गु, $गु
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गुंग ($फा.वि.)-मूक, गूँगा, जो बोल न सकता हो।गुंगमहल (अ़.$फा.पु.)-वह मकान, जिसे बादशाह अकबर ने केवल गूँगों के लिए बनवाया था, इस अनुभव के लिए कि बड़े होकर इनके बाल-बच्चे कौन-सी भाषा बोलते हैं, परन्तु वे अपने माता-पिता की भाँति 'गें-गेंÓ ही करते रहे।
गुंगलाज ($फा.पु.)-हकला, तोतला, जो ठीक से बोल न सकता हो।
$गुंच: ($फा.पु.)-कली, कलिका, बिन खिला फूल। '$गुंचा चटकनाÓ-कली खिलना।
$गुंच:दहन ($फा.वि.)-कली-जैसे सुन्दर और छोटे मुँहवाला (वाली), जिसका मुख फूल के समान सुन्दर हो।
$गुंच:दहाँ ($फा.वि.)-दे.-'$गुंच:दहनÓ।
$गुंच:पेशानी ($फा.वि.)-छोटे माथेवाला, तंग पेशानीवाला; मूर्ख, बेवुकू$फ; बददिमा$ग।
$गुंच:लब ($फा.वि.)-कली-जैसे कोमल, मृदुल और गुलाबी होंठोंवाला (वाली), जिसके ओष्ठ बहुत सुन्दर हों।
$गुंचा ($फा.पु.)-दे.-'$गुंच:Ó, वही उच्चारण शुद्घ है।
गुंचए नाशिगुफ़्त: ($फा.पु.)-अविकसित कली, वह कली जो अभी खिली न हो, मुकुल।
$गुंचगी ($फा.स्त्री.)-कली होने का भाव, $गुंच:पन।
$गुंज: (अ़.पु.)-$गुंच:, कली, कलिका।
$गुंज (अ़.पु.)-हावभाव, नाज़ोअदा।
गुंजलक ($फा.स्त्री.)-दे.-'गुंजुलकÓ, वही शुद्घ है।
गुंजश्क ($फा.स्त्री.)-दे.-'गुंजिश्कÓ, दोनों शुद्घ हैं।
गुंजाइश ($फा.स्त्री.)-समाई, जगह, ठिकाना; उदारता, प्रेम, $फराख़्ादिली; विस्तार, कुशादगी; सामथ्र्य, मक़्दूर, हौसला, $फायदा, बचत, कि$फायत।
गुंजाइशी ($फा.वि.)-जिसमें समाई या गुंजाइश हो।
गुंजान ($फा.वि.)-सघन, गहन, घना, घनेरा।
गुंजिश्क ($फा.स्त्री.)-चटक, गौरैया।
$गुंजुल ($फा.पु.)-सियाह गोश (वन-बिलाव नामक एक जन्तु)।
गुंजुलक ($फा.स्त्री.)-झुर्री, शिकन, सिलवट; गिरह, गाँठ, उलझाव; उलझन, झगड़ा, बखेड़ा। 'गुंजुलक की बातेंÓ-पेचीदा बातें, गोल-मोल बातें।
गुंद: ($फा.वि.)-ग$फ, दलदार, दबीज़, मोटा।
$गुंद: (अ.वि.)-लम्पट, धूर्त, लो$फर, गुण्डा।
$गुंद ($फा.वि.)-चिपटा हुआ, लिपटा हुआ; एकत्र, जमाशुदा; जोड़ा हुआ, उपार्जित।
गुंद ($फा.पु.)-अण्डकोश।
$गुंदर ($फा.वि.)-हृष्ट-पुष्ट, मोटा-ताज़ा; ग$फ, दलदार, दबीज़; मृदुल, नाज़ुक; गिड़गिड़ानेवाला।
$गुंदुर ($फा.वि.)-दे.-'$गुंदरÓ।
गुंद्बीर ($फा.स्त्री.)-वृद्घा, बूढ़ी स्त्री।
गुंबद ($फा.पु.)-भवनों-इमारतों के ऊपर का गोल मण्डप जो बड़ा हो, गुंबज।
गुंबदे आब ($फा.पु.)-पानी का बुलबुला।
गुंबदे गर्दूं ($फा.पु.)-आकाश-वर्तुल, आस्मान का गुंबद।
गुंबदे गुल ($फा.पु.)-कली, कलिका, $गुंचा।
गुंबदे चारबंद ($फा.पु.)-सृष्टि, संसार, दुनिया; आकाश, आस्मान, गगन।
गुंबदे मीना ($फा.पु.)-नीलाम्बर, नीला आकाश।
गुक (तु.पु.)-नभ, आकाश, गगन, आस्मान।
गुजऱ ($फा.स्त्री.)-कालक्षेप, गुजऱ-बसर, निर्वाह, गुज़ारा; जीविका, रोज़ी; निबाह; (पु.)-आगमन, आमद; प्रवेश, पहुँच, रसाई; राह, रास्ता, मार्ग, सड़क। 'इक दफ़ा हिम्मत जुटा और अपने मन की कर गुजऱ, चन्द दिन चर्चे रहेंगे और क्या हो जाएगाÓ-मृदुला अरुण
गुजऱगाह ($फा.स्त्री.)-पथ, राह, रास्ता, मार्ग; निकलने-पैठने का स्थान।
गुजऱना (अ़.$फा.क्रि.)-बीतना, कटना, व्यतीत होना; पेश होना, पहुँचना; मरना, दिवंगत होना।
गुजऱनाम: ($फा.पु.)-पासपोर्ट, पारपत्र, राहदारी का पर्वाना।
गुजऱ-बसर ($फा.पु.)-जीवन-यापन, कालक्षेप, निर्वाह, गुज़ारा।
गुजऱान ($फा.स्त्री.)-दे.-'गुजऱÓ। 'गुजऱान देनाÓ-पेश करना।
गुज़रिंद: ($फा.वि.)-गुजऱनेवाला।
गुजऱी ($फा.स्त्री.)-वह बाज़ार जो प्राय: तीसरे पहर सड़कों के किनारे लगता है; वह स्थान जहाँ शाम के समय सौदा बेचनेवाले सड़क के किनारे आ बैठते हैं; 'गुजऱनाÓ-क्रिया का भूतकालिक स्त्रीलिंग; बीत जानेवाली स्थिति, जैसे-'गुजऱी रातÓ अर्थात् बीती रात, जो रात बीत चुकी हो। 'गुजऱी लगी होनाÓ-बाज़ार लगा होना।
गुज़श्त: ($फा.वि.)-पिछला, बीता हुआ, गुजऱा हुआ, व्यतीत; भूतकाल, माज़ी।
गुज़श्तगाँ ($फा.पु.)-'गुज़श्त:Ó का बहु., गुजऱे हुए लोग, दिवंगत लोग, पूर्वज।
गुज़श्तनी ($फा.वि.)-बीतने योग्य; गुजऱने के $काबिल; जहाँ से गुजऱ जाना उचित हो; गुजऱने वाला, ना-पाएदार।
गुज़श्ता ($फा.वि.)-दे.-'गुज़श्त:Ó।
गुज़ा$फ: ($फा.पु.)-जो तोला-नापा न गया हो बल्कि उसका कूता किया गया हो; असीम, अपार, बेहद।
गुज़ा$फ ($फा.स्त्री.)-डींग, शेखी; झूठी आत्म-प्रशंसा; बेहूदा बातें, बकवास, मिथ्यावाद, भद्दी और वाहियात बात। 'ला$फ ओ गुज़ा$फÓ-डींग की बातें।
गुज़ाब (अ़.पु.)-वह तिनका आदि जो आँख में पड़ जाए; शरीर पर पडऩेवाले फफोले या छाले।
गुज़ार: ($फा.पु.)-कालक्षेप, निर्वाह, गुजऱ-बसर; वह वृत्ति जो जीवन-निर्वाह के लिए दी जाए; महसूल लेने का स्थान; नदी पार करना (पुल से या नाव से); गुंजाइश, समाई। 'गुज़ारा करनाÓ-दिन काटना, निबाहना, काम चलाना।
गुज़ार ($फा.पु.)-दे.-'गुजऱÓ, वह स्थान जहाँ से होकर लोग आते-जाते हों, जैसे-घाट, रास्ता आदि; निबाहना, निर्वाह करना, बसर करना, (प्रत्य.)-करनेवाला, जैसे-'ख़्िादमत गुज़ारÓ-सेवा करनेवाला, देनेवाला, जैसे-'मालगुज़ारÓ-कर या महसूल देनेवाला। (यौगिक शब्दों के अन्त में प्रयुक्त)।
गुज़ारना ($फा.क्रि.)-बिताना, काटना, निर्वाह करना; अदा करना, छोडऩा; पहुँचाना, पेश करना।
गुज़ारा ($फा.पु.)-दे.-'गुज़ार:Ó, वही उच्चारण शुद्घ है।
गुज़ारिंद: ($फा.वि.)-गुज़ारनेवाला, अदा करनेवाला।
गुज़ारिश ($फा.स्त्री.)-निवेदन, प्रार्थना, आवेदन, अज़ऱ्।
गुज़ारिशगर ($फा.वि.)-प्रार्थी, निवेदन करनेवाला।
गुज़ारिशनाम: ($फा.पु.)-आवेदनपत्र, प्रार्थनापत्र, दरख़्वास्त।
गुज़ारिशपिज़ीर ($फा.वि.)-प्रार्थना स्वीकार करनेवाला, बात सुनकर उसे माननेवाला।
गुज़ारिशात ($फा.स्त्री.)-'गुज़ारिशÓ का बहु., प्रार्थनार्ए, गुज़ारिशें, बातें।
गुज़ाश्त: ($फा.वि.)-त्यक्त, छोड़ा हुआ।
गुज़ाश्त ($फा.स्त्री.)-छूट, त्याग; घटाने या निकालने की क्रिया; दान दी हुई अथवा किसी के नाम पर छोड़ी हुई ज़मीन।
गुज़ाश्तनी ($फा.वि.)-त्याज्य, त्यागने योग्य, छोडऩे योग्य, तर्क करने लाय$क।
गुज़ीं ($फा.प्रत्य.)-दिलचस्प, पसन्दीदा; पसन्द करनेवाला, चुननेवाला, जैसे-'ख़्ाल्वतगुज़ींÓ-एकान्तवास पसन्द करने वाला, 'गोशागुज़ींÓ-एकान्त पसन्द करनेवाला। (यौगिक शब्दों के अन्त में प्रयुक्त)।
गुज़ीद: ($फा.वि.)-पसन्द किया हुआ, छाँटा हुआ, चुना हुआ।
गुज़ीदनी ($फा.वि.)-छाँटने योग्य, चुनने योग्य।
गुज़ीदा ($फा.वि.)-दे.-'गुज़ीद:Ó, वही उच्चारण शुद्घ है।
गुज़ीर: ($फा.पु.)-उपाय, प्रयत्न, तद्बीर; उपचार, चिकित्सा, इलाज।
गुज़ीर (अ़.पु.)-प्रयत्न, उपाय, चारा, तदबीर, साधन; चिकित्सा, इलाज, उपचार; बचाव, छुटकारा।
गुज़ीरी ($फा.स्त्री.)-इलाज, चिकित्सा, उपचार।
$गुज़ूज़: (अ़.पु.)-नवीनता, नयापन; प्रफुल्लता, शिगुफ़्तगी; नया होना, नवीन होना।
$गुज्रू$फ (अ़.स्त्री.)-पस्लियों के सिरे; कंधे की हड्डी का सिरा; हर चबाई जानेवाली हड्डी, कुर्री।
$गुट (उ.पु.)-लोगों की भीड़, जत्था, $गोल। '$गुट के $गुटÓ-बहुत से $गोल या झुण्ड।
$गुतात (अ़.पु.)-भोर, प्रात:काल, सवेरा; प्रात:काल की स$फेदी; रात का अँधेरा।
गुदगुदाना (हिं.क्रि.अक.)-हँसाने के निमित्त कांख, तलवे, पेट आदि मांसल स्थानों पर उँगली आदि फेरना; विनोद के लिए छेडऩा; उत्सुकता उत्पन्न करना।
गुदड़ी (हिं.स्त्री.)-फटे-पुराने वस्त्र का बना ओढऩा या बिछौना। 'गुदड़ी में लालÓ-तुच्छ स्थान में उत्तम वस्तु।
$गुदद (अ़.पु.)-'$गुद्द:Ó का बहु., शरीर के $गुदूद, ग्रन्थियाँ, गिल्टियाँ।
गुदाख़्त: ($फा.वि.)-द्रवित, द्रवीभूत, पिघला हुआ।
गुदाख़्त ($फा.स्त्री.)-दे.-'गुदाख़्तगीÓ।
गुदाख़्तगी ($फा.स्त्री.)-द्रवीकरण, पिघलाव।
गुदाख़्तनी ($फा.वि.)-पिघलने योग्य; पिघलाने योग्य।
गुदाज़ ($फा.पु.)-देह का माँसल होना, शरीर में ख़्ाूब मांस होना, मोटा, स्थूल; कोमल, दयालुता-भरा (हृदय); (प्रत्य.)-पिघलानेवाला या द्रवित करनेवाला, जैसे-'आहनगुदाज़Ó-लोहे को पिघलानेवाला; 'दिलगुदाज़Ó-हृदय द्रावक।
गुदाज़ाँ ($फा.वि.)-पिघलता हुआ; पिघलाता हुआ।
गुवाजि़ंद: ($फा.वि.)-पिघलनेवाला; पिघलानेवाला।
गुदाजि़श ($फा.वि.)-पिघलाहट, द्रवीकरण।
गुदाज़ी ($फा.स्त्री.)-पिघलन, नरमी, कोमलता।
$गुदा$फ (अ़.पु.)-काले और लम्बे बाल; काला कौआ; बहुत परोंवाला गिद्घ।
$गुदुव (अ़.पु.)-भोर, प्रात:काल, सवेरा।
$गुदूद (अ़.पु.)-शरीर के भीतर की गिल्टियाँ, ग्रन्थियाँ।
$गुद्द: (अ़.पु.)-शरीर के भीतर की ग्रन्थि, गिल्टी।
$गुद्र ($गुद्र) (अ़.वि.)-एहसान$फरामोश, कृतघ्न, नाशुक्रा, बेव$फा।
$गुद्व: (अ़.पु.)-प्रात:काल और सूर्योदय के बीच का समय।
गुनचगी ($फा.स्त्री.)-दे.-'गुन्चगीÓ।
गुनह ($फा.पु.)-'गुनाहÓ का लघु., दे.-'गुनाहÓ।
गुनहगार ($फा.वि.)-दे.-'गुनाहगारÓ।
गुनहगारी ($फा.स्त्री.)-दे.-'गुनाहगारीÓ।
गुनाह ($फा.पु.)-दोष, अपराध, $कुसूर; पाप, पातक, ऐब, माÓसियत। 'गुनाह-ए-बे-लज़्ज़तÓ-ऐसा दुष्कर्म जिसमें कोई आनन्द या सिद्घि न हो।
गुनाहगार ($फा.वि.)-गुनाह करनेवाला, दोषी, अपराधी, $कुसूरवार; पातकी, पापी।
गुनाहगारी ($फा.स्त्री.)-गुनाह करना, अपराध-कर्म, दोष करना, $कुसूरवारी; पापकर्म, माÓसियत।
गुनाहे कबीर: (अ़.$फा.पु.)-बड़ा अपराध, बड़ा पाप, महापातक।
गुनाहे बेलज़्ज़त (अ़.$फा.पु.)-ऐसा अपराध जिसके करने में किसी प्रकार का $फायदा न हो।
गुनाहे सग़ीर: (अ़.$फा.पु.)-छोटा अपराध, छोटा गुनाह, लघुपातक, छोटा पाप।
$गुनुज (अ़.पु.)-हावभाव, नाज़ोअदा।
$गुनूद: ($फा.वि.)-ऊँधता हुआ, उन्निद्र, तंद्रालु, जिसकी आँखों में नींद भरी हो।
$गुनूदगी ($फा.स्त्री.)-ऊँघ, तन्द्रा, निद्रालस, प्रमीला, नींद, ख़्ाुमार।
$गुनूदन ($फा.क्रि.)-ऊँघना।
$गुनूदनी ($फा.वि.)-ऊँघने योग्य; जिसका ऊँघना आवश्यक हो।
$गुनो ($फा.स्त्री.)-ऊँघ, तन्द्रा, अद्र्घनिद्रा।
$गुन$गुना (उ.वि.)-हलका या मामूली गरम।
गुनगुनाना (हिं.क्रि.अक)-नाक से बात करना, नकियाना, गुन-गुन शब्द करना, अस्पष्ट स्वर में गाना।
$गुन$गुनी (उ.स्त्री.)-नाक से बोलनेवाली, नकियाने वाली।
$गुन्चगी ($फा.स्त्री.)-कली होने की अवस्था या भाव।
$गुन्चा ($फा.पु.)-दे.-'$गुंच:Ó, वही उच्चारण शुद्घ है।
$गुन्चा-दहन ($फा.वि.)-दे.-'$गुंच:दहनÓ, वही शुद्घ है।
गुन्दा ($फा.वि.)-दे.-'गुंद:Ó, वही उच्चारण शुद्घ है।
$गुन्न: (अ़.पु.)-वह 'नÓ जो नाक में पढ़ा जाए, 'अनुस्वारÓ; वह अक्षर जिस पर अनुस्वार हो। 'नून $गुन्न:Ó-वह 'नूनÓ अर्थात् 'नÓ जिसका उच्चारण अपनी पूरी ध्वनि न देकर ' ँ Ó की ध्वनि देता हो, जैसे-'जहाँÓ के अन्त का 'नूनÓ अर्थात् 'नÓ $गुन्न: है।
$गुन्ना (अ़.पु.)-दे.-'$गुन्न:Ó, वही उच्चारण शुद्घ है।
$गुन्यत (अ़.स्त्री.)-सम्पन्नता, धनाढ्यता, मालदारी।
गुपचुप (हिं.स्त्री.)-एक प्रकार की मिठाई; लड़कों का एक खेल; एक प्रकार का खिलौना। (हिं.क्रि.वि.)-गुप्त रीति से, चुपचाप।
$गु$फार (अ़.पु.)-दाढ़ी के दोनों ओर के बाल; गर्दन और गुद्दी के बाल; पिंडली के बाल।
$गु$फुर (अ़.पु.)-'$ग$फूरÓ का बहु., मुक्ति देनेवाले, मोक्ष देनेवाले, बख़्शनेवाले।
$गु$फूल (अ़.पु.)-भूलना, विस्मृति; किसी वस्तु का त्याग; निश्चेष्टता, बेख़्ाबरी।
गुफ़्त: ($फा.वि.)-कहा हुआ, पहले कहा हुआ, उक्त।
गुफ़्त ($फा.स्त्री.)-कथन, कहन, बात। 'गुफ़्त-ओ-शनीदÓ-बात-चीत।
गुफ़्तगू ($फा.स्त्री.)-वार्तालाप, बातचीत, बोलचाल, भाषण, त$करीर; चर्चा। 'गुफ़्तगू बढ़ जानाÓ-विवाद हो जाना।
गुफ़्तनी ($फा.वि.)-कहने योग्य; जो बात कही जा सके; जिसका कहना आवश्यक हो।
गुफ़्तार ($फा.स्त्री.)-वार्तालाप, बातचीत, बोलचाल; बोली, वाणी, शब्द, आवाज़।
गुफ़्तुगू ($फा.स्त्री.)-दे.-'गुफ़्तगूÓ, दोनों शुद्घ हैं।
गुफ़्तोगू ($फा.स्त्री.)-दे.-'गुफ़्तगूÓ, दोनों शुद्घ हैं।
गुफ़्तोशनीद ($फा.स्त्री.)-कहना-सुनना, वार्तालाप, बातचीत, गुफ़्तगू; कहा-सुनी, वाद-विवाद; हुज्जत, तर्क-वितर्क।
गुफ्ऱाँ (अ़.पु.)-'$गुफ्ऱानÓ का लघु., दे.-'$गुफ्ऱानÓ।
$गुफ्ऱाँमआब (अ़.वि.)-मोक्ष-प्राप्त, स्वर्गीस (बड़े लोगों की आत्मा के लिए बोला जाता है)।
$गुफ्ऱान (अ़.पु.)-मुक्ति, मोक्ष, सद्गति, बख़्िशश; क्षमा, मुअ़ा$फी।
$गुफ़्ल (अ़.वि.)-ऐसा व्यक्ति जिससे न भलाई की आशा हो और न ही अनिष्ट का भय; प्रत्येक वह वस्तु जिसका कोई पता-निशान न हो; अनाड़ी आदमी, अनुभवहीन व्यक्ति; वह कवि जिसे कोई जानता न हो; वह व्यक्ति जिसका कुल अज्ञात हो।
$गुब [ब्ब] (अ़.पु.)-बाढ़ पर आई हुई वह नदी जिसका पानी नदी-तटों को लाँघकर जंगलों में बहे; नीची भूमि।
$गुबार: ($फा.पु.)-हवा में उडऩेवाला का$गज़ का बड़ा गेंद, $गुब्बारा; हवाई जहाज़, वायुयान; बैलून; रबड़ का फँूकना जिसमें हवा भरकर फुलाते हैं।
$गुबार (अ़.पु.)-गर्द, धूल, रज, धूलि; गर्द या धूल मिली हुई हवा; मनोमालिन्य, मन में दबाया हुआ क्रोध, दिल का मैल, मन की भड़ास, मलाल, रंज, द्वेष। '$गुबार निकालनाÓ-दिल की टीस व्यक्त करना, मन की भड़ास निकालना।
$गुबारआलूद: (अ़.$फा.वि.)-धूलिधूसर, धूल से सना अथवा भरा हुआ; जिस पर धूल पड़ी हो।
$गुबारआलूद (अ़.$फा.वि.)-दे.-'$गुबारआलूद:Ó।
$गुबारा ($फा.पु.)-दे.-'$गुबार:Ó, वही उच्चारण शुद्घ है।
$गुबारे ख़्ाातिर (अ़.पु.)-दिल का मैल, मन की मलिनता; मन की भड़ास, दिल का $गुबार; रंजिश, मनोमालिन्य।
$गुबूर (अ़.पु.)-शेष रहना, बा$की रहना; विलम्ब करना, देर करना; आगमन, आना; छोड़ देना, क्षमा करना।
$गुबैस (अ़.अव्य.)-नित्य, सदा, हमेशा; कदापि, हरगिज़।
$गुब्बार: ($फा.पु.)-दे.-'$गुबार:Ó।
गुम ($फा.वि.)-भटका हुआ, खोया हुआ; आत्मविस्मृत, ख़्ाुदरफ़्त:; अचेत, $गा$िफल; तल्लीन, मुन्हमिक।
गुमकर्द: ($फा.वि.)-जो खो गया हो, खोया हुआ; जिसने खो दिया हो; भूला हुआ।
गुमकर्द:राह ($फा.वि.)-पथ-भ्रष्ट, मार्ग से भटका हुआ, जो रास्ता भूल गया हो; मार्ग में भटकाव खानेवाला।
गुमकर्दा ($फा.वि.)-दे.-'गुमकर्द:Ó, वही उच्चारण शुद्घ है।
गुमगश्त: ($फा.वि.)-भटका हुआ, जो भटक गया हो; खोया हुआ, जो खो गया हो।
गुमगश्तगी ($फा.स्त्री.)-भटक जाना, खो जाना, रास्ता भूल जाना।
गुमज़द: ($फा.वि.)-दे.-'गुमराहÓ। भूला हुआ, खोया हुआ।
गुमजऩ ($फा.वि.)-विध्वंस करनेवाला, नष्ट और ध्वस्त करनेवाला; कोमल, मृदुल, नाज़ुक।
गुमनाम ($फा.वि.)-अज्ञात, जिसे कोई न जानता हो, अप्रसिद्घ; जिसका नाम न मालूम हो, अज्ञातनाम।
गुमनामी ($फा.स्त्री.)-प्रसिद्घी न होना, अख्याति, शोहरत न होना।
गुमबूदगी (अ़.स्त्री.)-दु:खित होना।
गुमराह ($फा.वि.)-जो रास्ते से भटक गया हो, जो मार्ग भूल गया हो, पथ-भ्रष्ट, मार्ग-भ्रष्ट; नीति-पथ से हटा हुआ; नास्तिक, लामज़हब; कदाचारी, बदचलन, दुराचारी।
गुमराहकुन ($फा.वि.)-भ्रमात्मक, भटकानेवाला, बदगुमानी पैदा करनेवाला; अपराध और पाप की ओर प्रवृत्त करनेवाला, सत्य-मार्ग को त्यागनेवाला।
गुमराही ($फा.स्त्री.)-पथ-भ्रष्टता, मार्ग भूलना; अपराध और पाप की ओर प्रवृत्ति; नास्तिकता, अधार्मिकता, पापाचरण, लामज़हबीयत; सरकशी।
गुमशुद: ($फा.वि.)-जो गुम हो गया हो, खोया हुआ, खोई हुई वस्तु; भागा हुआ; भूला हुआ।
गुमशुदगी ($फा.स्त्री.)-गुमशुदा होने की अवस्था या भाव, रास्ता भूल जाना, भटक जाना; खो जाना, कहीं रह जाना।
गुमशुदनी ($फा.वि.)-खोने योग्य।
गुमशुदा ($फा.वि.)-दे.-'गुमशुद:Ó, वही शुद्घ उच्चारण है।
गुमसुम ($फा.वि.)-गूँगा-बहरा, ख़्ाामोश; हैरान, चकित।
गुमाँ ($फा.पु.)-'गुमानÓ का लघु, दे.-'गुमानÓ।
गुमाँबरी ($फा.स्त्री.)-शक करना, सन्देह करना, शंका करना, शुबह: करना; बदगुमानी करना।
गुमान ($फा.पु.)-शक, सन्देह, शंका, आशंका, शुबह:; वह्म, भ्रम; लोगों की धारणा, बदगुमानी; अनुमान, कयास, कल्पना; गर्व, घमण्ड, अहंकार। 'गुमान गुजऱनाÓ-शक या सन्देह होना।
गुमानी ($फा.वि.)-गर्व करनेवाला, अभिमानी, घमण्डी।
गुमाने क़वी (अ़.$फा.पु.)-ऐसी सन्देह जो विश्वास की हद तक पहुँच जाए, ऐसा शुबह: जो य$कीन के दर्जे तक पहुँच जाए।
गुमाने $गालिब (अ़.$फा.पु.)-दे.-'गुमाने $कवीÓ।
गुमाने बद ($फा.पु.)-कुधारणा, किसी की ओर से बुरा विचार।
गुमाने सहीह (अ़.$फा.पु.)-ऐसा सन्देह जो ठीक साबित हो।
$गुमाम (अ़.पु.)-ज़ुकाम, प्रतिश्याय, प्रमिश्यान।
$गुमार (अ़.पु.)-बहुतायत, प्राचुर्य, आधिक्य; भीड़, जमाव, जनसमूह।
गुमार ($फा.पु.)-पाँव की आवाज़, पदचाप; नियुक्त होनेवाला।
गुमारिंद: ($फा.वि.)-मु$कर्रर करनेवाला, नियुक्त करनेवाला, ड्यूटी पर लगानेवाला।
गुमार्दनी ($फा.वि.)-नियुक्ति के योग्य, जिसे किसी काम पर लगाया जा सके, त$कर्रुर के $काबिल।
गुमाश्त: ($फा.वि.)-वह आदमी जिसको कोई काम सुपुर्द किया गया हो, कारिन्दा; नियुक्त किया हुआ; प्रतिनिधि, नुमाइंदा; कारकुन, एजेंट, अभिकर्ता।
गुमाश्तगी ($फा.स्त्री.)-नियुक्ति, त$कर्रुर; एजेंटी, कारिंदागीरी, गुमाश्ते का काम।
गुमाश्तनी ($फा.वि.)-नियुक्त करने योग्य, मु$कर्रर करने के लायक़।
गुमाश्ता ($फा.वि.)-दे.-'गुमाश्त:Ó, वही उच्चारण शुद्घ है।
$गुमूज़ (अ़.पु.)-भूमि का नीचा और गड्ढ़ेदार होना; बात का गुप्त और समय से बाहर होना।
$गुमूज़त (अ़.स्त्री.)-बात का समझ से परे होना; गुप्त होना, छिपना; भूमि का नीचा होना।
$गुमूम (अ़.पु.)-'$गमÓ का बहु., खेद और शोक; दु:ख और कष्ट; छोटे तारे जो दिखाई न पड़ें।
$गुम्ज़: (अ़.पु.)-जूठा पानी, पीकर छोड़ा हुआ पानी; किसी अन्य द्वारा पिए हुए पानी का घूँट।
$गुम्दान (अ़.पु.)-यमन का अद्भुत और विचित्र भवन; दुनिया, संसार, सृष्टि।
गुम्बद ($फा.पु.)-बुर्ज, गुमटी; छतों पर बनी गोल और ऊँची मीनार; गोल और ऊँची छत। 'गुम्बद की आवाज़Ó अथवा 'गुम्बद की सदाÓ-जैसा कहना वैसा सुनना (गुम्बद वाले मकान में जैसा बोलो उसी की प्रतिध्वनि सुनाई देती है)।
गुम्बदी ($फा.पु.)-एक खम्भे वाला ख़्ोमा या रावटी।
$गुम्म: (अ़.पु.)-नदी की तह; प्रत्येक चीज़ की तह; गुप्त काम; खेद, दु:ख, $गम।
गुम्रक ($फा.पु.)-चुंगी, महसूल, कर, कस्टम।
गुम्रकख़्ाान: ($फा.पु.)-चुंगीघर, कस्टम-हाउस।
$गुर [र्र] (अ़.पु.)-'अ$गरÓ का बहु., श्रेष्ठ लोग; प्रतिष्ठित लोग, प्रसिद्घ लोग; माथे की स$फेदियाँ।
$गुर ($फा.पु.)-बढ़ा हुआ अण्डकोष; गले का घेंघा; वह आदमी जिसके खुसए बढ़ गए हों।
गुर (हिं.पु.)-वह उपाय जिसके द्वारा कोई कार्य तुरन्त हो जाए, मूलयुक्ति।
गुरजी ($फा.वि.)-दे.-'गुर्जीÓ।
गुरदा ($फा.पु.)-दे.-'गुर्द:Ó, वही शुद्घ उच्चारण है।
$गुर$फ (अ़.पु.)-'$गु$र्फ:Ó का बहु., अनेक रोशनदान, झरोखे।
$गुर$फा (अ़.पु.)-दे.-'$गु$र्फ:Ó, वही उच्चारण शुद्घ है।
$गुर$फानशीं (अ़.$फा.स्त्री.)-दे.-'$गु$र्फ:नशींÓ, वही शुद्घ है।
गुर$िफश (अ़.स्त्री.)-दे.-'गु$िर्फशÓ।
$गुरबत (अ़.स्त्री.)-दे.-'$गुर्बतÓ।
$गुरबतज़दा (अ़.$फा.वि.)-दे.-'$गुर्बतज़द:Ó, वही शुद्घ है।
$गुरबतदीदा (अ़.$फा.वि.)-दे.-'$गुर्बतदीद:Ó, वही शुद्घ है।
गुरबा ($फा.स्त्री.)-दे.-'गुर्ब:Ó, वही उच्चारण शुद्घ है।
$गुरबा (अ़.पु.)-'$गरीबÓ का बहु., $गरीब लोग, दरिद्र और दीन लोग; परदेसी लोग।
$गुरबापर्वर (अ़.$फा.वि.)-दीन और दु:खियों पर दया करनेवाला।
$गुरमा (अ़.पु.)-'$गरीमÓ का बहु., ऋणी, $कजऱ्दार लोग; ऋणदाता, $कजऱ्ख़्वाह लोग; जिन्हें हानि उठानी पड़ी हो वे लोग, जिन्हें टोटा आया हो वे लोग।
$गुरर (अ़.पु.)-'$गुर्र:Ó का बहु., महीने की पहली तारीख़्ों; जाति के सर्वश्रेष्ठ लोग; लौंडी, $गुलाम।
गुरसंगी ($फा.स्त्री.)-भूख।
गुरस्न: ($फा.वि.)-जिसे भूख लगी हो, भूखा, क्षुधातुर, क्षुधित।
गुरस्न:चश्म ($फा.वि.)-लालची, लोलुप; कृपण, कंजूस; भिक्षुक, भिखारी।
गुरस्न:चश्मी ($फा.स्त्री.)-लोलुपता, लालच; कंजूसी; भिखमंगापन।
गुराज ($फा.पु.)-सुअर, शूकर; (वि.)-ज़ालिम, अत्याचारी; बहादुर, शूर, वीर।
$गुराब (अ़.पु.)-कौआ, काक, काग; एक प्रकार की छोटी नाव।
$गुराबुलबैन (अ़.पु.)-वह अशुभ-भाषी कौआ, जिसके बोलने पर घर के लोग अथवा मित्रगण अलग-अलग हो जाते हैं।
गुरास ($फा.पु.)-ग्रास, निवाला।
गुरिंज ($फा.पु.)-तंदुल, धान से निकाला हुआ चावल।
$गुरिश ($फा.स्त्री.)-दे.-'$गुर्रिशÓ।
$गुरु$फ़ात (अ़.पु.)-'$गु$र्फ:Ó का बहु., झरोखे।
$गुरुब (अ़.वि.)-अभूतपूर्व, अद्भुत, अजीबो$गरीब।
गुरुस्न: ($फा.वि.)-जिसे भूख लगी हो, भूखा, क्षुधित। दे.-'गुरस्न:Ó और 'गुस्र्त:Ó।
$गुरूब (अ़.पु.)-डूबना, किसी तारे का डूबना, विशेषत: सूरज का डूबना, अस्त होना।
$गुरूर (अ़.पु.)-गर्व, घमण्ड, अहंकार, अभिमान; शेखी, अहंवाद। 'मुझको तुझ पर $गुरूर था का$फी, इसलिए ख़्ाुद से दूर था का$फीÓ-माँझी
गुरेख़्त: ($फा.वि.)-पलायन किया हुआ, भागा हुआ, पलायित।
गुरेख़्तगी ($फा.स्त्री.)-बार-बार भागने की क्रिया, भगोड़ापन, पलायन।
गुरेख़्तनी ($फा.वि.)-भागने योग्य।
गुरेज़ ($फा.पु.)-परहेज़, अलग रहना, बचे रहना, दूर रहना; उपेक्षा, बचाव, बेएÓतिनाई; घृणा, नफ्ऱत; $कसीदे में अनुष्ठान का प्रशंस्य (मम्दूह यानी जिसकी प्रशंसा की गई है) के गुण-गाथा की ओर मोड़ देने का अलंकार; काव्य में एक विषय को छोड़कर दूसरे विषय का वर्णन करने लगना। 'गुरेज़ करनाÓ-भागना, परहेज़ करना।
गुरेज़पा ($फा.वि.)-भागनेवाला, अस्थिर, ना-पाएदार; भगोड़ा, जो बहुत भागता हो; वह नौकर जो बार-बार भाग जाता हो।
गुरेज़पाई ($फा.स्त्री.)-बार-बार भागने की क्रिया, भगोड़ापन।
गुरेज़ाँ ($फा.वि.)-भागकर जाता हुआ, भागता हुआ; बचकर निकल जानेवाला, पास न आनेवाला।
गुरेजि़ंद: ($फा.वि.)-बचनेवाला, परहेज़ करनेवाला, उपेक्षक; पलायनकर्ता, भागनेवाला।
गुरेज़ी ($फा.स्त्री.)-चतुराई, अ़क़्लमंदी, बुद्घिमत्ता; धूर्तता, मक्कारी, चालाकी।
गुरेज़ीद: ($फा.वि.)-पलायित, भागा हुआ।
गुरेरना ($हिं.क्रि.सक.)-आँखें फाड़कर देखना, घूरना।
गुरोह ($फा.पु.)-टोली, झुण्ड, $गोल; हुजूम, जनसमूह; दल, पार्टी; समुदाय, जमाअ़त। (हिन्दी में 'गिरोहÓ प्रचलित है)।
गुरोह दर गुरोह ($फा.वि.)-झुण्ड के झुण्ड, $गोल के $गोल अर्थात् बहुत अधिक (मनुष्य)।
गुरोहबंद ($फा.वि.)-$गोलबंद, गुटबंद, दलबंद, पार्टीबंद। (हिन्दी में 'गिरोहबंदÓ प्रचलित है)।
गुरोहबंदी ($फा.स्त्री.)-गुटबंदी, दलबंदी, पार्टीबंदी। प्रचलित उच्चारण 'गिरोहबंदीÓ है।
गुर्ग ($फा.पु.)-भेडिय़ा, वृक।
गुर्गआशना ($फा.वि.)-भेडिय़ा की तरह चालबाज़, मक्कार।
गुर्गआशनाई ($फा.स्त्री.)-प्रत्यक्ष में दोस्ती मगर अन्दरूनी दुश्मनी, मुँह में राम-राम ब$गल में छुरी का व्यवहार।
गुर्ग आस्ती ($फा.स्त्री.)-प्रकट में संधि मगर दिल में धोखा।
गुर्गज़ाद: ($फा.पु.)-वृक-शावक, भेडिय़े का बच्चा; खल-पुरुष अर्थात् धूर्त व्यक्ति का पुत्र।
गुर्गा (हिं.पु.)-(दिल्ली में)-चेला, शागिर्द, (लखनऊ में)-शरीर, शैतान, बदकार।
गुर्गीन: ($फा.पु.)-पोस्तीन, बालोंदार खाल का कोट।
गुर्गुन ($फा.पु.)-चबेना, होरहा, हरा अन्न जो भुना हो।
गुर्गेब$गल ($फा.पु.)-ब$गल में रहनेवाला भेडिय़ा अर्थात् पास में रहनेवाला शत्रु, आस्तीन का साँप; छिपा हुआ दुश्मन जो साथ रहकर दुश्मनी करे।
गुर्गेबाराँदीद: ($फा.पु.)-वह भेडिय़ा जिसने बहुत-सी बरसातें देखी हों; बहुत-ही धूर्त व्यक्ति; बहुत-ही अनुभवी आदमी; खुर्राट, घुटा हुआ।
गुर्च ($फा.पु.)-ख़्ारबूज़े या तरबूज़ की फाँक।
गुजऱ्: ($फा.पु.)-साँप का बड़ा और फैला हुआ फन, ($वि.)-भयानक, ख़्ाौ$फनाक, डरावना।
गुजऱ् ($फा.पु.)-एक प्राचीन अस्त्र, गदा, सोंटा।
गुर्ज ($फा.पु.)-दे.-'गुर्दÓ।
गुजऱ्बरदार ($फा.वि.)-गदाधर, गदाधारी, गदा रखनेवाला, गदा से लडऩेवाला।
गुर्जिस्तान ($फा.पु.)-जारजिया, एक प्रदेश।
गुर्जी ($फा.वि.)-गुर्जिस्तान या जार्जिया नामक देश का निवासी; सेवक, ख़्ाादिम, नौकर; कुत्ता, श्वान।
$गुजऱ्ू$फ (अ़.स्त्री.)-दे.-'$गुज्ऱू$फÓ, दोनों शुद्घ हैं।
गुर्द: ($फा.पु.)-शरीर के अन्दर कलेजे के पास का एक अंग, जिसमें पेशाब बनता है, मूत्राशय; दिलेरी, हौसला, हिम्मत, साहस।
गुर्द ($फा.पु.)-मल्ल, पहलवान; योद्घा, बहादुर; एक देश।
गुर्दा ($फा.पु.)-दे.-'गुर्द:Ó, वही उच्चारण शुद्घ है।
$गुर्नी$क (अ़.पु.)-कुलंग पक्षी; गोरा-चिट्टा और मृदुलांग युवक।
$गुर्नू$क (अ़.पु.)-घुँघराले बाल; गुँधी हुई चोटी; दे.-'$गुर्नी$कÓ।
गुर्पुज़ ($फा.वि.)-दे.-'गुर्बुज़Ó।
$गु$र्फ: (अ़.पु.)-दरीचा, खिड़की, गवाक्ष, झरोखा, वातायन; अट्टालिका, छत के ऊपर का कमरा, बालाख़्ाान:। '$गु$र्फ: की बातÓ-गुप्त बात, पोशीदा बात।
$गुर्फ़:नशीं (अ़.$फा.वि.)-खिड़की अथवा झरोखे में बैठनेवाला (वाली); प्रियतमा, महबूब, माÓशू$क।
$गु$र्फा (अ़.पु.)-दे.-'$गु$र्फ:Ó, वही उच्चारण शुद्घ है।
$गु$र्फात (अ़.पु.)-'$गु$र्फ:Ó का बहु., खिड़कियाँ, झरोखे।
गु$िर्फश (अ़.स्त्री.)-कुत्ता, बिल्ली या शेर के गुर्राने की आवाज़; मनुष्य की तकरार, निरर्थक बातें, धमकी, $गुस्से की बातें। 'गु$िर्फश करनाÓ-डराना, धमकाना, तकरार करना।
गुर्ब: ($फा.स्त्री.)-बिल्ली, मार्जारी।
गुर्ब:गूँ ($फा.वि.)-छली, वंचक, धूर्त, मक्कार।
गुर्ब:चश्म ($फा.वि.)-दु:शील, बेमुरव्वत।
गुर्बएमिस्कीं (अ़.$फा.स्त्री.)-वह व्यक्ति जो देखने में बहुत सीधा-सादा हो मगर बहुत-ही धूर्त और चालाक हो।
$गुर्बत (अ़.स्त्री.)-परदेशी होना; परदेश, विदेश, बेवतनी; मुसा$िफरी, स$फर; $गरीबी, मु$फलिसी, दरिद्रता, कंगाली।
$गुर्बतज़द: (अ़.$फा.वि.)-वह व्यक्ति जो अपने जन्म-स्थान या नगर से दूर हो, प्रवासी, घरबार छोड़कर परदेश में पड़ा हुआ; निर्धन, कंगाल।
$गुर्बतज़दा (अ़.$फा.वि.)-दे.-'$गुर्बतज़द:Ó, वही शुद्घ है।
$गुर्बतज़दगी (अ़.$फा.स्त्री.)-परदेश में होना, बेवतनी; निर्धनता, कंगाली।
$गुर्बतदीद: (अ़.$फा.वि.)-दे.-'$गुर्बतज़द:Ó।
गुर्बुज़ ($फा.वि.)-ठगिया, छलिया, छली, वंचक, धूर्त, मक्कार।
गुर्बुज़ी ($फा.स्त्री.)-ठगई, छल, वंचना, मक्कारी।
$गुर्म (अ़.पु.)-दण्ड, तावान, हर्जाना।
$गुर्म ($फा.स्त्री.)-पहाड़ी बकरी।
गुर्म ($फा.पु.)-संताप, दु:ख, खेद, रंज, $गम; कष्ट, तक्ली$फ, पीड़ा; मनस्ताप, जी का जलन, दिलगीरी; इन्द्रधनुष।
$गुर्र: (अ़.पु.)-चाँद के महीने की पहली तारीख, जो हिन्दी हिसाब से कृष्णपक्ष की तृतीया होती है; घोड़े के माथे की स$फेदी; दास अथवा दासी; प्रत्येक वह वस्तु जो उत्तम हो; जिस काम को रोज़ करते हों उसे न करना, ना$गा; उपवास। 'गुर्र: करनाÓ-नित्यकर्म में ना$गा करना। '$गुर्र: बतानाÓ-टाल जाना, ना$गा करना, $फा$का करना।
$गुर्रा (अ़.पु.)-दे.-'$गुर्र:Ó।
$गुर्रएशव्वाल (अ़.पु.)-शव्वाल महीने की पहली तारीख अर्थात् ईद का दिन।
$गुर्रिश ($फा.स्त्री.)-आतंक, भय, हैबत; गुर्राहट, गर्जन।
गुर्शीदन ($फा.$क्रि.)-क्रोधित होना, $गुस्सा करना; गुर्राना, गर्जना करना।
गुर्स ($फा.स्त्री.)-भूख, क्षुधा; प्यास, पिपासा।
गुर्सन: ($फा.वि.)-$जिसे भूख लगी हो, भूखा, क्षुधातुर। दे.-'गुरस्न:Ó और 'गुरुस्न:Ó, तीनों शुद्घ हैं।
गुर्सन:चश्म ($फा.वि.)-लोभी, लालची, हरीस; कृपण, कंजूस; भिखारी, भिक्षुक, $फ$कीर।
गुर्सन:चश्मी ($फा.स्त्री.)-कृपणता, कंजूसी; लोभ, लालच; भिखमंगापन।
गुर्सनगी ($फा.स्त्री.)-भूख, क्षुधा, बुभुक्षा।
$गुल [ल्ल] (अ़.पु.)-लोहे का तौ$क जो $कैदियों के गले में पड़ता है; प्यासा, सतृष्ण; प्यास की तीव्रता; मनस्ताप, जी का जलन।
$गुल ($फा.पु.)-चीख, पुकार, शोर, कोलाहल, हंगामा, हुल्लड़; धूम। '$गुल गपाड़ाÓ-शोर, हल्ला, हुड़दंग।
गुल ($फा.पु.)-पुष्प, फूल, सुमन; गुलाब का फूल; वह गड्ढा जो हँसने के समय गालों में पड़ जाए; चिरा$ग का गुल, दीपक की बत्ती के ऊपर का जला हुआ अंश; आँख की फूली। 'मौसमे-गुलÓ-बहार का मौसम, बसन्त ऋतु। मुहा.-'चिरा$ग गुल करनाÓ-छीपक बुझाना या ठण्डा करना।
गुलअंदाम ($फा.वि.)-जिसका रंग गुलाब के फूल का-सा हो; फूल-जैसे कोमल, मृदुल, सुकुमार और सुगन्धित शरीरवाला (वाली), पुष्पांगी, पुष्पांगना।
गुलअफ़्शाँ ($फा.वि.)-फूलो की वर्षा करनेवाला, पुष्पवर्षक, फूल बरसानेवाला; जिससे फूल झड़ते हों।
गुलअफ़्शानी ($फा.स्त्री.)-फूल बरसाना; फूल बरसना; मज़ेदार बातें।
गुलअ़ब्बास (अ़.$फा.पु.)-एक पौधा जिसमें लाल या पीले रंग के फूल लगते हैं, गुलाबबाँस।
गुलइज़ार (अ़.$फा.वि.)-गुलाब-जैसे सुकुमार और कोमल गालोंवाला (वाली)।
$गुल ओ $िगश ($फा.स्त्री.)-कदूरत, द्वेष, मालिन्य।
गुलकं़द ($फा.पु.)-गुलाब के फूल और खाँड़ के मिश्रण से बनी हुई एक औषधि।
गुलकद: ($फा.पु.)-कुसुमालय, पुष्पागार, वह घर जहाँ फूल ही फूल हों।
गुलकार ($फा.वि.)-बेल-बूटे बनानेवाला; वह चीज़ जिस पर बेल-बूटे हों; वह चीज़ जिसमें से फूल निकलें।
गुलकारी ($फा.स्त्री.)-बेल-बूटे बनाने का काम; बेल-बूटे, नक़्शो-निगार।
गुलख़्ान ($फा.पु.)-भाड़, भट्ठी; चूल्हा; कूड़ा-करकट।
गुलख़्ानअफ्ऱोज़ ($फा.वि.)-चूल्हा फँूकनेवाला, भट्ठी जलानेवाला।
गुलख़्ााल ($फा.वि.)-चितकबरा, दा$गोंवालो, चित्तेदार।
गुलख़्ाुर्द: ($फा.वि.)-दा$ग खाये हुए, दा$ग लगाया हुआ।
$गुल$गपाड़ा (उ.पु.)-बहुत अधिक शोर; कौतुहल।
गुलगश्त ($फा.पु.)-उपवन की सैर, बा$ग में घूमना; सैर का स्थान; क्रीड़ास्थल, खेल का मैदान।
गुलगीर ($फा.पु.)-शम्अ़ या चिरा$ग का गुल कतरने की क़ैंची, दीपक की बत्ती काटने की $कैंची।
$गुल$गुल: (अ़.पु.)-शोर, कोलाहल; धूम; ख़्ाुशी का शोर, हर्षध्वनि।
$गुल$गुला (अ़.पु.)-दे.-'$गुल$गुल:Ó, वही उच्चारण शुद्घ है।
गुलगूँ ($फा.वि.)-गुलाब-जैसे रंगवाला, गुलाबी; लाल रंग का घोड़ा; $फरहाद की प्रेयसी शीरीं के घोड़े का नाम।
गुलगून: ($फा.पु.)-मुँह पर मलने का सुगन्धित और गुलाबी पाउडर, वह चूर्ण जो स्त्रियाँ सुन्दरता बढ़ाने के लिए अपने मुख पर लगाती हैं।
गुलगूना ($फा.पु.)-दे.-'गुलगून:Ó, वही उच्चारण शुद्घ है।
गुलचीं ($फा.वि.)-पुष्पचायी, फूल बीनने या चुननेवाला; माली, मालाकार; तमाशा देखनेवाला।
गुलचीनी ($फा.स्त्री.)-फूल बीनना या चुनना; माली-कर्म, माली का काम।
गुलचेह्र: ($फा.वि.)-दे.-'दिलरुख़्ाÓ।
गुलचेहरा ($फा.वि.)-दे.-'दिलचेह्र:Ó, वही शुद्घ है।
गुलज़मीं ($फा.स्त्री.)-पुष्पवन, ऐसी भूमि जहाँ फूल बहुत पैदा होते हों, पुष्पोद्यान; फूलों से ढँकी हुई ज़मीन।
गुलज़ार ($फा.पु.)-चमन, उपवन, उद्यान, वाटिका, बा$ग, फुलवारी; वह स्थान जहाँ ख़्ाूब चहल-पहल और रौन$क हो; (वि.)-हरा-भरा; आनन्द और शोभायुक्त। 'गुलज़ार-ए-हस्तीÓ-संसार-रूपी वाटिका।
गुलज़ारे इब्राहीम ($फा.पु.)-वह आग जिसमें नम्रूद ने हज्ऱत इब्राहीम को जलाने के लिए डाल दिया था मगर ईश्वर के आदेश से वह आग ठण्डे बा$ग के रूप में परिवर्तित हो गई थी।
गुलज़ारे $कालीं ($फा.पु.)-$कालीन पर बनी फूल-पत्तियाँ।
गुलज़ारे हस्ती ($फा.पु.)-संसार-रूपी वाटिका।
गुलदस्त: ($फा.पु.)-सुन्दर फूलों या पत्तियों का एक में बँधा समूह, पुष्पगुच्छ, फूलों का गुच्छा, रंग-बिरंगे फूलों का मुट्ठा, पुष्पस्तवक; पत्रिका, रिसाल:।
गुलदस्ता ($फा.पु.)-दे.-'गुलदस्त:Ó, वही शुद्घ उच्चारण है।
गुलदान ($फा.पु.)-गुलदस्ता सजाने या रखने का पात्र।
गुलदाम ($फा.पु.)-पुष्प-पाश, फूलों का जाल।
गुलदार ($फा.वि.)-वह वस्तु जिस पर फूल-पत्ते बने हों; एक प्रकार का स$फेद कबूतर; एक प्रकार का कशीदा।
गुलदुम ($फा.स्त्री.)-बुलबुल, एक प्रसिद्घ पक्षी।
गुलदोज़ ($फा.पु.)-वह वस्तु जिस पर बेल-बूटे कढ़े या बने हों।
गुलनार ($फा.पु.)-अनार का फूल, गुले अनार; अनार की एक प्रजाति जिसमें फल नहीं आता और जिसके फूल का दवा में प्रयोग किया जाता है; अनार के फूल का-सा गहरा लाल रंग।
गुलपाश ($फा.वि.)-पुष्पवर्षक, फूलों की वर्षा करनेवाला।
गुलपाशी ($फा.स्त्री.)-पुष्पवर्षा, फूलों की बारिश।
गुलपैरहन ($फा.वि.)-गुलाबी कपड़े पहननेवाला (वाली); गुलाब के फूल-जैसे रंगीन, कोमल और सुगन्धित कपड़े पहननेवाली नायिका।
गुलपैरहनी ($फा.स्त्री.)-फूलों-जैसे रंगीन, कोमल और सुगन्धित कपड़े पहनने की क्रिया या भाव।
गुलपोश ($फा.वि.)-पुष्प-आच्छादित, फूलों से ढँका हुआ; फूलों से लदा हुआ; फूलों से मढ़ा हुआ।
गुलपोशी ($फा.स्त्री.)-फूलों से ढँका होना।
गुल$फाम ($फा.वि.)-दे.-'गुलअंदामÓ।
गुल$िफशाँ ($फा.वि.)-पुष्पवर्षक, फूलों की वर्षा करने- वाला; चिरा$ग का गुल झाडऩेवाला, (स्त्री.)-एक प्रसिद्घ आतशबाज़ी, फुलझड़ी; एक प्रकार की छोटी शीशी जिसमें गुलाबजल या शराब रखते हैं।
गुल$िफशानी ($फा.स्त्री.)-पुष्पवर्षा करना, फूल बरसाना, (ला.)-ख़्ाुश बयानी, ऐसे बोलना जैसे फूल झड़ रहे हों।
गुलबकावली ($फा.स्त्री.)-हल्दी की प्रजाति का एक पौधा जिसमें सुन्दर, स$फेद और सुगन्धित फूल लगते हैं।
गुलबदन ($फा.वि.)-जिसका शरीर गुलाब के फूलों के समान सुन्दर और कोमल हो; पुष्प-जैसे कोमल और मृदुल अंगों वाला (वाली) अर्थात् बहुत सुन्दर, (पु.)-एक प्रकार का धारीदार रेशमी कपड़ा।
गुलबदनी ($फा.स्त्री.)-पुष्प-जैसे कोमल, मृदुल और सुगन्धित शरीर का होना।
गुलबर्ग ($फा.पु.)-पुष्पदल, फूल का पत्ता, गुलाब की पत्ती।
गुलबाँग ($फा.स्त्री.)-वह शोर या कोलाहल जो किसी के ब्याह-शादी आदि के अवसर पर होता है, शादी-ब्याह की धू-धाम, हर्षध्वनि; बुलबुल आदि मधुरस्वर पक्षियों की चहचहाहट; युद्घ के समय की हुंकार; आवाज़, सदा, शब्द, घोष।
गुलबाज़ी ($फा.स्त्री.)-पुष्प-क्रीड़ा, एक-दूसरे की ओर फूल फेंकने का खेल।
गुलबुन ($फा.पु.)-गुलाब का पौधा।
गुलबू ($फा.स्त्री.)-फूलों की सुगन्ध।
गुल-बेगाना ($फा.पु.)-दे.-'गुले बेगान:Ó।
गुलमेख़्ा ($फा.स्त्री.)-फुल्लीदार अथवा चौड़े सिरे की बड़ी कील जो किवाड़ों आदि में लगती हैं, फुलिया, बताशेदार कील।
गुलरंग ($फा.वि.)-गुलाब के फूल-जैसे गुलाबी रंगवाली वस्तु।
गुलरुख़्ा ($फा.वि.)-जिसका मुख गुलाब के फूल के समान सुन्दर हो, पुष्पमुखी, गुलाब के फूल-जैसी सुन्दर, सुकोमल मुखवाली नायिका।
गुलरुख़्ासार ($फा.वि.)-गुलाब के फूल-जैसे सुन्दर गालों अथवा कपोलोंवाली नायिका, पुष्पकपोला।
गुलरू ($फा.वि.)-दे.-'गुलरुख़्ाÓ।
गुलरेज़ ($फा.वि.)-जिससे फूल झड़ते हों, (स्त्री.)-एक आतशबाज़ी, फुलझड़ी।
गुलरेज़ी ($फा.स्त्री.)-फूल झडऩा; बातचीत में ऐसी मृदुल भाषा का प्रयोग जिससे लगे कि फूल झड़ रहे हैं, ख़्ाुश बयानी।
गुल-लाला ($फा.पु.)-दे.-'गुले लाल:Ó, वही शुद्घ है।
$गुलल (अ़.पु.)-'$गलीलÓ का बहु., प्यासे, तृषित।
गुल लह्न: ($फा.पु.)-गोभी, करमकल्ला।
गुलशकर ($फा.पु.)-दे.-'गुलकंदÓ।
गुलशन ($फा.पु.)-उपवन, उद्यान, वाटिका, बा$ग, गुलिस्ताँ।
गुलशन आरा ($फा.वि.)-उपवन की देख-भाल करनेवाला, उद्यानपाल, माली; बा$ग को सँवारनेवाला, बा$गवान।
गुलशन ईजाद ($फा.पु.)-संसा, दुनिया।
गुलशनसर: ($फा.स्त्री.)-वह मकान जो बा$ग में हो।
गुलशब्बो ($फा.स्त्री.)-लहसुन से मिलता-जुलता एक छोटा पौधा, रजनीगंधा, सुगंधरा, सुगंधिराज, रात की रानी।
$गुलाज़ (अ़.वि.)-मोटा, दलदार; कड़ा, कठोर, सख़्त।
$गुलात (अ़.पु.)-'ग़ालीÓ का बहु., अति करनेवाले, किसी विषय में हद अथवा सीमा को पार करनेवाले।
गुलाब ($फा.पु.)-एक प्रसिद्घ फूल, गुल; गुलाबजल, गुलाब का अर$क।
गुलाबपाश ($फा.पु.)-सभा आदि में गुलाबजल छिड़कने का यंत्र, सुराहीनुमा एक पात्र जिसमें भरकर गुलाबजल छिड़कते हैं।
गुलाबपाशी ($फा.स्त्री.)-गुलाबजल छिड़कने की क्रिया या भाव।
गुलाबी ($फा.वि.)-गुलाब-जैसे रंगवाली वस्तु, हलका लाल, (स्त्री.)-रंगीन काँच से बनी शराब की सुराही। 'गुलाबी जाड़ाÓ-कम कम जाड़ा जो सर्दी के बाद होता है।
$गुलाम (अ़.पु.)-दास, ख़्ाादिम, नौकर, सेवक; क्रीत दास, ख़्ारीदा हुआ नौकर; पराधीन, महकूम; लड़का, बालक; ताश का एक पत्ता; गंजी$फे के एक रंग का नाम। '$गुलाम का तिलामÓ-$गुलाम का $गुलाम।
$गुलामगरदिश (अ़.$फा.स्त्री.)-दे.-'$गुलामगर्दिशÓ।
$गुलामगर्दिश (अ़.$फा.स्त्री.)-भवन, कोठी या मकान के चारों ओर का बरामदा; वह दीवार जो जऩानख़्ााना और मर्दानी बैठक के बीच में हो, पर्दे की दीवार; शागिर्दों या नौकरों के रहने की जगह।
$गुलामचापार (अ़.$फा.पु.)-डाकिया, पोस्टमैन, चिट्ठीरसाँ।
$गुलामज़ाद: (अ़.$फा.पु.)-दासी-पुत्र, लौंडी-बच्चा (वक्ता विनय-प्रदर्शन के लिए अपने पुत्र के लिए भी इस शब्द का प्रयोग कर लेता है)।
$गुलामज़ादा (अ़.$फा.पु.)-दे.-'$गुलामज़द:Ó, वही शुद्घ है।
$गुलाममाल (अ़.$फा.पु.)-कम्बल; बढिय़ा और सस्ती चीज़।
$गुलामान: (अ़.$फा.वि.)-दासोचित, $गुलामों-जैसा।
$गुलामी (अ़.स्त्री.)-$गुलाम का भाव, परतंत्रता, पराधीनता, महकूमी; दासता, बन्दगी; सेवा, नौकरी।
$गुलामे जऱख़्ारीद (अ़.पु.)-धन देकर ख़्ारीदा हुआ दास या सेवक।
$गुलामे बेदाम (अ़.पु.)-बिना मूल्य का दास या सेवक।
गुलामे बेदिरम (अ़.पु.)-दे.-'$गुलामे बेदामÓ।
$गुलाल: ($फा.स्त्री.)-प्रेयसी की अलक, माÓशू$का की ज़ुल्$फ।
गुलिस्ताँ ($फा.पु.)-'गुलिस्तानÓ का लघु., दे.-'गुलिस्तानÓ। शेख़्ा सादी की सुप्रसिद्घ पुस्तक।
गुलिस्ताँज़ाद: ($फा.पु.)-पुष्प, फूल; उपवन या बा$ग की घास, सब्ज़ा; दासी-पुत्र, लौंडी-बच्चा।
गुलिस्तान ($फा.पु.)-चमन, उपवन, उद्यान, वाटिका, बा$ग, फुलवारी।
गुली ($फा.वि.)-गुल से सम्बन्धित; गुलदार, फूलदार; एक $िकस्म का कबूतर जिसके पैरों पर गुल होते हैं।
$गुलु$फ (अ़.पु.)-'$िगला$फÓ का बहु., बहुत से गिला$फ अथवा कोष।
$गुलुब (अ़.पु.)-दे.-'$गुलूÓ।
$गुलू (अ़.पु.)-अति करना, हद से गुजऱ जाना; ऐसी अत्युक्ति जो न बुद्घि के अनुसार ठीक हो और न ही प्राकृतिक हो; पूरा हाथ उठाना; भीड़, जनसमूह।
गुलू ($फा.पु.)-कंठ, गला, हुल्$कूम। 'गुलू-ए-तिश्नाÓ-प्यासा गला, प्यास के कारण सूखा कंठ। 'ज़ेबे-गुलूÓ-गले की शोभा; स्वर।
गुलूख़्ालासी ($फा.स्त्री.)-मुक्ति, बंधन-मुक्ति, छुटकारा; किसी जंजाल या आ$फत से मुक्ति।
गुलूगीर (फ़ा.वि.)-गला पकडऩेवाला (वाली), इल्ज़ाम लगानेवाला (वाली); आवाज़ रुँधा देनेवाला (वाली)।
गुलूबंद ($फा.पु.)-गले में पहनने का एक आभूषण; लम्बी और प्राय: एक बालिश्त चौड़ी वह पट्टी जो सर्दी से बचने के लिए सिर, गले और कानों पर लपेटते हैं, मफ़्लर।
गुलूबस्त: ($फा.वि.)-जिसका स्वर बैठ गया हो; ख़्ाामोश, चुप, मौन।
गुलूबुरीद: ($फा.वि.)-जिसका गला कट गया हो, छिन्नग्रीव, वधित।
$गुलूल: ($फा.पु.)-आवेग, जोश; जनसमूह, भीड़, हुजूम।
गुलूल: ($फा.पु.)-मिट्टी की बनी गोली जिस गुलेल से फेंककर चिडिय़ों आदि का शिकार किया जाता है, गुलेल का गुल्ला; बंदू$क की गोली; दवा की गोली।
$गुलूल (अ़.पु.)-वृक्षों के बीच में बहता हुआ पानी।
गुले अनार ($फा.पु.)-दाडिम-पुष्प, अनार का फूल।
गुले अ़ब्बास (अ़.$फा.पु.)-एक प्रसिद्घ फूल और उसका पेड़, गुलाबाँस।
गुले आतशीं ($फा.पु.)-सदा गुलाब, गुलाब की एक प्रजाति जो सदा फूलती है।
गुले आफ़्ताबपरस्त ($फा.पु.)-सूरजमुखी का फूल।
गुले का$गज़ी (अ़.$फा.पु.)-का$गज़ के फूल जो सजावट के काम आते हैं; दिखावटी वस्तु।
गुले ख़्ांदाँ ($फा.पु.)-खिला हुआ फूल, हँसता हुआ फूल।
गुले ख़्ाुदरो ($फा.पु.)-जो फूल बोया न गया हो बल्कि अपने आप उगा हो।
गुले चकाँ ($फा.पु.)-महुआ का फूल।
गुले चश्म ($फा.पु.)-आँख की फुल्ली, टेंट।
गुले चाँदनी ($फा.पु.)-एक प्रकार का स$फेद फूल जो चाँदनी रात में खिलता है।
गुले चिगाँ ($फा.पु.)-महुआ, महुए का फूल; एक प्रकार की आतिशबाज़ी।
गुले जाÓ$फरी (अ़.$फा.पु.)-पीले रंग का एक फूल।
गुले तर ($फा.पु.)-ताज़ा फूल, (ला.)-सुन्दर चेह्रा।
गुले तुर्र: ($फा.पु.)-एक प्रसिद्घ फूल, मु$र्गकेस।
गले दाऊदी (अ़.$फा.पु.)-एक प्रसिद्घ फूल, दाऊदी।
गुले ना$फर्मां ($फा.पु.)-एक पुष्प।
गुले नाशिगुफ़्त: ($फा.पु.)-बिन खिला फूल, कली, गुंचा, मुकुल; अंकुरित यौवना, कुवाँरी युवती, कुमारी, दोशीज़:।
गुले निशात ($फा.पु.)-मदिरा, शराब।
गुले नीलो$फर ($फा.पु.)-कमल का फूल।
गुले पलास ($फा.पु.)-टेसू का फूल, ढाक का फूल। (विशेष-'पलासÓ संस्कृत में भी 'टेसूÓ को कहते हैं। यह शब्द संस्कृत और $फार्सी के प्राचीन सम्बन्ध का परिचायक है)।
गुले पियाद: ($फा.पु.)-प्रत्येक वह पुष्प जिसकी प्याली छोटी हो; अपने आप उगनेवाला फूल।
गुले बेगान: ($फा.पु.)-दे.-'गुले ख़्ाुदरोÓ।
गुले यासमन ($फा.पु.)-मालती, नवमल्लिका, चमेली का फूल।
गुले यासमीन ($फा.पु.)-दे.-'गुले यासमनÓ।
गुले राÓना (गुले रअऩा) ($फा.पु.)-दो रंग का एक फूल जो अन्दर से लाल और बाहर से पीला होता है; एक प्रकार का बढिय़ा गुलाब; प्रेमिका का वाचक शब्द या विशेषण।
गुलेल (अ़.स्त्री.)-वह कमान या धनुष जिससे मिट्टी की गोलियाँ चलाई जाती हैं।
गुलेलची, गुलेलबाज़ (अ़.पु.)-गुलेल चलानेवाला, जो गुलेल चलाने में अभ्यस्त हो।
गुलेला ($फा.पु.)-दे.-'गुलूल:Ó, वही उच्चारण शुद्घ है।
गुले लाल: ($फा.पु.)-एक सुप्रसिद्घ पुष्प जो अनेक प्रकार का होता है, विशेषत: लाल रंग का, पोस्ते का फूल, गुले ख़शख़्ााश।
गुले वर्द (अ़.$फा.पु.)-गुलाब का फूल।
गुले शबअफ्ऱोज़ ($फा.पु.)-एक प्रसिद्घ पुष्प, रात की रानी, रजनीगंधा।
गुले शब बो ($फा.पु.)-रजनीगंधा की प्रजाति का एक प्रसिद्घ पुष्प, सुगंधरा।
गुले शम्अ़ (अ़.$फा.पु.)-चिरा$ग या मामबत्ती का गुल।
गुले सदबर्ग ($फा.पु.)-सौ पंखडिय़ोंवाला पुष्प, गुलाब; गुलनार; गेंदा (विशेषत: गेंदा के लिए इस शब्द का प्रयोग होता है)।
गुले सर सबद ($फा.पु.)-वह पुष्प जो माली की टोकरी में सबसे ऊपर रहता और सारी टोकरी में सबसे बड़ा और सुगन्धित होता है; वह व्यक्ति जो सर्वश्रेष्ठ और सर्वोत्तम हो।
गुले सुख्ऱ्ा ($फा.पु.)-गुलाब का फूल।
गुले सूरी ($फा.पु.)-एक प्रकार का गुलाब।
गुले सौसन ($फा.पु.)-आस्मानी रंग का एक प्रसिद्घ पुष्प, जिसकी पंखड़ी ज़बान (जिह्वïा) की तरह होती है।
गुले हज़ार: ($फा.पु.)-हज़ारे का फूल (यह गेंदा प्रजाति का पुष्प है)।
$गुलैम (अ़.पु.)-छोटा बच्चा, बहुत प्यारा और छोटा-सा बालक।
गुलो बुलबुल ($फा.पु.)-फूल और बुलबुल अर्थात् प्रेमी और प्रेमिका।
$गुल्ज़त (अ़.स्त्री.)-दे.-'गिल्ज़तÓ, दोनों शुद्घ हैं।
$गुल्$फ (अ़.पु.)-'$िगला$फÓ का बहु., तकिए के $िगला$फ या खोल; तलवार आदि के कोष अथवा म्यान।
$गुल्म: (अ़.पु.)-कामातुर होना, तेज़ शहवत होना, बहुत उत्तेजना होना; कामातुरता, सहवास की उत्तेजना, शहवत की तेज़ी।
$गुल्ल: (अ़.पु.)-तृषा, प्यास, पिपासा; हृदय की जलन, दिल की सोजि़श; जि़रिह के नीचे पहनने का कुर्ता आदि।
$गुल्लक (अ़.स्त्री.)-वह पात्र जिसमें आमदनी डालते हैं।
गुल्ला ($फा.पु.)-मिट्टी की गोली जो गुलेल से फेंकते हैं, दे.-'गुलूल:Ó।
गुवा ($फा.पु.)-'गुवाहÓ का लघु., दे.-'गुवाहÓ।
गुवार ($फा.वि.)-दे.-'गुवाराÓ।
गुवारा ($फा.वि.)-दे.-'गवाराÓ, शुद्घ उच्चारण तो यही है मगर उर्दू में 'गवाराÓ बोलते हैं।
गुवारिंद: ($फा.वि.)-गवारा होनेवाला, अच्छा लगनेवाला; शीघ्र पच जानेवाला।
गुवारिश ($फा.स्त्री.)-अच्छा लगने का भाव; रुचिकर होने का भाव; सुस्वाद होने का भाव; हज़्म होने का भाव, पचन।
गुवारीद: ($फा.वि.)-जो रुचिकर हो चुका हो; जो पच चुका हो।
गुवारीदनी ($फा.वि.)-रुचिकर होने योग्य; पचने योग्य।
गुवार्दनी ($फा.वि.)-दे.-'गुवारीदनीÓ।
$गुवास (अ़.पु.)-न्याय-याचना, $फर्याद, दुहाई; न्यायकर्ता, $फर्याद सुननेवाला।
गुवाह ($फा.पु.)-साक्षी, गवाह। शुद्घ उच्चारण यही है मगर उर्दूवाले 'गवाहÓ बोलते हैं और वही प्रचलित है।
$गुश [श्श] (अ़.वि.)-मोषक, ख़्िायानत करनेवाला; अशुभ-चिन्तक, बदख़्वाह; जिसके मन में कुछ और तथा मुँह पर कुछ और हो; मुँह में राम-राम और ब$गल में छुरी रखनेवाला।
$गुशाव: (अ़.पु.)-दे.-'$िगशाव:Ó।
गुश्नी ($फा.स्त्री.)-सहवास, मैथुन, संभोग, विषय, प्रसंग।
$गुस [स्स] (अ़.वि.)-दुर्बल, कमज़ोर, अशक्त; अधम, नीच, कमीना; दुष्टात्मा, ख़्ाबीस।
$गुसन (अ़.पु.)-'$गुस्नÓ का बहु., दुर्बलजन, कमज़ोर लोग, अशक्तजन।
$गुसल (अ़.पु.)-दे.-'$गुस्लÓ।
$गुसलख़्ााना (अ़.$फा.पु.)-दे.-'$गुस्लख़्ाान:Ó, वही शुद्घ है।
$गुसस (अ़.पु.)-'$गुस्स:Ó का बहु., $गुस्से।
गुसार ($फा.प्रत्य.)-खाने या सहन करनेवाला, जैसे-$गमगुसारÓ-$गम खाने या सहन करने वाला; पीनेवाला, जैसे-'मयगुसारÓ-मदिरा पीनेवाला। (यौगिक शब्दों के अन्त में प्रयुक्त)।
गुसारिंद: ($फा.वि.)-भक्षक, खानेवाला; त्यागी, त्याग करनेवाला, छोडऩेवाला।
गुसार्द: ($फा.वि.)-त्याग किया हुआ, छोड़ा हुआ; खाया हुआ।
$गुसाल: (अ़.पु.)-जिस जल में नहाया गया हो, जिस पानी में स्नान किया गया हो, धोवन।
गुसिल ($फा.वि.)-भंजक, तोडऩेवाला (वाली), तबाह करने वाला (वाली)।
गुसील ($फा.क्रि.)-भेजना, विदा करना, रुख़्सत करना।
$गुसून (अ़.पु.)-'$गुस्नÓ का बहु., डालियाँ, शाखें, शाखाएँ।
$गुसूस: (अ़.पु.)-दुबला या कमज़ोर होना, दुर्बल होना।
गुस्तर ($फा.प्रत्य.)-फैलानेवाला, बिछानेवाला, जैसे-'करमगुस्तरÓ-यश फैलानेवाला, कृपा विस्तारक; देने या व्यवस्था करनेवाला।
गुस्तरिंद: ($फा.वि.)-फैलानेवाला, बिछानेवाला।
गुस्तरी ($फा.स्त्री.)-बिछौना। 'हंगामा गुस्तरीÓ-बिछौने का हंगामा।
गुस्तर्द: ($फा.वि.)-फैलाया हुआ, बिछाया हुआ।
गुस्तर्दनी ($फा.वि.)-फैलाने योग्य, बिछाने योग्य।
गुस्ताख़्ा ($फा.वि.)-बड़ों का संकोच न रखनेवाला, बेअदब, अशिष्ट, बेहया, बदतमीज़; धृष्ट, ढीठ; दु:साहसी, बेबाक, अशालीन।
गुस्ताख़्ा चश्म ($फा.वि.)-जिस व्यक्ति की आँखों से धृष्टता छलके, जिसकी आँखों में दु:साहस के चिह्नï हों, वह आदमी जिसकी आँखों से क्रोध प्रकट हो।
गुस्ताख़्ातब्अ़ (अ़.$फा.वि.)-मुखर, मुँहफट, $फक्कड़।
गुस्ताख़्ादस्त ($फा.वि.)-किसी ऐसे काम में हाथ डालनेवाला जो उसके बूते से बाहर हो; गुस्ताख़्ाी के साथ किसी की ओर हाथ बढ़ानेवाला; चालाक, चतुर, तेज़, होशियार।
गुस्ताख़्ा रवी ($फा.स्त्री.)-निर्लज्जता, बेहयाई, बेशर्मी।
गुस्ताख़्ाान: ($फा.वि.)-गुस्ताख़्ाों-जैसा, धृष्टता-पूर्वक।
गुस्ताख़्ााना ($फा.वि.)-दे.-'गुस्ताख़्ाान:Ó, वही शुद्घ है।
गुस्ताख़्ाी ($फा.स्त्री.)-अशिष्टता, बदतमीज़ी; धृष्टता, ढीठपन; दु:साहस, बेबाकी।
$गुस्न (अ़.वि.)-कमज़ोर, अशक्त, निर्बल, नाता$कत। इसका 'सÓ उर्दू के 'सीनÓ अक्षर से बना है।
$गुस्न (अ़.पु.)-शाख़्ा, शाखा, डाली, टहनी। इसका 'सÓ उर्दू के 'स्वादÓ अक्षर से बना है।
गुस्नामार ($फा.वि.)-बहुत भूखा।
$गुस्र (अ़.वि.)-नीच, कमीना, अधम।
$गुस्ल (अ़.पु.)-स्नान, नहाना; माँजना, धोना। (अ़.क्रि.)-शरीर अथवा अन्य किसी वस्तु को सा$फ करने का काम या क्रिया।
$गुस्लख़्ाान: (अ़.$फा.पु.)-स्नानगृह, स्नानागार, नहाने का स्थान, बाथरूम।
$गुस्ले मय्यित ($गुस्ले मैयत) (अ़.पु.)- मृत व्यक्ति के शव को कराया जाने वाला स्नान, मृतकस्नान, शव को नहलाना।
$गुस्ले सेहत (अ़.पु.)-आरोग्य-स्नान, वह स्नान जो रोग-मुक्ति पर किया जाता है।
$गुस्स: (अ़.पु.)-कोप, क्रोध; प्रकोप, $गज़ब; द्वेष, बुग्ज़। '$गुस्सा उतारनाÓ-किसी पर ख़्ा$फा होना और दूसरे को फटकारना। '$गुस्सा थूक देनाÓ-क्रोध छोडऩा, जाने देना। '$गुस्सा मारनाÓ-ख़्ा$फगी रोकना। कहा.-'$गुस्सा बहुत ज़ोर थोड़ा, मार खाने की निशानीÓ-कमज़ोर का $गुस्सा उसकी जि़ल्लत कराता है।
$गुस्स:वर (अ़.$फा.वि.)-उग्र, क्रुद्घ, क्रोधी, जिसके स्वभाव में उग्रता अथवा क्रोध अधिक हो।
$गुस्सा (अ़.पु.)-दे.-'$गुस्स:Ó, वही शुद्घ उच्चारण है।
$गुस्सावर (अ़.पु.)-दे.-'$गुस्स:वरÓ, वही शुद्घ उच्चारण है।
$गुस्सैल (अ़.पु.)-क्रोधी, बदमिज़ाज।
गुहर ($फा.पु.)-'गौहरÓ का लघु., मुक्ता, मोती।
गुहरअफ़्शाँ ($फा.वि.)-दे.-'गौहरअफ़्शाँÓ।
गुहरअफ़्सानी ($फा.स्त्री.)-दे.-'गौहरअफ़्सानीÓ।
गुहरबार ($फा.वि.)-दे.-'गौहरबारÓ, मोती बरसानेवाला, मुक्तावर्षक।
गुहरबारी ($फा.स्त्री.)-दे.-'गौहरबारीÓ।
गुहररेज़ ($फा.वि.)-दे.-'गौहररेज़Ó।
गुहररेज़ी ($फा.स्त्री.)-दे.-'गौहररेज़ीÓ।
गुहरशनास ($फा.वि.)-दे.-'गौहरशनास.। मोती चुनने या परखनेवाला, विज्ञ पुरुष।
गुहरशनासी ($फा.स्त्री.)-दे.-'गौहरशनासीÓ।
गुहराना (हिं.क्रि.सक.)-पुकारना, चिल्लाकर बुलाना।
गुहार (हिं.स्त्री.)-रक्षा के लिए पुकार, दुहाई।
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