्य, जिसकी न अ़क़्ल ठिकाने हो और न होश।
बेहौसल: (अ़.$फा.वि.)-दे.-'बेहिम्मतÓ।
बेहौसलगी (अ़.$फा.स्त्री.)-दे.-'बेहिम्मतीÓ।
बेह्तर ($फा.वि.)-उत्तम, अच्छा, श्रेष्ठ।
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