Wednesday, October 14, 2015

दा

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दाँ ($फा.प्रत्य.)- जाननेवाला, जैसे- '$कानूनदाँÓ- $कानून जाननेवाला।
दाँग ($फा.पु.)- ओर, दिशा, तर$फ; छह रत्ती की एक तौल।
दाइन (अ.पु.)- $कजऱ् देनेवाला, ऋणदाता।
दाइम (अ.वि.)- सदा, हमेशा, नित्य।
दाइमन (अ.अव्य.)- सदा, हमेशा, हर समय, हर वक़्त, नित्यप्रति।
दाइमी (अ.वि.)- स्थायी, हमेशा का, नित्य का, मुस्त$िकल।
दाइमुलख्ऱम (अ.वि.)- हर समय पीनेवाला, सदा शराब के नशे में रहनेवाला, नित्यमद्यप।
दाइमुलमरज़ (अ.वि.)- जन्मरोगी, नित्यरुग्न, सदा बीमार रहनेवाला।
दाइमुलहब्स (अ.वि.)- आजीवन कारावासी, जिसे पूरे जन्म की सज़ा मिली हो; आजन्म कारावास, पूरी उम्र की सज़ा।
दाइय: (अ.पु.)- अधिकार, ज़ोर।
दाइर: (अ.पु.)- वृत्त, मण्डल, हल$का; गोल, गोला; परिधि, घेरा; सभा, परिषद्, मजलिस; आश्रम, ख़्ाान$काह; टोला, मुहल्ला; एक प्रकार का बाजा, डफ; अक्षरों की गोलाई जैसे- 'जीमÓ और 'सीनÓ का दाइरा। 'एक को काटता रहा, दूसरा बनता रहा, जि़न्दगी में दाइरों का सिलसिला चलता रहाÓ- माँझी
दाइर:नुमा (अ.$फा.वि.)- गोलाकार, वृत्ताकार, वर्तुलाकार, गोल, मण्डलाकार।
दाइर (अ.वि.)- फिरनेवाला, घूमनेवाला; उपस्थित, दरपेश; उपस्थित करना, चलाना (वाद, धर्म, संस्था आदि)।
दाइरतुलबुरूज (अ.पु.)- क्रान्तिमण्डल, भचक्र, राशि-चक्र, वह दाइरा जिसमें बारह बुर्ज अथवा घर हों।
दाइरतुलमअ़ारि$फ (अ.पु.)- विश्वकोश, इन्साइक्लोपीडिया।
दाई (अ.वि.)- आशीर्वाद देनेवाला, दुअ़ा देनेवाला; निमंत्रणकर्ता, बुलानेवाला।
दाउ ($फा.पु.)- दाँव, जुए की बारी; धोखा, छल, $फरेब, मक्र (मकर)।
दाउलअसद (अ.स्त्री.)- कोढ़, कुष्ठरोग।
दाऊद (अ.पु.)- एक पै$गम्बर जिनका स्वर बहुत ही मधुर था।
दाख़्िाल: (अ.पु.)- स्कूल या कॉलेज में प्रवेश; पहुँच, रसाई; रुपया दाख़्िाल करने की रसीद; हस्तांतरण, सुपुर्दगी।
दाख़्िाल (अ.वि.)- सम्मिलित, शामिल; प्रविष्ट, अन्दर पहुँचा हुआ, भीतर आनेवाला।
दाख़्िाल कुनिंद: (अ.$फा.वि.)- दाख़्िाल करनेवाला, जमा करनेवाला।
दाख़्िाल ख़्ाारिज़ (अ.पु.)- ज़मीन या जाइदाद पर से एक व्यक्ति का नाम कटकर दूसरे का चढऩा, एक व्यक्ति के स्थान पर दूसरे का मालिक नियुक्त होना।
दाख़्िाली (अ.वि.)- आन्तरिक, अन्दरूनी, भीतरी; रूहानी, दिली, मानसिक, हार्दिक।
दाख़्िाले दफ़्तर (अ.अव्य.)- किसी प्रार्थना-पत्र का अस्वीकृत होकर , मिसिल में किसी सुबूत आदि के लिए सुरक्षित रहना।
दाख़्िास ($फा.पु.)- बिच्छू, वृश्चिक।
दाख़्ाूल ($फा.पु.)- वह लकड़ी आदि जिसे आदमी का रूप देकर खेतों में डराने के लिए लगा देते हैं; राजाओं और बादशाहों के महलों के आगे लोगों के बैठने के लिए बनी हुई इमारत।
दा$ग ($फा.पु.)- निशान, चिह्नï, धब्बा; किसी की मृत्यु का $गम; कलंक, दोष, अपराध; दु:ख, क्लेश, पीड़ा, रंज, जैसे- 'दा$गे हिज्रÓ- विरह का दु:ख; ईष्र्या, डाह, हसद; जलने का चिह्नï; फल पर लगने या सडऩे का निशान; घाव या चोट का चिह्नï। 'हम तो मौजूद थे इस बज़्म में दा$गों को लिये, लोग क्यों आए हैं मुट्ठी में चिरा$गों को लिये Ó- माँझी
दा$गगाह ($फा.स्त्री.)- अदालत, कचहरी, जहाँ का$गज़ात पर मुह्रें लगाई जाती हैं।
दा$गदार ($फा.वि.)- जिसमें दा$ग हों, जिस पर किसी चीज़ के धब्बे लगे हों; दोषी, ऐबदार; किसी अपराध में लिप्त, आलूद:दामन।
दा$गी ($फा.वि.)- दा$गदार, जिस पर किसी चीज़ के धब्बे या निशान हों; दा$गा हुआ, जलाया हुआ; अपराधी, मुज्रिम; सज़ायाब, दण्डित; दूषित, माÓयूब।
दा$गे जिगर ($फा.पु.)- पे्रम की अग्नि का दा$ग; सन्तान की मृत्यु का शोक।
दा$गे दिल ($फा.पु.)- प्रेम की आग में जलने का निशान, हृदय का दा$ग।
दाज (अ.पु.)- घोर अँधेरा, घटाटोप अंधकार।
दाद: ($फा.वि.)- दिया हुआ।
दाद ($फा.स्त्री.)- प्रशंसा, तहसीन, वाह-वाह; दान, बख़्िशश; न्याय, इन्सा$फ; (प्रत्य.)- दिया हुआ, जैसे- 'ख़्ाुदादादÓ- ईश्वर का दिया हुआ।
दादख़्वाह ($फा.वि.)- न्याय चाहनेवाला, इन्सा$फ का इच्छुक, $फर्यादी।
दादगर ($फा.वि.)- इन्सा$फ करनेवाला, न्याय करनेवाला, न्यायाधीश, मुन्सि$फ।
दादगुस्तर (अ.$फा.वि.)- इन्सा$फ करनेवाला, न्याय करनेवाला, न्यायाधीश, मुन्सि$फ।
दादतलब (अ.$फा.वि.)- वाह-वाही चाहनेवाला, किसी अच्छे काम की प्रशंसा चाहनेवाला; न्याय चाहनेवाला, इन्सा$फ चाहनेवाला।
दाददेही ($फा.स्त्री.)- इन्सा$फ करना, न्याय करना, $फर्याद सुनना, दाद देना।
दादनी ($फा.अव्य.)- देने योग्य, देने के लाइ$क; किसी चीज़ के लिए अग्रिम या पेशगी रुपया देना।
दाद-$फर्याद ($फा.स्त्री.)- दुहाई देना, न्याय के लिए $फर्याद करना। मुहा.- 'दाद न $फर्यादÓ- अजब अँधेर।
दादबख़्श ($फा.वि.)- इन्सा$फ करनेवाला, न्यायकर्ता, न्यायाधीश, मुन्सि$फ; दाद देनेवाला; प्रशंसा करनेवाला।
दादरस ($फा.स्त्री.)- दे.- 'दादगरÓ।
दादरसी ($फा.स्त्री.)- इन्सा$फ, न्याय; प्रशंसा, वाह-वाही।
दादार ($फा.पु.)- न्यायाधीश, न्याय करनेवाला, इन्सा$फ करनेवाला, मुन्सि$फ।
दादोदिहिश ($फा.स्त्री.)- दानशीलता, सखावत, $फैयाज़ी।
दादोसितद ($फा.स्त्री.)- महाजनी का व्यापार, लेन-देन, रुपये के लेन-देन का कारोबार।
दान: ($फा.पु.)- अनाज, $गल्ला; अनाज के छिलके में लगा हुआ बीज; मनका; भुना हुआ बीज, खील; अंगूर का एक फल; छोटी फुन्सी; चेचक का आबला; आमों की गिनती के निए प्रयुक्त होनेवाला शब्द, जैसे- 'दस दाने लँगड़े आम केÓ; रत्नों की गणना के लिए भी इसी शब्द का प्रयोग होता है, जैसे- 'बीस दाने मोतीÓ। 'दान: बदलनाÓ- पक्षियों का एक-दूसरे को अपने मुँह का दाना खिलाना। 'दान: बदलीÓ- बहुत-ही प्रेम दर्शाना। 'दान:बंदीÓ- खड़ी खेती आँकना, कूतना। कहा.- 'दाना न घास, ख़्ाुरैरा तीन-तीन बारÓ- केवल दिखाने के लिए। 'दाना न घास, घोड़े तेरी आसÓ- देना न लेना, मुफ़्त में काम लेना।
दान:ख़्ाोर ($फा.वि.)- दाना खानेवाला, पशु, मवेशी।
दान:ख़्ाोरी ($फा.स्त्री.)- पशु को दाना खिलाकर मोटा-ताज़ा करना।
दान:ज़द: ($फा.वि.)- खस्ताहाल, कमीना; कंजूस।
दान:दार ($फा.वि.)- जिसमें दाने हों।
दान ($फा.प्रत्य.)- पात्र, बर्तन, जैसे- '$कलमदानÓ- लेखनी रखने का पात्र।
दानए गंदुम ($फा.पु.)- गेंहँू का एक दाना या बीज।
दानए ज़ंजीर ($फा.पु.)- जंज़ीर की कड़ी।
दानए या$कूत (अ.$फा.पु.)- पद्मराग रत्न का एक दाना या एक पद्मराग रत्न।
दानए सीर (अ.$फा.पु.)- लहसुन का जवा।
दानए हील ($फा.पु.)- इलायची का एक बीज।
दाना ($फा.वि.)- प्रवीण, होशियार, कुशल, चतुर; बुद्घिमान्, मेघावी, अक़्लमंद।
दानाई ($फा.स्त्री.)- दक्षता, निपुणता, कुशलता, होशियारी, चातुर्य; बुद्घिमत्ता, समझदारी, मनस्विता, अक़्लमंदी।
दानाए राज़ ($फा.वि.)- मर्मज्ञ, भेद जाननेवाला, रहस्य-ज्ञाता।
दानाए रोज़गार ($फा.वि.)- विश्व में सर्वोत्तम बुद्घिवाला, अपने समय का सबसे बड़ा ज्ञानी और बुद्घिमान्।
दानाए हाल (अ.$फा.वि.)- वास्तविक स्थिति समझनेवाला, सच्चाई जाननेवाला।
दानादिल ($फा.वि.)- अन्तर्यामी, रौशनज़मीर।
दानावबीना ($फा.वि.)- जो देखता भी हो और जानता भी हो, बहुत अधिक बुद्घिमान् और अनुभवी।
दानिंद: ($फा.वि.)- ज्ञाता, जाननेवाला।
दानियाल ($फा.पु.)- एक पै$गम्बर।
दानिश ($फा.स्त्री.)- विद्या, इल्म; बुद्घि, अक़्ल; विवेक, तमीज़।
दानिश आमोज़ ($फा.वि.)- शिक्षार्थी, विद्या सीखनेवाला, शिष्य; गुरु, उस्ताद, विद्या सिखानेवाला।
दानिशमंद ($फा.वि.)- बुद्घिमान्, अक़्लमंद; विद्वान, विद्वत्तम, मुतबहहिर; वैज्ञानिक, हकीम।
दानिशमंदी ($फा.स्त्री.)- मनीषा, बुद्घिमत्ता, अक़्लमंदी; विद्वत्ता, पाण्डित्य, इल्मीयत; होशियारी, कुशलता, निपुणता।
दानिशवर ($फा.वि.)- दे.- 'दानिशमंदÓ।
दानिस्त: ($फा.वि.)- ज्ञात, जाना हुआ; $कस्दन, जानबूझकर।
दानिस्त ($फा.स्त्री.)- ज्ञान, जानकारी।
दानिस्तगी ($फा.स्त्री.)- दे.- 'दानिस्तÓ।
दानिस्तनी ($फा.अव्य.)- ज्ञातव्य, जानने के योग्य।
दा$िफअ़: (अ.स्त्री.)- शरीर से मल-मूत्र और पसीना बाहर निकालनेवाली शक्ति।
दा$िफउलबलाया (अ.वि.)- दु:खों का निवारण करनेवाला, कष्टों को दूर करनेवाला, विपत्तियों और आपत्तियों का नाश करनेवाला।
दा$िफए $कब्ज़ (अ.वि.)- अपाचकता को दूर करनेवाला, $कब्ज़ को र$फा करनेवाला।
दा$िफए $गम (अ.वि.)- कष्टमोचन, रंज और $गम को हटानेवाला।
दा$िफए ज़ह्र (अ.$फा.वि.)- विष-दोष को हरनेवाला, विष का असर दूर करनेवाला।
दा$िफए दर्द (अ.$फा.वि.)- वेदना हरनेवाला, दर्दमोचन, दर्द मेटनेवाला, शूलघ्न।
दा$िफए मरज़ (अ.वि.)- रोग-नाशक, व्याधिहर, रुजघ्न, बीमारी का नाश करनेवाला।
दा$िफए वरम (अ.$फा.वि.)- वरम को दूर करनेवाला, शोथ-नाशक।
दा$फेÓ (अ.वि.)- मोचक, निवारक, हटानेवाला, दूर करनेवाला।
दाब (अ.पु.)- वैभव, शानो-शौ$कत; ढंग, तरी$का, रौब, दबदबा। मुहा.- 'दाब बैठानाÓ- रौब बैठाना, बेजा हुकूमत करना।
दाबिर (अ.वि.)- पीछे चलनेवाला; प्रत्येक वस्तु का अन्तिम भाग।
दाबू$ग: ($फा.पु.)- तरबूज़।
दाबूनितन ($फा.पु.)- जगत्, संसार, दुनिया।
दाबे मज्लिस (अ.पु.)- सभा-चातुर्य, सभा या गोष्ठी में उठने-बैठने और बातचीत करने का ढंग, आदाबे-मज्लिस।
दाबे मह्$िफल (अ.पु.)- दे.- 'दाबे मज्लिसÓ।
दाबे सल्तनत (अ.पु.)- राज्य-कौशल, शासन करने का तरी$का।
दाबे सोहबत (अ.पु.)- सभ्य, शिष्ट और बड़े लोगों के पास उठने-बैठने तथा उनसे वार्तालाप करने व उनकी आज्ञा का पालन करने का ढंग, सभ्यता, शिष्टता।
दाब्ब: (अ.पु.)- पशु, मवेशी, चौपाया।
दाम ($फा.पु.)- जाल, फन्दा, पाश, बन्धन; जंगली चौपाये जो हिंसक न हों; दवाओं की एक तौल जो कच्ची 12 माशे और पक्की 18 या 21 माशे की होती है; मूल्य, $कीमत; एक पुराना सिक्का जो रुपये का चालीसवाँ हिस्सा होता था; एक पैसे का 25वाँ भाग; (यौ.)- उर्दू में यौगिक में लगाया जाता है, जैसे- 'दाम इ$कबाल हूÓ- प्रताप या इ$कबाल हमेशा बर$करार रहे।
दाम इनायत हू (अ.वा.)- उसकी सदा कृपा रहे।
दाम इक़्बाल हू (अ.वा.)- उसका प्रताप सर्वदा बना रहे।
दामगाह ($फा.स्त्री.)- वह स्थान जहाँ जाल बिछा हो, जहाँ फँसने की जगह हो, छल अथवा $फरेब की जगह।
दाम जि़ल्लकुम (अ.वा.)- आपकी छाया सदा रहे।
दाम जि़ल्लूह (अ.वा.)- वह सदा जीवित रहे।
दामन ($फा.पु.)- आँचल, अंचल, कुर्ते या कोट आदि का वह भाग जो लटकता रहता है; मैदान, समतल भूमि; किनारा, पहाड़ों के नीचे की ज़मीन। मुहा.- 'दामन उलझनाÓ- किसी विवाद में फँस जाना। 'दामन छूटनाÓ- अलग होना, दूर होना। 'दामन छुड़ानाÓ- पीछा छुड़ाना। 'दामन झाडऩाÓ- रिश्ता तोडऩा, सम्बन्ध विच्छेद करना। 'दामन तर होनाÓ- अपराधी होना, गुनहगार होना, अपराध में लिप्त होना। 'दामन तले छिपानाÓ- पालन-पोषण करना, परवरिश करना। 'दामन पकडऩाÓ- माँगना, त$काज़ा करना। 'दामन पर धब्बा रहनाÓ- किसी के सर इल्ज़ाम रहना। 'दामन फैलानाÓ- माँगना, प्रार्थना करना। 'दामन बचानाÓ- अलग रहना, बेलौस रहना। 'दामन समेटनाÓ- अलग होना, दूर होना, पृथक् होना। 'दामन से बँधाÓ- किसी का हो रहना। 'दामन से लग रहनाÓ- किसी पर आश्रित रहना, किसी पर निर्भर रहना।
दामनअफ़्शाँ ($फा.वि.)- दामन झटकता हुआ, नाज़ से चलता हुआ; दामन झाड़ता हुआ, बिना कुछ लिये हुए खाली हाथ।
दामनकशाँ ($फा.वि.)- दामन बचाता हुआ, निर्मोही, बेलगाव, बेतअ़ल्लु$क; यह ध्यान रखकर चलनेवाला कि किसी दूसरे से उसका दामन न छू जाए, अभिमानी, घमण्डी।
दामनगीर ($फा.वि.)- हिमायत चाहनेवाला, शरणार्थी, दामन पकडऩेवाला; दामन पकड़कर रोकनेवाला, विरांध करनेवाला; दावेदार। '$िफक्र हुआ जब दामनगीर, बन गए हम $गम की तस्वीरÓ- माँझी
दामनदार ($फा.वि.)- चौड़ा चकला (केवल घाव के लिए आता है)।
दामनसवार ($फा.वि.)- दामन को घोड़ा बनाकर उस पर सवार होनेवाला बालक (बच्चों का एक खेल)।
दामनी ($फा.स्त्री.)- दुपटटा, औरतों की ओढऩी; वह कपड़ा जो घोड़े के पुट्ठों पर इसलिए डाला जाता है ताकि उसके पसीने से अपने दामन को बचाया जा सके; एक पाट की वह चादर जो मुस्लिम औरतों के जनाज़े पर पड़ती है।
दाम नुकुल्लूह (अ.वा.)- उसका शासन सदा रहे।
दाम बरकातुहू (अ.वा.)- उसकी उन्नति सदा रहे।
दामने उम्मीद ($फा.पु.)- आशा, अभिलाषा, इच्छा।
दामने $िकयामत (अ.$फा.पु.)- प्रलय का मैदान, वह मैदान जहाँ महाप्रलय होगी।
दामने कोह ($फा.पु.)- वह मैदान जो किसी पहाड़ के नीचे स्थित हो।
दामने दौलत (अ.फा.पु.)- छत्रछाया, हिमायत, संरक्षण।
दामने मर्यम (अ.फा.पु.)- हज्ऱत मर्यम का आँचल, जो बहुत पवित्र था; सतीत्व, साधुता।
दामने मह्शर (अ.फा.पु.)- प्रलय का मदान, $िकयामत का मैदान।
दामने मिज़गाँ ($फा.पु.)- पलकों का आँचल, पलकों की नोकें, पलकों का अंतिम भाग।
दामने शब ($फा.पु.)- रात का आँचल अर्थात् रात्रि का अंतिम प्रहर, रात का अंतिम भाग।
दामने सब्र ($फा.पु.)- सब्र का आँचल अर्थात् संतोष-शक्ति, धैर्य-शक्ति।
दामाँ ($फा.पु.)- 'दामानÓ का लघुरूप।
दामाद ($फा.पु.)- पुत्री का पति, बेटी का आदमी, जमाता।
दामान ($फा.पु.)- दामन, आँचल, अंचल, कुर्ते या कोट आदि का वह भाग जो लटकता रहता है; मैदान, समतल भूमि।
दामिअ़ ($फा.पु.)- आँसू बहानेवाला।
दामि$ग (अ.पु.)- सर तोडऩेवाला।
दामीद: ($फा.पु.)- बीज बोया हुआ।
दामीदन ($फा.पु.)- बीज बोना।
दामे अजल (अ.फा.पु.)- मृत्यु का फ़न्दा, मौत का बन्धन, काल-पाश।
दामे गेसू ($फा.पु.)- बालों का जाल, केश-पाश, बालों की लट।
दामे ज़ुल्$फ ($फा.पु.)- दामे गेसू, बालों का जाल, केश-पाश, बालों की लट।
दामे तज़्वीर (अ.$फा.पु.)- कूट-पाश, छल-रूपी जाल, दामे $िफरेब, कूटबंध।
दामे $िफरेब ($फा.पु.)- छल-रूपी जाल, कूट-पाश, दामे तज़्वीर, कूटबंध।
दामे मुहब्बत (अ.$फा.पु.)- प्रेम-बन्धन, प्रेम-पाश, इश्$क का फ़न्दा।
दाय: ($फा.स्त्री.)- अंकपाली, दूसरे के बच्चे को दूध पिलानेवाली स्त्री; जापा करानेवाली स्त्री, बच्चा जनानेवाली स्त्री, धाय, धात्री, दाई; अन्ना, पिलाई।
दाय:गरी ($फा.स्त्री.)- जापा कराने का काम, बच्चा जनाने का पेशा, धात्री-कर्म, दाई-कर्म, कौमारभृत्य; धात्री-विद्या, बच्चा जनाने की विद्या या कला।
दायस ($फा.वि.)- चोर।
दार: ($फा.स्त्री.)- वृत्त, घेरा, हाला।
दार ($फा.स्त्री.)- फाँसी, सूली, (प्रत्य.)- वाला, जैसे- 'हिस्सेदारÓ।
दार (अ.पु.)- गृह, घर, मकान; लोक, अ़ालम, जगत्, संसार, दुनिया; जगह, स्थान।
दारचीनी ($फा.स्त्री.)- तज या तेज नामक एक वृक्ष की छाल जो औषध के काम आती है, दारुसिता।
दारचोब ($फा.स्त्री.)- अलगनी।
दार $िफल्$िफल ($फा.स्त्री.)- गज पिप्पली, बड़ी पीपल।
दारबस्त ($फा.स्त्री.)- लकड़ी या तख़्तों की बनी बाढ़ या मचान जिस पर बैठकर राज और मजदूर इमारत निर्माण का काम करते हैं; अंगूर या कोई दूसरी बेल चढ़ाने की टट्टी।
दारबाज़ ($फा.वि.)- छली, $फरेबी, धोखेबाज़; नट, बाज़ीगर।
दारहल्द ($फा.स्त्री.)- दारुहरिद्रा नामक एक औषध, दारुहल्दी, दारुलहल्दी।
दारा ($फा.पु.)- ईरान का एक बादशाह जिसे सिकन्दर ने पराजित किया था; राजा, नरेश, बादशाह; धनवान्, मालदार; विश्व-रक्षक, ईश्वर।
दाराई ($फा.स्त्री.)- राज, बादशाहत; ईश्वरत्व, ख़्ाुदाई; एक प्रकार का रेशमी कपड़ा जिसे 'दरयाईÓ भी बोला जाता है।
दाराए ख़्ाल्$क (अ.$फा.पु.)- समस्त दुनिया का पालन-पोषण और रक्षा करनेवाला, ईश्वर, ख़्ाुदा।
दारिंद: ($फा.वि.)- रखनेवाला।
दारुज़्ज़र्ब (अ.पु.)- वह स्थान जहाँ मुद्रा की ढलाई अथवा छपाई होती है, टंकशाला, टकसाल।
दारुज़्ज़ै$फ (अ.पु.)- अतिघि-गृह, मेहमानख़्ााना, मेहमान-घर।
दारुत्तर्बियत (अ.पु.)- प्रशिक्षण-स्थल, जहाँ किसी चीज़ की टे्रनिंग दी जाए; जहाँ शिष्टता और सभ्यता सिखाई जाए।
दारुन्नईम (अ.पु.)- जन्नत, स्वर्ग, बिहिश्त।
दारुलअदालत (अ.पु.)- न्याय-मन्दिर, न्यायालय, कचहरी, अदालत।
दारुलअमन (अ.पु.)- दे.- 'दारुलअम्नÓ, वही शुद्घ है।
दारुलअ़मल (अ.पु.)- दुनिया, संसार, जगत्; गवेषणालय, प्रयोगशाला।
दारुलअ़मान (अ.पु.)- सुख-पूर्ण स्थल, शान्तिपूर्ण स्थान, वह स्थान जहाँ लड़ाई-झगड़ा न हो।
दारुलअम्न (अ.पु.)- दारुलअमान, वह स्थान जहाँ लड़ाई-झगड़ा न हो, शान्तिपूर्ण स्थान।
दारुलआख़्िारत (अ.पु.)- परलोक, परम्धाम, यमलोक, उक़्बा।
दारुलइ$काम: (अ.पु.)- छात्राों के रहने का स्थान, छात्रावास, बोर्डिंग-हाउस।
दारुलइमारत (अ.पु.)- शासन-केन्द्र, राजधानी।
दारुलइयार (अ.पु.)- वह स्थान जहाँ सोने-चाँदी के खरे-खोटेपन की परख की जाती है।
दारुलइस्लाम (अ.पु.)- मुसलमानों का सत्ता-केन्द्र।
दारुलउलूम (अ.पु.)- विश्वविद्यालय, यूनिवर्सिटी।
दारुलऐताम (अ.पु.)- जहाँ अनाथ बच्चे रहते हैं, अनाथालय, यतीमख़्ााना।
दारुल$कज़ा (अ.पु.)- अदालत, न्यायालय, कचहरी।
दारुल$करार (अ.पु.)- स्वर्ग, बिहिश्त, उक़्बा, परम्धाम।
दारुलकुतुब (अ.पु.)- पुस्तकालय, किताब-घर।
दारुलख़्िाला$फत (अ.पु.)- केन्द्र, सत्ताकेन्द्र, राजधानी।
दारुलख़्ौर (अ.पु.)- जहाँ लोगों को ख़्ौरात आदि बहुत मिलती हो, जहाँ दान आदि बहुत मिलता हो।
दारुलजज़ा (अ.पु.)- यमलोक, परलोक, जहाँ नेकी-बदी का फल भोगना पड़ता है।
दारुल$फना (अ.पु.)- नश्वर संसार, दुनिया, जगत्।
दारुलब$का (अ.पु.)-नित्यलोक, परलोक, आख़्िारत।
दारुलबवार (अ.पु.)- नरक, दोज़ख़्ा।
दारुलमजऱ्ा (अ.पु.)- रुग्नालय, रोगियों अथवा बीमारों की जगह।
दारुलमिह्न (अ.पु.)- कष्ट एवं क्लेश का स्थल अर्थात् दुनिया, संसाी, जगत्।
दारुलमुका$फात (अ.पु.)- जगत्, दुनिया, संसार।
दारुलमुतालअ़: (अ.पु.)- अध्ययन करने का स्थान, वाचनालय, पुस्तकालय, लाइब्रेरी।
दारुलमुल्क (अ.पु.)- देश की राजधानी, राष्ट्र का सत्ता-केन्द्र।
दारुलहर्ब (अ.पु.)- वह राष्ट्र अथवा देश जहाँ $गैर-मुस्लिम शासन हो और वहाँ का राज मुसलमानों को उनकी धार्मिक कृतियाँ न करने दे।
दारुलहुकूमत (अ.पु.)- सत्ता का केन्द्र, राजधानी।
दारुश्शअऱ् (अ.पु.)- इस्लामी न्यायालय।
दारुश्शि$फा (अ.पु.)- अस्पताल, आरोग्यशाला, शि$फाख़्ााना, चिकित्सालय।
दारुश्शूरा (अ.पु.)- जहाँ बैठकर परामर्श किया जाए, जहाँ आपस में सलाह-मश्विरा किया जाए, प्रेक्षागार।
दारुस्सनम (अ.पु.)- मन्दिर, मूर्ति-घर, बुतख़्ााना।
दारुस्स$फा (अ.पु.)- पवित्र घर, मक्का।
दारुस्सलाम (अ.पु.)- अम्न और शान्ति का स्थल; स्वर्ग, बिहिश्त, जन्नत।
दारुस्सल्तनत (अ.पु.)- राजधानी।
दारुस्सुरूर (अ.पु.)- हर्ष और आनन्द का स्थान अर्थात् परम्धाम, स्वर्ग, जन्नत।
दारू ($फा.स्त्री.)- मद्य, मदिरा, शराब; अग्नि-क्रीडा, बारूद; इलाज, उपचार, चिकित्सा।
दारैन (अ.पु.)- दोनों लोक, इहलोक और परलोक, दुनिया और यमलोक, उभयलोक।
दारो$ग: ($फा.पु.)- पुलिस का सब-इंस्पेक्टर, थानेदार; देखभाल करनेवाला, रक्षा करनेवाला, निरीक्षक, निगराँ।
दारो$गए तोपख़्ााना ($फा.पु.)- तोपख़्ााने का अधिकारी।
दारो$गए पुलिस ($फा.पु.)- थानेदार।
दारो$गए मह्बस (अ.$फा.पु.)- कारागर-रक्षक, जेलर, जेल का अध्यक्ष या अधिकारी।
दारो$गए स$फाई ($फा.पु.)- जमादारों से स$फाई करानेवाला, स$फाई-कर्मियों का प्रभारी।
दारोगीर ($फा.स्त्री.)- गिरिफ़्तारियाँ, पकड़-धकड़।
दारोमदार ($फा.पु.)- आश्रय, निर्भरता, अवलम्ब, इनहिसार।
दाल [ल्ल] (अ.वि.)- पथ-प्रदर्शक, रास्ता बतानेवाला, मार्ग दिखानेवाला।
दालान ($फा.पु.)- बड़ा और लम्बा कमरा, जिसमें मेहराबदार दरवाज़े होते हैं या तिदरी होती है।
दालान दर दालान ($फा.पु.)- दुहरा दालान, दालान के अन्दर दालान।
दाÓवत (अ.स्त्री.)- भोज, खाना; खाने का निमंत्रण; बुलावा; आह्वïान।
दाÓवतनाम: (अ.$फा.पु.)- निमंत्रण-पत्र, किसी भोज में सम्मिलित होने के लिए बुलाने का पत्र; किसी सभा अथवा गोष्ठी आदि में सम्मिलित होने के लिए बुलाने का पत्र।
दाÓवते अ़ाम (अ.स्त्री.)- सार्वजनिक प्रतिभोज; जनसाधारण को बुलावा; सर्वसाधारण का आह्वïान।
दाÓवते जंग (अ.$फा.स्त्री.)- युद्घ का आह्वïान, युद्घ की चुनौती।
दाÓवते वलीम: (अ.स्त्री.)- विवाह-भोज, प्रतिभोज, शादी के पश्चात् दूल्हा की ओर से दिया जानेवाला भोज।
दाÓवते शीराज़ (अ.$फा.स्त्री.)- अनौपचारिक खाना, सामान्य दाÓवत, जो कुछ मौजूद है उसका भोज।
दाÓवते समरकं़द (अ.$फा.स्त्री.)- अत्यन्त औपचारिक खाना, बहुत ही ठाटदार भोज।
दावर ($फा.पु.)- न्यायाधीश, न्याय करनेवाला, मुसि$फ; ईश्वर, भगवान्, ख़्ाुदा।
दावरी ($फा.स्त्री.)- न्याय, इंसा$फ; हुकूमत, राज्य।
दावरीगाह ($फा.स्त्री.)- न्यायालय, इंसा$फ की जगह, पंचायत की जगह।
दावरे महशर (अ.$फा.पु.)- महाप्रलय अथवा $िकयामत के दिन न्याय करनेवाला, ईश्वर।
दावरे हश्र (अ.$फा.पु.)- दे.- 'दावरे महशरÓ।
दाÓवा (अ.पु.)- स्वत्व, ह$क; वाद, नालिश; जो गुण न आता हो स्वयं में उसे बताना; अभिमान, गर्व, घमण्ड; शंख़्ाी, डींग।
दाÓवेदार (अ.$फा.पु.)- वादी, मुद्दई; दावा करनेवाला; अपना अधिकार जतानेवाला।
दाश्त: ($फा.स्त्री.)- रखैल, बिना विवाह घर में डाली हुई स्त्री, उपपत्नी, रखेली।
दाश्त ($फा.स्त्री.)- रखवाली, देख-रेख, ख़्ाबरगीरी।
दाश्तनी ($फा.अव्य.)- रखने के योग्य।
दास्ताँ ($फा.स्त्री.)- 'दास्तानÓ का लघुरूप, दे.- 'दास्तानÓ।
दास्ताँ गो ($फा.पु.)- $िकस्से सुनानेवाला, कहानियाँ सुनाकर जीविका चलानेवाला, $िकस्स:ख़्वाँ।
दास्ताँसरा ($फा.पु.)- दास्ताँ गो, $िकस्से सुनानेवाला, कहानियाँ सुनाकर जीविका चलानेवाला, $िकस्स:ख़्वाँ।
दास्तान ($फा.स्त्री.)- कहानी, कथा; वृतान्त, हाल, लम्बी-चौड़ी कथा।
दाह ($फा.पु.)- दास, $गुलाम।
दाहिज़: ($फा.पु.)- झूठा प्रमाण, झूठा विवाद।
दाहिय: (अ.स्त्री.)- जीवन की कठिनता, संसार का कुचक्र, जगत् की परेशानियाँ।
दाही (अ.वि.)- अक़्लमंद, चतुर, बुद्घिमान्।
दाहूल ($फा.पु.)- बिजूका, वह कृत्रिम चित्र या बुत जो खेतों में जानवरों को डराने के लिए लगा देते हैं।
           

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