ना
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नाँ ($फा.स्त्री.)-'नानÓ का लघुरूप, दे.-'नानÓ।ना ($फा.उप.)-शब्द के शुरू में आकर नहीं का अर्थ देता है, जैसे-'नाउम्मीदÓ-जिसे उम्मीद या आशा न हो, निराश।
नाअंदेश ($फा.वि.)-विचार न करनेवाला, न सोचनेवाला।
नाअह्ल (अ.$फा.वि.)-जो योग्य न हो, अक्षम, अपात्र, अयोग्य, ना$काबिल, $गैर मुस्तह$क; नालायक, निकम्मा।
नाअह्लियत (अ.$फा.स्त्री.)-अनुपयुक्तता,अक्षमता, अयोग्यता, ना$काबिलीयत; अपात्रता, नाइस्तेह$का$की।
नाअह्ली (अ.$फा.स्त्री.)-दे.-'नाअह्लियतÓ।
नाआ$िकबत अंदेश (अ.$फा.वि.)-अदूरदर्शी, अपरिणामदर्शी। नाआगाह ($फा.वि.)-अनभिज्ञ, अंजान, अनाड़ी, नावा$िक$फ।
नाआज़्मूद: ($फा.वि.)-जिसका परीक्षण न किया गया हो, जो आज़माया न गया हो, अपरीक्षित।
नाआज़्मूद:कार ($फा.वि.)-अनाड़ी, जिसे काम का अनुभव न हो, अननुभवी, जिसे तज्रिब: न हो।
नाआज़्मूद:कारी ($फा.स्त्री.)-अनाड़ीपन, अनुभवहीनता, नातज्रिब:कारी।
नाआश्ना ($फा.वि.)-अपरिचित, अनभिज्ञ, अनाड़ी, नावा$िक$फ।
नाआश्नाए मह्ज़ (अ.$फा.वि.)-जो बिलकुल अनाड़ी हो, जो बिलकुल कुछ न जानता हो।
नाइंसा$फ (अ.$फा.वि.)-अन्यायी, न्याय न करनेवाला।
नाइंसा$फी (अ.$फा.स्त्री.)-अन्याय, अनीति, बेईमानी।
नाइच: ($फा.पु.)-हुक़्$के की नाल, निगाली, नयचा।
नाइज़: (अ.पु.)-नयचा; नल की टोंटी; लिंग, शिश्न।
नाइत्ति$फा$की (अ.$फा.स्त्री.)-बिगाड़, फूट, रंजिश।
नाइब: (अ.वि.)-'नाइबÓ की स्त्री; बारी से आनेवाला बुख़्ाार; दुर्घटना, हादिसा।
नाइब (अ.पु.)-सहायक, असिस्टेंट; स्थानापन्न, काइमम$काम; 'नायबÓ भी प्रचलित।
नाइम: (अ.स्त्री.)-नाजुक बदन औरत, नायिका।
नाइम (अ.पु.)-सुअक्कड़, स्वापक, सोनेवाला।
नाइर: (अ.पु.)-लपट, शोल:, अग्निपुंज, अग्निज्वाला।
नाइल्ति$फाती (अ.$फा.स्त्री.)-उपेक्षा, लापरवाही, बेतवज्जुही।
नाइश (अ.पु.)-ऊपर उठानेवाला; जीवन देनेवाला।
नाइस (अ.पु.)-औंघनेवाला, सोनेवाला।
नाइह: (अ.पु.)-विपत्ति, आपत्ति, मुसीबत।
नाउम्मीद ($फा.वि.)-हत्साहस, हतोत्साह, पस्तहौसला; निराश, हताश।
नाउम्मीदी ($फा.स्त्री.)-निराशा, मायूसी; उत्साहहीनता, पस्तहिम्मती। 'एक दिन नाव किनारे से लगेगी माँझी, नाउमीदी है बुरी, आस लगाए रखिएÓ-माँझी
नाए ($फा.स्त्री.)-बाँसुरी, वंशी, नय।
ना$क: (अ.पु.)-साँडऩी; ऊँटनी।
ना$क:सवार (अ.$फा.वि.)-साँडऩी-सवार अर्थात् दूत, कासिद, हरकारा।
नाक ($फा.प्रत्य.)-भरा हुआ, जैसे-'दर्दनाकÓ-दु:ख से भरा हुआ।
नाकतख़्ाुदा ($फा.वि.)-दे.-'नाकदख़्ाुदाÓ।
नाकतख़्ाुदाई ($फा.स्त्री.)-दे.-'नाकदख़्ाुदाईÓ।
नाकदख़्ाुदा ($फा.वि.)-अविवाहित, बिन ब्याहा हुआ, कुमार; बिन ब्याही हुई, अविवाहिता, कुमारी।
नाकदख़्ाुदाई ($फा.स्त्री.)-कुँआरापन, बिन ब्याहा होना।
नाक़द्र (अ.$फा.वि.)-जो $कद्र न जानता हो; जो $कद्र न करता हो।
नाक़द्री (अ.$फा.स्त्री.)-$कद्र न जानना; क़द्र न करना।
नाक़बूल (अ.$फा.वि.)-जो $कबूल न हो, जो स्वीकार न हो, अस्वीकृत, नामंज़ूर।
नाकर्द: ($फा.वि.)-बिन किया हुआ, न किया हुआ।
नाकर्द:कार ($फा.वि.)-जिसने कोई विशेष कार्य न किया हो, अनाड़ी, अननुभवी, नातज्रिब:कार।
नाकर्द:गुनाह ($फा.वि.)-निरपराध, जिसने कोई $कुसूर न किया हो, बे$कुसूर, बेख़्ाता।
नाकर्द:जुर्म (अ.$फा.वि.)-दे.-'नाकर्द:गुनाहÓ।
नाकर्दनी ($फा.अव्य.)-अकरणीय, जो करने योग्य न हो, जिसका करना उचित न हो।
नाकस ($फा.वि.)-गिरा हुआ, पतित, गर्हित, अधम, नीच, कमीना।
नाकसी ($फा.स्त्री.)-पतन, गिराव, अधमता, नीचता, कमीनापन।
नाक़ाबिल (अ.$फा.वि.)-जो क़ाबिल न हो, अयोग्य, अपात्र, नाअहल।
नाक़ाबिलान: (अ.$फा.अव्य.)-जो योग्यता की कसौटी पर खरा न उतरे, जो विवेक-रहित हो, विवेकहीन, मूर्खतापूर्ण, जाहिलों और मूर्खों-जैसा।
नाक़ाबिलीयत (अ.$फा.स्त्री.)-अयोग्यता, अपात्रता, नाअहली; शिक्षाभाव, कमलियाक़ती।
नाक़ाबिले अदा (अ.$फा.वि.)-जो अदा न की जा सके, न दी जा सकनेवाली राशि, जो अदाइगी के $काबिल न हो।
नाक़ाबिले अफ़़्व (अ.$फा.वि.)-जो क्षमा न किया जा सके, अक्षम्य, जो मुअ़ा$फ न किया जा सके।
नाक़ाबिले अ़मल (अ.$फा.वि.)-अव्यवहार्य, जो व्यवहार में न आ सके, जिस पर अ़मल न किया जा सके।
नाक़ाबिले आज़्माइश (अ.$फा.वि.)-जो परीक्षण के योग्य न हो, जिसकी परीक्षा न की जा सके, जिसे जाँचा न जा सके।
नाक़ाबिले इंतिक़ाल (अ.$फा.वि.)-वह सम्पत्ति जो दूसरे के नाम पर न चढ़ाई जा सके, दूसरे के नाम पर स्थानांतरित न हो सकनेवाली सम्पत्ति।
नाक़ाबिले इंतिख़्ााब (अ.$फा.वि.)-जो चयन का पात्र न हो, जो चुनाव के अयसेग्य हो; जो गद्य या पद्य उद्घरण के योग्य न हो।
नाक़ाबिले इंतिज़ाम (अ.$फा.वि.)-जिसका प्रबन्ध न किया जा सके, जिसकी व्यवस्था न हो सके।
नाक़ाबिले इंतिज़ार (अ.$फा.वि.)-जो प्रतीक्षा के योग्य न हो, जिसकी प्रतीक्षा न की जा सके
नाक़ाबिले इंदिमाल (अ.$फा.वि.)-वह घाव जो भरने के योग्य न हो।
नाक़ाबिले इंदिराज (अ.$फा.वि.)-जिसको दर्ज न किया जा सके; जिसका नाम किसी रजिस्टर या खाते में लिखा न जा सके; जो र$कम किसी मद में अथवा किसी के नाम जमा-ख़्ार्च में डाली न जा सके।
नाक़ाबिले इंसिदाद (अ.$फा.वि.)-जो रोका न सके; जिसका निवारण न हो सके।
नाक़ाबिले इअ़ाद: (अ.$फा.वि.)-जो बात दोहरायी न जा सके।
नाक़ाबिले इअ़ानत (अ.$फा.वि.)-जो सहायता के योग्य न हो; जिसकी सहायता न की जा सके।
नाक़ाबिले इक्ऱार (अ.$फा.वि.)-जो माना न जा सके, जिसका इक्ऱार न किया जा सके।
नाक़ाबिले इख़्ितला$फ (अ.$फा.वि.)-सहमति योग्य, जिससे मतभेद न किया जा सके, ऐसी बात जो सर्वमान्य हो।
नाक़ाबिले इख़्$फा (अ.$फा.वि.)-जो गुप्त न रखा जा सके, जो छिपाया न जा सके; जो छिपाने के योग्य न हो।
नाक़ाबिले इख़्ा्राज (अ.$फा.वि.)-जो ख़्ाारिज करने योग्य न हो; जिसे ख़्ाारिज न किया जा सके; जो निकाला न जा सके।
नाक़ाबिले इज़्हार (अ.$फा.वि.)-जसे अभिव्यक्त न किया जा सके, जो अभिव्यक्त करने के योग्य न हो, जो कहा न जा सके।
नाक़ाबिले इत्तिलाअ़ (अ.$फा.वि.)-जो सूचित करने के योग्य न हो; जिसकी सूचना न दी जा सके।
नाक़ाबिले इत्मीनान (अ.$फा.वि.)-अविश्वस्त, जो विश्वास अथवा भरोसे के योग्य न हो।
नाक़ाबिले इन्कार (अ.$फा.वि.)-जो मना करने के योग्य न हो, जिससे इंकार न किया जा सके।
नाक़ाबिले इन्$िकसाम (अ.$फा.वि.)-अविभाज्य, जिसका विभाजन न किया जा सके, जो बाँटा न जा सके।
नाक़ाबिले इन्$िफकाक (अ.$फा.वि.)-रेहन से न छूटने योग्य; रेहन रखी हुई वह ज़मीन अथवा वस्तु जो रेहन से छूट न सके।
नाक़ाबिले इन्$िफसाल (अ.$फा.वि.)-जो निर्णय योग्य न हो, जिसका $फसला न हो सके।
नाक़ाबिले इम्तिहान (अ.$फा.वि.)-जो परीक्षण योग्य न हो, जिसकी परीक्षा न हो सके; जो परीक्षा के अयोग्य हो।
नाक़ाबिले इम्दाद (अ.$फा.वि.)-जो सहायता के योग्य न हो; जिसकी सहायता न हो सके।
नाक़ाबिले इलाज (अ.$फा.वि.)-असाध्य, ऐसा रोग जिसकी चिकित्सा न हो सके।
नाक़ाबिले इल्ति$फात (अ.$फा.वि.)-उपेक्ष्य, जो ध्यान देने योग्य न हो, जिसकी ओर तवज्जुह न की जा सके।
नाक़ाबिले इशाअ़त (अ.$फा.वि.)-अप्रकाश्य, जो प्रकाशित करने के योग्य न हो, जिसका प्रचार न हो सके।
नाक़ाबिले इश्$क (अ.$फा.वि.)-जिससे प्रेम न किया जा सके, जो प्रेम के योग्य न हो।
नाक़ाबिले इस्तिदलाल (अ.$फा.वि.)-वह का$गज़ या दस्तावेज़ जो मुकदमे में काम न आ सके।
नाक़ाबिले इस्तेÓमाल (अ.$फा.वि.)-जो प्रयोग के लाइ$क न हो; जो खाने के योग्य न हो; जो व्यवहार के अयोग्य हो।
नाक़ाबिले इस्लाह (अ.$फा.वि.)-जिसका सुधार न हो सके; जिसकी $गलतियाँ या त्रुटियाँ न निकल सकें।
नाक़ाबिले ई$फा (अ.$फा.वि.)-वह प्रतिज्ञा जो पूरी न हो सके।
नाक़ाबिले उज्ऱ (अ.$फा.वि.)-जिस पर उज्ऱ या एतिराज़ न किया जा सके।
नाक़ाबिले उबूर (अ.$फा.वि.)-वह नदी आदि जिसे पार न किया जा सके।
नाक़ाबिले एÓतिना (अ.$फा.वि.)-उपेक्ष्य, जो ध्यान देने के योग्य न हो।
नाक़ाबिले एतिमाद (अ.$फा.वि.)-अविश्वस्त, जो विश्वास या भरोसे लाइ$क न हो।
नाक़ाबिले एतिराज़ (अ.$फा.वि.)-आपत्तिहीन, जो आपत्ति के योग्य न हो, जिस पर आपत्ति न की जा सके।
नाक़ाबिले एÓलान (अ.$फा.वि.)-जिसकी घोषणा करना उचित न हो, जिसकी घोषणा न की जा सके।
नाक़ाबिले एहतियात (अ.$फा.वि.)-जिसमें सावधानी की आवश्यकता न हो।
नाक़ाबिले एहसाल (अ.$फा.वि.)-जो ग्रहण करने के योग्य न हो; जिसे लिया न जा सके।
नाक़ाबिले $कबूल (अ.$फा.वि.)-अस्वीकार्य, जिसे स्वीकार न किया जा सके।
नाक़ाबिले $कुर्बानी (अ.$फा.वि.)-जो बलि के योग्य न हो, जिसकी $कुर्बानी जाइज़ न हो; वह व्यक्ति जिस पर $कुर्बानी वाजिब न हो।
नाक़ाबिले ख़्ारीद (अ.$फा.वि.)-जो ख़्ारीदने योग्य न हो; जो मोल न लिया जा सके।
नाक़ाबिले गिरिफ़्त (अ.$फा.वि.)-जो पकड़ा न जा सके; जिसकी पकड़ न हो सके।
नाक़ाबिले गिरिफ़्तारी (अ.$फा.वि.)-जो गिरिफ़्तार न हो सके।
नाक़ाबिले गुज़ारिश (अ.$फा.वि.)-अकथनीय, जो कहा न जा सके; जो कहने के योग्य न हो।
नाक़ाबिले $गौर (अ.$फा.वि.)-जो ध्यान देने योग्य न हो; जिस पर ध्यान न दिया जा सके।
नाक़ाबिले ज़ब्त (अ.$फा.वि.)-असहनीय, जो सहन न किया जा सके; जो ज़ब्त न हो सके, जिसे ज़ब्त करना मुश्किल हो।
नाक़ाबिले ज़ब्ती (अ.$फा.वि.)-वह र$कम या सम्पत्ति जिसकी ज़ब्ती न हो सके।
नाक़ाबिले ज़मानत (अ.$फा.वि.)-जो साक्षी के योग्य न हो, जिसकी ज़मानत न ली जा सके।
नाक़ाबिले जवाज़ (अ.$फा.वि.)-जो जाइज़ न हो सके।
नाक़ाबिले जवाब (अ.$फा.वि.)-जिसका उत्तर देना ज़रूरी न हो; जो उत्तर देने योग्य न हो।
नाक़ाबिले ज़वाल (अ.$फा.वि.)-जिसका कभी पतन न हो, जिसकी अवनति न हो सके।
नाक़ाबिले जि़क्र (अ.$फा.वि.)-अकथनीय, जिसका कहना उचित न हो, जो कहा न जा सके।
नाक़ाबिले जिमाअ़ (अ.$फा.वि.)-वह स्त्री जिससे सहवास न हो (बीमारी अथवा छोटी आयु के कारण या धर्म-निषेध के कारण)।
नाक़ाबिले जिऱाअ़त (अ.$फा.वि.)-वह भूमि जो खेती के अयोग्य हो।
नाक़ाबिले तअ़ज्जुब (अ.$फा.वि.)-जिसमें आश्चर्य की कोई बात न हो।
नाक़ाबिले तअ़ारुज़ (अ.$फा.वि.)-जिसमें हस्तक्षेप न हो सके; जिससे पूछताछ न की जा सके।
नाक़ाबिले तअ़ावुन (अ.$फा.वि.)-जो सहयोग के योग्य न हो; जिसमें सहयोग न दिया जा सके।
नाक़ाबिले त$कर्रुर (अ.$फा.वि.)-जो नियुक्ति के योग्य न हो; जिसकी नियुक्ति न हो सके।
नाक़ाबिले तक्ज़ीब (अ.$फा.वि.)-शाश्वत सत्य; जिसे झुठलाया न जा सके।
नाक़ाबिले तक़्लीद (अ.$फा.वि.)-जिसका अनुकरण उचित न हो; जिसका अनुकरण न हो सके।
नाक़ाबिले तक़्सीम (अ.$फा.वि.)-अविभाज्य, जिसका बँटवारा न हो सके, जो बाँटा न जा सके।
नाक़ाबिले तख़्ौयुल (अ.$फा.वि.)-अचिन्त्य, जो सोचा न जा सके; जिसकी कल्पना न की जा सके।
नाक़ाबिले त$गैयुर (अ.$फा.वि.)-जो बदलाव के योग्य न हो; जिसमें परिवर्तन न हो सके।
नाक़ाबिले तद्बीर (अ.$फा.वि.)-असाध्य, जिसका इलाज न हो सके; उपाय-रहित, जिसका कोई उपाय न हो।
नाक़ाबिले तफ़्हीम (अ.$फा.वि.)-जो समझाने योग्य न हो; जो समझाया न जा सके।
नाक़ाबिले तब्दील (अ.$फा.वि.)-अपरिवर्तनीय, जिसमें बदलाव न हो सके; जो बदला न जा सके।
नाक़ाबिले तरक़्$की (अ.$फा.वि.)-जो उन्नति न कर सके; जो तरक़्$की के योग्य न हो।
नाक़ाबिले तरद्दुद (अ.$फा.वि.)-बंजर भूमि, वह भूमि जिसे जोता-बोया न जा सके; वह विषय जिस पर $गौर न किया जा सके, अचिन्तनीय।
नाक़ाबिले तरह्हुम (अ.$फा.वि.)-जो दया का पात्र न हो; जिस पर रहम न किया जा सके।
नाक़ाबिले तर्क (अ.$फा.वि.)-अत्याज्य, जिसे तर्क न किया जा सके, जिसे छोड़ा न सके; जो छोडऩे के योग्य न हो।
नाक़ाबिले तर्जीह (अ.$फा.वि.)-जो अधिमानता का पात्र न हो; जो प्रमुखता के योग्य न हो; जिसे प्रधानता न दी जा सके।
नाक़ाबिले तर्दीद (अ.$फा.वि.)-अकाट्य, जिसकी कोई काट न हो; जिसका खण्डन न किया जा सके।
नाक़ाबिले तर्मीम (अ.$फा.वि.)-अपरिवर्तनीय, जिसमें कमी-बेशी या काट-छाँट न हो सके; जिसमें कोई संशोधन न हो सके; जिसमें संशोधन की कोई गुंजाइश न हो।
नाक़ाबिले तलाश (अ.$फा.वि.)-जो ढँूढऩे योग्य न हो; जो ढूँढृा न जा सके।
नाक़ाबिले तवज्जुह (अ.$फा.वि.)-जो ध्यान देने के योग्य न हो; जिस पर ध्यान न दिया जा सके।
नाक़ाबिले तश्रीह (अ.$फा.वि.)-जो व्याख्या के योग्य न हो; जिसकी व्याख्या न हो सके; जिसकी तफ़्सील न बताई जा सके, जिसका विस्तार में वर्णन न किया जा सके।
नाक़ाबिले तश्वीश (अ.$फा.वि.)-जो चिन्ता और $िफक्र के योग्य न हो; जिसके लिए चिन्ता और $िफक्र की ज़रूरत न हो।
नाक़ाबिले तस्दीअ़ (अ.$फा.वि.)-जिसके लिए किसी उलझन में पडऩे की आवश्यकता न हो; जिसके लिए किसी दर्दे-सर अथवा खटपट की आवश्यकता न हो।
नाक़ाबिले तस्दी$क (अ.$फा.वि.)-जो साक्ष्य का मुहताज न हो, जिसके लिए प्रमाण की आवश्यकता न हो।
नाक़ाबिले तस्ख़्ाीर (अ.$फा.वि.)-जिसे वशीभूत करना कठिन हो; जिसको पराजित करना असंभव हो।
नाक़ाबिले तस्रीह (अ.$फा.वि.)-जो स्पष्टीकरण के योग्य न हो; जिसका स्पष्टीकरण न हो सके; जिसका विस्तृत ब्योरा न दिया जा सके; जिसकी तफ़्सील न बताई जा सके।
नाक़ाबिले तस्लीम (अ.$फा.वि.)-जो स्वीकार करने के योग्य न हो; जिसे माना न जा सके।
नाक़ाबिले दख़्लअंदाज़ी (अ.$फा.वि.)-जिसमें बाधा न डाली जा सके; जिसमें हस्तक्षेप न किया जा सके।
नाक़ाबिले दस्तअंदाज़ी (अ.$फा.वि.)-जो हस्तक्षेप के योग्य न हो; जिसमें हस्तक्षेप न किया जा सके।
नाक़ाबिले दस्तरस (अ.$फा.वि.)-जहाँ तक पहुँच न हो सके; जहाँ तक हाथ न जा सके।
नाक़ाबिले दाद (अ.$फा.वि.)-अप्रशंसनीय, जिसकी प्रशंसा न की जा सके; जो प्रशंसा के योग्य न हो।
नाक़ाबिले दादरसी (अ.$फा.वि.)-जो किसी इंसा$फ के $काबिल न हो; जिसे न्याय के अनुसार कुछ मिलने को न हो।
नाक़ाबिले दुरुस्ती (अ.$फा.वि.)-जो सुधार या मरम्मत के योग्य न हो; जिसकी मरम्मत न हो सके; जिसका सुधार न हो सके।
नाक़ाबिले नफ्ऱत (अ.$फा.वि.)-अघृण्य, जिससे घृणा न की जा सके, जो नफ्ऱत के $काबिल न हो।
नाक़ाबिले निगारिश (अ.$फा.वि.)-अलेखनीय, जो लिखने के योग्य न हो।
नाक़ाबिले नुमाइश (अ.$फा.वि.)-अप्रदर्शनीय, जो सबको न दिखाया जा सके, जिसकी नुमाइश न की जा सके; जो प्रदर्शन के योग्य न हो।
नाक़ाबिले परवाज़ (अ.$फा.वि.)-जो उड़ान भरने के योग्य न हो; जो उड़ न सके।
नाक़ाबिले परस्तिश (अ.$फा.वि.)-जो पूजा न जा सके; जो पूजने के योग्य न हो।
नाक़ाबिले पामाल (अ.$फा.वि.)-जो पाँव तले मसलने के योग्य न हो; जो पाँव तले मसला न जा सके।
नाक़ाबिले पिज़ीराई (अ.$फा.वि.)-जो $कबूल करने $काबिल न हो; जो $कबूल न किया जा सके।
नाक़ाबिले पुर्सिश (अ.$फा.वि.)-जो पूछने के $काबिल न हो; जिसकी पूछताछ न की जा सके।
नाक़ाबिले पैमाइश (अ.$फा.वि.)-जिसका क्षेत्रफल न निकाला जा सके; जिसकी नाप-तौल न हो सके।
नाक़ाबिले पैरवी (अ.$फा.वि.)-जिसकी पैरोकारी न हो सके; जिसका अनुकरण न हो सके।
नाक़ाबिले $फत्ह (अ.$फा.वि.)-अजेय, जो जीता न जा सके; जो जीतने योग्य न हो।
नाक़ाबिले $फरामोश (अ.$फा.वि.)-जो भुलाया न जा सके; जो बात कभी भूली न जा सके।
नाक़ाबिले $फरोख़्त (अ.$फा.वि.)-जो बेचने योग्य न हो; जो बेचा न जा सके।
नाक़ाबिले $फह्म (अ.$फा.वि.)-जो समझ में आने योग्य न हो; जो समझा न जा सके।
नाक़ाबिले $फैसल: (अ.$फा.वि.)-अनिर्णीत, जिसका निर्णय न हो सके।
नाक़ाबिले बयान (अ.$फा.वि.)-अकथनीय, जो कहा न जा सके।
नाक़ाबिले बरदाश्त (अ.$फा.वि.)-असहनीय, जो सहन न हो सके।
नाक़ाबिले बुत्लान (अ.$फा.वि.)-जो झुठलाया न जा सके।
नाक़ाबिले मदद (अ.$फा.वि.)-जो सहायता के योग्य न हो; जिसकी सहायता न की जा सके।
नाक़ाबिले मरम्मत (अ.$फा.वि.)-जिसको सुधारा न जा सके, जिसकी मरम्मत न की जा सके।
नाक़ाबिले मलामत (अ.$फा.वि.)-जो भत्र्सना के योग्य न हो, जिसकी निन्दा न की जा सके।
नाक़ाबिले मुअ़ालज: (अ.$फा.वि.)-असाध्य, जिसकी चिकित्सा न की जा सके।
नाक़ाबिले मु$काबल: (अ.$फा.वि.)-जो मु$काबले के योग्य न हो; जिसका मु$काबला न किया जा सके।
नाक़ाबिले मुदाख़्ालत (अ.$फा.वि.)-जो दख़्ल देने के $काबिल न हो; जिसमें हस्तक्षेप न किया जा सके।
नाक़ाबिले मुदावा (अ.$फा.वि.)-असाध्य, जिसकी चिकित्सा न हो सके, ना$काबिले मुअ़ालज:।
नाक़ाबिले मु$फाहमत (अ.$फा.वि.)-जो समझौते के योग्य न हो, जिसमें समझौता न हो सके।
नाक़ाबिले मुवालात (अ.$फा.वि.)-जो सहयोग देने के योग्य न हो, जिसमें सहयोग न हो सके।
नाक़ाबिले मुसालहत (अ.$फा.वि.)-जिसमें संधि अथवा सुलह न हो सके।
नाक़ाबिले रज़ामंदी (अ.$फा.वि.)-ऐसा मु$कदमा जिसमें दोनों पक्ष राज़ीनामा न कर सकें।
नाक़ाबिले रह्म (अ.$फा.वि.)-जो दया का पात्र न हो, जिस पर दया न की जा सके।
नाक़ाबिले रिअ़ायत (अ.$फा.वि.)-जिसके साथ किसी प्रकार का शील-संकोच और रिअ़ायत न हो सके।
नाक़ाबिले वक़्अ़त (अ.$फा.वि.)-जो प्रतिष्ठा के योग्य न हो, जिसकी कोई प्रतिष्ठा न हो।
नाक़ाबिले व$फा (अ.$फा.वि.)-वह प्रतिज्ञा जो पूरी न हो सके, वह वचन जो निभाया न जा सके, वह वादा जो व$फा न हो सके।
नाक़ाबिले शक (अ.$फा.वि.)-असंदिग्ध, जिसमें किसी संदेह की गुंजाइश न हो।
नाक़ाबिले शनाख़्त (अ.$फा.वि.)-जिसकी पहचान न हो सके।
नाक़ाबिले शिकस्त (अ.$फा.वि.)-जिसे हराया न जा सके; जिससे होड़ न की जा सके।
नाक़ाबिले शिकायत (अ.$फा.वि.)-जो शिकायत करने के योग्य न हो; जिसकी शिकायत न की जा सके।
नाक़ाबिले शि$फा (अ.$फा.वि.)-असाध्य, वह रोगी जो अच्छा न हो सके।
नाक़ाबिले शुमार (अ.$फा.वि.)-जो गिनती में न आए; जो गिना न जा सके।
नाक़ाबिले सताइश (अ.$फा.वि.)-जो प्रशंसा के योग्य न हो; जिसकी प्रशंसा न हो सके।
नाक़ाबिले सज़ा (अ.$फा.वि.)-अदण्डनीय, जिसे सज़ा न दी जा सके।
नाक़ाबिले समाअ़त (अ.$फा.वि.)-जो बात सुनने के योग्य न हो।
नाक़ाबिले सराहत (अ.$फा.वि.)-दे.-'ना$काबिले तस्रीहÓ।
नाक़ाबिले सि$फारिश (अ.$फा.वि.)-जिसकी सि$फारिश न की जा सके।
नाक़ाबिले सुल्ह (अ.$फा.वि.)-दे.-'ना$काबिले मुसालहतÓ।
नाक़ाबिले हि$फाज़त (अ.$फा.वि.)-जो रक्षा करने के योग्य न हो, जिसकी रक्षा न की जा सके।
नाक़ाबिले हुकूमत (अ.$फा.वि.)-जिस पर शासन न चल सके; जो राज करने के योग्य न हो।
नाक़ाबिले हुसूल (अ.$फा.वि.)-अलब्ध, अप्राप्य, जो हासिल न किया जा सके, जो प्राप्त न किया जा सके, जो उपलब्ध न हो सके।
नाकाम ($फा.वि.)-असफल, नाकामयाब; निराश, मायूस।
नाकामयाब ($फा.वि.)-अनुत्तीर्ण, नाकाम, असफल, $फेल, असफलमनोरथ।
नाकामयाबी ($फा.स्त्री.)-उत्तीर्ण न होना, $फेल हो जाना, असफलता, नाकामी।
नाकामी ($फा.स्त्री.)-असफलता, नाकामयाबी; निराशा, मायूसी, नाउम्मीदी।
नाकामिए इश्$क ($फा.स्त्री.)-प्रेम की असफलता।
नाकामिए $िकस्मत ($फा.स्त्री.)-दे.-'नाकामिए त$कदीरÓ।
नाकामिए त$कदीर ($फा.स्त्री.)-भाग्य की असफलता, भाग्य की कुटिलता, भाग्य की वंचना।
नाकामे आजऱ्ू ($फा.वि.)-जिसका मनोरथ सिद्घ न हुआ हो, जिसकी इच्छा पूरी न हुई हो; जिसके प्रेम की आशाएँ असफल हो गई हों।
नाकार: ($फा.वि.)-निकम्मा, निष्कर्म; निष्प्रयोजन, बेमतलब; व्यर्थ, बेकार।
नाकारआमद ($फा.वि.)-निष्प्रयोजन, जिसका कोई प्रयोजन न हो, जिसका कोई अभिप्राय: अथवा उद्देश्य न हो।
नाकाश्त: ($फा.वि.)-वह भूमि जो बोई-जोती न गई हो।
ना$िकद (अ.वि.)-आलोचक, समालोचक, तन्$कीद निगार।
ना$िकल (अ.वि.)-प्रतिलिपिक, नक़्ल करनेवाला; दूसरे से सुनी हुई बात कहनेवाला।
ना$िकस (अ.वि.)-अपूर्ण, नामुकम्मल; दूषित, विकृत, ख़्ाराब; मिथ्या, कूट, खोटा; धूर्त, पाजी; अरबी भाषा में वह शब्द जिसका अंतिम अक्षर 'अलि$फÓ, 'बावÓ या 'येÓ हो।
ना$िकसुलअ़क़्ल (अ.वि.)-बुद्धु, कमअ़क़्ल, मंदबुद्घि, विकृत-बुद्घि।
ना$िकसुलख़्िाल्$कत (अ.वि.)-विकलांग, जिसके शरीर के सभी अंग पूर्ण न हों, जिसके शरीर का कोई अंग कम हो।
ना$िकसुल$फहम (अ.वि.)-दे.-'ना$िकसुलअ़क़्लÓ।
ना$कूस (अ.पु.)-शंख, कम्बु।
नाकेह (अ.वि.)-शादी करनेवाला, ब्याह (निकाह) करनेवाला।
नाख़्ा ($फा.पु.)-नास्पाती की एक जाति।
नाख़्ाल$फ (अ.$फा.वि.)-कपूत, कुपुत्र, जो बेटा पिता के सदाचरण पर न चले।
नाख़्िास (अ.वि.)-गडऩेवाला, चुभनेवाला।
नाख़्ाुदा ($फा.पु.)-नाविक, मल्लाह, माँझी; कर्णधार।
नाख़्ाुदातर्स ($फा.वि.)-जो ईश्वर से न डरता हो अर्थात़ बेरहम, निर्दय।
नाख़्ाुदाई ($फा.स्त्री.)-नाव खेना, किश्ती चलाना।
नाख़्ाुन: ($फा.पु.)-आँख का एक रोग जिसमें रक्त की एक बिन्दी-सी पड़ जाती है।
नाख़्ाुन ($फा.पु.)-नख, हाथ या पाँव के नाख़्ाून।
नाख़्ाुनतराश ($फा.पु.)-नाख़्ाून काटने का यंत्र, नहन्ना, नेलकटर।
नाख़्ाुश ($फा.वि.)-जो प्रसन्न न हो, अप्रसन्न, नाराज़; क्रुद्घ, $गुस्सा; रोगी, बीमार।
नाख़्ाुशगवार ($फा.वि.)-अरुचिकर, जो मन को अच्छा न लगे।
नाख़्ाुशगवारी ($फा.स्त्री.)-अरुचि, बेर$गबती; अप्रसन्नता, नाख़्ाुशी, नाराज़ी।
नाख़्ाुशी ($फा.स्त्री.)-अप्रसन्नता, नाराज़ी; क्रोध, $गुस्सा; रोग, बीमारी।
नाख़्ाूब ($फा.वि.)-जो उत्तम न हो, जो अच्छा न हो, निकृष्ट, बुरा, ख़्ाराब।
नाख़्वांद: ($फा.वि.)-अनपढ़, अशिक्षित, बे पढ़ा-लिखा; बिन बुलाया हुआ।
नाख़्वांदगी ($फा.स्त्री.)-अनपढ़ होना, अशिक्षित होना; बिन बुलाया हुआ होना।
नाख़्वास्त: ($फा.वि.)-अनचाहा, न चाहा हुआ।
नाख़्वास्त ($फा.वि.)-अकस्मात्, अनायास, बेइख़्ितयार।
नाख़्वाह ($फा.वि.)-अस्वीकृत, जो राज़ी न हो।
ना$ग: (तु.पु.)-अनुपस्थिति, $गैरहाजिऱी।
ना$ग:नवीस (तु.$फा.पु.)-वह कर्मचारी जो राजा या नव्वाबों की ड्यौढ़ी के कर्मचारियों की हाजिऱी लेता था।
नागवार ($फा.वि.)-अरुचिकर, जो पसन्द न हो, जो अच्छा न लगे; निस्वाद, बेमज़ा।
नागवारा ($फा.वि.)-दे.-'नागवारÓ।
नागवारी ($फा.स्त्री.)-पसन्द न होना, अच्छा न लगना।
नागह ($फा.वि.)-'नागाहÓ का लघुरूप, अचानक, अकस्मात्, यकायक।
नागहाँ ($फा.वि.)-यकायक, अकस्मात्, अचानक; बिना सूचना के, बिना इत्तिलाअ़ दिये; बेमौ$का, कुसमय।
नागहानी ($फा.वि.)-आकस्मिक, इत्ति$फा$की; दैविक, $गैबी।
नागाह ($फा.वि.)-यकायक, अकस्मात्, अचानक; बिना सूचना के, बिना इत्तिलाअ़ दिये, बेख़्ाबरी में।
नागुज़ीर ($फा.वि.)-ज़रूरी, अनिवार्य, आवश्यक, लाजि़मी, जिससे छुटकारा न हो।
नागुफ़्त: ($फा.वि.)-अकथित, जो कहा न गया हो।
नागुफ़्त:बेह ($फा.वि.)-अकथ्य, अकथनीय, जो बात कहने योग्य न हो, जिसका न कहना ही अच्छा हो, जिसके कहने में ख़्ाराबी हो या झगड़ा पड़े।
नागुफ़्तनी ($फा.अव्य.)-अकथनीय, जो बात कहने योग्य न हो।
नाचा$क (तु.$फा.वि.)-अस्वस्थ, जो स्वस्थ न हो।
नाचा$की (तु.$फा.स्त्री.)-मनमुटाव, वैमनस्य, अनबन; बीमारी, रोग।
नाचार ($फा.वि.)-जो समर्थ न हो, असमर्थ, मजबूर; बेबस, असहाय, निराश्रय; दु:खी, दीन, मुसीबतज़दा, कष्ट में घिरा हुआ।
नाचारी ($फा.स्त्री.)-असामथ्र्य, असमर्थता, मजबूरी; बेबसी, बेकसी, आश्रयहीनता; दु:ख, कष्ट, तकली$फ।
नाचीज़ ($फा.वि.)-जो कुछ न हो; तुच्छ, निकम्मा, नालाइ$क, हेच, पोच, नाकार:, (नम्रता-प्रदर्शन के लिए वक्ता अपने लिए भी बोलता है)।
नाज़ ($फा.पु.)-मान, अभिमान, गर्व, घमण्ड; हावभाव, नाज़ोअदा।
नाजऩीं ($फा.वि.)-'नाजऩीनÓ का लघुरूप, मृदुल, कोमल, नाज़ुक; सुन्दरी, सुकुमारी।
नाजऩीन ($फा.वि.)-दे.-'नाजऩींÓ।
नाज़पर्वर ($फा.वि.)-दे.-'नाज़पर्वर्द:Ó।
नाज़पर्वर्द: ($फा.वि.)-जिसका पालन-पोषण बहुत लाड़-प्यार से हुआ हो; नाज़ुकबदन, सुकुमार।
नाज़पेश: ($फा.वि.)-जिसे नाज़ोअदा या हावभाव दिखाने की आदत हो; प्रेयसी, माÓशू$का; वेश्या, गणिका, तवाइ$फ।
नाज़पेशगी ($फा.स्त्री.)-हाव-भाव से दिल लुभाना, नाज़ोअदा दिखाना।
नाज़बरदार ($फा.वि.)-नाज़-नख़्ारे उठानेवाला; अ़ाशि$क, नायक।
नाज़बरदारी ($फा.स्त्री.)-नाज़-नख़्ारे उठाने, ख़्िादमत करना।
नाज़बालिश ($फा.पु.)-वह तकिया जो बड़े तकिए के अतिरिक्त इधर-उधर सहारे के लिए होता है, पहलू का तकिया।
नाज़बू ($फा.स्त्री.)-एक प्रकार की चमेली, उस चमेली का फूल।
नाज़ाँ ($फा.वि.)-इठलाता हुआ, हाव-भाव दिखाता हुआ, नाज़-नख़्ारे करता हुआ; मग़्ा्रूर, गर्वान्वित।
नाज़ाईद: ($फा.वि.)-जो पैदा या उत्पन्न न हुआ हो, अज्ञात।
नाजिंस (अ.$फा.वि.)-अशिष्ट, असभ्य, नामुहज़्ज़ब; जो संगत के योग्य न हो, जो सोसाइटी के $काबिल न हो।
नाजि़म (अ.पु.)-प्रबन्धक, व्यवस्थापक, मुंतजि़म, इन्तिज़ाम करनेवाला; सचिव, मंत्री, सेक्रेटरी।
नाजिऱ: (अ.स्त्री.)-नाजिऱ की स्त्री, देखनेवाली, (पु.)-$कुरान का देखकर पढऩा, याद अथवा कंठस्थ न करना।
नाजिऱ:ख़्वाँ (अ.$फा.वि.)-$कुरान को देखकर पढऩेवाला, जो हा$िफज़ न हो।
नाजिऱ (अ.पु.)-दर्शक, देखनेवाला; देख-रेख करनेवाला, निगरानी करनेवाला; एक कर्मचारी; वह अधिकारी जो अधीनस्थ कर्मचारियों के काम की देखभाल करे; ख़्वाजा-सरा (वह हिजड़ा, जो घर में काम करता हो, महिलाओं का नौकर), महल-सरा (वह हिजड़ा, जो अंत:पुर अथवा जऩानख़्ााने का नौकर हो); वेश्याओं का दलाल।
नाजिऱीन (अ.पु.)-देखनेवाले, दर्शकगण; पढऩेवाले।
नाजि़ल: (अ.पु.)-विपत्ति, आपत्ति, मुसीबत, सानिह:।
नाजि़ल (अ.वि.)-ऊपर से नीचे आनेवाला, उतरनेवाला; नीचे आया हुआ, उतरा हुआ।
नाजि़श ($फा.स्त्री.)-हाव-भाव, नाज़-नख़्ारे, इतराहट; गर्व, $फख़्ा्र। 'नाजि़श-ए-हमताई-ए-चश्म-ए-ख़्ाूबाँÓ-हसीनों की आँख के समान इतराहट (हसीनों की आँखें किसी बीमार व्यक्ति की आँखों की तरह आधी खुली और आधी बन्द रहती हैं )।
नाजी (अ.वि.)-मोक्ष प्राप्त करनेवाला, मुक्ति पानेवाला; मुक्त, नजातयाफ़्त:।
नाज़ीद: ($फा.वि.)-गर्वान्वित, मग़्ा्रूर।
नाज़्ाुक ($फा.वि.)-कोमल, नर्म; मृदुल, मुलाइम; दुबला-पतला; बोदा, कमज़ोर; हलका-फुलका; सूक्ष्म, लती$फ; गूढ़, द$की$क; पेचदार, उलझा हुआ; तेज़, तीव्र।
नाज़्ाुकअंदाम ($फा.वि.)-कृशांग, जिसका शरीर पतला-दुबला हां।
नाज़्ाुककमर ($फा.वि.)-कटिक्षीणा, वह सुन्दरी जिसकी कमर पतली हो।
नाज़्ाुकख़्ायाल (अ.$फा.वि.)-वह कवि अथवा शाइर जो अपनी रचना में गूढ़ अर्थवाले भाव लाता हो।
नाज़्ाुकतब्अ़ (अ.$फा.वि.)-दे.-'नाज़्ाुकमिज़ाजÓ।
नाज़्ाुकदिमा$ग (अ.$फा.वि.)-जो किसी की बात सहन न कर सके, जो बात-बात पर बिगड़े, चिड़चिड़े स्वभाव का।
नाज़्ाुकदिल ($फा.वि.)-मृदुलहृदय, जिसका हृदय कोमल हो।
नाज़्ाुकबदन ($फा.वि.)-दे.-'नाज़्ाुकअंदामÓ।
नाज़्ाुक मिज़ाज (अ.$फा.वि.)-जिसका स्वभ्ससव बहुत ही मृदुल हो; जिसका स्वभाव चिड़चिड़ा हो।
नाज़्ाुकमिज़ाजी (अ.$फा.स्त्री.)-स्वभाव की कोमलता या मृदुलता; चिड़चिड़ापन।
नाज़्ाूर: (अ.स्त्री.)-मालिन, मालिनी; प्रेयसी, प्रेमिका, महबूब:।
नाज़्ाूर (अ.पु.)-रक्षक, देख-रेख करनेवाला, निगहबान।
नाज़्ोबा ($फा.वि.)-जो उचित न हां, अनुचित, नामुनायिब; अश्लील, नामुहज्ज़़ब।
नाज़ोनियाज़ ($फा.पु.)-अ़ाशि$क और माÓशू$क के मुअ़ामलात (मामले), अ़ाशि$क की तर$फ से नियाज़ (कामना, इच्छा) और माÓशू$क की तरफ से नाज़ (चोचला, नख़्ारा, अदा, हाव-भाव)।
नाज़ोर ($फा.वि.)-जिसमें ज़ोर न हो, शक्तिहीन, अशक्त, निर्बल, कमज़ोर, नाता$कत।
नाÓत (अ.स्त्री.)-हज्ऱत मुहम्मद साहब की छन्दोबद्घ स्तुति।
नाÓतख़्वाँ (अ.$फा.वि.)-मीलाद (हज्ऱत मुहम्मद की कथा की सभा) के जलसों में नाÓत के शेÓर पढऩेवाला।
नाÓतगो (अ.$फा.वि.)-वह शाइर जो केवल नाÓत (छन्दोबद्घ स्तुति) लिखता हो।
नाजज्रिब:कार (अ.$फा.वि.)-अनुभवहीन, जिसे अनुभव न हो, अनाड़ी।
नातज्रिब:कारी (अ.$फा.स्त्री.)-अनाड़ीपन, अनुभवहीनता।
नातमाम (अ.$फा.वि.)-जो पूरा न हो, अपूर्ण, अधूरा।
नातराशीद: ($फा.वि.)-जो तराशा न गया हो; जो शिक्षित न किया गया हो; असभ्य, अशिष्ट, नामुहज्ज़़ब।
नातर्बियतयाफ़्त: (अ.$फा.वि.)-जिसने शिक्षा-दीक्षा न पाई हो; जिसने सभ्यता की सीख न ली हो; जो टे्रंड न हो।
नातर्स ($फा.वि.)-र्दिय, बेरह्म।
नातर्सी ($फा.स्त्री.)-निर्दयता, बेरह्मी।
नातलबीद: ($फा.वि.)-अनाहूत, अनिमंत्रित, जो बुलाया न गया हो।
नाता$कत (अ.$फा.वि.)-जिसमें शक्ति या ता$कत न हो, अशक्त, निर्बल, बेज़ोर।
नाता$कती (अ.$फा.स्त्री.)-शक्तिहीनता, कमज़ोरी, अशक्ति, निर्बलता।
नाताÓलीमयाफ़्त: (अ.$फा.वि.)-अशिक्षित, जो पढ़ा-लिखा न हो; असभ्य, अशिष्ट, बेतमीज़।
नाति$क: (अ.पु.)-वाणी, वाक्-शक्ति, वाक्य-शक्ति, $कुव्वते गोयाई।
नाति$क (अ.वि.)-वक्ता, बोलनेवाला; जो टले नहीं, अंतिम, आख़्िार।
नातुवाँ ($फा.वि.)-शक्तिहीन, कमज़ोर, अशक्त, निर्बल, बेज़ोर।
नातुवाँबीं ($फा.वि.)-ईष्र्यालु, डाह करनेवाला, दूसरे की ख़्ाुशी देखकर जल-भुन जानेवाला, हासिद।
नातुवानी ($फा.स्त्री.)-शक्तिहीनता, निर्बलता, कमज़ोरी।
नादान ($फा.वि.)-अनाड़ी, नासमझ, मूर्ख, अनभिज्ञ।
नादानिस्त: ($फा.वि.)-अनजाने में, अज्ञानतावश, बे जाने-बूझे।
नादानिस्तगी ($फा.स्त्री.)-अज्ञानता, अनजानपन।
नादानी ($फा.स्त्री.)-अज्ञान, जहालत; मूर्खता, बेवु$कू$फी।
नादार ($फा.वि.)-कंगाल, मु$फलिस, दरिद्र, निर्धन।
नादारी ($फा.स्त्री.)-कंगाली, दरिद्रता, निर्धनता, मु$फलिसी।
नादाश्त ($फा.वि.)-निर्धन, कंगाल, दरिद्र, मु$फलिस।
नादाश्ती ($फा.स्त्री.)-कंगाली, दरिद्रता, निर्धनता, मु$फलिसी।
नादिम (अ.वि.)-शर्मिन्दा, लज्जित, पछतानेवाला, संकुचित।
नादिर: (अ.वि.)-अद्भुत, अजीबो$गरीब।
नादिर (अ.वि.)-अद्भुत, अजीबो$गरीब; श्रेष्ठ, उत्तम, बढिय़ा।
नादिरए रोजग़ार (अ.$फा.वि.)-सृष्टि में सबसे उत्तम, दुनिया-भर में सबसे श्रेष्ठ।
नादिरी (अ.स्त्री.)-गंजि$फे का इक्का; एक प्रकार की बंडी; बादशाह 'नादिरशाहÓ से सम्बन्धित।
नादिहंद ($फा.वि.)-अदेवा, लेकर न देनेवाला, जो रुपया लेकर वापस लौटाने में बहुत टालमटोल करे।
नादिहंदगी ($फा.स्त्री.)-रुपया उधार लेकर वापस न करना, $कजऱ्ा न चुकाना।
नादी (अ.वि.)-बुलानेवाला, पुकारनेवाला।
नादीद: ($फा.वि.)-अदृष्ट, अनदेखा, जिसे देखा न हो।
नादीद:मुश्ता$क (अ.$फा.वि.)-देखने का अभिलाषी, जिसने कभी न देखा हो।
नानेजवीं ($फा.स्त्री.)-जौ की रोटी, मोटी-झोटी रोटी।
नादीदनी ($फा.अव्य.)-अदर्शनीय, जो देखने के योग्य न हो।
नादुरुस्त ($फा.वि.)-जो सत्य न हो, झूठ; जो शुद्घ न हो, अशुद्घ; $गैर मरम्मतशुदा, जो ठीक न हो, ख़्ाराब।
नादुरुस्ती ($फा.स्त्री.)-ख़्ारबी, बेमरम्मती; ठीक न होना, अशुद्घि; झूठ, असत्यता।
नान ($फा.स्त्री.)-रोटी, रोटिका; ख़मीरी रोटी, नाँद।
नानकार ($फा.स्त्री.)-वह भूमि जो सेवक को उसकी गुजऱ-बसर के लिए पुरस्कार के रूप में दी जाए।
नानकोर ($फा.वि.)-नमकहराम, कृतघ्न, विश्वासघाती।
नानख़्ाताई ($फा.स्त्री.)-एक प्रकार का मीठा बिस्कुट।
नानख़्ाुरिश ($फा.स्त्री.)-सालन, वह चीज़ जिसके साथ रोटी खाई जाए।
नानख़्वाह ($फा.स्त्री.)-अजवाइन, यमानिका।
नानपज़ ($फा.पु.)-नानबाई, रोटी पकानेवाला।
नान$फरोश ($फा.पु.)-रोटी बेचनेवाला, नानबाई।
नानबा ($फा.पु.)-नानपज़, नानबाई, रोटी पकानेवाला।
नाÓनाअ़ (अ.पु.)-एक प्रकार का पोदीना।
नाने आबी ($फा.स्त्री.)-आबी रोटी, आटे में पानी डालकर बनाई हुई रोटी।
नाने ख़्ाुश्क ($फा.स्त्री.)-सूखी रोटी, मोटी-झोटी रोटी।
नाने जवीं ($फा.स्त्री.)-जौ की रोटी, मोटी-झोटी रोटी।
नापदीद ($फा.वि.)-अव्यक्त, गुप्त, छिपा हुआ।
नापर्वा ($फा.वि.)-जिसे किसी बात की $िफक्र अथवा चिन्ता न हो, बेपर्वा।
नापर्हेजग़ार ($फा.वि.)-जो निषिद्घ वस्तुओं से न बचे, जो पर्हेजग़ार न हो, जो संयमी न हो, जो धर्मनिष्ठ न हो।
नापसंद ($फा.वि.)-जो पसंद न हो, अप्रिय, जो रुचिकर न हो, $गैर म$र्गूब, अरुचिकर।
नापसंदीद: (अ.$फा.वि.)-दे.-'नापसंदÓ।
नापसंदीद:कार ($फा.वि.)-अप्रियकर काम करनेवाला, वह व्यक्ति जो ऐसे काम करे जो अच्छे न हों।
नापसंदीदगी ($फा.स्त्री.)-रुचिकर अथवा पसंद न होने का भाव, अरुचि।
नापाइदार ($फा.वि.)-कुछ दिन का, अस्थायी, अ़ारिज़ी, यूँ ही; जो मज़बूत न हो, अदृढ़; $गैर य$कीनी, अविश्वसनीय, अनिश्चित।
नापाक ($फा.वि.)-जो पवित्र न हो, अपवित्र, अशुचि, जो पाक न हो; मलदूषित, नजासत आलूद, गन्दगी से भरा हुआ।
नापाकी ($फा.स्त्री.)-अपवित्रता, अशुचिता, अशुद्घता; गन्दगी, नजासत।
नापिदर ($फा.पु.)-सौतेला बाप।
नापिसर ($फा.पु.)-सौतेला बेटा।
नापुख़्त: ($फा.वि.)-जो परिपक्व न हो, अपरिपक्व; जो पक्का न हो, अपक्व; जो मज़बूत न हो, अदृढ़।
नापुख़्त:कार ($फा.वि.)-अनुभवहीन, अननुभवी, जिसे किसी काम को करने का अनुभव न हो, नातज्रिब:कार।
नापुख़्तगी ($फा.स्त्री.)-कच्चापन, अपरिपक्व; अदृढ़ता, बोदापन।
नापैद ($फा.वि.)-अप्राप्य, नायाब; लुप्त, छिपा हुआ, पोशीदा; अन्तद्र्घान, $गाइब।
नापैदा ($फा.वि.)-दे.-'नापैदÓ।
नापैदाकनार ($फा.वि.)-अपार, जिसका छोर न मिल सके, जिसका तट अथवा किनारा न मिले।
ना$फ: ($फा.पु.)-कस्तूरी, मृगनाभि।
ना$फ ($फा.स्त्री.)-नाभि, तुन्दी, तुन्द कूपी।
ना$फए आहू ($फा.पु.)-कस्तूरी, मृगनाभि।
ना$फए मुश्क ($फा.पु.)-मृगनाभि, वह थैली जिसमें कस्तूरी अथवा मुश्क रहती है।
ना$फपेच ($फा.स्त्री.)-पेचिश।
ना$फर्जाम ($फा.वि.)-जिसके काम का परिणाम अच्छा न हो, बदअंजाम।
ना$फर्मान ($फा.वि.)-जो आज्ञा टािवा आदेश की अवहेलना करे, अवज्ञाकारी, हुक्म न माननेवाला; उद्दण्ड, सरकश।
ना$फर्मानी ($फा.स्त्री.)-आदेश की अवहेलना, अवज्ञा, हुक्मउदूली; उद्दण्डता, सरकशी।
ना$फह्म (अ.$फा.वि.)-जो किसी बात को न समझ सके, जिसकी समझ मोटी हो, कमअ़क़्ल।
ना$फह्मी (अ.$फा.स्त्री.)-अज्ञान, मूर्खता, बेअ़क़्ली।
ना$िफज़ (अ.वि.)-आदेश जारी होना; $कानून लागू होना।
ना$िफर (अ.वि.)-घिन करनेवाला, घृणा करनेवाला, घृणी।
ना$फी (अ.वि.)-इंकार करनेवाला, अस्वीकृत करनेवाला; $दूर करनेवाला; $न$फी करनेवाला।
ना$फेÓ (अ.वि.)-लाभ देनेवाला, लाभदायक, लाभकारक, न$फा देनेवाला।
ना$फे ख़्ााक ($फा.स्त्री.)-मक्का की पवित्र ज़मीन; पृथ्वी की नाभि।
ना$फे ज़मीं ($फा.स्त्री.)-मक्का।
ना$फे हफ़्त: ($फा.स्त्री.)-मंगलवार।
नाब: ($फा.वि.)-बिना मिलावट का, शुद्घ, विशुद्घ, निर्मल, ख़्ाालिस; तेज़ और निर्मल मदिरा।
नाब ($फा.वि.)-निर्मल, शुद्घ, ख़्ाालिस।
नाब (अ.पु.)-दाँत, दन्त।
नाबकार ($फा.वि.)-अधम, पामर, नीच, कमीना, नालाइ$क।
नाबदान ($फा.स्त्री.)-घर की नाली, मकान की मोरी।
नाबलद ($फा.वि.)-अनजान, अनभिज्ञ, जो परिचित न हो, अपरिचित, नावा$िक$फ।
नाबह्र: ($फा.वि.)-अभागा, कर्महीन, ओछा।
नाबाइस्त: ($फा.वि.)-अशिष्ट, असभ्य, नाशाइस्त:।
नाबालिग़ (अ.$फा.वि.)-जो वयस्क न हो, अवयस्क, जो बालि$ग न हो।
नाबालिग़ी (अ.$फा.स्त्री.)-अवयस्कता, जवानी को न पहुँचना।
नाबिक (अ.पु.)-ऊँचा स्थान, ऊँची जगह।
नाबित (अ.वि.)-उपजनेवाला, उगनेवाला।
नाबीना ($फा.पु.)-अंध, अंधा, नेत्रहीन। 'ह$की$कत तुम बता दो आँखवालो साहिबो मुझको, मैं नाबीना हूँ मैंने आज तक दुनिया नहीं देखीÓ-माँझी
नाबूद ($फा.वि.)-बरबाद, नष्ट, विध्वस्त; लुप्त, $गाइब।
नामंज़ूर (अ.$फा.वि.)-जो मंज़ूर न हो, अस्वीकृत, अनंगीकृत; रद, ख़्ाारिज।
नामंज़ूरी (अ.$फा.स्त्री.)-अस्वीकृति; ख़्ाारिज होना, रद होना।
नाम: ($फा.पु.)-पत्र, चिट्ठी, ख़्ात; ग्रन्थ, पुस्तक, (योग में)- जैसे-'शाहनाम:Ó-वह महाकाव्य जिसमें किसी राज्य-विशेष के राजाओं अथवा बादशाहों का वर्णन हो।
नाम:निगार ($फा.पु.)-संवाददाता, संवाद अथवा समाचार प्रेषित करनेवाला, संवाददाता, संवादकार, रिपोर्टर, करस्पांडैंट।
नाम:बर ($फा.पु.)-पत्र ले जानेवाला, पत्रवाहक, चिट्ठीरसाँ, डाकिया, पोस्टमैन।
नाम:रसाँ ($फा.पु.)-दे.-'नाम:बरÓ।
नाम:सियाह ($फा.वि.)-जिसका नामए-आमाल अर्थात् कर्म-पत्र बिलकुल काला हो, पापी, दुष्कर्मी, गुनहगार।
नाम ($फा.पु.)-संज्ञा, इस्म; धूम, शुह्र:; यश, नामवरी; ख्याति, शोहरत; प्रतिष्ठा, इज़्ज़त; स्मरण-चिह्नï, यादगार, स्मृति-चिह्नï।
नामआवर ($फा.वि.)-प्रसिद्घ, ख्यातिप्राप्त, मशहूर; यशस्वी, कीर्तिमान्, साहिबे $फैज़।
नामआवरी ($फा.स्त्री.)-प्रसिद्घी, शोहरत, ख्याति, सुख्याति; यश, कीर्ति, $फैज़।
नामए अ़मल (अ.$फा.पु.)-दे.-'नामए आÓमालÓ।
नामए आÓमाल (अ.$फा.पु.)-कर्मपत्र, वह का$गज़ जिस पर यमदूत प्रत्येक व्यक्ति के सत्कर्म और कुकर्म लिखते हैं।
नामए शौ$क (अ.$फा.पु.)-प्रेमपत्र, मुहब्बत के इज़्हार वाला ख़्ात।
नामक़्बूल (अ.$फा.वि.)-जो सर्वप्रिय न हो; जो रुचिकर अथवा पसंदीद: न हो; जो स्वीकार न किया जा सके, अस्वीकृत।
नामज़द: ($फा.वि.)-दे.-'नामज़दÓ।
नामज़द ($फा.वि.)-किसी काम या चुनाव के लिए चयनित, मनोनीत, नाम निर्दिष्ट; ख्यात, प्रसिद्घ, मशहूर; वह लड़की जो किसी की मँगेतर हो चुकी हो।
नामज़दगी ($फा.स्त्री.)-मनोनयन, चुनाव आदि में नामज़द होना, नामनयन, किसी काम के लिए किसी की नियुक्ति।
नामजू ($फा.वि.)-यश चाहनेवाला, यशकामी, शौहरत की इच्छा की इच्छा रखनेवाला, नामवरी चाहनेवाला।
नामत्बूअ़ (अ.$फा.वि.)-जो छपा न हो, अप्रकाशित; अप्रिय, अरुचिकर, नाम$र्गूब।
नामत्लब (अ.$फा.वि.)-अभिप्राय:हीन, अवांछित, जिसकी चाह न हो।
नामदार ($फा.वि.)-प्रसिद्घ, ख्यातिप्राप्त, मशहूर, यशवान्; प्रतिष्ठित, इज़्ज़तदार।
नामबरदार ($फा.वि.)-प्रख्यात, नामी, प्रतिष्ठित, प्रसिद्घ।
नामबुर्द: ($फा.वि.)-पूर्वोक्त, जिस आदमी का पहले जि़क्र हो चुका हो, जिस आदमी के बारे में पहले कहा जा चुका हो।
नामर्द ($फा.वि.)-नपुंसक, हिजड़ा, क्लीब; भीरु, डरपोक, बुज़दिल।
नामर्दी ($फा.स्त्री.)-नपुंसकता, क्लाबत्व, जऩानापन; भीरुता, डरपोकपन, बुज़दिली।
नामर्दुम ($फा.वि.)-नीच, कमीना, अधम, पामर, लो$फर।
नामर्दुमी ($फा.स्त्री.)-अधमता, नीचता, कमीनगी।
नामर्बूत (अ.$फा.वि.)-असंबद्घ, जो क्रमबद्घ न हो; अंडबंड, बेजोड़, बेमेल।
नामवर ($फा.वि.)-प्रसिद्घ, यशवान्, ख्यातिप्राप्त, मशहूर, पुण्यश्लोक, बा$फैज़।
नामवरी ($फा.स्त्री.)-प्रसिद्घी, ख्याति, शोहरत; यश, कीर्ति, $फैज़।
नामश्रूअ़ (अ.$फा.वि.)-जो काम शर्अ़ (धर्मशास्त्र) के विरुद्घ हो, अविहित।
नामस्मूअ़ (अ.$फा.वि.)-अश्रुत, जो सुना न हो।
नामह्दूद (अ.$फा.वि.)-जिसकी कोई सीमा न हो, असीम, जिसका पार न पाया जा सके, अपार।
नामह्रूम (अ.$फा.वि.)-वह मर्द जिससे स्त्री का पर्दा जाइज़ हो; अपरिचित, अजनबी।
नामाÓ$कूल (अ.$फा.वि.)-जो सभ्य और शिष्ट न हो, असभ्य, अशिष्ट, $गैरमुहज़्ज़ब; अनुचित, नामुनासिबे; अश्लील, $फूहश; अनर्थक, बेहूद:, वह बात जो बुद्घि में न आ सके; अरुचिकर, नापसंदीद:।
नामानूस (अ.$फा.वि.)-जो प्रभावित न कर पाए; जिसकी ओर रुचि और लगाव न हो; जो पसंद न हो।
नामाÓलूमुलइस्म (अ.$फा.वि.)-जिसकी संज्ञा न मालूम हो, जिसके नाम का पता न हो, अज्ञात, अज्ञातनाम।
नामाÓलूम (अ.$फा.वि.)-बेख़्ाबर, अंजान; जिसका पता न हो, अपरिचित, अज्ञात; अप्रसिद्घ।
नामिय: (अ.स्त्री.)-उगने और बढऩे की शक्ति, विकास-शक्ति।
नामी ($फा.वि.)-ख्यात, प्रसिद्घ, मशहूर; यशवान्, बा$फैज़; श्रेष्ठ, मुअ़ज़्ज़ज़।
नामीद: ($फा.वि.)-नाम रखा हुआ।
नामुआ$िफ$क (अ.$फा.वि.)-जो अनुकूल न हो, प्रतिकूल, अननुकूल, मुख़्ाालि$फ।
नामुकम्मल (अ.$फा.वि.)-जो मुकम्मल अथवा पूरा न हो, अपूर्ण, अधूरा; जो अभी अंजाम तक न पहुँचा हो, जो अभी समाप्त न हुआ हो, असमाप्त।
नामुतनाही (अ.$फा.वि.)-जिसकी कोई सीमा न हो, असीम, अपार, बेहद, जिसकी इंतिहा न हो।
नामुनासिब (अ.$फा.वि.)-जो योग्य न हो, अयोग्य; जो उचित न हो, अनुचित; जो श्लील न हो, अश्लील, $फुहश।
नामुबारक (अ.$फा.वि.)-अमांगलिक, जो शुभ न हो, अशुभ।
नामुम्किन (अ.$फा.वि.)-जो संभव न हो, असंभव, जो हो न सके।
नामुराद ($फा.वि.)-अभागा, बदनसीब, दुर्भाग्यवान्; नाकाम, असफलमनोरथ, जिसका मनोरथ सिद्घ न हुआ हो।
नामुरादी ($फा.स्त्री.)-नाकामी, मनोरथ-सिद्घि में असफलता; दुर्भाग्य, बदनसीबी।
नामुलाइम (अ.$फा.वि.)-जो नर्म, कोमल अथवा मुलाइम न हो, सख़्त, कठोर; जो श्लील न हो, अश्लील, नामुहज़्ज़ब।
नामुशख़्ख़्ास (अ.$फा.वि.)-जिसकी तशख़्ाीश अथवा पहचान न हुई हो, अज्ञात; अकुलीन, अज्ञातकुल।
नामुसाअ़दत (अ.$फा.स्त्री.)-प्रतिकूलता, अनुकूल न होने का भाव, नामुआ$फ$कत, नासाजग़ारी, विरुद्घता।
नामुसाइब (अ.$फा.वि.)-जो अनुकूल न हो, प्रतिकूल, मुख़्ाालि$फ, विरोधी।
नामुसावी (अ.$फा.वि.)-जो समान अथवा बराबर न हो, असम; जो एक जैसा न हो, जो यकसाँ न हो, असमान।
नामूस (अ.पु.)-लाज, लज्जा, $गैरत; सतीत्व, इस्मत, मर्यादा; स्त्री, पत्नी।
नामूसिय: (अ.स्त्री.)- मच्छरदानी।
नामूसे अक्बर (अ.पु.)-विधान, दस्तूर; नियम, $काइद:; जिब्रील नामक एक $फरिश्ता अथवा देवदूत जो अवतारों या पै$गम्बरों के पास ईश्वर का आदेश पहुँचाता था।
नामे ख़्ाुदा ($फा.अव्य.)-जहाँ नजऱ लगने का भय हो वहाँ बोलते हैं, जैसे-'अब वह नामे ख़्ाुदा तनदुरुस्त हैÓ; वाह-वाह, माशा अल्लाहकी जगह; प्रशंसा के लिए।
नामेह्रबाँ ($फा.वि.)-जो मेह्रबान न हो, निर्दय, बेरहम, दयाहीन; दुश्मन, शत्रु।
नामेह्रबानी ($फा.स्त्री.)-निर्दयता, बेरह्मी; वैर, शत्रुता।
नामोÓतबर (अ.$फा.वि.)-जो मोतÓबर या विश्वसनीय न हो, जिसका विश्वास या एतिबार न हो, अविश्वस्त।
नामौज़ूँ (अ.$फा.वि.)-जो उचित न हो, अनुचित, नामुनासिब; अश्लील, $फुहश, नामुहज़्ज़ब; वह शेÓर या मिस्रा जो छन्द की दृष्टि से वज़्न से ख़्ाारिज हो।
नामौजूद (अ.$फा.वि.)-जो उपस्थित न हो, जो मौजूद न हो, अनुपस्थित।
नामौजूदगी (अ.$फा.स्त्री.)-अनुपस्थिति, अविद्यमानता।
नामौज़ूनी (अ.$फा.स्त्री.)-अनुचितपन, उचित न होने का भाव, नामुनासिब होना; शेÓर या मिस्रा का वज़्न में न होना।
नायाब ($फा.वि.)-श्रेष्ठ, उत्तम; जिसका मिलना संभव न हो, अप्राप्य।
नायाबी ($फा.स्त्री.)-श्रेष्ठता, उत्तमता; अप्राप्ति।
नारंज ($फा.पु.)-संतरा, नारंगी, संगतर:।
नारंजी ($फा.वि.)-नारंगी के रंग का।
नाÓर: (अ.पु.)-उद्घोष, नारा, ज़ोर की आवाज़, ललकार; माँग, मुतालबा; किसी माँग या मुतालबे के लिए उसी आशय के संक्षिप्त शब्दों की घोषणा।
नाÓर:जऩ (अ.$फा.वि.)-ललकारनेवाला, उद्घोष करनेवाला, नारा लगानेवाला।
नाÓर:जऩी (अ.$फा.स्त्री.)-नारे लगाना, ललकारना।
नार (अ.स्त्री.)-अग्नि, आग, ज्वाला; नरक, दोज़ख़्ा।
नार ($फा.पु.)-अनार, दाडि़म।
नारजील ($फा.पु.)-नारियल, नारिकेल, गरी, खोपरा।
नारजीले दर्याई (अ.$फा.पु.)-समुद्र में पैदा होनेवाला नारियल; पपीता जो हैज़ा में काम आता है।
नारदान ($फा.पु.)-अनार के बीज, खट्टे अनार के दाने।
नारपिस्ताँ ($फा.वि.)-सख़्त छातियोंवाली औरत, वह स्त्री जिसकी छातियाँ कठोर हों।
नारबुन ($फा.पु.)-अनार का पेड़, दाडि़म वृक्ष।
नारवन ($फा.पु.)-गलनार, अनार का एक प्रकार।
नारवा ($फा.वि.)-जो कार्य समाज में करने योग्य न हो, अविहित, जो जाइज़ न हो; जो उचित न हो, अनुचित।
नारस ($फा.वि.)-अपरिपक्व, वह फल जो अभी पका न हो, कच्चा।
नारसा ($फा.वि.)-जो पहुँच न सके, जो पा न सकें।
नारसाई ($फा.स्त्री.)-पहुँच न होना, पा न सकना।
नारसी ($फा.स्त्री.)-दे.-'नारसाईÓ।
नारसीद: ($फा.वि.)-अपरिपक्व, कच्चा, जो फल पका न हो; अवयस्क, जो बालि$ग न हो; जिसे किसी काम का अनुभव न हो, जो अनुभवहीन हो, अनाड़ी।
नारसीदगी ($फा.स्त्री.)-परिपक्वता का न आना; फल का पका न होना, कच्चापन; अनुभवहीनता, अनाड़ीपन।
नाराज़ (अ.$फा.वि.)-जो प्रफुल्ल न हो, अप्रसन्न, नाख़्ाुश; कुपित, क्रुद्घ, $गुस्से में।
नाराज़ी (अ.$फा.स्त्री.)-क्रोध, कोप, $गुस्सा; अप्रसन्नता, नाराजग़ी।
नारास्त ($फा.वि.)-धूर्त, खोटा आदमी; जो सीधा न हो, वक्र, टेढ़ा; जो सच न हो, असत्य, झूठ।
नारास्ती ($फा.स्त्री.)-धूर्तता, खोटापन; वक्रता, टेढ़ापन; झूठ, असत्यता।
नारी (अ.$वि.)-अग्नि से पैदा प्राणि-वर्ग, जिन, परी; दोज़ख़्ाी, नारकीय।
नारे जहन्नम (नार ए जहन्नम) (अ.स्त्री.)-नरक की आग, दोज़ख़्ा की आग।
नारे दोज़ख़्ा (नार ए दोज़ख़्ा) (अ.$फा.स्त्री.)-दे.-'नारे जहन्नमÓ।
नारे $फार्सी (नार ए $फार्सी) (अ.$फा.स्त्री.)-उपदंश, गर्मी रोग।
नारे सईर (नार ए सईर) (अ.स्त्री.)-दे.-'नारे जहन्नमÓ।
नाल: ($फा.पु.)-आर्तनाद, $फर्याद; चीत्कार, चीख़; कोलाहल, शोर।
नाल:कश ($फा.वि.)-आर्तनाद करनेवाला, $फर्याद करनेवाला।
नाल:कुनाँ ($फा.वि.)-आर्तनाद करतर हुआ, $फर्याद करता हुआ।
नाल:गर ($फा.वि.)-दे.-'नाल:कशÓ।
नाल:जऩ ($फा.वि.)-दे.-'नाल:कशÓ।
नाल ($फा.स्त्री.)-वह महीन सूत-जैसे रेशे जो $कलम के भीतर होते हैं; भीतर से ख़्ााली नरकट, नलकी।
नाÓल (अ.पु.)-जूता, पादुका; जूते में नीचे की ओर जड़ा जानेवाला विशेष आकार का लोहे का टुकड़ा; घोड़े या बैल आदि के पाँव में जड़ा जानेवाला विशेष आकार का लोहे का टुकड़ा।
नाÓलैन (अ.पु.)-दोनों जूते, जूते का जोड़ा।
नाÓल दर आतश (अ.$फा.वि.)-उतावला, आतुर, व्याकुल, बे$करार, बेचैन।
नाÓलबंद (अ.$फा.वि.)-जूतों या चौपायों के पैरों में नाल लगानेवाला।
नाÓलबहा (अ.$फा.पु.)-चौथ, ख़्िाराज, राजकर।
नालाँ ($फा.वि.)-बावैला करता हुआ, रोता-चिल्लाता हुआ; जो उचित न हो, अनुचित, नामुनासिब।
नालाइ$क (अ.$फा.वि.)-जो लाइ$क न हो, अयोग्य, नाअह्ल; अशिष्ट, उजड्ड; नीच, कमीना; धूर्त, चालाक; दुरात्मा, बदबातिन।
नालिंद: ($फा.वि.)-नाल: करनेवाला, आर्तनाद करनेवाला, रोनेवाला, $फर्याद करनेवाला।
नालिश ($फा.स्त्री.)-आर्तनाद, $फर्याद; किसी के अत्याचार की शिकायत; वादी द्वारा कोर्ट में पेश किया जानेवाला मामला, वाद, दावा।
नालिशी ($फा.वि.)-नाल: करनेवाला, आर्तनाद करनेवाला, रोनेवाला, $फर्याद करनेवाला; दावा करनेवाला, वादी।
नालीद: ($फा.वि.)-चिल्लाया हुआ, रोया हुआ, रुदित।
नालीदनी ($फा.अव्य.)-रोने के लाइ$क।
नाÓले चोबीं (अ.$फा.पु.)-पादुका, खड़ाऊँ, चट्टी।
नाव: ($फा.पु.)-परनाला, मिट्टी या लकड़ी का वह परनाला जो छतों में लगता है।
नाव ($फा.स्त्री.)-नौका, नाव, किश्ती। 'डूब जाने का है अंदेशा भँवर में माँझी, नाव का$गज़ की है पतवार सम्हाले कोईÓ-माँझी
नावक ($फा.पु.)-एक प्रकार का छोटा तीर जिसकी मार प्रबल होती है।
नावकंदाज़ ($फा.वि.)-दे.-'नावक अंदाज़Ó।
नावकअंदाज़ ($फा.वि.)-कांडीर, तीर चलानेवाला।
नावकअफ्ग़न ($फा.वि.)-दे.-'नावकअंदाज़Ó।
नावक$िफगन ($फा.वि.)-दे.-'नावकअंदाज़Ó।
नावदान ($फा.पु.)-परनाला, मोरी, नाली, नाबदान।
नावनोश ($फा.स्त्री.)-रंगरेलियाँ, मदिरा-पान, पीना-पिलाना, मयनोशी, शराब और नग़्म:।
नावर्द ($फा.स्त्री.)-लड़ाई, युद्घ, जंग।
नावा$िक$फ (अ.$फा.वि.)-जो परिचित न हो, अपरिचित, अनजान; अनभिज्ञ, अनाड़ी; अज्ञात, नामालूम।
नावा$िक$फीयत (अ.$फा.स्त्री.)-जानकारी न होने का भाव, अपरिचय, अनजानपन; अनाड़ीपन, अनभिज्ञता।
नावाजिब (अ.$फा.वि.)-जो उचित न हो, जो मुनासिब न हो, अनुचित, नामुनासिब; जो श्लील न हो, नामुहज्ज़़ब।
नाÓश (अ.स्त्री.)-शव, अर्थी, जनाज़ा।
नाशनास ($फा.वि.)-जो पहचानता न हो, न पहचाननेवाला, जो परिचित न हो, अपरिचित।
नाशनासाई ($फा.स्त्री.)-परिचय न होना, न पहचानना, अपरिचय।
नाशाइस्त: ($फा.वि.)-जो उचित न हो, जो मुनासिब न हो, अनुचित, नामुनासिब; अशिष्ट, बदतहज़ीब; अश्लील, $फुहश।
नाशाइस्त:अत्वार (अ.$फा.वि.)-जिसका आचरण श्लील और सभ्य न हो।
नाशाइस्तगी ($फा.स्त्री.)-अश्लीलता, फूहड़पन; अशिष्टता, बदतहज़ीबी।
नाशाद ($फा.वि.)-जो प्रसन्न न हो, जो ख़्ाुश न हो, अप्रसन्न, नाख़्ाुश; खिन्न, मलिन, उदास, अफ़्सुर्द:; बदकिस्मत, अभागा, भाग्यहीन, बदनसीब।
नाशादमाँ ($फा.वि.)-दे.-'नाशादÓ।
नाशादमानी ($फा.स्त्री.)-अप्रसन्नता, नाख़्ाुशी; अफ़्सुर्दगी, खिन्नता, मलिनता।
नाशिकेब ($फा.वि.)-दे.-'नाशिकेबाÓ।
नाशिकेबा ($फा.वि.)-अधीर, बेसब्र; आतुर, व्याकुल, बेचैन; असहिष्णु।
नाशिकेबाई ($फा.स्त्री.)-बेसब्री, अधीरता; आतुरता, बेचैनी; असहिष्णुता।
नाशिता ($फा.पु.)-सवेरे से नहार मुँह होना, दे.-'नाश्ताÓ।
नाशिर (अ.पु.)-प्रसारक, सबमें फैलानेवाला; जो प्रकाशन करे, प्रकाशक, पब्लिशर।
नाशिरात (अ.स्त्री.)-आँधियाँ और झक्कड़।
नाशी (अ.वि.)-पैदा होनेवाला, उत्पन्न होनेवाला; युवा, युवक, नौजवान, नवयुवक।
नाशुक्र (अ.$फा.पु.)-जो किसी का एहसान न माने, अकृतज्ञ, कृतघ्न, एहसान $फरामोश, नमकहराम।
नाशुक्रगुज़ार (अ.$फा.वि.)-कृतघ्न, जो किसी की भलाई का शुक्रिया अदा न करे, जो किसी के एहसान का धन्यवाद ज्ञापित न करे।
नाशुक्रगुज़ारी (अ.$फा.स्त्री.)-किसी का एहसान न मानना, उपकार पर कृतज्ञता प्रकट न करना, एहसान$फरामोशी।
नाशुदनी ($फा.वि.)-अभागा, हतभाग्य, बदनसीब; असंभव, अशक्य, नामुम्किन।
नाशुन्वा ($फा.वि.)-जो किसी की बात न सुनता हो, जिसके यहाँ किसी की पूछताछ न हो।
नाश्ता ($फा.पु.)-जलपान, उपाहार, सवेरे के समय का थोड़ा-सा खाना।
नाश्पाती ($फा.स्त्री.)-एक प्रसिद्घ फल, नासपाती।
नास (अ.पु.)-एक आदमी; बहुत-से आदमी।
नासज़ा ($फा.वि.)-जो उचित न हो, अनुचित, नामुनासिब; अश्लील, फुहश, नाज़ेबा, जो शोभा न दे।
नासबूर (अ.$फा.वि.)-आतुर, व्याकुल, जल्दबाज़; अधीर, बेसब्रा।
नासब्र (अ.$फा.वि.)-दे.-'नासबूरÓ।
नासर: ($फा.वि.)-खोटा, कूट, वह सिक्का जो बाज़ार में न चले; वह सोना या चाँदी जिसमें मिलावट, खोट या आमेजि़श हो।
नासवाब (अ.$फा.वि.)-जो ठीक न हो, अशुद्घ; जो सत्य न हो, झूठ।
नासाज़ ($फा.वि.)-जो ठीक न हो, नादुरुस्त, $गैरसहीह; प्रतिकूल, अननुकूल।
नासाजग़ार ($फा.वि.)-जो अनुकूल न हो, प्रतिकूल, अननुकूल, मुख़्ाालि$फ।
नासाज़ी ($फा.स्त्री.)-प्रतिकूलता, मुख़्ााल$फत; त्रुटि, $गलती, ख़्ाराबी, नादुरुस्ती।
नासा$फ (अ.$फा.वि.)-जो निर्मल न हो, जो सा$फ और स्वच्छ न हो; जो बेमेल और विशुद्घ न हो, जो ख़्ाालिस न हो; अशुद्घ, मिलावटी।
नासिक (अ.वि.)-प्रभु-भक्ति करनेवाला, ईश्वर की प्रार्थना या आराधना करनेवाला, इबारतगुज़ार; $कुर्बानी करनेवाला, बलि देनेवाला, बलिदान देनेवाला।
नासिख़्ा (अ.वि.)-लिपिक, लिखनेवाला; अस्वीकृत या रद करनेवाला, निरसक।
नासितूद: ($फा.वि.)-जिसकी प्रशंसा अथवा तारी$फ न की गई हो, अप्रशंसित।
नासिपास ($फा.वि.)-उपकार या एहसान को न माननेवाला, कृतघ्न, अकृतज्ञ, नाशुक्रा, नमकहराम।
नासिपासगुज़ार ($फा.वि.)-उपकार या एहसान की कृतज्ञता न माननेवाला। दे.-'नासिपासÓ।
नासिपासी ($फा.स्त्री.)-एहसान न मानना, उपकार न मानना, कृतघ्नता, नमकहरामी, एहसान$फरामोशी।
नासिब (अ.वि.)-लगानेवाला, स्थापित करनेवाला; ज़बर देनेवाला, किसी बात अथवा कार्य पर बल देनेवाला।
नासिबी (अ.वि.)-हज्ऱत अ़ली को बुरा कहनेवाला सम्प्रदाय; उक्त सम्प्रदाय का व्यक्ति।
नासिय: (अ.पु.)-भाल, ललाट, माथा, पेशानी।
नासिय:फ़र्सा (अ.$फा.वि.)-साष्टांग प्रणाम करनेवाला, भूमि पर माथा रखकर पूजा या प्रणाम करनेवाला; माथा रगडऩेवाला अर्थात् ख़्ाुशामद या चापलूसी करनेवाला।
नासिय:सा (अ.$फा.वि.)-दे.-'नासिय:फ़र्साÓ।
नासिर (अ.वि.)-सहयोग देनेवाला, सहायक, मददगार; पीठ थपथपानेवाला, पृष्ठ-पोषक, हिमायती। नोट-इसका 'सÓ उर्दू के 'स्वादÓ अक्षर से बना है।
नासिर (अ.वि.)-गद्य-लेखक, नस्र लिखनेवाला। नोट-इसका 'सÓ उर्दू के 'सेÓ अक्षर से बना है।
नासी (अ.वि.)-भूलनेवाला, भूल जानेवाला।
नासुतुर्द: ($फा.वि.)-जिसका सिर मूँड़ा न गया हो।
नासुफ़्त: ($फा.वि.)-अनबिधा (मोती), जिसमें छेद न हुआ हो; कुमारी, अक्षता, वह युवती जिसने अभी तक सहवास न किया हो।
नासूत (अ.पु.)-जगत्, संसार, दुनिया, मत्र्यलोक; वह दुनिया जिसमें हम रहते हैं।
नासूर (अ.पु.)-नाड़ीव्रण, एक प्रकार का घाव जो हमंशा रिसता रहता है और कभी अच्छा नहीं होता।
नासेह (अ.पु.)-नसीहत करनेवाला, सदुपदेशक; साहित्यिक परिभाषा में प्रेम-त्याग का उपदेश देनेवाला। 'आईए, नासेह-मुश्$िफक़ समझाने मगर, इतना बस ख़्ायाल रहे मैं ज़रा दीवाना हूँÓ।
नासेह मुश्फि़क़ (अ.पु.)-दयावान् और नम्र स्वभाववाला नासेह, वह सदुपदेशक जो बहुत-ही कोमल मन वाला हो।
नास्पाल ($फा.पु.)-अनार का छिलका।
नाहंजार ($फा.वि.)-कदाचारी, दुष्कर्मी, बदचलन; अधम, नीच, कमीना।
नाह$क (अ.$फा.वि.)-अकारण, बेसबब; अन्याय, अनीति, नाइंसा$फी।
नाह$ककोश (अ.$फा.वि.)-अनीति और अन्याय की ओर प्रवृत रहनेवाला।
नाह$कशनास (अ.$फा.वि.)-सत्य को न पहचाननेवाला; ईश्वर को न माननेवाला, भगवान् के अस्तित्व में विश्वास न करने वाला।
नाह$कशनासी (अ.$फा.स्त्री.)-ईश्चर को न मानना, ख़्ाुदा को न पहचानना; सच्चाई को न पहचानना; अन्याय, अनीति, नाइंसा$फी।
नाहमदर्द ($फा.वि.)-जिसमें सहानुभूति न हो, दु:शील, बेमुरव्वत।
नाहमवार ($फा.वि.)-ऊँचा-नीचा, जो समतल न हो, असम; जो सभ्य और शिष्ट न हो, उजड्ड।
नाहार ($फा.वि.)-जो सवेरे से भूखा हो, नहारमुँह।
नाहिय: (अ.पु.)-तट, किनारा, छोर, हद; किसी देश की आख़्िारी हद, सीमा।
नाही (अ.वि.)-रोकनेवाला, निवारक; मना करनेवाला, निषेधक।
नाही (अ.वि.)-संकल्पकर्ता, इरादा करनेवाला।
नाहीद ($फा.स्त्री.)-शुक्रग्रह।
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