वा
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वा ($फा़.वि.)-खुला हुआ, विस्तृत, कुशादा; पुन:, फिर; (अव्य.)-आह, हाय-हाय।वा अज़बाह (अ़.वा.)-कितनी आश्चर्यजनक बात है।
वा अस$फा (अ़.वा.)-हाय-हाय, हाय-रे।
वाइज़ (अ़.वि.)-वाÓज़ कहनेवाला अर्थात् धार्मिक नसीहतें करनेवाला, धर्मोपदेशक।
वाई (अ़.वि.)-देख-रेख करनेवाला, निरीक्षक, निगहबान; याद रखनेवाला।
वाए ($फा़.स्त्री.)-हाय-हाय, हाय-वाय।
वाए $िकस्मत (अ़.$फा़.स्त्री.)-हाय रे भाग्य, हाय री तक़्दीर, हाय रे नसीब।
वाए तक़्दीर (अ़.$फा़.स्त्री.)-दे.-'वाए $िकस्मतÓ।
वाए नसीब (अ़.$फा़.स्त्री.)-दे.-'वाए $िकस्मतÓ।
वाए बरहाल ($फा़.स्त्री.)-हालात पर अफ़्सोस, स्थिति पर निराशा।
वा$िकअ़: (अ़.वि.)-घटना, हादिसा; वृत्तान्त, हाल; समाचार, ख़्ाबर; दुर्घटना,
सानिहा।
वा$िकअ़:तलब (अ़.वि.)-ऐसी घटना, जिसका सारा वृत्तान्त जानना आवश्यक हो।
वा$िकअ़:नवीस (अ़.$फा.वि.)-घटना के बारे मे लिखनेवाला, संवादकार; इतिहासकार, तारीख़्ादाँ, मुअर्रिख़्ा।
वा$िकअ़:निगार (अ़.$फा.वि.)-दे.-'वा$िकअ़:नवीसÓ।
वा$िकअ़ए हायिल: (अ़.पु.)-भीषण दुर्घटना, बहुत बड़ी दुर्घटना, प्रचण्ड दुर्घटना।
वा$िकअ़तन (अ़.वि.)-वास्तव में, वस्तुत:, दरह$की$कत।
वा$िकअ़ात (अ़.पु.)-'वा$िकअ़:Ó का बहु., घटनाएँ।
वा$िकअ़ाती (अ़.वि.)-घटनाओं से सम्बन्धित, ठीक-ठीक, सच्चा-सच्चा, घटना के अनुसार।
वा$िकअ़ाते नफ़्सुलअन्नी (अ़.पु.)-ठीक-ठीक हालात, जैसे घटित हुए वैसे वृत्तान्त।
वा$िकअ़ाते हाजिऱ: (अ़.पु.)-वर्तमान समय की घटनाएँ, वर्तमान समय की सामाजिक और राजनीतिक घटनाएँ।
वा$िकअ़ातोहालात (अ़.पु.)-घटनाएँ और उनका विस्तारपूर्वक वर्णन।
वा$िकई (अ़.वि.)-वास्तव में, यथार्थत:, सचमुच।
वा$िकईयत (अ़.स्त्री.)-वास्तविकता, यथार्कता, अस्लीयत, सत्यता।
वा$िक$फ (अ़.वि.)-परिचित, जानकार; अनुभवी, तज्रिबाकार; किसी जायदाद या सम्पत्ति को किसी कार्य-विशेष के लिए दान करनेवाला, नत्सर्गकर्ता, समर्पणकर्ता।
वा$िकफ़ेकार (अ़.$फा.वि.)-कार्य-विशेष का जानकार; अनुभवी, तज्रिबाकार।
वा$िकफ़े हाल (अ़.वि.)-किसी की दशा या स्थिति से ठीक-ठीक परिचित; किसी घटना-विशेष का ठीक-ठीक अथवा समुचित वृत्तान्त जाननेवाला।
वा$िकफ़े हालात (अ़.वि.)-स्थिति को जाननेवाला, सारी घटनाओं और घटनाओं के सारे वृत्तान्तों का जानकार।
वा$की (अ़.वि.)-देख-रेख करनेवाला, निरीक्षक, निगरानी करनेवाला, नजऱ रखनेवाला।
वा$केÓ (अ़.वि.)-घटित होनेवाला, भावी; घटित, जो हो चुका हो।
वाख़्िांद: ($फा.वि.)-धुनकनेवाला।
वाख़्ाीद: ($फा.वि.)-धुनका हुआ, धुनकी हुईवस्तु।
वाख़्ाुर्द: ($फा.वि.)-साक्षात्कृत, जिसने भेंट अथवा मुला$कात की हो।
वाख़्वास्त ($फा.पु.)-हिसाब समझना, माँगना; फिर चाहना, वापस लेना।
वागीर ($फा.पु.)-पहलवानों की ज़ोर करने की एक पद्यति, जिसमें वह दोनों हाथ दीवार से टेककर एक-एक हाथ की ओर छाती पर ज़ोर देते हैं, इस तरह छाती चौड़ी होती है।
वागुज़श्त ($फा.वि.)-छूटा हुआ।
वागुज़ाश्त: ($फा.वि.)-छूटा हुआ।
वागुज़ाश्त ($फा.स्त्री.)-छूट, मुक्ति; आज़ाद, जो छूट गई हो (जायदाद आदि)।
वागुज़ार ($फा.वि.)-छोडऩेवाला, मुक्त करनेवाला।
वागुज़ारी ($फा.स्त्री.)-छोडऩा; छूट, मुक्ति (जायदाद आदि की)।
वागोय: ($फा.पु.)-बातचीत, वात्र्तालाप; चर्चा, जि़क्र अर्थात् सुनी हुई बात को कहना।
वाचीद: ($फा.वि.)-छाँटा हुआ, चुना हुआ, बीना हुआ, बीनकर ज़मीन से उठाया हुआ।
वाÓज़ (अ़.पु.)-धर्मोपदेश, धार्मिक नसीहतें; उपदेश, सीख, नसीहत।
वाज़ ($फा.वि.)-स्पष्ट, व्यक्त, प्रकट, खुला हुआ।
वाज़ख़्वाँ ($फा.वि.)-दे.-'वाजग़ोÓ।
वाजग़ूँ ($फा.वि.)-अधोमुख, औंधा, अवाङमुख; अशुभ, अनिष्टकर, मनहूस।
वाजग़ून: ($फा.वि.)-दे.-'वाजग़ूँÓ।
वाÓजग़ो (अ़.$फा.वि.)-धर्मोपदेशक, धार्मिक नसीहतें देनेवाला, वाÓज़ कहनेवाला।
वाजि़अ़ाने $कानून (अ़.पु.)-विधानवालेे, $कानून बनानेवाले, विधायकगण।
वाजि़अ़ाने दस्तूर (अ़.पु.)-विधानवाले, $कानून बनानेवाले, विधायकगण।
वाजि़ए $कानून (अ़.पु.)-विधानवाला, $कानून बनानेवाला, विधायक।
वाजिद (अ़.वि.)-पानेवाला, प्राप्तकर्ता; आविष्कारक, नई बात निकालनेवाला।
वाजिब (अ़.वि.)-उचित, मुनासिब; आवश्यक, ज़रूरी; अनिवार्य, लाजि़मी; योग्य, लाय$क; इस्लाम की परिभाषा में '$फर्ज़Ó से दूसरे दर्जे की इबादत।
वाजिबात (अ़.पु.)-'वाजिबÓ का बहु., वाजिब बातें, उचित बातें; उचित इबादतें।
वाजिबी (अ़.वि.)-ठीक, उचित, मौजूँ; जितना ज़रूरी हो उतना; किसी $कदर कम।
वाजिबीयत (अ़.स्त्री.)-औचित्य, मुनासिबत।
वाजिबुजि़्जय़ारत (अ़.वि.)-देखने योग्य, दर्शन करने योग्य, जिसके दर्शन परम पुनीत हों।
वाजिबुत्तक्रीम (अ़.वि.)-आदर और सम्मान करने योग्य, मान्य, पूज्य।
वाजिबुत्तर्दीद (अ़.वि.)-खण्डन करने योग्य्र खण्डनीय, तर्दीद के $काबिल, जिसका खण्डन आवश्यक हो।
वाजिबुत्तलब (अ़.वि.)-बुलाने के योग्य, जिसका बुलाना अनिवार्य हो।
वाजिबुत्तस्लीम (अ़.वि.)-मानने के योग्य, मान्य, स्वीकार्य।
वाजिबुत्ताÓज़ीम (अ़.वि.)-आदर के योग्य, आदरणीय, मान्य, प्रतिष्ठित।
वाजिबुत्ताÓज़ीर (अ़.वि.)-दण्ड देने के योग्य, सज़ा देने के $काबिल, दण्डनीय।
वाजिबुत्ताÓमील (अ़.वि.)-पालन करने योग्य (आज्ञा, आदेश, हुक्म); गवाह आदि को देने योग्य (सम्मन)।
वाजिबुर्रह्म (अ़.वि.)-जिस पर दया की जा सके, रह्म खाने योग्य, दयनीय, दया के योग्य।
वाजिबुर्रिअ़ायत (अ़.वि.)-रिअ़ायत करने योग्य; दया करने योग्य।
वाजिबुलअदा (अ़.वि.)-देय, देने या अदा करने के योग्य।
वाजिबुलअ़मल (अ़.वि.)-करणीय, करे योग्य, जिसका करना परम आवश्यक हो।
वाजिबुलअर्ज़़ (अ़.वि.)-निवेदन करने योग्य, कहने योग्य, प्रार्थना करने योग्य; किसान और ज़मींदार के बीच में तैशुदा अधिकार।
वाजिबुलइअ़ानत (अ़.वि.)-मदद के योग्य, सहायता के योग्य।
वाजिबुलइज़्हार (अ़.वि.)-जिसका कहना और प्रकट करना आवश्यक हो, जिसका ज़ाहिर करना ज़रूरी हो।
वाजिबुलइताअ़त (अ़.वि.)-जिसका अनुकरण करना आवश्यक हो।
वाजिबुलइम्तिसाल (अ़.वि.)-जिसका आदेश मानना आवश्यक हो, जिसकी आज्ञा मानना ज़रूरी हो।
वाजिबुलइम्तिहान (अ़.वि.)-जिसकी परीक्षा आवश्यक हो।
वाजिबुलइम्दाद (अ़.वि.)-जिसकी सहायता करना आवश्यक हो, जिसकी इम्दाद ज़रूरी हो।
वाजिबुलइस्लाह (अ़.वि.)-जिसका सुधार आवश्यक हो।
वाजिबुलईफ़ा (अ़.वि.)-जिसका पालन आवश्यक हो (बात)।
वाजिबुल$कत्अ़ (अ़.वि.)-जिसका काटना ज़रूरी हो; जिसका अलग करना ज़रूरी हो, जिसका विच्छेद करना परम आवश्यक हो।
वाजिबुल$कत्ल (अ़.वि.)-जिसकी हत्या ज़रूरी हो, जिसका वध करना आवश्यक हो।
वाजिबुलख़्िादमत (अ़.वि.)-जिसकी सेवा करना आवश्यक हो, जिसकी ख़्िादमत करना बहुत ज़रूरी हो।
वाजिबुलगज़़ा (अ़.वि.)-जिससे धर्म-युद्घ करना आवयक हो।
वाजिबुलमद्ह (अ़.वि.)-जिसकी प्रशंसा करना अनिवार्य हो।
वाजिबुल्लाÓन (अ़.वि.)-जिसकी निन्दा करना आवश्यक हो, जिसको धिक्कृत करना आवश्यक हो, जिस पर लाÓनत भेजना ज़रूरी हो।
वाजिबुललौम (अ़.वि.)-जिसकी भत्र्सना और निन्दा करना परम आवश्यक हो।
वाजिबुलवुजूद (अ़.वि.)-जिसका अस्तित्व दूसरे के सहारे न हो, अर्थात् ईश्वर, जिसका अस्तित्व किसी दूसरे के अधीन नहीं है यानी वह स्वयंभू है।
वाजिबुलवुसूल (अ़.वि.)-जिसका प्राप्त होा आवश्यक हो, जो किसी से वुसूल (वसूल) किया जाए, प्राप्य।
वाजिबुलहम्द (अ़.वि.)-जिसकी स्तुति आवश्यक हो, जिसका गुणगान ज़रूरी हो।
वाजिबुलहुसूल (अ़.वि.)-जिसका मिलना अथवा जिसका उपार्जन आवश्यक हो
वाजिबुल्सना (अ़.वि.)-जिसकी प्रशंसा आवश्यक हो।
वाजिबुस्सिफ़त (अ़.वि.)-जिसकी स्तुति ज़रूरी हो, जिसका गुणगान आवश्यक हो।
वाज़ँू ($फा.वि.)-औंधा, अधोमुख; बिलकुल उलटा।
वाज़ँूनसीब (अ़.$फा.वि.)-जिसके नसीब उलटे हों, जिसकी तक़्दीर औंधी हो, हतभाग्य।
वाज़ँूबख़्त ($फा.वि.)-हतभाग्य, खोटे नसीबोंवाला, उलटी या औंधी $िकस्मतवाला।
वाज़ँूमु$कद्दर (अ़.$फा.वि.)-दे.-'वाज़ँूबख़्तÓ।
वाज़ेÓ (अ़.वि.)-रचनेवाला, बनानेवाला; रखनेवाला, धरनेवाला।
वाज़ेह (अ़.वि.)-स्पष्ट, ज्वलंत, बहुत ही सा$फ।
वाÓज़ोपंद (अ़.$फा.पु.)-विभिन्न प्रकार की सीख, तरह-तरह की नसीहतें।
वाÓद: (अ़.पु.)-वचन, प्रतिज्ञा, अ़ह्द; संविदा, इ$करार।
वाÓद:ख़्िाला$फ (अ़.वि.)-प्रतिज्ञा भंग कर देनेवाला, अपने वचन का परिपालन न करनेवाला, वादा पूरा न करनेवाला।
वाÓद:ख़्िाला$फी (अ़.स्त्री.)-अपने वचन का परिपालन न करना, प्रतिज्ञा भंग कर देना, वादा पूरा न करना।
वाÓद:गाह (अ़.$फा.स्त्री.)-जहाँ का वादा हो, जहाँ मिलने की बातचीत या $करार हो, जो मिलन-स्थल तै किया गया हो।
वाÓद:फऱामोश (अ़.$फा.वि.)-वचन देकर याद न रखनेवाला, प्रतिज्ञा करके भूल जानेवाला।
वाÓद:फऱामोशी (अ़.$फा.स्त्री.)-वादा करके भूल जाना, वचन देकर याद न रखना।
वाÓद:फ़र्मा (अ़.$फा.वि.)-प्रतिज्ञा करनेवाला, वचन देनेवाला, वाÓदा करनेवाला।
वाÓद:फ़र्माई (अ़.$फा.स्त्री.)-प्रतिज्ञा करना, वचन देना, वाÓदा करना।
वाÓद:वफ़ा (अ़.वि.)-अपनी बात निबाहनेवाला, वचन पूरा करनेवाला।
वाÓद:वफ़ाई (अ़.स्त्री.)-बात कहकर निबाहना, प्रतिज्ञा पूरी करना।
वाÓद:शिकन (अ़.$फा.वि.)-वचन देकर भूल जानेवाला, प्रतिज्ञा भंग करनेवाला, बात कहकर पालन न करनेवाला।
वाÓद:शिकनी (अ़.$फा.स्त्री.)-वचन देकर भूल जाना, बात कहकर पूरी न करना, प्रतिज्ञा भंग कर देना।
वाÓद (अ़.पु.)-शुभ समाचार, ख़्ाुश-ख़्ाबरी।
वाÓदए दीद (अ़.$फा.पु.)-दर्शन देने का $करार या वादा, मुँह दिखाने और मिलने का वादा।
वाÓदए $फर्दा (अ़.$फा.पु.)-कल के मिलने का वादा, जो कभी पूरा नहीं होता।
वाÓदए मह्शर (अ़.पु.)-प्रलय के दिन मिलने का वादा, अर्थात् न मिलने की बात।
वाÓदए वस्ल (अ़.पु.)-मिलने का वचन, मिलन का $करार; साथ सोने या हमबिस्तर होने का वादा।
वाÓदए शब
वाÓद: (अ़.$फा.पु.)-रात में आने का वचन।
वाÓदए हश्र (अ़.पु.)-दे.-'वाÓदए मह्शरÓ।
वादिए ऐमन (अ़.स्त्री.)-वह घाटी, जहाँ हज्ऱत मूसा ने ईश्वर का प्रकाश देखा था।
वादिए तूर (अ़.स्त्री.)-'तूरÓ नामक पहाड़ की घाटी, जहाँ हज्ऱत मूसा ने ईश्वर का प्रकाश देखा था। दे.-'वादिए ऐमनÓ।
वादी (अ़.उभ.)-घाटी, पहाड़ के नीचे का मैदान; जंगल, वन, कानन।
वादीगर्द (अ़.$फा.वि.)-घाटियों में मारा-मारा फिरनेवाला, जंगलों में घूमनेवाला।
वादीद ($फा.स्त्री.)-बाज़दीद, भेंट या मुला$कात करनेवाले की मुला$कात।
वादीनवर्द (अ़.$फा.वि.)-दे.-'वादीगर्दÓ।
वादीनशीं (अ़.$फा.वि.)-जंगल में रहनेवाला, वनस्थ।
वादीपैमा (अ़.$फा.वि.)-दे.-'वादीगर्दÓ।
वान ($फा.प्रत्य.)-वाला, जैसे-'दरबानÓ, अर्थात् दर पर रहनेवाला, ड्योढीदार, दरबान।
वानमूद: ($फा.वि.)-दिखाया हुआ, प्रकट किया हुआ।
वापस ($फा.वि.)- प्रत्यागत, लौटा हुआ, वापस आया हुआ; प्रतिदत्त, वापस दिया हुआ, लौटाया हुआ। 'या तो तू पूरा रस दे, या फिर पैसे वापस देÓ-माँझी
वापसआमद: ($फा.वि.)-वापस लौटा हुआ, प्रत्यागत।
वापस दाद: ($फा.वि.)-वापस दिया हुआ, प्रतिदत्त।
वापसीं ($फा.वि.)-अंतिम, आख़्िारी।
वापसी ($फा.स्त्री.)-प्रत्यागमन, लौटना; प्रतिदान, लौटाना, फेरना, वापस देना।
वा$िफद (अ़.पु.)-प्रतिनिधि, नुमाइंदा; दूत, एलची; पत्रवाहक, $कासिद।
वा$िफर (अ़.वि.)-अत्यधिक, बहुत, प्रचुर, बहत ज़्यादा।
वा$िफल हस्ब [हसब] (अ़.वि.)-जो व्यक्ति विद्या और दूसरे गुणों से सम्पन्न हो।
वा$फी (अ़.वि.)-समग्र सम्पूर्ण, पूरा, तमाम; प्रचुर, अत्यधिक, का$फी।
वाबस्त: ($फा.वि.)-आबद्घ, बँधा हुआ; संबद्घ, सम्बन्धित, मुतअ़ल्लि$क; संलग्न, सूत्रित, नत्थी; स्वजन, आत्मीय, रिश्तेदार।
वाबस्तए इश्$क (अ़.$फा.वि.)-प्रेमाबद्घ, प्रेमपाश में बँधा हुआ, मुग्ध, मोहित, आसक्त।
वाबस्तए ज़ुल्$फ (अ़.$फा.वि.)-प्रेमिका की अलकपाश में बँधा, अर्थात् मुग्ध, मोहित, आसक्त।
वाबस्तगाँ ($फा.पु.)-'वाबस्त:Ó का बहु., बँधे हुए लोग, संबद्घ लोग, सम्बन्धितजन।
वाबस्तगाने मुहब्बत (अ़.$फा.पु.)-प्रेमपाश में बँधे हुए प्रेमी।
वाबस्तगी ($फा.वि.)-बँधाव, बन्धन; सम्पर्क; सम्बन्ध; प्रेम; स्वजनता, अपनापन।
वाम ($फा.पु.)-ऋण, $कर्ज़; वर्ण, रंग।
वामख़्वाह ($फा.वि.)-ऋणग्राही, $कर्ज़दार, अधमर्ण।
वामांद: ($फा.वि.)-थका हुआ, थककर पीछे रहा हुआ; दीन-दु:खी, लाचार।
वामांदए राह ($फा.वि.)-थककर रास्ते में बैठा हुआ, थकन के कारण रास्ते में अपने साथियों से छूटा हुआ।
वामांदगी ($फा.स्त्री.)-थकावट, थककर रास्ते में रह जाना; दीनता, लाचारी, नि:सहायता।
वामि$क (अ़.पु.)-चाहनेवाला, प्यार करनेवाला; अऱब का एक प्रेमी, जो अज्ऱा पर मोहित था।
वामुसीबता (अ़.वा.)-हाय री मुसीबत, हाय मुसीबत (किसी विपत्ति के समय बोलते हैं)।
वाय: ($फा.पु.)-मनोकामना, चाहत, मुराद; अ$फीम आदि की रोज़ की बँधी हुई ख़्ाुराक, मात्रा, मिक़्दार।
वार: ($फा.वि.)-समान, तुल्य; स्वभाव, प्रकृति; ऋतु; स्वामी।
वार ($फा.पु.)-आघात, चोट, ज़र्ब; आकमण, हमला; योग्य, पात्र, लाय$क; पद्यति, शैली, रविश; (प्रत्य.)-करनेवाला, जैसे-'सोगवारÓ=मातम करनेवाला।
वारफ़्त: ($फा.वि.)-आत्मविस्मृत, खोया हुआ, बेसुध, बेख़्ाुद; शिथिल, निढाल।
वारफ़्त:तब्अ़ (अ़.$फा.वि.)-दे.-'वारफ़्त:मिज़ाजÓ।
वारफ़्त:मिज़ाज (अ़.$फा.वि.)-जो खोया-खोया-सा रहता हो; ऊलजलूल, लाउबाली।
वारफ़्त:मिज़ाजी (अ़.$फा.स्त्री.)-खोया-खोया-सा रहना; ऊलजलूलपन।
वारफ़्तगाँ ($फा.पु.)-'वारफ़्त:Ó का बहु., प्रेम में खोए हुए लोग।
वारफ़्तगी ($फा.स्त्री.)-खोया-खोयापन, आत्म-विस्मृति; ऊलजलूलपन।
वारसीद: ($फा.वि.)-पहुँचा हुआ, गया हुआ, विगत; सूचित, मुत्तला।
वारसीदगी ($फा.स्त्री.)-पहुँचना; ख़्ाबर पाना।
वारस्त: ($फा.वि.)-निश्चिन्त, बे$िफक्र, स्वच्छन्द, आज़ाद।
वारस्त:मिज़ाज (अ़.$फा.वि.)-स्वतंत्र स्वभाव, आज़ाद मिज़ाज, स्वच्छन्द प्रकृति, उद्दण्ड, मनमौजी।
वारस्त:मिज़ाजी (अ़.$फा.स्त्री.)-स्वभाव की स्वतंत्रता, प्रकृति की स्वच्छन्दता, आज़ाद मि़ाी, मन की मौज, उद्दण्डता।
वारस्तगी ($फा.स्त्री.)-स्वतंत्रता, आज़ादी, स्वच्छन्दता, निश्चिन्तता, मनमौजीपन।
वारिद (अ़.वि.)-आगामी, आनेवाला, भविष्य में आने या होनेवाला; आगत, आया हुआ; दूत, $कासिद, एलची।
वारिदात (अ़.स्त्री.)-'वारिदÓ का बहु., आनेवाले अर्थात् घटित होनेवाले (यह शब्द उर्दू में एक शब्द के लिए व्यवहृत है, कहते हैं-'वारिदात हो गईÓ), घटना, वा$िकअ़ा।
वारिदाते $कल्ब (अ़.स्त्री.)-मन में आनेवाले विचार, हृदय में आनेवाली विचार-धाराएँ; ऋषियों-महात्माओं के हृदयों पर पडऩेवाले दिव्य-प्रकाश।
वारिस (अ़.वि.)-उत्तराधिकारी, रिक्थाधिकारी; अभिभावक, सरपरस्त, पालन-पोषण करनेवाला, देख-रेख करनेवाला।
वारिसे तख़्तोताज (अ़.$फा.पु.)-राजा या बादशाह का पुत्र, राजकुमार, युवराज, शाहज़ादा, वली अ़ह्द।
वारिसे ताजोनगीं (अ़.$फा.पु.)-दे.-'वारिसे तख़्तोताजÓ।
वाल: ($फा.पु.)-एक प्रकार का बारीक रेशमी कपड़ा।
वाल ($फा.स्त्री.)-एक सिन्नेदार मछली।
वाला ($फा.वि.)-श्रेष्ठ, उत्तम; प्रतिष्ठित, मान्य; उच्च, उत्तुंग; महन्, महत्त्वपूर्ण।
वाला$कद्र (अ़.$फा.वि.)-उत्तम, बहुत सम्मानित, अत्यन्त प्रतिष्ठित, बड़ी इज़्ज़तवाला।
वालागुहर ($फा.वि.)-कुलीनतम, उत्तम कुल या वंश का, अत्यन्त प्रतिष्ठित, बहुत मानवाला।
वालाजाह ($फा.वि.)-दे.-'वाला$कद्रÓ।
वालादूदमाँ ($फा.वि.)-दे.-'वालागुहरÓ।
वालानज़ाद ($फा.वि.)-दे.-'वालागुहरÓ।
वालानाम: ($फा.पु.)-कृपापत्र, आदरपत्र, बड़े व्यक्ति का पत्र।
वालामर्तबत (अ़.$फा.वि.)-दे.-'वाला$कद्रÓ।
वालाशान (अ़.$फा.वि.)-दे.-'वाला$कद्रÓ।
वालासि$फात (अ़.$फा.वि.)-उत्तम गुण, बहुत अच्छे और प्रतिष्ठित गुणोंवाला।
वालाहिमम (अ़.$फा.वि.)-उच्चोत्साही, बड़ी हिम्मतवाला, बड़े हौसलेवाला।
वालाहिम्मत (अ़.$फा.वि.)-बड़े साहसवाला, बड़ी हिम्मतवाला, महोत्साह, महासाहस।
वालिए अ़क्ऱब (अ़.पु.)-मंगलब्रह, जो वृश्चिक-राशि का स्वामी है।
वालिए तख़्तोताज (अ़.$फा.वि.)-राजकुमार, युवराज, वली अ़ह्द।
वालिए मुल्क (अ़.पु.)-किसी देश या राष्ट्र का शासक, नरेश, राजा, बादशाह।
वालिए रियासत (अ़.पु.)-किसी रियासत का स्वामी, रईस, राजा।
वालिद: (अ़.स्त्री.)-माँ, माता, मातृ, जननी, प्रसवित्री, अम्बा, अम्बिका।
वालिद (अ़.पु.)-बाप, पिता, पितृ, जनक, अम्ब, अम्बक, प्रसवी।
वालिदए मोहतरम: (अ़.स्त्री.)-पूज्य माता, माताश्री।
वालिदे माजिद (अ़.पु.)-पूज्य पिता, पिताश्री।
वालिदैन (अ़.पु.)-माता-पिता, पितरौ, माँ-बाप।
वालिहान: (अ़.$फा.वि.)-प्रेमियों-जैसा, प्रेम-पूर्वक।
वाली (अ़.पु.)-सखा, मित्र, दोस्त; शासक, हाकिम।
वालेह (अ़.वि.)-मोहित, मुग्ध, आसक्त, $िफरेफ़्ता, जो प्रेम में अपनी सुध-बुध खो चुका हो।
वावैला ($फा.वा.)-हाय, अफ़्सोस; हाहाकार, कोहराम; कोलाहल, शोरो$गुल।
वाशिगा$फ ($फा.वि.)-स्पष्ट, प्रकट, खुला हुआ।
वाशी (अ़.वि.)-झूठा, असत्यवादी, मिथ्यावादी; निंदक, चु$गुलख़्ाोर; छिद्रान्वेषी, ऐबचीं, त्रुटि ढूँढऩेवाला।
वाशुद: ($फा.वि.)-प्रफुल्ल, विकसित, खिला हुआ।
वाशुद ($फा.स्त्री.)-खिलावट, प्रफुल्लता, शिगुफ़्तगी।
वाशुदगी ($फा.स्त्री.)-शिगुफ़्तगी, प्रफुल्लता, खिलावट, विकास।
वाशुदनी ($फा.वि.)-विकसित होने योग्य, खिलने योग्य।
वासि$क (अ़.वि.)-पक्का, दृढ़, मज़बूत, न टूटनेवाला।
वासित: (अ़.पु.)-बीच का, मध्यम, दरमियानी; सम्पर्क, सम्बन्ध।
वासित (अ़.वि.)-बीचवाला, मध्यवर्ती; इरा$क में बसरा और ब$गदाद के बीच एक नगर, जहाँ का $कलम बहुत अच्छा होता है।
वासिती (अ़.वि.)-वासित नगर का, विशेषत: क़लम के लिए आता है।
वासि$फ (अ़.वि.)-प्रशंसा करनेवाला, प्रशंसक, तारी$फ करनेवाला।
वासिल (अ़.वि.)-भेंट करनेवाला, मिलनेवाला, मुला$कात करनेवाला; सटा हुआ, लगा हुआ, संयुक्त।
वासिलबह$क (अ़.$फा.वि.)-ईश्वर से मिलनेवाला, दिवंगत, जो मर चुका हो।
वासिलबा$की (अ़.वि.)-जो प्राप्त हो गया है तथा जो बा$की रह गया है, उसका लेखा-जोखा, वुसूल और बा$की का हिसाब।
वासिलबा$की नवीस (अ़.$फा.वि.)-कचहरी का एक मुहर्रिर, जो आय-व्यय का हिसाब रखता है।
वासिलात (अ़.स्त्री.)-कुल आय का जोड़, आमदनी का मीज़ान।
वासेÓ (अ़.वि.)-विस्तार करनेवाला, फैलानेवाला; विस्तृत, वसीअ़; ईश्वर का एक नाम।
वासोख़्त: ($फा.वि.)-दग्ध, विदग्ध, जला हुआ; कुढ़ा हुआ, बेज़ार।
वासोख़्त ($फा.पु.)-उर्दू पद्य की एक $िकस्म, जो 'मुसद्दसÓ के रूप में होता है और जिसमें प्रमिका के व्यवहार से नाराज़ होकर प्रेम छोड़ देने तथा पेमिका को त्यागने का वर्णन होता है।
वासोख़्तगी ($फा.स्त्री.)-जलन, तपन; कुढऩ, बेज़ारी, नाराज़ी।
वाह ($फा.अव्य)-ख़्ाूब, साधु, धन्य।
वाह वाह ($फा.वि.)-धन्य-धन्य, साधु-साधु, ख़्ाूब-ख़्ाूब।
वाहस्रता ($फा.अव्य)-हाय अफ़्सोस ($शोक के समय पर बोलते हैं)।
वाहिद: (अ़.पु.)-इकाई, यूनिट।
वाहिद (अ़.वि.)-एक, यक; ईश्वर का एक नाम।
वाहिदुलऐन (अ़.वि.)-एक आँखवाला, एकाक्ष, काना।
वाहिब (अ़.वि.)-दाता, देनेवाला, प्रदान करनेवाला।
वाहिबुननिअ़म (अ़.पु.)-दे.-'वाहिबुलअ़तायाÓ।
वाहिबुलअ़ताया (अ़.पु.)-पुरस्कार और उत्तम वस्तुएँ देनेवाला, अर्थात् ईश्वर, भगवान्।
वाहिम: (अ़.पु.)-भ्रम, भ्रान्ति, वह्म; कल्पना-शक्ति।
वाहिम (अ़.वि.)-भ्रम में पड़ा हुआ, भ्रमी, वह्म करनेवाला, वह्मी, शक्की।
वाहियात (अ़.स्त्री.)-'वाहीÓ का बहु., निरर्थक और व्यर्थ बातें।
वाही (अ़.वि.)-सुस्त, शिथिल, मंद; व्यर्थ, अनर्गल, $फुज़ूल।
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