Thursday, October 15, 2015

 प

पंचक ($फा.स्त्री.)-चर्खे की पोनी, जिसमें से तार निकलता है।
पंज: ($फा.पु.)-प्रहस्त, उँगलियों सहित हथेली, प्रतल, अलंबुष; अधिकार, $कब्ज़ा; ताश का पाँच बुंदकियोंवाला पत्ता; सहायता, मदद; पाँच वस्तुओं का समष्टि।
पंज़: ($फा.पु.)-नृत्य का एक प्रकार जिसमें अनेक स्त्रियाँ एक-दूसरे का हाथ पकड़कर नाचती हैं।
पंज:कश ($फा.वि.)-पंजा लड़ानेवाला, (पु.)-लोहे का बना पंजा-जैसा एक यंत्र जिसमें पंजा डालकर ज़ोर किया जाता है।
पंज:कशी ($फा.स्त्री.)-पंजा लड़ाना, पंजे द्वारा ज़ोर करना; बल-परीक्षा, ज़ोर आज़माना।
पंज:नुमा ($फा.वि.)-पंजा-जैसा, पंजे के आकार का।
पंजंगुश्त ($फा.पु.)-एक वृक्ष, सँभालू।
पंज ($फा.वि.)-पंच, पाँच, पाँच की संख्या; पाँच वस्तुएँ।
पंजअर्कान (अ.$फा.पु.)-इस्लाम-धर्म के अनुयायियों अर्थात् मुसलमानों की पाँच धार्मिक कृतियाँ-कलिम:, नमाज़, रोज़, ज़कात और हज।
पंजआयत (अ.$फा.स्त्री.)-$कुरान की पाँच छोटी-छोटी आयतें जो प्राय: $फातह: में पढ़ी जाती हैं।
पंजए अल्मास ($फा.पु.)-लोहे का बना पंजे के आकार का वह यंत्र जिसमें पंजा डालकर पहलवान लोग ज़ोर करते हैं, पंज:कश।
पंजए आफ़्ताब ($फा.पु.)-सूर्य-किरण, सूर्य अपनी किरणों सहित।
पंजए ख़्ाुरर्शीद ($फा.पु.)-दे.-'पंजए आफ़्ताबÓ।
पंजए निगारीं ($फा.पु.)-प्रेमिका का चित्रित पंजा जिसमें मेंहदी या महावर से चित्र बने हों।
पंजए मर्जां (अ.$फा.पु.)-मँूगे का पेड़, जो पंजे के आकार का होता है।
पंजए मर्यम (अ.$फा.पु.)-पंजे की आकृति का एक मुट्ïठीबंद पौधा जो पानी में डालने से खुलता है तथा प्रसव-वेदनाग्रस्ता यदि उसे देखती रहे तो उसकी पीड़ा जाती रहती है और बच्चा सुगमता से उत्पन्न हो जाता है।
पंजए मिज़्गाँ ($फा.पु.)-पलकों की $कतार।
पंज ऐब ($फा.पु.)-पाँच दोषोंवाला, जिसमें पाँच प्रकार के ऐब हों।
पंजगंज ($फा.पु.)-पाँचों इन्द्रियाँ; पाँचों वक़्त की नमाज़; सासानी वंश का एक ईरानी राजा नौशेरवाँ का पोता पर्वेज़, जो शीरीं पर अ़ाशि$क था, की आठ निधियों में से पाँच।
पंजगान: ($फा.वि.)-पाँच समय की नमाज़; पाँच प्रकार का; पाँच उसूलोंवाला; पंचसूत्री।
पंजगुश्त: ($फा.पु.)-दे.-'पंजंगुश्तÓ।
पंजगून: ($फा.वि.)-पाँच गुना; पाँच प्रकार का।
पंजगोश: ($फा.वि.)-पंचकोण, पाँच कोनोंवाला, पंचकोना; जिसमें पाँच पहलू हों।
पंचतन ($फा.पु.)-पाँच व्यक्ति अर्थात् हज्ऱत मुहम्मद, हज्ऱत अ़ली, हज्ऱत $फातिम: और उनके दोनों पुत्र इमाम हसन और इमाम हुसैन।
पंजदुअ़ा ($फा.पु.)-पाँचों वक़्त की नमाज़।
पंजनोश ($फा.पु.)-मंडूर, लोहे का मैल; पारा, र्ताबा, अभ्रक, लोहा और मंडूर का एक रासायनिक मिश्रण।
पंजनौबत (अ.$फा.स्त्री.)-वह नौबत अर्थात् शहनाई जो बादशाहों और राजाओं के द्वार पर पाँचों वक़्त बजती है; वे पाँच बाजे जो शहनाई में बजते हैं; पाँचों वक़्त की अज़ान।
पंजपा ($फा.पु.)-पाँच पाँवोंवाला अर्थात् केकड़ा।
पंजपाय: ($फा.पु.)-दे.-'पंजपाÓ।
पंजर: ($फा.पु.)-प्रत्येक वह वस्तु जो जालीदार हो; मकान की जाली; पिंजरा, वितंस; खिड़की, गवाक्ष।
पंजर ($फा.पु.)-'पंजर:Ó का लघुरूप, दे.-'पंजर:Ó; शरीर का ढाँचा, अस्थि-पेजर।
पंजरोज़: ($फा.वि.)-पाँच दिनों का; पाँच दिनों में समाप्त होनेवाला; थोड़े दिनों का, अस्थायी।
पंजरोज़ ($फा.पु.)-पाँच दिन; थोड़ा समय।
पंज लक ($फा.पु.)-सिखों के पाँच चिह्नï, जो 'कÓ से आरम्भ होते हैं-केश, कच्छा, कड़ा, कंघा, कृपाण।
पंजवक़्त: (अ.$फा.वि.)-पाँचों समयवाला; पाँचों समय की नमाज़।
पंजशंबह ($फा.पु.)-वीरवार, बृहस्पतिवार, ज़ुमेरात।
पंजशाख़्ा: ($फा.पु.)-पाँच शाखाओंवाली वस्तु; जेली नामक एक लम्बी लकड़ी जिसमें लोहे की पाँच सलाखें लगी होती हैं तथा भूसा-चारा आदि इकट्ठा करने के काम आती है; एक लम्बी लकड़ी जिसमें बहुत-सी मशालें खोंस लेते हैं और बारात आदि में जलाते हैं।
पंजसाल: ($फा.वि.)-पंचवर्षिय; पाँच वर्ष में समाप्त होनेवाला; वाँच साल में एक बार पडऩेवाला; पाँच साल की आयु का।
पंजसूर: ($फा.स्त्री.)-$कुरान की बहुत छोटी सूरतें जो $फातहे में पढ़ी जाती हैं।
पंजहज़ारी ($फा.पु.)-मु$गल शासनकाल का एक बहुत बड़ा और सम्मानित पद।
पंजहिस [स्स] (अ.$फा.स्त्री.)-पाँचों इन्द्रियाँ-श्रवण-शक्ति, नेत्र-शक्ति, स्पर्श-शक्ति, घ्राण-शक्ति और स्वादेंद्रिय।
पंजाह ($फा.वि.)-पचास।
पंजाहुम ($फा.वि.)-पचासवाँ।
पंजुम ($फा.वि.)-पाँचवाँ।
पंजुमीं ($फा.वि.)-पाँचवाँ।
पंद ($फा.स्त्री.)-शिक्षा, सीख; परामर्श, सलाह; हितोपदेश, नसीहत; सदुपदेश, वाÓज़; अच्छी बात का ज्ञान।
पंदआमेज़ ($फा.वि.)-शिक्षापूर्ण, उपदेशपूर्ण, नसीहत से भरा हुआ।
पंदआमोज़ ($फा.वि.)-अच्छी शिक्षा अर्थात् सिखानेवाला; हितोपदेश की बातें सीखनेवाला।
पंदगर ($फा.वि.)-उपदेश देनेवाला, उपदेशक, ज्ञान की बातें बतानेवाला, नसीहत करनेवाला।
पंदगो ($फा.वि.)-दे.-'पंदगरÓ।
पंदसूदमंद ($फा.पु.)-लाभप्रद उपदेश।
पंदनाम: ($फा.पु.)-वह पत्र जिस पर उपदेश लिखे हों; उपदेशों की पुस्तक।
पंदनियोश ($फा.वि.)-उपदेश सुननेवाला, उपदेश सुनकर उस पर कान धरनेवाला, उपदेश माननेवाला।
पंदिंद: ($फा.वि.)-जिसे उपदेश दिया गया हो।
पंदोनसीहत (अ.$फा.स्त्री.)-नसीहत या हितापदेश की बातें।
पंब: ($फा.पु.)-कपास, रुई, तूल।
पंब:दरगोश ($फा.वि.)-कानों में रुई ठूँसे हुए अर्थात् किसी की बात न सुननेवाला।
पंब:दहन ($फा.वि.)-मुँह में रुई भरे हुए अर्थात् चुपचाप, मौन, चुप।
पंब:दहाँ ($फा.वि.)-दे.-'पंब:दहनÓ।
पंब:दान: ($फा.पु.)-कपास का बीज, बिनौला।
पंब:बगोश ($फा.वि.)-दे.-'पंब:दरगोशÓ।
पंबए ज़ख़्म ($फा.पु.)-घाव पर रखने की रुई, फाहा।
पंबए मीना ($फा.पु.)-शराब की बोतल पर लगी हुई रुई, रुई की डाट (पहले कार्क या किसी धातु के बने ढक्कन के स्थान पर शराब की बोतल में रुई की डाट ही होती थी)।
पंबकी ($फा.वि.)-रुई से बना हुआ, सूती।
पक्न: ($फा.वि.)-मोटा और बौना व्यक्ति।
पख़्ा ($फा.स्त्री.)-पच्चड़, अडंग़ा; विघ्न, बाधा; कठिनता, दिक़्$कत; ऐब, दोष।
पख़्च ($फा.वि.)-मुर्झाया हुआ; नीचा, पस्त; फैलाया हुआ; कूटा हुआ।
पख़्त: ($फा.पु.)-बिनौला निकली हुई कपास, रुई, तूल।
पख़्तो ($फा.स्त्री.)-दे.-'पुख़्तोÓ, वही शुद्घ उच्चारण है।
पख़्मान ($फा.वि.)-मलिन, खिन्न, अफ़्सुर्द:; दु:खित, उदास, $गमगीन, रंजीद:।
पख़्लीच: ($फा.पु.)-दे.-'पख़्लूच:Ó, दोनों शुद्घ हैं।
पख़्लूच: ($फा.पु.)-गुदगुदी।
पख़्स ($फा.वि.)-द्रवित, पिघला हुआ; अप्रफुल्ल, पज़मुर्द:।
पख़्सीद: ($फा.वि.)-मलिन, खिन्न, अफ़्सुर्द:; दु:खित, उदास, $गमगीन, रंजीद:।
पग ($फा.पु.)-गोली, गुल्ला।
पगह ($फा.स्त्री.)-'पगाहÓ का लघुरूप, दे.-'पगाहÓ।
पगाह ($फा.स्त्री.)-भोर, सवेरा, तड़का, प्रात:काल।
पगाहतर ($फा.स्त्री.)-बहुत भोर, ब्रह्मï मुहूर्त, बहुत तड़के, गजरदम, वासरसंग।
पचवाक ($फा.पु.)-अनुवाद, उल्था, तर्जुमा।
पज़: ($फा.पु.)-अस्तर, दोहरे कपड़े के नीचे का कपड़ा।
पज ($फा.पु.)-गिरी, पर्वत, पहाड़।
पज़ ($फा.प्रत्य.)-पकानेवाला, जैसे-'ख़्िाश्तपज़Ó-ईटें पकाने- वाला।
पज़ ($फा.पु.)-जीर्ण, पुराना; मल, मैल; पीप, मवाद।
पजऩ ($फा.स्त्री.)-एक प्रसिद्घ पक्षी चील, चिल्ल।
पज़मान ($फा.वि.)-दे.-'पख़्मानÓ।
पज़मुर्द: ($फा.वि.)-मलिन, खिन्न, अफ़्सुर्द:; दु:खित, उदास, $गमगीन, रंजीद:। दे.-'पिज़मुर्द:Ó, दोनों शुद्घ हैं।
पज़मुर्द: ख़्ाातिर (अ.$फा.वि.)-दे.-'पज़मुर्द:दिलÓ।
पज़मुर्द:दिल ($फा.वि.)-खिन्नमनस्क, अप्रसन्नचित्त, जिसका मन उदास हो।
पज़मुर्द:रू ($फा.वि.)-मलिनमुख, अप्रसन्नमुख, जिसका चेहरा उदास हो।
पज़मुर्दगी ($फा.स्त्री.)-अप्रसन्नता, उदासीनता, खिन्नता।
पज़मुर्दनी ($फा.वि.)-अप्रसन्न या उदास होने योग्य, खिन्न होने योग्य।
पजार ($फा.पु.)-गिरी, पहाड़, पर्वत।
पज़ाव: ($फा.पु.)-ईंट या चूना पकानेवाला भट्ठा (उर्दू में केवल ईंट के भट्ठे के लिए इस शब्द का प्रयोग किया जाता है)।
पज़ीर: ($फा.पु.)-मानना, स्वीकार करना, $कबूल करना; किसी के सामने जाना; ख्यात, जाना-माना हुआ, मक़्बूल; दे.-'पिज़ीरÓ, दोनों शुद्घ हैं।
पज़ीर ($फा.अव्य.)-माननेवाला, स्वीकार करनेवाला, जैसे-'पोजि़श पज़ीरÓ-आपत्ति या एतराज़ स्वीकार करनेवाला।
पज़ीरा ($फा.वि.)-अंगीकृत, स्वीकृत, $कबूल। दे.-'पिज़ीराÓ, दोनों शुद्घ हैं।
पज़ीराई ($फा.स्त्री.)-अंगीकृति, स्वीकृति, मंज़ूरी, $कबूलियत। दे.-'पिज़ीराईÓ, दोनों शुद्घ हैं।
पज़ोलीद: ($फा.पु.)-परेशान; मुरझाया हुआ।
पज़ोह ($फा.प्रत्य.)-खोज या तलाश करनेवाला, ढूँढऩेवाला, जैसे-'ह$कपज़ोहÓ-सत्य की तलाश करनेवाला। दे.-'पिज़ोहÓ, दोनों शुद्घ हैं।
पज़ोहिंद: ($फा.वि.)-खोजी, जिज्ञासु, ढूँढऩेवाला, तलाश करनेवाला। दे.-'पिज़ोहिंद:Ó, दोनों शुद्घ हैं।
पज़ोहिश ($फा.स्त्री.)-ढूँढ़, खोज, तलाश, जिज्ञासा। दे.-'पिज़ोहिशÓ, दोनों शुद्घ हैं।
पज़ोहीद: ($फा.वि.)-तलाशा हुआ, ढूँढ़ा हुआ, खोजा हुआ, जिज्ञासित। दे.-'पिज़ोहीद:Ó, दोनों शुद्घ हैं।
पतंग ($फा.पु.)-गवाक्ष, खिड़की; रोशनदान।
पतगीर ($फा.स्त्री.)-छेनी, टाँकी।
पतर ($फा.पु.)-लोहे का तख़्ता, पत्र।
पतीर: ($फा.पु.)-घिनावनी और निकृष्ट वस्तु।
पतील ($फा.पु.)-दीप अथवा चिरा$ग की बत्ती।
पत्यार ($फा.पु.)-विपत्ति, विपदा, आपत्ति, मुसीबत; दैवी विपदा, बला।
पद ($फा.पु.)-बाँझ वृक्ष, वह पेड़ जिसमें फल न लगते हों।
पदरख़्त: ($फा.वि.)-खिन्न, मलिन, उदास; दु:खित, क्लेषित, रंजीदा।
पदीद ($फा.वि.)-आविर्भूत, प्रकट, व्यक्त, ज़ाहिर। दे.-'पिदीदÓ, दोनों शुद्घ हैं।
पदीदार ($फा.वि.)-दे.-'पदीदÓ।
पद्रूद ($फा.स्त्री.)-त्याग, तर्क; विदा, रुख़्सत; अलहदगी।
पनाह ($फा.स्त्री.)-आश्रय, सहारा; त्राण, रक्षा, हि$फाज़त; जान का बचाव, प्राण-रक्षा; पृष्ठ-पोषण, हिमायत।
पनाहगाह ($फा.स्त्री.)-वह स्थान जहाँ सुरक्षा मिले, आश्रय-स्थल, वह स्थान जहाँ सुरक्षित रहा जा सके; वह स्थान जहाँ से भरण-पोषण हो और सहायता मिले।
पनाह बख़्ाुदा ($फा.वा.)-ख़्ाुदा ख़्ौर करे, ईश्वर बचाए।
पनाहे बेकशाँ ($फा.स्त्री.)-निराश्रय लोगों को आश्रय देनेवाला; निरीह लोगों की रक्षा करनेवाला।
पनीर ($फा.पु.)-निचोड़े हुए दही में नमक मिलाकर तैयार किया जानेवाला खाद्य-पदार्थ, दही का पानी निकालकर उसमें नमक मिलाकर बनाया हुआ एक खाद्य-पदार्थ।
पनीरमाय: ($फा.पु.)-एक दवा जो बकरी या ऊँट आदि के हाल में ब्याये हुए बच्चे को उसकी माँ का ख़्ाूब दूध पिलाकर और फिर उसका वध करके उसके आमाशय को सुखाकर बनाते हैं।
पनीरी ($फा.वि.)-पनीर का; पनीर लगा हुआ; पनीर से सम्बन्ध रखनेवाला।
पयंबर ($फा.पु.)-अवतार, पै$गम्बर, ईश-दूत। 'मैं अपनी ज़ात के अन्धे स$फर में निकला हूँ, कोई भी शख़्स पयंबर नहीं है मेरे लिएÓ।
पयंबरान: ($फा.वि.)-अवतारों-जैसा, पै$गम्बरों की तरह।
पयंबरी ($फा.स्त्री.)-पयंबर का; पयंबर-सम्बन्धी; पयंबर का पद।
पयंबरे वक़्त (अ.$फा.पु.)-अपने समय में ऐसे चमत्कारवूर्ण काम करनेवाला, जिन्हें केवल कोई अवतार अथवा ईश-दूत ही कर सकता हो।
पय ($फा.पु.)-पद, पाँव, चरण, पाँव के निशान; पीछा; बार, द$फा; स्नायु, पट्ठा; दे.-'पैÓ।
पय दर पय ($फा.वि.)-बारंबार, बार-बार; लगातार, निरन्तर, मुसल्सल; दे.-'पै दर पैÓ।
पय ब पय ($फा.वि.)-दे.-'पय दर पयÓ।
पयाद: ($फा.पु.)-पैदल चलनेवाला; चपरासी; सिपाही; पत्र या चिटï्ठी पहुँचानेवाला, डाकिया, हरकारा; सेना का पैदल सिपाही; शतरंज के खेल का पैदल।
पयाद:निज़ाम (अ.$फा.पु.)-$फौजी, सैनिक; पैदल।
पयाद:पा ($फा.वि.)-पैदल चलनेवाला।
पयाद:पाई ($फा.स्त्री.)-बिना सवारी के अपने पाँवों पर ही चलना।
पयापय ($फा.वि.)-दे.-'पय दर पयÓ।
पयाम ($फा.पु.)-संदेसा, संदेश; ख़्ाबर, समाचार; सगाई की बातचीत।
पयामबर ($फा.वि.)-संदेश पहुँचानेवाला; ख़्ाबर ले जानेवाला; दूत, संदेशवाहक।
पयामबरी ($फा.स्त्री.)-दूत-कर्म; संदेश पहुँचाना; ख़्ाबर ले जाना।
पयामबुर्द: ($फा.वि.)-संदेश अथवा ख़्ाबर लेकर गया हुआ।
पयामरसाँ ($फा.वि.)-संदेश अथवा ख़्ाबर पहुँचानेवाला।
पयामरसानी ($फा.स्त्री.)-संदेश या ख़्ाबर पहुँचाना।
पयामरसी ($फा.स्त्री.)-संदेश या ख़्ाबर पहुँचना।
पयामी ($फा.वि.)-पयाम ले जानेवाला, संदेशवाहक; समाचार ले जानेवाला, ख़्ाबररसाँ।
पयामोसलाम (अ.$फा.पु.)-किसी अन्य व्यक्ति के माध्यम से दो व्यक्तियों की बातचीत।
परंद: ($फा.पु.)-पक्षी, चिडिय़ा, उडऩेवाले प्राणी। 'जंगल में सायँ-सायं की आवाज़ हो गई, होते ही शाम सारे परंदे किधर गएÓ-माँझी
परंद ($फा.पु.)-पक्षी; तलवार; सादा रेशमी कपड़ा; तलवार का जौहर; कृत्तिका नक्षत्र, पर्वी।
पर: ($फा.पु.)-तट, छोर, किनारा; $कु$फुल की जड़; घास का तिनका; पंक्ति, $कतार।
परअफ्ग़ंद: ($फा.वि.)-जिसके पर (पंख, डैने) झड़ गए हों अर्थात् लाचार, विवश, बाध्य, मजबूर।
परअफ्ग़ंदगी ($फा.स्त्री.)-पर अथवा पंख झड़ जाना़; बाध्यता, विवशता, लाचारी, मजबूरी।
परअफ़्शाँ ($फा.वि.)-दे.-'पर$िफशाँÓ।
परअफ़्शानी ($फा.स्त्री.)-दे.-'पर$िफशानीÓ।
पर$काज़: ($फा.पु.)-तूलिका, ब्रश, चित्रकार की कूची।
परकार ($फा.स्त्री.)-दे.-'पर्कारÓ।
परकाल: ($फा.पु.)-दे.-'पर्काल:Ó।
परख़्ााश ($फा.स्त्री.)-दे.-'पख्ऱ्ााशÓ।
परगन: ($फा.पु.)-दे.-'पर्गन:Ó।
परचीं ($फा.स्त्री.)-दे.-'पर्चींÓ।
परताब ($फा.पु.)-दे.-'पर्ताबÓ।
परतौ ($फा.पु.)-दे.-'पर्तौÓ।
परदाख़्त: ($फा.वि.)-दे.-'पर्दाख़्त:Ó।
परदाख़्त ($फा.स्त्री.)-दे.-'पर्दाख़्तÓ।
परदाज़ ($फा.पु.)-दे.-'पर्दाज़Ó।
परदार ($फा.वि.)-जिसके पर अथवा पंख हों, डैनेवाला।
परदोख़्त: ($फा.वि.)-जिसके पर अथवा पंख सी दिए गए हों, जो उड़ न सके अर्थात् विवश, लाचार, मजबूर।
परन ($फा.स्त्री.)-कृत्तिका नक्षत्र, पर्वी।
परनियाँ ($फा.पु.)-दे.-'पर्नियाँÓ।
परपा ($फा.पु.)-घाघस कबूतर, वह कबूतर जिसके पाँव में पर होते हैं।
पर$िफशाँ ($फा.वि.)-पर झाडऩेवाला, पंख फटफटानेवाला अर्थात् सांसारिक सुखों का त्यागी।
पर$िफशानी ($फा.स्त्री.)-सांसारिक सुखों का त्याग, निवृत्ति।
परबंद ($फा.वि.)-दे.-'परबस्त:Ó।
परबस्त: ($फा.वि.)-जिसके पर अथवा पंख बँधे हों, जो उडऩे में असमर्थ हो अर्थात् विवश, लाचार, मजबूर।
परबुरीद: ($फा.वि.)-जिसके पर अथवा पंख काट दिए गए हों अर्थात् विवश, लाचार, असमर्थ, मजबूर।
पररेख़्त: ($फा.वि.)-जिसके पर अथवा पंख झड़ गए हों, पर झड़ा हुआ अर्थात् विवश, लाचार, असमर्थ, मजबूर।
परवरिश ($फा.स्त्री.)-दे.-'पर्वरिशÓ।
परवर्द: ($फा.वि.)-दे.-'पर्वर्द:Ó।
परवाज़ ($फा.स्त्री.)-उडऩा, दे.-'पर्वाज़Ó।
परवान: ($फा.पु.)-राजादेश, $फर्मान; आदेश-पत्र, हुक्मनाम:; पतंगा, फतिंगा, शलभ; मुग्ध, आसक्त, $फरेफ़्त:; कुत्ते के बराबर का एक जंगली जन्तु जो शेर के आगे-आगे चलता है।
परवान:वार (अ.$फा.वि.)-फतिंगा अथवा परवाने की तरह, जैसे शलभ दीपक पर जाता है, ऐसे तेज़ वेग और उत्साह के साथ।
परवानए गिरिफ़्तारी ($फा.पु.)-बंधक बनाने का आदेशपत्र, गिरफ़्तारी का वारंट।
परवानए राहदारी ($फा.पु.)-पारपत्र, पासपोर्ट।
परवानगी ($फा.स्त्री.)-अनुमति, आज्ञा, इजाज़त।
परवीं ($फा.स्त्री.)-दे.-'पर्वींÓ।
परवेज़ ($फा.पु.)-दे.-'पर्वेज़Ó।
परवेजऩ ($फा.स्त्री.)-दे.-'पर्वेजऩÓ।
परशिकस्त: ($फा.वि.)-जिसके पर अथवा पंख टूट गए हों, जो उड़ न सके अर्थात् मजबूर, विवश, लाचार, असमर्थ।
परसियावशाँ ($फा.स्त्री.)-हँसराज नामक एक वनस्पति।
परसुम ($फा.पु.)-दे.-'पर्सुमÓ।
परसोख़्त: ($फा.वि.)-जिसके पर अथवा पंख जल गए हों अर्थात् मजबूर, लाचार, विवश, अशक्त, असमर्थ।
परस्त ($फा.अव्य.)-पूजनेवाला, जैसे-'आतशपरस्तÓ-अग्नि की पूजा करनेवाला।
परस्तार ($फा.वि.)-उपासक, उपासना करनेवाला, पूजनेवाला, अ़ाबिद; भक्त, $िफदाई।
परस्तारज़ाद: ($फा.पु.)-लौंडी-बच्चा, दासीपुत्र।
परस्तारी ($फा.स्त्री.)-उपासना, पूजा, आराधना, इबादत; भक्ति, $िफदाइयत।
परस्तिंद: ($फा.वि.)-उपासक, उपासना करनेवाला, पूजक, पूजनेवाला, आराधक।
परस्तिश ($फा.स्त्री.)-उपासना, पूजा, आराधना, इबादत; बहुत अधिक प्रेम।
परस्तिशकद: ($फा.पु.)-दे.-'परस्तिशगाहÓ।
परस्तिशख़्ाान: ($फा.पु.)-दे.-'परस्तिशगाहÓ।
परस्तिशगाह ($फा.स्त्री.)-आराधना-स्थल, पूजा का स्थान, इबादतगाह।
परस्तीद: ($फा.वि.)-पूजित, जिसकी पूजा या आराधना की जाए, आराधित, पूज्य, आराध्य।
परस्तीदनी ($फा.वि.)-आराधनीय, पूजनीय, पूजने-योग्य।
परहेज़ ($फा.पु.)-दे.-'पर्हेज़Ó।
परागंद: ($फा.वि.)-उद्विग्न, परेशान; अस्त-व्यस्त, तितर-बितर; असंबद्घ, बेतर्तीब।
परागंद:ख़्ाातिर ($फा.वि.)-व्यस्तचित्त, जिसका मन इधर-उधर भटक रहा हो, जिसका मन ठिकाने पर न हो।
परागंद:दिल ($फा.वि.)-दे.-'परागंद: ख़्ाातिरÓ।
परागंद:मू ($फा.वि.)-जिसके बाल बिखरे हुए हों, बाल बिखेरे हुए, ज़ुल्$फें बिखराए हुए।
परागंद:रोजगार ($फा.वि.)-वक़्त का मारा हुआ, समय जिसके अनुकूल न हो, कालचक्र-ग्रस्त।
परागंद:रोज़ी ($फा.वि.)-जिसकी जीविका निश्चित न हो, अनिश्चित-जीविका।
परागंद:हाल (अ.$फा.वि.)-दुर्दशाग्रस्त, जिसकी दशा बहुत-ही अस्त-व्यस्त हो, व्यस्तावस्था, व्यस्तभाग्य।
परागंदगी ($फा.स्त्री.)-असंबद्घता, बेतर्तीबी; अस्त-व्यस्तता, तितर-बितरपन।
पराज़द: ($फा.पु.)-लोई, गुँधे हुए आटे का पेड़ा।
परानिंद: ($फा.वि.)-उड़ानेवाला।
परानीद: ($फा.वि.)-उड़ाया हुआ।
परिंद: ($फा.पु.)-चिडिय़ा, पक्षी, पंछी।
परिंद ($फा.पु.)-चिडिय़ा, पक्षी, पंछी।
परिंदगी ($फा.स्त्री.)-उडऩा।
परिस्तान ($फा.पु.)-जहाँ बहुत-सी परियाँ रहती हों, परियों का स्थान।
परी ($फा.स्त्री.)-अप्सरा, एक कल्पित प्राणी-वर्ग जिनके लिए प्रसिद्घ है कि वे अत्यन्त सुन्दर होती हैं; बहुत अधिक सुन्दर स्त्री।
परीअंदाज़ ($फा.वि.)-परियों-जैसे हाव-भाव रखनेवाला (वाली)।
परीअंदाम ($फा.वि.)-परियों-जैसे सुन्दर शरीरवाला (वाली)।
परीइज़ार (अ.$फा.वि.)-जिसके गाल परियों-जैसे हों, परियों-जैसे कपोलोंवाला (वाली)।
परी$कामत (अ.$फा.वि.)-जिसका आकार परियों-जैसा हो, परियों-जैसे डील-डौलवाला (वाली)।
परीख़्ाान: ($फा.पु.)-परी-स्थल, वह स्थान जहाँ परियाँ रहती हैं, परियों का घर; वह स्थान जहाँ बहुत-सी सुन्दर स्त्रियाँ एकत्र हों।
परीख़्वाँ ($फा.वि.)-जादूगर, इन्द्रजाली; भूत-प्रेत उतारनेवाला, भगत, ओझा; जादू के ज़ोर से भूतों की आत्माओं को बुलानेवाला, अज़ीमतख़्वाँ।
परीख़्वानी ($फा.स्त्री.)-जादूगरी, मायाकर्म; भूत-प्रेत उतारना; भूत-प्रेत अथवा आत्माओं को बुलाना।
परीचम ($फा.वि.)-परियों-जैसी इठलाती हुई मस्त चाल से चलनेवाला (वाली)।
परीचश्म ($फा.वि.)-जिसकी आँखें अत्यन्त सुन्दर और आकर्षक हों, परियों-जैसी सुन्दर आँखोंवाला (वाली)।
परीचेह्र: ($फा.वि.)-दे.-'परीरूÓ।
परीज़द: ($फा.वि.)-प्रेत बाधाग्रस्त, भूताविष्ट, जिस पर ऊपरी हवा का असर हो, जिस पर आसेब का ख़्ालल हो।
परीजमाल (अ.$फा.वि.)-जिसकी सुन्दरता पकरयों-जैसी हो, परियों-जैसा सौन्दर्य रखनेवाला (वाली)।
परीज़ाद: ($फा.पु.)-अप्सरा-पुत्र, परियों की औलाद।
परीज़ाद ($फा.पु.)-दे.-'परीज़ाद:Ó।
परीतल्अ़त (अ.$फा.वि.)-दे.-'परीजमालÓ।
परीतिम्साल (अ.$फा.वि.)-अप्सरामुखी, जिसकी सूरत परियों-जैसी हो।
परीद: ($फा.वि.)-उड़ा हुआ, जैसे-'परीद: रंगÓ-जिसका रंग उड़ गया हो।
परीद:रंग ($फा.वि.)-जिसका रंग उड़ गया हो।
परीदोश ($फा.स्त्री.)-बीती हुई परसों की रात।
परीपैकर ($फा.वि.)-दे.-'परीअंदामÓ।
परी$फाम ($फा.वि.)-परियों-जैसे गोरे रंगवाला (वाली)।
परीबंद ($फा.पु.)-बाजू का एक जेवर, भुजबंध।
परीर ($फा.पु.)-दे.-'परीरोज़Ó।
परीरुख़्ा ($फा.वि.)-दे.-'परीरूÓ।
परीरुख़्ासार ($फा.वि.)-दे.-'परीरूÓ।
परीरू ($फा.वि.)-परियों-जैसी शक्ल-सूरतवाला (वाली)।
परीरोज़ ($फा.पु.)-बीता हुआ परसों का दिन।
परीलि$का (अ.$फा.वि.)-दे.-'परीतल्अ़तÓ।
परीवश ($फा.वि.)-परियों-जैसा (जैसी)।
परीशब ($फा.स्त्री.)-बीती हुई परसोंवाली रात।
परीशाँ ($फा.वि.)-व्याकुल, आतुर, बेचैन; दु:खित, क्लेशित, रंजीदा; चिन्तित, $िफक्रमंद; स्तब्ध, चकित, हैरान; अस्त-व्यस्त, तितर-बितर; ध्वस्त। 'मैं किसी के वास्ते क्यूँ हूँ परीशाँ, ख़्ाुद को मैंने इसमें उलझाया हुआ हैÓ-सुषमा भण्डारी
परीशाँख़्ायाल (अ.$फा.वि.)-जिसका मन ठिकाने पर न हो, जो ठीक-ठीक सोच न सकता हो।
परीशाँख़्ायाली (अ.$फा.स्त्री.)-विचारों की बेतरतीबी, मन का उलझाव या भटकाव।
परीशाँख़्ाातिर (अ.$फा.वि.)-व्यस्तमना, व्यग्रचित्त, जिसका मन ठिकाने न हो।
परीशाँख़्ाातिरी (अ.$फा.स्त्री.)-चित्त की व्यग्रता, मन का बेठिकाने होना।
परीशाँगोई ($फा.स्त्री.)-मिथ्यावाद, बकवास, व्यालाप।
परीशाँदिल ($फा.वि.)-दे.-'परीशाँख़्ाातिरÓ।
परीशाँनजऱी ($फा.स्त्री.)-निगाह का ठिकाने न होना।
परीशाँमू ($फा.वि.)-जिसके बाल बिखरे हुए हों, बाल बिखराए हुए।
परीशाँरू ($फा.वि.)-जिसके चेहरे पर परेशानी के भाव हों, जिसका मुँह उतरा हुआ हो।
परीशाँरोजग़ार ($फा.वि.)-दुर्दशाग्रस्त, जिसका समय प्रतिकूल हो।
परीशाँरोज़ी ($फा.वि.)-बेरोजगार, जिसको जीविका की ओर से संतोष न हो।
परीशाँसूरत (अ.$फा.वि.)-जिसके चेहरे पर परेशानी के लक्षण हों, जिसकी शक्ल से परेशानी टपकती हो।
परीशाँहाल ($फा.वि.)-परेशानहाल, दुर्दशाग्रस्त, मु$फलिस, कंगाल, अकिंचन।
परीशाँहाली ($फा.स्त्री.)-कंगाली, $गरीबी, दुर्दशा, अकिंचन।
परीशान ($फा.वि.)-दे.-'परीशाँÓ।
परीशानकुन ($फा.वि.)-परीशान करनेवाला।
परीशानी ($फा.स्त्री.)-दु:ख, तकली$फ; आकुलता, व्याकुलता, आतुरता, बेचैनी; चिन्ता, $िफक्र।
परीसीरत (अ.$फा.स्त्री.)-परियों-जैसे स्वभाववाला (वाली)।
परीसूरत (अ.$फा.वि.)-दे.-'परीरूÓ।
परेकाह ($फा.पु.)-घास का तिनका।
परेताऊस ($फा.पु.)-मयूरपक्ष, मोर का पर या पंख।
परेशाँ ($फा.वि.)-'परेशानÓ का लघुरूप, दे.-'परेशानÓ।
परेशान ($फा.वि.)-व्याकुल, आतुर, व्यग्र; चिन्तित, $िफक्रमंद; दु:खित, रंजीदा; स्तब्ध, हैरान; ध्वस्त, बर्बाद; अस्त-व्यस्त, तितर-बितर।
परेशानी ($फा.स्त्री.)-आतुरता, व्यग्रता, व्याकुलता, बेचैनी; $िफक्र, चिन्ता; दु:ख, तकली$फ।
परेहुमा ($फा.पु.)-कलगी, केस, तुर्रा; हुमा पक्षी का पर या पंख (प्रसिद्घ है कि उसकी परछाई पडऩे पर मनुष्य राजा बन जाता है)।
परोबाल ($फा.पु.)-पक्षियों के पर या पंख, पंछियों के डैने; सामथ्र्य, मकक़्दूर; बल, शक्ति, ज़ोर; सहायता, मदद।
पर्अफ्ग़ंदगी ($फा.स्त्री.)-दे.-'परअफ्ग़ंदगीÓ, वही उच्चारण शुद्घ है।
पर्अफ्ग़ंदन ($फा.पु.)-दे.-'परअफ्ग़ंदनÓ, वही उच्चारण शुद्घ है।
पर्अफ़्शाँ ($फा.पु.)-दे.-'पर$िफशाँÓ, वही उच्चारण शुद्घ है।
पर्अफ़्शानी ($फा.स्त्री.)-दे.-'पर$िफशानीÓ, वही उच्चारण शुद्घ है।
पर्कार ($फा.स्त्री.)-गोलाई खींचने का एक यंत्र।
पर्काल: ($फा.पु.)-पतंगा, चिनगारी, स्फुलिंग, अग्निकण; अंश, खण्ड, हिस्सा।
पर्कालए आतश ($फा.पु.)-आग की चिनगारी, अग्निकण, स्फुलिंग, पतंगा; बहुत ही धूर्त और चालाक व्यक्ति।
पख्ऱ्ााश ($फा.स्त्री.)-वैमनस्य, रंजिश; वैर, शत्रुता, दुश्मनी; द्वेष, कीना।
पर्गन: ($फा.पु.)-जि़ले का एक भाग, तहसील, ग्राम, गाँव।
पर्गार ($फा.स्त्री.)-दे.-'पर्कारÓ, दोनों शुद्घ हैं।
पर्च: ($फा.पु.)-का$गज़ का छोटा-सा टुकड़ा; वह पत्र जो दस्ती भेजा जाए; समाचार-पत्र, अख़्ाबार; परीक्षापत्र, प्रश्नपत्र; पुलिस की रिपोर्ट।
पर्च:नवीस ($फा.वि.)-संवाददाता, समाचारपत्र का रिपोर्टर; गुप्त रिपोर्ट लिखनेवाला, जासूस।
पर्चए इम्तिहाँ (अ.$फा.पु.)-परीक्षापत्र, परीक्षा के प्रश्नों का पत्र।
पर्चए हिसाब (अ.$फा.पु.)-बीजक; लेन-देन के हिसाब का पर्चा; बहीखाते के हिसाब की नक़्ल; परीक्षा में गणित का पर्चा।
पर्चम ($फा.पु.)-झण्डे का कपड़ा, $फरैरा; सुरा गाय की पुच्छ; अलक, ज़ुल्$फ।
पर्चमकुशाई ($फा.स्त्री.)-झण्डा आरोहन, पताका लहराना; झण्ड़ा लहराने का उत्सव या रस्म; ध्चजोत्तोजन।
पर्चीं ($फा.स्त्री.)-काँटों या लकडिय़ों की बाड़ जो खेत या घर के चारों ओर लगाते हैं।
पर्ताब ($फा.पु.)-एक प्रकार का तीर जो बहुत दूर तक जाता है; वह अन्तर या $फासला जो तीर चलाने और जाकर गिरने के स्थानों के बीच में हो।
पर्ताबी ($फा.वि.)-तीर चलानेवाला, धनुर्धर, तीरंदाज़।
पर्तौ ($फा.पु.)-झलक; प्रतिबिम्ब, अ़क्स; आभा, चमक; हलका प्रभाव; साया, छाया; रोशनी, प्रकाश।
पर्द: ($फा.पु.)-मुखपट, न$काब; घूँघट; स्त्री का पर-पुरुष से छिपना; आड़, ओट; टट्टी; आँख-कान आदि की झिल्ली; बाजे का पुजऱ्ा जो स्वर बताता है; राग, नग़्म:; द्वारपट, चिलमन या कपड़ा आदि।
पर्द:दर ($फा.वि.)-निन्दक, दोष प्रकट करनेवाला; स्त्री का पर्दा तोडऩेवाला।
पर्द:दरी ($फा.स्त्री.)-छिद्रान्वेशन, दोष प्रकट करना; स्त्री का पर्दा भंग करना, उसे पर्दे में न रहने देना।
पर्द:दार ($फा.वि.)-ऐब या दोष छिपानेवाला; द्वारपाल, दरबान।
पर्द:दारी ($फा.स्त्री.)-ऐब या दोष छिपाना; पहरेदारी।
पर्द:नशीं ($फा.वि.)-पर्दे में रहनेवाली स्त्री, अनिष्कासिनी।
पर्द:नशीनी ($फा.स्त्री.)-स्त्री का पर्दे में रहना, बाहर खुले मुँह न निकलना।
पर्द:पोश ($फा.वि.)-दूसरे का दोष छिपानेवाला, अपराध या दोष देखते हुए क्षमा करनेवाला।
पर्द:पोशी ($फा.स्त्री.)-दोष और अपराध पर दृष्टि न डालना, उन्हें छिपाना, क्षमा करना।
पर्द:सरा ($फा.स्त्री.)-अंत:पुर, जऩानख़्ााना; ख़्ोमा, डेरा, तम्बू; स्त्रियों के रहने का घर।
पर्द:सोज़ ($फा.वि.)-दे.-'पर्द:दरÓ।
पर्दए इनबी (अ.$फा.पु.)-आँख के सात पर्दों में से एक।
पर्दए इस्मत (अ.$फा.पु.)-सतीत्व, सतीपन, इफ़्$फत। दे.-'पर्दए बकारतÓ।
पर्दए गोश ($फा.पु.)-कान की झिल्ली, जिससे टकराकर आवाज़ सुनाई देती है, श्रवण-पटल।
पर्दए चश्म ($फा.पु.)-चक्षु-पटल, आँख की सात झिल्लियाँ।
पर्दए जं़बूर ($फा.पु.)-एक प्रकार का जालीदार बु$र्का।
पर्दए जं़बूरी ($फा.पु.)-खिड़कियोंवाला घर।
पर्दए दर ($फा.पु.)-ओट के लिए दरवाज़े पर पड़ा हुआ पर्दा।
पर्दए नामूस (अ.$फा.पु.)-सतीत्व, इस्मत; प्रतिष्ठा, मर्यादा।
पर्दए बकारत (अ.$फा.पु.)-वह झिल्ली जो योनि पर होती है और पहले सहवास में फट जाती है, योनि-पटल, योनिच्छद।
पर्दए बीनी ($फा.पु.)-नाक अथवा दोनों नथनों के बीच की दीवार, नासापट।
पर्दए सीमीं ($फा.पु.)-रजत-पट, सिनेमा का पर्दा जिस पर चित्र दिखाई देते हैं।
पर्दक ($फा.पु.)-पहेली, प्रहेलिका, मुअ़म्मा।
पर्दगी ($फा.स्त्री.)-पर्दे में रहनेवाली नायिका; द्वारपाल, दरबान।
पर्दाख़्त: ($फा.वि.)-सज्जित, सँवारा हुआ; पाला हुआ, पोषित।
पर्दाख़्त ($फा.स्त्री.)-रक्षा, संरक्षण, देखभाल, हि$फाज़त; पालन-पोषण, पर्वरिश।
पर्दाख़्तनी ($फा.वि.)-सज्जित करने योग्य, सँवारने योग्य; रक्षा करने योग्य; देखभाल के योग्य; पालन-पोषण के योग्य।
पर्दाज़ ($फा.पु.)-बेल-बूटे, चित्र की महीन रेखाएँ आदि; सज्जा, सजावट; संलग्ता, मश्$गूली, ($प्रत्य.)-सज्जा करनेवाला, सँवारनेवाला, जैसे-'इंशापर्दाज़Ó-शब्दों की सजावट करनेवाला।
पर्दाजि़ंद: ($फा.वि.)-सजानेवाला, सँवारनेवाला।
पर्ना ($फा.पु.)-एक प्रकार का चित्रित रेशमी कपड़ा।
पर्नियाँ ($फा.पु.)-एक प्रकार का चित्रित रेशमी कपड़ा।
पर्पहन ($फा.पु.)-ख़्ाु$र्फे का साग, कुलफा नामक साग।
पर्मक (तु.स्त्री.)-उँगली।
पर्मला ($फा.स्त्री.)-एक जल-पक्षी, मु$र्गाबी।
पर्र: ($फा.पु.)-ताले की झड़; घास की पत्ती, तिनका; तट, छोर, किनारा; सैन्य पंक्ति, $फौज की पंक्ति।
पर्रए बीनी ($फा.पु.)-नासापटल, नथुनों के बीच की दीवार।
पर्रां ($फा.वि.)-उड़ता हुआ, उड़ती हुई अवस्था में।
पर्वज़ ($फा.स्त्री.)-कुर्ते आदि के दामन पर टाँकी जानेवाली गोट।
पर्वर ($फा.प्रत्य.)-पालनेवाला, जैसे-'अ़द्लपर्वरÓ-न्याय का पालन करनेवाला।
पर्वरिंद: ($फा.वि.)-पालनेवाला, पालन-पोषण करनेवाला।
पर्वरिश ($फा.स्त्री.)-पालन-पोषण; सहायता, मदद; कृपा, दया।
पर्वरिशख़्ाान: ($फा.पु.)-दे.-'पर्वरिशगाहÓ।
पर्वरिशगाह ($फा.स्त्री.)-वह स्थान जहाँ बच्चों का पालन-पोषण होता है।
पर्वरिशयाफ़्त: ($फा.वि.)-पाला हुआ, पोषित, पालित।
पर्वर्द: ($फा.वि.)-पोष्य, पाला हुआ; सुरक्षित किया हुआ, जैसे-'ब$र्फपर्वर्द:Ó-ब$र्फ में सुरक्षित किया हुआ।
पर्वर्द ($फा.वि.)-दे.-'पर्वर्द:Ó।
पर्वर्दए नमक ($फा.वि.)-जिसने किसी के घर पर्वरिश पाई हो और वहाँ का नमक खाकर बड़ा हुआ हो, दास।
पर्वर्दए नेÓमत (अ.$फा.वि.)-दे.-'पर्वर्दए नमकÓ।
पर्वर्दगार ($फा.पु.)-ईश्वर, परमात्मा, ख़्ाुदा, परवरदिगार।
पर्वर्दनी ($फा.वि.)-सुरक्षा प्रदान करने योग्य; पालन-पोषण करने योग्य।
पर्वा ($फा.स्त्री.)-परवाह, चिन्ता, $िफक्र; भय, डर, इच्छा, चाह; ध्यान, ख़्ायाल।
पर्वाज़ ($फा.स्त्री.)-उड़ान, उडऩे का कर्म अथवा भाव, (प्रत्य.)-उडऩेवाला, जैसे-'बलंदपर्वाज़Ó-ऊँचा उडऩेवाला।
पर्वान: ($फा.पु.)-शलभ, पतंगा, फतिंगा; आदेशपत्र, हुक्मनाम:; राजादेश, $फर्मान; मुग्ध, आसक्त, $फरेफ़्त:; भक्त, $िफदाई; लोमड़ी या कुत्ते-जैसा एक जंगली पशु जो शेर के आगे-आगे चलता है।
पर्वान:वार ($फा.वि.)-पतंगा अथवा फतिंगा की तरह, जैसे शलभ दीपक की ओर दौड़ता है वैसे, शलभवत्।
पर्वानए राहदारी ($फा.पु.)-पारपत्र, पासपोर्ट।
पर्वानक ($फा.पु.)-कुत्ते अथवा लोमड़ी-जैसा वह जंगली जन्तु जो शेर के आगे-आगे चलता है, पर्वाना।
पर्वानगी ($फा.स्त्री.)-अनुमति, आज्ञा, इजाजत।
पर्वार: ($फा.पु.)-झरोखा, खिड़की; टेकी, अड़ंगा।
पर्वार ($फा.पु.)-तलघर, ज़मीन के नीचे बनाया हुआ घर जिसमें धूप से बचाकर पशु पाले जाते हैं और मोटे किए जाते हैं।
पर्वारी ($फा.वि.)-पर्वार अर्थात् ज़मीन के नीचे बने हुए घर में पला हुआ; वह पशु जो धूप से बचाकर तथा ख़्ाूब खिला-पिलाकर मोटा किया गया हो।
पर्वीं ($फा.स्त्री.)-कृत्तिका नक्षत्र, परन; गुच्छा, गुच्छ।
पर्वेज़ ($फा.पु.)-ईरानी राजा नौशेरवाँ का पोता जो शीरीं का अ़ाशि$क था; शकर छानने की छलनी; प्रतिष्ठित, सम्मानित।
पर्वेजऩ ($फा.स्त्री.)-छलनी, आटा आदि छानने का यंत्र।
पर्सुम ($फा.पु.)-पलेथन, पलोथन, रोटी पकाते समय लोई में लगाया जानेवाला सूखा आटा।
पर्हेज़ ($फा.पु.)-अलग रहना, बचाव; घृणा, नफ्ऱत; रोगी के खान-पान का बचाव; निषेध, मनाही।
पर्हेजग़ार ($फा.वि.)-संयम-नियम का पालन करनेवाला, इन्द्रियों को वश में रखनेवाला।
पर्हेजग़ारी ($फा.स्त्री.)-संयम-नियम का पालन, यति-धर्म, इन्द्रिय-निग्रह।
पर्हेजि़ंद: ($फा.वि.)-संयम बरतनेवाला, पर्हेज़ करनेवाला।
पर्हेज़ी ($फा.वि.)-वह खाना जो रोगी को उसकी दशा के अनुसार दिया जाए।
पर्हेज़ीद: ($फा.वि.)-जिस वस्तु का पर्हेज़ हो।
पलंग ($फा.पु.)-तेंदुआ नामक एक हिंसक जंगली जन्तु। नोट-जो लोग इस शब्द का अर्थ 'चीताÓ मानते हैं, वे $गलत करते हैं।
पलंगीन: ($फा.पु.)-एक प्रकार का ऊनी कपड़ा जिसमें तेंदुए की खाल-जैसे चिह्न होते हैं।
पल: ($फा.पु.)-ढाक का पेड़, पलाश, टेसू।
पलक ($फा.स्त्री.)-दृगंचल, नयनपट।
पलश्त ($फा.वि.)-अपवित्र, गन्दा; मलिन, मैला।
पलारक ($फा.पु.)-एक प्रकार का बढिय़ा लोहा; तलवार का जौहर; तलवार, खड्ग।
पलाव ($फा.पु.)-पुलाव, एक प्रसिद्घ भोज्य-पदार्थ। नोट-इस शब्द का शुद्घ उच्चारण 'पलावÓ है मगर उर्दू में 'पुलावÓ ही कहते हैं।
पलास ($फा.पु.)-टेसू, पलाश, ढाक का पेड़; बहुत मोटा और खुरदरा कपड़ा; सन का कपड़ा, टाट।
पलीत: ($फा.पु.)-दीप या चरा$ग की बत्ती; वह बत्ती जो प्रेत-बाधा उतारने के लिए जलाई जाती है।
पलीद ($फा.वि.)-अपवित्र, नापाक; मल-दूषित गन्दा; दुष्ट, ख़्ाबीस।
पलीदी ($फा.स्त्री.)-महलनता, गन्दगी; अपवित्रता, नापाकी।
पल्क ($फा.पु.)-आँख का पपोटा।
पल्ख़्ाम ($फा.पु.)-गोफन, ढेला फेंकने का यंत्र, $फलाख़्ान।
पल्ल: ($फा.पु.)-तुला-घट, तराज़ू का पलड़ा; पद, पदवी, दरजा; सीढ़ी का डण्डा।
पशंग ($फा.पु.)-दे.-'पुशंगÓ, दोनों शुद्घ हैं। तूरान के एक प्राचीन शासक अफ्ऱासियाब के पिता का नाम, जो बहुत ही महारथी था।
पश: ($फा.पु.)-दे.-'पश्श:Ó।
पशीं ($फा.पु.)-ईरान के चार प्राचीन सम्राटों में से एक कै$कुबाद के पुत्र का नाम।
पशीज़ ($फा.पु.)-पैसा, ताँबे का सिक्का, ताँबे का कण।
पशेमाँ ($फा.वि.)-'पशेमानÓ का लघुरूप, दे.-'पशेमानÓ।
पशेमान ($फा.वि.)-शर्मिन्दा, लज्जित; संकुचित, नादिम; पश्चात्तापी, पछतानेवाला।
पशेमानी ($फा.स्त्री.)-शर्मिन्दगी, लज्जा; संकोच, नदामत; पश्चात्ताप, अ$फसोस।
पश्म ($फा.स्त्री.)-ऊन, ऊर्ण। नोट-उर्दू में पेड़ू के नीचे के बालों के लिए भी इस शब्द का प्रयोग करते हैं।
पश्मक ($फा.स्त्री.)-एक मिठाई जो बालों के लच्छे-जैसी होती है, बुढिय़ा के बाल, बुढिय़ा के सूत।
पश्म$कुली (तु.$फा.पु.)-दे.-'पश्मदींÓ।
पश्मदीं ($फा.पु.)-एक गाली जो किसी को अपमानित करने के लिए उसके नाम के स्थान बोलते हैं।
पश्मा$क ($फा.पु.)-घोड़ा, अश्व, वाजि।
पश्मीं ($फा.वि.)-ऊन का बना हुआ, ऊनी।
पश्मीन: ($फा.पु.)-एक प्रकार का बहुत-ही बढिय़ा ऊनी कपड़ा, जो बहुत मुलायम और मज़बूत होता है तथा कश्मीर में सबसे अच्छा बनता है।
पश्श: ($फा.पु.)-मच्छर, मशक।
पश्श:ख़्ाान: ($फा.पु.)-मच्छरदानी, मशकहरी।
पसंद: ($फा.पु.)-मांस के पतले टुकड़े जो आग पर सेंके या मसाले में तले जाते हैं।
पसंद ($फा.वि.)-मन को भानेवाला (वाली), रुचिकर, म$र्गूब; स्वीकृत, मंज़ूर, (स्त्री.)-इच्छा, मंशा; रुचि, रग़्बत; स्वीकृति, मंज़ूरी; (प्रत्य.)-पसंद करनेवाला, जैसे-'ह$कपसंदÓ-सच को पसन्द करनेवाला; पसंद आनेवाला, जैसे-'दिलपसंदÓ-दिल को पसंद आनेवाला, मन को भानेवाला।

पसंदाज़ ($फा.वि.)-व्यय के पश्चात् बचा हुआ धन आदि, संचित; बचाकर एकत्र करनेवाला, कि$फायतशिअ़ार।
पसंदाज़ी ($फा.स्त्री.)-व्यय करके भी धन आदि बचा लेना ताकि भविष्य में ज़रूरत पडऩे पर काम आए, बचत करने का भाव, कि$फायतशिअ़ारी।
पसंदीद: ($फा.वि.)-दिलपसंद, मन को अच्छा लगनेवाला, मनोवांछित; पसंद किया हुआ, रुचिकर, म$र्गूब।
पसंदीद: औसा$फ (अ.$फा.वि.)-अच्छे और उत्तम गुणोंचाला व्यक्ति, सद्गुणसम्पन्न।
पसंदीद:तर ($फा.वि.)-बहुत-ही अच्छा और रुचिकर।
पसंदीदगी ($फा.स्त्री.)-रुचि, रग़्बत।
पसंदेश ($फा.वि.)-संकुचितबुद्घि, केवल पीछे की-ही बात सोचनेवाला, आगे न देखना।
पसंदेशी ($फा.स्त्री.)-बुद्घि-संकोच, पीछे की ही बात सोचना, आगे न देखना।
पस ($फा.अव्य.)-अंतत:, आख़्िारकार; पुन:, फिर; पीछे, बाद।
पसअंदाज़ ($फा.वि.)-दे.-'पसंदाज़Ó, शुद्घ उच्चारण वही है।
पसअंदाज़ी ($फा.स्त्री.)-दे.-'पसंदाज़ीÓ, शुद्घ उच्चारण वही है।
पसअंदेश ($फा.वि.)-दे.-'पसंदेशÓ, शुद्घ उच्चारण वही है।
पसअंदेशी ($फा.स्त्री.)-दे.-'पसंदेशीÓ, शुद्घ उच्चारण वही है।
पसअ$फगंद: ($फा.पु.)-दे.-'पसफ्ग़ंद:Ó, वह उच्चारण अधिक शुद्घ है।
पसआवर्द: ($फा.पु.)-दे.-'पसावर्द:Ó, वह उच्चारण अधिक शुद्घ है।
पसआहंग ($फा.पु.)-दे.-'पसाहंगÓ, वह उच्चारण अधिक शुद्घ है।
पसकूच: ($फा.पु.)-गली के अन्दर की गली, बहुत पतली और तंग गली।
पसख़्ाुर्द: ($फा.वि.)-भुक्तशेष, बचा हुआ खाना, उच्छिष्ट।
पसख़्ोज़ ($फा.पु.)-पहलवानों का नया-नया शिष्य।
पसख़्ौम: ($फा.पु.)-सेना की सबसे पिछली रावटी; नतीजा, निष्कर्ष।
पसतर ($फा.वि.)-बहुत पीछे, सबसे पीछे।
पसतर $फर्दा ($फा.पु.)-परसों के बाद वाला दिन, नरसों, अगली नरसों।
पसपा ($फा.वि.)-युद्घ या लड़ाई में पीछे हटा हुआ, हारा हुआ, पराजित।
पसपाई ($फा.स्त्री.)-युद्घ या लड़ाई में पीछे हटना, पराजय, हार।
पस$फर्दा ($फा.पु.)-कल के बादवाला दिन, परसों, अगली परसों।
पसफ्गंद: ($फा.वि.)-ख़्ार्च से बची हुई वस्तु जो दूसरे समय काम आने के लिए उठा रखी जाए; पक्षियों का मल, बीट; पशुओं का मल, गोबर।
पसमाँद: ($फा.वि.)-बचा हुआ, बची हुई वस्तु; मृत पुरुष के बाल-बच्चे; स$फर में साथियों से पीछे रह जानेवाला।
पसमाँदगाँ ($फा.पु.)-मृत पुरुष के सम्बन्धी जन, बाल-बच्चे; स$फर में पीछे रह जानेवाले।
पसमाँदगी ($फा.स्त्री.)-स$फर मेंसाथियों से पीछे रह जाना; हीनता, दीनता, लाचारी।
पसरवी ($फा.स्त्री.)-अनुकरण करना, पीछे-पीछे चलना।
पसरौ ($फा.वि.)-अनुकरणकर्ता, पीछे चलनेवाला।
पसावर्द: ($फा.पु.)-वह लड़का जो स्त्री के प्रथम पति का हो।
पसावीद: ($फा.वि.)-मसला हुआ, रगड़ा हुआ, मला-दला हुआ।
पसावीदनी ($फा.वि.)-मसलने योग्य, रगडऩे योग्य, मलने-दलने योग्य।
पसाहंग ($फा.पु.)-सेना का पिछला भाग।
पसीं ($फा.वि.)-अंतिम, आख़्िारी; पिछला, पीछेवाला।
पसेज ($फा.पु.)-तत्परता, तैयारी; कटिबद्घता, आमादगी; संकल्प, इरादा।
पसे तस्वीर ($फा.पु.)-तस्वीर के पीछे।
पसे दीवार ($फा.पु.)-दीवार के पीछे।
पसेपर्दा ($फा.पु.)-पर्दे के पीछे, आड़ में, गुप्त रूप से।
पसेपुश्त ($फा.पु.)-पीठ-पीछे, परोक्ष में।
पसेमर्ग ($फा.पु.)-मरने के बाद, मरणोपरान्त, मरण-पश्चात्।
पसेमुर्दन ($फा.पु.)-दे.-'पसेमर्गÓ।
पस्त: ($फा.वि.)-छोटा, नाटा, लघु, पस्त।
पस्त:$कद: ($फा.वि.)-लघुकाय, छोटे शरीरवाला, वामन, बौना, ठिगना।
पस्त ($फा.वि.)-अधम, नीच, कमीना; नीचा, निशेबी; छोटा, ठिगना; लघु।
पस्तअंदेश ($फा.वि.)-मंदबुद्घि, लघुचेत्ता, तंगख़्ायाल, छोटी सोचवाला, संकुचित विचारोंवाला।
पस्तअंदेशी ($फा.स्त्री.)-बुद्घिमांद्य, तंगख़्ायाली, विचारों की संकीर्णता।
पस्तक ($फा.वि.)-बहुत-ही नीच अथवा कमीना; बहुत अधिक नीचा; अत्यन्त लघु।
पस्त$कद ($फा.वि.)-दे.-'पस्त:$कदÓ।
पस्त$कामत (अ.$फा.वि.)-दे.-'पस्त:$कदÓ।
पस्त$कामती (अ.$फा.स्त्री.)-डीलडौल का छोटा होना, छोटा $कद होना, बौनापन, वामनता, ठिगनापन।
पस्तख़्ायाल (अ.$फा.वि.)-दे.-'पस्तअंदेशÓ।
पस्तख्य़ाली (अ.$फा.स्त्री.)-दे.-'पस्तअंदेशीÓ।
पस्त$िफत्रत (अ.$फा.वि.)-नीच स्वभाववाला, कमीना, तुच्छ प्रकृतिवाला; दुष्टात्मा, ख़्ाबीस।
पस्त$िफत्रती (अ.$फा.स्त्री.)-स्वभाव की नीचता, प्रकृति की निकृष्टता, कमीनापन; दुष्टता, ख़्ाबासत।
पस्तहिम्मत (अ.$फा.वि.)-जिसमें हिम्मत या साहस की कमी हो, अल्पसाहस, हतोत्साह, कमहौसला।
पस्तहिम्मती (अ.$फा.स्त्री.)-उत्साहहीनता, हौसले और उमंग की कमी।
पस्तहौसल: (अ.$फा.वि.)-दे.-'पस्तहिम्मतÓ।
पस्तहौसलगी (अ.$फा.स्त्री.)-दे.-'पस्तहिम्मतीÓ।
पस्ती ($फा.स्त्री.)-नीचता, कमीनगीे; निचाई, निशेब।
पस्तोबलंद ($फा.पु.)-ऊँच-नीच, ऊँचा-नीचा; दु:ख-सुख, रंज-राहत; अच्छा-बुरा, नेकी-बदी।
पह ($फा.अव्य.)-वाह, धन्य, साधु।
पह पह ($फा.अव्य.)-वाह-वाह, धन्य-धन्य, साधु-साधु।
पह्न ($फा.वि.)-विस्तृत, चौड़ा-चकला; महान्, अज़ीम।
पह्नक ($फा.पु.)-$फीता।
पह्नचश्म ($फा.वि.)-बेहया, निर्लज्ज।
पह्नचश्मी ($फा.स्त्री.)-बेहयाई, निर्लज्जता।
पह्ना ($फा.वि.)-विस्तृत, लम्बा-चौड़ा, चौड़ा-चकला।
पह्नाई ($फा.स्त्री.)-विस्तार, लम्बाई-चौड़ाई, वुस्अ़त।
पह्लवान ($फा.पु.)-कुश्ती लडऩेवाला, मल; शक्तिशाली, ता$कतवर; हट्टा-कट्टा, मोटा-ताज़ा।
पह्लवानी ($फा.स्त्री.)-कुश्ती लडऩे का काम; कुश्ती लडऩे की कला।
पह्लवी ($फा.स्त्री.)-ईरान की एक प्राचीन भाषा।
पह्लू ($फा.पु.)-पाश्र्व, ब$गल; कुक्षि, कोख; दिशा, ओर, तर$फ; शैली, पद्घति, तजऱ्; अंक, क्रोड, गोद, आगोश; युक्ति, तर्कीब, ढब; पसली; मिष, बहाना; निकटता, समीपता।
पह्लूतिही ($फा.स्त्री.)-उपेक्षा, बेइल्ति$फाती; बचना, अलग रहना।
पह्लूनशीं ($फा.वि.)-वास बैठनेवाला, पाश्र्ववर्ती; सभासद, मुसाहिब।
पह्लूनशीनी ($फा.स्त्री.)-पास बैठना; ब$गल या गोद में आना; मुसाहबत।

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