Thursday, October 15, 2015

शा

--------------------------------------------------------------------------

शांज़द: ($फा.वि.)-सोलह, षोडश।
शांज़दहुम ($फा.वि.)-सोलहवाँ।
शाइक़ (अ़.वि.)-कामुक, अभिलाषी, इच्छुक; उत्कंठित, मुश्ता$क; व्यसनी, शौ$कीन।
शाइक (अ़.वि.)-काँटोंवाला, काँटोंदार, कंटकी।
शाइब: (अ़.पु.)-मिश्रण, मिलावट; लवलेश; किंचिन्मात्र, बहुत-ही थोड़ा, अत्यल्प।
शाइर: (अ़.स्त्री.)-कवि स्त्री, कवयित्री।
शाइर (अ़.पु.)-कवि, कविता करनेवला, शाइरी करनेवाला।
शाइरात (अ़.स्त्री.)-'शाइर:Ó का बहु., शाइर स्त्रियाँ, कवयित्रियाँ।
शाइरान: (अ़.$फा.वि.)-शाइरों-जैसा, कवियों-जैसा।
शाइरी (अ़.स्त्री.)-कविता, शेÓर कहना; काव्य, शेÓर का $फन या कला; अत्योक्ति, अतिरंजना, बात को बढ़ा-चढ़ाकर कहना, मुबाल$ग:।
शाइरीन (अ़.पु.)-'शाइरÓ का बहु., कविगण, अनेक कवि, शाइर हज्ऱात।
शाइस्त: ($फा.वि.)-शिष्ट, सभ्य्र तमीज़दार; अदब-$काइदे का ख़्ायाल रखनेवाला; योग्य, $काबिल; पात्र, मुस्तह$क; संस्कृत, मार्जित; उत्तम, श्रेष्ठ, उम्दा।
शाइस्त:अ़मल (अ़.$फा.वि.)-सदाचारी, नेकाचारी, शिष्टाचारी।
शाइस्त:कलाम (अ़.$फा.वि.)-शिष्ट वार्तालाप करनेवाला, तमीज़ की बातचीत करनेवाला, सभ्यतापूर्ण बतियानेवाला।
शाइस्त:गो ($फा.वि.)-जिसकी बातचीत सभ्यता और शिष्टता से परिपूर्ण हो।
शाइस्त:मनिश ($फा.वि.)-दे.-'शाइस्त:मज़ाजÓ।
शाइस्त:मिज़ाज (अ़.$फा.वि.)-सभ्य, शिष्ट, तमीज़दार, सली$केदार।
शाइस्तए कलाम (अ़.$फा.पु.)-वह व्यक्ति, जिससे बातचीत की जा सके, जो बात करने के योग्य हो।
शाइस्तगी ($फा.स्त्री.)-शिष्टता, सभ्यता, तमीज़, तहज़ीब; योग्यता, $काबिलीयत; पात्रता, इस्तेह$का$क; संस्कृति; उत्तमता, उम्दगी।
शाएÓ (अ़.वि.)-प्रकट, व्यक्त, ज़ाहिर; प्रकाशित, छपा हुआ; प्रसारित, नश्र।
शाएÓकर्द: (अ़.$फा.वि.)-प्रकट किया हुआ; प्रकाशित किया हुआ; छापा हुआ।
शाएÓकुनिंद: (अ़.$फा.वि.)-प्रकट करनेवाला, प्रकाशित करनेवाला, प्रकाशक।
शाएगाँ ($फा.वि.)-उत्तम, उम्दा; विस्तृत, चौड़ा; 'पर्वेज़Ó का एक ख़्ाज़ाना; विष्टि, बेगार; शाइरी में $का$िफए का एक दोष, ईता ($का$िफए का एक दोष, जिसमें दो शब्दों को जो सानुप्रास न हों, कोई अक्षर या शब्द बढ़ाकर $का$िफया बनाना, जैसे-'उठÓ और 'गिरÓ से 'उठाÓ और 'गिराÓ बनाना)।
शा$क (अ़.वि.)-जो सहन न किया जा सके, असह्य, ना$काबिले बरदाश्त; कठिन, दुष्कर, मुश्किल; जो रुचिकर न हो, अरुचिकर, नागवार।
शाक (अ़.पु.)-सैनिक, सिपाही; सशस्त्र, मुसल्लह; शक या संदेह करनेवाला।
शाकिए ज़ुल्म (अ़.पु.)-दे.-'शाकिए जौरÓ।
शाकिए जौर (अ़.पु.)-अनीति और अत्याचार की शिकायत करनेवाला, अन्याय की शिकायत करनेवाला।
शाकिए सितम (अ़.पु.)-दे.-'शाकिए जौरÓ।
शाकिर: (अ़.स्त्री.)-शुक्र करनेवाली स्त्री, ईश्वर का अभार माननेवाली।
शाकिर (अ़.पु.)-शुक्र करनेवाला, ईश्वर का आभार मानने और उसे धन्यवाद देनेवाला।
शाकिरे नेÓमत (अ़.पु.)-ईश्वर की दी हुई नेÓमतों (धन-सम्पन्नता, कुलीनता आदि) पर उसको धन्यवाद देनेवाला, कृतज्ञ, आभारी।
शाकी (अ़.वि.)-शिकायत करनेवाला, परिवादी।
शा$कूल (अ़.स्त्री.)-राज-मिस्त्रियों का एक यंत्र, जिससे वे दीवार की सीध नापते हैं।
शाक़्क़: (अ़.वि.)-अत्यन्त दुष्कर, बहुत कठिन, बहुत सख़्त।
शाख़्ा: ($फा.पु.)-अपराधी को दण्ड देने का काठ।
शाख़्ा ($फा.स्त्री.)-टहनी, शाखा, डाली; शंृग, विषाण, सींग; रुकावट, अड़चन, बाधा, पख; खण्ड, टुकड़ा; शराब का प्याला या सुराही, पानपात्र, चषक।
शाख़्ाच: ($फा.पु.)-छोटी शाखा, टहनी, डाली।
शाख़्ाच:बंदी ($फा.स्त्री.)-पेड़ की $कलम लगाना; लाँछन या आरोप लगाना।
शाख़्ा दर शाख़्ा ($फा.वि.)-एक-एक टहनी पर, एक-एक डाली में; पेचीदा, उलझा हुआ, पहलूदार।
शाख़्ादार ($फा.वि.)-जिसमें शाखाएँ अर्थात् डालियाँ हों, (पु.)-स्त्री की कमाई खानेवाला, भार्या-घटक, दैयूस।
शाख़्ाबदीवार ($फा.वि.)-अभिमानी, घमण्डी; उद्दण्ड, सरकश, शरारती।
शाख़्ा शाख़्ा ($फा.वि.)-टुकड़े-टुकड़े, खण्ड-खण्ड।
शाख़्ाशान: ($फा.पु.)-रुकावट, अड़चन, पख, बाधा; बात में बात।
शाख़्ासार ($फा.पु.)-जहाँ बहुत-से पेड़ हों।
शाख़्ााब: ($फा.पु.)-खाड़ी, ख़लीज।
शाख़्िाल ($फा.पु.)-दे.-'शाख़्ाुलÓ, दोनों शुद्घ हैं।
शाख़्िास (अ़.वि.)-हतप्रभ, जिसकी आँखें खुली रह गई हों, जो टकटकी बाँधकर रह गया हो।
शाख़्ाुल ($फा.पु.)-एक प्रसिद्घ अन्न, जिसकी दाल बनती है, अरहर।
शाख़्ो आजऱ्ू ($फा.स्त्री.)-इच्छाधारी वृक्ष की शाखा अर्थात् इच्छा, अभिलाषा।
शाख़्ो आहू ($फा.स्त्री.)-हिरन का सींग; धनुष, कमान; झूठा वादा।
शाख़्ो गवज़्न ($फा.स्त्री.)-बारहसिंगे का सींग।
शाख़्ो गाव ($फा.स्त्री.)-बैल या गाय का सींग।
शाख़्ो गुल ($फा.स्त्री.)-पुष्प-शाख, फूलों की डाली; माÓशू$क, प्रेमिका।
शाख़्ो गेसू ($फा.स्त्री.)-बालों की लट, केशपाश।
शाख़्ो ज़ाÓ$फरान (अ़.$फा.स्त्री.)-आश्चर्यजनक वस्तु; अनुपम, अद्भुत, बेमिस्ल।
शाख़्ो दर्या ($फा.स्त्री.)-किसी नदी से निकली हुई शाखा, शाखा-नदी।
शाख़्ो नबात ($फा.स्त्री.)-बाँस की वे छोटी तीलियाँ, जो मिस्री जमाते समय कूज़े यानी मिट्टी के सकोरे में लगा दी जाती हैं।
शाख़्ो सुस्त ($फा.स्त्री.)-कमज़ोर डाली, जिस पर घोंसला बनाने से उसके टूटने का भय हो अर्थात् संसार।
शाख़्ाोबुन ($फा.स्त्री.)-जड़ और शाख, सब, तमाम।
शागिर्द ($फा.पु.)-विधार्थी, तालिबे इल्म; कोई कला, शिल्प या हुनर सीखनेवाला, शिष्य; कविता में गुण-दोषादि सीखनेवाला।
शागिर्दपेश: ($फा.पु.)-नौकर-चाकर, ख़्िादमतगार लोग।
शागिर्दान: ($फा.वि.)-शागिर्दों-जैसा, शागिर्दों की तरह, शिष्योचित।
शागिर्दी ($फा.स्त्री.)-किसी गुरु, उस्ताद या आचार्य से किसी कला, शिल्प या विद्या का उपार्जन।
शागिर्दे रशीद (अ़.$फा.पु.)-वह शिष्य, जिसे उसके गुरु ने पूरे ध्यान से किसी कला, शिल्प या विद्या की शिक्षा दी हो तथा उसे वह सारी बातें और भेद बता दिए हों, जो दूसरों को नहीं बताए हों।
शागि़ल (अ़.वि.)-मना करनेवाला, रोकनेवाला, निषेध करनेवाला; मश्$गूल, संलग्न, व्यस्त।
शाज़ (अ़.वि.)-एकाकी, अकेला; जो बहुत कम होता हो।
शाज़ोनादिर (अ़.वि.)-कभी-कभी, यदा-कदा; इक्का-दुक्का, न होने के बराबर।
शात: (अ़.स्त्री.)-अजा, बकरी, बुज़।
शात (अ़.स्त्री.)-दे.-'शात:Ó।
शातिन (अ़.वि.)-दुराचारी, मायाचारी, बदकार।
शातिर (अ़.वि.)-शतरंज का माहिर खिलाड़ी; शतरंज खेलनेवाला; धूर्त, छली, ठग; धृष्ट, ढीठ; चपल, चंचल, शोख़्ा।
शातिरज़ाद: (अ़.$फा.पु.)-तेज़ और फुर्तीला नौकर।
शातिरान: (अ़.$फा.वि.)-शातिरों-जैसा, धूर्ततापूर्ण, ऐयाराना।
शाती (अ़.पु.)-नदी का किनारा, नदी-तट।
शातू (तु.पु.)-सीढ़ी, निश्रेणी, सोपान।
शाद ($फा.वि.)-प्रसन्न, हर्षित, ख़्ाुश; आनन्दित, मौज में।
शादकाम ($फा.वि.)-प्रसन्नचित्त, आनन्दित; सफल मनोरथ, कामयाब।
शादकामी ($फा.स्त्री.)-प्रसन्नता, ख़्ाुशी, हर्ष; सफलता, कामयाबी।
शादख़्वार ($फा.वि.)-धनाढ्य, मालदार; बेरोक-टोक शराब पीनेवाला, अत्यधिक मदिरापान करनेवाला।
शादख़्वारी ($फा.स्त्री.)-समृद्घि, दौलतमंदी, धनाढ्यता; बेरोक-टोक शराब पीना।
शादगून: ($फा.स्त्री.)-गानेवाली स्त्री, गायिका, डोमनी; बिछाने का गद्दा, तोशक।
शादन: ($फा.पु.)-एक प्रकार का पत्थर, जो छोटे दानों की शक्ल में होता है और दवा में प्रयुक्त होता है।
शादनज (अ़.पु.)-दे.-'शादन:Ó।
शादबह्रï ($फा.वि.)-सौभाग्यशाली, ख़्ाुश$िकस्मत; समृद्घ, ख़्ाुशहाल।
शादबाद ($फा.वा.)-दे.-'शादबाशÓ।
शादबाश ($फा.वा.)-ख़्ाुश रहो, चैन से जीवन व्यतीत करो, एक आशीर्वाद; शाबाश, धन्यवाद।
शादमाँ ($फा.वि.)-प्रसन्नचित्त, हर्षित, आनन्दित।
शादमाँदिल ($फा.वि.)-प्रफुल्ल मनस्क, प्रसन्नहृदय।
शादमाँरू ($फा.वि.)-प्रफुल्लवदन, जिसके चेहरे पर शिगुफ़्तगी हो।
शादमानी ($फा.स्त्री.)-प्रसन्नता, हर्ष, ख़्ाुशी।
शादवर्द ($फा.पु.)-चन्द्रमण्डल, चन्द्रबिम्ब, हाल:।
शादाँ ($फा.वि.)-दे.-'शादमाँÓ।
शादाब ($फा.वि.)-हरा-भरा, सरसब्ज़; सिंचित की हुई खेती; प्रफुल्ल, शिगुफ़्त:।
शादाबी ($फा.स्त्री.)-हरा-भरापन, तरोताजग़ी; प्रफुल्लता, शिगुफ़्तगी।
शादिन ($फा.पु.)-मृग-शावक, हिरन का बच्चा।
शादियान: ($फा.पु.)-बधाई, हर्ष या उत्सव के समय बजनेवाला बाजा।
शादी ($फा.स्त्री.)-हर्ष, आनन्द; विवाह, ब्याह।
शादीच: ($फा.पु.)-ऊपर पहनने का कपड़ा अर्थात् पहनने का ऊपरी वस्त्र, उपरना, बालापोश।
शादीमर्ग ($फा.वि.)-ख़्ाुशी की अधिकता से मर जानेवाला; वह व्यक्ति, जो हर्षाधिक्य के कारण मर जाए।
शादुर्वान ($फा.पु.)-छाजन, साएबान; शामियाना; पर्दा; $फर्श।
शादोआबाद ($फा.वि.)-जो प्रसन्न भी हो और समृद्घ भी।
शादोख़्ाुर्रम ($फा.वि.)-प्रसन्न और आनन्दित।
शान: ($फा.पु.)-कंधा; स्कंध; कंघा या कंघी; जुलाहों की राछ; जुलाहों की कूँची; एक शस्त्र। 'उनके पाँव रहे हैं मेरे शानों पर, मैं जिनकी ऊँचाई का आधार बनाÓ-माँझी
शान:कश ($फा.वि.)-कंघा करनेवाला।
शान:कशी ($फा.स्त्री.)-कंघा करना, बालों को कंघे से सुलझाना।
शान:कार ($फा.वि.)-कंघा बनानेवाला।
शान:गर्दानी ($फा.स्त्री.)-उपेक्षा, लापरवाही, बेतवज्जुही।
शान:बशान: ($फा.वि.)-कंधे से कंधा मिलाकर, मिलकर, जुड़कर, एकजुट होकर।
शान:बहा ($फा.पु.)-अत्यल्प मूल्य, बहुत थोड़ी $कीमत।
शान:बीं ($फा.वि.)-सगुन विचारनेवाला (यह शगुन बकरी के सींग से लिया जाता है)।
शान:बीनी ($फा.स्त्री.)-सगुन विचारना।
शान:सर ($फा.पु.)-एक पक्षी, हुदहुद।
शान (अ़.स्त्री.)-विभव, वैभव, शान-शौकत; प्रताप, इ$कबाल; तेज, जलाल; श्रेष्ठता, बुज़ुर्गी।
शानदार (अ़.$फा.वि.)-ठाटदार, उत्तम, बढिय़ा; विशाल, भारी।
शानी (अ़.वि.)-शत्रु, वैरी, दुश्मन।
शाने नुज़ूल (अ़.स्त्री.)-आने का कारण, उपस्थिति का सबब; किसी आकाशवाणी का कारण; किसी आकाशीय ग्रन्थ या उसके खण्ड-विशेष के उतरने का कारण।
शानोशौकत (अ़.स्त्री.)-ठाट-बाट, तड़क-भड़क; वैभव, विभव।
शा$फ: (अ़.पु.)-गुदा में रखने के लिए दवाओं में भिगोया हुआ कपड़ा आदि।
शाफि़अ़: (अ़.स्त्री.)-सु$फारिश (सि$फारिश) करनेवाली स्त्री।
शाफि़ई (अ़.वि.)-इमाम शा$िफई का नाम; इमाम शा$िफई का अनुयायी मुसलमान।
शा$िफए मुत्ल$क (अ़.पु.)-सच्ची नीरोगिता प्रदान करनेवाला, ईश्वर।
शा$फी (अ़.वि.)-शि$फा देनेवाला, रोगमुक्त करनेवाला।
शाफ़ेÓ (अ़.वि.)-सु$फारिश (सि$फारिश) करनेवाला, ईश्वर से सि$फारिश करके मोक्ष दिलानेवाला।
शाब [ब्ब] (अ़.वि.)-युवा, तरुण, जवान।
शाÓब (अ़.पु.)-गर्त, गड्ढ़ा; खोह, कंदरा, गु$फा; दरार, दर्ज़; कुल, ख़्ाानदान, वंश।
शाÓबद: (अ़.पु.)-माया-कर्म, इन्द्रजाल, जादू; दृष्टिबंध, नजऱबंी; टोना-टोटका; नई और अनोखी बात, चमत्कार; छल, $फरेब।
शाÓबद:गर (अ़.$फा.वि.)-मायावी, दृष्टिबंधक, जादूगर, इन्द्रजालिक; छली, $फरेबी।
शाÓबद:गरी (अ़.$फा.स्त्री.)-माया-कर्म, इन्द्रजाल, जादूगरी; छल, $फरेब।
शाÓबद:बाज़ (अ़.$फा.वि.)-दे.-'शाÓबद:गरÓ।
शाÓबद:बाज़ी (अ़.$फा.स्त्री.)-दे.-'शाÓबद:गरीÓ।
शाÓबद:संज (अ़.$फा.वि.)-दे.-'शाÓबद:गरÓ।
शाÓबद:संजी (अ़.$फा.स्त्री.)-दे.-'शाÓबद:गरीÓ।
शाÓबदात (अ़.पु.)-'शाÓबद:Ó का बहु., शाÓबदे।
शाÓबान (अ़.पु.)-इस्लामी आठवाँ महीना।
शाबाश ($फा.स्त्री.)-'शादबाशÓ का लघु.प्रोत्साहन देने और हिम्मत बढ़ानेवाला एक शब्द, जो बड़े लोग छोटों के अच्छा काम करने पर कहते हैं।
शाबाशी (उ.स्त्री.)-शाबाश देना; शाबाश।
शाम (अ़.पु.)-एक देश, सीरिया।
शाम ($फा.स्त्री.)-संध्या, सायंकाल। 'जंगल में शाएँ-शाएँ की आवाज़ हो गई, ढलते ही शाम सारे परिन्दे किधर गएÓ-माँझी
शामगाह ($फा.स्त्री.)-संध्या, सायंकाल, रात्रि से पूर्व का समय।
शामत (अ़.स्त्री.)-अकल्याण, नुहूसत; दुर्भाग्य, बद$िकस्मत; घिरने के लच्छन।
शामते अ़मल (अ़.स्त्री.)-कर्म का खोटापन; बुरे कर्म का बुरा फल।
शामते आÓमाल (अ़.स्त्री.)-बुरे कर्मों का फल, पापों का फल।
शामियान: ($फा.पु.)-छाया के लिए ताना जानेवाला एक विशेष कपड़ा, वितान।
शामिल (अ़.वि.)-सम्मिलित, एकत्र, एक जगह; अन्तर्गत, भीतरी; सम्बन्धित, संयुक्त, मुत्तहद; भागीदार, साझी, शरीक; सहकारी, मददगार।
शामिले हाल (अ़.वि.)-सम्मिलित, शामिल।
शामी (अ़.वि.)-शाम अथवा सीरिया का निवासी, वहाँ की भाषा।
शामे अबद (अ़.$फा.स्त्री.)-वह समय, जब पृथ्वी बिलकुल नष्ट हो जाएगी, 'सुब्हे अज़लÓ का विपरीत।
शामे गऱीबाँ (अ़.$फा.स्त्री.)-परदेशियों की शाम, परदेश की शाम जो बहुत उदास होती है।
शामे $गुर्बत (अ़.$फा.स्त्री.)-परदेश की शाम।
शामे जवानी ($फा.स्त्री.)-युवावस्था की शाम, जहाँ से मनुष्य पाप के जगत् में पाँव रखता है।
शामोपगाह ($फा.स्त्री.)-अहर्निश, रात-दिन अर्थात् हर समय, सदा, हमेशा।
शामोसहर (अ़.$फा.स्त्री.)-दे.-'शामोपगाहÓ।
शाम्म: (अ़.स्त्री.)-घ्राणशक्ति, सूँघने की $कुव्वत।
शायगाँ ($फा.वि.)-दे.-'शाएगाँÓ।
शायद ($फा.वि.)-स्यात्, कदाचित्, कदाचन।
शायदोबायद ($फा.वि.)-अनुपम, अद्भुत, अजीबो$गरीब।
शायस्त: ($फा.वि.)-दे.-'शाइस्त:Ó।
शायस्तगी ($फा.स्त्री.)-दे.-'शाइस्तगीÓ।
शायाँ ($फा.वि.)-उचित, समुचित, मौजूँ, मुनासिब।
शायाने शान (अ़.$फा.वि.)-किसी की प्रतिष्ठा के अनुसार, किसी की हैसियत के मुताबित, जो व्यक्ति जैसा हो उसके लिए वैसा ही।
शार: ($फा.स्त्री.)-वस्त्र, वसन, कपड़ा; पगड़ी; साड़ी।
शार ($फा.स्त्री.)-नगर, बस्ती; साड़ी; (प्रत्य)-स्थान, ऐसा स्थान जहाँ एक ही वस्तु प्रचुर हो, जैसे-'कोहसारÓ=पहाड़ी स्थान।
शाÓर (अ़.पु.)-केश, बाल।
शारक ($फा.स्त्री.)-मैना पक्षी, सारिका।
शारमार ($फा.पु.)-अजगर, बड़ा साँप।
शारसाँ ($फा.पु.)-नगर, शहर; बहुत-सी बस्तियाँ।
शारि$क (अ़.वि.)-भागनेवाला, पलायन करनेवाला।
शारिद (अ़.वि.)-चमकनेवाला, प्रकाशित होनेवाला।
शारिब (अ़.वि.)-पीनेवाला, पायी।
शारिस्तान ($फा.पु.)-वह बस्ती, जिसके चारों ओर बा$ग हों।
शाÓरुलजिन (अ़.पु.)-हंसराज, एक घास जो दवा में काम आती है, परसियावशान।
शारेÓ (अ़.वि.)-इस्लामी शरीअ़त अथवा धार्मिक-शास्त्र बनानेवाला अर्थात् हज्ऱत पै$गम्बर साहिब; शरीअ़त का अ़ालिम या विद्वान्।
शारेह (अ़.वि.)-टीकाकार, भाष्यकार, शर्ह लिखनेवाला अथवा विस्तारपूर्वक वर्णन करनेवाला।
शालंग ($फा.स्त्री.)-वह व्यक्ति, जो किसी भागे हुए (पलायित, मफ्रूर) व्यक्ति की जगह पकड़ा जाए।
शाल ($फा.स्त्री.)-एक प्रकार की ऊनी कामदार चादर।
शालदोज़ ($फा.वि.)-शाल बनानेवाला।
शालबा$फ ($फा.वि.)-दे.-'शालदोज़Ó।
शालहंग ($फा.पु.)-अनीति, अत्याचार, ज़ुल्म; बंधक, रेह्न; छल, कपट, धोखा, $फरेब।
शाली ($फा.पु.)-धान, भूसी सहित चावल।
शाश: ($फा.पु.)-मूत्र, प्रस्राव, पेशाब।
शाश ($फा.पु.)-दे.-'चाचÓ, दे.-'शाश:Ó।
शाÓशअ़: (अ़.पु.)-अंशु, किरण, रश्मि, मयूख; आतप, धूप, अर्चि।
शाशदान ($फा.पु.)-पेशाब करने का बर्तन या पात्र, रोगियों का मूत्रपात्र।
शाशिंद: ($फा.वि.)-पेशाब करनेवाला।
शाशीद: ($फा.वि.)-मूता हुआ, पेशाब किया हुआ; जो पेशाब कर चुका हो; जिस चीज़ पर पेशाब किया गया हो।
शाशीदनी ($फा.वि.)-पेशाब करने के योग्य, जिस पर पेशाब करना उचित हो; त्यक्त और तिरस्कृत वस्तु।
शाहंशह ($फा.वि.)-'शाहंशाहÓ का लघु., सम्राट्, चक्रवर्ती।
शाहंशही ($फा.स्त्री.)-साम्राज्य, शहंशाहियत, सत्ता।
शाहंशाह ($फा.वि.)-सम्राट्, चक्रवर्ती, शाहों के ऊपर बादशाह, नृपेन्द्र, जिसके अधीन अन्य राज्य हों।
शाहंशाही ($फा.स्त्री.)-साम्राज्य, शहंशाहियत।
शाह ($फा.पु.)-बादशाह, शासक, नरेश, नृप, राजा।
शाहकार ($फा.पु.)-किसी कलाकार की सर्वोत्तम कला-कृति, अत्युत्तम कृति।
शाहगाम ($फा.स्त्री.)-घोड़े की एक चाल।
शाहज़ाद: ($फा.पु.)-युवराज, राजकुमार, शहज़ादा।
शाहज़ादगी ($फा.स्त्री.)-युवराजपन, राजकुमारता, शहज़ादगी की अवस्था।
शाहज़ादा ($फा.पु.)-दे.-'शाहज़ाद:Ó, वही उच्चारण शुद्घ है।
शाहतर: ($फा.पु.)-एक प्रकार की घास, जो दवा में काम आती है।
शाहदर: ($फा.पु.)-राजमार्ग, अ़ाम रास्ता।
शाहदान: ($फा.पु.)-एक प्रकार का बीज, जो दवा में काम आता है।
शाहनशीं ($फा.स्त्री.)-बैठने की ऊँची जगह।
शाहनाम: ($फा.पु.)-वह महाकाव्य, जिसमें किसी राज्य-विशेष के राजाओं अथवा बादशाहों का वर्णन हो।
शाहनामा ($फा.पु.)-दे.-'शाहनाम:Ó, वही उच्चारण शुद्घ है।
शाहपर ($फा.पु.)-पक्षयों का डैना, जिसमें पर होते हैं।
शाहपसंद ($फा.वि.)-बादशाहों के लाय$क, जिसे राजा-महाराजा पसंद करें।
शाहबल्लूत ($फा.पु.)-एक पेड़, जिसे ईसाई पवित्र मानते हैं।
शाहबाज़ ($फा.पु.)-बड़ा बाज़, शहबाज़; शूर, वीर, योद्घा, बहादुर।
शाहबाज़ी ($फा.स्त्री.)-बहादुरी, वीरता, शूरता।
शाहबैत (अ़.$फा.स्त्री.)-$गज़ल का वह शेÓर, जो सबसे अच्छा हो।
शाहरग ($फा.स्त्री.)-एक वड़ी रक्तवाहिका, जो हृदय तक ख़्ाून पहुँचाती है, शहरग।
शाहराह ($फा.स्त्री.)-बड़ा रास्ता, राजमार्ग, हाई-वे।
शाहवार ($फा.वि.)-राजाओं और बादशाहों के योग्य अर्थात् बहुमूल्य।
शाहसवार ($फा.वि.)-घोड़े का बहुत अच्छा सवार, शरीर से शरीर घोड़े पर सवारी करनेवाला।
शाहि$क (अ़.पु.)-उत्तुंग, उच्च, श्रेष्ठ, बुलन्द, ऊँचा; प्रासाद, भवन, महल।
शाहिद (अ़.वि.)-गवाह, साक्षी; नायिका, माÓशू$क, प्रेमिका; श्रेष्ठ, उत्तम, उम्दा।
शाहिदपरस्त (अ़.$फा.वि.)-दे.-'शाहिदबाज़Ó।
शाहिदबाज़ (अ़.$फा.वि.)-हुस्नपरस्त, सुन्दर स्त्रियों का शौ$कीन; रण्डीबाज़, वेश्यागामी।
शाहिदान: (अ़.$फा.वि.)-माÓशू$कों-जैसा, नाज़ो-अंदाज़ और हाव-भावों से भरा हुआ, नायिका-जैसा।
शाहिदी (अ़.वि.)-गवाही, साक्ष्य, साक्षी; नायिकापन, माÓशू$कीयत।
शाहिदीयत (अ़.स्त्री.)-साक्ष्य, गवाही; नायिकापन, माÓशू$कीयत।
शाहिदे अ़ादिल (अ़.वि.)-सच्चा गवाह, सत्य साक्षी।
शाहिदे गै़ब (अ़.वि.)-परोक्ष ज्ञाता अर्थात् ईश्वर।
शाहिदे बाज़ारी (अ़.$फा.स्त्री.)-वेश्या, तवाइफ़, रण्डी, ग्रामनायिका, पण्यस्त्री, रूपजीवनी, गणिका, नगरवधु।
शाहिदे मक़्सूद (अ़.वि.)-हार्दिक इच्छा, मनोकामना, मनोरथ, नायिका रूपी सुन्दर मनोरथ।
शाहिदे रोज़ (अ़.$फा.पु.)-सूरज, सूर्य, रवि, दिनकर।
शाहिदे शब (अ़.$फा.पु.)-चन्द्रमा, चाँद, राकेश, शशि।
शाहिदे हाल (अ़.वि.)-घटना का प्रत्यक्ष गवाह, चश्मदीद गवाह।
शाहीं ($फा.पु.)-श्येन, पालंगक, विहंगाराति, बाज़ पक्षी; तराज़ू की डंडी, तुलादंड।
शाहीं दुज़्द ($फा.पु.)-डंडी मारनेवाला, तोल में अधिक या कम तोलनेवाला।
शाहीं दुज़्दी ($फा.स्त्री.)-डंडी मारना, कम या अधिक तोलना।
शाहीं बच: ($फा.पु.)-बाज़ का बच्चा; शूर व्यक्ति का पुत्र, वीरपुत्र।
शाही ($फा.स्त्री.)-राजकीय, सरकारी; राज से सम्बन्धित; राज्य, सत्ता, हुकूमत; राष्ट्र, सल्तनत।
शाहीन ($फा.पु.)-दे.-'शाहींÓ।
शाहे ख़्ाावर ($फा.पु.)-पूर्व का बादशाह अर्थात् सूर्य, सूरज।
शाहे नज$फ (अ़.$फा.पु.)-हज्ऱत अ़ली।
शाहे नह्ल (अ़.$फा.पु.)-शहद की मक्खियों का बादशाह, याÓसूब।
शाहे मग्रि़ब (अ़.$फा.पु.)-चन्द्रमा, चाँद।
शाहे मश्रिक़ (अ़.$फा.पु.)-सूर्य, सूरज।
शाहे रोज़ ($फा.पु.)-सूर्य, सूरज, रवि, दिनकर।
शाहे वक़्त (अ़.$फा.पु.)-वर्तमान शासक, मौजूदा समय में राज करनेवाला बादशाह।
शाहे हिजाज़ (अ़.$फा.पु.)-मक्का और मदीना का शासक; हज्ऱत मुहम्मद साहिब।

No comments:

Post a Comment