पी
पीख़्ााल ($फा.स्त्री.)-चिडिय़ों का मल, बीट।पीन: ($फा.पु.)-टिकली, पैबन्द।
पीन:दोज़ी ($फा.स्त्री.)-टिकली या पैबन्द लगाना।
पीनक ($फा.स्त्री.)-अ$फीम की झोंक।
पीनकी ($फा.वि.)-अ$फीम खाकर पीनक में ऊँघनेवाला।
पीनू ($फा.पु.)-सुखाया हुआ दही, वह दही जिसका पानी निकाल दिया जाए।
पीर ($फा.वि.)-सोमवार, दोशंब:; मुर्शिद, धर्मगुरु; वृद्घ, वयोवृद्घ, बूढ़ा, जरत्।
पीरअ$फसानी ($फा.स्त्री.)-बुढ़ापे में जवानों-जैसे कार्य करना।
पीरजऩ ($फा.स्त्री.)-बूढ़ी औरत, वृद्घा, जरिणी।
पीरज़ाद: ($फा.पु.)-धर्मगुरु का पुत्र, पीर का लड़का।
पीरज़ाल ($फा.स्त्री.)-दे.-'पीरजऩÓ।
पीरपरस्त ($फा.वि.)-धर्मगुरु का भक्त होना, जो अपने पीर को ही सब कुछ समझता हो।
पीरपरस्ती ($फा.स्त्री.)-अपने पीर को ही सब कुछ समझना, धर्मगुरु-भक्ति।
पीरमर्द ($फा.पु.)-ऐसा व्यक्ति जो बूढ़ा भी हो और सदाचारी भी।
पीरसाल ($फा.वि.)-वयोवृद्घ, बूढ़ा; वृद्घा, बूढ़ी।
पीरान: ($फा.वि.)-बूढ़ों-जैसा; बुढ़ापे का।
पीरान:सर ($फा.वि.)-बुढ़ापे की अवस्थावाला, बूढ़ा; स$फेद बालोंवाला।
पीरान:सरी ($फा.स्त्री.)-बुढ़ापा, वृद्घावस्था; बालों की स$फेदी।
पीरान:साल ($फा.वि.)-बूढ़ा, वृद्घ; वृद्घा, बुढिय़ा, बूढ़ी।
पीरान:साली ($फा.स्त्री.)-बुढ़ापा, वृद्घावस्था।
पीराय: ($फा.पु.)-दे.-'पैराय:Ó, उर्दू में वही प्रचलित है मगर शुद्घ यही है।
पीरी ($फा.स्त्री.)-वृद्घावस्था, बुढ़ापा; पीर का पद या पेशा; धूर्तता, मक्कारी; दावा, इजारा।
पीरे कन्अ़ाँ (अ.$फा.पु.)-हज्ऱत या$कूब, जो हज्ऱत यूसु$फ के पिता थे।
पीरे ख़्ाराबात ($फा.पु.)-मदिरालय का बूढ़ा प्रबन्धक।पीरे ज़मींगीर ($फा.पु.)-बुढ़ापे के कारण जिसकी कमर इतनी झुक गई हो कि उसका सिर पृथ्वी को छूता-सा लगे।
पीरे तरी$कत ($फा.पु.)-धर्मगुरु, मुर्शिद।
पीरे नाबालि$ग (अ.$फा.पु.)-वह बूढ़ा आदमी जो बच्चों-जैसे काम करे।
पीरे $फलक (अ.$फा.पु.)-शनिग्रह, ज़ुहल; पुराना आकाश।
पीरे $फर्तूत ($फा.पु.)-वह व्यक्ति जिसकी बुद्घि बुढ़ापे के कारण नष्ट हो गई हो, बहुत-ही बूढ़ा, जर्जर, जराजीर्ण।
पीरे मु$गाँ ($फा.पु.)-दे.-'पीरे ख़्ाराबातÓ।
पीरे हरम (अ.$फा.पु.)-काÓबे की सेवा करनेवाला बूढ़ा व्यक्ति, पूज्य व्यक्ति।
पीरोज़: ($फा.पु.)-दे.-'$फीरोज़:Ó, उर्दू में वही प्रचलित है।
पीरोमुर्शिद (अ.$फा.पु.)-धर्मगुरऊ के लिए बोला जानेवाला शब्द; किसी प्रतिष्ठित और वृद्घ व्यक्ति के लिए सम्बोधन का शब्द।
पील: ($फा.पु.)-रेशम का कीड़ा; रेशम का कोया; दृगंचल, पलक; शतरंज का एक मोहरा पील (हाथी)।
पील:वर ($फा.वि.)-कंचकार, शीश:गर; गंधकार, अत्तार; औषधियाँ बेचनेवाला; रेशम का व्यापारी।
पील ($फा.पु.)-हाथी, हस्ती, सिंधुर, गज, करि, पीलु; शतरंज का एक मोहरा जिसे हाथी भी कहते हैं। दे.-'$फीलÓ, उर्दू उच्चारण वही है।
पीलतन ($फा.वि.)-हाथी-जैसे डील-डौलवाला; रुस्तम की एक उपाधि।
पीलनशीं ($फा.वि.)-जिसके द्वार पर हाथी झूमता हो।
पीलपा ($फा.पु.)-पाँव सूज जाने का एक रोग, श्लीपद, पादगंडीर।
पीलपाय: ($फा.पु.)-पत्थर या चूने का खम्भा।
पीलपैकर ($फा.वि.)-दे.-'पीलतनÓ।
पीलबंद ($फा.पु.)-शतरंज का एक खेल, जिसमें दोनों पील (हाथी) दो-दो पियादों के ज़ोर पर होते हैं और सब घर बन्द कर लेते हैं।
पीलबा$ग ($फा.पु.)-कमरपट्टी, पेटी, पटका।
पीलबान ($फा.वि.)-हाथीवान, हस्तीपक, अंकुशग्रह। दे.-'$फीलबानÓ, उर्दू में वही व्यवहृत है।
पीलबानी ($फा.स्त्री.)-दे.-'$फीलबानीÓ, उर्दू में वही प्रचलित है।
पीलबाला ($फा.वि.)-हाथी के बराबर ऊँचे डील का।
पीलमाल ($फा.वि.)-हाथी के पाँव के नीचे मसला हुआ; हाथी के पाँव-तले मसलवाना।
पीलमु$र्ग ($फा.पु.)-एक कल्पित पक्षी जो हाथी को चोंच में उठा ले जाता है।
पीलस्त: ($फा.पु.)-हाथीदाँत।
पीले गर्दूं ($फा.पु.)-हाथी-रूपी आकाश, जो सबको अपने पाँव के नीचे रौंदता है।
पीले दमाँ ($फा.पु.)-$गुस्से में बि$फरा हुआ और चिंघाड़ता हुआ हाथी।
पीले माल ($फा.पु.)-इतना धन जिसे हाथी की पीठ पर ही ले जाया जा सके, बहुत अधिक धन।
पीह ($फा.स्त्री.)-मेदा, वसा, चर्बी।
पीहे ख़्ाूक ($फा.स्त्री.)-सुअर की चर्बी।
पीहे $गूक ($फा.स्त्री.)-मेंढक की चर्बी।
पीहे बत ($फा.स्त्री.)-बतख़्ा की चर्बी।
पीहे बुज़ ($फा.स्त्री.)-बकरी की चर्बी।
पीहे मार ($फा.स्त्री.)-साँप की चर्बी।
पीहे मु$र्ग ($फा.स्त्री.)-मु$र्गे की चर्बी।
पीहे शेर ($फा.स्त्री.)-सिंह की चर्बी।
पीहे सूसमार ($फा.स्त्री.)-गोह की चर्बी।
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