Wednesday, October 14, 2015

जु, ज़ु

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जुंद (जुन्द)(अ.पु.)- सेना, $फौज, पलटन।
जुंदबेदस्तर ($फा.पु.)- एक समुद्री ऊदबिलाव के अण्डकोष का सुखाया हुआ रस जो दवा में प्रयुक्त होता है।
जुंदी (जुन्दी)(अ.पु.)- सैनिक, सिपाही, लश्करी, $फौजी।
जुंबाँ ($फा.वि.)- कम्पायमान, हिलता हुआ, (प्रत्य.)- हिलानेवाला, जैसे- 'सिलसिल:जुंबाँÓ- जंज़ीर हिलानेवाला।
जुंबिश (जुम्बिश)($फा.स्त्री.)- कम्प, हिलन, हरकत; टस से मस होने की स्थिति; गति, चाल।
जुंबीद: (जुम्बीदा)($फा.वि.)- हिला हुआ, गतिशील, जुम्बिश खाया हुआ।
ज़ुअ़$फा (अ.पु.)- 'ज़ई$फÓ का बह़., निर्बल और अशक्त लोग; दीन, दु:खी, बेकस लोग।
ज़ुअऩा (अ.पु.)- 'ज़ईमÓ का बहु., नेतागण, लीडर लोग।
ज़ुअ़माए मिल्लत (अ.पु.)- राष्ट्र के नेता, $कौम के लीडर।
ज़ुअ़ा$क (अ.पु.)- खारा, नमकीन।
ज़ुअ़ा$फ (अ.वि.)- घातक विष, हलाहल, कालकूट; प्राणलेवा, घातक।
ज़ुका (अ.स्त्री.)- सूरज, सूर्य, रवि, दिनकर, भास्कर; सवेरा, प्रात:काल।
ज़ु$का$क (अ.स्त्री.)- गली, कूचा।
ज़ुकूर: (अ.स्त्री.)- पुरुष, नर; पुंलिंग।
ज़ुक्र: (अ.वि.)- मर्दों-जैसी, मर्दानी, मर्दों के समान।
ज़ुख्ऱ$फ (अ.स्त्री.)- सजावट, चमक-दमक।
जु$ग ($फा.पु.)- लकड़ी का जुआ जिसे बैल की गर्दन पर रखकर हल चलाते हैं।
ज़ु$गा$ग: ($फा.वि.)- मूर्ख, बुद्घिहीन, बेवकू$फ।
ज़ुगााल ($फा.पु.)- बुझा हुआ अंगारा, कोयला।
ज़ु$गाल ($फा.पु.)- दे.- 'ज़ुगालÓ।
ज़ुग़्ता (अ.पु.)- कठोरता, सख़्ती; संकोच; तंगी।
जुग्ऱात ($फा.पु.)- दही, दधि, जमाया हुआ दूध।
जुग्ऱा$िफय: (अ.पु.)- भूगोल; भूगोल-शास्त्र।
जुग्ऱा$िफय:दाँ (अ.$फा.वि.)- भूगोल जाननेवाला।
जुग्ऱा$िफय:नवीस (अ.$फा.वि.)- भूगोल लिखनेवाला।
जुग्ऱा$िफयाई (अ.स्त्री.)- भूगोल की, भूगोल से सम्बन्धित।
जुग़्ल: (अ.पु.)- नाचनेवाला लड़का, नृत्य करनेवाला लड़का।
ज़ुग़्ल: (अ.स्त्री.)- कली, गुंचा।
ज़्ाुग़्लूल (अ.पु.)- फुर्तीला मनुष्य, चुस्त आदमी, (अ.वि.)- दक्ष, कुशल।
जुज़ (अ.पु.)- सिवाय, अलावा, अतिरिक्त; खण्ड, भाग, टुकड़ा; ग्रंथ-खण्ड, जिल्द; अध्याय, बाब; पुस्तक के सोलह पेज का $फार्म; जो पूरा न हो, कम, अधूरा। नोट- इस शब्द का शुद्घ रूप 'जुज़्बÓ है।
जुज़दान (अ.$फा.पु.)- बच्चों की किताब रखने का बस्ता।
जुज़दीद: (अ.$फा.वि.)- अन्धा, नेत्रहीन, बिना आँखोंवाला।
जुज़बंदी (जुज़बन्दी)(अ.$फा.स्त्री.)- जिल्दसाज़ी में किताब के हर जुज़ की सिलाई; जिल्दबन्दी।
जुज़रस (अ.$फा.वि.)- कृपण, कंजूस; मितव्ययी, कम ख़्ार्च करनेवाला।
जुज़रसी (अ.$फा.स्त्री.)- कृपणता, कंजूसी; मितव्यय, ख़्ार्च कम करना।
ज़ुजाज (अ.पु.)- काँच, काच, शीशा।
जुज़ाम (अ.पु.)- कुष्ठ रोग, कोढ़।
जुज़ामी (अ.वि.)- कुष्ठी, कोढ़ी।
जुज़्ई (अ.वि.)- दे.- 'जुज़्वीÓ।
जुज़्ईयात (अ.पु.)- किसी विषय के सभी पक्ष, किसी बात के तमाम पहलू; छोटी-छोटी बातें।
ज़ुज्ज: (अ.पु.)- शोरगुल, हाहाकार, चीख़्ा-पुकार।
जुज़्मूर (अ.$फा.स्त्री.)- नींव, आधार।
ज़ुज्रत (अ.$फा.स्त्री.)- कंजूसी, तंगदिली।
जुज़्व (अ.पु.)- दे.- 'जुज़Ó, शुद्घ रूप यही है।
जुज़्वी (अ.वि.)- पूरे में से एक भाग, कुल में से ऐ जुज़; कम, थोड़ा।
जुज़्वीयात (अ.पु.)- 'जुज़्वीÓ का बहु.।
जुज़्वेला पतजज्ज़ा (अ.पु.)- वह सूक्ष्म अंश जिसके फिर टुकड़े न हो सकें, त्रसरेणु, अनुरेणु।
जुज़्वेला यन्$फक [क्क] (अ.पु.)- ऐसा अंश जो अपने मूल से पृथक् न हो सके।
जुज़्वो कुल (अ.पु.)- सम्पूर्ण वस्तु।
जुज़्वो ह$की$की (अ.पु.)- मूल तत्त्व।
जुदर ($फा.पु.)- दीवार।
जुदा ($फा.वि.)- अलग, पृथक्; अन्य, दूसरा; भिन्न, मुख़्तलि$फ; विरहग्रस्त।
जुदाई ($फा.स्त्री.)- पृथकता, अलगाव; विरह, वियोग, $िफरा$क; वैमनस्य, रंजिश।
जुदागान: ($फा.वि.)- पृथक्-पृथक्, अलग-अलग।
जुदे (अ.पु.)- उत्तरीय ध्रुवतारा, वह ध्रुवतारा जो उत्तरीय ध्रुव के पास है।
जुद्री (अ.स्त्री.)- शीतला रोग, चेचक।
जुनूँ (अ.पु.)- 'जुनूनÓ का लघु., दे.- 'जुनूनÓ, यह रूप यौगिक शब्दों में हो जाता है।
जुनूँअंगेज़ (अ.$फा.वि.)- जुनून बढ़ानेवाला, उन्मादवद्र्घक।
जुनूँख़्ोज़ (अ.$फा.वि.)- विक्षिप्ता लानेवाला, उन्मादोत्पादक, जुनून पैदा करने वाला।
जुनूँजौलाँ (अ.$फा.वि.)- तीव्र उन्मादक, जुनून बढ़ानेवाला।
जुनूद (अ.पु.)- 'जुंदÓ का बह़., सेनाएँ, $फौज।
जुनून (अ.पु.)- विक्षिप्तता, पागलपन, उन्माद।
जुनून ए इश्$क (अ.पु.)- प्रमोन्माद, मुहब्बत का पागलपन।
जुनैद (अ.पु.)- ब$गदाद के एक बहुत बड़े ऋषि।
ज़ुन्नार (अ.पु.)- यज्ञोपवीत, जनेऊ।
ज़ुन्नारगुसिस्त: (अ.$फा.वि.)- जिसने जनेऊ तोड़ डाला हो, जो हिन्दू धर्म-भ्रष्ट हो गया हो।
ज़ुन्नारदार (अ.$फा.वि.)- जनेऊ धारण करनेवाला, हिन्दू।
ज़ुन्नारपोश (अ.$फा.वि.)- दे.- 'ज़ुन्नारदारÓ।
ज़ुन्नारबंद (ज़ुन्नारबन्द)(अ.$फा.वि.)- दे.- 'ज़ुन्नारदारÓ।
ज़ुन्नून (अ.पु.)- हज्ऱत यूनुस की उपाधि। नोट- इन्हें मछली निगल गयी थी।
ज़ुन्बूब (अ.पु.)- पिण्डली की हड्डी।
जुफ़्त: ($फा.पु.)- पुट्ठा, चूतड़; कुआँ, कूप।
जुफ़्त ($फा.पु.)- जोड़ा, युग्म, युगल; वह संख्या जो दो से बँट जाए, समसंख्या; जूता, पादुका। (वि.)- जिसकी आदत अच्छी न हो, बुरे स्वभाववाला; कृपण, कंजूस।
जुफ़्तक ($फा.पु.)- चकवा-चकवी, सुख्ऱ्ााब का जोड़ा।
जुफ़्त$फरोश ($फा.वि.)- जूते बेचनेवाला।
जुफ़्तसाज़ ($फा.वि.)- जूता बनानेचाला, शू-मेकर।
जुफ़्तसाज़ी ($फा.क्रि.)- जूता बनाना।
जुफ़्तन ($फा.क्रि.)- मिलना, मिलाना, आकर्षित होना।
जुफ़्ती ($फा.स्त्री.)- कंजूसी।
जुफ़्तीदन् ($फा.क्रि.)- सहवास करना, नर एवं मादा का मैथुन करना।
ज़ुफ्ऱ (अ.पु.)- नख, नाख़्ाून।
ज़ुबान: ($फा.पु.)- अग्नि-शिखा, आग की लपट; तराज़ू की डण्डी के बीच का डोरा। दे.- 'ज़बान:Ó, दोनों शुद्घ हैं।
ज़ुबान ($फा.स्त्री.)- दे.- 'ज़बानÓ, दोनों शुद्घ हैं।
ज़ुबाना (अ.पु.)- सोलहवाँ नक्षत्र, विशाखा।
ज़ुबाब ($फा.स्त्री.)- मक्खी, मक्षिका।
ज़ुबाह (अ.स्त्री.)- लोमड़ी की आवाज़।
जुबुन (अ.पु.)- फाड़े हुए दूध का खोवा या पनीर।
ज़ुबूल (अ.पु.)- मलिनता, खिन्नता, अफ़्सुर्दगी; क्षीणता, दुर्बलता, ला$गरी।
ज़ुब्द: (अ.पु.)- सार, तत्त्व, खुलासा; मक्खन, नवनीत; शिरोमणि, सरताज।
जुब्ब: (अ.पु.)- लम्बा अँगरखा, चु$गा, चो$गा।
जुब्ब:पोश (अ.$फा.वि.)- चु$गा पहननेवाला; चो$गा पहने हुए।
जुब्ब (अ.$फा.पु.)- कुआँ, कूप, गड्ढ़ा।
ज़ुब्ब (अ.$फा.पु.)- नाक; बच्चों का लिंग।
ज़ुब्र (अ.पु.)- ग्यारहवाँ नक्षत्र, पूर्वा फाल्गुनी; एक तारा विशेष।
जुम (अ.स्त्री.)- सीपी, सीप।
जुमल (अ.पु.)- 'अबजदÓ के अक्षरों का हिसाब; अबजद के अक्षर।
जुमादल उख्ऱा (अ.पु.)- इस्लामी छठा महीना।
जुमादल ऊला (अ.पु.)- इस्लामी पाँचवाँ महीना।
जुमान (अ.पु.)- मोती, मुक्ता; मोती के आकार की चाँदी की घुंडियाँ।
जुमाम (अ.पु.)- बर्तन का पानी से लबालब भर जाना।
जुुमुअ़: (अ.पु.)- शुक्रवार। दे.- 'जुम्अ़:Ó, दोनों शुद्घ हैं।
ज़ुमुख़्त ($फा.पु.)- बरवटा, कसीला, ऐसा स्वाद जैसा हड़ का होता है।
ज़ुमुर (अ.पु.)- दुबलेपन की वजह से पेट का पीठ से चिपक जाना।
ज़ुमुर्रुद ($फा.पु.)- एक हरे रंग का रत्न, पन्ना।
जुमूद (अ.पु.)- जमना, जम जाना (पानी आदि का); ठप हो जाना, गत्यावरोध, डैडलाक; खिन्नता, मलिनता, अफ़्सुर्दगी।
ज़ुमूर (अ.पु.)- कमज़ोरी, दुबलापन, क्षीणता, ला$गरी।
जुम्अ़: (अ.पु.)- शुक्रवार। दे.- 'जुमुअ़:Ó, दोनों शुद्घ हैं।
जुम्जुम: (अ.पु.)- खोपड़ी, कपाल, भगाल।
ज़ुम्र: (अ.पु.)- दल, यूथ, जत्था, पार्टी।
ज़ुम्र (अ.पु.)- दे.- 'ज़ुमूरÓ।
ज़ुम्रए अहबाब (अ.पु.)- मित्रमण्डली, मित्रगण, दोस्तों की पार्टी।
जुम्रुक (अ.पु.)- नगर-पालिका, नगर-निगम।
जुम्ल: (अ.पु.)- वाक्य, शब्द-समूह, $िफक्र:; समस्त, समग्र, सब।
जुम्लए इंशाइय: (अ.पु.)- दे.- 'जुम्लए इस्मिय:Ó।
जुम्लए इस्तिफ़्हामिय: (अ.पु.)- ऐसा वाक्य जिसमें प्रश्न हो।
जुम्लए इस्मिय: (अ.पु.)- ऐसा वाक्य जिसमें क्रिया न हो, संज्ञात्मक वाक्य।
जुम्लए ख़्ाबरिय: (अ.पु.)- दे.- 'जुम्लए इस्मिय:Ó।
जुम्लए मोÓतरिज़: (अ.पु.)- इबारत या भाषण के बीच में ऐसा वाक्य जो किसी दूसरी बात से सम्बन्धित होऔर मूल विषय से उसका कोई सम्बन्ध न हो।
जुम्लगी (अ.$फा.वि.)- समग्रता, सर्वत्व, समस्तत्व, पूर्णता, सारापन, समूचापन।
जुम्हूर (अ.पु.)- जनसाधारण, सर्वसाधारण, आम जनता, अवाम।
जुम्हूरियत (अ.स्त्री.)- प्रजातंत्र, गणतंत्र, जनतंत्र।
जुम्हूरी (अ.$वि.)- सार्वजनिक, सार्वजनीन।
जुम्हूरे अनाम (अ.$वि.)- जनसाधारण, सर्वसाधारण, अवामुन्नास।
जुर (अ.$स्त्री.)- घोड़े की ज़ीन।
ज़ुर$फा (अ.पु.)- 'ज़री$फÓ का बहु., हँसोड़ लोग।
जुराज़ (अ.पु.)- तलवार।
ज़ुरात (अ.पु.)- तेज़, तीव्र; वह अपानवायु जो शब्द के साथ निकले।
ज़ुरा$फ (अ.पु.)- ऊँट के बराबर एक जंगली जानवर जिसकी पीठ चित्तीदार होती है। दे.- 'ज़रा$फÓ, दोनों शुद्घ हैं। नोट- हिन्दी में 'जिर्रा$फÓ प्रचलित है।
ज़ुरू$फ (अ.पु.)- 'ज़$र्फÓ का बहु., बर्तन-भाँड़े।
जुरूह (अ.क्रि.)- गवाह पर व्यंग्य करना, चोट करना।
जुअऱ्: (अ.पु.)- इतना पानी या अन्य कोई तरल पदार्थ जो एक बार में पिया जाता है, एक घँूट।
जुअऱ्:कश (अ.$फा.वि.)- घँूट-घूँट करके पीनेवाला; मदिरा पीनेवाला, मद्यप।
जुअऱ्:कशी (अ.$फा.वि.)- घँॅूट--घूँट करके पीना मदिरा पीना, शराबनोशी।
जुअऱ्:नोश (अ.$फा.वि.)- दे.- 'जुअऱ्:कशÓ।
जुअऱ्एमय (अ.$फा.वि.)- मदिरा की घँूट, शराब की घूँट।
जुर्अत (अ.स्त्री.)- साहस, हिम्मत; उत्साह, उमंग, हौसला; धृष्टता, दु:साहस, बेबा$की।
जुर्अतअ$फज़ा (अ.$फा.वि.)- हिम्मत बढ़ानेवाला, साहस बढ़ानेवाला।
जुर्अतआज़मा (अ.$फा.वि.)- साहस की परीक्षा करनेवाला, यह देखनेवाला कि अमुक कार्य अमुक व्यक्ति से हो सकेगा या नहीं।
जुर्अतआज़माई (अ.$फा.स्त्री.)- साहस की परीक्षा, जोश और ता$कत का इम्तिहान।
जुर्अतमंद (जुर्अतमन्द)(अ.$फा.वि.)- उत्साही, साहसी, हिम्मती।
जुर्अतमंदान: (अ.$फा.अव्य.)- साहसपूर्ण, हिम्मत से भरा हुआ।
जुर्अतमंदी (जुर्अतमन्दी)(अ.$फा.स्त्री.)- साहसपरता, उत्साहशीलता, हौसलामन्दी।
ज़ु$र्क (अ.$फा.पु.)- कवच, जिरह, बख़्तर।
जुर्ग (अ.$फा.पु.)- अखाड़ा; जंगल, वन।
जुजऱ् (अ.$फा.वि.)- ऊसर, कल्लर, वह भूमि जिसमें $फसल न होती हो। नोट- इसका 'ज़Ó उर्दू के 'ज़ेÓ अक्षर से बना है।
जुजऱ् (अ.$फा.पु.)-जंगली चूहा। नोट- इसका 'ज़Ó उर्दू के 'ज़ालÓ अक्षर से बना है।
जुजऱ्म (अ.$फा.पु.)- पेट, उदर।
ज़ुर्त ($फा.स्त्री.)- एक प्रसिद्घ अन्न, ज्वार। दे.- 'ज़ुर्रतÓ, दोनों शुद्घ हैं।
ज़ु$र्फीन (अ.पु.)- दे.- 'जि़$र्फीनÓ, दोनों शुद्घ हैं।
जुर्म (अ.पु.)- अपराध, दोष, $कुसूर; आरोप, लाँछन, इत्तिहाम।
जुर्म ए कबीर ($फा.पु.)- बड़ा अपराध, संगीन जुर्म।
जुर्म ए ख़्ा$फी$फ ($फा.पु.)- साधारण अपराध।
जुर्म ए वाजिबुल्$कत्ल ($फा.पु.)- वह अपराध जिसमें सज़ा मृत्युदण्ड के रूप में मिले।
जुर्म ए शदीद ($फा.पु.)- घोर अपराध, जघन्य अपराध।
जुर्म ए संगीन ($फा.पु.)- दे.- 'जुर्म ए कबीरÓ।
जुर्म नाकर्द: (अ.$फा.वि.)- अकृतापराध, जिसने अपराध न किया हो।
जुर्मान: (अ.$फा.पु.)- अर्थदण्ड, वह सज़ा या दण्ड जो धन के रूप में दी जाए।
जुर्मियात ($फा.पु.)- अपराधी को खोजने की शिक्षा।
ज़ुर्मूज़ (अ.पु.)- हौज़, कुआँ, कूप; छोटा मकान।
ज़ुर्र: (अ.स्त्री.)- ज्वार नामक एक अन्न। नोट- इसका 'ज़Ó उर्दू के 'ज़ेÓ अक्षर से बना है।
ज़ुर्र: (अ.स्त्री.)- सौतन, सौत; उपपत्नी। नोट- इसका 'ज़Ó उर्दू के 'ज़्वादÓ अक्षर से बना है।
जुर्र: ($फा.पु.)- नर बाज़, श्येन। नोट- बाज़ के नर को 'जुर्र:Ó और मादा को 'बाज़Ó कहते हैं।
ज़ुर्रत ($फा.स्त्री.)- एक अन्न, ज्वार। दे.- 'ज़ुर्तÓ। दोनों शुद्घ हैं।
ज़ुर्रा$फ: (अ.पु.)- दे.- 'ज़ुरा$फÓ।
जुर्राब (अ.पु.)- मोज़ा।
ज़ुर्रीयत (अ.स्त्री.)- सन्तान, बाल-बच्चे; हाली-मवाली, पिछलग्गू।
ज़ुर्रूह (अ.पु.)- भ्रमर के आकार का लाल रंग का एक विषैला कीड़ाजिसके परों पर काली बुंदकियाँ होती हैं। नोट- यह कीड़ा दवा में काम आता है और शरीर में छाला डालता है। इसे 'ज़रारीहÓ कहते हैं जो इसका बहुवचन है।
ज़ुर्व: (अ.पु.)- चोटी, शिखा, चुंदी; शिखर, ऊँचा स्थान; शिरोमणि, सर्वश्रंष्ठ।
ज़ुर्वत (अ.स्त्री.)- ज़ख़्म पर छिड़कनेवाली सूखी दवा।
जुर्सूम (अ.पु.)- वह छोटा कीड़ा जो सूक्ष्मदर्शी-यंत्र के बिना दिखाई न दे, कीटाणु, जीवाणु।
जुर्ह (अ.पु.)- घाव, क्षत, ज़ख़्म।
जुलंजबीं (अ.पु.)- गुलकं़द।
ज़ुलम (अ.पु.)- 'ज़ुल्मतÓ का बह़., अँधेरे।
ज़ुलल (अ.पु.)- 'ज़ुल्ल:Ó का बह़., बहुत-से छज्जु, बहुत-से सायबान।
ज़ुलाल (अ.पु.)- स्वच्छ और शीतल पानी; निथरा हुआ पानी, (वि.)- निथरा हुआ, सा$फ, स्वच्छ।
ज़ुलाल-नोश (अ.$फा.वि.)- सा$फ पानी पीनेवाला।
ज़ुलुमात (अ.पु.)- 'ज़ुल्मतÓ का बहु., अँधेरे, अंधकार-समूह।
जुलूस (अ.पु.)- बैठना; राजा आदि का गद्दी पर बैठना; चल समारोह, शोभा-यात्रा, उत्सव-यात्रा; समारोह के साथ गश्त।
जुलूसी (अ.वि.)- जुलूस का, जुलूस से सम्बन्धित; ऐसा संवत् जिसका आरम्भ किसी राजा के सिंहासनासीन होने के समय से हो।
ज़ुलैख़्ाा (अ.स्त्री.)- मिस्र के राजा 'अज़ीज़Ó की स्त्री, जो हज्ऱत यूसु$फ पर मुग्ध हो गयी थी।
ज़ुल्$कर्नेन (अ.पु.)- सम्राट सिकन्दर की उपाधि।
ज़ुल्जनाह (अ.पु.)- हज्ऱत इमाम हुसैन का घोड़ा, जो बहुत तेज़ चलने के कारण 'परोंवाला घोड़ाÓ कहलाता था।
ज़ुल्जलाल (अ.पु.)- तेज और प्रतापवाला अर्थात् ईश्वर।
जुल्जुल (अ.पु.)- घँुघरू, झाँझ।
जुल्जुलान (अ.पु.)- धनिया।
ज़ुल्$फ: (अ.पु.)- रात का एक भाग।
ज़ुल्$फ (अ.पु.)- बालों की लट, केशपाश; कनपटी के पासवाले बाल, अलक; केश, बाल।
ज़ुल्$फ ए अम्बरीं ($फा.स्त्री.)- सुगनिधत बाल; सुनहरी लटें।
ज़ुल्$फ ए गिर:गीर (अ.स्त्री.)- उलण्नेवाले बाल, उलझे हुए केश।
ज़ुल्$फ ए ताबदार (अ.स्त्री.)- घँुघराले बाल।
ज़ुल्$फ ए दराज़ (अ.स्त्री.)- लम्बे केश, बालों की लम्बी लटें।
ज़ुल्$फ ए परीशाँ ($फा.स्त्री.)- बिखरे हुए केश, बिखरी हुयी ज़ुल्$फ।
ज़ुल्$फ ए पुरख़्ाम ($फा.स्त्री.)- घुँघराले केश।
ज़ुल्$फ ए बरहम ($फा.स्त्री.)- बिखरे हुए बाल।
ज़ुल्$फ ए रसा ($फा.स्त्री.)- लम्बे केश जो कमर से नीचे तक हों।
ज़ुल्$फक़ार (अ.स्त्री.)- हज्ऱत अली की तलवार, जो बद्र के युद्घ में उन्हें रसूल ने प्रदान की थी।
ज़ुल्$फबदोश ($फा.वि.)- कंधों पर बाल बिखेरे हुए।
ज़ुल्$फी ($फा.पु.)- तलवार की मूठ; दरवाज़े की जंज़ीर, सिटकनी, चटकनी, चटखनी।
ज़ुल्$फीन ($फा.स्त्री.)- श्रृंखला, जुज़ीर।
ज़ुल्$फुनून (अ.वि.)- अनेक गुणों का ज्ञाता, बहुत-सी ख़्ाूबियों का मालिक।
ज़ुल्बह्रैन (अ.वि.)- ऐसा शेÓर जो अनेक बह्रों (छन्दों) में पढ़ा जा सके।
ज़ुल्म (अ.पु.)- अन्याय, अत्याचार, नाइंसा$फी; किसी कमज़ोर को सताना; किसी का ह$क मारना; ज़बरदस्ती, बलात्; नदी में पानी की बाढ़।
ज़ुल्मत (अ.स्त्री.)- तम, तिमिर, अँधेरा, अंधकार, तारीकी।
ज़ुल्मतआबाद (अ.$फा.पु.)- बहुत ही अँधेरी जगह; संसार, दुनिया।
ज़ुल्मतकद: (अ.$फा.पु.)- जहाँ अँधेरा ही अँधेरा हो; संसार, दुनिया।
ज़ुल्मदोस्त (अ.$फा.वि.)- जो अत्याचार करना पसन्द करता हो, अन्यायप्रिय।
ज़ुल्मपर्वर (अ.$फा.वि.)- अन्यायी, अत्याचारी, जिसके राज्य में अत्याचार का पालन-पोषण होता हो।
ज़ुल्मरसीद: (अ.$फा.वि.)- जिस पर अन्याय या अत्याचार हुआ हो, नृशंसित, अत्याचार-पीडि़त।
ज़ुल्मशिअ़ार (अ.वि.)- जिसके स्वभाव में ही अत्याचार हो, अन्याय-प्रकृति।
ज़ुल्मात (अ.स्त्री.)- 'ज़ुल्मतÓ का बहु., अँधेरे; वह गहन अंधकार जो सिकन्दर को अमृतकुण्ड तक पहुँचने में पड़ा था।
ज़ुल्मिनन (अ.$वि.)- बहुत अधिक नेÓमतें देनेवाला, ईश्वर।
ज़ुल्मियत (अ.पु.)- दे.- 'ज़ुल्मÓ।
ज़ुल्मी (अ.$वि.)- अत्याचारी, अन्यायी, ज़ालिम।
ज़ुल्ल: (अ.पु.)- धूप से बचानेवाली चीज़, सायबान, छज्जा।
ज़ुल्ल (अ.क्रि.)- फिसलना, लड़खडाना। नोट- इसका 'ज़Ó उर्दू के 'ज़ालÓ अक्षर से बना है।
ज़ुल्ल (अ.पु.)- असत्य; खण्डित, नष्ट; व्यर्थ, बेकार। नोट- इसका 'ज़'उर्दू के 'ज़्वादÓ अक्षर से बना है।
जुल्ल ए आब (अ.$स्त्री.)- पानी पर जमी हुयी काई।
जुल्लाब (अ.पु.)- रेचक, विरेचक, दस्तावर दवा, वह दवा जो दस्त लाए। नोट- हिन्दी में 'जुलाबÓ प्रचलित है।
जुल्लाबी (अ.$वि.)- जुल्लाब लेनेवाला, दस्त की दवा प्रयोग करनेवाला।
जुल्लाल (अ.पु.)- बुज़ुर्ग।
ज़ुल्वाब (अ.पु.)- बुद्घिमान्, चतुर।
ज़ुल्हाल (अ.$वि.)- कठोर हृदयवाला, बुरे स्वभाववाला।
ज़ुवअ़ (अ.पु.)- नर उल्लू।
ज़ुवाअ़ (अ.स्त्री.)- उल्लू की आवाज़।
जुवा$फ (अ.स्त्री.)- एक प्रकार की मछली।
ज़ुवाब: (अ.स्त्री.)- लट, केश, गेसू, बाल।
जुवार (अ.पु.)- पड़ोस, प्रतिवेश, हमसायगीे; आसपास, चारों ओर।
ज़ुवाल: (अ.पु.)- भेडिय़ा।
जुशाँद: ($फा.पु.)- औटाई हुयी दवा का पानी।
जुशा (अ.स्त्री.)- डकार, धूम, उद्गार।
जुस्त: ($फा.वि.)- खोजा हुआ, ढूँढ़ा हुआ।
जुस्त ($फा.स्त्री.)- दे.- 'जुस्तजूÓ।
जुस्तजू ($फा.स्त्री.)- तलाश, मार्गण, गवेषणा।
जुस्तोजू (जुस्तजू)($फा.स्त्री.)- दे.- 'जुस्तजूÓ।
जुस्माम (अ.पु.)- देह, शरीर, बदन, तन, जिस्म।
जुस्व (अ.पु.)- चट्टान।
जुस्स: (अ.पु.)- देह, शरीर, जिस्म।
ज़ुहल (अ.पु.)- एक ग्रह, शनि।
जुहला (अ.पु.)- 'जाहिलÓ का बहु., जाहिल लोग, अनपढ़ लोग।
जुहाल (अ.पु.)-घातक विष, बहुत ही तीव्र और प्रचण्ड विष, हलाहल।
ज़ुहू$क: (अ.पु.)- हास्यास्पद, जिस पर सब हँसें, हास्य, उज़्हूक:।
ज़ुहू$क (अ.पु.)- नाश, विनाश, नापैदी; निशाना चूकना।
ज़ुहूर (अ.पु.)- प्रकट होना, ज़ाहिर होना; उत्पत्ति, पैदाइश; आविर्भाव, अवतार।
ज़ुहूल (अ.स्त्री.)- असावधानी, भूल, $गफ़्लत।
ज़ुहूलत (अ.स्त्री.)- दे.- 'ज़ुहूलÓ।
जुहूश (अ.क्रि.)- बिसूरना।
ज़ुह्द (अ.पु.)- इन्द्रिय-निग्रह, संयम, मनोगुप्ति, मुनिवृत्ति, पारसाई, परहेज़गारी, इत्ति$का।
जुह्द (अ.पु.)- बल, शक्ति, ता$कत; कोशिश, प्रयत्न, पराक्रम।
ज़ुह्दशिअ़ार (अ.$वि.)- संयमी, यतेंद्रिय, जितेंद्रिय।
ज़ुह्र: (अ.स्त्री.)- एक ग्रह, शुक्र। 'ज़ोह्राÓ भी प्रचलित है।
ज़ुह्र:जबीं (अ.$$फा.वि.)- शुभ्र-भाल, उज्जवल ललाट, सुन्दरी, चन्द्रमुखी।
ज़ुह्र:नवा (अ.$$फा.वि.)- बहुत सुन्दर और मधुर स्वरवाली स्त्री।
ज़ुह्र:रुख़्ा (अ.$$फा.वि.)- दे.- 'ज़ुह्र:जबींÓ।
ज़ुह्र:शमाइल (अ.$वि.)- दे.- 'ज़ुह्र:जबींÓ।
ज़ुह्र (अ.स्त्री.)- दोपहर की नमाज़ का वक़्त।
ज़ुह्हाद (अ.पु.)- Óज़ाहिदÓ का बह़., ज़ाहिद लोग, संयमी लोग।
जुह्हाल (अ.पु.)- 'जाहिलÓ का बहु., जाहिल लोग, अनपढ़ लोग।

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