ही
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हींग (हिं.स्त्री.)-
एक प्रकार के छोटे पौधे का जमाया हुआ गोंद यादूध जो मसालों में प्रयोग किया जाता है।
हींचना (हिं.क्रि.सक.)-
खींचना।हीक (हिं.स्त्री.)-
हलकी अरुचिकर गन्ध। 'हीक मारना'=रह-रहकर दुर्गन्ध करना।हीज़ (फ़ा.वि.)-
हिजड़ा, क्लीब, नपुंसक, नामर्द।हीज (देशज.वि.)-
आलसी, काहिल।हीठना (हिं.क्रि.अक.)-
पास जाना, फटकना; जाना, पहुँचना।हीत: (अ़.पु.)-
परिधि, घेरा, अहाता; सीमा, हद।हीतए इक़्तिदार (अ़.पु.)-
सत्ता और प्रभुत्व की सीमा।हीतए इख़्तियार (अ़.पु.)-
अधिकार की सीमा।हीतए क़ुद्रत (अ़.पु.)-
सामर्थ्य और शक्ति की सीमा।हीतान (अ़.पु.)-
'हाइत' का बहु., दीवारें, इसका 'ता' उर्दू के 'तोय' अक्षर से बना है।हीतान (अ़.स्त्री.)-
'हूत' का बहु., मछलियाँ। इसका 'ता' उर्दू के 'ते' अक्षर से बना है।हीन (अ़.अव्य.)-
समय, काल, वक़्त।हीन (सं.वि.)-
परित्यक्त, छोड़ा हुआ; रहित, ख़ाली, बग़ैर, शून्य; ओछा, नीच; तुच्छ, नाचीज़:सुख-समृद्धि-रहित, दीन; पथभ्रष्ट, भटका हुआ; अल्प, कम।
हीनहयात (अ़.वि.)-
आजीवन, यावज्जीवन, आजन्म, ज़िन्दगी-भर, जीते-जी।हीमिया (अ़.स्त्री.)-
जादू, तिलिस्म, इन्द्रजाल, मायाकर्म।हीमियागर (अ़.फ़ा.वि.)-
दे.-'हीमियादाँ'।हीमियादाँ (अ़.फ़ा.वि.)-
जादू-टोटके जाननेवाला, इल्मे-तिलिस्म जाननेवाला,जादूगर, ऐन्द्रजालिक, मायावी।
हीय (हिं.पु.)-
हीयरा, हीया, हिय, हृदय।हीर (हिं.पु.)-
किसी वस्तु के अन्दर का मूलतत्त्व या सारभाग; इमारतीलकड़ी के अन्दर का भाग; धातु या वीर्य, जो शरीर का
सारभाग है; शक्ति, बल, ताक़त। (स्त्री.)-राँझा की प्रेमिका।
(सं.पु.)-'हीरा' नामक रत्न; वज्र; बिजली; शिव; छप्पय-छंद
का एक भेद; एक वर्णवृत्त जिसके प्रत्येक चरण में क्रमश:
भगण, सगण, नगण, जगण, नगण और रगण होते हैं।
एक मात्रिक छंद जिसमें 6, 6 और 11 के
विराम से 23 मात्राएँ होती हैं।
हीरा (हिं.पु.)-
एक प्रसिद्ध बहुमूल्य रत्न जो अपनी चमक तथा बहुतअधिक कठोरता के लिए प्रसिद्ध है।
हीरिय: (अ़.स्त्री.)-
सिर में पड़ जानेवाली भूसी, फ्यास, बफ़ा।हील: (अ़.पु.)-
छल, कपट, मक्कारी, फ़रेब; मिष, बहाना; मिथ्या, अनर्थ,झूठ; टरकाना, आजकल करना, टालमटोल करना।
'हील: हवाला'=बहाना, टालमटोल।
हील:कार (अ़.फ़ा.वि.)-
दे.-'हील:गर'।हील:कारी (अ़.फ़ा.स्त्री.)-
दे.-'हील:गरी'।हील:गर (अ़.फ़ा.वि.)-
मक्कारी करनेवाला, मक्कार, बहाने बनानेवाला, बहानेबाज़,फ़रेबी, धूर्त, दग़ाबाज़, चालबाज़; धोखेबाज़, छलिया।
हील:गरी (अ़.फ़ा.स्त्री.)-
मक्कारी, चालबाज़ी, बहाने बनाना; धोखेबाज़ी, छल।हीलतन (अ़.क्रि.वि.)-
हीले से, मक्कारी से, बहाने से, छल से, धोखे से।हील:तराश (अ़.फ़ा.वि.)-
नये-नये बहाने गढऩेवाला।हील:तराशी (अ़.फ़ा.स्त्री.)-
नये-नये बहाने गढऩा।हील:पर्वर (अ़.फ़ा.वि.)-
दे.-'हील:गर'।हील:पर्वरी (अ़.फ़ा.स्त्री.)-
दे.-'हील:गरी'।हील:पसंद (अ़.फ़ा.वि.)-
जिसे बहानेबाज़ी अच्छी लगती हो।हील:पसंदी (अ़.फ़ा.स्त्री.)-
बहानेबाज़ी अच्छी लगना।हील:बाज़ (अ़.फ़ा.वि.)-
दे.-'हील:गर'।हील:बाज़ी (अ़.फ़ा.स्त्री.)-
दे.-'हील:गरी'।हील:शिअ़ार (अ़.वि.)-
जिसका काम ही बहाने बनाना हो, बहाने बनानेवाला, दमबाज़।हील:शिअ़ारी (अ़.स्त्री.)-
बहाने बनाने की प्रकृति, मक्कारी का स्वभाव, दमबाज़ी।हील:साज़ (अ़.फ़ा.वि.)-
दे.-'हील:गर'।हील:साज़ी (अ़.फ़ा.स्त्री.)-
दे.-'हील:गरी'।हील:सामाँ (अ़.फ़ा.वि.)-
दे.-'हील:गर'।हील:सामानी (अ़.फ़ा.स्त्री.)-
दे.-'हील:गरी'।हील (फ़ा.स्त्री.)-
इलायची।हीला (अ़.पु.)-
दे.-'हील:', वही उच्चारण शुद्ध है।हीलागर (अ़.वि.)-
दे.-'हील:गर'।हीलाबाज़ (अ़.वि.)-
दे.-'हील:बाज़'।हीलाज (अ़.पु.)-
जन्मपत्री, जन्मकुण्डली।हीले कलाँ (फ़ा.स्त्री.)-
बड़ी इलायची।हीले ख़ुर्द (फ़ा.स्त्री.)-
छोटी इलायची।हीले सफ़ेद (फ़ा.स्त्री.)-
छोटी इलायची।हीस (हिं.स्त्री.)-
होड़ करना, प्रतियोगिता; ईर्ष्या, डाह; हीसका;हीसा। (देशज.पु.)-एक प्रकार की कँटीली लता।
ही-ही (हिं.स्त्री.)-
हँसने का शब्द।------------------------------------
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