रि
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रिंद ($फा.पु.)-मद्यप, शराबी; मस्त, उन्मत्त; रसिया, रँगीला; निश्चिन्त, बे$िफक्र; लम्पट, धूर्त, धोखेबाज़; धार्मिक बन्धनों से मुक्त।रिंदतब्अ़ (अ़.$फा.वि.)-जो बहुत ही बे$िफक्र, ख़्ाुशमिज़ाज और मनमौजी हो।
रिंदपेश: ($फा.वि.)-बहुत अधिक शराबी, मद्यप, रसाशी।
रिंदमज़्हब (अ़.$फा.वि.)-दे.-'रिंदपेश:Ó।
रिंदमश्रब (अ़.$फा.वि.)-दे.-'रिंदपेश:Ó।
रिंदशिअ़ार (अ़.$फा.वि.)-दे.-'रिंदपेश:Ó।
रिंदशेव: ($फा.वि.)-दे.-'रिंदपेश:Ó।
रिंदान: ($फा.वि.)-रिन्दों-जैसा, मतवालों-जैसा, आज़ादों-जैसा।
रिंदी ($फा.स्त्री.)-शराबीपन; लम्पटता; रँगीलापन; मनमौजीपन; मस्ती।
रिंदे ख़्ाुशऔ$कात (अ़.$फा.पु.)-वह शराबी जिसका अधिक समय पीने-पिलाने में ही गुजऱे।
रिंदे पार्सा ($फा.पु.)-वह शराबी जो शराब पीने के साथ-साथ संयमी और निग्रही हो।
रिंदे बलानोश ($फा.पु.)-बहुत अधिक और हर प्रकार की शराब पीनेवाला।
रिंदे बास$फा (अ़.$फा.पु.)- वह शराबी जो बहुत ही सदाचारी और स्वच्छ-हृदय हो।
रिंदे लाउबाली (अ़.$फा.पु.)-वह शराबी जो बहुत ही बे$िफक्र और मनमौजी हो।
रिंदेशाहिदबाज़ (अ़.$फा.पु.)-वह शराबी जो अच्छी स्त्रियों का भक्त भी हो।
रिंदे सालेह (अ़.$फा.पु.)-दे.-'रिंदे पार्साÓ।
रिअ़ायत (अ़.स्त्री.)-व्यवहार में कोमलता; मूल्य आदि में कमी; विचार, ध्यान, ख़्ायाल।
रिअ़ायती (अ़.वि.)-रिअ़ायतवाला, रिअ़ायती दामोंवाला, कम मूल्यवाला।
रिअ़ायते बेजा (अ़.$फा.स्त्री.)-$गलत रिअ़ायत, ऐसी रिअ़ायत जो उचित न हो।
रिअ़ायते माÓनवी (अ़.स्त्री.)-वह अर्थालंकार, जिसमें किसी शेÓर आदि में किसी एक अर्थ से सम्बन्धित और भी समान अर्थ वाले अर्थात् समानार्थक शब्द लाए जाएँ।
रिअ़ायते लफ्ज़़ी (अ़.स्त्री.)-वह शब्दालंकार, जिसमें किसी शेÓर आदि में एक शब्द के अनुकूल और भी शब्द लाए जाएँ, जैसे-नदी के साथ, नाव, पतवार, माँझी आदि के शब्द।
रि$क [क़्$क](अ़.स्त्री.)-दासता, परिचर्या, सेवा, $गुलामी, ख़्िादमत।
रि$काअ़ (अ़.पु.)-'रुक़्अ़:Ó (रुक़्$क:) का बहु., चिट्ठियाँ।
रिकाज़ (अ़.पु.)-द$फीना, भूमिगत धन, भूगर्भित धन, ज़मीन में गड़ा हुआ धन, भूनिहित धन-सम्पत्ति।
रिक़ाब (अ़.पु.)-'र$कब:Ó का बहु., गले, गरदनें; दासगण, लौंडी $गुलाम।
रिकाब (अ़.स्त्री.)-घोड़े की काठी का पायदान, जिसमें पाँव रखकर चढ़ते हैं; सवारी के ऊँट।
रिकाब ($फा.स्त्री.)-नौका, नाव, किश्ती; आठ पहलू का प्याला।
रिकाबदार ($फा.वि.)-घोड़े पर सवार करानेवाला नौकर; खाना बनानेवाला, रसोइया, ख़्ाानसामाँ; मिठाई और हलुवा बनानेवाला, हलुवाई।
रिकाबी ($फा.स्त्री.)-प्लेट, तश्तरी, रकाबी।
रिकेब ($फा.स्त्री.)-दे.-'रिकाबÓ।
रिक़्$कत (अ़.स्त्री.)-गीलापन, आद्र्रता; नम्रता, नर्मी; रुदन, रोना।
रिक़्$कते $कल्ब (अ़.स्त्री.)-मन की कोमलता, हृदय की आद्र्रता, चित्त की नर्मी, दया-भाव, दिल की नर्मी।
रिक़्$कते मनी (अ़.स्त्री.)-वीर्य का पतलापन, जो किसी विकार के कारण होता है।
रिक्व: (अ़.पु.)-छागल, बहुत छोटी मश्क।
रिख़्व: (अ़.पु.)-ढीलापन, शिथिलता, रिख़्वत; एक दर्द।
रिख़्व (अ़.पु.)-ढीला, शिथिल।
रिख़्वत (अ़.वि.)-ढीलापन, शिथिलता।
रिग़्व: (अ़.पु.)-झाग, फेन, क$फ।
रिग़्व (अ़.वि.)-झाग, फेन।
रिज़ा (अ़.स्त्री.)-स्वीकृति, मंज़ूरी; आज्ञा, इजाज़त; प्रसन्नता, ख़्ाुशनूदी; इमाम अ़ली मूसा रिज़ा।
रिज़ाअ़ (अ़.स्त्री.)-बालक के दूध पीने की अवस्था।
रिज़ाई (अ़.वि.)-जो किसी दूसरी स्त्री के दूध पीने में शरीक हो, जैसे-'रिज़ाई भाईÓ या 'रिज़ाई बहनÓ।
रिज़ाकार (अ़.$फा.पु.)-स्वयंसेवक, स्वेच्छा-सेवक, स्वयं की इच्छा से काम करनेवाला, बिना वेतन लिए किसी कार्य-विशेष में सेवाभाव से भाग लेनेवाला।
रिज़ाकारान: (अ़.$फा.वि.)-स्वयंसेवकों-जैसा, बिना वेतन लिए कार्यसिद्घि में सहायता।
रिज़ामंद (अ़.$फा.वि.)-अंगीकृत, राज़ी; सहमत, एकराय, हमख़्ायाल।
रिज़ामंदी (अ़.$फा.स्त्री.)-अंगीकार, $कबूलियत; सहमति, आज्ञा।
रिजाल (अ़.पु.)-'रजुलÓ का बहु., मनुष्य-समूह, अनेक आदमी।
रिजालुलगै़ब (अ़.पु.)-गै़ब के आदमी, देवता, $फरिश्ते; अलौकिक शक्तियाँ।
रिजाले मईयत (अ़.पु.)-निजी कर्मचारी, निजी सेवक, पर्सनल स्टा$फ।
रिज़्क़ (अ़.पु.)-अन्न, अनाज, $िगज़ा; जीविका, रोज़ी।
रिज़्म: (अ़.स्त्री.)-अलगनी, कपड़े टाँगने की रस्सी।
रिज्ल (अ़.पु.)-पद, पाद, चरण, पैर, पाँव।
रिज्लैन (अ़.पु.)-दोनों पाँव, उभय पद।
रिज़्वाँ (अ़.पु.)-'रिज़्वानÓ का लघु., दे.-'रिज़्वानÓ।
रिज़्वान (अ़.पु.)-स्वर्गाध्यक्ष, जन्नत का दारो$गा।
रिज़्वी (अ़.वि.)-इमाम 'अ़ली मूसा रिज़ाÓ का अनुयायी या उनका वंशज।
रिज्स (अ़.पु.)-अशुद्घता, अपवित्रता, अशौच, गन्दगी।
रित्ल (अ़.पु.)-दे.-'रत्लÓ (उर्दू में 'रत्लÓ ही बोलते हैं), दोनों शुद्घ हैं।
रिदा (अ़.स्त्री.)-ओढऩे की चादर, प्रच्छादन।
रिदाए कुह्न: (अ़.$फा.स्त्री.)-फटी-पुरानी चादर, गूदड़।
रिदापोश (अ़.वि.)-चादर ओढऩेवाला।
रि$फा$क (अ़.पु.)-'र$फी$कÓ का बहु., मित्रगण, दोस्त लोग; सहचरगण, साथी लोग।
रि$फाद: (अ़.पु.)-घाव पर बाँधने की पट्टी।
रि$फाह (अ़.स्त्री.)-'रफ़्हÓ या 'रिफ़्हÓ का बहु., हित, भलाइयाँ; सुख, आराम।
रि$फाहे अ़ाम (अ़.स्त्री.)-जनहित, लोकहित, जनता की भलाई और सुख।
रि$फाहे अ़ाम्म: (अ़.स्त्री.)-दे.-'रि$फाहे अ़ामÓ।
रि$फाहे ख़्ालाइ$क (अ़.स्त्री.)-दे.-'रि$फाहे अ़ामÓ।
रि$फाहे ख़्ाल्$क (अ़.स्त्री.)-दे.-'रि$फाहे अ़ामÓ।
रिफ़्अ़त (अ़.स्त्री.)-उच्चता, उत्तुंगता, बुलन्दी; उन्नति, तरक़्$की।
रिफ़्क़ (अ़.स्त्री.)-नम्रता, मृदुलता, कोमलता, नर्मी।
रिफ़्ह (अ़.पु.)-हित, भलाई; सुख, आराम; दे.-'रफ़्हÓ, दोनों शुद्घ हैं।
रिबा (अ़.पु.)-सूद, ब्याज।
रिब्अ़Ó (अ़.पु.)-चौथे दिन आनेवाला ब़ख़्ाार अथवा ज्वर, चौथिया।
रिब्त: (अ़.पु.)-नेक्टाई, गुलबंद, गुलगाँठ।
रिब्ह (अ़.पु.)-व्यापारिक लाभांश, तिजारती सूद अथवा तिजारती लाभ।
रिमाय: (अ़.पु.)-धनुर्विद्या, तीरंदाज़ी; तीर चलाना, बाण मारना।
रिमाल (अ़.पु.)-'रम्लÓ का बहु., बालू के कण, रेत के जर्ऱे।
रिमाह (अ़.पु.)-'रुम्हÓ का बहु., बरछे, नैज़े।
रिय: (अ़.पु.)-फेफड़ा, फुप्फुस।
रिया (अ़.स्त्री.)-ढोंग, पाखण्ड, आडम्बर, दिखावा, नुमाइश।
रियाई (अ़.$फा.स्त्री.)-ढोंगपूर्ण, दिखावटी, नुमाइशी, दिखावे का, पाखण्डवाला, आडम्बरवाला।
रियाकार (अ़.$फा.वि.)-पाखण्डी, आडम्बरी, धर्मध्वजी, ढोंगी; ठग, वंचक, धूर्त, छली।
रियाकारी (अ़.$फा.स्त्री.)-पाखण्ड, ढोंग, दिखावा, आडम्बर।
रियाज़ (अ़.पु.)-'रौज़Ó का बहु., बहुत-से बा$ग, अनेक उपवन; अभ्यास, मश्क़; कष्ट, परिश्रम, मेहनत; तपस्या, जप -तप, पूजा-अर्चना, इबादत।
रियाज़त (अ़.स्त्री.)-परिश्रम, उद्यम, प्रयास, मेहनत; कस्रत, व्यायाम; तपस्या, जप-तप, इबादत; व्रत आदि द्वारा इन्द्रियों का दमन; अभ्यास, मश्$क।
रियाज़तकश (अ़.$फा.वि.)-जप-तप और व्रत आदि द्वारा इन्द्रिय-निग्रह करनेवाला; कठोर तपस्या करनेवाला।
रियाज़तकशी (अ़.$फा.स्त्री.)-कठोर तपस्या; जप-तप और व्रत आदि।
रियाज़तगाह (अ़.$फा.स्त्री.)-तपोवन, जप-तप करने का स्थान।
रियाज़ती (अ़.वि.)-व्यायाम करनेवाला, कसरती; संयमी, जप-तप करनेवाला।
रियाज़ते शाक़्क़: (अ़.स्त्री.)-बहुत कड़ा परिश्रम; बहुत बड़ी तपस्या।
रियाज़ी (अ़.स्त्री.)-गणित, बीजगणित, गणित-विद्या।
रियाज़ीदाँ (अ़.$फा.वि.)-बीजगणित जाननेवाला, गणितज्ञ।
रियाज़ीदानी (अ़.$फा.स्त्री.)-गणित-विद्या जानना, हिसाब जानना।
रियाल (अ़.पु.)-एक सिक्का, एक करेंसी।
रियासत (अ़.स्त्री.)-अध्यक्षता, स्वामित्व, सरदारी; सत्ता, शासन, हुकूमत; बड़ी ज़मींदारी, जागीरदारी; जागीर, इला$का।
रियाह (अ़.पु.)-'रीहÓ का बहु., हवाएँ; अपानवायु, अधो-वायु, पाद, गोज़।
रियाही (अ़.वि.)-रियाह अर्थात् वायु-सम्बन्धी; वात के विकार से उत्पन्न रोग आदि।
रिवा$क (अ़.पु.)-अट्टालिका, मकान के ऊपर बना मकान, दे.-'रवा$कÓ या 'रुवा$कÓ।
रिवाज (अ़.पु.)-परिपाटी, परम्परा, प्रथा, रूढि़, चलन, दे.-'रवाजÓ, दोनों शुद्घ हैं।
रिवायत (अ़.स्त्री.)-किसी के मुँह से सुनी हुई बात ज्यूँ की त्यूँ किसी से कहना; इस्लामी परिभाषा में हज्ऱत पै$गम्बर साहब के मुख से सुनी हुई बात दूसरे को उन्हीं के शब्दों में सुनाना, हदीस बयान करना।
रिवायतन (अ़.वि.)-किसी दूसरे से सुनने के तौर पर। रिवायात (अ़.स्त्री.)-'रिवायतÓ का बहु., रिवायतें।
रिवायाती (अ़.वि.)-रिवायात-सम्बन्धी, दूसरों से सुने हुए।
रिशा (अ़.स्त्री.)-छब्बीसवाँ नक्षत्र, उत्तरा भाद्रपद।
रिश्त: ($फा.पु.)-काता हुआ; डोरा, तागा; सम्बन्ध, नाता; नारू रोग, वह कीड़ा जो डोरे की तरह विशेषत: पाँव से निकलता है।
रिश्त:दार ($फा.पु.)-सम्बन्धी, स्वजन, नातेदार, वंशज, परिजन।
रिश्त:दारी ($फा.स्त्री.)-नातेदारी, स्वजनता, सजातीयता।
रिश्त:बपा ($फा.वि.)-दे.-'रिश्त:बरपाÓ।
रिश्त:बरपा ($फा.वि.)-वह पक्षी, जिसके पाँव में डोरा बँधा हो और उड़ न सकता हो।
रिश्तए आवाज़ ($फा.पु.)-आवाज़ का डोरा, पुकार-डोर।
रिश्तए उम्र (अ़.$फा.पु.)-सालगिरह की गाँठ, जो डोरे में दी जाती है।
रिश्तए ख़्ाूँ (अ़.$फा.पु.)-रक्त-सम्बन्ध, ख़्ाून का सिलसिला, एक वंश या ख़्ाानदान का होना।
रिश्तए जाँ ($फा.पु.)-जीवन-सूत्र, प्राण-सूत्र, श्चास, साँस।
रिश्तए पेचाँ ($फा.पु.)-बल खानेवाला साँप।
रिश्तए हल्वा (अ़.$फा.पु.)-सिवैयाँ।
रिश्तनी ($फा.वि.)-कातने योग्य, जो काता जा सके।
रिश्वत (अ़.स्त्री.)-उत्कोच, उपदान, कौशलिक, अभ्युपायन, उपदा, घूस।
रिश्वतख़्ाोर (अ़.$फा.वि.)-रिश्वत खानेवाला, उत्कोचभुक्, उत्कोचग्राही।
रिश्वतख़्ाोरी (अ़.$फा.स्त्री.)-रिश्वत खाना, उत्कोच लेना, घूसख़्ाोरी।
रिश्वतदिहिंद: (अ़.$फा.वि.)-रिश्वत देनेवाला, उत्कोचदाता।
रिश्वतदिही (अ़.$फा.स्त्री.)-रिश्वत देना, उत्कोच दान।
रिश्वतसितानी (अ़.$फा.स्त्री.)-रिश्वत लेना, उत्कोच-ग्रहण।
रिसाल: (अ़.पु.)-वह पत्रिका, जो पुस्तक के रूप में किसी नियत समय पर प्रकाशित हो; किसी विषय पर छोटी-सी पुस्तिका; सैनिकों की टुकड़ी, सवारों का दस्ता।
रिसाल:दार (अ़.$फा.पु.)-सवारों के एक रिसाले अर्थात् दस्ते का नायक।
रिसाल:दारी (अ़.$फा.स्त्री.)-सवारों के एक दस्ते की अध्यक्षता।
रिसालत (अ़.स्त्री.)-संदेश, सँदेसा, ख़्ाबर, सूचना; दूतकर्म, सि$फारत; ईशदूतता, पै$गम्बरी।
रिसालत पनाह (अ़.$फा.वि.)-रसूल, पै$गम्बर, ईशदूत, अवतार।
रिसालतमअ़ाब (अ़.वि.)-अवतार, ईशदूत, पै$गम्बर।
रिहान (अ़.पु.)-गिरवी रखना, गिरौ करना, बंधक रखना; घुड़दौड़ में शर्त लगाना; 'रह्नÓ का बहु., शर्तें।
रिहाल (अ़.पु.)-'रह्लÓ का बहु., कूच, प्रस्थान, जाना।
रिही ($फा.पु.)-दास, $गुलाम, दे.-'रहीÓ, दोनों शुद्घ हैं।
रिह्म: (अ़.पु.)-हलकी वर्षा, फुहार।
रिह्ल (अ़.स्त्री.)-किताब रखने का विशेष प्रकार का लकड़ी का यंत्र।
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