Thursday, October 15, 2015

शू

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शूख़्ा ($फा.पु.)-मैल-कुचैल, मैल, गन्दगी।
शूख़्ागीं ($फा.वि.)-मलिन, मैला, गन्दा।
शूनीज़ ($फा.पु.)-कलौजी, प्याज़ का बीज।
शूम ($फा.वि.)-मनहूस, अनिष्टकर, अशुभ; अकल्याणकर, नामुबारक; कृपण, मक्खीचूस।
शूम$कदम (अ़.$फा.वि.)-जिसके चरण शुभ न हों, जिसका आगमन अनिष्टकर हो।
शूमतालेÓ (अ़.$फा.वि.)-भाग्यहीन, हत्भाग्य, बदनसीब, बद$िकस्मत।
शूमिए आÓमाल (अ़.$फा.स्त्री.)-पापाचार, कर्मों की निकृष्टता, कर्मों का खोट।
शूमिए $िकस्मत (अ़.$फा.स्त्री.)-भाग्य का खोटापन, भाग्य की निकृष्टता।
शूमिए तक़्दीर (अ़.$फा.स्त्री.)-दे.-'शूमिए $िकस्मतÓ।
शूमिए तालेÓ (अ़.$फा.स्त्री.)-दे.-'शूमिए $िकस्मतÓ।
शूमिए वक़्त ($फा.स्त्री.)-दे.-'शूमिए $िकस्मतÓ।
शूमी ($फा.वि.)-अशुभ, अनिष्ट, अकल्याण, नुसूहत; कृपणता, कंजूसी; खोट, बुराई।
शूरा (अ़.पु.)-सलाह, परामर्श, राय; विचार-विनिमय, तबादलए ख़्ायालात; हितोपदेश, नसीहत, शिक्षा।
शूरागाह (अ़.$फा.स्त्री.)-आपस में विचार-विनिमय करनेका स्थान, परस्पर परामर्श करने की जगह, मंत्रणालय, प्रेक्षागार।

 

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