हे
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हें-हें (हिं.पु.)-
धीरे-धीरे हँसने का शब्द; गिड़गिड़ाने का शब्द।हे (सं.अव्य.)-
सम्बोधन-सूचक अवयव।हेकड़ी (हिं.स्त्री.)-
अक्खड़पन, उग्रता; ज़बरदस्ती।हेच (फ़ा.वि.)-
तुच्छ, हीन, पोच; व्यर्थ, बेकार, निरर्थक; कोई, कश्चित्;घृणित।हेचकस (फ़ा.वि.)-
तुच्छ, अधम, नीच, कमीना; कोई व्यक्ति।हेचकार: (फ़ा.वि.)-
निकम्मा, काहिल, जिसके किये-धरे कुछ न हो।हिचकारा (फ़ा.वि.)-
दे.-'हिचकार:', वही शुद्ध उच्चारण है।हेचगारा (फ़ा.वि.)-
नालायक़, अयोग्य; बेफ़ायदा, नाकारा।हेचगून: (फ़ा.वि.)-
किसी तरह, कैसे भी।हेचमदाँ (फ़ा.वि.)-
नादान, कुछ न जाननेवाला, निपट मूर्ख, बे-इल्म।हेचमदानी (फ़ा.स्त्री.)-
नादानी, कुछ न जानना, मूर्खता, अज्ञानता।हेचमयर्ज़ (फ़ा.वि.)-
जिसका कोई मूल्य न हो, बेक़द्र, तुच्छ।हेचमर्द (फ़ा.वि.)-
दीन और दु:खी व्यक्ति।हेम (फ़ा.स्त्री.)-
'हेमिय:' का लघु., ईंधन, जलाने की लकड़ी, जलावन।हेमा (सं.स्त्री.)-
माधवी-लता; सुन्दर स्त्री; पृथ्वी; स्वर्ग की एक अप्सरा का नाम।हेमिय: (फ़ा.स्त्री.)-
ईंधन, जलाने की लकड़ी, जलावन।हेर-फेर (हिं.पु.)-
घुमाव-फिराव, चक्कर; दाँव-पेंच, चालबाज़ी; अदल-बदल,उलट-पलट; कुछ बेचना और कुछ ख़रीदना।
हेराफेरी (हिं.स्त्री.)-
हेरफेर, अदल-बदल; इधर का उधर होना या करना।हेल: (फ़ा.पु.)-
'हलैल:' का लघु., हड़, हरीतकी।हेलमेल (हिं.पु.)-
मेल-जोल।हेला (सं.स्त्री.)-
तुच्छ और उपेक्ष्य समझना; खिलवाड़, क्रीड़ा; प्रेम की क्रीड़ा, केलि;बहुत आसान काम; साहित्य में नायिका की वह विनोदपूर्ण चेष्टा
जिसमें वह नायक पर अपने मिलने की इच्छा प्रकट करती
है। (हिं.पु.)-पुकार, हाँक; धावा, चढ़ाई; धक्का, रेला।
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