मु
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मुंजजि़ब (अ़.वि.)-समा जानेवाला, लीन होनेवाला, जज़्ब होनेवाला।मुंज़जिर (अ़.वि.)-तटस्थ रहनेवाला, बाज़ रहनेवाला, अलग रहनेवाला।
मुंजमिद (अ़.वि.)-जमा हुआ, ठण्ड से जमी हुई वस्तु।
मुंजर (अ़.वि.)-खिंचा हुआ, परिवर्तित।
मुंज़ल (अ़.वि.)-नीचे उतरता हुआ; कोई बात होने की प्रक्रिया में।
मुंजली (अ़.वि.)-देश से बाहर जानेवाला, जलावतन होने-वाला; प्रकाशमान्, रौशन; उज्ज्वल, शफ़्$फा$फ; स्पष्ट, वाजेह।
मुंज़वी (अ़.वि.)-संसार से विरक्त होकर एकान्त में रहनेवाला।
मुंजिज़ (अ़.पु.)-पकानेवाला; वह दवा जो दूषित धातुओं को पकाकर ऐसी अवस्था में ले आए कि जुल्लाब (जुलाब) देने पर वे सुगमता से बाहर निकल जाएँ।
मुंजिद (अ़.वि.)-सहयोगी, सहायक, मददगार।
मुंजिऱ (अ़.वि.)-डरानेवाला।
मुंजि़ल (अ़.वि.)-नीचे उतरनेवाला; वीर्यपात करनेवाला।
मुंजिस (अ़.वि.)-नापाक करनेवाला, अपवित्र करनेवाला।
मुंजी (अ़.वि.)-छुटकारा दिलानेवाला, नजात दिलानेवाला।
मुंत$कल [ल्ल] (अ़.वि.)-एक जगह से दूसरी जगह पर गया हुआ; एक स्थान से दूसरे स्थान पर खिसकाया या लगाया हुआ।
मुंत$कल इलैह (अ़.वि.)-जिसकी ओर भेजा गया हो, जिसकी ओर मुंतकि़ल किया गया हो, जिसके नाम कोई वस्तु लिखी या दी गई हो।
मुंत$िकम (अ़.वि.)-बदी का बदला लेनेवाला, प्रत्यपकारी।
मुंत$िकल (अ़.वि.)-एक स्थान से दूसरे स्थान को जाने-वाला; एक जगह से दूसरी जगह पर हटनेवाली वस्तु; एक स्थान से दूसरे स्थान को स्थालांतरण पर जानेवाला कर्मचारी या अधिकारी।
मुंत$िकली (अ़.वि.)-एक स्थान से दूसरे स्थान को जाना; तबादला या स्थानांतरण होना; एक जगह से दूसरी जगह लगना।
मुंतख़्ाब (अ़.वि.)-चुना हुआ, छाँटा हुआ; संकलित, चुना हुआ हुआ कलाम या मजमून; निर्वाचित, चुना हुआ आदमी।
मुंतख़्ाबात (अ़.पु.)-पुस्तक के रूप में चुने हुए गद्य और पद्य का संग्रह।
मुंतजऱ (अ़.वि.)-जिसकी बाट जोही जा रही हो, जिसकी प्रतीक्षा की जा रही हो, प्रतीक्ष्य।
मुंतजि़म: (अ़.स्त्री.)-प्रबन्ध करनेवाली, इंतिज़ाम करने- वाली।
मुंतजि़म (अ़.वि.)-प्रबन्ध करनेवाला, प्रबन्धक, इंतिज़ाम करनेवाला, व्यवस्थापक।
मुंतजिम (अ़.वि.)-दीप्त, रौशन, प्रकाशमान्।
मुंतजिऱ (अ़.वि.)-प्रतीक्षा करनेवाला, प्रतीक्षक, बाट जोहने-वाला, इंतिज़ार करनेवाला।
मुंतज़ेÓ (अ़.वि.)-उखडऩेवाला, अस्त-व्यस्त होनेवाला।
मुंत$फी (अ़.वि.)-नष्ट होनेवाला। इसका 'तÓ उर्दू के 'तेÓ अक्षर से बना है।
मुंत$फी (अ़.वि.)-बुझनेवाला, बुझनेवाली आग या बुझने- वाला दीपक आदि। इसका 'तÓ उर्दू के 'तोयÓ अक्षर से बना है।
मुंतफ़ेÓ (अ़.वि.)-लाभ उठानेवाला, लाभार्थी, $फाइदा लेने-वाला।
मुंतबि$क (अ़.वि.)-चरितार्थ होनेवाला, ठीक-ठीक घटित होनेवााला।
मुंतबेÓ (अ़.वि.)-अंकित होनेवाला; छपनेवाला।
मुंतशिर (अ़.वि.)-तितर-बितर, अस्त-व्यस्त; उद्विग्न, बेचैन, परेशान।
मुंतसिब (अ़.वि.)-सम्बन्ध रखनेवाला, सम्बद्घ।
मुंतहा (अ़.वि.)-पराकाष्ठा, अंतिम सीमा, आख़्िारी हद; जो पराकाष्ठा को प्राप्त हो।
मुंतही (अ़.वि.)-पराकाष्ठा या हद को पहुँचनेवाला; विद्या में पारंगत होनेवाला, स्नातक।
मुंतिज (अ़.वि.)-परिणाम देनेवाला, फल देनेवाला।
मुंतिन (अ़.वि.)-बदबूदार, दुर्गन्धयुक्त।
मुंदफ़ेÓ (अ़.वि.)-निवारित, निराकृत, जो द$फा हो गया हो, जो हट गया हो।
मुंदमिल (अ़.वि.)-वह घाव जो भर आया हो, पूरित, रोपित।
मुंदारिज (अ़.वि.)-लिखित, दर्ज, प्रविष्ट, अंकित।
मुंदरिज़े जै़ल (अ़.वि.)-निम्नलिखित, नीचे लिखा हुआ।
मुंदरिस (अ़.वि.)-फटा-पुराना (कपड़ा), जीर्ण-शीर्ण।
मुंबइस (अ़.वि.)-उठनेवाला।
मुंबसित (अ़.वि.)-प्रसन्न, हर्षिज, ख़्ाुश।
मुंशअ़ात (अ़.पु.)-पत्रों या विषयों का संग्रह।
मुंशइब (अ़.वि.)-विभागों में बँटा हुआ, शाखाओं में विभाजित, मुंतशिर, तितर-बितर।
मुंश$क [क़्क़] (अ़.वि.)-फटा हुआ, जो फट गया हो, विदीर्ण।
मुंशरेह (अ़.वि.)-खुलनेवाला, खुला हुआ।
मुंशिद (अ़.वि.)-शेÓर पढऩेवाला।
मुंशियान: (अ़.$फा.अव्य.)-मुंशियों-जैसा, लिपिकों-जैसा, क्लर्कों-जैसा।
मुंशी (अ़.वि.)-गद्य लेखक, साहित्यकार, अदीब; लिपिक, क्लर्क; वकील का मुहर्रिर; कचहरी में अ़र्जिय़ाँ या प्रार्थनापत्र लिखनेवाला; जिसकी लिखावट अच्छी हो।
मुंशीख़्ाान: (अ़.$फा.पु.)-मुंशियों के बैठने का स्थान।
मुंशीगरी (अ़.$फा.स्त्री.)-लिखने का काम, मुहर्रिरी।
मुंशीए $फलक (अ़.पु.)-बुधग्रह, उतारिद।
मुंसद [द्द] (अ़.वि.)-अवरुद्घ, रुका हुआ; निवारित, वर्जित।
मुंसबि$ग (अ़.वि.)-रँगा हुआ, रंजित।
मुंसरि$फ (अ़.वि.)-एक स्थिति से दूसरी स्थिति में परिवर्तित होनेवाला; व्याकरण में अऱबी भाषा का वह शब्द जो कारक से प्रभावित होकर अपने अंतिम अक्षर पर ज़ेर, ज़बर, पेश दे, अनव्यय।
मुंसरिम (अ़.पु.)-प्रबन्धक, व्यवस्थापक, इंतिज़ाम करने वाला; दीवानी अदालत का एक अधिकारी।
मुंसलिक (अ़.पु.)-पिरोया हुआ, लड़ी में डाला हुआ, सूत्रित, नत्थी।
मुंसि$फ (अ़.वि.)-न्यायकर्ता, इंसा$फ करनेवाला; दीवानी अदालत का एक उच्च पदाधिकारी, न्यायधिकर्ता।
मुंसि$फमिज़ाज (अ़.वि.)-जिसके स्वभाव में न्यायप्रियता हो, न्यायनिष्ठ।
मुंसि$फान: (अ़.$फा.अव्य.)-मुंसि$फों-जैसा, न्यायोचित, न्यायपूर्ण।
मुंसिफ़ी (अ़.स्त्री.)-न्याय, इंसा$फ; मुंसि$फ की कचहरी; मुंसि$फ का पद।
मुअ़ंबर (अ़.वि.)-अ़ंबर की सुगन्ध में बसा हुआ; अ़ंबर-जैसी सुगंध देनेवाला।
मुअं़बरीं (अ़.$फा.वि.)-दे.-'मुअं़बरÓ।
मुअ़क़्क़्द (अ़.वि.)-ग्रंथित, गठीला; दुर्बोध लेख, जिस इबारत में ताÓ$कीद का दोष हो।
मुअक़्$कर (अ़.वि.)-सम्मानित, प्रतिष्ठित, पूज्य, प्रतिष्ठा-योग्य, $काबिले एहतिराम; जि़म्मेदार, मान्य।
मुअ़क़्ि$कद (अ़.वि.)-गाँठ लगानेवाला।
मुअ़ज़्जज़़ (अ़.वि.)-सम्मानित, प्रतिष्ठित, श्रीमन्।
मुअ़ज्जब (अ़.वि.)-विस्मय में डाला हुआ, अचंभे में डाला हुआ, विस्मित।
मुअ़ज़्ज़म: (अ़.वि.)-प्रतिष्ठित महिला, पूज्य स्त्री; पूज्य अथवा प्रतिष्ठित स्थान, जैसे-'मक्कए मुअ़ज़्ज़म:Ó।
मुअ़ज़्ज़म (अ़.वि.)-सम्मानित, प्रतिष्ठित, इज़्ज़तदार; श्रेष्ठ, बुज़ुर्ग।
मुअ़ज्जल (अ़.वि.)-त्वरित, शीघ्रित, जल्दी किया हुआ।
मुअ़जि़्जऩ (अ़.पु.)-मस्जिद में अज़ान देनेवाला।
मुअ़जि़्ज़ब (अ़.वि.)-सख्त कष्ट देनेवाला, अजाब यानी पापदण्ड देनेवाला।
मुअ़ज्जिल (अ़.वि.)-उतावला, जल्दबाज़, जल्दी करनेवाला, शीघ्रता करनेवाला।
मुअ़त्तर (अ़.वि.)-सुगंधित, सुवासित, ख़्ाुशबू में बसा हुआ।
मुअ़त्तल (अ़.वि.)-जो काम करने से रोक दिया गया हो, कर्म-बधित, रुद्घ-कर्म; जिसके पास काम न हो, बेकार, निठल्ला; जो संस्था अपना काम न कर रही हो, सस्पेण्ड, स्थगित, अपवारित।
मुअ़त्तिश (अ़.वि.)-प्यास लगानेवाली चीज़, प्यास-वद्र्घक वस्तु, जिसके खाने से प्यास अधिक लगे।
मुअ़द्दद (अ़.वि.)-गणित; गिना हुआ, शुमार किया हुआ।
मुअद्दब (अ़.वि.)-शिष्ट, सभ्य, तमीज़दार; शिष्टतापूर्ण।
मुअद्दा (अ़.वि.)-अदा किया हुआ, बेबा$क किया हुआ, शोधित।
मुअ़द्दिल (अ़.वि.)-समविभाजक, दो बराबर भागों में बाँटनेवाला।
मुअ़द्दिलुन्नहार (अ़.पु.)-वह वृत्त, जिस पर सूर्य के पहुँचने से दिन-रात बराबर होते हैं, नाडीवृत्त।
मुअ़द्दी (अ़.वि.)-भेजनेवाला, पहुँचानेवाला, प्रेषक।
मुअन्नस (अ़.स्त्री.)-स्त्रीलिंग, स्त्री-जाति, स्त्री-वर्ग।
मुअ़न्वन (अ़.वि.)-किसी के नाम समर्पित की गई पुस्तक।
मुअ़म्मर (अ़.वि.)-बड़ी आयुवाला, बूढ़ा, वयोवृद्घ।
मुअ़म्मा (अ़.पु.)-प्रतियोगिता।
मुअय्यिद (अ़.वि.)-ताईद करनेवाला, हाँ में हाँ मिलानेवाला, समर्थक।
मुअय़्यन (अ़.वि.)-निश्चित, नियत, तय, मु$कर्रर।
मुअ़र्बद (अ़.वि.)-कटु स्वभाववाला, तीव्र प्रकृतिवाला, बदख़्ाू, तेज़ मिज़ाज, जिसके स्वभाव में कटुता हो; लड़ाका, कलहप्रिय।
मुअर्ऱब (अ़.वि.)-अन्य भाषा का वह शब्द जो अऱबी भाषा में अपना लिया जाए।
मुअर्ऱा (अ़.वि.)-विहीन, रिक्त, ख़ाली; वह पुस्तक जिसकी टीका न हो; वह गद्य जो बिलकुल सादा हो।
मुअ़र्रि$क (अ़.वि.)-पसीना लानेवाली दवा।
मुअर्रिख़्ा (अ़.वि.)-इतिहास-लेखक, तारीख़्ादाँ।
मुअर्रिख़्ाान: (अ़.$फा.अव्य.)-इतिहास-लेखकों-जैसा।
मुअर्रिख़्ो वक़्त (अ़.पु.)-समयरूपी इतिहास लेखक।
मुअ़र्रि$फ (अ़.वि.)-प्रशंसा करनेवाला, प्रशंसक, ताÓरी$फ करनेवाला।
मुअ़ल्ल$क: (अ़.वि.)-बीच में लटकी हुई चीज़; बीच में लटकी हुई वह स्त्री जिसे उसका पति न तो छोड़े, न अपने पास रखे।
मुअ़ल्ल$क (अ़.वि.)-अधर में लटका हुआ, हवा में ठहरा हुआ; वह मृत्यु जो टल जाए; वह काम जो बीच में रुका हो।
मुअल्ल$फ: (अ़.वि.)-सम्पादित की हुई पुस्तक, ताली$फ की हुई पुस्तक।
मुअल्ल$फ (अ़.वि.)-सम्पादित, ताली$फ की हुई।
मुअ़ल्ल$फात (अ़.पु.)-सम्पादित पुस्तकें, लिखी हुई किताबें।
मुअ़ल्ला (अ़.वि.)-उच्च, उत्तुंग, ऊँचा; श्रेष्ठ, उत्तम।
मुअ़ल्ला अल्$काब (अ़.वि.)-बड़ी उपाधियोंवाला अर्थात् श्रेष्ठ व्यक्ति।
मुअल्लि$फ: (अ़.स्त्री.)-सम्पादिका, ताली$फ करनेवाली, सम्पादित करनेवाली।
मुअल्लि$फ (अ़.पु.)-सम्पादक, संकलन करनेवाला।
मुअ़ल्लिम: (अ़.स्त्री.)-अध्यापिका, पढ़ानेवाली।
मुअल्लिम (अ़.पु.)-अध्यापक, पढ़ानेवाला।
मुअ़ल्लिमुल मलकूत (अ़.पु.)-$िफरिश्तों को पढ़ानेवाला, शैतान।
मुअ़ल्लिमुल मलाइक (अ़.पु.)-दे.-'मुअ़ल्लिमुल मलकूतÓ, $िफरिश्तों को पढ़ानेवाला, शैतान।
मुअ़व्वज (अ़.वि.)-टेढ़ा, वक्र, ख़्ामीद:।
मुअ़स्$फर (अ़.पु.)-कुसुम का पेड़, कुसुम।
मुअस्सिर (अ़.वि.)-असर डालनेवाला, तासीर दिखानेवाला, गुणकारी।
मुअस्सिस (अ़.वि.)-नींव रखनेवाला, शिलान्यासकर्ता।
मुअ़ा$कबत (अ़.स्त्री.)-पीड़ा देना, कष्ट पहुँचाना, दु:ख देना।
मुआकलत (अ़.स्त्री.)-साथ-साथ खाना खाना।
मुअ़ा$िकब (अ़.वि.)-दु:ख देनेवाला, कष्ट देनेवाला, पीड़ा
पहुँचानेवाला।
मुआख़्ाज़: (अ़.पु.)-पकड़, गिरिफ़्त; भूल या अपराध की पकड़; प्रतिकार, बदला।
मुआख़्ाात (अ़.स्त्री.)-बन्धुत्व, भाईचारा, भाई-बिरादरीपन।
मुआख़्िाज़ (अ़.वि.)-दोष या अपराध पर पकड़ करनेवाला, मुआख़्ाज़ा करनेवाला।
मुअ़ाज़दत (अ़.स्त्री.)-सहायता, पुष्टि, समर्थन।
मुआजऩ: (अ़.पु.)-तुलना, समानता, बराबरी।
मुअ़ाजि़द (अ़.वि.)-सहयोगी, सहायक, हिमायती।
मुअ़ात$फत (अ़.स्त्री.)-अनुकम्पा, कृपा, दया, मेहरबानी।
मुअ़ातबत (अ़.स्त्री.)-परस्पर क्रोध करना, एक-दूसरे पर $गुस्सा होना।
मुअ़ातात (अ़.स्त्री.)-देना, अ़ता करना।
मुअ़ाति$फ (अ़.वि.)-दया करनेवाला, कृपा करनेवाला, दयालु।
मुअ़ातिब (अ़.वि.)-$गुस्सा करनेवाला, क्रोध करनेवाला, क्रोधी।
मुअ़ादलत (अ़.स्त्री.)-न्याय, नीति, इंसा$फ।
मुअ़ादा (अ़.पु.)-'मुअ़ादातÓ का लघु., दे.-'मुअ़ादातÓ।
मुअ़ादात (अ़.स्त्री.)-परस्पर शत्रुता, आपसी वैर।
मुअ़ादिल (अ़.वि.)-न्यायकर्ता, मुंसि$फ; बराबर के दो टुकड़े करनेवाला।
मुअ़ान$क: (अ़.पु.)-आपस में गले मिलना, आलिंगन, ब$गलगीरी।
मुअ़ानदत (अ़.स्त्री.)-परस्पर शत्रुता, आपसी वैर।
मुआनसत (अ़.स्त्री.)-परस्पर मैत्री, दोस्ती, मित्रता, याराना।
मुअ़ानि$क (अ़.वि.)-गले मिलनेवाला, ब$गलगीर होनेवाला, आलिंगनबद्घ होनेवाला।
मुअ़ानिद (अ़.वि.)-वैरी, शत्रु, दुश्मन।
मुअ़ानिदीन (अ़.पु.)-'मुअ़ानिदÓ का बहु., विरोधी लोग, द्वेष रखनेवाले।
मुआनिस (अ़.वि.)-मित्र, सखा, दोस्त, यार।
मुअ़ा$फ (अ़.वि.)-क्षमा प्राप्त, क्षमित।
मुआ$फ$कत (अ़.स्त्री.)-बराबरी, समानता, यकसानियत; मैत्री, दोस्ती; अनुकूलता, इत्ति$फा$क।
मुआ$िफ$क (अ़.वि.)-अनुकूल, मुत्त$िफ$क; मित्र, दोस्त।
मुआ$िफ$कीन (अ़.पु.)-'मुआ$िफ$कÓ का बहु., अनुकूल लोग।
मुअ़ा$फी (अ़.स्त्री.)-क्षमा, बख़्िशश।
मुअ़ा$फीदार (अ़.$फा.वि.)-जिसे मुअ़ा$फी यानी बख़्िशश की ज़मीन या जागीर मिली हो।
मुअ़ा$फीनाम: (अ़.$फा.पु.)-वह पत्र, जिसमें कोई व्यक्ति अपने अपराध-क्षमा के लिए लिखित अनुरोध करे, क्षमा-याचनापत्र।
मुआमरत (अ़.स्त्री.)-परस्पर विचार-विमर्श, विचार-विनिमय, आपसी परामर्श।
मुअ़ामल: (अ़.पु.)-परस्पर मिलकर कोई काम करना; कामकाज, व्यवसाय, कारोबार; लेन-देन; घटना, हादिसा; समझौता, राज़ीनामा, सुलह; कलह, झगड़ा; विषय, सम्बन्ध; मु$कदमा; व्यवहार, बर्ताव।
मुअ़ामल:अंदेश (अ़.$फा.वि.)-मुअ़ामले पर सोच-विचारकर काम करनेवाला।
मुअ़ामल:अंदेशी (अ़.$फा.स्त्री.)-मुअ़ामले को सोच-समझ कर काम करना।
मुअ़ामल:दाँ (अ़.$फा.वि.)-मुअ़ामले को समझनेवाला, दूरदर्शी; बात की तह को समझनेवाला; अनुभवी।
मुअ़ामल:दानी (अ़.$फा.स्त्री.)-मुअ़ामला समझकर काम करना; बात की तह तक पहुँचना; तज्रिबाकारी।
मुअ़ामल:नादाँ (अ़.$फा.वि.)-जो मुअ़ामले यानी बात को न समझे, मूर्ख, बेव$कू$फ।
मुअ़ामल:पसन्द (अ़.$फा.वि.)-करणीय बात को पसन्द करनेवाला।
मुअ़ामल:पसंदी (अ़.$फा.स्त्री.)-काम की बात पसन्द करना, करणीय बात मानना।
मुअ़ामल:$फह्म (अ़.$वि.)-दे.-'मुअ़ामल:दाँÓ।
मुअ़ामल:$फह्मी (अ़.स्त्री.)-दे.-'मुअ़ामल:दानीÓ।
मुअ़ामल:बंद (अ़.$फा.वि.)-चित्रात्मकता प्रस्तुत करनेवाला।
मुअ़ामल:बंदी (अ़.$फा.स्त्री.)-कविता में नायक और नायिका के प्रेमदृश्य को इस प्रकार प्रस्तुत करना कि स्वाभाविक चित्र आँखों के सामने उपस्थित हो जाए, चित्रात्मकता।
मुअ़ामल:बीं (अ़.$फा.वि.)-दे.-'मुअ़ामल:अंदेशÓ।
मुअ़ामल:बीनी (अ़.$फा.स्त्री.)-दे.-'मुअ़ामल:अंदेशीÓ।
मुअ़ामल:शनास (अ़.$फा.वि.)-दे.-'मुअ़ामल:दाँÓ।
मुअ़ामल:शनासी (अ़.$फा.स्त्री.)-दे.-'मुअ़ामल:दानीÓ।
मुअ़ामल:संज (अ़.$फा.वि.)-दे.-'मुअ़ामल:दाँÓ।
मुअ़ामल:संजी (अ़.$फा.स्त्री.)-दे.-'मुअ़ामल:दानीÓ।
मुअ़ामलत (अ़.स्त्री.)-पारस्परिक व्यवहार।
मुअ़ामलात (अ़.पु.)-'मुअ़ामल:Ó का बहु., अनेक काम; सम्बन्ध, व्यवहार; मु$कदमे।
मुअ़ामलाते $कौमी (अ़.पु.)-राष्ट्रीय समस्याएँ; जातीय समस्याएँ, जाति और बिरादरी के मामले।
मुअ़ामलाते ख़्ाानगी (अ़.$फा.पु.)-घरेलू झगड़े, घरेलू और निजी मसले।
मुअ़ामलाते ख़्ाुफ्य़: (अ़.$फा.पु.)-रहस्य की बातें, गुप्त बातें।
मुअ़ामलाते ज़ाती (अ़.पु.)-निजी समस्याएँ, घरेलू समस्याएँ, वैयक्तिगत समस्याएँ।
मुअ़ामलाते मुल्की (अ़.पु.)-देश अथवा राष्ट्र की समस्याएँ, राजनीतिक समस्याएँ, राजनीतिक उलझनें।
मुअ़ामलाते शख़्सी (अ़.पु.)-दे.-'मुअ़ामलाते ज़ातीÓ।
मुअ़ामलाते सल्तनत (अ़.पु.)-सरकार या राज्य की उलझने, राजनीतिक समस्याएँ या पेचीदगियाँ।
मुअ़ामलाते हुकूमत (अ़.पु.)-दे.-'मुअ़ामलाते सल्तनतÓ।
मुअ़ामिल (अ़.वि.)-समस्या या उलझन पैदा करनेवाला।
मुअ़ायन: (अ़.वि.)-किसी कार्यालय आदि के कामों की जाँच-पड़ताल करना, निरीक्षण; किसी विषय पर पूरा विचार करना, पर्यवेक्षण।
मुअ़ारज़: (अ़.पु.)-वाद-विवाद, बहस, तर्क-वितर्क; टंटा, झगड़ा, कलह।
मुअ़ारिज़ (अ़.वि.)-तर्क-वितर्क करनेवाला, वाद-विवाद करनेवाला; कलह और झगड़ा करनेवाला; दूसरे पक्ष का, प्रतिपक्षी, मुख़्ाालि$फ, विरोधी; प्रतिद्वंद्वी, हरी$फ।
मुअ़ालज: (अ़.पु.)-यत्न, उपाय, तद्बीर; चिकित्सा, इलाज, उपचार।
मुअ़ालजात (अ़.पु.)-'मुअ़ालज:Ó का बहु., चिकित्सा, इलाज, उपचार; वे ग्रंथ जो, जो चिकित्सा के सम्बन्ध में हों; नुस्ख़्ाों की किताबें, चिकित्सा के लिए दवा के सम्मिश्रण की जानकारियों का संग्रह।
मुआल$फत (अ़.स्त्री.)-परस्पर मैत्री, प्रेम-व्यवहार, मित्रता, दोस्ती, यारी।
मुआला (अ़.पु.)-'मुआलातÓ का लघु., दे.-'मुआलातÓ।
मुआलात (अ़.पु.)-परस्पर मित्रता और सहायता, दोस्ती और एक-दूसरे का सहयोग।
मुअ़ालिज (अ़.पु.)-चिकित्सा करनेवाला, इलाज करनेवाला, चिकित्सक, वैद्य, हकीम।
मुअ़ावज़: (अ़.पु.)-किसी वस्तु का मूल्य, जो वस्तु के बदले में दिया जाए; वह धन जो किसी क्षति के बदले में दिया जाए; क्षतिपूर्ति के लिए धन देना।
मुअ़ावदत (अ़.स्त्री.)-प्रत्यागमन, लौटना, वापस आना।
मुअ़ावनत (अ़.स्त्री.)-परस्पर सहयोग और सहायता, एक-दूसरे की मदद; सहयोग, सहायता, मदद।
मुअ़ाविन (अ़.वि.)-सहयोगी, सहायक, मददगार; वह नदी जो किसी बड़ी नदी में मिले, सहायक नदी; पक्षपाती, पृष्ठ-पोषक, हिमायती।
मुअ़ाविने जुर्म (अ़.वि.)-जो किसी अपराध या षड्यंत्र में किसी का सहायक या सहयोगी हो।
मुअ़ाशर: (अ़.पु.)-दे.-'मुअ़ाशरतÓ।
मुअ़ाशरत (अ़.स्त्री.)-बहुत-से लोगों का एक स्थान पर रहकर मेलजेल और एक-दूसरे को सहायता देकर जीवन व्यतीत करना, नागरिकता; सभ्यता, तहज़ीब।
मुअ़ाशिर (अ़.वि.)-मुअ़ाशरत करनेवाला, नागरिक; मित्र, सखा, दोस्त, हमदर्द।
मुअ़ासरत (अ़.स्त्री.)-दो या अधिक व्यक्तियों का समकालीन होना।
मुआसा (अ़.पु.)-'मुआसातÓ का लघु., दे.-'मुआसातÓ।
मुआसात (अ़.स्त्री.)-सहयोग, सहायता, मदद; सहानुभूति, हमदर्दी, $गमख़्वारी; शील, मुरव्वत।
मुअ़ासिर (अ़.वि.)-एक समय में होनेवाला, एक समय में होनेवाले व्यक्ति, समकालीन।
मुअ़ासिरीन (अ़.पु.)-'मुअ़ासिरÓ का बहु., समकालीन लोग।
मुअ़ाहद: (अ़.पु.)-आपस में किसी बात की प्रतिज्ञा, परस्पर $कौल-$करार; ऐग्रीमेंट, संप्रतिज्ञा।
मुअ़ाहदत (अ़.स्त्री.)-दे.-'मुअ़ाहद:Ó।
मुअ़ाहिद (अ़.वि.)-वचन देनेवाला, प्रतिज्ञा करनेवाला; संप्रतिज्ञा या ऐग्रीमेंट करनेवाला।
मुइज़्ज़ (अ़.वि.)-मान-सम्मान और प्रतिष्ठा देनेवाला; ईश्वर का एक नाम।
मुइद [द्द] (अ़.वि.)-कटिबद्घ, तैयार करनेवाला।
मुईद (अ़.वि.)-किसी काम को बार-बार करनेवाला।
मुईन (अ़.वि.)-सहयोगी, सहायक, मददगार; पृष्ठ-पोषक, हिमायती, पक्षपाती।
मुऐयन: (अ़.वि.)-निर्धारित, निश्चित, तय, नियत, मु$कर्रर, जैसे-'तारीख़्ो मुऐयन:Ó-निश्चित तिथि।
मुऐयन (अ़.वि.)-दे.-'मुअय़्यनÓ, निर्धारित, निश्चित, तय, नियत, मु$कर्रर।
मुऐयिद (अ़.वि.)-समर्थक, ताईद और पुष्टि करनेवाला, हाँ में हाँ मिलानेवाला, दे.-'मुअय्यिदÓ।
मुकज़्ज़ब (अ़.वि.)-जिसकी बात को झूठ बताया या साबित किया गया हो; जो बात झूठ साबित हो गई हो।
मुकजि़्ज़ब (अ़.वि.)-किसी की बात को झूठ साबित करने वाला; किसी को झूठा बताने या साबित करनेवाला।
मु$कत्तर (अ़.वि.)-बूँद-बूँद करके टपकाया हुआ; भट्टी में खींचा हुआ; निथार, ऊपर का सा$फ पानी या दवा आदि।
मु$कत्ताÓ (अ़.वि.)-छाँटा-तराशा हुआ; सभ्य, सुसंकृत, शिष्ट, शाइस्ता; जिसकी दाढ़ी तराशी हुई हो।
मु$कद्दम: (अ़.पु.)-वाद, दावा, नालिश; किताब की भूमिका, प्रस्तावना, प्राक्कथन, पेश लफ्ज़़; विषय, मुअ़ामला, कार्य, काम।
मु$कद्दम:बाज़ (अ़.$फा.वि.)-जो बहुत मु$कदमे लड़ता हो; जो जऱा-जऱा-सी बात पर मु$कदमा कर देता होजो मु$कदमेबाज़ी में बहुत निपुण हो।
मु$कद्दम (अ़.वि.)-प्रधान, मुख्य, ख़्ाास, विशेष, (पु.)-गाँव का मुखिया; अगला हिस्सा।
मु$कद्दर (अ़.पु.)-$िकस्मत, भाग्य, प्रारब्ध, नसीब, तक़्दीर; वह शब्द जो लेख में न हो मगर अर्थ में लिया जाए, लुप्त।
मुकद्दर (अ़.वि.)-मैला, मलिन, गन्दा, गँदला; अप्रसन्न।
मु$कद्दरआज़्माई (अ़.$फा.स्त्री.)-भाग्य-परीक्षा, तक़्दीर की आज़माइश, किसी काम में हाथ डालना और यह देखना कि काम होता है या नहीं।
मु$कद्दरात (अ़.पु.)-भाग्य-लेख, भाग्य-लिपि, भाग्य की बातें, तक़्दीर या $िकस्मत की बातें।
मु$कद्दस: (अ़.वि.)-पवित्र चीज़।
मु$कद्दस (अ़.वि.)-पाक, पवित्र; पुनीतात्मा, पवित्रात्मा।
मु$कद्दिम: (अ़.वि.)-आगे चलनेवाली।
मु$कद्दिमतुलजैश (अ़.पु.)-वह थोड़ी सेना, जो बड़ी सेना के आगे चलकर उसके पड़ाव आदि का प्रबन्ध करती या शत्रु-सेना से सम्बन्धित सूचनाएँ प्राप्त करती है, हिरावुल; नायक, सरदार; नेता, लीडर।
मु$कन्नित: (अ़.स्त्री.)-विधानसभा, लेजिस्लेटिव एसैम्बली।
मु$कन्निन (अ़.वि.)-$कानून जाननेवाला, $कानूनपेश: वकील; $कानून बनानेवाला, विधायक।
मु$कफ़्$फल (अ़.वि.)-जिसमें या जिस पर ताला पड़ा हो, यंत्रित, जैसे-'मु$कफ़्$फल सन्दू$कÓ।
मु$कफ़्$फा (अ़.वि.)-वह गद्य जो अजुप्रासात्मक हो।
मुकब्बर (अ़.पु.)-मस्जिद में वह ऊँचा स्थान, जहाँ तक्बीर अर्थात् 'अल्लाहो अकबरÓ कहनेवाला खड़ा होता है, यह स्थान केवल बड़ी मस्जिदों में होता है।
मुकब्बिर (अ़.वि.)-तक्बीर यानी 'अल्लाहो अकबरÓ कहने वाला, वह जो मुकब्बर यानी मस्जिद के ऊँचे स्थान पर चढ़कर नमाज़ में तक्बीरें कहे ताकि दूर के नमाज़ी सुन लें।
मुकम्मल (अ़.वि.)-पूरा का पूरा, सम्पूर्ण; समाप्त, ख़्ात्म; सर्वांगपूर्ण, हर तरह से पूर्ण।
मुकम्मिल (अ़.वि.)-पूर्ति करनेवाला; समाप्ति करनेवाला।
मु$कय्यद (अ़.वि.)-जो जेल में हो, बन्दी, कै़दी; जिसमें कोई शर्त लगा दी गई हो।
मु$कय्यश (अ़.वि.)-सोने-चाँदी के तारों का बना हुआ कपड़ा, दे.-'मुकै़शÓ उर्दू में अधिकतर यूँ ही बोलते हैं।
मु$कर्नस (अ़.वि.)-बड़ी और भव्य इमारत; चित्रित, अंकित, मुनक़्$कश, जिस पर लिखा हो; पाड़, जिस पर बैठकर राज मिस्त्री इमारत बनाता है।
मु$क्र्रज़ (अ़.वि.)-जिसे कैंची से काटकर महीन किया गया हो।
मु$कर्रब (अ़.वि.)-समीपवर्ती, निकटस्थ, हमनशीं, पास में बैठनेवाला, सभासद्।
मु$कर्रबीन (अ़.पु.)-'मु$कर्रबÓ का बहु., सभासद्जन, मुसाहिब लोग।
मुकर्रम (अ़.वि.)-प्रतिष्ििठत, पूज्य, श्रीमन्, महोदय, मोहतरम, श्रीमान्जी।
मु$कर्रर: (अ़.वि.)-निर्धारित, नियत, निश्चित, तै।
मु$कर्रर (अ़.वि.)-निर्धारित, नियत, निश्चित, तै, मुअय़्यन; नियुक्त; अवश्य, य$कीनी, ज़रूरी, लाज़मी।
मुकर्रर (अ़.वि.)-पुन:, फिर, दोबारा, एक बार और।
मुकर्ररात (अ़.पु.)-वे बातें, जो किसी लेख में बार-बार आई हों।
मु$कर्रिर (अ़.वि.)-वक्ता, भाषण देनेवाला।
मु$कर्रिरीन (अ़.पु.)-'मु$कर्रिरÓ का बहु., वक्तागण, भाषण देनेवाले।
मुकल्ल$फ (अ़.वि.)-जिसमें औपचारिकता बरती गई हो, जिसमें तकल्लु$फ किया गया हो, औपचारिकतापूर्ण, पुर- तकल्लु$फ; जो ख़्ाूब सजाया गया हो, सुसज्जित।
मुकल्ल$फात (अ़.पु.)-औपचारिकतापूर्ण चीजें़, दिखावटी चीजें़, पुर तकल्लु$फ चीजें़।
मुकल्लल (अ़.वि.)-मुकुट या ताज पहने हुए; टोपीदार, छत्तेदार; चमकता हुआ; कलई किया हुआ, मुलम्मा किया हुआ।
मुकल्लस (अ़.वि.)-जलाकर चूना बनाया हुआ।
मु$कल्लिद (अ़.वि.)-अनुकरण करनेवाला, अनुकारी, अनुसारी, अनुसरण करनेवाला; अनुयायी, पैरौ, शिष्य, चेला, मुरीद; मुसलमानों का वह समुदाय जो ख़्ाुदा और रसूल (पै$गम्बर, अवतार) के अतिरिक्त चारों इमामों को भी मानता है।
मु$कल्लिदीन (अ़.पु.)-वे मुसलमान, जो इमाम हन$फी और इमाम शा$िफई आदि के मतों को माननेवाले हैं।
मुकल्लि$फ (अ़.वि.)-कष्टदाता, तक़्ली$फ देनेवाला; निमंत्रण देनेवाला; चूँकि वह अपने घर बुलाने का कष्ट देता है, इस लिए स्वयं को 'मुकल्लि$फÓ कहता है।
मु$कल्लिब (अ़.वि.)-उलटा कर देनेवाला, पलट देनेवाला, फेर देनेवाला।
मु$कल्लिबुल $कुलूब (अ़.वि.)-हृदयों को बदल देनेवाला, दिलों को अव्छाई की तर$फ ले जानेवाला, बुरों को अच्छा बना देनेवाला, मन में दया-भाव उत्पन्न कर देनेवाला; ख़्ाुदा की सि$फत, ईश्वर की विशेषता।
मु$कव्वस (अ़.वि.)-वह चीज़ जो धनुष की भाँति तिरछी अथवा झुकी हुई होतिर्यक, झुका हुआ, नमित।
मु$कव्वी (अ़.वि.)-शक्ति देनेवाला, बलवद्र्घक; काम-शक्ति बढ़ानेवाला, कामवद्र्घक, पुष्टिकर।
मु$कव्वीए आÓसाब (अ़.वि.)-रगों (नसों) और पट्ठों को ता$कत देनेवाली दवा।
मु$कव्वीए बाह (अ़.वि.)-मैथुनबल और काम-शक्ति को बढ़ानेवाली दवा, कामवद्र्घक।
मु$कश्शर (अ़.वि.)-छिला हुआ, छिलका उतरा हुआ।
मु$कस्सर (अ़.वि.)-घटाया हुआ, कम किया हुआ, छोटा किया हुआ। इसका 'सÓ उर्दू के 'स्वादÓ अक्षर से बना है।
मुकस्सर (अ़.वि.)-टूटा हुआ, टुकड़े-टुकड़े किया हुआ, खण्डित। इसका 'सÓ उर्दू के 'सीनÓ अक्षर से बना है।
मुकस्सर (अ़.वि.)-अधिक किया हुआ; दो असमान संख्याओं का गुणनफल। इसका 'सÓ उर्दू के 'सेÓ अक्षर से बना है।
मु$कस्सिर (अ़.वि.)-छोटा करनेवाला, कम करनेवाला; $गलती करनेवाला, भूल करनेवाला, त्रुटि करनेवाला।
मुकस्सिर (अ़.वि.)-टुकड़े-टुकड़े करनेवाला, तोडऩेवाला, भंजक।
मुकह्हल (अ़.वि.)-आँखों में सुर्मा लगाए हुए; सुर्मा लगी हुई आँखें, अंजित नेत्र।
मु$कÓअऱ (अ़.वि.)-गर्त, गहरा; भीतरी तल, जो खोखला हो; गहरा, अथाह।
मुकाअ़द: (अ़.पु.)-बात का रंज करना।
मुकाअ़ल: (अ़.पु.)-आपस में नाप-तौल करना।
मु$कातअ़: (अ़.पु.)-काटना, खण्डन करना।
मुकातबत (अ़.स्त्री.)-एक-दूसरे को चिट्ठी-पत्री लिखना, परस्पर पत्र-व्यवहार करना, आपस में ख़्ातोकिताबत।
मु$कातल: (अ़.पु.)-एक-दूसरे की हत्या करना; परस्पर मारकाट; युद्घ, संग्राम, जंग।
मु$कातिल (अ़.वि.)-वधिक, हिंसक, हत्या करनेवाला।
मु$कातेÓ (अ़.वि.)-काटनेवाला, विच्छेदक; ठेका लेनेवाला, ठेकेदार।
मुका$फहत (अ़.पु.)-किसी के सामने लडऩा।
मुका$फात (अ़.स्त्री.)-बदी का बदला, बुराई का बदला, प्रत्युपकार; पापदण्ड, अपराध की सज़ा।
मुकाबर: (अ़.पु.)-स्वयं को एक-दूसरे से बड़ा बताना या साबित करना; लड़ाई, युद्घ, कलह।
मु$काबल: (अ़.पु.)-भिडंत; समानता, बराबरी; आमना-सामना, सम्मुखता; उद्दण्डता, सरकशी; किसी बात का कम्पीटीशन, प्रतिस्पद्र्घा, प्रतियोगिता; शक्ति परीक्षण; नक़्ल या अस्ल पुस्तक अथवा लेख से मिलान।
मु$काबलतन (अ़.अव्य.)-अपेक्षा, मु$काबले में, बनिस्बत।
मु$काबिल (अ़.वि.)-आमने-सामने, सम्मुख, सामने, प्रत्यक्ष; समान, बराबर; सदृश, मिस्ल; प्रतिस्पद्र्घी, प्रतिद्वंद्वी, र$कीब; विरोधी, वैरी।
मु$काम (अ़.पु.)-देर तक ठहराव, पड़ाव, $िकयाम; लक्ष्य, गंतव्य स्थल।
मु$कामी (अ़.वि.)-मु$काम से सम्बन्ध रखनेवाला; स्थानीय।
मु$कारनत (अ़.स्त्री.)-एक स्थान पर एकत्र होना, इकट्ठा होना; दो ग्रहों का एक राशि में इकट्ठा होना।
मु$कारबत (अ़.स्त्री.)-पास होना, निकट होना, $करीब होना, समीप होना; सामीप्य, निकटता, समीपता, नज़दीक़ी।
मुकारम: (अ़.पु.)-बख़्िशश में बराबरी करना, दान में बराबरी करना।
मुकारात (अ़.पु.)-किराये पर उठाना।
मु$कारिन (अ़.वि.)-एकत्र, इकट्ठा, एक जगह, एक स्थान पर।
मु$कारिब (अ़.वि.)-पास या नज़दीक़ होनेवाला, समीप होनेवाला।
मुकारिम (अ़.वि.)-बख़्िशश में बराबरी करनेवाला, दान में बराबरी करनेवाला।
मुकालम: (अ़.पु.)-वार्तालाप, परस्पर बातचीत; संवाद, कथोपकथन, डायलॉग।
मुकालम:नवीस (अ़.$फा.वि.)-संवाद-लेखक, नाटक आदि में संवाद लिखनेवाला।
मुकालम:नवीसी (अ़.$फा.स्त्री.)-संवाद-लेखन, संवाद लिखना।
मु$कावमत (अ़.स्त्री.)-तुल्यता, किसी के साथ बराबरी करना।
मु$कावल: (अ़.पु.)-आपस में समझौता, परस्पर वचन-प्रतिज्ञा; ऐग्रीमेंट, संप्रतिज्ञा; ठेका।
मुकाश$फ: (अ़.पु.)-आत्म-दर्शन, आत्म-शक्ति द्वारा वह सब-कुछ देखना जिसे दूसरे नहीं देख सकते; प्रत्यक्षरूप से शत्रुता करना; खुल्लम-खुल्ला लड़ाई करना।
मुकाश$फात (अ़.पु.)-'मुकाश$फ:Ó का बहु., आत्म-शक्ति के ज्ञान, दिव्य-दृष्टि के ज्ञान।
मुकाशहत (अ़.स्त्री.)-वैर, विरोध, शत्रुता, द्वेष, दुश्मनी।
मु$कासमत (अ़.स्त्री.)-आपस में बाँटना, परस्पर बँटवारा करना।
मु$कासात (अ़.स्त्री.)-पीड़ा सहना, दु:ख उठाना, कष्ट झेलना।
मुकाहनत (अ़.पु.)-पीठ पीछे कहना, परोक्ष कथन, अदृश्य कथन।
मुकिब [ब्ब] (अ़.वि.)-मुँह के बल औंधा गिरने अथवा गिरानेवाला।
मुकिर [र्र] (अ़.वि.)-वादा करनेवाला, वचन देनेवाला, इक्ऱार करनेवाला।
मु$िकल [ल्ल] (अ़.वि.)-भिक्षुक, मँगता; कम करनेवाला।
मु$की (अ़.वि.)-वमनकारक औषधि, वह दवा जिसके खाने से कै़ अथवा उलटी आए, वमि।
मु$कीत (अ़.वि.)-जीविका देनेवाला, रोज़ी-रोटी देनेवाला, अन्नदाता; शक्तिशाली, बलवान्, ता$कतवर; रक्षक, रखवाला; साक्षी, गवाह; हाजिऱ, उपस्थित।
मुकीद (अ़.वि.)-छली, वंचक, $फरेबी।
मु$कीम (अ़.वि.)-मु$काम या पड़ाव करनेवाला, थोड़े दिनों के लिए कहीं ठहरा हुआ; निवासी, रहनेवाला।
मुकैय़द (अ़.वि.)-बन्दी, कै़दी।
मुकैय़श (अ़.पु.)-दे.-'मुक़्कै़शÓ।
मुकौकब (अ़.वि.)-वह चीज़ जिस पर सितारे जड़े हों, वह चीज़ जिस पर सुनहरे या रुपहले चाँद-तारे बने हों; जिसमें सोने-चाँदी की सलाखें गड़ी हों (स्थान या वस्तु)।
मुक़्कै़श ($फा.पु.)-सोने-चाँदी के चौड़े तार, इन तारों से बना हुआ कपड़ा।
मुक़्कै़शी ($फा.वि.)-जऱी का, बादले का; सोने-चाँदी के तारों का।
मुक़्तज़ब (अ़.वि.)-विच्छिन्न किया हुआ, काटा हुआ, दे.-'बह्रïे मुक़्तज़बÓ।
मुक़्तज़ा (अ़.वि.)-माँग, इच्छा, त$काज़ा।
मुक़्तज़ाए उम्र (अ़.वि.)-उम्र का त$काज़ा, आयु की माँग।
मुक़्तज़ाए $िफत्रत (अ़.वि.)-स्वभाव का त$काज़ा।
मुक़्तज़ाए वक़्त (अ़.वि.)-समय की माँग, वक़्त का त$काज़ा, समय का आदेश।
मुक़्तज़ाए शरा$फत (अ़.वि.)-सज्जनता की माँग, शालीनता का त$काज़ा।
मुक़्तज़ाए सिन (अ़.वि.)-दे.-'मुक़्तज़ाए उम्रÓ।
मुक़्तजि़ब (अ़.पु.)-काटनेवाला, विच्छिन्न करनेवाला।
मुक़्तज़ी (अ़.वि.)-माँग करनेवाला, त$काज़ा करनेवाला, ख्वाहाँ, इच्छुक।
मुक्ततम (अ़.वि.)-गुप्त, छिपा हुआ, पोशीदा।
मुक़्तदर (अ़.वि.)-अधीन, वशीभूत।
मुक़्तदा (अ़.वि.)-जिसका सब लोग अनुकरण करें; अग्रसर, नेता; पूज्य, बुज़ुर्ग।
मुक़्तदाए $कौम (अ़.पु.)-राष्ट्र का नेता, $कौम यानी जाति का रहनुमा।
मुक़्तदिर (अ़.वि.)-सत्ताधारी, सत्तावान्, प्रभुत्ववाला, इक़्ितदारवाला।
मुक़्तदी (अ़.वि.)-अनुयायी, अनुकर्ता, जो अनुकरण करे।
मुक्तनि$फ (अ़.वि.)-सुरक्षाकामी, रक्षा का स्थान ढूँढऩेवाला, शरण चाहनेवाला; एकान्तवासी, निवृत्त।
मुक़्तनिस (अ़.वि.)-शिकार करनेवाला, शिकारी; बंदी बनानेवाला; कमानेवाला, कमेरा, उपार्जनकर्ता।
मुक्त$फी (अ़.वि.)-बहुत, पर्याप्त, का$फी, पूरा।
मुक़्त$फी (अ़.वि.)-पीछे से आनेवाला।
मुक़्तर [र्र] (अ़.वि.)-भिक्षुक, $फ$कीर; दरिद्र, कंगाल।
मुक्तसब (अ़.वि.)-उपार्जित, कमाया हुआ।
मुक्तसिब (अ़.वि.)-कमानेवाला, कमेरा, उर्पाजन करने- वाला।
मुक़्तसिर (अ़.वि.)-घटानेवाला, कम करनेवाला।
मुक़्तसी (अ़.वि.)-कम्बल ओढऩेवाला; कम्बल ब$गल में रखनेवाला; कपड़े पहननेवाला।
मुक़्तहिम (अ़.वि.)-ज़ुल्म और अत्याचार करनेवाला, अन्यायी, अत्याचारी, ज़ालिम; विजेता; धारण करनेवाला।
मुक्नत (अ़.स्त्री.)-सामथ्र्य, शक्ति, ता$कत; धनाढ्यता, मालदारी।
मुक़्िबल (अ़.वि.)-स्वीकार करनेवाला; किसी की ओर मुँह करनेवाला; भाग्यशाली; समृद्घ।
मुक्$फी (अ़.वि.)-का$फी, पूरा, पर्याप्त।
मुक्री (अ़.वि.)-पढ़ानेवाला, अध्यापक।
मुक़्ल: (अ़.पु.)-आँख का ढ़ेला, गोलक।
मुक़्ल (अ़.स्त्री.)-गुग्गल, गूगल, एक प्रसिद्घ गोंद।
मुख़्ा [ख़्ख़] (अ़.पु.)-मज्जा, हड्डी का गूदा; मस्तिष्क, भेजा; सार, तत्त्व, ख़्ाुलासा।
मुख़्ाज़्ज़ब (अ़.वि.)-जिसने ख़्िाज़ाब लगाया हो।
मुख़्ात्तत (अ़.वि.)-जिस पर धारियाँ हों, धारीदार; वह चेहरा जिस पर दाढ़ी के बाल निकल आए हों।
मुख़्ाद्दर: (अ़.वि.)-पर्दे में रहनेवाली स्त्री।
मुख़्ाद्दर (अ़.वि.)-जो सुन्न हो गया हो।
मुख़्ाद्दरात (अ़.स्त्री.)-'मुख़्ाद्दर:Ó का बहु, पर्दे में रहनेवाली महिलाएँ; बड़े घरों की पर्दानशीन औरतें।
मुख़्ाद्दिर (अ़.वि.)-सुन्न कर देनेवाला औषधि।
मुख़्ान्नस (अ़.पु.)-जो न मर्द हो, न स्त्री; नरदारा, नपुंसक, हिजड़ा।
मुख़्ाफ़्$फस (अ़.वि.)-जिसमें घटाव अर्थात् कमी की गई हो; वह शब्द जिसमें कुछ अक्षर कम कर दिए गए हों, जैसे-'राहगीरÓ का 'रहगीरÓ।
मुख़्ाम्मर (अ़.वि.)-जिसका खमीर उठाया गया हो, खमीर उठाया हुआ।
मुख़्ाम्मस (अ़.पु.)-वह नज़्म, जिसमें हर बन्द में पाँच-पाँच मिस्रे हों।
मुख़्ाय्यल: (अ़.पु.)-विचारा हुआ, सोचा हुआ; कल्पित, कल्पना किया हुआ; मस्तिष्क, दिमा$ग, भेजा।
मुख़्ाय्यिर (अ़.वि.)-दानशील, सखी, वदान्य, मुक्तहस्त।
मुख़्ाय्यिल: (अ़.स्त्री.)-कल्पना-शक्ति, विचार-शक्ति।
मुख़्ार्रब (अ़.वि.)-नष्ट, ध्वस्त, बरबाद, तबाह।
मुख़्ार्रिब (अ़.वि.)-बरबाद करनेवाला, नष्ट करनेवाला, तबाह करनेवाला।
मुख़्ार्रिबे अख़्ाला$क (अ़.वि.)-शिष्टाचार और आचरण को नष्ट या ख़्ाराब करनेवाला, आचरण को दूषित करनेवाला।
मुख़्ार्रिबे आÓमाल (अ़.वि.)-आचरण को दूषित करनेवाला, बुरा काम, नीच-कृत्य।
मुख़्ालख़्ाल (अ़.वि.)-वह चीज़ जिसके टुकड़े आपस में मिले और जुड़े न हों, जिनके बीच में कुछ अन्तर या दूरी हो, अन्तरालयुक्त।
मुख़्ाल्लद (अ़.वि.)-नित्य, हमेशा, सदैव; नश्वर।
मुख़्ाल्लाÓ (अ़.वि.)-जिसे ख़्िाल्अ़त (सरकार की ओर से सम्मानार्थ दिए जानेवाले वस्त्र आदि, जो तीन कपड़ों से कम नहीं होते) दी गई हो, जिसे राजकीय सम्मान दिया गया हो।
मुख़्ाल्ला (अ़.वि.)-खाली किया हुआ, रिक्त किया हुआ; आज़ाद किया हुआ, स्वच्छन्द छोड़ा हुआ, उन्मुक्त, स्वतंत्र।
मुख़्ाल्लाबित्तबअ़ (अ़.वि.)-उन्मुक्त, जिसे उसके मन पर स्वतंत्र छोड़ दिया जाए, बेतकल्लु$फ।
मुख़्ाव्व$फ (अ़.वि.)-भयभीत, डरा हुआ; डराया हुआ।
मुख़्ाव्वि$फ (अ़.वि.)-डरानेवाला, त्रासक।
मुख़्ास्सस (अ़.वि.)-ख़्ाास, मख़्सूस, जिसके साथ कोई ख़्ाुसूसियत बरती गई हो, जिसे कोई विशेष सम्मान दिया गया हो, प्रधान, मुख्य।
मुख़्ाात (अ़.स्त्री.)-नाक से बहनेवाला स्राव, नासा-स्राव, नाक।
मुख़्ाातब: (अ़.पु.)-सम्बोधन, किसी की ओर मुँह करके उससे बात करना।
मुख़्ाातब (अ़.वि.)-सम्बोधित, जिससे बात की जाए।
मुख़्ाातबात (अ़.पु.)-'मुख़्ाातब:Ó का बहु., परस्पर बातचीत, एक-दूसरे से वार्तालाप; पत्र-व्यवहार, ख़्ातोकिताबत।
मुख़्ाातर: (अ़.पु.)-आशंका, शंका, डर, भय, ख़्ातरा।
मुख़्ाातिब (अ़.वि.)-सम्बोधन करनेवाला, बोलनेवाला, बात करनेवाला।
मुख़्ाादअ़त (अ़.स्त्री.)-छल, $फरेब, धोखा।
मुख़्ाादेÓ (अ़.वि.)-छली, वंचक, $फरेबी, धोखेबाज़।
मुख़्ाा$फतत (अ़.स्त्री.)-धीरे-धीरे पढऩा।
मुख़्ााती (अ़.वि.)-अपराधी, अपराध करनेवाला, दोषी, गुनाह करनेवाला, गुनहगार; बिगड़ा या जमा हुआ बल$गम, जो नाक के रेंट के समान हो जाता है।
मुख़्ाादअ़ात (अ़.पु.)-'मुख़्ाादअ़तÓ का बहु., छल, धोखे, $फरेब।
मुख़्ाादज़: (अ़.पु.)-विरोध करना।
मुख़्ाादनत (अ़.पु.)-मैत्री अथवा दोस्ती करना, मित्रता करना।
मुख़्ाादीम (अ़.पु.)-'मख़्दूमÓ का बहु., स्वामीजन, मालिक लोग; प्रतिष्ठितजन।
मुख़्ााम (अ़.पु.)-तम्बू गाडऩा, ख़्ोमा खड़ा करना।
मुख़्ाारशत (अ़.पु.)-छीलना।
मुख़्ाालअ़त (अ़.पु.)-मेह्र मा$फ करके औरत का तला$क लेना।
मुख़्ाालतत (अ़.स्त्री.)-घनिष्ठता, बहुत अधिक मेल-जोल, प्रेम-व्यवहार।
मुख़्ााल$फत (अ़.स्त्री.)-विरोध, प्रतिकूलता, इख़्ितला$फ; शत्रुता, दुश्मनी; हठ, जि़द; वैमनस्य, कशीदगी, असहमति।
मुख़्ाालम: (अ़.पु.)-दोस्ती रखना, मित्रता रखना।
मुख़्ाालसत (अ़.पु.)-उचक लेना, अचानक किसी चीज़ को छीन लेना।
मुख़्ाालि$फ (अ़.वि.)-प्रतिकूल, विरोधी, मुख़्ााल$फत यानी विरोध करनेवाला; शत्रु, दुश्मन।
मुख़्ाालि$फीन (अ़.पु.)-'मुख़्ाालि$फÓ का बहु., विरोध करनेवाले, विरोधीगण; शत्रुगण, दुश्मन लोग।
मुख़्ााशनत (अ़.पु.)-कठोरता, अविनय।
मुख़्ाासमत (अ़.स्त्री.)-एक-दूसरे से झगडऩा, परस्पर झगड़ा करना; शत्रुता, दुश्मनी; कीना, द्वेष; परस्पर द्वेष रखना, आपस में वैर पालना।
मुख़्ाासिम (अ़.वि.)-ईष्र्या रखनेवाला, वैरभाव रखनेवाला, द्वेष रखनेवाला; शत्रु, दुश्मन।
मुख़्ाासिमीन (अ़.पु.)-'मुख़्ाासिमÓ का बहु., ईष्र्या रखनेवाले, द्वेष रखनेवाले; अनेक शत्रु, अनेक दुश्मन।
मुख़्िाल (अ़.वि.)-हस्तक्षेप करनेवाला, हस्तक्षेपी, बाधा उत्पन्न करनेवाला, बाधक, ख़्ालल डालनेवाला, मुज़ाहिम।
मुख़्ततम (अ़.वि.)-ख़्ात्म, समाप्त; अंतिमरूप से समाप्त, निर्णीत।
मुख़्त$फी (अ़.वि.)-गुप्त, छिपा हुआ, पोशीदा।
मुख़्तम [म्म] (अ़.वि.)-मुह्रï लगा हुआ, मुह्रïबंद; ताला लगा हुआ, तालबंद।
मुख़्तरअ़ात (अ़.पु.)-'मुख़्तराÓ का बहु., आविष्कृत वस्तुएँ।
मुख़्तराÓ (अ़.पु.)-जिस चीज़ का आविष्कार किया गया हो, आविष्कृत।
मुख़्तरेÓ (अ़.वि.)-आविष्कारक, मूजिद, वैज्ञानिक, नई खोज करनेवाला, नई उपज करनेवाला; नई बात निकालनेवाला।
मुख़्तल [ल्ल] (अ़.वि.)-दूषित, विकृत, बिगड़ा हुआ; अस्त-व्यस्त, गड़बड़।
मुख़्तलत (अ़.वि.)-जिसके साथ प्रेम-व्यवहार हो; मिला-जुला, गडमड।
मुख़्तल$फ (अ़.वि.)-जिससे विरोध हो, प्रतिपक्षी।
मुख़्तल$फ$फीह (अ़.वि.)-जिस विषय में मतभेद हों, जिस पर सबके सुर अलग-अलग हों, विवादग्रस्त।
मुख़्तलित (अ़.वि.)-प्रेम-व्यवहार रखनेवाला, मेल-जोल रखनेवाला।
मुख़्तलि$फ (अ़.वि.)-भिन्न, दूसरे प्रकार का; अन्य, दूसरा; प्रथक्, अलग।
मुख्तलि$फ मिज़ाज (अ़.वि.)-दे.-'मुख़्तलि$फुल मिज़ाजÓ।
मुख़्तलि$फुत्तबाएÓ (अ़.वि.)-अनेक स्वभावोंवाले, विभिन्न प्रकृतियोंवाले।
मुख़्तलि$फुत्तमद्दुन (अ़.वि.)-जिनकी संस्कृतियाँ भिन्न-भिन्न हों, जिनका रहन-सहन एक-जैसा न हो।
मुख़्तलि$फुत्तहज़ीब (अ़.वि.)-जिनकी सभ्यताएँ अलग-अलग हों।
मुख़्तलि$फुन्नस्ल (अ़.वि.)-विभिन्न नस्लों के, विभिन्न जातियों के, जिनकी नस्ल और जातियाँ अलग-अलग हों।
मुख़्तलि$फुन्नौअ़ (अ़.वि.)-जिनके आकार-प्रकार अलग-अलग हों, जो एक-जैसे न हों।
मुख़्तलि$फुलअ़$काइद (अ़.वि.)-जिनके विचार और मत अलग-अलग हों; जिनकी धार्मिक आस्थाएँ अलग-अलग हों।
मुख़्तलि$फुलअश्काल (अ़.वि.)-जिनकी आकृतियाँ भिन्न-भिन्न हों।
मुख़्तलि$फुलमिज़ाज (अ़.वि.)-जिनके स्वभाव एक-दूसरे से अलग हों।
मुख़्तलि$फुहवास (अ़.वि.)-जिसका मस्तिष्क दूषित हो, विक्षिप्त, पागल।
मुख़्तस [स्स] (अ़.वि.)-ख़्ाास, मख्सूस, विशेष।
मुख़्तसर (अ़.वि.)-संक्षिप्त, साररूप, ख़्ाुलासा; न्यून, थोड़ा।
मुख़्तसरन (अ़.वि.)-संक्षिप्त रूप में, संक्षेप्तत:।
मुख़्तसरनवीस (अ़.$फा.वि.)-संक्षिप्त-लिपिक, संकेत-लिपिक, आशु-लिपिक।
मुख़्तसरनवीसी (अ़.$फा.स्त्री.)-संक्षिप्त-लिपि, संकेत-लिपि, शार्टहैंड।
मुख़्तस्सुलम$काम (अ़.वि.)-किसी विशेष स्थान पर आसीन, प्रतिष्ठित, पूज्य।
मुख़्तार (अ़.वि.)-उन्मुक्त, स्वतंत्र, आज़ाद; स्वच्छन्द, ख़्ाुदराय; अधिकर्ता, एजेंट; कलक्ट्री में वकील से कम दर्जे का वकील; किसी जागीर आदि का व्यवस्थापक।
मुख़्तारनाम: (अ़.$फा.पु.)-वह पत्र जिसमें किसी को मुख़्तार बनाने के लिए लिखित प्रमाण हो।
मुख़्तारी (अ़.स्त्री.)-कलक्ट्री और तहसील में वकालत का काम, जो वकील के दर्जे से कम होता है।
मुख़्तारे अ़ाम (अ़.$फा.वि.)-वह मुख़्तार, जिसे किसी रियासत के सारे अधिकार प्राप्त हों।
मुख़्तारे कार (अ़.$फा.वि.)-कर्मचारी, कारिन्दा, काम करने का अधिकारी।
मुख़्तारे कुल (अ़.पु.)-दे.-'मुख़्तारे अ़ामÓ।
मुख़्तारे ख़्ाास (अ़.पु.)-वह मुख़्तार, जिसे केवल किसी विशेष काम के लिए ही रखा गया हो।
मुख़्तारे मुत्ल$क (अ़.पु.)-दे.-'मुख़्तारे अ़ामÓ।
मुख़्ताल (अ़.वि.)-अहंकारी, अभिमानी, घमण्डी।
मुख़्ती (अ़.वि.)-अपराधी, दोषी, $कुसूरवार।
मुख्ऩ$क (अ़.वि.)-जिसका गला घोंटा गया हो, जिसे गला घोंटकर मारा गया हो।
मुख़्िबर (अ़.पु.)-किसी विशेष बात की सूचना देनेवाला; गुप्तचर, जासूस।
मुख़्िबरी (अ़.स्त्री.)-जासूसी, गुप्त-चर्या, सूचीकर्म।
मुख़्िबरे सादि$क (अ़.पु.)-सच्ची ख़्ाबर देनेवाला; रसूल अर्थात् पै$गम्बर की उपाधि।
मुख़्िाज (अ़.वि.)-निकालनेवाला, निष्कासक।
मुख़्िलस (अ़.वि.)-जिसमें कोई बनावट न हो, निश्छल, सद्भावक।
मुख़्िलसान: (अ़.$फा.वि.)-निश्छलतापूर्ण, सच्चाई के साथ।
मुख़्िलसी (अ़.स्त्री.)-निश्छलता, निष्कपटता, इख़्लास, ('छुटकाराÓ और 'मुक्तिÓ के अर्थ में यह शब्द प्रयोग करना अनुचित और अशुद्घ है, वह 'मख़्लसीÓ है, दे.-'मख़्लसीÓ)।
मु$ग ($फा.पु.)-अग्नि की पूजा करनेवाला, अग्नि-पूजक, आतशपरस्त; मद्य परोसनेवाला, शराब पिलानेवाला, सा$की।
मु$गन्निय: (अ़.स्त्री.)-गानेवाली, गायिका; गायकी।
मु$गन्नी (अ़.पु.)-गानेवाला, गायक, रागी।
मु$गबच: ($फा.पु.)-उर्दू साहित्य में सा$की का वह सुन्दर लड़का जो शराब परोसता है।
मु$गय्यर (अ़.वि.)-बदला हुआ, परिवर्तित।
मु$गय्यिर (अ़.वि.)-बदलनेवाला, परिवर्तन करनेवाला।
मु$गर्रा (अ़.वि.)-चकित, निस्तब्ध, जो अचम्भे में पड़ गया हो; जो सरेस से चिपकाया गया हो।
मु$गल (तु.पु.)-तुर्क, तुर्किस्तान का निवासी, (इसका शुद्घ उच्चारण 'मु$गुलÓ है मगर उर्दू भाषा में यही प्रचलित है)।
मु$गलज़ाद: (तु.$फा.पु.)-तुर्क का लड़का; तुर्की, मु$गुल।
मु$गल्लज़ (अ़.वि.)-गाढ़ा, $गलीज़; गन्दी गाली।
मु$गल्लज़ात (अ़.स्त्री.)-गन्दी गालियाँ।
मु$गल्लिज़ (अ़.वि.)-गाढ़ा करनेवाला, धातु को गाढ़ा करनेवाली दवा।
मु$गल्लिज़ात (अ़.स्त्री.)-वे दवाएँ या औषधियाँ जो धातु को गाढ़ा करती हैं।
मु$गल्लिज़े मनी (अ़.पु.)-वीर्य को गाढ़ा करनेवाली औषधि।
मु$गल्लिज़े माद्द: (अ़.पु.)-दे.-'मु$गल्लिज़े मनीÓ।
मु$गाँ ($फा.पु.)-अग्नि की पूजा करनेवाले, अग्नि-पूजक, आतशपरस्त; शराब परोसनेवाला, सा$की।
मु$गाइर (अ़.वि.)-विपरीत, प्रतिकूल, विरोधी, मुख़्ाालि$फ; बेगाना, पराया, अंजान, अपरिचित।
मु$गाज़लत (अ़.पु.)-एक साथ बैठकर आपस में कविता करना, परस्पर $गज़लसराई करना।
मु$गाज़बात (अ़.पु.)-एक-दूसरे का विरोध करना, परस्पर विरोध करना।
मु$गादरत (अ़.स्त्री.)-एक-दूसरे के साथ बेव$फाई और क्रूरता का व्यवहार करना; क्रूरता, बेव$फाई।
मु$गादिर (अ़.वि.)-क्रूरता और बेव$फाई करनेवाला।
मु$गान: ($फा.वि.)-अग्नि-पूजकों-जैसा, आतशपरस्तों-जैसा; माÓशू$कों-जैसा, पे्रमिकाओं-जैसा।
मु$गायरत (अ़.स्त्री.)-अपरिचितता, अनजानपन, बेगानापन, गै़रियत, परायापन; प्रतिकूलता, नामुआ$फ$कत, विरुद्घता।
मु$गालत: (अ़.पु.)-भूल, त्रुटि; संदेह, शुब्हा; भ्रम, वहम; धोखा, छल, $फरेब।
मु$गालत:दिही (अ़.$फा.स्त्री.)-वंचना, ठगी, धोखा देना।
मु$गालतत (अ़.पु.)-भ्रम में डालना।
मु$गालबत (अ़.पु.)-परस्पर विरोध तलाश करना; एक-दूसरे पर जीत प्राप्त करना।
मु$गालान (अ़.पु.)-बहुमूल्य सामान ख़्ारीदना, महँगा सामान ख़्ारीदना।
मु$गील (अ़.पु.)-दे.-'मु$गीलाँÓ।
मु$गीलाँ (अ़.पु.)-बबूल का पेड़, कीकर।
मु$गीस (अ़.वि.)-$फर्याद सुननेवाला, दुहाई सुननेवाला, न्याय करनेवाला।
मु$गुल (तु.पु.)-तुर्क, तुर्किस्तान का निवासी, मु$गल। उर्दू में 'मु$गलÓ ही प्रचलित है।
मुगैऱ (अ़.वि.)-लूटनेवाला, $गारत करनेवाला, दस्यु, लुटेरा, डाकू।
मुग़्तज़ी (अ़.वि.)-ख़्ाुराक पानेवाला।
मुग़्तनम: (अ़.स्त्री.)-$गनीमत, (स्त्रीवाचक शब्दों के लिए)।
मुग़्तनम (अ़.वि.)-$गनीमत, जो सब में से अच्छा हो, यद्यपि बहुत अच्छा न हो, परन्तु बोलने में बहुत अच्छा के स्थान पर ही बोलते हैं।
मुग़्तनमात (अ़.वि.)-वे लोग, जो बचे हुए लोगों में से $गनीमत यानी अच्छे हों।
मुग़्तसाल (अ़.पु.)-गुस्लख़्ााना, स्नानघर, बाथरूम।
मुग्ऩी (अ़.वि.)-समृद्घि और सम्पन्नता देनेवाला; ईश्वर का एक नाम।
मुग़्बर [र्र] (अ़.वि.)-मटमैला, ख़्ााकी रंग का, धुमैला।
मुग़्ल$क (अ़.वि.)-वह घर, जिसके दरवाज़े बन्द हों; वह रचना, जिसका समझना मुश्किल हो, गूढ़, कूट।
मुग़्िलम (अ़.वि.)-गुदा-मैथुन करनेवाला, गुदामैथुनिक, बच्च:बाज़, लौंड़ेबाज़।
मुग़्िवय: (अ़.स्त्री.)-बहकानेवाली, कुमार्ग पर ले जानेवाली, भड़कानेवाली, इग़्वा (अ$गवा) करनेवाली।
मुग़्िवयान: (अ़.वि.)-इग़्वा (अ$गवा) करनेवालों-जैसा।
मुग़्वी (अ़.वि.)-बहकानेवाला, इग़्वा (अ$गवा) करनेवाला।
मुग़्िसल (अ़.वि.)-नहलानेवाला, स्नान करानेवाला।
मुचलका (अ़.पु.)-वह प्रतिज्ञापत्र, जो अपराधी की ओर से इस बात के लिए हो कि यदि वह फिर अपराध करेगा तो इतने रुपए देगा।
मुचीदन ($फा.पु.)-इठलाकर चलना।
मुजअ़्अ़द (अ़.पु.)-चोटी बाँधे हुए, गुँधे हुए बाल।
मुज़क्कर (अ़.वि.)-नर, पुरुष प्राणी; पुल्लिंग, मेल।
मुज़क्का (अ़.वि.)-वह माल, जिसकी ज़कात निकल गई हो; वह सामान, जिससे धार्मिक-कर निकाल लिया गया हो; पाक, पवित्र, शुद्घ।
मुज़ख़्ा्र$फ (अ़.पु.)-ऐसी झूठी बात, जो सच जान पड़े, आधारहीन बात, बनावटी बात; अनर्थक गल्प, अनर्गल बात, बकवाद।
मुज़ख़्ा्र$फात (अ़.प्रत्य.)-'मुज़ख़्ा्र$फÓ का बहु., झूठी बातें, बकवास।
मुजज़्ज़ा (अ़.वि.)-जुज़-जुज़ किया हुआ, टुक्ड़े-टुकड़े किया हुआ।
मुजद्दिद (अ़.पु.)-पुरानी चीज़ को नए सिरे से बनानेवाला, सुधार करनेवाला, सुधारक, रि$फार्मर; वह व्यक्ति, जो इस्लाम -धर्म में सुधार करे।
मुजद्दिदन (अ़.वि.)-नए सिरे से, फिर से।
मुजफ़्$फ$फ (अ़.वि.)-सुखाया हुआ, ख़्ाुश्क किया हुआ।
मुजफ़़्$फर (अ़.वि.)-जीता हुआ, विजेता, विजित।
मुजफ़्ि$फ$फ (अ़.वि.)-सुखानेवाला, ख़्ाुश्क करनेवाला।
मुज़ब्ज़ब (अ़.वि.)-अनिर्धारित, डाँवाडौल, दुविधा में पड़ा हुआ, कोई निर्णय न ले पाने की स्थिति में।
मुज़म्म: (अ़.पु.)-वह रस्सी, जो घोड़े की पिछाड़ी के साथ बाँधते हैं; डाँट-डपट, गोशमाली।
मुजय़्यन (अ़.वि.)-शृंगारित, आभूषित, गहने आदि से से सजी हुई स्त्री; सुसज्जित, सजा हुआ (घर आदि), आरास्ता।
मुजय़्यब ($फा.वि.)-सुन्दर, शोभित, शुभ-दर्शन, ज़ेबा।
मुज़य्यिन (अ़.वि.)-शृंगार करनेवाला, सजाने-संवारनेवाला, सुसज्जित करनेवाला, आरास्ता करनेवाला।
मुजर्रद (अ़.वि.)-कुँआरा, अविवाहित, गैऱशादीशुदा; वह $फ$कीर अथवा साधु-संन्यासी जो विवाह न करे; एकाकी, अकेला; वह वस्तु, जिसका सम्बन्ध पंचभूत से न हो।
मुजर्रदात (अ़.पु.)-बिना शरीर की वस्तुएँ।
मुजर्रब (अ़.वि.)-वह बात जो आज़मायी जा चुकी हो, अनुभूत, परीक्षित; वह दवा या औषध जो परीक्षित हो।
मुजर्रबात (अ़.पु.)-आज़माई हुई दवाएँ या नुस्ख़्ो, अनुभूत योग।
मुजल्लद (अ़.वि.)-जिल्द बँधी हुई पुस्तक, वह पुस्तक जिसकी जिल्द चढ़ी हो, सजिल्द पुस्तक।
मुज़ल्ल$फ ($फा.वि.)-ज़ुल्$फोंवाला, ज़ुल्$फ बिखेरे हुए।
मुजल्ला (अ़.वि.)-दीप्त, ज्योतिर्मय, रौशन, प्रकाशमान्;जिसे माँजकर या सै$कल करके चमकाया गया हो।
मुजल्ली (अ़.वि.)-प्रकाशित करनेवाला, रौशन करनेवाला, प्रकाशक।
मुजव्वज़: (अ़.वि.)-निर्धारित, निश्चित, निर्णीत, तै किया हुआ।
मुजव्वज़ (अ़.वि.)-दे.-'मुजव्वज़:Ó।
मुजव्व$फ (अ़.वि.)-खोखला, अन्दर से अन्दर से खाली, पोला, सुषिर।
मुजव्विज़ (अ़.वि.)-सुझानेवाला, तज़्वीज़ करनेवाला, निर्णय करनेवाला, निर्णेता, निर्णायक।
मुजव्विज़ीन (अ़.पु.)-निर्णायक-मण्डल, निर्णय करनेवालों की मण्डली।
मुजव्विज़े $कानून (अ़.पु.)-विधान तै करनेवाला, विधायक, $कानून बनानेवाला।
मुजस्सम: (अ़.पु.)-रूप, आकृति, शक्ल, डील-डौल; मूर्ति, प्रतिमा, स्टेचू।
मुजस्सम (अ़.वि.)-सशरीर, साक्षात्, साकार, मूर्तिमान्।
मुज़ह्हब (अ़.वि.)-सोने का काम किया हुआ, सोना मढ़ा हुआ, स्वर्णखचित, सोने का पानी चढ़ा हुआ।
मुज़ाअ़$फ (अ़.वि.)-दोगुना, दूना, दोचंद, द्विगुण।
मुज़ाकर: (अ़.पु.)-आपस की बातचीत, वार्तालाप; चर्चा, जि़क्र।
मुज़ाकरात (अ़.पु.)-'मुज़ाकर:Ó का बहु., आवस की बातचीत; वार्तालाप, चर्चाएँ।
मुजाज़ (अ़.वि.)-जिसे आज्ञा या अधिकार प्राप्त हो, जिसे कोई काम करने की इजाज़त हो, प्राधिकारी, अथार्टी।
मुजाज (अ़.$फा.पु.)-एक प्रसिद्घ अन्न ज्वार, जुवार।
मुजादल: (अ़.पु.)-तर्क-वितर्क, वाद-विवाद, किसी बात पर होनेवाली बहस, मुबाहसा; कहा-सुनी; युद्घ, लड़ाई।
मुजादिल (अ़.वि.)-बहस करनेवाला, वाद-विवाद करने वाला; युद्घ करनेवाला, लडऩेवाला।
मुजानसत (अ़.स्त्री.)-एक जिन्स अथवा जाति का होना, एक वंश का होना, जैसे-आदमी होना या पशु होना।
मुजानिस (अ़.वि.)-एक जिन्स अथवा जाति का, एक वंश, हमजिन्स, हम$कौम।
मुज़ा$फ (अ़.वि.)-सम्बद्घ किया गया, निस्बत किया गया; जोड़ा गया, मिलाया गया; रिश्ता स्थापित किया गया।
मुज़ा$फ इलैह (अ़.पु.)-जिससे सम्बद्घ स्थापित किया गया हो, जिससे जोड़ा या मिलाया गया हो; जिसकी ओर निस्बत की जाए, जैसे- घनशाम का मोबाइल अथवा अंजू की घड़ी, इसमें घनशाम का और अंजू की 'मुंज़ा$फ इलैहÓ है और
मोबाइलÓ तथा 'घड़ीÓ 'मुज़ा$फÓ हैं।
मुज़ाÓ$फर (अ़.पु.)-एक प्रकार का मीठा पुलाव, जिसमें केसर पड़ता है।
मुज़ा$फात (अ़.पु.)-'मुज़ा$फÓ का बहु., निस्बतें; नगर आदि का आसपास का इला$का।
मुज़ा$फाते शह्रï (अ़.पु.)-नगर के आसपास का इला$का।
मुज़ाब (अ़.वि.)-पिघला हुआ, द्रवित।
मुजाब (अ़.वि.)-उत्तरित, जवाब दिया हुआ, जिसका उत्तर दे दिया गया हो।
मुजामअ़त (अ़.स्त्री.)-शारीरिक सम्बन्ध स्थापित करने की क्रिया, सहवास, सम्भोग, मैथुन, रति, हमबिस्तरी।
मुजामेÓ (अ़.वि.)-सहवास करनेवाला, मैथुन करनेवाला, रति-क्रीडक।
मुज़ाय$क: (अ़.पु.)-बुराई, अनिष्ट, आपत्ति, $कबाहत; हानि, हरज; समय की तंगी।
मुज़ारबत (अ़.स्त्री.)-किसी को व्यवसाय के लिए इस शर्त पर माल देना कि लाभ में साझा रहेगा।
मुज़ारेÓ (अ़.वि.)-समान, सदृश, मिस्ल; साझी, शरीक; वह क्रिया जिसमें वर्तमान और भविष्य दोनों काल पाए जाएँ। इसका 'ज़Ó उर्दू के ज़्वादÓ अक्षर से बना है।
मुज़ारेÓ (अ़.वि.)-कृषि करनेवाला, किसान, काश्तकार, कृषक। इसका 'ज़Ó उर्दू के 'ज़ेÓ अक्षर से बना है।
मुजालसत (अ़.स्त्री.)-परस्पर एक जगह बैठना, साथ-साथ बैठना।
मुज़ावजत (अ़.स्त्री.)-शादी, विवाह, ब्याह, निकाह।
मुजावरत (अ़.स्त्री.)-पड़ोस, प्रतिवास, हमसायगी, पास-पास रहना।
मुजावल: (अ़.पु.)-$फौज का लौट आना, सेना का वापस आ जाना।
मुज़ावलत (अ़.स्त्री.)-निरन्तर क्रिया, अभ्यास, मश्$क, किसी काम को बराबर करना।
मुजाविज़ (अ़.पु.)-हद से आगे बढऩेवाला, सीमा लाँघने वाला।
मुजाविर (अ़.वि.)-पड़ोसी, पास में रहनेवाला, प्रतिवेशी; धर्मस्थान-परिचारक, कार-सेवक, किसी दरगाह आदि का ख़्िादमती।
मुज़ाविरी (अ़.वि.)-मुजाविर का पेशा, धर्मस्थान की सेवा, दरगाह आदि की सेवा।
मुज़ाहक: (अ़.वि.)-परिहास, ठिठोली, आपस में हँसी-दिल्लगी करना।
मुजाहद: (अ़.पु.)-पूजा, तपस्या, इबादत; इन्द्रिय-निग्रह, नफ़्सकुशी; पराक्रम, जाँ$िफशानी।
मुज़ाहमत (अ़.स्त्री.)-हस्तक्षेप, दख़्लअंदाज़ी; रोक-टोक, मनाही।
मुज़ाहर: (अ़.पु.)-शासन से किसी माँग के लिए लोगों का सामूहिक-रूप से नारे आदि लगाना तथा जुलूस निकालना, प्रदर्शन करना।
मुजाहरत (अ़.स्त्री.)-आमने-सामने लडऩा।
मुजाहलत (अ़.स्त्री.)-मूर्खता की बातें करना।
मुजाहिद (अ़.वि.)-प्रयासरत, प्रयत्नशील, कोशिश करने वाला, पराक्रमी; विधर्मियों से युद्घ करनेवाला।
मुजाहिदान: (अ़.वि.)-मुजाहिदों की तरह, धर्म-योद्घाओं की भाँति, पराक्रमियों की तरह।
मुजाहिदीन (अ़.पु.)-'मुजाहिदÓ का बहु., विधर्मियों से लडऩेवाले, योद्घा।
मुज़ाहिम (अ़.वि.)-मुज़ाहमत करनेवाला, रोक-टोक करने- वाला, हस्तक्षेप करनेवाला।
मुजिऱ [र्र] (अ़.वि.)-अनिष्टकर, हानिकर, नुक़्सानदेह।
मुजिर्ऱे सेहत (अ़.पु.)-स्वास्थ्य के लिए हानिकारक, अपथ्य, अनारोग्य।
मुजि़ल [ल्ल] (अ़.वि.)-भटकानेवाला, गुमराह करनेवाला।
मुज़ीअ़ (अ़.वि.)-विनाशक, नष्ट करनेवाला, बरबाद करने-वाला।
मुजीब (अ़.वि.)-उत्तर देनेवाला, जवाबदेह, उत्तरदाता; स्वीकार करनेवाला।
मुज़ीब (अ़.वि.)-द्रवित करनेवाला, पिघलानेवाला।
मुजीबुद्दाÓवात (अ़.पु.)-दुअ़ाएँ स्वीकार करनेवाला, ईश्वर, भगवान्, परमात्मा।
मुज़ील (अ़.वि.)-ज़ाइल करनेवाला, विनाश करनेवाला, नष्टकर्ता, निवारक।
मुजैय़न (अ़.वि.)-सजा-सँवरा हुआ, सुसज्जित, शृंगारित, आरास्ता।
मुज़्इफ़ (अ़.वि.)-शक्तिहीन करनेवाला, कमज़ोर करने-वाला।
मुज़्इफ़े बाह (अ़.वि.)-कामशक्ति को कम करनेवाली दवा, कामस्तम्भक औषधि।
मुज़्$ग: (अ़.पु.)-लोथड़ा, मांसपिण्ड।
मुज़्ग़ए गोश्त (अ़.$फा.पु.)-मांस का लोथड़ा, मांसपिण्ड, गोश्त का लोथड़ा।
मुज़्ज़म्मिल (अ़.वि.)-$कुरान शरी$फ की एक सूरत।
मुज़्ज़ात (अ़.पु.)-अल्प, न्यून, थोड़ा।
मुज्तबा (अ़.वि.)-प्रतिष्ठित, सम्मानित, बुज़ुर्ग।
मुज्तमाÓ (अ़.वि.)-इकट्ठा, एकत्र, एक जगह।
मुज्तमेÓ (अ़.वि.)-इकट्ठा करनेवाला, एकत्र करनेवाला, इकट्ठा होनेवाला।
मुज़्तर [र्र] (अ़.वि.)-बेचैन, व्याकुल; लाचार, बेबस।
मुज़्तरिब (अ़.वि.)-आतुर, व्याकुल, बेचैन; घबराया हुआ; अधीर, उतावला।
मुज़्तरिबान: (अ़.$फा.वि.)-व्याकुलों-जैसा, व्याकुलतापूर्ण।
मुज़्तरिबुलहाल (अ़.वि.)-उद्विग्न, परेशान, घबराया हुआ।
मुज्तस [स्स] (अ़.वि.)-उन्मूलित, जड़ से उखाड़ा हुआ; दे.-'बह्रïे मुज्तसÓ।
मुज्तहिद (अ़.पु.)-मेहनती, परिश्रमी, प्रयासरत, कोशिश करनेवाला; धार्मिक विषयों में विवेकपूर्ण निर्णय करनेवाला; शीअ़ा सम्प्रदाय का विद्वान्।
मुज़्द: ($फा.पु.)-ख़्ाुशख़्ाबरी, शुभ-सूचना, शुभ-संवाद।
मुज़्द:बाद ($फा.वा.)-मुबारक हो, धन्यवाद।
मुज़्द ($फा.स्त्री.)-पारिश्रमिक, मज़दूरी, भृति।
मुज़्दगानी ($फा.स्त्री.)-शुभ-समाचार लाने का पुरस्कार।
मुज़्दबर ($फा.वि.)-मज़दूर, श्रमिक, कर्मकार।
मुज़्दहम (अ़.वि.)-भीड़ के रूप में आया हुआ।
मुज़्दहिम (अ़.वि.)-भीड़ करनेवाला।
मुज़्दूर ($फा.पु.)-मेहनतकश, श्रमिक, कर्मकार, भृतिक, मजूर।
मुज़्दूरी ($फा.वि.)-काम करने का मेहनताना, मज़्दूरी, भृति, पारिश्रमिक।
मुजि़्नब (अ़.पु.)-अपराधी, पापी, पातकी, गुनाहगार।
मुज़्बत: (अ़.पु.)-माँगपत्र, प्रार्थनापत्र, ज्ञापन।
मुज़्मर (अ़.वि.)-गुप्त, छिपा हुआ, पोशीदा।
मुज्मल (अ़.वि.)-संक्षिप्त, साररूप, मुख़्तसर।
मुज़्महिल (अ़.वि.)-थका हुआ, क्लांत, श्रान्त, शिथिल।
मुज्माअ़लैह (अ़.वि.)-सर्वमान्य, जिस बात पर सब सहमत हों।
मुजि़्मन (अ़.वि.)-देर का बसा हुआ, पुराना, बहुत दिनों का।
मुजि़्मर (अ़.वि.)-गोपक, छिपानेवाला।
मुज्रा (अ़.पु.)-किसी र$कम में-से कम किया या घटाया हुआ, जो किसी र$कम में-से काट लिया गया हो; कटौती; जो जारी किया गया हो, जारी किया हुआ, बहाया हुआ; छोटे आदमियों का बड़े आदमियों को प्रणाम, आदर-सूचक अभिवादन करना, अभिवादन; गायकों या नर्तकियों का बैठकर गाना, रण्डी का वह गाना जो बैठकर हो।
मुज्राई (अ़.$फा.वि.)-मुज्रा किए जाने या काटे जाने की क्रिया, कम करना, घटाना; वह स्त्री या पुरुष जो अभिवादन करे या अभिवादन के लिए उपस्थित हो, सलाम करनेवाला; मर्सिया-गो, मर्सिया पढऩेवाला।
मुज्रिम (अ़.वि.)-अभियुक्त, दोषी, जिसने कोई अपराध किया हो, अपराधी, पापी, पातकी, $कुसूरवार।
मुज्रिमान: (अ़.$फा.वि.)-अपराधियों-जैसा, अपराधपूर्ण।
मुज्रिमे अ़ादी (अ़.पु.)-वह अपराधी जो अपराध करने का अ़ादी हो, अपराध करने का अभ्यस्त अपराधी, जो अपराध करने का व्यसनी हो।
मुजि़्ल$क (अ़.वि.)-फिसलानेवाला, रपटीला, चिकना।
मुजि़्लम (अ़.वि.)-तम, अँधेरा, अँधियारा, तारीक।
मुजि़्हक (अ़.वि.)-विदूषक, हँसानेवाला, उपहासक।
मुजि़्हकात (अ़.स्त्री.)-हँसानेवाली चीज़ें, जिन्हें सुनकर हँसी आए।
मुजि़्हर (अ़.वि.)-प्रकट करनेवाला, ज़ाहिर करनेवाला; कोर्ट, अदालत या कचहरी में इज़्हार करनेवाला; साखी, साक्षी, गवाह।
मुतंजन ($फा.पु.)-एक प्रकार का मीठा पुलाव जिसमें खटाई भी डाली जाती है। 'मुतंजन तुरंजÓ-ऐसा मीठा पुलाव जिसमें नीबू डाला गया हो, नीबू-मिश्रित मीठा पुलाव।
मुतअख़्िख़्ार (अ़.वि.)-पीछे आनेवाला, जो बाद में हुआ हो, पहले से बादवाला, पाश्र्ववर्ती।
मुतअख़्िख़्ारीन (अ़.पु.)-बादवाले समय के लोग, पहलेवालों के बाद होनेवाले लोग।
मुजअ़ज्जिब (अ़.वि.)-विस्मित, जो ताज्जुब में पड़ गया हो, आश्चर्य में पड़ा हुआ, आश्चर्यित, चकित, हैरान, आश्चर्य-चकित।
मुतअ़जि़्ज़ब (अ़.वि.)-स्वादिष्ठ, मज़ेदार; रोचक, दिलचस्प।
मुतअ़जि़्जऱ (अ़.वि.)-दूभर, दुष्कर, कठिन, मुश्किल।
मुतअज़्ज़ी (अ़.वि.)-विपदाग्रस्त, कष्टग्रस्त, दु:ख या क्लेश पानेवाला।
मुजअ़द्दिद (अ़.वि.)-अनेक, बहुत, बहुत-से, अधिक; चंद, थोड़े, कतिपय।
मुतअ़द्दी (अ़.वि.)-सीमातिक्रामक, अपनी हद या सीमा से आगे बढ़ जानेवाला, मर्यादाहीन; छूत की बीमारी, संक्रामक-रोग।
मुतअ़न्निद (अ़.वि.)-शत्रु, वैरी, दुश्मन, द्वेषी।
मुतअ़फ़्ि$फन (अ़.वि.)-बदबूदार, दुर्गंधयुक्त, सड़ा हुआ।
मुतअ़ब्बिद (अ़.वि.)-आराधना करनेवाला; बनावटी आराधना करनेवाला, बगुलाभगत।
मुतअम्मिल (अ़.वि.)-दुविधाग्रस्त, असमंजस में पड़ा हुआ, संकुचित।
मुतअ़य्यिन (अ़.वि.)-तय, निर्धारित, निश्चित, मु$कर्रर, नियुक्त।
मुतअ़र्रिज़ (अ़.वि.)-घटित होनेवाला, पेश आनेवाला; अर्ज़़ करनेवाला, अर्ज़ग़ुज़ार; माँगनेवाला, याचक।
मुतअ़ल्लि$क: (अ़.वि.)-सम्बन्ध रखनेवाली वस्तु, सम्पर्क रखनेवाली चीज़।
मुतअ़ल्लि$क (अ़.वि.)-सम्बन्धित, सम्बद्घ, वाबस्ता; बारे में, विषय में, सम्बन्ध में; नौकर, मुलाजि़म।
मुतअ़ल्लि$कात (अ़.पु.)-सम्बन्धित बातें, वे बातें जिनका किसी विषय से सम्बन्ध हो।
मुतअ़ल्लि$कीन (अ़.पु.)-घरवाले, बाल-बच्चे।
मुतअ़ल्लिम: (अ़.स्त्री.)-पाठिका, पढऩेवाली, छात्रा।
मुतअ़ल्लिम (अ़.पु.)-पाठक, पढऩेवाला, छात्र। इसका 'अ़Ó उर्दू के 'ऐनÓ अक्षर से बना है।
मुतअल्लिम (अ़.वि.)-कष्टग्रस्त, पीडि़त, दु:खित, दर्द में डूबा हुआ। इसका 'अÓ उर्दू के 'अलि$फÓ अक्षर से बना हुआ है।
मुतअ़व्विद (अ़.वि.)-व्यसनी, अ़ादी, ख़्ाूगर, अभ्यस्त।
मुतअस्सि$फ (अ़.वि.)-खेदग्रस्त, अफ़्सोस करनेवाला, जिसे किसी बात का पछतावा हो, पश्चात्तापी।
मुतअ़स्सिब (अ़.वि.)-धर्म-सम्बन्धी पक्षपात करनेवाला, तंगनजऱ, लघुचेता; जात-पात या प्रान्तीय पक्षपात करनेवाला।
मुतअस्सिर (अ़.वि.)-प्रभावित, जिस पर किसी बात का असर हुआ हो। इसका 'अÓ उर्दू के 'अलि$फÓ अक्षर से बना है।
मुतअ़स्सिर (अ़.वि.)-कठिन, दुश्कर, मुश्किल। इसका 'अ़Ó उर्दू के 'ऐनÓ अक्षर से बना है।
मुतअ़ह्हिद (अ़.वि.)-परिचारक, बीमार आदमी की सेवा-टहल करनेवाला, तीमारदार; जि़म्मेदार, उत्तरदायी; प्रतिज्ञा करनेवाला, शपथ लेनेवाला।
मुतअ़ा$िकद (अ़.वि.)-परस्पर वचनबद्घ होनेवाला, आपस में $कौल-$करार करनेवाला।
मुतअ़ा$िकदैन (अ़.पु.)-वे दो व्यक्ति जिनमें परस्पर कोई $कौल-$करार हुआ हो, वे लोग जिन्होंने आपस में वचनबद्घता की हो।
मुतअ़ा$िकब (अ़.वि.)-पीछे पडऩेवाला, पीछा करनेवाला, पीछे दौडऩेवाला; पीछे से आनेवाला।
मुतअ़ारिज़ (अ़.वि.)-परस्पर विरोधी, एक-दूसरे का विरोध करनेवाला; ऐसी बात जो दूसरे के विरुद्घ हो, विपरीत बात।
मुतअ़ारिक (अ़.वि.)-कान उमेठनेवाला; मिटानेवाला; कामना पूरी करनेवाला; सफल होनेवाला; युद्घ करनेवाला; छीला हुआ।
मुतअ़ारि$फ (अ़.वि.)-परिचित, पहचाननेवाला; शनासा।
मुतअ़ाल (अ़.वि.)-श्रेष्ठ, पूज्य, सम्मानित, प्रतिष्ठित; ऊँचा होनेवाला।
मुतऐयिन (अ़.वि.)-निर्धारित, निश्चित, तय, मु$कर्रर; नियुक्त, तईनात (तैनात)।
मुत$कद्दिम (अ़.वि.)-पहलेवाला, पहले होनेवाला।
मुत$कद्दिमीन (अ़.पु.)-पहलेवाले लोग, वे लोग जो पहले गुजऱ चुके हैं, 'मुतअख़्िख़्ारीनÓ का विपरीतार्थक शब्द, पुराने लोग।
मुतकफ्फ़ि़ल (अ़.वि.)-प्रतिभू, जामिन; पालन-पोषण करनेवाला, पालनकर्ता।
मुतकब्बिर (अ़.वि.)-घमण्डी, अहंकारी, अभिमानी।
मुतकल्लि$फ (अ़.वि.)-तकल्लु$फ करनेवाला, औपचारिकता निभानेवाला, औपचारिक।
मुतकल्लिम (अ़.वि.)-कलाम करनेवाला, वार्तालाप करने वाला, वार्ताकार; इल्मेकलाम जाननेवाला, मीमांसक, विद्वान्।
मुतकव्विन (अ़.वि.)-पैदा होनेवाला, बननेवाला, रूप धारण करनेवाला।
मुतकल्लिमीन (अ़.पु.)-मीमांसा जाननेवाले लोग, विद्वज्जन, मीमांसक।
मुतकस्सिर (अ़.वि.)-टूटनेवाला, टूटा हुआ, भग्न, खण्डित।
मुत$काज़ी (अ़.वि.)-त$काज़ा करनेवाला, माँग उपस्थित करनेवाला।
मुत$काबिल (अ़.वि.)-साक्षात्, प्रत्यक्ष, आमने-सामने।
मुत$कारिब (अ़.वि.)-निकट होनेवाला, समीप होनेवाला; निकट, $करीब, समीप। दे.-'बह्रïे मुत$कारिबÓ।
मुतकासि$फ (अ़.वि.)-ठोस, दबीज; गाढ़ा, $गलीज़।
मुतख़्ाय्यिल: (अ़.पु.)-सोचने का स्थान, मस्तिष्क, दिमा$ग।
मुतख़्ाय्यिल (अ़.वि.)-विचार-शक्ति, सोचने की $कुव्वत या ता$कत, कल्पना-शक्ति, वाहिमा।
मुतख़्ाल्ख़्ाल (अ़.वि.)-पोला, खोखला, सुषिर।
मुतख़्ाल्लि$क (अ़.वि.)-सदाचारी, सुशील, सद्वृत्त, ख़्ाुशख़्ाुल्$क।
मुतख़्ाल्लिल (अ़.वि.)-बाधा उत्पन्न करनेवाला, विघ्न डालनेवाला।
मुतख़्ाल्लिस (अ़.वि.)-तख़्ाल्लुस अथवा उपनाम रखनेवाला, उपनामधारी, तख़्ाल्लुसवाला।
मुतख़्ाासिम (अ़.वि.)-वैरी, शत्रु, दुश्मन।
मुतख़्ाासिमीन (अ़.पु.)-वैरीजन, शत्रुगण, दुश्मन लोग।
मुत$गजि़्ज़ल (अ़.वि.)-केवल $गज़ल कहनेवाला कवि अथवा शाइर; ऐसा कवि जो $गज़ल अधिक कहता हो और दूसरी चीज़ें बहुत कम, $गज़लकार।
मुत$गजि़्ज़लीन (अ़.पु.)-$गज़ल कहनेवाले कवि अथवा शाइर।
मुत$गय्यिर (अ़.वि.)-बदला हुआ, परिवर्तित; बिगड़ा हुआ, विकृत।
मुत$गाइर (अ़.वि.)-एक-दूसरे के विरुद्घ, बरअ़क्स; अलग, पृथक्, जुदा।
मुतगै़यिर (अ़.वि.)-दे.-'मुत$गय्यिरÓ।
मुतज़क्किर: (अ़.वि.)-कथित, चर्चित, कहा हुआ, जि़क्र किया हुआ।
मुतज़क्किरए बाला (अ़.$फा.वि.)-उपरोक्त, ऊपर कहा हुआ, पूर्वोक्त, पूर्वकथित।
मुतज़ब्जि़ब (अ़.वि.)-दुविधाग्रस्त, दुविधा में पड़ा हुआ, असमंजस में पड़ा हुआ, दोलायमान।
मुतज़म्मिन (अ़.वि.)-शामिल, सम्मिलित।
मुतजर्ऱर (अ़.वि.)-जिसे हानि पहुँचाई गई हो, हानिग्रस्त।
मुतज़र्रिर (अ़.वि.)-हानि पहुँचानेवाला, हानिकारक।
मुतजर्ऱेÓ (अ़.वि.)-निकलनेवाला, फूटनेवाला; जड़ में से शाखा के रूप में निकलनेवाला।
मुतज़ल्जि़ल (अ़.वि.)-हिलने-डोलनेवाला, कम्पायमान।
मुतजल्ली (अ़.वि.)-चमकनेवाला, प्रकाशित होनेवाला, प्रकाशमान।
मुतजस्सिस (अ़.वि.)-खोजी, जिज्ञासु, गवेषक, तलाश करने वाला, ढँूढऩेवाला।
मुतज़ाद (अ़.वि.)-एक-दूसरे के विरुद्घ कथन आदि, (व्यक्ति नहीं)।
मुतजाविज़ (अ़.वि.)-सीमा का उल्लंघन करनेवाला, हद से आगे बढ़ जानेवाला।
मुतदय्यिन (अ़.वि.)-अमानत में ख़्िायानत न करनेवाला, दियानतदार, ईमानदार।
मुतदारिक (अ़.वि.)-खोई हुई वस्तु पानेवाला, दे.-'बह्रïे मुतदारिकÓ।
मुतदाविल (अ़.वि.)-एक से दूसरे के पास पहुँचनेवाला; एक हाथ से दूसरे हाथ में फिरनेवाला, अर्थात् प्रचलित, राइज।
मुतनफ़्ि$फर (अ़.वि.)-घृणा करनेवाला, भागनेवाला, अलग रहनेवाला।
मुतनफ़्ि$फस (अ़.वि.)-साँस लेनेवाला, अर्थात् प्राणी; मनुष्य, आदमी।
मुतनब्बी (अ़.वि.)-स्वयं को अवतार या पै$गम्बर घोषित करनेवाला, झूठा नबी बननेवाला, नबी (अवतार, पै$गम्बर) होने का दावा करनेवाला; अऱब का एक प्रसिद्घ कवि।
मुतनब्बेह (अ़.वि.)-सावधान, होशियार, चौकस, ख़्ाबरदार।
मुतनव्वेÓ (अ़.वि.)-भाँति-भाँति का होनेवाला, विचित्र, अजीबो$गरीब।
मुतनाइम (अ़.वि.)-लाड़-प्यार में पलनेवाला।
मुतना$िफज़ (अ़.वि.)-एक-दूसरे के विपरीत, एक-दूसरे कर उल्टा।
मुतनाजि़अ़: (अ़.वि.)-जिस पर बहस हो, जिस बात के लिए वाद-विवाद हो।
मुतनाज़ाÓ (अ़.वि.)-जिस बात (विषय) के लिए झगड़ा हो, विवादास्पद।
मुतनाज़ाÓ$फीह (अ़.वि.)-जिस बात या विषय में झगड़ा हो, विवादग्रस्त।
मुतनाज़ेÓ (अ़.वि.)-तर्क-वितर्क करनेवाला, बहस करने वाला, वाद-विवाद करनेवाला।
मुतना$िफर (अ़.वि.)-परस्पर घृणा करनेवाला।
मुतनासिब (अ़.वि.)-जिसमें प्रत्येक वस्तु सही अनुपात में हो, समानुपातिक।
मुतनासिबुल आÓज़ा (अ़.वि.)-सुघड़, सुगठित, जिसके शरीर के तमाम अंग जैसे सुडोल होने चाहिए वैसे हों।
मुतनाही (अ़.वि.)-अन्त को पहुँचा हुआ, चरम को पहुँचा हुआ, अत्यधिक, बहुत अधिक।
मुत$फक्किर (अ़.वि.)-चिन्तित, चिन्ताकुल, किसी विशेष $िफक्र से परेशान।
मुत$फन्निन (अ़.वि.)-अनेक कलाओं को जाननेवाला, बहुज्ञ, बहुत से $फन (हुनर) जाननेवाला।
मुत$फन्नी (अ़.वि.)-ठग, चालाक, धूर्त, मक्कार, वंचक।
मुत$फर्रि$क (अ़.वि.)-विभिन्न, विविध, मुख़्तलि$फ; अलग, पृथक्, जुदा; अस्त-व्यस्त, तितर-बितर; फुटकर, जो इकट्ठा न हो, जैसे-'मुत$फर्रि$क ख़्ार्चÓ-फुटकर व्यय।
मुत$फर्रि$कात (अ़.पु.)-'मुत$फर्रि$कÓ का बहु., विभिन्न वस्तुएँ; हिसाब की विभिन्न र$कमें।
मुत$फर्रेÓ (अ़.वि.)-मूल में से निकलनेवाली शाखा।
मुत$फाइल (अ़.वि.)-शगुन लेनेवाला, सगुनीत। (इस शब्द को 'मुत$फाविलÓ अथवा 'मत$फाविलÓ नहीं कहना चाहिए और न ही 'वावÓ से लिखना चाहिए)।
मुतबन्ना (अ़.पु.)-गोद लिया हुआ लड़का, लेपालक, दत्तक पुत्र।
मुतबर्रिक (अ़.वि.)-पवित्र, पुनीत, पाक; प्रतिष्ठित, बुज़ुर्ग, पुण्यात्मा।
मुतबस्सिम (अ़.वि.)-मुस्कुरानेवाला, हँसमुख, हँसोड़, सुस्मित, विहँसनेवाला।
मुतबह्हिर (अ़.वि.)-विद्या का सागर, विद्या की खान, प्रचण्ड विद्वान्, विद्वत्तम, कृतमुख।
मुतबाइन (अ़.वि.)-एकदम उलटा, एक-दूसरे के बिलकुल विपरीत।
मुतबादिर (अ़.वि.)-तुरन्त समझ में आ आनेवाला, जल्दी मन में बैठ जानेवाला, सहज हृदयंगम हो जानेवाला, स्मर्तव्य, स्मरणीय।
मुतबादिल (अ़.वि.)-अदल-बदल होनेवाला।
मुतमक्किन (अ़.वि.)-स्थिर, ठहरा हुआ, जगह पकड़े हुए, जगह पकडऩेवाला।
मुतमत्तेÓ (अ़.वि.)-लाभार्थी, लाभ पानेवाला, लाभान्वित।
मुतमद्दिन (अ़.वि.)-शिष्ट, सभ्य; शहरी, नागरिक।
मुतमन्ना (अ़.वि.)-जिसकी तमन्ना हो, जिसकी इच्छा हो, इच्छित, अभिलषित, चाही गई।
मुतमन्नी (अ़.वि.)-चाहनेवाला, तमन्ना रखनेवाला, इच्छा रखनेवाला, उत्सुक, अभिलाषी, इच्छुक, आकांक्षी।
मुतमय्यिज़ (अ़.वि.)-जुदा होनेवाला, पृथक् होनेवाला, पहचाना जानेवाला।
मुतमर्रिद (अ़.वि.)-अक्खड़, अडिय़ल, निडर, उद्दण्ड, सरकश; विद्रोही, बा$गी; अवज्ञाकारी, आज्ञा का पालन न करनेवाला, ना$फर्मान।
मुतमल्लि$क (अ़.वि.)-चापलूस, चाटुकार, ख़्ाुशामदी, अपना कार्य सिद्घ करने के लिए लल्लो-चप्पो करनेवाला, हाँ में हाँ मिलानेवाला।
मुतमव्विज (अ़.वि.)-लहरें लेता हुआ, मौजें मारता हुआ, तरंगित, तरंगायमान।
मुतमव्विल (अ़.वि.)-धनवान्, अमीर, पैसेवाला, मालदार, धनाढ्य।
मुतमादी (अ़.वि.)-लम्बा, दराज़; जिसमें तमादी अ़ारिज़ हो; जिसमें थोड़ा समय शेष हो; जिसका नियत समय बीत चुका हो।
मुतमासिल (अ़.वि.)-एकरूप, समरूप, समाकार; समान, तुल्य, एक-सा।
मुतम्मिम (अ़.वि.)-निबटानेवाला, समाप्त करनेवाला, ख़्ात्म करनेवाला; पूर्ण करनेवाला, ख़्ात्म करनेवाला, इतिश्री करनेवाला।
मुतयक़्कऩ (अ़.वि.)-तय, निश्चित, य$कीनी; पक्का, दृढ़, मज़्बूत।
मुतयक़्िकऩ (अ़.वि.)-भरोसा रखनेवाला, विश्वास करने वाला, विश्वासी।
मुतयम्मिन (अ़.वि.)-कल्याणकारी, शुभान्वित, बाकरकत।
मुतय्यन (अ़.वि.)-मिट्टी से लेपा या पोता हुआ; मिट्टी चढ़ाया हुआ।
मुतय्यब (अ़.वि.)-सुगन्धित, सुगन्धयुक्त, ख़्ाुशबू में बसा हुआ, ख़्ाुशबू से तर।
मुतय्यिब (अ़.वि.)-सुगन्धित अथवा ख़्ाुशबूदार करनेवाला, सुगन्ध या ख़्ाुशबू फैलानेवाला।
मुतरक़्क़ब: (अ़.वि.)-वह वस्तु जिसके मिलने की आस बँधी हो, जिसके मिलने की उम्मीद लगी हो, जिसके आने का इंतिज़ार हो, जिसकी प्रतीक्षा हो।
मुतरक़्क़ब (अ़.वि.)-जिसकी आस हो, जिसकी उम्मीद हो; जिसका इंतिज़ार हो, जिसकी प्रतीक्षा हो।
मुतज़ल्लिम (अ़.वि.)-ज़ुल्म अथवा अत्याचार की $शिकायत करनेवाला, अन्याय के विरुद्घ गुहार लगानेवाला, दादख़्वाह, न्याय-याचक।
मुतरत्तिब (अ़.वि.)-क्रमबद्घ, क्रमागत, तर्तीब से लगा हुआ।
मुतरद्दिद (अ़.वि.)-चिन्तित, चिन्ताशील, $िफक्रमंद, सोच में डूबा हुआ, चिन्तन करता हुआ।
मुतरन्निम (अ़.वि.)-गानेवाला, गायक; जिसमें तरन्नुम हो, लयबद्घ, जिसमें लय हो, सुरीली (आवाज़)।
मुतरश्शेह (अ़.वि.)-टपकनेवाला, रिसनेवाला अर्थात् प्रकट होनेवाला, प्रकटनशील।
मुतरस्सिद (अ़.वि.)-आकांक्षी, इच्छुक, अभिलाषी, प्रत्याशी, उम्मेदवार।
मुतरस्सिल (अ़.वि.)-पत्र-प्रेषक, चिट्ठी भेजनेवाला।
मुतराकिब (अ़.वि.)-परस्पर बैठनेवाला।
मुतराकिम (अ़.वि.)-भीड़ करनेवाला।
मुतरा$की (अ़.वि.)-तांत्रिक, जादू-टोना करनेवाला, तंत्र-मंत्र करनेवाला, जादूगर।
मुतरादि$फ (अ़.वि.)-निरन्तर, बराबर; एक के पीछे एक सवार होनेवाला; पर्यायवाची, समानार्थक।
मुतरादि$फुलमाÓना (अ़.वि.)-ऐसे शब्द जो एक-ही अर्थ रखते हों, पर्यायवाची, समानार्थक।
मुतर्जम: (अ़.वि.)-अनूदित, अनुवाद की हुई पुस्तक, अनुवादित।
मुतर्जम (अ़.वि.)-अनूदित, अनुवादित, भाषांतरित, अनुवाद या तर्जुमा किया हुआ।
मुतर्जिम (अ़.वि.)-भाषांतरकार, अनुवादकर्ता, अनुवादकार, अनुवादक, तर्जुमा करनेवाला।
मुतलक़्क़ा (अ़.वि.)-साक्षात्कारित, जिससे भेंट या मुला$कात की गई हो, जिससे मिला गया हो।
मुतलक़्क़ी (अ़.वि.)-भेंट या मुला$कात करनेवाला, भेंटकर्ता, साक्षात्कार करनेवाला, मिलनेवाला।
मुतलजि़्जज़़ (अ़.वि.)-आनन्द उठानेवाला, सुख प्राप्त करने वाला, लज़्ज़त उठानेवाला।
मुतलत्ति$फ (अ़.वि.)-कृपालु, कृपा करनेवाला, अनुकम्पा करनेवाला, इल्ति$फात करनेवाला।
मुतलव्विन (अ़.वि.)-रंग बदलनेवाला, पल-पल में रंग बदलनेवाला, कभी कुछ कभी कुछ होनेवाला, रंगबदलू, बहुरूपिया, गिरगिट की तरह रंग बदलनेवाला।
मुतलव्विन तब्अ़ (अ़.वि.)-दे.-'मुतलव्विन मिज़ाजÓ।
मुतलव्विन मिज़ाज (अ़.वि.)-जिसका चित्त स्थिर न रहे, अस्थिर चित्त, जो कभी कुछ सोचे कभी कुछ, दुविधाग्रस्त, अनियतात्मा, चंचल चित्त, विषयशील।
मुतलव्विन मिज़ाजी (अ़.स्त्री.)-दे.-'मुतलव्विन मिज़ाजÓ।
मुतलातिम (अ़.वि.)-एक-दूसरे को थपेड़े मारनेवाला; हिलोरें लेनेवाली अथवा मौजें मारनेवाली नदी।
मुतलाशी (अ़.वि.)-ध्वस्त, नष्ट, बरबाद (इस शब्द का प्रयोग 'तलाश करनेवालेÓ के अर्थ में करना अशुद्घ है)।
मुतलाशी (तु.वि.)-तलाश करनेवाला, खोजी, ढूँढऩेवाला।
मुतल्ल$क: (अ़.वि.)-वह स्त्री जिसे तला$क दे दी गई हो, तला$कशुदा औरत, परित्यक्ता स्त्री।
मुतल्ला (अ़.वि.)-स्वर्णखचित, जिस पर सोने का काम हो।
मुतवक़्िक़$फ (अ़.वि.)-देर लगानेवाला, ठहरनेवाला।
मुतवक्किल (अ़.वि.)-ईश्वर पर भरोसा रखनेवाला; ऐसा साधु या $फ$कीर जिसकी कोई निश्चित आय न हो।
मुतवक्किलन अलल्लाह (अ़.वि.)-भगवान् के भरोसे पर, ईश्वर का भरोसा करके।
मुतवक्किलान: (अ़.$फा.वि.)-ईश्वर पर भरोसा रखनेवालों-जैसा, साधु-संन्यासियों-जैसा, $फ$कीरों-जैसा।
मुतवक़्$केÓ (अ़.वि.)-आशा रखनेवाला, आशान्वित।
मुतवज़्ज़े (अ़.वि.)-उद्विग्न, परेशान; अस्त-व्यस्त, तितर-बितर।
मुतवज्जेह (अ़.वि.)-ख़्ायाल करनेवाला, ध्यान देनेवाला; मुँह करनेवाला, रुख़्ा मिलानेवाला।
मुतवत्तिन (अ़.वि.)-निवासी, साकिन।
मुतवफ़्$फी (अ़.वि.)-जो मर चुका हो, मृत, मृतक, दिवंगत, स्वर्गीय, स्वर्गवासी, मरहूम।
मुतवर्रिम (अ़.वि.)-सूजा हुआ, शोथयुक्त, शोथित।
मुतवर्रे (अ़.वि.)-इन्द्रिय-निग्रही, संयमी, परहेजग़ार।
मुतवल्लिद (अ़.वि.)-उत्पन्न होनेवाला, जात, उत्पन्न, सृष्ट।
मुतवल्ली (अ़.वि.)-किसी वक़्$फ जाइदाद या सम्पत्ति की देख-रेख करनेवाला, अधिष्ठाता; प्रबन्ध करनेवाला; ट्रस्टी; धार्मिक संस्था या देवोत्तर सम्पत्ति का इन्तिज़ाम करनेवाला।
मुतवस्सित (अ़.वि.)-बीच का, मध्यम, मँझोला, न छोटा न बड़ा।
मुतवस्सितुल$कामत (अ़.वि.)-दरमियाने $कद का, मध्यम $कद-काठीवाला, न बहुत लम्बा न बहुत ठिगना, बीच के डील-डौल का।
मुतवस्सितुलहाल (अ़.वि.)-दरमियानी जि़न्दगी गुज़ारने-वाला, न बहुत अमीर न बहुत $गरीब, मध्यमवर्गीय, मध्यस्तरीय।
मुतवस्सिल (अ़.वि.)-सहारा तलाश करनेवाला, जो किसी के सहारे पर हो, आश्रय ढूँढऩेवाला, अवलम्बित, आश्रित, आश्रयखोजी।
मुतवस्सिलीन (अ़.वि.)-आश्रितजन, वे लोग जो किसी के सहारे पर हों।
मुतवह्हिम (अ़.वि.)-भ्रमी, भ्रान्त, वह्मी।
मुतवह्हिश (अ़.वि.)-घबराया हुआ, आकुल, व्याकुल, उद्विग्न।
मुतवाजिऩ (अ़.वि.)-जिसका वज़्न या भार दोनों ओर बराबर हो, सन्तुलित, मोतदिल।
मुतवाज़ी (अ़.वि.)-एक-दूसरे के बराबर चलनेवाला, सह-चालन; एक-दूसरे से बराबर अन्तर रखनेवाला; वह रेखा जो किसी रेखा के बराबर अन्तर पर चले, समानान्तर।
मुतवाज़ेÓ (अ़.वि.)-आवभगत और ख़्ाातिरदारी करनेवाला; विनम्र और विनीतता का व्यवहार करनेवाला।
मुतवातिर (अ़.वि.)-निरन्तर, अनवरत, सतत, लगातार, बराबर।
मुतवारिद (अ़.वि.)-साथ-साथ उतरनेवाला; ऐसा विषय जो साथ-साथ दो कवियों के ध्यान में आए और दोनों उस पर अपनी-अपनी कविताएँ कहें, समान काव्याभिव्यक्ति।
मुतवारी (अ़.वि.)-छिपनेवाला; गुप्त, दिया हुआ।
मुतवाली (अ़.वि.)-लगातार होनेवाला; बार-बार होनेवाला।
मुतव्व$क (अ़.वि.)-बाँधे रखने के लिए जिसके गले में तौ$क अथवा हँसली पड़ी हो; जिसके गले में $कैदियोंवाला लोहे का छल्ला पड़ा हो अर्थात् जो $कैद में हो, $कैदी, बन्दी।
मुतव्वज (अ़.वि.)-जिसे ताज पहनाया गया हो, जिसका राज्याभिषेक किया गया हो, राजा, नरेश, बादशाह।
मुतव्वल (अ़.वि.)-लम्बा, दीर्घ, तवील; जो लम्बा किया गया हो।
मुतव्वि$फ (अ़.वि.)-परिक्रमाशील, परिक्रमण करनेवाला, किसी के चारों ओर फिरनेवाला।
मुतव्विल (अ़.वि.)-लम्बा करनेवाला।
मुतशक्किर (अ़.वि.)-शुक्रिया अदा करनेवाला, कृतज्ञता प्रकट करनेवाला, कृतज्ञ, आभारी, मम्नून, एहसान मानने-वाला, एहसानमंद, उपकार माननेवाला।
मुतशक्किल (अ़.वि.)-साकार, साक्षात्, रूपांतरित, किसी रूप में परिवर्तित।
मुतशक्की (अ़.वि.)-शक करनेवाला, सन्देह करनेवाला, वह्मी, शक्की, संदेहशील।
मुतशत्तित (अ़.वि.)-तितर-बितर, अस्त-व्यस्त, गड़बड़; आकुल, व्याकुल, उद्विग्न, चिन्तित, परेशान।
मुतशद्दिद (अ़.वि.)-सख़्ती करनेवाला, अत्याचारी।
मुतशद्दिदान: (अ़.$फा.वि.)-तशद्दुद आमेज़, अत्याचारपूर्ण, हिंसात्मक।
मुतशन्निज (अ़.वि.)-ऐंठनेवाला, अकडऩेवाला; जिसमें ऐंठन न हो।
मुतशर्रेÓ (अ़.वि.)-शर्अ़ पर चलनेवाला, शास्त्रानुसारक, शास्त्र विहित आचरण करनेवाला।
मुतशाइर (अ़.वि.)-झूठ-मूठ का कवि या शाइर बननेवाला, जो कवि अथवा शाइर न हो मगर बनता हो।
मुताशाबिहात (अ़.स्त्री.)-$कुरान के वे वाक्य जिनका अर्थ स्पष्ट न हो, 'मुह्कमातÓ का विपरीतार्थक शब्द।
मुतशाबेह (अ़.वि.)-समान, सदृश, तुल्य।
मुतसद्दी (अ़.वि.)-प्रबन्धक, प्रबन्ध या इंतिज़ाम करनेवाला, मुन्तजि़म; हिसाब-किताब रखनेवाला, ख़्ाज़ांची; अभिकर्ता, गुमाश्ता, पेशकार; लिपिक, मुंशी, मुहर्रिर।
मुतसद्दे (अ़.वि.)-पीड़ा देनेवाला, कष्ट देनेवाला, तकली$फ देनेवाला।
मुतसन्नेÓ (अ़.वि.)-बनावट करनेवाला, बनावटी।
मुतसर्रि$फ (अ़.वि.)-तसर्रु$फ करनेवाला, अधिकार जमाने-वाला।
मुतसल्लत (अ़.वि.)-जिस पर तसल्लुत किया जाए, जिस पर प्रभुत्व जमाया जाए, वशीभूत, अधिकृत, जिस पर $कब्ज़ा किया जाए।
मुतसल्लित (अ़.वि.)-तसल्लुत करनेवाला, विजेता, प्रभुत्व जमानेवाला, अधिकार प्राप्त करनेवाला।
मुतसल्ली (अ़.वि.)-सान्त्वना पानेवाला, जिसकी तसल्ली हो गई हो, जिसको सन्तुष्टि हो गई हो।
मुतसव्वर (अ़.वि.)-ध्यानयोग्य, जिसका ध्यान किया जाए, जिसका तसव्वर किया जाए, जिसकी कल्पना की जाए।
मुतसव्विर (अ़.वि.)-ध्यान करनेवाला, कल्पना करनेवाला।
मुतसाइद (अ़.वि.)-ऊपर चढऩेवाला, ऊपर पहुँचनेवाला।
मुतसादिम (अ़.वि.)-परस्पर टकरानेवाला, एक-दूसरे से टकरानेवाला।
मुतसावियुज़्ज़वाया (अ़.पु.)-ऐसी आकृति जिसके कोण बराबर हों।
मुतसावियुलअज़्लाअ़ (अ़.पु.)-वह आकृति जिसकी भुजाएँ बराबर हों।
मुतसावियुस्सा$कैन (अ़.पु.)-वह त्रिभुज जिसकी दो भुजाएँ समान हों, समद्विबाहुक त्रिभुज।
मुतसावी (अ़.वि.)-सम, बराबर; एक-दूसरे के बराबर।
मुतहक़्ि$क$क (अ़.वि.)-निश्चित, निर्धारित, तय, य$कीनी; प्रमाणित, ठीक, दुरुस्त।
मुतहज्जिर (अ़.वि.)-पत्थर बन जानेवाला, पत्थर की तरह कड़ा पड़ जानेवाला; जड़, अचंचल, स्थिर।
मुतहज़्ज़ी (अ़.वि.)-सफल, भाग्यवान्; किसी चीज़ का आनन्द लेनेवाला।
मुतहम्मिल (अ़.वि.)-सहन करनेवाला, तहम्मुल करनेवाला, सहिष्णु, सहनशील।
मुतहय्यिर (अ़.वि.)-स्तब्ध, चकित, हैरत में पड़ा हुआ, हैरान, भौचक्क।
मुतहर्रिक (अ़.वि.)-गतिशील, गतिमान्, चलनेवाला, हिलने -डुलनेवाला।
मुतहल्ली (अ़.वि.)-वस्त्र और भूषण सुसज्जित।
मुतहस्सिन (अ़.वि.)-$िकले अथवा दुर्ग में बन्द, वह राजा जो शत्रु की सेना के डर से दुर्ग में छिप अथवा बन्द हो गया हो।
मुतहारिब (अ़.वि.)-परस्पर युद्घ करनेवाला, आपस में लडऩेवाला।
मुतहाविन (अ़.वि.)-अपमानित, तिरस्कृत, ज़लील; आलस्य करनेवाला, आलसी।
मुतहैयिर (अ़.वि.)-दे.-'मुतहय्यिरÓ।
मुतह्हर (अ़.वि.)-शुद्घ, पवित्र, पाक।
मुतह्हिर (अ़.वि.)-पवित्र करनेवाला, शुद्घ करनेवाला।
मुताअ़ (अ़.वि.)-जिसकी आज्ञा का पालन किया जाए, जिसका हुक्म माना जाए, जिसकी इताअ़त की जाए, जिसकी सेवा-सुश्रूषा की जाए।
मुताजर: (अ़.वि.)-आपस में व्यवसाय करना, आपस में लेन-देन करना।
मुताजरत (अ़.स्त्री.)-दे.-'मुताजर:Ó।
मुताबअ़त (अ़.स्त्री.)-आज्ञापालन, हुक्म मानना; अनुकरण, तक़्लीद।
मुताब$कत (अ़.स्त्री.)-समानता, यकसानियत; सदृशता, अनुरूपता, मुशाबहत; अनुकूलता, मुआ$फ$कत।
मुताबि$क (अ़.वि.)-अनुसार, बमूजिब; सदृश, समान, मिस्ल, बराबर।
मुतायब: (अ़.पु.)-परस्पर मनोविनोद करना, आपस में हँसी -मज़ा$क करना, ठिठोली करना; हँसी-मज़ा$क, मनोरंजन, मनोविनोद।
मुतायबात (अ़.पु.)-'मुतायब:Ó का बहु., मनोविनोद की बातें, परस्पर दिल बहलाव की बातें।
मुतारह: (अ़.पु.)-समस्यापूर्ति, समान शैली में काव्य-लेखन, परस्पर एक ही 'मिस्रा तरहÓ पर $गज़लें कहना; परामर्श करना; ख़्ाुशामद करना; वार्तालाप करना।
मुतारहात (अ़.वि.)-मिस्रा तरह पर होनेवाले मुशाअऱे, समान शैली की कविताओं की काव्य-गोष्ठी, समस्यापूर्ति; आपस की बातचीत।
मुतालअ़: (अ़.पु.)-किसी चीज़ की पूरी जानकारी के लिए उसको $गौर से देखना, समीक्षा, निरीक्षण; पाठ को ज़ोर से पढऩे पूर्व स्वयं पढऩा ताकि शुद्घ पढ़ा जा सके, पाठवाचन, पाठशोधन।
मुतालब: (अ़.पु.)-इच्छा करना, तलब करना, माँगना; माँग, त$काज़ा; अपने ह$क अर्थात् सत्त्व की माँग, अपने अधिकार की माँग; ब$काया र$कम जो अदा करनी हो, शेष राशि जिसका भुगतान करना हो; प्रार्थना, इल्तिजा।
मुतालबात (अ़.पु.)-'मुतालब:Ó का बहु., माँगें।
मुतावअ़त (अ़.स्त्री.)-हुक्म मानना, आज्ञापालन, आदेश का पालन करना, $फर्मांबरदारी।
मुतावÓ (अ़.वि.)-आज्ञा का पालन करनेवाला, आज्ञापालक, आदेश का पालन करनेवाला, $फर्मांबरदार।
मुतिम [म्म] (अ़.वि.)-निबटानेवाला, पूरा करनेवाला, समाप्त करनेवाला, अधूरे काम को पूरा करनेवाला।
मुतीअ़ (अ़.वि.)-आज्ञापालक, आज्ञाकारी, आदेश का पालन करनेवाला, $फर्मांबर्दार; पैरौ, अनुयायी; अधीन, मातहत।
मुतीओमुन्$काद (अ़.वि.)-अधीनस्थ, वशीभूत, जो पूरी तरह अधीन और वशीभूत हो, जो पक्का अनुयायी हो।
मुत्तका (अ़.वि.)-जिस चीज़ का सहारा लिया जाए, सहारा, आश्रय।
मुत्त$की (अ़.वि.)-इन्द्रियों को वश में रखनेवाला, संयमी, इन्द्रियनिग्रही, पार्सा।
मुत्तकी (अ़.वि.)-आश्रयकामी, सहारा लेनेवाला।
मुत्त$फ$क: (अ़.वि.)-दे.-'मुत्त$फ$कÓ।
मुत्त$फ$क (अ़.वि.)-मान्य, सम्मत, एक राय, जिस बात या विषय अथवा कार्य से इत्तिफ़ा$क किया जाए।
मुत्तफ़क़ अ़लैह (अ़.वि.)-जिस पर सबकी सहमति हो, जिस पर सबका इत्तिफ़ाक़ हो, सर्वमान्य, सर्वसम्मत।
मुत्त$िफ$क (अ़.वि.)-सहमति जतानेवाला, सहमत, इत्ति$फा$क रखनेवाला।
मुत्त$िफ$कुर्राय (अ़.वि.)-एकमत होनेवाला, किसी राय या विचार से सहमति रखनेवाला, इत्ति$फा$क रखनेवाला, सहमत।
मुत्त$िफ$कुल्लफ्ज़़ (अ़.वि.)-हमज़बान, सहमत, किसी विषय पर एक-जैसी बोली बोलने अथवा विचार रखनेवाला।
मुत्तलाÓ (अ़.वि.)-सूचित, जिसे सूचना दी गई हो।
मुत्तलिब (अ़.वि.)-हज्ऱत मुहम्मद साहब के दादा का नाम; ढूँढऩेवाला।
मुत्तले (अ़.वि.)-सूचक, सूचना देनेवाला।
मुत्तस$फ (अ़.वि.)-जिसकी प्रशंसा की गई हो, प्रशंसित।
मुत्तसम (अ़.वि.)-दग्ध, दा$गा हुआ; अंकित, निशान लगाया हुआ।
मुत्तसि$फ (अ़.वि.)-प्रशंसक, प्रशंसा करनेवाला।
मुत्तसिम (अ़.वि.)-दग्ध करनेवाला, दा$गनेवाला; अंकित करनेवाला।
मुत्तसिल (अ़.वि.)-समीपवर्ती, $करीबी; निकट, समीप, पास; निरन्तर, लगातार; मिला हुआ।
मुत्तसिलन (अ़.वि.)-निकट, पास, समीप, $करीब।
मुत्तहद: (अ़.वि.)-संयुक्त, मिला हुआ।
मुत्तहद (अ़.वि.)-संयुक्त, मिला हुआ; सहमत, हमराय।
मुत्तहदुर्राय (अ़.वि.)-सहमत, एकमत, एकराय।
मुत्तहदुल अ़$कीद: (अ़.वि.)-सहधर्मी, सहमत, एकमत वाले, एकरायवाले।
मुत्तहदुलउम्र (अ़.वि.)-समवयस्क, एक आयुवाले, बराबर की उम्र अथवा आयुवाले।
मुत्तहदुलख़्ायाल (अ़.वि.)-एक-जैसे विचार रखनेवाले, एकमत, एकराय।
मुत्तहदुलबत्न (अ़.वि.)-एक पेट से उत्पन्न होनेवाले, सहोदर।
मुत्तहदुलमज़्हब (अ़.वि.)-सहधर्मी, एक धर्मवाले।
मुत्तहदुलमफ़्हूम (अ़.वि.)-जिनका भावार्थ एक हो, एक भाववाले।
मुत्तहदुलमाÓना (अ़.वि.)-एक अर्थवाले, समानार्थक।
मुत्तहदुलवतन (अ़.वि.)-एक देश के रहनेवाले, सहदेशीय।
मुत्तहश्शक्ल (अ़.वि.)-एक-जैसी आकृतिवाले, सहरूप, समाकृति।
मुत्तहन (अ़.वि.)-तिरस्कृत, अपमानित, निन्दित, बेइज़्ज़त।
मुत्तह$फ (अ़.वि.)-जिसे भेंट या उपहार दिया गया हो; उपहृत, पुरस्कृत।
मुत्तहम (अ़.वि.)-आरोपी, आरोपित, जिस पर झूठा आरोप लगाया गया हो।
मुत्तहिद (अ़.वि.)-मेल-मिलाप रखनेवाला, मित्रधर्मी।
मुत्तहि$फ (अ़.वि.)-उपहार देनेवाला।
मुत्तहिम (अ़.वि.)-आरोप लगानेवाला।
मुत्निब (अ़.वि.)-लम्बी बात करनेवाला, फेंकू, बकवादी; बढ़ानेवाला, लम्बा करनेवाला।
मुत्$फी (अ़.वि.)-आग बुझानेवाला, अग्निशामक; दीप बुझानेवाला, चिरा$ग बुझानेवाला।
मुत्मइन (अ़.वि.)-सन्तुष्ट, जिसे इत्मीनान हो; विश्वासभरा; निश्चित, बे$िफक्र; आनन्दपूर्वक, ख़्ाुशहाल।
मुत्रिब: (अ़.स्त्री.)-गानेवाली स्त्री, गायिका, गायिकी।
मुत्रिब (अ़.पु.)-गानेवाला, गायक, रागी।
मुत्ल$क (अ़.वि.)-बेलगाम, निरंकुश, स्वच्छन्द, आज़ाद; नितान्त, बिलकुल; सामान्य, मामूली, जैसे-'माज़ी मुत्ल$कÓ-सामान्य भूतकाल।
मुत्ल$कन (अ़.वि.)-नितान्त, बिलकुल।
मुत्ल$कुलइनान (अ़.वि.)-स्वच्छन्द, निरंकुश, बेलगाम।
मुत्ल$कुलइनानी (अ़.स्त्री.)-स्वच्छन्दता, आज़ादी, बेलगामी, निरंकुशता।
मुत्लि$फ (अ़.वि.)-विनाशक, संहारक, नष्ट करनेवाला, विनाश करनेवाला, बरबाद करनेवाला; ख़्ाराब करनेवाला, बिगाडऩेवाला।
मुदक़्ि$क$क (अ़.वि.)-बाल की खाल निकालनेवाला, छिद्रान्वेषी।
मुदन (अ़.पु.)-'मदीन:Ó का बहु., नगरसमूह, बहुत से शहर।
मुदब्बिर (अ़.वि.)-वह औषधि जो यथाविधि शुद्घ कर ली गई हो ताकि हानि न करे।
मुदब्बिर (अ़.वि.)-व्यवस्था करने में निपुण, प्रबन्धकुशल, इंतिज़ाम करने में निपुण; दूदर्शी, पेशबीं; बुद्घिमान्, अक़्लमंद; राजनीति में निपुण, राजनीतिज्ञ।
मुदब्बिराने $कौम (अ़.पु.)-राष्ट्र के नेता, $कौम के लीडर।
मुदम्मि$ग (अ़.वि.)-अहंकारी, अभिमानी, घमण्डी, म$ग्रूर।
मुदम्मिल (अ़.वि.)-ज़ख़्म को भरनेवाला, वह दवा जो घाव को भर दे।
मुदर्रिस (अ़.पु.)-पढ़ानेवाला, अध्यापन।
मुदर्रिसी (अ़.स्त्री.)-पढ़ाने का काम, अध्यापन।
मुदल्लल (अ़.वि.)-जो तर्क से परिपुष्ट हो, तर्कपुष्ट, युक्तिसंगत, युक्तियुक्त।
मुदव्वन (अ़.वि.)-सम्पादित, संकलित, संगृहीत, इंतिख़्ााब और तर्तीब के साथ जमा किया हुआ, चयन और व्यवस्थित।
मुदव्वर (अ़.वि.)-गोल, गोलाकार, वृत्ताकार।
मुदव्विन (अ़.वि.)-सम्पादक, व्यवस्थित करनेवाला, तर्तीब देनेवाला।
मुदह्रïज (अ़.वि.)-गोल, वर्तुलाकार।
मुदाअ़बत (अ़.स्त्री.)-मनोरंजन, आमोद-प्रमोद, हँसी-मज़ा$क; क्रीड़ा, खेलकूद, तफ्ऱीह।
मुदाख़्ालत (अ़.स्त्री.)-हस्तक्षेप, दख़्लअंदाज़ी; दख़्ल देना, बीच में टोकना; विघ्न, बाधा; $कब्ज़ा, अधिकार।
मुदाख़्ालते बेजा (अ़.$फा.स्त्री.)-ऐसा हस्तक्षेप जो $कानून के ख़्िाला$फ हो।
मुदा$फअ़त (अ़.स्त्री.)-आक्रमण या हमले की रोक, बचाव; निवारण, इज़ाल:; हटाना, अलग करना।
मुदा$फेÓ (अ़.वि.)-हटानेवाला; आक्रमण या हमले को रोकनेवाला।
मुदाम (अ़.वि.)-नित्य, सदा, हमेशा; निरन्तर, लगातार; मदिरा, शराब।
मुदामी (अ़.स्त्री.)-नित्यता, हमेशगी।
मुदारा (अ़.पु.)-'मुदारातÓ का लघु., दे.-'मुदारातÓ।
मुदारा (अ़.वि.)-जिसकी मुदारात की गई हो, जिसकी आवभगत की गई हो, जिसका सम्मान किया गया हो, सम्मानित, आदृत।
मुदारात (अ़.स्त्री.)-सम्मान, आदर, एज़ाज़; ख़्ाातिर तवाज़ोÓ, आवभगत।
मुदावमत (अ़.स्त्री.)-किसी काम को हमेशा करना; नित्यता, हमेशगी, निरन्तरता।
मुदावा (अ़.पु.)-'मुदावातÓ का लघु., दे.-'मुदावातÓ।
मुदावात (अ़.स्त्री.)-दवा-दारू, इलाज, चिकित्सा, उपचार।
मुदाविन (अ़.पु.)-जमा करनेवाला; एकत्र करके लिखने-वाला।
मुदाहनत (अ़.स्त्री.)-चापलूसी, चाटुकारिता, ख़्ाुशामद; दिल में कुछ और तथा ज़बान पर कुछ और होना।
मुदाहिन (अ़.वि.)-मुना$िफ$क, जिसके मन में कुछ हो और मुँह पर कुछ; चाटुकार, ख़्ाुशामदी, चापलूस।
मुदाहिनत (अ़.पु.)-कपट करना।
मुदिर [र्र] (अ़.वि.)-पेशाब अधिक लानेवाली दवा।
मुदिर्रात (अ़.स्त्री.)-'मुदिरÓ का बहु., वे दवाएँ जो पेशाब अधिक लाएँ; जो रजस्राव अधिक करे।
मुदीर: (अ़.स्त्री.)-महिला सम्पादक, सम्पादिका।
मुदीर (अ़.पु.)-सम्पादक, सम्पादन करनेवाला, एडिटर।
मुदीरे आÓला (अ़.पु.)-प्रधान सम्पादक।
मुदीर मसऊल (अ़.पु.)-वह सम्पादक जो समाचारपत्र में प्रकाशित होनेवाले समाचारों के प्रति उत्तरदायी हो, समाचार सम्पादक।
मुदीरे मुअ़ाविन (अ़.पु.)-उपसम्पादक, सहायक सम्पादक।
मुदुन (अ़.पु.)-'मदीन:Ó का बहु., अनेक नगर, बहुत से शहर।
मुद्ग़म (अ़.वि.)-मिला हुआ, समन्वित; मिले हुए, मिश्र, एक-जैसे दो अक्षर।
मुद्दअ़ा (अ़.पु.)-आशय, उद्देश्य, मंशा; स्वार्थ, $गरज़; तात्पर्य, ख़्ाुलासा; अर्थ, मतलब; दावा किया गया।
मुद्दअ़ाअ़लैह (अ़.पु.)-प्रतिवादी, जिस पर दावा किया गया हो।
मुद्दअ़ाअ़लैहा (अ़.स्त्री.)-प्रतिवादिनी, वह स्त्री जिस पर दावा किया गया हो।
मुद्दअ़ाबिहा (अ़.वि.)-जिस चीज़ का दावा हो, वह वस्तु जिसके लिए वाद उपस्थित किया गया हो।
मुद्दई (अ़.पु.)-वादी, दावा करनेवाला, नालिशी।
मुद्दईय: (अ़.स्त्री.)-दावा करनेवाली स्त्री, वादिनी।
मुद्दत (अ़.स्त्री.)-विलम्ब, देर, अ़र्सा; अवधि, मीअ़ाद; समय, काल, वक़्त।
मुद्दते मदीद (अ़.स्त्री.)-लम्बा समय, दीर्घकाल, लम्बा अ़र्सा।
मुद्दते हयात (अ़.स्त्री.)-जीवनकाल, जीवित रहने का समय, पूरी आयु, जीवन जीने का समय।
मुद्रिक: (अ़.स्त्री.)-विवेक-शक्ति, तमीज़ की $कुव्वत, ज्ञान-सामथ्र्य।
मुद्रिक (अ़.वि.)-भले-बुरे की पहचान रखनेवाला, विवेकी, बुद्घिमान्, समझदार।
मुद्रिकात (अ़.वि.)-'मुद्रिक:Ó का बहु., विवेक या समझ की शक्तियाँ।
मुनक़्क़श (अ़.वि.)-जिस पर नक़्श किया गया हो; चित्रित, जिस पर बेलबूटे बने हों; अंकित, जिस पर लिखा हो।
मुनक़्क़ह (अ़.वि.)-वह बात जिसे झूठ से पवित्र कर दिया गया हो अर्थात् जिसमें झूठ न हो, सच्ची बात; शुद्घ और निर्मल; जो विषय या मुअ़ामला छानबीन करके स्पष्ट कर दिया गया हो।
मुनक़्क़ा (अ़.वि.)-जिसका पेट सा$फ कर दिया गया हो; सूखा अंगूर, दाख (इसे मुनक़्$का इसलिए कहते हैं कि इसके बीज निकालकर इसका पेट सा$फ कर दिया जाता है); जो शुद्घ किया गया हो, शुद्घ, पवित्र, निर्मल।
मुनक़्िक़द (अ़.वि.)-आलोचक, तन्$कीद करनेवाला, जाँच करनेवाला, समीक्षा करनेवाला, मीन-मेख निकालनेवाला, खरा-खोटा बताने-वाला, विवेचना करनेवाला, विवेचक।
मुनक़्िक़स (अ़.वि.)-तिरस्कार करनेवाला, तिरस्कर्ता, अपमान करनेवाला; कम करनेवाला।
मुनक़्क़ी (अ़.वि.)-पेट सा$फ करनेवाला, पेट सा$फ करने-वाली दवा; सा$फ करनेवाला, शुद्घकर्ता।
मुनक़्क़ेह (अ़.वि.)-समीक्षा करनेवाला, तन्$कीद करनेवाला, जाँच करनेवाला, सच को झूठ से अलग करनेवाला; विषय या मुअ़ामले की जाँच करके सच और झूठ निकालनेवाला।
मुनग्ग़़स (अ़.वि.)-मलिन, मैला, अपवित्र, गँदला; अप्रसन्न, खिन्न, रंजीदा।
मुनग्ग़ि़स (अ़.वि.)-गँदला करनेवाला, मैला करनेवाला; अप्रसन्न करनेवाला।
मुनज़्ज़म (अ़.वि.)-क्रमबद्घ, क्रियागत, तर्तीब से लगा हुआ, बातर्तीब; संघटित, वे लोग जो किसी उद्देश्य की प्राप्ति के लिए एक और मज़बूत होकर कोई काम करें।
मुनज़्ज़ल (अ़.वि.)-नीचे उतरा हुआ।
मुनज़्ज़ह (अ़.वि.)-पवित्र, पाक; दोषों और त्रुटियों से मुक्त अथवा पवित्र।
मुनज्जिम (अ़.वि.)-भविष्य बतानेवाला, भविष्य में होने- वाली घटनाओं की जानकारी देनेवाला, ज्योतिष जाननेवाला, ज्योतिषि, नुमूजी।
मुनजि़्ज़म (अ़.वि.)-संगठित करनेवाला, संघटन करनेवाला, लोगों को किसी कार्य-विशेष के लिए एकत्र करके उन्हें तै नियमों पर चलानेवाला।
मुनजि़्ज़ल (अ़.वि.)-नीचे उतारनेवाला।
मुनब्बत (अ़.वि.)-वे बेल-बूटे जो उभरे हुए हों (कपड़े पर हों या लकड़ी आदि पर)।
मुनब्बतकारी (अ़.$फा.स्त्री.)-बेल-बूटों का वह काम जो लकड़ी आदि पर किया जाता है।
मुनव्वर (अ़.वि.)-दीप्त, रौशन, उज्ज्वल, प्रकाशमान्।
मुनश्शी (अ़.वि.)-नशा उत्पन्न करनेवाली वस्तु, मादक, नशीली।
मुनश्शीयात (अ़.स्त्री.)-मादक पदार्थ, नशे की चीजें़, जैसे-शराब, अ$फीम, भाँग, गाँजा, स्मैक आदि।
मुनाअ़मत (अ़.पु.)-नाज़ो-नेÓमत से पालना, सुख-समृद्घि में पालन-पोषण करना।
मुना$कज़: (अ़.पु.)-प्रतिरोध करना, एक-दूसरे की बात को काटना, वाद-विवाद करना, वाक्कलह; द्वेष, वैर, मुख़्ााल$फत, दुश्मनी; दंगा, झगड़ा, कलह, $फसाद।
मुना$कज़त (अ़.स्त्री.)-दे.-'मुना$कज़:Ó।
मुना$कबत (अ़.स्त्री.)-मन्$कबत अर्थात् महात्माओं अथवा ब्रह्मïलीन जनों का गुणगान करना, रसूल अर्थात् पै$गम्बर के घरवालों का स्तुति-गान करना; अचानक देखना।
मुना$कश: (अ़.पु.)-परस्पर कलह, $फसाद अथवा झगड़ा करना, आपस में लड़ाई-झगड़ा करना।
मुना$कसत (अ़.स्त्री.)-आपस में एक-दूसरे की बुराई करना, परस्पर आलोचना करना, परस्पर आरोप लगाना, दोषारोपण।
मुनाकहत (अ़.स्त्री.)-पुरुष-स्त्री का आपस में विवाह करना, पाणिग्रहण संस्कार करना, विवाह, शादी।
मुना$िकज़ (अ़.वि.)-झगड़ालू, झगड़ा करनेवाला; विरोधी, मुख़्ाालि$फ; शत्रु, दुश्मन।
मुना$िकब (अ़.वि.)-मन्$कबत अर्थात् महात्माओं या ब्रह्मïलीन जनों का गुणगान करनेवाला, रसूल अर्थात् पै$गम्बर के घर-वालों का स्तुति-गान करनेवाला, गुणगान और कीर्तिगान करनेवाला; अचानक देखनेवाला।
मुनाज़अ़: (अ़.पु.)-वाद-विवाद, तर्क-वितर्क, वाक्कलह, बहस; कलह, झगड़ा, $फसाद।
मुनाज़अ़त (अ़.स्त्री.)-दे.-'मुनाज़अ़:Ó।
मुनाज़म: (अ़.पु.)-आपस में एक-दूसरे को नज़्में सुनाना, वह मुशाअऱ: (मुशायरा) जिसमें $गज़लों की जगह नज़्में पढ़ी जाएँ।
मुनाजऱ: (अ़.पु.)-किसी विषय पर और विशेषकर धार्मिक विषय पर दो विरोधी दलों का शास्त्रार्थ; वह विद्या जिसमें तर्क-शास्त्र के नियम और उसके विषय में ज्ञान बढ़ानेवाली बातों का वर्णन हो।
मुनाजात (अ़.स्त्री.)-ईश-आराधना, भगवान् की प्रार्थना, ख़्ाुदा की हम्दोसना; ऐसा स्तुतिगान जिसमें अपने लिए कुछ प्रार्थना भी हो।
मुनाजाती (अ़.वि.)-ईश-आराधना करनेवाला, भगवान् का स्तुतिगान करनेवाला।
मुनाज़ाÓ$फीहि (अ़.वि.)-विवादास्पद वस्तु, झगड़ेवाली चीज़, वह वस्तु जिसके विषय में परस्पर झगड़ा हो।
मुनाजिऱ (अ़.वि.)-शास्त्रार्थ करनेवाला, शास्त्रार्थी, मुनाजऱ: करनेवाला, शास्त्रार्थकर्ता।
मुनाजिऱीन (अ़.पु.)-'मुनाजिऱÓ का बहु., धार्मिक विषय पर शास्त्रार्थ करनेवाले।
मुनाज़ेÓ (अ़.वि.)-विवादी, झगड़ा करनेवाला, झगड़ालू।
मुनादमत (अ़.स्त्री.)-पास बैठना, उपस्थित रहना, हाजिऱ बाश रहना।
मुनादा (अ़.वि.)-जिसे आवाज़ दी जाए, जिसे पुकारा जाए, जिसे सम्बोधित किया जाए, आहूत।
मुनादी (अ़.वि.)-पुकारनेवाला, आवाज़ देनेवाला; एलान करनेवाला, घोषणा करनेवाला; एलान, घोषणा; पुकार।
मुनादीनवाज़ (अ़.$फा.वि.)-एलान अथवा घोषणा करने के लिए डुग्गी पीटनेवाला।
मुना$फअ़: (अ़.पु.)-मुना$फा, लाभ, प्राप्ति, $फायदा; व्यवसाय और रोजग़ार का लाभ; फल, नतीजा।
मुना$फअ़त (अ़.स्त्री.)-लाभ होना, मुना$फा होना, प्राप्ति।
मुना$फ$कत (अ़.स्त्री.)-मिथ्याचार, दिल में कुछ होना और ज़बान पर कुछ होना, कूटाचार।
मुना$फरत (अ़.स्त्री.)-घृणा, न$फरत।
मुना$फस: (अ़.पु.)-किसी चीज़ में बराबरी चाहना; ईष्र्या करना, हसद करना; बराबरी करना, तुलना करना।
मुना$फात (अ़.स्त्री.)-एक-दूसरे को अलग करना; एक-दूसरे को बरबाद और नष्ट करना।
मुना$िफ$क (अ़.स्त्री.)-मिथ्यावादी, कूटाचार का आचरण करनेवाला, मुना$फ$कत करनेवाला, जिसके मुँह पर कुछ हो और पेट में कुछ, बहुमुख, मुँह में राम-राम ब$गल में छुरी रखनेवाला।
मुना$िफर (अ़.वि.)-न$फरत करनेवाला, घृणा करनेवाला।
मुना$फी (अ़.वि.)-प्रतिकूल, विरुद्घ, उलटा, मुख़्ाालि$फ।
मुना$फेÓ (अ़.वि.)-लाभदायक, लाभ देनेवाला।
मुनाबात (अ़.स्त्री.)-बराबरी करना; शिष्टता में प्रतियोगिता।
मुनावश: (अ़.स्त्री.)-लडऩे के लिए दो सेनाओं का आगे बढऩा।
मुनासख़्ा: (अ़.पु.)-क्षय-विधान; एक $काइदा जिसके द्वारा दाय भाग होता है।
मुनासबत (अ़.स्त्री.)-सम्बन्ध, लगाव; अनुपात, निस्बत; मुआ$फ$कत, अनुकूलता।
मुनासर: (अ़.पु.)-गद्य के लेखको की गोष्ठी, एक स्थान पर बैठकर परस्पर गद्य के लेख सुनाना।
मुनासरत (अ़.स्त्री.)-परस्पर एक-दूसरे की सहायता करना, सहयोग।
मुनासहत (अ़.स्त्री.)-नसीहत देना, उपदेश करना।
मुनासिब (अ़.वि.)-उचित, ठीक; योग्य, $काबिल, पात्र, अहल; यथेष्ट, का$फी; सन्तुलित, मौजूँ।
मुनासिबे मौ$का (अ़.पु.)-अवसर के अनुसार; समय के अनुसार, समयोचित।
मुनासिबे वक़्त (अ़.पु.)-समयोचित, समय के अनुसार।
मुनासिबे हाल (अ़.पु.)-दशानुकूल, दशा के अनुसार, हालत के मुनासिब।
मुनाहदत (अ़.स्त्री.)-लडऩा, दुश्मनी करना, शत्रुता करना।
मुनीफ़ (अ़.वि.)-शुद्घ, निर्मल, पवित्र, पाक; श्रेष्ठ, बुज़ुर्ग; उच्च, बुलंद; अधिक, जिय़ाद: (ज़्यादा)।
मुनीब (अ़.वि.)-नुमाइंदा, प्रतिनिधि; अभिकर्ता, एजेन्ट, दलाल, गुमाश्ता।
मुनीर (अ़.वि.)-उज्ज्वल, प्रकाशमान्, दीप्त।
मुन्अ़$िकद (अ़.वि.)-उपस्थित होनेवाला, होनेवाला (इसका प्रयोग प्राय: सभा-समारोह या जल्सा आदि के लिए किया जाता है)।
मुन्अ़किस (अ़.वि.)-प्रतिबिम्बित, छाया या प्रतिबिम्ब पड़ा हुआ।
मुन्अ़ति$फ (अ़.वि.)-फिरनेवाला, आकृष्ट होनेवाला, आकृष्ट हुआ चित्त, अभिमुख।
मुन्अ़दिम (अ़.वि.)-नष्ट होनेवाला, ध्वस्त होनेवाला; नष्ट, ध्वस्त, नाबूद।
मुन्इम (अ़.वि.)-नेÓमतें देनेवाला, पुरस्कारदाता; पुरस्कार देनेवाला, इन्अ़ाम (इनाम) देनेवाला, पारितोषिक देनेवाला; धनाढ्य, समृद्घ, मालदार।
मुन्इमे ह$की$की (अ़.पु.)-सच्ची नेÓमतें देनेवाला, ईश्वर।
मुन्$कज़ी (अ़.वि.)-गुजऱनेवाला; समाप्त, ख़्ात्म।
मुन्$कतेÓ (अ़.वि.)-विच्छिन्न, खण्डित, कटा हुआ।
मुन्कदिर (अ़.वि.)-गँदला, मलिन, मैला; धुँधला, नासा$फ।
मुन्$कनेÓ (अ़.वि.)-नि:स्पृह, निवृत्त, सन्तुष्ट, $कानेÓ।
मुन्$कबिज़ (अ़.वि.)-अप्रसन्न, खिन्न (चित्त)।
मुन्कर (अ़.वि.)-घृणित, जिसे देखकर घिन आए, मक्रूह, भद्दा; निकृष्ट, ख़्ाराब।
मुन्करनकीर (अ़.पु.)-दो $फिरिश्ते ($फरिश्ते) जो मुसलमानों के मतानुसार $कब्र में मुर्दों से पूछताछ करते हैं।
मुन्$कलिब (अ़.पु.)-अस्त-व्यस्त, बेतर्तीब, उथल-पुथल; पलटा हुआ, औंधा।
मुन्$कलिबात (अ़.पु.)-वृष, कर्क, तुला और मकर राशियाँ, क्योंकि इनमें काम उलटा होता है।
मुन्$कलेÓ (अ़.वि.)-उखडऩेवाला; उखड़ा हुआ।
मुन्कशि$फ (अ़.वि.)-प्रकट, व्यक्त, ज़ाहिर।
मुन्$कसिम (अ़.वि.)-बँटनेवाला, विभाजित, तक़्सीम।
मुन्कसिर (अ़.वि.)-भग्न, टूटा हुआ; विनीत, ख़्ााकसार, नम्र; ख़्ाुश अख़्ला$क, सद्वृत्ति, शीलवान्।
मुन्कसिर मिज़ाज (अ़.वि.)-दे.-'मुन्कसिरुल मिज़ाजÓ।
मुन्कसिरुल मिज़ाज (अ़.वि.)-विनम्र स्वभाव, विनीतात्मा, ख़्ााकसारी बरतनेवाला।
मुन्क़ाद (अ़.वि.)-अधीन, वशीभूत, ताबेÓ; आज्ञाकारी, $फर्मांबरदार।
मुन्किर (अ़.वि.)-कृतघ्न, एहसान $फरामोश; इन्कार करने-वाला, मना करनेवाला।
मुन्किराने ख़्ाुदा (अ़.$फा.वि.)-ईश्वर को न माननेवाले, नास्तिक लोग।
मुन्किरे $िकयामत (अ़.वि.)-$िकयामत अर्थात् महाप्रलय पर विश्वास न करनेवाला, हश्र की परिकल्पना को न मानने-वाला, नास्तिक, नेचरी (मुसलमान)।
मुन्किरे ख़्ाुदा (अ़.$फा.वि.)-अनीश्वरवादी, ईश्वर को न माननेवाला, नास्तिक।
मुन्किरे नेÓमत (अ़.$फा.वि.)-कृतघ्न, नमकहराम, नाशुक्रा।
मुन्$कुल: (अ़.स्त्री.)-अँगीठी, अंगारदानी।
मुन्$कुल (अ़.स्त्री.)-दे.-'मुन्$कुल:Ó, दे.-'मन्$कलÓ।
मुन्ख़्ा$िफज़ (अ़.वि.)-गडï्ढ़े में पड़ा हुआ; अवनत, पस्त, नीचे जानेवाला।
मुन्ग़मिस (अ़.वि.)-जलमग्न, पानी में डूबा हुआ, निमग्न, $गरी$क।
मुन्फ़इल (अ़.वि.)-शर्मिन्दा, लज्जित; संकुचित, पशेमान; प्रभाव $कबूल करनेवाला।
मुन्फ़क [क्क] (अ़.वि.)-अलग होनेवाला; पृथक्, अलग; मुक्त, मोचित, छूटा हुआ।
मुन्फ़जिर (अ़.वि.)-बहनेवाला स्रोत।
मुन्फ़तिर (अ़.वि.)-विदीर्ण, फटा हुआ, शिगा$फ पड़ा हुआ।
मुन्फ़रिज: (अ़.वि.)-चौड़ा, चकला; वह कोण जो 90 अंश से अधिक हो, अधिक कोण।
मुन्$फरिज (अ़.वि.)-विस्तृत, विशाल, चौड़ा चकला; तुष्ट, समृद्घ, धनवान्, आसूदा, अघाया हुआ।
मुन्फ़रिद (अ़.वि.)-अकेला, एकाकी; बेजोड़, अद्वितीय।
मुन्$फरेह (अ़.वि.)-हर्षित, आनन्दित, प्रसन्न, ख़्ाुश।
मुन्फ़सिख़्ा (अ़.वि.)-दूषित, विकृत, ख़्ाराब।
मुन्फ़सिल (अ़.वि.)-पृथक्, अलग, जुदा; निर्णीत।
मुन्बइस (अ़.वि.)-उठनेवाला, भड़कनेवाला।
मुन्बली ($फा.पु.)-अंध-विश्वास।
मुन्यत (अ़.स्त्री.)-आशय, उद्देश्य, मंशा, मक़्सद।
मुन्शइब (अ़.वि.)-शाख-शाख होनेवाला, मूल में से शाखाएँ बनकर फैलनेवाला।
मुन्हजि़म (अ़.वि.)-पराजित, परास्त, विजित, हारा हुआ। इसका 'ज़Ó उर्दू के 'ज़ेÓ अक्षर से बना है।
मुन्हजि़म (अ़.वि.)-पचित, जो पच गया हो, जो हज़्म हो गया हो। इसका 'ज़Ó उर्दू के 'ज़ोयÓ अक्षर से बना है।
मुन्हतिक (अ़.वि.)-पर्दा फटने या उलटनेवाला, जिसका पर्दा फट जाए, जो बेन$काब हो जाए, जिसका दोष प्रकट हो जाए, अपमानित, तिरस्कृत।
मुन्हदिम (अ़.वि.)-नष्ट, ध्वस्त, बरबाद (भवन आदि)।
मुन्हदिर (अ़.वि.)-ऊपर से नीचे उतरनेवाला, अवनति की ओर जानेवाला, पतन की ओर जानेवाला।
मुन्हनी (अ़.वि.)-दुबला-पतला, कमज़ोर, क्षीण, कृशांग।
मुन्हनी अंदाम (अ़.$फा.वि.)-दे.-'मुन्हनी जिस्मÓ।
मुन्हनी जिस्म (अ़.वि.)-कृशांग, क्षीणकाय, पतले-दुबले शरीरवाला।
मुन्हमिक (अ़.वि.)-तन्मय, तल्लीन, दत्तचित्त, तत्पर, बहुत अधिक मश$गूल, संलग्न, अत्यन्त व्यस्त।
मुन्हरिफ़ (अ़.वि.)-अवज्ञाकारी, ना$फर्मान; उद्दण्ड, सरकश; विमुख, बरगश्त:।
मुन्हल [ल्ल] (अ़.वि.)-विस्तृत, चौड़ा-चकला, कुशादा।
मुन्हसिर (अ़.वि.)-निर्भर, आधारित, मौ$कू$फ।
मुन्हसिर अ़लैह (अ़.वि.)-आधेय, जिस पर कोई मुअ़ामला (मामला) निर्भर हो; पंच, जो दो व्यक्तियों के बीच में का झगड़ा तै करने के लिए मध्यस्थ बना दिया जाए, मध्यस्थ।
मु$फक्किर (अ़.वि.)-चिन्तक, विचारक, चिन्तन करनेवाला, सोचनेवाला।
मु$फक्किरीन (अ़.पु.)-'मु$फक्किरÓ का बहु., चिन्तन करने-वाले, विचारक लोग।
मु$फख़्ख़्ाम (अ़.वि.)-सम्मानित, प्रतिष्ठित, बुज़ुर्ग।
मु$फख़्ख़्ार (अ़.वि.)-ऐसा व्यक्ति जिस पर सब गर्व करें, प्रतिष्ठित, पूज्य, मान्य।
मु$फख़्ख़्ारे मौजूदात (अ़.वि.)-विश्व के लिए गर्व का विषय, संसार में सबसे बड़ा आदमी, सर्वश्रेष्ठ, सर्वमान्य, अत्यन्त प्रतिष्ठित।
मु$फज़्ज़ल (अ़.वि.)-बहुकृत, अधिक किया हुआ, बढ़ाया हुआ; प्राथमिकता-प्रदत्त, प्रधानता दिया हुआ, तर्जीह पाया हुआ।
मु$फत्तिन (अ़.वि.)-कलहबाज़, उपद्रवकारी, झगड़े खड़े करनेवाला, धूर्त, $िफत्तीन।
मु$फत्तिश (अ़.वि.)-छानबीन करनेवाला, तफ़्तीश करनेवाला, खोज लगानेवालखोजी, अन्वेषी; ढूँढऩेवाला, तलाश करने-वाला।
मु$फत्तेह (अ़.वि.)-खोलनेवाला, उद्घाटक।
मु$फर्रिहुल $कुलूब (अ़.वि.)-दिलों को आनन्द और उल्लास देनेवाला, आनन्दकारी, उल्लासकारी।
मु$फर्रेह (अ़.वि.)-मन में उमंग और उल्लास उत्पन्न करने-वाला, उमंगकारी, उमंगवद्र्घक, उल्लासकारी; वह औषध जो हृदय को आनन्दित करे, दिल को उल्लासित करनेवाली दवा।
मु$फर्रेहात (अ़.स्त्री.)-वे दवाएँ जो मन में आनन्द और उल्लास की वृद्घि करें।
मु$फव्वज़: (अ़.वि.)-सौंपी हुई या सिपुर्द की हुई वस्तु, प्रदत्त वस्तु, सौंपी हुई वस्तु, हस्तांतरित।
मु$फव्वज़ (अ़.वि.)-हस्तांतरित, प्रदत्त, सिपुर्द किया हुआ।
मु$फव्विज़ (अ़.वि.)-हस्तांतरण करनेवाला, प्रदायक, सौंपने-वाला, प्रदान करनेवाला, सिपुर्द करनेवाला।
मु$फस्सल: (अ़.वि.)-विवरण किया हुआ, विस्तारित, विश्लेषित, स्पष्टीकृत।
मु$फस्सल (अ़.वि.)-सविस्तार, विस्तारपूर्ण, विस्तृत, स्पष्ट, वाज़ेह, जिसकी व्याख्या की गई हो, व्याख्यायित, मुशर्रह।
मु$फस्सलए जै़ल (अ़.वि.)-जिसका विवरण नीचे दिया गया हो, निम्नांकित, निम्नलिखित।
मु$फस्सलात (अ़.पु.)-किसी नगर के आस-पास की छोटी बस्तियाँ।
मु$फस्सिर (अ़.पु.)-व्याख्याकार, तफ़्सीर करनेवाला, खुलासा करनेवाला, भाष्यकार; इस्लाम में हदीसों की व्याख्याकर्ता।
मु$फस्सिरीन (अ़.पु.)-'मु$फस्सिरÓ का बहु., हदीस की व्याख्या करनेवाले विद्वान् लोग।
मु$फस्सिल (अ़.वि.)-स्पष्टीकरण करनेवाला, भाष्यकार, तफ़्सील बतानेवाला, विस्तार से समझानेवाला।
मु$फाकह: (अ़.पु.)-परस्पर आमोद-प्रमोद करना; एक-दूसरे से भोग-विलास करना, राग-रंग करना; मनोविनोद, मनोरंजन।
मु$फाख़्ारत (अ़.स्त्री.)-एक-दूसरे पर गर्व करना; गौरव, गर्व; शेख़्ाी, डींग।
मु$फाख़्िार (अ़.वि.)-गर्व करनेवाला, गर्वीला; शेख़्ाी बघारने-वाला, डींग मारनेवाला, अभिमानी।
मु$फाजा (अ़.पु.)-'मु$फाजातÓ का लघु., दे.-'मु$फाजातÓ।
मु$फाजात (अ़.स्त्री.)-एकाएक, आकस्मिक, एकबारगी, सहसा, अचानक।
मु$फार$कत (अ़.स्त्री.)-अलगाव, पृथक्ता, अ़लाहदगी; जुदाई, वियोग; विवाह-विच्छेद, तला$क।
मु$फारि$क (अ़.वि.)-बिछडऩेवाला, अलग होनेवाला, जुदा होनेवाला; पृथक्, जुदा।
मु$फावज़: (अ़.पु.)-वह पत्र जो बड़े की ओर से छोटे को लिखा जाए; पत्र, चिट्ठी, ख़्ात; बराबरी, समानता।
मु$फावज़त (अ़.पु.)-परस्पर आदान-प्रदान करना, एक-दूसरे को सौंपना, एक-दूसरे के सिपुर्द करना; साझा करना; संभोग करना, मैथुन करना; बराबरी करना।
मु$फावज़ात (अ़.पु.)-'मु$फावज़:Ó का बहु., वे चिट्ठी-पत्रियाँ जो बड़ों की तर$फ से छोटों के लिए हों।
मु$फाहमत (अ़.स्त्री.)-परस्पर समझाना; समझौता, $फैसला।
मु$िफर [र्र] (अ़.वि.)-भागनेवाला, पलायन करनेवाला, पलायक।
मु$फीज़ (अ़.वि.)-यश देनेवाला, यशप्रदायक, $फैज़ पहुँचाने-वाला, दानी, उपकारी।
मु$फीदे जि़न्दगी (अ़.$फा.वि.)-जीवनोपयोगी, जीवन में काम आनेवाला।
मु$फीद (अ़.वि.)-उपयोगी, कार आमद, लाभकारी, हितकर, हितकारी, हितवर, $फाइदामंद।
मु$फीदे अ़ाम (अ़.वि.)-सर्वहितकारी, सर्वोपकारी, सबके लिए लाभकारी, सर्वमंगलकारी।
मु$फीदे मत्लब (अ़.वि.)-अपने आशय के लिए हितकारी, अपने उद्देश्य के लिए लाभकारी, प्रयोजनानुकूल।
मुफ़्त ($फा.वि.)-बेदाम, बिना मूल्य का; व्यर्थ, बेकार; नष्ट, बरबाद, ज़ाएÓ; अकारण, निरुद्देश्य, बेसबब; बिना परिश्रम, बिना मेहनत।
मुफ़्त$िकर (अ़.वि.)-दरिद्र, कंगाल, भिखारी, मँगता।
मुफ़्तख़्ार (अ़.वि.)-गर्वान्वित, जिस पर गर्व हो।
मुफ्तख़्िार (अ़.वि.)-गर्व करनेवाला, गर्वीला, घमण्डी, दम्भी, मग्रूर।
मुफ़्तख़्ाोर ($फा.वि.)-परजीवी, जो दूसरों के सिर पड़ा हो; जो काम अथवा श्रम न करे और खाना चाहे; दूसरों की कमाई पर पलनेवाला; दूसरों का माल मारनेवाला।
मुफ़्तख़्ाोरी ($फा.स्त्री.)-परजीविता, दूसरों की कमाई पर पलना; दूसरों के सिर रहना; दूसरों का माल मारना।
मुफ़्ततन (अ़.वि.)-संकटग्रस्त, दुविधाग्रस्त, $िफतने में डाला हुआ।
मुफ़्तबर ($फा.वि.)-पराया माल खानेवाला, दूसरों का माल मारनेवाला।
मुफ़्तबरी ($फा.स्त्री.)-पराया माल खाना, दूसरों का माल मारना।
मुफ़्तरज़ात (अ़.पु.)-ख़्ायाली पुलाव बनाना, ख़्ायाली मंसूबे, कल्पित बातें, काल्पनिक बातें।
मुफ़्तरि$क (अ़.वि.)-लगाई-बुझाई करनेवाला, नारदकर्मी, $फर्क़ डालनेवाला, फूट डालनेवाला, दो दोस्तों के बीच में दुश्मनी पैदा कर देनेवाला।
मुफ़्तरी (अ़.वि.)-धूर्त, छली, शरीर; आरोपक, झूठा आरोप लगानेवाला।
मुफ़्तरेÓ (अ़.वि.)-शाखाएँ निकालनेवाला।
मुफ़्तसिताँ ($फा.वि.)-बिना मूल्य चुकाए लेनेवाला, मुफ़्त छीननेवाला, बिना दाम दिए लेनेवाला।
मुफ़्तसितानी ($फा.स्त्री.)-मूल्य दिए बिना चीज़ का ले लेना, बिना दाम दिए चीज़ का छीन लेना, मुफ़्त छीनना।
मुफ़्ितए आÓज़म (अ़.पु.)-सबसे बड़ा मुफ़्ती ($फत्वा या धर्मादेश देने वाला)।
मुफ़्ती (अ़.पु.)-मुसलमानों का वह धर्मशास्त्रवेत्ता मौलवी जो धार्मिक समस्याओं का समाधान प्रश्नोत्तर के रूप में करता है, $फत्वा देनेवाला, धर्मादेश देनेवाला।
मुफ्ऱद (अ़.वि.)-एक, अकेला।
मुफ्ऱदात (अ़.स्त्री.)-वे अक्षर जो अलग-अलग लिखे जाएँ, जैसे-अ, ब, स; वे दवाएँ जो मिश्रित न हों, बल्कि पृथक् रूप में हों; वह पुस्तक जिसमें मुफ्ऱद दवाओं का वर्णन हो।
मुफ्रि़त (अ़.वि.)-बहुत जिय़ादा, अत्यधिक, प्रचुर।
मुफ़्िलस (अ़.वि.)-निर्धन, धनहीन, कंगाल, $गरीब।
मुफ़्िलसी (अ़.स्त्री.)-निर्धनता, दरिद्रता, $गरीबी, कंगाली।
मुफ़्िसद (अ़.वि.)-उत्पात करनेवाला, उत्पाती, शरीर; फूट डलवानेवाला; उपद्रव करनेवाला, उपद्रवी, $िफसादी; धूर्त, छली; बिगाडऩेवाला, दूषित करनेवाला।
मुफ़्िसदान: (अ़.वि.)-उपद्रवियों-जैसा, मुफ़्िसदों-जैसा, शरारत और उपद्रव से भरा हुआ।
मुफ़्िसदेअख़्लात (अ़.वि.)-शरीर की धातुओं को दूषित करनेवाला।
मुफ़्िसदे ख़्ाून (अ़.$फा.वि.)-रक्तदूषक, ख़्ाून को दूषित या ख़्ाराब करनेवाला।
मुबजि़्जऱ (अ़.वि.)-अपव्ययी, $िफजूल ख़्ार्च करनेवाला, व्यर्थ और अधिक ख़्ार्च करनेवाला।
मुबद्दल (अ़.वि.)-बदला हुआ, परिवर्तित।
मुबद्रि$क (अ़.वि.)-मार्गदर्शक, पथ-प्रदर्शक, राहनुमा, राह दिखानेवाला, रास्ता बतानेवाला।
मुबय्यज़: (अ़.वि.)-सफ़ेद किया हुआ।
मुबय्यन: (अ़.वि.)-बयान किया हुआ, कहा हुआ, कथित, उक्त।
मुबय्यिन (अ़.वि.)-बयान करनेवाला, कहनेवाला।
मुबर्रा (अ़.वि.)-छोड़ा हुआ, बरी किया हुआ, मुक्त; पाक, पवित्र; अलग, पृथक्, दूर, परे; बेतअ़ल्लुक, विरक्त, लगाव-रहित, बेलगाव, नि:सम्बन्ध।
मुबर्रिद (अ़.वि.)-ठण्डा करनेवाला, ठण्डक पहुँचानेवाला; वह दवा जो ठण्डक पहुँचाए, शामक औषधि।
मुबर्रिदात (अ़.पु.)-ठण्डक पहुँचानेवाली औषधियाँ।
मुबर्सम (अ़.वि.)-जो व्यक्ति वक्षशोथ (प्लूरिसी) रोग से पीडि़त हो।
मुबर्हन (अ़.वि.)-प्रमाणित, युक्तिसंगत, सिद्घ, जो बात साक्ष्यों एवं प्रमाणों से पूरी तरह सिद्घ हो गई हो।
मुबल्लि$ग (अ़.वि.)-प्रचार करनेवाला, प्रचारक, विशेषत: धर्मप्रचारक।
मुबव्वब (अ़.वि.)-अध्यायों और परिच्छेदों में बँटी हुई पुस्तक, सर्गबद्घ।
मुबश्शिर (अ़.वि.)-शुभ-सूचक, शुभ सूचना देनेवाला, ख़्ाुश-ख़्ाबरी सुनानेवाला, शुभ-संदेश सुनानेवाला।
मुबस्सिर (अ़.वि.)-परख रखनेवाला, पारखी, मर्मज्ञ, अच्छे-बुरे की तमीज़ रखनेवाला, विवेकी।
मुबह्ही (अ़.वि.)-कामोत्तेजक, काम-शक्ति बढ़ानेवाला, कामवद्र्घक, बाजीकरण रसायन, कामोत्तेजना बढ़ानेवाली औषधि।
मुबादरत (अ़.स्त्री.)-चुस्ती दिखाना, $फुर्ती दिखाना; जल्दी करना, शीघ्रता करना; वीरता दिखाना, बहादुरी दिखाना; $फुर्ती; शीघ्रता; वीरता।
मुबादल: (अ़.पु.)-आदान-प्रदान, अदल-बदल, एक चीज़ देकर दूसरी लेना।
मुबादिर (अ़.वि.)-चुस्ती-$फुर्ती दिखानेवाला; जल्दबाज़ी करनेवाला; बहादुरी दिखानेवाला।
मुबादिल (अ़.वि.)-अदल-बदल करनेवाला, एक चीज़ को दूसरी चीज़ से बदलनेवाला।
मुबारक (अ़.वि.)-कल्याणकारी, शुभान्वित, बाबरकत; ख़्ाुशनसीब, भाग्यशील, अच्छी $िकस्मतवाला; शुभ-सूचना, शुभ-संदेश, ख़्ाुश-ख़्ाबरी; किसी ख़्ाुशी के अवसर पर कहा जानेवाला मांगलिक शब्द, बधाई।
मुबारकअंजाम (अ़.$फा.वि.)-जिसका परिणाम शुभ यानी कल्याणकर हो।
मुबारक$कदम (अ़.वि.)-जिसका पदार्पण शुभ हो, जिसका आना शुभदायक अर्थात् कल्याणकारी हो।
मुबारकदम (अ़.$फा.वि.)-जिसकी फूँक से बीमार अच्छे हों; जिसके आशीर्वाद से लोगों का भला हो, कल्याणकारी, मंगलकारी।
मुबारकबाद (अ़.$फा.वि.)-ख़्ाुशी के अवसर पर कहा जानेवाला मांगलिक शब्द, मुबारक हो, कल्याण हो; शुभ-सूचना, ख़्ाुश-ख़्ाबरी।
मुबारक सलामत (अ़.स्त्री.)-एक-दूसरे को मुबारकबाद देना तथा उनकी सलामती अर्थात् चिरंजीव होने की दुअ़ा करना।
मुबारज़त (अ़.स्त्री.)-समर, युद्घ, संग्राम, लड़ाई, जंग; युद्घ क्षेत्र में दोनों ओर से एक-एक योद्घा का निकलकर लडऩा (यह अऱब का प्राचीन नियम था)।
मुबारात (अ़.स्त्री.)-किसी के साथ झगड़ा करना; किसी के साथ युद्घ में पक्ष करना।
मुबारिज़ (अ़.वि.)-योद्घा, लड़ाकू, लडऩेवाला शूरवीर; वह योद्घा जो दूसरे पक्ष के योद्घा से लड़ता है।
मुबाल$ग: (अ़.पु.)-बात को ख़्ाूब बढ़ा-चढ़ाकर कहना, अत्युक्ति, अतिरंजना।
मुबाल$ग:आमेज़ (अ़.$फा.वि.)-बढ़ाव-चढ़ाव लिये हुए, मुबालग़े से भरा हुआ, अत्युक्ति, अतिरंजित।
मुबाल$ग:आमेज़ी (अ़.$फा.स्त्री.)-सच्ची बात में अपनी ओर से कुछ मिलाकर उसे बहुत बढ़ा देना, बात बढ़ाना, नमक-मिर्च लगाना।
मुबालात (अ़.स्त्री.)-किसी बात की शंका करना; किसी बात से डरना।
मुबाशरत (अ़.स्त्री.)-शारीरिक सम्बन्ध बनाना; सहवास, संभोग, रतिक्रीड़ा, हमबिस्तरी।
मुबाशिर (अ़.वि.)-शारीरिक सम्बन्ध बनानेवाला, सहवास करनेवाला, मैथुनकर्ता।
मुबाह (अ़.वि.)-विहित, जाइज़, संगत; जिसका खाना उचित यानी जाइज़ हो।
मुबाहल: (अ़.पु.)-एक-दूसरे को शाप देना; एक-दूसरे को कोसना।
मुबाहस: (अ़.पु.)-वाद-विवाद, तर्क-वितर्क, बहसो-तम्हीस।
मुबाहात (अ़.स्त्री.)-गर्व, अभिमान, घमण्ड; डींग, शेखी। मुबाहात (अ़.पु.)-विहित वस्तुएँ, वे चीज़ें जिनका खानपान धर्मानुसार वर्जित न हो।
मुबीन (अ़.वि.)-स्पष्ट, व्यक्त, सा$फ, वाज़ेह।
मुबैयन (अ़.वि.)-दे.-'मुबैयन:Ó।
मुबैयिन (अ़.वि.)-बयान करनेवाला, कहनेवाला, वक्ता।
मुब्तज़ल (अ़.वि.)-अपमानित, तिरस्कृत, बेइज़्ज़त; अधम, नीच।
मुब्तदा (अ़.वि.)-शुरू किया गया, आरंभकृत, प्रारंभित; क्रियारहित संज्ञात्मक वाक्य का प्रारंभिक अंश, जुम्लए इस्मिय: का पहला अंग।
मुब्तदी (अ़.वि.)-प्रारम्भकर्ता, शुरू करनेवाला; शुरू की पुस्तकें पढऩेवाला, पारंगत का विपरीत, नौसिखिया, नौमश्क, नवसाक्षर, जिसे अभी अच्छा अभ्यास न हो।
मुब्तदेÓ (अ़.वि.)-बिद्अ़ती, दीन अर्थात् धर्म में नई बात निकालनेवाला, धर्म की नई व्यवस्था करनेवाला।
मुब्तला (अ़.वि.)-फँसा हुआ; ग्रस्त, पकड़ा हुआ; मुग्ध, $िफरेफ़्त:; अ़ाशि$क, आसक्त; जिसे परीक्षण के लिए आपत्ति में फँसाया गया हो, परीक्षार्थ आपत्तिग्रस्त किया गया।
मुब्तलाए अज़़ाब (अ़.वि.)-पापदण्ड से पीडि़त; विपदा में फँसा हुआ, आपत्तिग्रस्त।
मुब्तलाए अलम (अ़.वि.)-दे.-'मुब्तलाए $गमÓ।
मुब्तलाए आ$फत (अ़.$फा.वि.)-आ$फतों में फँसा हुआ, संकटापन्न, विपदाग्रस्त, क्लेशग्रस्त।
मुब्तलाए आलाम (अ़.वि.)-तरह-तरह के दु:खों से पीडि़त, भिन्न-भिन्न आपत्तियों से ग्रस्त।
मुब्तलाए इश्$क (अ़.वि.)-प्रेमाबद्घ, प्रेम के कष्ट में फँसा हुआ।
मुब्तलाए $गम (अ़.वि.)-शोक में गिरिफ़्तार, शोकग्रस्त, शोकपीडि़त; प्रेमाबद्घ, प्रेम के कष्ट में गिरिफ़्तार, प्रेमदु:ख से पीडि़त।
मुब्तलाए मुसीबत (अ़.वि.)-दे.-'मुब्तलाए आ$फतÓ।
मुब्तली (अ़.वि.)-परीक्षार्थ आपत्तिदाता, आज़माइश के लिए विपदाओं में फँसानेवाला।
मुब्तसिम (अ़.वि.)-विहँसनेवाला, मुस्कुरानेवाला; खिलने-वाला।
मुब्तहिज (अ़.वि.)-हर्षित, आनन्दित, प्रसन्न, मस्रूर।
मुब्तिल (अ़.वि.)-खण्डन करनेवाला, काट करनेवाला, झूठा ठहरानेवाला।
मुब्दल (अ़.वि.)-बदला हुआ, परिवर्तित; वह शब्द जो किसी दूसरे शब्द से बदला गया हो।
मुब्दलमिन्हु (अ़.पु.)-वह शब्द जिससे किसी शब्द को बदला गया हो।
मुब्दा (अ़.पु.)-प्रकट करनेवाला; आरम्भ करनेवाला, सृष्टि-कर्ता, सृजन करनेवाला; ईश्वर।
मुब्दिए फैय़ाज़ (अ़.पु.)-अत्यधिक मंगलकारी, बहुत अधिक फैज़़ पहुँचानेवाला अर्थात् ईश्वर, परमात्मा।
मुब्देÓ (अ़.वि.)-अपने मन से कोई कुछ निकालनेवाला; सृष्टा, सृजन करनेवाला।
मुब्दे (अ़.वि.)-आरम्भ करनेवाला; प्रकट करनेवाला; सृष्टि करनेवाला, ईश्वर।
मुब्रम (अ़.वि.)-अटल, अवश्यंभावी; दृढ़, मज़बूत।
मुब्लग़ (अ़.वि.)-प्रेषित, भेजा हुआ; जो खोटा न हो, खरा; रुपए के साथ लगाया जानेवाला शब्द, जिसका अर्थ यह होता है कि भेजनेवाला खरा रुपया भेज रहा है।
मुब्लि$ग (अ़.वि.)-प्रेषक, भेजनेवाला।
मुब्हम (अ़.वि.)-अस्पष्ट, अस्फुट, धुँधला, $गैरवाज़ेह; छिपा हुआ, अत्यन्त गुप्त, निगूढ़, मुग़्ल$क।
मुमक्कन (अ़.वि.)-स्थिर किया हुआ, ठहराया हुआ।
मुमक्किन (अ़.वि.)-स्थिर करनेवाला, ठहरानेवाला।
मुमज्जद (अ़.वि.)-प्रतिष्ठित, सम्मानित, पूजित, बुज़ुर्ग।
मुमद्दद (अ़.वि.)-कर्षित, जो खींचा गया हो।
मुमद्दिद (अ़.वि.)-कर्षक, खींचनेवाला; एक दर्द जिसमें शरीर खिंचता है।
मुमय्यज़ (अ़.वि.)-अच्छा जानकर छाँटा गया, छाँटकर अलग किया गया, दूसरे से पृथक् किया गया।
मुमय्यिज़ (अ़.वि.)-छाँटकर अलग करनेवाला, बुरे-भले में अन्तर और भेद करनेवाला।
मुमस्सिल: (अ़.स्त्री.)-अभिनय करनेवाली स्त्री, अभिनेत्री, ऐक्ट्रेस, अदाकारा।
मुमस्सिल (अ़.पु.)-अभिनय करनेवाला पुरुष, अभिेता, ऐक्टर, अदाकार।
मुमानअ़त (अ़.स्त्री.)-प्रतिषेध, निषेध, मनाही, रोक।
मुमारस्त (अ़.स्त्री.)-अभ्यास, मश्$क; अनुभव, तज्रिब:; काम में कोशिश और मेहनत।
मुमारात (अ़.स्त्री.)-किसी के साथ जाना; शत्रुता करना; युद्घ करना।
मुमारिस (अ़.वि.)-काम में कोशिश करनेवाला; अभ्यस्त, दक्ष, कुशल, विशेषज्ञ, मश्शा$क; अनुभवी, तज्रिबाकार।
मुमास (अ़.वि.)-घिसा हुआ; घिसनेवाला; घिसने की जगह।
मुमासख़्ात (अ़.स्त्री.)-विरूपण, अपरूपण, अच्छी सूरत को बुरी सूरत में परिवर्तित कर देना।
मुमासलत (अ़.स्त्री.)-एक-जैसा होना; सदृशता, एकरूपता, हमशक्ली; समानता, बराबरी।
मुमासिख़्ा (अ़.वि.)-विरूपकर्ता, अपरूपकर्ता, अच्छी सूरत को बुरी सूरत में बदल देनेवाला, अच्छे रूप को कुरूपता में परिवर्तित कर देनेवाला।
मुमासिल (अ़.वि.)-एकरूप, सदृश, हमशक्ल; समान, बराबर।
मुमिद [द्द] (अ़.वि.)-सहायक, मददगार, सहयोग करने-वाला; पक्षपाती, हिमायती; आश्रयदाता, सहारा देनेवाला।
मुमिर [र्र] (अ़.वि.)-गुजऱनेवाला, जानेवाला।
मुम्किन (अ़.वि.)-संभव बात, हो सकनेवाली बात, शक्य, संभाव्य; शक्ति, ता$कत; क्षमता, सामथ्र्य, मक़्दूर।
मुम्किनात (अ़.पु.)-Óमुम्किनÓ का बहु., वे बातें जिनका होना संभव हो।
मुम्किनुलअ़मल (अ़.वि.)-जिस पर अ़मल करना संभव हो, जिस पर आचरण करना संभव हो, आचरणीय।
मुम्किनुलइलाज (अ़.वि.)-जिस रोग का इलाज अर्थात् उपचार संभव हो, साध्य-रोग, चिकित्सायोग्य।
मुम्किनुलवुजूद (अ़.वि.)-जिसका अस्तित्व संभव हो, जिसका होना या न होना दोनों संभव हों अर्थात् मानवजाति।
मुम्किनुलहुसूल (अ़.वि.)-जिसका मिलना संभव हो, प्राप्य।
मुम्तद (अ़.वि.)-खींचा हुआ; लम्बा, दराज़।
मुम्तनेÓ (अ़.वि.)-निषेध करनेवाला, निषेधक, रोकनेवाला।
मुम्तली (अ़.वि.)-पूर्ण, परिपूर्ण, भरा हुआ।
मुम्तहन (अ़.वि.)-जिसकी परीक्षा ली जाए, जिसकी जाँच या परख की जाए, परीक्ष्य, परीक्षित, आज़माया हुआ।
मुम्तहिन (अ़.वि.)-परीक्षक, परीक्षा लेनेवाला, जाँच या परख करनेवाला, इम्तिहान लेनेवाला।
मुम्ताज़ (अ़.वि.)-अनेक में से चुनकर छाँटा हुआ, अलग किया हुआ, चुनींदा, चुनिन्दा; सम्मानित, प्रतिष्ठित; मुख्य, विशिष्ट, ख़्ाास, विशेष।
मुम्तिर (अ़.वि.)-बरसनेवाला बादल।
मुम्बसित (अ़.वि.)-प्रसन्न; फैलनेवाला।
मुम्बी (अ़.पु.)-संवाददाता, ख़्ाबर देनेवाला, समाचारदाता।
मुम्सिक (अ़.वि.)-निकलने से रोकनेवाला; कृपण, कंजूस, बख़्ाील।
मुर [र्र] (अ़.वि.)-कटु, कड़वा, तल्ख़्ा; मुरमक्की नामक एक गोंद जो दवा में काम आता है।
मुरक्कब (अ़.वि.)-मिश्रित, मिला हुआ; वह दवा जो कई दवाओं से मिलकर बनी हो।
मुरक्कबात (अ़.पु.)-'मुरक्कबÓ का बहु., मुरक्कब दवाएँ, मिश्रित दवाएँ।
मुरक़्क़म (अ़.वि.)-लिखा हुआ, लिखित।
मुरक़्क़ा (अ़.पु.)-चित्र, तस्वीर; चित्रावली, तस्वीरों का अल्बम।
मुरख़्ख़्ाम (अ़.वि.)-मुलायम किया हुआ; वह शब्द जिसका अन्तिम अक्षर हटा दिया गया हो।
मुरख़्ख़्ास (अ़.वि.)-विदा किया गया, रुख़्ासत किया गया, जिसे जाने की आज्ञा दे दी गई हो, जो विदा या रुख़्ासत कर दिया गया हो।
मुरग्ग़ऩ ($फा.वि.)-तेल या घी में सराबोर, घी या तेल में तरतराता हुआ, घी में तरबतर, तैलयुक्त।
मुरज्जज़ (अ़.वि.)-वह गद्य जिसके वाक्य परस्पर संतुलित और सानुप्रास हों, सानुप्रासिक गद्य-रचना।
मुरज्जब (अ़.वि.)-इज़्ज़तदार, प्रतिष्ठित, सम्मानित।
मुरत्तब (अ़.वि.)-क्रमबद्घ किया हुआ, क्रमागत, सिलसिले से लगाया हुआ; सम्पादित, संकलित, समाहृत, संगृहीत। इसका 'त्तÓ उर्दू के 'तेÓ अक्षर से बना है।
मुरत्तब (अ़.वि.)-जिसको तर किया गया हो, जिसको तरी पहुँचाई गई हो। इसका 'त्तÓ उर्दू के 'तोयÓ अक्षर से बना है।
मुरत्तिब (अ़.वि.)-सम्पादन करनेवाला; संकलित करनेवाला; क्रमबद्घ करनेवाला। इसकी 'त्तिÓ उर्दू के 'तेÓ अक्षर से बनी है।
मुरत्तिब (अ़.वि.)-ठण्ड पहुँचानेवाला, तरी पहुँचानेवाला, शीतलता-प्रदायक। इसकी 'त्तिÓ उर्दू के 'तोयÓ अक्षर से बनी है।
मुरद्दद (अ़.वि.)-जिसका खण्डन किया गया हो, जिसे नकारा गया हो।
मुरद्द$फ (अ़.वि.)-रदी$फ के हिसाब से बनाया हुआ, रदी$फवार किया हुआ, सांत्यनुप्रास।
मुरद्दिद (अ़.वि.)-खण्डन करनेवाला, बात काटनेवाला, तर्दीद करनेवाला।
मुरफ्फ़़ह (अ़.वि.)-समृद्घ, सम्पन्न।
मुरफ्फ़़हहाल (अ़.वि.)-धनाढ्य, मालदार, धनी, सम्पन्न।
मुरब्बा (अ़.वि.)-वह मेवा जो विशेष रूप से गलाकर शक्कर के $िकवाम अर्थात् चाशनी में रखा गया हो, चाशनीदार मीठा अचार।
मुरब्बाÓ (अ़.वि.)-वह समकोण चतुर्भज जिसकी सब रेखाएँ बराबर हों, वर्गाकार, चौखूँटा, समकोण।
मुरब्बी (अ़.वि.)-पालन-पोषण करनेवाला, पालनेवाला, अभिभावक, सरपरस्त।
मुरमक्की (अ़.स्त्री.)-एक गोंद जो दवा में काम आता है।
मुरम्मम: (अ़.वि.)-संशोधित, संशुद्घ, तर्मीम किया हुआ।
मुरम्मम (अ़.वि.)-दे.-'मुरम्मम:Ó।
मुरम्मिम (अ़.वि.)-संशोधन करनेवाला, संशुद्घकर्ता, तर्मीम करनेवाला।
मुरव्व$क (अ़.वि.)-किसी वनस्पति के पत्तों आदि को पीसकर निकाला हुआ अऱ$क जिसे आग पर पकाकर उसकी हरियाली दूर कर दी गई हो।
मुरव्वज: (अ़.वि.)-प्रचलित, परम्परित, राइज, जिसका रिवाज या चलन हो।
मुरव्वज (अ़.वि.)-दे.-'मुरव्वज:Ó।
मुरव्वत (अ़.स्त्री.)-शील-संकोच, लिहाज़, शिष्टाचार; रिअ़ायत। इस शब्द का शुद्घ उच्चारण 'मुरुव्वतÓ है मगर उर्दू में 'मुरव्वतÓ ही प्रचलित है।
मुरव्वतकेश (अ़.$फा.वि.)-जिसमें मुरव्वत बहुत हो, जिसमें संकोच या शिष्टाचार बहुत हो।
मुरव्वतन (अ़.वि.)-मुरव्वत के ख़्ायाल से, शिष्टाचारवश, शील-संकोचवश, मुरव्वत में, मर्यादित।
मुरव्वतशिअ़ार (अ़.वि.)-जिसके स्वभाव में शील-संकोच हो।
मुरव्विज (अ़.वि.)-प्रचलन करनेवाला, रिवाज या परम्परा चलानेवाला, प्रचार करनेवाला, प्रचारक।
मुरव्विह (अ़.वि.)-आनन्द देनेवाला; रत्नजटित; सुगन्ध फैलानेवाला।
मुरस्साÓ (अ़.वि.)-जड़ाऊ, जटित; सुसज्जित; सभ्य, शिष्ट।
मुरस्साÓकार (अ़.$फा.वि.)-आभूषण आदि में नगीने और जवाहिर जडऩेवाला, जडिय़ा; नगीने जड़ा हुआ, रत्नजटित, जटित, खचित।
मुरस्साÓकारी (अ़.$फा.स्त्री.)-आभूषणों में नगीने आदि जडऩे का काम, नगीनाकारी।
मुरस्साÓ $गज़ल (अ़.$फा.स्त्री.)-सुसज्जिता $गज़ल, सम्पूर्ण अलंकृता $गज़ल।
मुरस्साÓ निगार (अ़.$फा.वि.)-सुलेखक, जिसकी लिखाई बहुत अच्छी हो, जो लिखने में नगीने से जड़ता हो; जड़ाऊ, जटित।
मुरस्साÓ निगारी (अ़.$फा.स्त्री.)-अच्छी लिखाई , ख़्ाुशख़्ात, ख़्ाुशनवीसी।
मुरस्साÓसाज़ (अ़.$फा.वि.)-दे.-'मुरस्साÓकार।
मुराअ़ात (अ़.स्त्री.)-कनखियों से देखना, कटाक्षपात; रक्षा, देख-रेख; शील-संकोच, लिहाज़, मुरव्वत, रिअ़ायत।
मुराअ़ातुन्नज़ीर (अ़.स्त्री.)-एक शब्दालंकार जिसमें एक चीज़ के वर्णन में उससे सम्बद्घ और चीज़ों को भी लाया जाए, जैसे-धनुष के साथ बाण, निषंग या प्रत्यंचा आदि का उल्लेख हो।
मुराई (अ़.वि.)-देख-रेख करनेवाला; शिष्टाचार निभाने-वाला; मुरव्वत करनेवाला, रिअ़ायत करनेवाला; चरवाहा, चरानेवाला, गड़रिया।
मुरा$कब: (अ़.पु.)-संसार से हटकर ईश्वर में ध्यान लगाना, समाधि, अवधान, योग-धारणा।
मुरा$िकब (अ़.वि.)-समाधि लगाए हुए, समाधिस्थ, मुरा$कबे में गया हुआ, अन्तर्लीन, ध्यानमग्न।
मुराख़्ात: ($फा.पु.)-आपस में उर्दू (रेख़्ता) भाषा का कलाम सुनाना, उर्दू शाइरी का पाठ, मुशाअऱा (मुशायरा), उर्दू भाषा का कवि-सम्मेलन।
मुरा$गबत (अ़.स्त्री.)-कामना, ख़्वाहिश, इच्छा, अभिलाषा; रुचि, रग़्बत।
मुराजअ़त (अ़.स्त्री.)-वापस आना, वापसी, प्रत्यागमन।
मुराज़अ़त (अ़.स्त्री.)-धायकर्म, दूसरे के बालक को दूध पिलाना।
मुराजेÓ (अ़.वि.)-लौटनेवाला, प्रत्यागामी, वापस आनेवाला।
मुराद (अ़.स्त्री.)-इच्छा, ख़्वाहिश, कामना, अभिलाषा, आजऱ्ू; मक़्सद, उद्देश्य, आशय; मन्नत, मानता।
मुरादिफ़ (अ़.वि.)-किसी के पीछे बैठनेवाला; वह शब्द जो किसी दूसरे शब्द का समानार्थक हो, पर्यायवाची।
मुरादि$फुलमाÓना (अ़.वि.)-समानार्थक, पर्यायवाची।
मुरादी (अ़.वि.)-मक़्सद के मुताबिक, आशय के अनुकूल; $िकयासी, काल्पनिक।
मुरादफ़अ़: (अ़.वि.)-अपील, पुनर्विचार-प्रार्थना, पुनन्र्याय-प्रार्थना।
मुराफ़क़त (अ़.स्त्री.)-सहचारिता, हमराही, साथी बटोही, साथ चलनेवाला; मैत्री, दोस्ती।
मुराफि़क़ (अ़.वि.)-सहचर, साथी; मित्र, दोस्त।
मुराफ़े (अ़.वि.)-न्याय-प्रार्थना करनेवाला, अपीलकर्ता, अपील करनेवाला, पुनर्वादी, पुनरावेदक।
मुराबहत (अ़.स्त्री.)-लाभ उठाकर किसी वस्तु को बेचना।
मुरासल: (अ़.पु.)-पत्र, चिट्ठी, ख़्ात।
मुरासलत (अ़.स्त्री.)-पत्र-व्यवहार, ख़्ातो-किताबत।
मुरासलात (अ़.पु.)-'मुरासलतÓ का बहु., आपसी पत्र-व्यवहार के का$गज़ात।
मुराहि$क (अ़.पु.)-किशोर, वह लड़का जो वयस्क या बालि$ग होने के निकट हो, अंकुरित-यौवन।
मुरीद (अ़.वि.)-शिष्य, चेला, धर्मगुरु का अनुयायी।
मुरीदी (अ़.स्त्री.)-मुरीद का पद; मुरीद का कार्य या कत्र्तव्य।
मुरुव्वत (अ़.स्त्री.)-शील-संकोच, लिहाज़, शिष्टाचार; रिअ़ायत; आदर, इज़्ज़त। शुद्घ उच्चारण यही है मगर उर्दू में 'मुरव्वतÓ अधिक प्रचलित है।
मुरूर (अ़.पु.)-जाना, गमन करना; व्यतीत होना, बीतना।
मुरूरे ऐयाम (अ़.पु.)-वक़्त गुजऱना, समय बीतना।
मुर्ग़ ($फा.पु.)-पखेरू, पक्षी, खग, विहग, शकुंत, अंडज, चिडिय़ा; कुक्कुट, मु$र्गा।
मुर्ग़अंदाज़ ($फा.पु.)-वह निवाला (कौर) जिसे बिना चबाए निगल लिया जाए; गड़पने की क्रिया।
मुर्ग़बाज़ (अ़.$फा.वि.)-जो शर्त लगाकर मुगऱ्ों को लड़ाता है, जो मुगऱ्ों की पाली बदकर उन्हें लड़ाता है।
मुर्ग़बाज़ी (अ़.$फा.स्त्री.)-मुगऱ्ों की पाली, मुगऱ्े लड़ाना।
मुगऱ्े आतशख़्वार ($फा.पु.)-आग खानेवाली चिडिय़ा; चकोर; समंदर।
मुगऱ्े $क$फस ($फा.पु.)-वह चिडिय़ा जो पिंजरे में बन्द हो, पिंजरे की चिडिय़ा।
मुगऱ्े $िकब्ल:नुमा (अ़.$फा.पु.)-कुतुबनुमा की सुई, दिशा-सूचक यंत्र की सुई।
मुगऱ्े गिरिफ़्तार ($फा.पु.)-वह चिडिय़ा जिसके पाँव में डोरा बँधा हो अथवा जो पिंजरे में कै़द हो, कै़दी चिडिय़ा।
मुर्गे़ दस्तआमोज़ ($फा.वि.)-वह चिडिय़ा जो हाथ पर सधाई जाती है।
मुर्गे़ नाम:बर ($फा.पु.)-चिट्ठी अथवा पत्र ले जानेवाली चिडिय़ा; कबूतर; हुदहुद।
मुर्गे़ शान:सर ($फा.पु.)-सिर पर कलंगी रखनेवाली चिडिय़ा, मुगऱ्ा, हुदहुद।
मुर्गे सहर (अ़.$फा.पु.)-सवेरे बोलनेवाली चिडिय़ा, कुक्कुट, मुगऱ्ा; बुलबुल।
मुजि़अ़: (अ़.स्त्री.)-दूध पिलानेवाली स्त्री, धाय, धात्री।
मुर्तइश (अ़.वि.)-स्पन्दित, कम्पायमान, हिलता हुआ।
मुर्तकिब (अ़.वि.)-पाप या अपराध करनेवाला, पापी या दोषी।
मुर्तज़वी (अ़.वि.)-मुर्तज़ा अर्थात् हज्ऱत अ़ली से सम्बन्धित; हज्ऱत अ़ली का।
मुर्तज़ा (अ़.वि.)-हज्ऱत अ़ली की एक उपाधि, हज्ऱत अ़ली; रोचक, मनोवाँछित, पसन्दीद:।
मुर्तद [द्द] (अ़.वि.)-धर्म बदलनेवाला, जो अपना धर्म छोड़कर दूसरे के धर्म को अपना ले, धर्मान्तरित, विधर्मी।
मुर्तफ़ेÓ (अ़.वि.)-उच्च, उतंग, ऊँचा, बुलन्द।
मुर्तशी (अ़.वि.)-रिश्वत लेनेवाला, उत्कोचक।
मुर्तसम (अ़.वि.)-अंकित, चित्रित, नक़्श, छपा हुआ।
मुर्तसिम (अ़.वि.)-अंकित या चित्रित को स्वीकार करने-वाला, नक़्श $कबूल करनेवाला।
मुर्ताज़ (अ़.वि.)-तपस्या करनेवाला, तपस्वी, आराधना करनेवाला, इबादत करनेवाला; कामदेव को वश में रखने-वाला, इन्द्रिय-निग्रही, नफ़्शकुश।
मुर्द: ($फा.पु.)-हिन्दी में 'मुर्दाÓ प्रचलित, मृत, निष्प्राण, मरा हुआ; मृतक, मरा हुआ आदमी या अन्य प्राणी; शव, लाश; दुर्बल, अशक्त, कमज़ोर, मरियल; बहुत अधिक बूढ़ा; बुझी हुई आग या चिरा$ग; खिन्न, अफ़्सुर्द:, उदास।
मुर्द:ख़्ाोर ($फा.वि.)-मुर्दारख़्वार, मरे हुए जीव को खाने-वाला, शवभक्षी, मुर्दे को खाने-वाला, मृताशी, मृतभोजी।
मुर्द:दिल ($फा.वि.)-हतमानस, हतचित्त, मृतहृदय, जिसका मन बहुत ही उचाट और नीरस हो।
मुर्द:दिली ($फा.स्त्री.)-मन का उचाट, खिन्न अथवा मलिन होना।
मुर्द:शो ($फा.वि.)-मुर्दे को नहलानेवाला, मृतक शरीर को स्नान करानेवाला, मृतस्नापक।
मुर्द:संग ($फा.पु.)-मुर्दसंख, मुर्दासंख, लघुतिक्त, एक पत्थर जो दवा में काम आता है।
मुर्दगाँ ($फा.पु.)-'मुर्द:Ó का बहु., मृतकजन, मरे हुए लोग।
मुर्दनी ($फा.वि.)-मृत्यु के चिह्नï जो मरते समय मनुष्य के मुख पर प्रकट होते हैं; मृत्यु, मरण, मौत; उदासी, खिन्नता।
मुर्दाद ($फा.पु.)-ईरानी पाँचवाँ महीना, जो के भादों मास से मिलता है।
मुर्दार ($फा.वि.)-वह पशु जो अपनी मौत से मर गया हो, मृत पशु; अपवित्र, नापाक; मृतक, निष्प्राण (पशु आदि); दुष्चरित्रा, कुलटा, व्यभिचारिणी, $फाहिशा; एक तिरस्कारपूर्ण शब्द जो क्रोध के समय स्त्री से बोला जाता है, स्त्री के लिए गाली -'मरीÓ।
मुर्दारख़्वार ($फा.वि.)-शवभक्षी, मरे हुए जीव को खाने-वाला, मृताशी, मृतभोजी।
मुर्दारसंग ($फा.पु.)-पत्थर-जैसा एक पदार्थ जो दवा में काम आता है, मुर्दासंख, लघुतिक्त।
मुर्शिद (अ़.वि.)-धर्म-गुरु, पीर; (व्यंग में) धूर्त, वंचक, चालाक।
मुर्शिदजाद: (अ़.$फा.पु.)-पीर का बेटा, धर्म-गुरु का पुत्र।
मुर्शिदे कामिल (अ़.$फा.पु.)-महायोगी, पहुँचा हुआ पीर, बहुत बड़ा वली।
मुर्सल: (अ़.वि.)-प्रेषित, भेजी हुई चीज़।
मुर्सल (अ़.वि.)-भेजा हुआ; वह पै$गम्बर जिस पर कोई इलहामी किताब उतरी या अवतरित हुई हो, वह योगी, महात्मा या ईश-दूत जिसमें देववाणी प्रकट हुई हो।
मुर्सलइलैह (अ़.वि.)-जिसको भेजा जाए, जिसको कोई वस्तु भेजी गई हो।
मुर्सलीन (अ़.पु.)-'मुर्सलÓ का बहु., वह रसूल अथवा पै$गम्बर जिन पर दिव्य-ग्रन्थ उतरे हों अर्थात् देववाणी अवतरित हुई हो।
मुर्सिल (अ़.वि.)-प्रेषण करनेवाला, प्रेषक, भेजनेवाला।
मुल ($फा.स्त्री.)-मद्य, मदिरा, सुरा, शराब।
मुलक़्क़ब (अ़.वि.)-उपाधि से अलंकृत, उपाधित, पदप्रदत्त।
मुलख़्ख़्ास (अ़.वि.)-संक्षिप्त; सार, तत्त्व।
मुलजि़्जज़़ (अ़.वि.)-आनन्द देनेवाला, संभोगानन्दवद्र्घक; वह दवा जो लिंगेन्द्रिय पर लगा लेने पर सहवास का आनन्द बढ़ा दे।
मुलत्तिफ़ (अ़.वि.)-वह दवा जो दूषित धातुओं को पतला कर दे।
मुलम्माÓ (अ़.पु.)-गिलिट किया हुआ; चाँदी या सोने का पानी चढ़ाया हुआ; क़लई।
मुलम्माÓकार (अ़.$फा.वि.)-मुलम्मों अर्थात् $कलई का काम करनेवाला; दो$गला; जिसके मुँह पर कुछ हो और पेट में कुछ, चापलूस, चाटुकार।
मुलम्माÓकारी (अ़.$फा.स्त्री.)-मुलम्मे या $कलई का काम करना; चाटुकारी, चापलूसी।
मुलम्माÓगर (अ़.$फा.वि.)-मुलम्मे या $कलई का काम करने-वाला।
मुलम्माÓसाज़ (अ़.$फा.वि.)-दे.-'मुलम्माÓगरÓ।
मुलम्माÓसाज़ी (अ़.$फा.स्त्री.)-मुलम्मे या $कलई का काम करना।
मुलय्यिन (अ़.वि.)-नर्मी पैदा करनेवाला; वह दवा जो पेट को नर्म करके आसानी से पाख़्ााना लाए, हलकी रेचक दवा।
मुलव्वन (अ़.वि.)-रंग किया हुआ, रँगा हुआ, रंजित; रंग-बिरंगा, चित्र-विचित्र।
मुलव्वस (अ़.वि.)-सना हुआ, लिथड़ा हुआ; किसी पाप या अपराध में लिप्त या भागीदार।
मुलव्विन (अ़.वि.)-रँगनेवाला, रंजक, रंगरेज़।
मुलाअ़बत (अ़.स्त्री.)-क्रीड़ा, खेल-कूद; आमोद-प्रमोद, मनोविनोद, तफ्ऱीह; चूमा-चाटी, प्यार का खेल।
मुलाअ़मत (अ़.स्त्री.)-नर्मी, कोमलता; दो चीज़ों को इकट्ठा करना; दे.-'मुलायमतÓ।
मुलाइब (अ़.वि.)-खेलनेवाला, क्रीड़ा करनेवाला।
मुलाइम (अ़.वि.)-नाज़ुक, मृदुल; नर्म, कोमल; सूक्ष्म, लतीफ़; धीमा, ठण्डा; मधुर, शीरीं। 'मुलायमÓ भी प्रचलित है मगर शुद्घ यही है।
मुलाक़ात (अ़.स्त्री.)-भेंट, साक्षात्कार, एक-दूसरे से मिलना; जान-पहचान, परिचय; मेल-मिलाप, प्रेम-व्यवहार, दोस्ती, मैत्री; संभोग, सहवास, हमबिस्तरी।
मुलाक़ाती (अ़.वि.)-मुला$कात करनेवाला, मेल-जोल का व्यक्ति, मित्र, दोस्त, परिचित, रिश्तेदार; जो प्राय: मिलने आता रहता हो।
मुला$काते बाज़दीद (अ़.$फा.स्त्री.)-प्रतिभेंट, किसी के मिलने आने पर उसके घर मिलने जाना।
मुला$की (अ़.वि.)-मिलनेवाला, संयुक्त; मुला$काती, मित्र, दोस्त।
मुलाज़मत (अ़.स्त्री.)-किसी के पास बराबर रहना; सेवा, नौकरी; बड़े व्यक्ति से भेंट या मुला$कात।
मुलाज़मतपेश: (अ़.$फा.वि.)-जिसकी रोटी-रोटी का साधन नौकरी हो, जिसकी गुजऱ-बसर का सहारा नौकरी हो, जो नौकरी करके अपना जीवन यापन करता हो, नौकरीपेशा।
मुलाजि़म: (अ़.स्त्री.)-नौकरानी, दासी, परिचारिका।
मुलाजि़म (अ़.पु.)-सेवक, नौकर; दास, ख़्िादमतगार।
मुलात$फ: (अ़.पु.)-अनुग्रह, कृपा, दया; विनीति, ख़्ााकसारी, नम्रता; नरमी, कोमलता; कृपापात्र, इनायतनामा।
मुलात$फत (अ़.स्त्री.)-अनुकम्पा, कृपा, दया, अनुग्रह; नम्रता, अ़ाजिज़ी, विनम्रता; कोमलता, नरमी।
मुलाबसत (अ़.स्त्री.)-समानता, एकरूपता, एक-दूसरे के सदृश होना।
मुलायमत (अ़.स्त्री.)-नरमी, कोमलता; दो चीज़ों को एक जगह करना।
मुलाहज़: (अ़.पु.)-देखना, $गौर करना, चिन्तन करना, मनन करना; अनुशीलन, लिहाज़; सम्मुख, सामने।
मुलूक (अ़.पु.)-'मलिकÓ का बहु., अनेक नृप अथवा राजा, बादशाह लोग।
मुलूकान: (अ़.$फा.वि.)-राजाओं-जैसा, बादशाहों-जैसा, शाही।
मुलैयिन (अ़.वि.)-दे.-'मुलय्यिनÓ।
मुल्क (अ़.पु.)-देश; राष्ट्र, सल्तनत; जन्मभूमि, वतन; क्षेत्र, इला$का।
मुल्कगीरी (अ़.$फा.स्त्री.)-दूसरे देशों को जीतना, दूसरे देशों को अपने अधीन करना।
मुल्करानी (अ़.$फा.स्त्री.)-राज करना, शासन करना, हुकूमत करना।
मुल्कसितानी (अ़.$फा.स्त्री.)-दे.-'मुल्कगीरीÓ।
मुल्की (अ़.वि.)-देशीय, देश का; देशवासी, देश का रहनेवाला।
मुल्के अ़दम (अ़.पु.)-यमलोक, परलोक, जहाँ मरने के बाद जाते हैं।
मुल्के ख़्ामोशाँ (अ़.$फा.पु.)-मुर्दों का देश, श्मशान-भूमि, $कब्रिस्तान।
मुल्के $फना (अ़.पु.)-नाशवान् संसार, नश्वर जगत्, दुनिया।
मुल्के ब$का (अ़.पु.)-वह जगत् जहाँ हमेशा रहना है, परलोक।
मुल्ज़म: (अ़.स्त्री.)-अपराध करनेवाली स्त्री, अपराधिनी, जुर्म करनेवाली, $कुसूरवार महिला।
मुल्ज़म (अ़.पु.)-$कुसूरवार, अपराधी, जिस पर अपराध लगाया गया हो।
मुल्जि़म (अ़.वि.)-इल्ज़ाम या अपराध लगानेवाला; आरोप लगानेवाला, आरोपी; किसी चीज़ को अपने ऊपर लाजि़म करनेवाला।
मुल्त$कत (अ़.वि.)-उठाया हुआ, बीना हुआ; चुना हुआ, छाँटा हुआ; र$फू किया हुआ।
मुल्त$िकत (अ़.वि.)-उठानेवाला, बीननेवाला; चुननेवाला, छाँटनेवाला; र$फू करनेवाला।
मुल्तजि़म (अ़.वि.)-अपने ऊपर लाजि़म या ज़रूरी करनेवाला, अपने ऊपर थोंपनेवाला, अपने लिए अनिवार्य करनेवाला।
मुल्तजी (अ़.वि.)-प्रार्थी, प्रार्थना करनेवाला, निवेदक, किसी कार्य के लिए निवेदन करनेवाला; कहनेवाला, अर्ज़़ करने-वाला; इच्छुक, ख़्वाहिशमंद।
मुल्त$िफत (अ़.वि.)-प्रवृत्त, आकृष्ट।
मुल्तबस (अ़.वि.)-गुप्त, जो छिपाया गया हो; जिस पर शक या संदेह किया गया हो, संदेहशील, शंकित।
मुल्तमिस (अ़.वि.)-प्रार्थी, प्रार्थना करनेवाला, निवेदक, किसी कार्य के लिए निवेदन करनेवाला; कहनेवाला, अर्ज़़ करने-वाला।
मुल्तवी (अ़.वि.)-रुकनेवाला, रुका हुआ, स्थगित।
मुल्तहब (अ़.वि.)-भड़का हुआ।
मुल्तहम (अ़.वि.)-भरा हुआ घाव, वह ज़ख़्म जो अच्छा हो गया हो।
मुल्तहिब (अ़.वि.)-लपटें देनेवाली आग, वह अग्नि जिसमें से लपटें निकल रही हों, लपट, ज्वाला।
मुल्तहिम: (अ़.स्त्री.)-आँख का एक पर्दा, चक्षु:पटल।
मुल्ला (अ़.पु.)-मौलवी, $फाजि़ल; मस्जिद में अज़ान देने-वाला; मक्तब में छोटे बच्चों को पढ़ानेवाला अर्थात् प्राथमिक शिक्षक।
मुल्लाए मक्तबी (अ़.पु.)-मक्तब में छोटे-छोटे बच्चों को पढ़ानेवाला अर्थात् कम इल्म यानी प्राथमिक शिक्षक।
मुल्ह$क (अ़.वि.)-चिपका हुआ, जुड़ा हुआ; मिला हुआ, सम्बद्घ।
मुल्हि$क (अ़.वि.)-जुडऩेवाला, सम्बद्घ होनेवाला; मिलने-वाला; वह चीज़ जो किसी चीज़ के आख़्िार में जोड़ दी जाए।
मुल्हि$कात (अ़.पु.)-'मुल्हि$कÓ का बहु., आख़्ाीर में जोड़ी हुई चीजें़।
मुल्हिद (अ़.वि.)-अनीश्वरवादी, ईश्वर में आस्था न रखने-वाला, भगवान् के अस्तित्व को न माननेवाला, नास्तिक, विधर्मी।
मुल्हिदान: (अ़.वि.)-मुल्हिदों-जैसा, नास्तिकों-जैसा, धर्म के विरुद्घ, विधर्मियों-जैसा।
मुल्हिम (अ़.वि.)-मन अर्थात् हृदय में बात डालनेवाला; वह दैवी-शक्ति जो मन को सचेत करती है, अन्तरात्मा, कांशेंस।
मुल्हिमेगै़ब (अ़.पु.)-मन में गै़ब की बात डालने-बोलने वाला, हृदय में परोक्ष की बात डालनेवाला, भविष्य की बात से सूचित करनेवाला, भविष्यवक्ता।
मुवक़्कऱ (अ़.वि.)-सम्मानित, प्रतिष्ठित, मान्य, मुअ़ज़्जज़़।
मुवक्किल (अ़.पु.)-देवता, प्रत्येक कार्य के लिए नियुक्त देवदूत अथवा $फरिश्ता; अधिवक्ता अर्थात् वकील का असामी, जो अपना मु$कदमा वकील को देता है; वह आत्मा जिसे ओझा वश में करता है, वह रूह अ़ामिल (भूत-प्रेत अथवा जिन को उतारने या वश में करनेवाला) वश में करता है।
मुवज्जल (अ़.वि.)-वह मेह्रï जो तुरन्त अदा न किया जाए, वह वैवाहिक दाय जिसका भुगतान तुरन्त न हो।
मुवज्जह (अ़.वि.)-उचित, मुनासिब, वाजिब; यथार्थ, ठीक; तर्क-संगत, प्रमाणित।
मुवद्दत (अ़.स्त्री.)-दे.-'मवद्दतÓ, वही शुद्घ उच्चारण है, यह उच्चारण बिलकुल $गलत और अशुद्घ है।
मुवस्सा (अ़.वि.)-जिसे अथवा जिसके नाम वसीयत की गई हो।
मुवस्सी (अ़.वि.)-वसीयत करनेवाला, अनुदेशकर्ता, रिक्थ पत्रकर्ता, उत्तर-साधक।
मुवह्हिद [मुवहिद] (अ़.वि.)-ईश्वर को एक माननेवाला, एकेश्वरवादी; एक सम्प्रदाय जो केवल ईश्वर को मानता है, उसके अवतारों और किताबों आदि को नहीं मानता।
मुवह्हिदान: (अ़.$फा.वि.)-मुवह्हिदों-जैसा, एकेश्वरवादियों की तरह।
मुवह्हिश (अ़.वि.)-भगानेवाला।
मुवाख़्ाज़: (अ़.पु.)-पकड़; भूल या अपराध में पकड़; बदला, प्रतिकार; दे.-'मुआख़्ाज़:Ó, शुद्घ उच्चारण वही है।
मुवाख़्ाात (अ़.स्त्री.)-बन्धुत्व, भाईचारा, दे.-'मुआख़्ाातÓ, शुद्घ उच्चारण वही है।
मुवाजऩ: (अ़.पु.)-तुलना, समानता, सदृशता, बराबरी, दे.-'मुआजऩ:Ó, शुद्घ उच्चारण वही है।
मुवाज़बत (अ़.स्त्री.)-कार्य में व्यस्त करना, काम में लगा रहना, किसी कार्य को नित्य-प्रति करते रहना।
मुवाजऱत (अ़.स्त्री.)-मंत्री का पद ग्रहण करना, मंत्री बनना, मंत्री का काम करना, वज़ीरी, मंत्रित्व।
मुवाजह: (अ़.पु.)-प्रत्यक्ष होना, सम्मुख होना, आमने-सामने होना।
मुवाज़ात (अ़.स्त्री.)-सदृशता, समानता, मु$काबला, बराबरी।
मुवाज़ी (अ़.वि.)-बराबर, मु$काबिल, बराबर-बराबर, सदृश, समान।
मुवातात (अ़.स्त्री.)-समानता, बराबरी, मुआ$फ$कत।
मुवादअ़त (अ़.स्त्री.)-एक-दूसरे से विदा होना; विदा करना।
मुवानसत (अ़.स्त्री.)-दे.-'मुआसनतÓ, वही शुद्घ उच्चारण है, परस्पर मैत्री, दोस्ती, मित्रता।
मुवा$फ$कत (अ़.स्त्री.)-समानता, बराबरी; अनुकूलता; मैत्री, दोस्ती; दे.-'मुआ$फ$कतÓ, वही शुद्घ उच्चारण है।
मुवा$िफ$क (अ़.वि.)-अनुकूल; बराबर, समान; मित्र, दोस्त; दे.-'मुआ$िफ$कÓ, वही शुद्घ उच्चारण है।
मुवामरत (अ़.स्त्री.)-परस्पर सलाह-मशविरा, आपस में विचार-विनिमय, परामर्श, दे.-'मुआमरतÓ, वही शुद्घ उच्चारण है।
मुवाला (अ़.पु.)-'मुवालातÓ का लघु., दे.-'मुवालातÓ।
मुवालात (अ़.स्त्री.)-आपस में मित्रता या दोस्ती, परस्पर मैत्री; परस्पर सहयोग; दे.-'मुआलातÓ, दोनों शुद्घ हैं।
मुवासलत (अ़.स्त्री.)-मेल-मिलाप, भेंट, मुला$कात; संभोग, सहवास, हमबिस्तरी।
मुवासा (अ़.पु.)-सहायता, मदद; सहानुभूति; शील; दे.-'मुआसाÓ, शुद्घ उच्चारण वही है।
मुवासात (अ़.स्त्री.)-सहायता, मदद; सहानुभूति; शील; दे.-'मुआसातÓ, शुद्घ उच्चारण वही है।
मुवाहनत (अ़.स्त्री.)-सुस्ती, आलस्य, काहिली।
मुवाहबत (अ़.स्त्री.)-दान, प्रदान, बख़्िशश।
मुवाहिन (अ़.वि.)-सुस्त, आलसी, काहिल।
मुवाहिब (अ़.वि.)-दान देनेवाला, प्रदाता, बख़्िशश करने-वाला।
मुशंग ($फा.पु.)-दस्यु, डाकू, लुटेरा; एक अनाज।
मुशक्कल (अ़.वि.)-साकार, साक्षात्, किसी विशेष शक्ल या आकार में आया हुआ, किसी विशेष रूप में आया हुआ।
मुशख़्ख़्ास (अ़.वि.)-जाँचा हुआ, परखा हुआ, परीक्षित; अनुमानित, अंदाज़ा किया हुआ; उपचारित, रोग-निदान किया हुआ।
मुशज्जर (अ़.वि.)-बेल-बूटे बना हुआ; बेल-बूटेदार एक प्रकार का कपड़ा; एक पत्थर जिस पर प्राय: पेड़-पौधों के चित्र बने होते हैं।
मुशत्तत (अ़.वि.)-परागंद:, अस्त-व्यस्त; चिंतित, $िफक्रमंद; उद्विग्न, परेशान।
मुशद्दद (अ़.वि.)-द्वित्व-वर्ण, वह अक्षर जिस पर तश्दीद हो, जो दो-बार पढ़ा जाए; पुनरावृत्त।
मुशब्बक (अ़.वि.)-जालीदार, जिसमें बहुत-से छेद हों, छिद्रान्वित।
मुशब्बह (अ़.पु.)-उपमेय, वह वस्तु जिसे किसी दूसरी वस्तु से उपमा दी जाए, जैसे-'मुखÓ की उपमा चाँद से दी जाए तो मुख 'मुशब्बहÓ अर्थात् उपमेय है।
मुशब्बहबिही (अ़.पु.)-उपमान, वह वस्तु जिससे किसी वस्तु की उपमा की जाए; उपमित, जैसे-मुख की उपमा चाँद से दी तो 'चाँदÓ मुशब्बहबिही अर्थात् उपमान है।
मुशब्बेह (अ़.वि.)-उपमा देनेवाला।
मुशय्यन (अ़.वि.)-रूपवान्, सुन्दर; शानदार; रोब-दाब वाला।
मुशर्र$फ (अ़.वि.)-जिसे मान-सम्मान मिला हो, प्रतिष्ठित, सम्मानित, इज़्ज़तदार।
मुशर्रह (अ़.वि.)-जिसकी व्याख्या की गई हो, व्याख्यात, विस्तृत, भाष्य।
मुशर्रेह (अ़.वि.)-व्याख्याता, व्याख्या करनेवाला, भाष्यकार।
मुशव्वश (अ़.वि.)-उद्विग्न, परेशान, घबराया हुआ।
मुशव्वा (अ़.वि.)-भृष्ट, भूना हुआ।
मुशव्विश (अ़.वि.)-उद्विग्न या परेशान करनेवाला, घबराहट पैदा करनेवाला।
मुशश्दर ($फा.वि.)-चकित, निस्तब्ध, शश्दर।
मुशह्हर (अ़.वि.)-जिसकी प्रसिद्घी हो, जो बहुत प्रसिद्घ हो, सुप्रसिद्घ, विख्यात; जिसकी शोह्रत हो, कीर्तिवान्, यशस्वी, नेकनाम।
मुशह्ही (अ़.वि.)-भूख लगानेवाली दवा।
मुशाअऱ: (अ़.पु.)-अनेक कवियों का एक स्थान पर बैठ-कर परस्पर कविता सुनाना, काव्य-गोष्ठी; कवि-सम्मेलन, अनेक श्रोताओं के समक्ष काव्य-पाठ करना अर्थात् कविता सुनाना।
मुशाकलत (अ़.स्त्री.)-सहरूपता, सदृशता, एकरूपता, एक-जैसी आकृति होना, एक-जैसी शक्ल होना।
मुशाकिल (अ़.वि.)-सदृश, समान, सहरूप, हमशक्ल, एक-जैसे रूप और आकृतिवाले। दे.-'बह्रïे मुशाकिलÓ।
मुशाजर: (अ़.पु.)-दे.-'मुशाजरतÓ।
मुशाजरत (अ़.स्त्री.)-प्रतिकूलता, मुख़्ााल$फत, विरोध।
मुशातमत (अ़.स्त्री.)-आपस में गालियाँ देना, एक-दूसरे से गाली-गलौज करना।
मुशा$फह: (अ़.पु.)-सम्मुखता, आमना-सामना।
मुशाÓबद (अ़.वि.)-जिस चीज़ का शोबदा दिखाया जाए, जिस चीज़ का जादू दिखाया जाए।
मुशाबहत (अ़.वि.)-सदृशता, समानता, बराबरी; एकरूपता, हमशक्ली।
मुशाÓबिद (अ़.वि.)-जादूगर, बाज़ीगर, मायावी; लीलाकार, कौतुकी; छली, $िफरेबी।
मुशाबेह (अ़.वि.)-सदृश, समान, एकरूप, हमशक्ल; तुल्य, बराबर।
मुशायअ़त (अ़.स्त्री.)-किसी की विदाई के समय थोड़ी दूर उसके साथ चलना; जनाज़े या शवयात्रा में साथ जाना।
मुशार (अ़.वि.)-जिसकी ओर संकेत या इशारा किया जाए, संकेतित।
मुशारकत (अ़.स्त्री.)-भागीदारी, साझापन, शिर्कत।
मुशारुन इलैह (अ़.वि.)-जिसकी ओर संकेत या इशारा किया जाए, उक्त, कथित, उपलक्षित, सलाह, परामर्श।
मुशावरत (अ़.स्त्री.)-परस्पर परामर्श और विचार-विनिमय करना; विचार-विमर्श, परामर्श, मश्वुर:।
मुशाविर (अ़.वि.)-सलाह करनेवाला, परामशकर्ता, मश्वुर: करनेवाला।
मुशाÓशा (अ़.वि.)-दीप्त, ज्योतिर्मय, रौशन।
मुशाहद: (अ़.पु.)-दर्शन, निरीक्षण, देखना; अनुभव, तज्रिबा।
मुशाहदात (अ़.पु.)-मुशाहद:Ó का बहु., देखी हुई वस्तुएँ, अनुभव, तज्रिबात।
मुशाहर: (अ़.पु.)-मासिक वेतन, महावारी तनख़्वाह।
मुशाहिद (अ़.पु.)-मुशाहदा अर्थात् निरीक्षण करनेवाला; देनेवाला, दानी; किसी कार्य-विशेष की देख-रेख करने और उसके सम्बन्ध में गवाही देनेवाला व्यक्ति, पर्यवेक्षक।
मुशाहिदीन (अ़.पु.)-'मुशाहिदÓ का बहु., पर्यवेक्षकों की टीम या टोली, पर्यवेक्षक-समूह, निरीक्षण करनेवालों की जमाअ़त, निरीक्षक-वर्ग।
मुशीर (अ़.वि.)-सलाहकार, परामर्शदाता, मश्वुर: देने-वाला।
मुशैयन (अ़.वि.)-दे.-'मुशय्यनÓ।
मुश्क ($फा.पु.)-कस्तूरी, कस्तूरिका, सुगन्ध, मिश्क।
मुश्कअफ़्शाँ ($फा.वि.)-मुश्क छिड़कनेवाला अर्थात् बहुत सुगन्धित।
मुश्कआहू ($फा.पु.)-कस्तूरी-मृग, वह हिरन जिसकी नाभि से कस्तूरी निकलती है, पुष्कलक।
मुश्कना$फ: ($फा.पु.)-कस्तूरी की थैली अर्थात् मृग-नाभि।
मुश्कपाश ($फा.वि.)-दे.-'मुश्कबारÓ।
मुश्क$फाम ($फा.वि.)-कृष्ण-वर्ण, श्याम-रंग का, काले रंग का।
मुश्क$िफशाँ ($फा.वि.)-दे.-'मुश्कअफ़्शाँÓ।
मुश्कबार ($फा.वि.)-सुगन्ध की वर्षा करनेवाला, सुगन्ध बरसानेवाला, कस्तूरी-जैसी सुगन्ध फैलानेवाला अर्थात् बहुत ख़्ाुशबूदार, सुगन्धवर्धक।
मुश्कबू ($फा.वि.)-कस्तूरी-जैसी सुगन्ध रखनेवाला, अत्यन्त ख़्ाुशबूदार।
मुश्कबेज़ ($फा.वि.)-दे.-'मुश्कबारÓ।
मुश्कबेद ($फा.पु.)-बेद अर्थात् बैंत की एक प्रजाति जो बहुत ख़्ाुशबूदार होती है और जिसके पत्तों का रस यानी अऱ$क 'बेदमुश्कÓ कहलाता है।
मुश्करंग ($फा.वि.)-कस्तूरी-जैसे रंग का।
मुश्कसा ($फा.वि.)-मुश्क-जैसा, कस्तूरी-जैसा सुगन्धित।
मुश्कसार ($फा.वि.)-दे.-'मुश्कसाÓ।
मुश्$काब (तु.स्त्री.)-बड़ी तश्तरी, थाल, खाने का पात्र, बड़ी परात, बड़ी रिकाबी, $काब, बुश$काब।
मुश्किल (अ़.स्त्री.)-कठिनता, कठिनाई; जटिलता, पेचीदगी; गूढ़ता, द$की$कपन; सूक्ष्मता, बारीकी (वि.)-गूढ़, द$की$क; कठिन, दुष्कर; सूक्ष्म, बारीक; जटिल, पेचीदा।
मुश्कीं ($फा.वि.)-कस्तूरी-जैसा श्यामवर्णी, मुश्क-जैसा काला-सियाह; मुश्क अर्थात् कस्तूरी-जैसा सुगन्धित।
मुश्कींइज़ार (अ़.$फा.वि.)-जिसके कपोल अर्थात् गाल पर काला तिल हो।
मुश्कींकमंद ($फा.वि.)-काले और सुगन्धित केशों अर्थात् बालोंवाला (वाली)।
मुश्कींकुलाह ($फा.वि.)-काली पगड़ी बाँधनेवाला, काली टोपी पहननेवाला।
मुश्कींख़्ात ($फा.वि.)-सब्ज़:आगाज़ अर्थात् अंकुरित यौवन, किशोर; वह सुन्दर लड़का जिसकी मूँछ-दाढ़ी के बाल निकलने शुरू हो गए हों।
मुश्कींमू ($फा.वि.)-काले और सुगन्धित केश-राशि अर्थात् बालोंवाला (वाली)।
मुश्कींमोह्र: ($फा.वि.)-धरा, भूतल, धरती, पृथ्वी, ज़मीन।
मुश्कींरंग ($फा.वि.)-मुश्क अर्थात् कस्तूरी के रंग का, काला, श्याम-वर्ण।
मुश्कींसमंद ($फा.वि.)-काले घोड़े पर चढऩेवाला।
मुश्की ($फा.वि.)-कस्तूरी या मुश्क-जैसा काला; काले रंग का घोड़ा।
मुश्के अज़्फऱ (अ़.$फा.पु.)-तीव्र सुगन्धवाली कस्तूरी, तेज़ बूवाला मुश्क।
मुश्के ख़्ाता ($फा.पु.)-दे.-'मुश्केचींÓ।
मुश्के ख़्ाुतन ($फा.पु.)-चीन या तिब्बत की कस्तूरी (मुश्क) जो सबसे अच्छी मानी जाती है।
मुश्केचीं ($फा.पु.)-चीन की कस्तूरी, ख़्ाालिस मुश्क।
मुश्के तर ($फा.पु.)-ताज़ी और निर्मल कस्तूरी।
मुश्के नाब ($फा.पु.)-विशुद्घ और बिना मिलावट की कस्तूरी।
मुश्के सारा ($फा.पु.)-विशुद्घ कस्तूरी, ख़्ाालिस मुश्क।
मुश्कोए ($फा.पु.)-अंत:पुर, जऩानख़्ााना, हरमसरा, रनवास; वाटिका, गृह उद्यान, पाईं बा$ग; बड़े लोगों का निवास-स्थान, प्रासाद, महल।
मुश्कोए मुअ़ल्ला (अ़.$फा.पु.)-राजसी अंत:पुर, रनवास, शाही जऩानख़्ााना।
मुश्त ($फा.स्त्री.)-मुट्ठी, मुष्टिका; घूंसा, मुष्टी; मुट्ठी-भर चीज़।
मुश्तइल (अ़.$फा.वि.)-उत्तेजित, क्रोधित, क्रोध या $गुस्से में आया हुआ, उत्तेजना से ग्रस्त; प्रज्वलित, भड़कता हुआ, भड़का हुआ।
मुश्तक़ [क़्क़] (अ़.पु.)-वह शब्द जो किसी दूसरे शब्द से बना हो; वह शब्द जो मस्दर अर्थात् उत्पत्ति-स्थल से निकलता हो; वह शब्द जो किसी धातु-रूप से निकलता हो।
मुश्त$िगल (अ़.$वि.)-लीन, तल्लीन, तन्मय, संलग्न।
मुश्तजऩ ($फा.वि.)-पहलवान, मल्ल; हस्त-मैथुन करने-वाला।
मुश्तजऩी ($फा.स्त्री.)-पहलवानी; हस्तमैथुन, हथलस।
मुश्तपर ($फा.पु.)-एक मुट्ठी पर; बहुत जऱा-सी जानवाला नन्हा पक्षी।
मुश्तबेह (अ़.$वि.)-भ्रमित करनेवाला, संदेह में डालनेवाला।
मुश्तब्ह (अ़.$वि.)-संदेहयुक्त, संदिग्ध; जिस पर पूरी तरह विश्वास न किया जा सके, अविश्वसनीय, अनिश्चित।
मुश्तमाल ($फा.वि.)-मसलना, मलना-दलना; पहलवानों का एक-दूसरे के शरीर को ज़ोर-ज़ोर से मलना ताकि पुष्टता और कठोरता आए।
मुश्तमाली ($फा.स्त्री.)-दे.-'मुश्तमालÓ।
मुश्तमिल (अ़.$वि.)-सम्मिलित, शामिल; व्यापक, हावी।
मुश्तरक: (अ़.$वि.)-साझे का, मिला हुआ।
मुश्तरक (अ़.$वि.)-दे.-'मुश्तरक:Ó।
मुश्तरकन (अ़.वि.)-साझे में।
मुश्तरी (अ़.$वि.)-ख़्ारीदनेवाला, ख़्ारीदार, क्रेता; बृहस्पति।
मुश्तवार: ($फा.पु.)-मुट्ठी-भर, मुट्ठी-भर गेहूँ या जौ की बालें।
मुश्तरस ($फा.वि.)-चुराई हुई चीज़; मुट्ठी में आई हुई वस्तु; मुट्ठी-भर वस्तु।
मुश्तहर (अ़.$वि.)-जिसका इश्तिहार हो, जिसका विज्ञापन हो, विज्ञापित, प्रसिद्घ।
मुश्तहरी (अ़.$वि.)-इश्तिहार द्वारा प्रचार, विज्ञापन द्वारा प्रसिद्घी।
मुश्तहिर (अ़.$वि.)-विज्ञापन देनेवाला, इश्तिहार देनेवाला, विज्ञापक।
मुश्तही (अ़.$वि.)-इच्छा करनेवाला, इच्छुक। (यह शब्द भूख बढ़ानेवाले के अर्थ में अशुद्घ है)।
मुश्ता$क (अ़.$वि.)-इच्छुक, अभिलाषी, आजऱ्ूमंद, उत्कंठित, उत्सुक, जिज्ञासु।
मुश्ताक़ान: (अ़.$$फा.वि.)-इच्छापूर्ण, अभिलाषापूर्ण, शौ$क के साथ।
मुश्ताक़े जमाल (अ़.$वि.)-दे.-'मुश्ताक़े दीदÓ।
मुश्ताक़े दीद (अ़.$फा.वि.)-देखने का इच्छुक, दर्शन की चाहत रखनेवाला, दर्शनाभिलाषी।
मुश्ते उस्तुख़्वाँ ($फा.पु.)-मुट्ठी-भर हड्डियाँ अर्थात् बहुत ही दुबला-पतला और कमज़ोर व्यक्ति।
मुश्ते ख़्ााक ($फा.स्त्री.)-मुट्ठी-भर ख़्ााक; मनुष्य, आदमी।
मुश्ते ख़्ााकिस्तर ($फा.स्त्री.)-वह मुट्ठी-भर ख़्ााक जो आदमी के जलने पर बा$की रहती है।
मुश्ते गिल ($फा.स्त्री.)-दे.-'मुश्ते ख़्ााकÓ।
मुश्ते $गुबार ($फा.वि.)-वह एक मुट्ठी धूल जो हवा में उड़ा दी जाए; मरे हुए आदमी की ख़्ााक; दे.-'मुश्ते ख़्ााकÓ।
मुश्ते पर ($फा.पु.)-मुट्ठी-भर पर या पंख, जो किसी पक्षी को मारकर मिलते हैं।
मुश्$िफ$क (अ़.$वि.)-अनुकम्पा करनेवाला, कृपा करनेवाला, कृपालु, दयालु; मित्र, दोस्त; डरानेवाला, त्रासक।
मुश्$िफ$कान: (अ़.$वि.)-मित्रतापूर्ण, कृपापूर्ण, दोस्ताना।
मुश्र$फ (अ़.$वि.)-ऊँचा स्थान, बुलन्द जगह।
मुश्रिक: (अ़.स्त्री.)-वह स्त्री जो एक ईश्वर की अपेक्षा अनेक ईश्वरों में विश्वास करती हो, जो बहुत-से ईश्वरों को मानती हो।
मुश्रिक (अ़.$वि.)-वह व्यक्ति जो ईश्वर को एक नहीं मानता, बल्कि उसके गुणों में औरों को भी सम्मिलित करता है, अनेकेश्वरवादी।
मुश्रि$क (अ़.$वि.)-चमकनेवाला, ज्योतिर्मय; तारा, सितारा, उडु, तारिका।
मुश्रि$कात (अ़.पु.)-'मुश्रि$कÓ का बहु., अनेक तारे, सितारे, उडुगण।
मुश्रिकात (अ़.स्त्री.)-'मुश्रिक:Ó का बहु., एक की अपेक्षा अनेक ईश्वरों को माननेवाली स्त्रियाँ।
मुश्रिकान: (अ़.$$फा.वि.)-अनेकेश्वरवादियों-जैसा, नास्तिकों-जैसा।
मुश्रिकीन (अ़.पु.)-'मुश्रिकÓ का बहु., अनेकेश्वरवादी लोग, अनेक रूपों में ईश्वर को माननेवाले लोग।
मुश्रि$फ (अ़.$वि.)-बुलन्द, ऊँचा, उत्तुंग; जानकार, ज्ञाता; बड़ा मुनीम; बड़ा मुंशी, हेड मुहर्रिर; किसी अच्छी या बुरी घटना का आनेवाले निकट समय में घटित होना, भावी घटना।
मुसंदल (अ़.$वि.)-चन्दन-सुवासित, चन्दन की सुगन्ध में बसा हुआ, चन्दन-गंधित।
मुसअ्अ़द (अ़.$वि.)-दो हाँडियों या सकोरों में विधि अनुसार उड़ाया हुआ दवा का जौहर, विधि अनुसार उड़ाकर निकाला हुआ दवा का सत्त्व।
मुसक़्$क$फ (अ़.$वि.)-पटी हुई छत, छतवाला, जिसकी छत पटी हुई हो।
मुसक्किन (अ़.$वि.)-आराम देनेवाला, आरामदायक, शान्ति पहुँचानेवाला, शान्तिप्रद; वह दवा जो किसी रोग-विशेष में आराम पहुँचाए, शामक-औषधि।
मुसक्किनात (अ़.पु.)-'मुसक्किनÓ का बहु., वे औषधियाँ जो किसी रोग-विशेष में शान्ति पहुँचाएँ।
मुसख़्ख़्ार (अ़.वि.)-जीता हुआ, विजित; वशीभूत, $काबू में आया हुआ; मुग्ध, आसक्त, $िफरेफ़्त:।
मुसख़्िख़्ार (अ़.वि.)-जीतनेवाला, विजेता, $फतह करनेवाला, $फातेह; $काबू में करनेवाला, वश में करनेवाला; मुग्ध करनेवाला, आसक्त करनेवाला।
मुसग़्$गर (अ़.वि.)-छोटा किया हुआ, लघुकृत।
मुसज्जल (अ़.वि.)-सुसज्जित, आभूषित, सजाया-सँवारा हुआ, आरास्ता; मोह्र किया अथवा लगाया हुआ, मुद्रांकित; पंजीकृत, पंजीयित, रजिस्ट्री किया हुआ।
मुसज्जाÓ (अ़.वि.)-सानुप्रास, वह बात जो तुक अथवा $का$िफयों में हो, मु$कफ़्$फा, (पु.)-एक शब्दालंकार जिसमें शेÓर के चार टुकड़े करके तीन टुकड़े सानुप्रास कर दिए जाते हैं, जैसे-'जब वह जमाले दिल $फरोज़, सूरते मेह्रïेनीमरोज़, आप ही हो नज़ार:सोज़, पर्दे में मुँह छिपाए क्योंÓ-$गालिब। इसमें $फरोज़, रोज़ तथा सोज़ के $का$िफए यानी तुक हैं।
मुसत्तर (अ़.वि.)-लकीरें किया हुआ, सत्रोंदार। इसका 'त्तÓ उर्दू के 'तोयÓ अक्षर से बना है।
मुसत्तर (अ़.वि.)-गुप्त, गुह्य, छिपा हुआ, पोशीदा। इसका 'त्तÓ उर्दू के 'तेÓ अक्षर से बना है।
मुसत्तह (अ़.वि.)-समतल, चौरस, हमवार।
मुसद्द$क: (अ़.वि.)-प्रमाणित, जाँचा-परखा हुआ।
मुसद्दक (अ़.वि.)-प्रमाणित किया गया, जाँचा-परखा गया, तस्दीक़ किया गया, तज्रिबा किया गया।
मुसद्दस (अ़.वि.)-छह पहलूवाला, (पु.)-छह $फाइर का तमंचा, छह गोलियों वाली पिस्टल; नज़्म की एक $िकस्म जिसमें चार मिस्रे एक $का$िफयों में और दो मिस्रे अलग दूसरे $का$िफए में होते हैं, यह छह मिस्रों का एक बन्द कहलाता है। ऐसे बहुत से बन्दों का समूह मुसद्दस होता है। प्राय: मुसद्दस में कोई उपदेश या किसी घटना का वर्णन होता है। अगर मुसद्दस में करबला की शहादत हो तो 'मरसियाÓ कहलाता है और अगर अपने प्रेम के त्याग का वर्णन हो तो 'वासोख़्तÓ होता है। मुसद्दस में अगर नायिका के नख-शिख का वर्णन हो तो 'सरापाÓ होता है। मुसद्दस के किसी बन्द र्का ंतिम अर्थात् तीसरा शेÓर 'टीपÓ कहलाता है।
मुसद्दि$क (अ़.$वि.)-प्रमाणित करनेवाला, तस्दी$क करनेवाला, सिद्घ करनेवाला।
मुसन्न$फ: (अ़.$वि.)-सम्पादित पुस्तक, रचित, प्रणीत।
मुसन्न$फ (अ़.$वि.)-सम्पादित, रचित, प्रणीत।
मुसन्न$फात (अ़.$वि.)-'मुसन्न$फ:Ó का बहु., सम्पादित पुस्तकें, रचित पुस्तकें।
मुसन्ना (अ़.$वि.)-एक से दो किया हुआ, दो टुकड़े किया हुआ; दो परत का का$गज़, जैसे-रसीद, प्रतिलिपि, नक़्ल।
मुसन्ना बिही (अ़.$वि.)-जिससे प्रतिलिपित हो अर्थात् जिससे प्रतिलिपि तैयार की गई हो, मूल, अस्ल।
मुसन्नि$फ: (अ़.स्त्री.)-किसी पुस्तक आदि की लेखिका, प्रणेत्री।
मुसन्नि$फ (अ़.पु.)-लेखक, रचयिता, ग्रंथकार, तस्नी$फ करनेवाला।
मुसफ़्$फा (अ़.$वि.)-सा$फ किया हुआ, शुद्घ; उज्जवल, चमकदार; निथरा हुआ; कलई किया हुआ; विधिपूर्वक शुद्घ की हुई दवा।
मुसफ़्ि$फए ख़्ाून (अ़.पु.)-रक्तशोधक, दूषित ख़्ाून को सा$फ करनेवाली दवा।
मुसफ़्ि$फयात (अ़.पु.)-'मुसफ़्$फीÓ का बहु., वे औषधियाँ जो दूषित रक्त को शुद्घ करती हैं।
मुसफ़्$फी (अ़.वि.)-सा$फ करनेवाला, शोधक।
मुसब्बब (अ़.वि.)-कारण बनाया हुआ; कारण, सबब।
मुसब्बर (अ़.पु.)-एक औषधि, एलुवा।
मुसब्बाÓ (अ़.पु.)-सात भाग किया हुआ; सात भुजाओं का क्षेत्र; वह नज़्म जिसमें सात मिस्रे या पंक्तियाँ हों, अर्थात् हर तीन शेÓर के बाद एक मिस्रा अथवा पंक्ति आया करे, चाहे वह मिस्रा एक ही हो अथवा हर बार नया मिस्रा हो।
मुसब्बिब (अ़.वि.)-कारण पैदा करनेवाला, साधन उपस्थित करनेवाला।
मुसब्बिबुलअस्बाब (अ़.वि.)-कारण और साधन उत्पन्न करनेवाला, ईश्वर।
मुसब्बिबे ह$की$की (अ़.वि.)-सच्चा साधन उत्पन्न करनेवाला, ईश्वर।
मुसब्बिह: (अ़.स्त्री.)-अँगूठे के पासवाली उँगली, तर्जनी; ईश्वर का नाम जपनेवाली स्त्री।
मुसब्बेह (अ़.वि.)-तस्बीह पढऩेवाला, ईश्वर का गुणगान करनेवाला।
मुसम्मत (अ़.पु.)-लड़ी में पिरोया हुआ; मोतियों की लड़ी, मुक्तावली; नज़्म या कविता की एक $िकस्म, जिसमें चन्द मिस्रे (पंक्तियाँ) एक $का$िफए या तुक में कहकर , एक या दो मिस्रे दूसरे $का$िफए के लाए जाते हैं। 'मुख़्ाम्मसÓ और 'मुसद्दमÓ आदि इसी की $िकस्में हैं।
मुसम्मन (अ़.वि.)-आठ पहलूवाला, जिसमें आठ कोण या कोने हों, अष्टकोण। इसका 'सÓ उर्दू के 'सेÓ अक्षर से बना है।
मुसम्मन (अ़.वि.)-चर्बीला किया हुआ, मोटा-ताज़ा बनाया हुआ, खिला-पिलाकर चर्बी चढ़ाया हुआ। इसका 'सÓ उर्दू के 'सीनÓ अक्षर से बना है।
मुसम्मम (अ़.वि.)-दृढ़, मज़बूत; निश्चित, य$कीनी।
मुसम्मर (अ़.वि.)-कीलों से जड़ा हुआ, कीलें ठोंका हुआ, कीलित।
मुसम्मा (अ़.वि.)-नाम रखा हुआ, नामधारी; पुरुषों के नाम से पहले लगाया जानेवाला सम्मानसूचक शब्द, जो विशेषत: सरकारी और अ़दालती का$गज़ों में लगाया जाता है; श्री।
मुसम्मात (अ़.स्त्री.)-नाम रखी हुई, नामधारिणी; स्त्रियों के नाम से पहले लगाया जानेवाला सम्मानसूचक शब्द, जो प्राय: सरकारी और अ़दालती का$गज़ों में लगाया जाता है; सुश्री, श्रीमती।
मुसम्मिम (अ़.वि.)-निश्चय करनेवाला।
मुसर्रह (अ़.वि.)-स्पष्ट कहा हुआ, व्याख्यायित, व्याख्यात।
मुसर्रेह (अ़.वि.)-स्पष्ट वक्ता, सा$फगो; व्याख्या करनेवाला, व्याख्याकार, तस्रीह करनेवाला, स्पष्ट करनेवाला।
मुसल्मान (अ़.पु.)-इस्लाम धर्म का अनुयायी, मुस्लिम।
मुसल्मानी (अ़.स्त्री.)-मुसल्मान का धर्म, इस्लामी धर्माचरण; मुसल्मान का कर्तव्य; ख़्ात्ना, सुन्नत।
मुसल्लत (अ़.वि.)-आच्छादित, चारों ओर से छाया हुआ; विवश किया हुआ।
मुसल्लम: (अ़.वि.)-जो बात सबको मंज़्ाूर हो, जिसे सब मानें, सर्वमान्य, जो बात सबको तस्लीम हो; जो सिद्घ हो, जो साबित हो, प्रमाणित; अखण्ड, सम्पूर्ण।
मुसल्लम (अ़.वि.)-स्वीकृत, तस्लीम किया हुआ, मंज़्ाूर किया हुआ, सर्वमान्य; सिद्घ, प्रमाणित, मुसद्द$क; समग्र, सम्पूर्ण, समूचा।
मुसल्लमात (अ़.पु.)-'मुसल्लम:Ó का बहु., वे बातें जो सर्वमान्य हों।
मुसल्लमुश्शहादत (अ़.वि.)-वह व्यक्ति जिसकी साक्षी अथवा गवाही मान्य हो; जो साक्षी द्वारा प्रमाणित हो।
मुसल्लमुस्सुबूत (अ़.वि.)-जो प्रमाण अथवा सुबूत से सिद्घ हो, प्रमाणसिद्घ, प्रत्यक्षसिद्घ।
मुसल्लह (अ़.वि.)-अस्त्र-शस्त्र-सज्जित, सशस्त्र, जिसके पास अस्त्र-शस्त्र हों, हथियारबंद।
मुसल्ला (अ़.पु.)-नमाज़ पढऩे की दरी अथवा चटाई।
मुसल्ली (अ़.वि.)-नमाज़ पढऩेवाला।
मुसल्सल (अ़.वि.)-निरन्तर, अनवरत, लगातार; जंज़ीर में बँधा हुआ, कै़द, बन्दी, शृंखलित; क्रमबद्घ, क्रमागत, बा-तरतीब; बार-बार, बारम्बार।
मुसव्वद: (अ़.पु.)-किसी लेख का प्रारम्भिक रूप, पाण्डुलिपि, प्रारूप।
मुसव्वदात (अ़.पु.)-'मुसव्वद:Ó का बहु., मुसव्वदे, अनेक पाण्डुलिपियाँ।
मुसव्वर: (अ़.वि.)-दे.-'मुसव्वरÓ।
मुसव्वर (अ़.वि.)-चित्रवाला, सचित्र, तस्वीरदार; चित्रित, तस्वीर बना हुआ, नक़्शीन।
मुसव्विद (अ़.वि.)-मुसव्वदा लिखनेवाला, प्रारूप लेखक, पाण्डुलिपिक, पाण्डुलिपि लिखनेवाला।
मुसव्विर: (अ़.वि.)-चित्र अथवा तस्वीर बनानेवाली स्त्री, चित्रकत्र्री, चित्रकार स्त्री, चित्रकारिणी, चितेरी।
मुसव्विर (अ़.वि.)-तस्वीर बनानेवाला, चित्रकार, चितेरा, चित्रशिल्पी।
मुसव्विरी (अ़.स्त्री.)-चित्र अथवा तस्वीर बनाने का काम, चित्रकर्म; तस्वीर बनाने की कला, चित्रकला।
मुसह्हद (अ़.वि.)-जगाया हुआ, उठाया हुआ, जाग्रित किया हुआ।
मुसह्हे (अ़.वि.)-ठीक करनेवाला, दुरुस्त करनेवाला, शुद्घ करनेवाला; वह व्यक्ति, जो प्रेस के पत्थर की किताबत को ठीक करता है।
मुसाअ़दत (अ़.स्त्री.)-सहायता करना, मदद करना; मदद, सहायता।
मुसाइद (अ़.वि.)-सहयोग करनेवाला, सहायक, मददगार; अनुकूल, मुआ$िफ$क।
मुसादमत (अ़.स्त्री.)-परस्पर कष्ट पहुँचाना, एक-दूसरे को दु:ख देना।
मुसादरत (अ़.स्त्री.)-वापस लौटना, प्रत्यागमन।
मुसा$फरत (अ़.स्त्री.)-स$फर करना, यात्रा करना; स$फर, यात्रा; यात्रा की अवस्था, स$फर की स्थिति।
मुसा$फह: (अ़.पु.)-भेंट अथवा मुला$कात के समय हाथ मिलाना। इसका 'सÓ उर्दू के 'स्वादÓ अक्षर से बना है।
मुसा$फह: (अ़.पु.)-दुराचार, व्यभिचार, पाप-कर्म। इसका 'सÓ उर्दू के 'सीनÓ अक्षर से बना है।
मुसा$फात (अ़.स्त्री.)-मित्रता, मैत्री, दोस्ती; निश्छलता, निष्कपटता, इख़्लास।
मुसा$िफर (अ़.पु.)-स$फर करनेवाला, यात्री, पथिक, राहगीर, बटोही।
मुसा$िफरख़्ाान: (अ़.$फा.पु.)-यात्रियों के ठहरने का स्थान, पथिकाश्रम, धर्मशाला।
मुसा$िफरान: (अ़.$फा.वि.)-मुसा$िफरों-जैसा, यात्रियों-जैसा; यात्रा की स्थिति में, स$फर की अवस्था में।
मुसाब (अ़.वि.)-पीडि़त, दु:खित, क्लेषित, रंजीदा।
मुसाब$कत (अ़.स्त्री.)-पहले करना; आगे बढ़ जाना।
मुसाबरत (अ़.स्त्री.)-धैर्य रखना, धीरज धरना, संतोष करना, सब्र करना।
मुसामरत (अ़.स्त्री.)-परस्पर कहानियाँ सुनाना, एक-दूसरे को $िकस्से सुनाना।
मुसामहत (अ़.स्त्री.)-किसी काम को आसान समझकर उसकी ओर ध्यान न देना; दोस्ती, मैत्री, मित्रता।
मुसारअ़त (अ़.स्त्री.)-एक-दूसरे को ज़मीन पर डालकर रगडऩा, परस्पर कुश्ती लडऩा।
मुसालमत (अ़.स्त्री.)-आपस में संधि करना; मैत्री, मित्रता, दोस्ती।
मुसालहत (अ़.स्त्री.)-आपस में संधि करना; समझौता; संधि; राज़ीनामा, $फैसला।
मुसालहतनाम: (अ़.$फा.पु.)-समझौते के का$गज़, राज़ीनामा।
मुसावमत (अ़.स्त्री.)-दाम बढऩे के विचार से किसी चीज़ को बेचने में देरी करना।
मुसावात (अ़.स्त्री.)-समानता, बराबरी; सबको एक-जैसे अधिकार मिलने का सिद्घान्त।
मुसावियुज़्ज़वाया (अ़.पु.)-वह त्रिभुज या चतुर्भुज जिसके आमने-सामने के कोण बराबर हों।
मुसावियुलअज़्लाअ़ (अ़.पु.)-वह आकृति जिसकी सब भुजाएँ बराबर हों, समभुज-क्षेत्र।
मुसावियान: (अ़.$फा.वि.)-बराबर-बराबर, एक-जैसा।
मुसावी (अ़.वि.)-समान, तुल्य, बराबर।
मुसाह$क: (अ़.पु.)-चपटी, स्त्रियों का आपस में चपटी डालना या लड़ाना (कामातुर स्त्रियों का परस्पर योनि से योनि घिसाना या रगडऩा)।
मुसाहबत (अ़.स्त्री.)-किसी बड़े या प्रतिष्ठित व्यक्ति के यहाँ हाजिऱी बजाना या उठना-बैठना, बड़े लोगों के यहाँ औपचारिक रूप से बैठक जमाना।
मुसाहमत (अ़.स्त्री.)-साझा, सहयोग, भागीदारी, शिर्कत।
मुसाहलत (अ़.स्त्री.)-आलस्य, ढील, सुस्ती।
मुसाहिब (अ़.पु.)-किसी बड़े आदमी के यहाँ उठने-बैठने वाला, पार्षद।
मुसाहिम (अ़.वि.)-भागीदार, साझीदार, शरी$क।
मुसीन [न्न] (अ़.वि.)-बूढ़ा, वयोवृद्घ।
मुसिर [र्र] (अ़.वि.)-जि़द करनेवाला, बराबर किसी काम के लिए कहनेवाला।
मुसीब (अ़.वि.)-किसी बात की तह तक जानेवाला; ठीक पानेवाला, तलस्पर्शी।
मुसीबत (अ़.स्त्री.)-विपत्ति, आ$फत; कष्ट, तक्ली$फ, दु:ख, क्लेश; $गम, खेद, संताप, विषाद; दुर्घटना, सानिह:; कठिनता, मुश्किल; दुर्दशा, नुहूसत; कालचक्र, गर्दिश।
मुसीबतअंगेज़ (अ़.$फा.वि.)-दु:खदायी, मुसीबत देनेवाला, कष्टजनक, कष्टदायक।
मुसीबतज़द: (अ़.$फा.वि.)-कष्टग्रस्त, मुसीबत में घिरा हुआ, विपन्न, दुरागत।
मुसीबतनाक (अ़.$फा.वि.)-दे.-'मुसीबतज़द:Ó।
मुसीबते नागहानी (अ़.$फा.स्त्री.)-अचानक ही आनेवाली आ$फत, आकस्मिक विपत्ति।
मुसै$कल (अ़.वि.)-सै$कल या पॉलिश किया हुआ, चमकाया हुआ, चमकदार।
मुसैतिर (अ़.वि.)-नियुक्त, मु$कर्रर।
मुस्$िकत (अ़.वि.)-गिरानेवाला; बात में त्रुटि करनेवाला।
मुस्कित (अ़.वि.)-चुप कर देनेवाला, सहमत कर लेनेवाला, $काइल कर देनेवाला, मानने को विवश कर देनेवाला।
मुस्किर (अ़.वि.)-नशा पैदा करनेवाली चीज़, मादक तत्त्व।
मुस्किरात (अ़.वि.)-'मुस्किरÓ का बहु., नशे की चीजें़, मादक वस्तुएँ।
मुस्तंजिम (अ़.वि.)-प्रकाशमान, प्रज्वलित, दीप्त, रौशन; प्रकाश चाहनेवाला।
मुस्तंबत (अ़.वि.)-निकाला हुआ; निष्कर्ष निकाला हुआ, नतीजा या परिणाम निकाला हुआ।
मुस्तंबित (अ़.वि.)-निष्कर्ष निकालनेवाला, नतीजा या परिणाम निकालनेवाला।
मुस्तंसर (अ़.वि.)-जिसकी सहायता या मदद की गई हो।
मुस्तंसिर (अ़.वि.)-मदद या सहायता माँगनेवाला, सहयोग-याचक।
मुस्तअ़ान (अ़.वि.)-जिससे मदद या सहायता माँगी जाए, जिससे सहयोग माँगा जाए।
मुस्तअ़ार (अ़.वि.)-माँगी हुई वस्तु, थोड़े दिनों के लिए माँगा हुआ।
मुस्तइद [द्द] (अ़.वि.)-तैयार, तत्पर, कटिबद्घ, सन्नद्घ; सचेष्ट, आलस्य-रहित, निरालस, जिसमें सुस्ती और काहिली न हो, तेज़; $फुर्तीला, चाबुकदस्त।
मुस्तइद्दी (अ़.स्त्री.)-तत्परता, तैयारी; निरालस्य, तेज़ी; $फुर्ती।
मुस्तईन (अ़.वि.)-मदद माँगनेवाला, सहायता चाहनेवाला।
मुस्तईर (अ़.वि.)-रिअ़ायत चाहनेवाला, व्यवहार में नरमी या कोमलता चाहनेवाला।
मुस्त$कर [र्र] (अ़.पु.)-ठहरने का स्थान, पड़ाव, ठिकाना।
मुस्त$कर्रुलख़्िाला$फत (अ़.पु.)-शासन-केन्द्र, राजधानी।
मुस्त$कर्रुलहुकूमत (अ़.पु.)-दे.-'मुस्त$कर्रुलख़्िाला$फतÓ।
मुस्त$िकल [ल्ल] (अ़.वि.)-स्थायी, वह कर्मचारी जो अस्थायी न हो; निरन्तर, लगातार; अटल, दृढ़, मुस्तहकम; निश्चित, साबित $कदम; चिरस्थायी, पाइदार।
मुस्त$िकल मिज़ाज (अ़.वि.)-जो एक बात तै अथवा निश्चित करके उस पर जमा रहे, दृढ़ चित्त, स्थिरनिश्चयी।
मुस्त$िकल मिज़ाजी (अ़.स्त्री.)-एक बात निश्चित अथवा तै करके उस पर डटा रहना, निश्चय की स्थिरता।
मुस्त$िकल्लन (अ़.वि.)-अटल तौर पर, स्थिर रूप में; निरन्तर, बराबर।
मुस्त$कीम (अ़.वि.)-जो टेढ़ा न हो, सीधा, सरल, ऋजु।
मुस्त$कीमुलअज़्लाअ़ (अ़.पु.)-सरल रेखाओंवाला, वह आकृति जिसकी सब रेखाएँ सीधी हों।
मुस्तक्बिर (अ़.वि.)-अहंकारी, अभिमानी, घमण्डी।
मुस्तक़्िबल (अ़.पु.)-भविष्य में आने या होनेवाला, आगे आनेवाला, आगामी, भावी; भविष्य, आनेवाला समय, आइंदा ज़माना।
मुस्तख़्ाी$फ (अ़.वि.)-डरा हुआ, त्रस्त, भयभीत; डरावना, भीषण, भयानक, ख़्ाौ$फनाक।
मुस्तख़्िदम (अ़.वि.)-दूसरों से सेवा चाहनेवाला, दूसरों से ख़्िादमत चाहनेवाला।
मुस्तख़्िलस (अ़.वि.)-स्वतंत्रता चाहनेवाला, आज़ादी चाहनेवाला, बन्धन-मुक्ति का इच्छुक; शुद्घ करनेवाला, निर्मल करनेवाला।
मुस्त$गास (अ़.वि.)-जिससे न्याय-याचना करें, जिसके पास न्याय के लिए जाएँ, जिसके पास वाद या इस्ति$गासा ले जाएँ, दण्डाधिकारी।
मुस्त$गीस: (अ़.वि.)-दावा या इस्ति$गासा करनेवाली स्त्री, न्याय चाहनेवाली औरत, $फौजदारी में दावा करनेवाली महिला।
मुस्त$गीस (अ़.वि.)-अभियोक्ता, दावा या इस्ति$गासा करने-वाला, $फौजदारी में दावा दायर करनेवाला।
मुस्तग्ऩी (अ़.वि.)-जिसे किसी बात की इच्छा न हो, नि:स्पृह, अनीह, अनपेक्ष्य, निरीह।
मुस्तग्ऩी मिज़ाज (अ़.वि.)-निवृतचित्त, जिसके मन में कोई लालच या इच्दा न हो।
मुस्तग्$िफर (अ़.वि.)-ईश्वर से अपने पापों की क्षमा चाहने-वाला, मुक्ति चाहनेवाला, मोक्ष चाहनेवाला।
मुस्तग्ऱ$क (अ़.वि.)-डूबा हुआ, मग्न, मज्जित, निमज्जित; तल्लीन, तन्मय, दत्तचित्त।
मुस्तज़ाद (अ़.वि.)-बढ़ाया हुआ, अतिरिक्त, $फालतू; नज़्म या कविता की एक $िकस्म जिसमें किसी $गज़ल में उसकी हर पंक्ति के अन्त में एक टुकड़ा बढ़ा देते हैं।
मुस्तजाब (अ़.वि.)-स्वीकृत, मंज़्ाूर किया हुआ, $कबूल किया हुआ।
मुस्तजाबुद्दाÓवात (अ़.वि.)-वह सिद्घ व्यक्ति जिसकी हर बात ईश्वर के यहाँ $कबूल हो जाए, वाक्सिद्घ, सिद्घवाणी।
मुस्तजाबुद्दाअ़ा (अ़.वि.)-दे.-'मुस्तजाबुद्दाÓवातÓ।
मुस्तजार (अ़.वि.)-जिससे रक्षा या सुरक्षा की प्रार्थना की जाए, जिससे बचाने को कहा जाए, पनाह देनेवाला, शरण देने-वाला, त्राणदाता, रक्षक।
मुस्तजीब (अ़.वि.)-$कबूल करनेवाला, स्वीकार करनेवाला, प्रार्थना स्वीकार करनेवाला।
मुस्तजीर (अ़.वि.)-शरण चाहनेवाला, पनाह माँगनेवाला, रक्षा या सुरक्षा का इच्छुक, रक्षा का स्थान ढूँढऩेवाला; कहीं-कहीं शरण देनेवाले के अर्थ में भी इस शब्द का प्रयोग हुआ है।
मुस्तज्मउस्सि$फात (अ़.वि.)-जिसमें बहुत-से गुण अथवा सि$फतें एकत्र हों, बहुगुणसम्पन्न।
मुस्तज्माÓ (अ़.वि.)-एकत्र, इकट्ठा।
मुस्तज्मेÓ (अ़.वि.)-एकत्र करनेवाला, इकट्ठा करनेवाला।
मुस्तताअ़Ó (अ़.वि.)-आज्ञापालक, आज्ञाकारी, $फर्मांबर्दार।
मुस्तताब (अ़.वि.)-मंगलमय, शुभान्वित, कल्याणकारी, मुबारक; स्वादिष्ठ, सुस्वादु, बामज़ा।
मुस्ततिर (अ़.वि.)-गुप्त, छिपा हुआ, पोशीदा।
मुस्ततीअ़Ó (अ़.वि.)-धनसम्पन्न, समृद्घ, धनाढ्य, मालदार; सक्षम, समर्थ, $कादिर।
मुस्ततील (अ़.पु.)-वह आकृति, जो लम्बाई-चौड़ाई में बराबर न हो मगर उसके चारों कोण बराबर हों, समकोण चतुर्भुज, आयत।
मुस्तदई (अ़.वि.)-निवेदन करनेवाला, निवेदक, प्रार्थना करनेवाला, प्रार्थी, दरख़्वास्त करनेवाला, कहनेवाला।
मुस्तदाम (अ़.वि.)-अनश्वरता, नित्यता, हमेशगी, सातत्य; सदा, नित्य, सर्वदा, हमेशा।
मुस्तदीर (अ़.वि.)-वृत्ताकार, गोलाकार, वर्तुलाकार, गोल, मुदव्वर।
मुस्तनद (अ़.वि.)-सिद्घ किया हुआ, प्रमाणित, तस्दी$कशुदा; विश्वस्त, मोतबर, भरोसेमंद; जिसने किसी चीज़ की सनद पाई हो, जिसने किसी बात का प्रमाण पाया हो, प्रमाणप्राप्त।
मुस्तनीर (अ़.वि.)-ज्योतिर्मय, प्रकाशमान, दीप्त, रौशन।
मुस्तन्किर (अ़.वि.)-ख़्ाराब, निकृष्ट, दूषित, बद, बुरा; कुरूप, अप्रियदर्शन, भद्दा, जि़श्तरू, बुरी शक़्लवाला।
मुस्त$फवी (अ़.वि.)-मुस्त$फा अर्थात् पवित्रता से सम्बन्ध रखनेवाला; मुस्त$फा का।
मुस्त$फा (अ़.वि.)-पुनीत, पवित्र, बरगुज़ीदा; शुद्घ, स्वच्छ, निर्मल, सा$फोशफ़्$फा$फ; हज्ऱत मुहम्मद साहब का एक विशेषण अथवा ख़्िाताब।
मुस्त$फाई (अ़.वि.)-मुस्त$फा का; मुस्त$फा से सम्बन्ध रखने-वाला; पवित्रता से सम्बन्ध रखनेवाला; पवित्रता चाहनेवाला।
मुस्त$फाद (अ़.वि.)-प्राप्त, लब्ध, हासिल।
मुस्त$फीज़ (अ़.वि.)-लाभ चाहनेवाला, फैज़़ चाहनेवाला, न$फा उठानेवाला, लाभप्राप्तकर्ता।
मुस्त$फीद (अ़.वि.)-$फाइदा या लाभ चाहनेवाला, न$फा उठाने या कमानेवाला, लाभान्वित, लाभेच्छुक।
मुस्तफ़्ती (अ़.वि.)-$फत्वा अर्थात् धर्मादेश पूछनेवाला, $फत्वे अथवा धर्मादेश की व्याख्या (स्पष्टीकरण) चाहनेवाला।
मुस्तफ़्िसर (अ़.पु.)-प्रश्न पूछनेवाला, प्रश्नकर्ता, पृच्छक।
मुस्तबिद [द्द] (अ़.वि.)-किसी काम पर अकेला खड़ा हो जानेवाला; किसी चीज़ पर अकेला ह$क या अधिकार जताने-वाला; अनीति और अन्याय करनेवाला; अत्याचारी, ज़ालिम, क्रूर, निर्दय।
मुस्तबइद (अ़.वि.)-अलहदगी या पृथकता चाहनेवाला, दूरी या $फासिले का इच्छुक।
मुस्तब्अ़द (अ़.वि.)-जो बात ध्यान में न आ सके, जिसका किय़ास न किया जा सके, कल्पनातीत; कुछ $फासिले पर, दूर, बईद, अलग, पृथक्; दुष्कर, कठिन, दुश्वार।
मुस्तब्सिर (अ़.पु.)-दिव्यदृष्टि रखनेवाला, चैतन्य, जागृत, आत्मचेता, रौशन ज़मीर।
मुस्तमंद ($फा.वि.)-चाहत रखनेवाला, इच्छुक, अभिलाषी, आकांक्षी, ख़्वाहिशमंद; दु:खित, $गमगीन; जिसे किसी चीज़ की आवश्यकता हो, ज़रूरतमंद।
मुस्तमाÓ (अ़.वि.)-सुना हुआ, श्रुत।
मुस्तमिद [द्द] (अ़.वि.)-सहयोगकामी, मदद चाहनेवाला, सहायता का इच्छुक।
मुस्तमिर [र्र] (अ़.वि.)-अनश्वर, स्थायी, नित्य, हमेशा रहनेवाला, स्थिर; चिरस्थायी, पायदार, टिकाऊ।
मुस्तमिर्र: (अ़.वि.)-दे.-'मुस्तमिरÓ, स्त्रीलिंग शब्दों के साथ, सदैव रहनेवाली।
मुस्तमेÓ (अ़.वि.)-सुननेवाला, श्रोता।
मुस्तर$क (अ़.वि.)-चुराया हुआ, चुराया हुआ माल।
मुस्तर$क [क़्$क] (अ़.वि.)-कै़द किया हुआ, बन्दी बनाया हुआ।
मुस्तरद [द्द] (अ़.वि.)-लौटाया हुआ, वापस दिया हुआ, ख़्ाारिज किया हुआ, रद्द किया हुआ।
मुस्तराह (अ़.पु.)-विश्राम-स्थल, आराम करने की जगह; शौचालय, संडास, पाख़्ााना।
मुस्तख्ऱ्ाी (अ़.वि.)-ढीला, शिथिल।
मुस्तर्शिद (अ़.वि.)-सच्चा मार्ग चाहनेवाला, सन्मार्गेच्छुक; चेला, धर्मशिष्य, मुरीद।
मुस्तलह: (अ़.वि.)-वह शब्द जो पारिभाषिक रूप में आ गया हो, पारिभाषिक।
मुस्तलह: (अ़.वि.)-दे.-'मुस्तलह:Ó।
मुस्तलहात (अ़.पु.)-पारिभाषिक शब्दावली।
मुस्तलिज़ [ज़्ज़] (अ़.वि.)-मज़ा लेनेवाला, मज़ा चाखने-वाला, स्वाद लेनेवाला; आनन्दित, लज़्ज़तयाब।
मुस्तल्$की (अ़.वि.)-चित्त लेटा हुआ, जिसकी पीठ ज़मीन पर हो और पेट ऊपर की ओर।
मुस्तल्जि़म (अ़.वि.)-कोई चीज़ अपने ऊपर लाजि़म कर लेनेवाला, कोई बात अपने ऊपर थोप लेने अथवा लागू कर लेनेवाला; योग्य, पात्र।
मुस्तल्जि़मुस्सज़ा (अ़.वि.)-दे.-'मुस्तलजि़मे सज़ाÓ।
मुस्तलजि़मे सज़ा (अ़.वि.)-सज़ा के योग्य, दण्डनीय, दण्ड का अधिकारी।
मुस्तवी (अ़.वि.)-समतल, हमवार; सम, समान, बराबर।
मुस्तशार (अ़.वि.)-जिससे सलाह ली जाए, सलाहकार, परामर्शदाता; ली हुई सलाह, सलाह ली हुई बात, परामर्शित।
मुस्तशीर (अ़.वि.)-सलाह लेनेवाला, परामर्श करनेवाला, परामर्शकर्ता।
मुस्तश्$फा (अ़.वि.)-चिकित्सालय, अस्पताल, रुग्णालय, शि$फाख़्ााना।
मुस्तश्$फी (अ़.वि.)-रोग-मुक्ति चाहनेवाला।
मुस्तश्रिक़ (अ़.वि.)-वह गैऱ-एशियाई व्यक्ति जिसे एशियाई भाषाओं अथवा विद्याओं का पूरा-पूरा ज्ञान हो तथा जिसने इन विषयों पर का$फी अनुसंधान और गवेषणा की हो; दीप्त, ज्वलंत, प्रकाशित, रौशन।
मुस्तश्रि$कीन (अ़.पु.)-'मुस्तश्रि$कÓ का बहु., गैऱ-एशियाई वे लोग जिन्होंने एशियाई भाषा, विद्या अथवा दूसरी विद्याओं में पूरी जानकारी प्राप्त की हो, पूर्ण विद्याविद्।
मुस्तस्क़ी (अ़.वि.)-जिसे जलोदर का रोग हो, जलोदरी; बहुत अधिक पानी माँगनेवाला।
मुस्तसनयात (अ़.पु.)-'मुस्तस्नाÓ का बहु., वे चीज़ें या व्यक्ति जो मुस्तस्ना हों।
मुस्तस्ना (अ़.वि.)-जिस पर से कोई शर्त, $कानून या पाबन्दी उठा ली गई हो, मुक्त; जिस पर कोई $कानून-विशेष लागू न होता हो; जो किसी शर्त या पाबन्दी से बँधा हुआ न हो; चुना हुआ; प्रतिष्ठित, सम्मानित; अपवादित, विमुक्त, एक्ज़़ेम्प्टेड।
मुस्तस्नामिन्हु (अ़.वि.)-वे चीजें़ या व्यक्ति जिनमें से 'मुस्तस्नाÓ को अलग किया गया हो।
मुस्तह$क [क़्$क] (अ़.वि.)-ह$क या अधिकार रखनेवाला, स्वत्वाधिकारी; योग्य, पात्र, लाय$क; सहायता के योग्य, ज़रूरतमंद।
मुस्तहक़्$कीन (अ़.वि.)-'मुस्तह$कÓ का बहु., मुस्तह$क लोग, ह$कदार या अधिकार रखनेवाले लोग; योग्य लोग, पात्र लोग; ज़रूरतमंद लोग।
मुस्तहक़्क़ेतरिक: (अ़.पु.)-जो तरिके अर्थात् उत्तराधिकार का पात्र हो, दायाधिकारी, दायबन्धु।
मुस्तहक़्क़े नवाजि़श (अ़.$फा.पु.)-दया के योग्य, कृपा का पात्र, करुणापात्र।
मुस्तहक़्क़े रहम (अ़.पु.)-दया किए जाने का ह$कदार या अधिकारी, जो दया अथवा कृपा का सच्चा पात्र हो, करुणापात्र।
मुस्तहक़्क़े सहीह (अ़.पु.)-सबसे योग्य अधिकारी, सबसे उचित ह$कदार, सत्पात्र।
मुस्तहब [ब्ब] (अ़.वि.)-अच्छा जाना हुआ, प्रिय, पुनीत; वह कृत्य जिसके करने से पुण्य की प्राप्ति हो और न करने पर कोई दोष न लगे; वह इबादत जिसे हज्ऱत मुहम्मद साहब ने स्वयं किया हो, उसकी अच्छाइयाँ बताई हों परन्तु उसके करने को स्पष्ट रूप से न कहा हो।
मुस्तहान (अ़.वि.)-बेइज़्ज़त, अपमानित, तिरस्कृत, ज़लील; दूसरों की दृष्टि से निन्दित और गर्हित।
मुस्तहाम (अ़.वि.)-उद्विग्न, व्यग्र, परेशान; चकित, निस्तब्ध, हैरान।
मुस्तहील (अ़.वि.)-असंभव, अशक्य, नामुम्किन; बहाने-बाज़, धूर्त, छली; एक अवस्था से दूसरी अवस्था में बदला हुआ, परिवर्तित।
मुस्तह्कम (अ़.वि.)-निश्चल, अटल, लाजुंब; दृढ़, मज़बूत; स्थायी, चिरस्थायी, पायदार, टिकाऊ; अटल, य$कीनी।
मुस्तह्कमतरीन (अ़.$फा.वि.)-सुदृढ़तम, अत्यधिक मज़बूत।
मुस्तह्कमुलअ़$कीद: (अ़.वि.)-जिसका धर्मविश्वास अटल हो।
मुस्तह्कमुलअ़दावत (अ़.वि.)-जिसके मन में किसी के प्रति शत्रुता घर कर गई हो, बद्घवैर।
मुस्तह्कमुलअ़ह्द (अ़.वि.)-अपने वादे का पक्का, अपने वचन पर टिका रहनेवाला, सत्यप्रतिज्ञ, दृढ़संकल्प, अपनी प्रतिज्ञा पर अड़ा रहनेवाला, वचनबद्घ।
मुस्तह्कमुलइराद: (अ़.वि.)-जो अपने निश्चय या इरादे में अटल हो, बद्घनिश्चय, सत्यसंकल्प।
मुस्तह्जऱ (अ़.वि.)-जो दिमा$ग में हर समय सुरक्षित रहे, जो हर समय याद रहे।
मुस्तह्ज़ी (अ़.वि.)-हँसी उड़ानेवाला, उपहासकर्ता।
मुस्तह्$फज़ (अ़.वि.)-सुरक्षित, मह्$फूज़; जिसकी देख-रेख और निगरानी की गई हो; सुपालित, सुनिरक्षित।
मुस्तह्लक (अ़.वि.)-हत, वधित, मारा हुआ; नष्ट, बरबाद।
मुस्तह्सन (अ़.वि.)-श्रेष्ठ, उत्तम, उम्दा; पवित्र, पुनीत, नेक।
मुस्ताजिर (अ़.वि.)-ठेकेदार, एकाधिकारी।
मुस्ताजिरान: (अ़.$फा.वि.)-ठेकेदारों-जैसा।
मुस्ताजिरी (अ़.$फा.वि.)-ठेकेदारी, एकाधिकार।
मुस्ताÓजिल (अ़.वि.)-उतावला, अधीर, आतुर, जल्दबाज़।
मुस्तानिस (अ़.वि.)-प्रेम रखनेवाला, रुचि रखनेवाला; अ़ादी, अभ्यस्त, व्यसनी, जिसे कुछ करने या खाने-पीने की लत पड़ गई हो।
मुस्ताÓ$फी (अ़.वि.)-त्यागपत्र देनेवाला, त्यागपत्रदाता, इस्ती$फा देनेवाला।
मुस्ताÓमन (अ़.वि.)-रक्षा या शरण चाहा हुआ, पनाह चाहा हुआ, सुरक्षाकामी, रक्षित।
मुस्ताÓमर: (अ़.वि.)-उपनिवेश, नौआबादी, नई आबादी, नया आबाद हुआ मुल्क।
मुस्ताÓमर (अ़.वि.)-नया बसा हुआ, नवबसित, नौआबाद।
मुस्ताÓमरात (अ़.पु.)-'मुस्ताÓमर:Ó का बहु., नई आबादियाँ, उपनिवेश-समूह, अनेक उपनिवेश।
मुस्ताÓमल (अ़.वि.)-काम में लाया हुआ, प्रयुक्त, व्यवहृत; प्रचलित, व्यवहृत।
मुस्तामिन (अ़.वि.)-शान्तिकामी, अमन और रक्षा चाहने-वाला, सुरक्षाकामी।
मुस्तासल (अ़.वि.)-जड़ से उखाड़ फेंका हुआ, उन्मूलित, समूल विनष्ट।
मुस्तासिल (अ़.वि.)-जड़ से उखाड़ फेंकनेवाला, उन्मूलन करनेवाला।
मुस्तै$िकज़ (अ़.वि.)-जागता हुआ, सजग, जाग्रत, जागरूक, सजागर, बेदार।
मुस्तैसिर (अ़.वि.)-तैयार होनेवाला, तत्पर और कटिबद्घ होनेवाला।
मुस्तौ$िकद (अ़.वि.)-आग भड़कानेवाला।
मुस्तौजिब (अ़.वि.)-योग्य, पात्र, लाय$क।
मुस्तौजिबे सज़ा (अ़.वि.)-दण्डनीय, सज़ा का पात्र।
मुस्तौ$फी (अ़.वि.)-व्यापक, गृहीत; मुख्य लेखाधिकारी, हेड मुनीम, हेड एकाउंटैंट।
मुस्तौली (अ़.वि.)-छा जानेवाला, आच्छादक, ढाँक लेने-वाला; किसी पर विजय पा लेनेवाला, $काबू में कर लेने-वाला।
मुस्तौसाÓ (अ़.वि.)-विस्तृत, विशाल, $फराख़्ा, कुशादा।
मुस्देÓ (अ़.वि.)-अलग-अलग करनेवाला, पृथक्-पृथक् करनेवाला; सिर में पीड़ा उत्पन्न करनेवाला।
मुस्नद (अ़.वि.)-समय, काल, वक़्त; गोद लिया हुआ बेटा, दत्तक पुत्र, लेपालक; जारज, दोग़ला, वर्णसंकर; वह वस्तु जिस पर सहारा लें; विशेषण (व्या.); ख़्ाबर, सूचना, समाचार।
मुस्नदइलैह (अ़.वि.)-(व्या.) मुब्तला, पकड़ा हुआ, फँसा हुआ, जैसे-'राम अच्छा हैÓ में 'रामÓ मुस्नदइलैह है और 'अच्छाÓ मुस्नद है।
मुस्बत: (अ़.वि.)-सिद्घ की हुई वस्तु, साबित की हुई चीज़, प्रमाणित वस्तु।
मुस्बत (अ़.वि.)-साबित किया हुआ, प्रमाणित, सिद्घ किया हुआ; जो मन्$फी न हो, जो नष्ट किया हुआ अथवा रद्द किया हुआ न हो।
मुस्मन (अ़.वि.)-जन्मजात हृष्ट-पुष्ट, पैदाइशी मोटा-ताज़ा।
मुस्रि$फ (अ़.वि.)-बहुव्ययी, बहुत अधिक ख़्ार्च करनेवाला; व्यर्थ या $िफज़ूल ख़्ार्च करनेवाला, अपव्ययी। इसका 'स्Ó उर्दू के 'सीनÓ अक्षर से बना है।
मुस्रि$फ (अ़.वि.)-व्यय करनेवाला, ख़्ार्च करनेवाला। इसका 'स्Ó उर्दू के 'स्वादÓ अक्षर से बना है।
मुस्रि$फीन (अ़.पु.)-व्यर्थ या $िफज़ूल ख़्ार्च करनेवाले।
मुस्रेÓ (अ़.वि.)-जल्दी काम करनेवाला, शीघ्रकारी; शीघ्रगामी पत्रवाहक, तेज़ चलनेवाला डाकिया।
मुस्लिम: (अ़.स्त्री.)-मुसलमान स्त्री।
मुस्लिम (अ़.पु.)-मुसलमान पुरुष, इस्लाम धर्म को मानने-वाला पुरुष, मुसलमान।
मुस्लिमात (अ़.स्त्री.)-'मुस्लिम:Ó का बहु., मुसलमान स्त्रियाँ।
मुस्लिमीन (अ़.पु.)-'मुस्लिमÓ का बहु., मुसलमान लोग, मुसलमान पुरुष।
मुस्लिहीन (अ़.पु.)-'मुस्लेहÓ का बहु., सुधार करनेवाले, सुधारक, रि$फार्मर्स।
मुस्लेह (अ़.वि.)-राजनीतिक, सामाजिक अथवा आर्थिक क्षेत्र में सुधार करनेवाला, सुधारक; शरीर की धातुओं का दोष दूर करनेवाली दवा, धातु-शोधक।
मुस्लेहे $कौम (अ़.पु.)-जातीय सुधार करनेवाला, जाति-विशेष का सुधारक; राष्ट्र का सुधारक, देश-सुधारक।
मुस्हिल (अ़.पु.)-दस्त लानेवाली दवा, रेचक औषधि, विरेचक, मलभेदक।
मुस्हिलात (अ़.पु.)-'मुस्हिलÓ का बहु., रेचक औषधियाँ, दस्तावर दवाएँ।
मुहंदिस (अ़.पु.)-गणितज्ञ, रियाज़ीदाँ; अभियन्ता, यंत्र-विशेषज्ञ, इंजिनियर।
मुहक़्$क$क (अ़.वि.)-जाँचा हुआ, परखा हुआ, प्रमाणित, गवेषित, मुसल्लम।
मुहक़्$कर (अ़.वि.)-नीच, अधम, ज़लील, कमीना, तुच्छ, क्षुद्र; अल्प मूल्यवाला, कम $कीमत, ह$कीर।
मुहक़्ि$क$क (अ़.वि.)-किसी बात की वैज्ञानिक जाँच-पड़ताल करनेवाला, गवेषक, गवेषी, अन्वेषक, अनुसंधान करनेवाला, अनुसंधाता; वैज्ञानिक; दार्शनिक, $िफलॉस्$फर; वह व्यक्ति जो किसी बात को प्रमाण से सिद्घ करे; तर्कशास्त्री।
मुहक़्ि$क$कीन (अ़.पु.)-'मुहक़्ि$क$कÓ का बहु., गवेषणा और अनुसंधान करनेवाले।
मुहज़्ज़ब (अ़.वि.)-शिक्षित, सुशिक्षित, ताÓलीमयाफ़्ता, पढ़ा-लिखा; सभ्य, शिष्ट, सुसंस्कारित, तमीज़दार; नागरिक, नगर में रहनेवाला, शह्री; अदब-आदाब का ख़्ायाल रखने-वाला, शाइस्ता; सुशील, विनीत, सुसंस्कृत।
मुहद्दिस (अ़.पु.)-इस्लामी धर्मशास्त्र 'हदीसÓ का विद्वान्, हदीसों की पूरी जानकारी रखनेवाला, यह जाननेवाला कि कौन-सी हदीस सही और कौन-सी $गलत है, यह भी जाननेवाला कि किस हदीस को किसने बयान किया और बयान करनेवाला किस श्रेणी का है, आदि-आदि।
मुहद्दिसीन (अ़.पु.)-'मुहद्दिसÓ का बहु., हदीस के विद्वान्, हदीस के अ़ालिम अर्थात् ज्ञाता।
मुहन्नद (अ़.वि.)-वह शब्द जो किसी दूसरी भाषा का हो मगर उसे हिन्दी कर लिया गया हो, जैसे-'जारूबÓ से झाडू, तथा 'आबख़्ाोरहÓ से अमखोरा आदि; हिन्द अर्थात् भारत के लोहे से बनी तलवार जो काट में प्रसिद्घ होती थी।
मुहम्मद (अ़.वि.)-हज्ऱत पै$गम्बर साहब का नाम; प्रशंसित, संस्तुत, सराहा हुआ।
मुहम्दी (अ़.पु.)-मुहम्मद का; मुहम्मद से सम्बन्ध रखने-वाला; मुसलमान।
मुहर्र$फ (अ़.वि.)-वक्र, वक्रित, टेढ़ा किया हुआ; फेरी हुई बात या इबारत, मूल अर्थ से हटाया हुआ।
मुहर्रम (अ़.वि.)-हराम अर्थात् निषिद्घ किया हुआ; पहला इस्लामी महीना (चूँकि इस्लाम से पहले अऱब में इस महीने में रक्तपात धार्मिक रूप से निषिद्घ या हराम था, इसलिए इस महीने का यह नाम पड़ा)।
मुहर्रा (अ़.वि.)-अच्छी तरह पकाया हुआ; वह चीज़ जो आग पर अच्छी तरह गला ली जाए।
मुहर्रिक (अ़.वि.)-चलानेवाला, गति देनेवाला; उत्तेजना देनेवाला, उभारनेवाला, उत्तेजक; सभा या बैठक में कोई सुझाव देने या रखनेवाला, प्रस्तावक।
मुहर्रि$फ (अ़.वि.)-टेढ़ा करनेवाला; बात को कुछ का कुछ बनानेवाला।
मुहर्रिर (अ़.वि.)-लिपिक,क्लर्क; लेखक, लिखनेवाला; वकील आदि का मुंशी।
मुहर्रिरी (अ़.वि.)-मुहर्रिर का पेशा, मुहर्रिर का काम।
मुहर्रिरीन (अ़.पु.)-'मुहर्रिरÓ का बहु., मुहर्रिर लोग।
मुहल्लल (अ़.वि.)-तहलील किया हुआ, घुलाया हुआ, पचाया हुआ; अलग किया हुआ।
मुहल्लिल (अ़.वि.)-तहलील करनेवाला, घुलानेवाला, पचानेवाला; अलग करनेवाला।
मुहल्लिलात (अ़.पु.)-'मुहल्लिलÓ का बहु., तहलील करनेवाली दवाएँ।
मुहव्वत: (अ़.पु.)-कोई वस्तु सुरक्षित रखने का स्थान; एकत्र करने का स्थान; घेरने का स्थान।
मुहव्वल: (अ़.वि.)-किसी को सौंपी गई वस्तु, सिपुर्द की गई चीज़; हवाला दी गई वस्तु, उदाहृत वस्तु।
मुहव्वल (अ़.वि.)-सिपुर्द किया गया; हवाला दिया गया, उदाहृत किया हुआ।
मुहव्वलए बाला (अ़.$फा.वि.)-जिसका हवाला या उदाहरण ऊपर दिया गया हो, उपर्युक्त, जिसका उल्लेख ऊपर हो चुका हो, उपरिलिखित।
मुहव्वलए हाशिय: (अ़.वि.)-जिसका हवाला हाशिए पर दिया गया हो, जो फुटनोट या टिप्पणी में लिखा गया हो, टिप्पणांकित, मार्जिनली नोटेड।
मुहव्विस ($फा.वि.)-रसायनविद्, रसायनी, कीमियागर।
मुहव्विसी ($फा.स्त्री.)-रसायनविद्या, धातुवाद, कीमियागरी।
मुहव्विसीन ($फा.पु.)-'मुहव्विसÓ का बहु., रसायन-शास्त्री, रसायनविद्, कीमियागर लोग।
मुहश्शा (अ़.वि.)-हाशिया बनाया हुआ; हाशिए पर लिखा हुआ, टिप्पणी-सहित।
मुहश्शी (अ़.वि.)-हाशिया बनानेवाला; टिप्पणी लिखने-वाला।
मुहाकम: (अ़.पु.)-हाकिम या अधिकारी के पास न्याय के लिए जाना; बीच में पड़कर अथवा मध्यस्थता करके न्याय करना; निर्णय, फै़सला।
मुहाका (अ़.पु.)-'मुहाकातÓ का लघु., दे.-'मुहाकातÓ।
मुहाकात (अ़.स्त्री.)-बातचीत, वार्तालाप; एक-दूसरे को कहानी सुनाना; कथनोपकथन।
मुहाजरत (अ़.स्त्री.)-घरबार छोड़कर परदेश में रहना, देश छोड़कर विदेश में रहना।
मुहाज़ात (अ़.स्त्री.)-एक-दूसरे के आमने-सामने होना; एक चीज़ का दूसरी चीज़ के बराबर होना।
मुहाजात (अ़.स्त्री.)-एक-दूसरे की निन्दा करना; एक-दूसरे की निन्दा में कविता लिखना।
मुहाजिर: (अ़.स्त्री.)-घरबार छोड़कर परदेश में रहनेवाली स्त्री, शरणार्थिनी।
मुहाजिर (अ़.पु.)-घरबार त्यागकर परदेश में रहनेवाला, शरणार्थी।
मुहाजिरात (अ़.स्त्री.)-'मुहाजिर:Ó का बहु., मुहाजिर महिलाएँ, शरणार्थी स्त्रियाँ।
मुहाजिरीन (अ़.पु.)-'मुहाजिरÓ का बहु., परदेशी लोग; शरणार्थी लोग।
मुहाज़ी (अ़.वि.)-सामने, सम्मुख, बराबर।
मुहा$फ: ($फा.वि.)-बड़ी पर्देदार डोली। अऱबी भाषा में यह शब्द 'महफ़्$फ:Ó था मगर $फारसी भाषा में 'मुहा$फ:Ó हो गया।
मुहा$फज़त (अ़.स्त्री.)-रक्षा, सुरक्षा, हि$फाज़त; देख-रेख, निगरानी; पालन-पोषण, परवरिश।
मुहा$िफज़ (अ़.वि.)-रक्षा करनेवाला, रक्षक, हि$फाज़त करनेवाला; निरीक्षक, निगराँ; अभिभावक, सरपरस्त।
मुहा$िफज़ीन (अ़.पु.)-'मुहा$िफज़Ó का बहु., रक्षा करनेवाले, हि$फाज़त करनेवाले।
मुहाबा (अ़.पु.)-'मुहाबातÓ का लघु., भय, त्रास, डर; संकोच, पसोपेश; चिन्ता, $िफक्र। उर्दू में इस शब्द का प्राय: उच्चारण 'बेमहाबाÓ किया जाता है।
मुहाबात (अ़.स्त्री.)-दे.-'मुहाबाÓ।
मुहारब: (अ़.पु.)-एक-दूसरे से युद्घ; युद्घ, संग्राम, समर, लड़ाई, जंग।
मुहारबात (अ़.पु.)-'मुहारब:Ó का बहु., लड़ाइयाँ, जंगें।
मुहारिब (अ़.वि.)-लडऩेवाला, योद्घा।
मुहाल (अ़.वि.)-असंभव, नामुम्किन; दुष्कर, कठिन।
मुहाल$फ: (अ़.पु.)-आपस में $कस्मा$कस्मी, परस्पर किसी बात के लिए शपथ लेना।
मुहालविज़्ज़ात (अ़.वि.)-जिसका-जैसा होना असंभव हो।
मुहालि$फ (अ़.वि.)-किसी के साथ किसी प्रतिज्ञा पर शपथ लेनेवाला।
मुहाले $कत्ई (अ़.वि.)-जो बिलकुल असंभव हो, एकदम नामुम्किन।
मुहाले मुत्ल$क (अ़.वि.)-दे.-'मुहाले $कत्ईÓ।
मुहावर: (अ़.पु.)-बोलचाल, लाक्षणिक शब्दावली, किसी भाषा के वाक्यों का वह प्रयोग, जो उस भाषा के बोलनेवाले करते हैं और जिसका अर्थ 'अभिधेय अर्थÓ से पृथक् होता है, जैसे-'लात खानाÓ अथवा 'आँख आनाÓ, क्योंकि 'लातÓ को रोटी की तरह खाया नहीं जाता और 'आँखÓ यात्रा नहीं करती। इनका अर्थ है- लात की मार सहना और आँखों में पीड़ा होना, यही मुहावर: है। किसी विशिष्ट भाषा में प्रचलित वह वाक्य अथवा पद जिसका अर्थ लक्षणा या व्यंजना द्वारा निकालता हो। वह अर्थ जो शब्दों के प्रत्यक्ष या शाब्दिक अर्थ से भिन्न या विलक्षण हो।
मुहावरत (अ़.स्त्री.)-आपस में बातचीत करना।
मुहावरात (अ़.पु.)-'मुहावर:Ó का बहु., मुहावरे।
मुहासद: (अ़.पु.)-एक-दूसरे से हसद या ईष्र्या करना; डाह, ईष्र्या, हसद।
मुहासब: (अ़.पु.)-हिसाब समझना, हिसाब-किताब; पूछ-गच्छ, पूछताछ।
मुहासर: (अ़.पु.)-चारों ओर से घेरना, घेरा डालना; हल्$क:, घेरा; हदबन्दी, सीमित करना।
मुहासिद (अ़.वि.)-ईष्र्या करनेवाला, ईष्र्यालु, हसद करने-वाला, डाही।
मुहासिब (अ़.वि.)-हिसाब करनेवाला; हिसाबदाँ, हिसाबी, गणितज्ञ; पूछगाँछ करनेवाला, पूछताछ करनेवाला।
मुहासिर (अ़.वि.)-घेरनेवाला, किसी को घेरे में लेने वाला, घेरा डालनेवाला।
मुहासिरीन (अ़.वि.)-'मुहासिरÓ का बहु., घेरे डालनेवाले लोग।
मुहिब [ब्ब] (अ़.वि.)-दोस्त, सखा, मित्र; प्रेमी, अ़ाशि$क।
मुहिब्बीन (अ़.पु.)-'मुहिबÓ का बहु., दोस्त लोग, मित्रगण।
मुहिम [म्म] (अ़.स्त्री.)-युद्घ, संग्राम, समर, लड़ाई; कोई बड़ा कार्य, दुष्कर कार्य, कठिन काम।
मुहिम्मात (अ़.स्त्री.)-'मुहिमÓ का बहु., बड़े-बड़े काम; युद्घ, संग्राम, लड़ाइयाँ।
मुही (अ़.वि.)-जीवित करनेवाला, जि़न्दा करनेवाला, प्राण-दाता, जिलानेवाला।
मुहीज (अ़.वि.)-उठानेवाला; बढ़ानेवाला; धूल उड़ानेवाला।
मुहीत (अ़.वि.)-छाया हुआ, आच्छादित; व्यापक, फैला हुआ; नदी, दरिया, सरिता।
मुहीन (अ़.वि.)-अपमान करनेवाला, अपमानी, तिरस्कार करनेवाला, तिरस्कर्ता, बेइज़्ज़त करनेवाला, ज़लील करने-वाला।
मुहीब (अ़.वि.)-दे.-'महीबÓ, वही शुद्घ उच्चारण है।
मुहील: (अ़.स्त्री.)-मायाविनी, छली स्त्री, धूर्ता, वंचिका।
मुहील (अ़.वि.)-छली, कपटी, धूर्त, वंचक, धोखेबाज़।
मुहै (अ़.वि.)-जीवित करनेवाला, जि़न्दा करनेवाला, पुन: प्राण देनेवाला।
मुहैया (अ़.वि.)-इकट्ठा, एकत्र, $फराहम; उपस्थित, मौजूद; उपार्जित, अर्जित किया हुआ, ज़ख़्ाीरा; तत्पर, तैयार; प्राप्त, उपलब्ध, मिला हुआ।
मुहैयाकुन (अ़.वि.)-$फराहम करनेवाला, एकत्र करनेवाला; देनेवाला, दाता।
मुहैयिर (अ़.वि.)-आश्वर्य में डाल देनेवाला, अचम्भे में डाल देनेवाला।
मुहैयिरुलउ$कूल (अ़.वि.)-अ़क़्लों को आश्चर्य में डाल देनेवाला, बुद्घि या मेधा को अचम्भे में डाल देनेवाला; ऐसी बात जो अचम्भे में डाल दे, आश्चर्यजनक, चित्रमति।
मुहैयिरेउ$कूल (अ़.वि.)-दे.-'मुहैयिरुल उ$कूलÓ।
मुह्कम (अ़.वि.)-पक्का, दृढ़, मज़बूत; चिरस्थायी, पाएदार, टिकाऊ; निश्चित, अटल, य$कीनी; नि:संदेह, गैऱमुश्तबह।
मुह्कमतरीन (अ़.$फा.वि.)-अत्यन्त मज़बूत, सुदृढ़।
मुह्कमात (अ़.स्त्री.)-$कुरान के वे वाक्य जिनका अर्थ स्पष्ट हो, 'प्रत्युतÓ, 'मुतशाबिहातÓ।
मुह्त$िकन (अ़.वि.)-अनीमा देनेवाला।
मुह्तकिर (अ़.वि.)-इस आशा से अन्न संचित करनेवाला कि भाव तेज़ होने पर बेचेगा।
मुह्तजिब (अ़.वि.)-छिपनेवाला; छिपा हुआ, गुप्त।
मुह्तदा (अ़.वि.)-जिसे हिदायत या सदुपदेश मिला हो, दीक्षित।
मुह्तदी (अ़.वि.)-हिदायत या सदुपदेश देनेवाला।
मुह्तम [म्म] (अ़.वि.)-जिसका प्रबन्ध किया गया हो, जिसका एहतिमाम किया गया हो, जिसकी व्यवस्था की गई हो, व्यवस्थित, क्रमागत।
मुह्तमबिश्शान (अ़.वि.)-जिसका प्रबन्ध बहुत शान से किया गया हो, शानदार, भव्य, विशाल, बृहत्।
मुह्तमल (अ़.वि.)-संदिग्ध, जिसमें संदेह हो, शंकित।
मुह्तमिम (अ़.वि.)-प्रबन्धकर्ता, संचालनकर्ता, संचालक, व्यवस्थापक।
मुह्तरम: (अ़.स्त्री.)-महोदया, श्रीमती, देवी, मान्या, श्रद्घेया, वरिष्ठा, भट्टारिका।
मुह्तरम (अ़.वि.)-महोदय, श्रीमान्, पूज्य, श्रद्घेय, प्रतिष्ठित, महानुभाव; मान्य, पूज्य, श्रेष्ठ, बुज़ुर्ग।
मुह्तरमात (अ़.स्त्री.)-'मुह्तरम:Ó का बहु., देवियाँ, श्रद्घेय महिलाएँ।
मुह्तरमीन (अ़.पु.)-'मुह्तरमÓ का बहु., श्रद्घेय, प्रतिष्ठित जन, मान्य अथवा पूज्य लोग।
मुह्तरि$क (अ़.वि.)-जलानेवाला; जला हुआ, दग्ध, तप्त, ज्वलित।
मुह्तरिज़ (अ़.वि.)-बचनेवाला, दूर रहनेवाला, परहेज़ करनेवाला।
मुह्तरि$फ (अ़.वि.)-हमपेशा, एक-सा व्यवसाय करनेवाले, सहव्यवसायी।
मुह्तलिम (अ़.वि.)-जिसको स्वप्नदोष हो जाए, रात्रिक्षरण युक्त, यह शब्द 'एहेत्लामÓ से बना है जिसका शाब्दिक अर्थ 'स्वप्नदोषÓ है।
मुह्तवी (अ़.वि.)-घेरे हुए, ढँके हुए, आच्छादित, व्यापी।
मुह्तशिम (अ़.वि.)-टहलुवा या सेवक रखनेवाला, नौकर-चाकरवाला; शानो-शौकतवाला, ऐश्वर्यवान्।
मुह्तसिब (अ़.वि.)-पूछताछ करनेवाला, हिसाब लेनेवाला; वह कर्मचारी जो लोगों को शराब पीने से रोके और शराब-ख़्ााने की निगरानी करे।, मद्यनिरोधक।
मुह्मल: (अ़.पु.)-वह उर्दू अक्षर जिस पर 'बिन्दीÓ न हो, जैसे-'सीनÓ, 'हेÓ, दालÓ आदि।
मुह्मल (अ़.वि.)-अर्थहीन, बेमाÓनी; व्यर्थ, बेकार; वह व्यक्ति जिसका कोई विश्वास न करे, भरोसेहीन व्यक्ति।
मुह्मल गो (अ़.$फा.वि.)-अनर्गलवादी, बकवासी, बेकार की बातें करनेवाला।
मुह्मलात (अ़.पु.)-'मुह्मलÓ का बहु., व्यर्थ के काम; बेकार की बातें।
मुह्मलीयत (अ़.स्त्री.)-अर्थहीनता; अनर्गलता; बकवाद; $फुज़ूलपन।
मुह्रï: ($फा.पु.)-एक पत्थर-विशेष जिससे साँप का विष दूर किया जाता है, ज़ह्रमुह्रï:; साँप की मणि, नागमणि; शतरंज की गोट; कौड़ी, सीप या घोंघा; पीठ या गर्दन का गुरिया।
मुह्रï:चीं ($फा.वि.)-घूर्त, छली, वंचक, ठग।
मुह्रï:बाज़ ($फा.वि.)-धूर्त, छली, वंचक, धोखेबाज़।
मुह्रï:बाज़ी ($फा.स्त्री.)-वंचकता, ठगी, छल, धूर्तता।
मुह्रï ($फा.स्त्री.)-अश$र्फी, स्वर्णमुद्रा; ठप्पा; अंकक, सील, मोहर; मुद्रिका, अँगूठी।
मुह्रïए जाँदार ($फा.पु.)-साँ की मणि, नागमणि।
मुह्रïए मार ($फा.पु.)-नागमणि, साँप की मणि।
मुह्रïए सफ़ेद ($फा.पु.)-संख, दर, शंख।
मुह्रï$क: (अ़.वि.)-जलानेवाली; मोतीझरा ज्वर, टाई$फाइड ज्वर।
मुह्रïक (अ़.वि.)-जला हुआ, भस्म, भस्मीभूत।
मुह्रïकन ($फा.वि.)-मुह्रï खोदनेवाला।
मुह्रïबलब ($फा.वि.)-चुप्पी साधे हुए, मौन धारण किए हुए; चुप, मौन, ख़्ामोश।
मुह्रïे ख़्ाामोशी ($फा.स्त्री.)-मौन, चुप्पी, ख़्ाामोशी।
मुह्रïे सुकूत (अ़.$फा.स्त्री.)-दे.-'मुह्रïे ख़्ाामोशीÓ।
मुह्लत (अ़.स्त्री.)-अवकाश, छुट्टी, $फुर्सत; विलम्ब, ढील, देर; समय, काल।
मुह्लततलब (अ़.वि.)-अवकाश या छुट्टी चाहनेवाला; ऐसा काम जिसके लिए समय या $फुर्सत की आवश्यकता हो।
मुह्लिक: (अ़.स्त्री.)-मार डालनेवाली, घातिका, जानलेवा, प्राणघातक।
मुह्लिक (अ़.वि.)-जानलेवा, घातक, प्राणघातक।
मुह्सिन: (अ़.स्त्री.)-उपकार करनेवाली स्त्री।
मुह्सिन (अ़.वि.)-भलाई करनेवाला, उपकार करनेवाला, उपकारी; आड़े वक़्त अथवा संकट में काम आनेवाला; सहायक, हामी।
मुह्सिनकुश (अ़.$फा.वि.)-नमकहराम, कृतघ्न, अकृतज्ञ।
मुह्सिनकुशी (अ़.$फा.स्त्री.)- नमकहरामी, कृतघ्नता।
मुह्सिनात (अ़.स्त्री.)-'मुह्सिन:Ó का बहु., उपकार करने-वाली स्त्रियाँ।
मुह्सिनीन (अ़.पु.)-'मुह्सिनÓ का बहु., भलाई करनेवाले लोग, उपकारी लोग।
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