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दिअ़ाम (अ.पु.)- सुतून, स्तम्भ, खम्भा।दि$क [क़्$क़] (अ.स्त्री.)- क्षयरोग, यक्ष्मा, तपेदिक; तंग, परेशान।
दिक़्क़त (अ.स्त्री.)- मुश्किल, कठिनता; बारी$की, सूक्ष्मता।
दिक़्क़त तलब (अ.वि.)- कठिन, मुश्किल, दुष्कर, कष्ट- साध्य, ऐसा कार्य जिसमें कठिनाई या मुश्किल का सामना करना पड़े; सूक्ष्म कार्य, बारी$क कार्य।
दिक़्क़तपसन्द (अ.$फा.वि.)- मुश्किल पसन्द, जो दूर की कौड़ी लाना चाहता हो, जो गहराई में डूबकर किसी विषय को लाने का आदि हो।
दिक़्क़ते नज़र (अ.स्त्री.)- दृष्टि की सूक्ष्मता, नज़र की बारी$की, दृष्टि की दूर तक गहराई अथवा बारी$की में पहुँच, तलाश।
दिगर ($फा.पु.)- 'दीगरÓ का लघुरूप, दे.- 'दीगरÓ।
दिगरगूँ ($फा.वि.)- उथल-पुथल, अस्त-व्यस्त, उलट-पलट।
दिग़्द$ग: ($फा.स्त्री.)- गुदगुदी।
दिजाज (अ.स्त्री.)- मु$र्गी, मादा कुक्कट, (अ.पु.)- मु$र्गा, कुक्कट। दे.- 'दजाजÓ, दोनों शुद्घ हैं।
दिज़्क ($फा.पु.)- रस्सी का बल।
दिज़्बान ($फा.पु.)- दुर्गपति, $िकलेदार।
दिज़्मान ($फा.स्त्री.)- निराशा, अ$फसोस।
दिज्ल: (अ.पु.)- ब$गदाद के निचले हिस्से में बहनेवाली नदी; नदी, दरिया, सरिता। दे.- 'दज्ल:Ó, दोनों शुद्घ हैं।
दिनाअ़त (अ.स्त्री.)- नीचता, अधमता, कमीनापन, कमीनगी, लो$फरपन।
दिनायत (अ.स्त्री.)- दे.- 'दिनाअ़तÓ, वही श्ुद्घ है।
दि$फाअ़ (अ.पु.)- बचाव, रक्षा, प्रतिरक्षा, हि$फाज़त।
दि$फाई (अ.वि.)- प्रतिरक्षा-सम्बन्धी, हि$फाज़ती, रक्षा-सम्बन्धी, बचाव-सम्बन्धी।
दिबा$गत (अ.स्त्री.)- चमड़ा रंगना और बनाना, चमड़ा कमाना।
दिमन (अ.पु.)- गू, गोबर; वह स्थान जहाँ गू-गोबर और मैला आदि डाला जाए।
दिमा$ग (अ.पु.)- मस्तक, मस्तिष्क; बुद्घि, अक़्ल; संज्ञा, होश; ध्यान, ख़्ायाल; अहंकार, गर्व, $गुरूर; सहन-शक्ति, बर्दाश्त।
दिमा$गदार (अ.$फा.वि.)- घमण्डी, अभिमानी, मग़्रूर।
दिमा$गदारी (अ.$फा.स्त्री.)- घमण्ड, अभिमान, गर्व, $गुरूर।
दिमा$ग रौशन (अ.$फा.पु.)- छिंकनी, सूँघने का पिसा हुआ तम्बाकू।
दिमा$गसोज़ी (अ.$फा.स्त्री.)- माथा-पच्ची, दिमा$गी मेहनत।
दिमा$गी (अ.वि.)- दिमा$ग से सम्बन्ध रखनेवाला, मस्तिष्क-सम्बन्धी; दिमा$गदार, घमण्डी, अभिमानी, मग़्रूर।
दिमिश्$क ($फा.पु.)- इरा$क की राजधानी 'दमिश्$कÓ।
दिम्न: ($फा.पु.)- खण्डहर।
दिम्स ($फा.स्त्री.)- चुनाई की एक पंक्ति, एक रद्दा।
दियत (अ.स्त्री.)- रक्त अथवा ख़्ाून का मूल्य, किसी से कोई आदमी मर जाए तो मरनेवाले की औलाद अगर हत्यारे से उसके प्राणदण्ड के बदले रुपया लेना चाहती थी तो उसको दिला दिया जाता था और हत्यारे को मुक्त कर दिया जाता था, मुअ़ावज़े के इस रुपए को 'दियतÓ कहा जाता था।
दियानत (अ.स्त्री.)- सत्य-निष्ठा, ईमानदारी।
दियानतदार (अ.$फा.वि.)- सत्य-निष्ठ, ईमानदार; जो धरोहर आदि में ज़रा भी गड़बड़ न करे।
दियानतदारी (अ.$फा.स्त्री.)- सत्यनिष्ठा, ईमानदारी।
दियार (अ.पु.)- 'दारÓ का बहु., मगर उर्दू में एकवचन के रूप में प्रयुक्त होता है, जैसे- घर, मकान; स्थान, मु$काम।
दियारे ख़्ाुद (अ.$फा.पु.)- अपना घर; अपना देश।
दियारे $गैर (अ.$फा.पु.)- दूसरों का देश, परदेश।
दिरंग ($फा.स्त्री.)- दे.- 'दरंगÓ, दोनों शुद्घ हैं। विलम्ब, ढील, देर; आलस्य, सुस्ती।
दिरम ($फा.पु.)- चाँदी का एक छोटा सिक्का, चवन्नी; साढ़े तीन माशे की एक तौल, दिर्हम।
दिरा ($फा.पु.)- $का$िफला या कारवाँ के साथ चलनेवाला घडय़ाल (घण्टा)। दे.- 'दराÓ, दोनों शुद्घ हैं।
दिरायत (अ.स्त्री.)- मेधा, अक़्ल, बुद्घि; ज्ञान, जानकारी; प्रतिभा, ज़हानत।
दिरासत (अ.स्त्री.)- विवेक, बुद्घि, समझदारी, दानाई; पाठ पढऩा, सब$क पढऩा, पठन; पाठ पढ़ाना, सब$क पढ़ाना, पाठन।
दिरे$ग ($फा.पु.)- संकोच, तअ़म्मुल; कृपणता, कंजूसी; हा, हाय, अ$फसोस।
दिरे$गा ($फा.अव्य.)- हा, हंत, हाय, अ$फसोस।
दिरौ ($फा.स्त्री.)- खेत काटना; बुनाई करना।
दिरौगर ($फा.वि.)- खेत काटनेवाला।
दिर्र: (अ.पु.)- चमड़े का कोड़ा, जिससे पहले ज़माने में सज़ा दी जाती थी, दुर्र:।
दिल ($फा.पु.)- जी, कलेजा, हृदय, मन, मानस, $कल्ब; हौसला, उमंग, उत्साह; वीरता, शौर्य, बहादुरी; दम, साहस, हिम्मत; रुचि, रुझान, इच्छा, ख़्वाहिश, मजऱ्ी, तबीयत; सख़्ाावत, दानशीलता।
मुहा.- 'दिल अटकनाÓ- दिल का किसी पर आना, मुहब्बत होना। 'दिल अटकानाÓ- दिल लगाना, दिल फँसाना, मन उलझाना। 'दिल उचट जानाÓ- मन घबरा जाना, मन में मायूसी छा जाना। 'दिल उचाट करनाÓ- किसी काम में मन न लगना। 'दिल उचाट होनाÓ- मन उकताना, जी न लगना। 'दिल उछलनाÓ- दिल धड़कना। 'दिल उठानाÓ- सम्बन्ध तोडऩा। 'दिल उड़ जानाÓ अथवा 'दिल उड़ चलनाÓ- मन का बे$काबू हो जाना। 'दिल उलट देनाÓ- परेशान कर देना। 'दिल उलटनाÓ- पागल होना। 'दिल उलझनाÓ- प्रेमी हो जाना, अ़ाशि$क हो जाना। 'दिल एक होनाÓ- हार्दिक एकता होना, मन मिलना। 'दिल टटोलनाÓ- मन की थाह लेने का प्रयास करना, इच्छा जानने की कोशिश करना। 'दिल थोड़ा होनाÓ- हिम्मत टूट जाना, हौसला खो देना। 'दिल दरिया होनाÓ- उदार होना। 'दिल परचनाÓ- मन का प्रवृत्त होना, दिल का किसी ओर झुकना। 'दिल पत्थर कर लेनाÓ- मन को सख़्त करना, बेरुख़्ाी करना। 'दिल पर साँप लोटनाÓ- रंज होना। 'दिल फट जानाÓ- तबीयत हट जाना। 'दिल फड़कनाÓ- मन का प्रसन्न हो जाना। 'दिल फीका हो जानाÓ- किसी चीज़ से मन हट जाना, ख़्ायाल जाता रहना। 'दिल भारी करनाÓ- रंज करना। 'दिल बढ़ानाÓ- हिम्मत बढ़ाना, हौसला बढ़ाना। 'दिल बुझनाÓ- उमंग जाती रहना। 'दिल बा$ग-बा$ग होनाÓ- मन का बहुत ख़्ाुश होना। 'दिल मसोसनाÓ- मन ही मन में रंज करना। 'दिल रुँधनाÓ- रंजीदा होना।
दिलअफ्ग़ार ($फा.वि.)- दे.- 'दिलफ्ग़ारÓ।
दिलअफ्ऱोज़ ($फा.वि.)- दे.- 'दिलफ्ऱोज़Ó।
दिलआज़ार ($फा.वि.)- दे.- 'दिलाज़ारÓ।
दिलआज़ारी ($फा.स्त्री.)- दे.- 'दिलाज़ारीÓ।
दिलआज़ुर्द: ($फा.वि.)- दे.- 'दिलाज़ुर्द:Ó।
दिलआज़ुर्दगी ($फा.स्त्री.)- दे.- 'दिलाज़ुर्दगीÓ।
दिलआरा ($फा.वि.)- दे.- 'दिलाराÓ।
दिलआराई ($फा.स्त्री.)- दे.- 'दिलाराईÓ।
दिलआराम ($फा.वि.)- दे.- 'दिलारामÓ।
दिलआवर ($फा.वि.)- दे.- 'दिलावरÓ।
दिलआवेज़ ($फा.वि.)- दे.- 'दिलावेज़Ó।
दिलकश ($फा.वि.)- दिल को अपनी ओर खींचने अथवा आकर्षित करनेवाला, चित्ताकर्षक, मनोहर, दिल को लुभानेवाला, मन-मोहक।
दिलकशी ($फा.स्त्री.)- आकर्षणकारी, लुभानेवाली; सुन्दरता, ख़्ाुशनुमाई, मनोहरता, मनोज्ञता।
दिलकुशा ($फा.वि.)- दिल खिलानेवाला, दिल को आनन्द देनेवाला, मनोहर, रम्य, रमणीक।
दिलकुशाई ($फा.वि.)- आनन्द, प्रसन्नता, ख़्ाुशी।
दिलख़्ाराश ($फा.वि.)- दिल तोडऩेवाला, हृदय-विदारक, कष्टदायक।
दिलख़्ाराशी ($फा.स्त्री.)- दिल दुखाना, कष्ट देना।
दिलख़्ास्त: ($फा.वि.)- रंजीदा, विपदा-ग्रस्त, जिसका दिल घायल हो, क्षत-हृदय।
दिलख़्ाुशकुन ($फा.वि.)- हृदय को आनन्द देनेवाला, दिल को ख़्ाुश कर देनेवाला।
दिलख़्वाह ($फा.वि.)- मन-भावन, दिल-पसन्द; इच्छानुसार, मजऱ्ी के मुताबि$क।
दिलगर्मी ($फा.स्त्री.)- तपाक, जोश, गर्मजोशी; संभ्रान्ति।
दिलगिरिफ़्त: ($फा.वि.)- उदास, रंजीदा, दु:खित, अफ़्सुर्द:, खिन्नचित्त।
दिलगीर ($फा.वि.)- दु:खित, रंजीदा।
दिलगुदाज़ ($फा.वि.)- मन को पिघला देनेवाला, हृदयद्रावी, कष्टजनक, दु:खप्रद, पीड़ादायक।
दिलगुर्द: ($फा.पु.)- उमंग, उत्साह, जोश, साहस, हिम्मत, हौसला।
दिलचस्प ($फा.वि.)- रोचक, दिल को अच्छा लगनेवाला, मनोरंजक।
दिलचस्पी ($फा.स्त्री.)- रुचि, र$गबत; रोचकता, मनोरंजन, तफ्ऱीह।
दिलज़द: ($फा.वि.)- जिसका मन घायल हो, जिसका दिल ज़ख़्मी हो, दु:खित, मनोहत।
दिलजम्ई (अ.$फा.स्त्री.)- दिलासा, ढारस, सान्त्वना; मन का केन्द्रित होना, यकसूई, संलग्नता, मनोयोग, चित्तैकाग्रता।
दिलजू ($फा.वि.)- सुन्दर, शुभदर्शन, हसीन।
दिलजोई ($फा.स्त्री.)- दिलासा, ढारस, सान्त्वना।
दिलतंग ($फा.वि.)- कृपण, कंजूस; दु:खित, रंजीदा, पीडि़त, क्लेषित।
दिलतंगी ($फा.स्त्री.)- कंजूसी, कृपणता; दु:ख, क्लेश, रंज।
दिलतफ़्त: ($फा.वि.)- दिलजला, दग्ध-हृदय, प्रेम-दग्ध।
दिलदाद: ($फा.वि.)- मुग्ध, आसक्त, मोहित, $िफरेफ़्त:।
दिलदादगी ($फा.स्त्री.)- आसक्ति, मुग्धता, $िफरेफ़्तगी।
दिलदार ($फा.वि.)- प्रिय, प्यारा, प्रेमपात्र; माÓशू$का, प्रेयसी, प्रेमिका।
दिलदारी ($फा.स्त्री.)- ढारस, दिलासा, तस्कीन, सान्त्वना।
दिलदिही ($फा.स्त्री.)- दे.- 'दिलदारीÓ।
दिलदुज़्द ($फा.वि.)- चित्तचोर, दिल का चोर, हृदय-चोर, प्रेमपात्र, माÓशू$क।
दिलदोज़ ($फा.वि.)- मन में घुस जानेवाला, दिल पर असर करनेवाला।
दिलनवाज़ ($फा.वि.)- मन को तसल्ली देनेवाला, दिल को ढारस बँधानेवाला; प्रेमपात्र, महबूब, माÓशू$क।
दिलनवाज़ी ($फा.स्त्री.)- मित्रता, मैत्री, दोस्ती; सान्त्वना, ढारस।
दिलनशीं ($फा.वि.)- जो मन में बैठ गया हो, हृदयस्थ; जो समझ में आ गया हो, हृदयंगम।
दिल नासबूर ($फा.वि.)- बेचैन हृदय, व्याकुल मन।
दिलनिहाद ($फा.वि.)- जिस पर दिल को रुचि हे, प्रेमपात्र, महबूब, माÓशू$क।
दिलपसंद ($फा.वि.)- जो मन को पसन्द हो, रुचिकर, दिल को भानेवाला, म$र्गूब।
दिलपिज़ीर ($फा.वि.)- दे.- 'दिलपसंदÓ।
दिल$फरेब ($फा.वि.)- दे.- 'दिल $िफरेबÓ।
दिल$फरोज़ ($फा.वि.)- मन को रौशन करनेवाला, दिल को प्रकाशित करनेवाला।
दिल$फरोश ($फा.वि.)- दिल बेचनेवाला, अ़ाशि$क, प्रेमी।
दिल$िफगार ($फा.वि.)- जिसका मन घायल हो, क्षत-हृदय, ज़ख़्मी दिलवाला, दु:खित, नायक, पे्रमी, अ़ाशि$क।
दिल$िफरेब ($फा.वि.)- दिल को $फरेब अथवा धोखा देनेवाला, नायिका, प्रेमिका, माÓशू$क।
दिलफ्ग़ार ($फा.वि.)- दे.- 'दिल $िफगारÓ।
दिलफ्ऱोज़ ($फा.वि.)- दे.- 'दिल$फरोज़Ó।
दिलबंद ($फा.पु.)- दिल का टुकड़ा, पुत्र, बेटा।
दिलबर ($फा.पु.)- दिल उड़ा ले जानेवाला, प्रेमपात्र, नायिका, माÓशू$क।
दिलबरी ($फा.स्त्री.)- माÓशू$की, नायिकात्व।
दिलबरदास्त: ($फा.वि.)- जिसका दिल कहीं लगा हो, नायक, अ़ाशि$क, प्रेमी।
दिलबस्तगी ($फा.स्त्री.)- मन की लौ, दिल की लगन, प्रेम, इश्$क; मनोरंजन, तफ्ऱीह, दिलचस्पी।
दिलबाख़्त: ($फा.वि.)- जो प्रेम की बाज़ी में अपना दिल हार गया हो, अ़ाशि$क।
दिलबाज़ ($फा.वि.)- जाँबाज़, वीर, शूर, बहादुर; साहसी, उत्साही, हौसलामंद।
दिलबाज़ी ($फा.स्त्री.)- जाँबाज़ी, जान की बाज़ी लगा देना, जान को ख़्ातरे में डाल देना।
दिलबिरिश्त: ($फा.वि.)- दग्ध-हृदय, जिसका दिल प्रेम की अग्नि में जल-भुन गया हो।
दिलरुबा ($फा.वि.)- दिल को उचक ले जानेवाला, माÓशू$क, प्रेयसी, प्रेमिका; एक प्रकार का बाजा।
दिलरुबाई ($फा.स्त्री.)- नायिकापन, माÓशू$िकयत; हावभाव, नाज़ो-अंदाज़।
दिलरेश ($फा.वि.)- घायल मन, क्षत्-हृदय, जिसका दिल ज़ख़्मी हो, प्रेमी।
दिलशाद ($फा.वि.)- प्रसन्नचित्त, ख़्ाुश।
दिलशिकन ($फा.वि.)- दिल को तोडऩेवाला, रंज पहुँचानेवाला; हिम्मत तोडऩेवाला।
दिलशिकनी ($फा.स्त्री.)- हिम्मत तोडऩा; दिल तोडऩा, रंज पहुँचाना।
दिलशिकस्त: ($फा.वि.)- हतोत्साह, पस्त हिम्मत; जिसका दिल टूट गया हो, दु:खित।
दिलशिकस्तगी ($फा.स्त्री.)- दिलशिकनी, हिम्मत तोडऩा; दिल तोडऩा, रंज पहुँचाना।
दिलशिगा$फ ($फा.वि.)- हृदय विदारक, मन को चीर देनेवाला, रूह$फर्सा।
दिलशुद: ($फा.वि.)- जिसका दिल खो गया हो, प्रेमी, अ़ाशि$क।
दिलसाज़ ($फा.वि.)- प्रसन्नचित्त, आनन्दित, हर्षित, ख़्ाुश।
दिलसिताँ ($फा.वि.)- दे.- 'दिलरुबाÓ।
दिलसितानी ($फा.स्त्री.)- दे.- 'दिलरुबाईÓ।
दिलसोख़्त: ($फा.वि.)- दिल जला, दग्ध-हृदय।
दिलसोज़ ($फा.वि.)- हमदर्द, सहानुभूति करनेवाला।
दिलसोज़ी ($फा.स्त्री.)- हमदर्दी, सहानुभूति।
दिलहा ($फा.पु.)- 'दिलÓ का बहु., बहुत-से दिल।
दिला ($फा.अव्य.)- हे मन, ए दिल, दिल का सम्बोधन।
दिलाज़ार ($फा.वि.)- कष्ट देनेवाला, सतानेवाला, दु:खदायी; दिल दु:खानेवाला, मन को पीड़ा पहुँचानेवाला।
दिलाज़ारी ($फा.स्त्री.)- सताना, कष्ट देना, कोई ऐसी बात करना या कहना जिससे किसी के मन को ठेस लगे।
दिलाज़ुर्द: ($फा.वि.)- जिसका मन रंजित हो, जिसका दिल दु:खी हो, $गमगीन।
दिलाज़ुर्दगी ($फा.स्त्री.)- मन का उदास होना, दिल का खिन्न और मलिन होना, अ$फसुर्दगी।
दिलारा ($फा.वि.)- मन की शोभा बढ़ानेवाला, प्रेमपात्र।
दिलाराई ($फा.स्त्री.)- मन में बसकर उसकी शोभा बढ़ाने का काम।
दिलाराम ($फा.वि.)- मन को शान्ति देनेवाला अर्थात् प्रेम-पात्र।
दिलावर ($फा.वि.)- वीर, शूर, बहादुर; हौसलामंद, साहसी, उत्साही।
दिलावरी ($फा.स्त्री.)- हौसला, उत्साह, साहस; बहादुरी, शूरता, वीरता।
दिलावेज़ ($फा.वि.)- शुभ-दर्शन, सुन्दर, हसीन, प्रियदर्शन, ख़्ाुशनुमा।
दिलावेज़ी ($फा.स्त्री.)- ख़्ाूबसूरती, सुन्दरता, छटा, शोभा, सौन्दर्य, हुस्न।
दिली ($फा.वि.)- मानसिक, हार्दिक, $कल्बी; मन अथवा हृदय से सम्बन्ध रखनेवाली चीज़; घनिष्ठ, गहरा, जैसे- 'दिली दोस्तÓ।
दिलेआगाह ($फा.पु.)- दिव्य-दृष्टि रखनेवाला मन, ऋषियों और मुनियों जैसा दिल।
दिलेजि़ंद: ($फा.पु.)- ऐसा दिल जो ईश-भक्ति में संलग्न हो; ऐसा मन जो हर्ष और आनन्द से परिपूर्ण हो।
दिलेबे$करार ($फा.पु.)- व्यथित-हृदय, प्रेम-वेदना में तड़पता हुआ दिल।
दिले मुज़्तर (अ.$फा.पु.)- दे.- 'दिलेबे$करारÓ।
दिले मुज़्तरिब ($फा.पु.)- दे.- 'दिलेबे$करारÓ।
दिलेमुर्द: ($फा.वि.)- 'दिले जि़ंद:Ó का विपरीत; बुझा हुआ दिल; ईश-भक्ति से रिक्त हृदय।
दिलेर ($फा.वि.)- वीर, बहादुर, शूरवीर; साहसी, उत्साही, हौसलामंद; निडर, अभय।
दिलेरान: ($फा.अव्य.)- वीरतापूर्वक, वीरोचित।
दिलेरी ($फा.स्त्री.)- निडरपन; शूरता, बहादुरी; साहस, उमंग।
दिले सदचाक ($फा.पु.)- ऐसा दिल जिसे प्रेम के निष्ठुर हाथों ने टुकड़े-टुकड़े कर दिया हो।
दिश्न: ($फा.पु.)- दे.- 'दश्न:Ó, दोनों शुद्घ हैं।
दिहिश ($फा.स्त्री.)- दानशीलता, सखावत। नोट- उर्दू में यह शब्द 'दादÓ के साथ मिलाकर 'दादोदिहिशÓ बोला जाता है, अकेला नहीं बोला जाता।
दिह्क़ान (अ.पु.)- किसान, कृषक; उजड्ड, गँवार।
दिह्क़ानियत (अ.स्त्री.)- उजड्डपन, गँवारपन।
दिह्$कानी (अ.पु.)- कृषक, किसान; किसान का, गाँव का, देहाती; गँवार, उजड्ड।
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