Thursday, October 15, 2015

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शंग ($फा.वि.)-शोख, चपल, चंचल; तस्कर, चोर; लुंठक, लुटेरा, बटमार।
शंग$र्फ ($फा.पु.)-इँगुर, एक प्रसिद्घ पदार्थ, (हिन्दी में 'शंगर$फÓ प्रचलित)।
शंगुल ($फा.वि.)-शोख, चपल, चंचल; लुंठक, लुटेरा, बटमार; छली, चालाक।
शंगूल ($फा.वि.)-दे.-'शंगुलÓ।
शंजर्फ़ ($फा.पु.)-दे.-'शंगर्फ़Ó।
शंब: ($फा.पु.)-वार, दिन; शनैश्चर, सनीचर, शनिचर। $फार्सी उच्चारण 'शंबेहÓ है।
शअ़$फ (अ़.पु.)-प्यार, प्रेम, स्नेह, अनुराग, मुहब्बत।
शअ़ाइर (अ़.पु.)-'शईर:Ó का बहु., आराधनाएँ, उपासनाएँ, इबादतें; पशुओं की बलि, $कुर्बानियाँ।
शअ़ा$फ (अ़.पु.)-ख़्ाब्त, पागलपन, उन्माद, सिड़ीपन, मिरा$क।
शईर: (अ़.स्त्री.)-आराधना, उपासना, इबादत; पशुबलि, $कुर्बानी; आँख की गुहाँजनी।
शईर (अ़.पु.)-यव, जौ, एक प्रसिद्घ अन्न।
शए ज़ाइद (अ़.स्त्री.)-वह वस्तु जिसका आधिक्य हो, जो आवश्यकता से अधिक हो, $फालतू।
शए मक्$फूल: (अ़.स्त्री.)-वह वस्तु जो गिरवी रखी हो, बंधक।
शए मबीअ़: (अ़.स्त्री.)-बेची हुई वस्तु, बिकी हुई चीज़, विक्रीत।
शए मुतनाजि़अ़: (अ़.स्त्री.)-झगड़ेवाली वस्तु, जिस पर झगड़ा हो।
शए लती$फ (अ़.स्त्री.)-दक्षता, कुशलता, चतुराई; प्रतिभा, जि़हानत।
शक [क्क] (अ़.पु.)-शंका, आशंका, सन्देह, शुब्हा; भ्रम, भ्रान्ति, वह्म।
श$क [क़्क़] (अ़.पु.)-फटना, विदारण; फटा हुआ, विदीर्ण।
शकआफ्ऱीं (अ़.$फा.वि.)-शंकाजनक, शक पैदा करनेवाला, सन्देह उत्पन्न करनेवाला।
शकर ($फा.स्त्री.)-शर्करा, चीनी, खाँड।
शकरआब ($फा.स्त्री.)-दे.-'शकराबÓ।
शकर$कंद ($फा.स्त्री.)-एक प्रसिद्घ कं़द, शकरकं़दी।
शकरख़्ांद: ($फा.पु.)-दे.-'शकरखं़दÓ।
शकरखं़द ($फा.पु.)-मीठी हँसी, मुस्कान, मुस्कुराहट।
शकरख़्ाश ($फा.पु.)-निदर्शन, नमूना, बानगी।
शकरख़्ाा ($फा.वि.)-शकर चबानेवाला अर्थात् मिष्टवादी, मधुरभाषी।
शकरख़्ाोर ($फा.पु.)-शकर खानेवाला।
शकरख़्वाब ($फा.पु.)-मीठी नींद, सुषुप्ति; सवेरे की नींद, भोर-निद्रा।
शकरख़्वार: ($फा.वि.)-शकर खानेवाला; रस लेनेवाला, आनन्दग्राही।
शकरगुफ़्तार ($फा.वि.)-मीठी बातें करनेवाला, मधुरभाषी, शीरींज़बाँ।
शकरगुफ़्तारी ($फा.स्त्री.)-मीठी-मीठी बातें करना, मधुरवार्ता, शीरींज़बानी।
शकरचश ($फा.पु.)-शकर खानेवाला; रस लेनेवाला, आनन्दग्राही; नमूना, बानगी।
शकरज़ार ($फा.पु.)-जहाँ शकर ही शकर हो, जहाँ मिठास बहुत हो।
शकरतरी ($फा.स्त्री.)-सफ़ेद शकर, चीनी, दाना।
शकरदान ($फा.पु.)-शकर रखने का पात्र, खंडपात्र।
शकरपा ($फा.वि)-पंगु, लँगड़ा, जिसके एक पाँव में टेढ़ हो।
शकरपार: ($फा.पु.)-एक प्रकार की मिठाई; सुन्दर अदाओंवाली पे्रमिका।
शकरपूर: ($फा.पु.)-मीठा समोसा, गुझिया, पिराक।
शकरपेच ($फा.पु.)-मिठाई पर लिपटा हुआ कागज़़; शकर बाँधने की पुडिय़ा।
शकर$फरोश ($फा.वि)-शकर बेचनेवाला; मधुरभाषी, शीरींगुफ़्तार।
शकर$फरोशी ($फा.स्त्री.)-शकर बेचने का काम; मीठी बातें करना।
शकरबार ($फा.वि)-शकर बरसानेवाला अर्थात् बहुत मीठा; मधुरभाषी, शीरींगुफ़्तार, शीरींसुख़्ान।
शकरबारी ($फा.स्त्री.)-शकर बरसाना; मीठी बातें करना।
शकरबूज़: ($फा.पु.)-मीठा समोसा, गुझिया, पिराक।
शकररंग ($फा.वि.)-मुरझाए रंगवाला, पीला पड़ा हुआ; अप्रसन, नाराज़।
शकररंगी ($फा.स्त्री.)-अप्रसन्नता, नाराज़ी; वैमनस्य, मनमुटाव।
शकररंज ($फा.वि.)-अप्रसन्न, नाराज़।
शकररंजी ($फा.स्त्री.)-अप्रसन्नता, नाराज़ी।
शकररेज़ ($फा.पु.)-न्योछावर, वह वस्तु जो विवाह के अवसर पर दुल्हन और दूल्हा के सिर पर से घुमाकर न्योछावर करते हैं; ख़्ाुशी का रोना, ख़्ाुशी के आँसू।
शकररेज़ी ($फा.स्त्री.)-दूल्हा और दुल्हन पर न्योछावर करना; शकर बरसाना।
शकरलंग ($फा.वि.)-हलकी लँगड़ाहट।
शकरलब ($फा.वि.)-मीठे होंठोंवाला (वाली); मधुरभाषी, मिष्टभाषी; कटे होंठवाला।
शकरलबी ($फा.स्त्री.)-होंठों की मधुरता; बातों की मिठास; होंठ कटा होना।
शकरहर्फ़ (अ़.$फा.वि.)-मीठा बोलनेवाला, मिष्टभाषी, शीरींगुफ़्तार।
शकराब ($फा.स्त्री.)-मनमुटाव, मनोमालिन्य, हलकी रंजिश।
शकरिस्तान ($फा.पु.)-गन्ने का खेत; चीनी मिल, खंडसाल; जहाँ शकर बहुत हो।
शकरीं ($फा.वि.)-मीठा, मधुर; शकर-सम्बन्धी।
शकरी ($फा.वि.)-शकर का, शकर-सम्बन्धी।
शकस्त ($फा.स्त्री.)-दे.-'शिकस्तÓ, वही उच्चारण शुद्घ है।
शक़ाइक़ (अ़.पु.)-अहिपुष्प, गुले-लाला; 'श$की$क:Ó का बहु., कनपटियाँ।
श$का$कूल (अ़.स्त्री.)-एक गाँठ, जो दवा में काम आती है, श$का$कु मिस्री।
शक़ावत (अ़.स्त्री.)-मन की कठोरता, निष्ठुरता, निर्दयता; भाग्य की विमुखता, बदनसीबी, बद$िकस्मती, हतभाग्यता।
शक़ावते $कल्वी (अ़.स्त्री.)-हृदय की कठोरता, निर्दयता, संगदिली।
श$कावते बातिनी (अ़.स्त्री.)-दे.-'श$कावते $कल्वीÓ।
श$िकर ($फा.पु.)-जंगली अहिपुष्प, जंगली लाले के फूल।
श$की (अ़.वि.)-निर्दय, निष्ठुर, पाषाण हृदय, संगदिल; भाग्यहीन, अभागा, बद$िकस्मत।
श$कीउत्तब्अ़ (अ़.वि.)-दे.-'श$कीउल$कल्बÓ।
श$कीउल$कल्ब (अ़.वि.)-जिसका दिल बहुत ही कठोर हो, पाषाण हृदय, संगदिल, पत्थर दिल।
श$कीउलबातिन (अ़.वि.)-दे.-'श$कीउल$कल्ब।
श$की$क: (अ़.पु.)-कनपटी, गंडस्थल; आधा सीसी का दर्द।
श$की$क (अ़.पु.)-खण्ड, टुकड़ा, भाग; सगा भाई, सहोदर, भ्राता।
शकील: (अ़.स्त्री.)-रूपसी, रूपवती, सुन्दरी, हसीना।
शकील (अ़.वि.)-सुरूप, रूपवान्, सुन्दर, श्रीमुख, भद्रमुख, हसीन।
शकीस (अ़.वि.)-भागीदार, साझीदार; शरी$फ; अच्छी चालवाला घोड़ा।
श$कीह (अ़.वि.)-कुरूप, भद्दा, बुरा, निकृष्ट।
शकूक (अ़.वि.)-संदेह करनेवाला, शक्की, शक करनेवाला, अत्यधिक शक करनेवाला।
शकूर (अ़.वि.)-शुक्र करनेवाला, आभारी, कृतज्ञ; धन्यवाद देनेवाला; बधाई देनेवाला।
शक्कर ($फा.स्त्री.)-शकर, खंड, खाँड, शर्करा, चीनी।
शक्करअफ़्शाँ ($फा.वि.)-शकर छिड़कनेवाला अर्थात् मधुरभाषी, मिष्टवादी, शीरींसुख़्ान।
शक्करअफ़्सानी ($फा.स्त्री.)-मधुर वार्ता, मीठी-मीठी बातें करना।
शक्करदहाँ ($फा.वि.)-मधुरभाषी, मीठी-मीठी बातें करनेवाला, मिष्टवादी।
शक्करदहानी ($फा.स्त्री.)-मधुर वार्तालाप, मीठी-मीठी बातें करना, प्रिय बोलना।
शक्कर$िफशाँ ($फा.वि.)-'शक्करअफ़्शाँÓ का लघु., दे.-'शक्करअफ़्शाँÓ।
शक्कर$िफशानी ($फा.स्त्री.)-'शक्करअफ़्सानीÓ का लघु., दे.-'शक्करअफ़्सानीÓ।
शक्करम$काल (अ़.$फा.वि)-मधुरभाषी, मीठी-मीठी बातें करनेवाला, मिष्टवादी, शीरींगुफ़्तार, शक्करदहाँ।
शक्करम$काली (अ़.$फा.स्त्री.)-मधुर वार्ता, मीठी-मीठी बातें करना, मिष्ट भाषण, शक्करअफ़्सानी, शक्करदहानी, प्रिय बोलना।
शक्करशिकन ($फा.वि.)-शक्कर चबानेवाला अर्थात् रस लेनेवाला, काव्य रसानुभव करनेवाला; मधुर बोलनेवाला, मिष्टभाषी, शीरींगुफ़्तार।
शक्करशिकनी ($फा.स्त्री.)-शक्कर चबाना; रसानुभव करना; मीठी बातें करना।
शक्करसुख़्ान ($फा.वि.)-मधुरभाषी, मीठा बोलनेवाला, मिष्टभाषी, शीरींकलाम।
शक्करसुख़्ानी ($फा.स्त्री.)-मधुर वार्ता, मीठी बातें करना, शीरींकलामी।
शक्करिस्ताँ ($फा.पु.)-'शक्करिस्तानÓ का लघु., दे.-'शक्करिस्तानÓ।
शक्करिस्तान ($फा.पु.)-जहाँ शकर बहुत हो; शकर का कारख़्ााना, खंडसाल, चीनी मिल।
शक्करीं ($फा.वि.)-शक्कर का; शक्कर-सम्बन्धी; शक्कर का बना हुआ।
शक्करींगुफ़्तार ($फा.वि.)-मधुरभाषी, मिष्टभाषी, मीठा बोलनेवाला, शीरींसुख़्ान, शीरींगुफ़्तार।
शक्करींलब ($फा.वि.)-मधुरभाषी, मिष्टभाषी, शीरींलब; मीठे अधरामृतवाली प्रेमिका।
शक्करीं लाÓल ($फा.वि.)-दे.-'शक्करींलबÓ।
शक्की (अ़.वि.)-जिसके स्वभाव में शक बहुत हो, जो श्सक करने का आदी हो, भ्रमी, वह्मी, सन्देह करनेवाला।
शक़्$कुल$कमर (अ़.पु.)-चाँद का दो टुकड़े हो जाना, हज्ऱ मुहम्मद साहब का इक मोÓजिज़: अर्थात् अ़क़्ल को आश्चर्य में डालनेवाला कृत्य, आपने चाँद के दो टुकड़े कर दिए थे।
शक्ल (अ़.स्त्री.)-रूप, आकृति, डील-डौल; मुखाकृति, मुखमण्डल, चेहरा; आकार-प्रकार; दशा-अवस्था, परिस्थिति, हालत।
शक्लोशबाहत (अ़.स्त्री.)-डील-डौल; आकार-प्रकार।
शक्लोशमाइल (अ़.स्त्री.)-रूप और गुण; आकृति और स्वभाव।
शक्लोसूरत (अ़.स्त्री.)-दे.-'शक्लोशबाहतÓ।
शक्व: (अ़.पु.)-दे.-'शक्वाÓ, वही शुद्घ है मगर उर्दू में 'शक्व:Ó भी प्रचलित है।
शक्वाएजौर (अ़.पु.)-अनीति और अत्याचार की शिकायत।
शक्वा (अ़.पु.)-उपालम्भ, उलाहना; परिवाद, अनुयोग, शिकायत। (हिन्दी में 'शिकवाÓ प्रचलित)।
शक्वागुज़ार (अ़.$फा.वि.)-शिकायत करनेवाला; उलाहना देनेवाला।
शक्वातराज़ (अ़.$फा.वि.)-दे.-'शक्वागुज़ारÓ।
शक्वापर्वर (अ़.वि.)-दे.-'शक्वागुज़ारÓ।
शक्वासंज (अ़.$फा.वि.)-दे.-'शक्वागुज़ारÓ।
शख़्ा ($फा.वि.)-मज़बूत, दृढ़, पुष्ट, (पु.)-पर्वत, पहाड़; पहाड़ का दामन; धरती, (स्त्री.)-'शाख़्ाÓ का लघु., डाली, शाखा।
शख़्ाकमाँ ($फा.वि.)-शक्तिशाली, ता$कतवर, ज़ोरावर; जिसका धनुष कोई दूसरा न चला सके।
शख़्ाालीद: ($फा.वि.)-खरोंचा हुआ, छीला हुआ; चुभाया हुआ।
शख़्ाीद: ($फा.वि.)-रपटा हुआ, फिसला हुआ।
शख़्ाूद: ($फा.वि.)-नाख़्ाून से खरोंचा हुआ; नख या नाख़्ाून द्वारा घाव किया हुआ।
शख़्स (अ़.पु.)-व्यक्ति, $फर्द; मनुष्य, आदमी।
शख़्सी (अ़.वि.)-निज से सम्बन्धित, निजी, व्यक्तिगत, ज़ाती, इं$िफरादी।
शख़्सेगैऱ (अ़.पु.)-पराया, अस्वजन, अपरिचित; अन्य पुरुष, दूसरा व्यक्ति; असंबद्घ, जिससे कोई सम्बन्ध न हो, गैऱ मुतअ़ल्लि$क।
शख़्सेवाहिद (अ़.पु.)-अकेला आदमी, एक आदमी, एकाकी।
शग़ ($फा.पु.)-पशु का सींग, जो बीच से खाली हो।
शगफ़़ (अ़.पु.)-रुचि, दिलचस्पी; तल्लीनता।
शग़ब (अ़.पु.)-कोलाहल, शोर$गुल।
शगर ($फा.पु.)-काली भिड़, जिसका विष तेज़ होता है।
शग़ल (अ़.पु.)-दे.-'श$ग्लÓ या 'शु$ग्लÓ, सब शुद्घ हैं।
शग़ाद ($फा.पु.)-'रुस्तमÓ का भाई, जिसने उसे धोखे से कुएँ में गिराकर मारा था।
शग़ा$फ (अ़.पु.)-दिल के ऊपर की झिल्ली; हृदय का काला तिल।
शग़ाल ($फा.पु.)-शृगाल, सियार, गीदड़।
शग़ालतब्अ़ (अ़.$फा.वि.)-दे.-'शग़ालतीनतÓ।
शग़ालतीनत (अ़.$फा.वि.)-मक्कार, छली, धूर्त, वंचक, ठग।
शग़ाल$िफत्रत (अ़.$फा.वि.)-दे.-'शग़ालतीनतÓ।
श$ग्ब: (अ़.पु.)-शरीर की वह खाल जो अधिक करने से मोटी, खुरदरी और काली पड़ जाए, (वि.)-अपमानित, तिरस्कृत, ज़लील।
श$ग्ल (अ़.पु.)-कार्य, काम; धन्धा, उद्यम; जी बहलाने का काम, मन लगाने का काम, मश्$गल:।
श$ग्लेमै (अ़.$फा.पु.)-शराब पीने का मश्$गल:, मद्यपान, सुरापान।
शजअ़: (अ़.पु.)-'शजाअ़Ó का बहु., वीर लोग, बहादुर लोग।
शजन (अ़.पु.)-शोक, दु:ख, रंज; आवश्यकता, ज़ुरूरत; चाह, इच्छा, अभिलाषा; दे.-'शज्नÓ, दोनों शुद्घ हैं।
शजर (अ़.पु.)-वृक्ष, पेड़, विटप, द्रुम, दरख़्त। 'उम्मीद की किरण जो दिखाई न दी उसे, बूढ़ा शजर हवाओं की जद में बिख़्ार गयाÓ-माँझी
शजरी (अ़.वि.)-पेड़ के आकार का; पेड़वाला; पेड़-सम्बन्धी।
शजरे कलीम (अ़.पु.)-वह पेड़, जिस पर हज्ऱत मूसा को ईश्वरीय प्रकाश दिखाई पड़ा था।
शजरे तूर (अ़.पु.)-दे.-'शजरे कलीमÓ।
शजरे मम्नूअ़ (अ़.पु.)-गेहूँ का पेड़, जिसे ईश्वर ने आदम (प्रथम पुरुष) के लिए निषिद्घ कर दिया था; ऐसी चीज़ जिसके पास जाना बुरा हो।
शजाअ़ (अ़.वि.)-वीर, बहादुर, दे.-'शुजाअ़Ó और 'शिजाअ़Ó, तीनों शुद्घ हैं परन्तु 'शुजाअ़Ó अधिक प्रचलित है।
शजाअ़त (अ़.स्त्री.)-शूरता, वीरता, बहादुरी; रणकौशल, जंग आज़मूदगी।
शज़ाया (अ़.पु.)-'शज़ीय:Ó का बहु., दंदाने; टुकड़े; रेशे।
शजीअ़ (अ़.वि.)-शूर, वीर, बहादुर।
शज़ीय: (अ़.पु.)-दंदाना; टुकड़ा; रेशा।
शज्न (अ़.पु.)-दे.-'शजनÓ, दोनों शुद्घ हैं।
शज्र: (अ़.पु.)-वंशवृक्ष, वंशावली, नसबनामा।
शत्ता (अ़.स्त्री.)-अधिकता, बहुतात; 'शतीतÓ का बहु., तितर-बितर चीजें, अस्त-व्यस्त वस्तुएँ।
शत्ताह (अ़.वि.)-धर्म-विरुद्घ बों कहनेवाला।
शत्म (अ़.पु.)-गाली-गलौज, अपशब्द; बुरा-भला कहना।
शत्रंज ($फा.स्त्री.)-एक प्रसिद्घ खेल, जो भारतवर्ष का प्राचीन आविष्कार है और जिससे अच्छा कोई और खेल आज तक संसार में नहीं हो सका, न ही उसका खेलनेवाला यह दावा कर सकता है कि वह सबसे अच्छा खेलता है। 'हिन्दीÓ में 'शतरंजÓ प्रचलित।
शत्रंजबाज़ ($फा.वि.)-शतरंज खेलनेवाला; शतरंज का धनी; शतरंज का अच्छा खिलाड़ी।
शत्रंजी ($फा.स्त्री.)-शतरंज की बिसात के खानों की तरह का बुना हुआ कपड़े का $फर्श या $कालीन, ($वि.)-शत्रंजबाज़।
शत्हीयात ($फा.स्त्री.)-'शत्हीय:Ó का बहु., धर्म-विरुद्घ बातें; अनर्गल और व्यर्थ की बातें, जल्प।
शद [द्द] (अ़.पु.)-मज़बूत करना, पक्का करना, दृढ़ करना; स्वर का ऊँचा करना; स्वर का उतार-चढ़ाव।
शदाइद (अ़.पु.)-'शदीद:Ó का बहु., अड़चनें, रुकावटें, कठिनाइयाँ, बाधाएँ; आपत्तियाँ, विपत्तियाँ, मुसीबतें, विपदाएँ।
शदीद: (अ़.स्त्री.)-आपत्ति, विपत्ति, मुसीबत, विपदा; कठिन, दुष्कर, मुश्किल।
शदीद (अ़.वि.)-तीव्र, तेज़, प्रचण्ड; कठिन, दुष्कर, मुश्किल; सख़्ती करनेवाला।
शदीदुलअ़दावत (अ़.वि.)-बद्घ वैर, जो किसी से बहुत अधिक शत्रुता रखे।
शदीदुलअ़मल (अ़.वि.)-जो करने में कठिन हो, दु:साध्य, दुष्कर, मुश्किल।
शदीदुल$कुव्वत (अ़.वि.)-ता$कतवर, शक्तिशाली, महाबल, ज़ोरावर।
शद्द: (अ़.पु.)-ध्वजा, झण्डा, पताका, अ़लम; मुहर्रम में उठनेवाला झण्डा या अ़लम।
शद्दाद (अ़.पु.)-अत्यन्त क्रूर, बहुत अधिक अत्याचार करनेवाला; एक प्राचीन बादशाह जो स्वयं को ईश्वर कहलवाता था, उसने 'इरमÓ नामक एक कृत्रिम स्वर्ग भी बनवाया था मगर उसमें प्रवेश करते समय घोड़े से गिरकर मर गया।
शद्दे मुख़्ाालि$फ (अ़.पु.)-शत्रु को मु$काबले पर बुलाने के लिए ज़ोर से पुकारना, ललकार, चुनौती।
शद्दरिहाल (अ़.पु.)-यात्रा, स$फर, लम्बा स$फर।
शद्दोमद (अ़.पु.)-धूमधाम, ज़ोर-शोर।
शनवा ($फा.वि.)-सुननेवाला।
शनाअ़त (अ़.स्त्री.)-बुराई, बदी, निकृष्टता।
शनाएÓ (अ़.पु.)-'शनीअ़:Ó का बहु., बुराइयाँ।
शनाख़्त: ($फा.वि.)-जाना हुआ, पहचाना हुआ।
शनाख़्त ($फा.स्त्री.)-पहचान; पहचानने का चिह्नï, निशानी; लक्षण, अ़लामत।
शनाख़्तकुनिंद: ($फा.वि.)-पहचान करनेवाला, पहचाननेवाला।
शनात (अ़.पु.)-'शानीÓ का बहु., शत्रुगण, दुश्मन लोग, वैरी जन।
शनास ($फा.प्रत्य.)-शनाख़्त करनेवाला, पहचाननेवाला, जैसे-'मर्दुमशनासÓ=अच्छे-बुरे आदमी को पहचाननेवाला।
शनासा ($फा.वि.)-जानकार, पहचाननेवाला; परिचित, वा$िक$फ।
शनासाई ($फा.स्त्री.)-परिचय, जान-पहचान।
शनासिंद: ($फा.वि.)-जानकार, पहचाननेवाला।
शनासीद: ($फा.वि.)-जाना हुआ, पहचाना हुआ, परिचित।
शनासीदनी ($फा.वि.)-जानने योग्य, पहचानने योग्य; जिसको जानना और पहचानना ज़ुरूरी हो।
शनीअ़: (अ़.स्त्री.)-बुरी, ख़्ाराब, निकृष्ट।
शनीअ़ (अ़.वि.)-बुरा, ख़्ाराब, निकृष्ट।
शनीद: ($फा.वि.)-सुना हुआ, श्रुत।
शनीद ($फा.स्त्री.)-सुनवाई, समाअ़त।
शनीदनी ($फा.वि.)-सुनने के योग्य; दिलचस्प, सुनने में मज़ेदार।
शपुश ($फा.वि.)-कपड़े और बालों में पडऩेवाला छोटा कीड़ा, जूँ, स्वेदज, लोमयूक, दे.-'शुपुशÓ और 'शिपिशÓ।
शप्पर: ($फा.पु.)-चमगादड़, , वातुलि, जतुका, अजिनपत्र।
शप्पर:चश्म ($फा.वि.)-जिसे चमगादड़ की तरह दिन में दिखाई न दे।
शप्पर ($फा.पु.)-दे.-'शप्पर:Ó, दोनों शुद्घ हैं।
शप्ल$क (तु.पु.)-थप्पड़, चाँटा, तमाचा।
शप्लिंद: ($फा.वि.)-निचोडऩेवाला।
शप्लीद: ($फा.वि.)-निचोड़ा हुआ।
शफ़क़ (अ़.स्त्री.)-ऊषा, उषा, सवेरे या शाम की लालिमा जो क्षितिज पर होती है।
शफ़कग़ूँ (अ़.$फा.वि.)-लालिमा लिये हुए, श$फ$क-जैसे रंग का, उषा-वर्ण।
शफ़कज़़ार (अ़.$फा.पु.)-जहाँ श$फ$क बहुत हों।
शफ़क़त (अ़.स्त्री.)-सहानुभूति, हमदर्दी; कृपा, दया, मेहरबानी; बड़ों की ओर से छोटों पर दयादृष्टि, ममता, आत्मीयता।
शफ़क़ी (अ़.वि.)-श$फ$क का; श$फ$क के रंग का; ऊषा-सम्बन्धी।
श$फत (अ़.पु.)-अधर, ओष्ठ, होंठ, लब।
श$फतैन (अ़.वि.)-दोनों होंठ।
श$फवी (अ़.वि.)-होंठवाला; होंठ द्वारा उच्चरित अक्षर।
श$फह (अ़.पु.)-अधर, ओष्ठ, होंठ।
श$फही (अ़.वि.)-होंठवाला; होंठ द्वारा उच्चरित अक्षर, श$फवी।
श$फा (अ़.पु.)-तट, कूल, किनारा; प्रत्येक चीज़ का किनारा; जीवन का अंतिम भाग।
श$फाअ़त (अ़.स्त्री.)-सि$फारिश, अभिस्ताव; ईश्वर से अपने अनुयाययों के मोक्ष की सि$फारिश।
श$फाअ़तगर (अ़.$फा.वि.)-प्रलय के दिन अपने अनुयायियों की सि$फारिश करनेवाला पै$गम्बर।
श$फाअ़त$फर्मा (अ़.$फा.वि.)-दे.-'श$फाअ़तगरÓ।
श$फाजु$फ (अ़.$फा.वि.)-नदी आदि का किनारा, तट, कूल।
श$फीअ़ (अ़.वि.)-सि$फारिशी; प्रलय या $िकयामत के दिन मोक्ष दिलानेवाला; शु$फाÓ का दावा करनेवाला।
श$फीए ख़्ालीत (अ़.पु.)-साझे की ज़मीन पर शु$फाÓ का दावा करनेवाला।
शफ़ीए जार (अ़.पु.)-पड़ोस की ज़मीन या मकान पर शु$फाÓ करनेवाला।
श$फी$क (अ़.वि.)-दयालु, कृपालु, मेहरबान; मित्र, सखा, दोस्त।
शफ़्क़त (अ़.स्त्री.)-दे.-'श$फ$कतÓ, उर्दू में दोनों प्रकार से बोलते हैं, बल्कि अधिक यही बोलते हैं।
शफ़्तालू ($फा.पु.)-एक फल, आड़ू।
शफ्फ़़ाफ़ (अ़.वि.)-स्वच्छ, उज्ज्वल, चमकदार; निर्मल, शुद्घ, सा$फ; $कलई किया हुआ।
शफ्फ़़ाफ़ी (अ़.स्त्री.)-स्वच्छता; शुद्घता, निर्मता; $कलई की चमक।
शब: ($फा.पु.)-छोटे-छोटे मोती, पोत, पोता।
शब ($फा.स्त्री.)-रात, रात्रि, यामिका, निशा, रजनी, यामिनी, शर्वरी, तमस्विनी, विभावरी।
शब [ब्ब] (अ़.स्त्री.)-फिटकरी, फटिकर; (वि.)-युद्घ, लड़ाई; तारुण्य, जवानी; उच्चता; आग जलाना।
शब अंदर रोज़ ($फा.पु.)-एक कपड़ा।
शबअफ्ऱोज़ ($फा.पु.)-वह जऱबफ़्त (सोने-चाँदी के तारों से बना हुआ कपड़ा), जिसकी ज़मीन रुपहली हो।
शबआहंग ($फा.पु.)-दे.-'शबाहंगÓ, वही उच्चारण शुद्घतम है, अशुद्घ यह भी नहीं है।
शबक: (अ़.पु.)-जाल, पाश, बन्धनदीवार की जाली, लोहे आदि की जाली जो मकान में लगाई जाती है।
शबक (अ़.पु.)-दे.-'शबक:Ó।
शबकात (अ़.पु.)-'शबक:Ó का बहु., जाल और बन्धन, मकान की जालियाँ।
शबकोर ($फा.वि.)-जिसे रतौंधी आती हो, रतौंधी का रोगी, निशान्ध।
शबकोरी ($फा.स्त्री.)-रात में न दिखाई पडऩे का रोग, तिमि।
शबख़्ाूँ ($फा.पु.)-'शबख़्ाूनÓ का लघु., दे.-'शबख़्ाूनÓ।
शबख़्ाून ($फा.पु.)-सेना के रात के अँधेरे में शत्रुदल पर अचानक हमला।
शबख़्ोज़ ($फा.वि.)-रात रहते जाग जानेवाला; रात्रि में उठकर ईश्वर की उपासना या जप-तप करनेवाला।
शबख़्ोज़ी ($फा.स्त्री.)-रात रहे जागना; रात में उठना; रात में उपासना या जप-तप करना।
शबख़्वाँ ($फा.पु.)-बुलबुल, एक प्रसिद्घ गानेवाली चिडिय़ा।
शबख़्वाबी ($फा.स्त्री.)-रात में सोते समय पहनने के वस्त्र।
शबगज़ ($फा.स्त्री.)-क्षणिक कष्ट, थोड़ी देर की व्यथा, आंशिक पीड़ा।
शबगर्द ($फा.वि.)-रात में घूम-फिरकर पहरा देनेवाला; कोतवाल, थानेदार।
शबगर्दी ($फा.स्त्री.)-रात में पहरा देना; रात में फिरना, घूमना।
शबगश्त ($फा.वि.)-दे.-'शबगर्दÓ।
शबगाह ($फा.स्त्री.)-रात का समय; रात के समय।
शबगीर ($फा.वि.)-रात के पिछले पहर में उठनेवाला या जप-तप करनेवाला; पिछली रात; आधी रात के बाद का समय।
शबगूँ ($फा.वि.)-श्यामवर्णी, काले रंग का, कृष्णवर्ण।
शबगूनी ($फा.स्त्री.)-काले रंग का होना, कालापन, कालाभ।
शबचिराग़ ($फा.पु.)-एक बहुमूल्य रत्न, जो रात में दीपक की तरह प्रकाश देता है, (वि.)-रात्रि-दीपक, रात का चिराग़ अर्थात् चन्द्रमा, चाँद।
शबजि़ंद:दार ($फा.वि.)-रात-भर जागने और जप-तप करनेवाला।
शबजि़ंद:दारी ($फा.स्त्री.)-रात-भर जागकर जप-तप और पूजा-अर्चना करना।
शबताज़ ($फा.वि.)-रात में आक्रमण करनेवाला, अँधेरे में टूट पडऩेवाला, रात के अँधेरे में छापामारी करनेवाला।
शबताज़ी ($फा.स्त्री.)-रात्रि में जब शत्रु नींद में हो, उस समय उस पर अचानक हमला।
शबताब ($फा.वि.)-रात को चमकानेवाला; रात्रि को प्रकाशित करनेवाला; चन्द्रमा, चाँद।
शबताबी ($फा.स्त्री.)-रात को चमकाना; रात्रि को चमकदार बनाना।
शबदेग ($फा.स्त्री.)-वह हाँडी, जो रात-भर पकाई जाए।
शबदेज़ ($फा.पु.)-मुश्की घोड़ा, काला घोड़ा।
शबनम ($फा.स्त्री.)-ओस, आकाश-जल।
शबनमी ($फा.स्त्री.)-ओस से बचाव के लिए ताना जानेवाला कपड़ा; मच्छरदानी।
शबनशीं ($फा.वि.)-रात-रात भर सभाओं और जलसों में बैठनेवाला; रात-भर जलसों में बैठना।
शबपर: ($फा.पु.)-चमगादड़, चर्मचटक।
शबपोश ($फा.पु.)-रात में पहनने के कपड़े।
शबबख़्ौर (अ़.$फा.वि.)-एक वाक्य, जो रात में दो मित्र परस्पर विदा होते समय बोलते हैं, अर्थ यह है कि -'आपकी रात सुख और शान्ति से व्यतीत होÓ।
शबबरात (अ़.$फा.स्त्री.)-मुसलमानों का एक त्योहार, शबरात।
शबबाश ($फा.वि.)-रात में ठहरनेवाला; सहवास करनेवाला, संभोग करनेवाला।
शबबाशी ($फा.स्त्री.)-रात-भर के लिए कहीं ठहरना; सहवास करना, स्त्री-प्रसंग करना।
शबबू ($फा.पु.)-एक फूल, जो रात में खिलता और महकता है, रात की रानी।
शबबेदार ($फा.वि.)-रात-भर जागकर जप-तप या पूजा-उपासना करनेवाला; रात-भर जागनेवाला।
शबबेदारी ($फा.स्त्री.)-रात-भर जागना; रात-भर जागकर पूजा-अर्चना या तपस्या करना।
शबबो ($फा.पु.)-दे.-'शबबूÓ।
शबम ($फा.पु.)-सर्दी, शीत, जाड़ा, ठण्ड; शरद् ऋतु।
शबमांद: ($फा.वि.)-रात का रखा हुआ, बासी, जिस पर से रात गुजऱ गई हो।
शबमुर्द: ($फा.वि.)-रात-रात भर सोनेवाला, सारी रात सोनेवाला।
शबमुर्दगाँ ($फा.पु.)-'शबमुर्द:Ó का बहु., सारी रात सोनेवाला।
शबबार ($फा.पु.)-एक दवा एलुवा, जो रात में पेट सा$फ करने के लिए खाई जाती है।
शबरंग ($फा.वि.)-कृष्ण-वर्ण, काले रंग का, श्यामवर्ण।
शबरवी ($फा.स्त्री.)-रात में घूमना-फिरना; रात में यात्रा करना; चोरी, तस्करी।
शबराँ ($फा.वि.)-दे.-'शबताज़Ó।
शबरौ ($फा.वि.)-रात में घूमने-फिरने या यात्रा करनेवाला; रात में जप-तप अथवा पूजा-अर्चना करनेवाला; चोर, तस्कर।
शबह (अ़.पु.)-एक धातु, पीतल। इसका 'हÓ उर्दू के 'हम्जाÓ अक्षर से बना है।
शबह (अ़.पु.)-देह, शरीर, बदन, जिस्म, काया। इसका 'हÓ उर्दू के 'हेÓ अक्षर से बना है।
शबाँ ($फा.पु.)-'शबानÓ का लघु., दे.-'शबानÓ।
शबाँगाह ($फा.स्त्री.)-शाम, सायंकाल, सन्ध्या।
शबान: ($फा.वि.)-रात का, रातवाला; रात से सम्बन्धित; बासी, पर्युषित।
शबान:रोज़ ($फा.वि.)-रात-दिन, अहर्निश, शबोरोज़।
शबान ($फा.पु.)-पशुओं को चरानेवाला, चरवाहा, ढोर चरानेवाला, चौपिया।
शबानी ($फा.स्त्री.)-जंगल में चौपायों की देखभाल, चरवाही।
शबाब ($फा.पु.)-जवानी, तारुण्य, युवावस्था; किसी चीज़ की अन्तत: और उत्तम अवस्था।
शबाबआवर (अ़.$फा.वि.)-फिर से जवान बना देनेवाला।
शबारोज़ ($फा.वि.)-रात-दिन, अहर्निश, हमेशा, सदा, शबोरोज़।
शबाशब ($फा.वि.)-रातों-रात, रात ही रात में, एक ही रात में।
शबाहंग ($फा.पु.)-बहुत ही मधुर गानेवाली एक चिडिय़ा, बुलबुल, गोवत्सक; एक उज्ज्वल तारा या सितारा, जो शाम को चमकता है।
शबाहत (अ़.स्त्री.)-रूप, शक्ल, आकृति; समता, समानता, सदृशता, यकसानियत; एकरूपता, हमशक्ली।
शबित (अ़.पु.)-एक शाक, सोया, दे.-'शिबितÓ, दोनों शुद्घ हैं।
शबिस्ताँ ($फा.पु.)-रात में रहने का स्थान; शयनागार, शयनकक्ष, ख़्वाबगाह।
शबीन: ($फा.वि.)-रात की बची हुई वस्तु, बासी, पर्युषित; रात का, रात्रिय; रमज़ान के महीने में $कुरान का वह पाठ, जो एक रात में ख़्ात्म हो जाता है।
शबीह ($फा.स्त्री.)-मूर्ति, चित्र, तस्वीर; छायाचित्र, $फोटो; सदृश, समान, मिस्ल, एकरूप।
शबे अ़ाशूर: (अ़.$फा.स्त्री.)-मुहर्रम के महीने की दसवीं तारीख़्ा की रात।
शबे $कद्र (अ़.$फा.स्त्री.)-'रजबÓ के महीने की 27वीं तारीख़्ा, शबे मेÓराज, इस रात की इबादत का बड़ा पुण्य माना जाता है।
शबे चक ($फा.स्त्री.)-दे.-'शबे बरातÓ।
शबे जवानी ($फा.स्त्री.)-रात-रूपी जवानी; युवावस्था का उन्माद।
शबे जि़$फा$फ (अ़.$फा.स्त्री.)-सुहागरात, दुल्हन की दूल्हा के पास जाने की पहली रात, प्रथम प्रणय-रात्रि।
शबे तार ($फा.स्त्री.)-निपट काली रात, बहुत ही गहन रात्रि, नितान्त अँधेरी रात, तमस्विनी, तमिस्रा, कुहूनिशा।
शबे दैजूर (अ़.$फा.स्त्री.)-अमावस्या या अमावस की रात; निपट काली रात, तमिस्रा।
शबे $िफरा$क (अ़.$फा.स्त्री.)-दे.-'शबे हिज्रÓ।
शबे बरात (अ़.$फा.स्त्री.)-दे.-'शबबरातÓ, दोनों शुद्घ हैं।
शबे माह ($फा.स्त्री.)-चाँदनी रात, ज्योत्स्ना, सज्योत्स्ना।
शबे मेÓराज (अ़.$फा.स्त्री.)-वह रात, जिसमें हज्ऱत पै$गम्बर साहब अ़र्श (आस्मान) पर ईश्वर से मिलने के लिए गए थे।
शबे यल्दा ($फा.स्त्री.)-दे.-'शबे दैजूरÓ।
शबे वस्ल (अ़.फा.स्त्री.)-नायक और नायिका के मिलन की रात, संयोग-रात्रि।
शबे वाÓद: (अ़.$फा.स्त्री.)-जिस रात को नायिका अपने नायक से मिलने का वाा करे, वह रात।
शबे हिज्र (अ़.$फा.स्त्री.)-विरहरात्रि, बिछोह की रात, नायिका के वियोग की रात।
शबे हिज्राँ (अ़.$फा.स्त्री.)-दे.-'शबे हिज्रÓ।
शबोरोज़ ($फा.पु.)-अहर्निश, रात-दिन; हर समय; निरन्तर, लगातार।
शब्अ़ान (अ़.वि.)-पेट भरा हुआ, अफरा हुआ, परतृप्त।
शब्बर (अ़.पु.)-हज्ऱत इमाम हुसैन।
शब्बाक (अ़.वि.)-छेद करनेवाला।
शब्बीर (अ़.पु.)-हज्ऱत इमाम हसन, जो इमाम हुसैन के बड़े भाई थे।
शब्बूर (अ़.पु.)-एक बाजा, तुरुही, जो पीतल की बनाई जाती है।
शम [म्म] (अ़.पु.)-सूँघना, घ्राण।
शमाÓ [शम्अ़] (अ़.स्त्री.)-मोम, सिक्थ; मोमबत्ती।
शमाइम (अ़.पु.)-'शमीम:Ó का बहु., सुगन्धियाँ, ख़्ाुशबुएँ।
शमाइल (अ़.पु.)-'शमील:Ó का बहु., प्रकृतियाँ, स्वभाव, अ़ादतें।
शमातत (अ़.स्त्री.)-किसी की हानि या अवनति पर प्रसन्न होना।
शमाम: (अ़.पु.)-महक, सुगन्ध, ख़्ाुशबू।
शमामच: (अ़.$फा.पु.)-सूँघने का सुगन्धित पदार्थ।
शमीद: ($फा.वि.)-सूँघा हुआ, मूचर््िछत, बेहोश; उद्विग्न, विकल, परेशान।
शमीम: (अ़.स्त्री.)-सूँघने का पदार्थ, ख़्ाुशबू।
शमीम (अ़.पु.)-महक, सुगन्ध, ख़्ाुशबू।
शमील: (अ़.स्त्री.)-स्वभाव, प्रकृति, अ़ादत, ख़्ास्लत।
शम्अ़ (अ़.स्त्री.)-मोम, सिक्थ; मोमबत्ती, दीपक, चिराग़।
शम्अ़दान (अ़.$फा.पु.)-जिसमें मोमबत्ती रखकर जलाते हैं।
शम्अ़रुख़्ा (अ़.$फा.वि.)-दे.-'शम्अ़रूÓ।
शम्अ़रू (अ़.$फा.वि.)-दीपक-जैसे उज्ज्वल और दीप्त मुखवाली सुन्दरी।
शम्अ़साज़ (अ़.$फा.वि.)-मोमबत्ती बनानेवाला।
शम्ई (अ़.वि.)-मोम का; मोम से बना हुआ।
शम्ए अ़ालमताब (अ़.$फा.स्त्री.)-सूरज, सूर्य, रवि, भानु, भास्कर।
शम्ए ऐमन (अ़.स्त्री.)-वह प्रकाश, जो हज्ऱत मूसा को दिखाई पड़ा था।
शम्ए कुश्त: (अ़.$फा.स्त्री.)-बुझा हुआ दीपक, वह मामबत्ती जो बुझ गई हो, मृतदीप।
शम्ए ख़्ाामोश (अ़.$फा.स्त्री.)-बुझा हुआ दीप, चिराग़ या शम्अ़।
शम्ए ज़ेरे दामन (अ़.$फा.स्त्री.)-दामन की आड़ में हवा से बचाकर जलनेवाला चिरा$ग।
शम्ए तूर (अ़.स्त्री.)-दे.-'शम्ए ऐमनÓ।
शम्ए बज़्म (अ़.$फा.स्त्री.)-गोष्ठि अथवा सभा में जलनेवाला चिराग़, प्राय: प्रेमिका की गोष्ठि का चिराग़।
शम्ए बालीं (अ़.$फा.स्त्री.)-सिरहाने जलनेवाला दीप, प्राय: बीमार प्रेमी के सिरहाने का चिराग़।
शम्ए मज़ार (अ़.स्त्री.)-$कब्र अथवा समाधि पर जलाया जानेवाला दीप या चिराग़, प्राय: प्रेमी की $कब्र का चिराग़।
शम्ए मह$िफल (अ़.स्त्री.)-दे.-'शम्ए बज़्मÓ, 'शम्ए मह$िफल अब यहाँ से दूर जाकर जल कहीं, मेरी तन्हाई का गुम हो जाए न जंगल कहींÓ-माँझी
शम्ए मुर्द: (अ़.$फा.स्त्री.)-दे.-'शम्ए ख़्ाामोशÓ।
शम्ए मोमी (अ़.$फा.स्त्री.)-मोमबत्ती।
शम्ए शबअफ्ऱोज़ (अ़.$फा.स्त्री.)-रात्रि को रौशन करनेवाला दीप अर्थात् चन्द्रमा, चाँद।
शम्ए सहर (अ़.स्त्री.)-सवेरे का दीप, जो बुझने के निकट होता है, (ला.)-वह व्यक्ति, जिसकी उम्र थोड़ी रह गई हो, जो मरने के $करीब हो।
शम्ए हयात (अ़.स्त्री.)-शमअ़ अर्थात् दीप-रूपी जीवन, जो जलने के साथ-साथ घुलता भी जाता है।
शम्म: (अ़.पु.)-बहुत थोड़ा, किंचिन्मात्र।
शम्माम: (अ़.पु.)-सेंधी, सुंधिया, कचरी, छोटी फूट जो सुगन्धित होती है।
शम्मास (अ़.वि.)-सूर्य के उपासक, सूर्य-पूजक, सूरज के पुजारी।
शम्ल: (अ़.पु.)-पगड़ी का वह सिरा, जो पीछे की ओर लटकता है; एक छोटी शाल, जो लपेटी जाती है।
शम्शाद ($फा.पु.)-सर्व का पेड़, जो सीधा होता है और जिससे नायिका के डील की उपमा दी जाती है।
शम्शाद$कद (अ़.$फा.वि.)-सर्व-जैसे सुडौल और लम्बे डीलवाला (वाली)।
शम्शाद$कामत (अ़.$फा.वि.)-दे.-'शम्शाद$कदÓ।
शम्शादबाला ($फा.वि.)-दे.-'शम्शाद$कदÓ।
शम्शीर ($फा.स्त्री.)-असि, कृपाण, खड्ग, तलवार।
शम्शीरजऩ ($फा.वि.)-असिजीवी, सिपाही, सैनिक।
शम्शीरजऩी ($फा.स्त्री.)-सिपाही का पेशा।
शम्शीरदम ($फा.वि.)-तलवार-जैसी तेज़ धारवाला।
शम्शीर बक$फ ($फा.वि.)-हाथ में तलवार लिये हुए, शस्त्रपाणि; वध करने को तत्पर।
शम्शीरे अजल (अ़.$फा.स्त्री.)-मौत की तलवार।
शम्शीरे आबदार ($फा.स्त्री.)-तेज़ धारवाली तलवार, काट करनेवाली तलवार।
शम्शीरे दुदम ($फा.स्त्री.)-दुधारी तलवार, जिसके दोनों ओर धार हो।
शम्शीरे बरह्न: ($फा.स्त्री.)-नंगी तलवार, म्यान से निकली हुई तलवार; स्पष्ट वक्ता, लाग-लपेट न रखनेवाला।
शम्शीरे हिलाली (अ़.$फा.स्त्री.)-नव चन्द्र-रूपी तलवार, टेढ़ी तलवार।
शम्शीरोसिनाँ ($फा.स्त्री.)-तीर और तलवार; युद्घ-सामग्री।
शम्स: (अ़.पु.)-रौशनदान।शम्स (अ़.पु.)-सूर्य, सूरज, रवि, भानु, तरणि, अरुण, मार्तण्ड, अर्क, मिहिर।
शम्सी (अ़.वि.)-सूर्य का; सूर्य-सम्बन्धी; सूर्य के चक्र के हिसाब से सम्बन्ध रखनेवाला, जैसे-'शम्सी सालÓ=सौर वर्ष।
शम्सीय: (अ़.स्त्री.)-छतरी, धूप से बचने का छाता।
शम्सुलउलमा (अ़.पु.)-विद्वानों में सूर्य के समान; एक उपाधि, जो अँग्रेज़ी समय में मुस्लिम अ़ालिमों (विद्वानों) को सम्मानार्थ दी जाती थी।
शय (अ़.स्त्री.)-वस्तु, द्रव्य, पदार्थ, चीज़।
शयातीन (अ़.पु.)-'शैतानÓ का बहु., शैतानों का गिरोह, पिशाच-मण्डली।
शय्याद (अ़.वि.)-धूर्त, छली, वंचक, मक्कार।
शरंगेज़ (अ़.$फा.वि.)-आपस में फूट डालनेवाला; झगड़ा-$फसाद खड़ा कर देनेवाला, उपद्रवी, $फसादी।
शरंगेज़ी (अ़.$फा.स्त्री.)-झगड़ा करना, उपद्रव करना; आपस में लड़ाना, फूट डालना।
शर [र्र] (अ़.पु.)-बदी, बुराई; उपद्रव, $फसाद; फूट, अलगाव।
शरअंगेज़ (अ़.$फा.वि.)-दे.-'शरंगेज़Ó, अधिक वही व्यवहृत है।
शरअंगेज़ी (अ़.$फा.स्त्री.)-दे.-'शरंगेज़ीÓ, अधिक वही व्यवहृत है।
शरतैन (अ़.स्त्री.)-पहला नक्षत्र, अश्विनी।
शरपसंद (अ़.$फा.वि.)-जो झगड़ा-टंटा पसंद करता हो, झगड़ालू, कलहप्रिय।
शरपसंदी (अ़.$फा.स्त्री.)-झगड़ा पसन्द करना, झगड़ालूपन।
शर$फ (अ़.पु.)-सम्मान, सत्कार, इज़्ज़त; श्रेष्ठता, उत्तमता, ब़ज़ुर्गी; उच्चता, उत्तुंगता, बुलंदी; कुलीनता, शरा$फत।
शर$फयाब (अ़.$फा.वि.)-सफल, कामयाब।
शर$फयाबी (अ़.$फा.स्त्री.)-सफलता, कामयाबी।
 शरफ़े जिय़ारत (अ़.पु.)-दर्शनों का सौभाग्य, देखने का सौभाग्य।
शरफ़े मुला$कात (अ़.पु.)-साक्षात्कार का सौभाग्य, दर्शनों का सौभाग्य।
शरफ़े मुलाज़मत (अ़.पु.)-पास उठने-बैठने का सौभाग्य।
शरफ़े हज्जोजिय़ारत (अ़.पु.)-हज करने और मदीना जाने का सौभाग्य।
शरर (अ़.पु.)-चिंगारी, अग्निकण, स्फुलिंग।
शररअंगेज़ (अ़.$फा.वि.)-चिंगारियाँ फैलानेवाला, शुर्रे छोडऩेवाला, उपद्रवी।
शररअफ़्शाँ (अ़.$फा.वि.)-दे.-'शररअंगेज़Ó।
शरर$िफशाँ (अ़.$फा.वि.)-'शररअफ़्शाँÓ का लघु., दे.-'शररअंगेज़Ó।
शररफ़्शाँ (अ़.$फा.वि.)-दे.-'शररअंगेज़Ó।
शररबार (अ़.$फा.वि.)-आग बरसानेवाला, जिससे आग निकले, अग्निवर्षक।
शररबारी (अ़.$फा.स्त्री.)-आग बरसाना, आग निकलना, अग्निवर्षा।
शरा (अ़.स्त्री.)-पित्ती, एक रोग जिसमें सरे शरीर पर लाल दाने पड़ जाते हैं।
शराइत (अ़.पु.)-'शर्तÓ का बहु., शर्तें।
शराईन (अ़.स्त्री.)-'शिर्यानÓ का बहु., फड़कनेवाली रगें, धमनियाँ, नाडिय़ाँ।
शराएÓ (अ़.पु.)-'शरीअ़तÓ का बहु., धर्मशास्त्र।
शराकत (उ.स्त्री.)-साझा, भागीदारी।
शराकतनाम: (अ़.$फा.पु.)-वह प्रपत्र, जिसमें साझा अथवा भागीदारी के सम्बन्ध में लिखा-पढ़ी हो।
शराकतनामा (अ़.$फा.पु.)-दे.-'शराकतनाम:Ó, वही शुद्घ उच्चारण है।
शराब (अ़.पु.)-मद्य, मदिरा, वारुणी, हाला, सुरा, इरा, कदम्बिनी, हलिप्रिया। 'जि़न्दगी हमने यार जी ऐसे, मुँह बनाकर शराब पी जैसेÓ-माँझी
शराबकश (अ़.$फा.वि.)-शराब पीनेवाला, शराबी, मद्यप, पानकर्ता, रसाशी, सुराशी।
शराबकशी (अ़.$फा.स्त्री.)-शराब पीना, मद्यपान।
शराबख़्ाान: (अ़.$फा.पु.)-मधुशाला, मदिरालय, सुरावेश्म, पानागार, मदिरागृह, मैख़्ााना।
शराबख़्ााना (अ़.$फा.पु.)-दे.-'शराबख़्ाान:Ó, वही शुद्घ उच्चारण है।
शराबख़्ाोर (अ़.$फा.वि.)-शराब पीनेवाला, मद्यप, रसाशी, सुरापायी, पानकर्ता।
शराबख़्ाोरी (अ़.$फा.स्त्री.)-शराब पीना, मद्यपान।
शराबख़्वार (अ़.$फा.वि.)-दे.-'शराबख़्ाोरÓ।
शराबज़द: ($फा.वि.)-शराब के नशे में चूर, मदोन्मत्त।
शराबज़दगी ($फा.स्त्री.)-शराब का गहरा नशा, मदोन्माद।
शराबज़दा ($फा.वि.)-दे.-'शराबज़द:Ó, वही उच्चारण शुद्घ है।
शराबफऱोश (अ़.$फा.वि.)-शराब का ठेकेदार, शौंडिक, कल्यपाल, सुराजीवी।
शराबफऱोशी (अ़.$फा.स्त्री.)-शराब बेचना, शराब की ठेकेदारी।
शराबसाज़ (अ़.$फा.वि.)-शराबकशी करनेवाला, सुराकार।
शराबसाज़ी (अ़.$फा.स्त्री.)-शराबकशी करना, शराब बनाना, सुराकर्म।
शराबी (अ़.वि.)-शराब पीनेवाला, मद्यप।
शराबे अंगूरी (अ़.$फा.स्त्री.)-अंगूर से बनी हुई शराब, द्राक्षेरा।
शराबे अ़सली (अ़.स्त्री.)-शहद की शराब, माधवी।
शराबे अगऱ्वानी (अ़.$फा.स्त्री.)-लाल रंग की शराब, लाल मदिरा।
शराबे आतशरंग (अ़.$फा.स्त्री.)-आग-जैसे लाल रंग की शराब, अग्निवर्ण मदिरा।
शराबे कोहन: (अ़.$फा.स्त्री.)-पुरानी शराब जिसका नशा तेज़ होता है।
शराबे ख़्ाान:ख़्ाराब (अ़.$फा.स्त्री.)-घर उजाड़ देनेवाली शराब, दरिद्र बना देनेवाली शराब।
शराबे ख़्ाान:साज़ (अ़.$फा.स्त्री.)-घर में बनाई हुई शराब।
शराबे जौ (अ़.$फा.स्त्री.)-जौ की शराब, वह शराब जो कच्चे जौ से बनती है, यविरा, बियर।
शराबे तहूर (अ़.स्त्री.)-स्वर्ग में पी जानेवाली शराब।
शराबे दुआतश: (अ़.$फा.स्त्री.)-दो बार की खिंची हुई शराब, तेज़ शराब।
शराबे दोशीन: (अ़.$फा.स्त्री.)-रात की बची हुई शराब।
शराबे मु$कत्तर (अ़.स्त्री.)-निथरी हुई और सा$फ शराब; पहले जोश की बढिय़ा शराब।
शरा$फत (अ़.स्त्री.)-कुलीनता; वंश की शुद्घता; सुशीलता, सज्जनता।
शरा$फते नसबी (अ़.स्त्री.)-कुल अथवा वंश का श्रेष्ठ और बेदाग़ होना।
शरार: (अ़.पु.)-अग्निकण, स्फुलिंग, पतिंगा, चिनगारी।
शरार:ख़्ोज़ (अ़.वि.)-जिससे चिनगारियाँ निकलें।
शरार:बार (अ़.$फा.वि.)-अग्निवर्षक, आग बरसानेवाला।
शरार (अ़.पु.)-अग्निकण, स्फुलिंग, पतिंगा, चिनगारी, शरर।
शरारत (अ़.स्त्री.)-बुरा कार्य, दुष्कृत्य, बदी, बुराई; उपद्रव, $फसाद; चपलता, चंचलता, शोख़्ाी; चिढ़ाने के लिए कोई काम।
शरारत आमेज़ (अ़.$फा.वि.)-शरारत से भरा हुआ, नु$कसान पहुँचाने की बुरी नीयत से किया हुआ।
शरारतन (अ़.वि.)-शरारत से, बुरी नीयत से; चिढ़ाने के लिए, तंग करने के लिए।
शरारतपसंद (अ़.$फा.वि.)-जिसके स्वभाव में शरारत हो, उपद्रव-प्रिय, $फसादीे; जो छेडऩे के लिए शरारतें बहुत करता हो।
शरासी$फ (अ़.स्त्री.)-'शरसूफ़Ó का बहु., नीचेवाली छोटी पसलियाँ।
शरीअ़त (अ़.स्त्री.)-खुला हुआ और चौड़ा रास्ता, राजमार्ग, हाई-वे; धर्मशास्त्र, धार्मिक $कानून।
शरीक (अ़.वि.)-साझीदार, भागीदार, हिस्सेदार; मिलकर कोई काम करनेवालेे; सम्मिलित, शामिल।
शरीकदार (अ़.$फा.वि.)-साझीदार, भागीदार, हिस्सेदार।
शरीके ख़्ाानदान (अ़.$फा.वि.)-जो किसी कुल या वंश के अन्तर्गत हो; जो किसी वंश में सम्मिलित हो।
शरीके ग़ालिब (अ़.$फा.वि.)-भागीदारों में सबसे बड़ा भाग रखनेवाला, जिसका हिस्सा सबसे अधिक हो।
शरीके जिं़दगी (अ़.$फा.वि.)-जीवन-संगिनी, अर्धांगिनी, जिं़दगी की साथी अर्थात् पत्नी, भार्या।
शरीके जुर्म (अ़.वि.)-जो किसी अपराध में अपराधी का सहायक हो, जो किसी पाप में पापी का सहयोगी हो।
शरीके दर्द (अ़.$फा.वि.)-जो विपत्ति में साथ देनेवाला और सहानुभूति रखनेवाला हो।
शरीके रंजोराहत (अ़.$फा.वि.)-दु:ख-सुख में साथ देनेवाला, हर्ष और विपत्ति दोनों में शामिल, हर समय साथ देनेवाला, घनिष्ठ।
शरीके राए (अ़.वि.)-जो किसी सलाह और परामर्श में सम्मिलित हो।
शरीके सोहबत (अ़.वि.)-पास बैठने-डठनेवाला, सोहबत या संगत में रहनेवाला।
शरीके हाल (अ़.वि.)-संगी, साथी, हर अवस्था में साथ रहनेवाला।
शरीके हयात (अ़.वि.)-जीवन-संगिनी, पत्नी, भार्या; पति, स्वामी।
शरीज: (अ़.पु.)-कबूतरों का दरबा, काबुक।
शरीफ़ (अ़.वि.)-कुलीन, ख़्ाानदानी; सज्जन, सुशील, ख़्ाुशअख़्ला$क; सभ्य, शिष्ट, बातमीज़; निश्छल, निष्कपट, सरल स्वभाव।
शरी$फज़ाद: (अ़.$फा.वि.)-शरी$फ का लड़का, आर्यपुत्र, कुल-पुरुष।
शरी$फज़ादा (अ़.$फा.वि.)-दे.-'शरी$फज़ाद:Ó, वही उच्चारण शुद्घ है।
शरीफ़तब्अ़ (अ़.वि.)-स्वभाव से सज्जन और शिष्ट।
शरीफ़मनिश (अ़.$फा.वि.)-दे.-'शरी$फतब्अ़Ó।
शरीफ़मिज़ाज (अ़.वि.)-दे.-'शरी$फतब्अ़Ó।
शरीफ़सूरत (अ़.वि.)-जो देखने में शरी$फ लगे, जिसकी सूरत से सज्जनता और कुलीनता टपकती हो।
शरी$फुत्तब्अ़ (अ़.वि.)-दे.-'शरी$फतब्अ़Ó।
शरी$फुन्नफ़्स (अ़.वि.)-स्वभावत: सज्जन, शिष्ट और निश्छल।
शरी$फुन्नसब (अ़.वि.)-उत्तम कुल, महाकुल, जिसके वंश में कोई ऐब या दोष न हो।
शरी$फुन्नस्ल (अ़.वि.)-जिसकी जाति शुद्घ रक्तवाली हो, उत्तमवर्ण, कुलीन।
शरीर (अ़.वि.)-बुरे काम करनेवाला, बदी करनेवाला, दुष्ट, उपद्रवी, $फसादी; चपल, चंचल, शोख़्ा; चिढ़ाने या छेडऩे के लिए कुछ करनेवाला; पिशुन, चु$गुल, लगाई-बुझाई करनेवाला; आपस में दंगा-$फसाद करानेवाला।
शरीरतब्अ़ (अ़.वि.)-जिसके स्वभाव में शरारत हो, धूर्त, $फसादी; जो चिढ़ाने या छेडऩे के लिए शरारतें करता हो।
शरीरमिज़ाज (अ़.वि.)-दे.-'शरीरतब्अ़Ó।
शर्अ़ (अ़.स्त्री.)-चौड़ी सड़क, राजमार्ग; शरीअ़त, धर्मशास्त्र।
शर्ई (अ़.$फा.वि.)-धर्मशास्त्र-सम्बन्धी, धार्मिक, मज़हबी।
शर्ए मुहम्मदी (अ़.स्त्री.)-इस्लामी धर्मशास्त्र।
शर्क़ (अ़.पु.)-पूर्व, पूरब, उदयाचल, मश्रि$क।
शकऱ्ी (अ़.वि.)-पूर्वीय, पूरब का, मश्रिक़ी।
श$र्कोग़र्ब (अ़.पु.)-पूरब-पच्छिम अर्थात् सारा जगत्, विश्व।
शर्ज़: (अ़.पु.)-अत्यधिक क्रुद्घ होनेवाला, बहुत अधिक $गुस्सेवाला।
शर्जि़म: (अ़.पु.)-खण्ड, टुकड़ा; थोड़े मनुष्यों का समूह या दल; थोड़े-से फलों का ढेर।
शर्त (अ़.स्त्री.)-$करार, पण; प्रतिज्ञा, अ़ह्द; संविदा, वादा; बाज़ी, जुआ।
शर्तिय: (अ़.वि.)-अवश्य, य$कीनी; शर्त बाँधकर, शर्त के साथ; अनिवार्य, लाजि़मी।
शर्तिय: (अ़.वि.)-दे.-'शर्तिय:Ó, वही उच्चारण शुद्घ है।
शर्ती (अ़.वि.)-शर्तवाला; शर्त-सम्बन्धी।
शर्बत (अ़.स्त्री.)-शकर डालकर मीठा किया हुआ पानी, जो पिया जाता है, शर्करोदक; दवाओं से बना शकर का शीरा, सीरप, मिष्टोद।
शर्बतफऱोश (अ़.$फा.वि.)-शर्बत बेचनेवाला।
शर्बतसाज़ (अ़.$फा.वि.)-शर्बत बनानेवाला।
शर्बती (अ़.वि.)-एक रंग, जो हलका गुलाबी होता है।
शर्बते दीद (अ़.$फा.पु.)-दे.-'शर्बते दीदारÓ।
शर्बते दीदार (अ़.$फा.पु.)-शर्बत-रूपी दर्शन, दृष्टिरस।
शर्बते दीनार (अ़.$फा.पु.)-एक यूनानी शर्बत, जो विशेषत: जिगर के रोगियों को दिया जाता है।
शर्बते मर्ग (अ़.$फा.पु.)-मौत का शर्बत, मृत्यु, मरण, निधन।
शर्बते वस्ल (अ़.पु.)-शर्बत-रूपी नायिका का मिलन; सहवास-रस, मैथुनानन्द।
शर्म ($फा.स्त्री.)-लाज, लज्जा, हया; पश्चात्ताप, पछतावा।
शर्मआलूद ($फा.वि.)-दे.-'शर्मगींÓ।
शर्मगाह ($फा.स्त्री.)-गह्येंद्रिय; लिंग; भग।
शर्मगीं ($फा.वि.)-शर्मिन्दा, लज्जित।
शर्मनाक ($फा.वि.)-लज्जाजनक, घिनावना, बेहयाई का।
शर्मसार ($फा.वि.)-शर्मिन्दा, लज्जित; पछतानेवाला, पश्चात्तापी।
शर्मसारी ($फा.स्त्री.)-लाज, लज्जा, हया; पश्चात्ताप, पछतावा।
शर्मिंद: ($फा.वि.)-लज्जित, शर्मसार।
शर्मिंदए इस्याँ (अ़.$फा.वि.)-पापों से लज्जित।
शर्मिंदए एहसान (अ़.$फा.वि.)-आभारी, कृतज्ञ, मम्नून।
शर्मिंदए माÓनी (अ़.$फा.वि.)-सार्थक, बामानी।
शर्मिंदगी ($फा.स्त्री.)-लाज, लज्जा, शर्म; पश्चात्ताप, पछतावा।
शर्मिंदा ($फा.वि.)-दे.-'शर्मिंद:Ó, वही शुद्घ उच्चारण है।
शर्मे रुस्वाई ($फा.स्त्री.)-बदनामी की लज्जा।
शर्मे हुज़ूरी (अ़.$फा.स्त्री.)-सामने होने या पास आने की मुरव्वत, आँखें चार होने का लिहाज़।
शर्मोहया (अ़.$फा.स्त्री.)-लाज और शर्म।
शर्ह: (अ़.पु.)-खण्ड, टुकड़ा।
शर्ह:शर्ह: (अ़.वि.)-टुकड़े-टुकड़े।
शर्ह (अ़.स्त्री.)-व्याख्या, तश्रीह; स्पष्टता, वज़ाहत; विस्तार, तफ़्सील; टीका, किसी मूल ग्रंथ का विस्तारपूर्वक वर्णन।
शर्हनवीस (अ़.$फा.वि.)-किसी मूल ग्रंथ की टीका-टिप्पणी करनेवाला, टीकाकार, भाष्यकार।
शर्हनिगार (अ़.$फा.वि.)-दे.-'शर्हनवीसÓ।
शर्हे माअ़ानी (अ़.स्त्री.)-क्लिष्ट शब्दों का अर्थ।
शर्हे मतालिब (अ़.स्त्री.)-क्लिष्ट भावार्थ की व्याख्या।
शर्हे सूद (अ़.$फा.स्त्री.)-ब्याज की दर।
शर्होबस्त (अ़.$फा.स्त्री.)-विस्तार, व्याख्या, वज़ाहत।
शलंग ($फा.स्त्री.)-छलाँग, उछाल, कूद।
शल [ल्ल] (अ़.वि.)-अपाहिज, जिसके हाथ-पाँव काम न दें; काहिल, आलसी; शिथिल, ढीला।
शल्ग़म ($फा.पु.)-एक प्रसिद्घ तरकारी, शलजम।
शल्जम (अ़.पु.)-एक प्रसिद्घ तरकारी, शलजम।
शल्ता$क (तु.पु.)-युद्घ, लड़ाई; कलह, झगड़ा।
शल्तूक ($फा.पु.)-धान, भूसी सहित चावल, शाली।
शल्फ़ ($फा.स्त्री.)-कुलटा, व्यभिचारिणी, पुंश्चली, $फाहिशा।
शल्ला$क (तु.पु.)-कोड़े या छड़ी से मारना; थप्पड़ मारना; शोख़्ा, चंचल, चपल।
शल्वार ($फा.स्त्री.)-एक प्रकार का ढीला पसजामा।
शवाइब (अ़.पु.)-'शाइब:Ó का बहु., मिलावटें, आमेजि़शें।
शवागि़ल (अ़.पु.)-'शग़लÓ का बहु., मश्$गले, काम-धंधे।
शवाफ़ेÓ (अ़.पु.)-'शा$िफईÓ का बहु., शाफि़ई पंथ के अनुयायी मुसलमान।
शवारि$क (अ़.पु.)-'शारि$क:Ó का बहु., दीप्त वस्तुएँ; सूर्य की किरणें।
शवारेÓ (अ़.पु.)-'शारेÓ का बहु., बड़े मार्ग, खुले रास्ते, विस्तृत पथ।
शवाहि$क (अ़.पु.)-विशाल और भव्य भवन, ऊँची इमारत।
शवाहिद (अ़.पु.)-'शाहिदÓ का बहु., गवाह लोग, साक्षीगण।
शव्वाल (अ़.पु.)-इस्लामी दसवाँ महीना।
शश: ($फा.पु.)-शव्वाल महीने के पहले छह दिन, जिसमें रोज़े रखे जाते हैं।
शश ($फा.वि.)-छह, षट्, षट्क, षष्।
शशजिहत (अ़.$फा.स्त्री.)-छहों तर$फा (चारों दिशाएँ तथा ऊपर और नीचे की दो दिशाएँ)।
शशदर: ($फा.वि.)-छह दरवाज़ोंवाली इमारत; मरण स्थान, हलाकी की जगह; हक्का-बक्कापन, हैरानी;
शशदर ($फा.वि.)-चकित, स्तब्ध, निस्तब्ध, हक्का-बक्का, आश्चर्यान्वित।
शशदांग ($फा.वि.)-दे.-'शशजिहतÓ।
शशपहलू ($फा.वि.)-छह कोनोंवाला, षट्कोण।
शशपा ($फा.वि.)-छह पाँवोंवाला, षड्पद, षडंघ्र।
शशपाय: ($फा.वि.)-जिस इमारत में छह खंभे हों।
शशपाया ($फा.वि.)-दे.-'शशपाय:Ó, वही शुद्घ उच्चारण है।
शशमाह: ($फा.वि.)-छह महीने की अवधि का, छह महीने की आयु का।
शशमाहा ($फा.वि.)-दे.-'शशमाह:Ó, वही शुद्घ उच्चारण है।
शशमाही ($फा.वि.)-छह महीने में एक बार होनेवाला, षाण्मासिक, अद्र्घवार्षिक।
शशसरी ($फा.पु.)-वह सोना, जिसमें तनिक भी मिलावट या खोट न हो, कुन्दन।
शशुम ($फा.वि.)-छठवाँ, षष्ठ।
शशेपंज ($फा.पु.)-संकोच, उधेड़-बुन।
शस्त ($फा.वि.)-साठ, षष्ठि; (पु.)-शल्य, नश्तर; फं़दा; मिज्राब; (स्त्री.)-निशाना, ताक; मछली पकडऩे की लम्बी डोर, जिसमें छड़ नहीं होती।
शस्तक ($फा.स्त्री.)-गुदा मैथुन करानेवाले व्यक्तियों का लिंग की आकृति का एक अस्त्र, जिससे वे अपनी खुजली मिटाते हैं; लिंग, मेह्न, शिश्न।
शस्तगीर ($फा.वि.)-धनुर्धर, तीरंदाज़।
शस्तमीर ($फा.वि.)-धनुर्विधा में निपुण, लक्ष्यभेदी।
शस्तुम ($फा.वि.)-साठवाँ।
शहंशाह ($फा.पु.)-वह बादशाह, जिसके अधीन कई बादशाह हों, सम्राट्, चक्रवर्ती सम्राट्, राजाधिराज।
शहंशाही ($फा.स्त्री.)-साम्राज्य, बादशाहों की बादशाही।
शह ($फा.पु.)-'शाहÓ का लघु., दे.-'शाहÓ, बढ़ावा, प्रेरणा, हुशकारी; शतरंज की एक किश्त।
शहख़्ार्च ($फा.वि.)-बहुत अधिक ख़्ार्च करनेवाला, मुक्तहस्त।
शहज़ाद: ($फा.पु.)-राजकुमार, राजपुत्र, बादशाह का लड़का; युवराज, वली अ़ह्द।
शहज़ादगी ($फा.स्त्री.)-राजकुमारता, बादशाह का लड़का होना, (ला.)-अत्यन्त ठाठ-बाट।
शहज़ादा ($फा.पु.)-दे.-'शहज़ाद:Ó, वही उच्चारण शुद्घ है।
शहज़ोर ($फा.वि.)-बलवान्, शक्तिशाली, ता$कतवर।
शहज़ोरी ($फा.स्त्री.)-ता$कतवरी, शक्तिशालिता, बली होना।
शहतीर ($फा.पु.)-शीशम या शाल आदि की सीधी और चौकोर लकड़ी, जो छत पाटने के काम आती है, लट्ठा।
शहतूत ($फा.पु.)-एक प्रसिद्घ छोटा फल, तूत।
शहदुज़्द ($फा.पु.)-शातिर चोर, पश्यतोहर।
शहनशीं ($फा.स्त्री.)-बैठने की ऊँची इमारत।
शहनाई ($फा.स्त्री.)-एक बाजा, न$फीरी।
शहनाज़ ($फा.वि.)-नवविवाहिता, दुल्हन।
शहपर ($फा.पु.)-'शाहपरÓ का लघु., पक्षी का बाज़ू, डैना।
शहबाज़ ($फा.पु.)-'शाहबाज़Ó का लघु., बड़ा बाज़, शिकारी बाज़, श्येन।
शहरग ($फा.स्त्री.)-'शाहरगÓ का लघु., शरीर की सबसे बड़ी रग या धमनी, जो हृदय से मिलती है।
शहसवार ($फा.वि.)-घोड़े की बहुत अच्छी सवारी करनेवाला।
शहसवारी ($फा.स्त्री.)-घोड़े पर बहुत अच्छा बैठना, घोड़े पर कुशलता से बैठना।
शहा ($फा.अव्य.)-हे राजा! हे बादशाह! शाह का सम्बोधन।
शहादत (अ़.स्त्री.)-साक्षी, गवाही; देश या धर्म आदि के लिए बलिदान; धर्मयुद्घ में वध।
शहादतकद: (अ.$फा.पु.)-दे.-'शहादतगाहÓ।
शहादतकदा (अ.$फा.पु.)-दे.-'शहादतकद:Ó, वही उच्चारण शुद्घ है।
शहादतगाह (अ.$फा.स्त्री.)-शहीद होने का स्थान, बलिदान होने या किये जाने की जगह।
शहादतनाम: (अ.$फा.पु.)-प्रमाणपत्र, सनद; वह ग्रंथ, जिसमें किसी के शहीद होने का वर्णन हो।
शहादतनामा (अ.$फा.पु.)-दे.-'शहादतनाम:Ó, वही उच्चारण शुद्घ है।
शहादते इमाम (अ़.स्त्री.)-हज्ऱत इमाम हुसैन की शहादत या बलिदान।
शहादते उज़्मा (अ़.स्त्री.)-बहुत बड़ी शहादत, सबसे बड़ा बलिदान; हज्ऱत इमाम हुसैन का वध।
शहादते कुब्रा (अ़.स्त्री.)-दे.-'शहादते उज़्माÓ।
शहादते हक़्क़: (अ़.स्त्री.)-सच्ची गवाही; सत्य के लिए बलिदान; सच्चा बलिदान।
शहान: (अ.$फा.वि.)-'शाहान:Ó का लघु., शाहों-जैसा, राज्याचित।
शहाना (अ.$फा.वि.)-दे.-'शहान:Ó, वही उच्चारण शुद्घ है।
शहाब (अ़.पु.)-कुत्ते का पिल्ला; वह दूध जिसमें दो भाग पानी मिला हो; ($फा.पु.)-लाल रंग।
शहाबी ($फा.वि.)-लाल सुख्ऱ्ा; रक्त, शोणित।
शहामत (अ़.स्त्री.)-शक्ति, ज़ोर; $फुर्ती; शूरता, बहादुरी; श्रेष्ठता, बड़ाई; प्रसन्नता, ख़्ाुशी।
शही ($फा.स्त्री.)-'शाहीÓ का लघु., राजाओं का; राजाओं-जैसा, बादशाहों-जैसा।
शही$क (अ़.स्त्री.)-गधे की वह भारी आवाज़, जो अन्त में निकलती है (गधे की शुरू की आवाज़ को 'जफ़़ीरÓ कहते हैं)।
शहीद (अ़.वि.)-बलिदानी, जो धर्म-युद्घ में शत्रु से लड़ता हुआ मारा गया हो; जिसने देश, धर्म या किसी लोक-हित के लिए बलिदान किया हो, हुतात्मा; ईश्वर का ऐ नाम।
शहीदे आÓज़म (अ़.पु.)-सबसे बड़ा शहीद या बलिदानी; सरदार भगतसिंह की उपाधि; हज्ऱत इमाम हुसैन की उपाधि।
शहीदे इश्$क (अ़.पु.)-प्रेम-पथ पर जान देनेवाला, प्रमिका को प्राण अर्पण करनेवाला।
शहीदे कर्बला (अ़.$फा.पु.)-कर्बला के युद्घ में सत्य के लिए बलिदान देनेवाले, हज्ऱत इमाम हुसैन।
शहीदे वतन (अ़.पु.)-देश की आज़ादी और उन्नति के लिए युद्घ या परिश्रम में जान देनेवाला।
शहीम (अ़.वि.)-जिसके शरीर में चर्बी बहुत हो, मेदुर।
शहीर (अ़.वि.)-प्रसिद्घ, ख्यातिप्राप्त, मशहूर।शहीह (अ़.वि.)-कंजूस, कृपण, बख़्ाील।
शहून (अ़.वि.)-ता$कतवर, शक्तिशाली, ज़ोरावर; पूज्य, श्रेष्ठ, बुज़ुर्ग।
शह्द ($फा.पु.)-मधु, शहद, अंग्बीं।
शह्दआमेज़ ($फा.वि.)-जिसमें शहद मिला हो, मधुर, मीठा।
शह्दगुफ़्तार ($फा.वि.)-मिष्टभाषी, जिसकी बातें मीठी हों, मधुरवादी, मीठा बोलनेवाला।
शह्दगुफ़्तारी ($फा.स्त्री.)-बातों की मधुरता, वार्तालाप की मिठास।
शह्दम$काल (अ़.$फा.वि.)-दे.-'शह्द$गफ़्तारÓ।
शह्दम$काली (अ़.$फा.स्त्री.)-दे.-'शह्दगुफ़्तारीÓ।
शह्न (अ़.पु.)-भरना, पुर करना, परिपूर्ण करना; हाँकना, चलाना; दूर करना, हटाना।
शह्ब: ($फा.स्त्री.)-बूढ़ी स्त्री, वृद्घा, जरिता।
शह्बर: ($फा.स्त्री.)-बूढ़ी स्त्री, वृद्घा, जरिता, शह्ब:।
शह्बा (अ़.स्त्री.)-वह घोड़ी या ऊँटनी, जिसका रंग सफ़ेदी मिला काला हो तथा सफ़ेदी अधिक हो।
शह्म: (अ़.पु.)-थोड़ी-सी चर्बी; कान की लौ।
शह्म (अ़.स्त्री.)-मेदा, वसा, चर्बी।
शह्मे हज़ल (अ़.पु.)-इन्द्रायन, एक प्रसिद्घ कड़वा फल, जो क$फ का रेचक है।
शह्र (अ़.पु.)-नगर, पुरी, बड़ी बस्ती, जो $कस्बे से बड़ी हो, ($फा.पु.)-मास, महीना; चंद्र, चाँद; प्रकटन, ज़ुहूर।
शह्र आशोब ($फा.पु.)-सामाजिक और राजनीतिक सरोकारों का चित्रण करनेवाली नज़्म; उर्दू कविता 'नज़्मÓ की एक $िकस्म, जिसमें राज्य की कुव्यवस्था, शासक की हीनता और प्रजा की दुर्गती का वर्णन होता है।
शह्रताश ($फा.तु.वि.)-एक ही नगर के निवासी, हमवतन।
शह्र दर शह्र ($फा.वि.)-नगर-नगर में, हर नगर में, एक नगर से दूसरे नगर में।
शह्रपनाह ($फा.स्त्री.)-प्राचीर, परकोटा, $फसील, नगर के चारों ओर सुरक्षा की दृष्टि से बनाई हुई पक्की और ऊँची दीवार।
शह्रबंद ($फा.वि.)-$िकला, कोट, दुर्ग; कारागार, कै़दख़्ााना; जिसके बाहर जाने पर राज्य की ओर से पाबंदी हो; किसी सुअवसर पर नगर की सजावट।
शह्रबदर ($फा.वि.)-नगर से निकाला हुआ, जिसे सरकारी आदेश पर नगर से निकाल दिया गया हो, नगर से वहिष्कृत।
शह्रयार ($फा.वि.)-शासक, राजा, नरेश, बादशाह, सम्राट्।
शह्रयारी ($फा.स्त्री.)-सत्ता, शासन, बादशाही।
शह्रवा ($फा.पु.)-वह सिक्का-विशेष, जो किसी नगर-विशेष में चलता हो मगर दूसरी जगह न चलता हो।
शह्री ($फा.वि.)-शहर में रहनेवाला, शहर का निवासी, नगर-निवासी; सभ्य, शिष्ट, तमीज़दार; जिसे किसी देश में वहाँ की प्रजा होने का अधिकार प्राप्त हो, नागरिक।
शह्रीयत ($फा.स्त्री.)-शिष्टता, सभ्यता; नागरिकता, सिटिजऩशिप।
शह्रे ख़्ामोशाँ ($फा.पु.)-मूक लोगों का नगर अर्थात् $कब्रिस्तान, समाधिक्षेत्र।
शह्रे गऱीबाँ ($फा.पु.)-परदेसियों का नगर, जहाँ कोई एक-दूसरे को पहचानता न हो।
शह्रे नाबीना ($फा.पु.)-अंधों का नगर, जहाँ कोई कुछ देख न सकता हो, (ला.)-जहाँ गुण-दोष परखनेवाला न हो।
शह्रेवर ($फा.पु.)-र्दरान का एक महीना, जो हिन्दी हिसाब से कुआर में पड़ता है।
शह्ल: ($फा.स्त्री.)-वृद्घा स्त्री, बुढिय़ा।
शह्ला (अ़.वि.)-काली आँखोंवाली स्त्री; वह नर्गिस, जिसके भीतर पीलाहट की जगह कालिमा होती है और आँख से बहुत मिलती-जुलती है।
शह्वत (अ़.स्त्री.)-इच्छा, अभिलाषा, ख़्वाहिश; क्षुधा, भूख, इश्तिहा; कामवेग, कामातुरता; स्त्री-प्रसंग की प्रबल इच्छा, कामवासना।
शह्वतअंगेज़ (अ.$फा.वि.)-कामवासना को लीव्र करनेवाला, कामवद्र्घक, काम-शक्ति बढ़ानेवाला।
शह्वतअंगेज़ी (अ.$फा.स्त्री.)-कामवासना की तीव्रता, कामशक्ति की प्रबलता, शह्वत का जोश।
शह्वतअफ्ज़़ा (अ.$फा.वि.)-कामवासना को तीव्र करनेवाला, कामवद्र्घक, कामशक्ति बढ़ानेवाला।
शह्वतकुश (अ.$फा.वि.)-कामवासना को शान्त करनेवाला, कामेच्छा को नष्ट करनेवाला, शह्वत को मारनेवाला, इंद्रियदमन।
शह्वतकुशी (अ.$फा.स्त्री.)-कामवासना को शान्त करना, कामेच्छा का दमन करना, शह्वत को मारना।
शह्वतख़्ोज़ (अ.$फा.वि.)-दे.-'शह्वतअंगेज़Ó।
शह्वतख़्ोज़ी (अ.$फा.स्त्री.)-दे.-'शह्वतअंगेज़ीÓ।
शह्वतपरस्त (अ.$फा.वि.)-इच्छाओं का दास; भोग-विलास का रसिया, व्यभिचारी, लम्पट।
शह्वतपरस्ती (अ.$फा.स्त्री.)-इच्छाओं की पूजा, लिप्सा; कामवासना की रसिकता, व्यभिचार।
शह्वतराँ (अ.$फा.वि.)-दे.-'शह्वतपरस्तÓ।
शह्वतरानी (अ.$फा.स्त्री.)-दे.-'शह्वतपरस्तीÓ।
शह्वते कल्वी (अ़.स्त्री.)-एक रोग, जिसमें भूख बहुत बढ़ जाती है, और कितना भी खा लिया जाए तृप्ति नहीं होती।
शह्वात (अ़.स्त्री.)-'शह्वतÓ का बहु., शह्वतें, इच्छाएँ, कामवासनाएँ।
शह्वानी (अ़.वि.)-इच्छा या अभिलाषा का; कामवासना का; इच्छा-सम्बन्धी; कामवासना-सम्बन्धी।
शह्वानीयत (अ़.स्त्री.)-कामेच्छा, शह्वत, कामवासना, स्त्री-प्रसंग की इच्छा।
शह्वी (अ़.वि.)-इच्छा या अभिलाषा का; कामवासना का; इच्छा-सम्बन्धी; कामवासना-सम्बन्धी।

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