Tuesday, October 13, 2015

ख़्ाी

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खींचतान (हिं.स्त्री.)-किसी वस्तु को प्राप्त करने के लिए दो में से एक-दूसरे के विरुद्घ उद्योग, खींचा-खींची; शब्द अथवा वाक्य का ज़बरदस्ती भिन्न अर्थ करना।
खींचना (हिं.क्रि.सक.)-बलपूर्वक अपनी ओर लाना या घसीटना; किसी कोश, थैले आदि में से किसी वस्तु को बाहर निकालना; सोखना, चूसना; भभके से अर्क़, शराब आदि चुवाना; किसी वस्तु का गुण या प्रभाव निकाल लेना; चित्र बनाना; वशीभूत करना।
ख़्ाीक ($फा.स्त्री.)-भस्त्रा, पानी भरने की मश्क।
खीज (हिं.स्त्री.)-झुंझलाहट; चिढ़ाने का शब्द या वाक्य। 'खीज निकालनाÓ-किसी को चिढ़ाने के लिए कोई नई बात निकालना।
खीजना (हिं.क्रि.अक.)-झुंझलाना, खिजलाना।
ख़्ाीत (अ़.वि.)-सिला हुआ।
ख़्ाीते बातिल (अ़.पु.)-हवा के वे कण और महीन रेशे जो मकान के सूराख़्ा में से आती धूप में दिखाई देते हैं।
ख़्ाीद ($फा.पु.)-अधपके गेहूँ और जौ; ऐसे गेहूँ और जौ जो पूरे पके न हों और जिनको भूनकर खाया जाता है। दे.-'ख़्ावीदÓ, दोनों शुद्घ हैं।
ख़्ाी$फ: (अ़.पु.)-डर, भय, ख़्ाौ$फ।
ख़्ाीम (अ़.स्त्री.)-स्वभाव, प्रकृति, अ़ादत।
ख़्ाीर: ($फा.वि.)-जिसकी आँखों में चकाचौंध हो गई हो, चौंधियाया हुआ; धृष्ट, बेहया, ढीठ, दुष्ट, पाजी; अँधियारा, अंधकारमय; अकारण, बे-सबब; चकित, हैरान, स्तब्ध।
ख़्ाीर:कुश ($फा.वि.)-अकारण किसी की हत्या करनेवाला, बेवजह किसी का वध करनेवाला; निर्दय, बेरहम, पाषाण-हृदय, संगदिल, पत्थरदिल।
ख़्ाीर:कुशी ($फा.स्त्री.)-बिना कारण प्राण लेने का कर्म; निर्दयता, बेरहमी।
ख़्ाीर:चश्म ($फा.वि.)-धृष्ट, बेबाक, गुस्ताख़्ा; निर्लज्ज, बेहया।
ख़्ाीर:चश्मी ($फा.स्त्री.)-धृष्टता, गुस्ताख़्ाी; निर्लज्जता, बेहयाई।
ख़्ाीर:बातिन (अ़.$फा.वि.)-अंत:मलिन, जिसकी आत्मा पापमयी हो, बदसिरिश्त।
ख़्ाीर:बातिनी (अ़.$फा.स्त्री.)-मन और आत्मा की अशुद्घि, अन्त:मलिनता, बदसिरिश्ती।
ख़्ाीर:सर ($फा.वि.)-अवज्ञाकारी, ना$फर्मान; स्वच्छन्द, ख़्ाुदराय; उद्दण्ड, सरकश; लालची, लोलुप।
ख़्ाीर:सरी ($फा.स्त्री.)-अवज्ञा; उद्दण्डता; स्वच्छन्दता; लोभ।
ख़्ाीर ख़्ाीर ($फा.वि.)-मिथ्या, झूठ, निरर्थक, $फुज़ूल, बेहूद:।
खीर (हिं.स्त्री.)-दूध में पकाया हुआ चावल।
ख़्ाीरगी (अ.स्त्री.)-धृष्टता, बेहयाई; आँखों की चकाचौंध; अँधेरा; हैरानी, स्तब्धता।
ख़्ाीरा ($फा.वि.)-दे.-'ख़्ाीर:Ó, वही शुद्घ उच्चारण है।
खीरा (हिं.पु.)-ककड़ी की जाति का एक फल। 'खीरा ककड़ीÓ-अत्यन्त तुच्छ वस्तु।
ख़्ाीरी ($फा.स्त्री.)-दे.-'ख़्ात्मीÓ।
ख़्ाीरू ($फा.स्त्री.)-दे.-'ख़्ात्मीÓ।
ख़्ाीव: ($फा.पु.)-रूसी-तुर्किस्तान का एक नगर 'ख़्वारज्मÓ।
ख़्ाीव$क (अ़.पु.)-दे.-'ख़्ाीव:Ó।
ख़्ाीश ($फा.पु.)-दे.-'ख़्ोशÓ।
ख़्ाीस (अ़.पु.)-शेर के रहने की माँद, कछार; पेड़ों का झुण्ड या झुरमुट। इसका का 'सÓ उर्दू के 'सीनÓ अक्षर से बना है।
ख़्ाीस (अ़.स्त्री.)-सियाही, मसि, लिखने की रौशनाई; थोड़ी सजावट। दे.-'ख़्ौसÓ, दोनों शुद्घ हैं। इसका 'सÓ उर्दू के 'सुअ़ादÓ अक्षर से बना है।
खीस (हिं.वि.)-नष्ट, बरबाद। 'खीस जानाÓ-नष्ट होना। 'खीस डालनाÓ-बरबाद करना। (हिं.पु.)-अप्रसन्नता, क्रोध, रोष, $गुस्सा; लज्जा, शर्म; होंठ से बाहर निकले दाँत; घाटा, हानि। 'खीस डालनाÓ-बेढंगे तौर पर हँसना; दीन होकर माँगना।

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