धा
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धाँधल (हि.स्त्री.)- ऊधम, उपद्रव; $फरेब, धोखा; बहुत अधिक जल्दी।धाँधली (हि.स्त्री.)- उपद्रव, उत्पात; बहुत अधिक जल्दी; स्वेच्छाचारिता; अपनी $गलत बात को ज़बरदस्ती आगे रखना। धाँस (हि.स्त्री.)- सुँघनी, मिर्च आदि की उग्र या तेज़ गंध जिससे खाँसी और छींक आने लगती है।
धाक (हि.स्त्री.)- रौब, आतंक; ख्याति, प्रसिद्घि, शोहरत।
धागा (हि.पु.)- बटा हुआ सूत, डोरा, तागा।
धाड़ (हि.स्त्री.)- डाकुओं का धावा; झुण्ड, जत्था, गिरोह।
धातु (सं.स्त्री.)- वह अपारदर्शक चमकीला खनिज विशुद्घ द्रव्य जिससे बरतन, तार, गहने, शस्त्र और यंत्र आदि बनाए जाते हैं, जैसे- सोना, चाँदी, ताँबा, पीतल आदि; शरीर को बनाए रखनेवाले भीतरी तत्त्व या पदार्थ जो वैधक के अनुसार सात हैं।
धान (हि.पु.)- तृण जाति का एक पौधा जिससे चावल निकलते हैं, शालि, ब्रीहि।
धाप (हि.स्त्री.)- जी भरना, संतोष, तृप्ति।
धापना (हि.क्रि.)- संतुष्ट या तृप्त होना, अघाना, जी भरना; दौडऩा, भागना।
धायँ (हि.स्त्री.)- तोप, बन्दू$क आदि के छूटने का शब्द; किसी पदार्थ के ज़ोर से गिरने का शब्द।
धार (हि.स्त्री.)- जल आदि के बहने या कगरने का क्रम, प्रवाह; पानी का सोता, चश्मा, झरना; किसी काटनेवाले हथियार का तेज् सिरा या किनारा जिससे कोई वस्तु काटते हैं; सिरा, किनारा, छोर; सेना, $फौज; आक्रमण या हमला।
धारा (सं.स्त्री.)- पानी आदि का बहाव या गिराव, अखण्ड प्रवाह, धार; लगातार गिरता या बहता हुआ तरल-पदार्थ; पानी का झरना, प्रपात, चश्मा; विधान आदि का वह विशेष अथवा स्वतंत्र अंश जिसमें किसी एक विषय की सब बातें अथवा आदेश हों (प्राय: इसके साथ संवाद रहते हैं)।
धारावाहिक (सं.वि.)- धारा के रूप में बिना रुके आगे बढऩे या चलनेवाला, जैसे- 'धारावाहिक उपन्यासÓ।
धारी (हि.स्त्री.)- सेना, $फौज; समूह, झुण्ड; रेखा, लकीर।
धारीदार (हि.वि.)- लम्बी-लम्बी लकीरों या धारियोंवाला।
धाह (हि.स्त्री.)- ज़ोर से चिल्लाकर रोना, धाड़।
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