Thursday, October 15, 2015

शै

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शै ($फा.स्त्री.)-पदार्थ, वस्तु, द्रव्य, चीज़।
शैए मक्$फूल: (अ़.$फा.स्त्री.)-वह वस्तु, जो रेह्न या गिरवी हो, बंधक; वह जायदाद जो रुपयों के बदले रेह्नदार के $कब्ज़े में हो।
शैए मत्लूब: (अ़.$फा.स्त्री.)-ज़रूरी चीज़, वह वस्तु, जिसकी आवश्यकता हो।
शैए मर्हून: (अ़.$फा.स्त्री.)-वह वस्तु, जो रेह्न अर्थात् बंधक हो।
शैए लती$फ (अ़.$फा.स्त्री.)-प्रतिभा, ज़हानत।
शैख़्ा (अ़.पु.)-कुल का नायक; बुज़ुर्ग, बूढ़ा, वृद्घ; अध्यक्ष, सरदार; श्रेष्ठ, प्रतिष्ठित, सम्मानित।
शैख़्ाुत्तरी$कत (अ़.पु.)-धर्मगुरु, पीर, मुर्शिद।
शैख़्ाुत्ताइफ़: (अ़.पु.)-अपने गोत्र, वंश अथवा $कबीले का अध्यक्ष, अपनी पार्टी का मुखिया, दलपति।
शैख़्ाुर्रईस (अ़.पु.)-अध्यक्षों का अध्यक्ष, सरदारों का सरदार, रईसों का सरदार; अू अ़ली सीना की एक उपाधि।
शैख़्ाुल इस्लाम (अ़.पु.)-इस्लामी धर्मशास्त्र का सबसे बड़ा विद्वान्।
शैख़्ाुल जामिअ़: (अ़.पु.)-विश्विद्यालय का कुलपति, चांसलर।
शैख़्ाुश्शुयूख़्ा (अ़.पु.)-समस्त धर्मगुरुओं का गुरु, सबसे बड़ा धर्मगुरु, प्रमुख धर्माचार्य।
शैख़्ाूख़्ात (अ़.स्त्री.)-बुढ़ापा, वृद्घावस्था, पीरी।
शैख़्ो कामिल (अ़.पु.)-ब्रह्मïलीन धर्मगुरु, पहुँचा हुआ पीर, पूर्ण धर्माचार्य।
शैख़्ो वक़्त (अ़.पु.)-अपने समय का सबसे बड़ा धर्मगुरु।
शैख़्ाोशाब (अ़.पु.)-बूढ़े और जवान अर्थात् सब लोग।
शैतनत (अ़.स्त्री.)-शैतानपन, शरारत, उपद्रव; चपलता, शोख़्ाी; दुष्टता, कमीनगी।
शैतनतपसंद (अ़.$फा.वि.)-जो बड़ा शरारती या उपद्रवी हो; जो बड़ा दुष्ट हो।
शैतान (अ़.पु.)-एक $फरिश्ता, जिसने ईश्वर की आज्ञा का उल्लंघन किया और बहिष्कृत हुआ तथा तभी से वह मनुष्यों को पाप की ओर प्रवृत्त करता है; इसी प्रकार की प्रवृति का मनुष्य जो दूसरों का अनिष्ट चाहे; उपद्रवी, शरारती।
शैतानसीरत (अ़.वि.)-जिसका स्वभाव शैतान-जैसा हो, महादुष्ट।
शैतानसूरत (अ़.वि.)-जिसकी आकृति शैतान-जैसी हो।
शैतानी (अ़.वि.)-शैतान का; शैतान-सम्बन्धी; निकृष्ट, बुरा; पापमय, गुनाह का।
शैताने मुजस्सम (अ़.पु.)-जो सिर से पाँव तलक शैतान हो अर्थात् जिसकी नस-नस में शैतानियत हो, जिसके आचरण पैशाचिक हों।
शैताने लईं (अ़.पु.)-धिक्कृत और बहिष्कृत शैतान।
शैद (अ़.पु.)-छल, प्रपंच, धोखा, $फरेब।
शैदा ($फा.वि.)-मुग्ध, मोहित, $िफरेफ़्त:; आसक्त, अ़ाशि$क; उन्मत्त, पागल; उद्विग्न, अधीर, आतुर,व्याकुल, परेशान; किसी चीज़ का बहुत अधिक इच्छुक, अभिलाषी, उत्कंठित।
शैदाई ($फा.वि.)-दे.-'शैदाÓ, प्रेमी। 'एक यह दिल है कि सौ जान से शैदाई है, एक तुम हो कि न मिलने की $कसम खाई हैÓ।
शैदाए इल्म (अ़.$फा.वि.)-कोई कला सीखने अथवा विद्या प्राप्त करने का अत्यधिक अभिलाषी, हुनर या ज्ञान सीखने को उत्कंठित।
शैदाए वतन (अ़.$फा.वि.)-देश-प्रेम में अनुरक्त, देशभक्त।
शैदाए हुस्न (अ़.$फा.वि.)-सुन्दरता पर मर-मिटनेवाला, सुन्दरता को हर चीज़ से अधिक पसन्द करनेवाला।
शैदी (अ़.वि.)-धूर्त, छली, वंचक, प्रपंची।
शैन ($फा.पु.)-विलाप, रोना-धोना, रुदन; दोष, ऐब।
शैपूर ($फा.पु.)-बिगुल, न$फीरी।
शैब: (अ़.पु.)-दे.-'शैबतÓ।
शैब (अ़.पु.)-बुढ़ापा, वृद्घावस्था, जरावस्था, पीरी।
शैबत (अ़.स्त्री.)-बुढ़ापा, वृद्घावस्था, जरावस्था, पीरी।

 

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