हो
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होंठ (हिं.पु.)-
ओंठ, ओष्ठ, लब।
होज़ (फ़ा.वि.)-
आश्चर्य-चकित, विस्मित, चकित, हैरान; डरा हुआ, त्रस्त, भयभीत, ख़ौफ़ज़दा।होज़ाँ (फ़ा.वि.)-
मुदित, प्रफुल्ल, विकसित, शिगुफ़्ता, (स्त्री.)-नर्गिस का फूल।होड़ (हिं.स्त्री.)-
शर्त, बाज़ी; प्रतियोगिता, चढ़ा-ऊपरी; हठ, ज़िद।होना (हिं.क्रि.अक.)-
सत्ता, अस्तित्त्व, उपस्थिति आदि सूचित करनेवाली मुख्य तथा सबसेअधिक प्रचलित क्रिया; उपस्थित या मौजूद रहना; पहला रूप छोड़कर
दूसरे या नए रूप में आना; कार्य या घटना का प्रत्यक्ष रूप से सामने
आना; व्यवहार या परिणाम के रूप में सामने आना; बनना; निर्माण
किया जाना; कार्य का संपन्न किया जाना; रोग, व्याधि, अस्वस्थता
या प्रेतबाधा आदि का आना; गुज़ारना, बीतना;परिणाम निकलना,
फल देखने में आना।
होनी (हिं.स्त्री.)-
उत्पत्ति, पैदाइश; अवश्य होकर रहनेवाली बात या घटना, भावी भवितव्यता।होर (फ़ा.पु.)-
दिनकर, भास्कर, सूरज, सूर्य, रवि।होरख़्श (फ़ा.पु.)-
सूरज, सूर्य, रवि।होरमुज़्द (फ़ा.पु.)-
एक प्रसिद्घ ग्रह, बृहस्पति, मुश्तरी।होली (हिं.स्त्री.)-
हिन्दुओं का एक प्रसिद्ध त्यौहार जो फाल्गुन की पूर्णिमा को होता है।होशंग (फ़ा.पु.)-
ईरान का एक प्राचीन नरेश।होश (फ़ा.पु.)-
याद, सुधि, स्मरण; संज्ञा, चेतना, ख़बरदारी; विवेक, , तमीज़, अच्छे-बुरेमें फ़र्क़ करने की बुद्घि; बुद्घि, समझ, अ़क़्ल; नशे के उतार की अवस्था।
'होश उड़ा देना'=डरा देना, भयभीत कर देना। 'होश काफ़ूर होना'=होश जाते रहना।
होशगोश (फ़ा.पु.)-
होशयारी।होशबाख़्त: (फ़ा.वि.)-
जिसका दिमाग़ ठिकाने न हो, हतसंज्ञ।होशमंद (फ़ा.वि.)-
होशवाला, सावधान, सचेत, होशियार; बुद्घिमान्, अ़क़्लमंद।होशमंदी (फ़ा.स्त्री.)-
शऊर, दानाई, चेतना, होशियारी; बुद्घिमत्ता, अ़क़्लमंदी।होशयार (फ़ा.वि.)-
चतुर, चालाक; दक्ष, कुशल, माहिर; बुद्घिमान्, अ़क़्लमंद; सचेत, हवास में; छली, ठग।होशयारी (फ़ा.स्त्री.)-
चतुराई, चातुर्य, चालाकी; दक्षता, कुशलता; बुद्घिमत्ता, अ़क़्लमंदी; चेतना; छल, धूर्तता।होशरुबा (फ़ा.वि.)-
चेतना ले जानेवाला, होश उड़ा देनेवाला, संज्ञाहीन कर देनेवाला।होशवाला (फ़ा.वि.)-
सयाना, तज़ुर्बेकार, होशयार।होशोख़िरद (फ़ा.पु.)-
संज्ञा और बुद्घि, अ़क़्ल और तमीज़।होशोहवास (अ़.फ़ा.पु.)-
दे.-'होशोखिरद'।-------------------------------------------
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