Thursday, October 15, 2015

लि

-----------------------------------------------------------------------

लिंग: ($फा.पु.)-पूरी टाँग, पाँव की उँगलियों से रान (जाँघ) की जड़ तक का अव्यव।
लिंग ($फा.पु.)-पिंडली; पूरी टाँग; रान, जाँघ, जंघा।
लिंगबर: ($फा.पु.)-एक प्रकार का खाद्य-पदार्थ, गेहूँ के आटे की रस्सी-सी बटकर उसके छोटे-छोटे टुकड़े करके घी में भूनकर गोश्त में पकाए जाते हैं।
लिअ़ान (अ़.पु.)-एक-दूसरे को धिक्कारना, परस्पर लाÓनत भेजना।
लि$का (अ़.स्त्री.)-दर्शन; साक्षात्कार, भेंट, मुला$कात।
लि$काह (अ़.पु.)-गर्भ धारण करना, गर्भवती होना, हामिल: होना।
लिख़्ाा$फ (अ़.पु.)-सफ़ेद और पतले पत्थर।
लिग़ाम (अ़.पु.)-पशुओं के मुँह बन्द करने की जाली, मुसीका।
लिग्न: ($फा.पु.)-दे.-'लिंग:Ó।
लिजाम (अ़.स्त्री.)-लगाम, कविका।
लिताम (अ़.पु.)-एक-दूसरे को तमाँवे मारना, परस्पर चाँटे लगाना।
लिदाम (अ़.पु.)-कपड़े में पैवन्द या थेगली लगाना; जूते में थेगली गाँठना।
लि$फ [फ्फ़़] (अ़.पु.)-वह पेड़, जो दूसरे पेड़ से गुथा हो।
लि$फाअ़ (अ़.पु.)-चादर।
लि$फा$फ: (अ़.पु.)-ऊपर लपेटने की वस्तु; चिट्ठी भेजने का खोल, पत्रवेष्टन; मुर्दे का क$फन।
लि$फा$फ (अ़.पु.)-मुर्दे का सबसे ऊपरवाला कपड़ा, क$फन।
लिफ़्क़(अ़.पु.)-तट, छोर, किनारा; दराज़, दरार, दर्ज़।
लिफ़्त (अ़.पु.)-एक शाक, शलजम।
लिब [ब्ब] (अ़.पु.)-वह व्यक्ति, जो कोई कार्य बराबर करता हो, किसी कार्य-विशेष का पाबन्द।
लिबा (अ़.स्त्री.)-प्योसी, खीस।
लिबास (अ़.पु.)-वस्त्र, वसन, पहनने के कपड़े, पोशाक।
लिबासात (अ़.पु.)-चापलूसी, ख़्ाुशामद, चाटुकारिता।
लिबासे अ़रूसी (अ़.पु.)-विवाह में दूल्हा और दुल्हन के पहनने के कपड़े।
लिबासे तक़्वा (अ़.पु.)-लज्जा, व्रीडा, लाज, शर्म; साधुओं के पहनने के वस्त्र।
लिबासे रियाई (अ़.पु.)-धोखा देनेवाले वस्त्र, धोखा देने-वाला भेष, छद्मवेश।
लिबासे शबख़्बाबी (अ़.पु.)-रात में सोते समय पहनने के कपड़े, रात्रिवसन, रात्रिवस्त्र, नाइट-ड्रेस।
लिब्न: (अ़.स्त्री.)-कच्ची ईंट, वह ईंट जो पकायी न गई हो, एक ईंट।
लिब्न (अ़.स्त्री.)-'लिब्न:Ó का बहु., कच्ची ईंटें।
लिब्लाब (अ़.स्त्री.)-एक बेल, इश्$क पेचाँ।
लिब्स (अ़.पु.)-पहनने के कपड़े, वस्त्र, वसन, लिबास।
लिम [ब्ब] (अ़.स्त्री.)-कारण, सबब, (अव्य.)-क्यों, किसलिए।
लिम्म: (अ़.पु.)-वे बाल, जो कनपटी के नीचे लटक आएँ।
लिम्मी (अ़.वि.)-न्याय-परिभाषा में एक तर्क, ऐसा किस कारण है।
लिया$कत (अ़.स्त्री.)-योग्यता, $काबिलीयत; इस्तेह$का$क, पात्रता; विद्वता, इल्मीयत; उत्साह, हौसला; सामथ्र्य।
लियाज़ (अ़.पु.)-शरण लेना, आश्रय लेना, पनाह ढँढऩा।
लियाम (अ़.पु.)-'लईमÓ का बहु., मक्खीचूस लोग।
लियामत (अ़.स्त्री.)-भत्र्सना, निन्दा, मलामत।
लियास (अ़.वि.)-जो अपनी स्त्री की कमाई खाता हो, जो अपनी पत्नी से वेश्यावृत्ति कराता हो, भगभोगी, भार्गाट, दय्यूस।
लियाह (अ़.वि.)-सफ़ेद, धवल, श्वेत, (स्त्री.)-जंगली गाय।
लिल्लहिल हम्द (अ़.वा.)-सारी स्तुतियाँ केवल ईश्वर के लिए हैं; ईश्वर को धन्यवाद, ख़्ाुदा का शुक्र।
लिल्लाह (अ़.अव्य.)-भगवान् के लिए, ख़्ाुदा के वास्ते, ईश्वर के नाम पर, ईश्वरार्पण।
लिवज्हिल्लाह (अ़.अव्य.)-भगवान् के लिए, ईश्वर के लिए।
लिवा (अ़.पु.)-झण्डा, ध्वजा, पताका, निशान।
लिवाए ह$क (अ़.पु.)-सच्चाई की पताका, सत्य का झण्डा।
लिवाज़ (अ़.पु.)-एक-दूसरे की रक्षा करना, एक-दूसरे को शरण देना।
लिवातत (अ़.स्त्री.)-गुदमैथुन, पुरुष-मैथुन, इग़्लाम, दे.-'लवाततÓ, दोनों शुद्घ हैं।
लिस [स्स] (अ़.वि.)-चोर, स्तेन, तस्कर।
लिसान (अ़.स्त्री.)-जीभ, जिह्वïा, रसना; भाषा, बोली, ज़बान।
लिसानी (अ़.वि.)-भाषा-सम्बन्धी।
लिसानीयात (अ़.स्त्री.)-भाषा-विज्ञान, भाषाओं का इल्म या ज्ञान।
लिसानुलअ़स्र (अ़.पु.)-अपने समय के बारे में लिखने-वाला, अपने समय का अनुवादक, अपने वक़्त का तर्जुमान।
लिसानुल$कौम (अ़.पु.)-अपने देश की स्थिति का वर्णन करनेवाला, अपने राष्ट्र का तर्जुमान या अनुवादक; अपनी जाति की स्थिति से अवगत करानेवाला, अपनी जाति का तर्जुमान या अनुवादक।
लिसानुलगै़ब (अ़.पु.)-भविष्य की बातें जाननेवाला।
लिसानुलमुल्क (अ़.पु.)-अपने देश या राष्ट्र का तर्जुमान।
लिसानुलहमल (अ़.स्त्री.)-एक वनौषधि, बारतंग।
लिसाम (अ़.पु.)-पशुओं के मुँह बाँधने की जाली, मुसीका।
लिस्स: (अ़.पु.)-मसूढ़ा, दंतमांस, दे.-'लस्स:Ó और 'लुस्स:Ó, तीनों शुद्घ हैं।
लिहा (अ़.स्त्री.)-वल्कल, छाल, बकला, बक्कल।
लिहाज़ (अ़.पु.)-आदर, ख़्ायाल; शील, मुरव्वत; लज्जा, शर्म; स्वाभिमान, गैऱत; भय, डर; ध्यान, ख़्ायाल; संकोच, नदामत।
लिहाज़ा (अ़.अव्य.)-अत:, सुतराम्, इसलिए।
लिहा$फ (अ़.पु.)-मोटी रज़ाई।
लिह्य: (अ़.स्त्री.)-दे.-'लेह्य:Ó।
लिह्यान (अ़.वि.)-दे.-'लेह्यानÓ।

     

No comments:

Post a Comment