ग, $ग
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गंग ($फा.स्त्री.)-गंगा नदी। ($हिं.स्त्री.)-गंगानदी, (पु.)-सम्राट् अकबर के समय का एक सुप्रसिद्घ हिन्दी कवि; एक मात्रिक छन्द जिसके प्रत्येक चरण में नौ मात्राएँ होती हैं और अन्त में दो गुरु होते हैं।$गंग ($फा.पु.)-कोल्हू की लाट।
गंगबरार ($फा.हिं.स्त्री.)-गंगा या अन्य किसी नदी की धारा के बदलने से उसके नीचे से निकली हुई नई ज़मीन।
गंगल ($फा.पु.)-ठठोल, मस्खरी; उपचार; जादू।
गंगा (हिं.स्त्री.)-भारत की एक प्रधान और प्रसिद्घ नदी जो हहिमालय से निकलकर 1560 मील पूर्व में बहकर बंगाल की खाड़ी में गिरती है, भागीरथी, मंदाकिनी, सुर नदी, जाह्नïवी।
गंगाज ($फा.पु.)-सलाह, मश्विर:, राय, परामर्श।
गंगाजमुनी ($फा.हिं.वि.)-गंगा और यमुना का; मिला-जुला, दो-रंगा, संकर।
गंगोजमन ($फा.हिं.स्त्री.)-गंगा और यमुना।
गंज: ($फा.पु.)-$फारस का एक नगर।
गंज ($फा.पु.)-अम्बार, ढेर, राशि, अटाला; निधि, ख़्ाज़ाना, कोष; गोदाम, संग्रह, ज़ख़्ाीरा; वह ज़मीन जिसमें कुछ लोगों को आबाद कर दें; समूह, झुण्ड; गल्ले का बाज़ार या अनाज की मण्डी, गोला, हाट; वह वस्तु जिसके अन्दर बहुत-सी काम की चीज़ें हों। 'गंज डालनाÓ-मण्डी आबाद करना।
गंज (हिं.पु.)-सिर के बाल झडऩे का रोग, खल्वाट। (सं.पु.)-तिरस्कार, अवज्ञा। (देश.स्त्री.)-एक प्रकार की मोटी बेल।
$गंज (अ़.पु.)-सैन, आँख अथवा भौंह का संकेत; हावभाव, नाज़ोअंदाज़।
$गंज़ (अ़.पु.)-नित्य का शोक; बहुत अधिक कष्ट, बहुत दु:ख।
गंजदान ($फा.पु.)-वह स्थान जहाँ धन गड़ा हो; ख़्ाज़ाने का स्थान, कोषागार।
गंज$फा ($फा.पु.)-दे.-'गंजि$फ:Ó, वही शुद्घ है।
गंजबख़्श ($फा.वि.)-ख़्ाज़ाना बाँटने या देनेवाला, बहुत बड़ा दाता, अत्यन्त उदार; एक मुसलमान सन्त की उपाधि।
गंजबख़्शी ($फा.स्त्री.)-दानशीलता, देने का कर्म या भाव।
गंजा (हिं.पु.)-गंज नामक रोग। (वि.)-जिसके सिर के बाल झड़ गए हों।
गंजार: ($फा.पु.)-मुख पर मलने का सुगन्धित लाल पाउडर, मुखचूर्ण, गुलगून:।
ग़ंजार (अ़.पु.)-दे.-'गंजार:Ó।
गंजिंद: ($फा.वि.)-समानेवाला, प्रवेश करनेवाला।
गंजि$फ: ($फा.पु.)-ताश-जैसा एक खेल जो आठ रंग के 96 पत्तों से खेला जाता था, जो ताश से पहले प्रचलित था; ताश के पत्तों का खेल।
गंजि$फ:बाज़ ($फा.पु.)-गंजि$फा खेलनेवाला; चालबाज़, मक्कार, कपटी, $फरेबी।
गंजी (हिं.स्त्री.)-ढेर, समूह; कन्द, शकरकन्द; बनियान की तरह की बनी हुई कुर्ती।
गंजीद: ($फा.वि.)-समाया हुआ, घुसा हुआ।
गंजीदन ($फा.क्रि.)-समाना, प्रवेश करना, घुसना।
गंजीदनी ($फा.वि.)-समाने योग्य।
गंजीन: ($फा.पु.)-निधि, कोष, ख़्ाज़ाना, द$फीना, माल-गोदाम।
गंजीना ($फा.पु.)-दे.-'गंजीन:Ó।
गंजीनए जऱ ($फा.पु.)-स्वर्णनिधि, सोने का ख़्ाज़ाना।
गंजी$फा ($फा.पु.)-दे.-'गंजि$फ:Ó।
गंजूर ($फा.वि.)-निधि-स्वामी, कोष या ख़्ाज़ाने का मालिक; ख़्ाज़ानची, कोषाध्यक्ष।
गंजे इलाही ($फा.पु.)-$कुरान।
गंजे $कारून ($फा.पु.)-'$कारूनÓ का ख़्ाज़ाना, जो चार लाख चालीस हज़ार बोरी-भर था और जिसमें से वह एक पैसा भी धर्म अथवा परोपकार के नाम पर ख़्ार्च नहीं करता था, अन्त में हज्ऱत मूसा के शाप से वह अपने ख़्ाज़ाने सहित ज़मीन में धँस गया।
गंजे गाव ($फा.पु.)-जमशेद की निधियों में से एक निधि का नाम, जो एक किसान को मिली थी।
गंजे बादावर्द ($फा.पु.)-दे.-'गंजे शायगाँÓ, क्योंकि इस ख़्ाज़ाने को हवा लेकर आई थी, वायु प्रेरित निधि, वायु-प्रदत्त ख़्ाज़ाना।
गंजे रवाँ ($फा.पु.)-दे.-'गंजे $कारूनÓ, क्योंकि मान्यता के अनुसार हज्रत मूसा के शाप के कारण $कारून का ख़्ाज़ाना महाप्रलय तक ज़मीन में धँसता ही चला जाएगा।
गंजे शहीदाँ ($फा.पु.)-समाधि-स्थल, $कब्रिस्तान; वह स्थान जहाँ बहुत-से शहीद दफ्ऩ हों।
गंजे शायगाँ ($फा.पु.)-रूम के कैसर ने पर्वेज़ के डर से अपना धन जहाज़ों में भरकर एक द्वीप में भेजा था लेकिन हवा के प्रतिकूल होने से वह पर्वेज़ के देश में पहुँच गया, चूँकि यह बहुत बड़ा ख़्ाज़ाना था और बिना परिश्रम मिला था, इस कारण इसे 'गंजे शायगाँÓ कहते हैं, वायु-प्रदत्त ख़्ाज़ाना।
गंडा (हिं.पु.)-गाँठ; भूत-प्रेत आदि की बाधा दूर करने के लिए किसी धागे में मंत्र पढ़कर गाँठ लगाने का कार्य; घोड़ों के गले में बाँधा जानेवाला कौडिय़ों और घुंघरुओं से बना पट्टा; चार की संख्या का समूह; आड़ी धारी; तोते-चिडिय़ों आदि के गले की धारी। 'गंडा-तावीज़Ó-टोटका, जादू-टोना। 'गंडा पडऩाÓ-धारी होना या निकलना।
गँडेरी (हिं.स्त्री.)-ईख के छोटे-छोटे टुकड़े; छोटा लम्बोतरा टुकड़ा।
गंद: ($फा.वि.)-$गलीज़, अपवित्र, नापाक, अशुद्घ, मलिन, मैला; गँदला, मटमैला; अशुद्घ, जिसमें मैल हो; दूषित, ख़्ाराब; दुर्गन्धयुक्त, बदबूदार, सड़ा हुआ।
गंद:ख़्ायाल ($फा.वि.)-दूषित विचारोंवाला, बुरी बातें सोचने वाला, पापभाव।
गंद:दहन ($फा.वि.)-दुर्भाषी, गालियाँ बकनेवाला; जिसको मुँह से दुर्गन्ध आने का रोग हो।
गंद:दहनी ($फा.स्त्री.)-मुँह से दुर्गन्ध आने का रोग; गालियाँ बकने का रोग।
गंद:दिमा$ग ($फा.वि.)-म$गरूर, अहंकारी, घमण्डी।
गंद:ब$गल ($फा.वि.)-जिसे ब$गल से दुर्गन्ध आने का रोग हो। (हिं.पु.)-वह घोड़ा जिसके दोनों ब$गल दो भौंरियाँ हों।
गंद:ब$गली ($फा.स्त्री.)-ब$गल से दुर्गन्ध आने का रोग।
गंद:बरोज़: ($फा.पु.)-एक बदबूदार पदार्थ जो चीड़ के पेड़ से निकलता है, गंधबिरोजा; एक प्रकार का गोंद।
गंद:बहार ($फा.वि.)-वह वर्षा जो शीत-ऋतु में हो, लौटती मानसून की बारिश।
गंद:मग्ज़़ ($फा.वि.)-शेखीख़्ाोर, डींगिया; अहंकारी, घमण्डी।
गंद:मग्ज़़ी ($फा.स्त्री.)-डींग, शेख़ी; अहंकार, घमण्ड।
गंद ($फा.स्त्री.)-दुर्गन्ध, बदबू।
गंदक ($फा.पु.)-गंधक, बारूद।
गंदगी ($फा.स्त्री.)-मैला, $गलीज़, विष्ठा, गू; मलिनता, मैलापन; अपवित्रता, अशुद्घता, नापाकी; बदबू, दुर्गन्ध।
गंदना ($फा.पु.)-एक बीज, जो दवा में काम आता है; एक तरकारी, पोलिंगा, लहसुन की तरह का पौधा।
गंदनागूँ ($फा.वि.)-मटमैला, ख़्ााकी, गंदने-जैसे रंगवाला।
गंदा ($फा.वि.)-दे.-'गंद:Ó।
गंदीद: ($फा.पु.)-बदबूदार, दुर्गन्धयुक्त, सड़ा हुआ।
गंदीदा ($फा.पु.)-दे.-'गंदीद:Ó, वही उच्चारण शुद्घ है।
गंदीदन ($फा.वि.)-सडऩा, बदबू देना।
गंदुम (अ.$फा.पु.)-कनक, गेहूँ, गोधूम।
गंदुमगूँ ($फा.वि.)-गेहुँए रंग का।
गंदुमनुमा जौ फऱोश ($फा.वि.)-गेहूँ दिखाकर जौ तौलने वाला; ठग, छली, वंचक, बहुत बड़ा धूर्त।
गंदुमनुमाई ($फा.स्त्री.)-धोखा, $फरेब, मक्कारी, द$गाबाज़ी, धूर्तता।
गंदुमी ($फा.वि.)-गेहुँए रंग का, गेहुआँ; गेहूँ से सम्बन्धित; गेहूँ का।
गंध (सं.स्त्री.)-बास, महक; सुगन्ध, सुवास; शरीर पर लगाने का सुगन्धित द्रव्य, जैसे-चन्दन; लेश, अणुमात्र; गंधक; शोभांजन, सहिंजन।
गंधक (सं.स्त्री.)-एक ज्वलनशील पीला खनिज पदार्थ।
गच ($फा.स्त्री.)-चूने की टीप, चूने से पक्की की गई जगह; चूने और सुरखी के मेल से बना मसाला; प्लास्तर करने का चूना।
$गच ($फा.स्त्री.)-नरम वस्तु में पैनी या कड़ी वस्तु के घुसने का शब्द; तलवार या चा$कू के मांस में घुसने की आवाज़; कीचड़ में चलने की आवाज़।
गचकारी ($फा.स्त्री.)-गच बनाने का काम, चूने का काम।
$गच्च: ($फा.पु.)-$गच्चा, धोखा।
गज़ंद ($फा.स्त्री.)-दु:ख, कष्ट, त$कली$फ; हानि, अनिष्ट, नु$कसान; आसेब का ख़्ालल, प्रेत-बाधा।
गज़: ($फा.पु.)-एक प्रकार का तीर; नगाड़ा बजाने की लकड़ी।
गज़ ($फा.पु.)-नापने की लकड़ी जो सोलह गिरह या छत्तीस इंच की होती है, तीन फुट की एक नाप; लोहे की सलाख़्ा या गोल लकड़ी जिससे बन्दू$क की डाट लगाते हैं; एक प्रकार का तीर; सारंगी या सितार बजाने का यंत्र; झाऊ का पेड़।
गज़़ [ज़्ज़] (अ़.पु.)-घाव में मवाद या पीव पडऩा और उसका घाव से बहना। इसका 'ज़Ó उर्दू के 'ज़ेÓ अक्षर से बना है।
$गज़ [ज़्ज़] (अ़.पु.)-आँखें बन्द करना; आवाज़ धीमी करना; धैर्य धरना; हानि करना; बुरी बात को सहन करना। इसका 'ज़Ó उर्दू के 'ज़्वादÓ अक्षर से बना है।
गज़क ($फा.पु.)-एक मिठाई जो शकर और तिल से बनती है, तिल-पपड़ी, तिल-शकरी; शराब के साथ खाने की एक चीज़।
$गजग़ाव ($फा.पु.)-सुरा गाय, एक जंगली गाय जिसकी पूँछ से मोरछल बनते हैं।
्र$गजऩवी ($फा.वि.)-दे.-'$गज़्नवीÓ।
$गजऩ$फर (अ़.पु.)-दे.-'$गज़न्$फरÓ।
गज़पा ($फा.पु.)-लम्बे पाँवोंवाला एक पक्षी, सारस।
$गज़न्फऱ (अ़.पु.)-व्याघ्र, शेर, सिंह; बहादुर।
$गज़न्फऱी (अ़.स्त्री.)-वीरता, बहादुरी, शौर्य, साहस।
$गज्ऩवी ($फा.वि.)-$गज्ऩी नगर का निवासी, $गज्ऩी का, $गज्ऩी से सम्बन्धित, महमूद $गज्ऩवी।
$गज़ब (अ़.पु.)-कोप, रोष, क्रोध, $गुस्सा; प्रकोप, बहुत अधिक क्रोध; दैवी प्रकोप, ख़्ाुदाई $कहर, ईश्वरीय मार; मुसीबत, बला, आपत्ति, विपत्ति; अंधेर, अन्याय, सख़्ती, अत्याचार, ज़बरदस्ती; बहुत बेज़ा बात, बहुत बुरी या अनुचित बात; (वि.)-अत्यन्त कठिन; बहुत अनोखा; विलक्षण, अपूर्व। '$गज़ब टूट पडऩाÓ-बड़ी आ$फत आना। '$गज़ब तोडऩाÓ-$िफसाद उठाना; बहुत $गुस्सा होना। मुहा.-'$गज़ब काÓ-विलक्षण, अपूर्व।
$गज़बआलूद (अ़.$फा.पु.)-कोपयुक्त, $गुस्से में भरा हुआ, $गुस्सा मिला हुआ, क्रोध-मिश्रित।
गजबदन (सं.पु.)-गणेश, गजानन।
$गज़बनाक ($फा.वि.)-कुपित, प्रकुपित, अत्यन्त क्रुद्घ, बहुत $गुस्से में भरा हुआ।
गज़बाज़ी ($फा.स्त्री.)-एक प्रकार का नाच।
$गज़बी (अ़.वि.)-ज़ालिम, अत्याचारी, $गुस्स:वर, क्रोधी और दुष्ट।
$गज़बे इलाही (अ़.पु.)-दे.-'$गज़बे ख़्ाुदाÓ।
$गज़बे ख़्ाुदा (अ़.पु.)-ईश्वरीय कोप, ख़्ाुदा की मार, दैवीय प्रकोप।
गजऱ ($फा.स्त्री.)-एक प्रसिद्घ शाक, गाजर।
गजर (हिं.स्त्री.)-पहर-पहर पर घण्टा बजने का शब्द; बहुत सवेरे के समय का घण्टा; जागने की घण्टी। 'गजरदमÓ या 'गजर बजेÓ-तड़के, पौ फटते। (पु.)-स$फेद और लाल मिला हुआ गेहूँ।
$गजऱ (अ़.पु.)-मँहगाई के पश्चात् मन्दी; दरिद्रता के पश्चात् समृद्घि।
गजर-बजर (हिं.पु.)-अंड-बंड; गोलमाल; भक्ष्याभक्ष्य, खाद्याखाद्य।
गजरा (हिं.पु.)-फूलों की घनी गुंथी हुई माला, हार; कलाई पर बाँधने का एक गहना; एक प्रकार का रेशमी वस्त्र; गाजर के पत्ते।
$गज़ल (अ़.स्त्री.)-प्रेयसी से बातचीत, प्रेमिका से वार्तालाप; उर्दू-$फार्सी कविता का एक प्रकार-विशेष, जिसमें प्राय: पाँच से ग्यारह शेÓर होते हैं। सारे शेÓर एक ही रदी$फ और $का$िफए में होते हैं मगर हर शेÓर का विषय अलग होता है। $गज़ल का पहला शेÓर 'मत्लाÓ कहलाता है जिसके दोनों मिस्रे सानुप्रास होते हैं और अन्तिम शेÓर 'मक़्ताÓ होता है जिसमें शाइर अथवा कवि अपना उपनाम लाता है। $गज़ल के संग्रह को 'दीवानÓ तथा सम्पूर्ण प्रकार की कविताओं के संकलन को 'बयाज़Ó कहते हैं।
$गज़लख़्वाँ (अ़.वि.)-$गज़ल सुनानेवाला।
$गज़लगो (अ़.$फा.वि.)-वह कवि अथवा शाइर जो $गज़ल अच्छी कहता हो, जिसकी सारी कविताओं में $गज़ल सर्वश्रेष्ठ हो।
$गज़लगोई (अ़.$फा.स्त्री.)-$गज़ल कहना।
$गज़लपर्दाज़ (अ़.$फा.वि.)-शाइर, कवि, $गज़ल कहनेवाला।
$गज़लसरा (अ़.$फा.वि.)-$गज़ल सुनानेवाला, $गज़ल पढऩे-वाला, $गज़ल गानेवाला।
$गज़लसराई (अ़.$फा.स्त्री.)-$गज़ल पढऩा, $गज़ल गाना।
$गज़वात (अ़.पु.)-'$गज़्व:Ó का बहु., इस्लाम-धर्म की परिभाषा में वे लड़ाइयाँ जिनमें पै$गम्बर साहब साथ थे।
$गज़ा (अ़.पु.)-मज़हब या दीन के दुश्मन के साथ लड़ाई करना, धर्मयुद्घ, मज़हबी अथवा धर्म की लड़ाई। दे.-'$िगज़ाÓ, दोनों शुद्घ हैं। इसका 'ज़Ó उर्दू के 'ज़ेÓ तथा '$गÓ उर्दू के 'ग़ेनÓ अक्षर से बना है।
गज़ा ($फा.प्रत्य.)-खानेवाला, जैसे-'जाँगज़ाÓ-प्राणों को खा जानेवाला; हानि पहुँचानेवाला। इसका 'गÓ उर्दू के 'गा$फÓ तथा 'ज़Ó उर्दू के 'ज़ेÓ अक्षर से बना है।
$गज़ा (अ़.पु.)-बेर-जैसा एक पेड़, जिसकी लकड़ी बहुत देर तक जलती है। इसका '$गÓ उर्दू के 'ग़ेनÓ तथा'ज़Ó उर्दू के 'ज़्वादÓ अक्षर से बना है।
गजा (हिं.पु.)-नगाड़ा पीटने का डण्डा।
गज़ाइंद: ($फा.वि.)-काट खानेवाला।
$गज़ाज़: (अ़.पु.)-एक चिडिय़ा जो पत्थर खाती है, चकोर; नया होना, नवीन होना, (स्त्री.)-नयापन, नवीनता।
$गज़ात (अ़.पु.)-'$गज़ाÓ का बहु., बेर-जैसे पेड़ जिनकी आग बहुत देर तक रहती है।
$गज़ान ($फा.पु.)-बचा-खुचा भोजन, जूठन, अवशिष्ट खाद्य-पदार्थ।
गज़ान ($फा.वि.)-काट खानेवाला; काटता हुआ।
गज़ा$फ ($फा.पु.)-झूठ, बेहूदा बातचीत, बकवास।
$गज़ार: (अ़.पु.)-दूध, पानी अथवा फल आदि का अधिक होना; बहुतात, बाहुल्य, प्राचुर्य, इफ्ऱात। इसका 'ज़Ó उर्दू के 'ज़ेÓ अक्षर से बना है।
$गज़ार: (अ़.पु.)-एक प्रकार की चिपकनेवाली मिट्टी, कचला मिट्टी; मंदापन, सस्तापन; वैभव, ऐश; दौलतमंदी, समृद्घि। इसका 'ज़Ó उर्दू के 'ज़्वादÓ अक्षर से बना है।
$गज़ार (अ़.पु.)-मकान के चारों ओर की दीवार, चारदीवारी; घर का भीतरी भाग। इसका 'ज़Ó उर्दू के 'ज़ेÓ अक्षर से बना है।
$गज़ार (अ़.स्त्री.)-एक प्रकार की चिपकनेवाली मिट्टी, कचला मिट्टी। इसका 'ज़Ó उर्दू के 'ज़्वादÓ अक्षर से बना है।
गज़़ाल: (अ़.पु.)-मृगशावक, हिरन का बच्चा; सूर्य, सूरज।
$गज़ाल:चश्म (अ़.$फा.वि.)-मृगनयनी, हिरन के बच्चों-जैसी सुन्दर और बड़ी-बड़ी आँखोंवाला (वाली), मृग-शावक-नयनी।
$गज़ाल (अ़.पु.)-मृगशावक, हिरन का बच्चा; सूरज, सूर्य।
गजाल (देश.पु.)-एक प्रकार की मछली; खूँटी।
$गज़ालचश्म (अ़.$फा.वि.)-दे.-'$गज़ाल:चश्मÓ।
$गज़ालचश्मी (अ़.$फा.स्त्री.)-हिरन के बच्चे-जैसी सुन्दर और बड़ी-बड़ी आँखें होना।
$गज़ाला (अ़.पु.)-दे.-'$गज़ाल:Ó, वही शुद्घ उच्चारण है।
$गज़ाली (अ़.वि.)-'$गज़ालाÓ का निवासी।
$गज़ाले कअ़ब: (अ़.पु.)-सोने का हिरन, जो अज्ञानता के ज़माने में ज़मज़म में पाया गया और जिसे काÓबे में लटका दिया गया।
$गज़ाले ख़्ाुतन (अ़.पु.)-ख़्ाुतन नामक नगर का हिरन, जो अपनी सुन्दरता और तेज़-रफ़्तारी के लिए बहुत मशहूर होता है; प्रेमी, माÓशू$क।
$गज़ाले रअऩा (अ़.पु.)-प्रियतम, प्रेमी, माÓशू$क।
गज़ाव: ($फा.पु.)-ऊँट की काठी जिसके दोनों ओर आदमी बैठते हैं, कज़ावा।
गजि़ंद: ($फा.वि.)-काटनेवाला, काट खानेवाला; डंक मारने वाला, डसने-वाला। इसका 'गÓ के 'गा$फÓ अक्षर से बना है।
$गजि़ंद: ($फा.वि.)-बच्चों की भाँति चूतड़ों के बल घिसट-घिसटकर चलनेवाला। इसका '$गÓ उर्दू के '$गेनÓ अक्षर से बना है।
गजि़ंदगी ($फा.स्त्री.)-काटने का भाव; डसने का भाव, डसन।
गजि़ंदा (गजि़न्दा) ($फा.वि.)-दे.-'गजि़ंद:Ó, शुद्घ वही है।
गज़ी ($फा.स्त्री.)-एक प्रकार का मोटा देशी कपड़ा, खद्दर, खादी। ($हिं.पु.)-हाथी का सवार। (हिं.स्त्री.)-हथिनी।
$गज़ीज़ (अ़.वि.)-मृदुल और कोमल कली; नया, नवीन; ताज़ा, प्रफुल्ल।
गज़ीत ($फा.पु.)-लगान, भूमिकर; ख़्ाराज, राजकर; जजिय़ा, धार्मिक-कर।
गज़ीद: ($फा.वि.)-काटा हुआ, डसा हुआ, दंशित।
गज़ीद ($फा.स्त्री.)-काटा हुआ, डसा हुआ। दे.-'गज़ीतÓ।
गज़ीदगी ($फा.स्त्री.)-दे.-'गजि़ंदगीÓ।
गज़ीदन ($फा.क्रि.)-काटना, डसना, डंक मारना।
गज़ीदनी ($फा.वि.)-काटने योग्य, डसने योग्य।
गज़ीन: ($फा.पु.)-एक प्रकार का मोटा कपड़ा; गोदाम, भण्डार, कोषागार; कैमरे का एक यंत्र।
$गज़ीर (अ़.वि.)-प्रत्येक वह वस्तु जो बहुत हो; बहुत वर्षा; बहुत अधिक पानीवाला कुआँ या तालाब; बहुत आँसुओं वाली आँख। इसका 'ज़Ó उर्दू के 'ज़ेÓ अक्षर से बना है।
$गज़ीर (अ़.वि.)-प्रत्येक वह पदार्थ जो हरा या कोमल हो। इसका 'ज़Ó उर्दू के 'ज़्वादÓ अक्षर से बना है।
$गज़ूब (अ़.वि.)-अत्यधिक कुपित, बहुत अधिक क्रुद्घ, $गज़बनाक।
गजे इलाही ($फा.पु.)-अकबरशाही गज़, जो 33 इंच का होता था और लकड़ी नापने के काम आता था, इससे कपड़ा नहीं नापते थे।
$गजग़ाव ($फा.स्त्री.)-सुरा गाय, चँवरी गाय।
$गज़्ज़ाल (अ़.वि.)-रस्सी बनाने और बेचनेवाला।
$गज़्ज़े बसर (अ़.$फा.स्त्री.)-चश्मपोशी, किसी का दोष देखने पर भी अनदेखा कर देना।
$गज़्न: ($फा.पु.)-दे.-'गज़्नीÓ।
$गज़्न (अ़.स्त्री.)-चुन्नट, झुर्री, सिल्वट।
$गज़्नवी ($फा.वि.)-'$गज्ऩीÓ का निवासी; महमूद $गज्ऩवी।
$गज्ऩीं ($फा.पु.)-अ$फ$गानिस्तान का एक प्रसिद्घ नगर, '$गज्ऩीÓ।
$गज़्बान (अ़.वि.)-अत्यधिक क्रोध या $गुस्से में, बहुत अधिक प्रकुपित, बहुत $गज़बनाक; वे पत्थर जो 'मिजनी$कÓ से दुर्ग पर फेंके जाएँ।
$गज़्म (अ़.पु.)-अंगूर का वह फल जो ताज़ा और पका हुआ हो।
गज़्म ($फा.पु.)-झाऊ का पेड़।
$गज़्ल (अ़.पु.)-रस्सी बटना; रस्सी, रज्जु; डोर।
गज़्लक ($फा.पु.)-वह चा$कू जिसकी नोक मुड़ी हो, $कलम बनाने का चा$कू।
$गज़्व: (अ़.पु.)-धर्मयुद्घ, मज़हबी लड़ाई; हज्ऱत मुहम्मद साहब के समय का वह युद्घ जिसमें वे स्वयं सम्मिलित हुए।
$गज़्वर (अ़.स्त्री.)-कचला मिट्टी, चिपकनेवाली मिट्टी।
गटकना (हिं.क्रि.सक.)-खाना, निगलना; हड़पना।
गठरी (हिं.स्त्री.)-कपड़े में गाँठ देकर बाँधा हुआ सामान; बड़ी पोटली; धन; एक प्रकार का तैरना। 'गठरी करनाÓ-एकत्र करना, जोडऩा। 'गठरी बाँधनाÓ-सामान बाँधकर चलने की तैयारी करना; घुटनों को छाती से लगाकर दोनों हाथों से जकडऩा। 'गठरी मारनाÓ-चालाकी अथवा चोरी आदि से माल उड़ाना; बाँधकर डाल देना।
गठवाना (हिं.क्रि.सक.)-गठाना, सिलवाना; जोड़ लगवाना; संयोग कराना।
गठीला ($हिं.वि.)-गाँठदार, जिसमें बहुत-सी गाँठ हों; गठा हुआ, चुस्त; दृढ़, मज़बूत।
गडऩा (हिं.क्रि.अक.)-चुभना, धंसना; शरीर में चुभने की-सी पीड़ा पहुँचाना; खुरखुरा लगाना; दर्द करना; मिट्टी आदि के नीचे दबाना; दफ्ऩ होना; खड़ा होना; जमना, स्थिर होना; समाना। 'गड़ जानाÓ-लजाना। 'गड़े मुर्दे उखाडऩाÓ-दबी-दबाई या पुरानी बात उभाडऩा।
गड़पना (हिं.क्रि.सक.)-निगलना; किसी वस्तु पर अनुचित अधिकार करना।
गड़बड़ (हिं.वि.)-ऊँचा-नीचा, अव्यवस्थित; ख़्ाराब, बुरा; (पु.)-क्रम-भंग; कुप्रबन्ध, अव्यवस्था; उपद्रव, दंगा, $फसाद।
गड़बड़ाना (हिं.क्रि.अक.)-गड़बड़ में पडऩा, भूल में पडऩा; क्रम-भ्रष्ट होना, अव्यवस्थित होना; बिगडऩा; नष्ट होना; (क्रि.सक.)-गड़बड़ी में डालना; भ्रम में डालना; क्रम-भ्रष्ट करनाा, अव्यवस्थित करना।
गड़ाना (हिं.क्रि.सक.)-चुभाना, धँसाना।
गढऩा (हिं.क्रि.सक.)-कतर-ब्योंत करके बनाना, काट-छाँटकर बनाना; सुडौल करना, दुरुस्त करना; बातें बनाना, कपोल-कल्पना करना; मारना, पीटना, ठोंकना। 'गढ़-गढ़कर बातें करना या बनानाÓ-झूठ-मूठ की कल्पना करके बात करना।
$गत [त्त] (अ़.पु.)-पानी में डुबोना, जल में $गोता देना।
गत (सं.वि.)-बीता हुआ, गया हुआ; रहित, हीन। 'गत होनाÓ-मर जाना। (हिं.स्त्री.)-दशा, अवस्था, हालत; रूप, रंग, वेश, आकृति; काम में लाना, उपयोग; दुर्दशा, दुर्गति; मृतक का क्रिया-कर्म; वाद्य-यंत्रों के कुछ बोलों का क्रमबद्घ मिलान (संगीत); नाचने का एक ढंग या प्रकार। 'गत काÓ-काम का, अच्छा। 'गत बनानाÓ-दुर्दशा करना, अपमान करना, उपहास करना; आकृति बिगाडऩा।
$गत$फ (अ़.पु.)-आँखों की विशालता और पलकों की लम्बाई।
$गतम्तम (अ़.पु.)-महासागर।
$गतात (अ़.पु.)-पत्थर खानेवाला एक पक्षी, संगख़्वार, चकोर।
ग़तीत (अ़.पु.)-सोते समय ख़्ार्राटों का शब्द; गला घुँटे हुए का शब्द; गला कटे हुए का शब्द।
$गतीम (अ़.पु.)-महासागर।
$गतूस (अ़.वि.)-वह बहादुर व्यक्ति जो युद्घ या आपत्ति के समय सबसे पहले आगे बढ़े, सूरमा।
$गत्तास (अ़.पु.)-एक जलपक्षी, पनडुब्बी।
$गत्स (अ़.पु.)-पानी में घुसना; पानी में डुबोना; बर्तन में लेकर पानी पीना।
गद: ($फा.पु.)-चाबी अथवा कुंजी का दाँता।
गद ($फा.पु.)-भीख माँगना। दे-'गिद्य:Ó।
गद (सं.पु.)-रोग; विष; किसी गुलगुली वस्तु पर या गुलगुली वस्तु के आघात लगने से होनेवाला शब्द।
$गद (अ़.पु.)-भविष्य का कल, आनेवाला कल।
$गद$क (अ़.पु.)-अत्यधिक जल, बहुत अधिक पानी।
$गदद (अ़.पु.)-महामारी, वबा; ऊँटों का ताऊन।
$गद$फ (अ़.पु.)-सम्पन्नता, समृद्घि, $फराख़्ाी; नेÓमत, ईश्वर का दिया हुआ धन आदि।
$गदर (अ़.पु.)-रात का अँधियारा होना; वह पथरीली भूमि जिसमें कोई जन्तु बिल न बना सके; हलचल, खलबली, गड़बड़; ब$गावत, विद्रोह, बलवा। दे.-'$गद्रÓ।
गदराना (हिं.क्रि.अक.)-(फल आदि का) पकने पर होना, परिपक्वता के प्राप्त होने के निकट होना; जवानी में अंगों का भरना; आँख आने को होना।
$गदा (अ़.पु.)-भविष्य का कल, आगामी कल।
गदा ($फा.वि.)-मँगता, भिखारी, भिक्षुक, $फ$कीर, भिखमंगा, भीख माँगनेवाला। 'गदा-ए-बेहयाÓ-निर्लज्ज भिखमंगा।
गदा (सं.स्त्री.)-एक प्राचीन अस्त्र का नाम; कसरत के सामानों में-से एक।
$गदाइर (अ़.पु.)-'$गदीराÓ का बहु., गुँधी हुई चोटियाँ।
गदाई ($फा.स्त्री.)-भिक्षाटन, भिक्षावृत्ति, $फ$कीरी, भिखमंगी, भीख माँगने का काम, भिक्षाकर्म। (वि.)-नीच, क्षुद्र; वाहियात, रद्दी।
गदागर ($फा.वि.)-मँगता, भिखारी, भिखमंगा, $फ$कीर, भिक्षुक, भिक्षु।
गदागरी ($फा.स्त्री.)-भिक्षाटन, भिक्षावृत्ति, भीख माँगने का काम।
$गदात (अ़.स्त्री.)-भोर, प्रात:काल, सवेरा।
गदायान: ($फा.वि.)-भिखारियों की तरह, भिखमंगों-जैसा, $फ$कीरों की भाँति।
$गदीर: (अ़.पु.)-गुँघे हुए बाल, गुँधी हुई चोटी।
$गदीर (अ़.पु.)-वह पानी जो बाढ़ आने पर नदी से निकल-कर कहीं जमा हो जाए, इस पानी के एकत्र होने का स्थान, जलाशय; (वि.)-कपटी, धोखेबाज़।
गदीवर ($फा.पु.)-मँगता, भिक्षुक, भिखारी, $फ$कीर।
$गदूर (अ़.वि.)-नमक हराम, कृतघ्न, बेव$फा, गद्दारी करने-वाला।
गद्दर (हिं.वि.)-अधपका।
गद्दा (हिं.सं.पु.)-ज्वार का भुट्टा; करबी की पूली; रुईदार बिछौना; अटकल, $कयास; धोखा, $फरेब।
$गद्दार (अ़.वि.)-विद्रोह करनेवाला, बा$गी; देशद्रोही, देश का दुश्मन; बहुत बड़ा उपद्रव मचानेवाला; नमक हराम, कृतघ्न, बहुत बड़ा बेव$फा; बहुत बड़ा, विशाल (केवल नगर के लिए)।
$गद्दारी (अ़.स्त्री.)-नमक हरामी, कृतघ्नता, बेव$फाई; देश-द्रोह, राष्ट्र या मुल्क से दुश्मनी।
$गद्फ़ (अ़.पु.)-अत्यधिक दान, बहुत अधिक दान।
$गद्र ($गद्र) (अ़.पु.)-क्रान्ति, इन्$िकलाब, विप्लव; ब$गावत, सैन्य-द्रोह; प्रबन्ध की बहुत ही बुरी दशा; लूटमार।
$गद्व: (अ़.पु.)-प्रात:काल और सूर्योदय के बीच का समय, पौ फटने का समय।
$गद्व (अ़.पु.)-आनेवाला कल, आगामी कल।
$गनज (अ़.पु.)-चोचले करना, हाव-भाव दिखाना; बूढ़ा पुरुष।
$गनम (अ़.स्त्री.)-भेड़ और बकरी।
$गना (अ़.पु.)-लाभ, न$फा, प्राप्ति, कमाई।
$गनाइम (अ़.पु.)-'$गनीमतÓ का बहु., युद्घ में लूटे हुए माल-अस्बाब और धन आदि, लूट का माल।
$गनायम (अ़.पु.)-दे.-'$गनाइमÓ।
$गनी (अ़.वि.)-धनी, धनवान्, मालदार, दौलतमंद; नि:स्पृह, बेपरवा, अनिच्छुक, बेनियाज़, निश्चिन्त; ईश्वर का एक नाम।
$गनीम (अ़.वि.)-प्रतिद्वंद्वी, हरी$फ, र$कीब; शत्रु, वैरी, दुश्मन; वह राजा जो किसी दूसरे राज्य पर आक्रमण करे; लूटने-वाला, लुटेरा, डाकू।
$गनीमत (अ़.स्त्री.)-लूट का माल, वह माल जो दुश्मन से छीन लिया जाए; युद्घ में शत्रु की सेना से छीना हुआ माल-अस्बाब; वह माल जो बिना मेहनत के मिले, मुफ़्त का माल; सन्तोषप्रद बात, $कद्र के $काबिल; (वि.)-अच्छा, उत्तम। '$गनीमत हैÓ-ठीक है, बेहतर है। '$गनीमत जाननाÓ-$कद्र करना, बेहतर समझना। '$गनीमत होनाÓ-$कद्र के $काबिल होना, शुक्र के $काबिल होना।
$गनूदगी ($फा.स्त्री.)-ऊँघने की क्रिया या भाव, ऊँघ।
गन्दगी ($फा.स्त्री.)-दे.-'गंदगीÓ।
गन्दना ($फा.पु.)-दे.-'गंदनाÓ।
गन्दा ($फा.वि.)-दे.-'गंद:Ó, वही शुद्घ है।
गन्दादिमा$ग ($फा.वि.)-दे.-'गंद:दिमा$गÓ।
गन्दुम ($फा.पु.)-दे.-'गंदुमÓ।
गन्दुमगूँ ($फा.वि.)-दे.-'गंदुमगूँÓ।
गन्दुमनुमाई ($फा.स्त्री.)-धोखा, $फरेब, छल, द$गाबाज़ी।
गन्दुमी ($फा.वि.)-गेहूँ के रंग का।
$गन्ना (अ.पु.)-किसी वस्तु के ढेर होने का स्थान; किसी वस्तु के बहुत होने का स्थान।
गप ($फा.स्त्री.)-वह बात जिसकी कोई प्रमाणिकता न हो; बकवास, व्यर्थ की बात; उड़ती हुई बात, अ$फवाह; मिथ्यावाद, अपवाद; झूठी बात, शेखी की बात।
$गप (उ.स्त्री.)-कोई चीज़ जल्दी से गले में उतर जाने की आवाज़।
गपबाज़ ($फा.स्त्री.)-बेकार की बातें हाँकनेवाला, गप्पी, बकवादी; शेख़्ाीख़्ाोर, डींगिया।
गपबाज़ी ($फा.स्त्री.)-बे-सिर-पैर की बातें करना, गप हाँकना, डींग मारना।
गपशप (उ.स्त्री.)-झूठी बातें, बेहूदा बातें, समय काटने की बातें; मनोरंजन, तफ्ऱीह।
$गप्पा (उ.पु.)-जल्दी से अन्दर उतर जानेवाला, लिंग।
गप्पी ($फा.वि.)-झूठा, डींग मारनेवाला।
$ग$फ ($फा.वि.)-मोटा, दबीज़; ठोंककर बुना हुआ मोटा कपड़ा, घनी बुनावट का कपड़ा।
$ग$फर (अ़.पु.)-स$फेद बालों को ख़्िाजाब से छिपाना; दाढ़ी अथवा डाढ़ी के दोनों ओर के बाल; गर्दन और गुद्दी के बाल; छोटी घास।
$ग$फल (अ़.पु.)-संज्ञाहीनता, निश्चेष्टता; विस्मृति, भूल, बेख़्ाबरी।
$गफ़लत (अ़.स्त्री.)-दे.-'$गफ़्लतÓ, वही शुद्घ है।
$ग$फीर (अ़.पु.)-सिरस्त्राण, सिर की सुरक्षा के लिए पहनी जानेवाली लोहे की टोपी जो सारे सिर को छिपा ले, (वि.)-छिपानेवाला; इतनी भीड़ जिसकी गणना न की जा सके। 'जम्मे $ग$फीरÓ-बहुत भारी भीड़, इतनी भीड़ कि जहाँ तक नजऱ जाए ज़मीन दिखाई न दे।
$ग$फूर (अ़.वि.)-भूल-चूक मा$फ करनेवाला, दयासागर, बहुत अधिक दयालु; अत्यधिक क्षमावान्; मोक्षदाता, बख़्शनेवाला; ईश्वर का एक नाम।
$ग$फूरुर्रहीम (अ़.पु.)-दयावान्, दयालु; क्षमाशील, क्षमा करनेवाला; ईश्वर का एक नाम।
$ग$फूल (अ़.वि.)-अत्यधिक बेख़्ाबर, बहुत अधिक उदासीन, अत्यधिक निश्चेष्ट।
$गफ़्$फार (़अ.वि.)-बहुत बड़ा दयालु, अत्यधिक क्षमाशील, बहुत अधिक क्षमा करनेवाला; पापों को छिपानेवाला; मोक्षदाता; ईश्वर का एक नाम।
$गफ़्$फारी (अ़.वि.)-क्षमा करने का कर्म या भाव; पापों को छिपाने का कर्म; मोक्षदान, बख़्िशश; ईश्वरत्व, ख़्ाुदाई।
गफ्ऱ (अ़.पु.)-वैभव का आधिक्य, ऐश की $फरावानी।
$गफ़्लत (अ़.स्त्री.)-बेख़्ाबरी, संज्ञाहीनता, निश्चेष्टा, बेहोशी; काहिली, आलस्य; असावधानी, असतर्कता, बेख़्ाबरी; उपेक्षा, बेपर्वाई, लापरवाई; त्रुटि, भूल, चूक; नींद, ऊँघ।
$गफ्लतआश्ना (अ़.$फा.वि.)-जिसमें बहुत आलस्य हो, जो बहुत सुस्ती बरतता हो।
$गफ़्लतकद: (अ़.$फा.पु.)-$गफ़्लत और असावधानी का स्थान अर्थात् संसार, दुनिया।
$गफ़्लतकार ($फा.वि.)-दे.-'$गफ़्लतपेश:Ó।
$गफ़्लतज़द: (अ़.$फा.वि.)-संज्ञाहीन, बेहोश; असावधान, बेख़्ाबर; आलसी, सुस्त।
$गफ़्लतज़दगी (अ़.$फा.स्त्री.)-संज्ञाहीनता; असावधानी; सुस्ती, आलस्य; बेहोशी, ध्यानहीनता।
$गफ़्लतन (अ़.$फा.अव्य.)-असावधानी से, अकस्मात्, सहसा, औचक, अचानक।
$गफ़्लतपेश: (अ़.$फा.वि.)-बेख़्ाबर, असावधान; बहुत ही आलसी; जिसका स्वभाव ही $गफ़्लत या लापरवाही भरा करने का हो।
$गफ़्लतशिअ़ार (अ़.वि.)-दे.-'$गफ़्लतपेश:Ó।
$गफ़्लती (अ़.वि.)-$गफ़्लत या लापरवाही करनेवाला।
$गफ़्स (अ़.वि.)-मोटे दल का, दलदार; मोटा, ग$फ (कपड़ा आदि)।
$गब [ब्ब] (अ़.पु.)-पशु का एक दिन बीच में छोड़कर पानी पीना।
$गबन (अ़.पु.)-निश्चेष्ट करना, $गा$िफल करना; भूल जाना, विस्मृति; बुद्घि और मति की कमी। (विशेष- कुछ लोग भ्रमवश इसे ख़्िायानत या अपहरण के अर्थ में भी प्रयुक्त करते हैं, जबकि उसके लिए शुद्घ उच्चारण '$गब्नÓ है)।
$गबब (अ़.पु.)-मोटे आदमी की ठुड्डी के नीचे लटका हुआ मांस।
$गबर: (अ़.पु.)-धूल-मिट्टी, गर्द-$गुबार; बहुत पेड़ोंवाली भूमि।
$गबस (अ़.वि.)-खाकी रंगवाला, मटमैले का।
$गबावत (अ़.स्त्री.)-कूढ़ होना, मंदबुद्घि होना, बुद्घि का तीव्र न होना, कुंद दिमा$गवाला, मंदमति, ठुस्स दिमा$ग का।
$गबाशीर (अ़.वि.)-शाम का झुरमुट, सन्ध्याकाल, सायं-काल।
$गबी (अ़.वि.)-जड़बुद्घि, मंदबुद्घि, कुंदज़ेह्न; अतीव्र बुद्घि, कमअ़क़्ल, मंदमति।
$गबीत (अ़.पु.)-समतल भूमि, हमवार ज़मीन।
$गबीन (अ़.वि.)-मंदमति, जिसकी राय या सलाह ठीक न होती हो।
$गबीस: (अ़.वि.)-मक्खन और पनीर मिला हुआ।
$गबू$क (अ़.स्त्री.)-शाम के समय पीने की शराब, ह्विïस्की।
$गब्ग़ब (अ़.स्त्री.)-वह मांस जो ठोड़ी के नीचे होता है; ठोड़ी, चिबुक, ज़$कन; $गबब।
गब्ज़ ($फा.पु.)-मोटा, दबीज़; मोटा-ताज़ा, हृष्ट-पुष्ट।
$गब्त: (अ़.पु.)-दे.-'$िगब्त:Ó।
$गब्त (अ़.पु.)-बकरी और दुम्बे की पीठ और कोख में उँगलियाँ गड़ाकर यह देखना कि वह चर्बीला है या दुबला।
$गब्न (अ़.पु.)-किसी दूसरे के सौंपे हुए माल को खा लेना, अमानत में ख़्िायानत, अपहरण, खुर्द-बुर्द; माल लेने-देने में घाटा।
गब्ब: ($फा.पु.)-नाई अथवा नापित का शीशा।
$गब्बास (अ़.पु.)-गोताख़्ाोर, पनडुब्बा।
$गब्र: ($गब्र:) (अ़.पु.)-गर्द-गुबार, धूल, अंधकार।
गब्र ($फा.वि.)-वह जो अग्नि की पूजा-उपासना करता हो, अग्निपूजक, आतशपरस्त, पार्सी।
गब्रकी (गब्रकी) ($फा.पु.)-मदिरा-पात्र, शराब रखने का बर्तन।
$गब्रा ($गब्रा) (अ़.पु.)-वह भूमि जिसमें पेड़ बहुत हों; फलदार वृक्ष; भूमि, ज़मीन, धरा, भूतल, पृथ्वी; (स्त्री.)-चकोर की मादा, चकोरी।
गब्रून (हिं.पु.)-एक प्रकार का मोटा कपड़ा।
गब्रोतर्सा ($फा.पु.)-अग्निपूजक (आतशपरस्त) और ईसाई।
$गम [म्म] (अ़.पु.)-रंज, शोक, खेद, क्षोभ; कष्ट, क्लेश, दु:ख; चिन्ता, $िफक्र; मनस्ताप, संताप, अंदरूनी ख़्ालिश; डाह, ईष्र्या, हसद। '$िफक्र हुआ जब दामनगीर, बन गए हम $गम की तस्वीरÓ-माँझी
गम (सं.पु.)-राह, रास्ता, मार्ग; गमन, सहवास, मैथुन। (हिं.स्त्री.)-पहुँच, पैठ, रसाई, गुजऱ।
$गमअंगेज़ (अ़.$फा.वि.)-शोकप्रद, खेदजनक, $गम बढ़ाने वाला, कष्टकारी।
$गमआगीं (अ़.$फा.वि.)-कष्टपूर्ण, दु:खपूर्ण, $गम से भरा हुआ।
$गमआलूद (अ़.$फा.वि.)-दे.-'$गमआगींÓ।
$गमआश्ना (अ़.$फा.वि.)-रंज या कष्ट चाहनेवाला, $गम का प्रेमी।
$गम$क (अ़.पु.)-पानी से भूमि के ऊपरी भाग का भीग जाना।
गमक (सं.पु.)-जाने वाला; बोध-सूचक, बतलानेवाला; संगीत में एक स्वर से दूसरे स्वर में जाने का प्रकार; (हिं.स्त्री.)-महक, सुगन्ध।
$गमकद: (अ़.$फा.पु.)-$गमख़्ाान:, कष्ट अथवा रंज का घर, जहाँ शोक ही शोक हो, जहाँ शोकग्रस्त लोग रहते हों; जहाँ कोई मृत्यु हो गयी हो; वह घर जहाँ $गम छाया हो, संसार।
$गमकदा (अ़.$फा.पु.)-दे.-'$गमकद:Ó, वही शुद्घ है।
$गमकश (अ़.$फा.वि.)-शोक में डूबा हुआ, क्लेशग्रस्त, कष्ट उठानेवाला, दु:ख सहनेवाला, रंज बर्दाश्त करनेवाला।
$गमख़्ाान: (अ़.$फा.पु.)-दे.-'$गमकद:Ó।
$गमख़्ाोर (अ़.$फा.वि.)-कष्ट अथवा दु:ख सहन करनेवाला, सहनशील, सहिष्णु, $गम खानेवाला।
$गमख़्ाोरी (अ़.$फा.स्त्री.)-कष्ट अथवा दु:ख सहन करना, $गम खाना, सहनशीलता, सहिष्णुता।
$गमख़्वार (अ़.$फा.वि.)-सहानुभूति करनेवाला, हमदर्द, दु:ख-दर्द में शरीक होनेवाला; सहनशील, $गम खाने वाला, क्रोध को रोकनेवाला।
$गमख़्वारी (अ़.$फा.स्त्री.)-हमदर्दी, सहानुभूति, बर्दाश्त, दर्दमंदी, दूसरों का दु:ख दूर करना।
$गम $गलत (अ़.पु.)-वह आदमी, चीज़ अथवा काम जिससे $गम बँटे; दु:खी मन को बहलानेवाला काम, शोक को कम करनेवाला। '$गम $गलत करनाÓ-दु:ख को भुलाने का प्रयास करना।
$गमगीं (अ़.$फा.वि.)-'$गमगीनÓ का लघुरूप, दे.-'$गमगीनÓ।
$गमगीन (अ़.$फा.वि.)-दु:खी, रंजीदा, उदास, संतप्त, दु:खित, पीड़ाग्रस्त।
$गमगुसार (अ़.$फा.वि.)-दे.-'$गमख़्वारÓ। हमदर्द, सहानुभूति रखनेवाला, दूसरों का दु:ख दूर करनेवाला।
$गमगुसारी (अ़.$फा.स्त्री.)-दे.-'$गमख़्वारीÓ।
$गमचशीद: (अ़.$फा.वि.)-दे.-'$गमज़द:Ó।
$गमज़: (अ़.पु.)-आँख या भौंह का इशारा; प्रेमिका की अदा, हाव-भाव, नाज़-नखऱा।
$गमज़ (अ़.पु.)-अशक्त पुरुष; निकृष्ट माल, बुरी कमाई का धन।
$गमज़द: (अ़.$फा.वि.)-कष्ट-पीडि़त, शोकग्रस्त, मातमदार; दु:खित, रंजीदा, संतप्त।
$गमज़दगी (अ़.$फा.स्त्री.)-दु:खी होना, शोकार्त होना।
$गमज़दा (अ़.$फा.वि.)-दे.-'$गमज़द:Ó, वही शुद्घ है।
$गमज़ा (अ़.पु.)-दे.-'$गमज़:Ó, वही शुद्घ है।
$गमद (अ़.पु.)-कुएँ में पानी की अधिकता; कुएँ से पानी का समाप्त हो जाना।
$गमदीद: (अ़.$फा.वि.)-दे.-'$गमगीनÓ।
$गमदोस्त (अ़.$फा.वि.)-निराशावादी, जिसे दु:ख और क्लेश पसन्द हो, कष्ट-साधक।
$गमनाक (अ़.$फा.वि.)-कष्टपूर्ण, दु:खपूर्ण, शोकयुक्त; रंजीदा, दु:खित।
$गमनाकी (अ़.$फा.स्त्री.)-दु:खित होने का भाव, रंजीदगी; दु:खपूर्णता, $गम-भरा होना।
$गमपर्वर, $गमपरस्त (अ़.$फा.वि.)-जो सदा रंजीदा रहता हो, निराशावादी, जिसे दु:ख और क्लेश पसन्द हो, कष्ट-साधक। दे.-'$गमदोस्तÓ।
$गमरसीद: (अ़.$फा.वि.)-शोकार्त, जिसे दु:ख दिया गया हो, जिसे कष्ट पहुँचा हो, दु:खित, रंजीदा, $गमज़दा।
$गमरसीदा (अ़.$फा.वि.)-दे.-'$गमरसाद:Ó, वही शुद्घ है।
$गमरात (अ़.पु.)-मुसीबतें, आपत्तियाँ, विपत्तियाँ; मनुष्यों के समूह, मानव-समूह।
गमला (सं.पु.)-मिट्टी का बना वह पात्र जिसमें पौधे लगाते हैं।
$गमस (अ़.पु.)-आँख का मैल; आँख का मैल जो बाहर बहे, ढीढ़।
$गमाँ (अ़.$फा.वि.)-दे.-'$गमनाकÓ।
$गमाइम (अ़.पु.)-'$गमामÓ का बहु., बादलों के समूह, मेघ-समूह।
$गमाम: (अ़.पु.)-बादल का एक टुकड़ा, बदली; स$फेद बादल, रजत मेघ।
$गमाम (अ़.पु.)-मेघ, बादल, अब्र; स$फेद बादल, रजत मेघ।
$गमार (अ़.पु.)-बहुतायत, अधिकता; जमाव, भीड़, जमघट; समूह होना।
$गमारत (अ़.स्त्री.)-मनुष्यों की भीड़ अथवा जमाव या जमघट; पानी की अधिकता।
$गमि$क (अ़.पु.)-वह तरकारी अथवा घास जो पानी की सीलन से बिगड़ या सड़ जाए।
$गमी (अ़.स्त्री.)-शोक की अवस्था या काल; वह शोक जो किसी मनुष्य के मरने पर उसके सम्बन्धी करते हैं, सोग, मातम; $गम से सम्बन्धित; मृत्यु, मौत। '$गमी हो जानाÓ-मौत हो जाना।
$गमूस (अ़.पु.)-झूठी $कसम; आकाश का एक तारा; ख़्ौबर के सात दुर्गों में से एक। इसका 'सÓ उर्दू के 'सुअ़ादÓ अक्षर से बना है।
$गमूस (अ़.पु.)-ऐसी $कसम या शपथ जिससे किसी का ह$क या धन आदि मारा जाए, (वि.)-झूठी शपथ लेनेवाले को दण्ड देनेवाला। इसका 'सÓ उर्दू के 'सीनÓ अक्षर से बना है।
$गमे गेती (अ़.$फा.पु.)-जीवन की व्यथाएँ, जीवन-कष्ट, सांसारिक दु:ख, भौतिक ताप।
$गमे दिल (अ़.$फा.पु.)-मन की पीड़ा, मनस्ताप, हृदय का दु:ख, दिल का रंज।
$गमे दौराँ (अ़.$फा.पु.)-दे.-'$गमे गेतीÓ।
$गमे पिन्हाँ (अ़.$फा.पु.)-मनस्ताप, मन की पीड़ा, मानसिक दु:ख,; प्रेम की व्यथा, इश्$क का $गम।
$गमे रोजग़ार (अ़.$फा.पु.)-दे.-'$गमे गेतीÓ।
$गमोरंज (अ़.$फा.पु.)-मुसीबतें, कष्ट-समूह, $गम और रंज, पीड़ा, दु:ख।
$गम्ज़: (अ़.पु.)-आँख का संकेत या इशारा, सैन; हावभाव, नाज़ोअदा।
$गम्ज़ (अ़.पु.)-आँख का संकेत या इशारा, सैन; दबाकर निचोडऩा; आलोचना, समालोचना, सुख़्ानचीनी। इसका 'ज़Ó उर्दू के 'ज़ेÓ अक्षर से बना है।
$गम्ज़ (अ़.पु.)-गुप्त गड्ढ़ा, छिपा हुआ गर्त; नीची भूमि; ऐसी बात करना जो समझ में न आए, बात का समझ से परे होना। इसका 'ज़Ó उर्दू के 'ज़्वादÓ अक्षर से बना है।
$गम्त (अ़.पु.)-किसी को बेइज़्ज़त या अपमानित करना; कृतघ्नता, नाशुक्री, नमक-हरामी।
$गम्द (अ़.पु.)-किसी का अपराध छिपाना; तलवार को म्यान में करना; कुएँ का पानी बढ़ जाना।
$गम्माज़ (अ़.वि.)-चु$गुलख़्ाोर, इधर की उधर लगानेेवाला, पिशुन; आँख के इशारे से चु$गली खानेवाला; दोष या ऐब ढूँढऩेवाला, छिद्रान्वेशी, निन्दक; गुप्तचर, जासूस।
$गम्माज़ान: (अ़.वि.)-चु$गुलख़्ाोर-जैसा, चु$गुलख़्ाोरों के समान।
$गम्माज़ी (अ़.$फा.स्त्री.)-चु$गली, चु$गुलख़्ाोरी, बदगोई, निंदा; मुख़्ाबिरी, जासूसी।
$गम्र (अ़.पु.)-उदार, दानशील, सख़्ाी; शूर, जवाँमर्द; पानी का किसी चीज़ को छिपा लेना।
$गम्रुर्रिदा (अ़.वि.)-अत्यधिक उदार और दानशील।
$गम्रुलबर्द (अ़.वि.)-दे.-'$गम्रुर्रिदाÓ।
$गम्श (अ़.पु.)-भूख-प्यास की तीव्रता से आँखों के आगे अँधेरा छा जाना।
$गम्स (अ़.पु.)-किसी का ह$क देने में आलस्य करना; किसी को तुच्छ जानना; नमक-हरामी, नाशुक्री, कृतघ्नता, दोष लगाना।
$गयद (अ़.पु.)-गर्दन का टेढ़ा होकर एक ओर झुक जाना, वक्रग्रीवा; शरीर का मृदुल और कोमल होना।
$गयब (अ़.पु.)-'$गाइबÓ का बहु., $गाइब ($गायब) होनेवाले, छिपनेवाले, लोप होनेवाले।
गया (हिं.क्रि.अक.)-'जानाÓ क्रिया का भूतकालिक रूप। 'गया-गुजऱा या गया-बीता हुआÓ-बुरी अवस्था को पहुँचा हुआ। (सं.पु.)-बिहार या मगध प्रदेश का एक पुण्य-स्थान, जहाँ हिन्दू पिण्डदान करते हैं।
$गयाबत (अ.स्त्री.)-$गायब होना, छिपना, लुप्त होना; वह वस्तु जो किसी वस्तु को छिपा ले; कुएँ की गहराई।
$गयास (अ़.स्त्री.)-सहायता; $मुक्ति, छुटकारा; $फर्याद; $फर्याद को पहुँचानेवाला।
$गयूर (अ़.वि.)-स्वाभिमानी, $गैरतमंद, बहुत $गैरत करने वाला, लज्जा करनेवाला, आन रखनेवाला; $ईष्र्या करने वाला।
$गयूरान: (अ़.$फा.वि.)-स्वाभिमानियों-जैसा, $गैरतमंदों की तरह।
$गय्य (अ़.स्त्री.)-पथ-भ्रष्टता, गुमराही।
$गय्या$फ (अ़.वि.)-जिसकी दाढ़ी बहुत लम्बी और घनी हो।
गर ($फा.अव्य.)-'अगरÓ का लघुरूप, यदि, जो, अगर। (प्रत्य.)-एक प्रत्यय, जो शब्दों के अन्त में लगकर करने या बनानेवाले का अर्थ देता है, जैसे-शीशागर, कलईगर आदि।
गर (सं.पु.)-रोग, बीमारी; विष, ज़हर, हलाहल; ज्योतिष में ग्यारह करणों में-से पाँचवाँ करण।
$गर ($फा.स्त्री.)-कुलटा, वेश्या, व्यभिचारिणी, $फाहिशा।
$गर [र्र] (अ़.पु.)-चुग्गा, वे दाने जिन्हें पक्षी अपनी चोंच में लेकर अपने बच्चों को खिलाता है; कपड़े की शिकन, सिलवट; भूमि की दरार; ज़मीन के अन्दर पानी की नाली; मुग्ध होना, अ़ाशि$क होना, किसी पर रीझना।
$गर$क (अ़.पु.)-पानी सिर से ऊँचा हो जाना, पानी में डूब जाना; डूबा हुआ; बहुत व्यस्त, महव, मग्न, तल्लीन।
$गर$काब (अ़.$फा.वि.)-दे.-'$ग$र्काबÓ।
$गर$की (अ़.स्त्री.)-दे.-'$ग$र्कीÓ।
$गर$कए अ़$र्क (अ़.$फा.वि.)-पसीने में डूबा हुआ, तरबतर, (ला.)-लज्जित, शर्मिन्दा।
$गर$कए $िफक्र (अ़.$फा.वि.)-दे.-'$गर्क़ए $िफक्रÓ।
गरगर ($फा.पु.)-ईश्वर के नामों में से एक नाम, जिसका अर्थ है-'सारी निर्मित वस्तुओं का निर्माताÓ, सृजनहार।
$गर$गरा (अ़.पु.)-दे.-'$गर्गऱ:Ó, वही शुद्घ है।
गरचे ($फा.अव्य.)-अगर-चे, यद्यपि।
गरज (हिं.स्त्री.)-बहुत गम्भीर तथा तुमुल शब्द, जैसे सिंह की गरज, बादल की गरज।
$गरज़ (अ़.स्त्री.)-अभिप्राय, स्वार्थ, मतलब, इच्छा, ख़्वाहिश, इरादा; आशय, मक़्सद, उद्देश्य; ज़रूरत, आवश्यकता; किंबहुना, $िकस्सा मुख़्तसर, संक्षेप में यह कि, सारांश यह कि; सम्बन्ध, तअ़ल्लु$क; मतलब, प्रयोजन। इसका 'ज़Ó उर्दू के 'ज़्वादÓ अक्षर से बना है। अल$गरज़Ó-तात्पर्य यह कि, संक्षेप में यह कि। '$गरज़ किÓ-ख़्ाुलासा यह कि। '$गरज़ अटकनाÓ या '$गरज़ अटकी होनाÓ-हाजत होना, किसी से काम अटकना। '$गरज़ निकालनाÓ-मतलब पूरा करना, स्वार्थ सिद्घ करना।
$गरज़ (अ़.पु.)-एक प्रकार की घास। इसका 'ज़Ó उर्दू के 'ज़ेÓ अक्षर से बना है।
$गरज़आश्ना (अ़.$फा.वि.)-स्वार्थ-साधक, स्वार्थी, मतलब का यार, स्वार्थ-परायण।
गरजना (हिं.क्रि.अक.)-गम्भीर और घोर शब्द करना, (मोती का) चटकना, तड़कना।
$गरज़ बावला (अ़.$फा.वि.)-हाजतमंद, मतलब का $गुलाम। कहा.-'$गरज़-बावला अपनी गावेÓ-$गरज़मंद अपनी ही बात की धुन रखता है।
$गरज़मंद (अ़.$फा.वि.)-हाजतमंद, जिसका कोई मतलब अटका हो; इच्छुक, ख़्वाहिशमंद, ज़रूरतमंद।
$गरज़मंदी (अ़.$फा.स्त्री.)-हाजतमंदी, मतलब अटका होना; इच्छा, ख़्वाहिशमंदी, ज़रूरत।
$गरज़ी (अ़.$फा.वि.)-दे.-'$गजऱ्ीÓ।
$गरज़े कि (अ़.$फा.अव्य.)-सारांश यह कि।
$गरद (अ़.पु.)-गले में आवाज़ को लुढ़काना।
गरदन ($फा.स्त्री.)-दे.-'गर्दनÓ।
गरदनी ($फा.पु.)-दे.-'गर्दनीÓ।
गरदाँ ($फा.वि.)-दे.-'गर्दांÓ।
गरदान ($फा.स्त्री.)-दे.-'गर्दानÓ।
गरदानना ($फा.क्रि.सक.)-शब्दों का रूप साधना; बार-बार कहना; दुहराना, लपेटना; उद्घरणी करना; कुछ समझना या मानना; स्वीकार करना; मिलाना, फँसाना; ध्यान दिलाना; खुली हुई किताब बन्द करना। दे.-'गर्दाननाÓ-
$गरदिल ($फा.वि.)-डरपोक, भीरू, बुज़दिल, कायर।
गरदिश ($फा.स्त्री.)-दे.-'गर्दिशÓ।
गरदी ($फा.स्त्री.)-दे.-'गर्दीÓ, घूमना, फिरना; भारी परिवर्तन, क्रान्ति।
गरदूँ ($फा.पु.)-दे.-'गर्दंूÓ।
$गरब (अ़.पु.)-पश्चिम। दे.-'$गर्बÓ, वही शुद्घ उच्चारण है।
$गरबी (अ़.स्त्री.)-दे.-'$गर्बीÓ।
गरम ($फा.वि.)-दे.-'गर्मÓ।
गरमजोशी ($फा.स्त्री.)-दे.-'गर्मजोशीÓ।
गरमबाज़ारी ($फा.स्त्री.)-दे.-'गर्मबाज़ारीÓ।
गरमा ($फा.पु.)-दे.-'गर्माÓ।
गरमाई ($फा.स्त्री.)-दे.-'गर्माईÓ।
गरमाना (हिं.क्रि.अक.)-गरम होना, उष्ण होना; उमंग में आना, मस्ताना। दे.-'गर्माना।
गरमाबा ($फा.पु.)-दे.-'गर्माब:Ó, वही उच्चारण शुद्घ है।
गरमी ($फा.स्त्री.)-दे.-'गर्मीÓ।
$गरर (अ़.पु.)-भय, डर, शंका, आशंका; शर्त, पण।
$गरव (अ़.पु.)-नरकट, जिससे $कलम बनाते हैं।
गऱस (अ़.स्त्री.)-भूख, क्षुधा।
गराँ ($फा.वि.)-दे.-'गिराँÓ, दोनों शुद्घ हैं, परन्तु वह अधिक $फसीह अर्थात् सौम्य है। भारी, वज़्नी, बोझिल; बहुमूल्य, $कीमती, मँहगा, ज़्यादा भाववाला, अनमोल; कठिन, मुश्किल, दुश्वार, असंभव; सख़्त, कड़ा। 'मुझको तो इक बूँद पानी है गराँ, तुमको कैसे ज़ह्र पीना आ गयाÓ-माँझी
गराँ ख़्ाातिर ($फा.वि.)-अप्रिय, नागवार; दूभर; नाराज़, रंजीदा।
गराँ ख़्वाब ($फा.वि.)-जो बहुत सोये, देर तक सोता रहे, $गा$िफल।
गराँजान ($फा.वि.)-जो जल्दी न मरे, सख़्तजान; वह जिसे जि़न्दगी दूभर हो; सुस्त, आलसी, निकम्मा, काहिल।
गराँबहा ($फा.वि.)-बहुमूल्य, बेश$कीमती।
गराँबार ($फा.वि.)-भारी, बोझिल, बोझ से दबा हुआ।
गराँमाय: ($फा.वि.)-न$फीस और $कीमती चीज़; बहुमूल्य, अधिक दामों का; श्रेष्ठ; बड़ा आदमी, प्रतिष्ठित जन।
गराँमाया ($फा.वि.)-दे.-'गराँमाय:Ó, वही शुद्घ उच्चारण है।
गराँसर ($फा.वि.)-अभिमानी, घमण्डी।
गराँसरी ($फा.वि.)-अभिमान, घमण्ड।
गरा ($फा.पु.)-भूमि को समतल करने का यंत्र।
$गरा (अ.पु.)-प्रत्येक चिपकनेवाली चीज़; सरेस, मछली का सरेस; प्रत्येक चुपडऩेवाली वस्तु; शिशु, बच्चा; दुबला।
$गराइब (अ़.पु.)-'$गरीब:Ó का बहु., आश्चर्यजनक वस्तुएँ, अचम्भेवाली चीज़ें, विलक्षण वस्तुएँ।
$गराइर (अ़.पु.)-'$िगरार:Ó का बहु., खुर्जियाँ, लादने की गोनें।
$गराज़ ($फा.वि.)-ताजग़ी, नवीनता, प्रफुल्लता, हरा-भरापन।
$गरानि$क: (अ़.पु.)-दे.-'$गरानी$कÓ।
गरानी ($फा.वि.)-मँहगी, भाव का ऊँचा हो जाना; तोड़ा, कमी, $िकल्लत; नागवारी, उदासी; भारीपन, बदहज़्मी।
$गरानी$क (अ़.पु.)-'$गुर्नूकÓ का बहु., कुलंग पक्षी; सुन्दर और युवा लोग; गुँधी हुई चोटियाँ।
$गराबत (अ़.स्त्री.)-अद्भुतता, अनोखापन, विलक्षणता।
$गराबीब (अ़.पु.)-'$गुर्बीबÓ का बहु., बहुत अधिक काले, अत्यधिक श्यामवर्णी।
$गराम (अ़.पु.)-मोह, प्रेम; लोभ, लालच; दुष्टता; हत्या, हलाकत; दु:ख, पीड़ा, अज़़ाब।
$गरामत (अ़.स्त्री.)-दु:ख, पीड़ा, अज़़ाब; पशेमानी, पश्चात्ताप; हानि उठाना, नु$कसान उठाना, टोटा झेलना।
$गरायब (अ़.पु.)-दे.-'$गराइबÓ, वही उच्चारण शुद्घ है।
$गरार: ($फा.पु.)-आचमन, $ग$र्गर, मुँह में पानी भरकर इधर-उधर चलाना, हल$क में पानी डालकर कुल्ला करना।
$गरार: (अ़.पु.)-अनाड़ीपन, अपरिपक्वता, नातज्रिब:कारी; धोखा खाना, छला जाना।
गरारा (हिं.वि.)-गर्वयुक्त; प्रबल, प्रचण्ड; (पु.)-ढीली मोहरी का पायजामा; बड़ा थैला; कुल्ला; कुल्ला करने की औषध। 'गरारेदारÓ-बहुत ढीली मोहरी का (पायजामा)।
गरारूँ ($फा.पु.)-एक चर्म रोग दाद, दद्रू।
$गराशीदन ($फा.क्रि.)-डाँटना, $गुस्सा करना, क्रोधित होना, नाराज़ होना।
गराशीदन ($फा.क्रि.)-परेशान करना या होना।
$गरास (अ़.पु.)-खाने या पीनेवाली दवा का वह अंश जो गिर जाए।
$गरि$क (अ़.वि.)-दे.-'$गरी$कÓ।
$गरी$क (अ़.वि.)-मग्न, डूबा हुआ; जो पानी में डूब गया हो; निमग्न, प्लावित, निमज्जित। '$गरीक़े रहमतÓ-ईश्वर की दया में मग्न (मृत व्यक्ति के लिए बोला जाता है)। '$गरीक़े रहमत होÓ-ख़्ाुदा जन्नत नसीब करे।
$गरीज़ (अ़.पु.)-प्रफुल्ल, खिला हुआ, शगुफ़्ता; नवीन, ताज़ा, नया; वर्षा का जल; नई मदिरा; हर स$फेद वस्तु; कली, गुंचा, शिगू$फा।
$गरीज़त (अ़.स्त्री.)-स्वभाव, अ़ादत, प्रकृति, ख़्ासलत।
$गरीज़ी (अ़.वि.)-स्वाभाविक, प्राकृतिक, $िफत्री, (यह शब्द विशेषत: 'हरारतÓ के लिए प्रयोग किया जाता है, जैसे-'हरारते $गरीज़ीÓ-शरीर की प्राकृतिक गर्मी)।
$गरीब (अ़.वि.)-निर्धन, दरिद्र, दीन, कंगाल, मु$फलिस; दीन, दु:खी, बेबस, आजिज़; असहाय, लाचार; जो स$फर में हो; जो विदेश में हो, विदेशी, परदेशी; सीधा-सादा। कहा.-'$गरीब की जोरू सबकी भाभीÓ-$गरीब पर सबका वश चलता है। '$गरीबों ने रोज़े रक्खे तो दिन बड़े हो गयेÓ-अच्छे काम का संकल्प करते ही दिक़्$कत पेश आई।
$गरीबआज़ार (अ़.$फा.वि.)-दीन-पीड़क, गऱीबों को कष्ट देनेवाला, दीन-दु:खियों को सतानेवाला।
$गरीब उल दयार (अ़.वि.)-जो घरबार छोड़कर विदेश में पड़ा हो; मुसा$िफर, बेघरा, परदेसीे।
$गरीब उल वतन (अ़.वि.)-दे.-'$गरीबुल वतनÓ।
$गरीब उल वतनी (अ़.स्त्री.)-दे.-'$गरीबुलवतनीÓ।
$गरीबख़्ाान: (अ़.$फा.पु.)-$गरीब व्यक्ति का घर, ऐसा घर जिसमें सुख का कोई साधन न हो, साधनहीन घर (वक्ता अपनी नम्रता प्रदर्शित करते हुए अपने घर के लिए भी इस शब्द का प्रयोग करता है)।
$गरीबख़्ााना (अ़.$फा.पु.)-दे.-'$गरीबख़्ाान:Ó, वही शुद्घ है।
$गरीब-$गुरबा (अ़.पु.)-$गरीब लोग, मोहताज लोग, नंगे-भूखे लोग।
$गरीबज़ाद: (अ़.$फा.पु.)-गणिका-पुत्र, वेश्या-पुत्र, रण्डी-बच्चा, रण्डी का लड़का; हरामज़ादा।
$गरीबज़ादा (अ़.$फा.पु.)-दे.-'$गरीबज़द:Ó, वही शुद्घ है।
$गरीबनवाज़ (अ़.$फा.वि.)-दीन-वत्सल, दीन-दु:खियों पर दया करनेवाला, प्रणतपाल, दीन-प्रतिपालक, बेकसों की परवरिश करनेवाला।
$गरीबनवाज़ी (अ़.$फा.स्त्री.)-असहाय और लाचार लोगों पर कृपा-दृष्टि, दीन-दु:खियों के प्रति दया-दृष्टि।
गरीबपर्वर (अ़.$फा.वि.)-दे.-'$गरीबनवाज़Ó।
$गरीबपर्वरी (अ़.$फा.स्त्री.)-दे.-'$गरीबनवाज़ीÓ।
गरीबाँ ($फा.पु.)-दे.-'गिरीबाँÓ, वही शुद्घ उच्चारण है।
$गरीबान: (फ़ा.वि.)-$गरीबों-जैसा, $गरीब के समान।
$गरीबाना (फ़ा.वि.)-दे.-'$गरीबान:Ó, वही उच्चारण शुद्घ है।
$गरीबी (अ़.स्त्री.)-निर्धनता, कंगाली, दरिद्रता, मु$फलिसी, मुह्ताजी; दीनता, लाचारी; घरबार से दूरी; एक बहुत बढिय़ा कपड़ा।
$गरीबुद्दयार (अ़.वि.)-दे.-'$गरीबुलवतनÓ।
$गरीबुलवतन (अ़.वि.)-जो अपना घरबार छोड़कर परदेश में पड़ा हो, बेवतन, परदेशी, प्रवासी, मुसा$िफर, बेघरा।
$गरीबुल वतनी (अ़.स्त्री.)-घरबार छोड़कर विदेश में पड़े रहना, अपने वतन से दूर रहना।
$गरीबेशह्रï (शह्र) (अ़.$फा.वि.)-जो नगर में किसी को जानता-पहचानता न हो तथा यात्री अथवा मुसा$िफर की तरह पड़ा हो, अजनबी शहरी, परस्पर अंजान नगरवासी।
गऱीम (अ़.वि.)-जिसे हानि, घाटा अथवा टोटा हुआ हो; ऋणी, $कजऱ्दार; ऋणदाता, $कजऱ्ख़्वाह।
$गरीर (अ़.वि.)-अनाड़ी, वह युवक जो अनुभवी न हो; जामिन, प्रतिभू, साक्षी; (पु.)-शुभ्र प्रकृति, अच्छा स्वभाव, अच्छी अ़ादत।
गरूगर ($फा.पु.)-ईश्वर के नामों में से एक, जिसका अर्थ है-'मनोरथ अथवा कामनाएँ पूरी करनेवालाÓ।
$गरूब (अ़.पु.)-दे.-'$गुरूबÓ, वही उच्चारण शुद्घ है।
$गरूर (अ़.वि.)-मक्कार, छली, धोखेबाज़; अभिमान, घमण्ड; दवाओं का वह पानी जिससे गऱारा करें।
$गरेब ($फा.पु.)-कोलाहल, शोर, हुल्लड़।
गरेबाँ ($फा.पु.)-दे.-'गरेबानÓ।
गरेबान ($फा.पु.)-कपड़े या जामे का वह हिस्सा जो गले के नीचे रहता हो; लिबास का वह हिस्सा जो छाती पर रहता है; कुरते आदि में गले पर का भाग। शुद्घ उच्चारण 'गिरेबानÓ है। 'गरेबाँ चाक करनाÓ-दीवानगी या वहशत में कपड़े फाडऩा। 'गरेबान में सर या मुँह डालनाÓ-शर्मिन्दा होना।
गरेबानगीर ($फा.वि.)-रोकनेवाला।
गरेबानदरी ($फा.स्त्री.)-गरेबान फाडऩा।
गरेबानदरीद: ($फा.वि.)-गरेबान फाड़े हुए।
गरोह ($फा.पु.)-गिरोह, झुण्ड, जत्था, समूह।
$गर्क: (अ़.वि.)-निमग्न, डूबा हुआ।
$ग$र्क (अ.पु.)-निमज्जन, पानी में डूबना। (वि.)-निमग्न, डूबा हुआ। 'ख़्वाबों में क्या $ग$र्क हुआ है, ख़्ाुद से रिश्ता तर्क हुआ हैÓ-राम अवतार नायक
$गर्क़एअ़र्क़ (अ़.$फा.वि.)-पसीने में डूबा हुआ, तर-बतर, (ला.)-लज्जित, शर्मिन्दा।
$ग$र्कए ख़्ाूँ (अ़.$फा.वि.)-रक्त में सना हुआ, ख़्ाून में डूबा हुआ, रक्त-रंजित।
$गर्क़ए$िफक्र (अ़.$फा.वि.)-चिन्ताग्रस्त, $िफक्र में डूबा हुआ।
$ग$र्काब (अ़.$फा.वि.)-निमज्जित, निमग्न, पानी में डूबा हुआ; नशे में चूर; (ला.)-बहुत व्यस्त, निहायत मश$गूल, (पु.)-डूबना, निमज्जन; डुबाऊ पानी।
$ग$र्की (अ़.स्त्री.)-डूबना; बाढ़, जल-प्लावन, पानी में डूबी हुई ज़मीन; जुलाहों के कपड़ा बुनने का गड्ढ़ा; एक प्रकार की कम अर्ज़ की लँगोटी। '$ग$र्की आनाÓ-बाढ़ आना।
$गर्कुल: (अ़.पु.)-अण्डा गन्दा होना।
गर्ग ($फा.पु.)-खुजली, खर्जूर, खाज।
$ग$र्गर: (अ़.पु.)-मुँह में पानी लेकर फिराना, $गरारा करना, आचमन।
$ग$र्गर (अ़.पु.)-सूत लपेटने की चख्ऱ्ाी।
गर्गी (फा.वि.)-जिसे खाज अथवा खुजली का रोग हो।
$गर्च: (फा.वि.)-नामर्द, नपुंसक, क्लीव; बुद्धू, मूर्ख, नादान।
गर्च ($फा.पु.)-गिरेबान का चाक।
$गर्चक ($फा.वि.)-नादान, मूर्ख, घामड़, बुद्धू।
$गजऱ् (अ़.पु.)-गोदना, भेदना, छेदना।
$गजऱ्ी (अ़.$फा.वि.)-$गरज़मंद, हाजतमंद, स्वार्थी।
$गजऱ्त (अ़.स्त्री.)-स्वभाव, प्रकृति, तबीअ़त।
गजऱ्मान ($फा.पु.)-सबसे ऊपर का आकाश।
गर्दंग ($फा.पु.)-भगभोगी, भडुवा, स्त्री की कमाई खाने-वाला।
गर्द: ($फा.पु.)-पिसा हुआ कोयला जो सुई से छिदे हुए कागज़़ पर फेरका बेल-बूटे बनाने के काम आता है; छिदा हुआ कागज़़ जिस पर बेल-बूटे बने होते हैं और जिस पर कोयला फेरकर बेल-बूटों को अन्य वस्तुओं पर छापा जाता है।
गर्द ($फा.स्त्री.)-धूलि, रज, ख़्ााक, $गुबार; शह्र, नगर; भास्कर, सूरज, सूर्य; खेद, रंज; लाभ, नफ़ा; एक अच्छा रेशम; (प्रत्य.)-फिरनेवाला, जैसे-'जहाँगर्दÓ-दुनिया-भर में फिरनेवाला, 'आवारागर्दÓ-बेकार में इधर-उधर फिरनेवाला। 'गर्द-गुबारÓ-धूल-मिट्टी। 'गर्द-ए-मलालÓ-मन का मैल। 'गर्द-ए-स$फरÓ-मार्ग की धूल। 'गर्द को न छू सकनाÓ अथवा 'गर्द को न पानाÓ-बराबरी न कर सकना। 'गर्द को न लगनाÓ-बराबर न होना। 'गर्द होनाÓ-मात होना, बेरौन$क होना।
गर्दआलूद ($फा.वि.)-दे.-'गर्दालूदÓ।
गर्द ओ $गुबार, गर्दो$गुबार ($फा.पु.)-ख़्ााक-धूल, धूल-मिट्टी।
गर्दख़्ाोर ($फा.वि.)-जो गर्द या धूल आदि पडऩे पर जल्दी मैला या ख़्ाराब न हो।
गर्दन ($फा.स्त्री.)-धड़ और सिर को जोडऩेवाला अंग, ग्रीवा, गला; कंठ, हल्$क। मुहा.-'गर्दन उठानाÓ-विरोध करना। 'गर्दन काटनाÓ-मार डालना। 'गर्दन मारनाÓ-सिर काटना, मार डालना। 'गर्दन में हाथ देनाÓ-गर्दन पकड़कर बाहर कर देना।
गर्दनकश ($फा.वि.)-विद्रोही, बाग़ी; अवज्ञाकारी, ना$फर्मान, आज्ञा न माननेवाला; अक्खड़, उद्दण्ड।
गर्दनकशी ($फा.स्त्री.)-विद्रोह, बग़ावत; अवज्ञा, ना$फर्मानी, उपेक्षा; अक्खड़पन, उद्दण्डता।
गर्दनज़दनी ($फा.वि.)-वध्य, हंतव्य, जो गर्दन मारने अथवा काटने के योग्य हो।
गर्दनजऩ ($फा.वि.)-गर्दन काटनेवाला, जल्लाद; वधिक, $कातिल, $कसाई।
गर्दनजऩी ($फा.स्त्री.)-गर्दन काटने का काम; जल्लादी; $कसाईपन।
गर्दनाम:, गर्दनामा ($फा.पु.)-वह चौकोर का$गज़ का टुकड़ा जिस पर दुअ़ाएँ लिखकर इस आशय से किसी खम्भे या पेड़ से बाँधते हैं कि भागा हुआ व्यक्ति वापस आ जाए।
गर्दन$फराज़ ($फा.वि.)-गर्दन ऊँची करके चलनेवाला; बड़े पद अथवा पदवीवाला; गौरवशाली।
गर्दनबारीक ($फा.वि.)-अधीन, वशीभूत, मुतीअ़; असहाय, दीन, बेबस, लाचार।
गर्दनी ($फा.पु.)-थप्पड़, चाँटा; (स्त्री.)-घोड़े को ओढ़ाने का कपड़ा; घोड़े की झूल; कुश्ती का एक पेंच; एक आभूषण जो गर्दन में पहना जाता है, गले में पहनने की हँसली।
गर्द:पैकर ($फा.पु.)-चित्रकार, $फोटोगा$फर।
गर्दां ($फा.वि.)-चक्कर खाता हुआ, घूमता हुआ, घूर्णित, फिरनेवाला, घूमनेवाला।
गर्दा ($फा.पु.)-लट्टू, गोली।
गर्दान ($फा.स्त्री.)-व्याकरण में कारकों या लकारों की आदि से अन्त तक कंठ-पुनरावृत्ति; शब्दों का रूप-साधन; फेर, फिराव, घूमना, मुडऩा, लौटना; $कुरान-शरी$फ दोहराना; (पु.)-वह कबूतर जो घूम-फिरकर अपने ही स्थान पर आता हो, (वि.)-घूम-फिरकर एक ही स्थान पर आनेवाला; उलटा हुआ, पलटा हुआ।
गर्दानक ($फा.पु.)-सप्तर्षिमण्डल (दुब्बो अक्बर) के दो तारों के नाम।
गर्दानना (उ.क्रि.स.)-लपेटना; दोहराना; शब्द के रूपों की पुनरावृत्ति करना; शब्दों का रूप साधना; बार-बार कहना; किसी के अन्तर्गत समझना; उद्घरणी करना; कुछ समझना या मानना; स्वीकार करना; मिलाना, फँसाना; खुली हुई किताब बन्द करना; ध्यान दिलाना।
गर्दानीदन ($फा.क्रि.)-फिराना, लौटाना, लपेटना।
गर्दालूद ($फा.वि.)-धूलि-धूसर, धूल से अटा हुआ; धूल्याक्त, धूल मिला हुआ।
गर्दिद: ($फा.वि.)-चक्कर खानेवाला, फिरनेवाला, घूमने-वाला।
गर्दिश ($फा.स्त्री.)-फेर, दौरा, घुमाव, चक्कर, फिराव; भ्रमण, सैर-सपाटा; दुर्भाग्य, बद$िकस्मती, बदनसीबी; कालचक्र, आपत्ति का समय, मुसीबत, विपत्ति। 'गर्दिश में आनाÓ-विपत्ति में पडऩा।
गर्दिशज़द: ($फा.वि.)-मुसीबत का मारा, कालचक्रग्रस्त।
गर्दिशज़दगी ($फा.स्त्री.)-आ$फत या मुसीबत का मारा होना, कालचक्रग्रस्तता।
गर्दिशज़दा ($फा.वि.)-दे.-'गर्दिशज़द:Ó, वही शुद्घ है।
गर्दिशेअय्याम ($फा.स्त्री.)-दिनों का फेर, बदनसीबी, बद-$िकस्मती।
गर्दिशे दौराँ ($फा.स्त्री.)-समय का उलट-फेर, समय का चक्कर, कालचक्र, ज़माने की गर्दिश।
गर्दिशे पैमान: ($फा.स्त्री.)-शराब का दौर, मदिरा के पियाले (प्याले) का चक्कर, पान-गोष्ठी।
गर्दिशे पैहम ($फा.स्त्री.)-निरन्तर चक्कर, लगातार आपत्तियाँ या विपत्तियाँ।
गर्दिशेबख़्त ($फा.स्त्री.)-दिनों का फेर, बदनसीबी, बद-$िकस्मती।
गर्दिशे रोजग़ार ($फा.स्त्री.)-दे.-'गर्दिशे दौराँÓ।
गर्दिशे लैलोनिहार (अ़.$फा.स्त्री.)-रात-दिन का उलट-फेर, समय का फेर, समय का चक्कर।
गर्दिशे हादिसात (अ़.$फा.स्त्री.)-विपत्तियों और आपत्तियों का ताँता, दुर्घटनाओं का चक्कर।
गर्दी ($फा.स्त्री.)-घूमना-फिरना, जैसे-'आवार:गर्दीÓ।
गर्दीद: ($फा.वि.)-घूर्णित, घूमा हुआ, फिरा हुआ; वापस आया हुआ, लौटा हुआ।
गर्दीदनी ($फा.वि.)-चक्कर खाने योग्य, फिरने योग्य, घूमने योग्य।
गर्दूं ($फा.पु.)-नभ, आकाश, व्योम, आस्मान; शकट, गाड़ी, रथ, छकड़ा। 'गर्दूं पर कुलाह फेंकनाÓ-ख़्ाुशी से इतराना, घमण्ड करना।
गर्दूंअसास (अ़.$फा.वि.)-जिसकी नींव आकाश में हो, बहुत बड़े पदवाला, बहुत प्रतिष्ठित।
गर्दूंइक़्ितदार (अ़.$फा.वि.)-आकाश-जैसी सत्ता वाला, बहुत-ही प्रतिष्ठित, अत्यंत वैभवशाली।
गर्दूंजाह ($फा.वि.)-दे.-'गर्दूंइक़्ितदारÓ।
गर्दूंसरीर (अ़.$फा.वि.)-जिसका सिंहासन आकाश हो, अत्यंत महत्तावाला, बहुत वैभवशाली।
गर्देमलाल (अ़.$फा.स्त्री.)-मन का मैल, मनोमालिन्य, रंजिश, दिल का $गुबार।
गर्देस$फर (अ़.$फा.स्त्री.)-यात्रा की थकन, स$फर की थकान।
$गर्नात: (अ़.पु.)-स्पेन का एक नगर।
$गर्फ़: (अ़.पु.)-अंजुलि में एक बार पानी लेना, चुल्लू से एक बार पानी उठाना।
$गर्ब (अ़.पु.)-पश्चिम दिशा, पश्चिम; सूर्य का अस्त होना; बड़ा डोल, पुर।
$गर्बलत (अ़.स्त्री.)-छलनी या चलनी में छानना; काटना, विच्छेदन; हत्या करना।
$गर्बाल (अ़.स्त्री.)-आटा आदि छानने का यंत्र, छलनी, चलनी, चालिनी।
$गर्बिय: ($फा.स्त्री.)-पीसने का यंत्र, चक्की, पेशणी।
$गर्बी (अ़.वि.)-पाश्चात्य, पश्चिमी, पश्चिम दिशा का; यूरोप का, मग्रि़बी।
$गर्बीब (अ़.वि.)-जो बहुत काला हो, अत्यन्त श्यामवर्णी।
गर्म: ($फा.पु.)-शुरू का फल; प्रारम्भिक ख़्ारबूजा।
गर्म ($फा.वि.)-तत्ता, जो गरम हो, तप्त, उष्ण; जलता हुआ; गर्म तासीरवाला, उष्णवीर्य; क्रुद्घ, कुपित; तीव्र, तेज़; तेज़ रफ़्तार; शीघ्र, जल्द; तत्पर, मुस्तैद। 'गर्म इख़्तलातीÓ-गहरी दोस्ती।
$गर्म (अ़.पु.)-रात का अँधेरा होना।
गर्मइनाँ (अ़.$फा.वि.)-द्रुतगामी, तेज़ चलनेवाला; तेज़ चलने वाला घोड़ा; तेज़ चलने वाला सवार।
गर्मक ($फा.पु.)-स$फेद ख़्ारबूज़ा; उबाले हुए मटर।
गर्मख़्ाूँ ($फा.वि.)-पक्का मित्र, जिगरी यार, लँगोटिया यार; दयालु, कृपालु, मेहरबान।
गर्मख़्ाू ($फा.वि.)-उग्र स्वभाव, तीव्र प्रकृति, तेज़ मिज़ाज।
गर्मख़्ोज़ ($फा.वि.)-हर पल काम के लिए तत्पर, सन्नद्घ; फुर्तीला और चालाक।
गर्म गर्म ($फा.वि.)-ताज़ी सिकी या भुनी हुई चीज़, गर्मा-गर्म।
गर्मजोश ($फा.वि.)-चुस्त, मिलनसार; तन्मय, तल्लीन।
गर्मजोशी ($फा.स्त्री.)-शौ$क, जोश, सरगरमी, तपाक, संभ्रान्ति; बहुत गाढ़े प्रेम का प्रदर्शन; प्रेम या अनुराग का आधिक्य।
गर्मजौलाँ ($फा.वि.)-शीघ्रगामी, द्रुतगति, तेज़ रौ।
गर्मजौलानी ($फा.स्त्री.)-शीघ्रगमन, तेज़ रफ़्तारी, तेज़ चलना।
गर्मतर ($फा.वि.)-उष्णतर, अधिक गर्म; जिस औषधि में गर्मी के साथ तरी हो।
गर्मतरीन ($फा.वि.)-उष्णतम, परमोष्ण, अत्यधिक गर्म।
गर्मदिमा$ग (अ़.$फा.वि.)-अभिमानी, घमण्डी; चिड़चिड़ा।
गर्मदिमा$गी (अ़.$फा.स्त्री.)-अहंकार, घमण्ड; चिड़चिड़ापन।
गर्मबाज़ारी ($फा.स्त्री.)-भाव की तेज़ी, ग्राहकों द्वारा माल की बहुत अधिक माँग; व्यापार की अधिकता; रौन$क, चहल-पहल।
गर्ममिज़ाज (अ़.$फा.वि.)-जिसे जल्दी क्रोध आ जाए; तुनुक मिज़ाज, चिड़चिड़े स्वभाववाला; जिसकी प्रकृति गर्म हो।
गर्ममिज़ाजी (अ़.$फा.स्त्री.)-जल्दी क्रोध आना; तुनुक-मिज़ाजी, चिड़चिड़ापन; प्रकृति की उष्णता।
गर्मरफ़्तार ($फा.वि.)-द्रुतगति, शीघ्रगामी, तेज़ चलनेवाला, गतिशील।
गर्मरफ़्तारी ($फा.स्त्री.)-शीघ्र गति, चाल की तेज़ी, तेज़ चलना।
गर्मरवी ($फा.स्त्री.)-दे.-'गर्मरफ़्तारीÓ।
गर्मरौ ($फा.वि.)-दे.-'गर्मरफ़्तारÓ।
गर्मसेर ($फा.पु.)-वह स्थान जहाँ की जलवायु गर्म हो।
गर्मा ($फा.पु.)-ग्रीष्मऋतु, गर्मी का मौसम; उष्णकाल, गर्मी का समय।
गर्माई ($फा.स्त्री.)-गर्मी; शरीर को गर्म करनेवाली अथवा पौष्टिक वस्तु।
गर्मागर्म ($फा.वि.)-तत्ता, उष्ण; एकदम गरम।
गर्मागर्मी ($फा.स्त्री.)-ज़ोर-शोर, धूमधाम; तेज़मतेज़ी, बातचीत में होनेवाली तेज़ी या उग्रता, मौखिक युद्घ, वाग्युद्घ।
गर्माना (उ.क्रि.)-गरम होना या करना; $गुस्सा होना या करना; पशु का मस्त होना।
गर्माब: ($फा.पु.)-हम्माम, जहाँ गर्म पानी मिले, गर्म पानीवाला स्नानागार; गर्म पानी की टंकी।
गर्माबा ($फा.पु.)-दे.-'गर्माब:Ó, वही उच्चारण शुद्घ है।
गर्मिए बाज़ार ($फा.स्त्री.)-बाज़ार में भाव की तेज़ी, ग्राहकों की बहुतायत, माल की अधिक माँग।
गर्मी ($फा.स्त्री.)-एक रोग जो प्राय: दुष्ट मैथुन से उत्पन्न होता है, आतशक, $िफरंग, उपदंश, गर्मी रोग; उष्णिमा, उष्णता, तपिश; ज़ोर, तीव्रता; ताप, हरारत, बुखार, ज्वर; ग्रीष्म ऋतु; सरगर्मी, तेज़ी, उमंग; क्रोध, रोष, $गुस्सा; गर्व, अभिमान, घमण्ड़, हेकड़ी; कामेच्छा, शहवत। मुहा.-'गर्मी निकालनाÓ-गर्व दूर करना।
गर्मीदान: ($फा.पु.)-अलाई, मरहोरी, घमौरी, अन्हौरी, धर्म-चर्चिका।
गर्मे सुख़्ान ($फा.वि.)-बातचीत में व्यस्त, बातें करता हुआ, वार्तालाप करता हुआ।
गर्मोसर्द ($फा.पु.)-शीतोष्ण, ठण्डा और गर्म; ज़माने की ऊँच-नीच, निशेबो$फराज़; सांसारिक दु:ख-सुख।
गर्मोसर्द चशीद: ($फा.वि.)-ज़माने की ऊँच-नीच देखे हुए; संसार के दु:ख-सुख झेले हुए, दुनिया की गर्म-ठण्डी हवाओं को सहे हुए; अनुभवी, तज्रिब:कार, बहुदर्शी।
$गर्र: (अ़.पु.)-अ़ाशि$क होना, मुग्ध होना, $फरेफ़्त: होना; गर्व, घमण्ड, अभिमान; हेकड़ी, अकड़।
$गर्रां (अ़.वि.)-ज़ोर से चीखता-चिल्लाता हुआ।
गर्रां ($फा.पु.)-पछने लगानेवाला, रगों अथवा नसों से दूषित रक्त खींचनेवाला; सेवक, दास, नौकर; नाई, नापित।
$गर्रा (अ़.स्त्री.)-प्रत्येक सा$फ, स्वच्छ और उज्ज्वल वस्तु जो स्त्रीलिंग हो।
$गर्व (अ़.पु.)-नरकट, नरसल, जिके $कलम बनते हैं।
गर्व (सं.पु.)-घमण्ड, अहंकार; एक संचारी भाव।
$गर्वाश: ($फा.पु.)-पुचकारा, पुचारा।
$गर्वाश ($फा.पु.)-दे.-'$गर्वाश:Ó।
$गर्शीदन ($फा.क्रि.)-कुपित होना, क्रोध करना, नाराज़ होना, $गुस्सा करना।
$गर्स (अ़.स्त्री.)-भूख, क्षुधा। इसका 'सÓ उर्दू के 'सेÓ अक्षर से बना है।
$गर्स (अ़.पु.)-वृक्षारोपण, पेड़ लगाना, वृक्ष रोपना; लगाया हुआ पेड़। इसका 'सÓ उर्दू के 'सीनÓ अक्षर से बना है।
$गर्सान (अ़.वि.)-भूखा, क्षुधित।
$गल [ल्ल] (अ़.पु.)-अन्दर या भीतर जाना; अन्दर या भीतर ले जाना।
$गल$क (अ़.पु.)-अर्गल, किवाड़ बन्द करने की लकड़ी।
गलख़्ाप (उ.स्त्री.)-हाथापाई, झगड़ा।
$गलत: (अ़.पु.)-मोटा रेशमी कपड़ा।
$गलत (अ़.पु.)-भ्रम-मूलक, त्रुटिपूर्ण, अशुद्घ, जो ठीक न हो; असत्य, झूठ, मिथ्या; भूल, त्रुटि; अनुचित, $गैरवाजिब; अशुद्घि, हिसाब की $गलती।
$गलत अंदाज़ (अ़.$फा.वि.)-जो निशाने पर न लगे, लक्ष्य-भ्रष्ट; भ्रम अथवा धोखे में डालनेवाला (वाली); ऐसी भ्रामक दृष्टि, जो हो तो किसी और की तर$फ मगर समझे कोई अपनी तर$फ (इस शब्द का प्रयोग 'दृष्टिÓ के साथ ही होता है); भूलभुलैया।
$गलत उल अ़वाम (अ़.पु.)-दे.-'$गलतुलअ़वामÓ।
$गलतकार (अ़.$फा.वि.)-अंट-शंट काम करनेवाला; काम में बहुधा चूक जानेवाला; $गलतियाँ करनेवाला, जानबूझकर काम ख़्ाराब करनेवाला।
$गलतकारी (अ़.$फा.स्त्री.)-जानते-बूझते काम ख़्ाराब करना; काम में चूकना; अंट-शंट काम करना।
$गलतगो (अ़.$फा.वि.)-जो सच न बोले, मिथ्यावादी, झूठा, $गलत बोलनेवाला, असत्य वक्ता।
$गलतगोई (अ़.$फा.स्त्री.)-सच न बोलना, मिथ्यावाद, असत्य वार्ता, झूठ बोलना।
$गलतनाम: (अ़.$फा.पु.)-शुद्घिपत्र, किसी पुस्तक आदि के अन्त में उसकी अशुद्घियों का परिशिष्टï, अशुद्घियों की सूची।
$गलतनामा (अ़.$फा.पु.)-दे.-'$गलतनाम:Ó, वही शुद्घ है।
$गलत$फह्म (अ़.वि.)-नासमझ, अबोध।
$गलत$फह्मी (अ़.स्त्री.)-बोध-भ्रम, भ्रम में कुछ का कुछ समझना; बदगुमानी, कुधारणा।
$गलतबयाँ (अ़.वि.)-दे.-'$गलतगोÓ।
$गलतबयानी (अ़.स्त्री.)-दे.-'$गलतगोईÓ।
$गलतबर्दार (अ़.$फा.वि.)-वह रबर (रबड़) आदि जिससे का$गज़ से अशुद्घ अक्षर मिटाया जाता है; वह का$गज़ जिस पर से अशुद्घ अक्षर सुगमता से बदला जा सके है, अशुद्घिशोधक।
$गलतबीं (अ़.$फा.वि.)-केवल दोष और ऐब ही देखनेवाला, जिसे किसी व्यक्ति के दोष ही दोष दिखाई दें, उसकी ख़्ाूबियाँ और अच्छाइयाँ नजऱ न आएँ, छिद्रान्वेषी।
$गलतबीनी (अ़.$फा.स्त्री.)-किसी के सद्गुणों को छोड़कर केवल उसकी बुराइयों को देखने का कर्म अथवा भाव।
$गलताँ ($फा.पु.)-लोटता हुआ, लुढ़कता हुआ, तड़पता हुआ। दे.-'$गल्ताँÓ।
$गलताँ-पेचाँ ($फा.वि.)-दे.-'$गल्ताँ व पेचाँÓ।
$गलती (अ़.स्त्री.)-भ्रम, चूक, धोखा; त्रुटि, अशुद्घि, भूल।
$गलतुलअ़वाम (अ़.पु.)-वह $गलती जो अनपढ़ और गँवार लोग करें, अज्ञानी और कुपढ़ लोगों द्वारा की जानेवाली भूल या $गलती; सर्वसाधारण का वह कार्य जिसे विद्वान लोग ठीक न मानें।
$गलतुलअ़ाम (अ़.पु.)-वह $गलती जो विद्वज्जन करें और शुद्घ मान ली जाए।
गलना (हिं.क्रि.अक.)-किसी वस्तु का घनत्व कम या नष्ट होना; बहुत जीर्ण होना; बदन सूखना, शरीर का दुबला होना; अधिक ठण्ड से हाथ-पैर ठिठुरना; बे-काम होना, निष्फल होना।
$गल$फ (अ़.पु.)-वैभव की बहुतायत या अधिकता; देश में अन्न की बहुतायत; ख़्ात्ना न करना।
$गलब: (अ़.पु.)-प्राचुर्य, अधिकता, बहुतायत, ज़्यादती, भीड़, हुजूम; प्रभाव का आधिक्य, मत-बाहुल्य, बहुमत, कस्रते राय, जीत, प्रधानता, प्रभुत्व; विजय-प्राप्ति, तसल्लुत, प्रभुत्व, सत्ता, इक़्ितदार; हमला, आक्रमण; सामूहिक झगड़ा या मार-काट, रक्तपात। '$गलबा करनाÓ-हमला करना, चढ़ाई करना। '$गलबा पानाÓ-विजय प्राप्त करना, जीत हासिल करना।
$गलब (अ़.पु.)-जीतना, विजयी होना, $गालिब होना, प्रभुत्व जमाना या $कायम करना; ना$फर्मानी करना, अवज्ञाकारी होना, आदेश न मानना।
$गलबा (अ़.पु.)-दे.-'$गलब:Ó, वही उच्चारण शुद्घ है।
$गलबात (अ़.पु.)-'$गलब:Ó का बहु., $गलबे।
$गलयान (अ़.पु.)-उबाल, जोश।
$गलल (अ़.स्त्री.)-प्यास, पिपासा, तृषा; मनस्ताप, ख़्ालिश, रंजिश; जलन, सोजि़श।
$गलस (अ़.स्त्री.)-रात्रि के अन्त का अँधियारा।
$गला (अ़.पु.)-अन्न आदि का भाव तेज़ हो जाना; अकाल, दुर्भिक्ष, $कह्त।
गला (हिं.पु.)-शरीर का वह भाग जो सिर को धड़ से जोड़ता है; कण्ठ, गरदन; गले के भीतर की वह नाली जिससे शब्द निकलता और भोजन अन्दर जाता है; कण्ठ का स्वर; बर्तन के मुँह के नीचे का भाग। 'गला काटनाÓ-गरदन पर छुरी फेरना; धड़ से सिर अलग करना; अत्यधिक कष्ट देना; अन्याय करना।
$गलाज़त (अ़.स्त्री.)-दे.-'$िगलाज़तÓ।
गलाना (हिं.क्रि.सक.)-किसी धातु के संयोजक अणुओं को पृथक्-पृथक् करके उनको द्रवित करना; नरम या मुलायम करना, पुलपुला करना, धीरे-धीरे किसी वस्तु को लुप्त करना; ख़्ार्च करना, धन व्यय करना।
$गलि$क (अ़.पु.)-वह बात जो कठिनता से समझ में आए, गूढ़, निगूढ़।
$गलिब (अ़.वि.)-विजित, $गालिब; अवज्ञाकारी, ना$फर्मान, सरकश, आदेश न माननेवाला।
$गलिम (अ़.वि.)-प्रखर इच्छा, तीव्रकाम।
गली (हिं.स्त्री.)-घरों की दो पंक्तियों के बीच पतला और संकीर्ण रास्ता।
$गलीज़ (अ़.पु.)-विष्ठा, मल; (वि.)-गाढ़ा, निविड़; प्रगाढ़, सघन। इसका 'ज़Ó उर्दू के 'ज़ोयÓ अक्षर से बना है।
$गलीज़ (अ़.वि.)-प्रगाढ़, गाढ़ा, मोटा, दबीज़, दलदार। इसका 'ज़Ó उर्दू के 'ज़ेÓ अक्षर से बना है।
$गलीज़ुल $िकवाम (अ़.वि.)-जिसकी चाशनी गाढ़ी हो गई हो; जो धातु आदि दूषित होकर गाढ़ी हो गई हो।
$गलील (अ़.वि.)-प्यासा, पिपासित, (पु.)-द्वेष, कीन:; मनस्ताप, दिली रंज, मन का मलाल, दिल का $गुबार; प्यास की तीव्रता।
$गलीस (अ़.पु.)-जौ और गेहूँ मिला हुआ, गुजई; प्रत्येक वह वस्तु जिसमें दूसरी वस्तु मिली हो।
$गलूल (अ़.पु.)-वह भोजन, जो रोगियों और बूढ़े लोगों को सुगमता से पच जाए।
$गल्$क (अ़.पु.)-दरवाज़ा बन्द करना; भूमि में गहरे तक घुसना; बंधन, बाँधना; घृणा, न$फरत, कराहियत।
$गल्ग़ल: (अ़.पु.)-द्रुत गमन, शीघ्र गमन, तेज़ चलना।
$गल्ज़ (अ़.पु.)-ऊबड़-खाबड़ और असमतल नीची भूमि।
$गल्ज़त ($फा.पु.)-दे.-'$िगल्ज़तÓ, दोनों शुद्घ हैं।
$गल्तक ($फा.पु.)-करवट लेना, पहलू बदलना; गाड़ी का पहिया, चक्र।
$गल्ताँ ($फा.वि.)-लुंठायमान, लुढ़कता हुआ, लोटता हुआ।
$गल्ताँ व पेचाँ ($फा.वि.)-लुढ़कता और बल खाता हुआ; असमंजस और दुविधा में पड़ा हुआ, किंकत्र्तव्य-विमूढ।
$गल्$फ (अ़.पु.)-तलवार आदि को म्यान में करना; सिर और दाढ़ी के बालों में सुगन्ध लगाना।
$गल्फ़क़ (अ़.पु.)-काई, जो पानी पर होती है; पानी में होने वाली एक घास; नर्म धनुष।
$गल्ब: (अ़.पु.)-दे.-'$गलब:Ó, वही शुद्घ है मगर उर्दूवाले इसका भी प्रयोग करते हैं।
$गल्ब (अ़.पु.)-विद्रोह के लिए उद्यत होना, विद्रोही होना, बा$गी होना; अवज्ञाकारी और उद्दण्ड होना।
$गल्बा (अ़.पु.)-वह स्थान जहाँ बहुत घने पेड़ हों; झुण्ड की लड़ाई, दो $गोलों (दो सैनिक-दलों अथवा दो समूहों या समुदायों) में आपसी मारकाट।
$गल्म: (अ़.पु.)-काम-वासना की तेज़ी, संभोग या शहवत का जोश।
$गल्म (अ़.पु.)-कामातुर होना, कामवासना से बेचैन होना; तेज़ चलना।
$गल्यान (अ़.पु.)-दे.-'$गलयानÓ, वही शुद्घ है, मगर उर्दूवाले 'लÓ को हल् भी कर देते हैं।
$गल्ल: (अ़.पु.)-अन्न, अनाज, दाना, धान्य; वह धन जो दिन-भर के माल बिकने से प्राप्त हो; दुकानदार का बिक्री का पैसा रखने का पात्र, गोलक।
गल्ल: ($फा.पु.)-रेवड, झुण्ड, $गोल; गाय-भैसों अथवा भेड़-बकरियों का झुण्ड।
ग़ल्ल:$फरोश (अ़.$फा.वि.)-अन्न-विक्रेता, अनाज बेचने- वाला।
गल्ल:बान ($फा.वि.)-पशुओं के झुण्ड की रखवाली करने- वाला, भेड़-बकरियाँ चरानेवाला, गड़रिया, चरवाहा।
गल्ल:बानी ($फा.स्त्री.)-भेड़-बकरियाँ चराना, चरवाहापन, पशुओं के झुण्ड या रेवड की देख-रेख का काम या पेशा।
$गल्ला (अ़.पु.)-दे.-'$गल्ल:Ó, वही उच्चारण शुद्घ है।
गल्ला ($फा.पु.)-दे.-'गल्ल:Ó, वही उच्चारण शुद्घ है।
$गल्लाब (अ़.वि.)-वह व्यक्ति जो प्रत्येक जगह जीत प्राप्त करता हो, सदाविजयी।
$गल्ली ($फा.वि.)-वह लगान जो $गल्ले की सूरत में दिया जाए।
गल्लेबान ($फा.पु.)-दे.-'गल्ल:बानÓ, वही शुद्घ है।
गल्लेबानी ($फा.स्त्री.)-दे.-'गल्ल:बानीÓ।
गव ($फा.पु.)-नीची भूमि; गर्त, गड्ढ़ा; पूज्य, बुज़ुर्ग; योद्घा, जवाँमर्द; पहलवान, मल्ल।
$गव$क (अ़.पु.)-गहरी और गन्दी भूमि।
गवक ($फा.पु.)-गर्त, गड्ढ़ा, छोटा गड्ढ़ा।
गवज़ ($फा.पु.)-'गवज़्नÓ का लघु., दे.-'गवज़्नÓ।
गवज़्न ($फा.पु.)-बारहसिंघा, विकटश्रृंग।
गवाँ ($फा.पु.)-'गवÓ का बहु., बहुत-से पहलवान; अनेक योद्घा; श्रेष्ठजन, बुज़ुर्ग लोग।
ग़वाइल (अ़.पु.)-'$गाइल:Ó का बहु., विपत्तियाँ, आपत्तियाँ, अनिष्ट-समूह; दैवी विपदाएँ, आ$फतें।
$गवादी (अ़.पु.)-'$गादिवÓ का बहु., प्रात:काल के बादल, भोर के बादल।
$गवानी (अ़.स्त्री.)-'ग़निय:Ó का बहु., वे स्त्रियाँ जिन्हें अपने सौन्दर्य और तरुणाई के कारण आभूषण आदि की ज़रूरत न हो।
$गवाम [म्म] (अ़.पु.)-सिर के बाल।
$गवामिज़ (अ़.पु.)-'$गामिज़:Ó का बहु., बात की गहराइयाँ, गूढ़ताएँ, नुक़्ते, छिपी हुई बातें।
$गवायत (अ़.स्त्री.)-गुमराही, कुमार्गता, पथ-भ्रष्टता।
गवार ($फा.प्रत्य.)-लाय$क, पसन्द, प्रिय, अच्छा लगनेवाला, जैसे-'ख़्ाुशगवारÓ। शुद्घ उच्चारण 'गुवारÓ है मगर उर्दू में 'गवारÓ ही बोलते हैं। यह यौगिक शब्दों के अन्त में प्रयुक्त होता है।
गवारा ($फा.वि.)-सह्य, सहन करने योग्य, अंगीकार करने के योग्य, $काबिले बर्दाश्त; रुचिकर, पसंदीद:। शुद्घ उच्चारण 'गुवाराÓ है मगर उर्दू में 'गवाराÓ ही बोलते हैं।
$गवाशी (अ़.पु.)-'$गाशिय:Ó का बहु., पर्दे, आड़ें; वस्त्र, लिबास; भीतरी रोग; बेसुध करनेवाले।
गवाह ($फा.पु.)-वह व्यक्ति जिसने किसी घटना को साक्षात् देखा हो अथवा जो घटना के विषय में पूरी जानकारी रखता हो, साक्षी, साखी, शाहिद, गवाही देनेवाला; सुबूत पहुँचानेवाला। शुद्घ उच्चारण 'गुवाहÓ है मगर उर्दू में 'गवाहÓ ही बोलते हैं।
गवाही ($फा.स्त्री.)-किसी घटना के विषय में ऐसे मनुष्य का कथन जिसने वह घटना देखी हो या जो उसके विषय में जानता हो, साक्षी का प्रमाण, साक्ष्य, शहादत, गवाही देने का काम।
गवाहे ऐनी (अ़.$फा.पु.)-प्रत्यक्ष गवाह, वह गवाह जिसके सामने कोई घटना घटित हुई हो, चश्मदीद गवाह, चाक्षुष साक्षी, प्रत्यक्ष साक्षी, घटना-स्थल का गवाह।
गवाहे हाशिय: (अ़.$फा.पु.)-वह गवाह जिसके हस्ताक्षर किसी दस्तावेज़ के हाशिए पर हों।
$गवी (अ़.वि.)-पथ-भ्रष्ट, मार्ग-भ्रष्ट, गुमराह, रास्ते से भटका हुआ, गलत रास्ते पर चलनेवाला।
गवेर (अ़.स्त्री.)-समतल भूमि, हमवार ज़मीन; जंगल; वह रेत जो गर्मियों की धूप में दूर से पानी के समान चमकती है और प्यासे उसे पानी समझकर उसकी ओर दौड़ते हैं।
ग़व्वामिज़ (अ़.पु.)-छिपी हुई बातें, गुप्त बातें, पोशीद: बातें; रहस्य, भेद।
$गव्वास (अ़.वि.)-डुबकी लगानेवाला, $गोताख़्ाोर, मज्जनार, $गोता लगाकर समुद्र से मोती आदि निकालनेवाला।
$गव्वासी (अ़.स्त्री.)-पानी में डुबकी लगाना, $गोताख़्ाोरी, $गोता मारने का काम, डुबकी लगाकर समुद्र के तल से मोती आदि निकालने का काम।
गश ($फा.वि.)-सुन्दर, हसीन; नाज़ोअदा से इठलाकर चलने वाला (वाली), (स्त्री.)-मूच्र्छा, बेहोशी। 'इक झलक देख के गश आने लगा है मुझको, रुख़्ो अनवार पे चिलमन को गिराए रखिएÓ-माँझी
$गश [श्श] (अ़.पु.)-अमानत में ख़्िायानत करना, शोषण; शुभ-चिन्तक न होना; जो मन में हो उसके ख़्िाला$फ कहना; अच्छी चीज़ में घटिया चीज़ मिलाना; मूच्र्छित होना।
गशन ($फा.वि.)-गुंजान, घना, (पु.)-समूह, भीड़, जमाव, (स्त्री.)-अधिकता, बहुतायत।
$गशयान (अ़.पु.)-बेहोश होना, होश खोना, मूच्र्छित होना।
$गशश (अ़.स्त्री.)-अँधियारा, अँधेरा, अँधेरापन, तीरगी।
$गशाव: (अ़.पु.)-दे.-'$िगशाव:Ó, दोनों शुद्घ हैं मगर वह अधिक प्रचलित है।
ग़शाश (अ़.पु.)-शीघ्रता, जल्दी।
गशिन ($फा.स्त्री.)-अधिकता, ज़्यादती।
गशी (अ़.स्त्री.)-गश, बेहोशी, मूच्र्छा।
गश्त: ($फा.वि.)-फिरा हुआ, बदला हुआ, घूमा हुआ।
गश्त ($फा.पु.)-टहलना, घूमना-फिरना, दौरा, पर्यटन, सैर-सपाटा, भ्रमण; चक्कर, गर्दिश; थानेवालों अर्थात् पुलिस की रात में घूम-फिरकर देखभाल, पहरेदारी।
गश्तगी ($फा.स्त्री.)-फिरत, फिराई; पर्यटन, सैरबाज़ी; मनोरंजन के लिए सैर-सपाटे करना या घूमना-फिरना।
गश्ता ($फा.वि.)-दे.-'गश्त:Ó, वही उच्चारण शुद्घ है।
गश्ती ($फा.पु.)-परिपत्र, सर्कुलर, वह आदेश जो किसी विभाग के सारे कर्मचारियों के लिए हो; (वि.)-निरीक्षण अथवा चौकीदारी के लिए गश्त लगानेवाला, दौरा करनेवाला, पहरेदार, जैसे-'गश्ती पुलिसÓ; मनोरंजन के लिए घूमने-फिरने या सैर-सपाटे करनेवाला; घूमता हुआ, फिरता हुआ, चलता हुआ।
$गश्न (अ़.पु.)-लकड़ी, लाठी या तलवार आदि से मारना।
गश्न ($फा.पु.)-दे.-'गशनÓ, गुंजान, घना।
$गस (अ़.वि.)-दुबला, पतला, दुर्बल; ख़्ाराब।
$गस$क (अ़.स्त्री.)-साँझ का झुरमुट, रात्रि का प्रारम्भिक अँधेरा, शुरू रात की अँधियारी; मोटा और निकृष्ट अन्न, जैसे-काकुन, सावाँ आदि।
$गसक ($फा.पु.)-एक प्रसिद्घ कीड़ा खटमल, मत्कुण।
$गस$फ (अ़.स्त्री.)-रात का अँधेरा, रात की अँधियारी।
$गसब (अ़.पु.)-दे.-'$गस्बÓ, वही उच्चारण शुद्घ है।
$गसयान (अ़.पु.)-उबकाई, मतली, जी मतलाना, उल्टी या पल्टी-सी आना।
$गसर (अ़.पु.)-जो तिनका आदि हवा से उड़कर आँख में गिरे।
$गसस (अ़.पु.)-खाद्य-पदार्थ का अटकना, निवाले का गले में अटक जाना।
$गसा$क (अ़.पु.)-गन्दी और बदबूदार चीज़, जैसे-पीप, मवाद आदि।
$गसियान (अ़.पु.)-दे.-'$गसयानÓ।
$गसिर (अ़.वि.)-गुप्त और शंकित काम।
$गसी (अ़.क्रि.)-उबकाई आना, मतली होना।
$गसील (अ़.वि.)-माँजा हुआ, धुला हुआ, शुद्घ, पवित्र।
गसीला (हिं.वि.)-जकड़ा हुआ, गुँथा हुआ; वह कपड़ा जिसके सूत की बुनावट ख़्ाूब मिली हुई हो।
$गसीस (अ़.पु.)-वे खजूर, या छुहारे जो गल-सड़ गए हों और खाने के योग्य न रहे हों।
$गसूल (अ़.पु.)-वह पानी, जिससे कुछ धोया जाए; हाथ-पैर धोने की वस्तु, जैसे-साबुन आदि।
$गस्$क (अ़.पु.)-आँख से आँसू बहना; आँख की रोशनी अथवा ज्योति का चला जाना, दृष्टि-अंधता; रात का बहुत अधिक अँधियारा होना।
गस्ती ($फा.स्त्री.)-बुराई।
$गस्ब (अ़.पु.)-बेईमानी से किसी का धन मारना या हड़प कर लेना; ज़बरदस्ती किसी के माल पर $कब्ज़ा कर लेना, बलाद्घरण, छीन लेना; निर्दयता से किसी के बाल उखेडऩा या उखाडऩा।
ग़स्बन (अ़.पु.)-ज़बरदस्ती, बलपूर्वक, बलात्, बेईमानी से।
$गस्बी (अ़.वि.)-उड़ाया या छीना हुआ माल; अनधिकृत।
$गस्र (अ़.पु.)-$कजऱ्दार से अपना $कजऱ् वसूलने के लिए उस पर ज़ुल्म या अत्याचार करना।
$गस्ल (अ़.पु.)-धोना, पानी आदि से सा$फ करना।
गस्सा (हिं.पु.)-ग्रास, कौर, हप्पा। 'गस्सा मारनाÓ-कौर मुँह में डालना।
$गस्सा$क (अ़.पु.)-दे.-'$गसा$कÓ।
$गस्साल: (अ़.स्त्री.)-नहलानेवाले की पत्नी, स्नापिका; मुर्दे को नहलानेवाले की पत्नी।
$गस्साल (अ़.वि.)-वह जो स्नान कराता हो, नहलानेवाला, स्नापक; मुर्दे को नहलाने वाला, मृतस्नापक।
$गस्सूल (अ़.पु.)-दे.-'$गसूलÓ।
गह ($फा.अव्य.)-'गाहÓ का लघु., दे.-'गाहÓ।
गह (हिं.स्त्री.)-पकडऩे की क्रिया या भाव, पकड़; हथियार आदि की मूँठ, दस्ता।
गहकना (हिं.क्रि.अक.)-चाह अथवा लालसा से भरना, ललकना; उमंग में आना।
गहगीर ($फा.पु.)-वह घोड़ा, जो अपनी पीठ पर किसी को सवार न होने दे।
गहन (हिं.पु.)-ग्रहण; कलंक; दोष; कष्ट, विपत्ति; बन्धन। (हिं.स्त्री.)-पकडऩे का भाव; हठ, जि़द, अड़; जोते हुए खेत से घास निकालने का औज़ार। (सं.वि.)-गम्भीर, गहरा, अथाह; घना, दुर्गम, दुर्भेद्य; कठिन, दुरूह, निविड़। (सं.पु.)-गहराई, थाह; दुर्गम स्थान; वन में का गुप्त स्थान; दु:ख, कष्ट; जल।
$गहब (अ़.स्त्री.)-इरादे का न होना; असावधानी, $गफ़्लत; अज्ञान, अनजानपन; विस्मृति, भूल।
गहरा (सं.वि.)-जिसकी थाह बहुत अन्दर या नीचे हो, गम्भीर; जिसका विस्तार नीचे की ओर अधिक हो; बहुत, अधिक; कठिन; गाढ़ा।
गहराई (हिं.स्त्री.)-'गहराÓ होने का भाव, गहरापन।
गहे ($फा.अव्य.)-'गाहेÓ का लघु., दे.-'गाहेÓ।
गह्वार: ($फा.पु.)-पालना, झूला, हिंडोला, बच्चों के झूलने और सोने का खटोला।
गह्वार:जुंबाँ ($फा.वि.)-पालना झुलानेवाला (वाली)।
गह्वार:जुंबानी ($फा.स्त्री.)-पालना झुलाने का काम या पेशा, हिंडोला हिलाने का काम।
गह्वारा ($फा.पु.)-दे.-'गह्वार:Ó, वही शुद्घ उच्चारण है।
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