जी, ज़ी
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ज़ीं ($फा.स्त्री.)- 'ज़ीनÓ का लघु., जो समास में व्यवहृत होता है, (अव्य.)- इससे।ज़ी (अ.उप.)- एक उपसर्ग जो संज्ञा से पहले आकर 'वालाÓ का अर्थ देता है, जैसे- 'ज़ीअक़्लÓ- अक़्लवाला। नोट- इसका 'ज़ीÓ उर्दू के 'ज़ालÓ अक्षर से बना है।
ज़ी ($फा.पु.)- अनुमान, अन्दाज़ा; ओर तर$फ; निकट, पास। नोट- इसका 'ज़ीÓ उर्दू के 'ज़ेÓ अक्षर से बना है।
ज़ीअक़्ल (अ.वि.)- मेधावी, बुद्घिमाऩ, अक़्लमन्द, अक़्ल वाला।
ज़ीआबरू (अ.$फा.वि.)- आबरूवाला, प्रतिष्ठित, सम्मानित, इज़्ज़तदार।
ज़ीइख़्ितयार (अ.वि.)- प्राप्ताधिकार, जिसे अधिकार प्राप्त हो; जो किसी के अधीन न हो, स्वाधीन, ख़्ाुदमुख़्तार।
ज़ीइज़्ज़त (अ.वि.)- दे.- 'ज़ीआबरूÓ।
ज़ी इस्तेÓदाद (अ.वि.)- विद्वान, योग्य, शिक्षित, पढ़ा-लिखा, $काबिल।
ज़ी$क (अ.वि.)- बदहाली, तंगी; सकोच, संकीर्णता; क्लेश, दु:ख, मुसीबत, कृष्ट।
ज़ीकमाल (अ.वि.)- गुणी, गुणवान्, हुनरमन्द।
ज़ी$काÓद: (अ.पु.)- इस्लामी ग्यारहवाँ महीना।
ज़ी$कुन्न$फस (अ.पु.)- श्वास-रोग, श्वास कष्ट, दमे की बीमारी, श्वास-कास, उर:स्तम्भ।
जी$ग: ($फा.पु.)- पगड़ी में बाँधने का ऐ रत्नजटित आभूषण।
ज़ीज ($फा.स्त्री.)- ज्योतिष की वह किताब जिसमें ग्रहों की गति का विवरण और दूसरी तफ़्सीलें होती हैं, ज्योतिष-ग्रंथ।
ज़ीज़ा ($फा.वि.)- अविश्वस्त, अविश्वसनीय।
ज़ीजाह (अ.वि.)- बड़े पद या बड़ी प्रतिष्ठावाला; उच्च पदस्थ, सम्मानित, प्रतिष्ठित।
ज़ीन: ($फा.पु.)- सीढ़ी, सोपान, निश्रेणी; भवनों या इमारतों की पक्की सीढिय़ाँ।
ज़ीन ($फा.पु.)- घोड़े की पीठ पर कसी जानेवाली काठी, पल्ययन; पलान, कजावा।
ज़ीनत (अ.स्त्री.)- सज्जा, सजावट, सिंगार; शोभा, रौन$क, श्री।
ज़ीनतकद: (अ.$फा.पु.)- सुसज्जित और श्रृंगारित मकान-कोठी आदि; (ला.)- प्रेयसी अथवा माÓशू$क का निवास-स्थान।
ज़ीनतदिह (अ.$फा.वि.)- सुशोभित करनेवाला, शोभा बढ़ाने वाला, ज़ीनत देनेवाला।
ज़ीनत ए आ$गोश (अ.$फा.स्त्री.)- गोद में बैठा हुआ, गोद में बैठकर गोद की शोभा बढ़ानेवाला।
ज़ीनत ए बज़्म (अ.$फा.स्त्री.)- सभा में बैठकर अथवा उपस्थित होकर सभा की शोभा को चार चाँद लगानेवाला।
ज़ीनत ए पह्लू (अ.$फा.स्त्री.)- पत्नी, प्रेमिका। (पु.)- प्रेमी।
ज़ीनत ए मह्$िफल (अ.स्त्री.)- दे.- 'ज़ीनत ए बज़्मÓ।
ज़ीनपोश ($फा.पु.)- घोड़े की ज़ीन पर डाला जानेवाला कपड़ा।
ज़ीनसाज़ ($फा.पु.)- ज़ीन बनानेवाला।
ज़ीनसाज़ी ($फा.स्त्री.)- ज़ीन बनाना।
ज़ीन्हार ($फा.पु.)- कदापि; पनाह, शरण; सुरक्षा; शिकायत।
ज़ीन्हारी ($फा.वि.)- शरण में आया हुआ, शरणागत।
ज़ी$फन (अ.$फा.पु.)- बिन बुलाया मेहमान।
ज़ी$फह्म (अ.वि.)- बुद्घिमान्, मतिमान्, मेधावी, अक़्लमन्द; प्रतिभाशाली, ज़हीन, धारणा-सम्पन्न; दूरदर्शी, अग्रशोची, पेशबीं।
ज़ी$फान (अ.पु.)- अतिथि, मेहमान।
ज़ीबाल (अ.$फा.वि.)- जिसके पर या पंख हों, पक्षी; मान्य, प्रतिष्ठित, मुअ़ज़्ज़ज़।
ज़ीम (अ.$फा.पु.)- पहाड़ का किनारा।
ज़ीमर्तबत (अ.वि.)- बहुत सम्मानित, प्रतिष्ठावान्, बड़े रुत्बे वाला।
ज़ीर: ($फा.पु.)- जीरक, मसाले की एक प्रसिद्घ चीज?।
जीर: ($फा.पु.)- दैनिक भत्ता; रोज़ मिलनेवाला खाना।
ज़ीर ($फा.पु.)- धीमी आवाज़, नीचा स्वर।
ज़ीरए स$फेद ($फा.पु.)- श्वेत जीरक, स$फेद ज़ीरा।
ज़ीरए सियाह ($फा.पु.)- काला ज़ीरा, कृष्ण जीरक, सुषा।
ज़ीरक ($फा.वि.)- प्रतिभाशाली, प्रवीण, चतुर, होशियार, धारणावान्।
ज़ीरकी ($फा.स्त्री.)- दक्षता, कुशलता, चातुर्य, प्रवीणता, प्रतिभा, तब्बाई।
ज़ीरुत्ब: (अ.वि.)- दे.- 'ज़ीमर्तबतÓ।
ज़ीरूह (अ.वि.)- प्राणी, जीवधारी, जिसमें जान अथवा प्राण हों।
ज़ीरोबम ($फा.पु.)- स्वर का उतार-चढ़ाव, षड्ज, निषाद इत्यादि।
जीव: ($फा.पु.)- पारा, पारद, सीमाब।
ज़ीव$कार (अ.वि.)- दे.- 'ज़ीमर्तबतÓ।
ज़ीवजाहत (अ.वि.)- दे.- 'ज़ीमर्तबतÓ।
ज़ीस्त ($फा.स्त्री.)- जीवन, जि़न्दगी।
ज़ीस्तनी ($फा.वि.)- जीने के लाइ$क, जिसका जीना आवश्यक हो, जीवनीय।
ज़ीहयात (अ.वि.)- दे.- 'ज़ीरूहÓ।
ज़ीहशम (अ.वि.)- जिसके पास अनेक नौकर-चाकर हों, वैभवशाली।
ज़ीहिस (अ.वि.)- जिसे अपनी भलाई-बुराई का एहसास हो, स्वविवेकी; ख़्ाुद्दार, स्वाभिमानी।
ज़ीहैसियत (अ.वि.)- अच्छी हैसियतवाला; धनवान, धनी; मुअ़ज़्ज़ज़, प्रतिष्ठित।
ज़ीहोश (अ.वि.)- जो होश में हो, सुचेत, संज्ञावान्; दूरदर्शी, दूरंदेश; अक़्लमन्द, बुद्घिमान्।
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