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झंकाड़ (हि.सं..पु.)- ठँूठ, बे-पत्तों का पेड़, 'झाड़-झँकाड़Ó।झंकार (हि.सं..स्त्री.)- झाँझ, पायल आदि के बजने से होनेवाली ध्वनि; वीणा, सितार आदि की ध्वनि; झनझनाहट।
झंकारना (हि.क्रि.)- झन-झन आवाज़ करना; झन-झन आवाज़ होना।
झंकृत (हि.वि.)- जिसमें झंकार हुई हो।
झंखाड़ (हि.पु.)- काँटेदार झाड़ी या पौधा, ऐसी झाडिय़ों या पौधों का समूह; रद्दी चीज़ों का ढेर।
झंझोडऩा (झिंझोडऩा)(हि.क्रि.)- हिलाना, हाथ-पाँव पकड़कर हिलाना; तंग करना; खसोटना, नोचना; जगाना, होशियार करना, सतर्क करना।
झंझट (हि.सं..पु.)- झगड़ा, टंटा, बखेड़ा, वितंडा, तक्रार।
झंझरी (हि.सं..स्त्री.)- अंगीठी के ऊपर की लोहे की जाली; वह दीवार जिसमें छेद हों।
झंझिया (हि.सं..स्त्री.)- लड़कियों का एक खेल, एक छेददार हाँड़ी में दीपक जलाकर लड़कियाँ घर-घर जाकर गीत गाती हैं और पैसे माँगती हैं।
झंझी (हि.सं..स्त्री.)- फूटी कौड़ा, टूटी हुई कौड़ी।
झंझोटी (हि.सं..स्त्री.)- एक प्रसिद्घ रागिनी का नाम।
झंडा (झण्डा)(हि.सं..पु.)- निशान, ध्वजा, पताका। मुहा.- 'झंडे पर चढ़ानाÓ- अपमानित करना। 'झंडे पर चढऩाÓ- अपमानित होना।
झक (हि.वि.)- सा$फ, उजला। (सं..स्त्री.)- बकबक, क्रोध, आवेश। मुहा.- 'झक मारनाÓ- बकबक करना, व्यर्थ बात करना, मूर्खता करना।
झक्की (हि.वि.)- बहुत बकबक करनेवाला।
झकाझक (हि.वि.)- चमकदार, ख़्ाूब उजला।
झकाना (हि.क्रि.)- तंग करना, परेशान करना; धोखा देना; लुकाछिपी करना।
झकोर (हि.सं..पु.)- हानि, टोटा; कष्ट, दु:ख।
झकोला (हि.सं..पु.)- लहर, तरंग; डुबकी। 'झकोलनाÓ- पानी डालना, धोना। 'झकोले देनाÓ- हिलाना, डुलाना; इधर-उधर फिराना।
झज्जर (हि.सं..पु.)- बड़ी सुराही।
झट (हि.क्रि.वि.)- तुरन्त, तत्क्षण, उसी समय, $फौरन, $फुर्ती से। 'झटपटÓ- बहुत शीघ्र। 'झट सेÓ- शीघ्रता से।
झटक, झटका (हि.सं..पु.)- टक्कर, धक्का; विपत्ति, आपत्ति, कष्ट, दु:ख; पशु को वध करने की हिन्दू तथा सिख रीति। मुहा.- 'झटक जानाÓ- दुबला हो जाना। 'झटक लेनाÓ- छीन लेना, झाडऩा।
झटकना (हि.क्रि.)-
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