धो
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धोखा (हि.पु.)-मिथ्या व्यवहार जिससे दूसरे के मन में भ्रम उत्पन्न हो, छल, $फरेब; किसी के झूठे या मिथ्या व्यवहार से उत्पन्न भ्रम, भुलावा; भ्रम उत्पन्न करनेवाली बात या वस्तु; अज्ञान से होनेवाली भूल; अनिष्ट की संभावना, जोख़्िाम; आशा या विश्वास के विरुद्घ होनेवाला काम या फल; चिडिय़ों को डराने के लिए खड़ा किया हुआ पुतला या हाँडी आदि, बिजूका; पेड़ में बँधा हुआ फटा बाँस जिससे चिडिय़ों को उड़ाते हैं, खटखटा।धोखेबाज़ (हि.अ.वि.)-धोखा देनेवाला, छली, कपटी, धूत्र्त।
धोखेबाज़ी (हि.अ.स्त्री.)-छल, कपट, धूत्र्तता।
धोती (हि.स्त्री.)-नौ-दस हाथ लम्बा और दो-ढाई हाथ चौड़ा वस्त्र जिसे भारतीय हिन्दू कमर से लेकर घुटनों के नीचे तक का शरीर तथा स्त्रियाँ प्राय: सारा शरीर ढँकने के लिए कमर से बाँध लेती हैं।
धोना (हि.पु.)-पानी में रगड़कर किसी वस्तु पर से मैल-गर्द आदि हटाना, प्रक्षालित करना, पखारना।
धाबिन (हि.स्त्री.)-कपड़ा धोनेवाली औरत; धोबी की स्त्री; एक प्रकार की चिडिय़ा जो जल के किनारे रहती है।
धोबी (हि.पु.)-कपड़ा धोने का काम करनेवाला, रजक।
धोरे (हि.क्रि.वि.)-पास, निकट, समीप।
धोवन (हि.पु.)-धोने की क्रिया या भाव; कोई वस्तु धोने पर निकला या बचा हुआ।
धोसा (हि.पु.)-गुड़ आदि का सूखा हुआ लोंदा, भेली।
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