Tuesday, October 13, 2015

ख़्ाु 

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ख़्ंाुदगार ($फा.पु.)-'ख़्वांदगारÓ का लघुरूप, शिक्षा देनेवाला, शिक्षक, पढ़ानेवाला, अध्यापक; 'ख़्ाुदावंदगारÓ का लघुरूप, शहंशाह, सम्राट्, बादशाह, शासक।
ख़्ाुंब ($फा.स्त्री.)-करतल-ध्वनि, ताली।
ख़्ाुंबक ($फा.पु.)-साज़ के साथ ताल देना, ताली बजाना; $फ$कीरों के पहनने का एक मोटा कपड़ा; सिर और पूँछ हिलाना; शोर, कोलाहल।
ख़्ाुंबिंद: ($फा.वि.)-ताली बजानेवाला, करतल-ध्वनि करनेवाला।
ख़्ाुंबीदन ($फा.क्रि.)-करतल-ध्वनि करना, ताली बजाना, ठुमकना।
ख़्ाुंसा (अ़.पु.)-वह पुरुष जिसमें स्त्री और पुरुष दोनों के चिह्नï हों, जऩाना, नरदारा, शिखण्डी।
खुक्कल, खुख्खल (हिं.वि.)-खोखला, ख़्ााली।
खुजलाना (हिं.क्रि.अक.)-खुजली मिटाने के लिए नाख़्ाूनों से अंग रगडऩा, सहलाना।
खुजली (हिं.स्त्री.)-खुजलाहट, सुरसुरी; खाज की बीमारी। 'खुजली उठनाÓ-दण्ड भुगतने की इच्छा होना; प्रसंग करने की इच्छा होना।
ख़्ाुजस्त: ($फा.वि.)-शुभान्वित, कल्याणमय, मुबारक।
ख़्ाुजस्त:पै ($फा.वि.)-जिसके पाँव पडऩा शुभ हो, जिसका आगमन शुभ अर्थात् कल्याणकर हो, मुबारक$कदम।
ख़्ाुजस्त:राय (अ.$फा.वि.)-जो नेक सलाह देता हो, जिसकी सलाह बहुत ठीक और शुभान्वित होती हो।
ख़्ाुज़ाअ़: (अ़.पु.)-टुकड़ा, किसी वस्तु से काटा हुआ खंड; अऱब का एक वंश।
ख़्ाुज़ाÓबील (अ़.वि.)-झूठ, असत्य, अनृत, $गलत, बातिल।
ख़्ाुज़ाद: ($फा.पु.)-सुपुत्र, बेटा, साहबज़ाद:।
ख़्ाुजार: ($फा.स्त्री.)-थोड़ी वस्तु, कम चीज़।
ख़्ाुजाऱ: (अ़.पु.)-नदी, सरिता, दरिया।
ख़्ाुज़ूअ़ (अ़.पु.)-विनीति, नम्रता, ख़्ााकसारी।
ख़्ाुज़ूर (अ़.पु.)-'ख़्ाजऱÓ का बहु., हरियालियाँ, सब्जिय़ाँ।
ख़्ाुज्ऱत (अ़.स्त्री.)-हरियाली, हरितिमा, सब्ज़ी।
ख़्ाुज्ऱी (अ़.स्त्री.)-शाक, तरकारी, सब्ज़ी।
ख़्ाुज्ऱीयात (अ़.स्त्री.)-तरकारियाँ, सब्जिय़ाँ।
ख़्ाुज़्ा्रू$फ (अ़.वि.)-युद्घ-कौशल में प्रवीण, युद्घ-कुशल, युद्घ में $फुर्ती-चुस्ती से लडऩेवाला, (स्त्री.)-चमड़े की फिरकी जिसमें डोरा डालकर घुमाते हैं।
खुटका (हिंं.पु.)-खटका, डर, भय; चिन्ता; आहट, सन्देह, अंदेशा।
खुड़पेच (हिंं.पु.)-रोड़ा अटकाना; ऐब निकालना।
ख़्ाुतक ($फा.पु.)-गतका, सोंटा; भंग अथवा विजया-बूटी घोटने का डण्डा; अँगूठा, ठेंगा; लिंग, शिश्न। 'कुतुकÓ अथवा 'कुत्कÓ का तद्भव-रूप।
ख़्ाुतन ($फा.पु.)-चीन का एक नगर जहाँ की कस्तूरी प्रसिद्घ है। यहाँ हिरन बहुत होते हैं। 'मेरी हालत को समझे तो समझे वो $गज़ाल, आबोदान: के लिए जिसने ख़्ाुतन छोड़ा हैÓ।
ख़्ाुतबा (अ़.पु.)-दे.-'ख़्ाुत्ब:Ó, वही उच्चारण शुद्घ है।
ख़्ाुतार (अ़.पु.)-निराना, निराई करना, घास-फूस से खेत को सा$फ करना, जमे हुए खेत में से घास आदि निकालना।
ख़्ाुतुवात (अ़.पु.)-'ख़्ाुत्व:Ó का बहु., डगें, $कदम।
ख़्ाुतूत (अ़.पु.)-'ख़्ातÓ का बहु., चिट्ठियाँ, पत्र; रेखाएँ, लकीरें। 
ख़्ाुतूते वहदानी (अ़.स्त्री.)-कोष्ठक, वह अद्र्घवृत्त जिसके अन्दर कुछ लिखा जाए।
ख़्ाुतूते हिलाली (अ़.स्त्री.)-दे.-'ख़्ाुतूते वहदानीÓ।
ख़्ाूतून (अ़.पु.)-जँवाई बनना, दामाद बनना।
ख़्ाुत्ता$फ (अ़.स्त्री.)-एक प्रसिद्घ चिडिय़ा, अबाबील; पानी खींचने के पुर का कुण्डा।
ख़्ाुत्ताम: (अ़.स्त्री.)-दुश्चरित्र स्त्री, कुलटा, बदकार अ़ौरत, वेश्या, पुंश्चली।
ख़्ाुत्तामा (अ़.स्त्री.)-दे.-'ख़्ाुत्ताम:Ó, वही शुद्घ है।
खुत्ती (हिं.स्त्री.) (स्त्रियों द्वारा प्रयुक्त शब्द)-ख़्ाज़ाना, धन।
ख़्ाुत्फ़: (अ़.वि.)-सोया हुआ, सुप्त।
ख़्ाुत्ब: (अ़.पु.)-नमाज़ या निकाह का ख़्ाुत्बा; पुस्तक की भूमिका, प्राक्कथन; उपदेश, धर्मोपदेश; भाषण, बयान; स्तुति, तारी$फ, प्रशंसा; सामयिक राज की प्रशंसा या घोषणा। 'किसी के नाम का ख़्ाुत्ब: पढ़ा जानाÓ-सर्वसाधारण को सूचना देने के लिए किसी के सिंहानासीन होने की घोषणा करना।
ख़्ाुत्व: (अ़.पु.)-एक $कदम, एक डग, चलते समय दोनों पाँवों के बीच का अन्तर।
ख़्ाुद ($फा.अव्य.)-स्वयं, आप, स्वत:, अपने आप।
ख़्ाुदअंदोख़्त: ($फा.वि.)-स्वोपार्जित, अपने आप कमाकर इकट्ठा किया हुआ धन आदि।
ख़्ाुदअ़: (अ़.वि.)-दूसरों को छलनेवाला, छलिया, वंचक।
ख़्ाुदआरा ($फा.वि.)-बनाव-सिंगार करके रहनेवाला, अपने आप को बना-सँवारकर रखनेवाला (वाली), स्वयंसज्जिता, सुसज्जिता, बनी-ठनी।
ख़्ाुदआराई ($फा.स्त्री.)-शृंगार, बनाव-सिंगार; अपने आपको सँवारने और बनाने की क्रिया, अपनी शोभा या मान आदि स्वयं बनाने का प्रयास करना।
ख़्ाुदइत्मीनानी (अ़.$फा.स्त्री.)-स्वयं पर विश्वास होने का भाव, आत्मविश्वास; स्वयं पर सन्तुष्ट रहने का भाव; अपने मन को सन्तोष होने का भाव, मनसंतोष।
ख़्ाुदएÓतिमाद (अ़.$फा.वि.)-आत्मविश्वासी, स्वयं पर विश्वास और भरोसा करनेवाला (वाली)।
ख़्ाुदएÓतिमादी (अ़.$फा.स्त्री.)-आत्म-विश्वास, स्वयं पर विश्वास और भरोसा करना।
ख़्ाुदक ($फा.पु.)-मन में पैदा होनेवाली आशंकाएँ और भावनाएँ, मन में उत्पन्न होनेवाले भ्रम और विचार।
ख़्ाुदक$फालत (अ़.$फा.स्त्री.)-स्वावलंबी बनना, अपना बोझ ख़्ाुद उठाना, अपने जीवन-यापन के लिए ख़्ाुद जीविका कमाना।
ख़्ाुदक$फील (अ़.$फा.वि.)-स्वावलंबी, आत्मलंबी, अपना बोझ स्वयं उठानेवाला।
ख़्ाुदकर्द: ($फा.वि.)-अपना किया हुआ।
ख़्ाुदकरदा ($फा.वि.)-दे.-'ख़्ाुदकर्द:Ó, वही शुद्घ है।
ख़्ाुदकशी ($फा.स्त्री.)-दे.-'ख़्ाुदकुशीÓ, वही शुद्घ है।
ख़्ाुदकाम ($फा.वि.)-स्वार्थ-साधक, स्वार्थी, मतलबी; स्वयं से ही मतलब रखनेवाला; स्वच्छन्द, निरंकुश, ख़्ाुदराय।
ख़्ाुदकामी ($फा.स्त्री.)-स्वार्थ, मतलब; बेख़्ाौ$फी, स्वच्छन्दता, निरंकुशता।
ख़्ाुदकाश्त ($फा.वि.)-वह ज़मीन जिसे ज़मींदार अपने आप जोते-बोये।
ख़्ाुदकुश ($फा.वि.)-स्वयं को मार डालनेवाला, आत्महत्या करनेवाला, आत्महन्ता।
ख़्ाुदकुशी ($फा.स्त्री.)-आत्महत्या, स्वयं को मार डालना, अपनी जान आप देना, ख़्ाुदकशी।
ख़्ाुद$गरज़ (अ़.$फा.वि.)-स्वार्थी, केवल अपना स्वार्थ सिद्घ करनेवाला, मतलबी, अपने मतलब में चौकस, ख़्ाुद$गर्ज़।
ख़्ाुद$गरज़ी (अ़.$फा.स्त्री.)-आपा-धापी, स्वार्थ-साधना, स्वार्थपरता, आत्मलाभ, ख़्ाुद$गजऱ्ी।
ख़्ाुदनविश्त ($फा.वि.)-आत्मकथा, स्वयं लिखे हुए अपने हालात, अपने हाथ से लिखा हुआ।
ख़्ाुदनुमा ($फा.वि.)-लोगों को अपना बड़प्पन दिखानेवाला, अभिमानी, घमण्डी, शेख़्ाीबाज़; आत्म-प्रदर्शी, अपने सौन्दर्य अथवा वैभव आदि का दिखावा करने वाला (वाली), अपने ठाट-बाट का दिखावा करने वाला (वाली)।
ख़्ाुदनुमाई ($फा.स्त्री.)-शेख़्ाी, घमण्ड, अभिमान; आत्म-प्रदर्शन, अपने हुस्न अथवा अपनी शान-शौकत का प्रदर्शन, अपने ठाट-बाट का दिखावा।
ख़्ाुदपरस्त ($फा.वि.)-घमण्डी, स्वार्थी, मतलबी; हर बात में अपना गौरव और अपनी महत्ता जतानेवाला (वाली), आत्म -पूजक, आत्मप्रशंसक।
ख़्ाुदपरस्ती ($फा.स्त्री.)-घमण्ड, स्वार्थ; आत्म-पूजा, स्वयं ही को सब-कुछ जानने और मानने का भाव, आत्मप्रशंसा।
ख़्ाुदपसंद ($फा.वि.)-अपने आपको ही अच्छा समझनेवाला, स्वयं ही को सर्वाधिक पसंद करने वाला (वाली), स्वयं को सबसे अच्छा और बड़ा समझने वाला (वाली), जो दूसरे की राय को न माने; आत्मानुरागी।
ख़्ाुदपसंदी ($फा.स्त्री.)-स्वयं ही को सर्वाधिक पसंद करने का भाव या क्रिया, आत्मानुराग।
ख़्ाुद$फरामोश ($फा.वि.)-आत्म-विस्मारक, ऐसा अचेत जो स्वयं को भी भूल जाए, जिसे अपना भी होश न रहे।
ख़्ाुद$फरामोशी ($फा.स्त्री.)-आत्म-विस्मृति, अपना भी होश न रहना, बेसुध रहना, खोया-खोया रहना।
ख़्ाुद$फरेब ($फा.वि.)-आत्मवंचक, स्वयं को धोखा देनेवाला (वाली), अपने आपको धोखे में रखनेवाला (वाली)।
ख़्ाुद$फरेबी ($फा.स्त्री.)-आत्म-वंचना, स्वयं को धोखे में रखना, अपने आपको अँधेरे में रखना।
ख़्ाुद$फरोश ($फा.वि.)-आत्म-विक्रेता, वह व्यक्ति जो धन-पद अथवा अन्य किसी लालच में अपने देश अथवा मालिक से विश्वासघात करे।
ख़्ाुद$फरोशी ($फा.स्त्री.)-आत्म-विक्रय, स्वयं को दूसरों के हाथों बेच देना, अपने देश अथवा स्वामी से विश्वासघात करना।
ख़्ाुद$िफगन ($फा.वि.)-अच्छा घुड़सवार।
ख़्ाुद$िफगनी ($फा.स्त्री.)-घुड़सवारी।
ख़्ाुद ब ख़्ाुद ($फा.वि.)-स्वयं, स्वत:, अपने आप, आप से आप।
ख़्ाुदबदौलत (अ़.$फा.पु.)-श्रीमान्, महोदय, जनाब, हुज़ूर; स्वयं, आप, आप ख़्ाुद।
ख़्ाुदबीं ($फा.वि.)-जो अपने समान किसी को न समझे, घमण्डी, जो अपने सामने सबको तुच्छ समझे; जिसे अपने सामने और कोई दिखाई न पड़े; आत्मदर्शी, ख़्ाुद को ही सब-कुछ समझने वाला (वाली); अभिमानी, अहंकारी, दम्भी, म$गरूर।
ख़्ाुदबीनी ($फा.स्त्री.)-आत्मदर्शन, स्वयं को ही सब-कुछ समझना; अभिमान, अहंकार, घमण्ड, दम्भ, $गुरूर।
ख़्ाुदमत्लब (अ़.$फा.वि.)-स्वार्थ-साधक, दे.-'ख़्ाुद$गरज़Ó।
ख़्ाुदमत्लबी (अ़.$फा.स्त्री.)-स्वार्थ-साधन, दे.-'ख़्ाुद$गरज़ीÓ।
ख़्ाुदमुख़्तार (अ़.$फा.वि.)-स्वतंत्र, स्वाधीन, मुक्त, आज़ाद; स्वेच्छाचारी, निरंकुश, मनमानी करनेवाला।
ख़्ाुदमुख़्तारी (अ़.$फा.स्त्री.)-स्वतंत्रता, स्वाधीनता, आज़ादी; स्वच्छन्दता, निरंकुशता, मन की मौज।
ख़्ाुदरंग ($फा.वि.)-प्राकृतिक रंगवाला।
ख़्ाुदरक (अ़.स्त्री.)-चिंगारी, अग्निकण, स्फुलिंग।
ख़्ाुदरफ़्त: ($फा.वि.)-संज्ञाहीन, निश्चेष्ट, बेसुध, जो अपने आपे में न हो, आपे से बाहर।
ख़्ाुदरफ़्तगी ($फा.स्त्री.)-निश्चेष्टता, बेसुधी, अपने आपे में न होना।
ख़्ाुदराई (अ़.$फा.स्त्री.)-अपने ही मन की करना, अपनी ही राय अथवा सलाह पर चलना, दूसरों का परामर्श न मानना, स्वेच्छाचार, स्वच्छन्दता, अभिमान, घमण्ड।
ख़्ाुदराए (अ़.$फा.वि.)-जो केवल अपने मन की बात माने, जो केवल अपने विचारों पर चले और किसी की बात न माने, स्वेच्छाचारी।
ख़्ाुदरी (अ़.स्त्री.)-अँधेरी रात; कोई काली वस्तु।
ख़्ाुदरुस्त: ($फा.वि.)-दे.-'ख़्ाुद रोÓ।
ख़्ाुद रो ($फा.वि.)-अपने आप उगा हुआ, जो बोया न गया हो, जो बिना बोये अपने आप उगा हो।
खुदवाना (हिं.क्रि.सक.)-खोदने का काम कराना।
ख़्ाुदशनास ($फा.वि.)-स्वयं को पहचानने वाला (वाली), अपनी औ$कात पहचानने वाला (वाली), अपना हलकापन या भारीपन जानने वाला, अपनी जगह पहचानने वाला।
ख़्ाुदशनासी ($फा.स्त्री.)-स्वयं की पहचान, निज-ज्ञान, अपनी औ$कात जानकर उसी के अनुरूप व्यवहार करना, अपना हलका-भारीपन पहचानकर वैसी ही बात करना।
ख़्ाुदशाँ ($फा.पु.)-वह सब।
ख़्ाुदशिकन ($फा.वि.)-विनीत, विनम्र, ख़्ााकसार।
ख़्ाुशिकनी ($फा.स्त्री.)-विनम्रता, विनीति, ख़्ााकसारी।
ख़्ाुदसना (अ़.$फा.वि.)-दे.-'ख़्ाुदसिताÓ।
ख़्ाुदसनाई ($फा.स्त्री.)-आत्म-प्रशंसा, अपनी तारी$फ।
ख़्ाुदसर ($फा.वि.)-जो किसी के अधीन न हो, स्वतंत्र; मनमानी करनेवाला, मनमौजी, स्वेच्छाचारी; अवज्ञाकारी, ना$फर्मान; विद्रोही, बा$गी; उद्दण्ड, उजड्ड, अक्खड़।
ख़्ाुदसरान: ($फा.वि.)-ख़्ाुदसर अर्थात् अवज्ञाकारी के समान।
ख़्ाुदसरी ($फा.स्त्री.)-जि़द, हठ; स्वतंत्रता; स्वेच्छाचार; अवज्ञा, हुक्मउदूली; उद्दण्डता, उजड्डपन; विद्रोह, ब$गावत।
ख़्ाुदसवार ($फा.वि.)-दे.-'ख़्ाुदराएÓ।
ख़्ाुदसवारी ($फा.स्त्री.)-दे.-'ख़्ाुदराईÓ।
ख़्ाुदसाख़्त: ($फा.वि.)-आत्म-निर्मित, अपना बनाया हुआ, स्वयं गढ़ा हुआ; मनगढ़ंत, कपोल-कल्पित।
ख़्ाुदसाज़ ($फा.वि.)-अपनी बाह्य वेशभूषा को सुसज्जित रखनेवाला (वाली); अपने आचरण की शुद्घि का प्रयास करनेवाला (वाली)।
ख़्ाुदसाज़ी ($फा.स्त्री.)-अपनी वेशभूषा को सँवारना; अपने आचरण की शुद्घि का प्रयास।
ख़्ाुदसिता ($फा.वि.)-आत्मश्लाघी, आत्म-प्रशंसक, अपने मुँह मियांमिट्ठू बननेवाला (वाली)।
ख़्ाुदसिताई ($फा.स्त्री.)-आत्मश्लाघा, आत्म-प्रशंसा, अपने मुँह से स्वयं अपनी ही प्रशंसा करना, अपने मुँह मियाँ-मिट्ठू बनना।
ख़्ाुदसुपुर्दगी ($फा.स्त्री.)-आत्मसमर्पण, स्वयं को किसी के अधिकार में दे देना।
ख़्ाुदा ($फा.पु.)-ईश्वर, परमात्मा, रब, अल्लाह। 'ख़्ाुदा लगतीÓ-बिलकुल सच (बात)। 'ख़्ाुदा का घरÓ-मस्जिद।
ख़्ाुदाई ($फा.स्त्री.)-सृष्टि, दुनिया, संसार, जगत्; ईश्वरत्व, ख़्ाुदापन; ($वि.)-दैवी, $गैबी, आस्मानी, ईश्वरीय। 'ख़्ाुदाई का दावा करनाÓ-बहुत घमण्ड करना, स्वयं को बड़ा शक्तिमान् समझना। 'ख़्ाुदाई का झूठाÓ-बड़ा $फरेबी, द$गाबाज़।
ख़्ाुदाई ख़्ाराब ($फा.वि.)-आवारागर्द, ख़्ााना-ख़्ाराब।
ख़्ाुदाई ख़्वार ($फा.वि.)-दुनिया-भर में ज़लील। कहा.-'ख़्ाुदाई ख़्वार, गधे सवारÓ-परेशान, आवारा फिरनेवाला।
ख़्ाुदाई रात ($फा.स्त्री.)-रतजगा, वह रात जिसमें किसी अभिलाषा के पूरा होने की कामना लेकर अ़ौरतें रात-भर जागती हैं और पूजा के लिए पकवान बनाती हैं; वह रात, जब किसी कार्य के सिद्घ हो जाने पर मुसलमान अ़ौरतें रात-भर जागरण करती हैं तथा ईश्वर के ध्यान के साथ-साथ $गरीबों के लिए प्रसाद भी बनाकर रखती हैं।
ख़्ाुदाए मजाज़ी ($फा.पु.)-समय का शौहर, वक़्त का बादशाह; पति, स्वामी, शौहर।
ख़्ाुदातर्स ($फा.वि.)-मन में ईश्वर का भय रखनेवाला, धर्म-भीरू, ईश्वर से डरनेवाला, दूसरों पर अनुग्रह करने वाला, सहृदय, दयावान्, दयालु, कृपालु।
ख़्ाुदातर्सी ($फा.स्त्री.)-धर्म-भीरूता, ईश्वर का भय, दूसरों पर दयाभाव, सहृदयता, दयालुता।
ख़्ाुदा तअ़ाला ($फा.पु.)-ईश्वर, भगवान्।
ख़्ाुदा ताला ($फा.पु.)-दे.-'ख़्ाुदा तअ़ालाÓ, वही शुद्घ है।
ख़्ाुदादाद ($फा.वि.)-भगवान् का दिया हुआ, ईश्वरदत्त; जो परिश्रम और प्रयास से न प्राप्त हो अपितु ईश्वर की कृपा से मिले।
ख़्ाुदा न ख़्वास्त: ($फा.अव्य.)-एक आशीर्वाद का वाक्य जो किसी अनिष्ट की आशंका के समय बोलते हैं, 'ख़्ाुदा न करेÓ, 'ईश्वर न करेÓ, जैसे-'ख़्ाुदा न ख़्वास्त: चोट आ गई तो क्या होगा?Ó
ख़्ाुदा ना कर्द: ($फा.अव्य.)-दे.-'ख़्ाुदा न ख़्वास्त:Ó।
ख़्ाुदा ना ख़्वास्त: ($फा.अव्य.)-दे.-'ख़्ाुदा न ख़्वास्त:Ó, दोनों शुद्घ हैं।
ख़्ाुदा ना तरस ($फा.वि.)-दे.-'ख़्ाुदा नातर्सÓ, वही शुद्घ है।
ख़्ाुदा नातर्स ($फा.वि.)-ईश्वर से न डरनेवाला, निर्दय, बेरहम, बेख़्ाौ$फ, निरंकुश।
ख़्ाुदा नातर्सी ($फा.स्त्री.)-ईश्वर का भय न होना, निर्दयता, बेरहमी, निरंकुशता।
ख़्ाुदापरस्त ($फा.वि.)-ईश्वर को पूजनेवाला, धर्म-निष्ठ; ईश्वर के अस्तित्व को माननेवाला, आस्तिक; ईश्वर-भक्त; सत्यनिष्ठ, ईमानदार; ऋषि-मुनि, वली; दयावान्, रहमदिल।
ख़्ाुदापरस्ती ($फा.स्त्री.)-ईश्वर-भक्ति; आस्तिकता; धर्म-निष्ठता; सत्यता; ऋषित्व, वलीपन; दयालुता, रहमदिली।
ख़्ाुदायगाँ ($फा.पु.)-मालिक, स्वामी; राजा, बादशाह।
ख़्ाुदाया ($फा.अव्य.)-हे परमात्मा, हे ईश्वर, ऐ ख़्ाुदा, हे प्रभु, प्रभो, या इलाही।
ख़्ाुदारा ($फा.अव्य.)-ईश्वर के लिए, भगवान् के वास्ते, ख़्ाुदा के वास्ते, बराये ख़्ाुदा।
ख़्ाुदावंद ($फा.पु.)-भगवान्, ईश्वर, ख़्ाुदा, अल्लाह, रब; स्वामी, मालिक; बड़े लोगों के लिए सम्बोधन।
ख़्ाुदावंदगार ($फा.पु.)-दे.-'ख़्ाुदावंदÓ।
ख़्ाुदावंदा ($फा.अव्य.)-दे.-'ख़्ाुदायाÓ।
ख़्ाुदावंदी ($फा.स्त्री.)-ईश्वरत्व, ख़्ाुदाई।
ख़्ाुदाशनास ($फा.वि.)-ब्रह्मïज्ञानी, अ़ारि$फ; पारसा, पुण्यात्मा; दयालु, रहम-दिल; न्यायवान्, मुंसि$फमिज़ाज, इंसा$फपसंद।
ख़्ाुदाशनासी ($फा.स्त्री.)-ब्रह्मïज्ञान, माÓरि$फत ; न्यायकर्म, इंसा$फपरवरी; दयालुता, रहमदिली।
ख़्ाुदासाज़ ($फा.वि.)-ईश्वर का बनाया हुआ, जो किसी परिश्रम से न हो अपितु अपने आप हो जाए, इत्ति$फा$की, संयोगवश होनेवाला।
ख़्ाुदाहा$िफज़ (अ़.$फा.वा.)-किसी को विदा करते समय बोला जानेवाला वाक्य-'ईश्वर आपकी रक्षा करेÓ।
ख़्ाुदी ($फा.स्त्री.)-'ख़्ाुदÓ का भाव, आपा, अहंकार, अहंवाद, अहंमन्यता, यह भाव कि बस हमीं हम हैं; स्वार्थ-परता; गर्व, अभिमान, घमण्ड। 'असरारे ख़्ाुदीÓ-अहं का रहस्य।
ख़्ाुदुक ($फा.पु.)-दे.-'ख़्ाुदूकÓ।
ख़्ाुदू ($फा.पु.)-थूक, मुखस्राव।
ख़्ाुदूक ($फा.पु.)-मन के बुरे विचार, भ्रम; ईष्र्या, रश्क; क्रोध, $गुस्सा; लज्जा, शर्म; उद्विग्नता, परेशानी।
ख़्ाुदेश ($फा.पु.)-भगवान्, ईश्वर, ख़्ाुदा, अल्लाह।
ख़्ाुद्अ़: (अ़.पु.)-छल, कपट, $फरेब, (वि.)-वह व्यक्ति जिसे दूसरे लोग छलें।
ख़्ाुद्कार ($फा.वि.)-स्वचालित मशीन, आटोमेटिक मशीन।
ख़्ाुद्काश्त ($फा.स्त्री.)-वह भूमि, जिसे उसका स्वामी स्वयं जोते-बोये।
ख़्ाुद्द: (अ़.पु.)-सुरंग, भूमि के भीतर का मार्ग, भू-पथ।
ख़्ाुद्द (अ़.पु.)-'ख़्ाुद्द:Ó का बहु., भूमिगत रास्ते, सुरंगें।
ख़्ाुद्दाम (अ़.पु.)-'ख़्ाादिमÓ का बहु., नौकर लोग, सेवक।
ख़्ाुद्दार ($फा.वि.)-स्वाभिमानी, अपनी प्रतिष्ठा का ध्यान रखनेवाला।
ख़्ाुद्दारान: ($फा.वि.)-स्वाभिमानी-जैसा, स्वाभिमान के अनुरूप।
ख़्ाुद्दारी ($फा.स्त्री.)-स्वाभिमान, आत्मगौरव, आत्म-सम्मान, अपनी मर्यादा और प्रतिष्ठा की रक्षा। 'शाने ख़्ाुद्दारीÓ-आत्म-सम्मान या स्वाभिमान की शान।
ख़्ाुनक ($फा.वि.)-दे.-'ख़्ाुनुकÓ, बहुत ठण्डा।
ख़्ाुनकी ($फा.स्त्री.)-दे.-'ख़्ाुनुकीÓ, शीतलता, ठण्डक।
खुनसाना ($हिं.क्रि.अक.)-क्रोध करना, $गुस्सा करना।
ख़्ाुना$क (अ़.पु.)-दे.-'ख़्ाना$कÓ।
ख़्ाुनुक ($फा.वि.)-सुन्दर, अच्छा; सर्द, शीतल, ठण्डा; नपुंसक, नामर्द, क्लीव।
ख़्ाुनुकी ($फा.स्त्री.)-नपुंसकता, नामर्दी; शीत, शीतलता, ठण्डक; जाड़ा, शीतकाल।
ख़्ाुनूअ़ (अ़.पु.)-विनम्रता दिखाना, ख़्ााकसारी करना; नम्र करना, नर्म करना।
ख़्ाुनूस (अ़.पु.)-ओट में होना, किसी चीज़ के पीछे छिपना; पीछे रह जाना।
ख़्ाुन्न: (अ़.वि.)-मसख़्ारी अ़ौरत; बदमिज़ाज अ़ौरत; $कसाई। 'ख़्ाुन्ना बहकनाÓ-अ़ौरत का इतराना। 'ख़्ाुन्ना होनाÓ-घमण्ड होना।
ख़्ाुन्ना$क (अ़.पु.)-गले की एक बीमारी।
ख़्ाुन्नास (अ़.पु.)-शैतान, राक्षस, दुष्टात्मा, (वि.)-शरीर, बहकाने वाला, हरामज़ादा।
ख़्ाुन्फ़सा (अ़.पु.)-गुबरीला, गोबर का एक कीड़ा।
ख़्ाुन्या ($फा.पु.)-गान, राग, नग़्म:; साज़, वाद्य।
ख़्ाुन्यागर ($फा.वि.)-गानेवाला, गायक, गवैया।
ख़्ाुन्यागरी ($फा.स्त्री.)-गायकी, गाने का काम; गाने का पेशा।
ख़्ाुन्स: ($फा.पु.)-वह कल्पित व्यक्ति, जिसके विषय में कहते हैं कि वह छह महीने पुरुष और छह महीने स्त्री रहता है; हिजड़ा, नपुंसक, जऩाना, क्लीब; व्याकरण के अनुसार नपुंसकलिंग अथवा उभयलिंग।
ख़्ाुन्सा ($फा.पु.)-दे.-'ख़्ाुन्स:Ó, वही शुद्घ उच्चारण है।
ख़्ाुन्सी (अ़.पु.)-वह आदमी जो मर्दाने और जऩाने दोनों लक्षण रखता हो; हिजड़ा, नपुंसक।
ख़्ाु$फ [फ़्$फ] (अ़.पु.)-बूढ़ा ऊँट; ठोस ज़मीन; पाँव का तलवा; मोज़ा; शुतुरमु$र्ग।
ख़्ाु$फा$फ (अ़.वि.)-लघु, अगुरु, हलका।
ख़्ाु$फार: (अ़.पु.)-दे.-'ख़्िा$फार:Ó, दोनों शुद्घ हैं।
ख़्ाु$िफया (अ़.पु.)-दे.-'ख़्ाु$फीय:Ó, वही शुद्घ उच्चारण है।
ख़्ाु$िफया नवीस (अ़.वि.)-दे.-'ख़्ाु$फीय:नवीसÓ।
ख़्ाु$िफया नवीसी (अ़.स्त्री.)-दे.-'ख़्ाु$फीय:नवीसीÓ।
ख़्ाु$फीय: (अ़.पु.)-छिपा हुआ, गुप्त, पोशीदा, (क्रि.वि.)-गुप्त रूप से।
ख़्ाु$फीय:नवीस (अ़.$फा.वि.)-गुप्तरूप से समाचार लिखकर भेजनेवाला, जासूस।
ख़्ाु$फीय:नवीसी (अ़.$फा.स्त्री.)-गुप्त-रूप से संदेश अथवा समाचार लिखकर भेजने का काम, जासूसी।
ख़्ाु$फू$क (अ़.पु.)-आकाश में तारे का डूबना; नींद की अधिकता से सिर हिलना, ऊँघ आना; पक्षी का उडऩा; रात में चलना।
ख़्ाुफ़्च: ($फा.पु.)-पशुओं को हाँकने की वह छड़ी, जिसके सिरे पर नोकदार कील लगी होती है, अंकुश।
ख़्ाुफ़्त: ($फा.वि.)-सुप्त, सोया हुआ।
ख़्ाुफ़्त:नसीब (अ़.$फा.वि.)-हतभाग्य, जिसका भाग्य सोया हुआ हो, बदनसीब, बद$िकस्मत, दुर्दैव, दुर्दृष्ट, भाग्यहीन।
ख़्ाुफ़्त:नसीबी (अ़.$फा.स्त्री.)-बदनसीबी, भाग्यहीनता।
ख़्ाुफ़्त:बख़्त ($फा.वि.)-दे.-'ख़्ाुफ़्त:नसीबÓ।
ख़्ाुफ़्त:बख़्ती ($फा.स्त्री.)-दे.-'ख़्ाुफ़्त:नसीबीÓ।
ख़्ाुफ़्तक ($फा.पु.)-काबूस का रोग। दे.-'काबूसÓ।
ख़्ाुफ़्तगी ($फा.स्त्री.)-स्वप्नता, सोने की क्रिया या भाव, सुप्तावस्था, निद्राग्रस्त होने की स्थिति।
ख़्ाुफ़्तनी ($फा.वि.)-सोने योग्य, नींद लेने के $काबिल।
ख़्ाुफ़्तन ($फा.क्रि.)-लेटना, सोना।
ख़्ाुफ़्तीद: ($फा.वि.)-लेटा हुआ, सोया हुआ।
ख़्ाुफ़्तीदन ($फा.क्रि.)-लेटना, सोना।
ख़्ाुफ़्$फाश (अ़.पु.)-चमगादड़, वातुलि, चर्मचटक।
ख़्ाुफ्य़: (अ़.वि.)-'ख़्ाु$फीय:Ó का उर्दू रूप, गुप्त, छिपा हुआ; रहस्यमय, राज़दारान:; गुप्तचर, जासूस; (स्त्री.)-गुप्तचरी, जासूसी।
ख़्ाुफ्य़:नवीस (अ़.$फा.वि.)-छिपकर किसी काम को देखने और उसके बारे में लिखनेवाला।
ख़्ाुबस (अ़.वि.)-मलिन, मैला, गन्दा, अपवित्र, नापाक, पलीद।
ख़्ाुबसा (अ़.पु.)-'ख़्ाबीसÓ का बहु., दुष्ट लोग, ख़्ाबीस लोग, अत्याचारी लोग।
ख़्ाुबात (अ़.स्त्री.)-बुद्घि-विक्षेप, पागलपन, दीवानगी।
ख़्ाुबासत (अ़.स्त्री.)-अपवित्रता, नापाकी, गन्दगी; शरारत; ख़्ाबीसपन, नीचता, दुष्टता।
ख़्ाुब्ज़ (अ़.स्त्री.)-रोटी, चपाती, रोटिका, नान।
ख़्ाुब्स (अ़.पु.)-मन का मैलापन, अन्तर्मलिनता, बदबातिनी; मैलकुचैल; दुष्टता, नीचता, ख़्ाबासत; पाप, अपराध, गुनाह।
ख़्ाुब्सुलहदीद (अ़.पु.)-मंडूर, लोहे का मैल।
ख़्ाुब्से नफ़्स (अ़.पु.)-मन की कालिख, आत्मा का पापमय होना, हृदय का कलुषित होना।
ख़्ाुब्से बातिन (अ़.पु.)-दे.-'ख़्ाुब्से नफ़्सÓ।
ख़्ाुम ($फा.पु.)-घड़ा, मटका; मदिरा-घट, शराब रखने का मटका; बड़ी हाँडी। 'ख़्ाुमे $गैरÓ-अदृश्य लोक का मटका।
ख़्ाुम [म्म] (अ़.पु.)-मु$िर्गयों का दरबा या दड़बा।
ख़्ाुमकद: ($फा.पु.)-मधुशाला, मदिरालय, सुरालय, शराब-घर, कलवारिया।
ख़्ाुमकदा ($फा.पु.)-दे.-'ख़्ाुमकद:Ó, वही शुद्घ है।
ख़्ाुमकश ($फा.वि.)-पक्का पियक्कड़, पूरी मटकी शराब पी जानेवाला।
ख़्ाुमख़्ाान: ($फा.पु.)-दे.-'ख़्ाुमकद:Ó, मदिरालय, मधुशाला, सुरालय, मैख़्ााना, शराबख़्ााना, कलारी, कलवारिया।
ख़्ाुमख़्ााना ($फा.पु.)-दे.-'ख़्ाुमख़्ाान:Ó, वही शुद्घ है।
ख़्ाुमाअ़ (अ़.पु.)-मदमस्त चाल, झूमते हुए चलना, चलते हुए झूमना।
ख़्ाुमार (अ़.पु.)-नशा, मद, उन्माद; नशे के उतार की अवस्था जिसमें हलका सिरदर्द और हलकी ऐंठन होती है; रात-भर जागने के कारण होनेवाली थकावट।
ख़्ाुमारआलूद: ($फा.वि.)-ख़्ाुमार से भरा हुआ; मतवाला, मदोन्मत्त, नशे में मस्त (इस शब्द का प्रयोग प्राय: प्रेमिका की आँखों के लिए किया जाता है)।
ख़्ाुमारआलूद ($फा.वि.)-दे.-'ख़्ाुमारआलूद:Ó।
ख़्ाुमारीं (अ़.$फा.वि.)-दे.-'ख़्ाुमारआलूद:Ó।
ख़्ाुमारी (उ.स्त्री.)-नशे के उतार की थकावट, हाथ-पैर टूटना; नशा, मद, उन्माद।
ख़्ाुमाल (अ़.पु.)-सच्चा मित्र; गठिया रोग का दर्द।
ख़्ाुमासी (अ़.पु.)-अऱबी भाषा का वह शब्द जिसमें पाँच अक्षर हों।
ख़्ाुमाहन ($फा.पु.)-लालिमा लिये हुए एक काला पत्थर।
ख़्ाुमूद (अ़.पु.)-आग का कुम्हला जाना या ख़्ात्म होना अर्थात् अग्नि का बुझ जाना।
ख़्ाुमूल (अ़.पु.)-अज्ञातवास, गुमनामी का जीवन व्यतीत करना; गुमनामी।
ख़्ाुमूश (अ़.पु.)-छीलना।
ख़्ाुमूस (अ़.पु.)-सूजे हुए अंग का ठीक हो जाना, सूजन का उतर जाना।
ख़्ाुमे अफ़्लातून (अ़.$फा.पु.)-वह मटका, जिसमें अफ़्लातून को मरते समय बन्द करके पहाड़ की खोह में रख दिया गया था।
ख़्ाुमे ईसा (अ़.$फा.पु.)-वह मटका, जिसमें चाहे जिस रंग का कपड़ा डाला जाता मगर हज्ऱत ईसा की दुअ़ा से वह स$फेद या काला ही निकलता था।
ख़्ाुमे मय ($फा.पु.)-मदिया अथवा शराब की मटकी।
ख़्ाुम्मर (अ़.स्त्री.)-मटकी; ढोलकी।
ख़्ाुम्र: (अ़.पु.)-पीने का सुगन्धित तम्बाकू; (स्त्री.)-चटाई, बोरिया; शराब, मदिरा।
ख़्ाुम्स (अ़.वि.)-पंचम, पाँचवाँ भाग; इस्लामी धर्मशास्त्र के अनुसार एक वर्ष में बचे सम्पूर्ण धन का पाँचवाँ भाग जो दान किया जाए।
ख़्ाुयूल (अ़.पु.)-'ख़्ौलÓ का बहु., समूह, समुदाय, जमाअ़तें।
ख़्ाुर: ($फा.पु.)-एक रोग, जिसमें बाल झडऩे लगते हैं।
ख़्ाुर ($फा.पु.)-दिनकर, दिवाकर, सूरज, सूर्य।
खुर (सं.पु.)-सींग वाले चौपायों के पैर की कड़ी टाप जो फटी हुई होती है; खाट के पाये का निचला भाग।
खुरचना (हिं.क्रि.सक.)-किसी जमी हुई वस्तु को कुरेदकर निकालना, करोचना।
ख़्ाुरजी ($फा.पु.)-दे.-'ख़्ाुर्जीÓ।
ख़्ाुरतूम (अ़.पु.)-दे.-'ख़्ाुर्तूमÓ।
ख़्ाुरदा ($फा.पु.)-दे.-'ख़्ाुर्द:Ó।
ख़्ाुरदागीर ($फा.वि.)-दे.-'ख़्ाुर्द:गीरÓ।
ख़्ाुरदाद ($फा.पु.)-$फार्सी का अर्थात् एक ईरानी महीना, जो आसाढ़ (जुलाई) के लगभग पड़ता है।
ख़्ाुरदा$फरोश ($फा.पु.)-दे.-'ख़्ाुर्द:$फरोशÓ।
ख़्ाुरदा$फरोशी ($फा.स्त्री.)-दे.-'ख़्ाुर्द:$फरोशीÓ।
ख़्ाुरदाबीं ($फा.वि.)-दे.-'ख़्ाुर्द:बींÓ।
ख़्ाुरदाबीनी ($फा.स्त्री.)-दे.-'ख़्ाुर्द:बीनीÓ।
ख़्ाुर$फा (अ़.पु.)-दे.-'ख़्ाु$र्फ:Ó।
ख़्ाुरमा ($फा.पु.)-दे.-'ख़्ाुर्माÓ।
ख़्ाुरशीद ($फा.पु.)-दिनकर, दिवाकर, रवि, सूर्य, सूरज। 'जब भी आवार: कोई अब्र गुजऱ जाता है, छाँव बनके यही ख़्ाुरशीद बिख़्ार जाता हैÓ-माँझी
ख़्ाुरशेद ($फा.पु.)-दे.-'ख़्ाुरशीदÓ, दोनों शुद्घ हैं मगर 'ख़्ाुरशीदÓ $फसीह अर्थात् सहज है, सूर्य, सूरज।
ख़्ाुरशेद पैकर ($फा.वि.)-माÓशू$क, प्रेमिका।
ख़्ाुरसन्द ($फा.पु.)-दे.-'ख़्ाुर्संदÓ।
ख़्ाुरसन्दी ($फा.स्त्री.)-दे.-'ख़्ाुर्संदीÓ।
ख़्ाुराक ($फा.स्त्री.)-भोजन, खाना; खाद्य पदार्थ, $िगज़ा, खाने की वस्तु।
ख़्ाुराकी (उ.स्त्री.)-खाने-पीने की चीज़, वृत्ति; बहुत अधिक खानेवाला।
ख़्ाुराज (अ़.पु.)-घाव, ज़ख़्म, क्षत; फोड़ा, वर्ण।
ख़्ाुरानीदन ($फा.क्रि.)-भोजन आदि का खिलाना, खाना खिलवाना।
ख़्ाुरा$फत (अ़.स्त्री.)-बकवास, अनर्गल प्रलाप, व्यर्थ का रोना-झींकना, बेहूद:गोई; बेहूद:काम।
ख़्ाुरा$फात (अ़.स्त्री.)-'ख़्ाुरा$फतÓ का बहु., बेहूदा बातें, रद्दी बातें, बकवासें; गाली-गलौज; झगड़ा-बखेड़ा; बेहूदा और व्यर्थ के काम।
ख़्ाुरासान ($फा.पु.)-$फारस का एक प्रान्त, जो अ$फगानिस्तान के पश्चिम में है।
ख़्ाुरासानी ($फा.वि.)-ख़्ाुरासान का, ख़्ाुरासान से सम्बन्धित।
ख़्ाुरिंद: ($फा.वि.)-खानेवाला।
ख़्ाुरिश ($फा.स्त्री.)-भोजन, ख़्ाुराक, $िगज़ा।
ख़्ाुरूच ($फा.पु.)-$पालतू मु$र्गा। दे.-'ख़्ाुरूसÓ।
ख़्ाुरूज (अ़.पु.)-नि:सरण, निकलना, बाहर आना; शासन के विरुद्घ विद्रोह, ब$गावत।
ख़्ाुरूजुल मक़अ़द (अ़.पु.)-गुदभ्रंश, गुद-निर्गम, बच्चों को काँच निकलने का रोग।
ख़्ाुरूर (अ़.पु.)-पडऩा, गिरना, गिर पडऩा; सोनेवाले के गले का बोलना, खर्राटे लेना।
ख़्ाुरूस: ($फा.स्त्री.)-स्त्री की भग, योनि।
ख़्ाुरूस ($फा.पु.)-मु$र्गा, कुक्कट।
ख़्ाुरूसक ($फा.पु.)-छोटा-सा मु$र्गा।
ख़्ाुरोश ($फा.पु.)-रोने की आवाज़, हाहाकार, कोह्राम, $फरियाद; शोर, कोलाहल।
ख़्ाुरोह: ($फा.पु.)-जाल में फँसा हुआ पंछी।
ख़्ाुरोह ($फा.पु.)-दे.-'ख़्ाुरूसÓ।
ख़्ाुरोहक ($फा.पु.)-मूँगा, प्रवाल।
ख़्ाु$र्क (अ़.स्त्री.)-मूर्खता, नादानी।
ख़्ाुख्ऱ्ाजीवन (अ़.$फा.पु.)-एक शैतान, जो स्त्रियों से संभोग करने के लिए उनके शरीर में प्रवेश कर जाता है।
ख़्ाुर्जीं ($फा.पु.)-लद्दू गधे या घोड़े की पीठ पर सामान लादने का बड़ा थैला, गोन, गोण।
ख़्ाुर्जी ($फा.पु.)-दे.-'ख़्ाुर्जींÓ।
ख़्ाुर्तूम (अ़.पु.)-शुंड, हाथी की सूँड़; $कौम का सरदार, समुदाय का मुखिया; तेज़ नशेवाली मदिरा या शराब।
ख़्ाुर्द: ($फा.वि.)-खाया हुआ (यह शब्द केवल यौगिक शब्दों के अन्त में आता है, जैसे-Óज़ख़्मख़्ाुर्दÓ-घाव खाया हुआ)।
ख़्ाुर्द: ($फा.पु.)-चिल्लर, रेजग़ारी, नाबाँ; खण्ड, टुकड़ा, रेज़:; ऐब, दोष; छटन, झडऩ।
ख़्ाुर्द:कार ($फा.वि.)-कठिन काम सुगमता से करनेवाला; काम में बारीकी पसन्द करनेवाला।
ख़्ाुर्द:कारी ($फा.स्त्री.)-कठिन काम सरलता से करना; काम में बारीकी पसन्द करना।
ख़्ाुर्द:गीर ($फा.वि.)-दोष निकालनेवाला, ऐब ढूँढऩेवाला, छिद्रान्वेशी, ऐबचीं।
ख़्ाुर्द:गीरी ($फा.स्त्री.)-छिद्रान्वेशन, दोष निकालना, ऐब ढूँढऩा, ऐबचीनी।
ख़्ाुर्द:चीं ($फा.वि.)-दे.-'ख़्ाुर्द:गीरÓ।
ख़्ाुर्द:चीनी ($फा.स्त्री.)-दे.-'ख़्ाुर्द:गीरीÓ।
ख़्ाुर्द:$फरोश ($फा.वि.)-परचूनिया, छोटी-मोटी और फुटकर चीजें़ बेचनेवाला, रिटेल में माल बेचनेवाला (थोक-विक्रेता का विपरीत)।
ख़्ाुर्द:$फरोशी ($फा.स्त्री.)-फुटकर माल बेचना, खुदरा माल बेचना।
ख़्ाुर्द:बीं ($फा.वि.)-दे.-'ख़्ाुर्द:गीरÓ।
ख़्ाुर्द:बीनी ($फा.स्त्री.)-दे.-'ख़्ाुर्द:गीरीÓ।
ख़्ाुर्द ($फा.वि.)-छोटा, छुद्र; लघु, $कसीर; ह्रस्व, ना$िकस; कण, रेज़:; कम योग्य, कम-$कद्र; कमउम्र, अल्पायु।
ख़्ाुर्द ($फा.क्रि.)-खाया।
ख़्ाुर्दनी ($फा.वि.)-खाने योग्य, खानेवाली वस्तु।
ख़्ाुर्दबीं ($फा.वि.)-छोटी चीज़ को देखनेवाला; ख़्ाुर्दबीन, माइक्रोस्कोप, सूक्ष्मदर्शक।
ख़्ाुर्दबीन ($फा.स्त्री.)-एक यंत्र जिसमें छोटी से छोटी चीज़ भी बड़ी दिखाई देती है, माइक्रोस्कोप, सूक्ष्मदर्शी-यंत्र।
ख़्ाुर्दबीनी ($फा.स्त्री.)-छोटी वस्तु को देख लेना।
ख़्ाुर्दबुर्द ($फा.वि.)-नष्ट, बरबाद, $गर्त, रबूद; $गबन, अपहृत, हेरा-फेरी; अपव्यय, बेजा ख़्ार्च।
ख़्ाुर्दमहल ($फा.पु.)-रखैली स्त्रियों के रहने का घर; रखी हुई स्त्री, रखैल।
ख़्ाुर्द मुर्द ($फा.वि.)-टुकड़े-टुकड़े, चूर-चूर।
ख़्ाुर्दसाल ($फा.वि.)-अल्पवयस्क, अल्पायु, छोटी उम्र का, वैयोबाल, कमसिन।
ख़्ाुर्दसाली ($फा.स्त्री.)-बचपन, लड़कपन, अल्पवयस्कता, कमउम्री, बाल्यावस्था, कमसिनी।
ख़्ाुर्दा ($फा.पु.)-दे.-'ख़्ाुर्द:Ó, वही शुद्घ उच्चारण है।
ख़्ाुर्दाद ($फा.पु.)-सौर महीनों में तीसरे महीने का नाम।
ख़्ाुर्दी ($फा.स्त्री.)-छुटपन, लड़कपन, अल्पवयस्कता; लघुता, छोटाई, छोटापन।
ख़्ाुर्नूब (अ़.पु.)-एक जंगली पेड़, जिसका फल दवा में काम आता है; उस पेड़ का फल।
ख़्ाु$र्फ: (अ़.पु.)-एक साग जिसके बीज दवा में काम आते हैं, कुलफा।
ख़्ाुर्मा ($फा.पु.)-सूखा खजूर, छुहारा; हरा छुहारा, पिंड खजूर; एक प्रकार की मिठाई या पकवान।
ख़्ाुर्रम ($फा.वि.)-ताज़ा सींचा हुआ; प्रसन्न, आनन्दित, हर्षित, ख़्ाुश।
ख़्ाुर्रमी ($फा.स्त्री.)-हर्ष, आनन्द, प्रसन्नता, ख़्ाुशी; रज़ामंदी।
खुर्रा ($हिं.वि.)-अक्खड़, बदमिज़ाज।
ख़्ाुर्संद ($फा.वि.)-दे.-'ख़्ाुर्रमÓ।
ख़्ाुर्संदी ($फा.स्त्री.)-दे.-'ख़्ाुर्रमीÓ।
ख़्ाुल [ल्ल] (अ़.पु.)-सखा, मित्र, दोस्त, यार।
ख़्ाुलता (अ़.पु.)-'ख़्ालीतÓ का बहु., साझेदार लोग।
खुलना ($हिं.क्रि.अक.)-सामने का अवरोध या ऊपर का आवरण हटना; बन्द न रहना; दरार होना, फटना; बाँधने अथवा जोडऩे वाली वस्तु का हटना; प्रचलित होना, चलना, जैसे-सड़क या नहर आदि का खुलना; नित्य का कार्य आरम्भ होना; किसी सवारी का रवाना होना; गुप्त बात प्रकट होना।
ख़्ाुल$फा (अ़.पु.)-'ख़्ाली$फ:Ó का बहु., प्रतिनिधि लोग; स्थानापन्न लोग; मुसलमान शासकगण; हज्ऱत अबूबक आदि ख़्ाली$फे।
ख़्ाुलालत (अ़.पु.)-गोश्त का रेशा, जो दाँत में फँस या अटक जाए।
ख़्ाुलास: (अ़.पु.)-ख़्ाुलासा, खुला हुआ; सा$फ-सा$फ, स्पष्ट; अवरोध-रहित; सारांश, तल्ख़्ाीस; परिणाम, नतीजा।
ख़्ाुलासा (अ़.पु.)-दे.-'ख़्ाुलास:Ó, वही शुद्घ उच्चारण है।
ख़्ाुलु$क (अ़.पु.)-दे.-'ख़्ाुल्$कÓ, दोनों शुद्घ हैं।
ख़्ाुलुब (अ.पु.)-एक प्रकार की काली और चिपकनेवाली मिट्टी, कचला मिट्टी; बटी हुई रस्सी।
ख़्ाुलुव्व (अ़.पु.)-दे.-'ख़्ाुलूÓ।
ख़्ाुलू (अ़.पु.)-खली होना, रिक्त होना; रिक्तता, खालीपन।
ख़्ाुलूए मेÓद: (अ़.पु.)-पेट खाली होना, आमाशय का भोजन आदि से रिक्त होना।
ख़्ाुलूज (अ़.पु.)-आँख अथवा शरीर के किसी अन्य अंग का फड़कना।
ख़्ाुलूद (अ़.पु.)-नित्यता, स्थायित्व, हमेशगी; सदा रहना, हमेशा रहना।
ख़्ाुलू$फ (अ़.पु.)-'ख़्ाल$फÓ का बहु., मृत व्यक्ति के पीछे रह जानेवाले बाल-बच्चे; भोज्य पदार्थ का स्वाद बिगड़ जाना; पुराने कपड़े उतारना और नए पहनना; पानी भरना; बरबाद होना, नाश या नष्ट होना।
ख़्ाुलूस (अ़.पु.)-सत्यता, सच्चाई; निष्कपटता, निश्चलता, सरलता, सिद्$कदिली; सच्ची मित्रता, व$फादारी, निष्ठा; गाद, तलछट।
ख़्ाुल्अ़ (अ़.पु.)-मुसलमान स्त्री का अपने पति से तला$क चाहना।
ख़्ाुल्$क (अ़.पु.)-स्वभाव, अ़ादत, ख़्ास्लत, प्रकृति; सदाचार, अख़्ला$क; सुशीलता, सज्जनता, मुरव्वत।
ख़्ाुल्$कान (अ़.पु.)-पुराना, पुरातन; पुराना वस्त्र, पुराना लिबास।
ख़्ाुल्त: (अ़.पु.)-मेल-जोल, हिस्सेदारी, साझापन, भागीदारी, शिर्कत।
ख़्ाुल्त (अ़.पु.)-सत्प्रकृति, अच्छा स्वभाव।
ख़्ाुल्ता (अ़.पु.)-दे.-'ख़्ाुल्त:Ó, वही शुद्घ उच्चारण है।
ख़्ाुल्द: (अ़.पु.)-कान का बुंदा, लटकन, गोशवारा।
ख़्ाुल्द (अ़.पु.)-नित्यता, हमेशगी; स्वर्ग, बिहिश्त; (स्त्री.)-चूहे की प्रजाति का एक जन्तु, छछूँदर। 'ख़्ाुल्दे दरींÓ-ऊपर का स्वर्ग। 'निकलना ख़्ाुल्द से आदम का सुनते आए थे लेकिन, बहुत बेआबरू होकर तेरे कूचे से हम निकलेÓ-$गालिब
ख़्ाुल्द आश्याँ (अ़.$फा.वि.)-स्वर्गवासी, जिसका घर स्वर्ग में हो, दिवंगत।
ख़्ाुल्दनशीं (अ़.$फा.वि.)-दे.-'ख़्ाुल्दआश्याँÓ।
ख़्ाुल्दमकाँ (अ़.$फा.वि.)-दे.-'ख़्ाुल्द आश्याँÓ।
ख़्ाुल्देबरीं (अ़.$फा.पु.)-सबसे ऊँचा स्वर्ग, सातवाँ स्वर्ग।
ख़्ाुल्$फ (अ़.पु.)-प्रतिज्ञा-भंग, वचन-भंग, वादाख़्िाला$फी।
ख़्ाुल्$फे वाÓद: (अ़.पु.)-प्रतिज्ञा-भंग करना, प्रतिज्ञा अथवा वचन का पालन न करना, ज़बान से मुकरना।
ख़्ाुल्लत (अ़.स्त्री.)-प्रेम, मित्रता, मैत्री, दोस्ती।
ख़्ाुल्लब (अ़.पु.)-जल-रहित मेघ, वह बादल जिसमें पानी न हो।
ख़्ाुल्लान (अ़.पु.)-'ख़्ालीलÓ का बहु., सखा जन, मित्रगण, दोस्त लोग।
ख़्ाुल्लास (अ़.पु.)-घर के छिद्र या सूराख़्ा; घर की बुराइयाँ।
ख़्ाुल्स: (अ़.पु.)-खिचड़ी बाल, काले और स$फेद बाल मिले हुए; सूखी और तर घास मिली हुई।
ख़्ाुवार (अ़.पु.)-बैल की डौंकन।
ख़्ाुश ($फा.वि.)-प्रफुल्ल, प्रसन्न, मस्रूर; उत्तम, श्रेष्ठ; हरा-भरा, तरोताज़ा; चंगा, स्वस्थ्य, तनदुरुस्त; शुभान्वित, मुबारक; सुन्दर, हसीन; प्रियदर्शन, ख़्ाुशनुमा; पुनीत, नेक; पवित्र, पाक। 'ख़्ाुश ओ ख़्ाुर्रमÓ-प्रसन्न, आनन्द-मग्न।
ख़्ाुशअंजाम ($फा.वि.)-शुभ परिणाम, वह कार्य जिसका परिणाम अच्छा हो।
ख़्ाुश अख़्ला$क (अ़.$फा.वि.)-विनम्र, विनीत; सुशील, चारुशील।
ख़्ाुशअख़्ला$की (अ़.$फा.स्त्री.)-सुशीलता, विनीति, विनम्रता।
ख़्ाुशअत्वार (अ़.$फा.वि.)-जिसका ढंग अच्छा हो, बहुत अच्छे तौर-तरी$के वाला; अच्छे आचरणवाला, सदाचारी।
ख़्ाुशअदा ($फा.वि.)-सुवक्ता, जिसकी वर्णन-शैली अच्छी हो; जिसकी अदाएँ अच्छी हों, मोहक हाव-भाव वाला।
ख़्ाुशअ़मल (अ.$फा.वि.)-अच्छे आचरणवाला, शुद्घ आचरण वाला, सदाचारी।
ख़्ाुशअस्लूब ($फा.वि.)-सुदर्शन, प्रियदर्शी, सुडौल; सब तरह से ठीक।
ख़्ाुशआब ($फा.वा.)-अच्छी चमक-दमकवाला, सुशाभित।
ख़्ाुशआमदेद ($फा.वि.)-शुभागमन, आपका आना शुभान्वित हो (एक वाक्य जो किसी बड़े व्यक्ति के आगमन पर कहा जाता है)।
ख़्ाुशआÓमाल (अ़.$फा.वि.)-व्यवहारशील, अच्छे आचार-विचारवाला, सद्व्यवहारवाला।
ख़्ाुशआयंद ($फा.वि.)-जिसका भविष्य अच्छा हो, उज्ज्वल भविष्य वाला; अच्छा, सुन्दर, उत्तम।
ख़्ाुशआवाज़ ($फा.वि.)-सुस्वर, कलकंठ, कलरव, जिसका स्वर अच्छा हो, मधुर स्वरवाला।
ख़्ाुशआवाज़ी ($फा.स्त्री.)-मधुर स्वर, स्वर का अच्छा होना।
ख़्ाुशआहंग ($फा.वि.)-मधुर कंठवाला, अच्छी और सुरीली आवाज़ वाला।
ख़्ाुशआहंगी ($फा.स्त्री.)-मधुर स्वर, सुरीली आवाज़।
ख़्ाुशइंतिज़ाम (अ़.$फा.वि.)-कुशल-प्रबन्धक, प्रबन्ध-कुशल, जो अच्छी व्यवस्था करता हो।
ख़्ाुशइंतिज़ामी (अ़.$फा.स्त्री.)-प्रबन्ध-कौशल, व्यवस्था या प्रबन्ध की अच्छाई, उम्दा बन्दोबस्त।
ख़्ाुशइक़्बाल (अ़.$फा.वि.)-तेजस्वी, तेजोमय, प्रतापवान्; ख़्ाुशनसीब, भाग्यशाली, भाग्यवान्, सुभागीन।
ख़्ाुशइक़्बाली (अ़.$फा.स्त्री.)-भाग्यवान् होना, प्रतापवान् होना।
ख़्ाुशइनाँ (अ़.$फा.वि.)-लगाम का सच्चा, वह घोड़ा जो लगाम के इशारे पर चले।
ख़्ाुशइनानी ($फा.स्त्री.)-लगाम का सच्चा होना।
ख़्ाुशइयार (अ़.$फा.वि.)-विशुद्घ, खरा, ख़्ाालिस, बिना खोटवाला, वह सोना-चाँदी जो कसौटी पर पूरा कस दे।
ख़्ाुशइल्हान (अ़.$फा.वि.)-दे.-'ख़्ाुश आवाज़Ó।
ख़्ाुशइल्हानी (अ़.$फा.स्त्री.)-दे.-'ख़्ाुशआवाज़ीÓ।
ख़्ाुशउस्लूब (अ़.$फा.वि.)-सद्व्यवहार, व्यवहार-कुशल, जिसका तौर-तरी$का बहुत अच्छा हो।
ख़्ाुशउस्लूबी (अ़.$फा.स्त्री.)-आचार-व्यवहार की अच्छाई।
ख़्ाुशऔ$कात (अ़.$फा.वि.)-इज़्ज़तवाला; ईश्वर की पूजा-उपासना में अधिक लगा रहनेवाला; जो अपना काम ठीक समय पर करता हो; जिसका समय अच्छा व्यतीत हो।
ख़्ाुश$कदम (अ़.$फा.वि.)-शुभ-पदार्पण, ऐसा व्यक्ति जिसके आने से घर में बरकत, बढ़ोतरी और कल्याण हो, मंगल-चरण, शुभंकर पग।
ख़्ाुश$कलम (अ़.$फा.वि.)-अच्छा लिखनेवाला; अच्छा और चिकना का$गज़।
ख़्ाुश$कलमी (अ़.$फा.स्त्री.)-सुलेख, अच्छा लेख लिखना।
ख़्ाुशकलाम (अ़.$फा.वि.)-बातों में मिठास घोलनेवाला, मिष्ठ-भाषी, मधुर-भाषी, शीरींगुफ़्तार।
ख़्ाुशकलामी (अ़.$फा.स्त्री.)-वार्ता की मिठास, बातचीत का माधुर्य, शीरींगुफ़्तारी।
ख़्ाुश$कामत (अ़.$फा.वि.)-सुष्ठु, जिसके शरीर की बनावट सुन्दर और सुडौल हो, सुगठित शरीर वाला।
ख़्ाुश$कामती (अ़.$फा.स्त्री.)-सौष्ठव, शरीर का सुन्दर और सुडौलपन, तनासुबे आÓजा।
ख़्ाुश$िकस्मत (अ़.$फा.वि.)-जिसका नसीब बहुत अच्छा हो, भाग्यवान्, सौभाग्यशाली, सुभागीन; अच्छी तक़्दीरवाला।
ख़्ाुश$िकस्मती (अ.$फा.स्त्री.)-सौभाग्य, तक़्दीर या $िकस्मत की अच्छाई।
ख़्ाुशकुन ($फा.वि.)-प्रसन्न करनेवाला, ख़्ाुश करनेवाला (इस शब्द का प्रयोग दूसरे शब्द के साथ किया जाता है, जैसे-'दिल ख़्ाुशकुनÓ-मन को प्रसन्न करनेवाला)।
ख़्ाुशख़्ात (अ़.$फा.वि.)-जिसके अक्षर सुन्दर हों, सुलेखक, अच्छा लिखनेवाला; जिसका लिखना अच्छा हो।
ख़्ाुशख़्ाती (अ़.$फा.स्त्री.)-लिखावट का अच्छा होना, अच्छी लिखाई, सुलेख।
ख़्ाुशख़्ाबर ($फा.वि.)-अच्छी ख़्ाबर सुनानेवाला, शुभ-संदेश देनेवाला।
ख़्ाुशख़्ाबरी (अ़.$फा.स्त्री.)-शुभ-समाचार, अच्छा समाचार, ललित-सूचना, शुभ-संवाद।

ख़्ाुशख़्ायाल (अ़.$फा.वि.)-शुभ-चिन्तक, अच्छा विचार रखनेवाला; जिसका विचार किसी की ओर से अच्छा हो।
ख़्ाुशख़्ाराम ($फा.वि.)-दे.-'ख़्ाुशख़्िारामÓ।
ख़्ाुशख़्ारीद ($फा.वि.)-न$कद दामों से ख़्ारीदी हुई वस्तु; वह $फसल जो तैयार होने से पहले सस्ते दाम ख़्ारीद ली जाए।
ख़्ाुशख़्ाल्$क (अ.$फा.वि.)-दे.-'ख़्ाुशख़्ाुल्$कÓ।
ख़्ाुशख़्ााल ($फा.वि.)-जिसके शरीर पर तिल अच्छा लगे।
ख़्ाुशख़्िाराम ($फा.वि.)-मोहक, सुन्दर या मस्त चालवाला (वाली), सुगामी, सुगामिनी, गजगामिनी।
ख़्ाुशख़्िारामी ($फा.स्त्री.)-मोहक, सुन्दर या अच्छी चाल।
ख़्ाुशख़्ाुराक ($फा.वि.)-अच्छा और स्वादिष्ठ भोजन खाने वाला, खाने का शौ$कीन, सुभोजी।
ख़्ाुश ख़्ाुराकी ($फा.स्त्री.)-अच्छा भोजन।
ख़्ाुशख़्ाुल्$क (अ.$फा.वि.)-प्रत्येक व्यक्ति से प्रसन्न होकर मिलनेवाला, सबसे सुशीलता का व्यवहार करनेवाला, सुशील, सद्वृत्त, उत्तम स्वभाव वाला।
ख़्ाुशख़्ाुल्$की (अ़.$फा.स्त्री.)-सद्वृत्ति, शील-संकोच, अच्छा व्यवहार।
ख़्ाुशख़्ाू ($फा.वि.)-सत्प्रकृति, अच्छे स्वभाववाला, सद्वृत्त, सदाचारी, नेक आचरण।
ख़्ाुशख़्ाूई ($फा.स्त्री.)-अच्छा व्यवहार, अच्छा स्वभाव।
ख़्ाुशगप ($फा.वि.)-ख़्ाुश-गुफ़्तार, बातून।
ख़्ाुशगप्पी ($फा.स्त्री.)-वाग्विलास, हँसी-मज़ा$क, रसवाद।
ख़्ाुशगवार ($फा.वि.)-प्रिय, मनोहर, रुचिकर, सुहावना, मन को भानेवाला, अच्छा लगनेवाला।
ख़्ाुशगाम ($फा.वि.)-दे.-'ख़्ाुशख़्िारामÓ।
ख़्ाुश$िगला$फ ($फा.वि.)-वह तलवार जो तुरन्त ही म्यान से निकल आए, अच्छी, हलकी और बाढ़दार तलवार; वह स्त्री जो जऱा-सी लगावट में पर-पुरुष के साथ सहवास को तैयार हो जाए; नंग-धड़ंग, इज़ारबंद की ढीली अ़ौरत।
ख़्ाुशगुजऱान ($फा.वि.)-अच्छी तरह से जीवन व्यतीत करने वाला, अच्छा खाने-पहनने वाला, सुजीवी।
ख़्ाुशगुफ़्तार ($फा.वि.)-मधुरभाषी, मिष्टभाषी, जिसकी बोलचाल या बातचीत में मिठास हो; सुवक्ता, अच्छा भाषण देनेवाला।
ख़्ाुशगुफ़्तारी ($फा.स्त्री.)-मीठे बोल, वाक्-माधुर्य, बातचीत अथवा बोलचाल की मिठास; धुआँधार भाषण देना।
ख़्ाुशगुमान ($फा.वि.)-अच्छे विचार रखनेवाला, जिसके विचार किसी की ओर से अच्छे हों।
ख़्ाुशगुमानी ($फा.स्त्री.)-किसी के पक्ष में अच्छे विचारों का होना।
ख़्ाुशगुलू ($फा.वि.)-मधुुरकंठ, जिसका गला सुरीला हो, कलकंठ।
ख़्ाुशगुलूई ($फा.स्त्री.)-कंठ-माधुर्य, गले की मिठास, गले का सुरीला होना।
ख़्ाुशगुवार ($फा.वि.)-मनोवांछित, रुचिकर, जो मन को अच्छा लगे, जो चित्त के अनुकूल हो; सुस्वाद, ख़्ाुशज़ाइका।
ख़्ाुशगुवारी ($फा.स्त्री.)-मन को रुचिकर लगने का भाव, चित्त को भाने का भाव।
ख़्ाुशगो ($फा.वि.)-दे.-'ख़्ाुशगुफ़्तारÓ।
ख़्ाुशगोई ($फा.स्त्री.)-दे.-'ख़्ाुशगुफ़्तारीÓ।
ख़्ाुशचश्म ($फा.वि.)-अच्छी आँखोंवाला (वाली); चारुनेत्रा, सुलोचना, सुनेत्र, सुनेत्रा, सुनयना, (ला.)-माÓशू$क।
ख़्ाुशचश्मी ($फा.स्त्री.)-नेत्र-सौन्दर्य, आँखों की सुन्दरता।
ख़्ाुशचेह्र: ($फा.वि.)-दे.-'ख़्ाुशरूÓ।
ख़्ाुशज़बाँ ($फा.वि.)-दे.-'ख़्ाुशगुफ़्तारÓ।
ख़्ाुशजमाल (अ़.$फा.वि.)-अच्छे सौन्दर्यवाला (वाली), हसीना, सुरूप, रूपवती, सुन्दर, हसीन, सुन्दरी।
ख़्ाुशज़ाइक: (अ़.$फा.वि.)-सुस्वाद, स्वादिष्ठ, मुखप्रिय, जिह्वïाप्रिय, जिसका स्वाद अच्छा हो, मज़ेदार।
ख़्ाुशज़ाय$का ($फा.वि.)-दे.-'ख़्ाुशज़ाइ$क:Ó, वही शुद्घ है।
ख़्ाुशज़ौ$क (अ़.$फा.वि.)-जो काव्य-मर्मज्ञ हो, जिसे कविता -सम्बन्धी गुण-दोष का अच्छा ज्ञान हो, रसिक, सहृदय, रसानुभवी; जिसे अन्य किसी कला में रुचि हो।
ख़्ाुशज़ौ$की (अ़.$फा.स्त्री.)-काव्य-मर्मज्ञता, रसिकता, सहृदयता; किसी अन्य विषय में अच्छी दिलचस्पी।
ख़्ाुशतक़्दीर (अ़.$फा.वि.)-दे.-'ख़्ाुश$िकस्मतÓ।
ख़्ाुशतक्ऱीर ($फा.वि.)-मधुर बोली बोलनेवाला, शीरीं कलाम।
ख़्ाुशतद्बीर (अ़.$फा.वि.)-अच्छी युक्ति वाला, अच्छे उपाय वाला; प्रबन्धक, व्यवस्थापक।
ख़्ाुशतब्अ़ (अ़.$फा.वि.)-दे.-'ख़्ाुशमिज़ाजÓ, दिल्लगीबाज़, ठट्ठेबाज़, हँसोड़।
ख़्ाुशतब्ई (अ़.$फा.स्त्री.)-दे.-'ख़्ाुशमिज़ाजीÓ।
ख़्ाुशतबा (अ़.$फा.वि.)-दे.-'ख़्ाुशतब्अ़Ó, वही शुद्घ है।
ख़्ाुशतर ($फा.वि.)-उत्तमतर, बहुत अच्छा।
ख़्ाुशतरक ($फा.वि.)-बहुत ही अच्छा, अत्यधिक उत्तम।
ख़्ाुशतालेÓ (अ़.$फा.वि.)-दे.-'ख़्ाुश$िकस्मतÓ।
ख़्ाुशदहन (अ़.$फा.वि.)-अच्छे मुँहवाला।
ख़्ाुशदहनी (अ़.$फा.स्त्री.)-मुँह का अच्छा होना, अच्छा मुख होना।
ख़्ाुशदामन ($फा.स्त्री.)-पति अथवा पत्नी की माता, सास, श्वश्रू, चारुदेवी।
ख़्ाुशदिमा$ग ($फा.वि.)-अच्छे दिमा$ग वाला, बुद्घिमान्।
ख़्ाुशदिल ($फा.वि.)-सुमनस्क, प्रसन्नचित्त, जो हर समय प्रसन्न रहे; जो विनोदप्रिय हो, मनोरंजक, पुरमज़ा$क।
ख़्ाुशदिली ($फा.स्त्री.)-हर समय प्रसन्न रहने का भाव; विनोदप्रियता, पुरमज़ा$की।
ख़्ाुशनवीस ($फा.वि.)-सुलेखक, जिसकी लिखावट अच्छी हो; जो ख़्ाुशनवीसी अर्थात् अच्छी लिखाई का कार्य करता हो, सुन्दर अक्षर लिखनेवाला, कातिब।
ख़्ाुशनवीसी ($फा.स्त्री.)-सुलेख, अच्छा लिखना, ख़्ाुशख़्ाती; ख़्ाुशनवीसी का पेशा।
ख़्ाुशनशीं ($फा.वि.)-वह व्यक्ति, जिसे अगर कोई स्थान पसन्द आ जाए तो वहीं का होकर रह जाए।
ख़्ाुशनशीनी ($फा.स्त्री.)-कोई स्थान पसन्द आ जाने पर वहीं का होकर रह जाना।
ख़्ाुशनसीब (अ़.$फा.वि.)-दे.-'ख़्ाुश$िकस्मतÓ।
ख़्ाुशनसीबी (अ़.$फा.स्त्री.)-दे.-'ख़्ाुश$िकस्मतीÓ।
ख़्ाुशनिहाद ($फा.वि.)-अच्छे स्वभाववाला, अच्छी प्रकृति-वाला, सत्प्रकृति, सदात्मा।
ख़्ाुशनीयत (अ़.$फा.वि.)-ईमानदार, व्यवहारनिष्ठ; जो यह चाहता है कि किसी का पैसा उस पर न रहे; जो यह चाहता हो कि उसका पैसा अच्छे कामों में व्यय हो।
ख़्ाुशनीयती (अ़.$फा.स्त्री.)-ईमानदारी; किसी का ऋण बा$की न रहने का भाव; अच्छे कामों में पैसा ख़्ार्च करने का भाव।
ख़्ाुशनुमा ($फा.वि.)-जो देखने में अच्छा लगे, नेत्रप्रिय, प्रियदर्शन, मनोरम; सुन्दर, हसीन, ख़्ाूबसूरत।
ख़्ाुशनुमाई ($फा.स्त्री.)-नेत्रप्रियता, दिलकशी; सुन्दरता, हुस्न, ख़्ाूबसूरती, ज़ीनत, भड़क।
ख़्ाुशनूद ($फा.वि.)-सहमत, राज़ी; ख़्ाुश, प्रसन्न; सन्तुष्ट।
ख़्ाुशनूदी ($फा.स्त्री.)-सहमति, रज़ामंदी; ख़्ाुशी, प्रसन्नता; सन्तुष्टी।
ख़्ाुशपोश ($फा.वि.)-चारुवेश, जो सदा अच्छे वस्त्र धारण करता हो, जो अच्छे कपड़े पहनने का शौ$कीन हो।
ख़्ाुशपोशाक ($फा.वि.)-दे.-'ख़्ाुशपोशÓ।
ख़्ाुशपोशाकी ($फा.स्त्री.)-अच्छे वस्त्र पहनना।
ख़्ाुशपोशी ($फा.स्त्री.)-सुवस्त्रप्रियता, अच्छे कपड़े पहनना, अच्छे वस्त्रों का शौ$क।
ख़्ाुश$फह्म (अ़.$फा.वि.)-कुशाग्रबुद्घि, तीव्रबुद्घि, बात को शीघ्र समझ जानेवाला; ख़्ाुशगुमान, किसी के सम्बन्ध में अच्छे विचार रखनेवाला।
ख़्ाुश$फह्मी (अ़.$फा.स्त्री.)-बुद्घि की कुशाग्रता, अ़क़्ल की तीव्रता; किसी की ओर से अच्छा गुमान, सुधारणा। 'ख़्ाुश$फह्मी पाले लोगों को उम्मीदें थीं मुझसे भी, जिस पर भटके रोज़ मुसा$िफर था वो एक तिराहा मैंÓ-माँझी
ख़्ाुश$फेÓली (अ़.$फा.स्त्री.)-चुहल, मज़ा$क, उमंग, मनोरंजन, तफ्ऱीह, मनोविनाद।
ख़्ाुशबख़्त ($फा.वि.)-दे.-'ख़्ाुश$िकस्मतÓ।
ख़्ाुशबख़्ती ($फा.स्त्री.)-दे.-'ख़्ाुश$िकस्मतीÓ।
ख़्ाुशबयान (अ.$फा.वि.)-दे.-'ख़्ाुशगुफ़्तारÓ।
ख़्ाुशबयानी ($फा.स्त्री.)-दे.-'ख़्ाुशगुफ़्तारीÓ।
ख़्ाुशबाश ($फा.वि.)-अच्छे प्रकार से रहनेवाला; रहने के स्थान को सुसज्जित रखनेवाला; बे$िफक्री में जीवन व्यतीत करनेवाला; आज़ाद, बे$िफक्र, (वा.)-एक आशीर्वाद, 'ख़्ाुश रहोÓ, 'स्वस्तुÓ।
ख़्ाुशबाशी ($फा.स्त्री.)-अच्छी तरह रहना, व्यवस्थित रहन-सहन।
ख़्ाुशबू ($फा.वि.)-सुगन्धित, अच्छी महक़ या सुगन्धवाला, (स्त्री.)-सुगन्ध, अच्छी मह$क, अच्छी बू।
ख़्ाुशबूदार ($फा.वि.)-जिसमें सुगन्ध हो, सुरभित, सुगन्धित, सुगंध देने या फैलानेवाला।
ख़्ाुशमंजऱ (अ.$फा.वि.)-प्रियदर्शन, जो देखने में अच्छा लगे, नेत्रप्रिय, शुभदर्शन।
ख़्ाुशमअ़ाश (अ़.$फा.वि.)-'बदअ़माशÓ (बदमाश) का विपरीत, नेकचलन, अच्छी कमाई से जीवन बितानेवाला।
ख़्ाुशमअ़ाशी (अ़.$फा.स्त्री.)-'बदअ़माशीÓ (बदमाशी) का विपरीत, नेकचलनी, अच्छी कमाई से जीवन बिताना।
ख़्ाुशमज़ा$क (अ़.$फा.वि.)-जि़न्दादिल, विनोद-रसिक, दे.-'ख़्ाुशज़ौ$कÓ।
ख़्ाुशमज़ा$की (अ़.$फा.स्त्री.)-जि़न्दादिली, विनोद-प्रियता, दे.-'ख़्ाुशज़ौ$कीÓ।
ख़्ाुशमनिश ($फा.वि.)-सज्जन, शरी$फ, दे.-'ख़्ाुशमिज़ाजÓ।
ख़्ाुशमनिशी ($फा.स्त्री.)-सज्जनता, शरा$फत, दे.-'ख़्ाुशमिज़ाजीÓ।
ख़्ाुशमिज़ाज (अ़.$फा.वि.)-हँसमुख, प्रसन्नचित, हास-प्रिय, आमोद-प्रिय, विनोद-रसिक, जि़न्दादिल; सुशील, अच्छे स्वभाववाला।
ख़्ाुशमिज़ाजी (अ़.$फा.स्त्री.)-हँसमुख स्वभाव, अच्छा स्वभाव, हासप्रियता, जि़न्दादिली; सुशीलता।
ख़्ाुशमुअ़ामल: (अ़.$फा.वि.)-व्यवहारनिष्ठ, लेन-देन में पाक-सा$फ; वचन का पक्का, दृढ़-प्रतिज्ञ।
ख़्ाुशमुअ़ामलगी (अ़.$फा.स्त्री.)-वचनबद्घता, वाÓदे की सच्चाई; लेन-देन में स्पष्टता, व्यवहारनिष्ठता।
ख़्ाुशरंग ($फा.वि.)-सुवर्ण, अच्छे रंगवाला, जिसका रंग सुन्दर हो।
ख़्ाुशरंगी ($फा.स्त्री.)-वर्ण-सौन्दर्य, रंग की सुन्दरता।
ख़्ाुशरफ़्तार ($फा.वि.)-दे.-'ख़्ाुशख़्िारामÓ।
ख़्ाुशरफ़्तारी ($फा.स्त्री.)-दे.-'ख़्ाुशख़्िारामीÓ।
ख़्ाुशरू ($फा.वि.)-सुरूप, रूपवान्, अच्छी शक़्ल-सूरत वाला; सुरूपा, रूपवती, हसीना।
ख़्ाुशरूई ($फा.स्त्री.)-मुखमण्डल की सुन्दरता, चेहरे की ख़्ाुशनुमाई, मुँह की सुन्दरता।
ख़्ाुशलगाम ($फा.वि.)-दे.-'ख़्ाुशइनाँÓ।
ख़्ाुशलह्ज: (अ़.$फा.वि.)-जिसका लबो-लह्जा (टोन) अथवा व्यवहार आकर्षक हो, जिसकी वाणी में मिठास हो, जिसके बोल मीठे हों, कलकंठ।
ख़्ाुशलिबास (अ़.$फा.वि.)-दे.-'ख़्ाुशपोशÓ।
ख़्ाुशलिबासी (अ़.$फा.स्त्री.)-दे.-'ख़्ाुशपोशीÓ।
ख़्ाुशवक़्त (अ़.$फा.वि.)-भाग्यवान्, ख़्ाुश$िकस्मत; जिसका समय अच्छा हो; प्रसन्न, सुखी, समृद्घ, सम्पन्न।
ख़्ाुशवक़्ती (अ़.$फा.स्त्री.)-सुख, सुख के दिन; भाग्यशीलता, ख़्ाुश$िकस्मती; समय की अनुकूलता; समृद्घि, दौलतमंदी।
ख़्ाुशवज़्अ़ (अ़.$फा.वि.)-जो अपनी परम्परा पर दृढ़ रहे, परम्परापालक, वज़ाÓदार।
ख़्ाुशवज़्ई (अ़.$फा.स्त्री.)-परम्परा पर दृढ़ता, परम्परा-पालन, वज़ादारी।
ख़्ाुशसली$क: (अ़.$फा.वि.)-व्यवहार-कुशल, जिसे हर बात का ढंग आता हो; शिष्ट, जो प्रत्येक वस्तु को क्रम और तर्तीब से रखता हो।
ख़्ाुशसली$कगी (अ़.$फा.स्त्री.)-व्यवहार-कुशलता; हर बात का ढंग; प्रत्येक वस्तु को क्रम अथवा तर्तीब से रखने की तमीज़।
ख़्ाुशसवाद (अ़.$फा.वि.)-वह नगर, जिसके चारों ओर का दृश्य अच्छा हो।
ख़्ाुशसीरत (अ़.$फा.वि.)-अच्छे स्वभाववाला, अच्छी प्रकृतिवाला; शील-संकोचवाला, ख़्ाुशमिज़ाज, शालीन।
ख़्ाुशसीरती (अ़.$फा.स्त्री.)-सुशीलता, ख़्ाुशअख़्ला$की, स्वभाव की शिष्टता, भलमनसाहत।
ख़्ाुशहाल (अ़.$फा.वि.)-सुखी, सम्पन्न, समृद्घ, मालदार, जिसकी आर्थिक दशा अच्छी हो।
ख़्ाुशहाली ($फा.स्त्री.)-सुख-सम्पन्नता, समृद्घि, मालदारी।
ख़्ाुशा ($फा.अव्य.)-अहो, क्या ख़्ाूब, वाह-वाह।
ख़्ाुशा$िकस्मत (अ़.$फा.अव्य.)-अहो भाग्य, वाह री $िकस्मत, वाह रे मैं।
ख़्ाुशानसीब (अ़.$फा.अव्य.)-दे.-'ख़्ाुशा$िकस्मतÓ।
ख़्ाुशाम (अ़.पु.)-वह व्यक्ति, जिसकी नाक ऊँची हो; वह पहाड़ जिसकी चोटी ऊँची हो।
ख़्ाुशामद ($फा.स्त्री.)-चाटुकारिता, चापलूसी, मिन्नत, उल्लाप, लल्लो-चप्पो, प्रसन्न करने के लिए झूठी प्रशंसा, समाजत।
ख़्ाुशामदगो ($फा.वि.)-चापलूसी करनेवाला, चाटुकार, लल्लो-चप्पो करनेवाला।
ख़्ाुशामदपसन्द ($फा.वि.)-जिसे चापलूसी अच्छी लगती हो, चटुलालस, जो चाहता हो कि लोग उसकी ख़्ाुशामद या मिन्नत करें, चाटुकारिताप्रिय, लल्लो-चप्पो करानेवाला।
ख़्ाुशामदशिअ़ार (अ़.$फा.वि.)-जिसे ख़्ाुशामद या मिन्नत करने की अ़ादत हो, जिसका काम ही चापलूसी करना हो, चाटुपटु।
ख़्ाुशामदी ($फा.वि.)-चापलूसी करनेवाला, चाटुकार, चाटुलोल, उल्लापी, मिन्नती, लल्लो-चप्पो करनेवाला।
ख़्ाुशी ($फा.स्त्री.)-हर्ष, आनन्द, प्रफुल्लता, मसर्रत; इच्छा, रुचि, मजऱ्ी; बच्चे की पैदाइश, बाल-जन्म; स्वीकृति, मंज़ूरी; आनन्दित, हर्षित, प्रसन्न।
ख़्ाुशूअ़ (अ़.पु.)-नम्रता, विनय, आजिज़ी; तारे का अस्त होने के निकट होना; नींद से आँख का मुँदना या बन्द होना।
ख़्ाुशूनत (अ़.स्त्री.)-अक्खड़पन, रूखापन, बदमिज़ाजी; खुरदरापन, खुरखुरापन।
ख़्ाुश्क: ($फा.पु.)-भात, उबाले हुए चावल।
ख़्ाुश्क ($फा.वि.)-जो तर न हो, शुष्क, सूखा; बिना रस का, नीरस; जिसमें तरी न हो; कृपण, कंजूस; अनुदार, तंगदिल; दु:शील, रूखा।
ख़्ाुुश्कदिमाग़ (अ़.$फा.वि.)-जिसके मस्तिष्क में ख़्ाुश्की बहुत हो, बदमिज़ाज, चिड़चिड़ा।
ख़्ाुश्कदिमागी (अ़.$फा.वि.)-चिड़चिड़ाहट, गावदीपन।
ख़्ाुश्कमग्ज़़ (अ़.$फा.वि.)-दे.-'ख़्ाुश्कदिमाग़Ó।
ख़्ाुश्कमिज़ाज (अ़.$फा.वि.)-नीरस-प्रकृति, खुर्रा, बहुत ही रूखा-फीका व्यक्ति।
ख़्ाुश्कमिज़ाजी (अ़.$फा.स्त्री.)-स्वभाव का रूखापन, खुर्रापन, चिड़चिड़ापन।
ख़्ाुश्कलब ($फा.वि.)-पिपासित, प्यासा, जिसके होंठ प्यास के कारण सूख रहे हों।
ख़्ाुश्कसाल ($फा.वि.)-दे.-'ख़्ाुश्कसालीÓ।
ख़्ाुश्कसाली ($फा.स्त्री.)-वह वर्ष जिसमें वर्षा न हो और अकाल पड़े, अवर्षा, बारिस का अभाव, $कहतसाली, दुर्भिक्ष।
ख़्ाुश्का ($फा.पु.)-दे.-'ख़्ाुश्क:Ó, वही शुद्घ उच्चारण है।
ख़्ाुश्कारी ($फा.स्त्री.)-बिना छना आटा; ऊसर, बंजर भूमि।
ख़्ाुश्की ($फा.स्त्री.)-शुष्कता, सूखापन; स्वभाव की ख़्ाुश्की, चिड़चिड़ापन; खुर्रापन, बदमिज़ाजी, व्यवहार की शुष्कता, रूखापन; बदअख़्ला$की, दु:शीलता; स्थल या भूमि।
ख़्ाुश्कीद: ($फा.वि.)-सूखा, ख़्ाुश्क।
ख़्ाुश्कीदा ($फा.वि.)-दे.-'ख़्ाुश्कीद:Ó, वही शुद्घ है।
ख़्ाुसर ($फा.पु.)-दे.-'ख़्ाुसुरÓ, श्वसुर, ससुर।
ख़्ाुसरवाना ($फा.वि.)-दे.-'ख़्ाुसुरवान:Ó, बादशाहों का, शाही, राजकीय।
ख़्ाुसरू ($फा.पु.)-दे.-'ख़्ाुस्रोÓ, वही शुद्घ उच्चारण है।
ख़्ाुसिय: (अ़.पु.)-अण्डकोश, $फोता, टट्टा। 'ख़्ाुसिया सहलानाÓ-टट्टे सहलाना अर्थात् चापलूसी करना।
ख़्ाुसिय:बरदार (अ़.$फा.वि.)-बहुत अधिक ख़्ाुशामद और तुच्छ सेवाएँ करनेवाला, नीच ख़्ाुशामदी।
ख़्ाुसिय:बरदारी (अ़.$फा.स्त्री.)-ख़्ाुशामद; नीचता, तुच्छ सेवा।
ख़्ाुसिया (अ़.पु.)-दे.-'ख़्ाुसिय:Ó।
ख़्ाुसियाबरदार (अ़.$फा.वि.)-दे.-'ख़्ाुसिय:बरदारÓ।
ख़्ाुसुर ($फा.पु.)-पत्नी का पिता, ससुर, श्वशुर।
ख़्ाुसुरख़्ाान: ($फा.पु.)-ससुराल, सुसराल, श्वशुरालय।
ख़्ाुसुरपूरा ($फा.पु.)-साला, पत्नी का भाई।
ख़्ाुसुरवान: ($फा.वि.)-बादशाहों का, शाही, राजसी, राजकीय।
ख़्ाुसू$फ (अ़.पु.)-चन्द्र-ग्रहण, चाँद-गहन; ज़मीन में धँसना।
ख़्ाुसूमत (अ़.स्त्री.)-वैर, शत्रुता, अनबन, दुश्मनी, झगड़ा, $िफसाद; द्वेष।
ख़्ाुसूस (अ़.पु.)-दे.-'ख़्ाुसूसियतÓ, ख़्ाास बात; ख़्ाासकर।
ख़्ाुसूसन (अ़.वि.)-मुख्यत:, विशेषत:, ख़्ाास तौर पर, विशेष रूप से।
ख़्ाुसूसी (अ़.वि.)-ख़्ाास, प्रधान, मुख्य।
ख़्ाुसूसियत (अ़.स्त्री.)-विशिष्टता, विशेषता, प्रधानता, ख़्ाास बात; मैत्री, दोस्ती, प्रगाढ़ मित्रता, गाढ़ी दोस्ती, मेल-मिलाप, रब्त-ज़ब्त।
ख़्ाुस्त ($फा.वि.)-मर्दित, मसला हुआ, मला-दला।
ख़्ाुस्तुवान: ($फा.स्त्री.)-गुदड़ी।
ख़्ाुस्तू ($फा.वि.)-प्रतिज्ञा करनेवाला; स्वीकार करनेवाला।
ख़्ाुस्पानीदन ($फा.क्रि.)-शयन कराना, सुलाना।
ख़्ाुस्पिंद: ($फा.वि.)-सोनेवाला, शयन करनेवाला।
ख़्ाुस्पीद: ($फा.वि.)-प्रसुप्त, सोता हुआ।
ख़्ाुस्पीदन ($फा.वि.)-सोना, शयन करना।
ख़्ाुस्पीदनी ($फा.वि.)-शयन करने योग्य, सोने के योग्य।
ख़्ाुस्य: (अ़.पु.)-अण्डकोष, मुष्क, $फोता।
ख़्ाुस्यतैन (अ़.पु.)-दोनों अण्डकोष, दोनों $फोते।
ख़्ाुस्र (अ़.पु.)-क्षति पहुँचाना, हानि करना; टोटा होना।
ख़्ाुस्रान (अ़.पु.)-हानि, क्षति, घाटा, टोटा; वंचकता, हीनता, मह्रूमी; दुर्भाग्य, अभागापन।
ख़्ाुस्रो ($फा.पु.)-बादशाह, सम्राट्, महाराजा, शहंशाह; ईरान के बादशाह पर्वेज़ का लड़का जो शीरीं पर अ़ाशि$क हो गया था और जिसने शीरीं के प्रेमी $फर्हाद को मरवाया था; ईरान के सासानी वंश के एक न्यायप्रिय बादशाह और पर्वेज़ के पिता नौशेरवाँ का पौत्र; चौदहवीं शताब्दी के एक भारतीय महाकवि और विद्वान् जिन्होंने सबसे पहले हिन्दी भाषा का कविता में प्रयोग किया। इनकी 'मुकरनीÓ हिन्दी भाषा में बहुत विख्यात है।
ख़्ाुह्ल: ($फा.वि.)-वक्र, टेढ़ा।
       

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