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तंगा (तु.$फा.सं.पु.)- प्रचलित मुद्रा, वह मुद्रा जिसका बाज़ार में चलन हो, चालू सिक्का, वह मुद्रा जो लेन-देन में व्यवहृत हो।तंग ($फा.सं.पु.)- घोड़े की ज़ीन कसने का तस्मा। (वि.)- संकीर्ण, संकुचित, अनुदार, कोताह; अपर्याप्त, नाका$फी; दुष्कर, मुश्किल; अल्प, न्यून, थोड़ा, कम; दरिद्र, कंगाल; दीन-दु:खी, बेबस; अ़ाजिज़, परेशान; मुसीबत का मारा हुआ, क्लेशग्रस्त। मुहा.- 'तंग आनाÓ- परेशान होना, थक जाना। 'तंग रहनाÓ- परेशान रहना, चिन्तित रहना।
तंगऐश (अ.$फा.वि.)- दु:खित, खस्ता हाल; दरिद्र, कंगाल; जिसे जीवन जीना दूभर हो।
तंगऐशी (अ.$फा.स्त्री.)- जीवन दूभर होना; दरिद्रता, कंगाली; दीनता, ख़्ास्तगी।
तंगख़्ायाल (अ.$फा.वि.)- संकीर्णचित्त, लघुचेता, तंगनज़र, अनुदार; धर्मांध,
मुतअस्सिब।
तंगख़्ायाली (अ.$फा.स्त्री.)- अनुदारता, तंगनज़री, छोटी सोच; धर्मान्धता, तअस्सुब।
तंगचश्म (अ.$फा.वि.)- नीच, कमीना, कम-हिम्मत; कृपण, कंजूस।
तंगचश्मी (अ.$फा.स्त्री.)- कमीनापन, स्वभाव की नीचता;
कंजूसी, कृपणता।
तंगज़$र्फ (अ.$फा.वि.)- संकीर्ण पात्र, छोटे बर्तनवाला; छोटे हृदयवाला, अनुदार; कमीना, नीच।
तंगज़$र्फी (अ.$फा.स्त्री.)- बर्तन की छोटाई; हृदय, मन अथवा विचारों की छोटाई; नीचता, कमीनापन।
तंगज़ीस्त ($फा.वि.)- दे.- 'तंगऐशÓ।
तंगतलबी (अ.$फा.सं.स्त्री.)- सख़्त त$काज़ा, इस प्रकार माँगना कि देनेवाला परेशान हो जाए, जि़द करके माँगना।
तंगताब ($फा.वि.)- कमज़ोर, बलहीन, अशक्त।
तंगताबी ($फा.स्त्री.)- कमज़ोरी, बलहीनता, अशक्ति।
तंगदस्त ($फा.सं.वि.)- $गरीब, मु$फलिस, धनहीन, निर्धन, कंगाल, जिसका हाथ खाली हो, जिसके पास धन न हो।
तंगदस्ती ($फा.सं.स्त्री.)- $गरीबी, दरिद्रता, हाथ ख़्ााली होना अर्थात् निर्धनता, कंगाली।
तंगदहन ($फा.वि.)- छोटे मुँहवाला, जिसका मुँह छोटा हो, कलिकामुख, गुंच:दहन। (ला.)- पेयसी, प्रेमिका, माÓशू$क।
तंगदहनी ($फा.स्त्री.)- मुँह का कली की भाँति छोटा होना।
तंगदिल ($फा.वि.)- ओछा, संकीर्ण हृदय का, कमीना, तुच्छ; थुड़दिला, कृपण, कंजूस; अनुदार, जो खुले दिमा$ग अथवा विचारों का न हा, संकीर्ण विचारोंवाला; जिसमें धार्मिक संकीर्णता भरी हो; कूप-मण्डूक।
तंगदिली ($फा.स्त्री.)- कमीनापन, तुच्छता, ओछापन; धर्मान्धता; अनौदार्य; थुड़दिलापन।
तंगदोज़ी ($फा.स्त्री.)- बारीक सिलाई।
तंगनज़र (अ.$फा.वि.)- संकुचित दृष्टि, सीमित सोच, अनुदार; धर्मान्ध, मुतअस्सिब।
तंगनज़री (अ.$फा.स्त्री.)- दृष्टि-संकोच, अनुदारता; धर्मान्धता, तअस्सुब।
तंगनाए ($फा.पु.)- तंग और संकुचित स्थान; $कब्र, समाधि; सिकुड़ी गली, बीथी।
तंगपोश ($फा.वि.)- चुस्त कपड़े पहनने का शौ$कीन, चुस्त कपड़े पहननेवाला।
तंगपोशी ($फा.स्त्री.)- चुस्त कपड़े पहनने का शौ$क।
तंग$फुर्सत (अ.$फा.वि.)- जिसके पास समय का अभाव हो, अवकाशहीन।
तंग$फुर्सती (अ.$फा.स्त्री.)- समय की कमी, वक़्त का अभाव, अवकाशहीनता।
तंगबख़्त ($फा.वि.)- हतभाग्य, मन्दभाग्य, बद$िकस्मत, बुरे भाग्यवाला।
तंगबख़्ती ($फा.स्त्री.)- भाग्य की मन्दता, बद$िकस्मती, भाग्य की ख़्ाराबी।
तंगबार ($फा.वि.)- वह स्थान जहाँ हर किसी की पहुँच न हो; वह व्यक्ति जिसके पास हर कोई न जा सके।
तंगबारी ($फा.स्त्री.)- किसी की पहुँच और रसाई न होना।
तंग मअ़ाश (अ.$फा.वि.)- $गरीब, निर्धन, कंगाल; जीविका की कमी, कम आमदनीवाला।
तंग मअ़ाशी (अ.$फा.स्त्री.)- $गरीबी, कंगाली, निर्धनता; जीविका की कमी।
तंगमाय: ($फा.वि.)- $दरिद्र, गरीब, निर्धन, कंगाल; नीच, कमीना, अधम; अज्ञानी, विद्याहीन, कमइल्म।
तंगमायगी ($फा.स्त्री.)- $दरिद्रता, गरीबी, निर्धनता; नीचता, अधमता; ज्ञान की कमी, विद्वत्ता की कमी।
तंगरोज़ी ($फा.स्त्री.)- निर्धनता, $गरीबी, कंगाली, दरिद्रता।
तंगवजऱ्ी ($फा.वि.)- मितव्यय, कि$फायत, कम ख़्ार्च करना, पसअंदाज़ी।
तंगसार ($फा.वि.)- विवेक की कमी, बुद्घि की कमी।
तंगसाल ($फा.वि.)- अकाल, दुर्भिक्ष, $कहत, ऐसा समय जिसमें अन्न बहुत कठिनता से मिले।
तंगहाल (अ.$फा.वि.)- दरिद्र, निर्धन, कंगाल, $गरीब; तबाह हाल, दुर्दशाग्रस्त, बुरी अवस्था में।
तंगहाली (अ.$फा.स्त्री.)- दरिद्रता, निर्धनता, $गरीबी; बुरी अवस्था, दुर्दशा।
तंगहौसल: (अ.$फा.वि.)- कम उत्साह, मंदोत्साह, पस्त-हिम्मत।
तंगहौसलगी (अ.$फा.स्त्री.)- उत्साह की कमी, उत्साहमांद्य, पस्तहौसलगी।
तंगार ($फा.पु.)- सुहागा, एक दवा।
तंगिए जा ($फा.स्त्री.)- स्थान की संकीर्णता, जगह की तंगी, स्थानाभाव।
तंगिए मअ़ाश (अ.$फा.स्त्री.)- जीविका की कमी; धन की कमी।
तंगिए रिज़्$क (अ.$फा.स्त्री.)- रोटी की कमी, अन्न-कष्ट।
तंगिए रोज़गार ($फा.स्त्री.)- दिनों का फेर, कालचक्र, गर्दिश।
तंगी ($फा.स्त्री.)- निर्धनता, दद्रिता, $गरीबी; संकीर्णता, कोताही; कष्ट, क्लेश, मुसीबत; न्यूनता, कमी; कठिनता, मुश्किल; कृपणता, कंजूसी।
तंगुज़ (तु.पु.)- सुअर, शूकर, बराह।
तंज़ (अ.स्त्री.)- कटाक्ष, ताना, व्यंग।
तंज़आमेज़ (अ.$फा.वि.)- कटाक्षपूर्ण, व्यंगपूर्ण, तंजि़य:। दे.- 'तंज़ामेज़Ó, वह अधिक शुद्घ है।
तंज़न (अ.वि.)- कटाक्ष के रूप में, व्यंग के रूप में, तंज़ के तौर पर।
तंज़निगार (अ.$फा.वि.)- व्यंगपूर्ण लेख लिखनेवाला।
तंज़निगारी (अ.$फा.स्त्री.)- व्यंगपूर्ण लेख लिखना।
तंज़ामेज़ (अ.$फा.वि.)- कटाक्षपूर्ण, व्यंगपूर्ण, तंज़ से भरा हुआ।
तंजि़य: (अ.वि.)- कटाक्षपूर्ण, व्यंगपूर्ण, तंज़वाला।
तंज़ीद (अ.क्रि.)- व्यक्त करना, प्रकट करना, ज़ाहिर करना।
तंजीदन (अ.क्रि.)- लपेटना; निचोडऩा।
तंज़ी$फ (अ.क्रि.)- पवित्र करना, शुद्घ करना, स्वच्छ करना।
तंज़ी$िफय: (अ.स्त्री.)- नगर-पालिका, नगर-निगम, नगर-प्रशासन, पालिका-प्रशासन।
तंज़ीम (अ.स्त्री.)- किसी दल, समुदाय अथवा संस्था को किसी विशेष कार्य के लिए निर्मित करना, संघटन; प्रबन्ध, बंदोबस्त; निर्माण, बनाना। नोट- इसकी 'ज़ीÓ उर्दू के 'ज़ोयÓ अक्षर से बनी है।
तंजीम (अ.स्त्री.)- ग्रहों आदि की दशा ज्ञात करना, ज्योतिष, नजूम। नोट- इसकी 'जीÓ उर्दू के 'जीÓ अक्षर से बनी है।
तंज़ीय: (अ.वि.)- कटाक्षपूर्ण, व्यंगपूर्ण, तंज़वाला।
तंज़ीयात (अ.स्त्री.)- व्यंगपूर्ण रचनाओं का संग्रह; व्यंगपूर्ण बातें।
तंज़ीर (अ.स्त्री.)- भयभीत करना, भीत करना, डराना, त्रासना। नोट- इसकी 'ज़ीÓ उर्दू के 'ज़ेÓ अक्षर से बनी है।
तंज़ीर (अ.स्त्री.)- उदाहरण लाना, मिसाल लाना। नोट- इसकी 'ज़ीÓ उर्दू के 'ज़्वादÓ अक्षर से बनी है।
तंज़ील (अ.स्त्री.)- नीचे उतारना; आकाशवाणी; इल्हाम; $कुरान।
तंजीस (अ.स्त्री.)- गन्दा करना, अपवित्र करना।
तंज़ीह (अ.स्त्री.)- दोष-रहित करना, शुद्घ करना, पवित्र करना।
तंतन: (अ.पु.)- कोप, रोष, $गुस्सा; आतंक, रोब; अभिमान, गर्व, घमण्ड, $गुरूर; धाक; आनबान।
तंदू (तन्दू)(अ.स्त्री.)- मकड़ी, लूता।
तंदूर (उ.पु.)- दे.-शुद्घ शब्द- 'तन्नूरÓ।
तंबाकू ($फा.पु.)- एक प्रसिद्घ पत्ती जिसका ध़आँ पिया जाता है, तमाखू, तमाकू।
तंबाकूनोश ($फा.वि.)- तमाकू पीनेवाला।
तंबाकू$फरोश ($फा.वि.)- तमाकू बेचनेवाला।
तंबी$क (अ.स्त्री.)- लेखन, लिखना।
तंबीह (अ.स्त्री.)- डाँट-डपट, भत्र्सना, तर्जन; चेतावनी, आगाही, प्रबोध; हलकी सज़ा; ता$कीद; सख़्ती।
तंबीहन (अ.वि.)- चेतावनी, डाँट या सज़ा के तौर पर।
तंबुल ($फा.वि.)- बहुत मोटा, फफ्फस; आलसी, काहिल।
तंबुली ($फा.स्त्री.)- आलस, काहिल; बहुत अधिक मोटापा, फफ्फसपन।
तंबूर: ($फा.पु.)- एक तारवाला बाजा, जिसमें नीचे की ओर तुम्बी होती है।
तंबूर ($फा.पु.)- दे.- 'तंबूर:Ó।
तंबूरची ($फा.तु.वि.)- तंबूरा बजानेवाला।
तंसी$क (अ.स्त्री.)- प्रबन्धकरना, इन्तिज़ाम करना; क्रमबद्घ करना, तर्तीब देना।
तंसीख़्ा (अ.स्त्री.)- रद्द करना, मंसूख़्ा करना, निरसन।
तंसी$फ (अ.स्त्री.)- दो बराबर भाग करना, आधा-आधा करना।
तंसीम (अ.स्त्री.)- साँस लेना, दम खींचना।
तअ़क़्$कुद (अ.पु.)- बैधा होना; अलग रखना।
तअ़क़्$कुब (अ.पु.)- पीछे जाना; पीछा करना।
तअ़क़्$कुल (अ.पु.)- सोचना, समझना, विचार करना, $गौर करना।
तअक्$कल (अ.पु.)- खाना, खान-पान।
तअख़्ख़्ाुर (अ.पु.)- पीछे होना; देर होना।
तअज़्ज़ी (अ.स्त्री.)- दु:ख पाना, कष्ट पाना, क्लेश पाना; खिन्न होना, मलिन होना।
तअ़ज़्ज़ुज़ (अ.पु.)- प्रिय होना।
तअ़ज़्ज़ुब (अ.पु.)- वाक्-पटुता, भाषण-चातुरी।
तअ़ज्जुब (अ.पु.)- आश्चर्य, विस्मय, हैरत।
तअ़ज्जुबअंगेज़ (अ.$फा.वि.)- आश्चर्यजनक, हैरतअंगेज़, विस्मयकारी, अचम्भे में डालनेवाली बात।
तअ़ज्जुबख़्ोज़ (अ.$फा.वि.)- दे.- 'तअ़ज्जुबअंगेज़Ó।
तअ़ज्जुबनाक (अ.$फा.वि.)- दे.- 'तअ़ज्जुबअंगेज़Ó।
तअ़ज़्ज़ुम (अ.पु.)- पूज्य होना, बुज़ुर्ग होना।
तअ़ज़्ज़ुर (अ.पु.)- विघ्न, बाधा, काम में अड़चन पडऩा; विवशता प्रकट करना, उज्ऱ करना।
तअ़ज्जुल ($फा.पु.)- शीघ्रता करना, जल्दी करना।
तअत्तु$क (अ.पु.)- इच्छुक।
तअ़त्तु$फ (अ.पु.)- दया, कृपा, अनुकम्पा, मेहरबानी।
तअ़त्तुर (अ.पु.)- ख़्ाुशबू से परिपूर्ण होना, सुगन्धित होना, महकना।
तअ़त्तुल (अ.पु.)- खालीपन, निठल्लापन, बेकारी; गत्यवरोध, बातचीत के बीच में बाधा, डेडलाक।
तअ़त्तुश (अ.पु.)- प्यासा होना; प्यास, पिपासा।
तअ़द्दा (अ.पु.)- दे.- 'तअ़द्दीÓ।
तअ़द्दी (अ.स्त्री.)- ज़ुल्म, अत्याचार, अनीति।
तअ़द्दुद (अ.पु.)- गणना करना, गिनना, गिनती करना; नियम या हिसाब से अधिक होना।
तअ़द्ददे अज़्वाज (अ.$फा.क्रि.)- एक ही समय में एक से अधिक विवाह करना।
तअ़द्ददे इजि़्दवाज (अ.$फा.क्रि.)- दे.- 'तअ़द्ददे अज़्वाज Ó।
तअ़द्ददे शुई (अ.$फा.क्रि.)- अनेक पुरुषों से यौन-सम्बन्ध स्थापित करना।
तअ़द्ददे शौहरी (अ.$फा.क्रि.)- अनेक पुरुषों से यौन-सम्बन्ध स्थापित करना।
तअन्तुम (अ.पु.)- देर, विलम्ब।
तअन्नी (अ.स्त्री.)- विलम्ब, ढील, टाल-मटोल। नोट- इसका 'अÓ उर्दू के 'अलि$फÓ से बना है।
तअ़न्नी (अ.स्त्री.)- दु:खित होना, शोक करना। नोट- इसका 'अ़Ó उर्दू के 'ऐनÓ से बना है।
तअ़न्नुत (अ.पु.)- आलोचना, निन्दा, गर्हा, ऐबजोई।
तअ़न्नुद (अ.पु.)- वैर ठानना, दुश्मनी करना, शत्रुता करना, लड़ाई ठानना; वैर, कलह, लड़ाई, दुश्मनी।
तअ़न्नु$फ (अ.पु.)- आलोचना करना, निन्दा करना; सख्ती करना।
तअन्नुस (अ.पु.)- अ़ादत होना, टेव पडऩा; प्यार होना, प्रेम होना, मुहब्बत होना।
तअफ़़्$फुन (अ.पु.)- दुर्गन्ध, सड़ाँध, गन्दगी।
तअफ़़्$फु$फ (अ.पु.)- संयम, इन्द्रिय-निग्रह, पारसाई।
तअ़ब (अ.पु.)- श्रम, परिश्रम, मेहनत; थकावट, क्लान्ति; कष्ट, दु:ख, तकली$फ।
तअ़ब्बुद (अ.पु.)- पूजा करना, उपासना करना; पूजा, उपासना।
तअ़म्मु$क (अ.पु.)- गहन चिन्तन, किसी बात की तह तक पहुँचने के लिए चिन्तन करना।
तअ़म्मुद (अ.पु.)- निश्चय करना।
तअम्मुल (अ.पु.)- संकोच, असमंजस, पसोपेश; संदेह, भ्रम, शुब्हा; विलम्ब, ढील, वक़्$फ:; विचार, सोच, $गौर। नोट- इसका 'अÓ उर्दू के 'अलि$फÓ अक्षर से बना है।
तअ़म्मुल (अ.पु.)- अ़मल में आना, कार्यान्वित होना, अ़मलीजामा पहनना। नोट- इसका 'अ़Ó उर्दू के 'ऐनÓ अक्षर से बना है।
तअय़्युन (अ.पु.)- एक मात्रा निश्चित करना, एक मिक़्दार मु$कर्रर करना; नियुक्ति, तैनाती; अस्तित्व, हस्ती; ठहराना, निश्चय करना।
तअय़्युनात (अ.पु.)- (अ.पु.)-ु., हस्तियाँ।
तअय्युम (अ.पु.)- विधवा।
तअय़्युश (अ.पु.)- गुलछर्रे उड़ाना, मज़े करना; भोग-विलास, एशो-इश्रत।
तअय़्युशात (अ.पु.)- 'तअय़्युश Ó का बहु., गुलछरेँ, भोग-विलास, इन्द्रिय-सुख।
तअऱीं (अ.स्त्री.)- नग्न होना, नंगा होना।
तअ़र्रुज़ (अ.पु.)- प्रत्यक्ष होना, सामने होना; घटित होना; अवरोध, रोक, विरोध।
तअ़र्रु$फ (अ.पु.)- परिचय, जान-पहचान; पूछना; ढूँढऩा।
तअ़ल्ली (अ.पु.)- डींग, शेख़्ाी; अत्युक्ति, मुबाल$गा।
तअ़ल्लुक: (अ.पु.)- क्षेत्र, इला$का; बड़ी ज़मींदारी, रियासत; सरकार या राज्य की ओर से पुरस्कार में मिली हुई रियासत; भू-सम्पत्ति, जाइदाद। नोट- हिन्दी में 'ताल्लुक़ाÓ प्रचलित है।
तअ़ल्लु$कदार (अ.$फा.वि.)- जो बहुत बड़ी ज़मींदारी का स्वामी हो; जिसे पुरस्कार में भू-सम्पत्ति मिली हो। नोट- हिन्दी में 'ताल्लुक़ेदारÓ प्रचलित है।
तअ़ल्लु$कदारी (अ.$फा.स्त्री.)- भू-सम्पत्ति का स्वामी होना, बहुत बड़ा ज़मींदार होना। नोट- हिन्दी में 'ताल्लुक़ेदारीÓ प्रचलित है।
तअ़ल्लुक (अ.पु.)- वास्ता, सम्बन्ध, सम्पर्क, लगाव; प्रेम-व्यवहार, उन्स; स्वजनता, रिश्तेदारी; पक्षपात, तर$फदारी; नाजाइज़ सम्पर्क; आश्नाई। नोट- हिन्दी में 'ताल्लु$कÓ प्रचलित है।
तअ़ल्लु$कात (अ.पु.)- 'तअ़ल्लु$कÓ का बहु., सम्बन्ध-समूह। नोट- हिन्दी में 'ताल्लु$कातÓ प्रचलित है।
तअ़ल्लु$काते दुनियावी (अ.पु.)- सांसारिक सम्बन्ध; घरेलू चिन्ताएँ।
तअ़ल्लु$के ख़्ाातिर (अ.पु.)- दिली लगाव, चित्तासंग; प्रेम, प्यार, स्नेह।
तअ़ल्लु$के नाजाइज़ (अ.पु.)- अवैध सम्बन्ध।
तअल्लुम (अ.पु.)- कष्ट होना, दु:ख होना; पीडि़त होना, दर्द या टीस से दु:खित होना। नोट- इसका 'अÓ उर्दू के 'अलि$फÓ अक्षर से बना है।
तअ़ल्लुम (अ.पु.)- शिक्षा प्राप्त करना, पढऩा, पठन। नोट- इसका 'अ़Ó उर्दू के 'ऐनÓ अक्षर से बना है।
तअ़ल्लुल (अ.पु.)- बहाने बनाना।
तअ़व्वु$क (अ.पु.)- रोकना।
तअ़व्वुज़ (अ.पु.)- शरण में आना, पनाह लेना; 'अऊज़ु बिल्लाहÓ कहना।
तअ़व्वुद (अ.पु.)- अभ्यस्त होना, आदी होना।
तअ़व्वुर (अ.पु.)- माँगना, याचना करना।
तअ़श्शी (अ.स्त्री.)- सन्ध्याकालीन भोजन करना, शाम का खाना खाना।
तअ़श्शु$क (अ.पु.)- आसक्त होना, मुग्ध होना; प्रेम, प्यार, मुहब्बत, स्नेह।
तअ़श्शु$फ (अ.पु.)- $गलत रास्ते पर चलना, कुमार्गी होना, बेराह चलना।
तअस्सु$फ (अ.पु.)- सन्ताप, पश्चात्ताप, अफ़्सोस। नोट- इसका 'अÓ उर्दू के 'अलि$फÓ अक्षर से बना है।
तअ़स्सु$फ (अ.पु.)- पथ-भ्रष्ट होना; कुमार्ग पर चलना। नोट- इसका 'अ़Ó उर्दू के 'ऐनÓ अक्षर से बना है।
तअ़स्सुब (अ.पु.)- रक्त और वांशिक पक्षपाता, नस्ली और ख़्ाानदानी पक्षपात; धार्मिक पक्षपात; अनुचित पक्षपात, बेजा तर$फदारी।
तअस्सुम (अ.पु.)- स्वयं को पापी मानना।
तअस्सुर (अ.पु.)- असर लेना, प्रभावित होना; प्रभाव, असर। नोट- इसका 'अÓ उर्दू के 'अलि$फÓ अक्षर से बना है।
तअ़स्सुर (अ.पु.)- मुश्किल होना, कठिन होना; कठिन, मुश्किल। नोट- इसका 'अ़Ó उर्दू के 'ऐनÓ अक्षर से बना है।
तअ़ह्हुद (अ.पु.)- किसी काम का बीड़ा उठाना, प्रतिज्ञा करना; प्रतिज्ञा, संविदा, इ$करार; प्रतिभूति, ज़मानत।
तअह्हुल (अ.पु.)- विवाह करना, घर बसाना; बाल-बच्चेदार होना।
तअ़ा$कुद (अ.पु.)- मिलकर किसी काम का वचन देना, परस्पर प्रतिज्ञा करना।
तअ़ा$कुब (अ.पु.)- एक का दूसरे के पीछं भागना; भागनेवाले को पकडऩे के लिए उसके पीछे जाना।
तअ़ातु$फ (अ.पु.)- एक-दूसरे पर मेहरबानी करना, परस्पर कृपा करना; कृपा, दया, अनुकम्पा।
तअ़ादी (अ.पु.)- परस्पर दुश्मनी रखना।
तअ़ादुल (अ.पु.)- परस्पर समान होना, आपस में बराबर होना।
तअ़ानु$क (अ.पु.)- आलिंगन करना, गले मिलना, एक-दूसरे से गर्दन मिलाना; गले मिलना, आलिंगन, ब$गलगीरी।
तअ़ानुद (अ.पु.)- आपस में वैर रखना, परस्पर शत्रुता रखना; वैर, शत्रुता।
तअ़ाम (अ.पु.)- भोजन, खाना।
तअ़ामुल (अ.पु.)- परस्पर मिलकर काम करना, मिल-जुलकर काम करना।
तअ़ामे उरूसी (अ.पु.)- प्रतिभोज, विवाह का खाना।
तअ़ार (अ.पु.)- चौंकना।
तअ़ारुज़ (अ.पु.)- मुँह लगना या आना, बराबरी करना; आमने-सामने होना; अवरांध पैदा करना, विघ्न डालना; हस्तक्षेप करना; वाद-विवाद, हुज्जत; कलह, क्लेश, झगड़ा।
तअ़ारु$फ (अ.पु.)- परिचय, जान-पहचान; एक-दूसरे को पहचानना, एक-दूसरे से अवगत होना।
तअ़ाल (अ.अव्य)- आाशीर्वचन के शब्द, श्रेष्ठ हो, उन्नति करो।
तअ़ाला (अ.वि.)- महान्, श्रेष्ठ।
तअ़ावुन (अ.पु.)- परस्पर मदद करना, एक-दूसरे की सहायता करना; सहयोग, मदद, सहायता।
तअ़ाहुद (अ.पु.)- आपस में वचन देना, परस्पर प्रतिज्ञा करना; वचन, प्रतिज्ञा, इ$करार।
तऐयुन (अ.पु.)- दे.- 'तअय़्युनÓ।
तऐयुनात (अ.पु.)- दे.- 'तअय़्युनातÓ।
तऐयुने वक़्त (अ.पु.)- समय निर्धारित होना, समय निश्चित होना, वक़्त मु$कर्रर होना।
तऐयुश (अ.पु.)- दे.- 'तअय़्युशÓ।
तऐयुशात (अ.पु.)- भोग-विलास के सामान; भोग-विलास।
त$कज़्ज़ी (अ.पु.)- अवधि समाप्त होना।
त$कत्तो (अ.पु.)- खण्ड-खण्ड करना, टुकड़े-टुकड़े करना; खण्ड-खण्ड होना, टुकड़े-टुकड़े होना।
त$कद्दुम (अ.पु.)- प्राथमिकता, प्रधानता, तर्जीह; पहले होना, आगे होना।
त$कद्दुम बिज़्ज़मान (अ.पु.)- पहले होने के कारण श्रेष्ठ और अग्रगण्य होना।
त$कद्दुम बिश्शर$फ (अ.पु.)- श्रेष्ठता के कारण अग्रगण्य होना।
तकद्दुर (अ.पु.)- खिन्न होना, उदास होना; खिन्नता, उदासी, अप्रसन्नता; मैला होना, गँदला होना; मलिनता, गँदलापन।
त$कद्दुस (अ.पु.)-पुनीतता, पवित्रता, पाकीज़गी; महत्ता, श्रेष्ठता, बुज़ुर्गी।
त$कद्दुस मआब (अ.वि.)- अति महान्, अति श्रेष्ठ, अति बुज़ुर्ग, धर्मात्मा, पुनीतात्मा।
त$कफ़्$फुअ़ (अ.पु.)- ठिइुरना।
तकफ़्$फुल (अ.पु.)- किसी बात की जिम्मेदारी, ज़मानत, किसी के भरण-पोषण का भार; ज़मानत, प्रतिभूति।
तकब्बुर (अ.पु.)- गर्व, घमण्ड, अभिमान, अहंकार, दर्प, $गुरूर; अकड़, शेखी, अहंवाद।
त$कब्बुल (अ.पु.)- अपनाना, अंगीकार करना, स्वीकार करना, मंज़ूर करना; मंज़ूरी, स्वीकृति।
त$कय्युद (अ.पु.)- कारावासी होना, बन्दी होना, $कैद होना; शर्त, पाबन्दी।
तकर्रुअ़ (अ.पु.)- वज़ू करना, नमाज़ से पहले हाथ-मुँह धोना।
त$कर्रुअ़ (अ.पु.)- करवटें बदलना।
तकर्रुज (अ.पु.)- फफूँदी लगना।
त$कर्रुब (अ.पु.)- निकटता, नज़दीकी, समीपता।
तकर्रुम (अ.पु.)- दया करना, कृपा करना, अनुकम्पा करना; दान करना, बख़्िशश देना; कृपा, दया; दान, बख़्िशश।
त$कर्रुर (अ.पु.)- नियुक्ति, तैनाती; निश्चय, तऐयुन।
त$कर्रो (अ.पु.)- करवटें बदलना।
त$कल्$कुल (अ.पु.)- व्याकुलता, बेचैनी; खेद, दु:ख; उँडेलते समय सुराही का शब्द करना, कुल-कुल का शब्द।
तकल्लू (तु.पु.)- ज़ीन का नमदा, ख़्ाोगीर; दाढ़ी-मूँछें।
त$कल्लुद (अ.पु.)- जि़म्मेदार होना; अनुयायी होना।
तकल्लुफ (अ.पु.)- तकलीफ उठाना, कष्ट सहन करना; शील-संकोच, लिहाज़; लज्जा, शर्म; बेगानगी, परायापन; दिखावा, ज़ाहिरदारी; बनावट; टीम-टाम, ज़ाहिरी, सजावट; पसोपेश, संकोच।
तकल्लु$फन (अ.वि.)- औपचारिक-रूप से, औपचारिकता में, तकल्लु$फ में, तकल्लु$फ के तौर पर।
तकल्लु$फ मिज़ाज (अ.वि.)- संकोची, शीलवान्।
तकल्लु$फात (अ.पु.)- 'तकल्लु$फÓ का बहु., शिष्टाचार, औपचारिकताएँ, बहुत-से तकल्लु$फ।
तकल्लु$फात ए मज्लिस (तकल्लु$फाते मज्लिस)(अ.पु.)- सभा के नियम, गोष्ठि के आदाब (शिष्टाचार)।
त$कल्लुब (अ.पु.)- परिवर्तन, रद्दोबदल; पलटना, उलटा हो जाना।
तकल्लुम (अ.पु.)- बातचीत करना; बातचीत, वार्तालाप।
तकल्लुस (अ.पु.)- चूना बनाना।
तकव्वुन (अ.पु.)- होना, उत्पन्न होना; सृजन, निर्माण, तख़्ली$क।
त$कव्वुम (अ.पु.)- सही होना, शुद्घ होना, सरल होना।
त$कव्वुल (अ.पु.)- आरोप लगाना, दोष देना।
त$कश्शु$फ (अ.पु.)- मोटा-झोटा खाना पहनना; खुरदरापन; संन्यास, दरवेशी।
तकश्शु$फ (अ.पु.)- नग्न होना, नंगा होना।
त$कश्शु$फेजिल्द (अ.पु.)- काम की अधिकता से खाल का मोटा और कड़ापन।
तकस्सुर (अ.पु.)- बाहुल्य, अधिकता, प्राचुर्य। नोट- इसका 'स्सुÓ उर्दू के 'सेÓ अक्षर से बना है।
तकस्सुर (अ.पु.)- टूटना, टुकड़े होना। नोट- इसका 'स्सुÓ उर्दू के 'सीनÓ अक्षर से बना है।
तकस्सुल (अ.पु.)- सुस्ती, आलस्य, काहिली।
तकह्हुल (अ.पु.)- स्वयं सुर्मा लगाना।
त$काउद (अ.पु.)- कार्य-भंग, काम छोड़ बैठना।
त$काज़ा (अ.पु.)- दी हुई चीज़ या रुपए की वापसी की माँग; आवश्यकता, ज़रूरत; किसी काम के लिए किसी से बराबर कहना।
त$काज़ाए उम्र (अ.पु.)- उम्र के लिहाज़ से कोई काम करना या न करना; उम्र की माँग।
त$काज़ाए वक़्त (अ.पु.)- समय की आवश्यकता, समय की माँग, किस समय क्या करना उचित होगा- यह माँग।
त$काज़ाए शदीद (अ.पु.)- कड़ा त$काज़ा।
त$काज़ाए सिन (अ.पु.)- दे.- 'त$काज़ाए उम्र Ó।
त$कातुर (अ.पु.)- बूँदा-बाँदी होना; बूँद-बूँद टपकना।
त$कातुल (अ.पु.)- परस्पर हत्या करना, एक-दूसरे का वध करना।
त$कातोÓ (अ.पु.)- एक-दूसरे को लाँघना; एक रेखा का दूसरी रेखा को काटना।
त$कादीर (अ.पु.)- 'त$कदीरÓ का बहु., त$कदीरें, भाग्य; ईश्वरेच्छाएँ।
त$कादुम (अ.पु.)- पुराना होना, $कदीम होना; पुरानापन। तकान ($फा.स्त्री.)- झटकना, झटके से छोडऩा; हिलाना; थकन, थकावट।
तका$फी (अ.स्त्री.)- दे.- 'तका$फूÓ।
त$काबुल (अ.पु.)- परस्पर सामना करना, एक-दूसरे के आमने-सामने होना।
तकामुल (अ.पु.)- पूर्ण होना, पूरा होना।
त$कारीर (अ.पु.)- 'तक्रीरÓ का बहु., भाषण-समूह, तक्रीरें।
त$कारुब (अ.पु.)- एक-दूसरे के निकट होना, परस्पर समीप होना; निकटता, समीपता, नज़दीकी।
तकारुम (अ.पु.)- एक-दूसरे को भेंट या उपहार देना, परस्पर बख़्िशश करना।
तकाली$फ (अ.पु.)- 'तक़्ली$फÓ का बहु., कष्ट-समूह, तक़्ली$फें।
त$कालीब (अ.पु.)- 'तक़्लीबÓ का बहु., समय के फेर, दिनों के फेर, काल के चक्र।
त$कावी (अ.स्त्री.)- बलशाली बनाना, शक्ति देना; वह सरकारी $कजऱ् जो किसानों को ज़मीन की दशा सुधारने और अच्छे बैल, ट्रैक्टर तथा बीज आदि के लिए दिया जाता है।
त$कावीम (अ.पु.)- 'तक़्वीमÓ का बहु., अनेक पंचांग, जंतरियाँ।
त$कावुम (अ.पु.)- एक-दूसरे के बराबर खड़ा होना।
त$कावुल (अ.पु.)- आपस में वचन देना, परस्पर प्रतिज्ञा करना; परस्पर वार्तालाप करना।
तकासु$फ (अ.पु.)- स्थूल होना, दरदरा होना, दलदार होना, मोटा होना; एकत्र होना, इक_ïा होना।
त$कासुम (अ.पु.)- आपस में $कसम खाना, परस्पर शपथ लेना; आपस में बाँटना, परस्पर बाँटना।
तकासुर (अ.पु.)- अधिक मात्रा में होना, प्रचुर होना, बहुतात होना; प्रचुरता, बहुतात।
तकासुल (अ.पु.)- स्वयं को निकम्मा दिखाना, अपने आपको आराम-तलब और सुस्त दिखाना।
तकाहुल (अ.पु.)- स्वयं को आराम-तलब और आलसी दिखाना।
त$की (अ.वि.)- इन्द्रियों को वश में रखनेवाला, संयमी, इन्द्रिय-निग्रही।
त$कीय: (अ.पु.)- ऐसी बात जो सि$र्फ भय या डर से कही और की जाए यद्यपि उसके कहने या करने का मन न चाहता हो। (स्त्री.)- साध्वी, तपस्विनी।
त$कैयुद (अ.पु.)- दे.- 'त$कय्युदÓ।
तक़्ईद (अ.स्त्री.)- गिरफ़्तार करना, $कैद करना, बन्दी बनाना; रोक लगाना।
तक़्$कार (अ.पु.)- वाक्-पटु, बहुभाषी, बहुत बोलनेवाला; बहुत अच्छा भाषण देनेवाला, भाषण-पटु।
तक़्िज़य: (अ.पु.)- आँख से तिनका निकालना।
तक्ज़ीब (अ.स्त्री.)- किसी की बात को झुठलाना, उसका खण्डन करना।
तक़्तीअ़ (अ.स्त्री.)- पद्य के किसी चरण के अक्षरों को गणों की मात्राओं के मु$काबले में रखकर यह देखना कि अमुक पद शुद्घ है या नहीं; किसी वस्तु को टुकड़ों में बाँटना; टुकड़े-टुकड़े करना; पुस्तक की लम्बाई-चौड़ाई।
तक़्तीर (अ.पु.)- बूँद-बूँद करके टपकाना, अऱ$क खींचना।
तक्तीर (अ.पु.)- बीवी-बच्चों की रोटी-कपड़े में तंगी करना।
तक़्िदम: (अ.पु.)- पेशगी र$कम, साई; सामने होना; सामने करना; नेता; स्वागत।
तक़्दीम (अ.स्त्री.)- महत्त्व देना, आगे करना, तर्जीह देना; महत्त्व, प्रधानता, तर्जीह।
तक़्दीमो-ताख़्ाीर (अ.स्त्री.)- आगे को पीछे तथा पीछे को आगे करना।
तक़्दीर (अ.स्त्री.)- $िकस्मत, भाग्य, प्रारब्ध; अदृश्य, अदृष्ट, दैव।
तक़्दीर आज़्माई (अ.$फा.स्त्री.)- भाग्य-परीक्षा, $िकस्मत का इम्तिहान।
तक़्दीस (अ.स्त्री.)- पवित्रता, पुनीतता, श्रेष्ठता, बुज़ुर्गी।
तक़्$फीन (अ.स्त्री.)- मुर्दे को क$फन पहनाना। नोट- यह शब्द अकेला नहीं बोला जाता, इसे 'तज्हीज़Ó के साथ बोलते हैं, जैसे- 'तज्हीज़ो-तक़्$फीनÓ- मुर्दे को यथानियम नहला घुलाकर क$फन में लपेटकर शव तैयार करना।
तक़्$फीर (अ.स्त्री.)- मुसलमानों पर कुफ्ऱ का $फत्वा लगाना; प्रायश्चित देना, कफ़्$फारा देना।
तक़्$फील (अ.स्त्री.)- ताला लगाना, ताले में बन्द करना, $कु$फुल देना।
तक्बीर (अ.स्त्री.)- 'अल्लाहो अक्बरÓ (ईश्वर सबसे बड़ा है) कहना; नमाज़ में झुकने, खड़े होने अथवा बैठने के लिए 'अल्लाहो अक्बरÓ कहना।
तक़्बील (अ.स्त्री.)- चुम्बन, चूमना, (किसी पदार्थ को चूमना, मनुष्य को नहीं)।
तक़्बीह (अ.स्त्री.)- बुरा काम करना, बुराई करना।
तक्मिल: (अ.पु.)- पूर्ति, समाप्ति; किसी काम की पूर्ति में कोई कसर न रहना; परिशिष्ट, ज़मीमा।
तक्मीद (अ.स्त्री.)- पोटली में दवा भरकर उससे अंग-विशेष को सेंकना।
तक्मील (अ.स्त्री.)- पूर्ति, समाप्ति; किसी काम की पूर्ति में कोई कसर न रहना।
तक्य: (अ.पु.)- सिर के नीचे रखने का नरम और गुदगुदा वस्त्र, उपधान; पीठ से लगाने का बड़ा वस्त्र, मस्नद; मुसलमानों के मुर्दे दफ्ऩ होने का स्थान, $कब्रिस्तान।
तक्य: कलाम (अ.पु.)- वह बात अथवा वाक्य जो कोई व्यक्ति बातों के बीच में बे-ज़रूरत बार-बार बोलता है।
तक्य:गाह (अ.पु.)- विश्वास की जगह।
तक्य:नशीं (अ.वि.)- तकिया लगाकर बैठनेवाला, तकियादार।
तक्रार (तक्रार) (अ.स्त्री.)- वाक्-कलह, कहा-सुनी; वाद-विवाद, बह्स; पुनरावृत्ति, दुहराना; कही हुयी बात को बार-बार कहना।
तक्रारी (तक्रारी) (अ.वि.)- उपद्रवी, झगड़ालू।
तक्ऱीअ़ (अ.स्त्री.)- आलोचना करना, निन्दा करना, मलामत करना।
तक्ऱीज़ (अ.स्त्री.)- जीवित व्यक्ति की प्रशंसा; आलोचना, समालोचना, तब्सिर:। नोट- इसका 'ज़Ó उर्दू के 'ज़ोयÓ अक्षर से बना है।
तक्ऱीज़ (अ.स्त्री.)- दे.- 'तक्ऱीज़Ó। नोट- इसका 'ज़Ó उर्दू के 'ज़्वादÓ अक्षर से बना है।
तक्ऱीज़निगार (अ.$फा.वि.)- आलोचक, आलोचना लिखनेवाला।
तक्ऱीब (अ.स्त्री.)- निकट आना, समीप आना; कारण, सबब, हेतु; साधन, ज़रीया; अवसर, मौ$का; उत्सव, शादी आदि; किसी व्यक्ति से मुला$कात अथवा भेंट करने से पहले उसके सम्बन्ध में कुछ कहना।
तक्ऱीबन (अ.वि.)- लगभग, अनुमानत:, अंदाज़न; प्राय:, अ़मूमन; अक्सर, बहुधा।
तक्ऱीबात (अ.स्त्री.)- 'तक्ऱीबÓ का बहु., शादियाँ, उत्सव।
तक्रीम (अ.स्त्री.)- आवभगत, तवाज़ोÓ; आदर, सत्कार, इज़्ज़त।
तक्ऱीर (अ.स्त्री.)- भाषण, वक्तव्य, बयान; वार्तालाप, बातचीत; हुज्जत, वाद-विवाद, बहस।
तक्रीर (अ.स्त्री.)- दोहराना, किसी बात को बार-बार कहना, कोई काम फिर करना।
तक्ऱीरी (अ.स्त्री.)- मौखिक (लिखित के विपरीत)।
तक्रीह (अ.स्त्री.)- नफ्ऱत करना, घृणा करना; नाख़्ाुश करना, अप्रसन्न रखना; वैरी बनाना, शत्रु बनाना।
तक़्लीद (अ.स्त्री.)- देखा-देखी कोई काम करना; अनुसरण, अनुकरण, अनुयाय, पैरवी।
तक़्लीदी (अ.वि.)- अनुसरण करनेवाला, अनुयायी।
तक़्ली$फ (अ.स्त्री.)- पीड़ा, व्यथा, दर्द; दु:ख, कष्ट; रंज, शोक, खेद; रोग, मजऱ्, आमय; मनोव्यथा, रूही कुल्$फत, मन की पीड़ा; $गरीबी, निर्धनता, मुफ़्िलसी; आपत्ति, मुसीबत।
तक्ली$फ ए नज़्अ़ (अ.स्त्री.)- मृत्यु-पीड़ा, मरते समय का कष्ट, चंद्रा, यमयातना।
तक्ली$फ ए मालायुता$क (अ.स्त्री.)- वह परिश्रम जो सहन न हो सके।
तक्ली$फदिही (अ.$फा.स्त्री.)- दु:ख देना, कष्ट पहुँचाना, रंज पहुँचाना; पीड़ा पहुँचाना; ज़हमत देना।
तक्ली$फदेह (अ.$फा.स्त्री.)- पीड़ादायक, कष्टदायी, दु:खदायी, रंज पहुँचानेवाला।
तक्ली$फ $फर्मा (अ.$फा.वि.)- कष्ट उठानेवाला, दु:ख झेलनेवाला (किसी के काम के लिए); पधारनेवाला, आनेवाला।
तक्ली$फ $फर्माई (अ.$फा.स्त्री.)- किसी के कार्य के लिए कष्ट उठाना, दु:ख झेलना; पधारना, आना।
तक़्लीब (अ.स्त्री.)- उलट देना, उलटा कर देना; उलट-पलट, परिवर्तन।
तक़्लीम (अ.स्त्री.)- नाख़्ाून काटना, नख तराशना; काटना, विच्छिन्न करना।
तक्लीम (अ.स्त्री.)- घायल करना, ज़ख़्मी करना; बात करना, वार्तालाप करना।
तक़्लील (अ.स्त्री.)- कम करना, कमी करना; न्यूनता, कमी।
तक़्लील ए $िगज़ा (अ.स्त्री.)- कम खाना, मिताहार।
तक़्वा (अ.पु.)- इन्द्रिय-निग्रह, संयम, परहेज़गारी।
तक़्वाशिअ़ार (अ.वि.)- इन्द्रिय-निग्रही, संयमी, जितेन्द्रिय।
तक्वाशिकन (अ.$फा.वि.)- जो संयम को भंग कर दे (रूप आदि)।
तक़्िवयत (अ.स्त्री.)- शक्ति, बल, ज़ोर; आश्रय, सहारा; मदद, सहायता; सान्त्वना, ढारस, तसल्ली; पृष्ठ-पोषण, पुश्तपनाही।
तक़्िवयत ए दिल (अ.पु.)- हृदय की शक्ति।
तक्वीन (अ.स्त्री.)- निर्माण, सृजन, तख़्ली$क; पैदाइश, उत्पत्ति।
तक़्वीम (अ.स्त्री.)- सीधा करना; मूल निश्चित करना; पन्ना, पंचाँग, जंतरी।
तक्वीम ए पारीन: (अ.$फा.स्त्री.)- पुरानी जंतरी (जो बेकार हो जाती है); बेकार वस्तु।
तक़्वीमी (अ.वि.)- पंचाँग अथवा जंतरी से सम्बन्धित।
तक़्वीमुलबुल्दान ; भूगोल, जुग्ऱा$िफया।
तक्वीर (अ.स्त्री.)- पगड़ी लपेटना; गठरी बाँधना।
तक़्शीर (अ.स्त्री.)- छीलना, छिलके उतारना।
तक़्सीत (अ.स्त्री.)- $िकस्तबन्दी करना।
तक़्सीम (अ.स्त्री.)- हिस्सा आदि बाँटना, बाँट; बँटवारा, विभाजन; बड़ी संख्या में छोटी संख्या से विभाजन, भाग।
तक़्सीम ए कार (अ.$फा.स्त्री.)- हर एक को अलग-अलग काम या ड्यूटी का बँटवारा।
तक़्सीम ए मुकम्मल (अ.$फा.स्त्री.)- पूर्ण विभाजन; संख्याओं का वह विभाजन जिसमें शेष न बचे।
तक़्सीम ए मुख़्तसर (अ.$फा.स्त्री.)- छोटा विभाजन, लघु भाग।
तक़्सीम ए मुल्क (अ.स्त्री.)- देश का बँटवारा, देश-विभाजन।
तक़्सीम ए वतन (अ.स्त्री.)- देश या राष्ट्र का बँटवारा, देश-विभाजन।
तक़्सीम ए हिसस (अ.स्त्री.)- दाम का बँटवारा, अंशीकरण; लाभ या मुना$फे के हिस्सों का बँटवारा।
तक़्सीम नाम: (अ.$फा.स्त्री.)- वह विवरण जिसमें जायदाद के बँटवारे के विषय में लिखा हो।
तक़्सीर (अ.स्त्री.)- दोष, अपराध, $कुसूर; न्यूनता, कमी; त्रुटि, भूल; कर्तव्य में कमी।
तक्सीर (अ.स्त्री.)- टुकड़े करना, तोडऩा; किसी तावीज़, यंत्र या चक्र में संख्याएँ इस प्रकार भरना कि हर ओर से जोड़ बराबर आए। नोट- इसका 'सÓउर्दू के 'सीनÓ अक्षर से बना है।
तक्सीर (अ.स्त्री.)- बढ़ाना, अधिक करना; प्रचुरता, अधिकता,बढ़ोतरी, बहुतायत। नोट- इसका 'सÓ उर्दू के 'सेÓ अक्षर से बना है।
तक़्सीरवार (अ.$फा.वि.)- दोषी, अपराधी, $कुसूरवार; पापी, गुनाहगार।
तख़्ात्ती (अ.स्त्री.)- दोषारोपण, आरोप लगाना, इल्ज़ाम लगाना।
तख़्ात्तु$फ (अ.पु.)- उचक ले जाना।
तख़्ाद्दुद (अ.पु.)- खाल ढीली पड़ जाना; दुर्बल हो जाना।
तख़्ाब्बुत (अ.पु.)- कुमार्ग पर चलना; भूत-प्रेत का सिर पर चढ़कर पागल कर देना।
तख़्ाम्मुर (अ.पु.)- चादर ओढऩा।
तख़्ाय्युल (अ.पु.)- कल्पना करना, कल्पना या विचारों की उड़ान भरना; सोचना, विचारना, ख़्ायाल करना; कविता के लिए विषय तलाश करना; कल्पना, उड़ान; भ्रम, वह्म; ख़्ायाल, ध्यान।
तख़्ाय्युलात (अ.पु.)- 'तख़्ाय्युलÓ का बहु., कल्पनार्ए, ख़्ायालात; भ्रमजाल।
तख़्ार्र$क (अ.पु.)- विदीर्ण होना, फटना, फटा होना; झूठ बोलना।
तख़्ार्रज (अ.पु.)- विद्या प्राप्त करना, इल्म हासिल करना।
तख़्ाल्ख़्ाुल (अ.पु.)- बिखर जाना।
तख़्ाल्ली (अ.वि.)- खाली होना।
तख़्ाल्लु$क (अ.पु.)- अ़ादत डालना, स्वभाव बनाना; सुशील होना।
तख़्ाल्लु$फ (अ.पु.)- वचन भंग करना, प्रतिज्ञा तोडऩा; पीछे रहना।
तख़्ाल्लुस (अ.पु.)- उपनाम, लेखक, कवि या शाइर का वह नाम जो वह अपने लेखों या कविताओं में लिखता है, जैसे- इस कोश के रचयिता का वास्तविक नाम 'देवेन्द्र गोयलÓ है मगर वह अपनी कृतियों में अपना नाम 'देवेन्द्र माँझीÓ लिखता है जो उसका उपनाम या तख़्ाल्लुस है।
तख़्ाव्वुन (अ.पु.)- किसी का अधिकार छीनना, किसी का ह$क मारना।
तख़्ाव्वु$फ (अ.पु.)- डरना, भयभीत होना।
तख़्ाश्शी (अ.स्त्री.)- डरना, भयभीत होना; डराना, त्रासन।
तख़्ाश्शो (अ.पु.)- नम्रता, विनीति, अ़ाजिज़ी, ख़्ााकसारी।
तख़्ाा$फत (अ.पु.)- भेद खोलना, रहस्य बताना
तख़्ाारुज (अ.पु.)- विभाजित होना, बँटना, तक़्सीम होना।
तख़्ाालुज (अ.पु.)- मन में भ्रम की स्थिति बनना, शक होना, शंका होना।
तख़्ाालु$फ (अ.पु.)- दुश्मनी, शत्रुता, वैर; प्रतिकूलता, विरोध, मुख़्ााल$फत; उलट-पलट, परिवर्तन।
तख़्ाावु$फ (अ.पु.)- एक-दूसरे से डरना, भयभीत होना।
तख़्ाासुम (अ.पु.)- आपस में दुश्मनी पालना, परस्पर शत्रुता करना।
तख़्ौयुल (अ.पु.)- दे.- 'तख़्ाय्युलÓ।
तख़्ौयुलात (अ.पु.)- दे.- 'तख़्ाय्युलातÓ।
तख़्ा्ईल (अ.स्त्री.)- किसी की कल्पना करना, किसी को ध्यान में लाना, किसी का ध्यान करना; कल्पना-शक्ति, $कुव्वते-$िफक्ऱ; ध्यान, ख़्ायाल, विचार।
तख़्ा्ज़ीर (अ.स्त्री.)- हरा-भरा करना।
तख़्ा्जील (अ.पु.)- शर्मसार करना, लज्जित करना।
तख़्त: ($फा.पु.)- काठ या लकड़ी का लम्बा-चौड़ा और थोड़ा मोटा टुकड़ा; जहाज़ के $फर्श का हर टुकड़ा जो लकड़ी का हो; लकड़ी का वह पटरा जिस पर मुर्दा नहलाया जाता है; ज़मीन का सा$फ और समतल टुकड़ा; बा$ग का $कताÓ (कतर-ब्योंत); खेत आदि की कियारी (क्यारी); का$गज़ का एक खण्ड।
तख़्त ($फा.पु.)- बड़ी चौकी; राजा या बादशाह के बैठने की चौकी, सिंहासन; राज्य, राष्ट्र, सत्ता, हुकूमत; पलंग, चारपायी; ज़ीन। (वि.)- बड़ा, ज्येष्ठ, कलाँ।
तख़्त:बंद ($फा.वि.)- $कैदी, बन्दी, कारावासी; कारावास, $कैद, जेल; लकड़ी की वह खपच्ची जो टूटी हड्डी को जोडऩे के लिए बाँधी जाती है।
तख़्त:बंदी ($फा.स्त्री.)- अन्दर से तख़्ते जड़वाकर दीवारों को सुरक्षित करना; बा$ग की कियारियों (क्यारियों) आदि को ढंग से सजाना।
तख़्तए का$गज़ (अ.$फा.पु.)- का$गज़ का खण्ड, ताव, शीट।
तख़्तए ख़्ााक (अ.$फा.पु.)- भूमि, पृथ्वी, धरती, ज़मीन।
तख़्तए ताबूत (अ.$फा.पु.)- वह संदू$क या पलंग जिसमें मुर्दे को ले जाते हैं।
तख़्तए तालीम (अ.$फा.पु.)- वह काला बोर्ड या पटरा जिस पर लिखकर बच्चों को अक्षर और गिनती सिखाते हैं, शिक्षा-पटल, ब्लैक-बोर्ड।
तख़्तए नर्द ($फा.पु.)- चौसर खेलने का तख़्ता।
तख़्तए मय्यित ($फा.पु.)- मुर्दे को नहलाने का तख़्ता।
तख़्तए मश्$क (अ.$फा.पु.)- बच्चों की तख़्ती; अभ्यास-पट्टिका; वह चीज़ जो बहुत प्रयुक्त हो।
तख़्तए मीना ($फा.पु.)- गगन, आकाश, आस्मान।
तख़्तए मुसत्तह (अ.$फा.पु.)- एक प्रकार की मेज़ जो पैमाइश में काम देती है।
तख़्तए याददाश्त ($फा.पु.)- स्मृति-पट; का$गज़ का वह तख़्ता जिसमें याददाश्त के लिए आवश्यक बातें नोट रहती हैं।
तख़्तगाह ($फा.स्त्री.)- राजकेन्द्र, राजधानी, दारुस्सल्तनत।
तख़्तनशीं ($फा.वि.)- सिंहासन पर बैठनेवाला, तख़्त या गद्दी पर बैठनेवाला, राजा, शासक, बादशाह।
तख़्तनशीनी ($फा.स्त्री.)- सिंहासनारूढ़ होना, गद्दी पर बैठना, राजा या बादशाह बनना; राज-सिंहासन पर बैठने की रस्म, राज्य-अभिषेक, ताजपोशी; शासक होने की घोषणा।
तख़्ितय: (अ.पु.)- किसी के काम की त्रुटि या $गलती पकडऩा।
तख़्ती ($फा.स्त्री.)- बच्चों के लिखने का लकड़ी का छोटा तख़्ता; लकड़ी का बहुत छोटा टुकड़ा जो जानवरों के गले आदि में डाला जाता है।
तख़्ते आबनूसी ($फा.पु.)- रात, रात्रि, निशा।
तख़्ते ख़्वाब ($फा.पु.)- चारपायी, पलंग, खाट।
तख़्ते ताऊस ($फा.पु.)- शाहजहाँ का बनवाया हुआ वह राज-सिंहासन जिस पर रत्नजटित एक मोर अपने पंख फैलाए हुए बादशाह के सिर पर छाया किए रहता था (नादिरशाह इस तख़्त को ईरान ले गया)।
तख़्तेरवाँ ($फा.पु.)- वह तख़्त जो कहारों द्वारा कन्धों पर उठाया जाता था और जिस पर बैठकर राजा या बादशाह सैर करने के लिए जाता था।
तख़्तेशाही ($फा.पु.)- राजसिंहासन, राजा या बादशाह के बैठने का तख़्त।
तख़्ते सुलैमानी (अ.$फा.पु.)- वह तख़्त जिस पर बैठकर हज्ऱत सुलैमान उड़ा करते थे।
तख़्तोताज ($फा.पु.)- राज्य-भार, शासन-सूत्र, हुकूमत का इन्तिज़ाम।
तख़्दीअ़ ($फा.पु.)- छल करना, धोखा करना।
तख़्दीर (अ.स्त्री.)- शरीर के किसी अंग को दवाओं द्वारा सुन्न कर देना; स्त्री को पर्दे में बैठाना।
तख़्$फी$फ (अ.स्त्री.)- न्यूनीकरण, कमी करना; हलकापन, कमी।
तख़्$फी$फे लगान ($फा.पु.)- लगान में कमी।
तख़्$फीर ($फा.पु.)- लज्जित करना, शर्मिन्द: करना।
तख़्मीन: (अ.पु.)- अनुमान, अंदाज़ा, अटकल; विचार, $िकयास।
तख़्मीन (अ.स्त्री.)- अनुमान करना, अंदाज़ा लगाना।
तख़्मीनन (अ.वि.)- अनुमानत:, अंदाज़न, कम से कम, जि़यादा से जि़यादा।
तख़्मीर (अ.स्त्री.)- ख़्ामीर उठाना; आटे में नमक और सोड़ा मिलाकर रखना; दवाओं में रस या पानी आदि डालकर धूप में रखना या ज़मीन में गाडऩा।
तख़्मीस (अ.स्त्री.)- पाँच करना, पाँच बनाना; उर्दू शाइरी की परिभाषा में किसी शेÓर के दो मिस्रों में तीन मिस्रे और जोड़कर पाँ कर देना, 'ख़्ाम्स:Ó बना देना। नोट- 'ख़्ाम्स:Óं में पाँच मिस्रे होते हैं लेकिन यह सि$र्फ एक शेÓर का नहीं अपितु पूरी $गज़ल का होता है।
तख़्िा्रज़: (अ.पु.)- निकालना, निष्काषन, ख़्ाारिज करना; उर्दू काव्य-परिभाषा में किसी किसी तारीख़्ाी (ऐतिहासिक) मिस्रे में से कोई संख्या कम करनाताकि मिस्रे से ठीक साल निकल सके।
तख़्ा्रीब (अ.स्त्री.)- 'तामीरÓ का उलटा; नष्ट करना, विनष्ट करना, बर्बाद करना; ध्वस्त करना, मुंहदिम करना; किसी काम को बिगाडऩा; विनाश, बर्बादी; विध्वंश, तबाही; बिगाड़, ख़्ाराबी।
तख़्िलय: (अ.पु.)- खाली करना; खाली कराना; एकान्त, ख़ल्वत, तन्हाई।
तख़्लीअ़ (अ.स्त्री.)- उखाड़ देना, अलग कर देना।
तख़्ली$क (अ.स्त्री.)- सृजन करना, पैदा करना, उत्पत्ति करना।
तख़्लीत (अ.स्त्री.)- गड़बड़ करना, गडमड करना, ख़्ाल्तमल्त करना, मिलाना; किसी मूल ग्रन्ाि में कुछ इधर-उधर का जोड़ देना; सच्ची बात में अपनी ओर से कुछ झूठ मिला देना।
तख़्लीद (अ.स्त्री.)- हमेशगी करना; चमकाना।
तख़्लील (अ.स्त्री.)- दाँतों में फँसी चीज़ निकालना।
तख़्लीस (अ.स्त्री.)- छुड़ाना, मुक्त कराना।
तख़्वीन (अ.स्त्री.)- गबन का आरोप लगाना।
तख़्वी$फ (अ.स्त्री.)- त्रासन, त्रासना, डराना, धमकी देना, आतंक दिखाना।
तख़्वी$फे मुज्रिमान: (अ.स्त्री.)- अवैध त्रास, नाजाइज़ धमकी देकर कुछ प्राप्त करने की कोशिश।
तख़्सीर (अ.स्त्री.)- कमी, त्रुटि; मार डालना।
तख़्सीस (अ.स्त्री.)- विशेषता, मुख्यता, ख़्ाुसूसियत।
तख़्सीसी (अ.वि.)- विशेष-रूप से, ख़्ाुसूसियत का।
तग ($फा.स्त्री.)- दौड़-भाग, प्रयत्न, कोशिश, प्रयास। नोट- यह शब्द उर्दू में कभी अकेला नहीं लिखा जाता, दूसरे शब्द के साथ मिलकर प्रयुक्त होता है, जैसे- 'तगोदौÓ।
त$गज़्ज़ी (अ.स्त्री.)- खाना खाना; सवेरे का खाना खाना।
त$गज़्ज़ुल (अ.पु.)- $गज़ल का रंग, $गज़लीयत।
त$गन्नी (अ.स्त्री.)- गाना, अलापना; नि:स्पृह होना, बेनियाज़ी, बेपर्वाई, उदासीनता।
त$गन्नुम (अ.स्त्री.)- उत्तम समझना, उचित समझना।
त$गफ़्$फुल (अ.स्त्री.)- स्वयं को असावधान दिखाना, अचेत प्रदर्शित करना; अनभिज्ञता प्रकट करना।
त$गय्युज़ (अ.पु.)- झँुझलाना, क्रोधित होना; रोब प्रकट करना।
त$गय्युर (अ.पु.)- उलट-पुलट होना; स्थिति में बदलाव आना; पलटना, बदलना, परिवर्तन होना; क्रान्ति, इन्$िकलाब; परिवर्तन, तब्दीली; विकार, ख़्ाराबी; रूप, गन्ध या दशा का बदल जाना।
त$गय्युरपसन्द (अ.$फा.वि)- परिवर्तन-प्रिय, जिसे बदलाव पसन्द हो।
त$गय्युरात (अ.पु.)- 'त$गय्युरÓ का बहु., परिवर्तन, बदलाव, तब्दीलियाँ; दुर्घटनाएँ; कालचक्र।
तगर्ग ($फा.पु.)- ओला, घनापल, मरुत्फल, करका, मेघपुष्प।
तगल ($फा.पु.)- सेना, $फौज।
त$गल्लुब (अ.पु.)- अपहरण, छल-हरण, मोषण, $गबन, ख़्ाुर्द-बुर्द, ख़्िायानत।
त$गव्वुत (अ.पु.)- शौच, मल-त्याग।
त$गश्शी (अ.स्त्री.)- लुकाना, छिपाना, गोपन; पहनना, ओढऩा।
तगापो ($फा.स्त्री.)- प्रयास, प्रयत्न, कोशिश; पराक्रम, दौड़-धूप; चिन्ता, $िफक्र; तलाश, खोज।
त$गा$फुल (अ.पु.)- उपेक्षा, बेतवज्जुही; ढील, विलम्ब, देर; $गफ़्लत, लापरवाही, असावधानी।
त$गा$फुलआश्ना (अ.$फा.वि.)- जानबूझकर उपेक्षा करनेवाला, लापरवाही बरतनेवाला; ढील डालनेवाला; बेपर्वा माÓशू$क।
त$गा$फुलकेश (अ.$फा.वि.)- दे- 'त$गा$फुलआश्नाÓ।
त$गा$फुल दस्तगाह (अ.$फा.वि.)- दे- 'त$गा$फुलआश्नाÓ।
त$गा$फुलदोस्त (अ.$फा.वि.)- दे- 'त$गा$फुलआश्नाÓ।
त$गा$फुलदोस्ती (अ.$फा.स्त्री.)- जानबूझकर उपेक्षा करना, बेपरवाही बरतना; देर लगाना।
त$गा$फुलपसन्द (अ.$फा.वि.)- दे- 'त$गा$फुलआश्नाÓ।
त$गा$फुलपसन्दी (अ.$फा.स्त्री.)- दे.- 'त$गा$फुलदोस्तीÓ।
त$गा$फुलपेश: (अ.$फा.वि.)- दे- 'त$गा$फुलआश्नाÓ।
त$गा$फुलपेशगी (अ.$फा.स्त्री.)- दे.- 'त$गा$फुलदोस्तीÓ।
त$गा$फुलमनिश (अ.$फा.वि.)- दे- 'त$गा$फुलआश्नाÓ।
त$गा$फुलमनिशी (अ.$फा.स्त्री.)- दे.- 'त$गा$फुलदोस्तीÓ।
त$गा$फुलशिअ़ार (अ.वि.)- दे- 'त$गा$फुलआश्नाÓ।
त$गा$फुलशिअ़ारी (अ.स्त्री.)- दे.- 'त$गा$फुलदोस्तीÓ।
त$गा$फुलशेव: (अ.$फा.वि.)- दे- 'त$गा$फुलआश्नाÓ।
त$गा$फुलशेवगी (अ.$फा.स्त्री.)- दे.- 'त$गा$फुलदोस्तीÓ।
त$गाबुन (अ.पु.)- एक-दूसरे को हानि पहुँचाना; हानि, टोटा, घाटा।
तगामशी ($फा.स्त्री.)- परिश्रम, प्रयत्न, प्रयास, जाँ$िफशानी; दौड़-धूप, तगापो।
त$गायुर (अ.पु.)- भिन्नता, विभिन्नता, मतभेद, इख़्ितला$फ; परस्पर एक-दूसरे से विपरीत होना।
त$गार ($फा.पु.)- मिट्टी की नाँद; गारे का कुण्ड; बड़ा तसला।
त$गारी ($फा.स्त्री.)- मिट्टी का कँूडा या छोटी नाँद।
त$गीर (अ.स्त्री.)- दे.- 'त$ग्ईरÓ।
त$गैयुर (अ.पु.)- दे.- 'त$गय्युरÓ, परिवर्तन, क्रान्ति।
त$गयुरात (अ.पु.)- दे.- 'त$गय्युरातÓ।
तगोताज़ ($फा.स्त्री.)- दे.- 'तगापोÓ।
तगोदौ ($फा.स्त्री.)- दे.- 'तगापोÓ।
त$ग्ईर (अ.स्त्री.)- परिवर्तन, तब्दीली; बदलना, कुछ का कुछ कर देना।
त$ग्जि़य: (अ.पु.)- अन्न देना, भोजन देना; विकास करना, परवरिश करना।
त$ग्$फील (अ.स्त्री.)- $गलती या त्रुटि करना, भूल-चूक करना, गफ़्लत करना।
त$ग्म: ($फा.पु.)- पदक।
त$ग्मीज़ (अ.स्त्री.)- आँखें बन्द करना।
तग्ऱी$क (अ.स्त्री.)- डुबोना, $ग$र्क करना।
तग्ऱीब (अ.स्त्री.)- देश-निकाला देना, जलावतन करना।
तग्ऱीम (अ.स्त्री.)- हर्जा वसूल करना, तावान लेना।
त$ग्ली$क (अ.स्त्री.)- बाँधना, लपेटना।
त$ग्लीज़ (अ.स्त्री.)- गाढ़ा करना; सख़्ती करना।
त$ग्लीत (अ.स्त्री.)- भूल में डालना, $गलती में डालना, भुला देना।
त$ग्लील (अ.स्त्री.)- सुवासित करना, सुगन्धित करना, ख़्ाुशबू में बसाना।
तज़क्की (अ.स्त्री.)- पवित्र करना, निर्मल करना, पाक करना; माल में से ज़कात देना।
तज़क्कुर (अ.पु.)- याद करना, स्मरण करना; स्मरण होना, याद आना।
तजज़्ज़ी (अ.स्त्री.)- खण्ड-खण्ड होना, टुकड़े-टुकड़े होना।
तज़ब्ज़ुब (अ.पु.)- शक, सन्देह, शंका; ऊहापोह, दुविधा, असमंजस।
तज़म्मुम (अ.पु.)- स्वीकार करना; अंतर्गत करना या होना।
तजम्मुल (अ.पु.)- बन-ठन, सिंगार और आभूषण आदि से शरीर की सजावट; हुस्न, सौन्दर्य; वैभव, शानो-शौ$कत; धन-सम्पत्ति।
तज़य्युन (अ.पु.)- सजना-सँवरना, सुसज्जित होना; शोभित होना; सिंगार, सजावट; शोभा।
तजर्रुद (अ.पु.)- अकेलापन, तन्हाई; स्त्री के बिना जीवन व्यतीत करना; संन्यास, वैराग्य, दरवेशी; संसार से विरक्ति, उदासीनता, निस्प़हता; नग्नता, नंगापन।
तज़र्रुर (अ.पु.)- टोटा लेना, हानि उठाना, नु$कसान पाना; दु:खित होना, रंजूर होना।
तजरीÓ (अ.पु.)- घूँट-घूँट करके पीना।
तज़र्रोÓ (अ.पु.)- गिड़गिड़ाहट, मिन्नत, ख़्ाुशामद।
तज़र्व ($फा.पु.)- एक प्रसिद्घ चिडिय़ा, चकोर।
तज़ल्ज़ुल (अ.पु.)- कम्पायमान होना, गतिशील होना, हिलना-डोलना; भूकम्प, ज़ल्ज़ला, कम्पन; खलबली, सनसनी; अस्थिरता, डगमगाहट; क्रान्ति, इन्$िकलाब।
तजल्लियात (अ.स्त्री.)- 'तजल्लीÓ का बहु., प्रकाश-समूह, रौशनियाँ।
तजल्ली (अ.स्त्री.)- प्रकाश, आभा, नूर; तेज, प्रताप, जलाल; अध्यात्मिक-ज्योति, नूरे-ह$क।
तजल्लीख़्ोज़ (अ.$फा.वि.)- दे.- 'तजल्लीरेज़Ó।
तजल्लीगाह (अ.$फा.स्त्री.)- रौशनी और प्रकाश का स्थान, नूर और आभा का स्थल; सुन्दर बालाओं का स्थल, सुन्दरियों का स्थान।
तजल्लीज़ार (अ.$फा.पु.)- वह स्थान जहाँ प्रकाश ही प्रकाश हो; वह स्थल जहाँ सौन्दर्य ही सौन्दर्य हो।
तजल्लीरेज़ (अ.$फा.वि.)- रौशनी बरसानेवाला, प्रकाश फैलानेवाला।
तज़ल्लुम (अ.पु.)- किसी के अत्याचार पर दुहाई देना, विलाप करना।
तज़ल्लुल (अ.पु.)- लड़खड़ाहट, लग़्िज़श।
तज़व्वुज (अ.पु.)- शादी करना, ब्याह करना; पत्नी बनाना, बीवी बनाना; पति बनाना। दे.- 'तज़व्वुदÓ, दोनों शुद्घ हैं।
तज़व्वुद (अ.पु.)- दे.- 'तज़व्वुजÓ, दोनों शुद्घ हैं।
तजस्सुस (अ.पु.)- पूछताछ, जिज्ञासा; गवेषणा, मार्गण, तलाश, खोज; दौड़-धूप, प्रयास, प्रयत्न, कोशिश।
तजस्सुसकुनाँ (अ.$फा.वि.)- ढँूढ़ता हुआ, खोज करता हुआ; पूछताछ करता हुआ।
तज़ाउ$फ (अ.पु.)- दोगुना होना, दूना होना, दुगुना होना।
तज़ाद (अ.पु.)- एक-दूसरे का शत्रु होना; एक-दूसरे के विरुद्घ होना; शत्रुता, रिपुता, दुश्मनी; प्रतिकूलता, इख़्ितला$फ, विरोध।
तज़ह्हुद (अ.पु.)- तपस्वी बनना, ज़ाहिद बनना, अ़ाबिद बनना, जगत् से विरक्त होना। नोट- यह उर्दू के 'ज़ुह्दÓ शब्द से बना है।
तजान (अ.पु.)- दीवाना होना, बावला होना।
तजानुस (अ.पु.)-समवर्ग, एक जाति।
तज़ायु$क (अ.पु.)- तंग होना।
तज़ायुद (अ.पु.)- अधिक होना, जि़यादा होना; अधिकता, बहुतायत से बना।
तजारिब (अ.पु.)- 'तज्रिब:Ó का बहु., तज्रिबे, अनुभव। नोट- 'तजुर्बाÓ भी प्रचलित है।
तजावुज़ (अ.पु.)- सीमा का उल्लंघन करना, अपनी हद से बढ़ जाना; अपने अधिकार-क्षेत्र या इख़्ितयार से बाहर कोई काम करना; अवज्ञा, हुक्मउदूली; धृष्टता, गुस्ताख़ी।
तजासुर (अ.पु.)- दिलेरी, शूरता, बहादुरी।
तजाहुद (अ.पु.)- कोशिश करना, प्रयास करना, प्रयत्न करना।
तजाहुल (अ.पु.)- जान-बूझकर अंजान बनना; बेख़्ाबर और अंजान होना; लापरवाह होना; लापरवाही, उपेक्षा।
तजाहुरे अ़ारि$फान: (अ.पु.)- जान-बूझकर अंजान बनना, जानते हुए भी यह ज़ाहिर करना कि नहीं जानते।
तज़्ईअ़Ó (अ.स्त्री.)- व्यर्थ खोना, बर्बाद करना।
तज़्ईए औ$कात (अ.स्त्री.)- समय को व्यर्थ गँवाना, वक़्त को $िफजूल बर्बद करना।
तज़्ईन (अ.स्त्री.)- अपने आपको बनाना, सँवारना; बनाव, सज्जा, सिंगार।
तज़्ई$फ (अ.स्त्री.)- दोगुना करना; निर्बल करना।
तज़्कार (अ.पु.)- जि़क्र करना, चर्चा करना; स्मृति, यादगार; जि़क्र, चर्चा।
तजि़्कय: (अ.पु.)- निर्मल करना, शुद्घ करना, पवित्र करना; माल की ज़कात देना; शुद्घि, स$फाई।
तजि़्कर: (अ.पु.)- वार्तालाप, बातचीत; चर्चा, जि़क्र; ख्याति, शुह्रत (शोहरत), प्रसिद्घि; परिपत्र, पास्पोर्ट; प्रसंग, सिलसिला।
तज़्कीर (अ.स्त्री.)- पुल्लिंग बनाना, मर्द बनाना; पुल्लिंग होना, मर्द होना; याद दिलाना; पुल्लिंग (स्त्रीलिंग का विपरीत)।
तज़्कीरो तानीस (अ.स्त्री.)- पुल्लिंग और स्त्रीलिंग; याद करना और उन्स (प्रेम) करना।
तज्जि़य: (अ.पु.)- अलग-अलग करना, टुकड़े-टुकड़े करना; किसी पदार्थ के सारे अवयव अलग-अलग करके उसकी जाँच करना।
तज्दीद (अ.स्त्री.)- नवीनीकरण, नया बनाना; नवीनता, नयापन।
तज्दीदेअ़ह्द (अ.स्त्री.)- प्रतिज्ञा भंग हो जाने पर फिर से प्रतिज्ञा करना, नए सिरे से दोबारा वादा करना, नए सिरे से फिर वचन देना, नव्य-प्रतिज्ञा।
तज्दीदे मुला$कात (अ.स्त्री.)- मुला$कात को बहुत दिन हो जाने पर फिर से मुला$कात करना।
तज्दी$फ (अ.स्त्री.)- कृत्तघ्नता, नाशुक्री।
तजनीस (अ.स्त्री.)- एकलिंता, एक जिन्स होना; एकरूपता, हमशक्ली; एक शब्दालंकार जिसमें किसी शेÓर में एक-जैसे शब्द लाए जाते हैं, यमक।
तज्$फी$फ (अ.स्त्री.)- सुखाना, ख़्ाुश्क करना।
तज़्मीद (अ.स्त्री.)- किसी अंग-विशेष पर दवा का लेप करना; जि़माद, लेप, प्रलेप।
तज़्मीन (अ.पु.)- किसी को ज़मानतदार बनाना, किसी को ज़ामिन बनाना; किसी को अपनी शरण में लेना; किसी के शेÓर या मिस्रे को अपने शेरों में प्रयोग करना, ख़्म्स: करना, दो मिस्रों पर तीन मिस्रे और लगाना।
तज्रिब: (अ.पु.)- अनुभव, जानकारी, किसी विषय या कार्य के सारे ऊँच-नीच या अच्छे-बुरे की जानकारी; जाँच, परीक्षा। नोट- 'तज्रुबाÓ और 'तज्रबाÓ दोनों ही प्रचलित हैं।
तज्रिब:कार (अ.$फा.वि.)- अनुभवी, ज्ञाता, जिसे किसी काम का का$फी तज्रिबा हो; बहुदर्शी, जिसे सांसारिक व्यवहार का अनुभव का$फी हो।
तज्रीद (अ.स्त्री.)- नंगा कर देना, किसी चीज़ पर से उसका सामान उतारकर उसे असली दशा में कर देना; सजाना, सँवारना (काट-छाँटकर); सुधार करना, दुरुस्ती करना; अकेला जीवन व्यतीत करना, ब्रह्मïचर्य का पालन करना।
तज्रीह (अ.पु.)- घायल करना।
तज़्लील (अ.स्त्री.)- अपमान, तिरस्कार, बेइज़्ज़ती। नोट- यह शब्द 'जि़ल्लतÓ से बना है।
तज्वीज़ (अ.स्त्री.)- मति, सलाह, राय; विचार, ख़्ायाल; रिजोल्यूशन, प्रस्ताव; प्रबन्ध, इन्तिजाम; योजना, मंसूबा; प्रयत्न, उपाय, कोशिश। 'ख़्ाुद ही तज्वीज़ की दवा हमने, दर्दे-दिल को छुपा लिया हमनेÓ -माँझी
तज़्वीज (अ.स्त्री.)- विवाह, ब्याह, पाणिग्रहण, निकाह।
तज्वीद (अ.स्त्री.)- निर्मल और स्वच्छ करना; किसी शब्द का शुद्घ उच्चारण करना; हा$िफज़ों की परिभाषा में $कुरान को शुद्घ उच्चारण और पूर्ण नियम से पढऩा।
तज्वी$फ (अ.स्त्री.)- अन्दर से खुख्खल करना; खोखला, सुषिर।
तज़्वीर (अ.स्त्री.)- छल, कपट, धोखा, $फरेब; झूठ, असत्य, मिथ्या।
तज़्हीक (अ.स्त्री.)- ठठोल करना, हँसी उड़ाना, उपहास करना; बुराई करना, निन्दा करना; तिरस्कार करना।
तज्हीज़ (अ.स्त्री.)- मुर्दे के लिए ज़रूरी सामान तैयार करना, जैसे- क$फन के लिए कपड़ा, $गुस्ल के लिए इत्र, का$फूर, $कब्र के लिए तख़्ते, गुलाबजल आदि। नोट- यह शब्द अकेला प्रयुक्त नहीं होता, 'तक्$फीनÓ के साथ मिलाकर 'तज्हीज़ो तक्$फीनÓ बोला जाता है, जैसे- 'तक्$फीनÓ अलग नहीं बोला जाता।
तज्हीज़ोतक्$फीन (अ.स्त्री.)- मुर्दे को यथा-नियम नहला-धुलाकर और क$फन में लपेटकर जनाज़ा तैयार करना।
तज़्हीब (अ.स्त्री.)- सोना चढ़ाना, सोने का मुलम्मा चढ़ाना, सोने का खोल चढ़ाना।
तज्हुज़ (अ.पु.)- काम के लिए तैयार होना, आमादा होना।
ततब्बोÓ (अ.पु.)- अनुकरण, अनुसरण, तक़्लीद, इत्तिबाअ़।
ततर ($फा.पु.)- 'तातारÓ का लघुरूप, दे.- 'तातारÓ।
ततरी ($फा.वि.)- तातार का; तातारियों का; तातार या तातारियों से सम्बद्घ।
तताबु$क (अ.पु.)- बराबरी, समानता, सदृशता; मुशाबहत, उपमा, तुलना।
ततार ($फा.पु.)- 'तातारÓ का लघुरूप, दे.- 'तातारÓ।
ततावुल (अ.पु.)- गर्व, घमण्ड, अहंकार; दस्तदराज़ी, अत्याचार, सरकशी, द्रोह, विद्रोह।
ततिम्म: (अ.पु.)-हर चीज़ का शेष, बा$की या आख़्िारी भाग; किसी पुस्तक का शेष अंश जो बाद में जोड़ा जाए, पूरक, परिशिष्ट।
तत्बी$क (अ.स्त्री.)- एक चीज़ को दूसरे के मुताबि$क करना।
तत्वील (अ.स्त्री.)- लम्बा करना, फैलाना; फैलाव, लम्बाई।
तत्हीर (अ.स्त्री.)- शुद्घ करना, पवित्र करना, पाक करना; पवित्रता, शुद्घता, पाकीज़गी।
तदन्नी (अ.पु.)- धीरे-धीरे निकट होना, पास आना।
तदब्बुर (अ.पु.)- काम करने से पहले उसका परिणाम सोचना; दूरदर्शिता, दूरबीनी।
तदय्युन (अ.पु.)- धर्मनिष्ठता, दीनदारी; दियानतदारी, सत्यनिष्ठता।
तदर्व ($फा.पु.)- एक सुप्रसिद्घ पक्षी, चकोर। दे.- 'तज़र्वÓ, वह भी शुद्घ है।
तदल्ली (अ.पु.)- बहुत नज़दीक होना; लटकना।
तदल्लुल (अ.पु.)- परस्पर नाज़ करना, इतराना।
तदस्सुर (अ.पु.)- छुपना।
तदाख़्ाुल (अ.पु.)- एक चीज़ का दूसरी चीज़ में दाख़्िाल होना; एक खाना हज़्म होने से पहले दूसरा खाना खा लेना।
तदाख़्ाुले $फस्लैन (अ.पु.)- दो ऋतुओं की सन्धि, दो ऋतुओं का सन्धिकाल, दो मौसिमों का मिलने का समय।
तदाबीर (अ.स्त्री.)- 'तद्बीरÓ का बहु., तद्बीरें, युक्तियाँ, उपाय।
तदारुक (अ.पु.)- खोयी हुयी चीज़ का पता लगाना; ऐसा उपाय जिससे कोई बुरा काम रुक जाए, रोक, प्रतिरोध; यत्न, उपाय, तद्बीर; सुधार, इस्लाह।
तदावी (अ.स्त्री.)- उपचार, इलाज, चिकित्सा।
तदैयुन (अ.पु.)- दे.- 'तदय्युनÓ।
तद्$की$क (अ.स्त्री.)- बारीक करके कूटना; ख़्ाूब सोच-विचार करना।
तद्ख़्ाीन (अ.पु.)- धुआँ करना।
तद्नी$क (अ.पु.)- देखभाल करना।
तद्$फीन (अ.स्त्री.)- मुर्दे को ज़मीन में गाडऩा, दफ्ऩ करना।
तद्बीर (अ.स्त्री.)- उपाय, तरकीब, गुर; एहतियात, पेशबन्दी; प्रयास, प्रयत्न, कोशिश; चालाकी, चतुराई, $िफत्रत; प्रबन्ध, इन्तिज़ाम; उपचार, इलाज।
तद्बीरे मंजि़ल (अ.स्त्री.)- घर-गृहस्थी का प्रबन्ध।
तद्रीज (अ.स्त्री.)- धीरे-धीरे होना, शनै: शनै:।
तद्रीस (अ.स्त्री.)- पढ़ाना, पाठन।
तद्वीन (अ.स्त्री.)- संग्रह करना, एकत्र करना, एक जगह करना, इकट्ठा करना; रचना, बनाना, सम्पादन करना।
तद्वीर (अ.स्त्री.)- चारों ओर घुमाना; ज्योतिष की परिभाषा में आसमान का वह विशेष भाग जो किसी आकाश के अन्तर्गत हो।
तद्सिय: (अ.पु.)- गुमराह करना; तबाह करना।
तद्हीन (अ.स्त्री.)- चिकना करना; तेल चिपुडऩा।
तन: ($फा.पु.)- तना, वृक्ष का वह भाग जो उसकी जड़ से वहाँ तक हो जहाँ से डालियाँ या शाखाएँ निकलती हैं, पेड़ी।
तन ($फा.पु.)- जिस्म, बदन, देह, शरीर, काया, वपु, तनु, गात्र; व्यक्ति, पुरुष, आदमी।
तनआसाँ ($फा.वि.)- दे.- 'तनासाँÓ।
तनआसानी ($फा.स्त्री.)- दे.- 'तनासानीÓ।
तनख़्वाह ($फा.स्त्री.)- वेतन, तलब, काम का वह पारिश्रमिक या मेहनताना जो महीने पर मिले।
तनख़्वाहदार ($फा.वि.)- वेतनभोगी, भृतक, तनख़्वाह पानेवाला, वेतन पर काम करनेवाला।
तनग़्$गुस (अ.पु.)- मलिनता, खिन्नता, तकद्दुर, बदमज़गी; अप्रसन्नता, उदासी।
तनज़्ज़ुल (अ.पु.)- अवनति, पतन, ज़वाल; नीचे आना, नीचे उतरना; दरजा टूटना, पद या मान-सम्मान में कमी होना; कमी, घटाव; अपदस्थता।
तनदिही ($फा.स्त्री.)- संलग्नता, तन्मयता, इन्हिमाक; मेहनत, परिश्रम, पराक्रम।
तनदुरुस्त ($फा.वि.)- स्वस्थ, नीरोग, सुस्थ, निरामय, जिसके शरीर में किसी प्रकार का विकार न हो।
तनदुरुस्ती ($फा.स्त्री.)- नीरोगिता, सेहतमन्दी, स्वास्थ्य।
तनपरस्त ($फा.वि.)- आरामतलब, सुखेच्छु; आलसी, काम न करनेवाला, परिश्रम से बचनेवाला।
तनपरस्ती ($फा.स्त्री.)- निठल्लापन, सुस्ती, काहिली, आलस, निकम्मापन।
तनपर्वर ($फा.वि.)- दे.- 'तनपरस्तÓ।
तनपर्वरी ($फा.स्त्री.)- दे.- 'तनपरस्तीÓ।
तनफ़्$फुर (अ.पु.)- घृणा, न$फरत, घिन।
तनफ़्$फुस (अ.पु.)- श्वास का आना-जाना, साँस की आमदरफ़्त, प्राणवृत्ति; श्वासकास, श्वास रोग, दमे की बीमारी।
तन ब तक़्दीर (अ.$फा.अव्य.)- भाग्य के सहारे, $िकस्मत के भरोसे, जो भी हो।
तनब्बुह (अ.पु.)- जानना, आगाह होना; सावधान होना, होशियार हो जाना, चेत जाना, सचेत होना, सतर्क होना।
तनव्वोÓ (अ.पु.)- रंग-बिरंगा होना, चित्र-विचित्र होना, भाँति-भाँति होना; नवीनता, नयापन, जिद्दत।
तनहा ($फा.वि.)- अकेला, एकाकी; रिक्त, ख़्ााली; एकमात्र, केवल, सि$र्फ। 'मुझसे है आश्नाई वो इसका सुबूत दें, चलकर तो आएँ दूर तक तनहा मेरे लिएÓ- माँझी।
तनहाई ($फा.स्त्री.)- अकेलापन; एकान्त, गोशा।
तनाÓउम (अ.पु.)- लाड़-प्यार और सुख-चैन में जीवन होना, सुख, चैन, लाड़-प्यार, ऐश।
तना$कुज़ (अ.पु.)- एक-दूसरे के विपरीत और उलटा होना; प्रतिकूलता, विपरीतता; रंजिश, वैमनस्य, मनमुटाव।
तना$कुस (अ.पु.)- अशुद्घि, $गलती; ऐब, दोष; त्रुटि, भूल।
तनाज़ुल (अ.पु.)- नीचे उतरना, अवनति, पतन।
तनाज़ोÓ (अ.पु.)- संघर्ष, तनातनी, खींचातानी, कशाकश।
तनाज़ोÓलिलब$का (अ.पु.)- जीवन-संघर्ष, जीवित रहने के लिए पराक्रम और परिश्रम।
तना$फुर (अ.पु.)- परस्पर घृणा करना, एक-दूसरे से दूर भागना; साहित्य की परिभाषा के अनुसार किसी पद में दो शब्दों के उन अक्षरों का पास-पास होना जिनका उद्गम एक हो।
तना$फुस ($फा.पु.)- साँस लेना; परस्पर गरम करना।
तनाब (अ.स्त्री.)- रावटी और तम्बू में लगनेवाली रस्सी, जिसके सहारे वे खड़े होते हैं।
तनाबे अमल (अ.स्त्री.)- आस की डोर, उम्मीद की डोरी, आशारूपी डोर, आशा-सूत्र; आशा, आस, उम्मीद।
तनाबे इश्$क (अ.स्त्री.)- प्रेम की डोर।
तनाबे उम्र (अ.स्त्री.)- आयुसूत्र, आयुकाल, उम्र की लम्बाई।
तनावर ($फा.वि.)- मोटा-ताज़ा, स्थूल; दृढ़ाँग, $कवीजुस्स:।
तनावुल (अ.पु.)- भोजन आदि खाना; सहन करना, उठाना।
तनासाँ ($फा.वि.)- आलसी, सुस्त, काहिल; बेकार, निकम्मा; आरामतलब।
तनासानी ($फा.स्त्री.)- आरामतलबी, निकम्मापन, आलस, सुस्ती।
तनासुख़्ा (अ.पु.)- प्राण का एक शरीर से निकलकर दूसरे शरीर में जाना, आवागमन।
तनासु$फ ($फा.पु.)- न्याय करना, इंसा$फ करना।
तनासुब (अ.पु.)- आपस में सम्बन्ध रखना, परस्पर निस्बत रखना; किसी पदार्थ के तमाम अंगों में जिसको जितना होना चाहिए उतना होना; किन्हीं दो चीज़ों में परस्पर मुनास्बत।
तनासुबे अज्ज़ा (अ.पु.)- किसी नुस्ख़्ो की सभी दवाओं का आनुपातिक सम्बन्ध, जैसे- किसी साबुन के नुस्ख़्ो में कास्टिक सोड़ा एक किलोग्राम, सेलीकेट डेढ़ किलोग्राम, पानी चार किलाग्राम, तेल आठ किलोग्राम आदि, भागानुपात।
तनासुबे आÓज़ा (अ.पु.)- शरीर के अंगों का सुडौलपन, अंग-सौष्ठव, अंग-संहति, अंगानुपात।
तनासुल (अ.पु.)- नर और मादा का मिलकर संतान उत्पन्न करना, नस्ल बढ़ाना। नोट- यह शब्द अकेला प्रयुक्त नहीं होता, 'तवालुदÓ के साथ मिलाकर 'तवालुदो तनासुलÓ प्रयोग में लाया जाता है। दे.- 'तवालुदÓ।
तनीन (अ.स्त्री.)- भिनभिनाहट, सनसनाहट।
तनूर ($फा.पु.)- खमीरी रोटी पकाने की गहरी डहरनुमा भट्ठी, तन्दूर, तन्नूर।
तने तन्हा ($फा.वि.)- बिलकुल अकेला, एकाकी, न$कददम, $फ$कतदम।
तने बेजाँ ($फा.वि.)- शव, लाश, प्राणहीन शरीर, निष्प्राण बदन।
तनोतोश ($फा.पु.)- शरीर का भारीभरकमपन, मोटाताज़ापन।
तनोमंद ($फा.वि.)- स्वस्थ, नीरोग, तनदुरुस्त; दृढ़ाँग, मोटाताज़ा, हृष्टपुष्ट।
तन्क: (तु.पु.)- वह मुद्रा जो प्रचलन में हो, चाहे वह सोने की हो या चाँदी की, ताँबे की हो या किसी अन्य धातु की।
तन्$िकय: (अ.पु.)- पेट सा$फ करना, जुलाब लेना, विरेचन।
तन्$िकयए ताम (अ.पु.)- ऐसा जुलाब जिससे शरीर के सारे अंगों का दूषित मवाद निकल जाए।
तन्$कीद (अ.स्त्री.)- किसी पुस्तक या निबन्ध के मज़मून की समीक्षा, समालोचना; परख, पड़ताल, समीक्षा।
तन्$कीस (अ.स्त्री.)- निन्दा, हजो; तिरस्कार, अपमान, बेइज़्ज़ती; कम करना, घटाना।
तन्$कीह (अ.स्त्री.)- किसी चीज़ में से मिलावट निकालकर उसे शुद्घ और निर्मल करना; न्यायालय की परिभाषा में वाद या अभियोग के आधारभूत विषयों की समीक्षा।
तन्$कीहतलब (अ.वि.)- जिस विषय की पड़ताल अथवा समीक्षा होना आवश्यक हो।
तन्नाज़ (अ.वि.)- बहुत अधिक व्यंगोक्तियाँ कसनेवाला (वाली), बहुत कटाक्ष या तंज़ करनेवाला (वाली); बहुत ही इठलाकर और नाज़ से चलनेवाला (वाली); बहुत अधिक हाव-भाव और नाज़-नख़्ारे दिखानेवाला (वाली)।
तन्जीद (अ.स्त्री.)- अन्त को पहुँचाना, निबटाना।
तन्जीदन ($फा.पु.)- लपेटना; निचोडऩा।
तन्ज़ीर (अ.स्त्री.)- कोमल बनाना।
तन्दही ($फा.पु.)- प्रयास करना, कोशिश करना।
तन्दीद ($फा.स्त्री.)- पर्दा उठाना, प्रदर्शित करना, सामने लाना।
तन्मिय: (अ.पु.)- बढऩा; विकास, नश्वोनमा।
तन्वीन (अ.स्त्री.)- अनुस्वार पैदा करना, 'नकारÓ का शब्द निकालना।
तन्वीर (अ.स्त्री.)- ज्योतित करना, प्रकाशित करना, रौशन करना; प्रकाश, ज्योति, रौशनी, नूर।
तन्सिय: (अ.पु.)- भुला देना।
तन्सीर (अ.स्त्री.)- प्रसारण, फैलाना। नोट- इसका 'सीÓ उर्दू के 'सेÓ अक्षर से बना है।
तन्सीर (अ.स्त्री.)- ईसाई बनाना। नोट- इसका 'सीÓ उर्दू के 'स्वादÓ अक्षर से बना है।
तन्सीस (अ.स्त्री.)- किसी बात को स्पष्ट करना।
तपंच: ($फा.पु.)- 'तपाँच:Ó का लघुरूप, तमंचा, पिस्तौल; थप्पड़।
तप ($फा.स्त्री.)- तपन, ताप, गर्मी; बुख़्ाार, ज्वर।
तपाँ ($फा.वि.)- उत्तप्त, जलता हुआ, तपा हुआ; तड़पता हुआ, फड़कता हुआ।
तपाँच: ($फा.पु.)- तमंचा, पिस्तौल; चाँटा, थप्पड़, तमाचा।
तपाक ($फा.पु.)- बहुत उत्साह से, सोत्साह, सादर; बहुत जोश से, गर्मजोशी, संभ्रानित; आवभगत, तवाजोÓ; प्रेम, प्यार।
तपिंद: ($फा.वि.)- तड़पनेवाला, फड़कनेवाला; तपनेवाला, तप्त होनेवाला, तप्त होता हुआ।
तपिश ($फा.स्त्री.)- गर्मी, दहन, जलन, सोजि़श, पतन, गरिमा; आतप, धूप; मनस्ताप, हार्दिक व्यथा, मन की पीड़ा, दिली $गम; व्याकुलता, आतुरता, बे$करारी।
तपीद: ($फा.वि.)- तप्त, उत्तप्त, तपा हुआ; तड़पा हुआ, फड़का हुआ, भड़का हुआ।
तपे कुह्न: ($फा.स्त्री.)- जीर्ण ज्वर, पुराना बुख़्ाार।
तपे दरूँ ($फा.स्त्री.)- मानसिक व्यथा, मनस्ताप, मन की पीड़ा, मनोदाह, रूही तकली$फ।
तपेदि$क ($फा.स्त्री.)- क्षयरोग, राजयक्ष्मा, क्षयीरोग, यक्ष्मा, टी.बी.।
तपे नौबत (अ.$फा.स्त्री.)- क्रम से आनेवाला बुख़्ाार, बारी से आनेवाला ज्वर, जैसे- इकतरा, तिजारी, चौथिया आदि।
तपे मोहर$क: (अ.$फा.स्त्री.)- मीअ़ादी बुख़्ाार, मोतीझरा, टाई$फाइड।
तपे लजऱ्: (अ.$फा.स्त्री.)- कपकपी के साथ आनेवाला ज्वर , शीतज्वर, मलेरिया।
तपोलजऱ्: (अ.$फा.पु.)- बुख़्ाार और कपकपी।
त$फ (अ.स्त्री.)- गर्मी, ताप, हरारत, गरिमा, उष्णिमा।
त$फक़्$कुद (अ.पु.)- खोज, खोयी हुई चीज़ की तलाश; कृपा, अनुकम्पा, दया, मेहरबानी।
त$फक्कुर (अ.पु.)- अंदेशा, भय, शंका; $िफक्र, सोच, चिन्ता।
त$फक्कुरात (अ.पु.)- 'त$फक्कुरÓ का बहु., अंदेशे, शंकाएँ; चिन्ताएँ, $िफक्रें, सोचें।
त$फक्कुह (अ.पु.)- फल खाना, मेवा खाना।
त$फज़्ज़ुल (अ.पु.)- दान, प्रदान, बख़्िशश; इनायत, कृपा, दया, अनुकम्पा; पुनीतता, श्रेष्ठता, बुज़ुर्गी।
त$फत्तुत (अ.पु.)- चिथड़ा-चिथड़ा हो जाना; टूटकर रेज़ा-रेज़ा हो जाना, टुकड़े-टुकड़े हो जाना।
त$फन्नुन (अ.पु.)- रंग-बिरंगा होना, विचित्रता; हँसी-मज़ाक, तफ्ऱीह, मनोरंजन, मनोविनाद।
त$फन्नुने तब्अ़ (अ.पु.)-दिल का बहलाव, मन का विनोद, मनोविनोद, आमोद-प्रमोद।
त$फर्रु$क (अ.पु.)- भिन्न-भिन्न होना, अलग-अलग होना।
त$फर्रु$के इत्तिसाल (अ.पु.)- घाव, ज़ख़्म, क्षति।
तफर्रुज (अ.पु.)- दरिद्रता और हीनता से छुटकारा पाकर समृद्घि और उन्नति की ओर आना; आनन्द-विहार, सैर-सपाटा, खेल-तमाशा, क्रीड़ा, कौतुक।
त$फर्रुजगाह (अ.$फा.स्त्री.)- सैर-सपाटे अथवा खेल-तमाशे का स्थान, तफ्ऱीहगाह, विनोदस्थल, क्रीड़ास्थल।
तफर्रुद (अ.पु.)- अनुपम होना, अनोखा होना, अद्वितीय होना, लासानी होना; एकान्तवासी होना, गांशानशीन होना।
त$फल्सु$फ (अ.पु.)- विज्ञान, हिकमत।
त$फव्वु$क (अ.पु.)- श्रेष्ठता, प्रधानता, बड़ाई, तर्जीह।
त$फह्हुश (अ.पु.)- गाली-गलौज करना, $फुहश बकना; अश्लीलता, अशिष्टïता; फक्कड़पन। नोट- यह शब्द '$फुहुशÓ से बना है।
त$फह्हुस (अ.पु.)- तलाश करना, खोज लगाना, ढूँढऩा; गवेषणा, तलाश, खोज, ढूँढ़।
त$फाउल (अ.पु.)- शुभ-अशुभ देखना, शगुन विचारना, $फाल लेना।
त$फाख़्ाुर (अ.पु.)- घमण्ड, गर्व, अभिमान; गौरव, $फख्ऱ।
त$फारी$क (अ.स्त्री.)- 'तफ्ऱी$कÓ का बहु., अलहदगियाँ, जुदाइयाँ; भेद, $फ$र्क; $िकस्तें।
त$फारु$क (अ.पु.)- परस्पर अलग होना, एक-दूसरे से जुदा होना; अलहदगी, पृथक्ता।
त$फावुज़ (अ.पु.)- भागीदारी, साझेदारी, हिस्सेदारी; साझा, संयुक्त; विचार-विनिमय, आपस में विचार-विमर्श करना, परस्पर परामर्श करना।
त$फावुत (अ.पु.)- दूरी, $फासिला, अन्तर; विलम्ब, देरी; जुदाई, पृथक्ता, अलहदगी।
त$फावुल (अ.पु.)- शुभ-अशुभ देखना, शगुन विचारना; अच्छा शगुन लेना।
त$फासीर (अ.स्त्री.)- 'तफ़्सीरÓ का बहु., तफ़्सीरें, महाभाष्य।
त$फासील (अ.स्त्री.)- 'तफ़्सीलÓ का बहु., तफ़्सीलें, विवरण।
त$फासुल (अ.पु.)- एक-दूसरे से अलग होना, परस्पर पृथक्ता ग्रहण करना।
त$फूलियत (अ.स्त्री.)- बचपन, बाल्यावस्था।
तफ़्ख़्ाीम (अ.स्त्री.)- श्रेष्ठ मानना, श्रेष्ठ बनाना।
तफ्ज़ीअ़ (अ.स्त्री.)- दु:खित करना, पीडि़त करना।
तफ़्ज़ील (अ.स्त्री.)- एक को दूसरे पर प्रधानता देना; प्रधानता, तर्जीह; हज्ऱत अ़ली को पहले तीन ख़्ाली$फाओं से श्रेष्ठ मानना।
तफ़्ज़ीली (अ.पु.)- वह सुन्नी मुसलमान जो हज्ऱत अ़ली को बा$की ख़्ाली$फाओं में श्रेष्ठ मानता हो।
तफ़्ज़ीह (अ.स्त्री.)- बुराई करना, निन्दा करना, आलोचना करना, बदनाम करना; निन्दा, अपयश, बदनामी।
तफ़्त: ($फा.वि.)- जला हुआ, दग्ध, तप्त।
तफ़्त:जाँ ($फा.वि.)- दिलजला, दग्धहृदय; पे्रमी, अ़ाशि$क।
तफ़्त:जिगर ($फा.वि.)- दिलजला, दग्धहृदय; पे्रमी, अ़ाशि$क।
तफ़्ताँ ($फा.पु.)- धूप या आग में सेंकी हुई चीज़; रौ$गनी पराठा, घी चिपुड़ी रोटी।
तफ़्तीत (अ.स्त्री.)- चूर-चूर करना, टुकड़े-टुकड़े करना।
तफ़्तीद: ($फा.वि.)- गर्म किया हुआ, तपा हुआ।
तफ़्तीर (अ.स्त्री.)- व्रत खुलवाना, रोज़ा खुलवाना।
तफ़्तीश (अ.स्त्री.)- जाँच-पड़ताल, पुलिस अ$फसर द्वारा किसी केस की जाँच; तलाश, खोज, गवेषणा।
तफ़्तीह (अ.स्त्री.)- खोलना।
तफ़्तीहे मसामात (अ.स्त्री.)- पसीने के लिए शरीर के रोमकूपों को खोलना (दवाओं द्वारा या बफारा अथवा भाप द्वारा)।
तफ्ऩीद (अ.पु.)- डाँटना, फटकारना, भत्र्सना करना।
तफ्रि़$क: (अ.पु.)- अलगाव, फूट, परस्पर विरोध; पृथक्ता, जुदाई; वैर, शत्रुता, दुश्मनी।
तफ्रि़$क:अंगेज़ (अ.$फा.वि.)- दे.- 'तफ्रि़$क:अंदाज़Ó।
तफ्रि़$क:अंगेज़ी (अ.$फा.स्त्री.)- दे.- 'तफ्रि़$क:अंदाज़ीÓ।
तफ्रि़$क:अंदाज़ (अ.$फा.वि.)- दो व्यक्तियों या दलों में परस्पर फूट डालनेवाला।
तफ्रि़$क:अंदाज़ी (अ.$फा.स्त्री.)- आपस में फूट डालना, परस्पर विरोध-भाव उत्पन्न करना।
तफ्रि़$क:परदाज़ (अ.$फा.वि.)- दे.- 'तफ्रि़$क:अंदाज़Ó।
तफ्रि़$क:परदाज़ी (अ.$फा.स्त्री.)- दे.- 'तफ्रि़$क:अंदाज़ीÓ।
तफ्रि़$क:पर्वर (अ.$फा.वि.)- दे.- 'तफ्रि़$क:अंदाज़Ó।
तफ्रि़$क:पर्वरी (अ.$फा.स्त्री.)- दे.- 'तफ्रि़$क:अंदाज़ीÓ।
तफ्रि़$क:सामाँ (अ.$फा.वि.)- फूट के सामान एकत्र करनेवाला, फूट फैलानेवाला।
तफ्रि़$क:सामानी (अ.$फा.स्त्री.)- फूट के सामान एकत्र करके फूट फैलाना।
तफ्ऱी$क (अ.स्त्री.)- जुदा करना, पृथक् करना, अलग करना; फूट डालना; दिलों में भेद डालना, मतभेद पैदा करना; जुदाई, पृथक्ता, अलहदगी; फूट, तफ्रि़$क:; बड़ी संख्या में से छोटी संख्या घटाना, बा$की, व्यवकलन।
तफ्ऱीत (अ.स्त्री.)- नष्ट करना, बर्बाद करना; किसी काम में आलस्य और बेपरवाही करना।
तफ्ऱीद (अ.स्त्री.)- सबसे जुदा हो जाना, अकेला रह जाना; अकेला छोड़ देना।
तफ्ऱीश (अ.स्त्री.)- $फर्श बिछाना, $फर्श बिछाकर मकान सजाना।
तफ्ऱीस (अ.स्त्री.)- किसी दूसरी भाषा के शब्द को $फार्सी बनाना।
तफ्ऱीह (अ.स्त्री.)- मनोरंजन, मनोविनोद, समय व्यतीत करने के लिए मनबहलाव; दिल्लगी, मज़ा$क; क्रीड़ा, कौतुक, खेल-तमाशा; विहार, सैर-सपाटा।
तफ्ऱीहगाह (अ.$फा.स्त्री.)- विनोद-स्थल, क्रीड़ा-क्षेत्र, तफ्ऱीह की जगह।
तफ्ऱीहन (अ.वि.)- मज़ा$क के तौर पर, दिल्लगी में; तफ्ऱीह और मनबहलाव के लिए, मनोरंजन के लिए।
तफ्ऱीही (अ.वि.)- मनोरंजन का, मनबहलाव का; मनबहलाव या मनोरंजन से सम्बन्ध रखनेवाला।
तफ्ऱीहे तब्अ़ (अ.स्त्री.)- मनोरंजन, मनोविनोद, मनबहलाव।
तफ़्वीज़ (अ.स्त्री.)- हस्तान्तरण करना, हवाले करना, सिपुर्द करना।
तफ़्साँ ($फा.वि.)- अत्यधिक गर्म, बहुत अधिक गर्म।
तफ़्सीद: ($फा.वि.)- अत्यधिक गर्म, बहुत अधिक गर्म।
तफ़्सीर (अ.स्त्री.)- व्याख्या, तश्रीह; किसी धर्मग्रन्थ की व्याख्या, भाष्य।
तफ़्सील (अ.स्त्री.)- विवरण, विस्तार, ख़्ाुलासा; स्पष्टता, तौज़ीह।
तफ़्हीम (अ.स्त्री.)- बताना, समझाना, बोध कराना, ज्ञान कराना।
तब ($फा.स्त्री.)- दे.- 'तपÓ, दोनों शुद्घ हैं।
तब$क: (अ.पु.)- दे.- 'तब्$क:Ó, शुद्घ उच्चारण यही है मगर उर्दू में 'तब्$क:Ó ही बोलते हैं।
तब$क (अ.पु.)- बड़ी रिकाबी, थाल; परत, तह; तल, सतह; भग, योनि।
तबकग़र (अ.$फा.वि.)- तबक़ बनानेवाला।
तब$कच: (अ.$फा.पु.)- छोटा तबाक, छोटी रिकाबी।
तब$कज़न (अ.$फा.स्त्री.)- वह कामातुर स्त्री जो किसी दूसरी स्त्री की योनि से अपनी योनि रगड़ती हो, चपटी लड़ानेवाली स्त्री, साÓतरबाज़, भग से भग रगडऩेवाली स्त्री।
तब$कात (अ.पु.)- 'तब$कÓ का बहु., तब्$के, परतें।
तब$कातुलअजऱ् (अ.पु.)- पृथ्वी की परत, ज़मीन की भीतरी परत या दर्जे।
तबख़्ााल: ($फा.पु.)- वह छोटा फफोला जो गर्मी की वजह से होंठों पर निकल आता है।
तबख़्तुर (अ.पु.)- नाज़ और $गुरूर से चलना; अभिमान, नाज़, $गुरूर।
तबतीन (अ.पु.)- राज़दार बनाना, हमराज़ बनाना।
तबद्दुल (अ.पु.)- बदल जाना; बदलना, बदला करना; इन्$िकलाब, परिवर्तन।
तबन (अ.स्त्री.)- बुद्घिमानी।
तबन्नी (अ.स्त्री.)- किसी बालक को गोद लेना, दत्तक पुत्र बनाना।
तबर ($फा.पु.)- $कल्हाड़ा, फरसा।
तबरज़द ($फा.स्त्री.)- $कंद, शर्करा, मिश्री, स$फेद दानेदार चीनी।
तबरज़न ($फा.वि.)- कुल्हाड़ी चलानेवाला, लकड़हारा; फरसा लिये हुए सिपाही।
तबरज़ीं ($फा.पु.)- वह तबर अथवा फरसा जो घुड़सवार की ज़ीन के साथ हर वक़्त कसा रहता है।
तबरबाज़ (अ.$फा.वि.)- दे.- 'तबर्राईÓ।
तब$र्कुअ़ (अ.वि.)- बु$र्कापोश, पर्दानशीन, पर्देदार।
तबर्रा (अ.पु.)- धिक्कार, लाÓनत, मलामत; गाली-गलौच, अपशब्द; उपेक्षा, घृणा, बेज़ारी; लाÓनत-मलामत जो शीअ़ा लोग पहले तीन ख़्ाली$फाओं की करते हैं।
तबर्राई (अ.$फा.वि.)- गालियाँ बकनेवाला; तीनों ख़्ाली$फाओं को भला-बुरा कहनेवाला, तबरबाज़, तबर्राबाज़।
तबर्रुक (अ.पु.)- वह चीज़ जो किसी महात्मा या दरवेश से मिले; वह प्रसाद जो किसी बुज़ुर्ग आदि की $फातिहा का हो; वह चीज़ जिसमें बरकत होने का विश्वास हो; बुज़ुर्गों से सम्बन्ध रखनेवाली चीज़; बहुत थोड़ी-सी वस्तु (व्यंग); प्रसाद।
तबर्रुकन (अ.वि.)- बरकत या शुभ-मंगल के लिए, तबर्रुक के तौर पर; प्रसाद के रूप में।
तबर्रुकात (अ.पु.)- 'तबर्रुकÓ का बहु., प्रसाद की चीज़ें, तबर्रुक की चीज़ें, बुज़ुर्गों से सम्बन्धित वस्तुएँ।
तबस्सुत (अ.वि.)- विस्तृत।
तबस्सुम (अ.पु.)- मृदुहास, हलकी हँसी, मुस्कुराहट, मुस्कान, मन्दहास, स्मित।
तबस्सुमकुनाँ (अ.$फा.वि.)- मुस्कुराता हुआ, मुस्कान बिखेरता हुआ।
तबस्सुर (अ.पु.)- अवलोकन, नज़र डालना।
तबह ($फा.वि.)- 'तबाहÓ का लघुरूप, दे.- 'तबाहÓ।
तबहकार ($फा.वि.)- दे.- 'तबाहकारÓ।
तबहहाल ($फा.वि.)- दे.- 'तबाहहालÓ।
तबह्हुर (अ.पु.)- इल्म की गहराई, धुरंधरता, विद्वत्ता, पाण्डित्य।
तबाअ़त (अ.स्त्री.)- मुद्रण, छपाई।
तबाउद (अ.पु.)- एक-दूसरे से दूर होना; अन्तर, दूरी, $फासिला।
तबाए (अ.स्त्री.)- 'तबीअ़तÓ का बहु., प्रकृतियाँ, तबीअ़तें, स्वभाव।
तबा$क (तु.पु.)- बड़ी रि$काबी, थाली, परात; खाने की मेज का बर्तन, ख़्वान।
तबा$की (उ.वि.)- दस्तरख़्वान के साथी, खाने-भर के मीत, हाली-मवाली।
तबादुर (अ.पु.)- परस्पर दौडऩा; दौड़ में आगे निकल जाना; किसी काम को दूसरे से पहले कर लेना।
तबादुरे ज़ेह्न (अ.पु.)- ज़ेह्न का किसी ओर तुरन्त जाना, तुरन्त ही कोई बात ध्यान में आना।
तबादुल (अ.पु.)- बदलना, एक वस्तु की जगह दूसरी वस्तु लेना; एक चीज़ के स्थान पर दूसरी चीज़ रखना।
तबायुन (अ.पु.)- प्रतिकूलता, विपरीतता, उलटापन; अन्तर, $फ$र्क, भेद; पृथक्त अलाहदगी, अलगाव।
तबार ($फा.पु.)- वंश, कुल, गोत्र, ख़्ाानदान।
तबाशीर ($फा.पु.)- प्रात:काल की स$फेदी, ऊषा, उषा; एक प्रसिद्घ दवा, वंशलोचन, तवक्षीर।
तबाह ($फा.वि.)- नष्ट, ध्वस्त, बर्बाद; दुर्दशाग्रस्त, बदहाल; जनशून्य, निर्जन, वीरान; निकृष्ट, दूषित, ख़्ाराब।
तबाहकार ($फा.वि.)- विनाशकारी, बर्बादी लानेवाला, तबाही मचानेवाला; अत्याचारी, ज़ालिम; कदाचारी, बदचलन।
तबाह रोज़गार ($फा.वि.)- दुर्दशा-प्राप्त, भाग्य का मारा, ज़माने की गर्दिश का शिकार, कालचक्र-ग्रस्त, बदहाल।
तबाहहाल (अ.$फा.वि.)- मुसीबत का मारा, कालचक्र-पीडि़त; निर्धन, दरिद्र, मुफ़्िलस।
तबाही ($फा.स्त्री.)- आपत्ति, विपत्ति, मुसीबत; विध्वंस, ख़्ाराबी, खँडरपन; विनाश, बर्बादी; अत्याचार, ज़ुल्म, अनीति; निर्धनता, $गरीबी, मुफ़्िलसी।
तबाहीज़द: ($फा.वि.)- विपत्ति का मारा, आ$फत का मारा, विपत्ति-ग्रस्त; र्भायहीन, बदकिस्मत; $गरीब, निर्धन, कंगाल, बेज़र।
तबीअ़त (अ.स्त्री.)- स्वास्थ्य या रोग के दृष्टिकोण से शरीर की दशा, मिज़ाज; $मन, दिल, चित्त; $धर्म, स्वभाव, ख़्ाासीयत; $प्रकृति, निसर्ग, नेचर, जिबिल्लत; $स्वभाव, आदत; $रुचि, र$गबत।
तबीई (अ.वि.)- दे.- 'तब्ईÓ; $एक वैज्ञानिक शाखा जिसमें शारीरिक परिवर्तनों और गुणों का विवरण होता है; शरीर-शास्त्र।
तबीख़्ा (अ.पु.)- औटाई हुई दवा आदि का पानी, जोशाँदा।
तबीब (अ.पु.)- उपचारक, चिकित्सक, दवा करनेवाला, वैद्य। 'मेरा जो दर्द है वो किसी को बताऊँ क्या, इसकी दवा नहीं है जहाँ में तबीब परÓ- माँझी
तबीर: ($फा.पु.)- दुन्दुभी, भेरी; नक़्क़ारा, धौंसा।
तबीर:ज़न ($फा.वि.)- नक़्क़ारा बजानेवाला, दुन्दुभीकार।
तब्अ़ (अ.स्त्री.)- मुद्रण, छापना; स्वभाव, आदत।
तब्अ़ आज़माई (अ.$फा.स्त्री.)- काव्य-रचना कौशल की जाँच, किसी समस्या की पूर्ति या विषय पर कविता लिखना।
तब्अ़ज़ाद (अ.$फा.वि.)- मन की प्रेरणा से उत्पन्न गढ़ंत, अपनी विचार-शक्ति की पैदावार, कल्पित, $फजऱ्ी।
तब्अऩ् (अ.वि.)- स्वभावत:, स्वभाव से, दिल से।
तब्ई (अ.वि.)- स्वाभाविक, प्राकृतिक, नेचुरल।
तब्ईज़ (अ.स्त्री.)- स$फेद करना, स$फेदी फेरना।
तब्ईन (अ.स्त्री.)- प्रकट करना, व्यक्त करना, ज़ाहिर करना; बयान करना, कहना।
तब्ईयत (अ.स्त्री.)- अनुसरण, अनुकरण, पदानुसरण, पैरवी।
तब्ए रवाँ (अ.$फा.स्त्री.)- उर्वरा-प्रतिभा, प्रवाहित कल्पना-शक्ति, तेज़ तबीअ़त, प्रतिभाशील तबीअ़त।
तब्ए रसा (अ.$फा.स्त्री.)- ऊँची उड़ान भरनेवाली तबीअ़त या काव्य-शक्ति।
तब्$क: (अ.पु.)- श्रेणी, दर्जा, वर्ग; तल, दर्जा; परत, तह; लोक, अ़ालम; हालत, दशा।
तब्$क:वारान: (अ.$फा.वि.)- सम्प्रदाय वाला, साम्प्रदायिक, $िफ$र्कावारान:, धार्मिक; छोटे-बड़ेवाला, श्रेणी या वर्गवाला।
तब्ख़्ा (अ.पु.)- पकना, पाक।
तब्ख़्ाीर (अ.स्त्री.)- भाप बनाना, वाष्पीकरण्र; एक रोग जिसमें खाने के बाद आमाशय से भाप उठती है।
तब्ज़ीर (अ.स्त्री.)- बहुत ख़्ार्च करना, अतिव्यय, अपव्यय करना, $फुज़ूलख़्ार्ची करना; अस्त-व्यस्त करना, तितर-बितर करना।
तब्जील (अ.स्त्री.)- आदर और सत्कार करना; श्र8ेय, श्रेष्ठ और महान् जानना।
तब्दीन (अ.पु.)- बुढ़ापा, वृद्घावस्था।
तब्दील (अ.स्त्री.)- बदला हुआ, बदलना; एक वस्तु देकर दूसरी लेना; एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाना; जो एक स्थान से हटाकर दूसरे स्थान पर रख यिा गया हो।
तब्दीली (अ.स्त्री.)- बदलाव, परिवर्तन, उथल-पुथल; क्रान्ति, इन्$िकलाब; स्थानंतरण, एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाना।
तब्दीले आबोहवा (तब्दील ए आबोहवा) (अ.$फा.स्त्री.)- हवा-पानी का बदलन, जलवायु का बदलना, एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाना।
तब्दीले मज़्हब (तब्दील ए मज़हब) (अ.स्त्री.)- धर्म-परिवर्तन, मज़हब का बदलाव।
तब्दीले सूरत (तब्दील ए सूरत) (अ.स्त्री.)- रूप-परिवर्तन, शक्ल बदलना, हुलिया बदलना; बहुरूपिया बनना।
तब्दीले हैअत (तब्दील ए हैअत) (अ.स्त्री.)- दे.- 'तब्दीले सूरतÓ।
तब्नियत (अ.स्त्री.)- दत्तक बनाना, लेपालक बनाना, गोद लेना, मुतबन्ना करना।
तब्बाअ़ (अ.वि.)- प्रतिभाशाली, ज़हीन, जीनियस।
तब्बाई (अ.स्त्री.)- प्रतिभा, ज़हानत।
तब्बाख़्ा (अ.पु.)- खाना बनानेवाला, बावर्ची, सूपकार, रसोइया; रोटी पकानेवाला, नानबाई।
तब्बाख़्ाी (अ.स्त्री.)- बावर्ची का काम; नानबाई का पेशा, रोटी पकाना।
तब्रीद (अ.स्त्री.)- ठंडाई, वह ठंडाई जो जुलाब के बाद दी जाती है।
तब्रेज़ ($फा.पु.)- ईरान के आज़रबाइजान प्रान्त का एक प्रसिद्घ नगर।
तब्रेज़ी ($फा.वि.)- तब्रेज़ का निवासी, तब्रेज़ से सम्बन्ध रखनेवाला।
तब्ल: ($फा.पु.)- खाल मढ़ा हुआ एक प्रसिद्घ बाजा, तबला; संदू$कची, पिटारी।
तब्ल ($फा.पु.)- धौंसा, नक़्$कारा; भेरी, दुन्दुभी।
तब्लए अंबर ($फा.पु.)- वह पिटारी जिसमें अं़बर नामक बहुमूल्य सुगन्धित पदार्थ रखा होता है, वह डिब्बा जिसमें अंबर रखा रहता है।
तब्ल$क (तु.स्त्री.)- वह का$गज़ जो पैकिट बनाने के लिए ऊपर से चढ़ाया जाता है; दोनों ओर से खुला हुआ लि$फा$फा; का$गज़ों का मुट्ठा।
तब्ली (अ.वि.)- ढोल-जैसा, ढोलनुमा; जलंधर नामक रोग की एक $िकस्म जिसमें पेट ढोल की तरह बजता है।
तब्ली$ग (अ.स्त्री.)- प्रचार, प्रोपेगण्डा; किसी बात को दूर तक फैलाना, प्रसार।
तब्ली$गे मज़्हब (अ.स्त्री.)- धर्म-प्रचार, मज़हब की तब्ली$ग।
तब्लेजंग ($फा.पु.)- युद्घ में बजनेवाला नक़्$कारा, रणदुन्दुभी, रणभेरी।
तब्लोअ़लम (अ.$फा.पु.)- युद्घ का झण्डा और नक़्$कारा; युद्घ पताका और रणभेरी; वह झण्डा और नक़्$कारा जो वज़ीरों और सूबेदारों की सवारी के साथ चलता था।
तब्वीब (अ.स्त्री.)- पुस्तक के परिच्छेदों और अध्यायों में विभाजन ('वाबÓ= अध्याय से यह शब्द बना है)।
तब्शीर (अ.स्त्री.)- अच्छी ख़्ाबर सुनाना, शुभ-सूचना देना, आशीर्वाद देना।
तब्सिर: (अ.पु.)- आलोचना, समालोचना, समीक्षा, तन्$कीद; आखों में रौशनी पहुँचाना, अँख्यारा करना।
तब्सिर:निगार (अ.$फा.वि.)- समीक्षा करनेवाला, आलोचक, समालोचक, समीक्षक, तन्$कीदनिगार।
तमए ख़्ााम (अ.$फा.स्त्री.)- मृगतृष्णा, ऐसी आशा या अभिलाषा जो कभी पूरी न हो।
तमक्कुन (अ.पु.)- ठहरना, टिकना, जगह पकडऩा, स्थिर होना।
तमत्तोÓ (अ.पु.)- लाभ-प्राप्ति, न$फा उठाना; प्राप्ति, लाभ, न$फा, मुना$फा।
तमद्द्दुद (अ.पु.)- तनाव, खिंचाव; दराज़ होना, लम्बा होना।
तमद्दुन (अ.पु.)- नगर में एक स्थान पर मिल-जुलकर रहना और वहाँ नागरिक सुविधाओं का प्रबन्ध करना, नागरिता; किसी देश या प्रदेश की वेष-भूसा, वहाँ रहने-सहने का ढंग और वहाँ के नागरिकों के आचार-विचार।
तमन्ना (अ.स्त्री.)- अभिलाषा, लालसा, आकांक्षा, लिप्सा, कामना, स्पृहा, आरज़ू, इच्छा, ख़्वाहिश।
तमन्नाई (अ.वि.)- आकांक्षी, अभिलाषी, इच्छुक, स्पृही, लालसी, लिप्सु, ख़्वाहिशमन्द।
तमर (अ.पु.)- छुहारा, सूखा हुआ खजूर, ख़्ाुर्मा।
तमर हिंदी ($फा.स्त्री.)- इमली, इमली का पेड़, इमली का फल, तिंतडी।
तमरिस्तान (अ.$फा.पु.)- खजूर का बा$ग।
तमर्रुद (अ.पु.)- धृष्ठता, ढिठाई, गुस्ताख़्ाी; अहंकार, घमण्ड, गर्व; अवज्ञा, ना$फर्मानी; द्रोह, सरकशी।
तमल्लु$क (अ.पु.)- चाटुकारिता, ख़्ाुशामद, चापलूसी, लल्लो-चप्पो, जी-हुज़ूरी।
तमल्मुल (अ.पु.)- आकुलता, व्याकुलता, आतुरता, बेचैनी, बेआरामी; जागने और सोने के बीच की अवस्था (जब मनुष्य सोता है परन्तु कुछ-कुछ होश में होता है)।
तमव्वुज (अ.पु.)- पानी का हिलोरें मारना, पानी में ज़ोर-ज़ोर से लहरें उठना, हिल्लोल।
तमव्वुल (अ.पु.)- समृद्घि, धनाढ्यता, धनसम्पन्नता, अमीरी, मालदारी।
तमश्शी (अ.स्त्री.)- जाना, गमन; चलना, गति।
तमस्ख़्ाुर (अ.पु.)- ठठोल, अभिहास, परिहास, मस्ख़्ारापन, दिल्लगी, मनोरंजन, तफ्ऱीह।
तमस्सुक (अ.पु.)- लेना, ग्रहण करना, पकडऩा; लेख्य, दस्तावेज़; ऋणपत्र, $कजऱ्नामा।
तमाÓ (अ.स्त्री.)- कामना, लालसा, इच्छा, अभिलाषा; लोभ, लोलुपता, हिर्स।
तमाच: (उ.पु.)- दे.- 'तपांच:Ó।
तमाज़त (अ.स्त्री.)- सूरज की गर्मी, धूप की गर्मी।
तमाज़ते आफ़्ताब (अ.$फा.स्त्री.)- सूरज की गर्मी, धूप की गर्मी।
तमादी (उ.स्त्री.)- समाप्त होना, अन्त होना, अन्त तक पहुँच जाना; बढऩा, बढ़ जाना, लम्बा होना।
तमानियत (उ.स्त्री.)- विश्वास, एतिबार; सान्त्वना, तसल्ली; सन्तोष, इत्मीनान। नोट- मुख्य शब्द 'तुमानीनतÓ या 'तुमानीयतÓ है।
तमाम (अ.वि.)- समग्र, सब, समस्त, कुल, सम्पूर्ण; ख़्ात्म, समाप्त; बहुत जि़यादा, अत्यधिक; ख़्ाालिस, निर्मल।
तमामतर (अ.$फा.वि.)- पूरा-पूरा, सारे का सारामुकम्मल, सर्व।
तमाश: (अ.पु.)- दे.- शुद्घ शब्द 'तमाशाÓ।
तमाशबीन ($फा.वि.)- वेश्यागामी, रण्डीबाज़, ऐयाश।
तमाशबीनी ($फा.स्त्री.)- वेश्यागमन, रण्डीबाज़ी, ऐयाशी।
तमाशा (अ.पु.)- बाज़ीगर या मदारियों आदि का खेल; नाटक, ड्रामा; भाँड़ों या बहुरूपियों की न$कल या स्वाँग; खेल, क्रीड़ा; सैर, तफ्ऱीह, विहार; आनन्द, लुत्$फ; दर्शन, दीदार; अद्भुतता, अजूबापन।
तमाशाई (अ.$फा.वि.)- तमाशा देखनेवाला (वाली, वाले), कौतुकदर्शी।
तमाशाकुनाँ (अ.$फा.वि.)- विहार या सैर से दिल बहलाता हुआ, सैर करता हुआ, घूमता हुआ।
तमाशा ख़्ाानम (अ.तु.स्त्री.)- ऐसी स्त्री जिसकी बातें बड़ी मनोरंजक हों, हँसने-हँसानेवाली अ़ौरत।
तमाशागर (अ.$फा.वि.)- तमाशा करनेवाला, खेल दिखानेवाला, कौतुकी।
तमाशागाह (अ.$फा.स्त्री.)- वह स्थान जहाँ तमाशा होता हो, लीलागृह, काँतुकगार, क्रीड़ास्थल।
तमाशबीं (अ.$फा.वि.)- तमाशा देखनेवाला, कौतुकदर्शी। तमासील (अ.स्त्री.)- 'तिम्सालÓ और 'तम्सीलÓ का बहु., आकृतियाँ, मूर्तियाँ; उपमाएँ।
तमासुख (अ.पु.)- सूरत बिगाड़ देना, किसी की शक्ल को इतना बिगाड़ देना कि वह पहचान में न आ सके।
तमीज़ (अ.स्त्री.)- 'तम्ईज़Ó का लघुरूप, दो वस्तुओं में अन्तर समझ सकने की बुद्घि, विवेक; परख, पहचान; बुद्घि, मेधा, अक़्ल; ज्ञान, संज्ञा, होश; योग्यता, कौशल, सली$का; शिष्टता, सभ्यता, तहज़ीब; परीक्षा में मिलनेवाला विशेष चिह्नï, डिस्टिंक्शन, विशेष-योग्यता।
तमीज़दार (अ.$फा.वि.)- कुशल, योग्य, सली$कामन्द; शिष्ट, सभ्य।
तमूज़ ($फा.स्त्री.)- जेठ-बैसाख की गर्मी, धूप की तेज़ गर्मी।
तम्अ़ (अ.स्त्री.)- दे.- 'तमाÓ, दोनों उच्चारण सही हैं।
तम्ईज़ (अ.स्त्री.)- दे.- 'तमीज़Ó। नोट- उर्दू में 'तमीज़Ó ही बोला जाता है।
तम्कनत (अ.स्त्री.)- गर्व, घमण्ड, अभिमान, $गुरूर; टीम-टाम, तड़क-भड़क।
तम्कीन (अ.स्त्री.)- पद, पदवी, दरजा; प्रतिष्ठा, सम्मान, वक़्अ़त; संजीदगी, गम्भीरता।
तम्$गा (तु.पु.)- पदक, मेडिल; राज-चिह्नï, शाही मुहर; मा$फी की ज़मीन की सनद, भूमिधर-पत्र।
तम्जीद (अ.स्त्री.)- मान-सम्मान, महत्ता या प्रतिष्ठा देना; किसी की महत्ता या प्रतिष्ठा का वर्णन करना; यशोगान, हम्दोसना, गुणगान, स्तुति, कीर्तन।
तम्दीद (अ.स्त्री.)- खींचना, बढ़ाना, लम्बा करना; खिंचाव, बढ़ाव, लम्बाई।
तम्मत (अ.क्रि.)- सम्पन्न हुआ, समाप्त हुआ, ख़्ात्म हुआ।
तम्मत बिलख़्ौर (अ.क्रि.)- अच्छाई और सुन्दरता के साथ सम्पन्न हुआ। नोट- जो काम सुगमता और शुद्घता पूर्वक समाप्त या सम्पन्न हो उसके लिए इस शब्द का प्रयोग किया जाता है।
तम्माअ़ (अ.वि.)- अति लोलुप, बहुत अधिक लोभी।
तम्सील (अ.स्त्री.)- दृष्टान्त, उदाहरण, मिसाल; समानता, बराबरी; उपमा, तुलना।
तम्सीलन (अ.अव्य.)- उदाहरणार्थ, मिसाल के तौर पर।
तम्सीली (अ.वि.)- उदाहरण, उपमा या तुलनावाला; जिसमें कोई तम्सील हो अर्थात् किसी असली व्यक्ति के स्थान पर किसी दूसरे व्यक्ति ने उसकी भूमिका निभाई हो।
तय (अ.पु.)- निश्चित, य$कीनी; निर्णीत, $फैसल; परिपक्व, पुख़्ता; समाप्त, ख़्ात्म; यमन (अरब) का एक वंश जिसमें 'हातिमÓ पैदा हुआ।
तय्या$फ (अ.पु.)- स्वप्न में डरने का रोग।
तय्यार: (अ.पु.)- विमान, वायुयान, हवाई जहाज़।
तय्यार:शिकन (अ.$फा.स्त्री.)- वह तोप जो विमान को मार गिराए।
तय्यार (अ.वि.)- कटिबद्घ, तत्पर, आमादा; उपस्थित, मौजूद, विद्यमान; कूच, हमले या कहीं छापा मारने के लिए पूरे साज़ो-सामान से सुसज्जित; परिपूर्ण, मुकम्मल; सुसज्जित, आरास्ता; कोई चीज़ खाने अथवा प्रयोग करने की अवस्था में, जैसे- भोजन जो रसोई में बन रहा हो अथवा कपड़ा जो सिलने के लिए दिया हो; वस्त्राभूषण आदि से सुसज्जित। 'हम तो तय्यार हैं उस बज़्म में जाने के लिए, कोई आवाज़ तो दे हमको बुलाने के लिएÓ- माँझी
तय्यारची (अ.तु.वि.)- हवाई-जहाज़ चलानेवाला, वायुयान-चालक, पायलेट।
तय्याश (अ.वि.)- ओछा, बुद्घिहीन।
तय्यिब: (अ.स्त्री.)- पवित्रा, पुनीता, मु$कद्दस स्त्री; धार्मिक दृष्टिकोण से पवित्र नगरों विशेषत: 'मदीनेÓ के आगे लगाया जानेवाला शब्द।
तय्यिब (अ.स्त्री.)- वह धन आदि जो पूरे परिश्रम और पूरी ईमानदारी से कमाया गया हो; विहित, जायज़, हलाल; पवित्र, शुद्घ, पाक।
तय्यिबात (अ.स्त्री.)- 'तय्यिब:Ó का बहु., पवित्रा, पुनीत- आत्मा स्त्रियाँ।
तरंजुबीन (अ.स्त्री.)- शिकंजी; नीबू का शर्बत; एक प्रकार की रेचक शकर जो ख़्ाुरासान (ईरान) से आती है और अक्सर वहाँ के पौधों पर जम जाती है; तुरंजबीन।
तर: ($फा.पु.)- शाक, साग, भाजी, सब्ज़ी, तरकारी।
तर ($फा.वि.)- आद्र्र, गीला; लथपथ, लथड़ा हुआ; घी आदि से चुपड़ा या उसमें भीगा हुआ, तरतराता; नवीन, नया; ताज़ा, तत्कालीन, हाल का; हरा, सब्ज़, सरसब्ज़; धनवान्, मालदार, (प्रत्य.)- अत्यधिक, जैसे- 'ख़्ाूबतरÓ- बहुत अधिक उत्तम या सुन्दर।
तरकश ($फा.पु.)- तूणीर, निषंग, त्रोण, तीर रखने का लम्बा खोल जो कमर में लटकाया जाता है।
तरकशबन्द ($फा.वि.)- तूणीरधारी, निषंगधर, तरकश बाँधे हुए।
तरक़्$की (अ.स्त्री.)- उन्नति, उत्थान, उरूज; वृद्घि, बढ़ती; पद या ओहदे में वृद्घि; अधिकता, बहुतायत, जि़यादती।
तरक़्$कीपसन्द (अ.$फा.वि.)- उन्नति और तरक़्$की चाहनेवाला; एक साहित्यिक ख़्ोमा जो साम्यवादी विचारों का प्रचारक और देश में साम्यवाद का हामी है।
तरक़्$की पिज़ीर (अ.$फा.वि.)- दे.- 'तरक़्$कीयाफ़्त:Ó। उन्नतिप्राप्त (पिज़ीर=प्राप्त)।
तरक़्$कीयाफ़्त: (अ.$फा.वि.)- समुन्नत, वद्र्घमान, उन्नति-प्राप्त; सुसभ्य, सुशिष्ट, मुहज़्ज़ब।
तरज़बान ($फा.वि.)- सुन्दर और शिष्ट भाषण देनेवाला, सुवक्ता; किसी की प्रशंसा करनेवाला, मद्हख़्वाँ।
तरजुमान (अ.पु.)- भाषान्तरकार, एक भाषा से दूसरी भाषा में बदलनेवाला; दो ऐसे व्यक्तियों के मध्य में मध्यस्थता करनेवाला जो एक-दूसरे की भाषा न समझते हों, द्वि-भाषी।
तरजुमानी (अ.$फा.स्त्री.)- दो भाषाओं का अनुवाद, उल्था; दो भाषा-भाषियों में भाषायिक मध्यस्थता।
तरज्जी (अ.स्त्री.)- आशा, आस, उम्मीद; ऐसी वस्तु के मिलने की आशा जिसकी प्राप्ति सम्भव हो।
तरदस्त ($फा.वि.)- चुस्त, फुर्तीला, स्फर्तियुक्त; प्रवीण, कुशल, माहिर; हाथ से होनेवाली कारीगरी (हस्तशिल्प, दस्तकारी आदि) में दक्ष और होशियार।
तरदामन ($फा.वि.)- जो दामन बचाकर न निकल सका हो बल्कि जिसका दामन सन गया हो अर्थात् किसी अपराध में लिप्त, मुज्रिम; पापी, गुनाहगार।
तरदिमा$ग ($फा.वि.)- स्थिरप्रज्ञ; ठण्डा दिमा$ग; बुद्घिमान्, अक़्लमन्द; सावधान; मस्त, मतवाला।
तरद्दुद (अ.पु.)- सोच, $िफक्र, चिन्ता; दुविधा, पसोपेश, असमंजस; आतुरता, व्याकुलता, घबराहट, बेचैनी, परेशानी; खेत की जुताई-बुवाई आदि कृषि-कर्म।
तरन्नुम (अ.पु.)- लय, स्वर-माधुर्य, ख़्ाुश इल्हानी; हलका गाना, मधुर गान।
तरन्नुमज़ा (अ.$फा.वि.)- अत्यन्त मधुर स्वर, ऐसा स्वर जिससे तरन्नुम या लय की बौछार हो; मधुर स्वर उत्पादक।
तरन्नुमरेज़ (अ.$फा.वि.)- तरन्नुम से पढ़ता हुआ; तरन्नुम से पढऩेवाला।
तरन्नुमरेज़ी (अ.$फा.स्त्री.)- लय में सुनाना, तरन्नुम में पढऩा।
तर$फ (अ.स्त्री.)- ओर, सिम्त, दिशा; पक्ष, पार्टी; लिहाज़, आदर, पास; सिरा, किनारा, जानिब।
तर$फदार (अ.$फा.वि.)- पक्षपाती, हिमायती; सहायक, मददगार।
तर$फदारी (अ.$फा.स्त्री.)- पक्षपात, हिमायत; सहायता, मदद।
तर$फैन (अ.स्त्री.)- दोनों पार्टियाँ, दोनों पक्ष, उभय-पक्ष।
तरफ़्$फुह (अ.पु.)- समृद्घि, ख़्ाुशहाली, वैभव, सम्पन्नता।
तरफ़्$फोÓ (अ.पु.)- स्वयं को सबसे श्रेष्ठ समझना, गर्व, $गुरूर, अभिमान, अहंकार।
तरब (अ.पु.)- हर्ष, आह्लाद, आनन्द, उल्लास, ख़्ाुशी, मसर्रत, सौमनस्य।
तरबअंगेज़ (अ.$फा.वि.)- हर्षदायक, ख़्ाुशी बढ़ानेवाला, आनन्दवर्धक, उल्लासित करनेवाला।
तरबअफ़्ज़ा (अ.$फा.वि.)- दे.- 'तरबअंगेज़Ó।
तरबगाह (अ.$फा.स्त्री.)- वह स्थान जहाँ ख़्ाुशियाँ मनायी जा रही हों, वह स्थान जहाँ उत्सव का आयोजन हो।
तरबख़्ोज़ (अ.$फा.वि.)- दे.- 'तरबअंगेज़Ó।
तरबज़ा (अ.$फा.वि.)- आनन्दोत्पादक, हर्षजनक, ख़्ाुशी उत्पन्न करनेवाला।
तरबसंज (अ.$फा.वि.)- आनन्द का ढेर लगानेवाला, बहुत अधिक ख़्ाुशियों का मालिक।
तरबुज़ ($फा.पु.)- एक प्रसिद्घ फल, तरबूज़, कलिंदा, कालिन्द, कलिंग, फलवर्तुल, चित्रफल, मांसफल।
तरश्शुह (अ.पु.)- हल्की-हल्की फुहार, बूँदा-बाँदी; रिसना, झरना, टपकना; ज़ाहिर होना, प्रकट होना।
तरह (अ.स्त्री.)- शैली, पद्घति, तजऱ्; न्यास, नींव, बुनियाद; वेशभूषा, वज़्अ़; समान, भाँति, मिस्ल; जुगत, तरकीब, युक्ति; घटाना, व्यवकलन, तफ्ऱी$क; प्रकार, ढंग; टालना, झगड़े को बढऩे न देना; मुशाइरे के लिए मिस्रा जिससे उसकी बह्र और रदी$फो-$का$िफया जाना जाता है, 'मिस्रा-तरहÓ, समस्या।
तरहदार (अ.$फा.वि.)- बाँका, छबीला, चुटपुटा, वज़्अ़दार, नाज़ोअंदाज़वाला (माÓशू$क)।
तरहदारी (अ.$फा.स्त्री.)- बाँकपन, छबीलापन, हुस्न, सौन्दर्य, नाज़-नख़्ारा, हाव-भाव।
तराइ$क (अ.पु.)- 'तरी$काÓ का बहु., तरी$के, पद्यतियाँ, शैलियाँ।
तरा$क (अ.पु.)- धमाका।
तराख़्ाी (अ.स्त्री.)- आलस्य, काहिली।
तराज़ ($फा.पु.)- दे.- 'तिराज़Ó, वही शुद्घ है।
तराजि़ंद: ($फा.वि.)- दे.- 'तिराजि़ंद:Ó, वही शुद्घ है।
तराजिम (अ.पु.)- 'तर्जम:Ó का बहु., तर्जमें, अनुवादें।
तराजि़ए तर$फैन (अ.स्त्री.)- दोनों पक्षों की रज़ामन्दी, उभयपक्ष की स्वीकृति।
तराजी (अ.स्त्री.)- एक-दूरे से आशा रखना, परस्पर उम्मीद बाँधना।
तराज़ी (अ.स्त्री.)- परस्पर सहमत होना, एक-दूसरे से रज़ामन्द होना, अंगीकृति।
तराज़ू ($फा.स्त्री.)- तौलने का यंत्र, तुला, तखरी, मीज़ान।
तराज़ूए अ़द्ल (अ.$फा.स्त्री.)- न्याय-तुला, वह तराज़ू जिसके दोनों पल्लों में तनिक भी अन्तर न हो।
तराज़ूए संगज़न ($फा.स्त्री.)- वह तराज़ू जिसमें पासंग हो।
तरान: ($फा.पु.)- गान, गाना, नग़्म:; एक विशेष प्रकार का गीत।
तरान:ज़न ($फा.वि.)- गायक, गानेवाला; गाता हुआ।
तरान:रेज़ ($फा.वि.)- दे.- 'तरान:ज़नÓ।
तरान:संज ($फा.वि.)- दे.- 'तरान:ज़नÓ।
तरान:सरा ($फा.वि.)- दे.- 'तरान:ज़नÓ।
तरान:साज़ ($फा.वि.)- दे.- 'तरान:ज़नÓ।
तराबीज़: ($फा.स्त्री.)- मेज़।
तरार: (उ.पु.)- दे.- 'तर्रार:Ó, वही शुद्घ है।
तरावत (अ.स्त्री.)- तरावट, शीतलता, ठण्डक, तरी; दिल और दिमा$ग की ठण्डक; ताज़गी, हरियालापन, सरसब्ज़ी।
तराविंद: ($फा.वि.)- टपकनेवाला।
तराविश ($फा.स्त्री.)- टपकन, रंजिश।
तराविशे $कलम (अ.$फा.स्त्री.)- $कलम की टपकन अर्थात् सियाही (स्याही) की तहरीर, स्याही से लिखा हुआ।
तराविशे $िफक्र (अ.$फा.स्त्री.)- कल्पना-शक्ति की टपकन, मस्तिष्क की उतरन, कविता, मज़्मून, निबन्ध आदि।
तरावीह (अ.स्त्री.)- रमज़ान के महीने में रात में पढ़ी जानेवाली वह नमाज़ जिसमें $कुरान सुनाया जाता है।
तराश: ($फा.पु.)- किसी वस्तु को छीलने में निकला हुआ फोक, छीलन; पत्थर तराशने की छेनी, टाँकी, फाँक, $काश।
तराश ($फा.स्त्री.)- काट-छाँट, कतर-ब्योंत, कटाव, छिलाव; काटने का ढंग; कटाव की शक्ल; आविष्कार, ईजाद; धार, बुरिश, काट, (प्रत्य.)- काटनेवाला, जैसे- 'संगतराशÓ- पत्थर काटनेवाला, पत्थर तराशकर मूर्तियाँ बनानेवाला।
तराश ख़्ाराश ($फा.स्त्री.)- काट-छाँट, कतरब्योंत; वेषभूषा, वज़ा $कता।
तराशिंद: ($फा.वि.)- तराशनेवाला; काटनेवाला; छीलनेवाला; कतरनेवाला।
तराशीद: ($फा.वि.)- तराशा हुआ; काटा हुआ; छीला हुआ; कतरा हुआ; कपोल-कल्पित, मनगढ़ंत।
तरासुल (अ.पु.)- सन्देश भेजना, पै$गाम भेजना।
तरिक: (अ.पु.)- वह धन और सम्पत्ति जो किसी के मरने पर उसके उत्तराधिकारियों को मिलती है, दाय, रिक्थ।
तरी ($फा.स्त्री.)- आद्र्रता, गीलापन; ख़्ाुश्की का उलटा; पानी का स्थान; सील, नमी, सीड़; समृद्घि, अमीरी, मालदारी, धनाढ्यता। नोट- इसका 'तÓ उर्दू के 'तेÓ अक्षर से बना है।
तरी (अ.$वि.)- ताज़ा, सरसब्ज़, हरा-भरा। नोट- इसका 'तÓ उर्दू के 'तोयÓ अक्षर से बना है।
तरी$क: (अ.पु.)- पद्यति, शैली, प्रणाली, तर्ज़; युक्ति, तरकीब; नियम, $काइदा; परम्परा, रिवाज; चाल-ढाल, रविश; वेषभूषा, वज़ा $कता; पंथ, मज़्हब, धर्म।
तरी$क (अ.पु.)- मार्ग, रास्ता, पथ; पद्यति, शैली, रविश; परम्परा, रिवाज; पंथ, मज़्हब, धर्म; नियम, दस्तूर; युक्ति, उपाय, तरकीब।
तरी$कए ताÓलीम (अ.पु.)- शिक्षा-प्रणाली, शिक्षण-शैली, पढ़ाने का ढंग।
तरी$कए सियासत (अ.पु.)- राजनीति का ढंग।
तरी$कत (अ.स्त्री.)- अंत:शुद्घि, आत्मशुद्घि, मन की पवित्रता, दिल की पाकीज़गी; अध्यात्म, ब्रह्मïज्ञान, तसव्वु$फ।
तरी$के अ़मल (अ.पु.)- काम करने का तरी$का, कार्य-पद्घति, कार्य-प्रणाली।
तरीन ($फा.प्रत्य.)- सबसे अधिक, जैसे- 'ताज़:तरीनÓ- बिलकुल ताज़ा। 'बदतरीनÓ- सबसे बुरा, सबसे अधिक ख़्ाराब, निकृष्टतम।
तरोताज़: ($फा.वि.)- हरा-भरा, सरसब्ज़; प्रफुल्लित, आनन्दित।
तर्क (अ.पु.)- त्याग, परित्याग, छोडऩा; भूल, भूलवश छूट जाना।
त$र्की$क (अ.स्त्री.)- पतला करना, पानी की तरह पतला करना; पतलापन, तरलता।
तर्कीब (अ.स्त्री.)- युक्ति, तद्बीर; ढंग, प्रणाली, तरी$का, पद्घति; किसी विशेष चीज़ को बनाने का ढंग; व्याकरण में किसी वाक्य के शब्दों का परिच्छेद; मिश्रण, मिलाना; साख़्त, मिलावट।
तर्कीबे बन्द (अ.$फा.पु.)- उर्दू कविता नज़्म की एक $िकस्म जिसमें अनेक बन्द होते हैं, प्रत्येक बन्द अलग-अलग रदी$फ $का$िफए में होता है और प्रत्येक बन्द के अन्त में एक नया शेÓर लाते हैं जो अलग रदी$फ $का$िफए का होता है। इसमें और 'तर्जीअ़ बन्दÓ में यही $फ$र्क अथवा भेद होता है कि उसमें टीप का शेÓर एक ही होता है जो बार-बार आता है और इसमें टीप के सब शेÓर अलग-अलग होते हैं।
तर्कीबे इस्तेÓमाल (अ.स्त्री.)- सेवन-विधि, किसी दवा के खाने का तरी$का।
तर्कीबे नह्वी (अ.स्त्री.)- विग्रह, वाक्य-विश्लेषण।
तर्कीबे स$र्फी (अ.स्त्री.)- सन्धि-विच्छेद, पदान्वय, शब्द-निरुक्ति।
त$र्कूह (अ.स्त्री.)- हँसली की हड्डी।
तर्के अदब (अ.पु.)- किसी के साथ जिस सम्मान और नम्रता के साथ पेश आना चाहिए उसका त्याग देना, आदर-त्याग, गुस्ताख़्ाी, बदतहज़ीबी।
तर्के अ़लाइ$क (अ.पु.)- सांसारिक विषय-वासना का त्याग; गृहस्थी और बाल-बच्चों का त्याग, निवृति।
तर्के दुनिया (अ.पु.)- दुनिया के झगड़ों का त्याग, मोहत्याग, विषयत्याग।
तर्के मुहब्बत (अ.पु.)- प्रेम का त्याग।
तर्के वतन (अ.पु.)- स्वदेश का त्याग, प्रवास, निर्वासन, जलावतनी।
तर्के लज़्ज़ात (अ.पु.)- सुख-चैन और अच्छे खाने-पीने का त्याग, निवृति।
तर्के मुवालात (अ.पु.)- मिल-जुलकर काम करना छोड़ देना, असहयोग।
त$र्गीब (अ.स्त्री.)- बर$गलाना, बहकाना; प्रेरित करना, प्रेरणा, शौ$क; लालच देना, प्रलोभन; उत्तेजना, इश्तिअ़ाल।
तजऱ् (अ.उभ.)- ढंग, तरी$का, पद्घति, शैली; अ़ादत, स्वभाव; वेषभूषा।
तर्जम: (अ.पु.)- अनुवाद, भाषान्तर, उल्था। नोट- 'तर्जुमाÓ भी प्रचलित है।
तर्जीअ़ (अ.स्त्री.)- प्रत्यागमन, जाकर वापस आना; किसी के मरने पर 'इन्नालिल्लाहÓ कहना।
तर्जीअ़बन्द (अ.$फा.पु.)- उर्दू कविता नज़्म की एक $िकस्म जिसमें अनेक बन्द होते हैं, प्रत्येक बन्द अलग-अलग रदी$फ $का$िफए में होता है और हर बन्द की समाप्ति पर एक शेÓर आता है जिसका रदी$फ का$िफया अलग होता है, और यह शेÓर प्रत्येक बन्द की समाप्ति पर आता है, बरख़्िाला$फ 'तर्कीब बन्दÓ के जिसमें बीच का प्रत्येक शेÓर नया होता है।
तर्जील (अ.पु.)- छोडऩा।
तर्जीह (अ.स्त्री.)- वरीयता, प्रधानता, श्रेष्ठता; किसी व्यक्ति, विषय या वस्तु को उसी जैसे दूसरे व्यक्ति, विषय या वस्तु पर प्रधानता देना।
तर्जीहे बिलामुरज्जेह (अ.स्त्री.)- एक को दूसरे पर बिना कारण के प्रधानता देना।
तर्जुमान (अ.पु.)- दे.- 'तरजुमानÓ।
तजऱ्ेअदा (अ.$फा.उभ.)- कविता की शैली, काव्य-प्रणाली, शाइरी की तजऱ्; नाज़ोअंदाज़, हाव-भाव का ढंग।
तजऱ्े कलाम (अ.उभ.)- वाक्-शैली, वार्तालाप की पद्घति, बात करने का ढंग, शब्द अदायगी का तरी$का।
तजऱ्े गुफ़्तगू (अ.$फा.उभ.)- बातचीत करने का ढंग, वार्तालाप की शैली, वार्ता-शैली।
तजऱ्े तक्ऱीर (अ.उभ.)- भाषण देने का ढंग, भाषण-शैली।
तजऱ्े तहरीर (अ.उभ.)- लिखने की पद्घति, लेखन-शैली, लिखने का ढंग।
तजऱ्े रफ़्तार (अ.$फा.उभ.)- चलने का अंदाज़, चलने का ढंग, गमन-शैली।
तजऱ्ोअंदाज़ (अ.$फा.पु.)- चाल-ढाल, रंग-ढंग, तौर-तरी$के।
तर्तीब (अ.स्त्री.)- सज्जा, दुरुस्ती; क्रम, सिलसिला; प्रबन्ध, बन्दोबस्त; चीज़ों को यथा-स्थान ठीक-ठाक रखना; प्रत्येक वस्तु का उसके अनुसार क्रम निश्चित करना। नोट- इसकी 'तीÓ उर्दू के 'तेÓ अक्षर से बनी है।
तर्तीब (अ.स्त्री.)- शीतल करना, ठण्डा करना; शरीर के किसी अंग में तरी या ठण्डक पहुँचाना। नोट- इसकी 'तीÓ उर्दू के 'तोयÓ अक्षर से बनी है।
तर्तीबवार (अ.$फा.वि.)- क्रमानुसार एक के बाद एक, सिलसिले अनुसार, तर्तीब से।
तर्तील (अ.स्त्री.)- $कुरान को धीरे-धीरे शुद्घ उच्चरारण के साथ इत्मीनान से पढऩा।
तर्दीद (अ.स्त्री.)- किसी बात को झूठ साबित करना; किसी के लगाए हुए दोष, ऐब अथवा आरोप को $गलत सिद्घ करना; खण्डन करना, काटना; रद्द करना, लौटाना।
त$र्फ: (अ.पु.)- नवाँ नक्षत्र, श्लेषा; एक प्रकार का नेत्र-रोग जिसमें आँख में एक लाल बँूद-सी पड़ जाती है, नाख़्ाूना रोग; एक बार पलक झपकाना।
त$र्फ (अ.पु.)- सुनहरी पेटी जो सजावट के लिए कमर में बाँधते हैं; सोने-चाँदी की जंज़ीर जो कमर में बाँधी जाती है; पलक झपकाना; आँख; देखना; कोना, किनारा, छोर, गोशा।
त$र्फवुलऐन (अ.पु.)- एक बार पलक का झपकना; बहुत ज़रा-सी देर।
तर्बियत (अ.स्त्री.)- शिक्षा, तालीम; सभ्यता और शिष्टाचार की शिक्षा; परवरिश, पालन-पोषण; ट्रेनिंग, प्रशिक्षण; सुधार, संशोधन।
तर्बियतयाफ़्त: (अ.$फा.वि.)- प्रश्ििक्षत, शिक्षित, ट्रेनिंग पाया हुआ; जो सभ्यता और शिष्टता की शिक्षा पा चुका हो, सभ्य, शिष्ट; जो संसोध्ीित किया जा चुका हो, जिसमें सुधार हो चुका हो।
तर्मीम (अ.स्त्री.)- ठीक करना, सँवारना, दुरुस्त करना, मरम्मत करना; संशोधन, किसी प्रस्ताव में फेरबदल, परिवर्तन; इस्लाह, सुधार, काट-छाँट।
तर्रार (अ.वि.)- वाचाल, मुखर, तेज़ बोलनेवाला; चपल, चंचल, शोख़, चुलबुला; बहानेबाज़, हीलागर, छली, वंचक; दक्ष, कुशल, चालाक।
तर्रारी (अ.स्त्री.)- चंचलपन, चपलता, शोख़्ाी; वाचालता, मुखरता; चौकड़ी, कुलाँच; ठगी, कपट, छल।
तर्वीज (अ.स्त्री.)- प्रचलन में लाना, प्रचलित करना, रिवाज देना, फैलाना; प्रचार करना, तब्ली$ग करना।
तर्स ($फा.पु.)- डर, भय, ख़्ाौ$फ।
तर्सनाक ($फा.वि.)- डरावना , भयभीत करनेवाला।
तर्सां ($फा.वि.)- डरा हुआ, भयभीत, भयत्रस्त, भयक्रांत, भयार्त, ख़्ाौ$फज़दा।
तर्सा ($फा.पु.)- ईसाई, ख्रिष्टीय; अग्नि-पूजक, आतशपरस्त, पार्सी।
तर्साबचा ($फा.पु.)- ईसाई सुन्दर बच्चा, पार्सी ख़्ाूबसूरत बच्चा।
तर्सिद: ($फा.वि.)- भयभीत होनेवाला, डरनेवाला।
तर्सीअ़ (अ.स्त्री.)- किसी ज़ेवर पर नगीने जडऩा; इबारत के दो जुम्लों में एक वज़न और $का$िफए के शब्द लाना।
तर्सीद: ($फा.वि.)- डरा हुआ, भय-त्रस्त।
तर्सील (अ.स्त्री.)- भेजना, प्रेषण; रुपया या चिट्ठी आदि भेजना।
तर्ह (अ.स्त्री.)- दे.- 'तरहÓ, दोनों शुद्घ हैं।
तर्हअंदाज़ (अ.$फा.वि.)- अनुष्ठान करनेवाला, नींव डालनेवाला, बुनियाद रखनंवाला।
तर्हअफ्ग़न (अ.$फा.वि.)- दे.- 'तर्हअंदाज़Ó।
तर्ही (अ.वि.)- तर्हवाला, वह मिस्रा जो किसी मुशायरे की तर्ह हो।
तर्हे नौ (अ.$फा.स्त्री.)- अनुष्ठान, नए सिरे से कोई काम; नयी नींव, नए सिरे से कोई निर्माण, नव-बुनियाद।
तल (अ.स्त्री.)- ओस, शबनम।
तल (हि.पु.)- नीचे का भाग, पेंदा।
तल ($फा.पु.)- टीला।
तलक़्$की (अ.पु.)- मुला$कात करना, मिलना; स्वीकार करना।
तलक़्$कुत (अ.पु.)- चुगना।
तलक़्$कुन (अ.पु.)- समझना।
तलक़्$कु$फ (अ.पु.)- तत्काल पकड़ लेना, $फौरन गिरफ़्तार कर लेना।
तलक़्$कुब (अ.पु.)- उपाधि पाना।
तलक़्$कुम (अ.स्त्री.)- निवाला लेना, कौर निगलना।
तलज़्ज़ा (अ.स्त्री.)- आग भड़काना, शोÓला भड़काना।
तलज़्ज़ुज़ (अ.पु.)- स्वाद पाना, मज़ा पाना; स्वाद, मज़ा; लज़्ज़त, आनन्द।
तलत्तु$फ (अ.पु.)- अनुकम्पा, कृपा, मेहरबानी, दया।
तल$फ (अ.पु.)- बर्बाद, तबाह, नष्ट, विनष्ट; हत, हलाक, मृत।
तलफ़्$फुज़ (अ.पु.)- उच्चारण, मुख से शब्द-ध्वनि करना, मुँह से शब्द निकालना।
तलब: (अ.पु.)- 'तालिबÓ का बहु., छात्रगण, विद्यार्थी लोग।
तलब (अ.स्त्री.)- किसी नशीली वस्तु (जिसके खाने या पीने का अभ्यस्त हो) की चाह; इच्छा, चाह, ख़्वाहिश; बुलावा, तलबी; वेतन, तनख़्वाह; माँगना, याचना; त$काज़ा, अभियाचना।
तलबगार (अ.$फा.वि.)- चाहनेवाला, इच्छुक, अभिलाषी, ख़्वाहिशमंद।
तलबा (अ.पु.)- 'तालिबÓ का बहु., छात्रगण, विद्यार्थी लोग, तालिबेइल्म।
तलबान: (अ.$फा.पु.)- न्यायालय में गवाह आदि को बुलाने के लिए जमा होनेवाला मार्ग-व्यय आदि।
तलबी (अ.स्त्री.)- आह्वïान, बुलावा; अदालत में सम्मन द्वारा बुलावा।
तलबीद: ($फा.वि.)- आहूत, बुलाया हुआ; सम्मन द्वारा बुलाना, आज्ञा भेजकर बुलाना।
तलब्बुस (अ.पु.)- वस्त्र धारण करना, कपड़े पहनना।
तलम्ब: ($फा.पु.)- अग्नि-शमन यंत्र, दमकल।
तलम्मुज़ (अ.पु.)- चेला होना, शिष्य होना, शागिर्द होना; शिष्यता, शागिर्दी, विशेषत: शाइरी की शिष्यता।
तलव्वुन (अ.पु.)- रंग बदलना; कभी कुछ होना कभी कुछ।
तलव्वुन मिज़ाज (अ.वि.)- अस्थिर-चित्त, जो कभी कुछ सोचे कभी कुछ, जिसकी सोच में निरन्तर बदलाव आता रहे, अस्थिर-मन।
तलव्वुस (अ.पु.)- लथडऩा, सनना, भरना, लिप्त होना।
तलह्हुज (अ.पु.)- लोभ, लालच।
तलह्हुब (अ.पु.)- आग भड़काना।
तला$क (अ.स्त्री.)- विवाह-विच्छेद, पति-पत्नी का सम्बन्ध समाप्त करनेवाला अमल या नियम।
तला$कत (अ.स्त्री.)- वाक्य-पटुता, वाचालता, ज़बान की तेज़ी।
तला$की (अ.स्त्री.)- परस्पर मिलना, भेंट करना, मुला$कात करना।
तला$के बाइन (अ.स्त्री.)- ऐसा तला$क जिसमें विच्छिन्ना स्त्री जब तक दूसरे आदमी से विवाह न कर ले ओर उसके साथ सहवास न कर ले तब तक पहला आदमी उससे पुनर्विवाह नहीं कर सकता।
तला$के म़$गल्लज़: (अ.स्त्री.)- ऐसा तला$क जिसमें विच्छिन्ना स्त्री से फिर वह पुरुष शादी नहीं कर सकता।
तला$के रज्ई (अ.स्त्री.)- ऐसा तला$क जिसमें पुरुष अपनी विच्छिन्ना स्त्री से पुनर्विवाह कर सकता है।
तला$के शिकम (अ.स्त्री.)- दस्त आना, पेट चलना।
तलाज ($फा.पु.)- शोर-गुल।
तलातुम (अ.पु.)- पानी का लहराना, जल का हिलोरे मारना; ज्वार; बाढ़, तुग्य़ानी।
तला$फी (अ.स्त्री.)- हानि की भरपाई, क्षति-पूर्ति, नुक़्सान का बदला, तदारुक।
तला$फीए मा$फत (अ.स्त्री.)- हानि की भरपाई, क्षति-पूर्ति, नुक़्सान का बदला।
तलामिज़: (अ.पु.)- 'तिलमीज़Ó का बहु., शिष्यगण, शागिर्द लोग, चेले।
तलामीज़ (अ.पु.)- दे.- 'तलामिज़:Ó।
तलाय: (तु.पु.)- रात्रि में पहरा देनेवाली सेना।
तलाय:गर्दी (तु.$फा.स्त्री.)- रात्रि में पहरा देने की सेना की ड्यूटी।
तलाय:दार (तु.$फा.पु.)- रात्रि में पहरा देनेवाली सेना का नायक।
तलाश (तु.स्त्री.)- ढूँढ़, खोज, टोह, छानबीन, जुस्तजू।
तलाशी (तु.स्त्री.)- ढूँढ़, खोज, टोह, जुस्तजू; सरकारी आज्ञा से किसी के मकान की छानबीन।
तलीअ़: (अ.पु.)- दे.- 'तलाय:Ó।
तली$क (अ.वि.)- निरंकुश, स्वच्छन्द, मुक्त, आज़ाद।
तली$कुल्लिसान (अ.वि.)- मुँहफट, मुक्तकण्ठ, वाक्-पटु, जिसकी ज़बान स्वच्छन्द और आज़ाद हो, कुछ भी बोल देनेपाला।
तली$कुलयदैन (अ.वि.)- मुक्त-हस्त, दोनों हाथों से देनेवाला, महादानी, $फैयाज़।
तलौवुन (अ.पु.)- दे.- 'तलव्वुनÓ, वही शुद्घ है।
तलौवुन मिज़ाज (अ.वि.)- दे.- 'तलव्वुन मिज़ाजÓ, वही शुद्घ है।
तल्अ़त (अ.स्त्री.)- रूप, शोभा, छटा; मुख, आकृति, चेहरा; दर्शन, दीदार।
तल्ईन (अ.स्त्री.)- नर्म करना, मुलायम करना; हलका जुलाब।
तल्$क (अ.पु.)- प्रसव-पीड़ा, दर्दे जेह; मद्य, मदिरा, शराब; अभ्रक, अब्रक।
तल्$कीन (अ.स्त्री.)- गुरुमंत्र देना, दीक्षा देना, पीर का मुरीद को अमल आदि पढ़ाना; नसीहत, सदुपदेश, वाÓज़।
तल्$कीब (अ.स्त्री.)- उपाधि देना।
तल्ख़्ा: ($फा.पु.)- पित्त, पित्ताशय, पित्त की थैली।
तल्ख़्ा ($फा.वि.)- कड़वा, कटु; अरुचिकर, नागवार।
तल्ख़्ाकाम ($फा.वि.)- अभागा, बदनसीब, असफल मनोरथ, नामुराद।
तल्ख़्ागो ($फा.वि.)- कटु-भाषी, कड़वी बातें करनेवाला; ठीक बात कहनेवाला, सत्यभाषी।
तल्ख़्ाज़बाँ ($फा.वि.)- दे.- 'तल्ख़्ागोÓ।
तल्ख़्ााब: ($फा.पु.)- दे.- 'तल्ख़्ााबÓ। (तल्ख़्ा= कड़वा, कटु। आब= पानी, जल, नीर)।
तल्ख़्ााब ($फा.पु.)- कड़वा पानी, ऐसा पानी जो पिया न जा सके; ज़ह्र का पानी, विष-जल।
तल्ख़्ााबे $गम (अ.$फा.पु.)- प्रेम के दु:ख का पानी-रूपी विष; प्रेम में हासिल कटु अनुभव।
तल्ख़्ाी ($फा.स्त्री.)- कड़वाहट, कटुता; सत्यता, सच्चाई; कज
अख़्लाकी, दु:शीलता।
तल्ख़्ाीस (अ.स्त्री.)- साररूप, संक्षिप्त, ख़्ाुलासा; शुद्घता, निर्मलता।
तल्ज़ुज (अ.पु.)- चिपकना।
तल्$फी$क (अ.स्त्री.)- जमा करना।
तल्बीन (अ.स्त्री.)- ईंट पाथना या थेंपना।
तल्बीय: (अ.स्त्री.)- जवाब देना, उत्तर देना; एक दुअ़ा जो हाजी लोग हज के वक़्त पढ़ते हैं।
तल्मीज़ (अ.पु.)- दे.- 'तिल्मीज़Ó, वही श्ुद्घ है।
तल्मीह (अ.स्त्री.)- उपेक्षित-दृष्टि; किसी की ओर उचटती हुई दृष्टि डालना; शेÓर या बयान में किसी $िकस्से की ओर संकेत।
तल्मीहतलब (अ.वि.)- ऐसा शेÓर या मज़्मून जिसमें किसी $िकस्से या बात की व्याख्या ज़रूरी हो।
तल्यीन (अ.स्त्री.)- किसी चीज़ को नर्म करना, मुलायम करना।
तल्वीन (अ.स्त्री.)- रंग भरना, रंग-बिरंगा करना।
तल्वीम (अ.स्त्री.)- मलामत करना, बुरा-भला कहना।
तल्वीस (अ.स्त्री.)- लथपथ करना।
तवक़्$कु$फ (अ.पु.)- ढील, देर, विलम्ब।
तवक्कुल (अ.पु.)- सांसारिक साधनों का भरोसा हटाकर सारे काम भगवान् की मजऱ्ी पर छोढ़ देना।
तवक़्क़ोÓ (अ.पु.)- विश्वास, भरोसा, आशा, उम्मीद।
तवज्जोह (अ.पु.)- किसी की ओर मुँह करना, ध्यान देना; ध्यान, रुजूअ़; $गौर, अधिक ध्यान; मेहरबानी, $कपा, दया, अनुकम्पा। 'तवज्जुहÓ भी प्रचलित है।
तवत्तुन (अ.पु.)- वतन बनाना, रहने लगना।
तवर्रो (अ.पु.)- संयम, आत्मसंयम, यतिधर्म, परहेज़गारी, ज़ुह्द।
तवल्ला (अ.पु.)- प्यार, प्रेम, स्नेह; भक्ति
तवल्लुद (अ.पु.)- पैदाइश, उत्पत्ति, लड़का पैदा होना।
तवस्सुत (अ.पु.)- बीच की राह पकडऩा; न बहुत अधिकता न बहुत कमी; मध्यस्थता, बिचौलियापन।
तवस्सुल (अ.पु.)- किसी को किसी काम के लिए माध्यम बनाना, वसीला बनाना, सहारा पकडऩा; माÓरि$फत, ज़रीअ़:।
तवह्हुम (अ.पु.)- भ्रम में डालना; भ्रम में पडऩा; वह्म, भ्रान्ति, भ्रम।
तवह्हुमपरस्त (अ.$फा.वि.)- भ्रमवादी, भ्रमित करनेवाली बातों पर विश्वास करनेवाला, वह्म की बातों को माननेवाला, ऐसी बातों पर विश्वास करनेवाला जिनका कोई अस्तित्व नहीं है।
तवह्हुमपरस्ती (अ.$फा.स्त्री.)- भ्रम में फँसना, निराधार और काल्पनिक चीज़ों पर विश्वास करना।
तवह्हुश (अ.पु.)- वहशी बनना, वहशत होना, किसी चीज़ से घबराना, घबराकर भागना।
तवाइ$फ (अ.स्त्री.)- 'ताइ$फ:Ó का बहु., वेश्या, मँगलामुखी, नगरनायिका, नगरवधू, रण्डी, गणिका, वारमुखी, क्रीडानारी, वर्चटी, विभावरी। 'ढँकने लगीं तवाइ$फ अब अपने तन-बदन, होने लगा है शह्र ये आवार: बदचलन, देखी हैं जबसे वक़्त की नब्ज़ें टटोलकर, क्यों उँगलियों के पोर में रहने लगी जलनÓ- माँझी
तवाइ$फज़ाद: (अ.$फा.पु.)- वेश्या-पुत्र, रण्डी का लड़का, गणिकात्मज।
तवाइ$फुल मुलूकी (अ.स्त्री.)- देश की उथल-पुथल, राज की अस्थिरता, राज का कुप्रबन्ध, राजगद्दी का बार-बार परिवर्तन, गृहयुद्घ आदि का कुचक्र।
तवाजुद (अ.पु.)- साथ झूमना।
तवाज़ुन (अ.पु.)- सन्तुलन, एतिदाल, हमवज़्नी, दोनों पल्लों में बोझ बराबर होना।
तवाज़ुने$कुव्वत (अ.पु.)- दोनों ओर शक्ति की समानता।
तवाज़ी (अ.स्त्री.)- परस्पर बराबर होना; परस्पर बराबर अन्तर होना, समानान्तर।
तवाज़ोÓ (अ.पु.)- आवभगत, ख़्ाातिरदारी; आतिथ्य, मेहमानदारी; आदर, सत्कार, इज़्ज़त; नम्रता, विनीति, ख़्ााकसारी, अ़ाजिज़ी।
तवातुर (अ.पु.)- अनवरतता, लगातारपन, निरन्तरता, तसल्सुल।
तवा$फ (अ.पु.)- किसी चीज़ के चारों ओर घूमना, परिक्रमा देना, परिक्रमण, प्रदक्षिणा, पैकरमा।
तवा$फु$क (अ.पु.)- आपस में मिलकर एक जगह रहना; एक-दूसरे के अनुकूल होना; एक-दूसरे की सहायता करना; परस्पर सहयोग देना; एक जैसा होना; सदृशता, यकसानियत।
तवा$फु$के लिसानैन (अ.पु.)- दो विभिन्न भाषाओं के किसी शब्द का एक-जैसा होना (बनावट में भी और अर्थ में भी), जैसे- 'फुल्लÓ अरबी और संस्कृत दोनों भाषाओं में फूल को कहते हैं।
तवाबिल ($फा.पु.)- गरम मसाले, काली मिर्च, लौंग, इलायची, जीरा आदि।
तवाबेÓ (अ.पु.)- 'ताबेÓ का बहु., अधीन लोग, अनुयायी लोग।
तवारी (अ.स्त्री.)- अदृश्य होना, लो होना, छुपना, पोशीदा होना; गोपन, लोप, पोशीदगी, गुप्ति।
तवारीख़्ा (अ.स्त्री.)- 'तारीख़्ाÓ का बहु., तिथियाँ, तारीख़्ों; इतिहास, किसी राष्ट्र अथवा जाति का इतिहास।
तवारुद (अ.पु.)- परस्पर एक जगह उतरना; दो कवियों की कविताओं का विषय एक हो जाना, भाव-साम्य।
तवालत (अ.स्त्री.)- दीर्घावकाश, काल-दूरी, मुद्दत की लम्बाई; लम्बाई, दीर्घता, आयाम; विलम्ब, ढील, देर; बखेड़ा, झंझट, दर्दे-सर।
तवालिए इज़ा$फात (अ.स्त्री.)- किसी वाक्य के शब्दों में बहुत-सी इज़ा$फतों का इकट्ठा हो जाना, जैसे- 'राम के दोस्त के पिता का घरÓ। नोट- इसे भाषायिक दोष माना जाता है।
तवाली (अ.स्त्री.)- निरन्तर आना या होना, लगातार आना या होना।
तवालुद (अ.पु.)- सन्तान उत्पन्न करना। नोट- यह शब्द अकेला प्रयुक्त नहीं होता बल्कि 'तनासुलÓ के साथ मिलाकर 'तवालुदी तनासुलÓ बोला जाता है। दे.- 'तनासुलÓ।
तवासी (अ.पु.)- नसीहत करना, मृत्यु के समय निर्देश देना।
तवासुल (अ.पु.)- मिल जाना, एक-दूसरे में विलीन होजाना।
तवील (अ.पु.)- लम्बा, दराज़, विस्तृत।
तव्वाब (अ.पु.)- तौब: (पापों की क्षमा-याचना) स्वीकार करनेवाला, ईश्वर का एक नाम।
तशक़्$कु$क (अ.पु.)- विदीर्ण होना, फटना; शक होना, सन्देह होना।
तशक्कुक (अ.पु.)- भ्रम एवं शंका में पडऩा; भ्रम, शक, सन्देह, शंका।
तशक्कुर (अ.पु.)- धन्यवाद ज्ञापित करना, शुक्रिय: अदा करना, कृतज्ञता प्रकट करना।
तशक्कुल (अ.पु.)- किसी चीज़ का साकार होना।
तशक्की (अ.स्त्री.)- उलाहना देना, गिला करना।
तशख़्ख़्ाुस (अ.पु.)- तय होना, निश्चित होना, मुअय़्यन होना।
तशत्तुत (अ.पु.)- अस्त-व्यस्त होना, तितर-बितर होना, मुन्तशिर होना।
तशद्दुद (अ.पु.)- अत्याचार करना, अनीति करना, ज़ुल्म करना, सख़्ती करना; मार-पीट करना, धींगामस्ती करना।
तशन्नुज (अ.पु.)- अकडऩ, ऐंठन; किसी अंग का अकडऩा, इस प्रकार अकडऩा कि झुके नहीं।
तशन्नुन (अ.पु.)- पुराना होना, प्राचीन होना।
तशफ़्$फी (अ.स्त्री.)- ढाढ़स, सान्त्वना, तसल्ली; रोग-मुक्ति, शि$फा।
तशब्बुक (अ.पु.)- उँगलियों में उँगलियाँ डालना।
तशब्बुस (अ.पु.)- झपट्टा मारना।
तशब्बुह (अ.पु.)- एक-जैसा होना, सदृश होना; हमशक्ली, सादृश्य, एकरूपता।
तशम्मुम (अ.पु.)- सूँघना।
तशम्मुर (अ.पु.)- चुस्ती के साथ कार्य करना।
तशय्युन (अ.पु.)- भव्य होना, विराट् होना, शानदार होना।
तशय्योÓ (अ.पु.)- शीअ़ा होना, स्वयं को शीअ़ा बताना।
तशरोÓ (अ.पु.)- शरीअ़त (इस्लामी धर्म-शास्त्र) के अनुसार चलना।
तशव्वु$क (अ.स्त्री.)- अभिलाषा, इच्छा, कामना, शौ$क।
तशव्वुश (अ.स्त्री.)- घबराना, परेशान होना, बेचैन होना।
तशह्हुद (अ.पु.)- 'कलिमए शहादतÓ पढऩा।
तशाउर (अ.पु.)- स्वयं को शाइर (शायर, कवि) बताना, झूठा कवि बनना।
तशा$गुल (अ.पु.)- व्यस्त रखना।
तशाबुह (अ.पु.)- परस्पर एक-जैसा होना; एक-जैसी आयतें ($कुरान के वाक्य) होने के कारण हा$िफज़ का $कुरान की आयतों को कहीं का कहीं मिला देना।
तशावुर (अ.पु.)- आपस में विचार-विमर्श करना, परस्पर सलाह-मशविरा करना, एक-दूसरे से परामर्श करना।
तश्कीक (अ.स्त्री.)- किसी को भ्रमित करना, किसी को शंका या सन्देह में डालना।
तश्ख़्ाीस (अ.स्त्री.)- जाँचना, परखना, जानकारी के लिए अवलोकन करना; निश्चय करना; नियुक्ति करना।
तश्ख़्ाीसे मरज़ (अ.स्त्री.)- रोग की जाँच, बीमारी की पड़ताल।
तश्त ($फा.पु.)- बड़ी थाली, थाल, परात।
तश्त अज़ बाम ($फा.अव्य.)- रहस्य प्रकट होना, भेद खुलना, बात सबमें फैल जाना, राज़ $फाश होना।
तश्तरी ($फा.स्त्री.)- प्लेट, रिकाबी।
तश्दीद (अ.स्त्री.)- द्वित्व, एक अक्षर को दो बार पढऩा, जैसे- 'तशफ़्$फीÓ में '$फÓ को दोहराया गया है।
तश्न: ($फा.वि.)- जिसे प्यास लगी हो, प्यासा, तृषित, पिपासित; अतृप्त, जो तृप्त न हुआ हो, जिसकी मन न भरा हो। नोट- 'तिश्न:Ó भी प्रचलित है।
तश्न:काम ($फा.वि.)- तृषित, प्यासा; असफल मनोरथ, नाकाम।
तश्न:जिगर ($फा.वि.)- नाकाम, असफल मनोरथ; उत्कंठित, अभिलाषी, मुश्ता$क।
तश्न:लब ($फा.वि.)- प्यासे होंठोंवाला, प्यास के कारण जिसके होंठ सूख रहे हों, बहुत प्यासा।
तश्नए ख़्ाूँ ($फा.वि.)- ख़्ाून का प्यासा, जान का दुश्मन, प्राण-घातक।
तश्नए दीदार ($फा.वि.)- दर्शनाभिलाषी, देखने का भूखा।
तश्नगी ($फा.स्त्री.)- तृष्णा, प्यास, पिपासा; अभिलाषा, लालसा, उत्कंठा।
तश्नीअ़ (अ.स्त्री.)- लताडऩा, बुरा-भला कहना, लाÓनत-मलामत करना।
तश्बीब (अ.स्त्री.)- $कसीदे के शुरू के शेÓर जिनमें कोई दृश्य या किसी घटना का वर्णन होता है और उसके बाद ही गुणगाथा (गुरेज़) का वर्णन किया जाता है।
तश्बीह (अ.स्त्री.)- एक अर्थालंकार जिसमें एक वस्तु की तुलना दूसरी वस्तु से करके उसे घटाया या बढ़ाया अथवा बराबर किया जाता है, उपमा।
तश्बीहे ताम (अ.स्त्री.)- पूर्णोपमा, ऐसी उपमा जो पूरी-पूरी घटित हो।
तश्बीहे ना$िकस (अ.स्त्री.)- ऐसी उपमा जो दो वस्तुओं में केवल एक बात में ठीक उतरे, सबमें न हो, लुप्तोपमा।
तश्मीम (अ.स्त्री.)- सुँघाना।
तश्री$फ (अ.स्त्री.)- शुभागम, आगम, पदार्पण; प्रतिष्ठा, सम्मान, बुज़ुर्गी; राज्य की ओर से सम्मानार्थ दिए जानेवाले वस्त्राभूषण आदि।
तश्री$फ अजऱ्ानी (अ.$फा.स्त्री.)- दे.- 'तश्री$फ आवरीÓ।
तश्री$फ आवरी (अ.$फा.स्त्री.)- शुभागमन, पदार्पण करना, आना, विराजमान होना, तश्री$फ लाना।
तश्री$फ $फर्माई (अ.$फा.स्त्री.)- बैठना, ठहरना, तश्री$फ रखना।
तश्री$फबरी (अ.$फा.स्त्री.)- वापस जाना, लौट जाना, जाना, विदा होना, रुख़्ासत होना, तश्री$फ ले जाना।
तश्री$फात (अ.स्त्री.)- शोभा-यात्रा, जुलूस, ख़्िालअ़त।
तश्रीह (अ.स्त्री.)- पूरी तरह खुलासा करना, खोलकर बयान करना, स्पष्टीकरण, तौज़ीह; व्याख्या, टीका; भाष्य, तफ़्सीर; उल्था, अनुवाद, तर्जमा, भाषान्तर; शरीर के अंगों, नसों, हट्टियों आदि का विवरण, शरीर-विज्ञान।
तश्रीहुललब्दान (अ.स्त्री.)- शरीर-विज्ञान, शरीर-रचना का चिकित्सकीय-विवरण।
तश्विय: (अ.पु.)- भूनना, भृष्टि; दवा को पोटली में रखकर गर्म रेत या राख में दबाकर भूनना।
तश्वीक (अ.स्त्री.)- काँटे चुनना।
तश्वीश (अ.स्त्री.)- चिन्ता, सोच, $िफक्र; भय, त्रास, डर; घबराहट, व्याकुलता, आतुरता, बेचैनी।
तश्वीशअंगेज़ (अ.$फा.वि.)- भयोत्पादक, त्रासद, $िफक्र पैदा करनेवाला, चिन्ताजनक।
तश्वीशनाक (अ.$फा.वि.)- भय-संकुल, त्रासद, डरावना, पुरख़्ातर, चिन्ताजनक।
तश्हीर (अ.स्त्री.)- सार्वजनिक अपमान; किसी को जनता के सामने बुरी तरह अपमानित करना, जैसे- मुँह काला करके चारों तर$फ घुमाना या गधे पर चढ़ाकर जूतों की माला पहनाकर घुमाना।
तसद्दु$क (अ.पु.)- भेंट, बलिदान, सद्$क:; न्यौछावर होना, सद$के होना; कृपा, दया, अनुकम्पा, मेहरबानी।
तसन्नी (अ.पु.)- मुड़ जाना, पिुर जाना।
तसन्नुद (अ.पु.)- तकिया लगाना; भरोसा करना।
तसन्नुन (अ.पु.)- सुन्नी होना, पै$गम्बर के $फर्मान का अनुकरण करना।
तसन्नो (अ.पु.)- कृत्रिमता, बनावट; दिखावा, ज़ाहिरदारी; ज़ाहिरी ख़्ाातिरदारी, दिखावटी आवभगत, कपट-व्यवहार; चाटुकारिता, चापलूसी।
तसब्बुब (अ.पु.)- कारण होना।
तसर्री (अ.स्त्री.)- दासी को पत्नी बनाना।
तसर्रु$फ (अ.पु.)- व्यवहार, इस्तेमाल, प्रयोग; किसी चीज़ में कतर-ब्योंत करके अपने मतलब की बना लेना; परिवर्तन, रद्दोबदल; चमत्कार, करामात; अधिकार, $कब्ज़ा; $गबन, मोषण।
तसर्रु$फे बेजा (अ.$फा.पु.)- $गबन, मोषण, ख़्िायानत; अपहरण।
तसल्ली (अ.स्त्री.)- दिलासा, ढाढ़स, सान्त्वना; सब्र, सन्तोष।
तसल्लुत (अ.पु.)- प्रभुत्व, अधिकार, $कब्ज़ा, दख़्ाल।
तसल्सुल (अ.पु.)- निरन्तरता, लगातारपन; लड़ी में लड़ी गूँथना; श्रृंखलाबद्घ करना।
तसव्वु$फ (अ.पु.)- अध्यात्मवाद, ब्रह्मïवाद, सू$फीइज़्म; वेदान्त, ज्ञान-काण्ड, इल्मे तसव्वु$फ; मन की सांसारिक विषयों से विरक्ति, वैराग्य, परहेज़गारी।
तसव्वुर (अ.पु.)- चित्त को एकाग्र करके किसी को ध्यान में प्रत्यक्ष करना; अनुध्यान; ध्यान, विचार, ख़्ायाल; कल्पना, तख़्ौयुल। 'तसव्वुर में हज़ारों मंजि़लें थीं, नज़र में एक भी रस्ता नहीं थाÓ- सुरेन्द्र शजर
तसाउद (अ.पु.)- ऊपर चढऩा, बुलन्द होना।
तसाउ$फ (अ.पु.)- पंक्ति बनाना।
तसाउब (अ.पु.)- जम्हाई लेना।
तसा$कुत (अ.पु.)-एक-दूसरे पर गिरना।
तसाकुर (अ.पु.)- नशे में होना।
तसादु$क (अ.पु.)- स$फाई पेश करना।
तसादु$फ (अ.पु.)- बिना इरादा मुला$कात, अचानक भेंट होना।
तसादुम (अ.पु.)- एक-दूसरे को धक्का देना, परस्पर टकराना; हानि पहुँचाना, ज़रर देना; संघर्ष, टक्कर, टकराव; मुठभेड़, लड़ाई।
तसानी$फ (अ.स्त्री.)- 'तस्नी$फÓ का बहु., तस्नी$फें, रचनाएँ।
तसा$फुह (अ.पु.)- हाथ मिलाना।
तसाबी (अ.पु.)- प्रेम करना, इश्$क करना।
तसाबीह (अ.स्त्री.)- 'तस्बीहÓ का बहु., जप करने की मालाएँ, जप-मालाएँ।
तसामुह (अ.पु.)- वीरता, बहादुरी; प्रत्यक्ष अनुभूति, प्रत्यक्ष दर्शन; दरगुज़र, चश्मपोशी; वक्ता का कुछ कहना और सुननेवाले का कुछ और समझना; दुटप्पी या द्विअर्थी बात जिससे सुननेवाला $गलती कर सके, या कर दे।
तसालुम (अ.पु.)- सन्धि करना।
तसावी (अ.स्त्री.)- एक-दूसरे के समान होना, परस्पर बराबर होना; बराबरी, समानता।
तसावीर (अ.स्त्री.)- 'तस्वीरÓ का बहु., तस्वीरें, मूर्तियाँ। तसाहुम (अ.स्त्री.)- एक प्रकार का जुआ, पर्ची निकालना, लाटरी डालना।
तसाहुल (अ.पु.)- सुस्ती, आलस्य, अवसन्नता, काहिली; आसान समझना।
तसीर (अ.स्त्री.)- सैर-सपाटा, तफ्ऱीह; सैर करना, विहार करना।
तस्ईद (अ.स्त्री.)- ऊँचाई पर चढऩा, बुलन्द होना; दो प्यालों या हाँडिय़ों में विधिपूर्वक दवाओं का जौहर अथवा सत् उड़ाना।
तस्कीन (अ.स्त्री.)- ढाढ़स, दिलासा, सान्त्वना; सन्तोष, इत्मीनान; स्वास्थ्य-लाभ, रोग में कमी; पीड़ा और दर्द में कमी, आराम।
तस्ख़्ाीन (अ.स्त्री.)- गर्म करना, गर्मी पहुँचाना, ताप देना।
तस्ख़्ाीर (अ.स्त्री.)- वशीभूत करना, वश में करना, ताबेÓ करना; अधिकार में लाना; जीतना, जीतकर $कब्ज़ा करना; भूत-प्रेत या जिन्न-परी को वश में करना; किसी को अपने ऊपर मुग्ध करना; जादू-टोना।
तस्ख़्ाीरे $कुलूब (अ.स्त्री.)- अपने आचरण द्वारा लोगों का दिल जीतना; अपने आचार-व्यवहार से लोगों के मन को मोह लेना।
तस्ख़्ाीरे हमज़ाद (अ.$फास्त्री.)- मंत्र आदि द्वारा 'हमज़ादÓ (जिन्न, भूत) को अपने वश में कर लेना। कहा जाता है कि हमज़ाद के वश में हो जाने पर मनुष्य जो चाहे कर सकता है, क्योंकि वह (हमज़ाद) बड़ा शक्तिशाली होता है; भूत-सिद्घि।
तस्$गीर (अ.स्त्री.)- छोटा करना, संक्षिप्त करना; किसी शब्द के अर्थ में छोटाई पैदा करना; संक्षेप, छोटाई।
तस्जीअ़ (अ.पु.)- तुकबन्दी करना, तुक से तुक मिलाना।
तस्जीन (अ.स्त्री.)- $कैद करना, कारागार में बन्द करना, जेल में डाल देना, बन्दी बनाना।
तस्जील (अ.स्त्री.)- दस्तावेज़ लिखना; दस्तावेज़ पंजीकरण करना; आलेख, दस्तावेज़।
तस्तीर (अ.स्त्री.)- लिखना, लेखन-क्रिया; लकीरें खींचना, रेखांकन। नोट- इसकी 'तीÓ उर्दू के 'तोयÓ अक्षर से बनी है।
तस्तीर (अ.स्त्री.)- लुप्त करना, छिपाना, गोपन; पर्दा डालना, परिवेष्टन। नोट- इसकी 'तीÓ उर्दू के 'तेÓ अक्षर से बनी है।
तस्तीह (अ.स्त्री.)- चौड़ा करना।
तस्दीअ़: (अ.पु.)- एक बार कष्ट देना; कष्ट, दु:ख, पीड़ा, तकली$फ।
तस्दीअ़ (अ.पु.)- माथे की पीड़ा, सिर की पीड़ा, सिर-दर्द; कष्ट, क्लेश, दु:ख, तकली$फ।
तस्दी$क (अ.स्त्री.)- सच्चे होने की पुष्टि करना, सच्चा बताना; प्रमाण, सबूत।
तस्दीद (अ.स्त्री.)- ठीक करना, मज़बूत करना।
तस्दीर (अ.स्त्री.)- भूमिका लिखना, प्रस्तावना लिखना; प्राथमिकता देना।
तस्निय: (अ.पु.)- एकवचन और बहुवचन के बीच का द्विवचन। नोट- 'द्विवचनÓ हिन्दी और उर्दू-$फारसी में नहीं होता है लेकिन संस्कृत और अरबी भाषा में इसको मान्यता मिली हुई है।
तस्नी$फ (अ.स्त्री.)- पुस्तक लिखना, किताब बनाना, रचना; लिखी हुई पुस्तक, बनाई हुई कविता; $फजऱ्ी बात, कपोल-कल्पित, मनगढ़ंत।
तस्नी$फात (अ.स्त्री.)- 'तस्नी$फÓ का बहु., रचनाएँ, तस्नी$फे।
तस्नीम (अ.स्त्री.)- स्वर्ग की एक नहर।
तस्$िफय: (अ.पु.)- परस्पर समझौता, आपस का निबटारा; निर्णय, $फैसला; परस्पर दिलों की स$फाई, आपस में एक-दूसरे के गिले-शिकवे दूर करना; शुद्घ करना, सा$फ करना; शुद्घि, स$फाई।
तस्$िफय:तलब (अ.$फा.वि.)- ऐसी बातें जिनकी स$फाई देनी आवश्यक हो, वह बात जो स्पष्टीकरण चाहती हो।
तस्$िफय:नाम: (अ.$फा.पु.)- वह पत्र अथवा का$गज़ जिसमें आपस के समझौते की लिखा-पढ़ी हो।
तस्$फीद (अ.स्त्री.)- बाँधना, सख़्त करना।
तस्$फी$फ (अ.स्त्री.)- पर बाँधना।
तस्बी$ग (अ.स्त्री.)- रंग करना, रँगना।
तस्बीह (अ.स्त्री.)- सुब्हानल्लाह (ईश्वर अत्यन्त पवित्र है) कहना; जप-माला, माला, सुमरनी।
तस्बीहख़्वाँ (अ.$फा.वि.)- तस्बीह पढऩेवाला; जप-माला के मनकों के साथ-साथ 'सुब्हानल्लाहÓ का जप करनेवाला।
तस्म: ($फा.पु.)- चमड़े की कम चौड़ी और लम्बी पट्टी; जूते का $फीता; चमड़े का कोड़ा, दुर्रा।
तस्म:कश ($फा.वि.)- गले में फन्दा डालकर मार डालनेवाला, $कातिल, जल्लाद; ठग।
तस्म:पा ($फा.पु.)- जिसका पाँव तस्मे या $फीते से बँधा हो।
तस्म:बाज़ ($फा.वि.)- द्यूतकार, जुआरी; ठग, धूर्त, छली, वंचक, मक्कार।
तस्म:बाज़ी ($फा.स्त्री.)- छल, कपट, $फरेब; एक प्रकार का जुआ।
तस्मिय: (अ.पु.)- 'बिस्मिल्लाहÓ (ईश्वर के नाम से प्रारम्भ) कहना; नाम रखना, नामकरण।
तस्मिय:ख़्वानी (अ.$फा.स्त्री.)- बच्चे को पढऩे बैठाने का संस्कार, विद्यारम्भ।
तस्मीद (अ.स्त्री.)- वचन भरना, प्रतिज्ञा करना।
तस्मीन (अ.स्त्री.)- मोटा करना, स्थूल बनाना; ख़्ाूब घी और चर्बी खिलाना।
तस्मीम (अ.स्त्री.)- दृढ़ करना, मज़बूत बनाना; दृढ़, पुख़्ता, मज़बूत।
तस्मीर (अ.स्त्री.)- लाभ मिलना, लाभान्वित होना।
तस्रीब (अ.स्त्री.)- बुरा मानना; गाली देना, दुर्वचन कहना।
तस्रीह (अ.स्त्री.)- बाल सुलझाना।
तस्लीख़्ा (अ.स्त्री.)- खाल उतारना, बदन से चमड़ी अलग करना।
तस्लीब (अ.स्त्री.)- फाँसी देना, सूली पर चढ़ाना।
तस्लीम (अ.स्त्री.)- सलाम करना, प्रणाम करना; $कबूल करना, स्वीकार करना, मंज़ूर करना; आज्ञा का पालन करना, $फर्मांबर्दारी करना; सौंपना, सिपुर्द करना।
तस्लीमात (अ.स्त्री.)- 'तस्लीमÓ का बहु., प्रणाम, सलाम। नोट- यह शब्द बहुवचन होते हुए भी एकवचन के रूप में ही प्रयोग किया जाता है।
तस्लीस (अ.स्त्री.)- तीन भागों में बाँटना, तीन भाग करना; ईसाइयों का तीन ख़्ाुदा मानना।
तस्विय: (अ.पु.)- एक समान करना, बराबर बनाना; सीधा करना।
तस्वीद (अ.स्त्री.)- किसी चीज़ पर काला रंग चढ़ाना, काला करना; लिखना, तहरीर करना; मुसव्वदा लिखना, विवरण लिखना।
तस्वीर (अ.स्त्री.)- मूर्ति बनाना, चित्र खींचना; चित्र, प्रतिकृति, शबीह; छायाचित्र, आलोकचित्र, फोटो; बहुत ही सुन्दर और हसीन सूरत; बुत, प्रतिमा, मूर्ति।
तस्वीरकशी (अ.$फा.स्त्री.)- तस्वीर बनाना, चित्रण, चित्रकर्म।
तस्वीरख़्ाान: (अ.$फा.पु.)- वह स्थान जहाँ बहुत-सी मूर्तियाँ हों, वह जगह जो चित्रों से सजायी गई हो; जहाँ बहुत-सी सुन्दर स्त्रियाँ एकत्र हों, परीख़्ााना, सनमख़्ााना, बुतख़्ााना।
तस्वीरे अ़क्सी (अ.स्त्री.)- छायाचित्र, फोटो।
तस्वीरे ख़्ायाली (अ.स्त्री.)- काल्पनिक चित्र, $फजऱ्ी तस्वीर; किसी की आकृति जो चित्त में आए, विचारों और कल्पना में उभरा हुआ नक़्शा।
तस्वीरे गिली (अ.$फा.स्त्री.)- मिट्टी की मूर्ति।
तस्वीरे नीमरुख़्ा (अ.$फा.स्त्री.)- एक तर$फ से लिया गया चित्र, साइडपोज़, वह तस्वीर जिसमें चेहरे का एक रुख़्ा आए।
तस्सूज (अ.पु.)- बर्तन, भाँडा, पात्र; दो रत्ती की एक तौल; तट, किनारा, छोर।
तस्ही$फ (अ.स्त्री.)- लिखने में $गलती करना।
तस्हील (अ.स्त्री.)- सरल करना, सुगम बनाना, आसानी पैदा करना; आसानी, सुगमता, सरलता।
तस्हीले विलादत (अ.स्त्री.)- प्रसव की सुगमता, बच्चा पैदा होने की आसानी।
तस्हीह (अ.स्त्री.)- प्रेस की कॉपियों या प्रू$फों की दुरुस्ती; लेख आदि की $गलतियाँ ठीक करना; शुद्घ करना, दुरुस्त करना, त्रुटिहीन करना।
तह ($फा.स्त्री.)- तल, निचला हिस्सा, तली; पेंदी, तला; परत, तब$क; रहस्य, भेद, नुक़्ता; थाह, अन्त, इन्तिहा।
तहक्कुम (अ.पु.)- ज़बर्दस्ती करना; हुक़्म जताना, ज़ोर दिखाना।
तहख़्ाान: ($फा.पु.)- तल-घर, तलगृह, अधोगृह, भूगेह, भूगर्भगृह, ज़मींदोज़ मकान, बेसमेंट।
तहजुअऱ्: (अ.$फा.स्त्री.)- तलछट, गाद; नीचे का बचा हुआ द्रव-पदार्थ; पीने से बची हुई शराब।
तहज्जी (अ.स्त्री.)- किसी की आलोचना या निन्दा करना; शब्दों के हिज्जे करना, शब्द-विग्रह।
तहज्जुद (अ.स्त्री.)- आधी रात के बाद की नमाज़। (अ.पु.)- रात में सोना और रात में ही जाग जाना।
तहज़्ज़ुन (अ.पु.)- शोकग्रस्त होना, रंजीदा होना।
तहज्जुर (अ.पु.)- पत्थर की कठोर हो जाना; कठोरता, कड़ापन, सख़्ती।
तहत्तुक (अ.पु.)- तू-तू, मैं-मैं, वाक्-कलह; निन्दा, अपमान, रुस्वाई, बदनामी।
तहत्तुम (अ.पु.)- वाजिब, आवश्यक होना।
तहदार ($फा.वि.)- सार्थक, बामाÓनी; गढ़, द$की$क; गम्भीर, गहरा।
तहदेगी ($फा.स्त्री.)- नीचे की खुर्चन, देग या हाँडी की तह में जमी हुई खुर्चन।
तहद्दी (अ.स्त्री.)- ललकारना, लडऩा।
तहनशीं ($फा.वि.)- नीचे बैठी हुई चीज़, तल में जमीं हुई चीज; गाद, तलछट।
तहपेच ($फा.पु.)- पगड़ी के नीचे की टोपी या कपड़ा; लुंगी के नीचे का कपड़ा।
तहपोश ($फा.पु.)-अंडरवियर; साड़ी के नीचे का जाँघिया।
तहफ़्$फुज़ (अ.पु.)- बचाव, रक्षा; सुरक्षा, हि$फाज़त।
तहफ़्$फुज़े हु$कू$क (अ.पु.)-अपने अधिकारों की रक्षा, अपने ह$कों की सुरक्षा।
तहबन्द ($फा.पु.)- अधोवस्त्र, नीचे पहनने का कपड़ा।
तह ब तह ($फा.वि.)- एक के नीचे एक, परत पर परत।
तहबाज़ारी ($फा.स्त्री.)- राज्य की ओर से बाज़ार की ज़मीन का ठेका या उसके किराए की उगाही।
तहब्बुज (अ.पु.)- बहुत हलकी सूजन; भरभराहट।
तहमतन ($फा.पु.)- महारथी, बहुत बड़ा योद्घा; (अ.पु.)-ईरान के शूरवीर 'रुस्तमÓ की एक उपाधि।
तहमतनी ($फा.स्त्री.)- वीरता, बहादुरी, शौर्य, शुजाअ़त।
तहमैदानी ($फा.पु.)- ख़्ाानाबदोश, संचारजीवी।
तहम्मुल (अ.पु.)- नम्रता, नर्मी; धैर्य, सब्र; गम्भीरता, संजीदगी; बुर्दबारी, सहिष्णुता, सहनशीलता।
तहय्युज (अ.पु.)- धरती से धूल-मिट्टी उडऩा, ज़मीन से गर्दो-गुबार उडऩा।
तहय्युर (अ.पु.)- आश्चर्य, अचम्भा, विस्मय, हैरत, तअ़ज्जुब।
तहर्रक (अ.पु.)- हिलना, हिलना-डुलना, हरकत होना।
तहर्रुज़ (अ.पु.)- परहेज़ करना, संयम बरतना।
तहव्वुर (अ.पु.)- बहादुरी, वीरता, जवाँमर्दी।
तहव्वुर शिअ़ार (अ.वि.)- बहादुर, वीर, शूर।
तहश्शुम (अ.पु.)- अनेक नौकर-चाकरवाला होना; क्रोध प्रकट करना; रौब दिखाना।
तहस्सुर (अ.पु.)- पश्चात्ताप, अ$फसोस; शोक, रंज।
तहाइ$फ (अ.पु.)- 'तुह$फाÓ का बहु., तोह$फे, भेंट-समूह।
तहाकुम (अ.पु.)- परस्पर मिलकर हाकिम के पास जाना, इकट्ठे होकर किसी बड़े अधिकारी से मिलना।
तहादुस (अ.पु.)- आपस में बातें करना।
तहा$फी (अ.पु.)-नेक होना।
तहाब (अ.पु.)- आपस में प्रेम करना।
तहामी (अ.पु.)- परहेज़ करना, संयम बरतना।
तहारुब (अ.पु.)- आपस में झगडऩा, लड़ाई करना।
तहालु$फ (अ.पु.)- आपस में मिलकर कोई षड्यंत्र रचने की शपथ लेना; आपस में $कस्मा$कस्मी; किसी बात के झूठ-सच होने के लिए आपस में $कस्मा परतीती।
तहारत (अ.स्त्री.)- पवित्रता, शुद्घता, पाकीज़गी; स्नान, $गुस्ल; शौच, इस्तिंजा।
तहावुर (अ.पु.)- आपस में बातचीत, परस्पर वार्तालाप।
तहासुद (अ.पु.)- जलना-भुनना, ईष्र्या करना।
तहीन (अ.वि.)- पिसा हुआ आटा।
तहीय: (अ.पु.)- संकल्प, इरादा, निश्चय, तय; आमादगी, तत्परता।
तहीयत (अ.स्त्री.)- प्रणाम, वन्दना; सलाम, तस्लीम; रसूल पर दुरूद (दुअ़ा और सलाम); जीवनदान करना, जि़न्दगी देना; सत्ता,राज्य, हुकूमत।
तहीयात (अ.स्त्री.)- 'तहीयतÓ का बहु., वन्दनाएँ; दुरूदो-सलाम; रसूल के प्रति अभिवादन।
तहूर (अ.वि.)- शुद्घ, निर्मल, पवित्र, पाक।
तहेख़्ााक ($फा.अव्य.)- मिट्टी के नीचे; ज़मीन के नीचे अर्थात् $कब्र में।
तहेते$ग ($फा.वि.)- तलवार से मृत, हत, वधित, मक़्तूल।
तहोबाला ($फा.वि.)- ऊपर-नीचे, तले-ऊपर, अस्त-व्यस्त; बर्बाद, विनिष्ट, विध्वस्त।
तहैयुर (अ.पु.)- दे.- 'तहय्युरÓ।
तह्की$क (अ.स्त्री.)- जाँच, जाँच-पड़ताल, तफ़्तीश, गवेषणा; अनुसंधान, रिसर्च; तलाश, खोज, जिज्ञासा; विदित, ज्ञात, दरयाफ़्त।
तह्$की$कात (अ.स्त्री.)- 'तह$की$कÓ का बह़., सरकारी तौर पर किसी मुअ़ामले की जाँच-पड़ताल। नोट- यह शब्द बहुवचन होते हुए भी एकवचन के रूप में प्रयुक्त होता है।
तह$्की$के ह$क (अ.स्त्री.)- सच की तलाश, सत्य की खोज, सत्यान्वेषण, वास्तविकता की जानकारी।
तह$्कीर (अ.स्त्री.)- निन्दा, अपयश, बदनामी; अनादर, अपमान, बेइज़्ज़ती; उपेक्षा, घृणा।
तह्ज़ीन (अ.स्त्री.)- पीड़ा देना, दु:खी करना।
तह्ज़ीब (अ.स्त्री.)- शिष्टता, सभ्यता, शाइस्तगी; सुशीलता, ख़्ाुशअख़्लाकी; संस्कृति, परिष्कृति, आरास्तगी; उठने-बैठने, बातचीत करने तथा दूसरों के सामने जाने का ढंग, सली$का।
तह्ज़ीबे अख़्ला$क (अ.स्त्री.)- शिष्टाचार, शिष्टता; आचार-व्यवहार तथा नागरिता के नियमों का पालन।
तह्ज़ीबे $कदीम (अ.स्त्री.)- प्राचीन सभ्यता।
तह्ज़ीबे जदीद (अ.स्त्री.)- नवीन सभ्यता, पाश्चात्य सभ्यता, पश्चिमी संस्कृति।
तह्ज़ीर (अ.स्त्री.)- डराना।
तह्त (अ.वि.)- अधीन, मातहत; अधिकार, इख़्ितयार, दबाव; निम्न, नीचे।
तह्तुल्लफ़्ज़ (अ.वि.)- गद्य की भाँति पढ़ी हुई कविता; $गज़ल या नज़्म को तरन्नुम से न पढ़कर साधारण ढंग से पढऩा।
तह्तुल्हनक (अ.पु.)- पगड़ी की लपेट।
तह्तश्शुअ़ाअ़ (अ.वि.)- चन्द्र मास के वे दो या तीन दिन जब चन्द्रमा इतना महीन होता है कि दिखाई नहीं देता। ये दिन अशुभ माने जाते हैं।
तह्तस्सरा (अ.पु.)- पृथ्वी का सबसे नीचे का तल, पाताल।
तह्तानी (अ.वि.)- उर्दू का वह अक्षर जिसके नीचे नुक़्ते हों।
तह्दिय: (अ.पु.)- उपहार देना, किसी को कोई चीज़ भेंट करना, तोह$फा देना; भेंट, तोह$फा, उपहार, उपायन।
तह्दी$क (अ.स्त्री.)- घूरना, बराबर देखते रहना।
तह्दीद (अ.स्त्री.)- डराना, भय दिखाना, त्रासना; धमकाना, घुड़कना।
तह्दीद (अ.स्त्री.)- सीमाबद्घ करना, हद बाँधना, सीमित या नियत करना; तेज़ करना, तीव्र करना।
तह्दीब (अ.स्त्री.)- उभारना, भड़काना।
तह्दीस (अ.स्त्री.)- हदीस बयान करना।
तह्न (अ.पु.)- पीसनस, आटा पीसना।
तह्मीद (अ.स्त्री.)- प्रशंसा करना, स्तुति करना, हम्द करना।
तह्रीक (अ.स्त्री.)- हिलाना, हरकत देना; प्रेरित करना, प्रवृत करना, रग़्बत दिलाना; बहकाना, बर$गलाना, भ्रम में डालना; आन्दोलन।
तह्री$क (अ.स्त्री.)- बहुत जलाना।
तह्रीज़ (अ.स्त्री.)- उभारना।
तह्रीद (अ.स्त्री.)- क्राधित करना, $गुस्सा दिलाना।
तह्री$फ (अ.स्त्री.)- किसी चीज़ की दशा और आकृति बदल देना; किसी बात को कुछ का कुछ कर देना; किसी शब्द के अक्षरों में बदलाव करके कुछ का कुछ बना देना।
तह्रीम (अ.स्त्री.)- नमाज़ की नीयत।
तह्रीम (अ.स्त्री.)- किसी चीज़ को अपने या किसी के लिए हराम कर देना; पवित्र करना।
तह्रीर (अ.स्त्री.)- लिखना, लिखने का अ़मल अर्थात् काम; हाथ की लिखावट, हस्तलिपि; अक्षरन्यास, लिखावट; लेख्य, लेख-पत्र, दस्तावेज़; लिखित प्रमाण, तह्रीरी सुबूत; लिखने का मेहनताना, लिखाई; मज़्मून, इबारत; हलकी लकीर या ख़्ात; सुरमे की लकीर; सनद, प्रमाण-पत्र; संविदा-पत्र, इक्ऱारनामा।
तह्रीरी (अ.वि.)- लिखा हुआ, लिखित।
तह्रीश (अ.स्त्री.)- एक-दूसरे के विरुद्घ उभारना, भड़काना।
तह्रीस (अ.स्त्री.)- प्रलोभन देना, लोभ में लाना, लालच देना; प्ररित करना, उत्साहित करना, रग़्बत दिलाना; प्रेरणा, प्रलोभ, लालच।
तह्ल [लु] क: (अ.पु.)- खलबली, हलचल; कोलाहल, कोहराम; मृत्यु, मरना, निधन।
तह्लील (अ.स्त्री.)- किसी पदार्थ का गलना या पिघलना; किसी चीज़ को अलग-अलग करना; विलियन, घुलना; पचन, हज़्म होना; क्षीणता, दुबलापन, कमज़ोर होना।
तह्लील (अ.स्त्री.)- 'ला इलाह: इल्लललाहÓ (एक ईश्वर के अतिरिक्त कोई इ्रश्वर नहीं है) कहना, ईश्वर-स्तुति करना, हम्दो सना करना, ईश स्तुतिगान करना।
तह्वील (अ.स्त्री.)- किसी ग्रह का किसी राशि में प्रवेश; प्रवेश करना, दाख़्िाल होना; दुकान का बकाया रुपया जो हर रोज़ बही में लिखा जाता है, रोकड़; सिपुर्द करना, सौंपना, हस्तांतरित करना; फिरना, फिराना।
तह्वीलदार (अ.$फा.पु.)- जिसके पास तह्वील अर्थात् रोकड़ हो, रोकडिय़ा, ख़्ाजांची, कोषाध्यक्ष।
तह्वीले आफ़्ताब (अ.$फा.स्त्री.)- सूर्य का एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश, संक्रान्ति।
तह्शिय: (अ.पु.)- पुस्तक आदि पर फुटनोट लिखना।
तह्सीन (अ.स्त्री.)- श्लाघा, प्रशंसा, तारी$फ।
तह्सीने नाशनास (अ.$फा.स्त्री.)- किसी हुनर या काव्य की ऐसे व्यक्ति द्वारा प्रशंसा जो उससे बिलकुल अंजान हो।
तह्सील (अ.स्त्री.)- उपार्जन, हासिल करना, प्राप्त करना; एकत्र करना, इकट्ठा करना; मालगुज़ारी, राजस्व; जि़ले का एक भाग, तह्सीलदार की कचहरी।
तह्सीलदार (अ.$फा.पु.)- तह्सील का मुख्य अधिकारी, जिसका काम मालगुज़ारी इकट्ठा करना होता है।
तह्सीलदारी (अ.$फा.स्त्री.)- तह्सीलदार का काम या पद।
तह्सीले इल्म (अ.स्त्री.)- विद्योपार्जन, ज्ञान प्राप्त करना, इल्म हासिल करना।
तह्सीले ख़्ााम (अ.$फा.स्त्री.)- ज़मींदारों का सारा रुपया, सारी तह्सील, कच्ची तह्सील।
तह्सीले ज़र (अ.$फा.स्त्री.)- धनोपार्जन, धन कमाना, रुपया कमाना।
तह्सीले हासिल (अ.स्त्री.)- जो प्राप्त है उसकी प्राप्ति का प्रयत्न; व्यर्थ कर्म।
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