र
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रंग ($फा.पु.)-वर्ण, जैसे-हरा, लाल, नीला, पीला; रंगत, रूप; वह वस्तु जिससे वस्तुओं की रँगाई की जाती है, रंगने का मसाला; ढंग, तर्ज़, पद्घति, रविश; भोग-विलास; हर्ष, आनन्द, ख़्ाुशी; मोद, लुत्$फ, मज़ा; दस्तूर, रस्म, $कायदा; राग, गाना, नाच; खेल-कूद; हँसी-दिल्लगी, मज़ा$क, चुहल; सैर, तमाशा; दशा, हाल, कै$िफयत; रंग-ढंग, आचार-विचार; वर्ताब, व्यवहार; अबीर और गुलाल आदि; चेहरे का रंग, वर्ण; रौन$क, आभा, कांति, बहार, सौन्दर्य, ख़्ाूबसूरती; समाँ; सदृश, मानिन्द; रौ$गन, वारनिश, सजावट; गंजीफ़े की आठों बाजिय़ों के नाम; जोड़, हम-असर; ख़्ाुमार, नशा, ता$कत; छल, कपट, मक्र, हीला; विचित्र स्थिति या हालत। मुहा.-'रंग आनाÓ-रंग चढऩा, रौन$क आना। 'रंग उडऩाÓ-बे-रौन$क होना, हाल ख़्ाराब हो जाना। 'रंग चढ़ानाÓ-अपना-सा बनाना। 'रंग टपकनाÓ-ख़्ाास हालत ज़ाहिर होना।रंगअंदाज़ ($फा.वि.)-रंग डालनेवाला, रंग छिड़कनेवाला (वाली)।
रंगअंदाज़ी ($फा.स्त्री.)-रंग डालना, रंग छिड़कना।
रंगअफ़्शाँ ($फा.वि.)-रंग फैलाने या बिखेरनेवाला (वाली)।
रंगअफ़्सानी ($फा.स्त्री.)-रंग बिखेरना, रंग फैलाना।
रंगआमेज़ ($फा.वि.)-रंग भरनेवालाअर्थात् चितेरा, चित्रकार, नक़्$काश, मुसव्विर।
रंगआमेज़ी ($फा.स्त्री.)-चित्र बनाना, चित्रकर्म, चितेरापन, नक़्$कशी, मुसव्विरी; अतिरंजन, अत्त्युक्ति, किसी बात को बढ़ा-चढ़ाकर कहना, मुबाल$ग:।
रंगत (अ़.स्त्री.)-बदन या चेहरे का रंग, वर्ण; कपड़े के ऊपर का रंग; रूप; हालत, अवस्था, कै$फीयत; आनन्द, लुत्फ़, मज़ा; तौर-तरी$का, रंग-ढंग; शोभा, छवि। मुहा.-'रंगत गैऱ होनाÓ-शर्म से चेहरे का रंग बदल जाना।
रंगतर: ($फा.पु.)-संतरा, मीठी नारंगी।
रंगदार ($फा.वि.)-रँगा हुआ, रंजित।
रंगपरीद: ($फा.वि.)-उड़े हुए रंगवाला, फीके रंगवाला; भय या लज्जा के कारण जिसका रंग उड़ गया हो।
रंगपरीदगी ($फा.स्त्री.)-रंग उडऩा अथवा फीका पड़ जाना; लज्जा या भय से चेहरे का रंग उड़ जाना।
रंगपाश ($फा.वि.)-रंग छिड़कनेवाला (वाली)।
रंगपाशी ($फा.स्त्री.)-रंग छिड़कना; होली आदि ख़्ाुशी के अवसर पर एक-दूसरे पर रंग डालना।
रंग$फरोश ($फा.वि.)-रंग बेचनेवाला।
रंग$फरोशी ($फा.स्त्री.)-रंग बेचना, रंग बेचने का काम।
रंग$िफशाँ ($फा.वि.)-'रंगअफ़्शाँÓ का लघुरूप, दे.-'रंग-अफ़्शाँÓ।
रंग$िफशानी ($फा.स्त्री.)-'रंगअफ़्सानीÓ का लघु., दे.-'रंगअफ़्सानीÓ।
रंगबरंग ($फा.वि.)-चित्र-विचित्र, रंगारंग।
रंगबस्त ($फा.वि.)-पक्का रंग।
रंगबार ($फा.वि.)-दे.-'रंगपाशÓ।
रंगबारी ($फा.स्त्री.)-दे.-'रंगपाशीÓ।
रंगमहल (अ़.$फा.पु.)-बादशाहों और अमीरों के ऐश करने का स्थान, ऐशगाह, भोग-विलासगृह, विलास-भवन।
रंगरज़ ($फा.वि.)-रंगनेवाला, कपड़े रँगनेवाला, रंगरेज़।
रंगरेज़ ($फा.वि.)-चित्र बनानेवाला, चित्रकार, चितेरा, कपड़े रँगनेवाला।
रंगशिकस्त: ($फा.वि.)-जिसका रंग फीका पड़ गया हो, उतरे या उड़े हुए रंगवाला।
रंगसाज़ ($फा.वि.)-रंग बनानेवाला; रँगनेवाला, चित्रकार, पेंटर।
रंगसाज़ी ($फा.स्त्री.)-रंग बनाने का काम; रँगने का काम, रंगरेज़ी, पेंटरी।
रंगारंग ($फा.वि.)-रंग-बिरंगी, चित्र-विचित्र; रंगभरा, मनोरंजक।
रंगीं ($फा.वि.)-'रंगीनÓ का लघु., दे.-'रंगीनÓ।
रंगीअंदाम ($फा.वि.)-गौरवर्ण, गोरे शरीरवाला (वाली)।
रंगींअदा ($फा.वि.)-सुन्दर व मोहक अदाओंवाला (वाली), हाव-भावपूर्ण।
रंगींअदाई ($फा.स्त्री.)-मोहक भाव-भंगिमा, हाव-भाव, प्रेमिका की सुन्दर अदाओं का भाव।
रंगींइज़ार (अ़.फा.वि.)-रक्तवर्ण, सुख्ऱ्ा गालोंवाला (वाली),
लाल कपोलोंवाला (वाली)।
रंगींइज़ारी (अ़.$फा.स्त्री.)-कपोलों की लाली, गालों की सुख्ऱ्ाी, गोरापन।
रंगीं$कामत ($फा.वि.)-दे.-'रंगींअंदामÓ।
रंगींचेह्रï: (अ़.$फा.वि.)-सौन्दर्यवान्, रूपवान्, सुन्दर मुख-वाला (वाली)।
रंगींजमाल (अ़.$फा.वि.)-गोरे रंगवाला (वाली), गौरवर्ण।
रंगींतकल्लुम (अ़.$फा.वि.)-जिसकी बातचीत बहुत ही सुन्दर और श्रुतिप्रिय हो, मधुरभाषी, श्रुतिमधुर।
रंगींतबस्सुम (अ़.$फा.वि.)-जिसकी मुस्कान में मुँह से फूल झड़ते हों, सम्मोहक स्मिति, मधुर स्मिति।
रंगींतब्अ़ (अ़.$फा.वि.)-ख़्ाुशमिज़ाज, जिं़द:दिल, विनोदप्रिय, रसिक; ऐयाश या शराबी।
रंगींतरन्नुम (अ़.$फा.वि.)-जिसका गला बहुत ही मधुर हो, अत्यन्त श्रुतिप्रिय स्वरवाला (वाली), मधुरस्वर।
रंगींनग़्म: ($फा.वि.)-मधुर स्वरवाला (वाली), कलकंठ।
रंगींनजऱ (अ़.$फा.वि.)-जिसकी दृष्टि केवल सुन्दर चीज़ों पर पड़ेे, जो सौन्दर्य को देखता हो, सौन्दर्य-पे्रमी, रसिक।
रंगींनजऱी (अ़.$फा.स्त्री.)-सौन्दर्य को देखना, सुन्दर चीज़ों पर दृष्टि डालना, सौन्दर्य-प्रेम।
रंगींनवा ($फा.वि.)-सुरीली आवाज़वाला (वाली), कलकंठ, मधुरस्वर।
रंगींनवाई ($फा.स्त्री.)-स्वरमाधुर्य, आवाज़ का मधुर होना, कलकंठता।
रंगींनिगाह ($फा.वि.)-दे.-'रंगींनजऱÓ।
रंगींनिगाही ($फा.स्त्री.)-दे.-'रंगींनजऱीÓ।
रंगींमश्रब (अ़.$फा.वि.)-भोग-विलास करनेवाला, ऐयाशी और शराबनाशी करनेवाला, रँगीला, रसिया।
रंगींमिज़ाज (अ़.$फा.वि.)-सौन्दर्य-प्रेमी, हुस्नपरस्त, रँगीला, रसिक, रसिया; शराबख़्ाोर, शराबनोश, मद्यप, मदिरापान करनेवाला, रसाशी, मैकश।
रंगींमिज़ाजी (अ़.$फा.स्त्री.)-सौन्दर्य-भोग, रूपपान, हुस्नपरस्ती; मदिरापान, मद्यपान, शराबनोशी।
रंगींरुख़्ा ($फा.वि.)-रूपवान्, सुन्दर, हसीन (पुरुष अथवा स्त्री)।
रंगींलब ($फा.वि.)-लाल होंठोंवाली, सुन्दर होंठोंवाली नायिका, बिंबाधरा।
रंगींलाÓल ($फा.वि.)-दे.-'रंगींलबÓ।
रंगींलिबास (अ़.$फा.वि.)-रंग-बिरंगे कपड़े पहननेवाला (वाली), सुन्दर वस्त्र धारण करनेवाला (वाली)।
रंगींलिबासी (अ़.$फा.स्त्री.)-रंग-बिरंगे कपड़े पहनने का शौ$क।
रंगीन ($फा.वि.)-रँगा हुआ, रंजित; विनोदप्रिय, ख़्ाुशमिज़ाज; चित्रित, मुनक़्$कश, जिसपर बेल-बूटे हों; शोभित, ख़्ाुशनुमा, सुन्दर; चपल, चुलबुला, शोख़्ा; शराब-कबाब और भोग-विलास का शौ$कीन, विलासप्रिय, रसिया।
रंगीनिए अदा ($फा.स्त्री.)-अदाओं अथवा हावभाव का सौन्दर्य।
रंगीनिए $गाज़: ($फा.स्त्री.)-रंगीन पाउडर, जो सुन्दरता के लिए मुख पर लगाया जाता है।
रंगीनिए जमाल (अ़.$फा.स्त्री.)-सुन्दरता की विचित्रता, रूप का सौन्दर्य।
रंगीनिए तकल्लुम (अ़.$फा.स्त्री.)-बतरस, वार्तालाप का रस, बातचीत का माधुर्य।
रंगीनिए तख़्ाातुब (अ़.$फा.स्त्री.)-सम्बोधन का माधुर्य; प्रेयसी का प्रेमी की ओर मुड़कर देखने का सौन्दर्य।
रंगीनिए तबस्सुब (अ़.$फा.स्त्री.)-मुस्कान का माधुर्य और सौन्दर्य, स्मिति-सौन्दर्य।
रंगीनिए नजऱ (अ़.$फा.स्त्री.)-दृष्टि-सौन्दर्य, दृष्टि का सुन्दर और अच्छी चीज़ पर पडऩे का भाव।
रंगीनिए निगाह ($फा.स्त्री.)-दे.-'रंगीनिए नजऱÓ।
रंगीनिए बहार ($फा.स्त्री.)-वसन्त ऋतु की छटा और शोभा, बहार की सुन्दरता और मोहकता।
रंगीनिए माहौल (अ़.$फा.स्त्री.)-वातावरण का सौन्दर्य, रूप और सुन्दरता का माहौल।
रंगीनिए रुख़्ा ($फा.स्त्री.)-मुखच्छटा, चेहरे का सौन्दर्य और गुलाबीपन, मुख-सौन्दर्य, रूप-सौन्दर्य।
रंगीनिए लब ($फा.स्त्री.)-होंठों की लाली, होंठों का रस, होंठों का रसीलापन।
रंगीनिए लिबास (अ़.$फा.स्त्री.)-कपड़ों की रंगीनी और सुन्दरता, वस्त्रों का रंग-बिरंगापन, कपड़ों का आकर्षण।
रंगीनिए शबाब (अ़.$फा.स्त्री.)-यौवन का सौन्दर्य, यौवन का निखार, यौवन का जोश और मस्ती।
रंगीनिए सहबा ($फा.स्त्री.)-दे.-'रंगीनिए शराबÓ।
रंगीनिए हया (अ़.$फा.स्त्री.)-लज्जा का सौन्दर्य, प्रेमिका के मुँह छिपाने या आँखें नीची करने की छटा, लाज-सौन्दर्य।
रंगीनिए हयात (अ़.$फा.स्त्री.)-जीवन का रूप और सौन्दर्य, जीवन का भोग-विलास में गुजऱना, भोग-विलास।
रंगीनिए हुस्न (अ़.$फा.स्त्री.)-सुन्दरता की विचित्रता और रंगीनी, रूप-सौन्दर्य।
रंगीनी ($फा.वि.)-रँगा हुआ होना; मस्ती, उन्माद; शोभा, छटा; ऐश, भोग-विलास।
रंगे गुल ($फा.पु.)-फूल का रंग; गुलाब की लाली; फूल की ताजग़ी और हरा-भरापन; वसन्त ऋतु की रंगीनी।
रंगे परीद: ($फा.पु.)-उड़ा हुआ रंग, उतरा हुआ रंग; फीका रंग।
रंगे बहार ($फा.पु.)-वसन्त ऋतु की छटा, हर तरफ़ फूलों की शोभा, प्रकृति-सौन्दर्य।
रंगे बाद: ($फा.पु.)-दे.-'रंगे शराबÓ।
रंगे मीना ($फा.पु.)-शराब के शीशे का सुन्दर रंग, जो शराब के कारण हो जाता है; शराब के प्याले की रंगीनी, मदिरा का सौन्दर्य।
रंगे मै ($फा.पु.)-दे.-'रंगे शराबÓ।
रंगे शिकस्त: ($फा.पु.)-हलका रंग, उतरा हुआ रंग, फीका रंग।
रंगे शीश: ($फा.पु.)-शराब की बोतल का रंग, जो शराब के कारण हो जाता है।
रंगे हुस्न (अ़.$फा.पु.)-हुस्न की शोभा और छटा, सौन्दर्य की शोभा।
रंगोबू ($फा.पु.)-फूलों का रंग और उनकी सुगन्ध, पुष्परंग और गन्ध।
रंगोरौ$गन ($फा.पु.)-रूप और छटा, सौन्दर्य की चमक, हुस्न और आबोताब; लकड़ी आदि का रंग और वारनिश।
रंज: ($फा.पु.)-कष्ट, क्लेश, तक्ली$फ; $गम, दु:ख, शोक।
रंज:ख़्ाातिर (अ़.$फा.वि.)-व्यथित हृदय, मनस्तप्त, दु:खित हृदय, रंजीदा दिल, खिन्न।
रंज ($फा.पु.)-शोक, $गम; मृतशोक, मातम; आघात, सदमा; पीड़ा, दर्द; दु:ख, कष्ट, तक्ली$फ, मुसीबत, आपदा, विपत्ति।
रंजे उल्$फत ($फा.स्त्री.)-प्रणय-पीड़ा, प्रेम-वेदना।
रंजअफ्ज़़ा ($फा.वि.)-कष्टवद्र्घक, दु:ख या पीड़ा बढ़ाने-वाला।
रंजआगीं ($फा.वि.)-कष्ट से परिपूर्ण, दु:ख से भरा हुआ, दु:खपूर्ण।
रंजआश्ना ($फा.वि.)-दे.-'रंजाश्नाÓ।
रंजकशीद: ($फा.वि.)-शोकग्रस्त, जिसने दु:ख उठाया हो, जो दु:ख उठा चुका हो, जो कष्ट झेल चुका हो।
रंजज़ा ($फा.वि.)-दु:खोत्पादक, कष्टजनक, दु:ख या कष्ट पैदा करनेवाला।
रंजदिहिंद: ($फा.वि.)-दु:खदायी, कष्ट-दायक, कष्ट अथवा पीड़ा देनेवाला।
रंजदीद: ($फा.वि.)-उत्तप्त, जिसने कष्ट और दु:ख उठाया हो, पीडि़त, जिसने पीड़ा भोगी हो।
रंजदेह ($फा.वि.)-दु:खदायी, कष्टदायक, पीड़ा देनेवाला।
रंज$िफज़ा ($फा.वि.)-'रंजअफ्ज़़ाÓ का लघु., दे.-'रंजअफ्ज़़ाÓ।
रंजाश्ना ($फा.वि.)-दे.-'रंजदीद:Ó।
रंजिश ($फा.स्त्री.)-मनमुटाव, वैमनस्य, मनोमालिन्य; नाराज़ी, अप्रसन्नता, ख़्ा$फगी।
रंजिशे बेजा ($फा.स्त्री.)-अकारण मनमुटाव, बिना कारण का वैमनस्य, अकारण क्रोध, $फुज़ूल की ख़्ा$फगी।
रंजीद: ($फा.वि.)-दु:खित, पीडि़त, संतप्त, $गमगीन।
रंजीद:ख़्ाातिर (अ़.$फा.वि.)-पीडि़त मन, दु:खित हृदय, मनस्ताप, $गमगीन।
रंजीद:दिल ($फा.वि.)-पीडि़त मन, दु:खित हृदय, $गमगीन।
रंजीद:दिली ($फा.स्त्री.)-मन का पीडि़त होना, हृदय का दु:खित होना, $गमगीनी।
रंजीदगी ($फा.स्त्री.)-पीड़ा, दु:ख, संताप, रंज, $गम।
रंजीदनी ($फा.स्त्री.)-दु:ख मनाने योग्य, दु:खित होने योग्य।
रंजूर ($फा.वि.)-पीडि़त, दु:खित, $गमगीन; रुग्ण, रोगी, बीमार।
रंजूरी ($फा.स्त्री.)-दु:ख, कष्ट, $गम; आमय, रोग, बीमारी।
रंजे उल्$फत ($फा.स्त्री.)-प्रणय-पीड़ा, प्रेम-वेदना।
रंजोअलम (अ़.$फा.पु.)-शोक और दु:ख, बहुत अधिक शोक।
रंजो$गम (अ़.$फा.पु.)-कष्ट और दु:ख, हर प्रकार के कष्ट।
रंजोतअ़ब (अ़.$फा.पु.)-कष्ट और थकन, परिश्रम और थकावट।
रंजोमिहन (अ़.$फा.पु.)-कष्ट और प्रयास, मेहनत और रंज।
रंद: ($फा.पु.)-बढ़ई का वह यंत्र, जिससे लकड़ी पर रंदा किया जाता है।
रअयुल्अ़ैन (अ़.पु.)-आँख से देखना।
रअ़ाया (अ़.स्त्री.)-'रईयतÓ का बहु., प्रजा, जनता, पब्लिक।
रअ़ायापर्वर (अ़.$फा.वि.)-प्रजा को पालनेवाला, प्रजापालक, अर्थात् राजा, नरेश, बादशाह।
रई (अ़.पु.)-घास।
रईयत (अ़.स्त्री.)-प्रजा, रअ़ाया; जनता, अ़वाम।
रईयतनवाज़ (अ़.$फा.वि.)-प्रजा पर दया करनेवाला, प्रजा-पोषक।
रईयतपर्वर (अ़.$फा.वि.)-प्रजा को पालने और परवरिश करनेवाला, प्रजापाल।
रईस (अ़.वि.)-धनाढ्य, मालदार; अध्यक्ष, सरदार; शासक।
रईसज़ाद: (अ़.$फा.पु.)-रईस का बेटा।
रईसे आÓज़म (अ़.पु.)-सबसे बड़ा रईस।
रऊ$फ (अ़.वि.)-दयानिधान, अत्यधिक दया और अनुकम्पा करनेवाला, (पु.)-भगवान् का एक नाम।
र$कब: (अ़.पु.)-गर्दन, ग्रीवा।
र$कम (अ़.स्त्री.)-रुपया-पैसा, धन, माल; लिखना; मदद; अंक; (प्रत्य.)-लिखनेवाला, जैसे-'ज़ूदर$कमÓ-तेज़ लिखने-वाला।
र$कमजऩ (अ़.$फा.वि.)-लिपिक, लेखक, लिखनेवाला।
र$कमतराज़ (अ़.$फा.वि.)-दे.-'र$कमजऩÓ।
र$कमपिज़ीर (अ़.$फा.वि.)-लिखित, लिखा हुआ।
र$कमसंज (अ़.$फा.वि.)-दे.-'र$कमजऩÓ।
र$कमी (अ़.वि.)-अंकित, चिह्निïत, निशान किया हुआ; लिखा हुआ, लिखित।
र$काइम (अ़.पु.)-'र$कीमÓ का बहु., लिखित पत्र।
रकाकत (अ़.स्त्री.)-नीचता, तुच्छता, अधमता, कमीनगी; बेइज़्ज़ती, तिरस्कार, अपमान।
र$काबत (अ़.स्त्री.)-एक नायिका के दो प्रेमियों की आपसी लाग-डाँट; एक पुरुष की दो चाहनेवालियों की आपसी डाह, सौतिया डाह।
र$की$क (अ़.वि.)-द्रवीभूत, पिघला हुआ; पतला, तरल; कोमल, मुलायम।
रकीक (अ़.वि.)-नीच, अधम, तुच्छ, कमीना।
र$की$कुल$कल्ब (अ़.वि.)-जिसका मन बहुत ही कोमल हो, जो दूसरों के दु:ख पर तुरन्त ही पिघल जाए।
रकीकुलहरकात (अ़.वि.)-जो अत्यन्त नीच स्वभाव का हो और ओछे काम करे।
रकीदन ($फा.पु.)-क्रोध में बड़बड़ाना, बकना।
रकीन (अ़.वि.)-पक्का, दृढ़, मज़बूत।
र$कीब: (अ़.स्त्री.)-वह स्त्री जो किसी पुरुष से प्रेम रखने के सम्बन्ध में दूसरी स्त्री से डाह रखती हो, प्रेम-डाह।
र$कीब (अ़.वि.)-प्रतिप्रेमी, किसी स्त्री से प्रेम करनेवाले दो व्यक्ति परस्पर र$कीब होते हैं, प्रतिनायक।
र$कीम: (अ़.वि.)-लिखित का$गज़, पत्र, ख़्ात, चिट्ठी।
र$कीम (अ़.वि.)-लिखित, लिखा हुआ।
र$कीमए नियाज़ (अ़.$फा.वि.)-अपने किसी कार्य के लिए बहुत विनम्रता से लिखी हुई चिठ्ठी, विनयपत्र, आवेदनपत्र, दरख़्वास्त, अ़ाजिज़़ानाख़्ात।
रकीय: (अ़.स्त्री.)-कूप, कुआँ।
र$कूअ़ (अ़.स्त्री.)-ख़्ाून बन्द करना, रक्त रोकना।
र$कूब (अ़.स्त्री.)-वह स्त्री, जो धन-सम्पत्ति के लोभ में पति की मौत चाहे।
रक्अ़त (अ़.स्त्री.)-नमाज़ में एक $कयाम (खड़ा होना), एक रुक्अ़ (झुकना) और दो सज्दों (ज़मीन पर माथा टेकना) का मज्मूअ़: अर्थात् समाहार।
रक़्$कास: (अ़.स्त्री.)-नर्तकी, लासिका, नाचनेवाली।
रक़्$कास (अ़.पु.)-नृत्य करनेवाला, नर्तक, नाचनेवाला, ताण्डवी।
रक़्$कासे $फलक (अ़.पु.)-शुक्रग्रह, ज़ोहरा।
रक्ज़ (अ़.पु.)-दौडऩा।
रक़्ब: (अ़.पु.)-ज़मीन की नाप, क्षेत्रफल; क्षेत्र, इला$का।
रक्व: (अ़.स्त्री.)-डोंगी।
रक़्स (अ़.पु.)-ताण्डव, मर्द का नाच, पुरुषनृत्य; लास्य, स्त्री का नाच, नारीनृत्य; नृत्य, नर्तन, अ़ाम नाच।
रक़्सकुनाँ (अ़.$फा.वि.)-नृत्य करता हुआ, नाचता हुआ।
रक़्सख़्ाान: (अ़.$फा.पु.)-दे.-'रक़्सगाहÓ।
रक़्सगाह (अ़.$फा.स्त्री.)-नृत्यशाला, नाट्यशाला, नाचघर।
रक़्सपसंद (अ़.$फा.वि.)-नृत्यप्रेमी, जिसे नाचना पसंद हो; जिसे नाच देखना पसंद हो।
रक़्साँ (अ़.$फा.वि.)-नृत्य करता हुआ, नाचता हुआ।
रक़्िसंद: (अ़.$फा.वि.)-नृत्यकर्ता, नाचनेवाला।
रक़्सीद: (अ़.$फा.वि.)-नाचा हुआ, जिसने नाच किया हो, जो नाचा हो।
रक़्सीदनी (अ़.$फा.वि.)-नृत्य के योग्य, नाचने के लाय$क, जिसका नाचना अच्छा हो, नृत्यनिपुणता।
रक़्से ताऊस (अ़.$फा.पु.)-एक नाच, मयूरनृत्य, मोर-नाच।
रक़्से पैहम (अ़.$फा.पु.)-निरन्तर नृत्य, बराबर नाच, ऐसा नाच जो समाप्त न हो, रक़्से मुसलसल।
रक़्से $फानूस (अ़.$फा.पु.)-कं़दील के अन्दर तस्वीरों का नृत्य।
रक़्से बिस्मिल (अ़.$फा.पु.)-आधा वध किए हुए प्राणी का ज़मीन पर तड़पना और लेटना, घायल की तड़पन।
रक़्से मुसलसल (अ़.पु.)-दे.-'रक़्से पैहमÓ।
रक़्सोसुरोद (अ़.$फा.पु.)-नाच-गाना, नाचरंग।
रख़्ाावत (अ़.स्त्री.)-शिथिलता, ढीलापन; मंदता, सुस्ती।
रख़्ाीम (अ़.वि.)-जिसका स्वर धीमा हो, नर्म आवाज़वाला; संयमी, निग्रही, ज़ाहिद।
रख़्ाीस (अ़.वि.)-मन्दा, सस्ता, कम दामों का, अल्प या न्यून मूल्य वाला।
रख़्त ($फा.पु.)-वसन, वस्त्र, लिबास; उपकरण, सामान।
रख़्तकश ($फा.वि.)-सामान उठानेवाला, सामान लेकर चलनेवाला अर्थात् मुसा$िफर, पथिक, यात्री।
रख़्ते निज़ामी ($फा.स्त्री.)-$फौजी वर्दी।
रख़्ते स$फर (अ़.$फा.पु.)-यात्रा के लिए आवश्यक सामान और उपकरण।
रख्ऩ: ($फा.पु.)-छेद, छिद्र, सूराख़्ा; दोष, ऐब, बुराई; हस्तक्षेप, दख़्ल, मुज़ाहमत; बाधा, रोक; लड़ाई, झगड़ा, टंटा, कलह; उपद्रव, $फसाद।
रख्ऩ:अंदाज़ ($फा.वि.)-बाधा डालनेवाला, हस्तक्षेप करने-वाला, अड़चन पैदा करनेवाला।
रख्ऩ:अंदाज़ी ($फा.स्त्री.)-बाधा डालना, हस्तक्षेप करना, अड़चन पैदा करना।
रख्ऩ:बंदी ($फा.स्त्री.)-सूराख़्ा रोकना, छेद बन्द करना; बाधा हटाना; झगड़ा समाप्त करना।
रख़्श: ($फा.पु.)-आग की लपट, अग्निज्वाला, अग्निशिखा।
रख़्श ($फा.पु.)-अश्व, घोड़ा; किरण; प्रभा, चमक।
रख़्शाँ ($फा.वि.)-चमकता हुआ, दीप्त, प्रकाशमान्।
रख़्िशंद: ($फा.वि.)-चमकनेवाला।
रख़्िशंदगी ($फा.स्त्री.)-चमक, आभा, प्रभा, प्रकाश।
रख़्शीद: ($फा.वि.)-दीप्त, प्रकाशित, प्रज्ज्वलित, चमका हुआ।
रग ($फा.स्त्री.)-स्नायु, नस; नाड़ी, शिरा, रक्त-नलिका।
रगजऩ ($फा.पु.)-$फस्द खोलनेवाला, $फस्साद, निश्तर से ख़्ाून निकालनेवाला, रक्तमोचक।
रगजऩी ($फा.स्त्री.)-$फस्द खोलना, नस से ख़्ाून निकालना, रक्तमोक्षण।
र$गद (अ़.पु.)-ऐश, विलास।
रगबंद ($फा.वि.)-पट्टी, घाव पर बाँधने का कपड़ा आदि।
रग़ाब (अ़.स्त्री.)-गीली की हुई ज़मीन, नम धरती।
रग़ाम (अ़.स्त्री.)-रेतीली भूमि, पथरीली भूमि।
रग़ी$फ (अ़.स्त्री.)-बट्टी, टिकिया; रोटी, रोटिका।
रग़ीब (अ़.वि.)-लोभी, लोलुप, लालची; इच्छुक, चाहने-वाला, ख़्वाहिशमंद।
रग़ीश (अ़.पु.)-शोर करनेवाला।
रग़ीस (अ़.पु.)-बहुत देनेवाला, महादानी।
रगे अब्र ($फा.स्त्री.)-बादल की काली धारी।
रगे गर्दन ($फा.स्त्री.)-गर्दनवाली रक्त-नलिका; अहंकार, अभिमान, घमण्ड।
रगे गैऱत (अ़.$फा.स्त्री.)-स्वाभिमान, ख़्ाुद्दारी।
रगे जाँ ($फा.स्त्री.)-रक्त की सबसे बड़ी नलिका या नस जो दिल में जाती है।
रगे तंबूर ($फा.स्त्री.)-सितार के तार।
रगोपै ($फा.पु.)-समस्त शरीर, सारा बदन, नस और पट्ठे।
रगोरेश: ($फा.पु.)-अ़ादत, स्वभाव, प्रकृति; अन्दर की स्थिति, भीतरी हालात।
रग़्बत (अ़.स्त्री.)-रुचि, अभिरुचि, दिलचस्पी; इच्छा, चाह, अभिलाषा, कामना।
रग़्म (अ़.पु.)-विपरीत, उलटा।
रग़्ल (अ़.पु.)-बच्चे का अपनी माँ का दूध पीना, स्तनपान करना।
रज: [रज़:] ($फा.स्त्री.)-अलगनी, कपड़े आदि टाँगने की रस्सी।
रज़ ($फा.पु.)-द्राक्षा, अंगूर, (प्रत्य.)-रँगनेवाला, जैसे-'रंगरज़Ó।
रजज़ (अ़.स्त्री.)-युद्घ-भूमि में अपने कुल की शूरता और श्रेष्ठता का वर्णन, दे.-'बह्रïे रजज़Ó।
रजब (अ़.पु.)-इस्लामी सातवाँ महीना।
रजा (अ़.स्त्री.)-आस, आशा, उम्मीद।
रज़ाअ़त (अ़.स्त्री.)-बच्चे के दूध पीने की अवस्था।
रजाई (अ़.पु.)-आशावादी, जिसके धर्म में निराश होना पाप हो।
रज़ानत (अ़.स्त्री.)-गंभीर होना।
रज़ाल: (अ़.पु.)-नीच, कमीना, अधम, लम्पट, लो$फर, रज़ील।
रज़ालत (अ़.स्त्री.)-नीचता, अधमता, कमीनापन।
रजि़ंद: ($फा.वि.)-रँगनेवाला, रजक।
रज़ीं ($फा.पु.)-मज़बूत, सुदृढ़; बहुमूल्य।
रज़ी (अ़.वि.)-रुचिकर, मनोनीत, मनोवांछित, पसंदीद:।
रज़ीअ़: (अ़.स्त्री.)-दूध शरी$क बहन, सहजात बहन।
रज़ीअ़ (अ़.पु.)-दूध शरी$क भाई, सहजात भाई।
रजीअ़ (अ़.पु.)-फेंकी हुई चीज़, हटाई हुई वस्तु; विष्ठा, मल, गू।
रज़ीद: ($फा.वि.)-रँगा हुआ, रंजित।
रज़ीदनी ($फा.वि.)-जो रँगा जा सके, रँगने लाय$क, रंजनीय।
रजीम (अ़.वि.)-जो संगसार किया गया हो, जिसे पत्थर मारे गए हों, जो भगाया गया हो, जो धिक्कृत हो।
रज़ीय: (अ़.स्त्री.)-राज़ी की गई, प्रसन्न की गई। इसकी 'ज़ीÓ उर्दू के 'ज़्वादÓ अक्षर से बनी है।
रज़ीय: (अ़.स्त्री.)-मुसीबत, आपत्ति, विपत्ति। इसकी 'ज़ीÓ उर्दू के 'ज़ेÓ अक्षर से बनी है।
रज़ील (अ़.वि.)-नीच, कमीना, अधम, पामर।
रजुल (अ़.पु.)-मानव, आदमी, मनुष्य, मनुज।
रजूम (अ़.वि.)-पत्थर मारकर भगानेवाला।
रज्अ़त (अ़.स्त्री.)-वापस लौटना, प्रत्यागमन।
रज्अ़तपरस्त (अ़.$फा.वि.)-दे.-'रज्अ़तपसंदÓ।
रज्अ़तपरस्ती (अ़.$फा.स्त्री.)-दे.-'रज्अ़तपसंदीÓ।
रज्अ़तपसंद (अ़.$फा.वि.)-प्रतिक्रियावादी, , प्रगतिशीलता-विरोधी, जिसे तरक़्$कीपसंद विचार न आते हों।
रज्अ़तपसंदी (अ़.$फा.स्त्री.)-प्रतिक्रियावाद, विचारों में प्रगतिशीलता का अभाव।
रज्अ़ते $कह$करी (अ़.स्त्री.)-उलटे पाँव वापस लौटना, जहाँ सं चले थे वहीं लौट आना, अवनति।
रज़्ज़ा$क (अ़.वि.)-अन्नदाता, खाना देनेवाला, पेट भरने-वाला, भोजन उपलब्ध करानेवाला।
रज़्ज़ा$की (अ़.स्त्री.)-भूखों का पेट भरना, खाना देना, अन्न दान करना।
रज़्ज़ाक़े मुत्ल$क (अ़.पु.)-सच में सबका पेट भरनेवाला, ईश्वर।
रज्फ़: (अ़.पु.)-भूकम्प, भूचाल, ज़लज़ल:।
रज्फ़ (अ़.पु.)-दे.-'रज्फ़:Ó।
रज़्म: ($फा.पु.)-गठरी, पोटली।
रज्म (अ़.पु.)-पथराव करना, पत्थर मारना, पत्थर मार-मार कर मार डालना।
रज़्म ($फा.स्त्री.)-युद्घ, समर, रण, जंग, लड़ाई।
रज़्मआरा ($फा.वि.)-युद्घकर्ता, लडऩेवाला।
रज़्मआराई ($फा.स्त्री.)-युद्घकर्म, लडऩा।
रज़्मख़्वाह ($फा.वि.)-युद्घ चाहनेवाला, लड़ाई का इच्छुक।
रज़्मगाह ($फा.स्त्री.)-समरांगण, युद्घभूमि, लड़ाई का मैदान, युद्घक्षंत्र, रंगभूमि, रणरस्थल।
रज़्मपसंद ($फा.वि.)-जिसे युद्घ अच्छा लगे, जो चाहता हो कि लड़ाई रहे।
रज्मल लिल गै़ब (अ़.अव्य.)-तीर का तुक्का, अ़क़्ल के गद्दे, अटकलपच्चू।
रजि़्मय: ($फा.वि.)-युद्घ-सम्बन्धी, लड़ाई-सम्बन्धी।
रज़्मी ($फा.वि.)-दे.-'रजि़्मय:Ó।
रज्मे शयातीन (अ़.पु.)-शैतानों को पत्थर मारना (हज का एक संस्कार)।
रतब (अ़.पु.)-बीच की उँगली।
रतम ($फा.पु.)-यादगार, किसी की स्मृति में बनवाया भवन।
रतीब (अ़.पु.)-ताज़ा खजूर।
रतूबत (अ़.स्त्री.)-आद्र्रता, गीलापन, तरी; शरीर की कोई धातुु; शरीर के भीतर की तरी, लसीका।
रतूब्ते अस्लीय: (अ़.स्त्री.)-शरीर के अन्दर की वास्तविक तरी।
रत्क़ (अ़.पु.)-बाँधना, बंधन।
रत्ब (अ़.वि.)-ताज़:, तर।
रत्बुल्लिसान (अ़.वि.)-प्रशंसक, श्लाघी, तारी$फ करने-वाला।
रत्बोयाबिस (अ़.पु.)-तर और ख़्ाुश्क, गीला और सूखा, अर्थात् सब, समस्त।
रत्ल (अ़.पु.)-एक पौंड का भार; शराब पीने का प्याला।
रत्ले गराँ (अ़.$फा.पु.)-बड़ा प्याला, जिसमें बहुत शराब आती है।
रद: ($फा.पु.)-दीवार पर रखा जानेवाला रद्दा।
रद [द्द] (अ़.पु.)-वापस करना, फेरना; नापसंद करना; ख़्ाारिज करना।
रदाअ़ (अ़.पु.)-कीचड़, कर्दम, जलकल्क, जबाल।
रदाअ़त (अ़.स्त्री.)-ख़्ाराबी, विकार, दोष।
रदी (अ़.वि.)-विकृत, दूषित।
रदीउलकैमूस (अ़.पु.)-ऐसा अन्न अथवा भोजन, जिससे आमाशय में अच्छा रस न बने।
रदीउलहाल (अ़.पु.)-बुरी हालतवाला, दुर्दशाग्रस्त, जिसकी अवस्था बहुत ख़्ाराब हो।
रदी$फ (अ़.वि.)-पीछे चलनेवाली, (स्त्री.)-उर्दू काव्य की एक विधा '$गज़लÓ में क़ा$िफए के बाद आनेवाला शब्द या शब्द-समूह।
रदी$फवार (अ़.$फा.वि.)-वह दीवान, जो रदी$फ के हिसाब से क्रमवार किया गया हो।
रदी$फो$का$िफय: (अ़.पु.)-$गज़ल की तुक और उसके बाद की रदी$फ।
रद्द: (अ़.पु.)-दीवार का रद्दा।
रद्दे अ़मल (अ़.पु.)-प्रतिक्रिया, किसी कार्य के फलस्वरूप दूसरी ओर से होनेवाला जवाबी कार्य।
रद्दे $कदह (अ़.पु.)-शराब का प्याला न लेना, मदिरापात्र लौटा देना।
रद्दे ख़्ाल्$क (अ़.वि.)-पूरी दुनिया का ठुकराया और रद्द किया हुआ, संसार-भर का ठुकराया और वापस किया हुआ।
रद्दे दाÓवत (अ़.स्त्री.)-किसी का भोज निमंत्रण स्वीकार न करना, ठुकरा देना।
रद्देबला (अ़.पु.)-मुसीबत का टल जाना, आई हुई बला का टल जाना, आपत्ति अथवा विपत्ति का निवारण।
रद्दे सलाम (अ़.पु.)-अभिवादन का उत्तर न देना, सलाम का उत्तर न देना, अर्थात् किसी का सलाम स्वीकार न करना।
रद्दे सवाल (अ़.पु.)-किसी की माँग ठुकरा देना, भिखारी के माँगने पर कुछ न देना।
रद्दोकद (अ़.उभ.)-वाद-विवाद, कहा-सुनी, बहस-मुबाहसा।
रद्दो$कद्ह (अ़.उभ.)-दे.-'रद्दोकदÓ।
रद्दो$कबूल (अ़.उभ.)-स्वीकार करना या अस्वीकार करना, लेना या लौटा देना।
रद्दोबदल (अ़.उभ.)-परिवर्तन, तब्दीली।
र$फ (अ़.पु.)-मचान, मंच; दरवाज़े का बड़ा ता$क।
र$फा$कत (अ़.स्त्री.)-मित्रता, मैत्री, दोस्ती; सहचरता, संगत, साथ, सोहबत; सहकारिता, एक साथ मिलकर काम करना।
र$फा$कते स$फर (अ़.स्त्री.)-यात्रा या पर्यटन में साथ रहना।
र$फाहत (अ़.स्त्री.)-सुख, चैन, आराम; कल्याण, मंगल, बहबूद।
र$फाहीयत (अ़.स्त्री.)-दे.-'र$फाहतÓ।
र$फीअ़Ó (अ़.वि.)-उच्च, उत्तुंग, बुलंद; श्रेष्ठ, विशिष्ट, उत्तम, शरी$फ।
र$फीउद्दरजात (अ़.वि.)-दे.-'र$फीउश्शानÓ।
र$फीउल$कद्र (अ़.वि.)-दे.-'र$फीउश्शानÓ।
र$फीउलमंज़लत (अ़.वि.)-दे.-'र$फीउश्शानÓ।
र$फीउश्शान (अ़.वि.)-बहुत अधिक शान, प्रतिष्ठा और इज़्ज़तवाला।
र$फी$क: (अ़.स्त्री.)-मित्र स्त्री, सहचरी, सखी।
र$फी$क (अ़.पु.)-मित्र, सखा, दोस्त; सहचर, हमराही।
र$फी$कए ज़ीस्त (अ़.स्त्री.)-दे.-'र$फी$कए हयातÓ।
र$फी$कए हयात (अ़.स्त्री.)-जीवन-संगिनी, अर्धांगिनी, भार्या, पत्नी, बीवी।
र$फी$के राह (अ़.$फा.पु.)-दे.-'र$फी$के स$फरÓ।
र$फी$के स$फर (अ़.पु.)-यात्रा का साथी, सहचर, सहयात्री।
र$फू ($फा.उभ.)-एक प्रकार की सिलाई, जिसमें कटा हुआ कपड़ा बेजोड़ हो जाता है; सिलाई।
र$फूगर ($फा.पु.)-र$फू का काम करनेवाला।
रफ़्अ़: (अ़.पु.)-उर्दू भाषा में 'उÓ की मात्रा, 'पेशÓ की हरकत।
रफ़्अ़ (अ़.पु.)-उठाना, ऊँचा करना; 'उÓ की मात्रा, पेश।
र$फ्ए $कलम (अ़.पु.)-किसी पर से $कलम उठा लेना अर्थात् उसके सम्बन्ध में कुछ न लिखना, उसका इस $काबिल न रहना कि उसके विषय में कुछ लिखा जाए (ऐसा व्यक्ति 'म$र्फूउल $कलमÓ कहलाता है)।
र$फ्ए निज़ाअ़ (अ़.पु.)-झगड़ा तै हो जाना, परस्पर विरोध मिट जाना।
र$फ्ए $फसाद (अ़.पु.)-लड़ाई ख़्ात्म हो जाना, झगड़ा तै हो जाना।
र$फ्ए यदैन (अ़.पु.)-दोनों हाथ उठाना (इमाम शा$िफई के अनुयायियों का नमाज़ पढ़ते समय प्रत्येक तक्बीर पर दोनों हाथ कानों तक उठाना, जिसे अन्य मुसलमान जाइज़ नहीं समझते)।
र$फ्ए शक (अ़.पु.)-शंका समाधान, संदेह दूर होना।र$फ्ए शर (अ़.पु.)-लड़ाई-झगड़ा समाप्त होना, विरोध का दूर होना।
र$फ्ओजर (अ़.पु.)-उर्दू भाषा में पेश और ज़ेर अर्थात् 'उÓ और 'ईÓ की मात्राएँ।
रफ्ज़़ (अ़.पु.)-अपने स्वामी का परित्याग, मुसीबत में घिरे अपने स्वामी को छोड़कर भाग जाना, जान-जोखिम के समय अपने स्वामी को धोखा देकर पलायन कर जाना।
रफ़्त: ($फा.वि.)-गत, विगत, गया हुआ; मरा हुआ, मृत।
रफ़्त: रफ़्त: ($फा.वि.)-धीरे-धीरे, शनै-शनै, आहिस्त:-आहिस्त:।
रफ़्त:होश ($फा.वि.)-हतसंज्ञ, बेहोश, जिसके होश जाते रहे हों, संज्ञाहीन, निश्चेष्ट।
रफ्ग़ाँ ($फा.पु.)-'रफ़्त:Ó का बहु., गए हुए लोग अर्थात् मरे हुए व्यक्ति।
रफ़्तगाने ख़्ााक ($फा.पु.)-ज़मीन के अन्दर गए हुए लोग अर्थात् $कब्र में दफ्ऩाए हुए मुर्दे।
रफ़्तनी ($फा.वि.)-जाने के योग्य, जिसका जाना उचित हो, जो जानेवाला हो।
रफ़्तार ($फा.पु.)-चाल, गति; ढंग, तरी$का; आचरण, अ़मल, लोकाचार; आचार-व्यवहार, तर्जे़ अ़मल; प्रगति (तरक़्$की) या अवनति (तनज़्ज़ुल) की ओर गमन; दशा, हालत। 'मैं तो राहों में तेरा नक़्शे-$कदम देखा किया, कारवाँ गुजऱा किए सब गर्मीए-रफ़्तार सेÓ-माँझी
रफ़्तारे $कदीम (अ़.$फा.स्त्री.)-पुरानी चाल, पुरानी रविश, पुराना तरी$का।
रफ़्तारे ज़मान: (अ़.$फा.स्त्री.)-सांसारिक दशा, दुनिया की हालत।
रफ़्तारे वक़्त (अ़.$फा.स्त्री.)-समय की गति, समय की चाल; समय की दशा; वर्तमान समय की माँग।
रफ़्तारे हालात (अ़.$फा.स्त्री.)-समय की चाल, कालगति; अपनी स्थिति अथवा सांसारिक दशाओं की परिस्थिति।
रफ़्तारो करदार ($फा.पु.)-आचार और व्यवहार, चाल-ढाल।
रफ़्तारो गुफ़्तार ($फा.स्त्री.)-चाल-ढाल और बातचीत।
रफ़्तो गुज़श्त ($फा.वि.)-गया-गुजऱा, गया-बीता हुआ, ख़्ात्म, समाप्त।
रफ्ऱ$फ (अ़.पु.)-बहुत तेज़ चाल का एक घोड़ा, बुरा$क।
रफ्ऱा$फ (अ़.पु.)-शुतुरमुर्ग़, उष्ट्र पक्षी।
रफ़्स (अ़.पु.)-ठुकराना।
रफ़्ह (अ़.पु.)-हित, भलाई; सुख, आराम; दे.-'रि$फ्हÓ, दोनों शुद्घ हैं।
रब [ब्ब] (अ़.पु.)-ईश्वर, परमात्मा, ख़्ाुदा; स्वामी, पति, मालिक; अभिभावक, सरपरस्त, पालन-पोषण करनेवाला।
रबात (अ़.स्त्री.)-पथिकाश्रय, सराय, मुसा$िफरख़्ाान:।
रबाब ($फा.पु.)-सितार की तरह का एक बाजा।
रबाबी ($फा.वि.)-'रबाबÓ बजानेवाला।
रबाल: (अ़.स्त्री.)-मोटापा, मुटापा, स्थूलता।
रबीअ़ (अ़.स्त्री.)-वसंतऋतु, बहार का मौसम।
रबीई (अ़.वि.)-बहार का, वसंतऋतु-सम्बन्धी।
रबीउल अव्वल (अ़.पु.)-इस्लामी तीसरा महीना।
रबीउल आख़्िार (अ़.पु.)-इस्लामी चौथा महीना।
रबीउस्सानी (अ़.पु.)-दे.-'रबीउल आख़्िारÓ।
रबीब: (अ़.स्त्री.)-सौतेली लड़की, वह लड़की जो दूसरे बाप से हो, पहले ब्याह की लड़की।
रबीब (अ़.पु.)-सौतेला लड़का, वह लड़का जो दूसरे बाप से हो, पहले ब्याह का लड़का।
रबून (अ़.पु.)-अग्रिम धन, बयाना, बैआना।
रबूबीयत (अ़.स्त्री.)-स्वामित्व, मालिकीयत; ईश्वरत्व।
रब्त (अ़.पु.)-लगाव, सम्बन्ध, तअ़ल्लुकु (ताल्लु$क); मैत्री, दोस्ती, मल-जोल।
रब्तुस्सा$क (अ़.स्त्री.)-गेटिस, लास्टिक।
रब्ते बाहम (अ़.$फा.पु.)-आपस में मेल-जोल, मित्रता और दोस्ती।
रब्तो ज़ब्त (अ़.पु.)-आपस में मेल-मिलाप, परस्पर उठना-बैठना, मित्रता, दोस्ती।
रब्बनियत (अ़.स्त्री.)-ईश्वरत्व, ख़्ाुदाई।
रब्बानी (अ़.वि.)-ईश्वरीय, दैवी, ख़्ाुदी तर$फ से; आस्मानी, गै़बी, आकस्मिक।
रब्बी (अ़.वि.)-ईश्वरीय, भगवान् का, ख़्ाुदा की तर$फ से।
रब्बुन्नौअ़ (अ़.पु.)-देवता, देवदूत, $िफरिश्त:।
रब्बुलअर्बाब (अ़.पु.)-सारे स्वामियों का स्वामी अर्थात् ईश्वर, भगवान्।
रब्बुलअ़ालमीन (अ़.पु.)-सारे ब्रह्मïांड का (जिसमें बहुत-से जगत् हैं) स्वामी, ईश्वर, भगवान्।
रब्बुलमलाइक: (अ़.पु.)-सारे देवदूतों अर्थात् $िफरिश्तों का स्वामी, ईश्वर, भगवान्।
रब्बुस्मावात (अ़.पु.)-सारे आकाशों का स्वामी, ईश्वर।
रब्द (अ़.पु.)-बौना, ठिगना, वामन, छोटे डील-डौल का आदमी।
रम: ($फा.पु.)-भेड़-बकरी का झुण्ड, रेवड़।
रम ($फा.पु.)-भगदड़, भागना
रम$क (अ़.स्त्री.)-अत्यल्प, बहुत थोड़ा; अंतिम प्राण, थोड़ी-सी जान।
रमकर्द: ($फा.वि.)-पलायित, भागा हुआ।
रमक़े (अ़.$फा.वि.)-अत्यल्प, बहुत थोड़ी मात्रा में, जऱा-सा।
रमख़्ाुर्द: ($फा.वि.)-पलायित, भागा हुआ।
रमज़ान (अ़.पु.)-इस्लामी नवाँ महीना, जिसमें मुसलमान दिन-भर रोज़ा रखते और रात में तरावीह पढ़ते हैं, जिसमें महीने-भर में पूरा $कुरान सुनते हैं।
रमद (अ़.पु.)-आँख दुखने का रोग, आँख आना, आई हुई आँख, नेत्राभिष्यंद।
रमदीद: ($फा.वि.)-पलायित, भागा हुआ, जो पलायन कर गया हो, रमख़्ाुर्द।
रमदे चश्म (अ़.$फा.पु.)-आई हुई आँख, नेत्राभिष्यंद, आँख दुखने का रोग, आशोबे चश्म।
रमल (अ़.स्त्री.)-एक विद्या, जिसमें भविष्य में होनेवाली घटनाएँ बता दी जाती हैं, इस विद्या का मूलाधार नुक़्ते (शून्य अथवा बिन्दियाँ) हैं।
रमस ($फा.पु.)-चमड़े की डोंगी।
रमाद (अ़.स्त्री.)-राख, चूल्हे की राख, जले हुए ईंधन की राख, भस्म।
रमानीद: ($फा.वि.)-भगाया हुआ।
रमिंद: ($फा.वि.)-भागनेवाला, पलायक।
रमिश ($फा.स्त्री.)-भागने का अ़मल, भगदड़, भागने का व्यवहार।
रमी (अ़.क्रि.)-मारना, गोली चलाना।
रमीज़ (अ़.पु.)-तेज़ धारवाली वस्तु।
रमीद: ($फा.वि.)-भागा हुआ, पलायित।
रमीदगी ($फा.स्त्री.)-भगदड़, पलायन, भागने का काम।
रमीम (अ़.वि.)-पुराना, पुरातन; जीर्ण-शीर्ण, फटा-पुराना।
रम्क: (अ़.स्त्री.)-घोड़ी, अश्विनी।
रम्ज़ (अ़.पु.)-संकेत, इशारा; राज़, रहस्य, भेद।
रम्ज़आगाह (अ़.$फा.वि.)-दे.-'रम्ज़आश्नाÓ।
रम्ज़आश्ना (अ़.$फा.वि.)-मर्मज्ञ, रहस्यवेत्ता, भेद जानने-वाला, रहस्य और भेद से वा$िक$फ।
रम्ज़शनास (अ़.$फा.वि.)-दे.-'रम्ज़आश्नाÓ।
रम्न: ($फा.पु.)-पशुओं के झुण्ड को चराने का स्थान, गोचर, चरागाह।
रम्माज़ (अ़.वि.)-गुप्तचर, भेदिया, भेद जाननेवाला, रहस्य बतानेवाला, भेद खोलनेवाला।
रम्माल (अ़.वि.)-'रमलÓ का इल्म जाननेवाला, रमलवेत्ता, रमल का ज्ञान रखनेवाला, भविष्यवक्ता।
रम्माह (अ़.वि.)-बरछा चलानेवाला, बरछेबाज़।
रम्ल (अ़.पु.)-रेत, बालुका, बालू, रेग।
रवाँ ($फा.वि.)-बहता हुआ, प्रवाहित; तीक्ष्ण, धारदार; (स्त्री.)-प्राण, प्राणवायु, जान, रूह। 'तुझ बिन प्यारे चैन कहाँ है, जिस्म यहाँ है, जान वहाँ है, माँझी अपनी नाव सँभालो, चारों तर$फ से दरिया रवाँ हैÓ-माँझी
रवाँ दवाँ ($फा.वि.)-ज़ोर से बहता हुआ; तेज़ी से जाता हुआ।
रवा ($फा.वि.)-उचित, वाजिब; विहित, हलाल; (प्रत्य.)-पूरा करनेवाला, जैसे-'हाजतरवाÓ-इच्छा पूरी करनेवाला।
रवाई ($फा.स्त्री.)-पूरी होना (आशा, उम्मीद); रौन$क, शोभा, छटा; चलन, रवाज, प्रथा, परम्परा।
रवाएह (अ़.पु.)-'राइय:Ó का बहु., ख़्ाुशबुएँ, सुगन्धियाँ।
रवा$क (अ़.पु.)-अट्टालिका, मकान के ऊपर बना मकान, अटारी, दे.-'रिवा$कÓ और 'रुवा$कÓ।
रवाज (अ़.पु.)-परम्परा, परिपाटी, प्रथा, रूढि़, तरी$का, दस्तूर। दे.-'रिवाजÓ, दोनों शुद्घ हैं।
रवाजिऩ (अ़.पु.)-'रौजऩÓ का बहु., सूराख, छेद।
रवाजे ख़्ाानदानी (अ़.$फा.पु.)-वंश-परम्परा से नई पीढिय़ों में चला आनेवाला दस्तूर, वंश-परम्परा, पुरुषानुक्रम, रूढि़, प्रथा, परिपाटी।
रवादार ($फा.वि.)-उदारचेता, जो इस बात का बहुत ख़्ायाल रखता हो कि उसकी बात से किसी के भी दिल को पीड़ा न पहुँचे; सहन करनेवाला, बरदाश्त करनेवाला।
रवादारी ($फा.स्त्री.)-ऐसी भावना कि किसी के दिल को पीड़ा न पहुँचे, सदहृदयता, उदारता।
रवादारान: ($फा.वि.)-रवादारों-जैसा, रवादारी का।
रवान: ($फा.वि.)-प्रस्थित, जो कहीं से चल पड़ा हो; भेजा हुआ, प्रेषित। हिन्दी में 'रवानाÓ प्रचलित।
रवान:कुनिंद: ($फा.वि.)-प्रेषक, भेजनेवाला, रवाना करने-वाला।
रवानगी ($फा.स्त्री.)-कूच, प्रस्थान, प्रयाण; प्रेषण, भेजना।
रवानी ($फा.स्त्री.)-प्रवाह, बहाव; धार, तीक्ष्णता, तेज़ी; पुस्तक आदि के पढऩे में कहीं न अटकना; भाषण देने अथवा बात करने में कहीं न रुकना तथा शुद्घ एवं ठीक बोलना।
रवा$िफज़ (अ़.पु.)-'रा$िफज़ीÓ का बहु., समय पडऩे पर अपने स्वामी को छोड़कर भागनेवाले।
रवाबित (अ़.पु.)-'राबित:Ó का बहु., मेल-जोल, मेल-मिलाप।
रवारवी ($फा.स्त्री.)-शीघ्रता, जल्दी, सरसरी; कूच की जल्दी, गमन की शीघ्रता, चल-चलाव।
रवारौ ($फा.स्त्री.)-गमनागमन, यातायात, आना-जाना, चला-फिरी।
रवाहाल (अ़.पु.)-तेज़ चलनेवाली सवारी, तेज़ ऊँट या घोड़ा।
रवाहिल (अ़.पु.)-'राहिल:Ó का बहु., सवारी के जानवर, ऊँट, घोड़े आदि।
रविंद: ($फा.वि.)-गमन करनेवाला, जानेवाला, प्रस्थान करनेवाला।
रविश ($फा.स्त्री.)-आचार-व्यवहार, तजऱ्ोतरी$का; पद्वति, शैली, तर्ज़; आचरण, चाल-चलन; बा$ग या उपवन के अन्दर के पतले रास्ते।
रविशे अ़ाम (अ़.$फा.स्त्री.)-आम लोगों का तरी$का या शैली, सार्वजनिक व्यवहार, जनसामान्य की पद्घति।
रविशे ख़्ाास (अ़.$फा.स्त्री.)-ख़्ाास अर्थात् विशेष लोगों का तरी$का, विशेष जन-व्यवहार।
रवी (अ़.स्त्री.)-$का$िफए अर्थात् तुक का वास्तविक शब्द, जिससे पहले शब्द की मात्रा का एक होना अर्थात् वास्तविक शब्द से पहले लघु मात्रा का होना आवश्यक है, जैसे-'नजऱÓ और 'कमरÓ में 'रÓ हफ़े रवी है तथा 'मÓ और 'ज़Ó दोनों अकार हैं।
रवीय: (अ़.पु.)-आचार-व्यवहार, तजऱ्े अ़मल; आचरण, रविश; सुलूक, व्यवहार; नियम, $कायदा, दस्तूर, परिपाटी।
रशद (अ़.क्रि.)-गुरुमंत्र, दीक्षा, पीर की हिदायत; सन्मार्ग, सीधा और अच्छा रास्ता, दे.-'रुश्दÓ, दोनों शुद्घ हैं।
रशा$कत (अ़.स्त्री.)-शरीर का सुडौल और सुन्दरपन, ख़्ाुश$कामती, आकर्षक और मोहक डील-डौल।
रशाद (अ़.पु.)-एक दवा, तरातेज$क, हालौन; सन्मार्ग, सदाचार, नेकदिली।
रशादत (अ़.स्त्री.)-धर्मदीक्षा, गुरुमंत्र, मुर्शिद की तल्$कीन अर्थात् सदुपदेश; सन्मार्ग, राहे रास्त; सदाचार, नेक कर्दारी।
रशाश: (अ़.पु.)-फुहार, छींट; स्राव, बहाव।
रशाश (अ़.पु.)-दे.-'रशाश:Ó।
रशी$क: (अ़.वि.)-अति सुन्दर, हाव-भाव से परिपूर्ण।
रशीद (अ़.वि.)-सीधा और अच्छा रास्ता दिखानेवाला, सन्मार्ग-प्रदर्शक; सीधा रास्ता पानेवाला, सन्मार्ग-प्राप्त; दीक्षित, जिसने गुरु की सेवा और उसके प्रसाद से किसी विद्या या कला-विशेष में पूरी कुशलता या निपुणता प्राप्त कर ली हो।
रश्$क (अ़.पु.)-धनुर्विद्या, तीर चलाना, बाण चलाना।
रश्क ($फा.पु.)-किसी को हानि पहुँचाए बिना उस-जैसा बनने की भावना; यह जज्बा कि अमुक व्यक्ति ऐसा है हम क्यों नहीं हैं, हमें भी ऐसा होना चाहिए; समकक्षता की भावना। ('रश्कÓ और 'हसदÓ में यही अन्तर है, 'हसदÓ में केवल व्यक्ति अपने लिए चाहता है, दूसरे को नहीं देख सकता)।
रश्कआमेज़ ($फा.वि.)-रश्क से भरा हुआ, जिसमें रश्क हो, प्रतियोगिता की भावना से परिपूर्ण, जिसमें समकक्षता की भावना हो।
रश्कीं ($फा.वि.)-रश्क करनेवाला, प्रतियोगिता करनेवाला, समकक्षता की ओर बढऩेवाला।
रश्के परी ($फा.वि.)-परी के सौन्दर्य को लज्जित करनेवाली नायिका।
रश्के माह ($फा.स्त्री.)-चाँद की प्रभा को मन्द कर देनेवाले मुखवाली नायिका।
रश्के मेह्रï ($फा.स्त्री.)-सूर्य की चमक-दमक को फीका कर देनेवाले मुखवाली प्रेयसी।
रश्के यूसु$फ (अ़.$फा.स्त्री.)-यूसु$फ की सुन्दरता को भी लजा देनेवाली सुन्दरी।
रश्के रिज़वाँ (अ़.पु.)-स्वर्ग के अध्यक्ष को लज्जित करने-वाला मकान, अर्थात् बहुत ही सुसज्जित और शृंगारित भवन।
रश्के हूर (अ़.$फा.स्त्री.)-स्वर्गांगनाओं के सौन्दर्य को लज्जित करनेवाली प्रेमिका।
रश्$फ (अ़.पु.)-चूसना, चूषण।
रश्मीज़ ($फा.स्त्री.)-दीमक, वम्री, वल्मी, उत्पादिका।
रश्ह: (अ़.पु.)-बिन्दु, बूँद, $कतरा; स्राव, टपकना, टपकन, रिसाव।
रश्ह (अ़.पु.)-प्रतिश्याय, शीत, ज़ुकाम; रिसाव, रेजि़श।
रश्हए $कलम (अ़.पु.)-लेखनी की टपकन अर्थात् लेख, निबन्ध अथवा कविता।
रश्हए $िफक्र (अ़.पु.)-विचार का स्राव अर्थात् लेख आदि, विशेषत: कविता।
रश्हात (अ़.पु.)-'रश्ह:Ó का बहु., टपकनें, रेजि़शें, स्राव।
रस ($फा.प्रत्य.)-पहुँचनेवाला, जैसे-'$फलक रसÓ-आकाश तक पहुँचनेवाला।
रसद (अ़.स्त्री.)-खाद्य-सामग्री, खाने-पीने का सामान; अंश, हिस्सा, भाग। इसका 'सÓ उर्दू के 'सीनÓ अक्षर से बना है।
रसद (अ़.स्त्री.)-देख-भाल का स्थान, जहाँ किसी चीज़ को ताका जाए। इसका 'सÓ उर्दू के 'स्वादÓ अक्षर से बना है।
रसदगाह (अ़.$फा.स्त्री.)-वह स्थान जहाँ से ग्रहों और तारों की गति का निरीक्षण किया जाता है, वेधशाला, मानशाला, यंत्रशाला।
रसदी (अ़.वि.)-अंशानुसार, भाग के अनुसार, हिस्से के मुताबि$क।
रसन ($फा.स्त्री.)-रज्जु, रस्सी, पाश।
रसनबाज़ ($फा.वि.)-रस्सी वर कलाबाजिय़ाँ खानेवाला, नट, वंचक, छली, मक्कार।
रसनबाज़ी ($फा.स्त्री.)-कलाबाज़ी, नट का काम; छल, $िफरेब, धूर्तता।
रसनबा$फ ($फा.वि.)-रस्सी बटनेवाला, रज्जुकार।
रसनबा$फी ($फा.स्त्री.)-रस्सी बटने का काम या पेशा।
रसाँ ($फा.प्रत्य.)-पहँुचानेवाला, जैसे-'चिट्ठीरसाँÓ-पत्र पहुँचानेवाला।
रसा ($फा.वि.)-पहुँचनेवाला; जिसकी किसी जगह पहुँच हो; जो हर जगह पहुँच जाता हो या पहुँचने की राह निकाल लेता हो।
रसाइल (अ़.पु.)-'रिसाल:Ó का बहु., पत्रिकाएँ, रिसाले।
रसाई ($फा.स्त्री.)-पहुँच, प्रवेश।
रसानत (अ़.स्त्री.)-दृढ़ता, मज़बूती।
रसानिंद: ($फा.वि.)-भेजनेवाला, पहुँचानेवाला।
रसास (अ़.पु.)-सीसा, सीसक, एक प्रसिद्घ धातु जिससे बन्दू$क की गोलियाँ बनती हैं; राँग, राँगा।
रसिंद: ($फा.वि.)-पहुँचनेवाला।
रसीद: ($फा.वि.)-पहुँचा हुआ।
रसीद ($फा.स्त्री.)-प्राप्तिपत्र, रुपए आदि की वसूली का का$गज़; पहुँच, प्राप्ति, वसूली। '$कजऱ्े तेरे जहान के सारे चुका दिए, अब दे भी दे रसीद कि मैं भी कहीं चलूँÓ।
रसीदगी ($फा.स्त्री.)-पहुँच।
रसीदनी ($फा.वि.)-पहुँचने योग्य।
रसील: (अ़.पु.)-ख़्ात, पत्र, चिट्ठी।
रसील (अ़.पु.)-संदेशवाहक, दूत।
रसीस (अ़.पु.)-बर$करार, स्थिर।
रसूम (अ़.पु.)-कर, शुल्क, $फीस।
रसूल (अ़.पु.)-अवतार, ईश्वरावतार, ईशदूत, पै$गम्बर, नबी।
रसूलुल्लाह (अ़.पु.)-ईशदूत, ईश्वर की ओर से सर्वसाधारण के सुधार के लिए भेजा हुआ व्यक्ति, अवतार।
रस्त: ($फा.वि.)-जो रिहाई पा गया हो, आज़ाद, बन्धनमुक्त, छूटा हुआ; पंक्ति, $कतार, लाईन; दुकानों की पंक्ति या $कतार; पथ, राह, रास्ता।
रस्तगार ($फा.वि.)-आज़ाद, बन्धनमुक्त, छूटा हुआ।
रस्तगारी ($फा.स्त्री.)-आज़ादी, मुक्ति, छुटकारा, रिहाई।
रस्ताख़्ोज़ ($फा.स्त्री.)-महाप्रलय, $िकयामत, हश्र।
रस्तोख़्ोज़ ($फा.स्त्री.)-दे.-'रस्ताख़्ोज़Ó।
रस्त्ख़्ोज़ ($फा.स्त्री.)-दे.-'रस्ताख़्ोज़Ó।
रस्त्गार ($फा.वि.)-आज़ाद, बन्धनमुक्त, रिहाई या छुटकारा पाया हुआ।
रस्त्गारी ($फा.स्त्री.)-रिहाई, छुटकारा, बन्धन-मुक्ति।
रस्म (अ़.स्त्री.)-प्रचलन, परम्परा, परिपाटी, रूढि़, रिवाज; नियम, दस्तूर; कर, महसूल; वेतन, पगार, तनख़्वाह; कोई $कायदा या परम्परा जो बहुत समय से किसी ख़्ाानदान, बस्ती या देश में चला आता हो; संस्कार।
रस्मन (अ़.वि.)-परम्परानुसार, रिवाज के मुताबिक; रस्मी तौर पर, रस्म निभाने के लिए, छुछा उतारने को, दिखावे के लिए, यूँ ही। 'जिसका जो हाल हो वो हाल मुबारक कहिए, चाहे रस्मन ही सही साल मुबारक कहिएÓ-माँझी
रस्मी (अ़.वि.)-परम्परा-सम्बन्धी; जो बा$कायदा न हो, सिर्फ़ दिखावे के लिए हो; मामूली, साधारण।
रस्मुलख़्ात (अ़.पु.)-लिपि, अक्षर लिखने की प्रणाली, जैसे-'उर्दू रस्मुलख़्ातÓ अर्थात् उर्दू लिपि।
रस्मे निकाह (अ़.स्त्री.)-विवाह-संस्कार, शादी के रीति-रिवाज, ब्याह की तरकीब।
रस्मे बद (अ़.स्त्री.)-बुरी परम्परा, ख़्ाराब परिपाटी, बुरा दस्तूर।
रस्मे मुल्क (अ़.स्त्री.)-किसी देश की परम्परा, किसी देश का रिवाज।
रस्मोराह (अ़.$फा.स्त्री.)-मेल-जोल, मेल-मिलाप।
रस्मोरिवाज (अ़.स्त्री.)-रूढि़ और परम्परा, दस्तूर और $कायदे।
रस्ल (अ़.पु.)-सूचना पहुँचाना, सन्देश भेजना, समाचार प्रेषित करना; धीमी चाल, मन्द गति।
रस्साम (अ़.वि.)-चित्रकार, चितेरा, नक़्$काश, मुसव्विर।
रह ($फा.स्त्री.)-'राहÓ का लघु., पथ, मार्ग, रस्ता, रास्ता।
रहआवर्द ($फा.पु.)-दे.-'रहावर्दÓ।
रहगीर ($फा.वि.)-दे.-'रहरौÓ।
रहगुजऱ ($फा.स्त्री.)-'राहगुजऱÓ का लघु., अ़ाम रास्ता, सामान्य मार्ग, राजमार्ग, सड़क, सार्वजनिक आवागमन का मार्ग।
रहजऩ ($फा.पु.)-'राहजऩÓ का लघु., बटमार, लुटेरा, रास्ते में पथिकों को लूट लेनेवाला।
रहजऩी ($फा.स्त्री.)-'राहजऩीÓ का लघु., लुटेरापन, रास्ते में पथिकों को लूट लेने का काम।
रहनशीं ($फा.वि.)-'राहनशींÓ का लघु., पथस्थ, मार्गस्थ, रास्ते में बैठा हुआ।
रहनुमा ($फा.वि.)-'राहनुमाÓ का लघु., रस्ता बताने या दिखानेवाला, पथ-प्रदर्शक, आगे-आगे चलनेवाला।
रहनुमाई ($फा.स्त्री.)-'राहनुमाईÓ का लघु., पथ-प्रदर्शन, रास्ता बताना, आगे-आगे चलना।
रहनुमू ($फा.वि.)-दे.-'रहनुमाÓ।
रहबर ($फा.वि.)-'राहबरÓ का लघु., दे.-'रहनुमाÓ।
रहबरी ($फा.स्त्री.)-दे.-'रहनुमाईÓ।
रहरवी ($फा.स्त्री.)-'राहरवीÓ का लघु., रस्ता चलना, यात्रा करना, मुसा$िफरत।
रहरौ ($फा.वि.)-'राहरौÓ का लघु., पथिक, बटोही, यात्री, रस्ता चलनेवाला, मुसा$िफर।
रहवार ($फा.पु.)-घोड़ा, अश्व।
रहा (अ़.पु.)-चक्की का एक पाट।
रहा ($फा.वि.)-मुक्त, बन्धनमुक्त, छूटा हुआ, ख़्ालास, रिहा।
रहाई ($फा.स्त्री.)-रिहाई, बन्धनमुक्ति, छुटकारा, ख़्ालासी।
रहानीदन ($फा.पु.)-रिहा करना, छोडऩा।
रहावर्द ($फा.पु.)-वह उपहार जो यात्रा में जानेवाला व्यक्ति बाहर से लाकर दे, बाहरी सामान की भेंट।
रहिम (अ़.पु.)-गर्भाशय, जरायु, बच्चादानी।
रही ($फा.पु.)-दास, सेवक, $गुलाम, दे.-'रिहीÓ, दोनों शुद्घ हैं।
रही$क (अ़.स्त्री.)-मद्य, मदिरा, सुरा, शराब।
रहीज़द: ($फा.पु.)-दासी-पुत्र, $गुलाम-बच्चा।
रहीन (अ़.वि.)-गिरवी रखी हुई वस्तु, बंधक।
रहीने $गम (अ़.वि.)-शोकग्रस्त, दु:खग्रस्त, पीड़ाग्रस्त, रंज या मुसीबत में फँसा हुआ।
रहीने मिन्नत (अ़.वि.)-कृतज्ञ, आभारी, मम्नून।
रहीने सितम (अ़.वि.)-अत्याचार-पीडि़त, जो किसी के अत्याचारों से दु:खित हो।
रहीब (अ़.वि.)-बहुभक्षी, पेटू, बहुत खानेवाला, अमिताशी।
रहीम (अ़.वि.)-दयालु, कृपालु, महादयालु; ईश्वर का एक नाम।
रहील (अ़.वि.)-गमन, प्रस्थान, प्रयाण, कूच, चलाव।
रह्त (अ़.पु.)-जनसमूह, भीड़; समुदाय; गिरोह।
रह्न (अ़.पु.)-बंधक, गिरवी।
रह्न दर रह्न (अ़.$फा.पु.)-ऐसी सम्पत्ति, जो दो जगह रेहन या बंधक हो, जिसे रेहन रखनेवाले ने भी किसी और के पास रेहन रख दिया हो।
रह्ननाम: (अ़.$फा.पु.)-बंधकपत्र, रेहन की लिखा-पढ़ी।
रह्नबिल$कब्ज़ (अ़.पु.)-ऐसा रेहन जिसमें रेहन रखनेवाले को बंधक वस्तु पर अधिकार दिला दिया गया हो और वह उससे लाभ उठाता हो, भोग-बंधक।
रह्नबिलबैअ़ (अ़.पु.)-ऐसा रेहन जिसमें निश्चित अवधि में रुपया न चुका पाने की स्थिति में बंधक वस्तु रेहन रखनेवाले की हो जाए।
रह्नबिला$कब्ज़ (अ़.पु.)-वह रेहन जिस पर रेहन रखनेवाले का $कब्ज़ा न हो, अधिकार-रहित, दृष्टबंधक।
रह्ने दख़्ली (अ़.पु.)-ऐसा रेहन, जिस पर रेहन रखनेवाले का $कब्ज़ा होऔर वह ज़मीन या जायदाद का न$फा अपने सूद के रूप में वसूल करता हो।
रह्ने बिलादख़्ल (अ़.पु.)-ऐसा रेहन जिसमें रेहन रखनेवाले को ज़मीन या जायदाद पर $कब्ज़ा हासिल न हो, केवल उसके पास रेहन हो।
रह्बानियत (अ़.स्त्री.)-सारी उम्र ब्रह्मïचारी रहना और अच्छे खाने छोड़ देना, काम-वासना से बचने के लिए लिंग कटवा देना और सबसे अलग-अलग रहना।
रह्म (अ़.पु.)-तरस, करुणा; दया, कृपा, मेह्रïबानी।
रह्मआगीं (अ़.$फा.वि.)-करुणा और दया से भरा हुआ, कृपा-भावना से परिपूर्ण, करुणापूर्ण।
रह्मत (अ़.स्त्री.)-करुणा, तरस; दया, कृपा, मेह्रïबानी।
रह्मते अ़ालम (अ़.स्त्री.)-संसार के लिए साक्षात् कृपा और दया; हज्ऱत मुहम्मद साहब की उपाधि।
रह्मदिल (अ़.$फा.वि.)-जिसका हृदय बहुत ही दयामय और करुणापूर्ण हो, सदय।
रह्मदिली (अ़.$फा.स्त्री.)-हृदय में दया और करुणा का भाव होना।
रह्मान (अ़.वि.)-दयालु, कृपालु, मेह्रïबान; ईश्वर का एक नाम।
रह्मानी (अ़.वि.)-ईश्वरीय, ईश्वर का; ईश्वर-सम्बन्धी।
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