उ
-------------------------------------------------------------------------------------
उँगली (हिं.स्त्री.)-हथेली से जुड़े हुए पाँच अवयव, जिनसे चीज़ पकड़ी या छुई जाती है। मुहा.-'उँगली उठनाÓ-बदनामी होना। 'उँगली उठानाÓ-लांछित करना। उँगली पर नचानाÓ-अपने वश में करना।उंबूब: (उम्बूब:)(अ़.पु.)-टोंटी, नली।
उंबूब (उम्बूब)(अ़.पु.)-'उंबूब:Ó का बहु., टोंटियाँ, नलियाँ।
उंस (उन्स) (अ़.पु.)-प्रेम, मुहब्बत, प्यार, स्नेह; लगाव, तअ़ल्लु$क, सम्बन्ध, रिश्ता।
उंसा (उन्सा) (अ़.स्त्री.)-मादा, स्त्री, अ़ौरत।
उंसीयत (उन्सीयत) (अ़.स्त्री.)-प्यार, प्रेम, स्नेह, मुहब्बत; लगाव, तअ़ल्लु$क, सम्बन्ध, रिश्ता।
उंसुर (उन्सुर) (अ़.पु.)-पंचतत्त्व, पंचभूत; आग, हवा, पानी, मिट्टी और आकाश आदि पाँच तत्त्व, जिनसे आदमी का शरीर बना है।
उंसुल (उन्सुल) (अ़.पु.)-जंगली प्याज़।
उ$कद (अ़.पु.)-'उक़्द:Ó का बहु., ग्रन्थियाँ, गाँठें।
उ$कबा (अ़.पु.)-दे.-'उक़्बाÓ।
उ$कला (अ़.पु.)-'अ़ा$िकलÓ का बहु., सुधीजन, अ़क़्लमन्द लोग, बुद्घिमान्जन, बुद्घिजीवी-वर्ग।
उकसाना (हिं.क्रि.)-उभाडऩा; ऊपर उठाना; उठा देना, हटा देना।
उ$काब (अ़.पु.)-एक $िकस्म का गिद्घपक्षी, बाज़, गरुड़, एक शिकारी पक्षी; नौसादर।
उ$काबीन (अ़.पु.)-लोहे के काँटे।
उ$काबैन (अ़.पु.)-दो लम्बी लकडिय़ाँ, जिन पर अपराधियों को लटकाते थे।
उ$कार (अ़.स्त्री.)-मद्य, मदिरा, शराब, सोमरस; एक प्रकार का लाल कपड़ा।
उकाश: (अ़.स्त्री.)-मकड़ी, लूता।
उ$कू$क (अ़.पु.)-माता-पिता की अवहेलना और अवज्ञा।
उ$कूल (अ़.स्त्री.)-'अ़क़्लÓ का बहु., बुद्घियाँ, अ़क़्लें।
उकौने (हि.सं.पु.)-वह जी मतलाना, जो गर्भवती को गर्भ की अवस्था में होता है।
उक्काश (अ़.पु.)-मकड़ी, लूता।
उक़्द: (अ़.पु.)-गिरह, गुत्थी, ग्रन्थि, गाँठ; जटिल समस्या, पेचीदा मसला; गूढ़ विषय, मुश्किल बात जो जल्दी समझ में न आए।
उक़्द:कुशा (अ़.$फा.वि.)-मुश्किल को आसान करनेवाला; दु:ख निवारक, कष्ट दूर करने-वाला; गाँठ खोलनेवाला; समस्या हल करनेवाला, मसला सुलझानेवाला; ईश्वर का एक नाम ।
उक़्द:कुशाई (अ़.$फा.स्त्री.)-मुश्किल को आसान करना; समस्या हल करना, मसला सुलझाने, गाँठ खोलना; कष्ट हरना, दु:ख मेटना।
उक़्द (अ़.पु.)-'उक़्द:Ó का बहु., दे.-'उक़्द:Ó।
उक़्दा (अ़.पु.)-दे.-'उक़्द:Ó, वही उच्चारण शुद्घ है।
उक़्दए ला यन्हल (अ़.पु.)-ऐसी गाँठ जो खुल न सके; ऐसी समस्या, जो हल न हो सके, अत्यन्त जटिल समस्या; ऐसा कष्ट जिसका निदान न हो।
उक्नूँ ($फा.अव्य.)-अब, इस समय, अभी।
उक्ऩूम (अ़.पु.)-मूल, जड़; ईसाई धर्म की एक किताब, जो तीन महान् ग्रन्थों में से एक है।
उक़्बा (अ़.पु.)-सृष्टि का अन्तिम काल, आख़्िारत; परलोक, यमलोक। 'उक़्बा बनानाÓ-परलोक सुधारना, आख़्िारत सँवारना।
उक़्बान (अ़.पु.)-'उ$काबÓ का बहु., बहुत-से उ$काब, अनेक बाज़, गरुड़-समूह।
उक्ऱ (अ़.पु.)-बाँझपन।
उक़्ल: (अ़.पु.)-बन्द, बन्ध, बाँध, रोक; रमल (भविष्य की घटनाएँ जानने की विद्या) की एक शक्ल।
उक़्लीदिस (अ़.स्त्री.)-रेखागणित, ज्यामिति।
उक़्हुवान (अ़.पु.)-एक वनस्पति, बाबून:।
उखडऩा (हिं.क्रि.)-जमी हुई वस्तु का अपने स्थान से अलग होना; किसी दृढ़ स्थिति से अलग होना; जोड़ से हट जाना; चाल में भेद पडऩा, ताल या क्रम का टूटना; बेताल या बेसुरा होना; ग्राहक का सौदा लेने की अवस्था में न होना या भड़क जाना; उठ जाना; अलग-अलग हो जाना, हटना; टूट जाना। मुहा.-'उखड़ी-उखड़ी बातें करनाÓ-अनुत्साह प्रकट करते हुए बात करना।
उखाडऩा (हिं.क्रि.)-किसी जमी हुई वस्तु को उसकी जगह से अलग या पृथक् करना; छिन्न-भिन्न करना; हटाना, टालना; किसी कार्य से अनुत्साह करना; भड़काना; नष्ट या ध्वस्त करना।
उख़्त (अ़.स्त्री.)-बहन, भगिनी।
उख़्दूद (अ़.पु.)-ज़मीन की लम्बी-लम्बी दजऱ्ें और खोहें।
उख़्ा्रवी (अ़.वि.)-आख़्िारत का; आख़्िार का, अन्त का।
उख़्ा्रा (अ़.स्त्री.)-आख़्िारी, अन्तिम।
उख़्ाुयत (अ़.स्त्री.)-दे.-'उख़्ाुव्वतÓ, वही शुद्घ उच्चारण है।
उख़्ाुव्वत (अ़.स्त्री.)-भाईचारा, बन्धुत्व।
उगना (हिं.क्रि.)-उदय होना; जमना, अंकुरित होना; उत्पन्न होना, उपजना।
उगलना (हिं.क्रि.)-पेट में गई हुई वस्तु को मुँह से बाहर निकालना; छिपानेवाली बात को प्रगट कर देना; पचाया हुआ माल विवश होकर वापस करना; दबाव की अवस्था में गुप्त बात बता देना।
उ$गुल (तु.पु.)-लड़का, बालक।
उग़्लूत: (अ़.पु.)-कोई ऐसी वस्तु या बात, जिससे दूसरा भ्रम में पड़ जाए, धोखा।
उचुब (तु.वि.)-विस्तृत, $कुशादा।
उछलना (हिं.क्रि.)-वेगसहित ऊपर उठना; कूदना; बहुत प्रसन्न होना, खुशी से फूलना; क्रोध से उत्तेजित होना; दर्द से तड़पना।
उछालना (हिं.क्रि.)-ऊपर की ओर फेंकना या उचकाना; प्रकट करना, प्रकाशित करना।
उजडऩा (हिं.क्रि.)-उच्छिन्न होना, टूट-फूटकर नष्ट होना, उखडऩा-पुखडऩा, ध्वस्त होना; गिरा-पड़ा हो जाना, तितर-बितर हो जाना; बरबरद या नष्ट होना।
उज़बक (तु.पु.)-दे.-'उज़्बकÓ।
उजरत (अ़.स्त्री.)-दे.-'उज्रतÓ।
उजलत (अ़.स्त्री.)-दे.-'उज्लतÓ।
उज़लत (अ़.स्त्री.)-दे.-'उज़्लतÓ।
उज़मा (अ़.पु.)-'अ़ज़ीमÓ का बहु., सम्मानितजन, बड़े लोग, प्रतिष्ठितजन, बुज़ुर्ग।
उजा$क (तु.पु.)-अँगीठी, चूल्हा।
उजा$ग (तु.पु.)-दे.-'उजा$कÓ।
उजाज (अ़.पु.)-खारा पानी, नमकीन पानी; कड़वा नमक।
उजाड़ (हिं.पु.)-उजड़ा या ध्वस्त स्थान; निर्जन स्थान।
उजाडऩा (हिं.क्रि.)-उखाडऩा; नाश करना; लूटना; दरिद्र बनाना।
उज़ाद (अ़.पु.)-दरवाज़े में बाज़ू की लकड़ी।
उजाब (अ़.पु.)-आश्चर्य, विस्मय, तअ़ज्जुब, हैरानी।
उज़ाम (अ़.पु.)-'अ़ज़ीमÓ का बहु., महान् लोग, प्रतिष्ठित जन, बड़े लोग, बुज़ुर्ग।
उजाल: (अ़.पु.)-वह वस्तु, जो तुरन्त लायी जा सके।
उजालत (अ़.स्त्री.)-दे.-'उजाल:Ó।
उजाला (हिं.पु.)-प्रकाश, चाँदना; अपने कुल अथवा जाति का उत्तम व्यक्ति; (वि.)-प्रकाशमान्।
उज़ू (अ़.पु.)-शरीर का कोई हिस्सा, अंग।
उज़ुन (अ़.पु.)-कर्ण, कान, शरीर का वह अंग जिससे सुनाई दे।
उजूब: (अ़.वि.)-अनोखी वस्तु, अजीब चीज़, अद्भुत, विचित्र, विलक्षण, अजीबो-$गरीब।
उजूबा (अ़.वि.)-दे.-'उजूब:Ó, वही उच्चारण शुद्घ है।
उजूर: (अ़.पु.)-मज़दूरी, पारिश्रमिक।
उज्ज: (अ़.पु.)-आमलेट, अण्ड़े का ख़्ाागीन:, अण्ड-निर्मित एक खाद्य-पदार्थ।
उज्ज़ (अ़.पु.)-कटिप्रदेश, श्रोणि, चूतड़।
उज़्ज़ा (अ़.पु.)-अऱब की एक प्राचीन मूर्ति, जिसकी पूजा होती थी।
उज़्ज़ाम (अ़.पु.)-'अ़ज़ीमÓ का बहु., महान् लोग, बड़े लोग, प्रतिष्ठितजन।
उज़्न (अ़.पु.)-कान, कर्ण। दे.-'उज़ुनÓ, दोनों शुद्घ हैं।
उज्ब (अ़.पु.)-अभिमान, घमण्ड, अहंकार, गर्व, $गुरूर।
उज़्बक (तु.पु.)-तुर्कों अथवा तातारियों की एक जाति। (अ़.वि.)-मूर्ख, उजड्ड, गवार, बदसली$का।
उज़्म (अ़.पु.)-बड़प्पन, बुज़ुर्गी, श्रेष्ठता; संकल्प, इरादा, निश्चय। दे.-'अ़ज़्मÓ, दोनों शुद्घ हैं। इसका 'उÓ उर्दू के 'ऐनÓ अक्षर से बना है।
उज़्म (तु.पु.)-अंगूर, द्राक्षा। इसका 'उÓ उर्दू के 'अलि$फ वाओÓ अक्षरों से बना है।
उज़्मा (अ़.पु.)-दे.-'उज़माÓ, वही उच्चारण शुद्घ है।
उज्ऱ (अ़.पु.)-बहाना, हीला; आपत्ति, विरोध, एÓतिराज़, हुज्जत, दलील; विवशता, मजबूरी; इंकार; क्षमा माँगना, मा$फी माँगना। 'उज्ऱ माज्ऱतÓ-क्षमा माँगना।
उज्ऱख़्वाह (अ़.$फा.पु.)-उज्ऱ करनेवाला; बहाना बनानेवाला; आपत्ति करनेवाला; क्षमा चाहनेवाला।
उज्ऱख़्वाही (अ़.$फा.स्त्री.)-उज्ऱ करना, आपत्ति करना।
उज्रत़ (अ़.स्त्री.)-पारिश्रमिक, मज़दूरी, भृति; बदला, एवज़।
उज्ऱदार (अ़.$फा.वि.)-दावेदार, विरोधी; एÓतिराज़ करने-वाला, आपत्ति करनेवाला; $कानूनी या वैधानिक उज्ऱदारी करनेवाला।
उज्ऱदारी (अ़.$फा.स्त्री.)-आपत्ति करना, उज्ऱ लगाना, किसी दूसरे के मु$काबले में अपने ह$क की सुरक्षा के लिए प्रार्थना करना, अपने अधिकार की सुरक्षा के लिए अ़दालत में दावा करना, गुहार लगाना; विरोध करना; दलील देना।
उज्ऱबेगी (अ़.पु.)-पेशकार, जो अ़दालत के सामने लोगों के प्रार्थनापत्र पेश करे।
उज्रा (अ़.पु.)-वृति, छात्रवृति, वज़ी$फा।
उज्ऱेज़नाँ (अ़.$फा.पु.)-मासिक-धर्म, हैज़, स्त्रियों को होनेवाला मासिक रक्तस्राव।
उज्ऱेलंग (अ़.$फा.पु.)-ऐसा उज्ऱ (आपत्ति), जिसे मानने में सन्देह हो, झूठा उज्ऱ।
उज़्लत (अ़.स्त्री.)-ईश्वराधना के लिए बाल-बच्चों से विरक्त होकर एकान्त में रहना; एकान्तवास करना; एकान्त, तन्हाई। इसका 'ज़Ó उर्दू के 'ज़ेÓ अक्षर से बना है।
उज्लत (अ़.स्त्री.)-तेज़ी, $फुर्ती, शीघ्रता, जल्दी। इसका शुद्घ उच्चारण 'इज्लतÓ है लेकिन उर्दूवाले 'उज्लतÓ ही प्रयोग करते हैं। इसका 'ज्Ó उर्दू के 'जीमÓ अक्षर से बना है।
उज़्लतगुज़ीं (अ़.$फा.वि.)-संासारिक झगड़ों से विरक्त, वैरागी, विरागी, एकान्तवासी, गोशानशीन।
उज़्लतनशीं (अ़.$फा.वि.)-दे.-'उज़्लतगुज़ींÓ।
उज़्व (अ़.पु.)-अंग, अव्यव, शरीर का कोई भाग।
उज़्हक: (अ़.वि.)-हास्यास्पद, वह जिस पर सब हँसें।
उठना (हिं.क्रि.)-नीची स्थिति से ऊँचा होना; ऊपर जाना या चढऩा; उछलना, कूदना; अचानक उभडऩा या शुरू होना; उदय होना, निकलना; जागना; उद्यत होना, सन्नद्घ होना, तैयार होना; किसी चिह्नï या अंक का उभडऩा; खमीर आना या सड़कर उफनना; दुकान, सभा या समाज का बन्द होना; कार्यालय के कार्य का समय पूरा होना, काम-काज बंद या ख़्ात्म होना; किसी प्रथा का अन्त होना; ख़्ार्च होना; भाड़े पर जाना; बिकना; ध्यान पर चढऩा या स्मरण आना; मकान या दीवार का बनना; गाय, भैंस या घोड़ी आदि का मस्ताना। मुहा.-'उठ खड़ा होनाÓ-चलने को तैयार होना। 'उठ जानाÓ-मर जाना, संसार से कूच कर जाना। 'उठती जवानीÓ-यौवन का उभाड़ शुरू होना। 'उठते-बैठतेÓ-हर समय, प्रतिक्षण।
उठान (हिं.स्त्री.)-उठने की क्रिया या भाव; बढऩे का ढंग, वृद्घिक्रम; गति की प्रारम्भिक अवस्था, आरम्भ; व्यय, ख़्ार्च, खपत।
उठाना (हिं.क्रि.)-ऊँचा करना; नीचे से ऊपर ले जाना; कुछ समय तक ऊपर लिये रहना; स्थान त्याग कराना, हटाना; जगाना; उत्पन्न करना; उभाडऩा या आरम्भ करना; तैयार करना, उद्यत करना, सन्नद्घ करना; मकान या दीवार आदि तैयार करना; प्रथा बन्द करना; व्यय या ख़्ार्च करना; भाड़े या किराये पर देना; हस्तगत करना; अनुभव करना; कोई वस्तु लेकर सौगन्ध खाना। पद.-'उठा रखनाÓ-किसी चीज़ को बा$की रखना, छोडऩा।
उडऩा (हिं.क्रि.)-हवा में होकर एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाना; हवा में ऊपर उठना; हवा में फैलना, जैसे-खुशबू उडऩा; फहराना; तेज़ चलना; कटकर दूर गिरना; पृथक् होना; जाता रहना; रंग आदि का फीका पडऩा; डण्डे आदि की मार पडऩा; कूदकर पार करना। मुहा.-'उड़ आनाÓ-बहुत जल्द आना। 'उड़ चलनाÓ-भाग जाना, तेज़ दौडऩा; शोभा पाना; 'उड़ती ख़्ाबरÓ-अनिश्चित बात।
उड़ाना (हिं.क्रि.)-उडऩे में प्रवृत्त करना; हवा में फैलाना; उडऩेवाले प्राणियों को भगाना या हटाना; चट से अलग करना या काटना; हटाना, दूर करना; भोजन करना; क्रीड़ा करना; व्यय या ख़्ार्च करना; भुलवा देना; हज़्म करना; झूठी अपकीर्ति फैलाना; मारना; किसी विद्या को गुप्त रूप से प्राप्त करना या सीख लेना; वेग से भगाना, दौड़ाना।
उतना (हिं.वि.)-उस परिमाण का, उस मात्रा का, उसके बराबर।
उतरन (हिं.क्रि.)-पहनकर उतारे हुए वे कपड़े जो या तो $कद बढऩे के कारण छोटे पड़ गए हों या फिर प्रचलन में न रहने आदि के कारण मन से उतर गए हों।
उतरना (हिं.क्रि.)-ऊँचे स्थान से नीचे की ओर आना; ढलना, अवनति पर होना; शरीर के जोड़ या नस का अपने स्थान से हटना; नदी या नाला पार करना; नदी में उफनते पानी का प्रवाह कम होना; प्रभाव या उद्वेग कम होना; समुद्र का भाटा; निगल जाना; प्रवेश करना; समाप्त होना; भाव का कम होना; डेरा करना, टिकना; अंकित होना, नकल होना; बच्चों का मर जाना; भभके से खिंचकर तैयार होना; तैल में ठहरना; अवतार लेना; अखाड़े या मैदान में आना; परिपक्व होना; कुम्हलाना; स्त्री संभोग करना (असभ्यों की बोली); सामने आना; घटित होना; धारण की हुई वस्तु का अलग होना। मुहा.-'चेहरा उतारनाÓ-मुख पर उदासी छाना।
उता$क: (तु.स्त्री.)-कल$गी।
उता$क (तु.पु.)-गृह, घर, मकान; कोठा, कमरा।
उता$ग (तु.पु.)- दे.-'उता$कÓ।
उतार (हिं.पु.)-ऊपर से नीचे आने का कार्य; ढाल, ढलान; उतरने के योग्य जगह; किसी पदार्थ की मोटाई का कम से कम होना; घटाव, कमी; नदी में जल की कमी; समुद्र में भाटा; प्रतिलेख।
उतारना (हिं.क्रि.)-ऊपर से नीचे की ओर लाना; प्रतिरूप बनाना या लिखना, चित्र खींचना; लिपटी हुई वस्तु को अलग करना, उचाडऩा, उधेडऩा; पहनी हुई वस्तु को तन से अलग करना; आरती को चारों ओर घुमाना; घुमाकर भूत-प्रेत की भेंट चौराहे पर रखना, उतारा करना; वारना, न्योछावर करना; चुकाना, अदा करना; उग्रभाव को दूर करना; जन्म देना, उत्पन्न करना; पीना, घूंटना; वसूल करना, उगाहना; कोई वस्तु तैयार करके रखना; आग पर वस्तुएँ पकाकर तैयार करना; नदी-नाले आदि के पार पहुँचना।
उतारिद (अ़.पु.)-बुधग्रह।
उताश (अ़.स्त्री.)-वह रोग, जिसमें प्यास अधिक लगे; प्यास की बीमारी, तृष्णा-रोग।
उतास (अ़.स्त्री.)-छींक; छींकें आने का रोग।
उतुल [ल्ल] (अ़.पु.)-पेटू, बहुत खानेवाला; कड़ी और ऊँची आवाज़वाला; सितमगर, अत्याचारी, ज़ुल्म ढानेवाला, अनीति करनेवाला; कड़ा नैज़ा, मोटा बल्लम।
उतुव्व (अ़.वि.)-गर्व, घमण्ड, अभिमान, $गुरूर; उद्दण्डता, सरकशी; हद से गुज़र जाना, सीमा लाँघ जाना; बहुत बूढ़ा हो जाना।
उत्ती (अ़.वि.)-दे.-'उतुव्वÓ।
उत्तू ($फा.पु.)-लोहे का वह ठप्पा, जिसे गरम करके कपड़ा छापते हैं; दाग़, निशान, छापा। 'उत्तू करनाÓ-इतना मारना कि शरीर पर चोट के निशान पड़ जाएँ।
उत्बा (अ़.पु.)-आज्ञा, मजऱ्ी।
उत्रुज (अ़.पु.)-नींबू, निम्बु।
उत्रूब: (अ़.पु.)-वह वस्तु, जो आनन्द दे, बाजा-गाजा आदि मनोरंजन के साधन।
उत्रूश (अ़.वि.)-बहरा, बधिर, जिसे कम सुनाई दे।
उत्लत (अ़.स्त्री.)-निकम्मापन, निठल्लापन, बेकारी, काम का अभाव।
उदबा (अ़.पु.)-'अदीबÓ का बहु., साहित्यकारजन, अदीब लोग, बुद्घिजीवी लोग।
उदात (अ़.पु.)-'अ़ादीÓ का बहु., अनुसेवी लोग, व्यसनी लोग; शत्रुजन, दुश्मन लोग।
उदास (सं.वि.)-जिसका मन किसी बात या वस्तु से दु:खी होकर हट गया हो, विरक्त, खिन्न; नरिपेक्ष, तटस्थ, झगड़े से अलग; दु:खी, रंजीदा।
उदूल (अ़.पु.)-मुँह फेरना, विमुख होना; न मानना, आज्ञा भंग करना; अवहेलना, अवज्ञा, ना$फर्मानी; पथभ्रष्ट होना, रास्ता भटकना, मार्गच्युत होना, राह से हट जाना।
उदूलहुक्म (अ़.वि.)-आज्ञा न माननेवाला, आदेश का पालन न करनेवाला, ना$फर्मान, सरकश।
उदूलहुक्मी (अ़.स्त्री.)-आज्ञा न मानना, आज्ञा भंग करना, आज्ञा-उल्लंघन, आदेश का पालन न करना, ना$फर्मानी।
उद्दत (अ़.स्त्री.)-तत्परता, तैयारी; बनावटी, नकली, साख़्त।
उद्व: (अ़.पु.)-नदी तट, नदी का किनारा; दूर का स्थान।
उद्वान (अ़.पु.)-अत्याचार, ज़ुल्म, सितम, अनीति; वैर, शत्रुता, दुश्मनी।
उधर (हिं.क्रि.वि.)-वहाँ, उस ओर, उस तर$फ।
उधार (हिं.पु.)-ऋण, $कर्ज़; मंगनी, छुटकारा; उद्घार।
उन (हिं.सर्व.)-'उसÓ का बहु.।
उनवान (अ़.पु.)-दे.-'उन्वानÓ, वही उच्चारण शुद्घ है।
उनसा (अ़.पु.)-'अनीसÓ का बहु., सखाजन, मित्रगण, दोस्त, अहबाब।
उनास (अ़.स्त्री.)-'उंसाÓ का बहु., मादाएँ, स्त्रियाँ। इसका 'सÓ उर्दू के 'सेÓ अक्षर से बना है।
उनास (अ़.पु.)-भीड़, लोग, जन-समूह (इस शब्द का एकवचन नहीं है)। इसका 'सÓ उर्दू के 'सीनÓ अक्षर से बना है।
उनु$क (अ़.स्त्री.)-गला, गर्दन, ग्रीवा।
उनुस (अ़.स्त्री.)-'उंसाÓ का बहु., मादाएँ, दे.-'उनासÓ।
उनूद (अ़.पु.)-असत्यकर्म, सत्य के प्रतिकूल कार्य करना; युद्घ करना, लडऩा।
उनूस (अ़.पु.)-लड़की का बालि$ग होकर बिना पति के बहुत दिनों तक पिता के घर में बैठना।
उन्$क (अ़.स्त्री.)-दे.-'उनु$कÓ, दोनों शुद्घ हैं।
उन्$का (अ़.पु.)-एक कल्पित पक्षी। (वि.)-जिसके प्राप्त होने में सन्देह हो, अलभ्य, अप्राप्य, दुष्प्राप्य, नापैद; दुर्लभ; अनुपम, नायाब। 'उन्$का होनाÓ-नापैद होना, अलभ्य होना, अप्राप्त होना।
उन्नाब (अ़.पु.)-झरबेरी की तरह के सुख्ऱ्ा फल, जो दवा में काम आते हैं।
उन्नाबी (अ़.वि.)-उन्नाब-जैसे रंगवाला, हलका बैंगनी।
उन्$फ (अ़.पु.)-खुरदरापन, खुर्रापन; रुखाई, बेरुख़्ाी।
उन्$फुवान (अ़.पु.)-प्रारम्भ, शुरुअ़ात; युवावस्था का प्रारम्भ।
उन्$फुवान ए शबाब (अ.$$फा.पु.)-यौवनारम्भ, जवानी का उठान, यौवन-अंकुरण।
उन्मूज़ज (अ़.पु.)-नमूना, बानगी, सैम्पल।
उन्वान (अ़.पु.)-शीर्षक, सुख्ऱ्ाी; शैली, पद्यति, तजऱ्; प्रशस्ति, सरनामा, ख़्ात का अल्$काबो-आदाब; प्रस्तावना, भूमिका, तम्हीद, दीबाचा; तदबीर, प्रयत्न, युक्ति; शैली, ढंग, तरह।
उन्स (अ़.पु.)-प्रेम, प्यार, स्नेह।
उन्सर (अ़.पु.)-दे.-'उन्सुरÓ।
उन्सुर (अ़.पु.)-मूलतत्त्व, पंचतत्त्व, जीवित प्राणी के लिए आवश्यक तत्त्व हवा, पानी, मिट्टी, आग और आकाश।
उन्सुरी (अ़.वि.)-मूलतत्त्व-सम्बन्धी, मूलतत्त्वों का।
उ$फ (अ़.अव्य.)-बेचैनी और कष्ट-सूचक शब्द, दु:ख या कष्ट-सूचक शब्द; हाय, ओह, आह, हा। 'उ$फ न करनाÓ-शिकायत न करना, बहुत ज़ब्त करना या सहना। 'उ$फ हो जानाÓ-नष्ट हो जाना, ख़्ार्च हो जाना, समाप्त हो जाना।
उ$फ$क (अ़.पु.)-दे.-'उ$फु$कÓ, वही शुद्घ है।
उ$फु$क (अ़.पु.)-आस्मान का किनारा, क्षितिज, वह स्थान जहाँ आकाश पृथ्वी से मिला हुआ जान पड़ता है।
उ$फूनत (अ़.स्त्री.)-बुरी बू, बदबू, दुर्गन्ध; सड़ाँध, सडऩे की बदबू।
उ$फूल (अ़.पु.)-डूबना, अस्त होना।
उ$फूसत (अ़.स्त्री.)-बखटापन, कसीलापन, कसैलापन।
उफ़्ताँ ($फा.वि.)-गिरता-पड़ता।
उफ़्ताँ-ख़्ोज़ाँ ($फा.क्रि.वि.)-दे.-'उफ़्ताँ व ख़्ोज़ाँÓ।
उफ़्ताँ व ख़्ोज़ाँ ($फा.क्रि.वि.)-बदहवासी की हालत में, बेहोशी की दशा में; बहुत कठिनता से उठते-बैठते हुए, गिरते-पड़ते हुए।
उफ़्ताद: ($फा.वि.)-दीन, अ़ाजिज़, निराश्रय; गिरा हुआ, पड़ा हुआ; दु:खित, दलित, मुसीबतज़दा, मुसीबत का मारा; गैऱआबाद भूमि, बिना जोता-बोया खेत।
उ$फ़्ताद ($फा.स्त्री.)-आकस्मिक दुर्घटना, हादसा; विपत्ति, आपत्ति, मुसीबत; दैवी विपदा, बला, $कह्रï ($कह्र); जड़, बुनियाद; ढंग, शैली, अ़ादत, तर्ज़।
उफ़्तादगी ($फा.स्त्री.)-दीनता, विनय, अ़ाजिज़ी, ख़्ााकसारी; गिरना, पडऩा; दु:ख; विपत्ति, आपत्ति, मुसीबत, दु:ख।
उफ़्तादनी ($फा.वि.)-जो गिर सके, जो गिराया जा सके, गिरने योग्य।
उफ़्तादा ($फा.वि.)-दे.-'उफ़्ताद:Ó, वही उच्चारण शुद्घ है।
उबरना (हिं.क्रि.)-उद्घार पाना, निस्तार पाना, मुक्त होना; बचना।
उबलना (हिं.क्रि.)-गरमी पाकर तरल पदार्थ का फेन या झाग के साथ ऊपर उठना; उमडऩा; वेग से निकलना।
उबसना (हि.क्रि.)-गलना, सडऩा, बोसीदा होना; सडऩे के आसार होना, अधिक समय तक रखे रहने पर एक प्रकार की बू आ जाना।
उबाब (अ़.पु.)-छुहारे के पेड़ का पत्ता; पानी की भयानक बाढ़; बहुतायत; भरा होना; ऊँचाई; शुरुअ़ात।
उबुव्वत (अ़.स्त्री.)-बाप होना, पितृत्व।
उबूदीयत (अ़.स्त्री.)-दासता, बन्दगी, $गुलामी।
उबूर (अ़.स्त्री.)-किसी राह पर गुजऱना, किसी रास्ते से होकर जाना; नदी आदि को पार करना, पार उतरना; पानी में जाना, पुल के पार जाना, नाँधना; अभ्यास, महारत, पारंगत होना।
उबूसत (अ.स्त्री.)-चिड़चिड़ाहट; तुरुश-रुई, मुँह बनाना; विमुखता, उपेक्षा।
उब्बाद (अ़.पु.)-'अ़ाबिदÓ का बहु., तपस्वीजन, इबादत करनेवाले, पूजा-आराधना करनेवाले, उपासक।
उब्हुल (अ़.पु.)-एक वनौषधि, हाऊबेर।
उम [म्म] (अ़.स्त्री.)-जननी, माँ, माता।
उम$क (अ़.पु.)-दे.-'उमु$कÓ, वही शुद्घ उच्चारण है।
उमडऩा (हिं.क्रि.)-द्रव पदार्थ का बहुतायत होने के कारण ऊपर उठना; उठकर फैलना या छाना; बादलों का घिरकर आना; उमंग या आवेश में आना।
उमम (अ़.स्त्री.)-'उम्मतÓ का बहु., उम्मतें, विभिन्न धर्म-सम्प्रदाय।
उमर (अ़.पु.)-मुसलमानों के दूसरे ख़ली$फा का नाम।
उमरा (अ़.पु.)-'अमीरÓ का बहु., धनवान् लोग, धनाढ्य लोग, दौलतमंद, सम्पन्न लोग; वज़ीर, मंत्री, राज्य के उच्च अधिकारी।
उमस (हिं.स्त्री.)-वह गरमी जो पानी न बरसने और हवा न चलने से होती है।
उमीद ($फा.स्त्री.)-दे.-'उम्मीदÓ।
उमीदवार ($फा.वि.)-दे.-'उम्मीदवारÓ।
उमु$क (अ़.पु.)-गहराई, गम्भीरता; हौज या नदी की तह।
उमुद (अ़.पु.)-'अ़मूदÓ का बहु., अनेक स्तम्भ, खम्भे।
उमूम (अ़.पु.)-साधारण, अ़ाम।
उमूमन (अ़.वि.)-अ़ामतौर पर, साधारणत:, बहुधा, प्राय:, अक्सर।
उमूमियत (अ़.स्त्री.)-दे.-'उमूमीयतÓ, वही उच्चारण शुद्घ है।
उमूमी (अ़.वि.)-जनसाधारण से सम्बन्ध रखनेवाला, सार्वजनिक, अ़वामी, अ़ाम।
उमूमीय: (अ़.स्त्री.)-जनता, अ़ाम लोग, पब्लिक, जनता-जनार्दन, जनसाधारण।
उमूमीयत (अ़.स्त्री.)-माँ की ममता, वात्सल्य। इसका 'उÓ उर्दू के 'अलि$फÓ अक्षर से बना है।
उमूमीयत (अ़.स्त्री.)-साधारणपन, मामूलीपन (विशेष का विपरीत); साधारणत, सामान्यता। इसका 'उÓ उर्दू के 'ऐनÓ अक्षर से बना है।
उमूर (अ़.पु.)-'अम्रÓ का बहु., अनेक काम, कार्य-समूह; विषय, समस्याएँ, मसले; मुश्किलें, कठिनाइयाँ। 'उमूरे अहमÓ-आवश्यक विषय।
उमूरात (अ़.पु.)-दे.-'उमूरÓ।
उमूरेअ़ाम्म: (अ़.पु.)-अ़ाम आदमी की भलाई के कार्य, जनसाधारण के हित-सम्बन्धी कार्य।
उम्द: (अ़.वि.)-बढिय़ा, सुन्दर, मनोरम; उत्तम, श्रेष्ठ, उच्च कोटि का; विश्वासपात्र, विश्वसनीय।
उम्दगी (अ़.$फा.स्त्री.)-उम्दा होने का भाव, अच्छाई, ख़्ाूबी; श्रेष्ठता, ख़्ारापन; बढिय़ा होना, उत्तमता, बढिय़ापन; सुन्दरता, ख़्ाुशनुमाई; विश्वसनीयता।
उम्दा (अ़.वि.)-दे.-'उम्द:Ó, वही उच्चारण शुद्घ है।
उम्नीयत (अ़.स्त्री.)-उम्मीद, आशा, इच्छा, आरज़ू; उद्देश्य, मक़्सद, मंशा; मिथ्या, झूठ; पुस्तक का पाठ।
उम्म: (अ़.स्त्री.)-माँ, जननी, माता, मेहतारी।
उम्म (अ़.स्त्री.)-दे.-'उम्म:Ó।
उम्म उल सिबियाँ (अ़.स्त्री.)-बच्चों की माता; शैतान की पत्नी; एक प्रकार का रोग (मिर्गी)।
उम्मत (अ़.स्त्री.)-किसी विशेष अवतार या पै$गम्बर को माननेवाला समुदाय, जैसे-मुसलमान, यहूदी आदि। 'छोटी उम्मतÓ-वर्णसंकर जाति; नीच जाति, पतित समाज।
उम्मती (अ़.वि.)-किसी उम्मत या पै$गम्बरी-धर्म का अनुयायी। 'नाउम्मतीÓ-वह जो किसी धर्म को न मानता हो, नास्तिक।
उम्महत (अ़.स्त्री.)-माँ, माता, जननी (केवल मानव-जाति की)।
उम्महात (अ़.स्त्री.)-'उम्महतÓ का बहु., माताएँ। यह शब्द केवल मानव-जाति के लिए प्रयुक्त होता है।
उम्महातेसिफ़्ली (अ़.स्त्री.)-दे.-'उंसुरÓ, मूलतत्त्व, पंचभूत, अनासिर; पृथ्वी के तल।
उम्मात (अ़.स्त्री.)-'उम्म:Ó का बहु., मानव-जाति के अतिरिक्त दूसरी मादाएँ अर्थात् माताएँ।
उम्माल (अ़.पु.)-'अ़ामिलÓ का बहु., सरकारी कर्मचारी, कारगुज़ार, मालदारी का रुपया वसूल करनेवाले अ़ोहदेदार, कर्मचारीवर्ग, अ़मला।
उम्मी (अ़.वि.)-वह, जिसका पिता उसे बाल्यावस्था में ही छोड़कर मर जाए और पिता के अभाव में वह पढ़-लिख न सके; वह व्यक्ति, जो लिखना-पढऩा न जानता हो, चाहे अपने पिता की क्षत्रछाया में ही जवान हुआ हो; मुहम्मद साहब का ल$कब अथ्वा गुण-सूचक सम्बोधन, जिन्होंने किसी से पढ़ा न था; वह जो किसी उम्मत में हो, किसी धर्म विशेषत: उम्मत का अनुयायी, पै$गम्बरी-धर्म का अनुयायी।
उम्मीद ($फा.स्त्री.)-आस, आशा, उमीद, आजऱ्ू, अभिलाषा; भरोसा, सहारा, आसरा; इच्छा, ख़्वाहिश; उत्कंठा, इश्तिया$क; गर्भ, हमल।
उम्मीदवार ($फा.वि.)-नौकरी या पद पाने का अभिलाषी; आशा या आसरा रखनेवाला; किसी पद पर चुने जाने के लिए खड़ा होनेवाला आदमी, प्रत्याशी; आशान्वित, आस लगाए हुए; प्रस्तोता।
उम्मीदवारी ($फा.स्त्री.)-आशा, अभिलाषा; उम्मीदवार या प्रत्याशी होने का कर्म या भाव; काम सीखने या नौकरी पाने की आशा से काम करना; स्त्री के प्रसव होने की आशा, बच्चा पैदा होने की आशा।
उम्मुद्दिमा$ग (अ़.स्त्री.)-सिर के भीतर भेजा या मस्तिष्क रहने का स्थान।
उम्मुल उलूम (अ़.स्त्री.)-व्याकरण।
उम्मुल किताब (अ़.स्त्री.)-$कुरान की पहली सूरत अर्थात् पंक्तियाँ; '$फातिहाÓ।
उम्मुल ख़्ाबाइस (अ़.स्त्री.)-सारी बुराइयों की माँ अर्थात् शराब।
उम्मुल जराइम (अ़.स्त्री.)-सारे अपराधों या गुनाहों की माँ अर्थात् $गरीबी, निर्धनता, दरिद्रता, मु$फलिसी।
उम्मुस्सिब्यान (अ़.स्त्री.)-बच्चों का एक रोग, जमोगा।
उम्मग़ीलाँ (अ़.स्त्री.)-बबूल का पेड़।
उम्मेमिल्दम (अ़.स्त्री.)-मौत की माँ, क्षयरोग, तपेदिक।
उम्मेवलद (अ़.स्त्री.)-वह दासी, जिसने अपने स्वामी के सहवास से बच्चे को जन्म दिया हो, रखैल।
उम्र: (अ़.पु.)-हज करनेवालों की एक इबादत या प्रार्थना, हाजी लोग मक्के से तीन कोस पर 'तन्ईमÓ नामक स्थान पर नमाज़ पढ़कर वापस आकर काÓबे का तवा$फ (काÓबे की परिक्रमा) करते हैं।
उम्र (अ़.स्त्री.)-वय, आयु, जीवनकाल, जीवन की अवधि, सिन, अवस्था; बहुत समय, अ़र्सा, मुद्दत, वर्षों।
उम्र$कैद (अ़.पु.)-आजीवन कारावास।
उम्र जावदाँ (अ़.स्त्री.)-हमेशा जि़न्दा रहना, अमरत्व।
उम्र जावेद (अ़.स्त्री.)-हमेशा जि़न्दा रहना, अमरत्व।
उम्रतब्ई (अ़.स्त्री.)-मनुष्य का स्वाभाविक जीवनकाल या आयु, जो अऱब के लोगों में 120 वर्ष माना जाता है।
उम्रनूह (अ़.स्त्री.)-बहुत बड़ी उम्र, सैकड़ों वर्ष।
उम्र रसीद: (उ.वि.)-बड़ी उम्र अथवा आयु का, बुड्ढ़ा।
उम्र रसीदा (उ.वि.)-दे.-'उम्र रसीद:Ó।
उयून (अ़.पु.)-'ऐनÓ का बहु., झरने, सोते, चश्मे; आँखें, नेत्र-समूह।
उयूब (अ़.पु.)-'ऐबÓ का बहु., बहुत से दोष, अनेक बुराइयाँ, कलंक।
उयूल (अ़.स्त्री.)-संन्यास, दरवेशी; $फ$कीरी, मु$फलिसी, निर्धनता।
उरदाबेगनी (अ़.स्त्री.)-वह स्त्री, जो सशस्त्र होकर राज-महलों में पहरा दे, सशस्त्र महिला सैनिक।
उर$फा (अ़.पु.)-'अ़ारि$फÓ का बहु., ज्ञानी लोग, महात्मा लोग, ब्रह्मïज्ञानी लोग।
उर$फी (अ़.वि.)-दे.-'उ$र्फीÓ, वही उच्चारण शुद्घ है।
उराज़: (अ़.पु.)-वह वस्तु, जिसे कोई विदेश से लाकर उपहार-स्वरूप अपने मित्रों को बाँटे, विदेशी उपहार।
उरात (अ़.पु.)-'अ़ारीÓ का बहु., नग्न लोग, नंगे लोग।
उरियाँ (अ़.वि.)-नंगा, नग्न, बेलिबास, जिसके शरीर पर कोई कपड़ा न हो, बरह्ना। दे.-'उर्यांÓ, वही शुद्घ है। (ला.)-बेशर्म, लज्जहीन, बदमाश, गुण्डा।
उरियानी (अ़.स्त्री.)-नग्नता, नंगापन, उर्यानी।
उरुज (अ़.पु.)-चढऩा, उन्नति, तरक़्$की; उत्कर्ष, उत्थान, उठान; ऊँचाई, बुलन्दी; शीर्ष-बिन्दु, चोटी, शिखर।
उरुज़्ज़ (अ़.पु.)-चावल।
उरुस (अ़.पु.)-दे.-'उर्सÓ, दोनों शुद्घ हैं।
उरू$क (अ़.स्त्री.)-'इ$र्कÓ का बहु., निचोड़ा हुआ पानी, रस; नसें, रगें, जड़े (वनस्पति की)।
उरूज़ (अ़.पु.)-ऊपर की ओर चढऩा, उत्थान; उन्नति; शीर्ष-बिन्दु; विकास; जाहिर होना, प्रकट होना, प्रकाश में आना; लागू होना, अ़ारिज़ होना।
उरूज़ माह (अ़.$फा.पु.)-शुक्लपक्ष, चाँद की पहली तारीख़्ा से चौदहवीं तारीख़्ा तक का काल।
उरू$फ (अ़.पु.)-उदासीन हो जाना, किसी चीज़ से मुँह फेर लेना; दिल सर्द हो जाना, उत्साह न रहना, लग्नाभाव।
उरूस (अ़.पु.)-वर, दुल्हा, (स्त्री.)-दुलहन, वधू (प्राय: वधू के अर्थ में ही प्रयुक्त होता है)।
उरूसी (अ़.स्त्री.)-निकाह की पद्यति से होनेवाला विवाह।
उरेब ($फा.पु.)-आड़ा-तिरछा, टेढ़ा, औरेब; वक्रता, टेढ़, तिरछापन; धूर्ततापूर्ण, छलपूर्ण, चालाकी का; विलोम, विपरीत। 'उरेब की चालÓ-टेढ़ी चाल, दग़ा-$फरेब का काम, कपटपूर्ण व्यवहार, धोखे की चाल।
उर्ज़: (अ़.पु.)-हौसला, साहस, हिम्मत; मिष, बहाना; बीच में डाला हुआ, बिचौलिया।
उर्दक (तु.स्त्री.)-एक प्रसिद्घ जल-पक्षी, मु$र्गाबी।
उर्दक परानी (तु.$फा.स्त्री.)-मसखरी, ठठोल, उपहास, ठट्टïा, मज़ाक।
उर्दी ($फा.पु.)-ईरानी अथवा $फारसी वर्ष का दूसरा महीना, बहार का महीना, बसन्तऋतु।
उर्दी बिहिश्त ($फा.पु.)-दे.-'उर्दीÓ।
उर्दू (तु.पु.)-$फौजी पड़ाव, सेनावास, छावनी, लश्कर या सेना का बाज़ार, (स्त्री.)-उर्दू भाषा, हिन्दी भाषा का वह रूप जिसमें अऱबी, $फार्सी और तुर्की भाषा के शब्द अधिक हों और जो $फार्सी लिपि में लिखी जाए।
उर्दूए मुअ़ल्ला (तु.अ़.स्त्री.)-उच्च-कोटि की उर्दू भाषा, दरबार में प्रतिष्ठित पुरुषों की भाषा, वह उर्दू जो दिल्ली के $िकले में बेगमें बोलती थीं, प्रामाणिक और परिष्कृत उर्दू।
उर्दू बाज़ार (तु.$फा.पु.)-सदर बाज़ार, बड़ा बाज़ार; छावनी, सेनावास।
उ$र्फ (अ़.पु.)-मुख्य नाम के साथ अन्य छोटा नाम, जो प्राय: बचपन में पड़ जाता है, उपनाम; ऐसा नाम, जो लेखक लोग अपने मूल नाम के अतिरिक्त अपनी अलग पहचान बनाने के लिए रख लेते हैं।
उर्फऩ (अ़.क्रि.वि.)-उर्फ़ के अनुसार।
उ$र्फी (अ़.वि.)-प्रसिद्घ, मशहूर, ख्यात।
उ$र्फीयत (अ़.स्त्री.)-उ$र्फ होना; उ$र्फवाला नाम; उपनाम होना; उपनामवाला नाम।
उर्बीय: (अ़.स्त्री.)-जाँघ की जड़, चिड्ढा, उरूमूल।
उर्म: (तु.पु.)-'उर्मियाÓ का लघु., दे.-'उर्मियाÓ।
उर्मिया (तु.पु.)-पै$गम्बर ख़्िाज्ऱ का एक नाम।
उर्मुज़ ($फा.पु.)-हर ईरानी महीने की पहली तारीख़्ा।
उर्यां (अ़.वि.)-नग्न, नंगा; अश्लील, $फोह्श।
उर्यां नवीस (अ़.$फा.वि.)-अश्लील लेख लिखनेवाला, अश्लील लेखक, पीत लेखक, $फोह्श निगार।
उर्यां निगार (अ़.$फा.वि.)-दे.-'उर्यां नवीसÓ।
उर्यानी (अ.स्त्री.)-नग्नता, नंगापन; अश्लीलता, फक्कड़पन।
उर्यानीपसन्द (अ़.$फा.वि.)-जिसे नग्नता पसन्द हो, जिसे अश्लीलता पसन्द हो।
उर्व: (अ़.पु.)-हर चीज़ का किनारा, छोर; लोटे आदि का दस्ता, हत्था, मूँठ।
उर्वतुलवुस्$का (अ़.पु.)-प्रमाणित दस्तावेज़।
उर्स (अ़.पु.)-सहभोज; विवाह-शादी का खाना; वह भोजन, जो किसी की मरण-तिथि पर लोगों को दिया जाए; मरण-तिथि पर होनेवाला उत्सव; किसी मुसलमान महात्मा की मृत्यु-तिथि का वार्षिकोत्सव।
उलंग (तु.पु.)-हरितक्षेत्र, गोचर, चरागाह, पशुओं के चरने का स्थान, सब्ज़ाज़ार।
उलझन (हिं.स्त्री.)-अटकाव, फँसाव, गाँठ; बाधा, चिन्ता; $िफक्र; समस्या। मुहा.-'उलझन में डालनाÓ-झंझट में फँसाना। 'उलझन में पडऩाÓ-झंझट या चक्कर में फँसना।
उलझना (हिं.क्रि.)-फँसना, अटकना; लपेट में पडऩा, गुथ जाना; लिपटना; किसी काम में लगना या लीन होना; प्रेम करना, आसक्त होना; विवाद करना; कठिनाई या मुसीबत
में पडऩा; बल खाना या टेढ़ा होना।
उलटना (हिं.क्रि.अक.)-ऊपर का नीचे और नीचे का ऊपर होना, पलटना; फिरना, घूमना या पीछे मुडऩा; उमडऩा, टूट पडऩा; अस्त-व्यस्त होना, क्रम-विरुद्घ होना, अंडबंड होना; विपरीत होना, कुछ का कुछ होना; क्रुद्घ होना, चिढऩा; नष्ट होना, ध्वस्त होना; मरना; गिरना; बेसुध होना; इतराना, गर्व करना; चौपायों का पहली बार गर्भ न ठहरना।
उलटबाँसी (हि.सं.स्त्री.)-अपना अपराध दूसरे के सिर मढऩा; सीधी बात को पलट देना; उलटे काम, उलटी बात।
उलटा (हिं.वि.)-औंधा, विपरीत, ऊपर का नीचे या नीचे का ऊपर किया हुआ। मुहा.-'उलटा तवाÓ-अत्यन्त काला। 'उलटा लटकनाÓ-किसी मनोकामना की पूर्ति के लिए घोर परिश्रम करना। 'उलटी-सीधी सुनानाÓ-भला-बुरा कहना।
उल$फत (अ़.स्त्री.)-दे.-'उल्$फतÓ, वही शुद्घ उच्चारण है।
उलबी (अ़.वि.)-स्वर्ग या आकाश से सम्बन्ध रखनेवाला।
उलमा (अ.पु.)-'अ़ालिमÓ का बहु., विद्वान् लोग, अ़ालिम लोग, विद्वज्जन।
उलवी (अ़.वि.)-दे.-'उलबीÓ, वही शुद्घ है।
उला (अ़.स्त्री.)-उत्तमता, उम्दगी; श्रेष्ठता, बुज़ुर्गी; उच्चता, बुलन्दी।
उला$क (तु.पु.)-खर, गधा, गर्दभ, गदहा, रासभ।
उला$ग (तु.पु.)-दे.-'उला$कÓ।
उलाचु$क (तु.पु.)-जंगली लोगों की झोंपड़ी, जो बालों से बनायी जाती है।
उलाहना (हिं.पु.)-उपालम्भ, शिकायत, गिला।
उलुग़ (तु.पु.)-महापुरुष, महान्, श्रेष्ठ, बड़ा-बुज़ुर्ग।
उलुलअज़्म (अ़.वि.)-बहुत हौसलेवाला, बड़ी हिम्मतवाला, उच्चोत्साही, साहसी।
उलुलअज्निह: (अ़.पु.)-जिसके पंख या डैने हों, परोंवाला, $िफरिश्त: ($फरिश्ता), पंखोंवाला देवदूत।
उलुलअम्र (अ़.वि.)-शासक, हुक्मरान, युगपुरुष, युग का महापुरुष।
उलुलअल्बाब (अ़.वि.)-बुद्घिमान्, अ़क़्लमंद, समझदार।
उलुवीयाँ (अ़.$फा.पु.)-सैयद लोग, सादात।
उलुव्व (अ़.पु.)-ऊँचाई, बुलन्दी, उच्चता।
उलुश (तु.पु.)-अमीरों के आगे का बचा हुआ खाना, जूठन, जो नौकरों का ह$क होता है; किसी ऋषि-मुनि के आगे का बचा हुआ खाना, जो प्रसाद के रूप में खाया जाता है; भोग, प्रसाद।
उलुस (तु.पु.)-राष्ट्र, $कौम; जाति, बिरादरी।
उलू (अ़.पु.)-दे.-'उलव्वÓ, वही उच्चारण शुद्घ है।
उलू$क (अ़.पु.)-गर्भ रहना, हमल रहना; गर्भाश्य में भ्रूण बनने के समय पुरुष के वीर्य के साथ स्त्री के रक्त अथवा रज का जमना; लटकना; मित्र रखना। (सं.पु.)-एक पक्षी का नाम, उल्लू; इन्द्र; कणादमुनि का एक नाम।
उलू$फ: (अ़.पु.)-दैनिक ख़्ाुराक, भोजन, ख़्ाुराक ; खाद्य पदार्थ, खाने की वस्तुएँ, ख़्ाुर्दनी चीज़; प्रतिदिन का ख़्ार्च।
उलू$फ (अ़.पु.)-'अल्$फÓ का बहु., सहस्रों, हज़ारों।
उलू$फा (अ़.पु.)-दे.-'उलू$फ:Ó, वही शुद्घ है।
उलूम (अ़.पु.)-'इल्मÓ का बहु., विद्याएँ, शास्त्र-समूह।
उलूम ए अ़क़्ली (अ़.पु.)-वे विद्याएँ, जिनका सम्बन्ध बुद्घि और तर्क से है।
उलूम ए नक़्ली (अ़.पु.)-वे विद्याएँ, जिनका सम्बन्ध बुद्घि-विवेक से न होकर पुस्तक में लिखे हुए को मानने से हैं, जैसे-धर्म-सम्बन्धी विद्याएँ।
उल् उल् अ़ज़्म (अ़.वि.)-निश्चयी, निश्चय करनेवाला, हौसलेमन्द, साहसी, उत्साही।
उल्क: (तु.पु.)-देश, राष्ट्र, वतन।
उल्$फत (अ़.स्त्री.)-प्यार, पे्रम, स्नेह, मुहब्बत, चाहत; मैत्री, मित्रता, दोस्ती। 'उल्$फत करनाÓ-मुहब्बत करना। 'उल्$फत जतानाÓ-चाह ज़ाहिर करना।
उल्मा (अ़.पु.)-दे.-'उलमाÓ, वही शुद्घ है।
उल्या (तु.पु.)-'आÓलाÓ का स्त्रीलिंग। विशेष-'जैसे पुरुष के लिए 'आÓला हज्ऱतÓ, वैसे ही स्त्री के लिए 'उल्या हज्ऱतÓ प्रयुक्त होता है।Ó सर्वश्रेष्ठ, सबसे अच्छी।
उवैस (अ़.पु.)-एक मुसलमान महात्मा, जो यमन के देश '$करनÓ गोत्र से थे।
उश [श्श] (अ़.पु.)-घास-फूस से बना पक्षियों का घर, घोंसला, नीड़, आशियाना।
उश$क (अ़.पु.)-एक गोंद, जो दवा में काम आता है।
उशबा (अ.पु.)-दे.-'उश्ब:Ó, वही शुद्घ है।
उशर (अ़.वि.)-दे.-'उश्रÓ, वही शुद्घ है।
उशा$क (तु.पु.)-बिना दाढ़ी-मूँछ का सुन्दर लड़का, अम्रद।
उश्$गुला (अ़.पु.)-झगड़ा, $फसाद।
उश्तुर ($फा.पु.)-ऊँट, उष्ट्र।
उश्तुलुम (तु.पु.)-प्रभुत्व, $गलबा; प्रचण्डता, तेज़ी; अनीति, अत्याचार, ज़ुल्म।
उश्नान ($फा.पु.)-एक घास, जिससे खाद बनती है।
उश्ब: (अ़.पु.)-एक वनौषधि, जो रक्तशुद्घि के लिए प्रसिद्घ है, ख़्ाून सा$फ करनेवाली जड़ी-बूटी, रक्त-शोधक वनौषधि।
उश्ब (अ़.पु.)-हरी घास।
उश्र (उश्र) (अ.वि.)-दसवाँ भाग, दशम अंश, 1/10।
उश्र ए अ़सीर (उश्रे अ़सीर) (अ.वि.)-दसवें का दसवाँ भाग अर्थात् सौवाँ भाग, 1/100, शतांश।
उश्व: (अ़.पु.)-वह आग, जो रात में दूर से दिखायी पड़े; छिपाकर काम करना, चोरी-छुपे काम करना, गुपचुप काम करना।
उश्शाक़ (अ़.पु.)-'अ़ाशि$कÓ का बहु., अ़ाशि$क लोग, प्रेमीजन, प्यार करनेवाले, इश्$क करनेवाले; एक राग का नाम।
उस [स्स] (अ़.पु.)-बड़ा पियाला (प्याला), बादिय:। (हिं.सर्व.)-'वहÓ का एक रूप जो विभक्ति लगाने पर यह रूप धारण कर लेता है।
उस$फोर (अ़.पु.)-दे.-'उस्$फूरÓ, वही शुद्घ उच्चारण है।
उसलूब (अ़.पु.)-दे.-'उस्लूबÓ।
उसात (अ़.पु.)-'आर्साÓ का बहु., पापी लोग, पाप करने-वाले।
उसाम: (अ़.पु.)-शेर, सिंह, व्याघ्र, बाघ।
उसार: (अ़.पु.)-किसी पेड़ के पत्तों आदि को कुचलकर निकाला हुआ रस, जो धूप या आग में सुखाकर जमा लिया जाता है, शीरा।
उसारा (अ़.पु.)-'असीरÓ का बहु., $कैदी लोग, कारावासी, बन्दीजन, $गुलाम लोग।
उसुर (अ़.स्त्री.)-दे.-'उस्रÓ, दोनों शुद्घ हैं।
उसू$फ (अ़.पु.)-झक्कड़ चलना, वायु का बहुत वेग से चलना, प्रचण्ड या तीव्र हवा।
उसूल (अ़.पु.)-'अस्लÓ का बहु., नियम, $कानून, $कायदे, सिद्घान्त, सिद्घान्त-समूह; जड़ें। 'जिनके पैरों तले ज़मीन नहीं, उनके सिर पर उसूल की छत हैÓ-डॉ. शेरजंग गर्ग।
उसूलन (अ़.वि.)-नियम के अनुसार, $कानून के मुताबि$क, सिद्घान्तानुसार, उसूल से।
उसूली (अ़.वि.)-आधारभूत, बुनियादी, मौलिक।
उसैल: (अ.पु.)-सहवास का मज़ा, मैथुनानन्द, संभोगसुख, हम-बिस्तरी की लज़्ज़त; वीर्य, मनी।
उस्उस (अ़.पु.)-चूतड़ों के बीच की हड्डी, दुमगजा; सुस्त और आलसी व्यक्ति।
उस्$कु$फ (अ़.पु.)-ईसाइयों का धार्मिक गुरु, पादरी।
उस्$कु$फ ए आÓजम (उस्$कुफ़े आÓजम) (अ़.पु.)-सबसे बड़ा पादरी, लाट पादरी, पोप।
उस्कुफ़्$फ: (अ़.पु.)-चौखट, देहलीज़, दर।
उस्कुर: (अ़.पु.)-छोटा पियाला (प्याला), सकोरा।
उस्कुर्ज: (अ़.पु.)-दे.-'उस्कुर:Ó।
उस्गऱ ($फा.पु.)-सेही नामक एक प्रसिद्घ काँटेदार जन्तु।
उस्त: ($फा.पु.)-खजूर की गुठली।
उस्तख़्वाँ (अ़.पु.)-दे.-'उस्तुख़्वाँÓ।
उस्तरा ($फा.पु.)-दे.-'उस्तुर:Ó, वही शुद्घ है।
उस्तवा (अ़.पु.)-दे.-'उस्तुवाÓ।
उस्तवार ($फा.वि.)-दे.-'उस्तुवारÓ, वही शुद्घ है।
उस्तवारी ($फा.वि.)-दे.-'उस्तुवारीÓ।
उस्ता ($फा.पु.)-पार्सियों का एक धार्मिक ग्रन्थ।
उस्ताज़ (अ़.पु.)-दे.-'उस्तादÓ।
उस्ताद ($फा.पु.)-गुरु, शिक्षक, अध्यापक; कोई शिल्प आदि सिखानेवाला, कोई हुनर सिखानेवाला; चालाक, होशियार, चतुर, धूर्त, ऐयार।
उस्तादान: ($फा.वि.)-चालाकी-भरा, चालाकी का, छलपूर्ण; उस्तादों-जैसा।
उस्तादी ($फा.वि.)-गुरुआई, उस्ताद से सम्बन्धित, (स्त्री)-चालाकी, धूर्तता।
उस्तानी ($फा.स्त्री.)-शिक्षिका; उस्ताद की स्त्री।
उस्तु$कुस (अ़.पु.)-तत्त्व, पंचतत्त्व, पंचभूत, उंसूर।
उस्तुख़्वाँ ($फा.पु.)-हड्डी, अस्थि, हाड़।
उस्तुख़्वाँदार ($फा.वि.)-दृढ़, मज़बूत; स्थिर, $कायम।
उस्तुन (अ़.पु.)- थूण, स्थुण, सुतून, खम्भा।
उस्तुर: ($फा.पु.)-हजामत बनाने का नाई का छुरा, उस्तरा।
उस्तुर्द: ($फा.वि.)-मुण्डित, मँूडा हुआ, घुटमुण्ड।
उस्तुर्लाब (अ़.पु.)-नक्षत्रों को नापने का एक यंत्र, एक यंत्र जिससे ग्रहों आदि की पैमाइश की जाती है।
उस्तुवा (अ़.पु.)-समतल होने का भाव, हमवारी, बराबरी। शुद्घ शब्द 'इस्तिवाÓ है मगर यह भी प्रचलित है। 'ख़्ाते उस्तुवाÓ-भूमध्य-रेखा, विषुवत्-रेखा।
उस्तुवान: (अ़.पु.)-स्थूण, सुतून, खम्भा, उस्तुन।
उस्तुवार ($फा.वि.)-पक्का, दृढ़, मज़बूत, पाएदार; स्थिर, $कायम; स्थायी; हमेशा, नित्य, सदैव।
उस्तुवारी ($फा.वि.)-दृढ़ता, मज़बूत, पाएदारी; स्थायित्व, नित्यता, इस्तिक़्लाल; समतल होने का भाव, हमवारी; सरलता, सिधाई।
उस्तून (अ़.पु.)-स्तम्भ, खम्भा।
उस्तूर: (अ़.पु.)-कहानी, आख्यायिका, अफ़्साना।
उस्तूल (अ़.पु.)-युद्घपोत, जंगी जहाज़।
उस्पुश ($फा.पु.)-बालों में पडऩेवाला एक कीड़ा, जँू, स्वेदज।
उस्$फुर (अ़.पु.)-कुसुम का फूल।
उस्$फूर (अ़.पु.)-एक प्रसिद्घ घरेलू चिडिय़ा, चटक, गौरैया।
उस्ब: (अ़.पु.)-मनुष्यों का वह समूह, जिसके सदस्यों की संख्या बीस से चालीस के बीच में हो।
उस्बूअ़: (अ़.पु.)-सात दिनों का समूह, सप्ताह, हफ़्ता।
उस्बूअ़ (अ़.पु.)-सप्ताह, हफ़्ता; सात वार; सात दिन।
उस्मान (अ़.पु.)-मुसलमानों के तीसरे ख़्ाली$फा।
उस्मूर (अ़.पु.)-पानी का रहट; डोल।
उस्र: (अ़.पु.)-दे.-'उस्रतÓ।
उस्र (अ़.पु.) तंगी, संकीर्णता; कठिनता, दुश्वारी।
उस्रत (अ़.स्त्री.)-कठिनता, दुश्वारी, दुष्करता, असुगमता; दरिद्रता, निर्धनता, कंगाली, धनहीनता।
उस्रतज़द: (अ़.पु.)-निर्धन, $गरीब, दरिद्र, कंगाल।
उस्रन (अ़.स्त्री.)-तंगी, संकीर्णता, कठिनता; विरोध, मु$काबला।
उस्रुब (अ़.पु.)-एक प्रसिद्घ धातु, जिससे छर्रे और बन्दू$क की गोलियाँ बनती हैं, सीसा, सीसक।
उस्लूब (अ़.पु.)-राह, सूरत, तौर, ढंग, तर्ज़, पद्घति, शैली; व्यवहार, चाल-चलन, आचरण, तजऱ्ेअ़मल, तरी$का। 'ख़्ाुश उस्लूबÓ-जिसके ढंग अच्छे हों।
उस्व: (अ़.पु.)-नेता, पेशवा; जटिल समस्याओं को हल करनेवाला नेता; ऐसा आचरण, जिसका अनुकरण हितकारी और कल्याणकर हो।
उस्वएहसन: (अ़.पु.)-सदाचार, अच्छा आचरण, नेक चाल -चलन।
उहूद (अ़.पु.)-'अ़ह्दÓ का बहु., प्रतिज्ञाएँ, वचन, वाÓदे।
उह्दूस: (अ़.पु.)-कहानी, आख्यान, $िकस्सा।
उह्बत (अ़.पु.)-हथियार और सामान।
No comments:
Post a Comment