थि
--------------------------------------------------------------------------------
थिगली (हि.सं.स्त्री.)- किसी फटे हुए वस्त्र के छेद पर लगाने की चकत्ती, पेवन्द, जोड़; झोंपड़ा।थिटकना (हि.क्रि.)- ठिठकना, संकोच या भय से रुक जाना।
थित (हि.सं.वि.)- ठहरा हुआ; स्थापित; रखा हुआ।
थिर (हि.सं.वि.)- स्थिर, अचल, ठहरा हुआ; जो चंचल न हो, शान्त, धीर; स्थायी, दृढ़, टिकाऊ।
थिरक (हि.सं.पु.)- नृत्य में चरणों की चंचल गति, नाचने में पैरों का हिलना-डुलना।
थिरकन (हि.सं.पु.)- दे.- 'थिरकÓ।
थिरकना (हि.सं.क्रि.)- नृत्य के समय पैरों का क्षण-क्षण में उठाना और पटकना; नाचते समय अंग संचालन करना।
थिरना (हि.सं.क्रि.)- किसी तरल पदार्थ का हिलना-डोलना बन्द होना; जल या द्रव के स्थिर होने के कारण उसमें घुली हुई वस्तु का तल में बैठना; मैल-धूल आदि का तल में बैठ जाने के कारण जल का स्वच्छ हो जाना, निथरना।
थिराना (हि.सं.क्रि.)- हिलते-डोलते जल अथवा किसी अन्य तरल पदार्थ को स्थिर होने देना; स्थिर करना; निथारना; तह में बैठाना।
No comments:
Post a Comment