जौ, ज़ौ
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जौ ($फा.पु.)- एक प्रसिद्घ अन्न, यव।ज़ौ (अ.स्त्री.)- शोभा, छटा; प्रकाश, आभा; रौशनी, चमक-दमक।
जौअ़ान (अ.वि.)- बहुत भूखा, क्षुधातुर, अशनापित।
जौ$क (तु.सं.पु.)- $फौज, सेना; भीड़, समूह।
ज़ौ$क (अ.पु.)- रुचि, शौ$क; रसिकता, मज़ा$क, परिहास; स्वाद, मज़ा; रसानुभव, लुत्$फ लेना; आनन्द, हर्ष। कहा.- 'ज़ौ$क सेÓ- शौ$क से, मज़े से। मुहा.- 'ज़ौ$क में शौ$क, दस्तूरी में बच्चाÓ- मुफ़्त की आमदनी।
ज़ौ$कअफ़्ज़ा ($फा.वि.)- ज़ौ$क या शौ$क बढ़ानेवाला।
ज़ौ$कआफ्ऱीं (अ.$फा.वि.)- ज़ौ$क या शौ$क पैदा करनेवाला।
ज़ौ$क ए शेÓर (ज़ौ$के शेÓर)(अ.पु.)- कविता करनक या समझने का शौक, काव्य-रसिकता, सहृदयता।
ज़ौ$क ए सलीम (ज़ौ$केसलीम)(अ.पु.)- काव्य-मर्मज्ञता की शुद्घता, शुद्घ रसिकता।
ज़ौ$क ए सुख़्ान (ज़ौ$केसुख़्ान)(अ.$फा.पु.)- दे.- 'ज़ौ$क ए शेÓरÓ।
ज़ौ$क ओ शौ$क (ज़ौ$कोशौ$क)(अ.पु.)- पूरी रुचि और रसिकता।
ज़ौ$कचश ($फा.वि.)- आनन्द लेनेवाला।
जौकोब ($फा.वि.)- मोटा कुटा हुआ जिसमें दरदरापन हो, दरदरा कुटा हुआ।
ज़ौज: (अ.स्त्री.)- अर्धांगिनी, पत्नी, भार्या, जोरू, गृहिणी।
ज़ैज़ (अ.पु.)- विलाप; शोर, कोलाहल।
ज़ौज (अ.पु.)- युगल, युग्म, जोड़ा; वह संख्या जो दो से बँट जाए, सम संख्या; पति, स्वामी, ख़्ााविन्द।
जौज़ (अ.पु.)- अखरोट, अक्षोट।
ज़ौजए मुत्ल$क (अ.स्त्री.)- तलाक दी हुई पत्नी।
ज़ौजए मनकूह: (अ.स्त्री.)- विवाहित स्त्री, ब्याहता स्त्री, शादीशुदा औरत।
ज़ौजएसानी (अ.स्त्री.)- दूसरी ब्याहता पत्नी, दूसरी स्त्री, नयी स्त्री।
जौज़$क (अ.पु.)- डोड, कपास का गूलड़।
जौज़न ($फा.पु.)- जादूगर, अभिचारक।
जौज़बोया (अ.$फा.पु.)- जायफल, जातीफल।
जौज़ामासिल (अ.पु.)- धतूरा, धत्तूर।
जौज़र (अ.पु.)- नील गाय का बछड़ा।
जौज़ा (अ.पु.)- मिथुन राशि, तीसरा बुर्ज।
जौज़ीद: (अ.वि.)- दु:खी, दुखित, रंजीद:।
जौज़ीदन (अ.क्रि.)- क्रोधित होना, $गुस्सा करना; दु:खी होना।
ज़ौजीयत (अ.स्त्री.)- पतित्व, शौहरपन; स्त्रीत्व, जोरूपन।
जौज़ए हिंदी (जौजे हिन्दी) (अ.पु.)- गोलागिरी, खोपरा, नारियल की गिरी।
ज़ौजैन (अ.पु.)- पति और पत्नी दोनों, दम्पत्ति, जायापति, मियाँ-बीवी।
जौद (अ.पु.)- बढिय़ा, अच्छा, उम्दा; अच्छी चीज़ें, बढिय़ा वस्तुएँ; ज़ोर की वर्षा, मूसलसधार बारिश; दानशीलता।
जौदत (अ.स्त्री.)- नेकी; पवित्रता, पुनीतता; अच्छाई, उम्दगी; मनोविनोद।
जौदत ए तब्अ़ (जौदतेतब्अ़)(अ.स्त्री.)- स्वभाव का मनोविनोदी, विनोदी स्वभाव।
जौना (अ.वि.)- भूखा, क्षुधित।
ज़ौपाश (अ.$फा.वि.)- रौशनी फैलानेवाला अर्थात् ज्योतिर्मय, द्युतिमान्।
ज़ौपाशी (अ.$फा.स्त्री.)- जगमग करना, रौशनी फैलाना, जगमगा देना।
जौ$फ (अ.पु.)- अन्दर का खाली भाग; पेट, उदर।
जौ $फरोश ($फा.वि.)- जौ बेचनेवाला, यव-बिक्रेता।
ज़ौ$िफगन (अ.$फा.वि.)- दे.- 'ज़ौपाशÓ।
ज़ौ$िफशाँ (अ.$फा.वि.)- दे.- 'ज़ौपाशÓ।
जौब (अ.स्त्री.)- बिना आस्तीन की जनानी $कमीज़।
ज़ौब (अ.पु.)- मधु, शहद।
ज़ौबअ़: (अ.पु.)- वातचक्र, बवण्डर, बगूला, वातावर्त।
जौबजौ ($फा.वि.)- सारा, सब, समग्र, सम्पूर्ण, पूरा।
ज़ौबर ($फा.वि.)- सब, सारा, समग्र, सम्पूर्ण, पूरा।
ज़ौबान (अ.पु.)- तरल होना, पिघलना, द्रवित।
ज़ौबार (अ.$फा.वि.)- दे.- 'ज़ौपाशÓ।
ज़ौमल (अ.पु.)- लौंडी बच्चा।
ज़ौर: (अ.पु.)- रीढ़ की हड्डी।
ज़ौर (अ.पु.)- अनादृत व्यक्ति, अप्रतिष्ठित आदमी; कड़ी भूख।
जौर (अ.पु.)- ज़ुल्म, सितम, अत्याचार, अनीति।
जौर ए बेजा (जौरेबेजा)(अ.$फा.पु.)- अकारण और अनुचित अत्याचार।
जौर ए बेहद (जौरेबेहद)(अ.$फा.पु.)- बहुत अधिक अत्याचार।
ज़ौर$क (अ.पु.)- छोटी नाव, नैया, नौका, किश्ती।
जौरब (अ.पु.)- जुर्राब, मोज़ा।
जौल$की (अ.स्त्री.)- साधुओं की कमली, संन्यासियों के पहनने का वस्त्र।
जौलाँ (अ.पु.)- घोड़े को कावा देना, घोड़े को फिराना; दौड़ाना, फिराना; दौडऩा, फिरना।
जौलाँगाह (अ.$फा.स्त्री.)- घोड़े को दौड़ाने का मैदान; दौडऩे का मैदान।
जौलानी (अ.स्त्री.)- अश्व, घोड़ा; मनोविनोद; तेज़ी, $फुर्ती; शराब का पियाला।
जौश (अ.पु.)- सीना, वक्षस्थल; आधी रात।
जौशन (अ.पु.)- कवच, जि़रिह, बख़्तर।
जौसंग ($फा.वि.)- एक जौ के बराबर वज़न।
जौस$क (अ.पु.)- महल, भवन, प्रासाद।
जौह्र (अ.पु.)- कला, $फन; गुण, सि$फत; दक्षता, होशियारी; विशेषता, ख़्ाासियत, धर्म; सार, सत, सत्व; रत्न, मणि; वे बारी$क धारियाँ जो अच्छी तलवार पर होती हैं।
जौह्रदार (अ.$फा.वि.)- गुणी, हुनरमन्द; वह ख़्ारी तलवार जिस पर जौह्र हो।
जौह्र नाशनास (अ.$फा.वि.)- जो गुण को पहचान न सके।
जौह्र शनास (अ.$फा.वि.)- गुण-ग्राहक, जो गुण को पहचानता हो।
जौह्री (अ.$वि.)- मणिकार, रत्न बेचनेवाला।
जौह्रेअंदेश (अ.$फा.पु.)- कल्पना-शक्ति की सूक्ष्मता।
जौह्रेआईन: (अ.$फा.पु.)- दर्पण पर पड़ी हुई धारियाँ (जब दर्पण लोहे का होता था)।
जौह्रे$फर्द (अ.पु.)- वह सूक्ष्म कण जिसके खण्ड न हो सके।
जौह्रेलती$फ (अ.पु.)- किसी पदार्थ का असली सार या सत्व, ख़्ाालिस जौह्र।
जौह्रे शम्शीर (अ.$फा.पु.)- तलवार पर पड़ी हुई बारी$क धारियाँ, जो अच्छे लोहे अ़लामत (पहचान, चिह्नï) हैं।
ज़्यादती (अ.स्त्री.)- अधिकता, बहुतायत; ज़ुल्म, सितम, अत्याचार। दे.- 'जि़यादतीÓ, शुद्घ उच्चारण वही है।
ज़्यादा (अ.वि.)- अधिक, बहुन। दे.- 'जि़याद:Ó, शुद्घ उच्चारण वही है।
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