गै, $गै
---------------------------------------------------------------------------
गैंती (हिं.स्त्री.)-मिट्टी खोदने का एक यंत्र।$गै (अ़.पु.)-निराशा, नाउम्मीदी; नरक में एक स्थान; कुमार्गता, गुमराही।
$गैज़: (अ़.पु.)-शेर या व्याघ्र की कछार; जंगल, वन।
$गैज़ (अ़.पु.)-अत्यधिक क्रोध, प्रकोप; भीतरी क्रोध, अमर्ष। इसका 'ज़Ó उर्दू के 'ज़ोयÓ अक्षर से बना है।
$गैज़ (अ़.पु.)-समय से पूर्व उत्पन्न हुआ शिशु, अधूरे दिनों का उत्पन्न बच्चा; भाव का मन्दा होना; ज़मीन में धँसना। इसका 'ज़Ó उर्दू के 'ज़्वादÓ अक्षर से बना है।
$गैज़ो$गज़ब (अ़.पु.)-अत्यधिक कोप और प्रकोप, बहुत ही क्रोध और $गुस्सा।
$गैन (अ़.पु.)-मेघ, अभ्र, बादल; तृष्णा, प्यास; तम, अँधेरा।
$गैब: (अ़.पु.)-तूणीर, तरकश।
$गैब (अ़.पु.)-पीठ पीछा, पीछे से, परोक्ष; अदृश्य लोक, परलोक, देवताओं का स्थान; नियति, भाग्य।
$गैबत (अ़.स्त्री.)-किसी की पीठ के पीछे की जानेवाली निन्दा, चु$गली; पीठ-पीछा, परोक्ष; अंतर्धान होना, लोप या लुप्त होना, $गायब होना; $गैरमौजूदगी, अनुपस्थिति।
$गैबदाँ (अ़.$फा.वि.)-पोशीदा हाल जाननेवाला, परोक्ष की जाननेवाला, छुपी बातों को जाननेवाला, जो प्रकट न होनेवाली बातों के बारे में बता सके, अंतर्यामी; जो आनेवाले समय की बात बता दे, भविष्यवेत्ता।
$गैबदानी (अ़.स्त्री.)-गुप्त हाल जानना, भेद जानना, रहस्य जानना; छुपी हुई या पोशीदा बातें जानना।
$गैबानी (उ.वि.)-झगडा़-$िफसाद करनेवाली स्त्री; निर्लज्ज स्त्री; दुश्चरित्रा, बेशर्म और बेहया अ़ौरत, हरामज़ादी (गाली); भारी बला, बड़ी आपत्ति।
$गैबी (अ़.वि.)-दिखाई न देनेवाली, प्रत्यक्ष न होनेवाली, पीठ पीछे की, परोक्ष की; आकाशीय, आस्मानी; दैवी, ख़्ाुदाई।
ग़ैबूबत (अ़.स्त्री.)-अनुपस्थिति, नामौजूदगी; लोप, छिपाव, दुराव; वियोग, जुदाई।
$गैम (अ़.पु.)-मेघ, अब्र, अभ्र, बादल; आँख की भीतरी गर्मी; प्यास, पिपासा, तृष्णा।
$गैया$फ (अ़.वि.)-जिसकी दाढ़ी बहुत लम्बी और घनी हो, रीशाईल।
$गैर (अ़.पु.)-जो अपना न हो, अनात्मीय, पराया, बेगाना, अजनबी; दूसरा, अन्य; विभिन्न, मुख़्तलि$फ; विरुद्घ, ख़्िाला$फ। (विरुद्घ अर्थ देने के लिए शब्द के आरम्भ में प्रयुक्त, जैसे-$गैरवाजिब, $गैरमुम्किन आदि)। '$गैर की आग में जलनाÓ-दूसरे की आ$फत में पडऩा।
$गैरअहम (अ़.वि.)-महत्त्वहीन, जिसका कोई महत्त्व न हो, मामूली, साधारण।
$गैरआईनी (अ़.$फा.वि.)-अवैध, जो विधान अथवा $कानून के विरुद्घ हो।
$गैरआबाद (अ़.वि.)-निर्जन, जहाँ लोग रहते न हों, जहाँ लोगों की बसावट न हो, वीरान, जो खंडहर हो; वह भूमि जो जोती-बोयी न जाती हो।
$गैरइंसानी (अ़.वि.)-अमानुषिक, जो मनुष्य जैसा न हो, जो मानवीय न हो, अमानवीय।
$गैरइख़्ितयारी (अ़.स्त्री.)-विवशता, मजबूरी की स्थिति।
$गैर इला$क: (अ़.वि.)-पराया क्षंत्र, दूसरे का क्षेत्र, दूसरे राज्य की सीमा, दूसरे की रियासत।
$गैर$कानूनी (अ़.वि.)-दे.-'$गैरआईनीÓ।
$गैरकारआमद (अ़.$फा.वि.)-अनुपयुक्त, जो उपयोग के योग्य न हो; जो काम में न आए, बेकार।
$गैरज़रूरी (अ़.वि.)-जिसकी आवश्यकता न हो।
$गैरजानिबदार (अ़.$फा.वि.)-तटस्थ, निष्पक्ष, जो किसी का पक्षपात न करे, उदासीन।
$गैरजानिबदारी (अ़.$फा.स्त्री.)-निष्पक्षता, तटस्थता।
$गैरज़ालिक (अ़.अव्य.)-इसके सिवा, इसके अतिरिक्त।
$गैरजिम्म:दार (अ़.$फा.वि.)-अनुत्तरदायी, दायित्वहीन, जो अपने दायित्व का निर्वाह न करे, जो अपनी जि़म्मेदारी महसूस न करे।
$गैरजि़म्म:दारी (अ़.$फा.स्त्री.)-दायित्व निर्वहन के प्रति सचेत न होना, जि़म्म:दारी का एहसास न होना।
$गैरज़ीअ़क़्ल (अ़.वि.)-बुद्घिहीन, सिमें बुद्घि न हो; विवेकहीन, जिसे अच्छे-बुरे की तमीज़ न हो।
$गैरज़ीरूह (अ़.वि.)-निर्जीव, निष्प्राण, जिसमें प्राण न हों।
$गैरज़ीशुऊर (अ़.वि.)-जड़, अचेतन, जिसमें विवेक और चेतना न हो।
$गैरज़ुरूरी (अ़.वि.)-अनावश्यक, जो आवश्यक न हो।
$गैरत (अ़.स्त्री.)-लाज, लज्जा, हया, शर्म; रश्क; स्वाभिमान, ख़्ाुद्दारी। '$गैरत का त$काज़ाÓ-किसी बात को सोचकर मन में लज्जा आना।
$गैरतदार (अ़.$फा.वि.)-लज्जाशील, हयादार, शीलवान्, शर्मदार; स्वाभिमानी, ख़्ाुद्दार।
$गैर तनख़्वाहदार (अ़.$फा.वि.)-अवैतनिक, जो वेतन के बिना ही काम करे।
$गैरतमंद (अ़.$फा.वि.)-दे.-'$गैरतदारÓ।
$गैरतह्ज़ीबयाफ़्त: (अ़.$फा.वि.)-अशिष्ट, असभ्य, नामुहज़्ज़ब।
$गैरताÓलीमयाफ़्त: (अ़.$फा.वि.)-अनपढ़, अशिक्षित, निरक्षर, बेपढ़ा-लिखा; अशिष्ट, असभ्य, उजड्ड।
$गैरते गुल्ज़ार (अ़.वि.)-जिस पर सम्पूर्ण उपवन (बा$ग) को ईष्र्या हो; सुन्दर स्त्री; प्रेमिका।
$गैरते चमन (अ़.वि.)-दे.-'$गैरते गुल्ज़ारÓ।
$गैरते माह (अ़.वि.)-चाँद को शर्मशार कर देनेवाजा अर्थात् बहुत ही ख़्ाूबसूरत; प्रेयसी, प्रेमिका, माÓशू$क।
$गैरते हूर (अ़.वि.)-स्वर्ग की अप्सरा तक को लज्जित करनेवाली अर्थात् बहुत-ही सुन्दर स्त्री, पे्रयसी; प्रेमिका।
$गैरपसंदीद: (अ़.$फा.वि.)-अप्रिय, अरुचिकर; अनुचित, नामुनासिब।
$गैरपाएदार (अ़.$फा.वि.)-अदृढ़, जो टिकाऊ न हो।
$गैरपुख़्त: (अ़.$फा.वि.)-अपक्व, अपरिपक्व, जो कच्चा हो (फल आदि); जो निश्चित न हो, $गैरय$कीनी (वचन आदि); जो कच्ची ईंटों से बना हो (मकान आदि)।
$गैर$फसीह (अ़.वि.)-जिसे साहित्यिक जन असाधु समझें (शब्द आदि), साहित्य में अप्रचलित या अप्रयुक्त शब्द।
$गैर$फानी (अ़.$वि.)-जो कभी $फना न हो, जिसका कभी विनाश न हो, जो कभी नष्ट न हो, जो कभी न मरे, शाश्वत, अनश्वर।
$गैर$िफत्री (अ़.$वि.)-जो स्वाभाविक न हो, जो प्राकृतिक न हो, अनैसर्गिक, अप्राकृतिक, बनावटी।
$गैरमक़्तूअ़ (अ़.$वि.)-अविछिन्न, अखण्डित, जो कटा न हो।
$गैरमक्फ़ूल (अ़.$वि.)-बंधकहीन सम्पत्ति, वह सम्पत्ति आदि जो किसी ऋण आदि में रेहन न हो।
$गैरमक्बूज़: (अ़.$वि.)-जिस पर किसी का $कब्ज़ा न हो, लावारिस।
$गैरमक़्बूल (अ़.$वि.)-अप्रिय, जिसे लोग पसन्द न करें; जो माना न जाए, अमान्य; जो मंज़ूर न हो, अस्वीकृत।
गैरमक्रूह (अ़.$वि.)-शुभ-दर्शन, जो देखने में कुरूप न हो, जो आँखों को बुरा न लगे; जिसका खान-पान घृणित न हो।
$गैरमख़्सूस (अ़.$वि.)-जो विशेष या ख़्ाास न हो, सामान्य, साधारण।
$गैरमग़्सूस (अ़.$वि.)-जिसमें मिलावट न हो, अकृत्रिम।
$गैरमज़रूअ़ा (अ़.$वि.)-दे.-'$गैरमज्ऱूअ़:Ó, वही शुद्घ है।
$गैरमज्ऱूअ़: (अ़.$वि.)-वह भूमि जो बोई-जोती न जाती हो, अकृष्य।
ग़ैरमज्ऱूअ़ (अ़.$वि.)-दे.-'गैरमज्ऱूअ:Ó।
$गैरमत्बूअ़: (अ़.$वि.)-वह पुस्तक जो प्रकाशित न हुई हो, अप्रकाशित, अमुद्रित, हस्तलिखित, पाण्डुलिपि।
$गैरमत्बूअ़ (अ़.$वि.)-जो मनोवांछित न हो, अरुचिकर, नापसंदीद:।
$गैरमत्रूक: (अ़.$वि.)-वह वस्तु जो छोड़ी न गई हो; वह सम्पत्ति आदि जो तरीके से अलग हो।
$गैरमत्रूक (अ़.$वि.)-वह शब्द जो त्याज्य न हो, वह शब्द जो साहित्य में व्यवहृत हो; वह वस्तु जो छोड़ी न गई हो, अत्साज्य।
$गैरमत्लूब (अ़.$वि.)-जिस चीज़ की इच्छा न हो, अनिच्छित, अवांछित।
$गैरमद्ऊ (अ़.$वि.)-जो किसी दावत आदि में बुलाया न गया हो, अनिमंत्रित।
$गैरमद्ख़्ाूल: (अ़.$वि.)-वह स्त्री जो रखैल न हो; जो वस्तु दाख़्िाल की हुई न हो।
$गैरमन्$कूल: (अ़.$वि.)-वह सम्पत्ति जो एक स्थान से दूसरे स्थान पर न जा सके, जैसे-भूमि, भवन आदि; अचल सम्पत्ति, स्थावर सम्पत्ति, स्थिर सम्पत्ति।
$गैरमन्$कूल (अ़.$वि.)-जो किसी स्थान से हट न सके, जिसका स्थानांतरण न हो सके।
$गैरमनकूला (अ़.$वि.)-दे.-'$गैरमन्कूल:Ó, वही शुद्घ है।
$गैरमन्कूह: (अ़.$स्त्री.)-वह युवती जिसका विवाह न हुआ हो, अविवाहिता; रखैल, सुरेतिन, उपपत्नी।
$गैरमन्कूह (अ़.पु.)-वह व्यक्ति जिसकी शादी न हुई हो, अविवाहित।
$गैरमनकूहा (अ़.$वि.)-दे.-'$गैरमन्कूह:Ó, वही शुद्घ है।
$गैरमफ़्तूह (अ़.$वि.)-अविजित, जो जीता न गया हो; जो जीता न सके, अजेय; जो हारा न हो, अपराजित।
$गैरमम्नूअ़ (अ़.$वि.)-अनिषिद्घ, जिसका निषेध न हो, जिसकी मनाही न हो; जिसका खान-पान वर्जित न हो।
$गैरमम्नून (अ़.$वि.)-अकृतज्ञ, अनाभारी, नाशुक्रा, $गैरमश्कूर।
$गैरमर्ई (अ़.$वि.)-अगोचर, जो दिखाई न पड़े, अदृश्य।
$गैरमर्ऊब (अ़.$वि.)-जो रौब में न आया हो, जो डरा न हो, निर्भय, बेधड़क।
$गैरम$र्गूब (अ़.$वि.)-अप्रिय, अरुचिकर, जो पसंदीद: न हो।
$गैरमर्तूब (अ़.$वि.)-जो ठण्डा न हो, जो शीतल न हो; जिसका स्वभाव शीतप्रधान न हो; जिसमें नमी या तरलता न हो।
$गैरमर्द (अ़.$वि.)-पराया आदमी; अजनबी, अपरिचित, वह व्यक्ति जिससे कोई सम्बन्ध न हो।
$गैरमर्बूत (अ़.$वि.)-जो क्रमबद्घ न हो, भग्नक्रम, असंबद्घ; जो अंट-शंट हो (बात), बेख़्त, विशृंखल।
$गैरमल$फूज़ (अ़.$वि.)-जो लिखा तो जाए मगर बोला न जाए।
$गैरमश्कूक (अ़.$वि.)-असंदिग्ध, जिसमें कोई शंका या संदेह न हो।
$गैरमश्रूत (अ़.$वि.)-बिना शर्त, बिना किसी प्रकार की शर्त के; य$कीनी, अवश्य।
$गैरमश्हूर (अ़.$वि.)-अप्रसिद्घ, जो प्रसिद्घ न हो, अविख्यात।
$गैरमस्सूम (अ़.$वि.)-निर्विष, जो विषयुक्त न हो, जो ज़हरीला न हो।
$गैरमहदूद (अ़.$वि.)-बेशुमार, जिसकी हद न हो, असीमित।
$गैरमाÓमूल (अ़.$वि.)-असाधारण, $गैरमामूली।
$गैरमाÓमूली (अ़.$वि.)-असाधारण, जो साधारण न हो; अहम, महत्त्वपूर्ण।
$गैरमाÓयूब (अ़.$वि.)-निर्दोष, दोषहीन, जिसमें दोष या त्रुटि न हो, त्रुटि-रहित।
$गैरमायूस (अ़.$वि.)-निराशाहीन, जो निराश न हो, आशान्वित।
$गैरमाÓसूम (अ़.$वि.)-पापयुक्त, जो पाप-रहित न हो।
$गैरमाहिर (अ़.$वि.)-अविज्ञ, जो किसी काम का अच्छा ज्ञाता या जानकार न हो।
$गैरमुऐयन (अ़.$वि.)-अनिश्चित, जो निश्चित न हो।
$गैरमुअ्त्बर (अ़.$वि.)-अविश्वसनीय, संदिग्ध, झूठा।
$गैरमुकम्मल (अ़.$वि.)-अपूर्ण, अधूरा, अधबर, ना$िकस, जो पूरा न हो।
$गैरमुकम्मिल (अ़.$वि.)-दे.-'$गैरमुकम्मलÓ।
$गैरमु$कर्रर: (अ़.$वि.)-अनिश्चित, अनिर्धारित, जो मु$कर्रर न हो।
$गैरमु$कर्रर (अ़.$वि.)-दे.-'$गैरमु$कर्रर:Ó।
$गैरमुकर्रर जो दोहराया न गया हो, जो दोबारा न हो, जो रिपीट न किया गया हो; अनजान, अपरिचित।
$गैरमुजज़्ज़ा (अ़.$वि.)-जो अलग-अलग टुकड़ों में न हो, संबद्घ; जो अध्यायों और खण्डों में न हो।
$गैरमुजस्सम (अ़.$वि.)-निराकार, जिसका कोई रूप निश्चित न हो; जिसने शरीर धारण न किया हो।
$गैरमुजाज़ (अ़.$वि.)-जिसे किसी काम का अधिकार न हो, अनधिकारी, जिसको किसी कार्य-विशेष की आज्ञा न हो।
$गैरमुतअ़ल्लि$क (अ़.$वि.)-असंबद्घ, जो किसी विषय-विशेष से सम्बन्धित न हो, असंगत।
$गैरमुतअ़स्सिब (अ़.$वि.)-उदाराशय, जिसमें जातीय या धार्मिक संर्कीणता न हो, बृहच्चित्त।
$गैरमुतअ़स्सिर (अ़.$वि.)-जो प्रभावित न हुआ हो, जिसने असर न लिया हो, अप्रभावित, तटस्थ, निष्पक्ष।
$गैरमुतअह्हिल (अ़.$वि.)-जिसका विवाह न हुआ हो, और जिसके बाल-बच्चे न हों।
$गैरमुत$गैयिर (अ़.$वि.)-अविकृत, जो विकृत न हुआ हो, जो बिगड़ा न हो, जो ख़्ाराब न हुआ हो, अरूपान्तरित।
$गैरमुतदय्यिन (अ़.$वि.)-जिसमें ईमानदारी और सत्यनिष्ठा न हो, जिसमें दियानतदारी न हो, अविश्वस्त।
$गैरमुतनाज़ा (अ़.$वि.)-निर्विवाद।
$गैरमुतनाही (अ़.$वि.)-बे-इन्तिहा, अनन्त, जिसकी सीमा और छोर न हो, अपार, असीम।
$गैरमुतमद्दिन (अ़.वि.)-असभ्य, अशिष्ट, जो सभ्य और शिष्ट न हो; वहशी, जंगली।
$गैरमुतवक़्केÓ (अ़.वि.)-अप्रत्याशित, जिसकी आशा न हो; जो आशा से अधिक हो, आशातीत।
$गैरमुतशद्दिद (अ़.वि.)-अहिंसक, जो हिंसक न हो, जो हिंसा पर विश्वास न रखता हो।
$गैरमुतशद्दिदान: (अ़.$फा.वि.)-जिसमें हिंसा का प्रयोग न हो, शान्तिमय।
$गैरमुतहक़्ि$क$क (अ़.वि.)-जिसकी जाँच-नड़ताल न हुई हो, जिसका निश्चय न हुआ हो, अनिश्चित, संदिग्ध।
$गैरमुतहम्मिल (अ़.वि.)-असहिष्णु, जिसमें सहनशीलता न हो।
$गैरमुतहर्रिक (अ़.वि.)-गतिहीन, जो अपनी जगह से हिल न सके; जो चलता-फिरता न हो, अचल।
$गैरमुदल्लल (अ़.वि.)-अप्रमाणित, जिसका कोई सुबूत न हो; अतक्र्य, अयुक्तिसंगत, जिसके लिए कोई दलील न हो।
$गैरमुनज़्ज़म (अ़.वि.)-असंगठित, जिसका संगठन हो; बेतर्तीब, असंबद्घ, जो क्रमबद्घ न हो।
$गैरमुनासिब (अ़.वि.)-जो मुनासिब न हो, अनुचित, जो उचित न हो; नामुहज़्ज़ब, उद्दण्डतापूर्ण; $फोह्श, अश्लीलतापूर्ण।
$गैरमुम्किन (अ़.वि.)-जो संभव न हो, असंभव, जो हो न सके, अशक्य।
$गैरमुरव्वज (अ़.वि.)-अव्यवहृत, अप्रचलित, जो प्रचलन में न हो, जिसका चलन न हो।
ग़ैरमुल्की (अ़.वि.)-विदेशी, परदेशी, वैदेशिक, दूसरे देश अथवा राष्ट्र का।
$गैरमुवस्स$क (अ़.वि.)-जो युक्तिसंगत न हो; जो प्रमाणित न हो; जो निश्चित न हो।
$गैरमुशख़्ख़्ास (अ़.वि.)-जिसका निदान न हुआ हो; जिसके वंश और कुल आदि का पता न हो।
$गैरमुशाबेह (अ़.वि.)-असहरूप, जो एक-दूसरे से मिलते-जुलते न हों, जो एक-जैसे न हों।
$गैरमुश्तबह (अ़.वि.)-असंदिग्ध, जिसमें कोई संदेह न हो, अविकल्प, य$कीनी।
$गैरमुसद्द$क: (अ़.वि.)-अविश्वस्त, जिस सूचना या वार्ता के सच-झूठ का पता न चला हो; अप्रमाणित, जिसकी तसदीक न हुई हो।
$गैरमुसद्द$क (अ़.वि.)-दे.-'$गैरमुसद्द$क:Ó।
$गैरमुसल्लम (अ़.वि.)-अमान्य, जो माना न जाए; अप्रमाणित, जिसका सुबूत न हो।
$गैरमुसल्लह (अ़.वि.)-निरस्त्र, शस्त्रहीन, जो हथियारबंद न हो।
$गैरमुसल्सल (अ़.वि.)-जो जंज़ीर में जकड़ा न हो, विश्रृंखल; जो लगातार न हो, अनिरन्तर।
$गैरमुसावी (अ़.वि.)-असमान, जो समान अथवा बराबर न हो।
$गैरमुस्त$िकल (अ़.वि.)-अस्थायी, जो हमेशा के लिए न हो, जो थोड़े दिनों के लिए हो।
$गैरमुस्ततीअ़ (अ़.वि.)-अशक्त, जिसमें सामथ्र्य न हो; दरिद्र, धनहीन, जो निर्धन हो।
$गैरमुस्तनद (अ़.वि.)-जिसके पास प्रमाणपत्र न हो, जो सनदयाफ़्त: न हो; जिसका विश्वास न हो, अविश्वस्त।
$गैरमुस्तह$क (अ़.वि.)-अपात्र, अयोग्य, नाअहल; $गैरह$कदार, अनधिकारी।
$गैरमुस्ताÓमल (अ़.वि.)-अप्रयुक्त, जिसका प्रयोग न हुआ हो; अव्यवहृत, जो व्यवहार में न लाया जाता हो, जिसका प्रयोग किया न जाता हो।
$गैरमुहज़्ज़ब (अ़.वि.)-अशिष्ट, दु:शील, उजड्ड, $गैरतहज़ीबयाफ़्त:।
$गैरमूहिम (अ़.वि.)-असंदिग्ध, जिसमें कोई शंका या संदेह न हो, जो भ्रम में न डाले।
$गैरमेÓमारी (अ़.वि.)-जो आदर्श के अनुसार न हो; जो विद्वतापूर्ण न हो; जो अपने स्तर अथवा दर्जे से गिरा हुआ हो।
$गैरमौजूद (अ़.वि.)-अनुपस्थित, $गैरहाजिऱ; अविद्यमान, नामौजूद।
$गैरमौजूदगी (अ़.$फा.स्त्री.)-अनुपस्थिति, अविद्यमानता, $गैरहाजिऱी, नामौजूदगी।
$गैरमौरूसी (अ़.वि.)-अपैतृक, जो पैतृक न हो, वह ज़मीन अथवा जायदाद जो मौरूसी न हो।
$गैररायज (अ़.$वि.)-अप्रचलित, जो प्रचलन में न हो, जो जारी न हो।
$गैरियत (अ़.स्त्री.)-बेगानगी, परायापन। '$गैरियत बरतनाÓ-$गैर समझना, पराया मानना।
$गैरवा$िकई (अ़.वि.)-असत्य, जो सत्य न हो, झूठ; जो ठीक न हो, अयथार्थ; जो उचित न हो, अनुचित।
$गैरवाजिब (अ़.वि.)-अनुचित, नामुनासिब; जिसका अदा या भुगतान करना आवश्यक न हो, अदेय।
$गैरवाजिबी (अ़.वि.)-दे.-'$गैरवाजिबÓ।
$गैरवाज़ेह (अ़.वि.)-अस्फुट, धुँधला, जो सा$फ-सा$फ न हो; अस्पष्ट, जिसका स्पष्टीकरण न हुआ हो।
ग़ैर शख़्स (अ़.वि.)-दे.-'$गैरमर्दÓ।
$गैर शरई (अ़.वि.)-जो धर्म-सम्मत न हो, धर्मशास्त्र के विपरीत।
$गैरशरी$फ (अ़.वि.)-अकुलीन, हीनयोनि, $गैरख़्ाानदानी; अनार्य, असज्जन; नीच, अधम।
$गैरशरी$फान: (अ़.$फा.वि.)-अशिष्टतापूर्ण, नीच लोगों-जैसा, अनार्योचित।
$गैरसहीह (अ़.वि.)-असत्य, जो सत्य न हो, झूठ; जो शुद्घ न हो, अशुद्घ; जो स्वस्थ न हो, अस्वस्थ।
$गैरसालह (अ़.वि.)-अशुद्घ, दूषित, $फासिद; असज्जन, नाशरी$फ।
$गैरहमदर्द (अ़.$फा.वि.)-जिसमें सहानुभूति न हो, जो दु:ख अथवा कष्ट में सहायता न करे।
$गैरहाजिऱ (अ़.वि.)-जो अपनी ड्यूटी पर उपस्थित न हो, अनुपस्थित; जो मौजूद न हो, अविद्यमान।
$गैरहाजिऱी (अ़.स्त्री.)-अनुपस्थिति, अविद्यमानता।
$गैरहालात (अ़.$वि.)-जाँकनी की हालत, दिगरगूँ हालत, अबतर हालत।
$गैरियत (अ़.स्त्री.)-परायापन, बेगानापन।
$गैल (अ़.पु.)-मोटा-ताज़ा शिशु; भरी हुई बाहें; वह दूध जो स्त्री संभोग के समय शिशु को दे।
गैल ($हिं.स्त्री.)-मार्ग, रास्ता, राह, पगडण्डी।
$गैलम (अ़.स्त्री.)-वह लड़की जो अपनी यौवनावस्था को प्राप्त कर चुकी हो और जिसमें कामेच्छा उत्पन्न हो गई हो; कुएँ का स्रोत।
$गैस (अ़.पु.)-मेंह, वर्षा, वृष्टि, बारिश; बरसना; बरसाना।
$गैसान (अ़.पु.)-जवानी का जोश, युवावस्था की तेज़ी, युवावेग।
$गैहम (अ़.स्त्री.)-अँधेरा, अंधकार, तिमिर, तारीकी।
गैहाँ ($फा.पु.)-'गैहानÓ का लघु., जगत्, संसार, दुनिया।
गैहान ($फा.पु.)-संसार, जगत्, दुनिया।
No comments:
Post a Comment