Thursday, October 15, 2015

भि

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भिंडी (हि.स्त्री.)-एक पौधे की फली, जिसकी तरकारी बनाई जाती है, वैद्यक के अनुसार यह उष्ण, ग्राही और रुचिकर होती है।
भिंसार (हि.पु.)-प्रात:काल, सवेरा, भोर, सुबह।
भिक्षा (सं.स्त्री.)-याचना, माँगना; खाने आदि के लिए दीनतापूर्वक अन्न-धन आदि माँगना; भीख; सेवा, चाकरी, नौकरी।
भिगोना (हि.क्रि.)-किसी वस्तु को पानी या किसी अन्य तरल पदार्थ से तर करने के लिए उसमें डुबाना, भिगाना।
भिजवाना (हि.क्रि.)-किसी को भेजने में प्रवृत्त करना।
भिडंत (हि.स्त्री.)-भिडऩे की क्रिया या भाव, मुठभेड़।
भिडऩा (हि.क्रि.)-टक्कर खाना, टकराना; लडऩा, झगडऩा; पास पहुँचना; प्रसग करना, मैथुन करना।
भिनकना (हि.क्रि.)-'भिन्-भिन्Ó शब्द करना (मक्खियों का); किसी काम का अपूर्ण रह जाना; घृणा उत्पन्न होना।
भिनभिनाना (हि.क्रि.स्त्री.)-भिनभिनाने की क्रिया एवं भाव।
भिन्न (सं.वि.)-अलग, पृथक्, जुदा; दूसरा, अन्य। (पु.)-इकाई से कुछ कम अथवा उसका कोई भाग सूचित करनेवाली कोई संख्या (गणित); नीलम का एक दोष जिसके कारण पहननेवाले को पति-पुत्रादि का शोक प्राप्त होना माना जाता है; किसी तेज़ धारवाले अस्त्र आदि से शरीर के किसी भाग का कट जाना (वैद्यक)।
भिश्ती (उ.पु.)-मश्क या परवाल में पानी भरकर ढोनेवाला आदमी, सक्का।

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