ला
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ला (अ़.अव्य.)-न, नहीं।ला ($फा.पु.)-तह, परत; दे.-'लाएÓ।
ला आÓलम (अ़.वा.)-मैं नहीं जानता, मुझे नहीं पता, मुझे ख़्ाबर नहीं।
लाइंद: ($फा.वि.)-व्यर्थभाषी, बकवास करनेवाला, $िफजुूल की बातें बनानेवाला, व्यर्थवादी।
लाइ$क (अ़.वि.)-योग्य, विद्वान्; पात्र, मुस्तह$क।
लाइज: (अ़.वि.)-जलानेवाला।
लाइब (अ़.वि.)-खेलनेवाला, खिलाड़ी।
लाइम: (अ़.वि.)-निन्दा, भत्र्सना, डाँट-फटकार।
लाइम: (अ़.पु.)-थूहड़ के प्रकार का एक वृक्ष, जिसका दूध बहुत ही विषैला और घातक होता है।
लाइम (अ़.वि.)-बुरे कामों पर डाँट-फटकार करनेवाला, भत्र्सना करनेवाला।
लाइलाज (अ़.वि.)-असाध्य, जिसकी चिकित्सा न हो सके, अनुपचारणीय, अचिकित्स्य; जिसका कोई उपाय न हो, दुष्कर।
लाइल्म (अ़.वि.)-जिसे कोई ज्ञान न हो, अनपढ़, बेपढ़ा-लिखा, अशिक्षित; अज्ञात, जाहिल; अपरिचित, नावा$िक$फ।
लाइल्मी (अ़.स्त्री.)-परिचय न होना, जानकारी का अभाव, ना वा$िक$फीयत; अज्ञान, न जानना; भूल, त्रुटि।
लाइह: (अ़.पु.)-दे.-'लाएह:Ó।
लाईद: ($फा.वि.)-जिसने डींग मारी या हाँकी हो, डींग मारा हुआ; जिसने व्यर्थ बात कही हो, जिसने निरर्थक बात की हो।
लाईदनी ($फा.वि.)-डींग मारने योग्य; व्यर्थ की बात करने योग्य।
लाउबाली (अ़.वि.)-निडर, निश्चिन्त, बे$िफक्र, दिलेर, बेपर्वा; नि:स्पृह, अनीह, बेनियाज़।
लाउम्मती (अ़.पु.)-नास्तिक, किसी धर्म को न माननेवाला।
लाए ($फा.स्त्री.)-गाद, तलछट, तल में बैठ जानेवाली कीचड़।
लाएह: (अ़.पु.)-चमकनेवाली वस्तु; प्रोग्राम, कार्यक्रम, कार्यवृत्त; सूची, फ़ेहरिस्त, लिस्ट।
लाएह (अ़.वि.)-चमकनेवाला; उत्पन्न होनेवाला।
लाएहए अ़मल (अ़.पु.)-किसी कार्य-विशेष का प्रोग्राम (कार्यक्रम)।
लाओनअ़म (अ़.स्त्री.)-नहीं और हाँ, अस्वीकृति और स्वीकृति।
लाओलश्कर (अ़.पु.)-लावलश्कर, लश्कर और उसके साथ के लोग; भीड़।
लाओह्सी (अ़.वा.)-यह $कुरान के एक पूरे वाक्य का टुकड़ा है, जिसका अर्थ है कि हे ईश्वर मैं तेरे गुणों को सीमित नहीं कर सकता।
लाक ($फा.पु.)-लकड़ी का प्याला।
लाÓ$क (अ़.पु.)-चाटना, लेहन।
लाकपुश्त ($फा.पु.)-कच्छप, कूर्म, कछुआ।
लाकलाम (अ़.वि.)-बेशक, नि:सन्देह, नि:शंक; अवश्य, निश्चयपूर्वक, य$कीनी।
लाकिन (अ़.अव्य.)-लेकिन, किन्तु, परन्तु।
ला$िकस (अ़.वि.)-दोष करनेवाला, अपकर्ता।
ला$कीस (अ़.पु.)-एक पिशाच, जो नमाज़ पढ़ते समय लोगों के मन में अनेक पकार के विचार व भ्रान्तियाँ उत्पन्न करता है।
लाक़ेह (अ़.वि.)-गर्भ होना; मादा, जिससे नर सहवास करे; मादा, जिसे गर्भित किया जा सके; वह खजूर, जिससे दूसरे खजूर को गर्भ दें अर्थात् जिससे दूसरे खजूर को गर्भित किया जाए।
लाख़्ा: ($फा.पु.)-धुनकी हुई रूई, रूई का गाला।
लाख़्ा ($फा.पु.)-जगह, स्थान (यह शब्द अकेला प्रयोग नहीं किया जाता, दूसरे शब्द के साथ इसका प्रयोग होता है, जैसे-'संगलाख़्ाÓ अर्थात् पथरीला स्थान)।
लाखराज (अ़.वि.)-वह भूमि, जिसका लगान न देना पड़े।
लाग़ ($फा.पु.)-परिहास, ठठोल, मज़ा$क।
लागऱ ($फा.वि.)-दुबला-पतला, क्षीण, कृश।
लागऱअंदाम (अ़.वि.)-जिसका शरीर दुबला-पतला हो, कृशांग, क्षीणकाय।
लागऱी ($फा.स्त्री.)-दुबलापन, क्षीणता, कृशता।
लागिय़: ($फा.पु.)-एक क्षुप अर्थात् झाड़ीदार पेड़, जो बहुत गर्म और दूधवाला होता है; (अ़.स्त्री.)-बक्की स्त्री, अनर्गल वादिनी; डींग मारनेवाली स्त्री, अहंवादिनी।
लाग़ी (अ़.वि.)-मिथ्यावादी, झूठा; डींगिया, शेखी बघारने-वाला।
लाचीन (तु.पु.)-बाज़, श्येन।
लाजरम (अ़.वि.)-नि:संदेह, बेशुब्ह:; अवश्य, य$कीनी; असाध्य, लाइलाज।
लाजवाब (अ़.वि.)-निरुत्तर, ख़्ाामोश, जो उत्तर न दे सके, जो जवाब न दे सके; यकता, अद्वितीय, अनुपम, बेजोड़, बेमिस्ल; $कायल, अ़ाजिज़, बेबस, लाचार; शर्मिन्दा।
लाज़वाल (अ़.वि.)-जिसका नाश न हो, अनश्वर, अविनाशी, शाश्वत।
लाजि़$क: (अ़.वि.)-चिपकनेवाली वस्तु (स्त्री.)।
लाजि़$क (अ़.वि.)-चिपकनेवाला।
लाजि़ब (अ़.वि.)-चिपकनेवाला; चिह्नï छोड़ जानेवाला।
लाजि़म: (अ़.वि.)-आवश्यक वस्तु; अनिवार्य, आवश्यक, लाजि़मी।
लाजि़म (अ़.वि.)-अनिवार्य, आवश्यक, ज़रूरी, लाजि़मी; उचित, उपयुक्त, मुनासिब; निश्चित, य$कीनी; सटा हुआ, मिला हुआ, अकर्मक क्रिया, $फेÓले लाजि़म।
लाजि़मन (अ़.वि.)-निश्चित रूप से, आवश्यक रूप से, य$कीनन, बेशक, नि:संदेह।
लाजि़मी (अ़.वि.)-अनिवार्य, आवश्यक, ज़रूरी; मुनासिब, उचित, य$कीनी, निश्चित।
लाजि़मो मल्ज़ूम (अ़.वि.)-एक की दूसरे से अनिवार्यता, समवाय।
लाजि़ल [ल्ल] (अ़.वि.)-वह सोना, जिसमें जऱा भी खोट न हो।
लाजुअऱ्: (अ़.वि.)-जो घूँट-घूँट न पिया जाकर एक-साथ पिया गया हो, डगडगाकर पिया हुआ।
लाज़े (अ़.वि.)-जलन उत्पन्न करनेवाला, सोजि़श या सूजन पैदा करनेवाला।
लाज्वर्द ($फा.पु.)-एक बहुमूल्य पत्थर या रत्न, लाजावर्त, आवर्तमणि।
लाज्वर्दी ($फा.वि.)-लाज्वर्द के रंग का, नीला।
लात (अ़.पु.)-एक मूर्ति, जिसे हज्ऱत 'शुऐबÓ के अनुयायियों ने पूजा था।
लातजऱ (अ़.क्रि.)-न छोड़।
लाताइल (अ़.स्त्री.)-व्यर्थ, बेकार।
लाताÓदाद (अ़.वि.)-अगणित, असंख्य, असीम, अपरिमित, बेशुमार।
लातिब (अ़.वि.)-चिपकनेवाला; एक स्थान पर टिका हुआ, डटा हुआ; दृढ़, मज़बूत।
लातीनी (अ़.स्त्री.)-रूमियों की प्राचीन भाषा, लैटिन।
लातुअ़द (अ़.वि.)-जो गिना न जा सके, अगणित, असंख्य।
लातोह्सा (अ़.वि.)-जो घेरा न जा सके, जो सीमाबद्घ न हो सके, असीम।
लाद: ($फा.पु.)-मूर्ख, अज्ञानी, बेअ़क़्ल।
लाद ($फा.पु.)-दीवार की चुनाई का एक रद्दा।
लादन: ($फा.पु.)-सन, शण; सन का पेड़; दे.-'लादिन:Ó, दोनों शुद्घ हैं।
लादन ($फा.पु.)-एक प्रकार की सुगन्ध, अ$फीम का अऱ$क।
लादवा (अ़.वि.)-निरुपचार, असाध्य, जिसका उपचार न हो सके; जिसका प्रयत्न न हो सके।
लादाÓवा (अ़.वि.)-जो झगड़ा, वाद या माँग वापस ले ले, जो अपना अधिकार छोड़ दे; वाद वापस ले लेना, अधिकार छोड़ देना; दस्तबरदार।
लादिग़ (अ़.वि.)-डसनेवाला, काटनेवाला; एक पीड़ा, जिस में ऐसा अनुभव हो रहा है कि त्वचा पर कोई काट रहा है।
लादिन: ($फा.पु.)-सन; सन का पेड़। दे.-'लादन:Ó, दोनों शुद्घ हैं।
लादिम (अ़.वि.)-थिगली लगानेवाला, पैवन्द लगानेवाला, चकती लगानेवाला।
लान: ($फा.पु.)-शहद का ऐसा छत्ता, जिसमें शहद न हो; घोंसला, कुलाय, कुलायिका, नीड़, झोंझ।
लान ($फा.पु.)-आजऱबाईज़ान का एक पहाड़, जहाँ के तुर्क बहुत-ही सुन्दर होते हैं।
लाÓन (अ़.स्त्री.)-धिक्कार, लाÓनत, फटकार, भत्र्सना।
लाÓनत (अ़.स्त्री.)-धिक्कार, फटकार, भत्र्सना।
लाÓनतज़द: (अ़.$फा.वि.)-धिक्कृत, जिस पर लाÓनत भेजी गई हो।
लानुसल्लिम (अ़.वा.)-मैं नहीं मानता, यह मेरे लिए मान्य नहीं है।
ला$फ ($फा.स्त्री.)-डींगें, शेखी; गप, जल्प, विकत्य।
ला$फगो ($फा.वि.)-डींग मारनेवाला, डींगिया, अहंवादी; गप्पी, बकवादी, जल्पी।
ला$फगोई ($फा.स्त्री.)-शेखी जताना, डींग मारना; गप मारना, बकवास करना।
ला$फजऩ ($फा.वि.)-दे.-'ला$फगोÓ।
ला$फजऩी ($फा.स्त्री.)-दे.-'ला$फगोईÓ।
ला$फानी (अ़.वि.)-अनश्वर, अविनाशी, जो कभी नष्ट न हो, शाश्वत।
ला$िफंद: ($फा.वि.)-गप मारनेवाला, गप्पी, बकवासी; डींगिया, शेखी बघारनेवाला।
ला$िफज़: (अ़.स्त्री.)-नदी, सरिता, दरिया; बकरी, अजा; चक्की, पेषणी; कुक्कुटी, मुगऱ्ी।
ला$फीद: ($फा.वि.)-गप हाँका हुआ, जो बात गप हो; डींग मारा हुआ, जो बात डींगें हों।
ला$फीदनी ($फा.वि.)-गप मारने योग्य; डींग मारने योग्य।
लाफ़ेह (अ़.वि.)-आग, गर्मी या लपट से जलनेवाला।
ला$फोगुज़ा$फ ($फा.स्त्री.)-व्यर्थ की और इधर-उधर की गपबाज़ी, ख़्ाुरा$फात, बकवास।
लाब: ($फा.पु.)-ही-हुजूरी, चाटुकारिता, ख़्ाुशामद; वंचना, छल, कपट, $फरेब। (अ़.पु.)-पहाड़ी भूमि, पथरीला स्थान।
लाब:कार ($फा.वि.)-चापलूस, चाटुकार, जी-हुजूरी करने-वाला।
लाब:गो ($फा.वि.)-चापलूस, चाटुकार, जी-हुजूरी करने-वाला।
लाÓब (अ़.पु.)-राल बहना, राल टपकना।
ला बर ला ($फा.वि.)-तह पर तह, परत पर परत; तह दर तह, परत दर परत।
लाबिन (अ़.वि.)-दूध पिलानेवाला; दूधवाला।
लाबिस (अ़.वि.)-देर करनेवाला, ढील डालनेवाला।
लाबुद [द्द] (अ़.वि.)-ज़रूरी, आवश्यक; अनिवार्य, लाजि़मी।
लाबुदी (अ़.वि.)-दे.-'लाबुदÓ।
लाम: (अ़.पु.)-जिऱीह, लोहे की कडिय़ोंवाला कवच।
लाम (अ़.पु.)-'लाम:Ó का बहु., कवच-समूह; उर्दू भाषा का एक अक्षर 'लÓ; अलक, ज़ुल्$फ। ($फा.पु.)-ऊन की एक मोटी टोपी, जो विशेषत: भीख माँगनेवाले पहनते हैं; सेना, $फौज।
लामकान (अ़.पु.)-वह स्थान जो घर न हो; वह जो बिना मकान हो, जिसका कोई घर न हो; वह जो मकान से परे हो, ईश्वर, भगवान्।
लाम का$फ (अ़.पु.)-गाली-गलौज, अपवाद।
लामज़्हब (अ़.वि.)-जिसका कोई धर्म न हो, नास्तिक, धर्म-विमुख।
लामज़्हबीयत (अ़.स्त्री.)-नास्तिकता, धर्म-विमुखता।
लामबंद ($फा.वि.)-किसी काम के लिए एकत्र और उद्यत होना, लडऩे के लिए एकजुट होना।
लामबंदी ($फा.स्त्री.)-सेना एकत्र करना, $फौज तैयार करना।
लामहाल: (अ़.वि.)-अन्तत:, आख़्िारकार; विवशतापूर्वक, लाचारी से।
लामह्दूद (अ़.वि.)-जिसकी कोई हद या सीमा न हो, जो असीमित हो; जो घेरा न जा सके, जिसकी सीमाएँ निश्चित न हों, बेहद।
लामान ($फा.पु.)-$फरेब, धोखा, छल, कपट; कृतघ्नता, बेव$फाई; समूह, अंबोह; गर्त, गड्ढ़ा।
लामानी ($फा.वि.)-छलपूर्वक, पुर$फरेब, धोखे से; मिथ्या, झूठ; कवच पहने हुए।
लामिस: (अ़.स्त्री.)-छूनेवालीे; स्पर्श-शक्ति, छूने की $कुव्वत।
लामिस (अ़.वि.)-छूनेवाला, स्पर्शी; सहवास करनेवाला, मैथुन करनेवाला, संभोग करनेवाला।
लामुतनाही (अ़.वि.)-जिसका कोई ओर-छोर न हो, अपार, असीम, बेहद।
लामेÓ (अ़.वि.)-चमकीला, चमकनेवाला; प्रकाशमान्, रौशन।
लामेअ़: (अ़.वि.)-चमकनेवाली वस्तु (स्त्री.)।
लाय: ($फा.पु.)-दीवार का रद्दा; कपड़े की तह; एक प्रकार का कागज़़।
लायंबग़ी (अ़.वि.)-अनावश्यक, गैऱज़ुरूरी; अनुचित, नामुनासिब।
लायकून (अ़.अव्य.)-शायद, स्यात्।
लायज़ाल (अ़.वि.)-जो नष्ट न हो, अनश्वर, अविनाशी, अर्थात् ईश्वर।
लायन्$फक [क्क] (अ़.वि.)-अविच्छिन्न, जो अलग न हो सके।
लायन्हल (अ़.वि.)-जटिल समस्या, ऐसी समस्या जो हल न हो।
लायमूत (अ़.वि.)-जो मरे नहीं, अमर।
लायाÓ$िकल (अ़.वि.)-निर्बुद्घ, जो कुछ न समझता हो, अज्ञानी, मूर्ख।
लायाÓनी (अ़.वि.)-जिसका अर्थ न हो; अनर्थक, बेमतलब; व्यर्थ, $िफज़ूल।
लायाÓलम (अ़.वि.)-जो कुछ नहीं जानता, अनभिज्ञ, अज्ञानी।
लायुम्किन (अ़.वि.)-जो मुम्किन न हो, असंभव।
लारैब (अ़.वि.)-नि:संदेह, बेशुब्हा।
लारैब$फीह (अ़.वा.)-इस बात में कोई संदेह नहीं है, ऐसा अवश्य है।
लाल: ($फा.पु.)-एक लाल फूल, पोस्त का फूल, अहिपुष्प।
लाल:गूँ ($फा.वि.)-लाला के फूल-जैसा, रक्तवर्ण, सुख्ऱ्ा।
लाल:ज़ार ($फा.पु.)-लाला के फूलों का खेत, अफ़ीम का खेत।
लाल:$फाम ($फा.वि.)-लाल, सुख्ऱ्ा, लाल रंग का।
लाल:रंग ($फा.वि.)-दे.-'लालगूँÓ।
लाल:रुख़्ा ($फा.वि.)-लाला के फूल-जैसे सुख्ऱ्ा और कोमल गालोंवाला (वाली)।
लाल:साँ ($फा.वि.)-लाला के फूल-जैसा, सुख्ऱ्ा, लाल।
लाल:सार ($फा.वि.)-दे.-'लाल:ज़ारÓ।
लालंग ($फा.वि.)-बचा हुआ खाना, उच्छिष्ट, भुक्तशेष।
लाल (तु.वि.)-मूक, गूँगा, जो बोल न सके।
लाल ($फा.वि.)-रक्तवर्ण, सुख्ऱ्ा; एक रत्न, पद्मराग।
लाÓल (अ़.पु.)-लाल ($फा.) का अऱबी रूप, पद्राग, एक बहुमूल्य रत्न।
लालए सह्राई (अ़.$फा.पु.)-जंगल में उत्पन्न होनेवाला लाला का फूल।
लाÓलगूँ (अ़.$फा.वि.)-पद्मराग-जैसे रक्तवर्ण का, रक्तवर्ण।
लाÓल$फाम (अ़.$फा.वि.)-दे.-'लाÓलगूँÓ।
लाला ($फा.पु.)-सेवक, टहलुवा, मुलाजि़म; दास, $गुलाम; चमकदार, उज्जवल (मोती)।
लालाए चश्म ($फा.पु.)-आँख की पुतली, कनीनी, कनीनिका।
लाÓलीं (अ़.$फा.वि.)-लाल-जैसे रंगवाला (वाली)।
लाÓलींलब (अ़.$फा.वि.)-लाल और सुन्दर होंठोंवाली स्त्री, सुन्दरी, नायिका।
लाÓले बदख़्शानी (अ़.$फा.पु.)-बदख़्शाँ (अफ्ग़़ानिस्तान) में पैदा होनेवाला पद्मराग।
लाÓले मुज़ाब (अ़.पु.)-पिघला हुआ पद्मराग अर्थात् लाल शराब।
लाÓले रुम्मानी (अ़.पु.)-अनार के दानों-जैसा गुलाबी पद्मराग।
लाÓले लब (अ़.$फा.पु.)-पद्मराग-जैसे गुलाबी होंठ, अधर या होंठ रूपी पद्मराग।
लाÓले शकरबार (अ़.$फा.पु.)-मीठा अमृत-जल टपकाने-वाले अधर।
लाÓले शब चिराग़ (अ़.$फा.पु.)-पद्मराग-विशेष, जो अँधेरे में दीपक की भाँति प्रकाश देता है।
लाव: ($फा.पु.)-बच्चों का ऐ खेल, गिल्ली-डण्डा।
लाव ($फा.पु.)-पंडोल मिट्टी, जिससे घर पोता जाता है।
लावलद (अ़.वि.)-निर्वंश, निपूता, जिसके कोई संतान न हो, अनपत्य, नि:संतान।
लावारिस (अ़.वि.)-जिसका कोई उत्तराधिकारी न हो।
लाश: ($फा.वि.)-बहुत-ही दुर्बल और क्षीण; दुर्बल गधा अथवा घोड़ा; गधा, गर्दभ; (पु.)-लाश, शव।
लाश (तु.स्त्री.)-प्राणहीन देह, मृतक शरीर, शव।
लाशए बेगोरोक$फन ($फा.पु.)-ऐसा शव, जिसे न क$फन मिना हो, न $कब्र; उपेक्षित शव।
लास ($फा.पु.)-अत्यन्त निकृष्ट रेशम, बहुत-ही ख़्ाराब $िकस्म का रेशम।
लासानी (अ़.वि.)-अनुपम, अद्वितीय, बेमिस्ल।
लासिम (अ़.वि.)-चूमनेवाला, चुम्बक्र; वह व्यक्ति जो अपना मुँह बन्द रखता हो अर्थात् बहुत कम बोलता हो, मितभाषी, अल्पभाषी।
लाह (अ़.पु.)-भगवान्, ईश्वर, अल्लाह, ख़्ाुदा, ($फा.पु.)-कच्चा रेशम, निकृष्ट या ख़्ाराब $िकस्म का रेशम।
लाहल [ल्ल] (अ़.वि.)-जो हल न हो सके, हल-रहित, जिस समस्या का समाधान न हो सके, समाधान-रहित।
लाहासिल (अ़.वि.)-जिससे कुछ हासिल या प्राप्ति न हो, निष्फल, व्यर्थ, बेकार; नि:सार, बेनतीज़ा, परिणाम-रहित।
लाहिक़: (अ़.पु.)-वह अक्षर या शब्द-विशेष, जो किसी शब्द के अन्त में अर्थ-परिवर्तन के लिए लाया जाता है, प्रत्यय।
लाहिक़ (अ़.पु.)-मिलनेवाला, जुडऩेवाला; रिश्तेदार, सम्बन्धी, आश्रित।
लाहिज़ (अ़.वि.)-कनखियों से देखनेवाला।
लाहिब (अ़.वि.)-लपट मारनेवाला, धधकनेवाला।
लाहिम (अ़.वि.)-माँस अथवा गोश्त खिलानेवाला; मांस या गोश्त बेचनेवाला।
लाही (अ़.वि.)-बेसुध, बेहोश, अचेत; जिसे ध्यान न रहे, असावधान, $गा$िफल; खेलनेवाला, खिलाड़ी, क्रीडक।
लाहूत (अ़.पु.)-दुनिया, संसार, मृत्युलोक; ब्रह्मïलीनता की अवस्था।
लाहूती (अ़.वि.)-जगत् का प्राणी, संसार का निवासी; ब्रह्मïलीन।
लाहोर: ($फा.पु.)-फाँक।
लाहौल (अ़.स्त्री.)-घृणा और उपेक्षा-सूचक एक वाक्य।
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