$िफ
$िफंजान (अ.स्त्री.)-$कहवा अथवा कॉ$फी पीने की काँच की छोटी प्याली।$िफंदु$क (अ.स्त्री.)-दे.-'$फुंदु$कÓ।
$िफक़्दान (अ.पु.)-दुर्लभता, नायाबी, अभाव; बहुत अधिक कमी।
$िफक्ऱ: (अ.पु.)-वाक्य, जुम्ला; छल की बात, बहाना, मिष; रीढ़ का गुरिया; तंज़, व्यंग, कटाक्ष।
$िफक्ऱ:तराश (अ.$फा.वि.)-छल-कपट की बात गढऩेवाला।
$िफक्ऱ:बंद (अ.$फा.वि.)-तुकबंद।
$िफक्ऱ:बंदी (अ.$फा.स्त्री.)-तुकबंदी।
$िफक्ऱ:बाज़ (अ.$फा.वि.)-$िफक्ऱे कसनेवाला, कटाक्ष करने-ेवाला।
$िफक्ऱ:बाज़ी (अ.$फा.स्त्री.)-$िफक्ऱा कसना, व्यंग करना।
$िफक्र (अ.उभ.)-सोच, चिन्ता; विचार, ध्यान; शंका, शुब्हा; खटका, अंदेशा; दुविधा, एहतिमाल; , ख़्ायाल, ध्यान; देख-रेख; पर्वा, चिन्ता; उपाय, तदबीर; $गौर, विचार; दु:ख, रंज।
फि़क्रत (अ.स्त्री.)-चिन्ता, सोच।
$िफक्रमंद (अ.$फा.वि.)-जिसे किसी बात की चिन्ता हो।
$िफक्रमंदी (अ.$फा.स्त्री.)-चिन्ता, सोच।
$िफक्रात (अ.पु.)-'$िफक्ऱ:Ó का बहु., वाक्य-समूह, जुम्ले; रीढ़ के गुरिए।
$िफक्री (अ.वि.)-चिन्ता करनेवाला, मन में किसी बात की सोच रखनेवाला।
$िफक्रे इमरोज़ (अ.$फा.स्त्री.)-आज की चिन्ता, हाल की $िफक्र।
$िफक्रे उक़्बा (अ.स्त्री.)-परलोक की चिन्ता।
$िफक्रे $फर्दा (अ.$फा.स्त्री.)-कल की चिन्ता, आनेवाले समय की $िफक्र।
$िफके्र मअ़ाश (अ.स्त्री.)-रोजी-रोटी की चिन्ता, जीविका की $िफक्र।
$िफक्रे मईशत (अ.स्त्री.)-दे.-'$िफक्रे मअ़ाशÓ।
$िफक्रे रसा (अ.स्त्री.)-कुशाग्र-बुद्घि, तीव्रबुद्घि, सूझ-बूझ।
$िफक्रे शेÓर (अ.स्त्री.)-काव्य-रचना में तन्मयता, कविता करना।
$िफक्रे सुख़्ान (अ.$फा.स्त्री.)-दे.-'$िफक्रे शेÓरÓ।
$िफक़्ह (अ.स्त्री.)-इस्लामी धर्मशास्त्र।
$िफक़्ही (अ.वि.)-इस्लामी धर्मशास्त्र-सम्बन्धी।
$िफख़्ाार (अ.पु.)-बहुत अधिक गर्व करनेवाला, बहुत-ही घमण्डी।
$िफगंद: ($फा.वि.)-'अफ्ग़ंद:Ó का लघु., डाला हुआ, छोड़ा हुआ, लटकाया हुआ।
$िफगन ($फा.प्रत्य.)-डालनेवाला, लटकानेवाला, फैलानेवाला, जैसे-'जल्व:$िफगनÓ।
$िफगार ($फा.वि.)-आहत, घायल, ज़ख़्मी; (प्रत्य.)-ज़ख़्म या चोट खाया हुआ, आहत, जैसे-'दिलफिगारÓ-जिसका दिल घायल हो अर्थात् अ़ाशि$क, प्रेमी।
$िफगारीं ($फा.वि.)-आहत, ज़ख़्मी, घायल।
$िफज़ा ($फा.प्रत्य.)-'अफ्ज़़ाÓ का लघु., बढ़ानेवाला, जैसे-'जाँ$िफज़ाÓ-जि़न्दगी बढ़ानेवाला।
$िफज़ाइंद: ($फा.वि.)-बढ़ानेवाला।
$िफज़ाइश ($फा.स्त्री.)-बढ़ती, बढ़ोतरी, अफ्ज़़ाइश।
$िफजाजत (अ.स्त्री.)-परिपक्वता, कच्चापन, ख़्ाामी।
$िफज़ोलीदन ($फा.क्रि.)-परेशान करना या होना।
$िफज़्ज़: (अ.स्त्री.)-रजत, चाँदी।
$िफज्जार (अ.वि.)-बहुत अधिक दुष्कर्म करनेवाला।
$िफतन (अ.पु.)-'$िफत्न:Ó का बहु., $िफत्ने, दंगे, गड़बडिय़ाँ, हलचलें।
$िफत्तीन (अ.वि.)-मक्कार, धूर्त; वंचक, चालाक।
$िफत्न: (अ.पु.)-दंगा, $फसाद, उपद्रव; विद्रोह, ब$गावत; बहुत-ही नटखट, बहुत ही शरारती; एक प्रकार का इत्र; लगाई-बुझाई करनेवाला, चु$गुलख़्ाोर, पिशुन; ह$र्फों का बना हुआ।
$िफत्न:अंगेज़ (अ.$फा.वि.)-लोगों को भड़काकर दंगा कराने-वाला, उपद्रव करानेवाला; षड्यंत्र करनेवाला, साजि़श रचने-वाला, षड्यंत्री, साजि़शी; इधर की उधर लगानेवाला, पिशुनता करनेवाला।
$िफत्न:अंगेज़ी (अ.$फा.स्त्री.)-इधर की उधर लगाना; कोई षड्यंत्र रचना अथवा खड़ा करना; लोगों को भड़काकर आपस में लड़ा देना, उपद्रव करा देना।
$िफत्न:$कद (अ.वि.)-बहुत छोटे $कद की प्रेयसी, बहुत छोटे डील-डौल का माÓशू$क।
$िफत्न:ख़्ाू (अ.$फा.वि.)-जिसके स्वभाव में उपद्रव कराना या साजि़श रचना हो, जिसकी आदत में $िफत्न: खड़ा कर देना हो, जिसकी प्रकृति में झगड़ा खड़ा कर देना हो, झगड़ालू स्वभाव का, (ला.)-प्रेयसी, प्रेमिका, माÓशू$क।
$िफत्न:ख़्ोज़ (अ.$फा.वि.)-दे.-'$िफत्न:अंगेज़Ó।
$िफत्न:गर (अ.$फा.वि.)-दे.-'$िफत्न:अंगेज़Ó।
$िफत्न:गरी (अ.$फा.स्त्री.)-दे.-'$िफत्न:अंगेज़ीÓ।
$िफत्न:ज़ा (अ.$फा.वि.)-दे.-'$िफत्न:अंगेज़Ó।
$िफत्न:जू (अ.$फा.वि.)-उपद्रव के अवसर तलाश करनेवाला, उपद्रव और षड्यंत्र के लिए बहाने ढूँढऩेवाला।
$िफत्न:परदाज़ (अ.$फा.वि.)-दे.-'$िफत्न:अंगेज़Ó।
$िफत्न:परदाज़ी (अ.$फा.स्त्री.)-दे.-'$िफत्न:अंगेज़ीÓ।
$िफत्न:पर्वर (अ.$फा.वि.)-दे.-'$िफत्न:अंगेज़Ó।
$िफत्न:शिअ़ार (अ.$वि.)-दे.-'$िफत्न:ख़्ाूÓ।
$िफत्न:संज (अ.$फा.वि.)-दे.-'$िफत्न:अंगेज़Ó।
$िफत्न:सामाँ (अ.$फा.वि.)-दे.-'$िफत्न:अंगेज़Ó।
$िफत्न:सामानी (अ.$फा.स्त्री.)-दे.-'$िफत्न:अंगेज़ीÓ।
$िफत्न:सिगाल (अ.$फा.वि.)-दे.-'$िफत्न:अंगेज़Ó।
$िफत्नए अ़ालम (अ.पु.)-सारे संसार में उपद्रव मचानेवाला अर्थात् प्रेयसी, प्रेमिका, माÓशू$क।
$िफत्नए ख़्वाबीद: (अ.$फा.पु.)-सोया हुआ $िफत्न: अर्थात् वह विपदा जो अभी आई न हो, भविष्य के गर्भ में छिपी हुई आ$फत।
$िफत्नए जहाँ (अ.$फा.पु.)-दे.-'$िफत्नए अ़ालमÓ।
$िफत्नए दौराँ (अ.पु.)-दे.-'$िफत्नए अ़ालमÓ।
$िफत्नए रोजग़ार (अ.$फा.पु.)-दे.-'$िफत्नए अ़ालमÓ।
$िफत्नत (अ.स्त्री.)-बुद्घिमत्ता, अ़क़्लमंदी; दक्षता, चतुरता, होशियारी।
$िफत्र: (अ.पु.)-वह दान या ख़्ौरात जो ईद में नमाज़ से पहले $गरीबों को दी जाए।
$िफत्र (अ.पु.)-लोगों का रोज़ा अर्थात् उपवास खुलवाना; रोज़ा या उपवास खोलनेवाले लोग।
$िफत्रत (अ.स्त्री.)-स्वभाव, आदत; प्रकृति, नेचर; धूर्तता, चालाकी, मक्कारी, शरारत; उत्पत्ति, पैदाइश।
$िफत्रतन (अ.अव्य.)-आदतन, स्वभावत:।
$िफत्रती (उ.वि.)-मक्कार, चालाक, धूर्त; शरारती, उत्पाती, नटखट; बातूनी, झूठी बातें बनानेवाला। विशेष-'प्राकृतिकÓ के अर्थ में '$िफत्रीÓ है।
$िफत्रते सानिय: (अ.स्त्री.)-किसी चीज़ की आदत।
$िफत्राक ($फा.उभ.)-वह डोरी जो घोड़े की ज़ीन में दोनों तर$फ शिकार या अन्य कोई चीज़ बाँधने के लिए लगाते हैं।
$िफत्री (अ.वि.)-प्राकृतिक, नैसर्गिक, स्वभाविक, नेचुरल।
$िफदा (अ.पु.)-मुग्ध, आसक्त, अ़ाशि$क; न्योछावर, निसार। 'हम पर तेरे तीर $िफदा, ज्यूँ राँझे पर हीर $िफदाÓ-माँझी
$िफदाई (अ.$फा.वि.)-अ़ाशि$क, मुग्ध, जाँनिसार; व$फादार, भक्त।
$िफदाए $कौम (अ.$वि.)-तन-मन-धन से जाति व राष्ट्र की सेवा करनेवाला, जाति व राष्ट्र के लिए सब कुछ न्योछावर कर देनेवाला।
$िफदाए मिल्लत (अ.$वि.)-राष्ट्र-सेवा में सब-कुछ न्योछावर कर देनेवाला।
$िफदाए ह$क (अ.$वि.)-सच्चाई की रक्षा के लिए मर-मिटने-वाला, सच के लिए सब-कुछ त्याग देनेवाला।
$िफदाकार (अ.$$फा.वि.)-व$फादार, $िफदाई, भक्त।
$िफद्य: (अ.पु.)-वह धन जो किसी बंदी या $कैदी की मुक्ति के लिए दिया जाए; वह व्यक्ति जो किसी अन्य व्यक्ति के बदले अपनी जान दे; वह धन जो हिंसक से किसी ख़्ाून के बदले में दिलाया जाए, दियत; ईद के दिन की ख़्ौरात, $िफत्र:।
$िफद्र: (अ.स्त्री.)-गोश्त की बोटी, मांस का एक टुकड़ा।
$िफद्वी (अ.$वि.)-व$फादार, भक्त, जाँनिसार। (प्रार्थी अपने प्रार्थनापत्र में स्वयं के लिए भी लिखता है)।
$िफन्नार (अ.अव्य.)-एक वाक्य-'नरक में जाएÓ, जब कोई दुष्ट व्यक्ति मरता है तब कहते हैं।
$िफर$क (अ.पु.)-'$िफ$र्क:Ó का बहु., $िफकऱ्े।
$िफरा$क (अ.पु.)-वियोग, जुदाई; पृथक्ता, अलाहिदगी; धुन, ख़्ायाल, ध्यान।
$िफरा$क कशीद: (अ.पु.)-जो किसी प्रिय से अलग हो गया हो।
$िफरा$क नसीब (अ.पु.)-हत्भाग्य, जिसका भाग्य रूठ गया हो।
$िफरार (अ.पु.)-पलायन, भागना। दे.-'$फरारÓ, शुद्घ उच्चारण '$िफरारÓ ही है मगर उर्दू में '$फरारÓ ही बोलते हैं।
$िफरावाँ ($फा.वि.)-प्रचुर, बहुत अधिक।
$िफरावानी ($फा.स्त्री.)-अधिकता, बहुलता, प्रचुता, इफ्ऱात।
$िफराश (अ.पु.)-सोने का $फर्श या बिस्तर; सोने के कपड़े।
$िफरासत (अ.स्त्री.)-चतुरता, चातुरी; होशियारी, बुद्घिमानी, समझदारी, दानाई; दक्षता, प्रवीणता; किसी बात को देख या सुनकर तुरन्त ताड़ जाना; $िकया$फ:, सामुद्रिक।
$िफरासतशनास (अ.$फा.वि.)-जो सामुद्रिक-ज्ञान का ज्ञाता हो, सामुद्रिकवेत्ता, $िकया$फ:शनास।
$िफरासतुलयद (अ.स्त्री.)-हस्त-विद्या, हाथ की रेखाओं की विद्या।
$िफरिश्त: ($फा.पु.)-देवदूत, देवता, सुर, $फरिश्ता, (ला.)-बहुत ही सज्जन और सरल स्वभाव का व्यक्ति। 'छलकने को हुए आँसू जो मेरे, $िफरिश्तों ने लगा ली ओक अपनीÓ- माँझी
$िफरिश्त:ख़्ास्लत (अ.$फा.वि.)-देवदूतों-जैसी पुनीत और पावन प्रकृतिवाला व्यक्ति, देवतात्मा, देवात्मा।
$िफरिश्त:ख़्ााँ (अ.$फा.पु.)-बहुत गर्वीला आदमी।
$िफरिश्त:ख़्िासाल (अ.$फा.वि.)-दे.-'$िफरिश्त:ख़्ास्लतÓ।
$िफरिश्त:ख़्ाू (फा.वि.)-दे.-'$िफरिश्त:ख़्ास्लतÓ।
$िफरिश्त:सि$फत (अ.$फा.वि.)-जिसमें देवदूतों-जैसे गुण हों।
$िफरिश्त:सीरत (अ.$फा.वि.)-दे.-'$िफरिश्त:ख़्ास्लतÓ।
$िफरिश्त:सूरत (अ.$फा.वि.)-देवता-स्वरूप, जिसकी सूरत या मुखाकृति देवदूतों-जैसी सुन्दर और तेजस्वी हो।
$िफरिश्तए मर्ग (अ.$फा.वि.)-मृत्यु-देव, मौत का $िफरिश्ता, यमदूत, यमराज।
$िफरिश्तगाँ ($फा.पु.)-'$िफरिश्त:Ó का बहु., अनेक देवदूत, देव, सुर।
$िफरिस्ताद: ($फा.वि.)-प्रषित, भेजा हुआ।
$िफरिस्तादनी ($फा.अव्य.)-प्रेष्य, भेजने योग्य।
$िफरिस्ंितद: ($फा.वि.)-प्रषक, भेजनेवाला।
$िफरेफ़्त: ($फा.वि.)-मुग्ध, आसक्त, अ़ाशि$क; जो किसी कार्य में पूरी तरह तल्लीन हो, जो किसी काम में बहुत अधिक रुचि रखे, कर्मठ। 'शम्अ़ के रुख़्ा पे ख़्ाून की लाली दिखाई दी, पर्वाना जब $िफरेफ़्ताए रोशनी हुआÓ- माँझी
$िफरेफ़्तगी ($फा.स्त्री.)-प्रेम, प्यार, मुग्धता, आकर्षण, लगाव, अ़ाशि$की।
$िफरेब ($फा.पु.)-दे.-'$फरेबÓ, शुद्घ उच्चारण यही है मगर उर्दू में '$फरेबÓ ही बोलते हैं।
$िफरेबिंद: ($फा.वि.)-धोखा देनेवाला; धोखा खानेवाला।
$िफरेबी ($फा.वि.)-धोखा देनेवाला।
$िफरोकश ($फा.वि.)-ठहरा हुआ, मु$कीम, अस्थायी रूप से किसी जगह ठहरनेवाला।
$िफरोख़्त ($फा.स्त्री.)-बेचा हुआ। शुद्घ उच्चारण यही है मगर उर्दू में '$फरोख़्तÓ प्रचलित है।
$िफरोख़्त ($फा.स्त्री.)-बिकवाली, बिक्री; बिक्रीत, बिका हुआ।
$िफरोख़्तगी ($फा.स्त्री.)-बिक्री, बिकवाली, $फरोख़्त।
$िफरोख़्तन ($फा.पु.)-बेचना।
$िफरोख़्तनी ($फा.वि.)-बेचने योग्य।
$िफरोख़्तार ($फा.वि.)-बेचनेवाला।
$िफरोगुज़ाश्त ($फा.स्त्री.)-चूक, भूल, $ग$फलत, त्रुटि; कमी, कोताही।
$िफरोतन ($फा.वि.)-विनीत, विनम्र, अ़ाजिज़, ख़्ााकसार।
$िफरोतनी ($फा.स्त्री.)-विनम्रता प्रकट करना, ख़्ााकसारी बरतना।
$िफरोतर ($फा.वि.)-निम्नतर, बहुत नीचे।
$िफरोद ($फा.वि.)-निम्न, नीचा। उर्दू में '$फरोदÓ भी प्रचलित है।
$िफरोदगाह ($फा.स्त्री.)-सराय, पथिक के रूप में थोड़े दिन ठहरने का स्थान।
$िफरोदस्त ($फा.वि.)-अधीन, मातहत, ज़ेरदस्त।
$िफरोदाश्त ($फा.वि.)-अन्त, समाप्ति, अख़्ाीर।
$िफरोमाँद: ($फा.वि.)-असहाय, लाचार, विवश; शिथिल, अफ़्सुर्द:; दलित, कुचला हुआ, पामाल।
$िफरोमाँदगी ($फा.स्त्री.)-विवशता, लाचारी; शिथिलता, अफ़्सुर्दगी; पामाली, दलितपन।
$िफरोमाय: ($फा.वि.)-अकुलीन, अधम, नीच, कमीना।
$िफरोमायगाँ ($फा.पु.)-'$िफरोमाय:Ó का बहु., नीच लोग, कमीने लोग।
$िफरोमायगी ($फा.स्त्री.)-नीचता, अधमता, कमीनगी।
$िफरौ ($फा.अव्य.)-नीचे, अधीन, निम्न पदवाला।
$िफअऱ्ौन (अ.पु.)-मिस्र का एक राजा, जो अत्यंत अत्याचारी था और हज्ऱत मूसा के शाप से मरा था; अत्यंत अहंकारी।
$िफअऱ्ौन मिज़ाज (अ.वि.)-जो $िफअऱ्ौन की तरह घमण्डी और अहंकारी हो।
$िफअऱ्ौनियत (अ.स्त्री.)-$िफअऱ्ौन-जैसा घमण्डी और अहंकारी होना।
$िफअऱ्ौने बेसामाँ (अ.$फा.पु.)-खाली-पीली अभिमान करने-वाला, ऐसा व्यक्ति जिसके पास कुछ न हो परन्तु अभिमान बहुत हो।
$िफर्क़: (अ.पु.)-सम्प्रदाय, मज़हब; जाति, $कौम; दल, जमाअ़त, पार्टी; पक्ष, $फरी$क।
$िफर्क़:परस्त (अ.$फा.वि.)-साम्प्रदायिक सोच रखनेवाला, मज़हबी तअ़स्सुब रखनेवाला; साम्प्रदायिक भेदभाव फैलाकर आपस में लड़ानेवाला।
$िफर्क़:परस्ती (अ.$फा.स्त्री.)-साम्प्रदायिक अथवा धार्मिक भेदभाव फैलाकर आपस में लड़ाना।
$िफर्क़:बंद (अ.$फा.वि.)-जो गुटबंद हो, दलबंद, पार्टीबंद; जो धार्मिक आधार पर दलबंदी करे।
$िफर्क़बंदी (अ.$फा.स्त्री.)-गुटबंदी, दलबंदी, धार्मिक आधार पर दलबंदी।
$िफर्क़:वारान: (अ.$फा.अव्य.)-धार्मिक, मज़हबी, जैसे-'$िफर्क़:वारान: $फसादÓ- साम्प्रदायिक दंगा या उपद्रव।
$िफर्क़:वारी (अ.$फा.वि.)-दलबंदी, गुटबंदी, धार्मिक आधार पर गुटबंदी।
$िफर्क़:वारीयत (अ.$फा.स्त्री.)-दे.-'$िफर्क़:वारीÓ।
$िफजऱ्ीन (अ.पु.)-शतरंज का एक मोह्रा, वज़ीर।
$िफर्दौस (अ.पु.)-स्वर्ग, जन्नत, बिहिश्त।
$िफर्दौसआश्याँ (अ.$फा.वि.)-स्वर्गीय, स्वर्गस्थ, जो स्वर्ग का वासी हो।
$िफर्दौसमंज़लत (अ.वि.)-वह स्थान जो स्वर्ग की तरह सुन्दरता से सजा हो, बहुत-ही सुन्दर और मनमोहक स्थल।
$िफर्दौसमकाँ (अ.वि.)-दे.-'$िफर्दौसआश्याँÓ।
$िफर्दौसी (अ.वि.)-$िफर्दौस अर्थात् स्वर्ग का निवासी, स्वर्गीय; ईरान का एक प्राचीन और महान् कवि जिसने 'शाहनाम:Ó लिखा है, $फार्सी-साहित्य का सबसे बड़ा और महत्त्वपूर्ण महाकाव्य है।
$िफर्दौसे बरीं (अ.$फा.पु.)-सर्वोच्च स्वर्ग, सबसे ऊपर का स्वर्ग।
$िफर्नी ($फा.स्त्री.)-चावल के आटे और दूध से बननेवाली एक विशेष खीर।
$िफर्य: ($फा.स्त्री.)-झूठ, मिथ्या।
$िफर्याज़ ($फा.वि.)-विस्तृत, $फराख़्ा।
$िफर्साद ($फा.पु.)-स$फेद शहतूत, शहतूत।
$िफर्सीन ($फा.पु.)-चौपाए का खुर, घोड़े की टाप।
$िफलअ़स्ल (अ.अव्य.)-मूलत:, यथार्थत:, वास्तव में, ह$की$कत में, सचमुच।
$िफलजुम्ल: (अ.अव्य.)-कुछ-कुछ, थोड़ा-बहुत; सबमें से कुछ।
फि़ल$िफल (अ.स्त्री.)-मिर्च, मरिच।
$िफल$िफलगिर्द (अ.$फा.स्त्री.)-गोल मिर्च, काली मिर्च।
$िफल$िफल दराज़ (अ.$फा.स्त्री.)-लम्बी मिर्च।
$िफल$िफल मोय: (अ.$फा.स्त्री.)-एक औषधि, पीपलामूल।
$िफल$िफल स$फेद (अ.$फा.स्त्री.)-सफ़ेद काली मिर्च।
$िफल$िफल सियाह (अ.$फा.स्त्री.)-काली मिर्च।
$िफल$िफल सुख्ऱ्ा (अ.$फा.स्त्री.)-लाल मिर्च।
$िफल$फौर (अ.अव्य.)-शीघ्र, $फौरन, तुरन्त, त्वरित।
$िफलबदीह (अ.वि.)-आशु-वार्ता; तुरन्त कही हुई बातचीत; बिना सोचे कही हुई कोई बात जो बहुत-ही ठीक, सुन्दर और चमत्कारपूर्ण हो, बरजस्त:।
$िफलबदीह गो (अ.$फा.वि.)-आशुकवि, बिना सोचे तुरन्त कविता करनेवाला; बिना सोचे बोलनेवाला, उपस्थित वक्ता, आशुवक्ता।
$िफलमसल (अ.अव्य.)-ऐसा, इस प्रकार का; समान, सदृश।
$िफलवक़्त (अ.वि.)-उसी समय, $फौरन, तत्काल, तत्क्षण।
$िफलवा$केÓ (अ.वि.)-दे.-'$िफलअ़स्लÓ।
$िफलह$की$कत (अ.वि.)-दे.-'$िफलअ़स्लÓ।
$िफलहाल (अ.वि.)-हाथोंहाथ, सरेदस्त, इस समय, इस वक़्त।
$िफलात ($फा.अव्य.)-अचानक, अक्समात्।
$िफलिज्ज़़ (अ.पु.)-धातु, सोना, चाँदी, लोहा, ताँबा आदि।
$िफलिज़्ज़ात (अ.उभ.)-'फिलिज़्ज़Ó का बहु., धातुएँ।
$िफलिज़्ज़ी (अ.वि.)-धातु से बना हुआ; खान से निकला हुआ।
$िफश (अ.वि.)-अधम, नीच, तुच्छ।
$िफशाँ ($फा.प्रत्य.)-छिड़कनेवाला, बिखेरनेवाला, जैसे-'इत्र$िफशाँÓ-इत्र छिड़कनेवाला।
$िफशाँद: ($फा.वि.)-छिड़का हुआ, बिखेरा हुआ।
$िफशाँदनी ($फा.वि.)-छिड़कने योग्य, बिखेरने योग्य।
$िफशानिंद: ($फा.वि.)-छिड़कनेवाला; झाडऩेवाला।
$िफशानी ($फा.वि.)-छिड़काव; झड़ाई।
$िफशार ($फा.पु.)-दे.-'$फशारÓ, दोनों शुद्घ हैं।
$िफशारद: ($फा.वि.)-चुभोया हुआ; निचोड़ा हुआ।
$िफशारदनी ($फा.वि.)-चुभोने योग्य; निचोडऩे योग्य।
$िफशिस्त ($फा.पु.)-फुंकार।
$िफश्क: ($फा.पु.)-कारतूस।
$िफसाँ ($फा.पु.)-दे.-'$फसाँÓ, दोनों शुद्घ हैं।
$िफसाल (अ.पु.)-वियोग, जुदाई; पृथक्ता, अलाहिदगी; बच्चे का दूध छुड़ाना। '$फसीलÓ का बहु., $फसीलें, परकोटे।
$िफसोस ($फा.पु.)-परिहास, दिल्लगी; खेल, क्रीड़ा; तफ्ऱीह, मनोविनोद, मनोरंजन; फक्कड़पन; अ$फसोस, शोक, दु:ख।
$िफस्$क (अ.पु.)-दुष्कर्म, दुराचार, कदाचार, बदआÓमाली; सच्चाई और सच को छोड़ देना, सत्य के पथ को त्याग देना।
$िफस्किल (अ.वि.)-आलसी, काहिल, सुस्त, मंद।
$िफस्क़ीय: (अ.पु.)-कुण्ड, हौज़।
$िफस्$को$फजूर (अ.पु.)-दुष्कर्म, दुराचार, बदचलनी।
$िफस्त$क (अ.पु.)-दे.-'$फुस्त$कÓ, दोनों शुद्घ हैं, पिस्ता जो एक प्रसिद्घ मेवा है।
$िफह्रï: (अ.पु.)-बट्टा।
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