Tuesday, October 13, 2015

ए ($फा.अव्य.)-हे, ऐ, अयि, बुलाने का सम्बोधन। (सं.पु.)-विष्णु। (हिं.अव्य.)-इस अव्यय का प्रयोग बुलाने के लिए करते हैं। हिन्दी में यह 'स्वरÓ वर्ण का ग्यारहवाँ अक्षर है। इसका स्थान कंठ और तालु है। यह 'अÓ और 'इÓ के योग से बना है।
एअ़ाद: (अ़.पु.)-पुनरावृत्ति, दोहराना; लौटना, वापस आना।
एअ़ादए शबाब (अ़.$फा.पु.)-बूढ़े का जवान बनना, जवानी का लौटना, यौवनावस्था की पुनर्वापसी, युवावस्था का फिर से आना।
एअ़ानत (अ़.स्त्री.)-सहयोग, सहायता, मदद।
एअ़ानत ए मुज्रि़मान: (अ़.$फा.स्त्री.)-अपराध करने में मदद, अवैध सहयोग, सहायता।
एक (सं.वि.)-इकाइयों में पहली तथा सबसे छोटी संख्या; अकेला; एकता; अनुपम, अद्वितीय, बेजोड़; कोई, अनिश्चित, किसी; समान, तुल्य, एक ही तरह का। पद.-'एक-एक करकेÓ-बारी-बारी से। मुहा.-'एक के दो करनाÓ-दूना लाभ लेना। 'एक-एक कोना छान मारनाÓ-सब जगह ढूँढ़ लेना। 'ऐ और एक ग्यारह होनाÓ-मेल से और अधिक शक्ति बढ़ जाना। 'एक दो तीन बोलनाÓ-नीलाम करना; कार्य प्रारम्भ करने का अन्तिम क्षण।
एज़द ($फा.पु.)-भगवान्, ईश्वर, रब, ख़्ाुदा।
एज़द परस्त ($फा.वि.)-आस्तिक, ईश्वर को माननेवाला, ईश्वरवादी, भगवान् के अस्तित्व में विश्वास रखनेवाला, ख़्ाुदा को माननेवाला।
एज़दी ($फा.वि.)-ईश्वर का, ईश्वरीय, ईश्वर-सम्बन्धी।
एजाज़ (अ़.पु.)-करिश्मा, चमत्कार, करामात। इसका 'जाÓ उर्दू के 'जीमÓ अक्षर से बना है।
एज़ाज़ (अ़.पु.)-रुत्बा, मान, सम्मान, प्रतिष्ठा, इज़्ज़त; राज्य या किसी बड़ी सभा की ओर से कोई महत्त्वपूर्ण काम सौंप कर सम्मानित करना। इसका 'ज़ाÓ उर्दू के 'ज़ेÓ अक्षर से बना है।
एज़ाज़ी (अ़.वि.)-कोई काम, जो सम्मान के लिए हो, अवैतनिक कार्य, स्वैच्छिक कार्य।
एÓजाज़े ईसवी (अ़.पु.)-मृतक प्राणियों को जीवित करने का चमत्कार।
एÓजाब (अ़.पु.)-गर्व करना, अभिमान करना, घमण्ड करना; मान, हर्ष, घमण्ड।
एÓजाल (अ़.पु.)-जल्दी करना, शीघ्रता करना।
एत$काद (अ़.पु.)-दे.-'एÓति$कादÓ, वही शुद्घ उच्चारण है।
एत$का$फ (अ़.पु.)-दे.-'एÓति$का$फÓ, वही शुद्घ उच्चारण है।
एतदाल (अ़.पु.)-दे.-'एÓतिदालÓ, वही शुद्घ उच्चारण है।
एतना (अ़.पु.)-दे.-'एÓतिना, वही शुद्घ उच्चारण है।
एतनाई (अ़.स्त्री.)-दे.-'एÓतिनाईÓ।
एतबार (अ़.पु.)-दे.-'एÓतिबारÓ, वही शुद्घ है।
एतमाद (अ़.पु.)-दे.-'एÓतिमादÓ, वही शुद्घ है।
एतराज़ (अ़.पु.)-दे.-'एÓतिराज़Ó, वही उच्चारण शुद्घ है।
एतरा$फ (अ़.पु.)-दे.-'एÓतिरा$फÓ, वही उच्चारण शुद्घ है।
एÓता (अ़.पु.)-सौंपना, देना, अ़ता करना, प्रदान करना; भेंट, बख़्िशश; पुरस्कार, दान।
एÓता$क (अ़.पु.)-दास को मुक्त करना, अपने बन्धन से छोडऩा; $कैद से छुटकारा, रिहाई।
एÓताश (अ़.पु.)-प्यासा करना।
एÓति$काद (अ़.पु.)-पक्का य$कीन, पूर्ण विश्वास, आस्था, श्रद्घा, अ़$कीद:, एÓतिबार, भरोसा।
एÓतिका$फ (अ़.पु.)-दुनियादारी से मोह-लोभ और सम्बन्ध छोड़कर उपासना के लिए एकान्तवास करना, एकान्त में जप-तप करना, एकान्त-साधना, एकान्तोपासना, एकान्त में ईश्वर की तपस्या करना; गोशानशीनी इख़्ितयार करना।
एÓतिज़ाज़ (अ़.पु.)-स्नेहिल होना, प्रिय होना, प्यारा होना, अ़ज़ीज़ होना, स्वजन होना।
एÓतिज़ाम (अ़.पु.)-दृढ़-प्रतिज्ञ होना, पक्का इरादा करना, दृढ़ संकल्प करना।
एÓतिज़ार (अ़.पु.)-विवशता प्रकट करना, आपत्ति करना; आपत्ति, एÓतिराज़, हस्तक्षेप; मज़बूरी।
एÓतिज़ाल (अ़.पु.)-यह अ़$कीदा या विश्वास होना कि मनुष्य अपने अच्छे-बुरे कर्मों का स्वयं ही कर्ता है, ईश्वरेच्छा की इसमें कोई भूमिका नहीं; एकान्तवासी होना, गोशानशीं होना; अलग होना।
एÓतिदा (अ़.पु.)-अत्याचार करना, ज़ुल्म करना, अनीति करना।
एÓतिदाल (अ़.पु.)-बीच की रास होना, समरस होना, मघ्यम मार्ग; संयम, परहेज़; न गर्म, न तर होना, समशीतोष्ण होना, सदा एक-सा रहना, बारहमासी, गर्मी-सर्दी या तरी-ख़्ाुश्की में बराबर होना; संतुलन, बराबरी।
एÓतिना (अ़.पु.)-परवाह करना, सहानुभूति करना, हमदर्दी करना; रोगी की देख-रेख करना; अनुकम्पा करना, दया करना, मेहरबानी करना; दया, कृपा; सहानुभूति; तीमारदारी। 'बे-एÓतिनाÓ-सहानुभूति का अभाव, उदासीनता, लापरवाही।
एÓतिनाई (अ़.स्त्री.)-सहानुभूति, संवेदना, हमदर्दी, दया।
एÓतिना$क (अ़.पु.)-गलबहियाँ लेना, गलबाँही डालना, गले मिलना, एक-दूसरे के गले में हाथ डालना, आलिंगन करना।
एÓतिबार (अ़.पु.)-आस्था, विश्वास, प्रतीति; य$कीन; साख, भरोसा; लिहाज़।
एÓतिबारी (अ़.वि.)-भरोसे के लाय$क, जिस पर एÓतिबार किया जाए, जिस पर भरोसा किया जा सके, विश्वसनीय, विश्वासपात्र।
एÓतिमाद (अ़.पु.)-किसी चीज़ पर पीठ टेकना, सहारा लेना; टेक, सहारा, भरोसा; य$कीन, विश्वास, साख; निर्भरता।
एÓतिमादी (अ़.वि.)-जो विश्वसनीय हो, जिस पर भरोसा किया जा सके।
एÓतिमाल (अ़.पु.)-कार्य-सम्पादन, काम करना।
एÓतिया$क (अ़.पु.)-निषेध करना, मना करना, रोकना, बाज़ रखना।
एÓतियाज़ (अ़.पु.)-प्रतिकार या बदला लेना; प्रतिकार या बदला देना।
एÓतियास (अ़.पु.)-कठिनाई में पडऩा, किसी के लिए कोई कार्य कठिन या दुष्कर होना।
एÓतिराज़ (अ़.पु.)-विरोध, आपत्ति, उज्र; हस्तक्षेप, रुकावट, रोक, बाधा; बीच में आना; संदेह, शंका, शक।
एÓतिराज़ात (अ़.पु.)-'एÓतिराज़Ó का बहु., आपत्तियाँ।
एÓतिरा$फ (अ़.पु.)-मान लेना, तस्लीम करना; स्वीकृति, अंगीकृत, इक्ऱार; अपने अपराध की स्वीकृति, इक़्रारेजुर्म, अपना दोष $कबूल करना।
एÓतिला (अ़.पु.)-उच्चता, ऊँचा होना, ऊपर उठना, बुलन्द होना।
एÓतिला$फ (अ़.पु.)-चरना, पशु का घास खाना।
एÓतिलाल (अ़.पु.)-रोग-ग्रस्त होना, बीमार पडऩा।
एÓतिवार (अ़.पु.)-किसी वस्तु को हाथों-हाथ लेना।
एÓतिशाश (अ़.पु.)-बाल-बच्चों के लिए बहुत थोड़ा खाना लाना।
एÓतिसा$फ (अ़.पु.)-कुमार्ग पर चलना; अत्याचार करना, ज़ुल्म करना, अनीति करना।
एÓतिसाम (अ़.पु.)-मन को वश में रखना, इन्द्रिय-निग्रह, संयम, परहेज़गारी, पर-पुरुष अथवा परस्त्री से समागम न करना।
एÓतिसार (अ़.पु.)-औरों का अपने ऊपर प्राधान्य समझना; निचोडऩा।
एÓतिसास (अ़.पु.)-निशा-चौकसी, रात को पहरा देना, रात में गश्त लगाना, रात की पहरेदारी।
एÓदाम (अ़.पु.)-तबाह करना, नष्ट करना, ध्वस्त करना, बरबाद करना।
एÓ$फा$फ (अ़.पु.)-किसी को संयम-नियम का पाबन्द बनाना, किसी को इन्द्रिय-निग्रही बनाना।
एबक (तु.पु.)-दास, $गुलाम; एलची, दूत; प्रेमी, महबूब, प्रेमपात्र, माÓशू$क।
एमन ($फा.वि.)-'आमनÓ या 'आमिनÓ का इमाल: अर्थात् मात्राा-परिवर्तन (अऱबी तथा $फार्सी भाषा में किसी शब्द के 'अलि$फÓ को 'येÓ बना देने को 'इमाल:Ó कहते हैं, जैसे-'किताबÓ को 'कितेबÓ कर देना); सुरक्षित, मह$फूज़; अभय, निडर। (हिं.पु.)-'कल्याणÓ और 'केदाराÓ राग के मिलने से बना हुआ एक सम्पूर्ण जाति का राग।
एमनी ($फा.स्त्री.)-सुरक्षा, हि$फाज़त; भयहीनता, निडरपन, निडरता, निर्भयता।
एमिन ($फा.वि.)-सुरक्षित, अभय, निडर।
एÓराज़ (अ़.पु.)-विमुखता, उपेक्षा, किसी की ओर से मुँह फेर लेना; प्रकट होना; चौड़ा-चकला होना; बकरी के बच्चे का अण्डकोश निकालना; भलाई करना, नेकी करना, उपकार करना।
एÓराब (अ़.पु.)-'ज़बरÓ, 'ज़ेरÓ और 'पेशÓअर्थात् 'ऊÓ, 'इÓ, 'एÓ की मात्राएँ।
एलची (तु.पु.)-चिट्ठी पहुँचानेवाला, पत्रवाहक, चिट्ठी-रसा, $कासिद; सन्देश-वाहक, पैग़ामवर; स$फीर, राजदूत।
एलचीगीरी (तु.$फा.स्त्री.)-डाकिए का काम या पद, $कासिद का काम या पद; राजदूत का काम या पद; सन्देश ले जाना।
एÓला (अ़.पु.)-उच्चता प्रदान करना, उठाना, ऊँचा करना, बुलन्द करना; प्रसार करना, फैलाना। (सं.स्त्री.)-इलायची; शुद्घ राग का एक भेद।
एÓलान (अ़.पु.)-घोषणा, अभिज्ञापन, मुनादी, उद्घोष।
एÓलाम (अ़.पु.)-ज्ञान कराना, बताना, जताना।
एÓलाल (अ.पु.)-रोगी बनाना, बीमार करना।
एवज़ (अ़.पु.)-बदला, प्रतिकार, मुअ़ावज़ा; जो किसी के बदले में या स्थान पर हो, स्थानापन्न; प्रतिफल। 'एवज़-मुअ़ावज़ाÓ-अदला-बदली। 'ब एवज़Ó-के स्थान पर।
एवज़ी (अ़.पु.)-स्थानापन्न, किसी के एवज़ में या स्थान पर अस्थायी रूप से काम करनेवाला।
एÓवास (अ़.पु.)-दुश्मन को कठिनाई में डाल देना, शत्रु का काम मुश्किल कर देना।
एÓविजाज (अ़.पु.)-वक्र होना, टेढ़ा होना; टेढ़, टेढ़ापन, वक्रता, कजी।
एशाँ ($फा.अव्य.)-ये लोग, ये सब।
एÓशाश (अ़.पु.)-दूसरे के घर में इस विचार या इरादे से आ बैठना कि वह घबराकर अपना घर-बार छोड़कर भाग जाए।
एसार (अ़.पु.)-लड़की का वयस्क या बालि$ग होना; बादल का बरसने के $करीब होना।
एस्ताद: ($फा.वि.)-दे.-'इस्ताद:Ó, दोनों शुद्घ हैं।
एस्तादगी ($फा.स्त्री.)-दे.-'इस्तादगीÓ, दोनों शुद्घ हैं।
एस्तादनी ($फा.वि.)-दे.-'इस्तादनीÓ, दोनों शुद्घ हैं।
एह$का$क (अ़.पु.)-ठीक जानना; अधिकार सिद्घ करना, ह$क साबित करना।
एह$का$क ए ह$क (एह$का$के ह$क) (अ़.पु.)-अपना ह$क या अधिकार सिद्घ करना; सच्ची बात प्रमाणित करना, बात की सच्चाई साबित करना।
एहज़ान (अ़.पु.)-क्लेषित करना, दु:खित करना, $गम में डालना।
एहजार (अ़.पु.)-अश्लील बातें करना, $फुह्श बकना।
एहज़ार (अ़.पु.)-वाक्-चपलता, बहुत बोलना, बहुत बातें करना; वाचालता, बकवास। इसका 'ज़ाÓ उर्दू के 'ज़ेÓ अक्षर से बना है।
एहज़ार (अ़.पु.)-उपस्थित करना, हाजि़र करना; घोड़े का दौडऩा। इसका 'ज़ाÓ उर्दू के 'ज़्वादÓ अक्षर से बना है।
एहतज़ाज़ (अ़.पु.)-दे.-'एहतिज़ाज़Ó।
एहतज़ार (अ़.पु.)-दे.-'एहतिज़ारÓ।
एहतमाम (अ़.पु.)-दे.-'एहतिमामÓ।
एहतमाल (अ़.पु.)-दे.-'एहतिमालÓ।
एहतराज़ (अ़.पु.)-दे.-'एहतिराज़Ó।
एहतराम (अ़.पु.)-दे.-'एहतिरामÓ।
एहतलाम (अ़.पु.)-दे.-'एहतिलामÓ।
एहतशाम (अ़.पु.)-दे.-'एहतिशामÓ।
एहतिकाक (अ़.पु.)-तिरस्कार करना, अपमान करना, अवहेलना करना, उपेक्षा करना, हत्क करना।
एहति$कान (अ़.पु.)-पिचकारी लगाना, इंजक्शन यानी सुई लगाना; हुक्ऩ: देना, इनेमा करना, अनीमा करना।
एहति$कार (अ़.पु.)-तिरस्कार करना, अपमानित करना।
एहतिकार (अ़.पु.)-इस विचार से अन्न संचित करना कि भाव तेज़ होने पर बेचा जाएगा, मुना$फाख़्ाोरी के विचार से अन्न-संग्रह करना।
एहतिजाज (अ़.पु.)-वाद-विवाद करना, हुज्जत करना; अपने किसी अहित के लिए अहितकर्ता से रोष प्रकट करना। इसके दोनों 'जÓ उर्दू के 'जीमÓ अक्षर से बने हैं।
एहतिज़ाज़ (अ़.पु.)-आनन्द पाना, मज़ा उठाना, मनोरंजन करना, लुत्$फ उठाना। इसके दोनों 'ज़Ó उर्दू के 'ज़ोयÓ अक्षर से बने हैं।
एहतिज़ाज़ (अ़.पु.)-झूमना; झूमकर मस्त होना। इसके दोनों 'ज़Ó उर्दू के 'ज़ेÓ अक्षर से बने हैं।
एहतिजाम (अ़.पु.)-पछने लगवाना।
एहतिज़ार (अ़.पु.)-उपस्थित होना, सामने आना, हाजिर होना; मौत आना, मृत्यु का आना, मरना; घोड़ा दौड़ाना; नागरिक होना।
एहतिदा (अ़.पु.)-सीधा रास्ता प्राप्त करना, सन्मार्ग पाना।
एहति$फाल (अ़.पु.)-सभा करना; सभा होना।
एहतिबाल (अ़.पु.)-जाल से शिकार पकडऩा।
एहतिबास (अ़.पु.)-निरोध, अवरोध, रुकावट; बन्द होना; बन्दिश।
एहतिबास ए तम्स (अ़.पु.)-महावारी का रुक जाना, मासिक-धर्म का रुक जाना।
एहतिबास ए हैज़ (अ.पु.)-दे.-'एहतिबास ए तम्सÓ।
एहतिमाम (अ़.पु.)-उद्योग, प्रयत्न, कोशिश; व्यवस्था, बन्दोबस्त, प्रबन्ध; प्रयोजन, इन्तिज़ाम; तत्त्वावधान, देख-रेख; निरीक्षण, निगरानी; अधिकार-क्षेत्र, शासन, राज्य।
एहतिमाल (अ़.पु.)-शक करना, शंका करना; शंका, सन्देह, शुुबहा; गुमान, आशंका, भय, अंदेशा; बर्दाश्त करना; बोझ उठाना।
एहतियाज (अ़.स्त्री.)-हाजत, गर्ज़़, आवश्यकता, ज़रूरत; निर्धनता, $गरीबी, दरिद्रता, कंगाली। इसका 'जÓ उर्दू के 'जीमÓ अक्षर से बना है।
एहतियाज़ (अ़.पु.)-इकट्ठा होना, एकत्र होना, जमा होना, एक जगह आना। इसका 'ज़Ó उर्दू के 'ज़ेÓ अक्षर से बना है।
एहतियात (अ़.स्त्री.)-होशियारी से काम करना, सतर्कता, सावधानी, ख़्ाबरदारी; चौकसी; बुरे कामों से बचना, गुनाह या पाप से बचना, परहेज करना, संयम बरतना; रक्षा, बचाव, हि$फज़त; सचेत रहने की क्रिया, सतर्कता।
एहतियातन (अ़.वि.)-सतर्कता की दृष्टि से, एहतियात के तौर पर, सावधानी के रूप में।
एहतियाती (अ़.वि.)-सतर्कता-सम्बन्धी, एहतियात-सम्बन्धी, जिसमें सावधानी बरती जाए।
एहतियाल (अ़.पु.)-बहाने बनाना, हीलेबाज़ी करना, मिष करना; टालना, टालमटोल।
एहतिरा$क (अ़.पु.)-चाँद और सूरज को छोड़कर बा$की पाँच ग्रहों में से किसी एक का छिप जाना; जलना।
एहतिराज़ (अ़.पु.)-किनाराकशी, बचना, अलग रहना, परहेज़ करना; घृणा करना, न$फरत करना।
एहतिराम (अ़.पु.)-आदर करना, सम्मान करना, इज़्ज़त करना; सम्मान, आदर, इज़्ज़त, तौ$कीर।
एहतिलाम (अ़.पु.)-बदख़्वाबी, स्वप्न में अपवित्र होना, स्वप्न-दोष होना, सोते में वीर्य-स्खलन होना।
एहतिवा (अ़.पु.)-चारों ओर से घेरना, घेरा डालना, इहाता करना, परकोटा बनाना, चारदीवारी करना।
एहतिशाम (अ़.पु.)-शर्म करना, लज्जा करना; प्रतिष्ठा, वैभव, विभूति, शानो-शौ$कत; बहुत-से नौकर-चाकरवाला होना।
एहतिसाब (अ़.पु.)-गणना करना, हिसाब लगाना; निषिद्घ वस्तुओं के खान-पान से रोकना; प्रजा की रक्षा की व्यवस्था; परीक्षा, आज़माइश करना।
एहदा (अ़.पु.)-किसी को उपहार भेजना।
एहदार (अ़.पु.)-वध कराना, मरवाना, किसी व्यक्ति को किसी की हत्या करने का आदेश देना; किसी का अधिकार ख़्ात्म कर देना, किसी का ह$क नष्ट करना।
एहदास (अ़.पु.)-खोज करना, आविष्कार करना; नयी बात निकालना, नयी चीज़ बनाना, जिद्दत पैदा करना, अद्भुतता पैदा करना।
एहमाल (अ़.पु.)-उदासीनता, ध्यान न देना, उपेक्षा करना; भूल से छोड़ जाना, भूल जाना। इसका 'हÓ उर्दू की 'छोटी हेÓ से बना है।
एहमाल (अ़.पु.)-लादना, बोझ उठाना। इसका 'हÓ उर्दू की 'बड़ी हेÓ अक्षर से बना है।
एहमाली (अ़.वि.)-उदासीन, लापरवाह, ध्यान न देनेवाला; निकम्मा, सुस्त, आलसी, काहिल।
एहया (अ़.पु.)-जीवित करना, जि़न्दा करना, प्राण-दान देना।
एहरा$क (अ़.पु.)-जलाना।
एहराम (अ़.पु.)-हाजियों के वस्त्र, बिना सिली दो चादरें जिनमें से एक बाँधी और एक ओढ़ी जाती है। इसका 'हÓ उर्दू के 'हेÓ अक्षर से बना है।
एहराम (अ़.पु.)-बहुत बूढ़ा होना; बहुत अधिक बुढ़ापा, परम् वृद्घत्व। इसका 'हÓ उर्दू के 'हम्जाÓ अक्षर से बना है।
एहलाक (अ़.पु.)-वध करना, मार डालना, प्राण ले लेना, हलाक करना, हिंसा करना।
एहलील (अ़.पु.)-पेशाब की नली, मूत्र-नलिका; स्त्री के दूध की नली।
एहलीलज (अ़.पु.)-हलेला, हड़।
एहसा (अ़.पु.)-गिनना, गणना करना; सीमित करना, महदूद करना; गिनती, गणना, शुमार।
एहसान (अ़.पु.)-किसी के साथ की हुई नेकी, उपकार, भलाई; आभार, कृतज्ञता। इसका 'सÓ उर्दू के 'सीनÓ अक्षर से बना है।
एहसान (अ़.पु.)-पुरुष का स्त्री की इच्छा करना; स्त्री का पुरुष की इच्छा करना; गर्भवती होना; संयमी होना; मज़बूत करना; घेरा डालना। इसका 'सÓ उर्दू के 'सुअ़ादÓ अक्षर से बना है।
एहसान नाशनाश (अ़.$फा.वि.)-कृतघ्न, अकृतज्ञ, नमक-हराम, जो उपकार को न माने।
एहसान $फरामोश (अ़.$फा.वि.)-नाशुक्रा, जो किसी के उपकार को भूल जाए, एहसान को भूल जानेवाला, कृतघ्न, नमकहराम।
एहसान $फरामोशी (अ़.$फा.स्त्री.)-कृतघ्नता, नमकहरामी।
एहसान $फरोश (अ़.$फा.वि.)-जो उपकार करके सबसे कहता फिरे, जो भलाई करके सबको बताए, कृतज्ञताज्ञापक।
एहसानमन्द (अ़.$फा.वि.)-शुक्रगुज़ार, आभारी, कृतज्ञ, एहसान या उपकार माननेवाला।
एहसानमन्दी (अ़.$फा.स्त्री.)-एहसान या उपकार मानना, कृतज्ञता, आभार।
एहसान शनाश (अ़.$फा.वि.)-उपकार की पहचान करने-वाला, कृतज्ञ।
एहसार (अ़.पु.)-गिनती करना, गणना करना, शुमार करना; घेरे में लेना; खुला रखना; हज को न जाना।
एहसास (अ़.पु.)-किसी ज्ञानेन्द्रिय से मालूम होना, अनुभव करना; संवेदन, अनुभव, अनुभूति, हिस; ध्यान, ख़्ायाल; पाना; देखना। Óएहसास जो हुआ नहीं टूटन की टीस का, आँखों में ख़्वाब ही पाला नहीं होगाÓ -माँझी
एहसासात (अ.पु.)-'एहसासÓ का बहु.।


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