हि
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हिंगुल (सं.पु.)-
ईंगुर, सिंगरफ़।हिंडोल (हिं.पु.)-
हिंडोला, पालना, झूला; संगीत में एक राग।हिंत: (अ़.पु.)-
गेहूँ, गंदुम।हिंद (फ़ा.पु.)-
भारत, हिन्दुस्तान, इण्डिया।हिंदबा (फ़ा.स्त्री.)-
कासनी, एक वनौषधि जो दवा में काम आती है।हिंदवी (फ़ा.वि.)-
हिन्दी भाषा का; हिन्दुस्तान का।हिंदस: (अ़.पु.)-
संख्या, अ़दद; गणित; रेखा-गणित।हिंदस:दाँ (अ़.फ़ा.वि.)-
गणितज्ञ, गणित जाननेवाले, गणित-विद्या का विद्वान्।हिंदस:दानी (अ़.फ़ा.स्त्री.)-
गणितज्ञता।हिंदसा (अ़.पु.)-
दे.-'हिंदस:', वही उच्चारण शुद्ध है।हिंदी (फ़ा.स्त्री.)-
भारत में सर्वाधिक बोली और समझी जानेवाली एक भाषा, देवनागरीभाषा, नागरी, (पु.)-भारत का निवासी, हिंदुस्तानी। 'हिंदी की चिंदी
करना'=ख़ूब समझाना; ख़ूब छान-बीन करना, खोद-खोदकर पूछना।
'हिंदी की चिंदी निकलना'=बाल की खाल निकलना।
हिंदीज़बाँ (फ़ा.वि.)-हिंदीभाषा-भाषी, जिसकी मातृभाषा हिंदी हो।
हिंदीदाँ (फ़ा.वि.)-हिंदी भाषा जाननेवाला, जो हिंदी पढऩा-लिखना जानता हो।
हिंदीदानी (फ़ा.स्त्री.)-हिंदी लिखना-पढऩा जानना।
हिंदी नज़ाद (फ़ा.वि.)-जो व्यक्ति हिंदुस्तान में पैदा हुआ हो, हिंदी, भारतीय मूल का, भारतीय।
हिंदुआन: (फ़ा.पु.)-तरबूज़, कलींदा, मांसफल, चित्रफल, फलराज।
हिंदुस्ताँ (फ़ा.पु.)-'हिंदुस्तान' का लघु., दे.-'हिंदुस्तान'।
हिंदुस्तान (फ़ा.पु.)-भारत, भारतवर्ष, इण्डिया, हिंद।
हिंदुस्तानी (फ़ा.पु.)-भारत का निवासी, भारतीय, (स्त्री.)-हिंदुस्तान की भाषा, एक भाषा जो हिंदी और उर्दू के मिश्रण से बनी है।
हिंदू (फ़ा.पु.)-हिंदुस्तान का वह व्यक्ति जो मूर्ति-पूजक अथवा वैदिक धर्मावलंबी है।
हिंदूए चर्ख़ (फ़ा.पु.)-शनि-ग्रह, ज़ुहल।
हिंदूए चश्म (फ़ा.पु.)-आँख की पुतली, कनीनी।
हिंदूए फ़लक (अ़.फ़ा.पु.)-दे.-'हिंदूए चर्ख़'।
हिंदू कश (फ़ा.पु.)-हिमालय का एक पहाड़, हिंदूकुश।
हिंदू कोह (फ़ा.पु.)-दे.-'हिंदू कुश'।
हिंदूजऩ (फ़ा.स्त्री.)-हिंदू स्त्री, जो पतिव्रता और साध्वी होती हुई अपने धर्म-कर्त्तव्य का पालन करने की चेष्टा करती है।
हिंदूज़ाद: (फ़ा.पु.)-हिंदू का लड़का।
हिंदूमज़्हब (अ़.फ़ा.वि.)-हिंदूधर्म रखनेवाला।
हिंदोस्ताँ (फ़ा.पु.)-'हिंदोस्तान' का लघु., दे.-'हिंदोस्तान'।
हिंदोस्ताँज़ाद (फ़ा.पु.)-हिंदुस्तान में पैदा होनेवाला, हिंदुस्तानी, भारतीय।
हिंदोस्तान (फ़ा.पु.)-भारत, हिंदुस्तान, इण्डिया।
हिंदोस्तानी (फ़ा.पु.)-भारतीय, हिंदुस्तानी, (स्त्री.)-एक भाषा हिंदुस्तानी।
हिंसक (सं.पु.)-हिंसा करने या मार डालनेवाला; वह पशु जो अन्य जीवों को मारकर खाता है।
हिअ, हिआ (हिं.पु.)-मन, हृदय; छाती।
हिकम (अ़.स्त्री.)-'हिक्मत' का बहु., हिक्मतें, ज्ञान की बातें।
हिकमत (अ़.स्त्री.)-दे.-'हिक्मत', वही उच्चारण शुद्ध है।
हिकायत (अ़.स्त्री.)-क़िस्सा, कथा, कहानी, दास्तान; वार्ता, बातचीत; वृत्तांत, हाल। 'हिकायतें करना'=मुफ़्त की हुज्जतें करना, दलीलें छाँटना। 'हिकायत करना'=मुफ़्त की हुज्जत करना, दलीलें छाँटना।
हिकायतगर (अ़.फ़ा.वि.)-कहानी कहनेवाला, क़िस्सा सुनानेवाला; वृत्तांत बतानेवाला, हाल सुनानेवाला।
हिकायतन (अ़.वि.)-कहानी के तौर पर, सुनी-सुनाई बात के रूप में।
हिकायती (अ़.वि.)-हुज्जती, बात- पर बहस करनेवाला।
हिक़ारत (अ़.स्त्री.)-घृणा; ज़िल्लत, अप्रतिष्ठा, बेइज़्ज़ती।
हिक्क: (अ़.स्त्री.)-खुजली, खर्जू, कंडू।
हिक़्द (अ़.पु.)-द्वेष, कीना, गुबार, ईर्ष्या; शत्रुता, वैर, दुश्मनी।
हिक्मत (अ़.स्त्री.)-विज्ञान, साइंस; आयुर्वेद, वैद्यक, तिब; तत्त्व-ज्ञान; बुद्घिमत्ता, दानाई, समझ; चाल, युक्ति, तर्कीब, उपाय; चिकित्सा। 'हिक्मत चलना'=चालाकी सफ़ल होना।
हिक्मत अ़मली (अ़.स्त्री.)-तदबीर, चालाकी; पॉलीसी, मसलहत, कूट-नीति; दूर-अंदेशी, जोड़-तोड़।
हिक्मतआईन (अ़.फ़ा.वि.)-हिक्मत और युक्ति से पूर्ण, बुद्घि और विवेक से परिपूर्ण।
हिक्मतआगीं (अ़.फ़ा.वि.)-दे.-'हिक्मतआईन'।
हिक्मतआमेज़ (अ़.फ़ा.वि.)-युक्तिपूर्ण, बुद्घिपूर्ण, दानाई और तदब्बुर से भरा हुआ, दूरदर्शिता और समझदारी से भरा हुआ।
हिक्मत आमोज़ (अ़.फ़ा.वि.)-बुद्घि और मनीषा सिखानेवाला, समझदारी सिखानेवाला।
हिक्मतआरा (अ़.फ़ा.वि.)-बुद्घिमान्, विवेकी, मनीषी, दाना, समझदार।
हिक्मते अ़मली (अ़.स्त्री.)-कूटनीति, व्यावहारिक युक्ति, पॉलिसी।
हिक्मते इलाही (अ़.स्त्री.)-ईश्वरेच्छा, भगवान् की मर्ज़ी।
हिक्मते बालिग़: (अ़.स्त्री.)-बहुत बड़ी समझ, बहुत बड़ी हिक्मत, पूरी चतुराई और बुद्घिमत्ता।
हिक्मते मुदनी (अ़.स्त्री.)-नगर का प्रबन्ध, परस्पर रहन-सहन के उसूल; सामाजिकता के सिद्धान्त।
हिचक (हिं.स्त्री.)-कोई काम करने से पहले मन में होनेवाली हलकी रुकावट, आगापीछा।
हिचकना (हिं.क्रि.अक.)-कोई काम करने से आशंका, अनौचित्य या असमर्थता आदि ध्यान करके कुछ रुकना।
हिचकी (हिं.स्त्री.)-एक प्रसिद्ध शारीरिक हरकत जिसमें पेट या कलेजे की वायु कुछ रूककर गले के रास्ते निकलने का प्रयत्न करती है; इसी प्रकार की वह शारीरिक हरकत जो बहुत अधिक रोने पर होती है; कहावत यह भी प्रचलित है कि जब कोई प्रियजन याद करता है तब यह हिचकी आती है।
हिजरत (अ़.स्त्री.)-अपने देश को सदा के लिए छोड़कर दूसरे देश में जा बसना। दे.-'हिज्रत', वही उच्चारण शुद्ध है।
हिज़ब्र (अ़.स्त्री.)-व्याघ्र, सिंह, शेर।
हिजरां (अ़.पु.)-दे.-' हिज्राँ', वही उच्चारण शुद्ध है।
हिजरां नसीब (अ़.वि.)-दे.-'हिज्राँ नसीब', वही उच्चारण शुद्ध है।
हिजरी (अ़.स्त्री.)--दे.-'हिज्री', वही उच्चारण शुद्ध है।
हिजा (अ़.स्त्री.)-अपकीर्ति, बुराई, निन्दा, अपवाद; अक्षरों का मात्राओं के साथ उच्चारण।
हिज़ाअ़ (अ़.पु.)-दुर्बल और अशक्त व्यक्ति, असहाय और कमज़ोर आदमी; उदासीन, खिन्न, बददिल।
हिजाज़ (अ़.पु.)-अ़रब का वह प्रदेश, जिसमें मक्का और मदीना हैं।
हिजाब (अ़.पु.)-आड़, पर्दा, ओट; लज्जा, लाज, शर्म; संकोच, लिहाज़, झिझक, हिचकिचाहट।
हिजाबत (अ़.स्त्री.)-द्वारपाल का काम, ड्योढ़ीदारी।
हिजामत (अ़.स्त्री.)-पछने या सिंघी लगवाना; पछने या सिंघी लगाना।
हिजार: (अ़.पु.)-पत्थर, प्रस्तर, पाषाण।
हिज़ार (अ़.पु.)-भय, डर, त्रास।
हिजाल (अ़.पु.)-'हजल:' का बहु., दुल्हनों के कमरे, दुल्हनों की सेजें।
हिज्ज: (अ़.पु.)-वर्ष, साल; एक बार हज करना।
हिज्जीर (अ़.स्त्री.)-स्वभाव, प्रकृति, अ़ादत।
हिज़्बुल अह्रार (अ़.पु.)-आज़ाद मेम्बरों की पार्टी, लेबर पार्टी, स्वतंत्र पार्टी।
हिज़्बुल इक़्तिदार (अ़.पु.)-सत्तापक्ष, शासन-पक्ष, हुकूमत की पार्टी।
हिज़्बुल इख़्तियार (अ़.पु.)-दे.-'हिज़्बुल इक़्तिदार'।
हिज़्बुल इख़्तिलाफ़ (अ़.पु.)-विपक्ष, विरोधी दल, मुख़ालिफ़ मेम्बरों की पार्टी।
हिज़्बुल उम्माल (अ़.पु.)-लेबरपार्टी, श्रमिकदल, मज़दूरों की पार्टी।
हिज़्बुल मुस्तबिद्दीन (अ़.पु.)-कंजरवेटिव पार्टी, अनुदार दल।
हिज़्बुल्लाह (अ़.पु.)-महात्माओं की जमाअ़त, सन्तों-साधुओं की टोली।
हिज़्बे इक़्तिदार (अ़.पु.)-दे.-'हिज़्बुल इक़्तिदार'।
हिज़्बे इख़्तिलाफ़ (अ़.पु.)-विपक्ष, विरोधी पार्टी, ख़िलाफ़ पार्टी।
हिज़्बे मुआफ़िक़ (अ़.पु.)-सहपक्ष, एकपक्षीय।
हिज़्बे मुख़ालिफ़ (अ़.पु.)-विपक्ष, विरोधी पक्ष, मुख़ालिफ़ पार्टी।
हिज्र (अ़.पु.)-विरह, वियोग, जुदाई, फ़िराक़, अलहदगी।
हिज्रत (अ़.स्त्री.)-अपना देश छोड़कर दूसरे देश में बसना, प्रवास, देश से जुदाई या विदाई, वतन छोडऩा, परदेस में बसना।
हिज्रत नसीब (अ़.वि.)-जिसके भाग्य में वियोग ही वियोग हो; वह शख़्स जिसकी क़िस्मत में दोस्त से जुदा रहना लिखा लिखा हो।
हिज्राँ (अ़.फ़ा.पु.)-हिज्र, वियोग, विरह, जुदाई।
हिज्राँ ज़द: (अ़.फ़ा.वि.)-विरह का मारा हुआ, वियोग का सताया हुआ, जुदाई से पीडि़त।
हिज्राँदीद: (अ़.फ़ा.वि.)-जिसने विरह-पीड़ा को देखा और झेला हो, जिसने जुदाई का दु:ख सहा हो।
हिज्राँ नसीब (अ़.फ़ा.वि.)-जिसकी क़िस्मत में अपने प्रिय अलग रहना लिखा हो; जिसके भाग्य में सदा ही विरहग्रस्त होना लिखा हो।
हिज्री (अ़.फ़ा.वि.)-परदेस जानेवाला; वियोग सहनेवाला; हिज्रतवाला; इस्लामी संवत्सर जो हज़रत मुहम्मद साहब की हिज्रत अर्थात् जुदाई से प्रारम्भ होता है, इस दिन मुहम्मद साहब मक्का छोड़कर मदीना चले गए थे।
हिज़्लाज (अ़.पु.)-वृक, भेडिय़ा, (वि.)-चुस्त, फुर्तीला।
हिदायत (अ़.स्त्री.)-मार्ग-प्रदर्शन, राह बतलाना; शिक्षा, सीख; आदेश, आज्ञा, हुक्म; यह सूझ-निर्देश कि अमुक काम में ऐसा-ऐसा करना है, अनुदेश; सन्मार्ग दिखाना, रहनुमाई करना, नेतृत्व करना; गुरुदीक्षा, पीर की तल्क़ीन (पीर का अपने मुरीद या अनुयायी को अ़मल आदि पढ़ाना)। 'हिदायत करना'=समझाना। 'हिदायत पाना'=सीधे रास्ते पर आना।
हिदायत आमेज़ (अ़.फ़ा.वि.)-निर्देषपूर्ण, हिदायतों से भरा हुआ, शिक्षापूर्ण।
हिदायत आमोज़ (अ़.फ़ा.वि.)-हिदायतें सिखानेवाला, सीख देनेवाला, शिक्षा देनेवाला।
हिदायतकार (अ़.फ़ा.वि.)-निर्देश देनेवाला, हिदायत देनेवाला, निर्देशक, अनुदेशक, निर्देष्टा।
हिदायतनाम: (अ़.फ़ा.पु.)-आदेश-पत्र, वह पत्र जिसमें किसी काम करने तरीक़े लिखे हों; वह पत्र जिसमें हिदायतों या निर्देशों का विवरण हो, अनुदेशपत्र।
हिदायतनामा (अ़.फ़ा.पु.)-दे.-'हिदायतनाम:', वही उच्चारण शुद्ध है।
हिद्दत (अ़.फ़ा.स्त्री.)-तेज़ी, तुन्दी, तीव्रता, उग्रता; उष्णता, गर्मी, हरारत; क्रोध, ग़ुस्सा; प्रकोप, शरीर की धातुओं में तीव्रता।
हिद्दते मिज़ाज (अ़.फ़ा.स्त्री.)-स्वभाव में क्रोध होना, मिज़ाज में ग़ुस्सा होना।
हिद्दते सफ़्रा (अ़.फ़ा.स्त्री.)-पित्त का प्रकोप, सफ़े की तेज़ी।
हिना (फ़ा.स्त्री.)-एक पत्ती, जो हाथ-पैर रचाने के काम में लाई जाती है, मेंहदी, रक्तगर्भा।
हिनाई (फ़ा.वि.)-मेंहदी लगा हुआ, मेंहदी लगाकर लाल किया हुआ, मेंहदी रचा हुआ; मेंहदी का-सा रंग, गेरुआ, पीलापन लिये हुए लाल रंग।
हिनाबंद (फ़ा.वि.)-मेंहदी लगानेवाला, मेंहदी रचानेवाला; वह काग़ज़ जिसमें मेंहदी की पुड़िया बाँधते हैं ।
हिनाबंदी (फ़ा.स्त्री.)-मेंहदी लगाना।
हिनाबस्त: (फ़ा.वि.)-मेंहदी लगा हुआ, वह हाथ या पाँव जिसमें मेंहदी लगी हो।
हिफ़ाज़त (अ़.स्त्री.)-सलामती, रक्षा, बचाव; देख-रेख, निगरानी, निरीक्षण, निगहबानी, संरक्षण, पासबानी; सतर्कता, होशियारी, सावधानी।
हिफ़ाज़ती (अ़.वि.)-जो रक्षा या सुरक्षा के लिए हो, जैसे-'हिफ़ाज़ती दस्त:'।
हिफ़ाज़ते ख़ुदइख़्तियारी (अ़.फ़ा.स्त्री.)-वह हिफ़ाज़त जो किसी नुक़सान से बचने के लिए स्वयं की जाए; आत्मरक्षा; स्वाभिमान-रक्षा, आत्माभिमान-रक्षा।
हिफ़ाज़ते जानोमाल (अ़.फ़ा.स्त्री.)-प्राण और धन की रक्षा, पूरी रक्षा।
हिफ़ादत (अ़.स्त्री.)-कृपा, अनुकम्पा, दया, मेहरबानी; हर्ष, प्रसन्नता, ख़ुशी, दे.-'हफ़ादत', दोनों शुद्घ हैं।
हिफ़्ज़ (अ़.पु.)-रक्षा, हिफ़ाज़त, देख-रेख; कण्ठस्थ, मुखाग्र, बरज़बाँ, ज़बानी याद।
हिफ़्ज़ान (अ़.पु.)-रक्षा, सुरक्षा, हिफ़ाज़त, संरक्षण।
हिफ़्ज़ाने सेहत (अ़.पु.)-स्वास्थ्य-रक्षा, तन्दुरुस्ती की हिफ़ाज़त; स्वास्थ्य-विभाग, सेहत का महक़मा।
हिफ़्ज़े अमन (अ़.पु.)-दे.-'हिफ़्ज़े अम्न', वही उच्चारण शुद्ध है।
हिफ़्ज़े अम्न (अ़.पु.)-शान्ति-रक्षा, अम्न की हिफ़ाज़त, अम्न या शान्ति क़ायम रखना।
हिफ़्ज़े मरातिब (अ़.पु.)-अदब क पास, पद और प्रतिष्ठा का आदर, हैसियत और दर्जा का लिहाज, मर्यादा का ध्यान।
हिफ़्ज़े मातक़द्दम (अ़.पु.)-पेश-बंदी; पहले से किसी बात की पेश-बंदी करना; वह बचाव जो पहले से किया जाए, किसी अनिष्ट की आशंका से बचने के लिए पहले से किया जानेवाला उपाय।
हिफ़्ज़े शबाब (अ़.पु.)-यौवन-रक्षा, जवानी की हिफ़ाज़त।
हिफ़्ज़े सेहत (अ़.पु.)-स्वास्थ्य-रक्षा।
हिब: (अ़.पु.)-दान, अनुदान, बख़्शिश, उपहार, भेंट; पुरस्कार, पारितोषिक, इन्अ़ाम।
हिब:कुनिंद: (अ़.फ़ा.वि.)-दान करनेवाला, अनुदाता; पुरस्कारदाता, इन्अ़ाम में कोई चीज़ लिख देनेवाला।
हिब:नाम: (अ़.फ़ा.पु.)-दानपत्र, बख़्शिशनामा, पुरस्कार-पत्र; वह काग़ज़ जिसमें किसी चीज़ के बख़्शिश देने का इक़रार लिखा जाए।
हिबा (अ़.पु.)-दे.-'हिब:', वही उच्चारण शुद्ध है।
हिब्रून (अ़.स्त्री.)-स्याही, एक प्रकार की लिखने की वस्तु।
हिमयानी (अ़.स्त्री.)-रुपया भरकर रखने की पतली थैली, जिसे कमर में बाँध लेते हैं।
हिमाक़त (अ़.स्त्री.)-नादानी, बेअ़क़्ली, बेवक़ूफ़ी, मूर्खता।
हिमायत (अ़.स्त्री.)-पक्षपात, तरफ़दारी; सहायता, मदद; पृष्ठ-पोषण, थपकी, पीठ ठोंककर हिम्मत बढ़ाना; मैत्री, दोस्ती; निगहबानी, रक्षा, शरण।
हिमायतगर (अ़.फ़ा.वि.)-पक्षपाती, तरफ़दार; सहायक, मददगार; पृष्ठपोषक, थपकी देनेवाला।
हिमायती (अ़.वि.)-तरफ़दार, पक्ष लेनेवाला, पक्षपाती; सहायक, मददगार; पृष्ठपोषक; मित्र, दोस्त। कहा.-'हिमायती की घोड़ी ऐराक़ी को लात मारे'=हिमायत से हौसला बढ़ता है।
हिमार: (अ़.स्त्री.)-गर्दभी, रासभी, गधी, मादा खर, गधा की स्त्रीलिंग।
हिमार (अ़.पु.)-गर्दभ, रासभ, वासत, गधा, खर।
हिम्मत (अ़.स्त्री.)-साहस, जुर्अत; उत्साह, हौसला; धृष्टता, ढीठपन; दिलेरी, बहादुरी, ताक़त, पराक्रम। 'हिम्मत हारना'=साहस खो देना।
हिम्मतअफ़्ज़ा (अ़.फ़ा.वि.)-उत्साह या हौसला बढ़ानेवाला, प्रोत्साहन देनेवाला।
हिम्मतअफ़्ज़ाई (अ़.फ़ा.स्त्री.)-उत्साह या हौसला बढ़ाना, प्रोत्साहन देना।
हिम्मतवर (अ़.फ़ा.वि.)-हिम्मतवाला, साहसी, उत्साही।
हिम्मतवरी (अ़.फ़ा.स्त्री.)-साहसी होना, उत्साही होना, हिम्मती होना।
हिम्मतशिकन (अ़.फ़ा.वि.)-हौसला तोडऩेवाला, उत्साह भंग करनेवाला।
हिम्मतशिकनी (अ़.फ़ा.स्त्री.)-उत्साहभेदन, हिम्मत तोड़ना, हौसला पस्त करना, उत्साह-भंजन।
हिम्मिस (अ़.पु.)-एक प्रसिद्घ अन्न, चना, चणक।
हियल (अ़.पु.)-'हील:' का बहु., हीले, बहाने, छल, मिष।
हिया (हिं.पु.)-मन, हृदय; छाती, वक्ष-स्थल। 'हिया जलना'=बहुत क्रोध या ईर्ष्या होना।
हियातत (अ़.स्त्री.)-देख-रेख, संरक्षण, निगहबानी, चौकसी; सावधानी, सतर्कता, एहतियात।
हिरकना (हिं.क्रि.अक.)-पास आना; सटना।
हिरकाना (हिं.क्रि.सक.)-पास करना; नजदीक लाना; सटाना, भिड़ाना।
हिरक़्ल (अ़.पु.)-प्राचीन रोम के शासकों की उपाधि।
हिरन (हिं.पु.)-मृग, हरिन, हिरण। 'हिरन हो जाना'=भाग जाना; उतर जाना, जैसे--'नशा हिरन हो गया।'
हिरा (अ़.पु.)-अ़रब में मक्का के पास एक पहाड़, जहाँ हज़रत मुहम्मद साहब ईश्वर का ध्यान किया करते थे।
हिरा (सं.स्त्री.)-शिरा, रक्तवाहिनी नाड़ी।
हिरात (फ़ा.पु.)-अफ़ग़ानिस्तान का एक नगर।
हिराती (फ़ा.वि.)-हिरात का रहनेवाला; हिरात से सम्बन्धित; हिरात का घोड़ा।
हिरावूल (तु.पु.)-सेना का वह भाग जो आगे चलता है, सेनाग्र।
हिरास: (फ़ा.पु.)-बिजूका, वह कृत्रिम मानव-आकृति जो खेत आदि में जंगली जानवरों को डराने के लिए बना देते हैं।
हिरास (फ़ा.पु.)-शंका, आशंका, ख़तरा; भय, त्रास, डर; निराशा, हताशा, नाउम्मीदी, मायूसी।
हिरास आमेज़ (फ़ा.वि.)-हताश, निराशापूर्ण, नाउम्मीदाना; भयपूर्ण, ख़ौफ़ से भरा हुआ।
हिरासत (अ़.स्त्री.)-निरीक्षण, निगरानी; ऐसी निगरानी जिसमें आदमी कहीं आ-जा न सके, न किसी से बात कर सके, न खुला रह सके; हवालात। इसका 'स' उर्दू के 'सीन' अक्षर से बना है।
हिरासत (अ़.स्त्री.)-कृषिकर्म, खेती-बाड़ी, काश्तकारी। इसका 'स' उर्दू के 'से' अक्षर से बना है।
हिरासती (अ़.वि.)-हिरासत में लिया हुआ।
हिरासाँ (फ़ा.वि.)-डरा हुआ, भयभीत; निराश, हताश, नाउम्मीद, मायूस।
हिरासिंद: (फ़ा.वि.)-डरानेवाला, ख़ौफ़ दिलानेवाला।
हिरासीद: (फ़ा.वि.)-डराया हुआ, भयभीत किया हुआ।
हिरक़िल (अ़.पु.)-दे.-'हिरक़्ल', दोनों शुद्घ हैं।
हिरफ़त (अ़.स्त्री.)-दे.-'हिर्फ़त', वही उच्चारण शुद्ध है।
हिरफ़ा (अ़.पु.)-दे.-'हिर्फ़:', वही उच्चारण शुद्ध है।
हिर-फिर के (हिं.क्रि.वि.)-फिर-फिराकर, मजबूर होकर, बार-बार, अन्त में।
हिर्ज़ (अ़.पु.)-जंतर, ता'वीज़, रक्षा-कवच; पनाह की जगह, शरण पाने का स्थान; दृढ़ स्थान, मज़बूत जगह।
हिर्ज़ून (अ़.स्त्री.)-छिपकली, गोधिका, गृहगोधा, अजरा।
हिर्जे़ जाँ (अ़.फ़ा.पु.)-प्राणों की रक्षा का कवच; बहुत ही प्रिय वस्तु।
हिर्दी (फ़ा.स्त्री.)-हल्दी, हरिद्रा, ज़र्दचोब:।
हिर्फ़: (अ़.पु.)-व्यवसाय, पेशा, उद्यम, रोजग़ार; हुनर, कारीगरी, शिल्प।
हिर्फ़त (अ़.स्त्री.)-हुनर, कारीगरी; व्यवसाय, पेशा, उद्यम, रोजग़ार; शिल्प, दस्तकारी; अय्यारी, मक्कारी, धूर्तता, चालाकी; छल, फ़रेब।
हिर्फ़तबाज़ (अ़.वि.)-चालाक, मक्कार, धूर्त।
हिर्फ़ती (उ.वि.)-उद्यम-सम्बन्धी; धूर्त, वंचक, ठग।
हिर्बा (फ़ा.पु.)-गिरगिट, कृकलास, सरट, कुलाहक।
हिर्म (अ़.वि.)-वह पदार्थ जिसका खान-पान धर्म में वर्जित हो।
हिर्मां (अ़.पु.)-निराशा, नैराश्य, नाउम्मीदी; दुर्भाग्य, बदनसीबी, बदक़िस्मती।
हिर्मांज़द: (अ़.फ़ा.वि.)-निराशाग्रस्त, नाउम्मीद; अभागा, बदक़िस्मत, बदनसीब।
हिर्मांनसीब (अ़.वि.)-जिसके भाग्य में निराशा ही निराशा हो।
हिर्मांपसन्द (अ़.फ़ा.वि.)-निराशावादी।
हिर्मास (अ़.पु.)-सिंह, शेर, व्याघ्र, केसरी।
हिर्र: (अ़.स्त्री.)-बिल्ली, मार्जारी।
हिर्रीफ़ (अ़.वि.)-जिसका स्वाद चरपरा हो, तीखा, चटपटा।
हिर्स (अ़.स्त्री.)-लोभ, लालच, लिप्सा, हवस। 'हिर्सा-हिर्सी'=देखा-देखी। 'हिर्स करना'=देखा-देखी लालच करना।
हिर्सी (अ़.वि.)-लालची।
हिर्सोआज़ (अ़.फ़ा.स्त्री.)-लोभ और लालच, हवस, लालच की प्यास, लालसा, लिप्सा।
हिर्सोहवस (अ़.फ़ा.स्त्री.)-दे.-'हिर्सोआज़'।
हिर्सोहवा (अ़.फ़ा.स्त्री.)-लोभ और लालच, बढ़ी हुई लिप्सा।
हिलकना (हिं.क्रि.अक.)-हिचकियाँ लेना; हिचकना; सिसकना।
हिलना (हिं.क्रि.अक.)-अपने स्थान से कुछ इधर-उधर होना, हरकत करना; सरकना, चलना; काँपना, थरथराना; ढीला होना; झूमना, लहराना; घुसना, पैठना; मन का चंचल होना, डिगना; हेलमेल में आना, परचना। 'हिलमिल कर'=घनिष्ठता और मैत्री के साथ; सम्मिलित या एकत्र होकर।
हिलाना (हिं.क्रि.सक.)-चलायमान करना, हरकत में लाना; किसी स्थान से उठाना, हटाना; कंपाना।
हिलाल (अ़.पु.)-नया चन्द्रमा, नया चाँद, नवचन्द्र, बालेंदु, बालचंद्र।
हिलालनुमा (अ़.फ़ा.वि.)-नये चाँद के आकार का।
हिलाली (अ़.वि.)-नये चाँद-जैसा, नव चन्द्राकार; टेढ़ा, वक्र, ख़मीद:; एक प्रकार का तीर।
हिलाले ईद (अ़.पु.)-ईद का चाँद।
हिलाले नौ (अ़.फ़ा.पु.)-नया चाँद, नवचन्द्र, बालेन्दु।
हिलोर (हिं.स्त्री.)-पानी की लहर, तरंग। 'हिलोरें लेना'=लहरना, तरंगित होना; नशे में झूमना।
हिलोरना (हिं.क्रि.सक.)-जल को तरंगित करना; लहराना।
हिल्तीत (अ़.स्त्री.)-हींग, एक प्रसिद्घ गोंद, हिंगु।
हिल्म (अ़.पु.)-धीरता, गम्भीरता, शान्ति, मतानत; सहिष्णुता, सहनशीलता; स्वभाव की कोमलता, नम्रता।
हिल्मशिअ़ार (अ़.वि.)-धीर, गम्भीर, शान्त, मतीन; सहिष्णु, सहनशील।
हिल्य: (अ़.पु.)-मुखाकृति, चेहरा; नखशिख, सरापा; गहना, आभूषण, ज़ेवर।
हिल्यून (अ़.पु.)-एक प्रकार के दाने, जो दवा में काम आते हैं।
हिल्ल: (अ़.पु.)-स्थान, जगह; गंतव्य स्थल, मंज़िल; सभा, गोष्ठि, मज्लिस, जमावड़ा।
हिल्लत (अ़.स्त्री.)-खान-पान का धर्म के अनुसार ठीक होना, विहित होना, जायज़ होना, हलाल होना।
हिल्लतो हुर्मत (अ़.स्त्री.)-धर्म के अनुकूल या धर्म के प्रतिकूल होना, विहित या वर्जित होना, हरामो हलाल।
हिल्स (अ़.पु.)-मोटी कमली, मोटा धुस्सा।
हिश्त: (फ़ा.वि.)-छोड़ा हुआ।
हिश्तनी (फ़ा.वि.)-छोडऩे योग्य।
हिश्फ़ (अ़.स्त्री.)-आहट।
हिश्मत (अ़.स्त्री.)-आतंक, रोब; तेज़, प्रताप, इक़्बाल; लज्जा, शर्म; श्रेष्ठता, बुज़ुर्गी; क्रोध, कोप, ग़ुस्सा।
हिस [स्स] (अ़.स्त्री.)-संवेदन, अनुभव, एहसास; संवेदन-शक्ति, क़ुव्वते हिस।
हिसस (अ़.पु.)-'हिस्स:' का बहु., हिस्से, टुकड़े, खण्ड, अंश, अनेक खंड, बहुलांश।
हिसान (अ़.पु.)-अश्व, घोड़ा; साँड़ घोड़ा।
हिसानत (अ़.स्त्री.)-दृढ़ता, पुष्टि, मज़बूती, पाएदारी।
हिसाब (अ़.पु.)-गिनती, गणना, मीज़ान, शुमार, जोड़; गणित, रियाज़ी; लेन-देन, व्यवहार; दर, भाव, शर्ह, निर्ख; दी जाने या ली जानेवाली रक़म; महाप्रलय के दिन नेकी-बदी का हिसाब। कहा.-'हिसाब जौ-जौ, बख़्शिश सौ-सौ'=हिसाब में तनिक भी फ़र्क़ न होना चाहिए।
हिसाबदाँ (अ़.फ़ा.वि.)-गणितज्ञ, रियाज़ीदाँ, हिसाब जाननेवाला।
हिसाबदानी (अ़.फ़ा.स्त्री.)-गणितज्ञता, रियाज़ी जानना।
हिसाबफ़ह्मी (अ़.फ़ा.स्त्री.)-लेन-देन का परस्पर हिसाब समझना।
हिसाबी (अ़.वि.)-हिसाब-सम्बन्धी; हिसाब का अच्छा जानकार।
हिसाबे दोस्ताँ (अ़.फ़ा.पु.)-मित्रों का हिसाब, जिसमें कमी-बढ़ी का सवाल नहीं होता।
हिसाबोकिताब (अ़.पु.)-लेन-देन का हिसाब, बहीखाते का हिसाब।
हिसार (अ़.पु.)-परिधि, घेरा, इहाता; दुर्ग, गढ़, कोट, क़िला; मंत्र द्वारा बनाया गया वह घेरा जिसमें कोई 'मुसीबत' प्रवेश नहीं कर सकती, कुण्डली, चक्र, लक्ष्मणरेखा। 'हिसार बाँधना'=घेरा करना, चारदीवारी खड़ी करना।
हिसारबंद (अ़.फ़ा.वि.)-जो क़िले में बन्द होकर बैठ जाए; वह व्यक्ति जो मंत्र द्वारा बनाये हुए चक्र में मुसीबतों और आफ़तों से सुरक्षित बैठा हो।
हिसारबन्दी (अ़.फ़ा.स्त्री.)-क़िले में बन्द होकर बैठ जाना; कुण्डली या चक्र में बैठना।
हिसारे अ़ाफ़ियत (अ़.पु.)-रक्षा का स्थान, जहाँ कोई जान जोखिम न हो।
हिसेब (फ़ा.पु.)-'हिसाब' का इमाल: (फ़ार्सी तथा अ़रबी भाषा में किसी शब्द के 'आ' को 'ए' बना देने को 'इमाल:' कहते हैं, जैसे-'किताब' को 'कितेब' बनाना), दे.-'हिसाब'।
हिस्न (अ़.पु.)-रक्षास्थान, बचाव की जगह; दुर्ग, गढ़, कोट, क़िला।
हिस्ने मुअ़ल्लक़ (अ़.पु.)-नभ, आकाश, गगन, अम्बर, आस्मान।
हिस्ने हसीन (अ़.पु.)-ऐसा दुर्ग जो न तो जीता जा सके, न टूट सके, न उसमें शत्रु प्रवेश कर सके; बहुत ही दृढ़ और मज़बूत क़िला या रक्षास्थान, अभेद्य दुर्ग ।
हिस्रिम (अ़.पु.)-कच्चे अंगूरों का गुच्छा।
हिस्स: (अ़.पु.)-खण्ड, भाग, टुकड़ा; व्यापार में साझे का अंश, भाग; बाँट में आनेवाला भाग; कथा, मीलाद या ब्याह-शादी के अवसर पर मिलनेवाली मिठाई आदि।
हिस्स:कशी (अ़.फ़ा.स्त्री.)-हिस्से लगाना, भाग करना; हिस्सों के हिसाब से बाँटना।
हिस्स:ख़्वाह (अ़.फ़ा.वि.)-अपना भाग चाहनेवाला।
हिस्स:दार (अ़.फ़ा.वि.)-जो हिस्सा पाने का अधिकारी हो; जो हिस्से का मालिक हो, अंशी, साझी।
हिस्स:दारी (अ़.फ़ा.स्त्री.)-साझा, भागीदारी।
हिस्स:बख्र: (अ़.पु.)-टुकड़बाँट, टुकड़े-टुकड़े करके बाँटना।
हिस्सा (अ़.पु.)-दे.-'हिस्स:', वही उच्चारण शुद्ध है।
हिस्सए मुसावी (अ़.पु.)-बराबर का भाग, समानांश, समांश।
हिस्सए रसदी (अ़.पु.)-जिसको जितना चाहिए उसके हिसाब से हिस्सा, यथांश।
हिस्सी (अ़.वि.)-इन्द्रिय-सम्बन्धी।
हिस्सीयात (अ़.स्त्री.)-इन्द्रिय से सम्बन्ध रखनेवाली वस्तुएँ।
हिस्से ज़ाहिरी (अ़.स्त्री.)-बाह्येन्द्रिय।
हिस्सेदार (अ़.फ़ा.वि.)-दे.-'हिस्स:दार', वही उच्चारण शुद्ध है।
हिस्से बातिनी (अ़.स्त्री.)-अंतरिंद्रिय, आंतरिक इन्द्रिय।
हिस्से मुश्तरक (अ़.स्त्री.)-वह शक्ति जिसके द्वारा सारी इन्द्रियाँ (बाहरी इन्द्रियाँ) अपना-अपना काम करतीं और उससे शक्ति प्राप्त करती हैं।
हिस्सोहरकत (अ़.स्त्री.)-गति और संवेदन, एहसास और हरकत, चलना-फिरना, हिलना-डुलना।
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