Thursday, October 15, 2015

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हंगाम: (फ़ा.पु.)-कोलाहल, उत्क्रोश, शोरो$गुल; उपद्रव, $फसाद; दंगा, मारपीट; भीड़, संदोह; युद्घ, समर, जंग; विप्लव, क्रान्ति, उथल-पुथल; विद्रोह, ब$गावत।
हंगाम:आरा (फ़ा.वि.)-कोलाहल या शोरो$गुल करनेवाला; उपद्रव करनेवाला, $फसाद मचानेवाला; लडऩेवाला, युद्घ करनेवाला; विद्रोह या ब$गावत करनेवाला।
हंगाम:आराई (फ़ा.स्त्री.)-कोलाहल या शोरो$गुल करना; उपद्रव करना, $फसाद मचाना; युद्घ करना, लडऩा; ब$गावत करना, विद्रोह करना; क्रान्ति लाना।
हंगाम:ख़्ोज़ (फ़ा.वि.)-कोलाहल या शोरो$गुल उत्पन्न करनेवाली बात; क्रान्ति-उत्पादक, उपद्रव या क्रान्ति उत्पन्न करनेवाला, उत्पादक, उपद्रव या क्रान्ति उत्पन्न करनेवाली बात।
हंगाम:ख़्ोज़ी (फ़ा.स्त्री.)-कोलाहल या शोरो$गुल; उपद्रव और क्रान्ति।
हंगाम:गर्मकुन (फ़ा.वि.)-कोलाहल या शोरो$गुल करनेवाला; $फसाद या उपद्रव करनेवाला; विद्रोह या ब$गावत करनेवाला।
हंगाम:गीर (फ़ा.वि.)-भीड़ इकट्ठी करनेवाला, मज्माÓ लगानेवाला।
हंगाम:गीरी (फ़ा.स्त्री.)-भीड़ इकट्ठी करना, मज्माÓ लगाा या इकट्ठा करना।
हंगाम:पर्दाज़ (फ़ा.वि.)-$फसाद पैदा करनेवाला, उपद्रव खड़ा करनेवाला।
हंगाम:पर्दाज़ी (फ़ा.स्त्री.)-उपद्रव खड़ा करना, $फसाद पैदा करना।
हंगाम:पर्वर (फ़ा.वि.)-दे.-'हंगाम:पर्दाज़Ó।
हंगाम:पर्वरी (फ़ा.स्त्री.)-दे.-'हंगाम.पर्दाज़ी'।
हंगाम:पसंद (फ़ा.वि.)-शोरो$गुल व कोलाहल का शौ$कीन; जो हंगामे चाहता हो, झगड़े-बखेड़ों का शौ$कीन।
हंगाम:पसंदी (फ़ा.स्त्री.)-कोलाहल और शोरो$गुल पसन्द करना; हंगामा और उपद्रव पसन्द करना; झगड़े और बखेड़े पसन्द करना।
हंगाम:बन्दी (फ़ा.स्त्री.)-तड़क-भड़क, दिखावा।
हंगाम (फ़ा.पु.)-समय, काल, वक़्त; ऋतु, मौसम।
हंगामए कारज़ार (फ़ा.पु.)-लड़ाई का कोलाहल, युद्घ, लड़ाई, समर।
हंगामए $िकयामत (अ़.फ़ा.पु.)-महाप्रलय का कोलाहल, प्रलय की भीड़भाड़।
हंगामए ब$गावत (अ़.फ़ा.पु.)-विद्रोह का कोलाहल, राजद्रोह का हंगामा या उपद्रव, क्रान्ति का शोरो$गुल।
हंगामए मर्ग (फ़ा.पु.)-मृत्यु का कोलाहल, मौत का शोरो$गुल।
हंगामए हश्र (अ़.फ़ा.पु.)-महाप्रलय का कोलाहल। दे.-'हंगामए $िकयामत'।
हंगामी (फ़ा.वि.)-सामयिक, वक़्ती; अस्थायी, अ़ारिज़ी, क्षणिक, थोड़ी देर का; आवश्यक, ज़रूरी, जैसे-'हंगामी इज्लास'-आवश्यक बैठक।
हंगामे नज़्अ़ (अ़.फ़ा.पु.)-प्राण निकलने का समय, चंद्रा, जाँकनी।
हंगुफ़्त (फ़ा.वि.)-मोटा, स्थूल; ग$फ, दबीज़, दलदार।
हंजर: (अ़.पु.)-कंठ, गला, जहाँ से आवाज़ निकलती है।
हंजर (अ़.पु.)-दे.-'हंजर:'।
हंज़ल (अ़.पु.)-एक कड़वा फल, इद्रायन।
हंजार (फ़ा.पु.)-शैली, पद्घति, ढंग, तर्ज़; पथ, मार्ग, रास्ता; नियम, $काइदा, विधान।
हंदस: (अ़.पु.)-दे.-'हिंदस:', दोनों शुद्घ हैं मगर उर्दू में वही प्रचलित है।
ह$क [क़्$क] (अ़.पु.)-सच, सत्य; यथार्थ, वा$कई; यथोचित, मुनासिब; स्वत्व, इस्तेहक़ाक़; अधिकार, प्रभुत्व, इख़्ितयार; पारिश्रमिक, मेहनताना; रिश्वत, उत्कोच; ईश्वर, परमात्मा।
हक [क्क] (अ़.पु.)-खुरचना, छीलना; काटना, $कलमज़द करना।
ह$कअंदेश (अ़.फ़ा.वि.)-सच्ची बात सोचनेवाला, सत्य-मार्ग पर चलनेवाला; भलाई चाहनेवाला।
हक़अ़: (अ़.पु.)-पाँचवाँ नक्षत्र, मृगशिरा।
ह$कआगाह (अ़.फ़ा.वि.)-धर्मनिष्ठ, सत्यनष्ठ, बाईमान, जिसकी धर्म में पूर्ण आस्था हो; महात्मा, सू$फी-सन्त, वलीअल्लाह।
ह$कगो (अ़.फ़ा.वि.)-सत्यभाषी, सच्ची बात कहनेवाला।
ह$कगोई (अ़.फ़ा.स्त्री.)-सत्यवादिता, सच्ची बात कहना।
ह$क तअ़ाला (अ़.पु.)-ईश्वर, परमात्मा, ख़्ाुदा।
ह$कतल$फी (अ़.स्त्री.)-किसी का ह$क या अधिकार मारा जाना, स्वत्व-हानि।
ह$कदार (अ़.फ़ा.वि.)-अधिकारी, मुख़्तार; पात्र, मुस्तह$क, दायाधिकारी, तरिक: पाने का ह$कदार या मुस्तह$क।
ह$कनाशनास (अ़.फ़ा.वि.)-जो ईश्वर को न पहचाने; जो सत्य को न पहचाने; कृतघ्न, एहसान-$फरामोश, नमकहराम।
ह$कनाशनासी (अ़.फ़ा.स्त्री.)-ईश्वर को न पहचानना; सत्य को न पहचानना; कृतघ्नता, एहसान-$फरामोशी, नमकहरामी।
ह$कनियोश (अ़.फ़ा.वि.)-सच्ची बातें सुननेवाला।
ह$कनियोशी (अ़.फ़ा.स्त्री.)-सच्ची बातें सुनना।
ह$कपरस्त (अ़.फ़ा.वि.)-धर्मनिष्ठ, सत्यनिष्ठ, सत्य का पुजारी; ईश्वर का पुजारी, धर्मात्मा।
ह$कपरस्ती (अ़.फ़ा.स्त्री.)-धर्मनिष्ठता, सत्यनिष्ठता, सत्य की पूजा; ईश्वर की आराधना, धर्मपरायणता।
ह$कपसंद (अ़.फ़ा.वि.)-जिसे सत्य पसन्द हो, सत्यनिष्ठ, ईश्वरनिष्ठ।
ह$कपसंदी (अ़.फ़ा.स्त्री.)-सत्य को पसन्द करना, सत्यप्रियता।
ह$क$फरामोश (अ़.फ़ा.वि.)-एहसान न माननेवाला, कृतघ्न, एहसान और उपकार भूल जानेवाला, नमकहराम।
ह$क$फरामोशी (अ़.फ़ा.स्त्री.)-किसी का एहसान भूल जाना, कृतघ्नता, नमकहरामी।
ह$क बजानिब (अ़.फ़ा.वि.)-जिसकी ओर सच्चाई हो, जो सत्य के पक्ष में हो, जो अपनी बात में सच्चा हो।
ह$कबीं (अ़.फ़ा.वि.)-सत्यनिष्ठ, सत्यपरायण, केवल सत्य को देखनेवाला।
हकम (अ़.फ़ा.वि.)-वह व्यक्ति जो दो आदमियों के बीच में पड़कर उनका झगड़ा ख़्ात्म करा दे, पंच, सरपंच, मध्यस्थ।
ह$कम$काल (अ़.फ़ा.वि.)-दे.-'ह$कगो'।
ह$कम$काली (अ़.स्त्री.)-दे.-'ह$कगोई'।
ह$करसानी (अ़.फ़ा.स्त्री.)-किसी का ह$क उसको पहुँचाना, किसी का ह$क दिलाना।
ह$करसी (अ़.फ़ा.स्त्री.)-किसी का ह$क पहुँचना, किसी का ह$कदार होना।
ह$कशनास (अ़.फ़ा.वि.)-सत्यनिष्ठ, सत्य को पहचाननेवाला; धर्मनिष्ठ, ईश्वरीय शक्ति को पहचाननेवाला।
ह$कशनासी (अ़.फ़ा.स्त्री.)-सत्य को पहचानना; ईश्वर को पहचानना।
ह$कशिअ़ार (अ़.वि.)-दे.-'ह$कपसंदÓ।
ह$कशिअ़ारी (अ़.स्त्री.)-दे.-'ह$कपसंदीÓ।
ह$काइ$क (अ़.पु.)-'ह$की$कतÓ का बहु., ह$की$कतें, सत्यताएँ।
ह$काइ$कपसंद (अ़.फ़ा.वि.)-ह$की$कत अर्थात् यथार्थता को पसंद करनेवाला।
ह$काइ$कबीं (अ़.फ़ा.वि.)-ह$की$कत अर्थात् यथार्थता देखनेवाला।
ह$काइ$कशनास (अ़.फ़ा.वि.)-ह$की$कत या यथार्थता को पहचाननेवाला।
ह$कारत (अ़.स्त्री.)-अपमान, तिरस्कार, बेइज़्ज़ती।
ह$कारतआमेज़ (अ़.फ़ा.वि.)-अपमानजनक, तिरस्कारपूर्ण, जि़ल्लतआमेज़।
ह$की$कत (अ़.स्त्री.)-वास्तविकता, सच्चाई, यथार्थता, सत्यता; मर्यादा, हैसियत।
ह$की$कतआगाह (अ़.फ़ा.वि.)-इस बात से परिचित कि वास्तविकता, यथार्थता या सच्चाई क्या है; ह$की$कत से वा$िक$फ।
ह$की$कतआश्ना (अ़.फ़ा.वि.)-दे.-'ह$की$कतआगाहÓ।
ह$की$कतन (अ़.फ़ा.वि.)-वास्तव में, यथार्थत:, वा$कई, सचमुच।
ह$की$कतपसंद (अ़.फ़ा.वि.)-वास्तविकता को पसन्द करनेवाला, यथार्थता और सत्यता को पसन्द करनेवाला।
ह$की$कतबयानी (अ़.स्त्री.)-सच्ची बात कहना, ह$की$कत बयान करना, वास्तविकता बताना।
ह$की$कतबीं (अ़.फ़ा.वि.)-प्रत्येक बात में यथार्थता और सच्चाई को देखनेवाला।
ह$की$कतशनास (अ़.फ़ा.वि.)-सत्य और यथार्थ को जाननेवाला।
ह$की$कते नफ़्सुलअम्र (अ़.स्त्री.)-किसी घटना की सत्यता या यथार्थता।
ह$की$कते हाल (अ़.स्त्री.)-वास्तविक स्थिति, सच्चा हाल, अस्लियत, यथार्थता, वास्तविकता।
ह$की$की (अ़.$वि.)-वास्तविक, सच्चा, अस्ली, यथार्थ।
हकीम (अ़.फ़ा.वि.)-वैद्य, तबीब; चिकित्सक, उपचारक, इलाज करनेवाला, मुअ़ालिज; वैज्ञानिक, साइंसदाँ; मीमांसक, दार्शनिक, फ़्लॉस$फर।
हकीमान: (अ़.फ़ा.वि.)-विज्ञानपूर्ण, फ्लॉस$फरों-जैसा; विद्वज्जनों-जैसा, अ़क़्लमंदान:।
ह$कीर (अ़.फ़ा.वि.)-नीच, कमीना, क्षुद्र, तुच्छ; अत्यल्प, बहुत छोटा; अति न्यून, बहुत थोड़ा।
ह$कीरतरीन (अ़.फ़ा.वि.)-अत्यन्त नीच, बहुत ही कमीना, बहुत ही तुच्छ; अत्यल्प, बहुत ही छोटा; बहुत ही थोड़ा।
हक़्$का (अ़.फ़ा.वि.)-भगवान् की सौगन्ध, ईश्वर की शपथ, ख़्ाुदा की $कसम।
हक्काक (अ़.पु.)-छीलनेवाला, खुरचनेवाला; नगीना आदि तराशनेवाला।
हक़्$कानी (अ़.वि.)-ईश्वरीय, ख़्ाुदाई; कोई ऐसा गाना जिसमें ईश्वर या रसूल (पै$गम्बर अथवा देवदूत) का जि़क्र हो।
हक़्$कानीयत (अ़.स्त्री.)-सत्यता, सच्चार्ई; यथार्थता, वा$कईयत, वास्तविकता।
हक़्$कुज़्ज़हमत (अ़.पु.)-किसी काम में तकली$फ और परिश्रम करने का ह$क या मज़दूरी, कमीशन, पारिश्रमिक।
हक़्$कुलइबाद (अ़.पु.)-अ़ाम लोगों का ह$क, सर्वसाधारण का अधिकार, जनता का ह$क (जिसका छीन लेना $कानून में भी और ईश्वर के यहाँ भी पाप है)।
हक़्$कुलमेहनत (अ़.पु.)-मेहनत अथवा श्रम का ह$क, पारिश्रमिक, कमीशन।
हक़्$कुलय$कीन (अ़.पु.)-अटल विश्वास, पूरा य$कीन, कामिल य$कीन, अडिग भरोसा।
हक़्$कुल्लाह (अ़.पु.)-ईश्वर का ह$क या अधिकार जो जनता पर है, जैसे-पूजा, व्रत तथा अन्य धार्मिक कर्म।
हक़्$के आसाइश (अ़.फ़ा.पु.)-वह अधिकार या ह$क जो एक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति को देने के लिए बाध्य है, सुखाधिकार।
हक़्क़े ज़ौजीयत (अ़.पु.)-वह ह$क या अधिकार जो एक पत्नी को अपने पति पर प्राप्त हैं; सहवास, मैथुन, स्त्री-प्रसंग।
हक़्क़े नमक (अ़.फ़ा.पु.)-किसी के नमक खाने का ह$क, नमक हलाल करना, उपकार काएहसान मानना, कृतज्ञता।
हक़्क़े मुरूर (अ़.पु.)-निकलने-पैठने और आने-जाने का ह$क जो प्रत्येक व्यक्ति को प्राप्त है।
हक़्क़े शु$फैअ़: (अ़.पु.)-पड़ोस की ज़मीन या मकान पर वह ह$क जो उसके बिकते समय पड़ोसी को प्राप्त रहता है कि उक्त ज़मीन अथवा मकान सबसे पहले उसे मिले।
हक़्क़ोइस्लाह (अ़.स्त्री.)-किसी लेख में काट-छाँट और संशोधन।
हक़्क़ो सदा$कत (अ़.स्त्री.)-वास्तविकता और सच्चाई, सत्यता और यथार्थता।
हज [ज्ज] (अ़.पु.)-मुसलमानों का एक धार्मिक कृत्य जो मक्के (अऱब) में जाकर अदा करना पड़ता है और धनाढ्य लोगों को उम्र में एक बार उसके करने का हुक्म है।
हज़ [ज्ज़़] (अ़.पु.)-सुख, राहत; आनन्द, मज़ा; हर्ष, ख़्ाुशी, प्रसन्नता; हिस्सा, भाग।
हजज़ (अ़.पु.)-मधुर वाणी, सुरीली आवाज़, दे.-'बह्रïे हजज़Ó।
हज़द (फ़ा.पु.)-एक जलचर अथवा पानी में रहनेवाला एक जन्तु, ऊद।
हजऩ (अ़.पु.)-शोक, खेद, $गम; दु:ख, क्लेश, कष्ट, मुसीबत।
हजय़ान (अ़.पु.)-वह प्रलाप या बकवास जो रोगी बेहोशी की अवस्था में करता है; बड़बड़ाहट, बकवास, ख़्ाुरा$फात। दे.-'हज़्यान', दोनों शुद्घ हैं।
हजऱ (अ़.पु.)-बचाव, उपेक्षा, परहेज़; भय, त्रास, डर। इसका 'ज़Ó उर्दू के 'ज़ेÓ अक्षर से बना है।
हजऱ (अ़.पु.)-घर में रहना, उपस्थिति, मौजूदगी, 'स$फरÓ का उलटा या विपरीत। इसका 'ज़Ó उर्दू के 'ज़्वादÓ अक्षर से बना है।
हजर (अ़.पु.)-पत्थर, प्रस्तर, पाषाण। इसका 'जÓ उर्दू के 'जीमÓ अक्षर से बना है।
हजरी (अ़.वि.)-पत्थर का, पत्थर का बना हुआ; पाषाणकाल का।
हजरीयत (अ़.स्त्री.)-पाषाणता, पत्थरपन, पथरीलापन।
हजरुलबकऱ (अ़.पु.)-गोरोचन, एक पत्थर जो गाय या बैल के मूत्राशय में पड़ जाता है।
हजरुलयहूद (अ़.पु.)-एक पत्थर जो दवा में काम आता है।
हजरे अस्वद (अ़.पु.)-वह काला पत्थर जो मक्के (अऱब) में हैं और हजयात्री जिसकी परिक्रमा करते हैं।
हजल: (अ़.पु.)-दुल्हन का सजा हुआ कमरा, दुल्हन्न के लिए सजाया हुआ कोठा या छपरखट। दे.-'हज्ल:Ó, दोनों शुद्घ हैं।
हज़ाइर (अ़.पु.)-'हज़ीर' का बहु., बाड़े।
हज़ाक़त (अ़.स्त्री.)-महारत, कुशलता, दक्षता, प्रवीणता; चातुर्य, चतुरता, दानाई, विद्वता, निपुणता।
हज़ाक़तमअ़ाब (अ़.पु.)-अत्यन्त विद्वान, निपुण और चतुर; बहुत ही प्रवीण, दक्ष और कुशल।
हज़ाज़ (अ़.स्त्री.)-बफा, सिर की भूसी।
हज़ाजिर (अ़.पु.)-बिज्जू, हन्ुंडार, मृतशायी अर्थात् शवों को खानेवाला एक जन्तु, जो विशेषत: $कब्रिस्तान में मुर्दे खाता है।
हजामत (अ़.स्त्री.)-बाल बनाना; बाल बनवाना। दे.-'हिजामतÓ।
हज़ामत (अ़.स्त्री.)-कुशलता, दक्षता, प्रवीणता, होशियारी।
हज़ार: (फ़ा.पु.)-एक फूल; पौधों को पानी देने का एक पात्र, जिसकी टोंटी में '$फव्वार:Ó होता है।
हज़ार (फ़ा.वि.)-दस सौ की संख्या, सहस्र; दस सौ का अंक। (पु.)-बुलबुल, गोवत्सक।
हज़ारआवाज़ (फ़ा.वि.)-बहुत से स्वर निकालनेवाला, (पु.)-बुलबुल, गोवत्सक।
हज़ारख़्ाान: (फ़ा.पु.)-बकरी या भेड़ की ओझड़ी, पेट की थैली, पक्वाशय।
हज़ारगाईद: (फ़ा.स्त्री.)-अति कुलटा, बहुत ही व्यभिचारिणी।
हज़ारचंद (फ़ा.वि.)-हज़ारनुमा; बहुत अधिक।
हज़ाचश्म: (फ़ा.पु.)-केकड़ा, कर्कट; कैंसर का रोग, अदीठ, सर्तान।
हज़ारचश्म (फ़ा.वि.)-सहस्रनेत्र, हज़ार आँखोंवाला।
हज़ारदान: (फ़ा.पु.)-हज़ार मनकों की माला; एक पौधा।
हज़ारदास्ताँ (फ़ा.पु.)-एक प्रसिद्घ गानेवाली चिडिय़ा, बुलबुल, गोवत्सक।
हज़ारपा (फ़ा.पु.)-शतपाद, कनखजूरा, चित्रंगी, (वि.)-सहस्रपद, हज़ार पाँवों वाला।
हज़ारपाय: (फ़ा.पु.)-दे.-'हज़ारपाÓ।
हज़ारमेख (फ़ा.पु.)-गुदड़ी, कंथा।
हज़ारसुतून (फ़ा.पु.)-वह विशाल भवन या इमारत जिसमें हज़ार स्तम्भ या खम्भे हों।
हज़ारहा (फ़ा.वि.)-सहस्रों, हज़ारों।
हज़ारहै$फ (अ़.फ़ा.वि.)-अत्यधिक खेद, बहुत-बहुत पश्चात्ताप।
हज़ाराँ (फ़ा.वि.)-सहस्रों, हज़ारों।
हज़ाराँ हज़ार (फ़ा.वि.)-सहस्रों, हज़ारों।
हज़ारी (फ़ा.वि.)-एक हज़ारवाला; एक हज़ार से सम्बन्धित।
हजि़$क (अ़.वि.)-अ़क़्लमंद, बुद्घिमान्; मेधावी, प्रतिभाशाली, ज़हीन; दक्ष, कुशल, होशियार।
हजिऩ (अ़.वि.)-दु:खित, शोकान्वित, रंजीद:।
हजिऱ (अ़.वि.)-भयभीत, ख़्ाौफज़दा, डरनेवाला; चौकनना, सतर्क।
हज़ीं (अ़.वि.)-'हज़ीन' का लघु., दे.-'हज़ीन'।
हज़ीज़ (अ़.स्त्री.)-गड्ढ़ा, निचाई, पस्ती; अवनति, ज़वाल।
हज़ीज़ (अ़.वि.)-विच्छिन्न, भग्न, टूटा हुआ, खण्डित।
हज़ीन: (अ़.वि.)-पीडि़ता, दु:खी स्त्री, क्लेशिता। इसका 'ह' उर्दू के 'हे' अक्षर से बना है।
हज़ीन: (अ़.पु.)-घर-ख़्ार्च, बीवी-बच्चों का ख़्ार्च-व्यय, ख़्ार्च, कोष, ख़्ाज़ाना, (वि.)-सदा, नित्य, हमेशा। इसका 'ह' उर्दू के 'हाम्जा' अक्षर से बना है।
हज़ीन (अ़.वि.)-पीडि़त, रंजीदा, दु:खित, क्लेशित।
हजीन (अ़.वि.)-वर्णसंकर, दोगला; अधम, नीच, कमीना।
हज़ीम: (अ़.पु.)-मौत का खाना, मृत्यु-भोज।
हज़ीमत (अ़.स्त्री.)-हार, पराजय, शिकस्त; हारकर सेना का भागना अथवा तितर-बितर हो जाना, पराजय के बाद $फौज की भगदड़। इसकी 'ज़ीÓ उर्दू के 'ज़ेÓ अक्षर से बनी है।
हज़ीमत (अ़.स्त्री.)-ज़ुल्म, अनीति, अत्याचार; कोप, क्रोध, $गुस्सा। इसकी 'ज़ीÓ उर्दू के 'ज़्वादÓ अक्षर से बनी है।
हज़ीमतख़्ाुर्द: (अ़.फ़ा.वि.)-हारा हुआ, पराजित, परास्त।
हज़ीर: (अ़.पु.)-बाड़ा, चौपायों के रहने का स्थान, पशुओं को रखने का घेर।
हजीर (अ़.स्त्री.)-दोपहर की कड़ी धूप; दोपहर की गर्मी; (वि.)-बड़ा हौज़।
हज़ीर (अ़.वि.)-भरु, डरपोक; त्रस्त, भयभीत, ख़्ााइ$फ। इसका 'हÓ उर्दू के 'हेÓ अक्षर से बना है।
हज़ीर (अ़.वि.)-समझदार, अ़क़्लमंद, मेघावी, बुद्घिमान्। इसका 'हÓ उर्दू के 'हाम्जाÓ अक्षर से बना है।
हजून (अ़.वि.)-सुस्त, आलसी, काहिल।
हज़ूर (अ़.वि.)-डरनेवाला, भय खानेवाला; भीरु, डरपोक, त्रस्त, डरा हुआ।
हजूल (अ़.वि.)-दुष्चरित्रा, व्यभिचारिणी, कुलटा, $फाहिश:।
हज़्ज़त (अ़.स्त्री.)-ऐश, आनन्द, भोग-विलास।
हज्जाज (अ़.वि.)-अत्यधिक वाक्कलह करनेवाला, हुज्जती।
हज्जाम (अ़.पु.)-बाल काटने या बनानेवाला, नाई, नापित, क्षौरिक; सिंघी लगानेवाला, पछने लगानेवाला।
हज़्ज़ाल (अ़.वि.)-अत्यधिक अपमानजनक बातें करनेवाला, बहुत अधिक निन्दाजनक बातें करनेवाला।
हज्जे अक्बर (अ़.पु.)-वह हज, जिसमें हज के दिन शुक्रवार पड़े।
हज़्ज़े नफ़्सानी (अ़.पु.)-भोग-विलास आदि का आनन्द, इन्द्रियों का सुख, जीवन-सुख।
हज़्ज़े रूहानी (अ़.पु.)-आत्मिक-सुख, जप-तप, आरााना आदि का आनन्द।
हज़्द: (फ़ा.वि.)-अट्ठारह, अष्टादश।
हज़्द:हज़ार (फ़ा.वि.)-अट्ठारह हज़ार।
हज़्दहुम (फ़ा.वि.)-अट्ठारहवाँ।
हज़्न (अ़.पु.)-बच्चों का पालन-पोषण; चिडिय़ों का अण्ड़े सेना।
हज़्$फ (अ़.पु.)-विच्छेद, अलग कर देना; किसी शब्द से एक अक्षर कम कर देना।
हज्म: (अ़.पु.)-चालीस ऊँटों से धिक का गल्ला या अनाज।
हज्म (अ़.पु.)-मोटाई, दल, स्थूलता।
हज़्म (अ़.पु.)-दक्षता, कुशलता, होशियारी; सावधानी, सतर्कता, चौकसी; दूरदर्शिता, दूरबीनी। इसका 'हÓ उर्दू के 'हेÓ तथा 'ज़्Ó 'ज़ेÓ अक्षर से बना है।
हज़्म (अ़.पु.)-सेना का तितर-बितर हो जाना, परास्त होकर सेना का भागना। इसका 'हÓ उर्दू के 'हाम्जाÓ तथा 'ज़्Ó 'ज़ेÓ अक्षर से बना है।
हज़्म (अ़.पु.)-पक्वाशय में भोजन का पचना, पाक, पचन; पाचन-शक्ति, हाजि़म:। इसका 'हÓ उर्दू के 'हाम्जाÓ तथा 'ज़्Ó 'ज़्वादÓ अक्षर से बना है।
हज़्मे कामिल (अ़.पु.)-पक्वाशय में भोजन का पूर्णरूप से पच जाना।
हज़्मे $िगज़ा (अ़.फ़ा.पु.)-अन्नपाक, पक्वाशय में भोजन का पचना।
हज़्मे ज़ख़्ाीम (अ़.पु.)-अत्यधिक मोटाई, बहुत अधिक स्थूलता।
हज़्मे ना$िकस (अ़.पु.)-पक्वाशय में भोजन का पूर्णरूप से न पचना।
हज़्मे सहीह (अ़.पु.)-दे.-'हज़्मे कामिलÓ।
हज़्मो एहतियात (अ़.पु.)-सावधानी और दूरदर्शिता।
हज़्मो शिकस्त (अ़.फ़ा.स्त्री.)-सेना की हार और भगदड़।
हज्ऱ (अ़.पु.)-बेहूदा बात, बकवास, वाचालता, मुखरता, जल्प। इसका 'हÓ उर्दू के 'हाम्जाÓ तथा 'ज़Ó 'ज़ेÓ अक्षर से बना है।
हज्र (अ़.पु.)-कुक्ष, कुक्षि, ब$गल; क्रोड़, गोद, आगोश। इसका 'हÓ उर्दू के 'हेÓ तथा 'जÓ 'जीमÓ अक्षर से बना है।
हज्र (अ़.पु.)-वियोग, जुदाई; दोपहर, मध्याह्नï; रोगी की बकवास, हजय़ान, बड़बड़ाहट। इसका 'हÓ उर्दू के 'हाम्जाÓ तथा 'जÓ 'जीमÓ अक्षर से बना है।
हज्ऱ (अ़.पु.)-खेत में खड़ी हुई $फसल का अंदाज़ा, कूत; पेड़ में लगे हुए फलों का अनुमान। इसका 'हÓ उर्दू के 'हेÓ तथा 'ज़Ó 'ज़ेÓ अक्षर से बना है।
हज्ऱत (अ़.पु.)-किसी प्रतिष्ठित व्यक्ति के नाम से पहले सम्मानार्थ लगाया जानेवाला शब्द; कोई बड़ा, प्रतिष्ठित और पूज्य व्यक्ति; (व्यंग)-धूर्त, चालाक, मक्कार; पाखण्डी, ऐयार; बदमाश।
हज्ऱत सलामत (अ़.पु.)-प्रतिष्ठित जनों के लिए सम्बोधन का शब्द।
हज्ऱते अक़्दस (अ़.पु.)-पूज्य और पवित्र व्यक्ति के लिए व्यवहार में लाया जानेवाला शब्द।
हज्ऱते अ़ाली (अ़.पु.)-दे.-'हज्ऱते अक़्दसÓ।
हज्ऱते मोहतरम (अ़.पु.)-दे.-'हज्ऱते अक़्दसÓ।
हज्ऱते वाइज़ (अ़.पु.)-उर्दू साहित्य में वह धर्मोपदेशक व्यक्ति जो शराब न पीने के लिए बाध्य करता और इसके विरुद्घ धार्मिक दलीलें बयान करता है।
हज्ऱते वाला (अ़.पु.)-दे.-'हज्ऱते अक़्दसÓ।
हज्ऱते शैख़्ा (अ़.पु.)-उर्दू साहित्य में वह धार्मिक व्यक्ति जो बुरे कामों से रोकता, शराब से मना करता और नमाज़ आदि की पाबन्दी के लिए समझाता है।
हज्ऱात (अ़.पु.)-'हज्ऱतÓ का बहु., अनेक व्यक्ति, लोग।
हज्ल: (अ़.पु.)-नवविवाहिता या दुल्हन का सजा हुआ कोठा या छपरखट, दे.-'हजल:Ó, दोनों शुद्घ हैं।
हज़्ल (अ़.पु.)-अश्लीलता, फक्कड़पन; अश्लील कविता।
हज्ल (अ़.पु.)-पर्वतों या पहाड़ों के बीच की नीची भूमि।
हज्लए अ़रूसी (अ़.पु.)-नवविवाहिता अथवा दुल्हन का सजा हुआ कोठा या छपरखट, हज्ल:।
हज़्लगो (अ़.फ़ा.वि.)-अश्लील और हँसानेवाली कविता करनेवाला।
हज़्लगोई (अ़.फ़ा.स्त्री.)-अश्लील कविता करना।
हज़्लपसंद (अ़.फ़ा.वि.)-जो अश्लील कविता पसन्द करे, जिसे फक्कड़पन अच्छा लगे।
हज़्लीयात (अ़.स्त्री.)-अश्लील काव्य-संग्रह।
हज़्लोत$फन्नुन (अ़.पु.)-फक्कड़पन और मज़ा$क।
हज़्व (अ़.पु.)-दो वस्तुओं को परस्पर बराबर करना।
हज्व (अ़.स्त्री.)-अपमान, निन्दा, तिरस्कार; ऐसी कविता जिसमें किसी की निन्दा की जाए।
हज्वगो (अ़.फ़ा.वि.)-वह कवि जो अपनी कविता में लोगों की निन्दा करता हो।
हज्वगोई (अ़.फ़ा.स्त्री.)-कविता में दूसरों की निन्दा करना।
हज्वीयात (अ़.स्त्री.)-दूसरों की निन्दा में की गई कविताओं का संग्रह।
हज्वे मलीह (अ़.स्त्री.)-ऐसी निन्दा जो देखने में प्रशंसा जान पड़े, व्याजनिंदा।
हज्वे सरीह (अ़.स्त्री.)-स्पष्ट निन्दा, सा$फ-सा$फ निन्दा, जिसमें कोई दुराव-छिपाव न हो।
हज़्हाज़ (अ़.पु.)-बुलाना, पुकारना, आवाज़ लगाना।
हतब (अ़.स्त्री.)-ईंधन, जलाने की लकड़ी।
हतिम (अ़.वि.)-टूटा हुआ, खण्डित, शिकस्त:, भग्न, विच्छिन्न।
हतिल (अ़.वि.)-बहुत बरसनेवाली घटा।
हतीम (अ़.पु.)-भग्न, खण्डित, टूटा हुआ; काÓबे की पच्छिमी दीवार।
हत्क (अ़.पु.)-भागना, दौड़कर चलना, तेज़ रफ़्तार से चलना। इसका 'हÓ उर्दू के 'हेÓ अक्षर से बना है।
हत्क (अ़.स्त्री.)-अपमान, तिरस्कार, निन्दा, बेइज़्ज़ती। इसका 'हÓ उर्दू के 'हाम्जाÓ अक्षर से बना है।
हत्के इज़्ज़त (अ़.स्त्री.)-मानहानि, इज़्ज़त पर हमला, तौहीन।
हत्तलइम्कान (अ़.वि.)-यथासंभव, जहाँ तक मुम्किन है।
हत्तल इस्तिताअ़त (अ़.वि.)-सामथ्र्य के अनुसार, यथासामथ्र्य।
हत्तलमक़्दूर (अ़.वि.)-जितना सामथ्र्य है, जहाँ तक शक्ति है, यथाशक्ति, यथाशक्य, यथासाध्य।
हत्तलवुस्अ़ (अ़.वि.)-दे.-'हत्तलमक़्दूरÓ।
हत्ता (अ़.वि.)-जब तक, जहाँ तक, यावत्, यथा।
हत्ताक (अ़.वि.)-तिरस्कार करनेवाला, अपमान करनेवाला; छिद्रान्वेषी; मीन-मेख निकालनेवाला।
हत्तात (अ़.वि.)-बकवास करनेवाला, बकवासी, मुखर, वाचाल; फुर्तीला, चुस्त, चालाक।
हत्ताब (अ़.पु.)-लकड़हारा, लकडिय़ाँ बेचनेवाला।
हत्न (अ़.पु.)-गर्मी की तीव्रता या तेज़ी।
हत्$फ (अ़.पु.)-स्वर, शब्द, आवाज़। इसका 'हÓ उर्दू के 'हाम्जाÓ अक्षर से बना है।
हत्$फ (अ़.पु.)-मृत्यु, मरण, मौत, निधन। इसका 'हÓ उर्दू के 'हेÓ अक्षर से बना है।
हत्म (अ़.पु.)-दृढ़ता, मज़बूती, पुख़्तगी।
हत्मन (अ़.वि.)-दे.-'हत्मीÓ।
हत्मी (अ़.वि.)-निश्चित रूप से, पुख़्त: तौर पर, य$कीनी।
हत्ल (अ़.पु.)-लगातार बारिश होना, वर्षा का बराबर होना; झड़ी लगना; आँसुओं की झड़ी।
हद [द्द] (अ़.स्त्री.)-अख़्ाीर, पराकाष्ठा; किनारा, छोर, सीमा; ओट, आड़।
हद$क: (अ़.पु.)-आँख का कालापन; पुतली, कनीनी।
हद$क (अ़.पु.)-'हद$क:Ó का बहु., आँख की पुतलियाँ; आँख की सियाहियाँ; बैंगन, भाँटा।
हद$फ (अ़.पु.)-निशाना, लक्ष्य; ऊँचा पुश्ता; वह गोलाई, निशाना सीखने के लिए जिस पर गोलियाँ मारते हैं।
हदफ़े तीर (अ़.फ़ा.पु.)-तीर का निशाना मारने का स्थान, लक्ष्य; जिस पर तीर मारे जाएँ।
हदफ़े मलामत (अ़.पु.)-जिसकी सब निन्दा करें, जिस पर चारों ओर से धिक्कार पड़े।
हदबंदी (अ़.फ़ा.स्त्री.)-दो वस्तुओं या ज़मीनों के बीच ऐसा चिह्नï जो दोनों की सीमा निश्चित करे, सीमा-चिह्नï।
हदब: (अ़.पु.)-कुब्ज, कूबड़, कुबड़ापन।
हदब (अ़.पु.)-कुब्ज, कुबड़ापन; टीला, उठी हुई ज़मीन।
हदर (अ़.पु.)-किसी का वध जाइज़ हो जाना, ख़्ाून मुअ़ा$फ हो जाना।
हदस (अ़.पु.)-वह चीज़ जिससे वज़ू टूट जाए।
हदसात (अ़.स्त्री.)-'हदसÓ का बहु., युवा स्त्रियाँ, जवान औरतें।
हदाइ$क (अ़.पु.)-'हदी$क:Ó का बहु., ब$गीचे, बा$ग।
हदाया (अ़.पु.)-'हदीय:Ó का बहु., तोहफ़े, भेंटें, नज्ऱाने।
हदासत (अ़.स्त्री.)-नवीनता, नूतनता, नयापन।
हदासते सिन (अ़.स्त्री.)-बचपन, बाल्यावस्था।
हदी$क: (अ़.पु.)-वह बा$ग अथवा वाटिका, जिसके चारों ओर दीवार हो।
हदीद (अ़.पु.)-लोहा, लौह, $फौलाद; तेज़ और धारदार पदार्थ।
हन्दीय: (अ़.पु.)-पुरस्कार, उपहार, भेंट, नज्ऱ। दे.-'हद्य:Ó, दोनों शुद्घ हैं।
हदीस (अ़.स्त्री.)-नई बात, नई ख़्ाबर; पै$गम्बर साहब की $फरमाई हुई बात।
हद्$क: (अ़.पु.)-आँख की गोलाई, आँख का क्षेत्र अथवा हल्$का।
हद्दाद (अ़.वि.)-लुहार, लोहार, लोहकार; जेलर, कारा-रक्षक, बन्धनपाल।
हद्दादी (अ़.स्त्री.)-लुहार का काम।
हद्दे अदब (अ़.स्त्री.)-आदर और लिहाज़ की अंतिम सीमा, जहाँ तक आदर किया जा सके, जितना सम्मान दिया जा सके।
हद्दे $फासिल (अ़.स्त्री.)-दो पदार्थों के बीच में अन्तर डालनेवाली वस्तु, ओट, आड़।
हद्दे शर्ई (अ़.स्त्री.)-वह सज़ा जो इस्लाम-धर्म के अनुसार दी जाए।
हद्वा (अ़.स्त्री.)-कुब्जा, कुबड़ी स्त्री।
हद्म (अ़.पु.)-तोड़-फोड़ करना, ढाना, गिराना; निर्जनता, वीरानी।
हद्य: (अ़.पु.)-उपहार, भेंट, तोह$फा। दे.-'हदीय:Ó, दोनों शुद्घ हैं।
हद्र (अ़.पु.)-दे.-'हदरÓ, दोनों शुद्घ हैं।
हद्स: (अ़.स्त्री.)-युवा स्त्री, जवान औरत।
हद्स (अ़.पु.)-बुद्घिमत्ता, मेघा, अ़क़्लमंदी; प्रतिभा, चातुर्य, ज़हानत।
हनक (अ़.पु.)-तालु, तालू।
हन$क (अ़.पु.)-शत्रुता, वैर, दुश्मनी; द्वेष, कीन:, बुग्ज़़।
हनकी (अ़.वि.)-वह अक्षर जो तालू से उच्चरित हो, तालव्य।
हन$फी (अ़.वि.)-इमाम अब्रू हनी$फ के अनुयायी मुसलमान।
हनी (अ़.वि.)-पाचक, हाजि़म; स्वादिष्ठ, लज़ीज़; सुगम, सहज।
हनीन (अ़.पु.)-विलाप, रोना-पीटना; इच्छा, चाह, कामना।
हनी$फ (अ़.वि.)-धर्म-परायण, सत्यनिष्ठ, धर्म में पक्का य$कीन रखनेवाला; हज्ऱत इब्राहीम के धर्म का अनुयायी।
हनी$फी (अ़.वि.)-धर्म-परायण, धर्मनिष्ठ, धर्म में अटल; हज्ऱत इब्राहीम के धर्म का अनुयायी, उनके धर्म को माननेवाला।
हनूत (अ़.वि.)-वह सुगन्धित पदार्थ जो किसी शव अर्थात् मृतक शरीर पर मला जाए।
हनूद (अ़.वि.)-'हिन्दूÓ का बहु., हिन्दू लोग।
हनोज़ (फ़ा.अव्य.)-अभी तक, अब भी, अब तक, अद्यपि।
हन्नात (अ़.वि.)-गेहूँ बेचनेवाला; सुगन्ध बेचनेवाला, गंधी।
हन्नान: (अ़.वि.)-अत्यधिक रुदन करनेवाला, बहुत रोनेवाला।
हन्नान (अ़.वि.)-मुक्ति देनेवाला, मोक्ष प्रदान करनेवाला; दया करनेवाला, कृपा करनेवाला; ईश्वर का एक नाम।
ह$फद (अ़.वि.)-'हा$िफदÓ का बहु., सहायक जन, सहायता करनेवाले, मददगार लोग।
ह$फनजऱ (अ़.वा.)-भगवान् आपको बुरी नजऱ से बचाएँ, ईश्वर बुरी दृष्टि के प्रभाव से आपकी रक्षा करे।
ह$फवत (अ़.स्त्री.)-अनर्गल प्रलाप, व्यर्थ की बात, बकवास।
ह$फवात (अ़.स्त्री.)-'ह$फवतÓ का बहु., अनर्गल और व्यर्थ की बातें।
ह$फादत (अ़.स्त्री.)-दया, कृपा, अनुकम्पा, मेह्रïबानी; हर्ष, प्रसन्नता, ख़्ाुशी। दे.-'हि$फादतÓ, दोनों शुद्घ हैं।
ह$फीज़ (अ़.वि.)-रक्षक, संरक्षक, देख-रेख करनेवाला; ईश्वर का एक नाम या विशेषण।
ह$फीर (अ़.वि.)-गर्त, गड्ढ़ा; $कब्र, गोर, समाधि।
हफ़्त: (फ़ा.पु.)-सप्ताह, सात दिनों का समय या अवधि; शनिवार, सनीचर, शनिचर।
हफ़्त:दोस्त (फ़ा.पु.)-वह व्यक्ति जिससे दूर की जान-पहचान हो।
हफ़्त:वार (फ़ा.वि.)-साप्ताहिक, सप्ताह में एक बार होनेवाला।
हफ़्त:वारी (फ़ा.स्त्री.)-दे.-'हफ़्त:वारÓ।
हफ़्त (फ़ा.वि.)-सात की संख्या, सात।
हफ़्तअंदाम ($फा.स्त्री.)-एक बड़ी रग या नस जिसकी $फस्द खोली जाती है।
हफ़्तअख़्तर (फ़ा.पु.)-सातों सितारे, सातों ग्रह, सप्तग्रह।
हफ़्तइक़्लीम (अ़.फ़ा.स्त्री.)-सातों महाद्वीप अर्थात् सारी दुनिया।
हफ़्तऔरंग (फ़ा.पु.)-सप्तर्षि, बनातुन्ना'श।
हफ़्त$कलम (अ़.फ़ा.वि.)-अऱबी-$फारसी की सातों लिपियाँ लिखनेवाला।
हफ़्तकिश्वर (फ़ा.पु.)-दे.-'हफ़्तइक़्लीमÓ।
हफ़्त$कुल्ज़ुम (अ़.फ़ा.पु.)-सातों महासागर अर्थात् सारे समुद्र।
हफ़्तख़्वाँ (फ़ा.पु.)-वह सातों मंजि़लें, जो रुस्तम को तै करनी पड़ी थीं।
हफ़्तगुम्बद (फ़ा.पु.)-सातों आस्मान।
हफ़्तज़बाँ (फ़ा.वि.)-जो सात भाषाएँ जानता हो।
हफ़्तजोश (फ़ा.पु.)-सातों धातुओं का योग।
हफ़्ततबक (अ़.फ़ा.पु.)-पृथ्वी के सातों तल।
हफ़्तदर्या (फ़ा.पु.)-दे.-'हफ़्त$कुल्ज़ुमÓ।
हफ़्तदह (फ़ा.वि.)-सात और दस अर्थात् सत्रह, सप्तदश।
हफ़्तदोज़ख़्ा (फ़ा.पु.)-नरक के सातों भाग।
हफ़्तपर्द: (फ़ा.पु.)-सातों आकाश।
हफ़्तपुश्त (फ़ा.स्त्री.)-सात पीढिय़ाँ, पुश्त दर पुश्त, पीढ़ी दर पीढ़ी।
हफ़्तपकर: (फ़ा.पु.)-सातों सितारे, सप्तग्रह।
हफ़्तमंजि़ल (अ़.फ़ा.स्त्री.)-सातों तल; सात माले का भवन।
हफ़्तरंग (फ़ा.वि.)-सात रंगोंवाला।
हफ़्तरोज:़ (फ़ा.वि.)-साप्ताहिक, सात दिन में पडऩे या होनेवाला; साप्ताहिक-पत्र, हफ़्त:वार अख़्ाबार।
हफ़्साल: (फ़ा.वि.)-सप्तवर्षीय, सात साल वाला।
हफ़्तहज़ारी (फ़ा.पु.)-मु$गल शासनकाल की एक प्रतिष्ठित पदवी; इस पदवी का अधिकारी।
हफ़्तहैकल (अ़.फ़ा.स्त्री.)-जीवरक्षा की सात दुअ़ाएँ।
हफ़्ताद (फ़ा.वि.)-सत्तर।
हफ़्तादोदो (फ़ा.वि.)-बहत्तर, सत्तर और दो।
हफ़्तुम (फ़ा.वि.)-सातवाँ, सप्तम।
हफ़्तुमीं (फ़ा.वि.)-सातवाँ।
हफ़्द: (फ़ा.वि.)-'हफ़्तदह' का लघु., सत्रह, सप्तदश।
हफ़्दहुम (फ़ा.वि.)-सत्रहवाँ।
हफ्ऱ (अ़.पु.)-ज़मीन की खुदाई।
हफ़्ल (अ़.पु.)-भीड़, जमाव, जन-समूह; एकत्र करना, इकट्ठा करना।
हफ़्स (अ़.पु.)-शेर का बच्चा, व्याघ्र-शावक।
हब [ब्ब] (अ़.स्त्री.)-गोली, वटिका, वटी।
हबक (अ़.स्त्री.)-करतल, हथेली।
हबन्न$क (अ़.वि.)-मूर्ख, बौड़म, बुद्धू।
हबश: (अ़.पु.)-दे.-'हबशÓ।
हबश (अ़.पु.)-अफ्ऱीका का एक प्रसिद्घ देश, हबश:।
हबशी (अ़.वि.)-हबश के निवासी।
हबाब (फ़ा.पु.)-बुलबुला, बुद्बुद।
हबाब आसा (फ़ा.वि.)-बुलबुले-जैसा, बहुत ही नाज़ुक, क्षणभंगुर।
हबाबी (फ़ा.वि.)-बुलबुले की तरह नाज़ुक और क्षणभंगुर।
हबीब (अ़.वि.)-मित्र, दोस्त, सखा; प्रेमपात्र, माÓशू$क।
हबूत (अ़.वि.)-नीचे उतरनेवाला।
हबूब (अ़.पु.)-झक्कड़, वायु का तेज़ वेग, धूल मिली हुई तेज़ हवा।
हब्ब: (अ़.पु.)-दाना, बीज; रत्ती-भर, आठ चावल का भार; बहुत थोड़ा, जऱा-सा।
हब्बज़ा (अ़.अव्य.)-वाह-वाह, साधु-साधु, धन्य-धन्य।
हब्बुज़्ज़लम (अ़.पु.)-'ज़लम' एक औषध द्रव्य द्वारा निर्मित बटी, ज़लम की गोली।
हब्बुर्रिशाद (अ़.पु.)-हालौन, एक प्रकार का दाना जो दवा में प्रयुक्त किया जाता है।
हब्बुल$कुत्न (अ़.पु.)-कपास का बीज, बिनौला।
हब्बुल$गुराब (अ़.पु.)-कुचला, एक विषैला दाना, विषमुष्टि, विषतुंदक।
हब्बुलमुलूक (अ़.पु.)-दंतिका, अजयपाल, एक दस्तावर दवा जमालगोटा।
हब्बुस्सम्न: (अ़.पु.)-चिरौंजी, एक प्रसिद्घ मेवा।
हब्बुस्सलातीन (अ़.पु.)-एक दस्तावर दवा, जमालगोटा, अजयपाल, दंतिका।
हबल (अ़.स्त्री.)-रस्सी, रज्जु; डोरा, तार; रग, धमनी, शिरा।
हब्लुजि़्जऱाअ़ (अ़.स्त्री.)-हाथ की एक रग या शिरा।
हब्बुलमतीन (अ़.स्त्री.)-दृढ़ रस्सी।
हब्बुलवरीद (अ़.स्त्री.)-गर्दन की एक रग या धमनी।
हब्स (अ़.पु.)-कारावास, कै़द; उमस, बरसात में हवा बन्द होने की अवस्था; रुकावट, अवरोध।
हब्सीयात (अ़.स्त्री.)-कारावास के समय की बातें या कविता आदि; कारागार-सम्बन्धी चीजें़।
हब्से तम्स (अ़.पु.)-मासिक-धर्म का बन्द हो जाना।
हब्से दम (अ़.फ़ा.पु.)-साँस रुकना, दम घुटना, श्वासरोध; साँस रोककर की जानेवाली एक तपस्या या साधना, कुम्भक प्राणायाम।
हब्से दवाम (अ़.पु.)-आजीवन कारावास, उम्र-भर की कै़द।
हब्से बेजा (अ़.पु.)-अवैध रूप से किसी को बन्दी बाए रखना, गैऱ$कानूनी किसी को कै़द करना।
हब्से बौल (अ़.पु.)-पेशाब का रुक जाना, मूत्रनिरोध, मूत्राघात।
हब्से रियाह (अ़.पु.)-पेट में वायु का रुक जाना, उदर में वायु-प्रकोप।
हम: (फ़ा.वि.)-सर्व, सब, कुल; समस्त, समग्र, समूचा; पूर्ण, पूरा।
हम:उम्र (अ़.फ़ा.वि.)-आजीवन, सारी उम्र, जीवन-भर।
हम:औ$कात (अ़.फ़ा.वि.)-हर पल, हर समय, हर वक़्त।
हम:ख़्ाोर (फ़ा.वि.)-सर्वभक्षी, सब-कुछ खा जानेवाला, जिसे खाने में धर्माधर्म का विचार न हो।
हम:ख़्ाोरी (फ़ा.स्त्री.)-सब-कुछ खा जाना, धर्माधर्म का विचार किए बिना जो पाना वह खा जाना।
हम:गीर (फ़ा.वि.)-सर्वव्यापी, सार्वभौम, जो हर तर$फ छाया और फैला हुआ हो।
हम:गीरी (फ़ा.स्त्री.)-हर ओर छाया और फैला हुआ होना, सर्वव्यापित।
हम:तन (फ़ा.वि.)-सारे शरीर के साथ अर्थात् पूरी तल्लीनता के साथ।
हम:तनगोश (फ़ा.वि.)-जो सिर से पाँव तलक कान बन गया हो, अर्थात् जो किसी बात को सुनने के लिए बहुत अधिक उत्कंठित हो, उत्कर्ण।
हम:दाँ (फ़ा.वि.)-सर्वज्ञ, सब-कुछ जाननेवाला, बहुत बड़ा विद्वान्।
हम:दानी (फ़ा.स्त्री.)-सब-कुछ जानना, सर्वज्ञता, विद्वत्ता।
हम:दुश्मन (फ़ा.वि.)-जो सबका शत्रु हो; जिसके सब शत्रु हों।
हम:दोस्त (फ़ा.वि.)-जो सबका दोस्त हो; सिके सब दोस्त हो।
हम:नेÓमत (अ़.फ़ा.स्त्री.)-सारी ने'मतें, हर प्रकार की सुख-सामग्री।
हम:वक़्त (अ़.फ़ा.वि.)-हर पल, हर समय, हर वक़्त; हर स्थिति में, हर हालत में, हर दशा में।
हम:सम्त (अ़.फ़ा.वि.)-चतुर्दिक्, चारों ओर, चहुँपास, हर तर$फ, सब ओर।
हम:साअ़त (अ़.फ़ा.वि.)-हर पल, प्रतिक्षण, हर लम्हा; हर समय, हर वक़्त।
हम:सि$फत (अ़.फ़ा.वि.)-सारे गुणोंवाला, सारी सि$फतोंवाला, सारी ख़्ाूबियोंवाला।
हम:सि$फत मौसू$फ (अ़.फ़ा.वि.)-सर्वगुण सम्पन्न, सारे गुणों से भरा हुआ, जिसमें सारी ख़्ाूबियाँ हों।
हम:सू (फ़ा.वि.)-चारों तर$फ, हर तर$फ, हर ओर, चहुँओर, चतुर्दिक्।
हम (फ़ा.उप.)-साथवाला, जैसे-'हमउम्र'; बराबरवाला, जैसे-'हम$कीमतÓ आदि; (अव्य.)-भी, अपि, नीज़। इसका 'ह' उर्दू के 'हाम्जा' अक्षर से बना है।
हम [म्म] (अ़.पु.)-दु:ख, खेद, रंज, ताप, $गम (जिसके आने का भय हो); रोग का शरीर को घुला देना; बच्चे को लोरी देकर सुलाना। इसका 'हÓ उर्दू के 'हाम्जाÓ अक्षर से बना है।
हम (अ़.पु.)-ससुराल के रिश्तेवाला, ससुराली रिश्तेदार। इसका 'हÓ उर्दू के 'हेÓ अक्षर से बना है।
हमअ़$कीद: (अ़.$फा.वि.)-सधर्मानुयायी, किसी एक ही धर्म या पंथ को माननेवाले; किसी एक बात पर विश्वास रखनेवाले।
हमअ़लामत (अ़.फ़ा.वि.)-एक-जैसे लक्षणोंवाले, एक-जैसे चिह्नïोंवाले।
हमअ़स्र (अ़.फ़ा.वि.)-एक समय में होनेवाले लोग, समकालीन।
हमअ़ह्द (अ़.फ़ा.वि.)-दे.-'हमअ़स्रÓ।
हमआ$गोश (फ़ा.वि.)-आलिंगनबद्घ, एक-दूसरे को गोद में लिए हुए, आलिंगित, ब$गलगीर।
हमआ$गोशी (फ़ा.स्त्री.)-एक-दूसरे को गोद में लेना, आलिंगन, ब$गलगीरी।
हमआवर्द (फ़ा.वि.)-प्रतिद्वंद्वी, हरी$फ, मु$काबिल; सहव्यवसायी, हमपेश:।
हमआवाज़ (फ़ा.वि.)-जिनकी आवाज़ एक-सी हो; जो किसी विषय में सहमत हों।
हमआहंग (फ़ा.वि.)-एक-से बोलवाले; एक-सी आवाज़वाले; एक-सी रायवाले; एक-से इरादेवाले।
हमआहंगी (फ़ा.स्त्री.)-एक-सी सोच; एक-से बोल; एक-सी आवाज़; एक-सा इरादा।
हमइनाँ (अ़.फ़ा.वि.)-साथ चलनेवाला, सहचर; सदृश, समान, बराबर।
हमइयार (अ़.फ़ा.वि.)-सदृश, समान; सहपद, हमदर्ज:, एक-सी पदवीवाले।
हमउम्र (अ़.फ़ा.वि.)-समवयस्क, एक-सी आयुवाले, समावस्था, वयस्य भाव।
हमऔसा$फ (अ़.फ़ा.वि.)-गुणों में एक-जैसे व्यक्ति, एकगुण।
हम$कद (अ़.फ़ा.वि.)-समकाय, एक-जैसी डील-डौलवाले, एक-जैसी $कद-काठीवाले।
हम$कदम (अ़.फ़ा.वि.)-सहचर, साथ-साथ चलनेवाले।
हम$कदमी (अ़.फ़ा.स्त्री.)-साथ-साथ चलना।
हम$कदह (अ़.फ़ा.वि.)-एक प्याले में शराब पीनेवाले, बहुत ही घनिष्ठ शराबी दोस्त।
हम$कद्र (अ़.फ़ा.वि.)-एक-जैसी प्रतिष्ठावाले, एक-जैसी इज़्ज़तवाले।
हम$करीं (अ़.फ़ा.वि.)-दे.-'हम$िकराँÓ, वही शुद्घ उच्चारण है।
हम$कलम (अ़.फ़ा.वि.)-एक कार्यालय में काम करनेवाले, एक कार्यालय के क्लर्क।
हमकलाम (अ़.फ़ा.वि.)-किसी के साथ बात करनेवाला अथवा बात करता हुआ।
हमकलामी (अ़.फ़ा.स्त्री.)-आपस की बातचीत, दो व्यक्तियों का परस्पर वार्तालाप।
हमकार (अ़.फ़ा.वि.)-एक-सा काम करनेवाले।
हमकास: (फ़ा.वि.)-एक प्याले अथवा पात्र में साथ-साथ खानेवाले अर्थात् घनिष्ठ मित्र।
हम$िकतार (अ़.फ़ा.वि.)-एक ही पंक्ति में खड़े हुए; एक ही वर्गवाले।
हमकिनार (फ़ा.वि.)-दे.-'हमआ$गोशÓ।
हमकिनारी (फ़ा.स्त्री.)-दे.-'हमआ$गोशीÓ।
हम$िकराँ (अ़.फ़ा.वि.)-साथ बैठनेवाला, मित्र, दोस्त; सभासद, मुसाहिब।
हम$िकरानी (अ़.फ़ा.स्त्री.)-साथ उठना-बैठना, मैत्री, दोस्ती; मुसाहबत।
हम$कीमत (अ़.फ़ा.वि.)-बराबर मूल्यवाले, एक-जैसे मोल के।
हमकुफ़्व (अ़.फ़ा.वि.)-एक गोत्रवाले, एक जातिवाले, समवर्ण, सहगोत्र, सजातीय।
हम$कौम (अ़.फ़ा.वि.)-एक जातिवाले, सजातीय; एक राष्ट्रवाले, सहराष्ट्र।
हमख़्ायाल (अ़.फ़ा.वि.)-एक रायवाले, एक मत या विचारवाले, सहमत; एक धर्मविश्वासवाले।
हमख़्ायाली (अ़.फ़ा.स्त्री.)-राय या विचार का एक होना; धर्मविश्वास का एक होना।
हमख़्ावास (अ़.फ़ा.वि.)-एक-जैसी गुणवाली औषधियाँ।
हमख़्ावासी (अ़.फ़ा.स्त्री.)-एक-जैसे गुण होना।
हमख़्ाान: (फ़ा.वि.)-एक घर में रहनेवाले, सहनिवासी।
हमख़्ाानदान (फ़ा.वि.)-एक वंशवाले, एक-वंशीय।
हमख़्ाास्स: (अ़.फ़ा.वि.)-दे.-'हमख़्ावास'।
हमख़्ाू (फ़ा.वि.)-एक-से स्वभाववाले।
हमख़्ाूई (फ़ा.स्त्री.)-स्वभाव का एक होना। हमख़्वाब: ($फा.स्त्री.)-साथ सोनेवाली अर्थात् पत्नी, भार्या, बीवी।
हमख़्वाब (फ़ा.वि.)-साथ सोनेवाला, सहशायी, अंकशायी।
हमख़्वाबी (फ़ा.स्त्री.)-साथ-साथ सोना, सहशैया।
हम$गम (फ़ा.वि.)-हमदर्द, सहानुभूति रखनेवाला।
हम$गमी (फ़ा.स्त्री.)-हमदर्दी, सहानुभूति।
हमगाँ (फ़ा.वि.)-सब, सर्व।
हमगिनाँ (फ़ा.वि.)-सब, सर्व; सब आदमी।
हमगीं (फ़ा.वि.)-सब, सर्व, सभी, तमाम।
हमगी (फ़ा.वि.)-दे.-'हमगींÓ।
हमगुरोह (फ़ा.वि.)-एक दलवाले, एक-गिरोहवाले, यौथिक।
हमगोश: (फ़ा.वि.)-हमसाय:, पड़ोसी; हमजिंस, मित्र, दोस्त।
हमचश्म (फ़ा.वि.)-एक-सी दृष्टिवाला या सोचवाला, एक-से नज़रिएवाला; बराबरवाला; मित्र, दोस्त।
हमचश्मी (फ़ा.स्त्री.)-मित्रता, दोस्ती, बराबरी।
हमचुनाँ (फ़ा.वि.)-उतना, उसी तरह, उसी $कदर।
हमचुनीं (फ़ा.वि.)-इतना, इस $कदर।
हमचो (फ़ा.वि.)-समान, सदृश, तुल्य, मिस्ल।
हमज़: (अ़.पु.)-पैशाचिक विचार।
हमजंब (अ़.फ़ा.वि.)-पास बैठनेवाला, साथी, हमपह्लू।
हमज़बाँ (फ़ा.वि.)-एक भाषा बोलनेवाले अर्थात् एक राय, सहमत; दोस्त, मित्र।
हमज़बानी ($फा.स्त्री.)-एक भाषा बोलना; एक राय होना; दोस्ती, मित्रता।
हमजमाअ़त (अ़.फ़ा.वि.)-एक कक्षा में साथ पढऩेवाले, ससहपाठी; एक वर्गवाले, सहवर्गीय।
हमजल्स: (अ़.फ़ा.वि.)-साथ उठने-बैठनेवाले, मित्र, दोस्त, साथी।
हमज़ात (अ़.फ़ा.वि.)-सहजाति, एक ज़ातवाले।
हमज़ाद (फ़ा.वि.)-साथ पैदा होनेवाला; एक याकनि-विशेष, बेताल।
हमज़ानू (फ़ा.वि.)-साथ मिलकर बैठनेवाला, पहलू से पहलू या घुटने से घुटना मिलाकर बैठनेवाला।
हमजिंस (अ़.फ़ा.वि.)-सजातीय, एक ज़ात का व्यक्ति।
हमजिंसी (अ़.फ़ा.स्त्री.)-एक जाति का होना।
हमजिवार (अ़.फ़ा.वि.)-पड़ोसी, प्रतिवासी, प्रतिवेश।
हमज़ुल्$फ (फ़ा.पु.)-साढ़ू, दो सगी बहनों के पति।
हमज़ोर (फ़ा.वि.)-शक्ति या ता$कत में बराबर।
हमज़ौ$क (अ़.फ़ा.वि.)-एक-जैसा शौ$क रखनेवाले।
हमतंग (फ़ा.वि.)-अनुकूल, मुआ$िफ$क; समान, बराबर।
हमतग (फ़ा.वि.)-$कदम से $कदम मिलाकर चलनेवाला।
हमतराज़ू (फ़ा.वि.)-बल या शक्ति में बराबर; प्रतिद्वंद्वी, मु$काबिल।
हमतरी$क (अ़.फ़ा.वि.)-एक रास्ते पर चलनेवाले, एक रास्ते के मुसा$िफर, हमस$फर।
हमतर्ज़ (फ़ा.वि.)-एक-जैसी तर्ज़वाले।
हमतर्ह (अ़.फ़ा.वि.)-एक-जैसे, यकसाँ, सदृश।
हमता (फ़ा.वि.)-समान, तुल्य, मिस्ल।
हमताई (फ़ा.स्त्री.)-समानता, सदृशता, यकसानियत।
हमताले' (अ़.फ़ा.वि.)-एक-जैसी $िकस्मतवाले, एक-जैसी तक़्दीरवाले।
हमदफ़्तर (फ़ा.वि.)-एक ही आ$िफस में काम करनेवाले।
हमबिस्ताँ (फ़ा.वि.)-एक पाठशाला में साथ पढ़े हुए, सहपाठी।
हमदम (फ़ा.वि.)-हर समय का साथी, मित्र, दोस्त।
हमदर्द (फ़ा.वि.)-दु:ख-दर्द का साथी, सहानुभूति करनेवाला।
हमदर्दी (फ़ा.स्त्री.)-सहानुभूति, दु:ख-दर्द की शिर्कत।
हमदर्स (अ़.फ़ा.वि.)-सहपाठी, साथ पढऩेवाला।
हमदस्त (फ़ा.वि.)-शरीक, साझी; एक-जैसा, तुल्य।
हमदस्ती (फ़ा.स्त्री.)-शिर्कत, साझा; एक-जैसा होना।
हमदामाँ (फ़ा.पु.)-साढ़ू, हमज़ुल्$फ।
हमदास्ताँ (फ़ा.वि.)-वार्तालाप करनेवाला, हमकलाम।
हमदिगर (फ़ा.वि.)-परस्पर, बाहम, आपस में।
हमदिल (फ़ा.वि.)-मित्र, दोस्त।
हमदिली (फ़ा.स्त्री.)-मित्रता, दोस्ती।
हमदीवार (फ़ा.वि.)-पड़ोसी, प्रतिवेशी।
हमदोश (फ़ा.वि.)-बराबर-बराबर, मिल-जुलकर।
हमन$फस (अ़.फ़ा.वि.)-संगी, साथी; मित्र, दोस्त।
हमन$फसी (अ़.फ़ा.स्त्री.)-मित्रता, दोस्ती; साथ, संग।
हमनबर्द (फ़ा.वि.)-प्रतिद्वंद्वी, हरी$फ।
हमनवर्द (फ़ा.वि.)-साथ-साथ चलनेवाला, हमराही। दे.-'हमनबर्दÓ।
हमनवा (फ़ा.वि.)-सहमत, एकराय।
हमनवाई (फ़ा.स्त्री.)-मतैक्य, विचार या राय की एकता।
हमनशीं (फ़ा.वि.)-साथ बैठनेवाला, मित्र; सभासद, मुसाहिब।
हमनशीनी (फ़ा.स्त्री.)-साथ उठना-बैठना, दोस्ती; मुसाहबत।
हमनसब (अ़.फ़ा.वि.)-एक वंशवाले, एक ख़्ाानदान के, सहवंशीय।
हमनस्ल (अ़.फ़ा.वि.)-एक जातिवाले, सजातीय, एक गोत्रवाले।
हमनाम (फ़ा.वि.)-एक नामवाले, जिनके एक-जैसे ही नाम हों, समनाम।
हमनिवाल: (फ़ा.वि.)-साथ-साथ खानेवाले।
हमपंज: (फ़ा.वि.)-समान, बराबर; बल अथवा शक्ति में बराबरवाले।
हमपंजगी (फ़ा.स्त्री.)-समानता, बराबरी; शक्ति में बराबरी, बल में समानता।
हमपल्ल: (फ़ा.वि.)-बराबर, समान, तुल्य; पद और दर्जे में बराबर।
हमपहलू (फ़ा.वि.)-पाश्र्ववर्ती, पहलू में बैठनेवाला, ब$गल में बैठनेवाला।
हमपा (फ़ा.वि.)-एक साथ चलनेवाले, साथी, हमराही, सहयात्री।
हमपाय: (फ़ा.वि.)-दे.-'हमपल्ल:'।
हमपियाल: (फ़ा.वि.)-एक ही पियाले ($प्याले) में खाने-पीनेवाले।
हमपुश्त (फ़ा.वि.)-सहायक, मददगार।
हमपेश: (फ़ा.वि.)-सहवृत्ति, एक-जैसा व्यवसाय करनेवाले, सहव्यवसायी।
हमपैमाँ (फ़ा.वि.)-एक प्रतिज्ञा में बँधे हुए।
हमपैमान: (फ़ा.वि.)-एक प्याले में शराब पीनेवाले अर्थात् घनिष्ठ मित्र, शराबी।
हमब$गल (फ़ा.वि.)-एक-दूसरे से चिपटे हुए, आलिंगित, ब$गलगीर; पाश्र्व में बैठनेवाला।
हमबज़्म (फ़ा.वि.)-एक सभा के सदस्य, एक सभा में आने-जानेवाले।
हमबाज़ (फ़ा.वि.)-साझी, भागीदार, शरीक।
हमबिस्तर (फ़ा.वि.)-किसी के साथ एक शैया पर सोनेवाला; सहवास या संभोग करनेवाला।
हमबिस्तरी (फ़ा.स्त्री.)-किसी के साथ एक शैया पर सोना; संभोग या सहवास करना।
हममक्तब (अ़.फ़ा.वि.)-जो एक पाठशाला में साथ-साथ पढ़े हों, सहपाठी।
हममज़हब (अ़.फा.वि.)-सहधर्मी, एक धर्म को माननेवाले।
हममज़हबीयत (अ़.फ़ा.स्त्री.)-एक धर्मावलम्बी होना।
हममर्कज़ (अ़.फ़ा.वि.)-जिन सबका एक केन्द्र हो, सहकेन्द्र।
हममर्कज़ीयत (अ़.फ़ा.स्त्री.)-एक केन्द्र से सम्बन्धित, एक मर्कज़ी होना।
हममश्रब (अ़.फ़ा.वि.)-एक पंथ के अनुयायी, एक-जैसे आचार-विचारवाले।
हममश्रबीयत (अ़.फ़ा.स्त्री.)-एक पंथ का अनुकरण करना; एक आचार-विचार का होना।
हममाÓना (अ़.फ़ा.वि.)-एक अर्थवाले शब्द, पर्यायवाची, एकार्थी, समानार्थक।
हममुर्शिद (अ़.फ़ा.वि.)-एक धर्मगुरु को माननेवाले।
हममुल्क (अ़.फ़ा.वि.)-एक देश के निवासी, सजनपद।
हमरंग (फ़ा.वि.)-एक-जैसे रंग या वर्णवाले, समवर्ण, एक-वर्ण; एक-जैसे आचार-विचारवाले।
हमरंगी (फ़ा.स्त्री.)-एक-जैसे रंग या वर्ण का होना; एक-जैसे आचार-विचार का होना।
हमरहिम (अ़.फ़ा.वि.)-सगा, सहोदर, सोदरीय, ह$की$की।
हमराए (फ़ा.वि.)-जिनकी राए एक हो, सहमत, एक मतवाले।
हमराज़ (फ़ा.वि.)-जो किसी का गुप्त भेद जानता हो, मर्मज्ञ; मित्र, दोस्त।
हमराह (फ़ा.वि.)-साथ चलनेवाला, रास्ते का साथी, सहपथिक, सहपंथी।
हमराही (फ़ा.पु.)-मार्ग में साथ चलनेवाला, सहयात्री, सहपंथी; रास्ते में साथ चलना।
हमराहे रिकाब (फ़ा.वि.)-घुड़सवार के साथ चलनेवाला; साथ चलनेवाला।
हमरिकाब (फ़ा.वि.)-दे.-'हमराहे रिकाब'।
हमरिकाबी (फ़ा.स्त्री.)-साथ चलना।
हमरिश्त: (फ़ा.वि.)-रिश्तेदार, स्वजन; एक डोरे में पिरोई हुई चीजें़; सूत्रित, संलग्न, नत्थी, मुंसलिक।
हमरिश्तगी (फ़ा.स्त्री.)-रिश्तेदारी; एक डोरे में पिरोया हुआ होना; नत्थी होना, संलग्न होना।
हमरुत्ब: (अ़.फ़ा.वि.)-एक-जैसे पद अथवा पदवीवाले, एक श्रेणीवाल, एक-जैसी महत्तावाले।
हमरोज़: (फ़ा.वि.)-उसी दिन, उसी रोज़; उसी दिन का।
हमल (अ़.पु.)-भेड़ या बकरी का बच्चा; मेष राशि, बुर्जे हमल।
हमवज़्न (अ़.फ़ा.वि.)-तौल में बराबर, समतुलित, बराबर के भारवाला; छन्द की मात्राओं के हिसाब से बराबर; समान, तुल्य, मिस्ल।
हमवतन (अ़.फ़ा.वि.)-एक नगर के रहनेवाले; एक देश के रहनेवाले।
हमवतनी (अ़.फ़ा.स्त्री.)-एक नगर या देश का निवास।
हमवार: (फ़ा.वि.)-सदा, सर्वदा, हमेशा; निरन्तर, गातार।
हमवार (फ़ा.वि.)-समतल, चौरस; अंगीकृत, राज़ी।
हमशक्ल (अ़.फ़ा.वि.)-एकरूप, एक-जैसी शक्लवाले, अनुरूप, तद्रूप, समाकार।
हमशक्ली (अ़.फ़ा.स्त्री.)-रूप की समानता, एक-जैसा होना, एकरूपता, तद्रूपता, रूप-सादृश्य।
हमशबीह (अ़.फ़ा.वि.)-दे.-'हमशक्लÓ।
हमशीर: (फ़ा.स्त्री.)-बहन, भगिनी, स्वसा, सहोदरा।
हमशीर (फ़ा.स्त्री.)-दे.-'हमशीर:Ó।
हमशीरज़ाद: (फ़ा.पु.)-बहन का लड़का, भानजा, भगिनीसुत, भागिनेय।
हमशोए (फ़ा.स्त्री.)-एक शौहरवाली स्त्रियाँ, वे महिलाएँ जिनका पति एक हो।
हमशौहर (फ़ा.स्त्री.)-दे.-'हमशोएÓ।
हमसंग (फ़ा.वि.)-हमवज़्न, बराबर, तुल्य, समान।
हमस$फर (अ़.फ़ा.वि.)-सहयात्री, यात्रा का साथी, सहपथिक, सहपंथी, सहप्रयायी।
हमस$फरी (अ़.फ़ा.स्त्री.)-सफऱ का साथ, यात्रा में साथ होना।
हमस$फीर (अ़.फ़ा.वि.)-उपवन या बा$ग में साथ चहचहानेवाली चिडिय़ाँ; मित्र, दोस्त।
हमसफ्ऱ: (अ़.फ़ा.वि.)-एक ही दस्तरख़्वान पर खाना खानेवाले, घनिष्ठ मित्र।
हमसब$क (अ़.फ़ा.वि.)-साथ पढऩेवाले, सहपाठी।
हमसर (फ़ा.वि.)-बराबर, समान।
हमसरी ($फा.स्त्री.)-समानता, बराबरी; उद्दण्डता, अक्खड़पन।
हमसाज़ (फ़ा.वि.)-एक-सा साज़ बजानेवाले अर्थात् मित्र, दोस्त।
हमसाय: (फ़ा.पु.)-पड़ोसी, प्रतिवासी, प्रतिवेशी।
हमसायगी (फ़ा.स्त्री.)-पड़ोस, प्रतिवास।
हमसाल (फ़ा.वि.)-एक ही वर्ष की पैदाइश, समसामयिक, हमउम्र।
हमसिन (अ़.फ़ा.वि.)-समवयस्क, वय:स्थ, समसामयिक, एक-जैसी उम्र या आयुवाले।
हमसिनी (अ़.फ़ा.स्त्री.)-उम्र अथवा आयु की बराबरी, समवयस्कता।
हमसिल्क (अ़.फ़ा.पु.)-समधी, दूल्हा और दुल्ह के बाप आपस में।
हमसुख़्ान (फ़ा.वि.)-साथ-साथ कविता करनेवाले; साथ-साथ बातें करनेवाले।
हमसुख़्ानी (फ़ा.स्त्री.)-साथ-साथ कविता करना; परस्पर बातचीत करना।
हमसुहबत (अ़.फ़ा.वि.)-सहवास करनेवाला, संभोग करनेवाला, हमबिस्तर; पास उठने-बैठनेवाला, सभासद।
हमसूरत (अ़.फ़ा.वि.)-दे.-'हमशक्ल'।
हमसौत (अ़.फ़ा.वि.)-जिनकी आवाज़ एक-सी हो, हमआवाज़।
हमहम: (फ़ा.पु.)-सिंह-गर्जना, शेर की दहाड़; आतंक, धाक; ज़ोर-शोर, धूमधाम।
हमाँ (फ़ा.वि.)-वही; वह।
हमाँदम (फ़ा.अव्य.)-तत्क्षण, उसी समय, उसी वक़्त।
हमाइद (अ़.पु.)-'हमीद:' का बहु., अच्छाइयाँ, ख़्ाूबियाँ।
हमाइल (अ़.स्त्री.)-ब$गल में लटकाने की चीज़; छोटा $कुरान; गरदन में पड़ा हुआ हाथ।
हमा$कत (अ़.स्त्री.)-मूढ़ता, मूर्खता, बेव$कू$फी, निर्बुद्घता; अज्ञान, ज़हालत।
हमा$कतआगीं (अ़.फ़ा.वि.)-मूर्खतापूर्ण, बेव$कू$फी से भरा हुआ।
हमा$कतआमेज़ (अ़.फ़ा.वि.)-दे.-'हमा$कतआगींÓ।
हमा$कतमअ़ाब (अ़.वि.)-बहुत बड़ा मूर्ख, जिसकी सारी बातें ही बेव$कू$फी की होती हों।
हमा$कतशिअ़ार (अ़.वि.)-महामूर्ख, बहुत बड़ा बेव$कू$फ।
हमाना (फ़ा.अव्य.)-निश्चित, य$कीनी; कदाचित्, शायद; मानो, गोया, जैसे।
हमाम: (अ़.पु.)-प्रत्येक वह पक्षी जिसके गले में कंठी हो; कबूतर, कपोत।
हमाम (अ़.पु.)-कबूतर, कपोत, पारावत।
हमार: (फ़ा.पु.)-अनुमान, अंदाज़ा; सतत, सदा, हमेशा।
हमासत (अ़.स्त्री.)-वीरता, बहादुरी, शौर्य, शूरता।
हमाल (अ़.वि.)-सदृश, समान, तुल्य, मिस्ल।
हमीं (फ़ा.वि.)-यही; यह।
हमीद: (अ़.वि.)-साध्वी, पुनीता, पवित्रा, पूज्या, श्रेष्ठा और उत्तमा स्त्री।
हमीद (अ़.वि.)-पुनीत, सदाचारी; प्रशंसित, सराहनीय।
हमीम (अ़.वि.)-गर्म, उष्ण; गर्म पानी, उष्ण जल; स्वजन, रिश्तेदार; जिसे ज्वर अथवा बुखार हो।
हमीयत (अ़.स्त्री.)-लज्जा, लाज, गैऱत; स्वाभिमान, ख़्ाुद्दारी।
हमीर (अ़.पु.)-'हिमारÓ का बहु., गधे।
हमेश: (फ़ा.वि.)-सदा, सर्वदा; नित्य, सदा, हर वक़्त; निरन्तर, लगातार; अधिकतर, प्राय:।
हमेश:पा (फ़ा.वि.)-सदा या हमेशा रहनेवाला, बारहमासी।
हमेशगी (फ़ा.स्त्री.)-नित्यता, अनश्वरता; निरन्तरता।
हम्ज़: (अ़.पु.)-सिंह, शेर, व्याघ्र। इसका 'हÓ उर्दू के 'हेÓ अक्षर से बना है।
हम्ज़: (अ़.स्त्री.)-अऱबी भाषा का 'अलि$फÓ जिस पर ज़बर, ज़ेर या पेश हो। इसका 'हÓ उर्दू के 'हाम्जाÓ अक्षर से बना है।
हम्ज़ (अ़.पु.)-निचोडऩा; आँख मारना।
हम्द (अ़.स्त्री.)-प्रशंसा, तारी$फ; ईश्वर की स्तुति, ख़्ाुदा की तारी$फ।
हम्दगो (अ़.फ़ा.वि.)-ईश्वर की वन्दना और स्तुति करनेवाला।
हम्दसरा (अ़.फ़ा.वि.)-भगवान् का गुणगान करनेवाला ईश्वर की प्रशंसा करनेवाला, स्तुति-पाठक।
हम्दसराई (अ़.फ़ा.स्त्री.)-ईश्वर की स्तुति करना, ईश-वन्दना करना।
हम्दून: (फ़ा.पु.)-वानर, बन्दर, कपि, मर्कट।
हम्दून (फ़ा.पु.)-लिंग, शिश्न, मेह्न।
हम्माम (अ़.पु.)-स्नानागार, गुस्लख़्ााना; वह गुस्लख़्ााना जिसमें गर्म कपड़े हों और नहलानेवाले शरीर मलते तथा मैल छुड़ाते हों।
हम्मामी (अ़.वि.)-गर्म हम्माम के अन्दर नहलाने और देह मलनेवाला।
हम्माल (अ़.पु.)-बोझ ढोनेवाला, भार-वाहक।
हम्माली (अ़.स्त्री.)-बोझ ढोने का काम, मज़दूरी।
हम्रा (अ़.वि.)-लाल रंग की स्त्री अर्थात् ख़्ाूब गोरी स्त्री।
हम्ल: (अ़.पु.)-चोट, आघात, वार; आक्रमण, सेना का हमला; चढ़ाई, युद्घयात्रा।
हम्ल:आवर (अ़.फ़ा.वि.)-आक्रमणकारी, हमला करनेवाला, आक्रामक।
हम्ल:आवरी (अ़.फ़ा.स्त्री.)-आक्रमण करना, चढ़ाई करना, धावा बोलना।
हम्ल:गीरी (अ़.फ़ा.स्त्री.)-शत्रु के आक्रमण को सहन करना, हमला बरदाश्त करना।
हम्ल:वर (अ़.फ़ा.वि.)-दे.-'हम्ल:आवर'।
हम्ल:वरी (अ़.फ़ा.स्त्री.)-दे.-'हम्ल:आवरी'।
हम्ल (अ़.पु.)-गर्भ, पेट; भारित; विचार, ख़्ायाल; बोझ उठाना; बोझ, भार।
हम्स (अ़.स्त्री.)-नर्म आवाज़, कोमल और मृदुल ध्वनि।
हया (अ़.स्त्री.)-लज्जा, व्रीड़ा, शर्म।
हयात (अ़.स्त्री.)-जीवन, जि़न्दगी।
हयातीन (अ़.पु.)-विटैमिन, जीवति।
हयाते $फानी (अ़.स्त्री.)-नष्ट होनेवाला जीवन, नश्वर प्राण।
हयाते मुस्तअ़ार (अ़.स्त्री.)-अस्थायी जि़न्दगी, थोड़े दिनों का जीवन।
हयातोममात (अ़.स्त्री.)-जीवन-मरण, मौत और जि़न्दगी।
हयादार (अ़.फ़ा.वि.)-जिसमें लज्जा हो लज्जाशील, लज्जाशालीन।
हयापर्वर (अ़.फ़ा.वि.)-लज्जावान्, लज्जाशील, हयादार।
हयारफ़्त: (अ़.फ़ा.वि.)-विगतलज्ज, बेहया, जिसकी लज्जा चली गई हो, जिसने लाज-शर्म खो दी हो।
हयासोज़ (अ़.फ़ा.वि.)-लज्जाजनक, घृणित, घिनावना।
हर [र्र] (अ़.स्त्री.)-गर्मी, उष्णता; ताप, हरारत। इसका 'हÓ उर्दू के 'हेÓ अक्षर से बना है।
हर (फ़ा.वि.)-सब कोई, हरेक, हर एक। इसका 'हÓ उर्दू के 'हाम्जाÓ अक्षर से बना है।
हर आँकि (फ़ा.अव्य.)-जो कोई, जो व्यक्ति।
हर आँचे (फ़ा.अव्य.)-अवश्य, ज़रूर; विवशतापूर्वक, नाचार; नि:संदेह, बेशक।
हर$क (अ़.पु.)-आग, अग्नि, आातश।
हरकत (अ़.स्त्री.)-गति, चाल; बुरा काम, बदमअ़ाशी।
हरकते मज़्बूही (अ़.स्त्री.)-बुरी हरकत, नुक़्सान पहुँचानेवाली हरकत, हानिकारक गतिविधि।
हरकात (अ़.स्त्री.)-'हरकतÓ का बहु., हरकतें।
हरकार: (फ़ा.पु.)-डाक ले जानेवाला, एक जगह से दूसरी जगह चिट्ठी आदि पहुँचानेवाला, धावक।
हर कसो नाकस (फ़ा.वि.)-हर कोई, छोटे-बड़े सब, अच्छे-बुरे सब।
हर कुजा (फ़ा.वि.)-हर जगह, प्रत्येक स्थान पर; जिस जगह, जहाँ।
हरगह (फ़ा.वि.)-'हरगाहÓ का लघु., दे.-'हरगाहÓ।
हरगाह (फ़ा.वि.)-हर समय; जिस समय।
हरगिज़ (फ़ा.अव्य.)-कदापि, कभी भी।
हरचंद (फ़ा.अव्य.)-जितना कुछ, जिस $कदर; कितना ही, कितना भी; यद्यपि, अगरचे।
हरचे (फ़ा.अव्य.)-जो कुछ।
हरचे बादाबाद (फ़ा.वा.)-जो हो सो हो।
हरज (अ़.पु.)-हानि, नुक़्सान; उपद्रव, गड़बड़।
हर जा (फ़ा.वि.)-हर जगह, हर स्थान पर।
हरजाई (फ़ा.वि.)-हर जगह पहुँचनेवाला (वाली); हरेक के पास रहनेवाली स्त्री, कुलटा, व्यभिचारिणी।
हरदम (फ़ा.वि.)-हर समय, हर वक़्त; निरन्तर, लगातार; नित्य, हमेशा।
हरदमख़्ायाल (फ़ा.वि.)-ऐसा आदमी जो समय-समय पर अपी राय बदले, विषमशील, अनेकचित्त।
हरदिलअज़़ीज़ (अ़.फ़ा.वि.)-सर्वप्रिय, जिस सब पसन्द करें, लोकप्रिय।
हरदो (फ़ा.वि.)-दोनों, उभय।
हरदोसरा (फ़ा.स्त्री.)-उभयलोक, संसार और परलोक।
हरन$फस (अ़.फ़ा.वि.)-हरदम, हरवक़्त।
हरनोई (अ़.फ़ा.वि.)-हर प्रकार का, हर तरह का।



हरब (अ़.पु.)-अत्यधिक कष्ट, बहुत अधिक दु:ख; पलायन, भागना।
हरबाबी ($फा.वि.)-सब-कुछ जाननेवाला, सर्वज्ञ।
हरबार ($फा.वि.)-हर द$फा, हर मर्तबा।
हरम (अ़.पु.)-काÓबा, ख़्ाुदा का घर; मक्के के आसपास का क्षेत्र, जिसके अन्दर किसी प्राणी की हिंसा करना महापाप है; श्रेष्ठजनों के घर की स्त्रियाँ; अंत:पुर, जऩानख़्ााना; वह बाँदी जिसे पत्नी बना लिया गया हो। इसका 'हÓ उर्दू के 'हेÓ अक्षर से बना है।
हरम (अ़.पु.)-प्राचीन इमारत; गुम्बद; बुढ़ापा, जरा। इसका 'हÓ उर्दू के 'हम्जाÓ अक्षर से बना है।
हरमख़्ाान: (अ़.$फा.पु.)-दे.-'हरमसराÓ।
हरमगाह (अ़.$फा.स्त्री.)-दे.-'हरमसराÓ।
हरमसरा (अ़.$फा.स्त्री.)बड़े आदमियों का जऩानख़्ााना, अंत:पुर।
हरमाह: ($फा.वि.)-मासिक, हर महीने होनेवाला।
हरमैन (अ़.पु.)-दोनों हरम अर्थात् मक्का और मदीना।
हरयक ($फा.वि.)-हर एक, हर कोई।
हररोज़: ($फा.वि.)-हर दिन होनेवाला; हर दिन का।
हरलम्ह: (अ़.$फा.वि.)-हर क्षण, प्रति क्षण।
हरवक़्त (अ़.$फा.वि.)-हर समय, हर दम; निरन्तर, लगातार।
हरशब: ($फा.वि.)-हर रात का; हर रात को होनेवाला।
हरस (अ़.पु.)-शाही जऩानख़्ााने का संरक्षक, अंत:पुरिक; बहुत अधिक समय।
हरसाल: ($फा.वि.)-हर वर्ष होने या पानेवाला; हर साल का।
हरसू ($फा.वि.)-हर तर$फ, चारों ओर, चहुँओर, चारों तर$फ।
हरहफ़्त (अ़.स्त्री.)-औरतों के सिंगार की सात चीजें़ , (ईरानी)-वस्य:; मेंहदी; गूलगून:; सफ़ेदाब; जऱक; $गालिय:; सुर्म:; (हिन्दी)-वस्त्र; आभूषण; मेंहदी, सुर्मा; पान; मिस्सी; बालों की सजावट।
हराज (अ़.पु.)-नीलम।
हराम (अ़.पु.)-जिसका खान-पान धर्म में वर्जित हो, अविहित; व्यभिचार, परस्त्री अथवा परपुरुष गमन, जिऩा; प्रतिष्ठित, पूज्य, मु$कद्दस।
हरामकार (अ़.$फा.वि.)-व्यभिचारी, लम्पट, परस्त्रीगामी, ज़ानी।
हरामकारी (अ़.$फा.स्त्री.)-व्यभिचार, परस्त्रीगमन, जिऩा।
हरामख़्ाोर (अ़.$फा.वि.)-मेहनत न करके मुफ़्त का खानेवाला; कामचोर; कृतघ्न, नमकहराम।
हरामख़्ाोरी (अ़.$फा.स्त्री.)-मुफ़्त का खाना; कामचोरी करना; कृतघ्नता, नमकहरामी।
हरामज़ाद: (अ़.$फा.वि.)-हराम का बच्चा, दो$गला, जारज, वर्णसंकर; धूर्त, ख़्ाबीस।
हरामज़ादगी (अ़.$फा.स्त्री.)-दोग़लापन; धूर्तता, ख़्ाबासत।
हरामतोश: (अ़.$फा.वि.)-कृतघ्न, नमकहराम।
हराममग्ज़़ (अ़.पु.)-रीढ़ की हड्डी का गूदा।
हरामसूरत (अ़.वि.)-सूरतहराम, जो कुछ करे-धरे नहीं और मुफ़्त में खाना चाहे; पाज़ी, कमीना।
हरामी (अ़.वि.)-दो$गला, जारज, वर्णसेकर।
हरामुद्दहर (अ़.वि.)-ख़्ाबीस, दुष्टात्मा, बहुत ही पाजी, धूर्त, एक गाली।
हरार: (अ़.पु.)-दे.-'हरारतÓ।
हरारत (अ़.स्त्री.)-गर्मी, उष्णता; हलका ज्वर, हलका बुखार।
हरारते $गरीज़ी (अ़.स्त्री.)-शरीर के भीतर की वह गर्मी जिससे शरीर के सारे कलपुर्जे़ ठीक-ठीक काम करते हैं, प्राणाग्नि।
हरारते $गरीबी (अ़.स्त्री.)-दे.-'हरारते गैऱतब्ईÓ।
हरारते गैऱतब्ई (अ़.स्त्री.)-शरीर के भीतर की अप्राकृतिक गर्मी, जैसे-ज्वर आदि की गर्मी।
हरारते तब्ई (अ़.स्त्री.)-दे.-'हरारते $गरीज़ीÓ, प्राकृतिक गर्मी।
हरि$क (अ़.वि.)-दग्ध, जला हुआ; जलन, तपन।
हरिम (अ़.पु.)-वृद्घ, बूढ़ा।
हरी$क (अ़.वि.)-दग्ध, जला हुआ; जलन, तपन।
हरी$फ (अ़.पु.)-प्रतिद्वंद्वी, जिससे मु$काबला हो; शत्रु, दुश्मन; जिससे लाग-डाँट हो; र$कीब, एक नायिका के दो प्रेमी परस्पर, प्रतिनायक।
हरी$फान: (अ़.$फा.वि.)-हरी$फों-जैसा; प्रतिद्वंद्वियों-जैसा; शत्रुओं-जैसा; र$कीबों-जैसा।
हरीफ़े मु$काबिल (अ़.पु.)-जिससे मु$काबला हो, जिससे होड़ हो, जिससे लड़ाई हो।
हरीम (अ़.पु.)-घर की चारदीवारी, प्राचीर; घर, मकान, भवन, प्रासाद।
हरीमे किब्रिया (अ़.पु.)-अ़र्श, सबसे ऊँचा आस्मान, वह स्थान जहाँ ईश्वर का सिंहासन है।
हरीमे कुद्स (अ़.पु.)-अ़र्श।
हरीमे नाज़ (अ़.$फा.पु.)-दे.-'हरीमे यारÓ।
हरीमे यार (अ़.$फा.पु.)-प्रेमिका का घर।
हरीर: (अ़.पु.)-एक प्रकार का मीठा पेय; आटा, शकर, मेवा और घी से बना हुआ पतला लपटा।
हरीर (अ़.पु.)-एक प्रकार का रेशमी और बारीक कपड़ा।
हरीश (अ़.स्त्री.)-एक पतला कीड़ा, कनसलाई।
हरीस: (अ़.पु.)-एक प्रकार का पतला लपटा।
हरीस (अ़.वि.)-लोभी, लोलुप, लिप्सु, लालची।
हर्क़ (अ़.पु.)-जलना।
हर्कत (अ़.स्त्री.)-दे.-'हरकतÓ, शुद्घ उच्चारण वही है, परन्तु इसे भी प्रयोग किया जाता है।
हर्ज: ($फा.पु.)-क्षतिपूर्ति, तावान, हरजाना।
हजऱ्: ($फा.पु.)-व्यर्थ, अनर्गल, बेहूदा।
हजऱ्:कार ($फा.वि.)-व्यर्थ के और $फुज़ूल के काम करनेवाला, व्यर्थकारी।
हर्ज़:गर्द ($फा.वि.)-व्यर्थ में इधर-उधर मारा-मारा फिरनेवाला, व्यर्थभ्रमी।
हर्ज़:गर्दी ($फा.स्त्री.)-व्यर्थ और बेकार में घूमना-फिरना।
हर्ज़:गो ($फा.वि.)-व्यर्थ की और नि:सार बातें करनेवाला, अनर्गलवादी।
हर्ज़:गोई ($फा.स्त्री.)-व्यर्थ की बातें करना।
हर्ज़:गोश ($फा.वि.)-व्यर्थ की बातें सुनने में समय गँवानेवाला।
हर्ज़:चान: ($फा.वि.)-दे.-'हर्ज़:गोÓ।
हर्ज़:दवी ($फा.स्त्री.)-व्यर्थ में इधर-उधर भागना, व्यर्थ में प्रयास करना।
हर्ज़:दिरा ($फा.वि.)-दे.-'हर्ज़:गोÓ।
हर्ज़:दिराई ($फा.स्त्री.)-दे.-'हर्ज़:गोईÓ।
हर्ज़:ला ($फा.वि.)-दे.-'हर्ज़:गोÓ।
हर्ज़:सरा ($फा.वि.)-दे.-'हर्ज़:गोÓ।
हर्ज़:सराई ($फा.स्त्री.)-दे.-'हर्ज़:गोईÓ।
हर्जमर्ज ($फा.पु.)-गड़बड़, दंगा, उपद्रव।
हर्जान: ($फा.पु.)-वह धन जो किसी हानि की पूर्ति के लिए दिया जाए, तावान।
हर्फ़ (अ़.पु.)-अक्षर, वर्ण; बात, शब्द; दोष, ऐब, बुराई; (व्या.)-अव्यय।
हर्फ़अंदाज़ (अ़.$फा.वि.)-मक्कार, धूर्त, वंचक, चालाक।
हर्फ़अंदाज़ी (अ़.$फा.स्त्री.)-मक्कारी, चालाकी, धूर्तता, वंचकता।
हर्फ़आशना (अ़.$फा.वि.)-बहुत कम पढ़ा-लिखा, अटक-अटककर उलटा-सीधा पढऩेवाला।
हर्फग़ीर (अ़.$फा.वि.)-आलोचना करनेवाला, ऐब निकालनेवाला, छिद्रान्वेशी।
हर्फग़ीरी (अ़.$फा.स्त्री.)-आलोचना, ऐबजोई, छिद्रान्वेषण।
हर्फज़ऩ (अ़.$फा.वि.)-बात करनेवाला, बातें करता हुआ।
हर्फज़ऩी (अ़.$फा.स्त्री.)-बातें करना, वार्तालाप करना।
हर्फऩ हर्फऩ (अ़.वि.)-अक्षरश:, एक-एक हर्फ़ करके, पूरा-पूरा, विस्तारपूर्वक।
हर्फऩाआशना (अ़.$फा.वि.)-अनपढ़, अशिक्षित, बेपढ़ा-लिखा।
हर्फ़ बहर्फ़ (अ़.$फा.वि.)-दे.-'हर्फऩ हर्फऩÓ।
हर्फ़शनास (अ़.$फा.वि.)-केवल अक्षरों को पहचाननेवाला, बहुत कम पढ़ा-लिखा।
हर्फ़शनासी (अ़.$फा.स्त्री.)-केवल अक्षरों का ज्ञान, बहुत कम पढ़ा होना।
ह$र्फी (अ़.वि.)-अक्षरवाला; अक्षर का; अक्षर-सम्बन्धी।
हर्फे़ अ़त्फ़ (अ़.पु.)-वह अक्षर जो दो शब्दों को परस्पर मिलाने के लिए उनके बीच में आए, जैसे-'रोज़ोशबÓ (रोज़ व शब) में 'वावÓ अर्थात् 'ओÓ।
हर्फे़ आख़्िार (अ़.पु.)-आख़्िारी बात, अंतिम निर्णय; अटल बात, पक्की बात।
हर्फे़ इज़ाफ़त (अ़.पु.)-दो शब्दों के सम्बन्ध के लिए बीच में आनेवाला अव्यय, जैसे-'राम की कारÓ में 'कीÓ।
हर्फे़ इल्लत (अ़.पु.)-उर्दू में 'अलि$फÓ, 'वावÓ और येÓ; हिन्दी में स्वर; इंगलिश में 'वावेलÓ।
हर्फे़ इस्तिद्राक (अ़.पु.)-वह अव्यय जो प्रश्नवाचक हो।
हर्फे़ इस्तिस्ना (अ़.पु.)-वह अक्षर जिससे कोई मुस्तस्ना बनता हो, जैसे-'सब आ गए मगर रामÓ में 'मगरÓ।
हर्फे़ $कमरी (अ़.पु.)-दे.-'हुरूफ़े $कमरीÓ।
हर्फे़ $गलत (अ़.पु.)-वह अक्षर जो अशुद्घ हो और जिसका मिटाना अनिवार्य हो; झूठी बात। 'हयात बख़्शने वाले बुरा किया तूने, मुझे तो हर्फे़ $गलत की तरह मिटाना थाÓ-माँझी
हर्फे़ जर (अ़.पु.)-इज़ा$फत देनेवाला अव्यय, सम्बन्धकारक अव्यय।
हर्फे़ तंबीह (अ़.पु.)-चेतावनी देनेवाली बात।
हर्फे़ तर्दीद (अ़.पु.)-खण्डन करनेवाला कथन।
हर्फे़ तश्बीह (अ़.पु.)-वह शब्द जो उपमा के लिए आए, जैसे-समान, तुल्य, सदृश।
हर्फे़ ताकीद (अ़.पु.)-दे.-'हर्फे़ तंबीहÓ।
हर्फे़ न$फी (अ़.पु.)-वह शब्द जो 'नÓ के अर्थ में आए।
हर्फे़ निदा (अ़.पु.)-वह शब्द जिससे सम्बोधन किया जाए।
हर्फे़ नुद्ब: (अ़.पु.)-वह शब्द या अव्यय, जो विलाप के लिए बोला जाए, जैसे-हाय, आह।
हर्फे़ मत्लब (अ़.पु.)-मतलब की बात, उद्देश्य, आशय।
हर्फे़ मुकर्रर (अ़.पु.)-दुबारा आया हुआ शब्द, दो बार कही हुई बात।
हर्फे़ वस्ल (अ़.पु.)-दो शब्दों को जोडऩेवाला अक्षर।
हर्फे़ शम्सी (अ़.पु.)-दे.-'हुरूफ़े शम्सीÓ।
हर्फे़ सहीह (अ़.पु.)-सच्ची बात; व्यंजन, वह अक्षर जो 'स्वरÓ न हो, वह हर्फ़ जो 'हर्फे़ इल्लतÓ न हो।
हफऱ्ोहिकायत (अ़.स्त्री.)-बातचीत, वार्तालाप, कथोपकथन।
हर्ब: (अ़.पु.)-अस्त्र, शस्त्र, हथियार; आक्रमण, आघात, वार; साँग, शक्त।
हर्ब (अ़.पु.)-समर, संग्राम, युद्घ, लड़ाई, जंग।
हर्बगाह (अ़.$फा.स्त्री.)-रणस्थल, युद्घक्षेत्र, मैदाने जंग।
हर्बी (अ़.वि.)-सामरिक, युद्घ-सम्बन्धी; सैनिक, जंगी।
हर्बोज़र्ब (अ़.पु.)-मारकाट, लड़ाई-झगड़ा, ख़्ाून-ख़्ाराबा।
हर्रा$फ: (अ़.स्त्री.)-अत्यधिक बातूनी स्त्री; कुलटा, भ्रष्टा, असाध्वी, धूर्ता।
हर्रा$फ (अ़.वि.)-मुखर, वाचाल, बातूनी, लस्सान; धूर्त, चालाक, मक्कार।
हरास (अ़.वि.)-कृषक, किसान, काश्तकार।
हर्स (अ़.पु.)-कृषि, खेती, काश्त। इसका 'सÓ उर्दू के 'सेÓ अक्षर से बना है।
हर्स (अ़.पु.)-हिरासत, पकड़, निगरानी। इसका 'सÓ उर्दू के 'सीनÓ अक्षर से बना है।
हल [ल्ल] (अ़.पु.)-किसी समस्या की पूर्ति, समाधान, सुलझाव; घुल जाना, विलयन; मुअ़म्मा अर्थात् प्रतियोगिता के अन्य स्थानों की पूर्ति; आसानी, सुगमता, सरलता।
हलक: (अ़.पु.)-'हालिकÓ का बहु., मरनेवाले, हत होनेवाले, हलाक होनेवाले।
हलक (अ़.स्त्री.)-गहरी कालिमा, गहरी स्याही, घुप्प अँधेरा।
हलब (अ़.पु.)-ताज़ा अथवा सद्य दुहा हुआ दूध; सीरिया का एक प्रसिद्घ नगर, जहाँ के दर्पण अर्थात् शीशे बहुत प्रसिद्घ हैं।
हलबी (अ़.वि.)-हलब-सम्बन्धी; हलब का निवासी; हलब का बना हुआ।
हलम: (अ़.स्त्री.)-चूँची, भिटनी, वृंत, स्तनवृंत, स्तनाग्र, पुरच्छद।
हलाइल (अ़.स्त्री.)-'हलील:Ó का बहु., ब्याहता पत्नियाँ।
हलाक ($फा.वि.)-वधित, हत, मक़्तूल; किसी घटना में मरा हुआ, जैसे-सड़क दुर्घटना में या महामारी में।
हलाकख़्ाोर ($फा.वि.)-मृतपशु का मांस खानेवाले, मुर्दे का मांस खानेवाले।
हलाकत ($फा.स्त्री.)-किसी घटना में मरना; $कत्ल होना, वध।
हलाकू (तु.पु.)-दे.-'हुलाकूÓ, वही शुद्घ उच्चारण है।
हलाल: (अ़.पु.)-तला$क की एक $िकस्म, जिसमें तला$क-शुदा स्त्री को दूसरे पुरुष से विवाह करना पड़ता है और उसके तला$क देने पर ही वह पहले पति से विवाह कर सकती है।
हलाल (अ़.वि.)-विहित, जाइज़, जिसका खाना और पीना धर्म में वर्जित न हो; ज़ब्ह किया हुआ, ज़बीह:।
हलालख़्ाोर (अ़.$फा.पु.)-मेहतर, भंगी।
हलालज़ाद: (अ़.$फा.पु.)-जो शुद्घ औरस से हो, कुलीन।
हलावत (अ़.स्त्री.)-मिठास, माधुर्य, शीरीनी।
हलावतचश (अ़.$फा.वि.)-मिठास चखनेवाला, स्वाद लेनेवाला, आनन्द उठानेवाला।
हलावतपसंद (अ़.$फा.वि.)-मिठास-प्रिय, जिसे मिठास बहुत अच्छी लगती हो, मिठाई अधिक खानेवाला।
हलावते ज़बाँ (अ़.$फा.स्त्री.)-बातचीत की मिठास, बातों का रस; भाषा की मधुरता; कविता का रस और घुलावट।
हलावते सुखन (अ़.$फा.स्त्री.)-बातों की मिठास, बतरस, वार्ता-माधुर्य; काव्य-माधुर्य, शाइरी का रस।
हलाहिल (अ़.वि.)-बहुत ही तीव्र और प्रचण्ड विष, कालकूट, हलाहल।
हली$फ (अ़.वि.)-जिसने किसी के साथ किसी बात की शपथ ली हो; मित्र, दोस्त, सखा।
हलीब (अ़.पु.)-ताज़ा दूध, कच्चा दूध।
हलीम: (अ़.स्त्री.)-सहनशीला, गम्भीर स्त्रीे; वह स्त्री, जिसने हज्ऱत मुहम्मद साहब को दूध पिलाया था।
हलीम (अ़.वि.)-सहनशील, गम्भीर; एक खाद्य-पदार्थ, खिचड़ी।
हलीमुत्तब्अ़ (अ़.वि.)-जो स्वभाव से सहिष्णु और गम्भीर हो।
हलील: (अ़.स्त्री.)-विवाहिता, पत्नी, भार्या।
हलील (अ़.पु.)-पति, स्वामी, मालिक, शौहर; पड़ोसी, प्रतिवेशी; एक ही घर में रहनेवाला, सहनिवासी।
हलैल: (अ़.स्त्री.)-हड़, हरीतिकी, एक फल जो दवा में काम आता है।
हल्क़: (अ़.पु.)-मण्डल, घेरा, परिधि; मण्डली, समुदाय, जमाअ़त; क्षेत्र, प्रक्षेत्र, इला$का।
हल्क़:नुमा (अ़.$फा.वि.)-गोल, गोलाकार।
हल्क़:दरगोश (अ़.$फा.वि.)-दे.-'हल्क़:बगोशÓ।
हल्क़:बगोश (अ़.$फा.वि.)-जिसके कान में दासता का कुण्डल पड़ा हो, दास; भक्त, श्रद्घालु, अनुयायी, अत्यधिक श्रद्घा रखनेवाला।
हल्क़ (अ़.पु.)-कण्ठ, गला; बाल मुँडना, मुंडन।
हल्$कए अइज़्ज़: (अ़.पु.)-रिश्तेदारों की जमाअ़त, बंधुवर्ग।
हल्$कए अह्बाब (अ़.पु.)-मित्र-मण्डली, दोस्तों का हल्$का, मित्रवर्ग, मित्रगण, यार-बाश।
हल्क़ए आगोश (अ़.$फा.पु.)-आलिंगन के लिए हाथों से बनाया हुआ घेरा, भुज-बंधन।
हल्$कए इरादत (अ़.पु.)-अनुयायियों की मण्डली, भक्तगण।
हल्$कए गिर्दाब (अ़.$फा.पु.)-भँवर, जलावर्त।
हल्$कए चश्म (अ़.$फा.पु.)-आँख का घेरा, नेत्र-मण्डल, चक्षु-गोलक।
हल्$कए ज़ंजीर (अ़.$फा.पु.)-जंज़ीर की कड़ी, शृंखला का छल्ला।
हल्$कए दर (अ़.$फा.पु.)-दरवाज़े की कुंडी, किवाड़ों का जंज़ीर।
हल्$कए मक़्अ़द (अ.पु.)-गुदावर्त, गुदाद्वार।
हल्$कए माह (अ़.$फा.पु.)-चाँद के चारों ओर पडऩेवाला घेरा, चन्द्रमण्डल, परिवेष, तेजोमण्डल।
हल्$कए मेह्रï (अ़.$फा.पु.)-सूरज के चारों ओर पडऩेवाला घेरा, रविमण्डल, रवि-बिम्ब।
हल्$कची (अ़.$फा.स्त्री.)-जलेबी, एक प्रसिद्घ मिठाई।
हल्कान (तु.वि.)-परास्त, चूर-चूर , क्लांत, श्रांत, अधमुआ।
हल्$की (अ़.वि.)-कंठ का; कंठ सम्बन्धी; कंठ से उच्चरित (अक्षर)।
हल्$कूम (अ़.पु.)-कंठ, गला, हल्$क।
हल्क़े रास (अ़.पु.)-सिर मुँड़वाना, मुंडन।
हल्ज़ून (अ़.पु.)-शंबुक, दर, शंख, संख।
हल्$फ (अ़.पु.)-शपथ, सौगन्ध, $कसम।
हल्$फदरोग़ी (अ़.$फा.स्त्री.)-अ़दालत में झूठा हल्$फ लेना, झूठी शपथ उठाना।
हल्$फन (अ़.वि.)-शपथपूर्वक, $कसम से।
हल्$फनाम: (अ़.$फा.पु.)-शपथपत्र, इस बात की तहरीर की अमुक बात शपथपूर्वक कही गई है।
हल्$फी (अ़.वि.)-हल्$फ-सहित, शपथपूर्वक।
हल्$फे शर्ई (अ़.पु.)-धर्मशास्त्र के अनुसार उठाई हुई शपथ।
हल्ब (अ़.पु.)-दूह दुहना।
हल्ला$क (अ़.वि.)-मूँडऩेवाला, क्षौरिक, नापित, नाई।
हल्ला$की (अ़.स्त्री.)-क्षौरकर्म, मूँडऩे का काम।
हल्लाज (अ़.पु.)-रुई धुननेवाला, धुनिया।
हल्ला$फ (अ़.वि.)-वह व्यक्ति, जो शपथ लेने का अ़ादी या अभ्यस्त हो।
हल्लाल (अ़.वि.)-ग्रंथि खोलनेवाला, समाधान करनेवाला।
हल्ले मुश्किल (अ़.पु.)-जटिल समस्याओं या कठिनाइयों को हल करना।
हल्लो अ़क़्द (अ़.पु.)-खोलना और बाँधना, प्रबन्ध, व्यवस्था।
हल्वा (अ़.पु.)-मीठी चीज़; घी, चीनी, मेवा और आटा आदि से बना हुआ खाद्य पदार्थ, संयाब।
हल्वाई (अ़.पु.)-हलुवा या मिठाई बनाने और बेचनेवाला।
हल्वाए तर (अ़.$फा.पु.)-घी में तरबतर हलुवा।
हल्वाए बेदूद (अ़.$फा.पु.)-वह हलुवा, जो ऐसी आग पर पका हो जिसमें धुआँ न हो, अर्थात् सूरज की गर्मी से पके हुए फल।
हल्वाख़्ाोर (अ़.$फा.वि.)-हलुवा खानेवाला।
हल्वा$फरोश (अ़.$फा.वि.)-हलुवा बेचनेवाला।
हवन्न$क (उ.वि.)-बुद्घू, बौड़म, गावदी।
हवल (अ़.$वि.)-भेंगापन, ऐंचातानापन।
हवस (अ़.स्त्री.)-उत्कंठा, लालसा, जो बहुत बड़ा लोभी हो।
हवसकार (अ़.$फा.वि.)-लोलुप, लोभी, लालची।
हवसकारी (अ़.$फा.स्त्री.)-लोभ करना, लालच करना।
हवसनाक (अ़.$फा.वि.)-दे.-'हवसपरस्तÓ।
हवसनाकी (अ़.$फा.स्त्री.)-दे.-'हवसपरस्तीÓ।
हवसपरस्त ($फा.वि.)-लोभी, लालची, जो बहुत बड़ा लोभी हो।
हवसपरस्ती ($फा.स्त्री.)-लोभ, लालच।
हवसपेश: ($फा.वि.)-दे.-'हवसपरस्तÓ।
हवसपेशगी ($फा.स्त्री.)-दे.-'हवसपरस्तीÓ।
हवसराँ ($फा.वि.)-दे.-'हवसपरस्तÓ।
हवसरानी ($फा.स्त्री.)-दे.-'हवसपरस्तीÓ।
हवा (अ़.स्त्री.)-वात, वायु; धाक, रोब; इच्छा, आकांक्षा, ख़्वाहिश; लिप्सा, लोभ, लालच।
हवाइज (अ़.पु.)-'हाजतÓ का बहु., आवश्यकताएँ।
हवाइजे ज़ुरूरी (अ़.पु.)-प्रात:कर्म, शौचसदिकर्म, पेशाब-पाख़्ााना वगैऱह।
हवा इजे सित्त: (अ़.पु.)-जीवन की छह प्रमुख आवश्यकताएँ- शौचादि (पेशाब-पाख़्ााना); खाना-पीना; सोना-जागना; चलना-फिरना; साँस लेना; ख़्ाुशी और ग़म।
हवाई (अ़.वि.)-वायु-सम्बन्धी; वायु का; एक प्रकार की आतिशबाज़ी।
हवाए गर्म (अ़.$फा.स्त्री.)-गर्म हवा, तप्त-वायु, लपट, लू।
हवाए तुंद (अ़.$फा.स्त्री.)-तेज़ हवा, झक्कड़।
हवाए समूम (अ़.$फा.स्त्री.)-ज़हरीली हवा, विषाक्त वायु।
हवाए सर्द (अ़.$फा.स्त्री.)-ठण्डी हवा, शीतल वायु।
हवाए सर्सर (अ़.स्त्री.)-झक्कड़, आँधी, तेज़ हवा।
हवाख़्ोज़ी (अ़.$फा.स्त्री.)-हवा उखडऩा, बँधी या बनी हुई बात बिगडऩा, जमी हुई धाक का उखडऩा, प्रतिष्ठा का क्षीण होना।
हवाख़्ाोर (अ़.$फा.वि.)-प्रात:काल सैर पर जानेवाला, सवेरे-तड़के खुली हवा में टहलनेवाला, वायु-सेवन करनेवाला।
हवाख़्ाोरी (अ़.$फा.स्त्री.)-प्रात:काल सैर पर जाना, सवेरे-तड़के खुली हवा में टहलना, वायु-सेवन।
हवाख़्वाह (अ़.$फा.वि.)-शुभ-चिन्तक, भलाई चाहनेवाला, ख़्ौरख़्वाह।
हवाख़्वाही (अ़.$फा.स्त्री.)-किसी का शुभ चाहना, भलाई चाहना, ख़्ौरख़्वाही।
हवादार (अ़.$फा.वि.)-शुभ-चिन्तक, बिहीख़्वाह; मित्र, दोस्त; एक प्रकार की खुली हुई पालकी; वह वस्तु, जिसमें हवा का आना-जाना निर्विरोध बना रहे।
हवादारी (अ़.$फा.स्त्री.)-हित-चिन्तन, ख़्ौरख़्वाही; मैत्री, दोस्ती।
हवादिज (अ़.पु.)-'हौदजÓ का बहु., हाथी के हौदे।
हवादिस (अ़.पु.)-'हादिस:Ó का बहु., हादिसे, दुर्घटनाएँ।
हवादिस आश्ना (अ़.$फा.वि.)-जो दुर्घटनाएँ सहने का अ़ादी या अभ्यस्त हो।
हवादिसख़्ोज़ (अ़.$फा.वि.)-हादिसे और दुर्घटनाएँ उठानेवाला।
हवादिसे ज़मान: (अ़.पु.)-दे.-'हवादिसे रोजग़ारÓ।
हवादिसे रोजग़ार (अ़.$फा.पु.)-कालचक्र, समय की उलट-पलट।
हवान (अ़.स्त्री.)-अपमान, तिरस्कार, बेइज़्ज़ती।
हवापरस्त (अ़.$फा.वि.)-अवसरवादी, मौ$कापरस्त, जिधर की हवा देखे उधर चलनेवाला।
हवापरस्ती (अ़.$फा.स्त्री.)-अवसरवादिता, मौ$कापरस्ती, जिधर की हवा हो उधर चलना।
हवाबाज़ (अ़.$फा.वि.)-हवाई-जहाज़ उड़ानेवाला, वायुयान-चालक, पायलेट; (ला.)-झूठी शान बघारनेवाला।
हवाबाज़ी (अ़.$फा.स्त्री.)-हवाई जहाज़ उड़ाना; पायलेट का पद या पेशा; (ला.)-झूठी शान बघारना।
हवाम (अ़.पु.)-ज़मीन के अन्दर रहनेवाले प्राणी, जैसे-साँप-बिच्छू, चूहे, चींटी, कीड़े-मकोड़े आदि।
हवामिल (अ़.स्त्री.)-'हामिल:Ó का बहु., गर्भवती स्त्रियाँ।
हवारफ़्तार (अ़.$फा.वि.)-हवा की भाँति तेज़ चलनेवाला, वायुवेग।
हवारफ़्तारी (अ़.$फा.स्त्री.)-हवा की तरह तेज़ चलना।
हवारी (अ़.पु.)-प्रतिष्ठित, मुख्य, बुज़ुर्ग; सहायक, मददगार; हज्ऱत ईसा का सहचर।
हवाल: (अ़.पु.)-हस्तान्तरण, सुपुर्दगी; नज़ीर, अवतरण।
हवाल:जात (अ़.पु.)-'हवाल:Ó का बहु., हवाले, अवतरण-समूह, अनूकाश-समूह।
हवालात (अ़.स्त्री.)-मु$कदमा तै होने से पहले आरोपियों को रखने का स्थान।
हवालाती (अ़.वि.)-जो हवालात में बन्द हो।
हवालिए शह्रï (अ़.$फा.पु.)-नगर के आसपास का इला$का।
हवाली (अ़.पु.)-आसपास, चहुँपास, चहुँओर।
हवाशी (अ़.पु.)-'हाशिय:Ó का बहु., टिप्पणियाँ, $फुटनोट्स।
हवास [स्स] (अ़.पु.)-'हास्स:Ó का बहु., इन्द्रियाँ।
हवासगुम (अ़.$फा.वि.)-दे.-'हवासबाख़्त:Ó।
हवास बरजा (अ़.$फा.वि.)-जिसके होशो-हवास ठीक हों, दृढ़संज्ञ।
हवासबाख़्त: (अ़.$फा.वि.)-जिसके होशो-हवास ठीे न हों, हतसंज्ञ।
हवासिल (अ़.पु.)-'हौसल:Ó का बहु., पक्षियों के पोटे; एक जलपक्षी, जिसका पोटा बड़ा होता है।
हवासे ख़्ाम्स: (अ़.पु.)-पाँचों इन्द्रियाँ, पंचेन्द्रियाँ।
हवासे ज़ाहिरी (अ़.पु.)-बाहरी अर्थात् दिखाई दनेवाली इन्द्रियाँ; स्पर्श; श्रवण; घ्राण; स्वाद; दृष्टि।
हवासे बातिनी (अ़.पु.)-भीतरी अर्थात् दिखाई न देनेवाली इन्द्रियाँ; स्मरण; विचार; कल्पना।ँ
हवेली ($फा.स्त्री.)-'हवाली का इमाल:Ó, पक्का और बड़ा मकान, भवन।
हश$फ: (अ़.पु.)-लिंगेन्द्रिय की सुपारी, लिंगाग्न, दे.-'हश्$फ:Ó, दोनों शुद्घ हैं।
हशम (अ़.पु.)-'हाशिमÓ का बहु., वे नौकर जो स्वामी के लिए लड़ें; नौकर-चाकर।
हशमत (अ़.पु.)-नौकर-चाकर, (दूसरे अर्थ के लिए देखें-'हिश्मतÓ)।
हशमोख़दम (अ़.पु.)-नौकर-चाक, लाव-लश्कर, नौकरों की भीड़-भाड़।
हशर: (अ़.पु.)-रेंगनेवाला कीड़ा।
हशरात (अ़.पु.)-'हशर:Ó का बहु., कीड़े-मकोड़े।
हशरातुलअर्ज़ (अ़.पु.)-ज़मीन पर रेंगनेवाले कीड़े-मकोड़े।
हशा (अ़.पु.)-जो कुछ पेट और सीने के भीतर है, आँतें, नसें आदि।
हशाइश (अ़.पु.)-'हशीशÓ का बहु., सूखी घासें; विजया-बूटी, भाँग, भंग।
हशाशत (अ़.स्त्री.)-प्रसन्नता, प्रफुल्लता, ख़्ाुश तब्ई।
हशीश (अ़.पु.)-सूखी घास; भंग, भाँग, विजया।
हश्तंगुश्त ($फा.वि.)-आठ अंगुल लम्बा; आठ उँगलियोंवाला।
हश्त ($फा.वि.)-आठ, अष्ट।
हश्त अंगुश्त ($फा.वि.)-दे.-'हश्तंगुश्तÓ।
हश्तगंज ($फा.वि.)-ख़्ाुस्रो पर्वेज़ की आठ निधियाँ।
हश्तगोश: ($फा.वि.)-अष्टकोण, आठ कोनोंवाला।
हश्तनिकाती (अ़.$फा.वि.)-अष्टसूत्री, आठ सिद्घान्तोंवाला।
हश्तपहलू ($फा.वि.)-आठ कोनोंवाला, आठ पाश्र्ववाला; अष्टसूत्री, आठ सिद्घान्तोंवाला, हश्तनिकाती।
हश्तबिहिश्त ($फा.स्त्री.)-आठों स्वर्ग।
हश्तबुश्ताँ ($फा.पु.)-आठों बाग़ अर्थात् आठों स्वर्ग।
हश्तहश्तमंजऱ (अ़.$फा.पु.)-आठों स्वर्ग।
हश्तमावा (अ़.$फा.पु.)-आठों स्वर्ग।
हश्तसद ($फा.वि.)-आठ सौ।
हश्ताद ($फा.वि.)-अस्सी, चालीस का दूना।
हश्तादसाल: ($फा.वि.)-अस्सी साल का; अस्सी बरस में होनेवाला; अस्सी वर्षीय बूढ़ा।
हश्तुम ($फा.वि.)-आठवाँ, अष्टम्।
हश्तुमीं ($फा.वि.)-आठवाँ।
हश्$फ: (अ़.पु.)-दे.-'हश$फ:Ó, दोनों शुद्घ हैं।
हश्र (हश्र) (अ़.पु.)-महाप्रलय, $कयामत; प्रलयकाल में मुर्दों का उठना और $कब्रों से बाहर आना; आपत्ति, विपत्ति, विपदा, मुसीबत।
हश्रअंगेज़ (अ़.$फा.वि.)-$कयामत उठा देनेवाला, हलचल और हंगामा मचा देनेवाला, उपद्रवकारी, प्रलयंकर।
हश्रअंगेज़ी (अ़.$फा.स्त्री.)-उपद्रव और लचल पैदा करना, हंगामा मचाना।
हश्र$कामत (अ़.वि.)-प्रेयसी, प्रेमिका, माÓशू$का।
हश्रख़्िाराम (अ़.$फा.वि.)-अपनी चाल से $कयामत लाने या ढानेवाला, ऐसी चाल चलनेवाला जिससे संसार (देखनेवालों के दिलों में) में उथल-पुथल हो जाए।
हश्रख़्िारामी (अ़.$फा.स्त्री.)-चाल से संसार में उथल-पुथल पैदा करना।
हश्रज़ा (अ़.$फा.वि.)-दे.-'हश्रअंगेज़Ó।
हश्रज़ाई (अ़.$फा.स्त्री.)-दे.-'हश्रअंगेज़ीÓ।
हश्रतराज़ (अ़.$फा.वि.)-दे.-'हश्रअंगेज़Ó।
हश्रतराज़ी (अ़.$फा.स्त्री.)-दे.-'हश्रअंगेज़ीÓ।
हश्रपर्वर (अ़.$फा.वि.)-उपद्रवों और हंगामों की पर्वरिश करनेवाला।
हश्रसामाँ (अ़.$फा.वि.)-उथल-पुथल और हंगामों का सामान साथ रखनेवाला या सामान करनेवाला।
हश्रसामानी (अ़.$फा.स्त्री.)-उथल-पुथल करना, $कयामत उठाना, संसार को अस्त-व्यस्त करना।
हश्रोनश्र (अ़.पु.)-महाप्रलय, $कयामत; मर्दों का जी उठना और हर तर$फ फैल जाना।
हश्व (अ़.पु.)-भरती की चीज़, अन्दर भरी जानेवाली चीज़; साहित्य में वह शब्द या वाक्य जिसके बिना भी अर्थ में कमी न आये; उर्दू छन्द में पद के आदि और गणों के अन्त के अतिरिक्त बीच में आनेवाले गण।
हश्शाश (अ़.वि.)-भंगड़, भंग या भाँग पीनेवाला। इसका 'हÓ उर्दू के 'हेÓ अक्षर से बना है।
हश्शाश (अ़.वि.)-हर्षित, प्रसन्न, ख़्ाुश, प्रफुल्ल, हृष्ट। इसका 'हÓ उर्दू के 'हम्ज़:Ó अक्षर से बना है।
हश्शाशोबश्शाश (अ़.वि.)-जो बहुत ही प्रसन्न और प्रफुल्ल हो; जो बहुत ही स्वस्थ हो।
हसक ($फा.पु.)-सूप, छाज, अनाज फटकने का यंत्र। इसका 'हÓ उर्दू के 'हम्ज़:Ó अक्षर से बना है।
हसक (अ़.पु.)-गुखरू, गोखरू, विकंटक; लोहे के गोखरूनुमा काँटे, जो लड़ाई के समय शत्रु के रास्ते में बिछा दिए जाते थे। इसका 'हÓ उर्दू के 'हेÓ अक्षर से बना है।
हसद (अ़.पु.)-डाह, जलन, ईष्र्या, मत्सर।
हसन: (अ़.पु.)-भली चीज़, सुन्दर वस्तु; भलाई, नेकी।
हसन (अ़.वि.)-रूपवान्, सुन्दर, ख़्ाूबसूरत; प्रियदर्शन, ख़्ाुशनुमा; उत्तम, श्रेष्ठ, बढिय़ा; हज्ऱत अ़ली के बड़े लड़के, इमाम हुसैन के बड़े भाई।
हसनात (अ़.पु.)-'हसन:Ó का बहु., भलाइयाँ, नेकियाँ, सुकृतियाँ।
हसनी (अ़.वि.)-इमाम हसन से सम्बन्ध रखनेवाला; उनका अनुयायी; उनका वंशज।
हसनैन (अ़.पु.)-दो 'हसनÓ अर्थात् हसन और हुसैन।
हसब: (अ़.पु.)-ख़्ास्र: (ख़्ासरा), छोटे-छोटे लाल दाने जो बच्चों को निकल आते हैं, दे.-'हुस्ब:Ó, दोनों शुद्घ हैं।
हसब (अ़.पु.)-गिनती, गणता, शुमार; कूत, अनुमान, अंदाज़ा; श्रेष्ठता, बड़ाई। इसका 'सÓ उर्दू के 'सीनÓ अक्षर से बना है।
हसब (अ़.स्त्री.)-ईंधन, जलावन, जलाने की लकड़ी आदि। इसका 'सÓ उर्दू के 'सुअ़ादÓ अक्षर से बना है।
हसबोनसब (अ़.पु.)-कुलीनता और श्रेष्ठता, वंश और प्रतिष्ठा, ख़्ाानदानी हालत।
हसा (अ़.पु.)-'हसातÓ का बहु., कंकरियाँ, कंकर-समूह, पत्थर के छोटे-छोटे टुकड़े, संगरेज़े।
हसात (अ़.स्त्री.)-कंकर, पत्थर, कंकरी, ठीकरी; गुर्दे या मूत्राशय में बननेवाली पथरी, अश्मरी।
हसा$फत (अ़.स्त्री.)-बुद्घि परिपक्वता, अ़क़्ल की पुख़्तगी; संवेदनशीलता, तज्रिबाकारी (तजुर्बाकारी)।
हसीद (अ़.वि.)-काटा हुआ खेत, काटी हुई खेती या $फसल।
हसीन: (अ़.वि.)-सुन्दरी, स्पवती, सुन्दर स्त्री, वरारोहा, शोभना, वरांगना। इसका 'सÓ उर्दू के 'सीनÓ अक्षर से बना है।
हसीन: (अ़.वि.)-दृढ़ और मज़बूत चीज़। इसका 'सÓ उर्दू के 'सुअ़ादÓ अक्षर से बना है।
हसीन (अ़.वि.)-रूपवान्, सुन्दर, सुरूप, ख़्ाूबसूरत; प्रियदर्शन, शोभन, ख़्ाुशनुमा। इसका 'सÓ उर्दू के 'सीनÓ अक्षर से बना है।
हसीन (अ़.वि.)-सुदृढ़, सुस्थिर, अविचल, मुस्तहकम। इसका 'सÓ उर्दू के 'सुअ़ादÓ अक्षर से बना है।
हसीनतरीन (अ़.$फा.वि.)-अत्यधिक रूपवान्, बहुत ही सुन्दर, सुन्दरतम।
हसीनुलवज्ह (अ़.वि.)-रूपवान्, सुरूप, अच्छी सूरतवाला।
हसीब (अ़.वि.)-हिसाब करनेवाला; पूज्य, मान्य, बुज़ुर्ग; ईश्वर का एक नाम।
हसीर (अ़.स्त्री.)-खजूर की चटाई। इसका 'सÓ उर्दू के 'सुअ़ादÓ अक्षर से बना है।
हसीर (अ़.वि.)-दु:खी, तप्त, क्लेशित, रंजीदा; श्रान्त, क्लांत, शिथिल, माँदा। इसका 'सÓ उर्दू के 'सीनÓ अक्षर से बना है।
हसूक (अ़.वि.)-काँटेदार, सकंटक; निकृष्ट, उपद्रवी, शरीर।
हसूद (अ़.वि.)-अत्यधिक डाह करनेवाला, बहुत अधिक ईष्र्या करनेवाला।
हसून (अ़.वि.)-संयमी, इन्द्रिय-निग्रही, परहेजग़ार, ज़ाहिद।
हसूर (अ़.वि.)-वह व्यक्ति जो स्त्री की ओर आकृष्ट न होता हो, यद्यपि वह नपुंसक न हो।
हस्त ($फा.अव्य.)-है, अस्ति, (स्त्री.)-अस्तित्व, वुजूद; उपस्थिति, मौजूदगी।
हस्तिए चंदरोज़: ($फा.स्त्री.)-कुछ दिनों की जि़न्दगी, थोड़े दिनों का जीवन, अस्थायी और क्षणिक जि़न्दगी।
हस्तिए जाविदाँ ($फा.स्त्री.)-ऐसी जीवन जो कभी नष्ट न हो, स्थायी जि़न्दगी।
हस्तिए दुरोज़: ($फा.स्त्री.)-दे.-'हस्तिए चंदरोज़:Ó।
हस्तिए नापाएदार ($फा.स्त्री.)-वह जीवन जो स्थायी और दृढ़ न हो, नश्वर जीवन।
हस्तिए $फानी (अ़.$फा.स्त्री.)-दे.-'हस्तिए नापाएदारÓ।
हस्तिए मुस्तअ़ार (अ़.$फा.स्त्री.)-कुछ दिनों के लिए प्राप्त जीवन; कुछ समय रहनेवाला संसार अर्थात् नश्वर जगत्।
हस्तिए मौहूम (अ़.$फा.स्त्री.)-वह जीवन, जो देखने में तो जीवन हो परन्तु उसका कोई अस्तित्व न हो।
हस्ती ($फा.स्त्री.)-अस्तित्व, वुजूद; जीवन, प्राण, जि़न्दगी; जगत्, संसार, दुनिया; प्राणीवर्ग, मख़्लू$कात; सामथ्र्य, मक़्दूर।
हस्तोनेस्त ($फा.पु.)-उत्पत्ति और विनाश; पैदा होना और मरना; होना और न होना; पूर्ण, सब, सर्व, तमाम, जैसे-'हस्तोनेस्त का इख़्ितयारÓ-समस्त अधिकार।
हस्तोबूद ($फा.स्त्री.)-है और था।
हस्ना (अ़.स्त्री.)-हसीना, सुन्दरी, रूपसी, रूपवती, ख़्ाूबसूरत स्त्री; प्रत्येक सुन्दर, मन-भावक और प्रियदर्शन वस्तु जो स्त्रीलिंग हो।
हस्ब (अ़.वि.)-अनुसार, बमूजिब, मुआ$िफ$क।
हस्बा (अ़.स्त्री.)-कंकरी, ठीकरी, पत्थर का छोटा टुकड़ा, संगरेज़ा।
हस्बुत्तलब (अ़.वि.)-बुलाने के अनुसार, तलबी के बमूजिब; माँगने के अनुसार।
हस्बुत्तह्रीर (अ़.वि.)-लिखने के अनुसार; हुक्म के मुताबिक, आज्ञानुसार, आदेशानुसार।
हस्बुलअस्र (अ़.वि.)-कथनानुसार, कहने के अनुसार; हुक्म के मुताबिक़, आज्ञानुसार, आदेशानुसार।
हस्बुलहुक्म (अ़.वि.)-यथानिर्दिष्ट, आदेशानुसार, आज्ञानुसार, हुक्म के बमूजिब।
हस्बे अ़क़्ल (अ़.वि.)-बुद्घि के अनुसार, समझ के मुताबिक़, यथामति।
हस्बे अ़ादत (अ़.वि.)-स्वभाव के अनुसार, अ़ादत के मुताबिक़; नित्य नियमानुसार, रोज़मर्रा के मुताबिक़।
हस्बे इंसा$फ (अ़.वि.)-न्यायानुसार, यथान्याय, इंसा$फ की रू से, न्यामत:, न्यायानुकूल, यथानीति।
हस्बे इजाज़त (अ़.वि.)-आज्ञानुसार, अनुमति के बमूजिब, इजाज़त के मुताबि$क।
हस्बे इत्ति$फा$क (अ़.वि.)-दैवयोग से, अकस्मात्, इत्ति$फा$िकया, इत्ति$फा$की तौर पर।
हस्बे इर्शाद (अ़.वि.)-कथनानुसार, कहने के मुताबि$क, यथोक्त।
हस्बे इस्तिताअ़त (अ़.वि.)-यथाशक्ति, यथासामथ्र्य, अपने मक़्दूर-भर।
हस्बे ईमा (अ़.वि.)-संकेतानुसार, इशारे के मुताबि$क; हुक्म के बमूजिब, आज्ञानुसार।
हस्बे एÓलान (अ़.वि.)-घोषणा के अनुसार, एलान के मुताबि$क।
हस्बे $काइद: (अ़.वि.)-नियमानुसार, $काइदे के मुताबि$क; विधि के अनुसार, $कानून के मुताबि$क।
हस्बे $कानून (अ़.वि.)-विधि के अनुसार, $कानून के मुताबि$क।
हस्बे ख़्िादमत (अ़.वि.)-सेवा के अनुसार, जिसकी जितनी सेवा हो उसके हिसाब से।
हस्बे ख़्वाहिश (अ़.$फा.वि.)-इच्छानुसार, जितनी ज़रूरत हो उतना; जिसकी इच्छा हो वह।
हस्बे ज़$र्फ (अ़.$फा.वि.)-शक्ति के अनुसार, हिम्मत के मुताबि$क, योग्यता के अनुसार।
हस्बे ज़ाबित: (अ़.वि.)-दे.-'हस्बे $कानूनÓ और 'हस्बे $काइद:Ó।
हस्बे जुस्स: (अ़.वि.)-यथाकाय, डील-डौल के मुताबि$क, $कद-काठी के अनुसार।
हस्बे जै़ल (अ़.वि.)-निम्लिखित, जो नीचे लिखा गया हो, जिसका ब्योरा नीचे दिया गया हो।
हस्बे तंबीह (अ़.वि.)-चेतावनी के अनुसार, हिदायत के मुताबि$क।
हस्बे तज्वीज़ (अ़.वि.)-सुझाव, सलाह और परामर्श के अनुसार, राय के मुताबि$क, निर्णय के अनुसार।
हस्बे तर्तीब (अ़.वि.)-क्रमानुसार, यथाक्रम, सिलसिले के मुताबि$क।
हस्बे तलब (अ़.वि.)-दे.-'हस्बुत्तलबÓ, दोनों शुद्घ हैं।
हस्बे तह्रीर (अ़.वि.)-दे.-'हस्बुत्तह्रीरÓ, दोनों शुद्घ हैं।
हस्बे तौ$फी$क (अ़.वि.)-दे.-'हस्बे इस्तिताअ़तÓ।
हस्बे दस्तूर (अ़.वि.)-यथाविधि, विधिपूर्वक, नियम के अनुसार, यथाविधान, $काइदे के बमूजिब, दस्तूर के मुताबि$क।
हस्बे दिलख़्वाह (अ़.$फा.वि.)-इच्छानुसार, मनचाहा, मनोवांछित, जैसा चाहिए था वैसा।
हस्बे $फराइज़ (अ़.वि.)-यथाकर्तव्य, ड्यूटी और $फर्ज़ के मुताबि$क।
हस्बे $फर्माइश (अ़.$फा.वि.)-कथनानुसार, कहने के अनुसार; चाहत के अनुसार; आज्ञा के अनुसार।
हस्बे $फह्माइश (अ़.$फा.वि.)-दे.-'हस्बे तंबीहÓ।
हस्बे बरदास्त (अ़.$फा.वि.)-जहाँ तक सहा जा सके, जितना उठ सके, सहन के अनुसार।
हस्बे बिसात (अ़.वि.)-दे.-'हस्बे मक़्दूरÓ।
हस्बे मंशा (अ़.वि.)-दे.-'हस्बे ख़्वाहिशÓ।
हस्बे मक़्दूर (अ़.वि.)-सामथ्र्य के अनुसार, जितना बस चले उतना, शक्ति के अनुसार, यथाशक्ति।
हस्बे मज़्कूर (अ़.वि.)-कथनानुसार, कहे हुए के अनुसार, ऊपर लिखे हुए के अनुसार।
हस्बे मुराद (अ़.वि.)-यथेष्ट, यथेच्छ, इच्छानुसार, यथाकाम, मंशा के मुताबि$क, आशय और उद्देश्य के अनुसार।
हस्बे मौ$काÓ (अ़.वि.)-अवसर के अनुसार, यथासमय, कालानुसार, समय के मुताबि$क; जगह के मुताबि$क, यथास्थान।
हस्बे रफ़्तार (अ़.$फा.वि.)-चलन के अनुसार, चाल के मुताबि$क, गति के अनुसार, यथागति।
हस्बे रवाज (अ़.वि.)-प्रथा और प्रचलन के अनुसार, रिवाज और रस्म के मुताबि$क, यथाप्रथा, यथारीति।
हस्बे रिवायात (अ़.वि.)-रिवायतों अर्थात् रिवाजों और प्रथाओं के अनुसार; वंश-परम्पराओं के अनुसार, ख़्ाानदान में होनेवाले तौर-तरी$कों के मुताबि$क।
हस्बे साबि$क (अ़.वि.)-पहले की तरह, यथापूर्व, पहले-जैसा।
हस्बे हाल (अ़.वि.)-हालत और दशा के अनुसार; जैसी दशा हो वैसा।
हस्बे हिसस (अ़.वि.)-हिस्से और भाग के अनुसार, यथाभाग, विभागत:।
हस्बे हुक्म (अ़.वि.)-दे.-'हस्बुल हुक्मÓ, दोनों शुद्घ हैं।
हस्बे हैसियत (अ़.वि.)-हैसियत के मुताबि$क, शक्ति और सामथ्र्य के अनुसार।
हस्बे हौसल: (अ़.वि.)-जितनी हिम्मत हो उतना, उत्साह के अनुसार, हिम्मत के मुताबि$क।
हस्म (अ़.पु.)-काटना, विच्छेद करना।
हस्र (अ़.पु.)-अवलम्बन, सहारा; निर्भरता; वाद-निर्णय के लिए किसी पर निर्भरता।
हस्रत (अ़.स्त्री.)-अभिलाषा, लालसा, इच्छा; निराशा, नाउम्मीदी; दु:ख, कष्ट, मुसीबत; पश्चात्ताप, अ$फसोस। 'दिल को नियाज़े हस्रते दीदार कर चुके, देखा तो हममें ता$कते-दीदार भी नहींÓ-मिजऱ्ा ग़ालिब
हस्रतअंगेज़ (अ़.$फा.वि.)-लालसा या अभिलाषा बढ़ानेवाला; निराशा बढ़ानेवाला, निराशा या नाउम्मीदी पैदा करनेवाला।
हस्रतअंजाम (अ़.$फा.वि.)-जिस कार्य को करने से निराशा हाथ लगे, जिस काम का अन्त निराशा हो, दु:खांत; जिस काम को करने से बाद में पश्चात्ताप हो।
हस्रतआगीं (अ़.$फा.वि.)-निराशापूर्ण, नाउम्मीदी से भरा हुआ।
हस्रतआफ्ऱीं (अ़.$फा.वि.)-निराशाजनक, नाउम्मीदी पैदा करनेवाला।
हस्रत इंतिमा (अ़.वि.)-निराशा बढ़ानेवाला, दु:ख बढ़ानेवाला।
हस्रतकद: (अ़.$फा.पु.)-निराशा का घर, दु:ख का घर अर्थात् प्रेमी अथवा नायक का घर।
हस्रतख़्ोज़ (अ़.$फा.वि.)-दे.-'हस्रतअंगेज़Ó।
हस्रतगाह (अ़.$फा.स्त्री.)-निराशा का स्थान, जहाँ निराशा ही निराशा हो।
हस्रतज़द: (अ़.$फा.वि.)-निराशाग्रस्त, नाउम्मीदी का शिकार।
हस्रतज़ा (अ़.$फा.वि.)-निराशा पैदा करनेवाला, दु:ख बढ़ानेवाला।
हस्रततलब (अ़.वि.)-जो निराशा की कामना करता हो, जो आशान्वित न हो।
हस्रतदीद: (अ़.$फा.वि.)-दे.-'हस्रतज़द:Ó।
हस्रतनसीब (अ़.वि.)-जिसके भाग्य में निराशा ही निराशा और दु:ख ही दु:ख हो।
हस्रतनाक (अ़.$फा.वि.)-दु:खान्वित, निराशापूर्ण, दु:खपूर्ण।
हस्रतपरस्त (अ़.$फा.वि.)-निराशा की पूजा करनेवाला अर्थात् निराशावादी।
हस्रतपसंद (अ़.$फा.वि.)-निराशा और दु:ख को प्रिय जाननेवाला, निराशान्वित।
हस्रत मअ़ाब (अ़.वि.)-निराशावादी, जो निराशा ही को सब-कुछ समझता हो अर्थात् प्रेमी।
हस्रतमानूस (अ़.वि.)-जिसकी रुचि निराशा में हो, जो निराशा को दोस्त रखता हो।
हस्रतरसीद: (अ़.$फा.वि.)-दे.-'हस्रतज़द:Ó।
हस्रतशिकार (अ़.$फा.वि.)-जिसे निराशा ने मारा हो।
हस्रतसंज (अ़.$फा.वि.)-दे.-'हस्रतपसंदÓ।
हस्रतसरा (अ़.$फा.स्त्री.)-दे.-'हस्रतकद:Ó।
हस्रतसामाँ (अ़.$फा.वि.)-जिसके पास सि$र्फ निराशा-ही-निराशा हो।
हस्रती (अ़.वि.)-हताश, निराश, मायूस; लालसा रखनेवाला, अभिलाषी, इच्छुक, आजऱ्ूमंद।
हस्रते दीद (अ़.$फा.स्त्री.)-दे.-'हस्रते दीदारÓ।
हस्रते दीदार (अ़.$फा.स्त्री.)-दर्शनों की इच्छा, देखने की अभिलाषा।
हस्रते मुला$कात (अ़.स्त्री.)-देखने और मिलने की इच्छा।
हस्रते वस्ल (अ़.स्त्री.)-मिलन की लालसा, नायिका के मिलने की अभिलाषा।
हस्रतोअमाँ (अ़.$फा.पु.)-इच्छाएँ और अभिलाषाएँ।
हस्साद (अ़.स्त्री.)-खेता काटनेवाला।
हस्सान (अ़.पु.)-बहुत सुन्दर, बहुत ख़्ाूबसूरत; अति उत्तम, बहुत अच्छा।
हस्सास (अ़.वि.)-स्वाभिमानी, ख़्ाुद्दार; संवेदनशील।
हह्हस: (अ़.पु.)-हिला-हिलाकर भरना।

 

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