Thursday, October 15, 2015

सा

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साँ ($फा.वि.)-जैसा, समान, तुल्य, बराबर।
सा ($फा.वि.)-की तरह, के समान, मानिन्द, (प्रत्य.)-घिसनेवाला, रगडऩेवाला, जैसे-'जबींसाÓ-माथा रगडऩेवाला।
साअ़: (अ़.पु.)-दे.-'साअ़तÓ।
साअ़ (अ़.पु.)-नीची ज़मीन; 2 सेर, 14छटाँक और 4 तोले का वज़्न।
साअ़त (अ़.स्त्री.)-ढाई घड़ी का समय, एक घण्टा; मुहूर्त, अच्छी या बुरी घड़ी; क्षण, लम्हा; समय, वक़्त; $िकयामत का दिन।
साअ़ते उमूमी (अ़.स्त्री.)-घण्टाघर।
साअ़ते नह्स (अ़.स्त्री.)-अशुभ घड़ी, बुरी घड़ी, अशुभ, मुहूर्त, जिसमें कोई काम करना उचित न हो।
साअ़ते नेक (अ़.$फा.स्त्री.)-शुभ घड़ी, अच्छी घड़ी, शुभ मुहूर्त, जिसमें कोई काम करना हितकर और लाभपद्र हो।
साअ़ते बद (अ़.$फा.स्त्री.)-दे.-'साअ़ते नह्सÓ।
साअ़ते मज्लिसी (अ़.स्त्री.)-दीवार की घड़ी, वाल-क्लॉक।
साअ़ते मन्हूस (अ़.स्त्री.)-दे.-'साअ़ते नह्सÓ।
साअ़ते संगीं (अ़.$फा.स्त्री.)-कठिन वक़्त, आपत्तिकाल, मुसीबत का समय।
साअ़ते सईद (अ़.स्त्री.)-दे.-'साअ़ते नेकÓ।
साअ़ात (अ़.स्त्री.)-'साअ़तÓ का बहु., घडिय़ाँ, क्षण, लम्हात (लम्हे); मुहूरतें।
साइंद: ($फा.वि.)-घिसनेवाला, रगडऩेवाला, पीसनेवाला, घर्षक।
साइक़: (अ़.स्त्री.)-बादलों से गिरनेवाली बिजली; तडि़त, विद्युत्, बिजली।
साइक़:अफ्ग़न (अ़.$फा.वि.)-बिजलियाँ गिरानेवाला (वाली), वह दृष्टि जो बिजलियाँ गिराये।
साइक़:ज़ा (अ़.$फा.वि.)-बिजलियाँ पैदा करनेवाला (वाली), वह दृष्टि जिससे बिजलियाँ पैदा हों।
साइक़:$िफगन (अ़.$फा.वि.)-दे.-'साइक़:अफ्ग़नÓ।
साइक़:बार (अ़.$फा.वि.)-बिजलियाँ बरसानेवाला (वाली), वह दृष्टि जो बिजलियों की बारिश करे।
साइक़ (अ़.वि.)-अन्धे को पीछे से सहारा देकर आगे बढ़ानेवाला, जैसा कि '$काइदÓ अन्धे को आगे से सहारा देता है।
साइग़ (अ़.वि.)-स्वर्णकार, सुनार।
साइद (अ़.पु.)-पहुँचा, कलाई। इसका 'सÓ उर्दू के 'सीनÓ अक्षर से बना है।
साइद (अ़.वि.)-ऊपर चढऩेवाला। इसका 'सÓ उर्दू के 'स्वादÓ अक्षर से बना है।
साइब (अ़.वि.)-पहुँचनेवाला, रसा; शुद्घ, सही।
साइबान ($फा.पु.)-मकान का छज्जा, छाजन; छप्पर आदि जो धूप को रोकने के लिए हो।
साइबुर्राय (अ़.वि.)-जिसकी राय या सलाह बहुत ठोस और शुद्घ हो।
साइबुलअ़क़्ल (अ़.वि.)-जिसकी बुद्घि ठीक सोचती हो।
साइम: (अ़.स्त्री.)-रोज़:दार स्त्री, वह स्त्री जिसने रोज़ा अर्थात् उपवास रखा हो।
साइम (अ़.पु.)-रोज़:दार मर्द, वह पुरुष जिसने रोज़ा या उपवास रखा हो।
साइमुद्दह्रï (अ़.पु.)-हमेशा रोज़ा या उपवास रखनेवाला, नित्यव्रती।
साइमुल्लैल (अ़.पु.)-रात का रोज़ा या उपवास रखनेवाला।
साइर: (अ़.स्त्री.)-घूमने-फिरनेवाली।
साइर (अ़.वि.)-घूमने-फिरनेवाला; सब, तमाम; शेष, बा$की; चुंगी का महसूल।
साइल: (अ़.स्त्री.)-माँगनेवाली, भिखारिन; सवाल करनेवाली।
साइल (अ़.पु.)-सवाल करनेवाला, पूछनेवाला; भिक्षुक, भिखमंगा, भिखारी; प्रार्थी, दरख़्वास्त देनेवाला; उम्मीदवार, आसरा लगानेवाला।
साइल बकफ़ (अ़.$फा.वि.)-हाथ में माँगनेवाला, जिसके पास भिक्षापात्र या माँगने का कोई अन्य बर्तन न हो, केवल हाथ हों।
साइस (अ़.पु.)-सईस, घोड़े की देख-रेख करनेवाला।
साई (अ़.वि.)-कोशिश करनेवाला, प्रयत्नशील।
साईद: ($फा.वि.)-पिसा हुआ, चूर्णित।
साईदनी ($फा.वि.)-पीसने के योग्य, जिसे पीसा जा सके।
साए ($फा.प्रत्य.)-दे.-'साÓ।
साएबान ($फा.पु.)-दे.-'साइबानÓ।
सा$क: (अ़.पु.)-सेना का वह भाग, जो पीछे रहता है, चिंदावुल।
सा$क (अ़.स्त्री.)-पिंडली।
सा$िकए कमनिगाह (अ़.$फा.पु.)-वह सा$की या मधुबाला, जो पीनेवालों की ओर ध्यान न दे।
सा$िकए कौसर (अ़.पु.)-कौसर अर्थात् स्वर्ग के कुण्ड की शराब पिलोवाली सा$की अर्थात् हज्ऱत मुहम्मद।
सा$िकए दर्यादिल (अ़.$फा.पु.)-वह मधुबाला या साकी जो ख़्ाूब दिल खोलकर शराब पिलाए।
सा$िकए मह्शर (अ़.पु.)-$िकयामत अर्थात् महाप्रलय के दिन बिहिश्त (स्वर्ग, जन्नत) की शराब पिलानेवाला, पै$गम्बर साहब।
सा$िकत (अ़.वि.)-गिरनेवाला, जाता रहनेवाला; गिरा हुआ, त्यागा हुआ।
साकित (अ़.वि.)-मौन, चुप, ख़्ाामोश; गतिहीन, निश्चल, बेहर$कत।
सा$िकतुलएतिबार (अ़.वि.)-जिसका विश्वास उठ गया हो, अविश्वासी।
सा$िकतुलमिल्कियत (अ़.स्त्री.)-जिस पर अधिकार न रहे।
साकितोसामित (अ़.वि.)-जो न बोले और न ही कोई हलचल करे, जड़वत्, निस्तब्ध।
साकिन (अ़.वि.)-स्थिर, ठहरा हुआ, जिसमें हरकत या हलचल न हो; निवासी, रहनेवाला, बाशिंदा; किसी शब्द का वह अक्षर जो 'हल्Ó हो।
साकिनुलअव्वल (अ़.वि.)-वह शब्द, जिसका पहला अक्षर 'हल्Ó हो (अऱबी या $फार्सी भाषा में ऐसा शब्द नहीं होता)।
साकिनुलआख़्िार (अ़.वि.)-वह शब्द, जिसका अंतिम अक्षर 'हल्Ó हो, हलन्त।
साकिनुलऔसत (अ़.वि.)-वह शब्द, जिसका बीचवाला अक्षर 'हल्Ó हो।
सा$िकब (अ़.पु.)-चमकनेवाला, प्रकाशमान्; एक पीड़ा, जिसमें ऐसा दर्द होता है जैसे कोई शरीर में छेद कर रहा हो।
सा$िकय: (अ़.स्त्री.)-मधुबाला, शराब पिलाने या परोसनेवाली स्त्री; छोटी नदी; रहट।
सा$िकया (अ़.$फा.पु.)-मधुबाला के लिए सम्बोधन, ए सा$की।
सा$की (अ़.वि.)-मधुबाला, शराब पिलाने या परोसनेवाला।
साक़े बिलूरीं (अ़.$फा.स्त्री.)-बिल्लूर-जैसी सफ़ेद और चमकदार पिंडलियाँ।
साक़े सीमीं (अ़.$फा.स्त्री.)-चाँदी-जैसी सफ़ेद और चमकदार पिंडलियाँ।
साकैऩ (अ़.स्त्री.)-दोनों पिंडलियाँ।
साख़्त: ($फा.वि.)-बनाया हुआ, निर्मित; कृत्रिम, मस्नूई, बनावटी; कूट, न$कली, जाली।
साख़्त: परदाख़्त: ($फा.वि.)-बनाया-सँवारा; पाला-पोसा; किया-कराया।
साख़्त:रू ($फा.वि.)-लज्जा से मुँह बनाये हुए; मुँह को पाउडर और लिपिस्टिक आदि से सँवारे हुए।
साख़्त ($फा.स्त्री.)-बनावट, गढंत; कृत्रिमता, बनावटीपन, मस्नूईपन; काट, तराश; मिष, बहाना।
साख़्तगी ($फा.स्त्री.)-बनावट।
सागऱ ($फा.पु.)-मदिरापात्र, शराब का प्याला, चषक, पानपात्र।
सागऱकश ($फा.वि.)-मद्यप, शराबी।
सागऱनोश ($फा.वि.)-दे.-'सागऱकशÓ।
सागऱपैमाँ ($फा.वि.)-दे.-'सागऱकशÓ।
सागऱ बक$फ ($फा.वि.)-हाथ में शराब का पैमाना लिये हुए।
सागऱ बदस्त ($फा.वि.)-दे.-'सागऱ बक$फÓ।
सागऱी (तु.स्त्री.)-गुदा, मलद्वार, मक़्अ़द।
सागऱे मै ($फा.पु.)-शराब का प्याला, चषक, पानपात्र।
सागऱे सरशार ($फा.पु.)-शराब से लबालब प्याला, पूरी तरह ऊपर तक भरा हुआ शराब का प्याला।
साच$क (तु.स्त्री.)-शादी से एक दिन पहले की रस्म, जिसमें दूल्हा के घर से बरी का सामान मेंहदी, सुहाग पुड़ा, तेल-इत्र, मेवा-मिस्री आदि लेकर कुछ लो दुल्हन के घर जाते हैं (इस शब्द का शुद्घ रूप 'साचि$कÓ है)।
साचि$क (तु.स्त्री.)-'साच$कÓ का शुद्घ रूप, मगर उर्दू में 'साच$कÓ ही बोलते हैं।
साच्म: (तु.पु.)-छर्रे की थैली, मोटे छर्रों या पैसों की थैली जो तोप में छुड़ाई जाती है, जिससे एक साथ बहुत-से लोग मरते हैं।
साज (अ़.पु.)-साख का पेड़, साल।
साज़ ($फा.पु.)-उपकरण, सामान; प्रबन्ध, इंतिज़ाम; बाजा, वाद्य; मेल-जोल, रब्त-ज़ब्त; अनुकूलता, मुआफ$कत; घोड़े का सामान, जैसे-ज़ीन, लगाम, काठी आदि; एक प्रत्यय, जो शब्द के पीछे ल्रकर अर्थ देता है, जैसे-'घड़ीसाज़Ó।
साजग़र ($फा.वि.)-वाद्यकार, बाजा बनानेवाला।
साजग़री ($फा.स्त्री.)-वाद्यकर्म, बाजा बनाने का काम।
साजग़ार ($फा.वि.)-अनुकूल, मुआ$िफक़; शुभाथ्न्वत, मुबारक; जो बात रास आ जाए।
साजग़ारी ($फा.स्त्री.)-अनुकूलता, मुआ$फक़त; शुभकारिता, कल्याण; किसी बात का रास आ जाना।
साजज़ (अ़.वि.)-सामान्य, साधारण, सादा; एक दवा, तेजपात।
साज़बाज़ (अ़.स्त्री.)-गठजोड़, साजि़श; किसी ग़लत काम के लिए कुछ लोगों का मतैक्य।
साज़मंद ($फा.वि.)-सुसज्जित, सजा हुआ, आरास्ता; अनुकूल, साजग़ार।
साज़मंदी ($फा.स्त्री.)-सुसज्जा, सजावट; अनुकूलता, साजग़ारी।
साजि़ंद: ($फा.वि.)-साज़ बजानेवाला, वाद्य-वादक, तंत्री; नाच में सारंगी बजानेवाला।
साजि़ंदगी ($फा.स्त्री.)-साज़ बजाने का काम, वाद्यकर्म; नाच में सारंगी बजाना।
साजिद (अ़.वि.)-सज्दा करनेवाला, नत्मस्तक होनेवाला, ईश्वर के आगे झुकनेवाला।
साजि़श ($फा.स्त्री.)-षड्यंत्र, कुचक्र, किसी को हानि पहुँचाने या अवैधानिक रूप में किसी से कुछ प्राप्त करने के लिए कुछ लोगों का गुप्त रूप से गठजोड़।
साजि़शकुनिंद: ($फा.वि.)-षड्यंत्र रचनेवाला, षड्यंत्री, कुचक्री, साजि़शी।
साजि़शी ($फा.वि.)-षड्यंत्र रचनेवाला, षड्यंत्री, कुचक्री, चक्रांतकारी, साजि़श रचनेवाला।
साज़े ऐश (अ़.$फा.पु.)-भोग-विलास का सामान।
साज़े स$फर (अ़.$फा.पु.)-स$फर अथवा यात्रा में साथ ले जानेवाला आवश्यक सामान, यात्रोपकरण।
साज़ो बर्ग ($फा.पु.)-दे.-'साज़ो सामानÓ, धन-दौलत।
साज़ो सामान ($फा.पु.)-उपकरण, सामान; किसी काम के लिए आवश्यक सामग्री।
साÓतर (अ़.स्त्री.)-एक घास, जो दवा में काम आती है।
साÓतरबाज़ (अ़.$फा.स्त्री.)-चपटी लड़ानेवाली स्त्री।
साÓतरी (अ़.$फा.स्त्री.)-चपटी लड़ानेवाली स्त्री।
सातिर (अ़.वि.)-छिपानेवाला, गोपक।
सातूर (अ़.पु.)-बड़ी और धारदार छुरी।
सातेÓ (अ़.वि.)-उत्तुंग, ऊँचा, बुलंद; उज्ज्वल, धवल, शफ़्$फा$फ; दीप्त, रौशन।
सात्गीं (तु.पु.)-पे्रमिका, प्रेयसी, नायिका, माÓशू$क; शराब का प्याला, चषक, पानपात्र।
साद: ($फा.वि.)-सीधा, भोला-भाला; बिना दाढ़ी-मूँछवाला; कोरा, बेदाग़; निर्मल, विशुद्घ, ख़्ाालिस; निश्छल, जिसके मन में कोई छल अथवा पाप न हो, सा$फ-दिल; मूर्ख, बेव$कू$फ; बिना लिखा कागज़़, ऐसा कपड़ा, जिस पर कोई काम (बेल-बूटे बनाने का) न किया गया हो।
साद:कार ($फा.वि.)-सादा और हलका काम बनानेवाला; वह सुनार या स्वर्णकार जो आभूषणों पर बहुत अच्छा काम बनाए।
साद:कारी ($फा.स्त्री.)-साद:कार का काम, आभूषणों पर बहुत अच्छा और बारीक काम बनाना।
साद:तब्अ़ (अ़.$फा.वि.)-भोला-भाला, सीधा-सादा, सरलस्वभाव।
साद:तब्ई (अ़.$फा.स्त्री.)-भोला-भालापन, सीधा-सादापन।
साद:तौर (अ़.$फा.वि.)-सीधे-सादे आचरणवाला, जिसमें टीपटाप न हो।
साद:दिल ($फा.वि.)-निश्छल, निष्कपट, सा$फ दिलवाला; भोला-भाला; मूर्ख, बुद्घू बेव$कू$फ।
साद:दिली ($फा.स्त्री.)-निश्छलता, निष्कपटता, सा$फ दिली; भोला-भालापन; मूर्खता, बुद्घूपन, बेव$कू$फी।
साद:पुरकार ($फा.वि.)-जो देखने में सीधा-सादा हो मगर बहुत-ही चतुर और छली हो।
साद:पुरकारी ($फा.स्त्री.)-देखने में सरल-स्वभाव अथवा सीधा-सादा होना मगर अत्यन्त चालाक और छली होना।
साद:मिज़ाज (अ़.$फा.वि.)-दे.-'साद:तौरÓ।
साद:मिज़ाजी (अ़.$फा.स्त्री.)-सादगी।
साद:रुख़्ा ($फा.वि.)-दे.-'साद:रूÓ।
साद:रू ($फा.वि.)-जिसकी दाढ़ी-मूँछें न निकली हों, परन्तु यौवन की देहलीज़ पर पहुँच गया हो, अंकुरित-यौवन।
साद:लौह (अ़.$फा.वि.)-भोला-भाला, निश्छल; मूर्ख, बुद्घू, बेव$कू$फ।
साद:लौही (अ़.$फा.स्त्री.)-भोला-भालापन; मूर्खता, बुद्घूपन।
साद:वज़्अ़ (अ़.$फा.वि.)-दे.-'साद:तौरÓ, वेशभूषा में टीपटाप को पसन्द न करनेवाला, रहन-सहन में सादगी बरतनेवाला।
साद:वज़्ई (अ़.$फा.स्त्री.)-वेशभूषा की सादगी; स्वभाव की सादगी।
साÓद (अ़.वि.)-शुभ, मुबारक; नेक, पुनीत, श्रेष्ठ; बाईसवाँ नक्षत्र, श्रवण।
साद (अ़.पु.)-अऱबी भाषा की वर्णमाला का चौदहवाँ अक्षर; आँख।
सादगी ($फा.स्त्री.)-निश्छलता; कोरापन; भोलापन; बिना मूर्खता; चिह्नï, चित्र या काम बना होना।
सादगीए मिज़ाज (अ़.$फा.स्त्री.)-स्वभाव की सरलता, सीधा-सादापन।
सादात (अ़.पु.)-श्रेष्ठजन, बुज़ुर्ग लोग; सैयद ख़्ाानदान के लोग।
सादि$क (अ़.वि.)-न्यायनिष्ठ, मुंसि$फ; सच्चा, सत्यवादी; स्वामिभक्त, व$फादार; चरितार्थ, चस्पाँ।
सादि$कुर्राय (अ़.वि.)-जिसका परामर्श नेक होता हो, जिसकी सलाह और राय सच्ची होती हो।
सादि$कुलअ़ह्द (अ़.वि.)-दृढ़प्रतिज्ञ, जो अपने वचन का पक्का हो, सत्य-संकल्प।
सादि$कुलएति$काब (अ़.वि.)-जिसका धर्म-विश्वास अटल हो।
सादि$कुल$कौल (अ़.वि.)-बात का पूरा, वचन का पक्का, सत्यव्रत, सत्यसंगर।
सादि$कुलवाÓद (अ़.वि.)-दे.-'सादि$कुलअ़ह्दÓ।
सादिर (अ़.वि.)-निकलनेवाला; चालू होनेवाला; जारी होनेवाला। इसका 'सÓ उर्दू के 'स्वादÓ अक्षर से बना है।
सादिर (अ़.वि.)-निस्तब्ध; चकित; शशदर; उद्विग्न, आकुल, व्याकुल, आतुर, बेचैन, परेशान। इसका 'सÓ उर्दू के 'सीनÓ अक्षर से बना है।
सादिस (अ़.वि.)-छठा, छठवाँ, षष्ठ।
साÓदुस्सऊद (अ़.पु.)-बृहस्पति-ग्रह, मुश्तरी; चौबीसवाँ नक्षत्र, शतभिषा।
साÓदे अक्बर (अ़.पु.)-बृहस्पति, मुश्तरी।
साÓदे कू$फी (अ़.पु.)-एक औषधि, नागरमोथा, भद्रमुस्तक।
साÓदे ज़ाबेह (अ़.पु.)-बाईसवाँ नक्षत्र, श्रवण।
साÓदैन (अ़.पु.)-शुक्र और बृहस्पति नामक दो ग्रह, ज़ोह्रï: और मुश्तरी।
सान ($फा.पु.)-चा$कू या छुरी आदि पर धार रखने का पत्थर, षाण।
सानज़द: ($फा.वि.)-सान रखा हुआ, षाणित।
सानवी ($फा.वि.)-द्वितीय, दूसरा; दूसरे से सम्बन्धित, दूसरावाला।
सानिए $कुद्रत (अ़.पु.)-चित्रकार रूपी प्रकृति; ईश्वर, स्रष्टा।
सानिए मुत्ल$क (अ़.पु.)-मूल स्रष्टा, अस्ली निर्माता, ईश्वर।
सानिए ह$की$की (अ़.पु.)-दे.-'सानिए मुत्ल$कÓ।
सानिह: (अ़.पु.)-दुर्घटना, हादिसा; आपत्ति, विपत्ति, मुसीबत; कोई बुरे समाचार, किसी के मरने आदि की सूचना।
सानिहए इर्तिहाल (अ़.पु.)-किसी के मरने की सूचना।
सानिय: (अ़.पु.)-मिनिट, एक घंटे का साठवाँ भाग; क्षण, लम्हा; दूसरी।
सानियन (अ़.वि.)-पुन:, दोबारा; दूसरे यह कि।
सानियलहाल (अ़.वि.)-दूसरा वक़्त, दूसरे समय।
सानी (अ़.वि.)-द्वितीय, दूसरा; अन्य, दीगर।
साने (अ़.वि.)-रचयिता, बनोवाला, निर्माता, सृष्टा; कारीगर।
सा$फ: (अ़.पु.)-पगड़ी, शिरोवेष्टन, उष्णीय।
सा$फ (अ़.वि.)-स्पष्ट, वाज़ेह; पवित्र, पाक, शुद्घ; स्वच्छ, शफ्फ़़ाफ़; निर्मल, ख़ालिस; निर्दोष, बेऐब; सुगम, सरल, आसान; कोरा, बेदाग़; चिकना; सपाट।
सा$फगो (अ़.$फा.वि.)-स्पष्टवादी, लगी-लिपटी न रखनेवाला, मुँह पर कह देनेवाला; मुँहफट, बेबाक।
सा$फगोई (अ़.$फा.स्त्री.)-दो-टूक बात करना, सच्ची बात कह देना, लगी-लिपटी न रखना।
सा$फज़मीर (अ़.वि.)-जिसका मन सा$फ हो, जिसके अंत:करण में पाप न हो, अंत:शुद्घ।
सा$फतब्अ़ (अ़.वि.)-दे.-'सा$फतीनतÓ।
सा$फतीनत (अ़.वि.)-अंत:शुद्घ, पवित्रमनस्क, पाकबातिन।
सा$फदिल (अ़.$फा.वि.)-दे.-'सा$फतीनतÓ; किसी की ओर से मन में द्वेष न रखनेवाला।
सा$फदिली (अ़.$फा.स्त्री.)-चित्त का निर्मल और निष्पाप होना, अंत:शुद्घि; किसी की ओर से दिल में द्वेष या वैर-भाव न होना।
सा$फबयान (अ़.वि.)-दे.-'सा$फगोÓ।
सा$फबयानी (अ़.स्त्री.)-दे.-'सा$फगोईÓ।
सा$फबातिन (अ़.वि.)-शुद्घात्मा, शुद्घ और पवित्र अंत:करणवाला, मन में कोई खोट या द्वेष न रखनेवाला।
सा$फबातिनी (अ़.स्त्री.)-आत्मा की शुद्घि, मन की स$फाई।
सा$िफए मय (अ़.$फा.स्त्री.)-शराब छानने का कपड़ा, छन्ना।
सा$िफन (अ़.स्त्री.)-पिंडली की एक रग या नाड़ी।
सा$िफल (अ़.वि.)-निकृष्ट, नीच; नीचा, पस्त, नीचेवाला।
सा$फी (अ़.वि.)-शुद्घ करनेवाला; शुद्घता, स$फाई; छानने का कपड़ा, छन्ना।
सा$फी मनिश (अ़.$फा.वि.)-सदाचारी, अच्छे स्वभाव और विचारवाला।
सा$फो शफ्फ़़ाफ़ (अ़.वि.)-बहुत-ही निर्मल और स्वच्छ; अत्यन्त चमक-दमकवाला।
साÓब (अ़.वि.)-कठिन, दुष्कर, मुश्किल; बात की अवहेलना करनेवाला, अवज्ञाकारी, सरकश, उद्दंड।
साÓबतर (अ़.$फा.वि.)-अत्यन्त कठिन, बहुत-ही मुश्किल।
साबि$क: (अ़.वि.)-अगलेवाली, पहली; सम्बन्ध, लगाव, राबित:; प्रयोजन, वासित; पिछली जान-पहचान; काम, मुअ़ामला; वह अक्षर या अक्षर-समूह जो किसी शब्द से पहले लाया जाए, उपसर्ग।
साबि$क (अ़.वि.)-पिछला, गुजऱा हुआ, भूतपूर्व; आगे बढ़ जानेवाला।
साबि$कुजि़्ज़क्र (अ़.वि.)-जिसका जि़क्र पहले हो चुका हो, पूर्वकथित, पूर्वोक्त।
साबि$कुलमज़्कूर (अ़.वि.)-दे.-'साबि$कुजि़्ज़क्रÓ।
साबि$के दस्तूर (अ़.वि.)-पहले की तरह, पूर्ववत्, जैसा पहले था वैसा ही, यथापूर्व।
साबिग़ (अ़.वि.)-रँगनेवाला।
साबित (अ़.वि.)-समस्त, सब, पूरा, समूचा; स्थिर, साकिन; प्रमाणित, मुसल्लम; दृढ़, मज़बूत।
साबित$कदम (अ़.वि.)-दृढ़निश्चय, जो अपने इरादे पर अटल रहे, दृढ़ प्रतिज्ञ, जो अपने वचन और बात पर अडिग रहे।
साबित$कदमी (अ़.स्त्री.)-निश्चय और इरादे की दृढ़ता; वचन और वादे की अटलता।
साबिर: (अ़.स्त्री.)-प्रत्येक अवस्था में ईश्वर पर निर्भर रहनेवाली स्त्री।
साबिर (अ़.पु.)-हर हाल में ईश्वरेच्छा चाहनेवाला व्यक्ति; सहिष्णु, सहनशीन, मुतहम्मिल।
साबिरो शाकिर (अ़.वि.)-जो हर हाल में सब्र करे और ईश्वर का धन्यवाद दे।
साबी (अ़.वि.)-अपनी धार्मिक आस्था बदलनेवाला, धर्म-परिवर्तन करनेवाला, विधर्मी।
साबुन (अ़.पु.)-शुद्घ उच्चारण 'साबूनÓ है, मगर उर्दू में 'साबुनÓ ही बोलते हैं, मैल दूर हटानेवाली वस्तु।
साबुन$फरोश (अ़.$फा.वि.)-साबुन बेचनेवाला।
साबुनसाज़ (अ़.$फा.वि.)-साबुन बनानेवाला।
साबून (अ़.पु.)-शुद्घ उच्चारण यही है मगर उर्दू में 'साबुनÓ प्रचलित है, दे.-'साबुनÓ।
साबूनी (अ़.वि.)-एक प्रकार की मिठाई।
साबेÓ (अ़.वि.)-सातवाँ, सप्तम।
सामंदर ($फा.पु.)-समंदर, वह कीड़ा जो आग में रहता है।
साम ($फा.पु.)-सूजन, शोथ, वरम; दर्द, पीड़ा; अग्नि, आग; रुस्तम के बाप का नाम।
साम (अ़.स्त्री.)-मृत्यु, मरण, मौत; हनन, हलाकी; हज्ऱत 'नूहÓ का एक लड़का।
सामअंदर ($फा.पु.)-दे.-'सामंदरÓ।
सामान ($फा.पु.)-उपकरण, सामग्री, मसाला; किसी काम के लिए उसकी आवश्यक वस्तुएँ; सजावट, आरास्ती; बन्दोबस्त, प्रबन्ध, व्यवस्था।
सामाने ऐश (अ़.$फा.पु.)-सुख और भोग-विलास की सामग्री, उपभोग, सुख-सामग्री।
सामाने ख़्ाान:दारी ($फा.पु.)-घर-गृहस्थी की आवश्यक वस्तुएँ, गृहोपकरण।
सामान ख़्ाुरोनोश ($फा.पु.)-खाद्य-सामग्री, खाने-पीने की चीजें़।
सामाने ज़ीनत (अ़.$फा.पु.)-प्रसाधन, अपने बनाव-सिंगार या सजावट का सामान; किसी स्थान आदि की सजावट की सामग्री।
सामाने ज़ुरूरी (अ़.$फा.पु.)-उपकल्प, आवश्यक वस्तुएँ, ज़रूरी चीजें़।
सामाने मईशत (अ़.$फा.पु.)-जीवन-निर्वाह के लिए आवश्यक वस्तुएँ।
सामाने राहत (अ़.$फा.पु.)-दे.-'सामाने ऐशÓ।
सामाने स$फर (अ़.$फा.पु.)-यात्रा में साथ ले जानेवाली आवश्यक वस्तुएँ।
सामिअ़: (अ़.वि.)-श्रवण-शक्ति, सुनने की शक्ति, $कुव्वते समाअ़त।
सामिअ़:ख़्ाराश (अ़.$फा.वि.)-कर्णकटु, कानों में खुजलाहट पैदा करनेवाली बात अर्थात् जो बात कानों को अप्रिय लगे।
सामिअ़:नवाज़ (अ़.$फा.वि.)-कर्णप्रिय, जो बात कानों को अच्छी लगे, कर्ण-सुखद।
सामिईन (अ़.पु.)-श्रोतागण, सुननेवाले, श्रोतृ-मंडली।
सामित (अ़.वि.)-मौन, चुप, ख़्ाामोश।
सामिन (अ़.वि.)-अठवाँ, अष्ठम।
सामिरी (अ़.पु.)-'सामिराÓ नगर का रहनेवाला एक जादूगर, जिसने हज्ऱत मूसा की उम्मत (किसी विशेष अवतार या पै$गम्बर को माननेवाला समुदाय) में गाय की पूजा प्रचलित की।
सामिरी $फन (अ़.वि.)-जादूगर, मायावी; मक्कार, छली, वंचक।
सामिरीयत (अ़.स्त्री.)-मायाकर्म, इन्द्रजाल, जादूकर्म, जादूगरी।
सामी ($फा.वि.)-ऊँचा, उच्च, उत्तुंग, बुलंद; श्रेष्ठ, पूज्य, बुज़ुर्ग।
सामेÓ (अ़.वि.)-सुननेवाला, श्रोता।
सामे अब्रस (अब्रस) (अ़.स्त्री.)-छिपकली, गृहगोधा; गोह, गोधा।
साय: ($फा.पु.)-छाया, परछाईं; प्रतिबिम्ब, अ़क्स; प्रेत-बाधा, आसेब; शरण, आश्रय, पनाह; पक्षपात, पृष्ठ-पोषण, हिमायत; प्रभाव, असर।
साय:अफ्ग़न ($फा.वि.)-साया डालनेवाला; शरण या पनाह देनेवाला; रक्षा और कृपा करनेवाला।
साय:गाह ($फा.स्त्री.)-शरण-स्थल, सुरक्षा-स्थल, इत्मीनान की जगह, पनाहगाह।
साय:गुस्तर ($फा.वि.)-दे.-'साय:अफ्ग़नÓ।
साय:ज़द: ($फा.वि.)-भूत-प्रेत की बाधा से ग्रस्त, जिसे आसेब या जिन-परी ने मारा हो, भूताविष्ट।
साय:दार ($फा.वि.)-जिसमें साया या परछाईं हो, जिसकी परछाईं में लोग बैठ सकें।
साय:पर्वर ($फा.वि.)-दे.-'साय:पर्वर्द:Ó।
साय:पर्वर्द: ($फा.वि.)-लाड़-प्यार में पला हुआ, सुकुमार; घर पाला हुआ, नमक का पला हुआ; किसी की कृपा से पला हुआ।
साय:$िफगन ($फा.वि.)-दे.-'साय:अफ्ग़नÓ।
साय:रुस्त ($फा.वि.)-लाड़-प्यार में पला हुआ, नाज़पर्वर्द:।
सायए अ़ाति$फत (अ़.$फा.पु.)-कृपा और दया की छाँव अर्थात् दया और अनुकम्पा।
सायए तेग़ ($फा.पु.)-तलवारों की छाँव, तलवारों के तल; तलवारों का ख़्ाौ$फ ।
सायए दस्त ($फा.पु.)-सहायता, मदद; सुरक्षा, हि$फाज़त।
सार: ($फा.पु.)-एक प्रकार की चादर; आड़, ओट, परदा; रिश्वत, उत्कोच।
सार ($फा.पु.)-एक चिडिय़ा; उष्ट्र, ऊँट; (प्रत्य.)-वाला, जैसे-'शर्मसारÓ; बहुतात या एक से अधिक संख्या में, जैसे-'कोहसारÓ; समान, तुल्य, सदृश, जैसे-'देवसारÓ।
सारबान ($फा.वि.)-ऊँटवाला, उष्ट्रपाल।
सारा ($फा.वि.)-विशुद्घ, ख़्ाालिस, बिना मिलावटवाला, बेमेल, निष्केवल; अकृत्रिम, गैऱमस्नूई।
सारि$क: (अ़.स्त्री.)-चोर स्त्री।
सारि$क (अ़.पु.)-चोर, तस्कर।
सारि$फ (अ़.वि.)-ख़्ार्च करनेवाला, कंज़्यूमर; फेरनेवाला; कालचक्र, गर्दिश।
सारिम (अ़.स्त्री.)-बहुत तेज़ तलवार, बहुत-ही काटदार तलवार।
सारी (अ़.वि.)-सरायत करनेवाला, प्रवेश करनेवाला।
साल: ($फा.प्रत्य.)-सालवाला, वर्षवाला, जैसे-'यकसाल:Ó-एक सालवाला।
साल ($फा.पु.)-वत्सर, वर्ष, बरस।
सालख़्ाुर्द: ($फा.वि.)-बूढ़ा, वयोवृद्घ।
सालख़्ाुर्द ($फा.वि.)-दे.-'सालख़्ाुर्द:Ó।
सालगिरिह ($फा.स्त्री.)-जन्म-दिन, जन्म-तिथि, हर वर्ष जन्म-दिन पर मनाया जानेवाला उत्सव।
सालनाम: ($फा.पु.)-वह विशेषांक, जो कोई पत्रिका वर्ष में एक बार बहुत अच्छे ढंग से निकाले।
साÓलब (अ़.स्त्री.)-लोमड़ी, लोखड़ी, शोमशा, शोमशी, लोमालिका।
साल बसाल ($फा.वि.)-प्रतिवर्ष, हर साल, वर्ष-प्रति-वर्ष।
सालहा साल ($फा.वि.)-बरसों, मुद्दतों, बरसहा बरस, बहुत अधिक समय तक।
सालान: ($फा.वि.)-वार्षिक, वात्सरिक, साल का।
सालार ($फा.पु.)-सेनापति, सिपहसालार; अध्यक्ष, नायक, सरदार।
सालारी ($फा.स्त्री.)-सेनापतित्व, सिपहसालारी; नायकी, अध्यक्षता, सरदारी।
सालारे $का$िफल: (अ़.$फा.पु.)-$का$िफले अर्थात् यात्राी-दल का मुखिया।
सालारे कार्वां ($फा.पु.)-दे.-'सालारे $का$िफल:Ó।
सालारे $कौम (अ़.$फा.पु.)-राष्ट्र का नेता, देश का नेता; किसी जाति-विशेष का नेता।
सालारे जंग ($फा.पु.)-सेनापति, $फौज का सरदार।
सालिक (अ़.वि.)-रास्ता चलनेवाला, पथिक, बटोही, रस्त:गीर; वह वयक्ति, जो गृहस्थाश्रम में रहते हुए बहुत बड़ा साधक हो।
सालि$फ (अ़.वि.)-गुजऱा हुआ, आगे गया हुआ, पूर्वज।
सालिब (अ़.वि.)-सल्ब या निवारण करनेवाला, निवारक।
सालिम (अ़.वि.)-समग्र, सम्पूर्ण, समूचा, सारा का सारा; स्वस्थ, तनदुरुस्त; सुरक्षित, मह$फूज़; यथावत्, ज्यों का त्यों।
सालिमन (अ़.वि.)-पूर्णतया, पूरे तौर पर; सुरक्षापूर्वक, बहि$फाज़त।
सालियाँ ($फा.पु.)-'साल का बहु., बरस, वर्ष-समूह।
सालियान: ($फा.वि.)-सालाना, वार्षिक, (पु.)-वह ह$क, इन्अ़ाम या पुरस्कार जो हर वर्ष दिया जाता है।
सालिस (अ़.वि.)-तीसरा, तृतीय; बिचौलिया, मध्यस्थ, पंच।
सालिस बिलख़्ौर (अ़.पु.)-वह पंच या बिचौलिया जो किसी का पक्षपात किये बिना अपना निर्णय दे।
सालिसी (अ़.स्त्री.)-पंचायत; पंचायत द्वारा किसी झगड़े का निर्णय।
सालिह: (अ़.स्त्री.)-साध्वी, सच्चरित्रा, नेक और पार्सा स्त्री।
सालिह (अ़.वि.)-सदाचारी, शुद्घचरित, पुण्यचरित, नेक और परहेजग़ार, दे.-'सालेहÓ।
सालिहात (अ़.स्त्री.)-'सालिह:Ó का बहु., साध्वी स्त्रियाँ, परहेजग़ार अ़ौरतें।
सालिहुलकैमूस (अ़.वि.)-वह भोजन, जिससे शरीर में अच्छा रस बने और जो शुद्घ रक्त बना सके।
साली ($फा.वि.)-जीर्ण, पुराना, (प्रत्य.)-साल, वर्ष, जैसे-'ख़्ाुश्कसालीÓ-वह वर्ष जिसमें वर्षा का अभाव रहा हो, $कह्त का साल, अकाल का वर्ष।
सालूक (अ़.वि.)-बहुत अधिक चलनेवाला।
सालूस (अ़.$फा.वि.)-चापलूस, चाटुकार, ख़्ाुशामदी, तलुवे चाटनेवाला; छली, वंचक, मक्कार।
सालूसी ($फा.स्त्री.)-तलुवे चाटना, चापलूसी, ख़्ाुशामद; छल, धूर्तता, मक्कारी।
साले आइंद: ($फा.पु.)-आनेवाला साल, आगामी वर्ष, अगला साल।
साले ईसवी (अ़.$फा.पु.)-वह संवत्सर, जो हज्ऱत ईसा के फाँसी पाने के समय से चला है।
साले कबीस: (अ़.$फा.पु.)-लौंद का साल, वह वर्ष, जिसमें लौंद का महीना पड़े; वह ईसवी साल, जिसमें $फरवरी का महीना 29 दिन का हो।
साले क़मरी (अ़.$फा.पु.)-वह साल, जिसके महीनों का हिसाब चाँद की घटा-बढ़ी से हो।
साले गुज़श्त: ($फा.पु.)-गत वर्ष, बीता या गुजऱा हुआ साल।
साले जलाली (अ़.$फा.पु.)-जलालुद्दीन मलिक शाहे सलजू$की का चलाया हुआ साल, जो 365 दिन और 8 घण्टों का होता था, और अब तक वही हिसाब उचित माना जाता है।
साले तमाम (अ़.$फा.पु.)-पूर्ण वर्ष, सारा साल।
साले नबवी (अ़.$फा.पु.)-दे.-'साले हिज्रीÓ।
साले पैवस्त: ($फा.पु.)-गत वर्ष, गुजऱा हुआ साल।
साले $फस्ली (अ़.$फा.पु.)-किसानों या कृषकों का साल, जिसके हिसाब से वे लगान देते हैं।
साले बिक्रमी (अ़.$फा.पु.)-राजा विक्रमादित्य का चलाया हुआ सम्वत्, जो भारत का मुख्य संवत्सर है।
साले माल (अ़.$फा.पु.)-साले $फस्ली, किसानों और कृषकों का साल।
साले रवाँ ($फा.पु.)-वर्तमान वर्ष, चालू साल, वह साल जो इस समय चल रहा है, प्रस्तुत-वर्ष।
साले शम्सी (अ़.$फा.पु.)-वह वर्ष, जिसमें सूर्य के गिर्द पृथ्वी का चक्कर पूरा होने पर दिन-रात का हिसाब होता है और 365 दिन से कुछ अधिक समय का पूरा वर्ष गिना जाता है।
सालेह (अ़.वि.)-पुण्यात्मा, नेक और सदाचारी, शुद्घचरित्र, परहेजग़ार।
साले हिज्री (अ़.$फा.पु.)-मुसलमानों का साल, जो हज्ऱत मुहम्मद साहब के मक्का छोड़कर मदीने जाने की तारीख़्ा से शुरू होता है और जिसका हिसाब चाँद की घटा-बढ़ी पर निर्भर करता है, यह 'शम्सी सालÓ से 10-11 दिन छोटा होता है।
सालो माह ($फा.पु.)-वर्ष और महीने।
साÓव: (अ़.स्त्री.)-एक छोटा पक्षी, ममोला।
सास ($फा.पु.)-एक छोटा कीड़ा जो चारपाई और बिस्तरों में पड़ जाता है, खटमल, मत्कुण।
सासान ($फा.पु.)-ईरान का एक बहुत बहादुर बादशाह इस्फंदयार, जिसे रुस्तम ने अंधा करने मारा था का पौत्र तथा 'बह्मनÓ का बेटा, जो अपनी बहन के डर से घर से भाग गया था तथा संन्यास धारण कर लिया था, 'सासानी-वंशÓ उसी के नाम पर चलता है।
सासानी ($फा.वि.)-'सासानÓ के वंशज।
साहत (अ़.स्त्री.)-विस्तार, फैलाव, विशालता, कुशादगी; चारों ओर की खुली हुई जगह।
साहब (अ़.वि.)-दे.-'साहिबÓ, उर्दू में दोनों प्रकार से बोलते हैं, परन्तु अंग्रेज़ या बड़े अ$फसर के अर्थ में 'साहबÓ ही कहते हैं।
साहबअ़ालम (अ़.पु.)-देहली अथवा दिल्ली के शाहज़ादों (राजकुमारों) का ल$कब अर्थात् ख़्िाताब, उपाधि।
साहबबहादुर (अ़.$फा.पु.)-अंग्रेज़ों का ल$कब या उन्हें सम्बोधित करने का शब्द; वह व्यक्ति, जो अँग्रेज़ी चाल-ढाल में ढल गया हो।
साहिब: (अ़.स्त्री.)-श्रीमती जी, महोदया; महिला, स्त्री, जैसे-'डाक्टर साहिब: आई हैंÓ अर्थात् महिला चिकित्सक आई हैं।
साहिब (अ़.पु.)-एक सम्मान-सूचक शब्द, जो नाम के अन्त में लगाया जाता है; स्वामी, मालिक; मित्र, दोस्त; सहायत, साथी; वाला, जैसे-'साहिबे इल्मÓ-इल्मवाला।
साहिब अ़ालम (अ़.पु.)-दे.-'साहब अ़ालमÓ।
साहिब कमाल (अ़.वि.)-हुनरमंद, गुणवान्।
साहिब $िकराँ (अ़.वि.)-प्रतापी, तेजस्वी, जिसके भाग्य के शुभ ग्रह किसी अच्छी राशि में एकत्र हों। 'सिकंदरे आÓज़म की उपाधि।
साहिबख़्ाान: (अ़.$फा.पु.)-घर का मालिक, गृहस्वामी।
साहिब गऱज़ (अ़.वि.)-जिसका कोई काम अटका हुआ हो, गऱज़मंद; स्वार्थी, ख़्ाुदगर्ज़़।
साहिबज़ाद: (अ़.$फा.पु.)-सुपुत्र, भले आदमी का भला बेटा।
साहिब दिल (अ़.$फा.वि.)-सुहृद्, सहृदय, मनस्वी, जो दिल रखता हो; जो बात को समझ सके और मनुष्य को परख सके; पुण्यात्मा, महात्मा, ख़्ाुदाशनास।
साहिब नजऱ (अ़.वि.)-पैनी नजऱवाला, परखनेवाला, पारखी, $कद्रदान, दृष्टिवंत।
साहिब नसीब (अ़.वि.)-$िकस्मतवाला, भाग्यशाली, भाग्यवान्, ख़्ाुशनसीब।
साहिबान (अ़.पु.)-'साहिबÓ का बहु., लोग, मनुष्य, जैसे-'सब साहिबानÓ।
साहिबी (अ़.वि.)-अध्यक्षता, सरदारी; स्वामित्व, मालिकीयत।
साहिबुज़्ज़माँ (अ़.वि.)-हज्ऱत इमाम मेहदी की उपाधि।
साहिबुर्राय (अ़.वि.)-जिसकी राय अथवा सलाह नेक और सही हो।
साहिबुलजरीद: (अ़.पु.)-अख़्ाबार या समाचार-पत्र का मालिक।
साहिबे अ़क़्ल (अ़.वि.)-बुद्घिमान्, अ़क़्लमंद, सोचने-समझनेवाला।
साहिबे अख़्ला$क (अ़.वि.)-जिसका व्यवहार अच्छा हो, अच्छे आचरणवाला, सत्त्वशील्र शीलवान्।
साहिबे अ़मल (अ़.वि.)-जो सि$र्फ कहता ही न हो अपितु करता भी हो, कर्मठ।
साहिबे इक़्ितदार (अ़.वि.)-सत्ताधीश, जिसके हाथ में सत्ता हो।
साहिबे इक़्बाल (अ़.वि.)-प्रतापी, तेजस्वी, इक़्बालमंद; भाग्यशाली, ख़्ाुशनसीब।
साहिबे इख़्ितयार (अ़.वि.)-अधिकार-सम्पन्न, जिसको अधिकार प्राप्त हो, अधिकारी।
साहिबे ऐÓतिबार (अ़.वि.)-विश्वसनीय, विश्वस्त, मोÓतबर, जिस पर विश्वास किया जा सके।
साहिबे औसा$फे हमीद: (अ़.वि.)-अच्छे गुणों से परिपूर्ण, सद्गुण-सम्पन्न।
साहिबे कमाल (अ़.वि.)-गुणवान्, साहिबे हुनर।
साहिबे $कलम (अ़.वि.)-जिसकी लेखनी में दम हो, जो अच्छी श्रेणी का लेखक हो।
साहिबे $िकस्मत (अ़.वि.)-$िकस्मतवाला, भाग्यशाली, भाग्यवान्, अच्छे नसीबवाला।
साहिबे $कुद्रत (अ़.वि.)-समर्थ, सामथ्र्यवान्, ज़ी मक़्दरत; शक्तिशाली, ज़ोरावर।
साहिबे $कुर्आन (अ़.पु.)-हज्ऱत मुहम्मद साहब, जिन पर $कुर्आन उतरा अथवा अवतरित हुआ।
साहिबे $कुव्वत (अ़.वि.)-ता$कतवर, शक्तिशाली, बलशाली, बलवान्, ज़ोरदार।
साहिबे ख़्ाान: (अ़.$फा.वि.)-गृहस्वामी, घर का मालिक।
साहिबे ख़्ौर (अ़.वि.)-दानशील, जो अच्छे कामों में रुपया ख़्ार्च करता हो।
साहिबे गऱज़ (अ़.वि.)-जिसका कोई स्वार्थ आड़े आ रहा हो, जिसकी कोई गऱज़ अटकी हो; स्वार्थी, मतलब परस्त, गऱज़ी।
साहिबे ज़बाँ (अ़.$फा.वि.)-जो किसी भाषा का पैदाइशी जानकार हो, अह्ले ज़बान।
साहिबे जमाल (अ़.वि.)-रूपवान्, सुन्दर, हसीन।
साहिबे जऱ (अ़.$फा.वि.)-धनवान्, मालदार।
साहिबे जलाल (अ़.वि.)-उग्र स्वभाववाला, क्रुद्घात्मा, $गुस्स:वर, उग्रतेजा; तेजस्वी, तेजवान्।
साहिबे जाएदाद (अ़.$फा.वि.)-जिसके पास सम्पत्ति हो, सम्पत्तिवान्, जायदादवाला।
साहिबे जागीर (अ़.$फा.वि.)-भू-सम्पत्तिवान्, जिसे पास अनेक गाँव हों।
साहिबे जि़ला (अ़.पु.)-जि़लाधीश, जि़ले का हाकिम, कलक्टर।
साहिबे ज़ुका (अ़.वि.)-कुशाग्रबुद्घि, जिसकी बुद्घि तेज़ हो, प्रतिभावान्।
साहिबे ज़ौ$क (अ़.वि.)-काव्य-मर्मज्ञ, जिसे साहित्य से प्रेम तथा उसके गुण-दोष की परख हो, रसिक, सहृदय।
साहिबे तख़्त (अ़.$फा.वि.)-सत्ताधीश, शासक, राजा, नरेश, बादशाह।
साहिबे तख़्तोताज (अ़.$फा.वि.)-राजा, नरेश, बादशाह।
साहिबे तदबीर (अ़.वि.)-नीतिज्ञ, राजनीतिज्ञ, सियासतदाँ; बुद्घिमान्, अ़क़्लमंद।
साहिबे तमीज़ (अ़.वि.)-सभ्य, शिष्ट, सली$कमंद।
साहिबे ताज (अ़.$फा.वि.)-जिसके सिर पर मुकुट हो, मुकुटधारी; शासक, नरेश, राजा, बादशाह।
साहिबे ताजोतख़्त (अ़.$फा.वि.)-सिंहासनारूढ़, राजा, नरेश, बादशाह।
साहिबे दर्द (अ़.$फा.वि.)-जो दूसरों के दु:ख-दर्द को समझे; दयालु, दयावान्, रहमदिल।
साहिबे दानिश (अ़.$फा.वि.)-समझदार, बुद्घिमान्, अ़क़्लमंद; दूरदर्शी, दूरंदेश।
साहिबे दिमाग़ (अ़.वि.)-जिसका दिमाग़ सातवें आस्मान पर हो, नकचिढ़ा; अहंकारी, घमण्डी; अ़क़्लमंद, बुद्घिमान्।
साहिबे दिल (अ़.$फा.वि.)-ब्रह्मïज्ञानी, तत्त्वज्ञानी, महात्मा, अ़ारि$फ; दयालु, रहमदिल।
साहिबे दीवान (अ़.वि.)-वह शाइर या कवि, जिसका दीवान (काव्य-संग्रह) पूरा हो गया हो या छप गया हो।
साहिबे दौलत (अ़.वि.)-धनवान्, धनाढ्य, मालदार।
साहिबे नजऱ (अ़.वि.)-गुण-दोष की परख रखनेवाला, दृष्टिवान्।
साहिबे नसीब (अ़.वि.)-अच्छे भाग्यवाला, भाग्यशाली, ख़्ाुशनसीब।
साहिबे निगाह (अ़.$फा.वि.)-दे.-'साहिबे नजऱÓ।
साहिबे नियाज़ (अ़.$फा.वि.)-नियाज़मंद, भक्त, श्रद्घालु।
साहिबे निस्बत (अ़.वि.)-किसी बड़े दरवेश से सम्बन्ध रखनेवाला, किसी बड़े ख़्ाानदान का मुरीद।
साहिबे नु$फूज़ (अ़.वि.)-जिसकी कहीं पैठ अथवा पहुँच हो, रसाईवाला, रुसूख़्ादार।
साहिबे $िफराश (अ़.वि.)-रोगी, रुग्ण, बीमार; पलंग पर पड़ा रहनेवाला बीमार, जो चल-फिर न सके।
साहिबे म$कदूर (अ़.वि.)-मालदार, धनवान्।
साहिबे मज्लिस (अ़.वि.)-सभा या गोष्ठी का अध्यक्ष, सभापति, मीर मज्लिस; सभा या गोष्ठी करनेवाला; जिसके घर सभा या गोष्ठी हो।
साहिबे मह$िफल (अ़.वि.)-दे.-'साहिबे मज्लिसÓ।
साहिबे मह्बस (अ़.वि.)-कारागारवासी, $कैदी।
साहिबे माल (अ़.वि.)-धनवान्, दौलतमंद, मालदार।
साहिबे मुरव्वत (अ़.वि.)-सुशील, लिहाज़दार, मुरव्वतवाला।
साहिबे राज़ (अ़.$फा.वि.)-जिसका कोई भेद या रहस्य हो; जो भेद या रहस्य जानता हो, मर्मज्ञ।
साहिबे राय (अ़.वि.)-जिसकी राय अथवा सलाह शुद्घ और उचित हो, जिसका परामर्श नेक हो।
साहिबे रीश (अ़.$फा.वि.)-जिसकी दाढ़ी हो, दाढ़ीवाला, श्मश्रुल।
साहिबे रेश (अ़.$फा.वि.)-जिसके शरीर में कोई ज़ख़्म या घाव हो, घाववाला।
साहिबे लौलाक (अ़.पु.)-हज्ऱत मुहम्मद साहब की एक उपाधि या ल$कब।
साहिबे विलायत (अ़.वि.)-बहुत बड़ा वली या महात्मा, जिसके अधीन कोई इला$का हो, जिसकी रक्षा वह अपनी आत्म-शक्ति द्वारा करता हो।
साहिबे शौ$क (अ़.वि.)-शौ$कीन, किसी बात का शौ$क रखनेवाला।
साहिबे सज्जाद: (अ़.पु.)-सज्जाद:नशीन, गद्दीनशीन, किसी $फ$कीर का जानशीन अर्थात् उत्तराधिकारी या वारिस।
साहिबे सली$क: (अ़.वि.)-सुघड़, सली$क:मंद, उचित ढंग से काम करनेवाला (वाली)।
साहिबे हया (अ़.वि.)-लज्जावान्, जिसके स्वभाव में शर्मीलापन हो।
साहिबे हिम्मत (अ़.वि.)-साहसवाला, साहसी, उत्साही।
साहिबे हैसियत (अ़.वि.)-प्रतिष्ठित, सम्मानित, इज़्ज़तवाला; धनी, सम्पन्न, मालदार।
साहिबे हौसल: (अ़.वि.)-दे.-'साहिबे हिम्मतÓ।


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