फै
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फै़ (अ.पु.)-बिना युद्घ किए मिला हुआ माल, ख़्िाराज; ढली हुई छाँव।फैज़ (अ.पु.)-मृत्यु होना, मरना, देहान्त होना।
फैज़़ (अ.पु.)-लाभ, न$फा, प्राप्ति; उपकार, भलाई; यश, कीर्ति; दानशीलता, फैय़ाज़ी।
फैज़ग़ुस्तर (अ.$फा.$वि.)-यशस्वी, कीर्तिमान्; वदान्य, दानी, मुक्तहस्त, फैय़ाज़।
फैज़़तलब (अ.$वि.)-यश चाहनेवाला, जो किसी से यश की याचना या कामना करता हो, यशस्काम, यशोलिप्सु।
फैज़़बख़्श (अ.$फा.$वि.)-यश या कीर्ति देनेवाला; दान करने-ेवाला; बख़्िशश करनेवाला।
फैज़़मआब (अ.$$वि.)-यशस्वी, कीर्तिमान्; वदान्य, दानी, मुक्तहस्त, फैय़ाज़।
फैज़य़ाब (अ.$फा.$वि.)-प्राप्त-यश, प्राप्त-लाभ, जिसने फैज़़ पाया हो।
फैज़य़ाबी (अ.$फा.$स्त्री.)-फैज़़ पाना, यश पाना, लाभ पाना।
फैज़ऱसाँ (अ.$फा.$वि.)-दे.-'फैज़़बख़्शÓ।
फैज़ऱसानी (अ.$फा.स्त्री.)-फैज़़ पहुँचाना, यश देना, दान या बख़्िशश देना।
फैज़ऱसी (अ.$फा.स्त्री.)-यश देना, लाभ देना।
फैज़़ान (अ.$$वि.)-दे.-'फैज़़Ó।
फैज़़ाने सुह्बत (अ.पु.)-किसी के सामीप्य से प्राप्त होनेवाला लाभ।
फैज़़े अ़ाम (अ.पु.)-आम आदमी को दी जानेवाली बख़्िशश, ऐसी बख़्िशश या ऐसा दान जो सर्वसाधारण के लिए हो।
फै़$फ ($फा.पु.)-जंगल, वन; वीरान:, बियाबान।
फै़म ($फा.पु.)-सख़्त आदमी, कठोर व्यक्ति।
फैय़ाज़ (अ.$वि.)-मुक्तहस्त, वदान्य, बहुत देनेवाला, सख़्ाी, दाता।
फैय़ाज़ी (अ.स्त्री.)-दानशीलता, सख़्ाावत, बख़्िशश।
फै़लख़्ा (अ.पु.)-चक्की का पाट।
फै़लसू$फ (अ.पु.)-दार्शनिक, विद्वान्, वैज्ञानिक; धूर्त, छली, वंचक।
फै़श: (अ.स्त्री.)-सुपारी, छालिया, डली।
फै़सल: (अ.पु.)-न्याय, इंसा$फ; समझौता, तस्$िफया; निर्णय, तै; अन्त, ख़्ाातिमा।
फै़सल:तलब (अ.$वि.)-जिसका निर्णय होना बा$की हो; जो फै़सले की बाट जोह रहा हो; जिसका फै़सला होना ज़रूरी हो।
फै़सल (अ.$वि.)-निर्णय, फै़सला, निर्णीत, तै।
फै़हिज ($फा.पु.)-शराब, मदिरा, मधु।
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