Thursday, October 15, 2015

हा

-----------------------------------------------------------------------------

हाँ (फ़ा.अव्य.)-

  सावधान! ख़बरदार! देखो! होशियार! सचेत रहो।

हाँ (हिं.अव्य.)-

  स्वीकृति, समर्थन आदि का सूचक-शब्द; 'हाँ करना'=मानना
  या राजी होना। 'हाँ-हाँ करना'=बात न काटना, ख़ुशामद करना।

हाँकना (हिं.क्रि.सक.)-

  ज़ोर-से पुकारना, चिल्लाकर बुलाना; ललकारना, हुंकार भरना;
  बढ़-चढ़कर बोलना; जानवरों को चलाने या हटाने के लिए आगे
  बढ़ाना या इधर-उधर करना; रथ या बैलगाड़ी आदि चलाना; पंखे से हवा करना। 

हा (फ़ा.प्रत्य.)-

  शब्द के अन्त में लगकर एकवचन से बहुवचन बनाता है,
  जैसे-'बारहा'-बार-बार, या 'दरख़्तहा'-वृक्ष-समूह, अनेक वृक्ष।
  (इस शब्द का प्रयोग प्राय: निर्जीव वस्तुओं के लिए होता है)।
  उर्दू का एक अक्षर 'हे', हिन्दी 'ह'।

हा (सं.अव्य.)-

  दुःख, शोक, भय आदि का सूचक-शब्द; आश्चर्य या प्रसन्नता का
  सूचक-शब्द। (प्रत्य.)-हनन करनेवाला, मारनेवाला।

हाइक (अ़.पु.)-

  कपड़ा बुननेवाला, जुलाहा, वायक, कुविंद।

हाइज़: (अ़.स्त्री.)-

  वह स्त्री, जो महीने-से हो, रजस्वला, पुष्पिणी, ऋतुमति, उदक्या,
  मलिष्ठा, आत्रेयी, रजवती, स्त्रीधर्मिणा।

हाइज़ (अ़.स्त्री.)-

  वह स्त्री, जो वयस्क हो गई हो और ऋतुमति होने के योग्य
   हो अथवा जिसे मासिक-धर्म आता हो।

हाइत (अ़.स्त्री.)-

  भीत, भित्ति, दीवार।

हाइब (अ़.वि.)-

  डरनेवाला, भयग्रस्त।

हाइम (अ़.वि.)-

  आसक्त, प्रेम-मग्न, बहुत प्यासा।

हाइर (अ़.वि.)-

  स्तब्ध, चकित, उद्विग्न, हैरान; दुर्बल, क्षीण, दुबला-पतला; भँवर, वर्त,
  जलावर्त, गिर्दाब; वह स्थान, जहाँ हज़रत इमाम हुसैन शहीद हुए थे।

हाइल: (अ़.वि.)-

  दे.-'हाइल'।

हाइल (अ़.वि.)-

  बीच में आनेवाला, आड़ बननेवाला, रोक करनेवाला; बाधा डालनेवाला,
  बाधक। 'जब क़दम मेरे बढ़े उनकी तरफ़, राह में हाइल हुआ साया
  मिरा'-माँझी; इसका 'हा' उर्दू के 'बड़े हे' शब्द से बना है।

हाइल (अ़.वि.)-

  भीषण, भयंकर, भयानक, विकराल, ख़ौफ़नाक। इसका 'हा'
  उर्दू के 'हम्ज़ा' अक्षर से बना है।

हाए (फ़ा.स्त्री.)-

  कराह की आवाज़, आह, हा।

हाए मख़्लूत (अ़.फ़ा.स्त्री.)-

  उर्दू भाषा की वह 'हे' जो दूसरे शब्द में मिलाकर पढ़ी
  जाए, जैसे-'कुम्हार' की 'हे' अर्थात् 'ह'।

हाए मुख़्तफ़ी (अ़.फ़ा.स्त्री.)-

  वह 'हे', जो लिखी तो जाए मगर पढ़ी न जाए अर्थात् शब्द में होते हुए
  भी अपनी ध्वनि न दे, मौन ही रहे, और केवल यह प्रकट करने के
  लिए आये कि अंतिम अक्षर 'हल्' नहीं है, जैसे-हस्रतज़द:'।

हाए मुज़ह्हर (अ़.फ़ा.स्त्री.)-

  वह 'हे' अक्षर जो अपनी ध्वनि दे, जैसे-'जगह' शब्द में 'हे' अर्थात् 'ह' की ध्वनि।

हाए मुशक़्क़क़ (अ़.फ़ा.स्त्री.)-

  दो चश्मी 'हे' (هه)।

हाए हव्वज़ (अ़.फ़ा.स्त्री.)-

  छोटी 'हे' (ه)।

हाए हुत्ती (अ़.फ़ा.स्त्री.)-

  बड़ी 'हे' (ح)।

हाक़ (अ़.वि.)-

  बीच, बीचोंबीच, मध्य, दरमियान।

हाकिम (अ़.वि.)-

  पदाधिकारी, अफ़सर; स्वामी, मालिक; शासक; राजा,
  नरेश, बादशाह; अध्यक्ष, सरदार।

हाकिमान: (अ़.फ़ा.वि.)-

  अफ़सरों-जैसा। 'हाकिम के कुत्ते'=वे नौकर जो बिना रिश्वत लिये
  मालिक से नहीं मिलाते। 'हाकिम चून का भी बुरा'=छोटे-से-छोटे
  हाकिम से भी डरना चाहिए। 'हाकिम के तीन और शाहना के
  नौ'=हाकिम से अधिक कर्मचारीगण लूटते हैं।

हाकिमान: (अ़.वि.)-

  हाकिम के अनुरूप।

हाकिमी (अ़.वि.)-

  पदाधिकार, अफ़सरी; स्वामित्व, मालिकी; शासन, हुकूमत, राज,
  हाकिम का काम; राजशाही; अध्यक्षता, सरदारी।

हाकिमे आ'ला (अ़.फ़ा.पु.)-

  उच्चाधिकारी, बड़ा अफ़सर।

हाकिमे बाला (अ़.फ़ा.पु.)-

  दे.-'हाकिमे आ'ला'; किसी अधिकारी से ऊपर का अधिकारी।

हाकिमे वक़्त (अ़.पु.)-

  वर्तमान समय का शासक, इस समय का शासक।

हाकिमे हक़ीक़ी (अ़.पु.)-

  ईश्वर, परमात्मा।

हाकी (अ़.वि.)-

  वार्तालाप करनेवाला, बातचीत करनेवाला; कहानी सुनानेवाला।

हाक़्क़: (अ़.स्त्री.)-

  महाप्रलय, क़ियामत (क़यामत)।

हाज [ज्ज] (अ़.वि.)-

  हज करनेवाला, हाजी।

हाज (अ़.स्त्री.)-

  'हाजत' का बहु., हाजतें, इच्छाएँ, अभिलाषाएँ।

हाजत (अ़.स्त्री.)-

  मुराद, इच्छा, अभिलाषा, आरज़ू, उम्मीद, आशा, ख़्वाहिश;
  मनोकामना, मनोवांछा, दिली मक़्सद; आवश्यकता, ज़रुरत।
  'हाजत बर आना'=मुराद पूरी होना, कामना पूर्ण होना। 'हाजत
  रफ़ा कारण'=किसी का कोई काम निकलना; पाख़ाने जाना, शौच जाना।

हाजतख़्वा (अ़.फ़ा.वि.)-

  मोहताज, निर्धन, ग़रीब, माँगनेवाला, प्रार्थी, ज़रूरतमन्द;
  कामना या अभिलाषा की पूर्ति चाहनेवाला।

हाजतगाह (अ़.फ़ा.स्त्री.)-

  वह स्थान, जहाँ से कामनापूर्ति की इच्छा हो।

हाजतबरारी (अ़.फ़ा.स्त्री.)-

  कामना पूरी करना, इच्छा या अभिलाषा पूरी करना।

हाजतमंद (अ़.फ़ा.वि.)-

  इच्छुक, अभिलाषी, ख़्वाहिशमंद; निर्धन, मोहताज।

हाजतमंदी (अ़.फ़ा.स्त्री.)-

  चाह, इच्छा, ख़्वाहिश, तलब; निर्धनता, मोहताजी।

हाजतरवा (अ़.फ़ा.वि.)-

  इच्छा और कामना पूरी करनेवाला; ज़रुरत पूरी करनेवाला।

हाजतरवाई (अ़.फ़ा.स्त्री.)-

  किसी का काम निकलना; इच्छा और कामना पूरी करना।

हाजती (अ़.वि.)-

  ज़रूरतमन्द, निर्धन, ग़रीब, मोहताज; इच्छुक, अभिलाषी,
  (स्त्री.)-वह चौकी, जो रोगी के पलंग के पास लगा दी जाती है
   ताकि पेशाब-पाख़ाने में उसे कष्ट न हो।

हाज़मा (अ़.पु.)-

  दे.-'हाज़िम:', वही उच्चारण शुद्ध है। 

हाजर: (अ़.स्त्री.)-

  हज़रत इस्माईल की माता का नाम।

हाज़रात (अ़.स्त्री.)-

  दे.-'हाज़िरात', वही उच्चारण शुद्ध है।

हाज़राती (अ़.पु.)-

  दे.-'हाज़िराती', वही उच्चारण शुद्ध है।

हाज़िक़ (अ़.वि.)-

  कुशल, प्रवीण, दक्ष, उस्ताद, माहिर, कामिल; वह चिकित्सक,
  जो अपने काम में बहुत ही निपुण हो।

हाजिज़ (अ़.वि.)-

  बीच में पर्दे की तरह आ जानेवाला; वक्ष:स्थल और
  उदर के बीच की एक झिल्ली।

हाजिब (अ़.वि.)-

  द्वारपाल, प्रहरी, दरबान; चोबदार, दंडधारी; भ्रू, भौंह; पर्दा।

हाजिन (अ़.स्त्री.)-

  वह अवयस्क स्त्री, जिसकी शादी हो गई हो; प्रत्येक
  जानवर का मादा बच्चा।

हाज़िम: (अ़.पु.)-

  पाचन-शक्ति, क़ुव्वते हज़्म, पचाने की ताक़त।

हाज़िम (अ़.वि.)-

  दूरदर्शी, अग्रशोची, दूरंदेश; बुद्घिमान्, मेधावी, अ़क़्लमंद।
  इसके 'हा' उर्दू के 'बड़े हे' से तथा 'जि़' 'ज़े' अक्षर से बने हैं।

हाज़िम (अ़.वि.)-

  पाचक, खाना हज़्म करनेवाला, भोजन पचनेवाला। इसके
  'हा' उर्द के 'दोचश्मी हे' से तथा 'जि़' 'ज़ुआद' अक्षर से बने हैं।

हाजि़मे तअ़ाम (अ़.पु.)-

  अन्नपाचक, खाना हज़्म करनेवाली दवा।

हाजिर: (अ़.स्त्री.)-

  हिज्रत करनेवाली स्त्री, घरबार छोड़कर परदेश में आनेवाली स्त्री,
  शरणार्थिनी; टीक दोपहरी, बहुत गर्म और तपनेवाली दोपहर।

हाजिर (अ़.वि.)-

  हिजरत करनेवाला; घर-बार छोडऩेवाला, मुहाजिर, अपना देश
  छोड़कर जानेवाला; परदेशी, शरणार्थी।
  इसका 'हा' उर्दू के 'दोचश्मी हे' से बना है।

हाजिर (अ़.वि.)-

  रोकनेवाला, मना करनेवाला, निषेधक; ऊँची भूमि; नदी का
   कगार। इसका 'हा' उर्दू की 'बड़ी हे' से बना है।

हाज़िर (अ़.वि.)-

  सामने, तैयार, सम्मुख, उपस्थित, मौजूद; विद्यमान; किसी
  न्यायालय में वारंट या सम्मन द्वारा लाया गया या मुक़दमे
  की तारीख़ में आया हुआ; स्कूल या कारख़ाने के रजिस्टर में
  हाजिऱी की प्रविष्टि के समय उपस्थित।

हाज़िरजवाब (अ़.वि.)-

  फ़ौरन जवाब डनेवाला, जो तुरन्त ही किसी बात का उचित
  और चमत्कारपूर्ण उत्तर दे, प्रगल्भ, प्रत्युत्पन्नमति।

हाज़िरजवाबी (अ़.स्त्री.)-

  फ़ौरन जवाब देने की योग्यता; किसी बात का तुरन्त ही उचित और मौज़ूँ जवाब देना, प्रगल्भता।

हाज़िरज़ामिन (अ़.वि.)-

  किसी अभियुक्त की न्यायालय में उपस्थित करने की ज़िम्मेदारी लेनेवाला।

हाज़िरज़ामिनी (अ़.स्त्री.)-

  किसी अभियुक्त की न्यायालय में उपस्थिति की ज़मानत।

हाज़िरदिमाग़ (अ़.वि.)-

  जो किसी बात को तुरन्त ही ठीक समझ ले और ठीक ही राय दे सके।

हाज़िरदिमाग़ी (अ़.स्त्री.)-

  तुरन्त ही बात की तह तक पहुँचकर ठीक राय देना।

हाज़िरबाश (अ़.फ़ा.वि.)-

  मौजूद रहनेवाला; किसी बड़े आदमी के पास हर वक़्त
  का उठने-बैठनेवाला।

हाज़िरबाशी (अ़.फ़ा.स्त्री.)-

  मौजूद रहना, उपस्थित रहना; किसी बड़े आदमी के
  पास हर वक़्त का उठना-बैठना।

हाज़िरात (अ़.स्त्री.)-

  'हाज़िर' का बहु., उपस्थितजन; जिन, भूत-प्रेत और दुष्ट
  आत्माओं को जमा करना; जिनों अथवा भूतों को बुलाने
  का वह अ़मल या कर्म, जिससे द्वारा वे किसी पर बुलाये
  जाते हैं और उनसे सवालों के जवाब पूछे जाते हैं।

हाज़िराती (अ़.पु.)-

  जिनों-भूतों को किसी पुरुष या स्त्री पर बुलानेवाला, अ़ामिले जिन, ओझा।

हाज़िरी (अ़.स्त्री.)-

  उपस्थिति, मौजूदगी; मज़दूरों या विद्यार्थियों की गिनती; विद्यमानता;
  वुजूद होना; न्यायालय में वारंट या सम्मन द्वारा प्रतिवादी तथा
  गवाहों आदि की उपस्थिति; वह खाना जो दिन में पहली बार खाते
  हैं; वह खाना जो मुर्दे के वारिसों को मैयत को दफ़न करने के बाद
  भेजते हैं; वह धनराशि जो मैयतवाले को दी जाती है।

हाज़िरीन (अ़.पु.)-

  'हाज़िर' का बहु., हाज़िर लोग, उपस्थितजन।

हाज़िरीने जल्स: (अ़.पु.)-

  किसी सभा में उपस्थित लोग।

हाज़िरीने मज्लिस (अ़.पु.)-

  किसी गोष्ठी में सम्मिलित लोग।

हाज़िरोनाज़िर (अ़.पु.)-

  जो किसी स्थान पर उपस्थित भी हो और सारी घटनाओं
  को देखता भी हो; ईश्वर, परमात्मा।

हाज़िल (अ़.वि.)-

  फक्कड़ बकनेवाला, अश्लील बोलनेवाला; हज़्ल की कविता
  अर्थात् अश्लील कविता करनेवाला।

हाजी (उ.पु.)-

  हज करनेवाला, (अ़रबी भाषा में यह शब्द 'हाज' है)।
  इसका 'हा' उर्दू के 'बड़े हे' से बना है।

हाजी (अ़.वि.)-

  हिजो करनेवाला, निन्दा करनेवाला, निन्दक; नक़्क़ाल, भाँड,
  दूसरों की नक़ल बनाकर हँसानेवाला; हिज्जे करनेवाला।

हाज़ूम (अ़.वि.)-

  अन्नपाचक औषधि, खाना हज़्म करनेवाली दवा।

हाज्ज: (अ़.स्त्री.)-

  हज करनेवाली स्त्री, हज्जन।

हातम (अ़.पु.)-

  यमन देश का एक प्रसिद्ध दानी और परोपकारी मुखिया, जो
  'बनीतय' गोत्र में होने के कारण 'ताई' कहलाता
  है, दे.-'हातिमताई'। 'हातिम की क़ब्र पर लात मारना'=हातिम
  से बढ़कर दान करना (किसी कंजूस व्यक्ति से संयोगवश
  उदारता हो जाने पर ऐसा बोलते हैं।

हातिन (अ़.पु.)-

  बरसनेवाला बादल।

हातिफ़ (अ़.वि.)-

  पुकारनेवाला, बुलानेवाला; ऊपर से पुकारनेवाला, आकाशवाणी।

हातिफ़े ग़ैब (अ़.पु.)-

  वह देवता, जो दिल में बात डालता या आकाशवाणी बोलता है।

हातिब (अ़.वि.)-

  लकड़ी बेचनेवाला, लकडिय़ाँ लानेवाला, लकड़हारा।

हातिम (अ़.पु.)-

  न्यायाधीश, जज, क़ाज़ी; एक बड़ा कव्वा, दे.-'हातम', दोनों शुद्घ हैं।

हातिमताई (अ़.पु.)-

  दे.-'हातम'।

हातिमे वक़्त (अ़.पु.)-

  अपने समय का बहुत ही दानशील और अतिथि-पूजक व्यक्ति।

हातिल (अ़.वि.)-

  वह घटा जो बहुत ज़ोर से बरसे, घनघोर घटा।

हाथ (हिं.पु.)-

  कंधे से पंजे तक का वह अंग जिससे चीज़ें पकड़ते हैं और काम करते हैं।

हाथापाई (हिं.स्त्री.)-

  हाथ-पैर से परस्पर खींचने और धकेलने की लड़ाई। 

हाद [द्द] (अ़.पु.)-

  वह ज़ोरदार आवाज़, जो नदी या समुद्र से उठती है और तट या
  किनारे पर सुनाई देती है। इसका 'हा' उर्दू के 'दोचश्मी हे' से बना है।

हाद [द्द] (अ़.वि.)-

  तीव्र, प्रचण्ड, तेज़, सख़्त। इसका 'हा' उर्दू के 'बड़े हे' से बना है।

हादसा (अ़.पु.)-

  दे.-'हासिस:', वही उच्चारण शुद्ध है। 

हादिए मुत्लक़ (अ़.वि.)-

  सच्चा सन्मार्ग दर्शक अर्थात् ईश्वर।

हादिम (अ़.वि.)-

  नष्ट करनेवाला, ध्वंसकारी; इमारत ढहानेवाला।

हादिमुल्लज़ात (अ़.पु.)-

  यमराज, यमदूत, मौत का फ़रिश्ता, धर्मराज।

हादिर (अ़.पु.)-

  वह दूध, जो ऊपर से जमकर दही बन गया
  हो और नीचे पानी हो।

हादिस: (अ़.पु.)-

  बुरी घटना, दुर्घटना, सानिहा; नया वाक़िअ़ा,
  नई घटना; विपत्ति, मुसीबत।

हादिस (अ़.वि.)-

  नश्वर; नया; नई पैदा होनेवाली वस्तु; जो सदा
  से न हो, जो क़दीम न हो।

हादिसए फ़ाजिअ़: (अ़.पु.)-

  बहुत ही भयानक दुर्घटना, मृत्यु आदि की घटना।

हादी (अ़.पु.)-

  सारबान, ऊँटवाला, उष्ट्रपाल। इसका 'हा' उर्दू
  के 'बड़े हे' से बना है।

हादी (अ़.वि.)-

  हिदायत करनेवाला, आदेश करनेवाला; पथ-प्रदर्शक,
  रास्ता दिखलानेवाला; नेता, लीडर। इसका 'हा' उर्दू
  के 'दोचश्मी हे' से बना है।

हादी अ़शर (अ़.वि.)-

  ग्यारहवाँ।

हाद्द: (अ़.वि.)-

  सुकड़ा हुआ; छोटा कोण; तीव्र, तेज़,
   प्रचण्ड (स्त्रीलिंग शब्दों के साथ प्रयुक्त)।

हानम (तु.स्त्री.)-

  ख़ानम, ख़ातून, महोदया, श्रीमती।

हानिस (अ़.वि.)-

  शपथ-भंजक, क़सम तोड़नेवाला, प्रतिज्ञा भंग करनेवाला।

हानूत (अ़.स्त्री.)-

  दुकान, पण्यशाला; शराब की दुकान।

हाफ़िज़: (अ़.पु.)-

  स्मरण-शक्ति, याददाश्त की क़ुव्वत, याद
  रखने की ताक़त।

हाफ़िज़ (अ़.पु.)-

  जिसकी याददाश्त अच्छी हो; जिसे क़ुरान कंठस्थ हो; निगहबान,
  हिफ़ाज़त करनेवाला, संरक्षक, रक्षक, बचानेवाला।

हाफ़िज़े क़ुर्आन (अ़.पु.)-

  जिसे पूरा क़ुरान ज़बानी याद हो।

हाफ़िज़े हक़ीक़ी (अ़.पु.)-

  सच्ची रक्षा करनेवाला अर्थात् ईश्वर।

हाफ़िद: (अ़.स्त्री.)-

  पोती, लड़के की लड़की; नवासी, लड़की की लड़की।

हाफ़िद (अ़.स्त्री.)-

  मित्र, दोस्त; सेवक , ख़िदमत करनेवाला; पोता, लड़के
  का लड़का; नवासा, लड़की का लड़का।

हाफ़िर (अ़.वि.)-

  गड्ढ़ा खोदनेवाला; कुआँ खोदनेवाला; घोड़े की टाप।

हाफ़ी (अ़.वि.)-

  नंगे पाँव फिरनेवाला; न्यायकर्ता, क़ाज़ी।

हाबित (अ़.वि.)-

  नीचे उतरनेवाला, ऊपर से नीचे आनेवाला।

हाबिस: (अ़.स्त्री.)-

  रोकनेवाली, रोधिका; शरीर से निकलनेवाली
  धातु को रोकनेवाली दवा।

हाबिस (अ़.वि.)-

  रोकनेवाला, रोधक; शरीर से रक्त आदि को
  निकलने से रोकनेवाली दवा।

हाबिसात (अ़.स्त्री.)-

  'हाबिस:' का बहु., वह औषधियाँ जो शरीर से
  निकलनेवाली धातुओं को रोकें।

हाबिसे इस्हाल (अ़.वि.)-

  दस्तों को रोकनेवाली औषधि।

हाबिसे ख़ून (अ़.फ़ा.वि.)-

  रक्त-प्रवाह को रोकनेवाली दवा, रक्तावरोधक।

हाबिसे तम्स (अ़.वि.)-

  रज:स्राव को रोकनेवाली दवा।

हाबिसे दम (अ़.वि.)-

  रक्तावरोधक, ख़ून को निकलने से रोकनेवाली दवा।

हाबी (अ़.स्त्री.)-

  क़ब्र या समाधि की मिट्टी।

हाबील (अ़.पु.)-

  आदम का बेटा, जिसे क़ाबील ने मार डाला था।

हाम: (अ़.स्त्री.)-

  कपाल, खोपड़ी; ललाट, माथा; अपने गोत्र या
  जाति का नायक।

हाम (अ़.पु.)-

  हज़रत नूह का एक लड़का।

हामान (अ़.पु.)-

  फ़िरऔन का वज़ीर, जो बड़ा अत्याचारी था।

हामिज़ (अ़.वि.)-

  खट्टा, अम्ल, तुरुश। इसका 'हा' उर्दू के 'बड़े हे' से बना है।

हामिज़ (अ़.वि.)-

  निन्दा करनेवाला; आँख से संकेत करनेवाला।
  इसका 'हा' उर्दू के 'दोचश्मी हे' से बना है।

हामिद (अ़.पु.)-

  सूखी घास; पुराना वस्त्र। इसका 'हा' उर्दू
  के 'दोचश्मी हे' से बना है।

हामिद (अ़.वि.)-

  प्रशंसक, तारीफ़ करनेवाला। इसका 'हा' उर्दू के
  'बड़े हे' से बना है।

हामिल: (अ़.स्त्री.)-

  वह स्त्री जिसके पेट में बच्चा हो, गर्भिणी, गुर्विणी,
  सगर्भा, अंतर्वती, गर्भवती।

हामिल (अ़.पु.)-

  वह ऊँट, जिसे बिना रखवाली के चारागाह में छोड़ दिया गया
  हो। इसका 'हा' उर्दू के 'दोचश्मी हे' से बना है।

हामिल (अ़.वि.)-

  बोझ उठानेवाला, भार ढोनेवाला, कुली; धारण करनेवाला;
  रखनेवाला। इसका 'हा' उर्दू के 'बड़े हे' से बना है।

हामिला (अ़.स्त्री.)-

  दे.-'हामिल:', वही उच्चारण शुद्ध है। 

हामिले अ़रीज़: (अ़.पु.)-

  चिट्ठी अपने पास रखनेवाला, जो किसी के पास अपने काम
  के लिए या किसी अन्य के लिए चिट्ठी ले जाए।

हामिले मत्न (अ़.वि.)-

  वह पुस्तक, जिसमें टीका के साथ उसका मूल भी हो।

हामिले वही (अ़.पु.)-

  ईश्वरादेश ग्रहण करनेवाला, ईशदूत, पैग़म्बर, अवतार।

हामिश (अ़.पु.)-

  हाशिया, किनारा, तट।

हामी (अ़.वि.)-

  चकित, निस्तब्ध, हैरान; आतुर, व्याकुल, बेचैन,
  परेशान। इसका 'हा' उर्दू के 'दोचश्मी हे' से बना है।

हामी (अ़.वि.)-

  हिमायती, मददगार, मित्र, दोस्त; पक्षपाती, सहायक; पृष्ठ-पोषक,
  हिम्मत बढ़ानेवाला। इसका 'हा' उर्दू के 'बड़े हे' से बना है।

हामी (सं.स्त्री.)-

  स्वीकारोक्ति, 'हाँ' करना। 'हामी भरना'=मंज़ूर करना, राज़ी होना। 

हामुन (अ़.फ़ा.पु.)-

  'हामून' का लघु., दे.-'हामून'।

हामूँ (फ़ा.पु.)-

  'हामून' का लघु., दे.-'हामून'।

हामूँगर्द (फ़ा..वि.)-

  जंगलों में भटकनेवाला, मरुस्थल में मारा-मारा
  फिरनेवाला, वनभ्रमी।

हामूँनवर्द (फ़ा.वि.)-

  दे.-'हामूँगर्द'।

हामून (फ़ा.पु.)-

  बड़ा मैदान; वन, जंगल, बयाबान; मरुभूमि, रेगिस्तान।

हामूम (अ़.पु.)-

  पिघली हुई चर्बी; ऊँट का कोहान।

हाय (हिं.अव्य.)-

  शोक, दुःख, पीड़ा आदि का सूचक-शब्द। 

हायल (अ़.वि.)-

  दे.-'हाइल', वही उच्चारण शुद्ध है। 

हार: (फ़ा.पु.)-

  किसी नगर या क़स्बे का मुहल्ला, टोला।

हार [र्र] (अ़.वि.)-

  उष्ण, तप्त, गर्म; गर्म ख़ासियत रखनेवाला (स्वभाव या
  औषधि); उष्णवीर्य; गरमी करनेवाला। इसका
  'हा' उर्दू के 'बड़े हे' से बना है।

हार (फ़ा.पु.)-

  माला, फूलों या मोतियों आदि की माला। इसका 'हा'
  उर्दू के 'दोचश्मी हे' से बना है।

हार (अ़.वि.)-

  गिरा हुआ, नष्ट, ध्वस्त, पस्त। इसका 'हा' उर्दू के
  'दोचश्मी हे' से बना है।

हार (हिं.स्त्री.)-

  युद्ध, प्रतियोगिता अथवा खेल आदि में प्रतिद्वन्द्वी से न जीत
  सकने की दशा या भाव, पराजय; शिथिलता, थकावट; हानि।
  (सं.पु.)-राज्य द्वारा हरण; विरह, वियोग; गले में पहनने की
  चाँदी-सोने, मोतिओं या फूलों की माला; अंकगणित में
  भाजक। (वि.)-वहन करने या ले जानेवाला; हरण करनेवाला;
   नाशक। (देश.पु.)-वन, जंगल, कानन; नाव के बाहरी
   तख़्ते; चारागाह, गोचर-भूमि।

हारना (हिं.क्रि.अक.)-

  युद्ध, प्रतियोगिता अथवा खेल आदि में प्रतिद्वन्द्वी से
  पराजित होना; थक जाना; प्रयत्न में निष्फल होना।
   'हारकर'=असमर्थ या विवश होकर। 

हारिज (अ़.वि.)-

  उपद्रवकारी, गड़बड़ी फैलानेवाला। इसका 'हा' उर्दू के
   'दोचश्मी हे' से बना है।

हारिज (अ़.वि.)-

  हानिकर, नुक़सान करनेवाला। इसका 'हा' उर्दू
  के 'बड़े हे' से बना है।

हारिब (अ़.वि.)-

  भागनेवाला, पलायन करनेवाला,
  पलायक, भगोड़ा।

हारिश (फ़ा.स्त्री.)-

  अपने को बना-ठना दिखाने का शौक़।

हारिस (अ़.पु.)-

  व्याघ्र, शेर; कृषक, किसान। इसका 'स' उर्दू
  के 'से' अक्षर से बना है।

हारिस (अ़.वि.)-

  संरक्षक, देख-रेख करनेवाला, निगहबान।
  इसका 'स' उर्दू के 'सीन' अक्षर से बना है।

हारिस (अ़.वि.)-

  लोलुप, लोभी, लालची। इसका 'स' उर्दू के
   'सुअ़ाद' अक्षर से बना है।

हारूँ (अ़.पु.)-

  'हारून' का लघु., दे.-'हारून'।

हारूत (अ़.पु.)-

  ज़ोहरा के प्रेमी दो फ़रिश्तों में-से एक, जो ईश्वरीय कोप के
  कारण कुएँ में उलटे और अभी तक उसी दशा में हैं। कहा
  जाता है कि वह 'मारूत' के साथ बाबिल के कुएँ में बन्द
  है और लोगों को जादू सिखाता है।

हारूतफ़न (अ़.फ़ा.वि.)-

  जादूगर, इन्द्रजाली, मायावी, इन्द्रजालिक।

हारूती (अ़.वि.)-

  जादू का काम, मायाकर्म, इन्द्रजाल।

हारून (अ़.पु.)-

  बग़दाद के प्रसिद्ध ख़लीफ़ा जिनका 'हारूँ रशीद' नाम था; तक
  पैग़म्बर जो हज़रत मूसा के बड़े भाई थे; दूत, क़ासिद; राजदूत,
  सफ़ीर; देख-भाल करनेवाला, संरक्षक, पासबान।

हारूनी (अ़.वि.)-

  दूतकर्म, क़ासिदी; राजदूत का काम या पद; संरक्षण, निगहबानी,
  पासबानी, रक्षा, हिफ़ाज़त;शरीर. सरकश औ़रत।

हार्र: (अ़.वि.)-

  गर्म, तप्त (स्त्रीलिंग); कृषि-भूमि, खेती की
   ज़मीन; बोये हुए खेत।

हाल: (फ़ा.पु.)-

  चाँद या सूरज के चारों ओर पड़नेवाला घेरा,
  मण्डल, परिवेष।

हाल (अ़.पु.)-

  दशा, अवस्था, हालत, स्थिति; रंग-ढंग, हैसियत; वृत्तांत, कैफ़ियत,
  बयान; वर्तमान काल या समय, ज़मानए हाल; समाचार, ख़बर,
  वृतान्त;। इसका 'हा' उर्दू के 'बड़े हे' से बना है। 'काल का न क़ाल का,
  रोटी, चमचा, दाल का'=निकम्मा आदमी। 'हाल में क़ाल, दही में
  मूसल'=मौक़े-बेमौक़े दख़ल देनेवाली औ़रत।

हाल (फ़ा.पु.)-

  सफ़ेद इलायची; सुख, चैन; नृत्य, नाच; वज्द, झूमना; चौगान
   की गेंद। इसका 'हा' उर्दू के 'दोचश्मी हे' से बना है।

हालाँकि (अ़.क्रिा.वि.)-

  यद्यपि, अगरचे।

हाला (फ़ा.पु.)-

  दे.-'हाल:', वही उच्चारण शुद्ध है।

हाला (सं.स्त्री.)-

  मद्य, शराब। 

हालए माह (फ़ा.पु.)-

  चन्द्रमण्डल, चन्द्रबिम्ब, शशिमण्डल।

हालए मेह्र (अ़.पु.)-

  सूर्यमण्डल, रविमण्डल, रविबिम्ब।

हालए शम्स (अ़.फ़ा.पु.)-

  दे.-'हालए मेह्र'।

हाल-क़ाल (फ़ा.पु.)-

  हालत और बयान।

हालगाह (फ़ा.स्त्री.)-

  चौगान खेलने का मैदान।

हालत (अ़.स्त्री.)-

  दशा, अवस्था, कैफ़ियत, दर्जा; दम, शक्ति, जान,
  ताक़त; आर्थिक दशा; वृत्तांत, हाल, घटना, वाक़िअ़:;
  समाचार, ख़बर; परिस्थिति, संयोग।

हालते इन्तिज़ार (अ़.स्त्री.)-

  प्रतीक्षा की अवस्था, किसी के राह देखने की बेचैनी।

हालते नज़अ़ (अ़.स्त्री.)-

  जान निकलने का समय, मरणासन्न अवस्था,
  मरते समय की स्थिति, जांकनी, चंद्रा।

हालते मौजूद: (अ़.पु.)-

   आजकल के समाचार, ताज़ा ख़बरें; वर्तमान की राजनीतिक
   हलचलें; उपस्थित समय की उथल-पुथल।

हालात (अ़.पु.)-

  'हाल' का बहु., स्थिति, समाचार। 

हालिक (अ़.वि.)-

  बहुत अधिक काला।

हालिक (सं.वि.)-

  हल-सम्बन्धी। (पु.)-कृषक, किसान; एक
  छंद-विशेष; कसाई। 

हालिब (अ़.वि.)-

  दूध दूहनेवाला, दोहक; रान की एक रग।

हालिय: (अ़.वि.)-

  आधुनिक, उपस्थित समय का, वर्तमान का; ताज़ा, नया।

हाली (अ़.वि.)-

  मौजूदा, हाल का, आधुनिक; आभूषित, श्रृंगारित,
  आभूषण या ज़ेवर पहनकर बना-सँवरा; (पु.)-उर्दू
  का एक सुप्रसिद्ध शाइर 'अल्ताफ़ हुसैन हाली'।
  'हाली-मवाली'=संगी-साथी।

हाव (सं.पु.)-

  संयोग के समय में नायिका की स्वाभाविक चेष्टाएँ जो पुरुष को
  आकर्षित करती हैं; प्रेमी या नायक को रिझाने और पास बुलाने
  की क्रिया या भाव, पुकार, बुलाहट; साहित्य में ग्यारह प्रकार के
  भाव बताए गए हैं--लीला, विलास, विच्छिति, विभ्रम, किलकिंचित्,
  मोट्टायित, विव्वोक, विहृत, कुट्टमित, ललित और हेला।

हावन (फ़ा.पु.)-

  लकड़ी की ओखली, उलूखल; दवा आदि कूटने के लिए
  लोहे का बना ओखली-जैसा पात्र, इमामदस्ता, हमामदस्ता।

हावनदस्त: (फ़ा.पु.)-

  लोहे की ओखली और कूटने का मूसल।

हाव-भाव (सं.पु.)-

  पुरुषों को मोहित करने के लिए स्त्रिओं की मनोहर
  चेष्टाएँ; नाज़-नख़रे।

हाविय: (अ़.पु.)-

  नरक का सातवाँ तल; दोज़ख़ का सबसे नीचे का स्तर।

हावी (अ़.वि.)-

  छाया हुआ, आच्छादित, जिसने किसी चीज़ को ढाँप लिया हो;
  जो अपनी चतुराई, शक्ति या छल से किसी पर क़ाबू रखता हो,
  क़ाबू पानेवाला, वश में रखनेवाला।

हावून (अ़.पु.)-

  दे.-'हावन'।

हाश:लिल्लाह (अ़.वा.)-

  ख़ुदा करे न करे, ऐसा कभी न हो (इस शब्द को 'हाशाल्लिाह'
  पढऩा ग़लत है, जैसा अक्सर कमइल्म लोग बोलते और लिखते हैं)।

हाशा (अ़.वा.)-

  कदापि नहीं, हरगिज़ नहीं; त्राहि, पनाह; पवित्रता,
  पाकी (इस शब्द का प्रयोग ऐसे समय में किया जाता
  है जब किसी बात से अपनी बिलकुल ही अज्ञानता
  या निष्पक्षता प्रकट करनी होती है)।

हाशा व कल्ला (अ़.वा.)-

  कदापि नहीं, जऱा भी नहीं, जब किसी (विशेषत: बुरी) बात से अपनी
  निष्पक्षता और असम्बद्घता प्रकट करनी होती है, तब कहते हैं।

हाशा सुम्म: हाशा (अ़.वा.)-

  दे.-'हाशा व कल्ला'।

हाशिम (अ़.वि.)-

  हज़रत मुहम्मद साहब के वंश-प्रवर्तक, पैग़म्बर
  साहब के दादा; प्याले में रोटी मलनेवाला।

हाशिमी (अ़.वि.)-

  'हाशिम' के वंशज।

हाशिय: (अ़.पु.)-

  चादर या साड़ी आदि के किनारे की गोट या बेलबूटे;
   किनारा, कोर; किसी पुस्तक के नीचे दी हुई टीका-
  टिप्पणी। 'हाशिया चढ़ाना'=गोत लगाना; किसी
  पुस्तक पर टीका-टिप्पणी करना। 'हाशिए का
  गवाह'=वह गवाह जिसने असली दस्तावेज़ पर साक्षी की हो।

हाशिय:नशीं (अ़.फ़ा.वि.)-

  दे.-'हाशिय:नशीन'।

हाशिय:नशीन (अ़.फ़ा.वि.)-

  दरबार आदि में मण्डलाकार बैठनेवाले सभासद; किसी बड़े
  आदमी के पास उठने-बैठनेवाले पार्षद, मुसाहिब।

हाशिय:नशीनी (अ़.फ़ा.स्त्री.)-

  दरबारदारी, किसी बड़े आदमी की सेवा में प्राय: उपस्थिति।

हाशिया (अ़.पु.)-

  दे.-'हाशिय:', वही उच्चारण शुद्ध है। 

हाशिर (अ़.पु.)-

  हज़रत मुहम्मद साहब का एक नाम।

हासिद (अ़.वि.)-

  हसद या ईर्ष्या करनेवाला, किसी की उन्नति को
  देखकर जलनेवाला, डाही, ईर्ष्यालु, मत्सरी।

हासिदीन (अ़.पु.)-

  'हासिद' का बहु., डाह करनेवाले लोग, जलने और
  हसद करनेवाले लोग, ईर्ष्या करनेवाले लोग।

हासिब (अ़.पु.)-

  वह आँधी जिसमें कंकर-पत्थर हों; वह बादल
  जो ओले बरसाये।

हासिर (अ़.वि.)-

  गिनती करनेवाला, गिननेवाला, शुमार करनेवाला;
  निर्भर रहनेवाला। इसकी 'सि' उर्दू के 'सुअ़ाद' अक्षर से बनी है।

हासिर (अ़.वि.)-

  पश्चात्ताप करनेवाला, हस्रत करनेवाला, अफ़सोस करनेवाला,
  खेद करनेवाला। इसकी 'सि' उर्दू के 'सीन' अक्षर से बनी है।

हासिल (अ़.वि.)-

  किसी चीज़ का शेष; प्राप्त, वुसूल; उपलब्ध, दस्तयाब; आय,
  आमदनी; राजस्व, ज़मीन की आमदनी, उपज, पैदावार,
  मुनाफ़ा; निष्कर्ष, परिणाम, नतीजा।

हासिलख़ेज़ (अ़.फ़ा.वि.)-

   उर्वरा, उपजाऊ, ज़रख़ेज़।

हासिलवुसूल (अ़.पु.)-

  लाभ, नफ़ा; परिणाम, नतीजा।

हासिलात (अ़.स्त्री.)-

  'हासिल' का बहु., गाँव की आमदनी, ज़मीनों
  और खेतों का लगान।

हासिले कलाम (अ़.पु.)-

  बात का निचोड़, गुफ़्तगू का सार या निष्कर्ष,
  बात का नतीजा, खुलासा।

हासिले क़िस्मत (अ़.पु.)-

  भाग्य से प्राप्त; जो वस्तु बिना किसी मेहनत और
  प्रयास के स्वयं उपलब्ध हो गई हो।

हासिले जम्अ़ (अ़.पु.)-

  जोड़, योगफल, मीज़ान।

हासिले ज़र्ब (अ़.पु.)-

  दो संख्याओं को परस्पर गुणा करने से
  प्राप्त संख्या, घात, गुननफल।

हासिले तक़्सीम (अ़.पु.)-

  किसी बड़ी संख्या को छोटी संख्या से भाग देने पर
  प्राप्त संख्या, लब्धांक, भजनफल, भागफल, लब्धि।

हासिले तफ़रीक़ (अ़.पु.)-

  किसी बड़ी संख्या में से छोटी संख्या
  घटाने से प्राप्त संख्या, शेष।

हासिले बाज़ार (अ़.फ़ा.पु.)-

  बाज़ार की आमदनी।

हासिले मत्लब (अ़.पु.)-

  सारांश, ख़ुलासा; निष्कर्ष, नतीजा।

हाहा (सं.पु.)- 

  हँसने का शब्द; गिड़गिड़ाने का शब्द। 'हाहा-हीही
   करना'=हँसना; हँसी-ठट्टा करना।

हाहाकार (सं.पु.)-

  घबराहट के समय अनेक आदमिओं के मुँह से निकलनेवाली
   'हाय-हाय' की पुकार या चिल्लाहट; कोहराम।
_________________________________________



1 comment:

  1. भाई कमाल किया है आपने। वाह वाह।

    ReplyDelete