ऊ
ऊँचा (हिं.वि.)-उठा हुआ, उन्नत, ऊपर की ओर गया हुआ। पद.-'ऊँचा-नीचाÓ-ऊबड़-खाबड़; भला-बुरा। मुहा.-'ऊँचा-नीचा सुनानाÓ-फटकारना, भला-बुरा कहना।ऊ ($फा.अव्य.)-वह। (हिं.सं.)-संस्कृत या हिन्दी वर्णमाला का छठा 'स्वरÓ वर्ण जिसका उच्चारण स्थान ओष्ठ है। यह 'उÓ का दीर्घरूप है। कभी-कभी यह अव्यय के रूप में 'भीÓ और सर्वनाम के रूप में 'वहÓ का अर्थ देता है।
ऊ$क (अ़.पु.)-'ऊजÓ का पिता। (हिं.पु.)-उल्का, आस्मान से टूटता तारा; लुक, लुआठा; आग, ताप, तपन; जलन, डाह।
ऊ$िकय: (अ़.पु.)-आधी छटाँक से कुछ अधिक की एक तोल।
ऊ$िकयानूस (अ़.पु.)-अटलांटिक महासागर।
ऊज (अ़.पु.)-लोकविश्वास के अनुसार एक बहुत ही लम्बा व्यक्ति, जो हज्ऱत आदम के ज़माने में पैदा हुआ और हज्ऱत मूसा के ज़माने तक रहा, उसने साढ़े तीन हज़ार वर्ष की आयु पायी। उसके बाप का नाम 'ऊ$कÓ था। (जो लोग 'ऊजबिन उनु$कÓ कहते हैं, ग़लत कहते हैं, उन्हें 'ऊजबिन ऊ$कÓ कहना चाहिए)। (हिं.पु.)-उत्पात, उपद्रव।
ऊद (अ़.पु.)-अगर नामक लकड़ी, जिसका धुआँ ख़्ाुशबूदार होता है, अगरु; एक बाजा, बर्बत।
ऊदग़कऱ्ी (अ़.पु.)-पानी में डूब जानेवाला अगर; एक प्रकार का बाजा।
ऊदनवाज़ (अ़.$फा.पु.)-बर्बत नामक बाजा बजानेवाला।
ऊदसाज़ (अ़.$फा.वि.)-बर्बत बाजा बनानेवाला।
ऊदसोज़ (अ़.$फा.पु.)-ऊद या अगरु सुलगाने का पात्र, अगरदान।
ऊदा (अ़.वि.)-ऊद के रंग का, गहरे लाल रंग का।
ऊदी (अ़.वि.)-ऊद से सम्बन्धित, अगर से सम्बन्धित।
ऊपर (हिं.क्रि.वि.)-ऊँचाई पर, ऊँचे स्थान में; आधार पर, सहारे पर; उच्चकोटि में, ऊँची श्रेणी में; (लिखते समय) पहले; अधिक, ज़्यादा; प्रत्यक्ष में, देखने में; तट पर, छोर या किनारे पर; अतिरिक्त; प्रतिकूल; परे।
ऊब (हिं.स्त्री.)-ऊबने की क्रिया या भाव, व्याकुलता, उद्वेग, घबराहट; उत्साह, उमंग।
ऊबना (हिं.क्रि.अक.)-अकुलाना, उकताना, घबराना।
ऊर ($फा.वि.)-नग्न, नंगा, बरह्न:।
ऊरी ($फा.वि.)-नग्नता, नंगापन, उर्यानी।
ऊस (अ़.स्त्री.)-बकरी की एक प्रजाति।
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