रू
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रू ($फा.पु.)-मुखाकृति, चेहरा; मुख, मुँह; कारण, सबब।रूअ़त (अ़.स्त्री.)-दिल, हृदय; बुद्घि, अ़क़्ल।
रूए किताबी (अ़.$फा.पु.)-लम्बूतरी मुखाकृति, लम्बोतरा चेहरा।
रूएज़मीं ($फा.स्त्री.)-पृथ्वी की सतह, धरातल।
रूएदाद ($फा.स्त्री.)-कथा, कहानी, वृत्तान्त; कार्यवाही, काररवाई।
रूएबंद ($फा.पु.)-दे.-'रूबंदÓ।
रूए सुख़्ान ($फा.पु.)-बात का लक्ष्य, जिसे लक्ष्य करके बात की जाए; सम्बोधन।
रूओरिअ़ायत (अ़.$फा.स्त्री.)-शील और संकोच, मुरव्वत और लिहाज़।
रूकश ($फा.वि.)-लज्जित, शर्मिन्दा; सामने, सम्मुख,
मु$काबिल; प्रतिद्वंद्वी, हरी$फ।
रूकशी ($फा.स्त्री.)-लज्जा, शर्म, हया; सामना, सम्मुखता; र$काबत, प्रतिद्वंद्विता।
रूकार ($फा.स्त्री.)-मकान के सामनेवाला भाग, सामने का रुख़्ा।
रूगर्दां ($फा.वि.)-विमुख, परामुख, मुँह फेरे हुए; उद्दण्ड, अवज्ञाकारी, आदेश न माननेवाला, हुक्म उदूल।
रूगर्दानी ($फा.स्त्री.)-विमुखता, मुँह फेरना; उद्दण्डता, आज्ञा का उल्लंघन, हुक्म उदूली।
रू दर रू ($फा.वि.)-प्रत्यक्ष, आमने-सामने, मुँह पर।
रूदाद ($फा.स्त्री.)-$िकस्सा, कथा, कहानी; वृत्तांत, हाल; कार्यवाही, काररवाई।
रूदादे $गम (अ़.$फा.स्त्री.)-प्रेम-व्यथा का वृत्तांत, इश्$क की कहानी, प्रेम-कथा।
रूदार ($फा.वि.)-प्रतिष्ठित, सम्मानित, पूज्य।
रूदारी ($फा.स्त्री.)-प्रतिष्ठा, मान्यता, इज़्ज़त।
रूनास ($फा.स्त्री.)-मजीठ, एक लकड़ी जो दवा और रँगाई में काम आती है।
रूनुमा ($फा.वि.)-मुँह दिखानेवाला।
रूनुमाई ($फा.स्त्री.)-मुँह दिखाई।
रूपाक ($फा.पु.)-रूमाल, करपट, मुँह पोंछने का कपड़ा।
रूपोश ($फा.वि.)-जो मुँह छिपाए हुए हो; जो भागा हुआ हो, भगोड़ा, मफ्रूर।
रूपोशी ($फा.स्त्री.)-मुँह छिपाना; $फरार होना, भाग जाना, पलायन।
रूबंद ($फा.पु.)-मुँह पर डालने का कपड़ा, बु$र्का, मुखपट, घूँघट।
रूबआस्माँ ($फा.वि.)-आकाश की ओर मुँह किए हुए, ऊपर की ओर मुँह उठाए हुए।
रूब$क$फा (अ़.$फा.वि.)-पीछे की ओर मुँह किए हुए।
रूबकार ($फा.वि.)-काम में दिल लगाए हुए, दत्तचित्त, दे.-'रोबकारÓ।
रूबज़वाल (अ़.$फा.वि.)-पतनोन्मुख, पतन अर्थात् गिराव की ओर प्रवृत्त।
रूबदीवार ($फा.वि.)-स्तब्ध, चकित, हैरान।
रूबराह ($फा.वि.)-ठीक रस्ते पर, ठीक-ठीक, सही दिशा में।
रूबरू ($फा.वि.)-आमने-सामने, सम्मुख, मुँह पर, प्रत्यक्ष, मु$काबिल।
रूबसेहत (अ़.$फा.वि.)-वह रोगी जो स्वास्थ्य की ओर जा रहा हो, स्वास्थ्य-लाभ पानेवाला रोगी।
रूबहवा (अ़.$फा.वि.)-हवा के रुख़्ा पर, वायु-अनुकूल, हवा की दिशा में।
रूम (अ़.पु.)-एक देश, रोम।
रूमाल ($फा.पु.)-हाथ-मुँह पोंछने के लिए जेब में रखने-वाला कपड़ा, करपट, रुमाल।
रूमी (अ़.वि.)-रूम का निवासी, रूम की भाषा।
रूयत (अ़.स्त्री.)-दीदार, दर्शन, देखना।
रूयते हिलाल (अ़.स्त्री.)-चंद्रदर्शन, नव चंद्रदर्शन, नया चाँद देखना।
रूया (अ़.पु.)-स्वप्न, ख़्वाब; निद्रा, नींद।
रूयाए सादि$क: (अ़.पु.)-सच्चा स्वप्न, वह स्वप्न जिसका फल स्वप्न में देखी हुई बात के अनुकूल हो।
रूशनास ($फा.वि.)-सूरत-भर पहचाननेवाला अर्थात् बहुत कम परिचित; परिचित, वा$िक$फ।
रूशनासी ($फा.स्त्री.)-केवल सूरत-भर पहचानना, बहुत कम परिचय।
रूसख़्तज ($फा.पु.)-जला हुआ ताँबा, जो विशेषत: ख़्िाज़ाब में काम आता है।
रूसपी ($फा.स्त्री.)-बदचलन, कुलटा, पुंश्चली, भ्रष्टा, असती, $फाहिशा।
रूसफ़ेद ($फा.वि.)-नेकनाम, यशस्वी, प्रसिद्घ; शिष्टाचारी, सभ्य, नेक कर्दार।
रूसियाह ($फा.वि.)-कदाचारी, पापात्मा, बदचलन; पापी, गुनाहगार।
रूसियाही ($फा.स्त्री.)-कदाचार, बदचलनी; पाप, गुनाह।
रूस्ता ($फा.पु.)-ग्राम, गाँव, देहात।
रूस्ताई ($फा.वि.)-ग्राम निवासी, देहाती; कृषक, किसान; उजड्ड, अक्खड़, असभ्य, गँवार।
रूस्ताज़ाद: ($फा.पु.)-गाँव का लड़का, देहाती लड़का।
रूह (अ़.स्त्री.)-प्राण-वायु, जान; सत, जौहर, कई बार का खींचा हुआ अऱ$क; कई बार का बहुत अधिक फूलों से बनाया हुआ इत्र।
रूहअ$फज़ा (अ़.$फा.वि.)-प्राणवद्र्घक, जीवन बढ़ानेवाला।
रूहपर्वर (अ़.$फा.वि.)-प्राणों को पालने और उसकी रक्षा करनेवाला।
रूह$फर्सा (अ़.$फा.वि.)-प्राणों को छीलनेवाला, अर्थात् मन को अत्यधिक खेद पहुँचानेवाला, आत्मपीड़क, कष्टकारी।
रूहानियाँ (अ़.$फा.पु.)-देवतागण, $फरिश्ते।
रूहानियात (अ़.$फा.स्त्री.)-अध्यात्मवाद, इलाहीयात, ब्रह्मï-विद्यावाद।
रूहानी (अ़.वि.)-आत्मिक, आत्मा-सम्बन्धी, रूह सम्बन्धी; हार्दिक, दिली।
रूहानीयत (अ़.स्त्री.)-आत्मवाद, अध्यात्मवाद, तसव्वु$फ।
रूही (अ़.वि.)-हार्दिक, दिली; आत्मिक, रूहानी।
रूहुलअमीन (अ़.पु.)-हज्ऱत जिब्रील।
रूहुल$कुदुस (अ़.पु.)-हज्ऱत जिब्रील।
रूहुल्लाह (अ़.पु.)-हज्ऱत ईसा।
रूहेआÓज़म (अ़.पु.)-हज्रत जिब्रील।
रूहे तब्ई (अ़.स्त्री.)-प्राणवायु का वह अंश जो यकृत में रहकर खाद्य-पदार्थों को पचाता और शरीर के सारे अंगों को भोजन-रस पहुँचाता है (यूनानी तिब अर्थात् चिकित्सा)।
रूहे तूतिया (अ़.$फा.स्त्री.)-जस्ता, एक धातु।
रूहे नफ़्सानी (अ़.स्त्री.)-प्राणवायु का वह अंश जोमस्तिष्क में रहता और इन्द्रियों का संचालन करता तथा उन्हें शक्ति प्रदान करता है (यूनानी तिब अर्थात् चिकित्सा)।
रूहे नबाती (अ़.स्त्री.)-वनस्पति के अन्दर संचार करनेवाली प्राणवायु या उसकी जीवन-शक्ति।
रूहे मुअ़ज़्ज़म (अ़.पु.)-हज्ऱत जिब्रील।
रूहे मुकर्रम (अ़.पु.)-हज्ऱत जिब्रील।
रूहे मुजर्रद (अ़.पु.)-दे.-'रूहे मुत्ल$कÓ।
रूहे मुत्ल$क (अ़.पु.)-भगवान्, ईश्वर, परमात्मा।
रूहे रवाँ (अ़.$फा.स्त्री.)-प्राणवायु, वह रूह अथवा आत्मा जो रगों में संचारित रहती है।
रूहे हैवानी (अ़.स्त्री.)-वह प्राणवायु, जो शिराओं द्वारा सारे शरीर में संचार करती है। यह यकृत में जाकर अन्न को पचाने और बाँटने तथा मस्तिष्क में जाकर इन्द्रियों को शक्ति देने तथा सारे अंगों को जीवन प्रदान करने, उन्हें पालने और विकसित करने का काम करती है।
क्या इसमें शब्द डाल कर सर्च करने की फॅसिलिटी है ?छपी है क्या ?
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