जा, ज़ा
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जाँ ($फा.स्त्री.)-'जानÓ का लघुरूप, जो यौगिक शब्दों में प्रयोग होता है, दे.-'जानÓ।जाँआज़ार ($फा.वि.)-कष्टप्रद, कष्ट देनेवाला, दु:खदायी, सताने वाला।
जाँआज़ारी ($फा.स्त्री.)-जान को दु:ख या कष्ट देना, जानदारों यानी जीवधारियों को सताना, अत्याचार, ज़ुल्म।
जाँआफ्ऱीं ($फा.वि.)-जान अर्थात् जीवन प्रदान करनेवाला, शरीर में प्राण डालनेवाला, मनुष्य की सृष्टि करनेवाला, ईश्वर।
जाँआहन ($फा.वि.)-संगदिल, पाषाण-हृदय, निष्ठुर, बहुत-ही बेरहम; बहादुर, शूर, वीर, दिलावर।
जाँकंदन ($फा.पु.)-शरीर से प्राण निकलना।
जाँकंदनी ($फा.स्त्री.)-दे.-'जाँकनीÓ।
जाँकन ($फा.वि.)-प्राणों पर संकट लानेवाला; प्राणघातक।
जाँकनी ($फा.स्त्री.)-दम छूटने की स्थिति, शरीर से प्राण निकलने की अवस्था, मरणावस्था, मृत्युपीड़ा, चंद्रा, नज़्अ़ की हालत, यम-यातना।
जाँकाह ($फा.वि.)-प्राणों को घुलानेवाला, बहुत दु:ख या कष्ट देनेवाला, अत्यन्त कष्टदायी, हृदयद्रावी।
जाँकाही ($फा.स्त्री.)-प्राणों को घुलाना, अत्यन्त कष्ट और परिश्रम।
जाँगुज़ा ($फा.वि.)-प्राणों को काटने और डसनेवाला, घोर कष्टदायक, अंत:शल्य।
जाँगुदाज़ ($फा.पु.)-जान घुलानेवाला, प्राणों अर्थात् जीवन को घुलानेवाला।
जाँगुदाज़ी ($फा.स्त्री.)-जान घुलाना।
जाँगुसिल ($फा.वि.)-प्राणघातक, जीवन हरनेवाला, हृदय विदारक।
जाँदाद: ($फा.वि.)-मुग्ध, आशक्त, $िफरेफ़्त:।
जाँदार ($फा.पु.)-प्राणी, जिसमें जान हो, सजीव, जीवधारी; हथियारबंद; मित्र, सखा, दोस्त।
जाँदारू ($फा.स्त्री.)-विषहर, तिर्या$क, जो ज़ह्र के असर को समाप्त कर दे।
जाँदेही ($फा.स्त्री.)-प्रयास, परिश्रम, कोशिश; मश$गूलियत, तन्मयता, संलग्नता।
जाँनवाज़ ($फा.वि.)-मनोरम, मनोमुग्धकारी, मन को हर्षित करनेवाला। प्राणों को आनन्द देनेवाला।
जाँनवाज़ी ($फा.स्त्री.)-मन को मुग्ध करना, प्राणों को हर्षित करना, प्राणों पर कृपा या दया करना।
जाँनिसार ($फा.वि.)-प्राण न्यौछावर कर देनेवाला, ज़रूरत पडऩे पर जान की बाज़ी लगा देनेवाला (दूसरों के लिए)।
जाँनिसारी ($फा.स्त्री.)-प्राण न्यौछावर कर देना, समय आने पर जान तक दे देना (दूसरों के लिए)।
जाँपनाह ($फा.वि.)-प्राणरक्षक, प्राणों की रक्षा करनेवाला।
जाँपेश ($फा.अव्य.)-इससे पूर्व, इससे पहले।
जाँ$फर्सा ($फा.वि.)-दे.-'जाँकाहÓ।
जाँ$िफज़ा ($फा.वि.)-प्राणों को बढ़ानेवाला, जान को बढ़ाने वाला, प्राणवद्र्घक, आयुवद्र्घक।
जाँ$िफशाँ ($फा.वि.)-प्राण न्यौछावर करनेवाला, किसी पर जान देनेवाला।
जाँ$िफशानी ($फा.स्त्री.)-बहुत अधिक परिश्रम, किसी काम के लिए जान तक लगा देना, जी-तोड़ मेहनत, जान-तोड़ कोशिश, पूर्ण प्रयत्न।
जाँबख़्श ($फा.वि.)-प्राणदाता, प्राण प्रदान करनेवाला; जान बख़्शनेवाना; मरने से बचानेवाला, फाँसी आदि के आदेश को रद्द कर देनेवाला, जीवनरक्षक।
जाँबख़्शी ($फा.स्त्री.)-प्राणदान, अभयदान, मरने से बचाना, प्राण-रक्षा।
जाँबर ($फा.वि.)-जान बचा ले जानेवाला, प्राण बचा लेने वाला, जि़न्दा रह जानेवाला।
जाँबरी ($फा.स्त्री.)-जीवित रह जाना, जान बच जाना, प्राण बच जाना।
जाँ ब लब ($फा.वि.)-मृतप्राय, आसन्न मृत्यु, मरणासन्न, जिसके प्राण होंठों पर आ गए हों।
जाँ ब ह$क (अ़.$फा.वि.)-ईश्वर के लिए प्राण समर्पित, मृत, दिवंगत।
जाँबाज़ ($फा.वि.)-किसी काम के लिए प्राणों की बाज़ी लगा देनेवाला, प्राणघातक; अत्यन्त बहादुर, वीर, शूर।
जाँबाज़ी ($फा.स्त्री.)-प्राण न्यौछावर करना; वीरता, बहादुरी।
जाँबाÓद (अ़.$फा.अव्य.)-इसके पश्चात्, इसके बाद।
जाँसिताँ ($फा.वि.)-प्राणघातक, प्राणद्रोही, जान ले लेने वाला; दिलसिताँ, प्रेमपात्र, माÓशू$क।
जाँसितानी ($फा.स्त्री.)-प्राण लेना, अत्याचार करना।
जाँसिपार ($फा.वि.)-किसी को (प्रेमिका को) अपनी जान का मालिक बना देनेवाला।
जाँसिपारी ($फा.स्त्री.)-अपने प्राण किसी के सिपुर्द कर देना, अपनी जान किसी को सौंप देना।
जाँसोख़्त: ($फा.वि.)-जिसके प्राण जल गए हों अर्थात् जिसका जी जल गया हो, दग्धहृदय, प्रेमी, अ़ाशि$क।
जाँसोज़ ($फा.वि.)-अपनी जान अर्थात् अपने जी को जलाने वाला, दग्धहृदय, संताप सहनेवाला, आत्मसंतापी, संतापी; सहानुभूति रखनेवाला, हमदर्द।
जा ($फा.स्त्री.)-जगह, स्थान।
ज़ा ($फा.प्रत्य.)-पैदा करनेवाला, उत्पादक, जैसे-'$फर्हत ज़ाÓ-प्रसन्नता उत्पन्न करनेवाला। इसका 'ज़Ó उर्दू के 'ज़ालÓ अक्षर से बना है।
ज़ाइंद: (अ़.$फा.वि.)-जन्म देनेवाला, पैदा करनेवाला, जनने वाला।
ज़ाइ$क: (अ़.पु.)-रस, स्वाद, लज़्ज़त; प्रतिकार, प्रत्युपकार, प्रतिशोध, बुरा बदला।
ज़ाइ$क:चश (अ़.$फा.वि.)-स्वाद लेनेवाला, स्वादक; मज़ा चखनेवाला; सज़ा भोगनेवाला।
ज़ाइ$क:दार (अ़.$फा.वि.)-स्वादिष्ठ, सुस्वाद, मज़ेदार।
ज़ाइ$क:पसंद (अ़.$फा.वि.)-चटोरा, जिसे जीभ या ज़बान का स्वाद अच्छा लगता है, स्वादुकाम, जिह्वïालोलुप।
ज़ाइ$क (अ़.वि.)-चखनेवाला, स्वाद लेनेवाला।
ज़ाइच: ($फा.पु.)-जन्मकुण्डली, जन्मपत्री, लग्नकुण्डली।
जाइज़: (अ़.पु.)-काम या सामान की पूरी जाँच-पड़ताल और हिसाब, निरीक्षण; निगरानी, देखभाल; परीक्षा, इम्तिहान। हिन्दी में 'जायजाÓ प्रचलित।
जाइज़ (अ़.वि.)-उचित, विहित, दुरुस्त, ठीक, सही, मुनासिब, लोकप्रिय। हिन्दी में 'जायजÓ प्रचलित।
जाइज़ुल एÓतिराज़ (अ़.वि.)-आपत्ति के योग्य, एतिराज़ के $काबिल।
ज़ाइद: (अ़.पु.)-शरीर के किसी स्थान का बढ़ा हुआ मांस; $फालतू मांस, अतिरिक्त मांस; बढ़ी हुई वस्तु।
ज़ाइद (अ़.वि.)-प्रचुर, बहुत, अधिक; $फालतू, अतिरिक्त।
ज़ाइद अज़ उम्मीद (अ़.$फा.वि.)-आशातीत, जितनी उम्मीद हो उससे अधिक।
ज़ाइद अज़ ज़ुरूरत (अ़.$फा.वि.)-आवश्यकता से अधिक।
ज़ाइद अज़ हिसाब (अ़.$फा.वि.)-हिसाब से अथवा जितना चाहिए उससे अधिक।
ज़ाइदुलउम्र (अ़.वि.)-बड़ी या बढ़ी उम्रवाला, अधिक उम्र वाला, बूढ़ा, वयोधिक, वयोवृद्घ।
ज़ाइदुलमीअ़ाद (अ़.वि.)-लम्बी मुद्दतवाला, जिसके लिए लम्बा समय चाहिए; जो लम्बे समय के लिए हो, दीर्घ-कालीन।
ज़ाइदुलवस्फ़ (अ़.वि.)-बहुगुणी, जिसमें बहुत अधिक गुण हों।
ज़ाइन (अ़.पु.)-मेढ़ा।
जाइफ़: (अ़.पु.)-टीला।
ज़ाइफ़ (अ़.स्त्री.)-ख़्ाराब अ़ौरत।
ज़ाइब (अ़.वि.)-पिघलनेवाला; पिघला हुआ, द्रवीभूत।
ज़ाइर: (अ़.स्त्री.)-किसी पवित्र या पूज्य-स्थल या पुण्यात्मा व्यक्ति के दर्शन करने आनेवाली स्त्री, दर्शनार्थी महिला, जिय़ारत या तीर्थाटन करनेवाली स्त्री।
ज़ाइर (अ़.वि.)-किसी पुनीत स्थल या पुण्यात्मा व्यक्ति के दर्शन करनेवाला पुरुष, दर्शनार्थी, जिय़ारत या तीर्थाटन करनेवाला, तीर्थयात्री।
जाइर (अ़.वि.)-अनीति करनेवाला, अत्याचार करनेवाला, ज़ुल्म करनेवाला।
ज़ाइरात (अ़.स्त्री.)-'ज़ाइर:Ó का बहु., जिय़ारत अर्थात् तीर्थाटन करनेवाली महिलाएँ।
ज़ाइरीन (अ़.पु.)-'ज़ाइरÓ का बहु., जिय़ारत या तीर्थाटन करनेवाले पुरुष।
ज़ाइरे कर्बला (अ़.$फा.पु.)-कर्बला (इरा$क) जाकर हज्ऱत इमाम हुसैन के रौज़े (म$कबरे) की जिय़ारत करनेवाला।
ज़ाइरे हरम (अ़.पु.)-मक्का (अऱब) जाकर काÓबे की जिय़ारत करनेवाला।
ज़ाइरे मदीना (अ़.पु.)-मदीना (अऱब) की जिय़ारत या तीर्थयात्रा करनेवाला।
ज़ाइरे हरमैन (अ़.पु.)-'मक्काÓ और 'मदीनाÓ दोनों पुनीत स्थलों की तीर्थयात्रा करनेवाला।
जाइल (अ़.वि.)-उत्पत्ति करनेवाला, उत्पन्न करनेवाला; बनानेवाला, निर्मित करनेवाला; स्रष्टा।
ज़ाइल (अ़.वि.)-नष्ट, बरबाद; ख़्ात्म, समाप्त; निराकृत।
जाई ($फा.वि.)-स्थान सम्बन्धी, (स्त्री.)-जूही का फूल, जुही।
जाई जू ($फा.पु.)-चूल्हा, अँगीठी।
ज़ाईद: ($फा.वि.)-उत्पन्न, जनित, जन्मा हुआ; जना हुआ।
ज़ाईदगी ($फा.स्त्री.)-पैदाइश।
ज़ाइदन ($फा.क्रि.)-पैदा करना, जन्म देना।
ज़ाइदनी ($फा.वि.)-पैदा होने योग्य, जन्म लेने के योग्य; जनने के योग्य।
ज़ाएÓ (अ़.वि.)-नष्ट, बरबाद; व्यर्थ, बेकार।
जाएÓ (अ़.वि.)-भूखा, क्षुधातुर।
जाए ($फा.स्त्री.)-'जाÓ का यौगिक रूप, जैसे-'जाए ज़ुरूरÓ।
जाएअम्न (अ़.$फा.स्त्री.)-ऐसी जगह जहाँ शान्ति और सुकून हो, जहाँ कोई झंझट न हो; जहाँ जान-जाख़्िाम न हो।
जाएअ़ा$िफयत (अ़.$फा.स्त्री.)-ऐसी जगह जहाँ सुरक्षा और सुकून हो, रक्षा और शान्ति का स्थान, जाएअम्न।
जाए$िकयाम (अ़.$फा.स्त्री.)-रुकने या ठहरने की जगह; रहने का स्थान, निवासस्थान।
जाए एÓतिराज़ (अ़.$फा.स्त्री.)-आपत्ति का अवसर; त्रुटि की संभावना।
जाएउज्ऱ (अ़.$फा.स्त्री.)-बहाना बनाने या टालने का अवसर।
जाएगाह ($फा.स्त्री.)-जगह, स्थान।
जाएज़ुरूर (अ़.$फा.स्त्री.)-जाज़रू, संडास, शौचालय, शौचागार, टट्टी, पाख़्ााना।
जाएदाद ($फा.स्त्री.)-भू-सम्पत्ति, खेत, मकान-दुकान आदि।
जाएदादे आबई (अ़.$फा.स्त्री.)-पैतृक सम्पत्ति।
जाएदादे आराज़ी (अ़.$फा.स्त्री.)-भूमि एवं भवन आदि जो अपने अधिकार में हों।
जाएदादे $गैरमन्$कूल (अ़.$फा.स्त्री.)-अचल सम्पत्ति, स्थावर सम्पत्ति, जो सम्पत्ति अपनी जगह से हट न सके, जैसे-खेत, भवन आदि।
जाएदादे $गैरमर्हून: (अ़.$फा.स्त्री.)-वह सम्पत्ति जो कहीं गिरवी या बंधक न हो, अबंधक सम्पत्ति।
जाएदादे मक़्$फूल: (अ़.$फा.स्त्री.)-वह सम्पत्ति जो कहीं गिरवी या रेहन रखी हो, बंधक सम्पत्ति।
जाएदादे मक्सूब: (अ़.$फा.स्त्री.)-वह सम्पत्ति जो मालिक ने अपनी कमाई से बनाई हो।
जाएदादे मन्$कूल: (अ़.$फा.स्त्री.)-चल-सम्पत्ति, , जो सम्पत्ति इधर-उधर हटाई जा सके, जैसे-पशु आदि।
जाएदादे मर्हून: (अ़.$फा.स्त्री.)-दे.-'जाएदादे मक़्$फूल:Ó।
जाएदादे मुस्तग़्रिक: (अ़.$फा.स्त्री.)-वह सम्पत्ति जो गिरवी रखने के पश्चात् समाप्त हो जाए।
जाएदादे मौ$कू$फ: (अ़.$फा.स्त्री.)-वह सम्पत्ति जो किसी कार्य-विशेष के लिए उत्सर्गित हो।
जाएदीगर ($फा.स्त्री.)-अन्य स्थान, दूसरी जगह।
जाएनमाज़ (अ़.$फा.स्त्री.)-नमाज़ पढऩे की जगह; नमाज़ पढऩे का वस्त्रादि।
जाएपनाह ($फा.स्त्री.)-रक्षा-स्थल, सुरक्षा का स्थान, बचाव की जगह।
जाएमका$फात (अ़.$फा.स्त्री.)-बदले या प्रतिकार की जह; प्रतिकार का अवसर, बदले का मौ$का।
जाएमाजरा (अ़.$फा.स्त्री.)-घटना-स्थल, वह स्थान जहाँ घटना घटी हो।
ज़ाक ($फा.स्त्री.)-फिटकरी।
ज़ाकिर (अ़.वि.)-वर्णन करनेवाला; इमाम हुसैन की शहादत का हाल बयान करनेवाला व्यक्ति।
ज़ाख़्िार (अ़.पु.)-लबालब नदी, चढ़ा हुआ दरिया।
ज़ाख़्िाल ($फा.पु.)-थूहड़ का पेड़।
ज़ा$ग ($फा.पु.)-कौआ, काक, वायस, आत्मघोष।
ज़ागचश्म ($फा.वि.)-कंजी आँखोंवाला, कंजा, नीलाक्ष।
ज़ा$गज़बाँ ($फा.वि.)-जिसका कोसना तुरन्त ही लगे, शापसिद्घ, काली ज़बानवाला (वाली)।
ज़ा$गदिल ($फा.वि.)-निष्ठुर, निर्दय, बेरहम।
ज़ा$गनोल ($फा.पु.)-लोहे का बना एक यंत्र, जो खुदाई करने के काम में प्रयोग किया जाता है, कुदाल, कुदाली।
ज़ा$गपा ($फा.पु.)-कटाक्ष, ताना, व्यंग्य।
जा$गर (तु.पु.)-चिडिय़ों का पोटा।
जागीर ($फा.स्त्री.)-जायदाद या ज़मींदारी जो सरकार से किसी बड़े काम के बदले मिले, राज्य की ओर से प्राप्त भू-सम्पत्ति।
जागीरदार ($फा.पु.)-बड़ी ज़मींदारी का स्वामी, जागीर का मालिक, तअ़ल्लुक:दार।
जागीरदारान: ($फा.वि.)-जागीरदारों-जैसा।
जागीरदारी ($फा.स्त्री.)-जागीरदारान: निज़ाम; जागीर का शासन।
जागीरी ($फा.स्त्री.)-ज़मींदार होने का भाव; अमीर, रईस।
ज़ा$गूत (अ़.पु.)-एक प्रकार का रोग, जिसमें रोगी ऐसा अनुभव करता हैजैसे कोई बड़ा राक्षस उसका गला घोंट रहा है, काबूस।
ज़ाग़े आबी ($फा.पु.)-जलकौआ, पनडुब्बी।
ज़ा$गे कमाँ ($फा.पु.)-सींग के काले टुकड़े जो धनुष के दोनों किनारों पर लगाए जाते हैं।
ज़ा$गे कोही ($फा.पु.)-पहाड़ी कौआ, द्रोणकाक, काकोल।
ज़ाच ($फा.स्त्री.)-ज़च्चा, प्रसूता।
ज़ाज (अ़.स्त्री.)-फिटकरी, फटिक।
ज़ाज़ ($फा.वि.)-मिथ्या, व्यर्थ, निरर्थक, बेहूदा।
ज़ाज़ख़्ाा ($फा.वि.)-झूठ बोलनेवाला, मिथ्यावादी, गप्पी, $फुज़ूलगो।
ज़ाज़ख़्ााई ($फा.स्त्री.)-गप्प, बकवास, झूठ, मुखरता, वाचालता।
जाजि़ब: (अ़.स्त्री.)-कशिश, खिंचाव, आकर्षण-शक्ति, अपनी ओर खींचनेवाली $कुव्वत।
जाजि़ब (अ़.वि.)-आत्मसात् करनेवाला, जज़्ब करनेवाला, अपने अन्दर मिला लेनेवाला।
जाजि़बीयत (अ़.स्त्री.)-कशिश, आकर्षण।
जाजि़बे तवज्जोह (अ़.वि.)-ध्यान या ख़्ायाल को अपनी ओर खींचनेवाला (वाली), चित्ताकर्षक।
जाजि़बे नजऱ (अ़.वि.)-दृष्टि को अपनी ओर खींचनेवाला (वाली), दृष्टी-आकर्षक।
जाजि़बे निगाह (अ़.वि.)-दे.-'जाजि़बे नजऱÓ।
जाजिम (तु.स्त्री.)-छपा हुआ दोसूती मोटा बिछावन।
जाजि़म (अ़.वि.)-दृढ़ निश्चयवाला; अक्षर को हलन्त् करनेवाला।
ज़ाजिर (अ़.वि.)-झिड़कनेवाला, डाँट-डपट करनेवाला, भत्र्सक। इसका 'ज़ाÓ उर्दू के 'ज़ेÓ अक्षर से बना है।
ज़ाजिर (अ़.वि.)-आतुर, व्याकुल। इसका 'ज़ाÓ उर्दू के 'ज़्वादÓ अक्षर से बना है।
जाज़ेÓ (अ़.वि.)-बेसब्र, अधीर।
ज़ात (अ़.स्त्री.)-कुल, वंश, नस्ल; जाति, बिरादरी, $कौम; व्यक्तित्व, शख़्सीयत; स्वयं, ख़्ाुद; अस्तित्व, हस्ती, (उप.)-वाला, जैसे-'ज़ातुलबुरूजÓ-बुर्जोंवाला, राशियोंवाला।
ज़ातियात (अ़.स्त्री.)-निजी और व्यक्तिगत बातें।
ज़ाती (अ़.वि.)-निजी, व्यक्तिगत; आत्मीय, ख़्ाुद का; निजी, प्राइवेट।
ज़ातुर्रिय: (अ़.पु.)-फेफड़े की सूजन, निमोनिया, क्लोमपाक।
ज़ातुलइमाद (अ़.वि.)-अनेक स्तम्भोंवाला महल, बहुत-से खम्भोंवाली इमारत, बहुत बड़ा प्रासाद, भव्य इमारत।
ज़ातुलकुर्सी (अ़.वि.)-आस्मानी शक्लों में से एक जो औरत की तरह है।
ज़ातुलजंब (अ़.पु.)-पसली का दर्द; उरोग्रह, प्लूरिसी।
ज़ातुलबुरूज (अ़.पु.)-राशियोंवाला आकाश अर्थात् सबसे ऊपरी आस्मान।
ज़ातुलबैन (अ़.पु.)-दो व्यक्तियों का मामला पटानेवाला, मध्यस्थ, बिचौलिया, दलाल।
ज़ातुलयमीन (अ़.वि.)-वे व्यक्ति, महाप्रलय के दिन जिनके कर्म-पत्र सीधे हाथ में होंगे, सदाचारी लोग।
ज़ातुलयसार (अ़.वि.)-वे व्यक्ति, महाप्रलय के दिन जिनके कर्म-पत्र उलटे हाथ में होंगे, पापी लोग।
ज़ातुश्शिमाल (अ़.वि.)-दे.-'ज़ातुलयसारÓ।
ज़ातुस्सद्र (अ़.पु.)-दिलों की बात जाननेवाला, अन्तर्यामी; छाती की सूजन।
ज़ातेशरी$फ (अ़.वि.)-इस शब्द का प्रयोग केवल व्यंग में धूर्त और $िफतरती व्यक्ति के लिए किया जाता है, जैसे-हिन्दी में 'महापुरुषÓ।
ज़ाद: ($फा.वि.)-जन्मा हुआ, उत्पन्न; बेटा, पुत्र।
जाद: ($फा.पु.)-पगडण्डी, रास्ते के अतिरिक्त पतला रास्ता; मार्ग, पथ, रास्ता।
जाÓद: (अ़.स्त्री.)-वेणी, चोटी, केशकलाप; घुँघराले बाल।
जाद:पैमा ($फा.वि.)-मुसा$िफर, पथिक, बटोही, राहगीर।
ज़ाद ($फा.पु.)-खाद्य-सामग्री, खाने का सामान; पीढ़ी, वंश, नस्ल; (प्रत्य.)-उत्पन्न, जैसे-'ख़्ाान:ज़ाद:Ó-घर में उत्पन्न होनेवाला।
जाÓद (अ़.स्त्री.)-चोटी, वेणी।
जादए इताअ़त ($फा.पु.)-सत्य का मार्ग, भक्ति-मार्ग।
ज़ादए ख़्ााक ($फा.पु.)-धन-दौलत, सोना-चाँदी।
जादए मुस्तक़ीम (अ़.पु.)-सीधा रास्ता, सरल मार्ग।
ज़ाद बरज़ाद ($फा.पु.)-वंशगत, पुश्त दर पुश्त, पीढ़ी दर पीढ़ी, नस्ल दर नस्ल।
ज़ादबूम ($फा.स्त्री.)-जन्म-स्थान, जन्मभूमि, पैदाइश की जगह।
जादिल (अ़.वि.)-लडऩेवाला, योद्घा; वाद-विवाद करनेवाला।
ज़ादी ($फा.वि.)-जन्मी हुई, जनी हुई, पैदा की हुई; लड़की, पुत्री।
जादू ($फा.पु.)-अभिचार; मार डालने अथवा हानि पहुँचाने का कर्म; माया, इन्द्रजाल, तिलिस्म; दृष्टिबंध, नजऱबंदी; हाथ की स$फाई, हस्तकौशल।
जादूकुश ($फा.वि.)-जादूगरों का वध करनेवाला।
जादूगर ($फा.वि.)-जादू करनेवाला, मायावी, ऐंद्रजालिक; नजऱ बाँध देनेवाला, दृष्टिबंधक, शोÓबद:गर।
जादूगरी ($फा.स्त्री.)-जादू का काम, मायाकर्म; दृष्टिबंध, शोÓबद:बाज़ी।
जादूनजऱ ($फा.वि.)-जिसकी आँखों में जादू हो, जिसकी आँखों में मोहनी हो, जो आँखें बरबस अपनी ओर आकर्षित कर लेती हों।
जादूनिगाह ($फा.वि.)-दे.-'जादूनजऱÓ।
जादू$फन ($फा.वि.)-जादूगर, मायावी, जादूकर्म करनेवाला।
जादूबयाँ (अ़.$फा.वि.)-जिसकी बातों में जादू हो, जिसकी बातचीत में मोहनी हो, चित्ताकर्षक बातचीत करनेवाला; जो अपने वक्तव्य और भाषण से सबको मोहित कर ले।
जादू सुख़्ान ($फा.वि.)-अपनी बातों से दूसरों को मोह लेनेवाला; शुद्घ और आलंकारिक भाषा बोलनेवाला।
ज़ादे उक़्बा (अ़.$फा.पु.)-परलोक के लिए सामान, अच्छी कृतियाँ, नेकअ़मल।
ज़ादे ख़्ाातिर ($फा.स्त्री.)-कविता, काव्य, पद्य।
ज़ादे राह ($फा.पु.)-रास्ते का खाना और ख़्ार्च, पाथेय, सम्बल, मार्गव्यय।
ज़ादे स$फर (अ़.$फा.पु.)-दे.-'ज़ादे राहÓ।
जान:दार ($फा.वि.)-सशस्त्र, हथियारबंद; मित्र, दोस्त, सखा।
जान ($फा.स्त्री.)-प्राणवायु, रूह; जीवन, जि़न्दगी; शक्ति, ज़ोर; साहस, हिम्मत।
जान (अ़.पु.)-'जिनÓ (एक प्राणी जिसकी उत्पत्ति अग्नि से मानी जाती है और वह दिखाई नहीं पड़ता) $कौम का सर्वप्रथम व्यक्ति, अबुलहसन, सारे जिन जिसकी संतान हैं।
ज़ान [न्न] (अ़.वि.)-बुरी धारणा रखनेवाला, बुरे विचारों से ग्रस्त।
जान आज़ारी ($फा.क्रि.)-कष्ट देना, तक्ली$फ पहुँचाना।
जान आफ्ऱीं ($फा.वि.)-दे.-'जाँ आफ्ऱींÓ।
जानदार ($फा.पु.)-प्राणी, जीवधारी, ज़ी रूह; मानव, मनुष्य, इंसान; जीवित, जि़ंदा; शक्तिशाली, ता$कतवर।
जानवाज़ (अ़.$फा.स्त्री.)-नमाज़ पढऩे की दरी या चटाई आदि।
जानशीन ($फा.पु.)-जो किसी की जगह पर बैठा हो, स्थानापन्न, $काइम म$काम; उत्तराधिकारी, वारिस।
जानशीनी ($फा.स्त्री.)-उत्तराधिकारी होने का भाव।
जानवर ($फा.पु.)-पशु और पक्षी आदि प्राणी, मनुष्य के अतिरिक्त और सब प्राणी।
जानाँ ($फा.पु.)-प्रेमपात्र, महबूब; प्रेमिका, प्रेयसी, महबूब:।
जानान: ($फा.वि.)-प्रेमिका से सम्बन्ध रखनेवाली वस्तु, प्रेयसी का (की)।
जानिब (अ़.स्त्री.)-पक्ष, ओर, तर$फ; पाश्र्व, पहलू।
जानिबदार (अ़.$फा.वि.)-पक्षपाती, तर$फदारी करनेवाला।
जानिबदारी (अ़.$फा.स्त्री.)-पक्षपात, तर$फदारी।
जानिबदारान: (अ़.$फा.पु.)-वह व्यवहार जिसमें किसी एक का पक्ष लिया जाए।
जानिबैन (अ़.पु.)-उभय पक्ष, दोनों पक्ष, दोनों पार्टियाँ।
ज़ानिय: (अ़.स्त्री.)-व्यभिचारिणी, स्वैरिणी, असती, बंधकी, भ्रष्टा, बदचलन, जारिणी, धर्षिणी, $फाहिशा।
ज़ानी (अ़.पु.)-व्यभिचारी, परस्त्रीगामी, विषयलम्पट, विषयाभ्यस्त, बदचलन, रतनारीच।
जानी ($फा.वि.)-जान का, प्राणों का; घनिष्ठ, गहरा।
जानी (अ़.वि.)-पापी, पातकी, गुनाहगार; दोषी, अपराधी, मुज़रिम।
ज़ानू ($फा.पु.)-घुटना, जानू।
ज़ानूपोश ($फा.पु.)-वह कपड़ा जो खाना खाते समय घुटनों पर डाला जाता है।
ज़ानूबज़ानू (अ़.वि.)-घुटने से घुटना मिलाकर (बैठना), एक पंक्ति में बराबर-बराबर (बैठना)।
जाने अ़ालम ($फा.पु.)-अवध के बादशाह वाजिद अ़ली शाह की उपाधि; उर्दू की एक प्रसिद्घ पुस्तक '$फसानए अज़ाइबÓ।
जाने जहाँ ($फा.पु.)-सारे संसारवासियों का प्राण, विश्वजीवन अर्थात् नायिका; ईश्वर।
जाने जाँ ($फा.पु.)-प्राणाधार, प्राणों का प्राण अर्थात् पे्रमिका; ईश्वर।
जाने जानाँ ($फा.पु.)-दे.-'जाने जाँÓ।
जाने बिर्याँ (अ़.स्त्री.)-अंगूरी शराब।
ज़ाÓ$फ (अ़.पु.)-मूच्र्छा, बेहोशी; बुद्घि की हानि, अ़क़्ल की कमी; बुद्घिहीनता, बुद्घिमंदता। इसका 'ज़Ó उर्दू के 'ज़्वादÓ अक्षर से बना है।
ज़ाÓ$फ (अ़.पु.)-किसी को जान से मार डालना, धराशायी करना, इस तरह मारना कि उसी ठौर मर जाए। इसका 'ज़Ó उर्दू के 'ज़ेÓ अक्षर से बना है।
जाÓ$फर (अ़.पु.)-नह्रï (नहर), नदी; ख़्ारबूजा; चौदह इमामों में से एक।
ज़ाÓ$फर (अ़.पु.)-दे.-'ज़ाÓ$फरानÓ।
ज़ाÓ$फराँ (अ़.पु.)-'ज़ाÓ$फरानÓ का लघु., दे.-'ज़ाÓ$फरानÓ।
ज़ाÓ$फराँज़ार (अ़.$फा.पु.)-जहाँ चारों ओर केसर के खेत हों।
ज़ाÓ$फरान (अ़.पु.)-कुमकुम, केसर।
ज़ाÓ$फरानी (अ़.वि.)-केसर के रंग का, केसरी; केसर का बना हुआ।
जाÓ$फरी (अ़.वि.)-पीले रंग का एक फूल पीला रंग, पीत।
जाÓब: (अ़.पु.)-तूणीर, निषंग, तरकश।
जा ब जा ($फा.वि.)-जगह-जगह, यदा-कदा, यहाँ-वहाँ।
ज़ाबित: (अ़.पु.)-नियम, $काइद:; पद्घति, प्रणाली, दस्तूर; गुर, $काइद:।
ज़ाबित (अ़.वि.)-सहनशील, मुतहम्मिल; प्रबंधक, मुंतजि़म।
ज़ाबितए दीवानी (अ़.$फा.पु.)-दीवानी अ़दालत का $कानून।
ज़ाबितए $फौजदारी (अ़.$फा.पु.)-$फौजदारी अ़दालत का $कानून।
जाबिर (अ़.वि.)-अनीति करनेवाला, अत्याचार करनेवाला, ज़बरदस्ती करनेवाला, नाजाइज़ दबाव डालनेवाला।
ज़ाबिल (अ़.वि.)-नाटा, बौना, छोटे $कद का व्यक्ति।
ज़ाबिलिस्तान ($फा.पु.)-सीसतान, ईरान का एक प्राचीन प्रदेश, जो रुस्तम की जन्मभूमि था।
ज़ाबुलिस्तान ($फा.पु.)-दे.-'ज़ाबिलिस्तानÓ, दोनों शुद्घ हैं।
जाबुल्$का ($फा.पु.)-पूर्व दिशा के अन्त में एक बहुत बड़ा कल्पित नगर।
जाबुल्सा ($फा.पु.)-पश्चिम दिशा के अन्त में एक बहुत बड़ा कल्पित नगर।
ज़ाबेज़ ($फा.स्त्री.)-जलती हुई लकड़ी से निकली हुई बूँद।
ज़ाब्ह (अ़.वि.)-वध करनेवाला, वधिक।
जाम: ($फा.पु.)-वस्त्र, वसन, पहनने का कपड़ा; कुर्ता, $कमीस; बारात में दूल्हे के पहनने के कपड़े।
जाम:कन ($फा.पु.)-स्नानागार का पहला कमरा, जहाँ कपड़े उतारे जाते हैं और लुंगी बाँधी जाती है।
जाम:ज़ेब ($फा.वि.)-वह व्यक्ति जिसके शरीर पर कपड़े शोभा दें।
जाम:ज़ेबी ($फा.स्त्री.)-शरीर पर कपड़ों का शोभा देना और सजना।
जाम:तलाशी ($फा.स्त्री.)-शरीर पर पहने हुए कपड़ों की किसी शक या संदेह में सरकारी तौर पर तलाशी।
जाम:दर ($फा.वि.)-कपड़े फाडऩेवाला, शोकातिरेक या पागलपन से कपड़े फाडऩेवाला।
जाम:दरी ($फा.स्त्री.)-शरीर पर पहने हुए कपड़ों को फाडऩा, पागलपन की अवस्था।
जाम:वार ($फा.पु.)-एक प्रकार की बढिय़ा छींट, जिससे अँगरख या शेरवानियाँ बनाई जाती हैं।
जाम (अ़.पु.)-पियाला (प्याला), कंस; शराब पीने का पियाला, पानपात्र, चषक।
ज़ाÓम (अ़.पु.)-विचार, ख़्ायाल; गुमान, धारणा।
जामए एह्रïाम (अ़.$फा.पु.)-वह चादर जो हाजी लोग हज के समय बाँधते हैं।
जामए $गूक ($फा.पु.)-काई, जो पानी पर जम जाती है।
जामए $फत्ह (अ़.$फा.पु.)-वह कपड़ा जिस पर मंत्र आदि लिखे होते हैंऔर लड़ाई के समय विजय-प्राप्ति के लिए पहना जाता है।
जामए सूरत (अ़.$फा.पु.)-वह कपड़ा जिस पर चित्र बने हों, चित्रपट।
जामगी ($फा.स्त्री.)-रोज़ीन:, रातब; पियाले में शराब की तलछट; पुराना कपड़ा।
जाम$गूल (तु.वि.)-दुरात्मा, शरीर; पापात्मा, ख़्ाबीस ।
जामबक$फ ($फा.वि.)-हाथ में शराब का पियाला लिये हुए।
जामबलब ($फा.वि.)-होंठों से शराब का पियाला लगाए हुए अर्थात् शराब पीता हुआ।
जामिअ़: (अ़.स्त्री.)-विश्वविद्यालय, यूनीवर्सिटी।
जामिईयत (अ़.स्त्री.)-योग्यता, विद्वत्ता, $काबिलीयत; व्यापकता, हावी होने का भाव।
जामि उल उलूम (अ़.पु.)-सार-संग्रह, इंसाइक़्लोपेडिया; विद्याओं का भण्डार।
जामि उल कमालात (अ़.वि.)-जिसमें बहुत-से गुण हों, बहुगुणसम्पन्न।
जामि उल मत$फर्रि$कीन (अ़.पु.)-बिछुड़े हुओं को एकत्र करनेवाला, वियोगियों को मिलानेवाला।
जामि उल लु$गात (अ़.पु.)-ऐसा शब्दकोश जिसमें किसी भाषा के शब्दों का पूर्ण संग्रह हो।
जामिद (अ़.वि.)-ठोस, घन; जड़, चेतना-रहित; (पु.)-व्याकरण के अुसार वह शब्द जो किसी दूसरे शब्द सेन बना हो।
जामिदुलअ़क़्ल (अ़.वि.)-जिसकी बुद्घि ठस हो, जिसकी समझ में बात न आए, मंदमति, घामड़।
ज़ामिन (अ़.वि.)-ज़मानत करनेवाला, प्रतिभू; दूध जमाने की चीज़, आतंचन, सहेजा, बीछन, खट्टा।
ज़ामिनी (अ़.स्त्री.)-ज़मानत देनेवाा, ज़मानती।
जामी ($फा.वि.)-'जामÓ से सबन्ध रखनेवाला; शराबी, मद्यप, मयनोश।
ज़ामी (अ़.वि.)-प्यासा, तृषित, पिपासु।
जामूस: (अ़.स्त्री.)-भैंस।
जामूस (अ़.पु.)-भैंसा।
जामेÓ (अ़.वि.)-संग्रह करनेवाला, संग्रहीता; सम्पादन करनेवाला, सम्पादक; व्यापक, बहुत ही विस्तृत।
जामे अ़ाली (अ़.$फा.पु.)-बहुत बड़ा पियाला (प्याला)।
जामे जम ($फा.पु.)-प्रसिद्घ है कि ईरान के शासक 'जमशेदÓ ने एक पियाला (प्याला) बनाया था, जिससे संसार का हाल ज्ञात होता था। जहाँ तक इस विषय में $गौर किया गया है, ऐसा प्रतीत होता है कि उस पियाले में कोई भंग-जैसी मादक वस्तु पिलाई जाती होगी, जिससे पीनेवाले को ख़्ायाली चीज़ें दिखाई पड़ती होंगी, जैसा कि आजकल भी अधिक नशा हो जाने पर हम देखते हैं।
जामे जमशेद ($फा.पु.)-दे.-'जामे जमÓ।
जामे जहाँनुमाँ ($फा.पु.)-दे.-'जामे जमÓ।
जामे जहाँबीं ($फा.पु.)-दे.-'जामे जमÓ।
ज़ाÓमे बातिल (अ़.पु.)-कुधारणा, $गलत गुमान, बुरी सोच; भ्रम, वहम।
जामे मय ($फा.पु.)-शराब का पियाला; मदिरा पीने का पियाला; मदिरा से भरा हुआ पियाला।
जामे शराब ($फा.पु.)-दे.-'जामे मयÓ।
जामे सि$फाल ($फा.पु.)-दे.-'जामे सि$फालींÓ।
जामे सि$फालीं ($फा.पु.)-मिट्टी का कुल्हड़, डबुआ, जामे सि$फाल। 'जामे जम से तो मेरा जामे सि$फाल अच्छा हैÓ-$गालिब
जामेह (अ़.वि.)-उद्दण्ड, सरकश, अवज्ञाकारी; विद्रोही, बा$गी।
ज़ाये (अ़.वि.)-नष्ट, बरबाद; व्यर्थ, बेकार; प्रभावहीन, बेअसर।
जार (अ़.पु.)-प्रतिवासी, पड़ोसी; भागीदार, साझी; शरण में आया हुआ, शरणागत, पनाहयाफ़्त:।
जार [र्र] (अ़.वि.)-खींचनेवाला; रक्षक, निगहबान; ज़ेर देनेवाला कारक।
जार (तु.पु.)-समुदाय, जनसमूह, जमाअ़त; ढिंढोरा, मुनादी।
ज़ार ($फा.वि.)-दुबला-पतला, क्षीण, ला$गर; अशक्त, बेज़ोर, कमज़ोर; दीन, दु:खी, बेकस।
ज़ार [र्र] (अ़.वि.)-हानिकारक, अनिष्टकर, नु$कसानदेह।
जारची (तु.पु.)-ढिंढोरिया, ढिंढोरा पीटनेवाला, मुनादी करनेवाला।
ज़ारज़ाँ ($फा.पु.)-उद्यान, बा$ग, फुलवारी, वाटिका।
ज़ारज़ार ($फा.वि.)-बहुत अधिक, फूट-फूटकर (रोना)।
ज़ारनाली ($फा.स्त्री.)-रोना-पीटना, बहुत व्याकुल होकर रोना।
जारिअ़ ($फा.पु.)-खेती करनेवाला, कृषि करनेवाला।
जारिन ($फा.वि.)-सँपोला, साँप का बच्चा।
ज़ारिब (अ़.वि.)-आघातक, प्रहारक, मारनेवाला।
जारिय: (अ़.स्त्री.)-दासी, लौंडी; वह लौंडी जिससे उसका स्वामी सहवास करे; नौका, नाव, किश्ती।
जारिय्यित (अ़.स्त्री.)-दूसरे देश का बिना किसी कारण हमला या आक्रमण करना।
जारिह: (अ़.पु.)-हाथ-पाँव आदि अवयव; शिकारी जानवर।
जारिहान: (अ़.वि.)-जिसके द्वारा ज़ख़्म लगे या क्षति पहुँचे।
जारी (अ़.वि.)-संचालित, चलता हुआ (काम आदि); प्रवाहित, बहता हुआ (पानी); लागू, चालू (नियम, $कानून आदि)।
ज़ारी ($फा.स्त्री.)-विलाप, रुदन, रोना।
ज़ारीद: ($फा.वि.)-रोदित, रोया हुआ।
ज़ारीदन ($फा.वि.)-रोना, रुदन करना, विलाप करना।
ज़ारो$िकतार (अ़.$फा.वि.)-दे.-'ज़ारज़ारÓ।
ज़ारोज़ुबूँ ($फा.वि.)-दशाहीन, दु:खी।
जारोद ($फा.पु.)-अनिष्ट या अशुभ व्यक्ति।
ज़ारोनज़ार ($फा.वि.)-मरियल; बहुत ही दुबला और अशक्त।
ज़ारोनालाँ ($फा.वि.)-दु:खी और रोता हुआ; बहुत अधिक दीन और दु:खी।
जारोब ($फा.स्त्री.)-झाड़ू, मार्जनी।
जारोबकश ($फा.वि.)-झाड़ू देनेवाला, स$फाई करनेवाला, झाड़ू से ज़मीन सा$फ करनेवाला।
जारोबकशी ($फा.स्त्री.)-झाड़ू देना, झाड़ू बुहारना, झाड़ू से ज़मीन सा$फ करना।
जाल: ($फा.पु.)-नदी पार करने के लिए कई मश्कों में हवा भरकर और उनके ऊपर लकडिय़ों का ठाठ कसकर बनाई जानेवाली नौका।
ज़ाल: ($फा.पु.)-ओला, हिमोपल, घनोपल, आस्मानी बर्फ़ का टुकड़ा।
ज़ाल:ज़दगी ($फा.स्त्री.)-ओला पडऩा, उपल-वर्षा, करकापात।
ज़ाल:बारी ($फा.स्त्री.)-दे.-'ज़ाल:ज़दगीÓ।
जाल (अ़.पु.)-कूटता, जालसाज़ी; छल, कपट, $फरेब, वंचकता।
ज़ाल [ल्ल] (अ़.वि.)-रास्ते से भटका हुआ, मार्गभ्रष्ट, गुमराह; गुनाहगार, पापी, अपराधी। इसका 'ज़ाÓ उर्दू के 'ज़्वादÓ अक्षर से बना है।
ज़ाल ($फा.वि.)-स$फेद बालोंवाला बूढ़ा पुरुष; स$फेद बालोंवाली बूढ़ी स्त्री; बूढ़ा पुरुष या स्त्री।
जाÓलसाज़ (अ़.$फा.वि.)-कूटकार, जाली काम करनेवाला, न$कली रुपया या दस्तावेज़ बनानेवाला।
जाÓलसाज़ी (अ़.$फा.स्त्री.)-कूटकर्म, न$कली रुपया या दस्तावेज़ बनाना; छल, कपट, धोखा।
जालि$फ (अ़.पु.)-महामारी, वबा, मरी।
जालिब (अ़.वि.)-ग्रहण करनेवाला, लेनेवाला; अपनी ओर खींचनेवाला, आकर्षित करनेवाला, आकर्षक।
ज़ालिम (अ़.वि.)-अन्यायी, अत्याचारी; निर्दय, कठोर हृदय, निष्ठुर।
ज़ालिमान: (अ़.$फा.वि.)-अन्यायियों-जैसा, अत्याचारियों-जैसा।
ज़ालिमी (अ़.स्त्री.)-अत्याचार से सम्बन्धित वस्तु।
ज़ालिमे अज़्लम (अ़.वि.)-अत्यन्त क्रूर, बहुत बड़ा अत्याचारी।
जालिय: (अ़.पु.)-देश निकाला।
जालिस (अ़.वि.)-बैठनेवाला, बैठा हुआ, आसीन; बैठानेवाला।
जाÓली (अ़.वि.)-बनावटी, न$कली, कृत्रिम; कल्पित, $फजऱ्ी।
जाली (अ़.वि.)-सा$फ करनेवाला, शुद्घ करनेवाला, चमकानेवाला; प्रकाशित करनेवाला।
जालीनोस (अ़.पु.)-एक प्रसिद्घ यूनानी हकीम।
ज़ालूक ($फा.पु.)-गुल्ला ($गुलेल में चलनेवाला); गोली (बन्दू$क में चलनेवाली)।
जालूत (अ़.पु.)-अत्यन्त अत्याचारी एक शासक, जिसे हज्ऱत दाऊद की आज्ञा से 'तालूतÓ ने मारा था।
जालेÓ (अ़.वि.)-बेशर्म, बेहया, निर्लज्ज; धृष्ट, गुस्ताख़्ा, ढीठ।
जावर्स ($फा.पु.)-एक प्रसिद्घ अन्न, बाजरा।
ज़ावलान: ($फा.स्त्री.)-बेड़ी।
जावा ($फा.पु.)-एक टापू का नाम।
जाविदाँ ($फा.वि.)-हमेशा रहनेवाला, नित्य, शाश्वत, अनश्वर, जो कभी नष्ट न हो।
जाविदानी ($फा.वि.)-दे.-'जाविदाँÓ।
ज़ाविय: (अ़.पु.)-कोना, एकान्त, गोश:; कोण (रेखागणित)।
ज़ावियए $काइम: (अ़.पु.)-समकोण, नब्बे अंश का कोण।
ज़ावियए ख़्ाारिज़: (अ़.पु.)-बहिष्कोण।
ज़ावियए दाख़्िाल: (अ़.पु.)-अंत:कोण।
ज़ावियए नजऱ (अ़.$फा.पु.)-दृष्टिकोण, नुक़्तए नजऱ।
ज़ावियए निगाह (अ़.पु.)-दे.-'ज़ावियए नजऱÓ।
ज़ावियए मुन्फ़रिज: (अ़.पु.)-अधिककोण, नब्बे अंश से बड़ा कोण।
जावेद ($फा.वि.)-नित्य, शाश्वत, दाइमी।
जावेदाँ ($फा.वि.)-दे.-'जावेदÓ।
जाश ($फा.पु.)-ख़्ालियान में स्वच्छ अनाज के ढेर।
जासली$क ($फा.पु.)-एक अग्निपूजक विद्वान्।
जासिद ($फा.पु.)-सूखा हुआ ख़्ाून या रक्त।
जासिम ($फा.वि.)-सीने के बल सोनेवाला।
जासूस (अ़.पु.)-गुप्तचर, अपसर्पक, प्रतिष्क, चारचक्षु, मुख़्ाबिर।
जासूसी (अ़.पु.)-गुप्तचर का काम, मुख़्ाबिरी।
जाह ($फा.स्त्री.)-शान, प्रतिष्ठा, इज़्ज़त; पद, रुत्बा; सत्कार, $कद्र।
जाहपरस्त ($फा.वि.)-पदलोलुप, प्रतिष्ठा पाने का इच्छुक; केवल प्रतिष्ठित लोगों का भक्त।
जाहपरस्ती ($फा.स्त्री.)-प्रतिष्ठा प्राप्ति की इच्छा; प्रतिष्ठित लोगों की भक्ति।
ज़ाहिक: (अ़.स्त्री.)-हँसती हुई महिला, हँसोड़ औरत।
ज़ाहिक (अ़.वि.)-हँसनेवाला, हँसोड़, प्रहासी।
जाहिज़ (अ़.पु.)-जिसकी आँख का ढेला निकला हुआ हो।
ज़ाहिद: (अ़.स्त्री.)-साध्वी, तपस्विनी, विरक्ता, संयम-नियम का पालन करनेवाली स्त्री।
ज़ाहिद (अ़.पु.)-इन्द्रियों को वश में रखनेवाला, जितेंद्रिय, संयमी, विरक्त, विषय-विरक्त, संयम-नियम और जप-तप करनेवाला व्यक्ति।
जाहिद (अ़.पु.)-जान-बूझकर इंकार करना।
ज़ाहिदे ख़्ाुश्क (अ़.$फा.पु.)-ऐसा नीरस ज़ाहिद जिसके मन में जऱा भी उदारता न हो।
ज़ाहि$फ (अ़.वि.)-रेंगनेवाला।
ज़ाहिय: (अ़.$फा.पु.)-प्रकट, प्रत्यक्ष।
ज़ाहिर (अ़.वि.)-व्यक्त, प्रकट, अयाँ; स्पष्ट, प्रत्यक्ष, वाज़ेह। इसका 'ज़Ó उर्दू के 'ज़ोयÓ अक्षर से बना है।
ज़ाहिर (अ़.वि.)-उज्ज्वल, प्रकाशमान्, चमकता हुआँ; उच्च, उत्तुंग, ऊँचा, बुलन्द। इसका 'ज़Ó उर्दू के 'ज़ेÓ अक्षर से बना है।
ज़ाहिरदार (अ़.$फा.वि.)-दिखावे की बातें करनेवाला, दुनियासाज़, अवसरवादी; दिखावटी।
ज़ाहिर ज़ुहूर (अ़.$फा.पु.)-प्रत्यक्ष में, प्रकट रूप में; सा$फ-सा$फ, स्पष्टत:।
ज़ाहिरदारी (अ़.$फा.स्त्री.)-बनावट, दिखावा, दुनियासाज़ी।
ज़ाहिरन (अ़.वि.)-प्रकट रूप में, ज़ाहिर में, देखने में।
ज़ाहिरपरस्त (अ़.$फा.वि.)-जो ऊपरी टीम-टाम पर मरता हो, केवल बाह्यरूप देखनेवाला।
ज़ाहिरपरस्ती (अ़.$फा.स्त्री.)-केवल बाह्यरूप पर मुग्धता।
ज़ाहिरबीं (अ़.$फा.वि.)-बाहरी तड़क-भड़क का दीवाना, ज़ाहरपरस्त।
ज़ाहिरबीनी (अ़.$फा.स्त्री.)-केवल बाहरी टीम-टाम अर्थात् सौन्दर्य का मोह, ज़ाहिरपरस्ती।
ज़ाहिरा (अ़.वि.)-दे.-'ज़ाहिरनÓ।
ज़ाहिरी (अ़.वि.)-बाहरी, बाह्य; ऊपरी, देखने-भर का, दिखाई देनेवाला।
ज़ाहिरो बातिन (अ़.पु.)-अन्दर और बाहर, मन और मुख, ज़बान और दिल।
जाहिल (अ़.वि.)-अज्ञानी, जो कुछ न जानता हो; बेव$कू$फ, मूर्ख; असभ्य, उजड्ड, नामुहज़्ज़ब; अशिष्ट, बदसली$क:; उद्दण्ड, अक्खड़; निरक्षर, बेइल्म, अनपढ़। इसका 'जÓ उर्दू के 'जीमÓ अक्षर से बना है।
ज़ाहिल (अ़.$फा.वि.)-थकनेवाला। इसका 'ज़Ó उर्दू के 'ज़ेÓ अक्षर से बना है।
ज़ाहिल (अ़.$फा.वि.)-भूलनेवाला; निश्चेष्ट, संज्ञाहीन; असावधान। इसका 'ज़Ó उर्दू के 'ज़ालÓ अक्षर से बना है।
जाहिलीयत (अ़.स्त्री.)-दे.-'जहालतÓ।
जाहिले मुत्ल$क (अ़.वि.)-निपट अनाड़ी, एकदम मूर्ख, जो कुछ भी न जानता हो; निरक्षर, बिलकुल अनपढ़।
ज़ाही (अ़.पु.)-प्रकट, प्रत्यक्ष।
जाहोजलाल (अ़.पु.)-प्रतिष्ठा, शानोशौ$कत, रोबोदाब।
जाहोमंसब (अ़.पु.)-पद और प्रतिष्ठा।
जाहोहशम (अ़.पु.)-दे.-'जाहोजलालÓ।
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